#फलों के प्रकार
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Fruits Name In Hindi And English | फलों के नाम | फलों के प्रकार
Fruits Name In Hindi And English | फलों के नाम | फलों के प्रकार Fruits name in hindi and english ( फलों के नाम हिंदी और इंग्लिश ) – हम आपको सभी फलो की महत्वपूर्ण जानकारी देंगे हम आपको सभी फलों के नाम हिंदी व् अंग्रेजी ( Fruits name in hindi and english ) में बतायेँगे उन फलों के खाने योग्य भाग उनकी परिभाषा, प्रकार व् कुछ फलों के खाने के फायदे भी बतायंगे | सवर्प्रथम हमने सभी फलों के नाम हिंदी और…
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आम कितना अच्छा फल है। चाहे वह पका हो या कच्चा, वह हर समय अच्छा लगता है। और अलग-अलग व्यक्ति विभिन्न प्रकार से उसका आस्वादन करते हैं। किन्तु आम सदैव अच्छा है। आम को 'फलों का राजा' कहा जाता है। इसी प्रकार भगवान् को समझने के लिए भक्ति सभी विधियों में सर्वश्रेष्ठ है। यह भक्ति की स्थिति है, चाहे वह कच्ची हो या पकी हुई। गोरखपुर, 10 फरवरी 1971
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लखनऊ: गामा रेडिएशन से सुरक्षित रहेगा अनाज और फल, कृषि मंत्री बोले- यह प्लांट गौरव की बात
उत्तर प्रदेश के लखनऊ के कृषि भारत एक्सपो में पीओसीटी ग्रुप के स्टॉल ने किसानों को काफी लुभाया. किसान पीओसीटी ग्रुप के स्टॉल पर लगाई गई प्रदर्शनी में यह जानने के लिए उत्सुक दिखे कि गामा रेडिएशन से उनके अनाज और फलों की सुरक्षा किस प्रकार होगी. इस तकनीकी के माध्यम से किसान अपने अनाज बिना किसी कोल्ड स्टोरेज के 06 माह से अधिक समय तक सुरक्षित रख सकेंगे. कृषि भारत एक्सपो में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप…
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दिवाली के बाद शरीर को डिटॉक्स कैसे करें ?
साल का अक्टूबर और नवंबर महीने त्योहारों से भरे रहे। नवरात्रे, गणेश पूजा, दुर्गा पूजा, दशहरा, धनतेरस, दिवाली और भाई दूज के साथ साथ कई तरह के त्यौहार हम सभी के जीवन में खुशियां और यादें छोड़ गए। इस पूरे महीने बहुत से त्यौहार होने के कारण हम सभी के घरो में कई अलग अलग दिन भिन्न भिन्न प्रकार के पकवान बने। साथ ही हम से ज्यादातर लोग मिलने मिलाने के लिए अपने ऑफिस, रिश्तेदारों और परिचितों के घर भी गए, जहाँ हमने ऐसे ही पकवानो और पेय का स्वाद लिया होगा।
हालाँकि इस दौरान हम सभी हम चाह न चाह कर कई ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन भी कर लेते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं होते। ऐसे खाद्य पदार्थो मे अधिक तेल, मसाले और शक्कर से भरे खाद्य पदार्थ तली-भुनी चीजें जैसे समोसे, कचौड़ी,पूड़ी तेल, मैदा और चीनी से बनी चीज़ें आदि हो सकती हैं। यह सभी पकवान खाने मे तो स्वादिष्ट होते हैं पर शरीर और सेहत को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये न केवल कोलेस्ट्रॉल बढाती है और हमारे लिवर के लिए बहुत नुकसानदेय होते हैं। इन दिनों शरीर थोड़ा अनहेल्दी हो जाता है और उसे डिटॉक्स करने की ज़रूरत पड़ती है।
यह भी पढ़ें: लिवर डिटॉक्स के लिए 6 अच्छे फूड्स आइये इस ब्लॉग मे हम सब जानेंगे कि दिवाली के बाद कैसे करें शरीर को डिटॉक्स कैसे करें।
बैलेंस डाइट शुरू करें
अब कुछ दिनों के लिए तला भुना और बाहर का खाना छोड़ देना चाहिए और बैलेंस डाइट शुरू करनी चाहिए। घर पर बना शुद्ध खाना खाएं। ध्यान रहे खाने मे प्रचुर मात्रा मे फाइबर्स हों, साथ ही फल और सब्जियां खूब खाएं। अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा हरी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। इससे आपको भरपूर न्यूट्रिशन भी मिलेंगे और डाइजेशन भी बेहतर बना रहेगा। ये आपके लिवर को स्वस्थ रखने और डिटॉक्स करने के लिए भी लाभदायक होता है।
खूब पानी पिएं
पानी पीना शरीर को डिटॉक्स करने के सबसे अच्छा तरीका है। दिवाली के बाद ज्यादा से ज्यादा पानी पीना पिए। इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है और कई बार बाथरूम जा पाते हैं। इस प्रक्रिया से शरीर मे जमे हुए सारे टॉक्सिंस शरीर से बाहर निकल जाते हैं और शरीर अंदर से काफी हल्का और ताजा महसूस करता है। पानी के साथ साथ ताज़ा फलों का जूस और हेल्दी ड्रिंक्स का सेवन भी कर सकते हैं।
सुबह उठ कर गर्म पानी से बना नींबू पानी लेना बहुत ही लाभदायक है साथ ही नारियल पानी बहुत अच्छा ऑप्शन है।
��ह भी पढ़ें: लिवर डिटॉक्स के लिए 6 अच्छे फूड्स पूरी नींद लें
रोज़ाना 7-9 घंटे की आरामदायक नींद लें। ये बॉडी को डिटॉक्स और हेल्दी रखने का बहुत अच्छा और आसान तरीका है। पूरी नींद लेना शरीर को आराम देता है और एनर्जेटिक फील कराता है। याद रहे, रात को समय से सोएं और सोने से 1 घंटे पहले मोबाइल या टीवी से दूर हो जाएं।
यह भी पढ़ें: नींद स्वास्थ्य के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? मेडिटेशन करें
सुबह या शाम के किसी समय में कुछ देर 20-30 मिनट के लिए मेडिटेशन करें। इस दौरान गहरी सांस लेते रहें। ध्यान और गहरी सांस की मदद से स्ट्रेस कम होता है, दिमाग एक्टिव फील करता है, जो शरीर डिटॉक्स के लिए ज़रूरी है।
प्रोसेस्ड फूड्स कम खाएं और शुगर कम करें।
प्रोसेस्ड फूड खाना बहुत कम कर दें। साथ ही रिफाइंड शुगर और कृत्रिम एडिटिव्स से बने फूड आइटम्स को बहुत कम कर दें। ऐसा कम से कम 2-3 सप्ताह के लिए करें। इससे शरीर को पहले से खायी शुगर और फ़ूड से रिकवर होने का समय मिलेगा और शरीर हल्का फील करेगा।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी या तबियत बिगड़ने पर हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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चौथा दिन करे मां कूष्मांडा की पूजन विधि, श्लोक, मंत्र एवं भोग
इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा-आराधना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी मां कूष्माण्डा (कूष्मांडा) कहलाती हैं।
🌞आइए पढ़ें मां कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र एवं भोग-🌞
👉देवी कूष्मांडा पूजन विधि-
नवरात्रि में इस दिन भी रोज की भांति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें।
इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है।
देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए।
मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि, उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे।
अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए।
देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं।
मां कूष्मांडा को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षम��ानुसार लगाएं।
पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।
देवी कूष्मांडा योग-ध्यान की देवी भी हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है। उदराग्नि को शांत करती हैं। इसलिए, देवी का मानसिक जाप करें। देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए।
👉 देवी को प्रसन्न करने के मंत्र-
श्लोक- सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
👉सरल मंत्र- 'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।'
👉मां कूष्मांडा की उपासना का मंत्र- देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है- कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
मंत्र: या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
👉अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
👉प्रसाद- माता कूष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए। इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है। और इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है। 👉 ऐसी ही रोचक और ज्ञानवर्धक "सनातन धर्म, Astrology और VastuShastra" की जानकारी पहले पाने के लिए अभी जुड़ें "Astro Vastu Kosh" से 👈 9837376839
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Wellhealthorganic.com Skin Care Tips in Hindi: आपकी त्वचा को चमकदार और स्वस्थ कैसे बनाएं
Introduction
Maintaining healthy and glowing skin requires dedication and the right skincare practices. With the growing interest in organic and natural solutions, many people are turning to simple, effective methods to achieve beautiful skin. One such platform, It has emerged as a go-to source for organic skincare tips, especially for Hindi-speaking audiences. In this blog, we’ll explore some essential Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi that you can follow daily to enhance your skin’s health and radiance.
1. त्वचा को साफ रखें (Keep Your Skin Clean)
हर दिन त्वचा की सफाई करना बेहद जरूरी है। खासकर जब आप दिन भर बाहर रहते हैं, तो धूल-मिट्टी और प्रदूषण आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए एक हल्का और प्राकृतिक फेसवॉश का उपयोग करें। कच्चे दूध का भी इस्तेमाल एक बेहतरीन क्लींजर के रूप में किया जा सकता है। Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi यह आपकी त्वचा को गहराई से साफ करता है और नमी बनाए रखता है।
टिप: रात को सोने से पहले मेकअप हटाना न भूलें और चेहरा साफ करें।
2. हाइड्रेशन का ध्यान रखें (Keep Your Skin Hydrated)
हाइड्रेशन न केवल आपके शरीर के लिए बल्कि आपकी त्वचा के लिए भी महत्वपूर्ण है। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। इससे त्वचा में नमी बरकरार रहती है और त्वचा चमकदार बनी रहती है।
टिप: आप चाहें तो गुलाबजल का उपयोग भी कर सकते हैं। यह त्वचा को ताजगी और नमी देता है।
3. प्राकृतिक फेस मास्क का इस्तेमाल करें (Use Natural Face Masks)
रसायनों से भरपूर फेस मास्क की जगह प्राकृतिक तत्वों से बने फेस मास्क का उपयोग करना बेहतर होता है। आप घर पर ही कई प्रकार के फेस मास्क बना सकते हैं:
हल्दी और बेसन का मास्क: एक चुटकी हल्दी, एक चम्मच बेसन और थोड़ा सा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें। यह त्वचा को चमकदार बनाता है।
मुल्तानी मिट्टी का फेस पैक: मुल्तानी मिट्टी और गुलाबजल मिलाकर लगाने से त्वचा की अशुद्धियाँ दूर होती हैं और त्वचा में निखार आता है।
4. सनस्क्रीन का उपयोग करें (Use Sunscreen)
सूरज की हानिकारक किरणें आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। सनस्क्रीन का उपयोग हर दिन करना बहुत जरूरी है, चाहे आप घर के अंदर हों या बाहर। यह आपकी त्वचा को यूवी किरणों से बचाने के साथ-साथ टैनिंग और समय से पहले बुढ़ापा आने से भी बचाता है।
टिप: बाहर जाने से कम से कम 20 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं।
5. आहार में सुधार करें (Improve Your Diet)
स्वस्थ त्वचा के लिए आपका आहार भी महत्वपूर्ण होता है। अपनी डाइट में फलों और सब्जियों का समावेश करें। विटामिन सी और ए से भरपूर खाद्य पदार्थ त्वचा के लिए फायदेमंद होत�� हैं। इसके अलावा, ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे बादाम, अखरोट और मछली आपकी त्वचा की नमी को बनाए रखते हैं।
टिप: विटामिन ई से भरपूर भोजन जैसे हरी सब्जियां और बादाम आपकी त्वचा को भीतर से पोषण देते हैं।
6. नियमित रूप से मॉइस्चराइज़ करें (Moisturize Regularly)
त्वचा को नमी की हमेशा जरूरत होती है। खासकर सर्दियों के मौसम में त्वचा ज्यादा रूखी हो जाती है। इसके लिए हल्के और प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र का इस्तेमाल करें। एलोवेरा जेल या नारियल तेल का इस्तेमाल करके भी आप अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज कर सकते हैं।
टिप: नहाने के तुरंत बाद त्वचा को मॉइस्चराइज़ करना सबसे प्रभावी होता है।
7. नियमित व्यायाम करें (Exercise Regularly)
नियमित व्यायाम करने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे आपकी त्वचा को जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलता है। यह आपकी त्वचा को ग्लोइंग और युवा बनाए रखने में मदद करता है। Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi योग और ध्यान भी त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं क्योंकि यह तनाव को कम करने में मदद करते हैं।
टिप: हर दिन कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करें।
8. पर्याप्त नींद लें (Get Enough Sleep)
नींद की कमी आपकी त्वचा पर तुरंत असर डालती है। आंखों के नीचे काले घेरे और थकी हुई त्वचा का एक मुख्य कारण पर्याप्त नींद न लेना है। एक स्वस्थ त्वचा के लिए 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।
टिप: सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध पीने से नींद बेहतर आती है।
9. तनाव से बचें (Manage Stress)
तनाव आपकी त्वचा के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यह एक्ने और अन्य त्वचा समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, तनाव को नियंत्रित करने के लिए ध्यान और योग का अभ्यास करें। सही समय पर आराम करना और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना आपकी त्वचा के लिए भी फायदेमंद है।
Conclusion
त्वचा की देखभाल एक समर्पण की प्रक्रिया है, जिसमें सही आहार, स्किनकेयर रूटीन, और प्राकृतिक उत्पादों का समावेश होना चाहिए। Wellhealthorganic.com skin care tips in Hindi पर उपलब्ध हिंदी में स्किन केयर टिप्स को अपनाकर आप भी अपनी त्वचा को प्राकृतिक निखार और स्वास्थ्य प्रदान कर सकते हैं। चाहे आप सरल घरेलू उपचार अपना रहे हों या प्राकृतिक स्किनकेयर उत्पादों का उपयोग कर रहे हों, लगातार देखभाल से ही आपको लंबे समय तक स्वस्थ और चमकदार त्वचा मिलेगी।
सभी उपर्युक्त टिप्स को अपने डेली रूटीन में शामिल करें और अपने त्वचा को प्राकृतिक रूप से निखरता देखें।
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Krshi Mein Sambhaavanaen: Rojagaar ke Avasaron ka Vistaar
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ सदियों से खेती-किसानी मुख्य व्यवसाय रहा है। खेती सिर्फ अन्न उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई संभावनाएं और रोजगार के अवसर छिपे हैं। जैसे-जैसे कृषि के क्षेत्र में नई-नई तकनीकें और विधियां विकसित हो रही हैं, खेती में रोजगार के अवसर भी तेजी से बढ़ रहे हैं। युवाओं और नव उद्यमियों के लिए खेती एक सुनहरा क्षेत्र बनकर उभर रहा है, जहां वे न केवल आत्मनिर्भर बन सकते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
पारंपरिक कृषि से हट��र नए अवसर
खेती का पारंपरिक रूप, जैसे धान, गेहूं और सब्जियों की खेती, सदियों से चला आ रहा है। हालांकि, अब यह क्षेत्र केवल पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं रहा। आधुनिक तकनीकों और सरकारी योजनाओं के सहयोग से किसानों के लिए अनेक नए रास्ते खुले हैं। इसमें जैविक खेती, बागवानी, डेयरी फार्मिंग, मछली पालन, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन और औषधीय पौधों की खेती जैसी गतिविधियाँ प्रमुख रूप से शामिल हैं। ये सभी क्षेत्र न केवल किसानों को बेहतर आय के साधन प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर ��ैदा कर रहे हैं जो कृषि में रुचि रखते हैं।
कृषि में तकनीकी विकास
खेती में रोजगार के अवसर तकनीकी विकास के कारण भी तेजी से बढ़ रहे हैं। अब किसान पारंपरिक तरीकों से हटकर आधुनिक मशीनों, उपकरणों और तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। ड्रोन तकनीक, सटीक कृषि, सेंसर आधारित सिंचाई, मिट्टी की जांच और बीजों की गुणवत्ता जांच जैसे तकनीकी साधनों ने खेती को आसान और लाभकारी बना दिया है। इससे न केवल किसानों की उत्पादन क्षमता बढ़ी है, बल्कि इस क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञों के लिए भी रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं।
इसके साथ ही, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) ने भी कृषि क्षेत्र में क्रांति ला दी है। कृषि आधारित मोबाइल ऐप, वेबसाइट और पोर्टल्स के माध्यम से किसान सीधे बाजार से जुड़ रहे हैं और अपनी उपज को उचित दामों पर बेच पा रहे हैं। ऐसे में आईटी पेशेवरों के लिए भी कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।
जैविक खेती में रोजगार के अवसर
जैविक खेती आज के समय में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे पर्यावरण को हानि नहीं पहुँचती और लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ मिलते हैं। जैविक खेती का बाजार लगातार बढ़ रहा है, और इस क्षेत्र में रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। युवा किसान जैविक खेती से जुड़कर अपनी उपज को सीधे बाजार में बेच सकते हैं या जैविक उत्पादों की प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा, जैविक खेती के प्रशिक्षण कार्यक्रम और परामर्श सेवाओं में भी रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।
बागवानी और फूलों की खेती
खेती में रोजगार के अवसर बागवानी और फूलों की खेती में भी खूब हैं। फलों, सब्जियों और फूलों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। फलों और सब्जियों की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग भी एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसमें कई लोग रोजगार पा सकते हैं। इसके अलावा, फूलों की खेती और उनके निर्यात का व्यवसाय भी किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रहा है। विशेष रूप से सजावटी पौधों और फूलों की खेती में युवा उद्यमी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
डेयरी और पशुपालन
कृषि क्षेत्र में डेयरी और पशुपालन का भी अहम योगदान है। दूध और उससे बने उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे डेयरी उद्योग में रोजगार के अनेक अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। इसके अलावा, बकरी पालन, मुर्गी पालन और मछली पालन जैसी गतिविधियाँ भी कृषि क्षेत्र में रोजगार के साधन प्रदान कर रही हैं। सरकारी योजनाओं के माध्यम से पशुपालन और डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में भी नए उद्यमियों को सहयोग मिल रहा है। इस प्रकार के उद्यमों से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साधन पैदा हो रहे हैं, बल्कि इनसे शहरी बाजारों में भी उत्पाद की आपूर्ति हो रही है।
कृषि प्रसंस्करण उद्योग
खेती में रोजगार के अवसर कृषि प्रसंस्करण उद्योग में भी बहुतायत से मौजूद हैं। जब किसानों की उपज सीधे बाजार में बेची जाती है, तो उसे प्रसंस्कृत करने और पैकेजिंग की आवश्यकता होती है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में फलों, सब्जियों, अनाज और डेयरी उत्पादों की प्रोसेसिंग की जाती है, जिससे उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ती है और उत्पाद की गुणवत्ता बेहतर होती है। इस उद्योग में निवेश करने वाले उद्यमियों और किसानों के लिए रोजगार के ढेर सारे विकल्प उपलब्ध हैं।
कृषि आधारित स्टार्टअप्स
आजकल कृषि क्षेत्र में कई स्टार्टअप्स का उदय हो रहा है, जो आधुनिक तकनीक और नवीन तरीकों का इस्तेमाल कर खेती को और अधिक लाभकारी बना रहे हैं। कृषि में रोजगार के अवसर इन स्टार्टअप्स के जरिए भी काफी बढ़ रहे हैं। चाहे वह खेती के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो, बायोटेक्नोलॉजी का उपयोग हो या फिर कृषि उत्पादों की ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिक्री हो, ये स्टार्टअप्स नए-नए रोजगार के विकल्प पैदा कर रहे हैं। युवा उद्यमियों के लिए यह एक शानदार अवसर है कि वे कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करें और किसानों को नई तकनीकों और सेवाओं से लाभान्वित करें।
सरकारी योजनाओं का योगदान
खेती में रोजगार के अवसरों के विस्तार में सरकार की कई योजनाओं और नीतियों का भी बड़ा योगदान है। सरकार किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, सब्सिडी, लोन और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, जिससे वे नए-नए क्षेत्रों में प्रवेश कर सकें। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, और कृषि यंत्रीकरण योजना जैसी कई योजनाएं हैं, जो किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ा रही हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित छोटे उद्योगों की स्थापना को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के विकल्प उत्पन्न हो रहे हैं।
कृषि में शिक्षा और प्रशिक्षण
खेती में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए कृषि में शिक्षा और प्रशिक्षण का भी महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि विश्वविद्यालयों और प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से किसान और युवा नई तकनीकों और उन्नत खेती के तरीकों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और अन्य प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से किसानों को नई कृषि पद्धतियों और तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा, उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के जरिए युवाओं को खेती के व्यवसायिक पहलुओं की जानकारी दी जा रही है, जिससे वे खुद का कृषि व्यवसाय शुरू कर सकें।
निष्कर्ष
खेती में रोजगार के अवसर ��ज के समय में केवल खेतों तक सीमित नहीं हैं। कृषि से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में नए-नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं, जिनमें कृषि प्रसंस्करण, तकनीकी विकास, जैविक खेती, बागवानी, डेयरी और पशुपालन जैसे अनेक क्षेत्र शामिल हैं। सरकार की योजनाएं, तकनीकी विकास और बाजार में बढ़ती मांग ने इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा दिया है। युवाओं और उद्यमियों के लिए यह समय है कि वे इन अवसरों का लाभ उठाएं और कृषि के क्षेत्र में अपना करियर बनाएं, साथ ही देश की प्रगति में भी योगदान दें।
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[8/16, 10:37 PM] shivedhash: #Satlok_Vs_Mrityulok
सतलोक vs मृत्युलोक
हम सभी जानते हैं कि जिस मृत्यु लोक पृथ्वी में हम रह रहे हैं यहाँ शांति नाम की कोई चीज़ नहीं है।
जबकि सतलोक में केवल एक रस परम शांति व सुख है। गीता अध्याय 18 श्लोक 62 के अनुसार जब तक हम सनातन परम धाम (सतलोक) में नहीं जाएंगे तब तक हम परमशांति, सुख व अमृत्व को प्राप्त नहीं कर सकते।
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सतलोक बनाम मृत्युलोक
सतलोक में सदाबहार फल-फूल, बाग-बगीचों से पेड़-पौधे हमेशा लद पद रहते हैं।
जबकि मृत्यु लोक पृथ्वी पर फल के पेड़ हर जगह नहीं लगे होते। विशेष मिट्टी, विशेष वातावरण की आवश्यकता पड़ती है। यहां पर अनावश्यक पेड़-पौधे स्वतः उग जाते हैं। फलों के पेड़ के लिए विशेष परिश्रम करना पड़ता है।
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सतलोक बनाम मृत्युलोक
सतलोक में कविर्देव यानी कबीर परमात्मा का सिंहासन है जो असंख्य ब्रह्मांड की देखरेख वहां पर बैठकर करते हैं और सतलोक में गए हुए मानव को उनके दर्शन होते हैं और वह आनंदित होते हैं।
जबकि इस मृत्यु लोक में उस परमेश्वर के दर्शन न होने के कारण यहां हम मृगतृष्णा में भटकते-भटकते जीवन का अंत कर देते हैं।
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सतलोक बनाम मृत्युलोक
सतलोक में गए हुए प्राणी को कभी चोरी होने की चिंता नहीं सताती तथा ठगी का डर नहीं रहता। क्योंकि वहाँ पर गए प्रत्येक प्राणी को परमात्मा की दया से एकसमान सर्व सुख नि:शुल्क उपलब्ध रहता है।
जबकि मृत्यु लोक (पृथ्वी) पर चोरी का भय इस प्राणी को सदा बना रहता है। यहां एक-दूसरे को लोग ठगते रहते हैं।
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[8/16, 10:37 PM] shivedhash: #Satlok_Vs_Mrityulok
सतलोक बनाम मृत्युलोक
सतलोक में गए हुए प्राणी आपस में मिलजुल कर प्रेम से रहते हैं और एक-दूसरे से मधुर वाणी बोलते हैं। आपस में किसी प्रकार का कोई झगड़�� नहीं करते।
जबकि पृथ्वी अर्थात मृत्यु लोक में प्राणियों का आपस में कटु वचन बोलना, लड़ाई-झगड़ा करना आम बात है। साथ ही, यहाँ के प्राणी अनेक प्रकार के कष्ट एक-दूसरे को देते हुए दुखी रखते हैं।
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💓 अपने दिल का ख्याल रखें, यह आपके लिए धड़कता है 💓
आपका दिल हर दिन आपके लिए अथक परिश्रम करता है। इसे स्वस्थ रखने के लिए कुछ ज़रूरी कदम इस प्रकार हैं:
ब्लड प्रेशर की जाँच करें: अपने ब्लड प्रेशर की नियमित निगरानी से समस्याओं का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है। उच्च रक्तचाप में अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन यह गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है।
ब्लड शुगर की जाँच करें: अपने ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखना दिल के स्वास्थ��य के लिए बहुत ज़रूरी है। मधुमेह से दिल की बीमारी का जोखिम काफ़ी हद तक बढ़ सकता है।
रोज़ाना व्यायाम करें: सप्ताह के ज़्यादातर दिनों में कम से कम 30 मिनट तक मध्यम व्यायाम करने का लक्ष्य रखें। पैदल चलना, साइकिल चलाना या तैराकी जैसी गतिविधियाँ आपके दिल को मज़बूत बना सकती हैं और रक्त संचार को बेहतर बना सकती हैं।
स्वस्थ भोजन करें: फलों, सब्ज़ियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार कोलेस्ट्रॉल को कम करने और स्वस्थ वज़न बनाए रखने में मदद कर सकता है। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों और शर्करा का सेवन सीमित करें।
पर्याप्त नींद लें: समग्र स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद बहुत ज़रूरी है। अपने शरीर को ठीक होने और तरोताज़ा करने के लिए हर रात 7-9 घंटे की नींद लें।
हाइड्रेटेड रहें: रक्त की मात्रा को बनाए रखने और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पानी पीना ज़रूरी है। दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें।
तनाव को नियंत्रित करें: पुराना तनाव आपके हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ध्य��न, योग और गहरी साँस लेने के व्यायाम जैसी तकनीकें आपको तनाव के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।
ये कदम उठाने से आपको हृदय-स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिल सकती है। व्यक्तिगत सलाह के लिए, Dr. Md. Farhan Shikoh, MBBS, MD (Medicine), DM (Cardiology), सुकून हार्ट केयर, सैनिक मार्केट, मेन रोड, रांची, झारखंड: 834001 से परामर्श लें। अधिक जानकारी के लिए 6200784486 पर कॉल करें या drfarhancardiologist.com पर जाएँ।
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Healthy Foods: Best Sexologist in Patna, Bihar | Dr. Sunil Dubey
गुप्त व यौन रोगियों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव कि वे अपने दैनिक जीवन में निम्नलिखित फल और सब्जियों को शामिल करें और अपने स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाए :-
विश्व-प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य व भारत के सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर में से एक डॉ. सुनील दुबे ने सभी लोगो को अपने डाइट में कुछ फल व सब्जियों को शामिल करने का सुझाव दिया है। वे एक लम्बे समय से दुबे क्लिनिक में पटना के सर्वश्रेठ सेक्सोलॉजिस्ट के पद पर आसीन है और सभी प्रकार के गुप्त व यौन रोगियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा व उपचार प्रदान करते आ रहे है। दुबे क्लिनिक भारत का सबसे भरोसेमंद आयुर्वेदा व सेक्सोलोजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक में शीर्ष रैंक पर है। यह प्रामाणिक क्लिनिक पटना के लंगर टोली, चौराहा, के पास स्थित है।
आज का यह टॉपिक में, कुछ महत्वपूर्ण फलों और सब्जियों के महत्व से सम्बंधित हैं। ये फल और सब्जियाँ स्वस्थ शरीर और स्वस्थ यौन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि व्यक्ति इनका सेवन करें, तो वे हमेशा के लिए स्वस्थ और समृद्ध जीवन प्राप्त कर सकते है। विश्व प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य और सीनियर सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे कहते हैं कि यदि आप प्रकृति में विश्वास करते हैं और इसके संसाधनों व साधनो का उपयोग करते हैं तो आपको हमेशा प्राकृतिक उपचार और पोषण का चयन करना चाहिए। आयुर्वेद सभी चिकित्सा-उपचारों का आधार है जो प्राकृतिक तरीको से समस्त शरीर को सुदृढ़ बनाता है। इस चिकित्सा-उपचार की खास बात यह है कि इसके सेवन से शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।
चलिए जानते है उन फलों और सब्जियों के नाम व उनकी विशेषता जो निम्नलिखित है:-
1. केला
केले का वैज्ञानिक नाम मूसा पैराडाइसियाका लिन है जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, प्राकृतिक शर्करा, फाइबर, पोटेशियम और कैलोरी होता है। यह मानसिक और हृदय संबंधी स्वास्थ्य के बेहतरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसमें पोटेशियम होता है जो रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है और तनाव और चिंता के स्तर को कम करने में मदद करता है। आम तौर पर, ज़्यादातर लोग केले का शेक पीना पसंद करते हैं।
2. अनानास
अनानास का वैज्ञानिक नाम अनानास कोमोसस है जिसमें विटामिन और खनिज जैसे- विटामिन ए, विटामिन बी 6, विटामिन ई, विटामिन के, कैल्शियम, फोलेट (विटामिन बी 9), आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, जिंक और एंजाइम होते हैं। यह एंजाइम और एंटीऑक्सीडेंट का उत्पादन भी करता है। यह यौन इच्छा को बढ़ाने में मदद करता है और शीघ्रपतन की समस्या को प्रबंधित करने में भी सहायक होता है।
3. गाजर
गाजर का वैज्ञानिक नाम डौकस कैरोटा है जिसमें विटामिन सी, विटामिन के1, विटामिन बी6, कैल्शियम, आयरन, बायोटिन, पोटैशियम और ल्यूटिन जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते है। इसमें बीटा कैरोलीन और एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। यह लिंग क्षेत्र के रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है। यह हमेशा शीघ्रपतन को रोकने और स्खलन से निपटने में पुरुष को मदद करता है।
4. एवोकाडो
एवोकाडो का वैज्ञानिक नाम पर्सिया अमेरिकाना है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा (पॉलीअनसेचुरेटेड और संतृप्त), फाइबर, सोडियम और कैलोरी होती है। इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है और साथ ही सोडियम का स्तर भी कम होता है। यह लिंग क्षेत्र में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। यह स्खलन के लिए भी उपयोगी है। संभावित रूप से देखा जाय तो, यह शीघ्रपतन के प्रबंधन में मदद करता है। यह इष्टतम यौन प्रदर्शन को बढ़ाता है और शीघ्रपतन और यौन हार्मोन के लिए चयापचय प्रोटीन में मदद करता है। आम तौर पर, इसे व्यक्ति में एक प्राकृतिक यौन बूस्टर के रूप में माना जाता है।
5. लहसुन
लहसुन एक प्रजाति है और जिसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवम है। इसमें उच्च स्तर के पोटेशियम, फास्फोरस, जस्ता, सल्फर, सेलेनियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज, लोहा और कम स्तर का सोडियम होता है। यह कामोद्दीपक गुणों से परिपूर्ण होता है जो स्खलन के बिना संभोग की अवधि को बढ़ाने में मदद करता है। इस मसाले का यौगिक एलिसिन रक्त परिसंचरण में भी सुधार करता है। यह शीघ्रपतन और स्तंभन दोष के प्रबंधन में सहायक होता है।
6. शतावरी
शतावरी वसंत ऋतु में पायी जाने वाली सब्जी है जिसे आम तौर पर बगीचे में लगाया जाता है। शतावरी का वैज्ञानिक नाम शतावरी ऑफिसिनेलिस है जिसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन के, फोलेट और कैलोरी होती है। यह सब्जी खनिजों और विटामिन-सी से भरपूर होती है। यह शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने और रक्त की उपस्थिति को बढ़ाने में मदद करती है। यह मूत्र पथ के स्वास्थ्य और यौन स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। अधिकांश समय, यह देखा गया है कि यह शीघ्रपतन के इलाज में उपयोगी सिद्ध होता है।
7. अखरोट
��खरोट एक प्रजाति है जिसका वैज्ञानिक नाम जुग्लान्स है। इसमें मैग्नीशियम, तांबा, फास्फोरस, लोहा, कैल्शियम, जस्ता, पोटेशियम, सेलेनियम, विटामिन बी 6, फोलेट और थायमिन होता है। यह हृदय-स्वस्थ वसा से भरपूर होता है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट अधिक होते हैं। अखरोट के नियमित सेवन से मस्तिष्क के स्वास्थ्य में सुधार होता है और हृदय रोग और कैंसर के खतरा कम होता है। इसका सेवन करने से शीघ्रपतन के रोगियों को अपने समय को प्रबंधन करने में भी मदद मिलता है।
8. तरबूज
तरबूज एक रसीला फल और बेल सामान आकर है जिसका वैज्ञानिक नाम सिट्रुलस लैनाटस है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी 6, पोटेशियम, बिना वसा, कोलेस्ट्रॉल या सोडियम होता है। मुख्य रूप से, यह विटामिन सी से भरपूर होता है जो कोलेजन बनाने और शरीर को आयरन को अवशोषित करने में मदद करने में एक अभिन्न भूमिका निभाता है। यह एक हाइड्रेटिंग फ़ूड भी है जो शरीर को प्राकृतिक वियाग्रा से भर देता है। यह बेहतर इरेक्शन का हमेशा समर्थन करता है और व्यक्तियों में कामेच्छा को भी बढ़ाने में मदद करता है।
9. पालक
पालक एक हरी पत्ती वाली सब्जी है जिसका वैज्ञानिक नाम स्पिनेशिया ओलेरासिया है। यह विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, आयरन, पोटेशियम, प्रोटीन और फोलेट सहित कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यह फाइबर से परिपूर्ण होता है जो वजन प्रबंधन, रक्त शर्करा विनियमन, कम कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, आंत्र कैंसर, स्वस्थ मल त्याग, हृदय स्वास्थ्य, कम हृदय रोग और बेहतर आंत स्वास्थ्य में मदद करता है। यह पुरुषों की यौन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रक्त में फो���िक एसिड के स्तर को भी बनाए रखता है। यह लिंग क्षेत्र में रक्त प्रवाह में सुधार करता है और स्वस्थ यौन कार्य को बनाए रखता है। यह इरेक्शन के लिए एक आवश्यक यौन पोषक तत्व और प्राकृतिक भोजन है।
10. अदरक
अदरक को आमतौर पर मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है जिसका वैज्ञानिक नाम ज़िंगिबर ऑफ़िसिनेल है। अदरक की जड़ का उपयोग कई सामान्य बीमारियों जैसे- सिरदर्द, जुकाम, मतली और उल्टी को कम करने और इलाज के लिए किया जाता है। यह फेनोलिक यौगिकों, टेरपेन्स, पॉलीसेकेराइड्स, लिपिड, कार्बनिक अम्ल और कच्चे फाइबर जैसे विभिन्न रासायनिक घटकों में समृद्ध है। यह शरीर को ठीक करता है जिससे रक्त प्रवाह तेज़ होता है। यह कामेच्छा को भी बढ़ाता है और यौन प्रदर्शन को बढ़ाता है। यह इरेक्शन को बनाए रखने में मददगार है, खासकर लिंग की मांसपेशियों में, जिससे इरेक्शन व शारीरिक मजबूती को बनाये रखती है।
11. शहद
शहद एक प्राकृतिक तरल पदार्थ है जिसमें ज़्यादातर चीनी के साथ-साथ अमीनो एसिड, विटामिन, खनिज, लोहा, जस्ता और एंटीऑक्सीडेंट का मिश्रण होता है। शहद से कामेच्छा, स्तंभन कार्य, शुक्राणुजनन, अधिवृषण शुक्राणुओं की संख्या और सामान्य शुक्राणु प्रतिशत में सुधार होता है, और मनुष्यों सहित स्तनधारी प्रजातियों में शुक्राणु सिर और पूंछ की असामान्यताओं और क्रोमेटिन क्षति के प्रतिशत को कम करता है।
12. हरा प्याज
हरा प्याज, एक सब्जी ��िसे स्प्रिंग प्याज भी कहा जाता है, एक गुच्छेदार पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम एलियम फिस्टुलोसम है। यह विटामिन के, विटामिन ए, विटामिन सी और फोलेट (फोलिक एसिड) और पोटेशियम का एक उत्कृष्ट स्रोत है। स्वाभाविक रूप से, इसमें कैलोरी, वसा और सोडियम कम होता है। यह शीघ्रपतन को नियंत्रित करने के लिए एक अच्छा घरेलू उपाय है।
13. ऑयस्टर
ऑयस्टर एक अत्यधिक पौष्टिक शेलफिश है जिसका वैज्ञानिक नाम ऑस्ट्रेडी है जो मोलस्क की प्रजाति है। इसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, जिंक, कॉपर, विटामिन बी12, आयरन और कैलोरी होती है। यह विटामिन डी, कॉपर, जिंक और मैंगनीज के स्रोत से भरपूर है। यह टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। साथ-ही-साथ, इसके नियमित सेवन से व्यक्ति का यौन स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है।
14. मिर्च मिर्च
मिर्च को चिली या मिर्च भी कहा जाता है जो पौधों के बेरी-फल की किस्म का होता है। मिर्च का वैज्ञानिक नाम कैप्सिकम फ्रूटसेंस है। यह कैरोटीनॉयड के प्रमुख स्रोतों में से एक है, जो विटामिन ए और विटामिन सी (एस्कॉर्बिक एसिड) के अग्रदूत हैं। इसमें उच्च स्तर के कैरोटीनॉयड और एल-एस्कॉर्बिक एसिड होते हैं, जिनमें प्रो विटामिन ए और विटामिन सी गतिविधि के लिए आरडीए होता है। यह रक्त वाहिकाओं के फैलाव और रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।
15. कॉफी
कॉफी का नाम सुनते ही, कैफीन नामक पहली चीज है जो सभी के दिमाग में आती है। कॉफी का वैज्ञानिक नाम कॉफ़ी अरेबिका है जिसमें कई रासायनिक घटक होते हैं जैसे कि एल्कलॉइड, फेनोलिक एसिड, फ्लेवोनोइड्स, टेरपेनोइड्स, इत्यादि। इसमें बड़ी संख्��ा में उपयोगी पोषक तत्व भी होते हैं, जिनमें राइबोफ्लेविन (विटामिन बी 2), नियासिन (विटामिन बी 3), मैग्नीशियम, पोटेशियम, कई फेनोलिक यौगिक और एंटीऑक्सिडेंट शामिल हैं; जो आंतरिक सूजन को कम करने और बीमारी से बचाने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सिडेंट रक्त वाहिकाओं की रक्षा करते हैं, परिसंचरण में सहायता करते हैं, और धीरे-धीरे लिंग क्षेत्र में रक्त के प्रवाह में सुधार करते हैं जिस��े पुरुषों को इरेक्शन प्राप्त होता है और उसे बनाए रखता है।
16. डार्क चॉकलेट
डार्क चॉकलेट में कोको सॉलिड, कोको शुगर और बटर होता है जबकि मिल्क चॉकलेट में कोको सॉलिड, कोको बटर, किसी न किसी रूप में दूध और शुगर भी होता है। इसमें कैफीन और ब्रोमीन जैसे उत्तेजक तत्व भी शामिल होते हैं। अच्छी क्वालिटी की डार्क चॉकलेट में फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर, मैंगनीज और कुछ अन्य मिनरल भरपूर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। मुख्य रूप से, डार्क चॉकलेट के दो तत्व जैसे एंटीऑक्सीडेंट और कैफीन रक्त प्रवाह को बढ़ा सकते हैं और यौन इच्छा को बढ़ा सकते हैं।
17. अंडे
अंडे उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, वसा, संतृप्त वसा, आयरन, विटामिन, खनिज और कैरोटीनॉयड सहित कैलोरी का अच्छा स्रोत हैं। अंडे का वैज्ञानिक नाम ओवम है। यह ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन जैसे रोग से लड़ने वाले पोषक तत्वों का भंडार है। अगर हम इसकी समृद्धि के बारे में बात करें तो इसमें उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन, सेलेनियम, फॉस्फोरस, कोलीन, विटामिन बी12 और कई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। अंडे में विटामिन ई होने से यौन हार्मोन में सुधार करके यौन प्रदर्शन और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद मिलती है।
18. मशरूम
मशरूम को खेती की जाने वाली सफ़ेद बटन मशरूम के रूप में भी जाना जाता है। यह विटामिन बी2, विटामिन बी3, विटामिन बी5, फोलेट, विटामिन डी, फॉस्फोरस, सेलेनियम, कॉपर और पोटैशियम का अच्छा स्रोत होता है। सेलेनियम शरीर में कोशिका क्षति को रोकने में मदद करता है, विटामिन डी कोशिका वृद्धि में मदद करता है, और विटामिन बी6 शरीर को लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है। सभी पोषक तत्व मानव शरीर में एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने में मदद करते हैं। यह यौन इच्छा और उसके कार्यों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खासकर, यह महिलाओं में कामेच्छा को बढ़ाने में मदद करता है।
19. दाल
मसूर दाल की एक प्रजाति है जिसका वैज्ञानिक नाम लेंस कलिनारिस है। दाल में पोटेशियम, फाइबर, फोलेट और पौधे के रसायन अधिक होते हैं और सोडियम और संतृप्त वसा कम होती है। मुख्य रूप से, यह फाइबर, फोलेट और पोटेशियम से भरपूर होता है जो हृदय और उसके रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह ऊर्जा देने वाले आयरन और विटामिन बी1 का भी अच्छा स्रोत है जो स्थिर हृदय गति को बनाए रखने में मदद करता है। प्रोटीन और आयरन से भरपूर फलियां यौन इच्छा को बढ़ावा दे सकती हैं। यह उन महिलाओं के लिए अच्छा है जो एनीमिया से पीड़ित हैं, खासकर रजोनिवृत्ति या गर्भावस्था के दौरान।
20. बादाम:
बादाम प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ई, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीशियम और राइबोफ्लेविन से भरपूर होते हैं। यह आयरन, पोटेशियम, जिंक और विटामिन बी (नियासिन, थायमिन और फोलेट) का भी अच्छा स्रोत है। यह यौन कार्यों को बेहतर बनाने में मदद करता है जैसे- यौन इच्छा और संभोग की गुणवत्ता में सुधार।
अगर आप किसी भी तरह की गुप्त या यौन समस्या से पीड़ित हैं, तो आप बिहार के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे से परामर्श कर सकते हैं। वह दुबे क्लिनिक में प्रैक्टिस करते हैं, जहाँ हर दिन चालीस से अधिक गुप्त व यौन रोगी अपनी यौन समस्याओं को ठीक करने के लिए इस क्लिनिक में आते हैं। अपने संपूर्ण यौन विकार को दूर करने के लिए पूर्णकालिक विश्वसनीय आयुर्वेदिक उपचार और दवा प्राप्त करें।
शुभकामनाओं के साथ
दुबे क्लिनिक
भारत का एक प्रमाणित आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी क्लिनिक
हेल्पलाइन नंबर: +91 98350 92586
स्थल: दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04
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All-in-One Juicer Mixer Grinder @ Rs 1199 Worth Rs 3299
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, हम सभी चाहते हैं कि हमारी रसोई के काम आसान और तेज़ी से हों। इसके लिए हमें एक ऐसे उपकरण की आवश्यकता होती है जो न केवल काम को तेज़ बनाए, बल्कि समय और मेहनत की भी बचत करे। ऐसे में, ऑल-इन-वन जूसर मिक्सर ग्राइंडर आपके किचन के लिए एक आदर्श उपकरण है। केवल रु 1199 में उपलब्ध इस उत्पाद की असली कीमत रु 3299 है, जिससे यह एक शानदार डील बन जाता है। आइए, इस ब्लॉग में हम जानें कि यह जूसर मिक्सर ग्राइंडर क्यों आपके किचन के लिए परफेक्ट साथी है।
1. ऑल-इन-वन फंक्शनलिटी: सब कुछ एक ही जगह
यह जूसर मिक्सर ग्राइंडर एक ही उपकरण में तीन महत्वपूर्ण कार्य करता है - जूसिंग, मिक्सिंग और ग्राइंडिंग। इसका मतलब है कि आपको अपनी रसोई में अलग-अलग उपकरण रखने की ज़रूरत नहीं है। केवल इस एक उत्पाद से आप आसानी से फल और सब्जियों का जूस निकाल सकते हैं, मसालों और दालों को पीस सकते हैं, और विभिन्न सामग्री को मिक्स कर सकते हैं। इसकी यह मल्टी-फंक्शनलिटी इसे हर रसोई के लिए एक अनिवार्य उपकरण बनाती है।
2. शक्तिशाली मोटर: तेज और ��्रभावी प्रदर्शन
इस जूसर मिक्सर ग्राइंडर में एक शक्तिशाली मोटर लगी होती है, जो इसे तेज़ी से काम करने में सक्षम बनाती है। इसकी मोटर इतनी मजबूत होती है कि यह बिना किसी कठिनाई के हार्ड सामग्री को भी आसानी से पीस सकता है। चाहे आप सूखे मसाले पीस रहे हों या जूस निकाल रहे हों, यह उपकरण हर बार बेहतरीन परिणाम देता है।
3. उच्च गुणवत्ता वाला मटेरियल: लंबे समय तक चलने वाला
यह जूसर मिक्सर ग्राइंडर उच्च गुणवत्ता वाले मटेरियल से बना होता है, जो इसे टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाला बनाता है। इसके ब्लेड्स स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं, जो उन्हें जंग-रोधी और लंबे समय तक तेज बनाए रखते हैं। इसके अलावा, इसका जार भी मजबूत और टिकाऊ होता है, जो किसी भी प्रकार के टूटने या क्रैकिंग से बचाता है।
4. आसान उपयोग और सफाई: बिना किसी झंझट के
यह जूसर मिक्सर ग्राइंडर उपयोग करने में बहुत ही आसान है। इसका डिज़ाइन यूजर-फ्रेंडली है, जिससे कोई भी इसे आसानी से ऑपरेट कर सकता है। इसके अलावा, इसकी सफाई भी बहुत आसान है। आप इसके पार्ट्स को अलग करके धो सकते हैं और इसे हर बार इस्तेमाल के बाद साफ-सुथरा रख सकते हैं। इसका जार और ब्लेड्स डिशवॉशर सेफ होते हैं, जिससे आप इन्हें बिना किसी चिंता के साफ कर सकते हैं।
5. स्टाइलिश और कॉम्पैक्ट डिज़ाइन: आपकी रसोई के लिए परफेक्ट
यह जूसर मिक्सर ग्राइंडर न केवल कार्यक्षम है, बल्कि इसका डिज़ाइन भी बहुत ही स्टाइलिश और कॉम्पैक्ट है। इसका आकर्षक लुक आपकी रसोई की शोभा बढ़ा देता है। साथ ही, इसका कॉम्पैक्ट साइज इसे आसानी से कहीं भी स्टोर करने योग्य बनाता है। इससे आपकी रसोई में अतिरिक्त जगह नहीं घिरती और आप इसे आसानी से कहीं भी रख सकते हैं।
6. किफायती कीमत: उच्च गुणवत्ता, कम कीमत
इस ऑल-इन-वन जूसर मिक्सर ग्राइंडर की असली कीमत रु 3299 है, लेकिन वर्तमान में यह केवल रु 1199 में उपलब्ध है। इतनी कम कीमत में आपको एक उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद मिल रहा है, जो आपके सभी किचन के कार्यों को आसान बना देगा। यह डील वास्तव में आपके पैसे की पूरी कीमत वसूल करती है, और यह एक ऐसा अवसर है जिसे आप छोड़ना नहीं चाहेंगे।
7. विविधता और बहुमुखी उपयोग: हर रेसिपी के लिए उपयुक्त
इस जूसर मिक्सर ग्राइंडर के साथ, आप विभिन्न प्रकार की रेसिपी बना सकते हैं। चाहे आपको ताज़ा फलों का जूस बनाना हो, या मसालों को पीसकर अपने खाने में फ्लेवर बढ़ाना हो, यह उपकरण हर काम में आपकी मदद करेगा। इसके अलावा, आप इसमें शेक्स, स्मूदीज, सॉस, और कई अन्य व्यंजन भी तैयार कर सकते हैं। यह एक बहुमुखी उपकरण है, जो आपकी रसोई की सभी जरूरतों को पूरा करता है।
8. उत्कृष्ट ग्राहक समीक्षाएं: विश्वसनीयता की गारंटी
यह जूसर मिक्सर ग्राइंडर ��्राहकों के बीच बहुत लोकप्रिय है और इसे उपयोगकर्ताओं से उत्कृष्ट समीक्षाएं मिली हैं। इसकी कार्यक्षमता, टिकाऊपन और स्टाइल के लिए इसे बहुत सराहा गया है। ग्राहकों ने इसे एक विश्वसनीय और उपयोगी उपकरण बताया है, जो उनकी दैनिक किचन गतिविधियों को आसान बनाता है।
9. खरीदारी कैसे करें: केवल कुछ ही क्लिक में
अब बात करते हैं कि आप इस बेहतरीन जूसर मिक्सर ग्राइंडर को कैसे खरीद सकते हैं। यह उपकरण ऑनलाइन उपलब्ध है और आप इसे कुछ ही क्लिक में अपने घर मंगवा सकते हैं। इस शानदार ऑफर का लाभ उठाने के लिए जल्दी करें, क्योंकि यह ऑफर सीमित समय के लिए है। आपको इसे ऑर्डर करने के लिए किसी भी प्रकार की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा।
निष्कर्ष: क्यों यह जूसर मिक्सर ग्राइंडर है आपके किचन के लिए बेस्ट चॉइस
अगर आप एक ऐसे उपकरण की तलाश में हैं जो आपकी रसोई के कामों को तेज़, आसान और कुशल बनाए, तो ऑल-इन-वन जूसर मिक्सर ग्राइंडर आपके लिए एक परफेक्ट चॉइस है। केवल रु 1199 में, आपको एक उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद मिल रहा है, जो आपकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इसे आज ही खरीदें और अपनी रसोई को आधुनिक और स्मार्ट बनाएं।
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श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप 2.51 https://srimadbhagavadgita.in/2/51 कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः । जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम् ॥ २.५१ ॥ TRANSLATION इस तरह भगवद्भक्ति में लगे रहकर बड़े-बड़े ऋषि, मुनि अथवा भक्तगण अपने आपको इस भौतिक संसार में कर्म के फलों से मुक्त कर लेते हैं । इस प्रकार वे जन्म-मृत्यु के चक्र से छूट जाते हैं और भगवान् के पास जाकर उस अवस्था को प्राप्त करते हैं, जो समस्त दुखों से परे है । PURPORT मुक्त जीवों का सम्बन्ध उस स्थान से होता है जहाँ भौतिक कष्ट नहीं होते । भागवत में (१०.१४.५८) कहा गया है – समाश्रिता से पदपल्लवप्लवं महत्पदं पुण्ययशो मुरारेः । भवाम्बुधिर्वत्सपदं परं पदं पदं पदं यद्विपदां न तेषाम् ॥ “जिसने उन भगवान् के चरणकमल रूपी नाव को ग्रहण कर लिया है, जो दृश्य जगत् के आश्रय हैं और मुकुंद नाम से विख्यात हैं अर्थात् मुक्ति के दाता हैं, उसके लिए यह भवसागर गोखुर में समाये जल के समान है । उसका लक्ष्य परं पदम् है अर्थात् वह स्थान जहाँ भौतिक कष्ट नहीं है या कि वैकुण्ठ है; वह स्थान नहीं जहाँ पद-पद पर संकट हो ।” अज्ञानवश मनुष्य यह नहीं समझ पाता कि यह भौतिक जगत् ऐसा दुखमय स्थान है जहाँ पद-पद पर संकट हैं । केवल अज्ञानवश अल्पज्ञानी पुरुष यह सोच कर कि कर्मों से वे सुखी रह सकेंगे सकाम कर्म करते हुए स्थिति को सहन करते हैं । उन्हें यह ज्ञात नहीं है कि इस संसार में कहीं भी कोई शरीर दुखों से रहित नहीं है । संसार में सर्वत्र जीवन के दुख-जन्म, मृत्यु, जरा तथा व्याधि – विद्यमान हैं । किन्तु जो अपने वास्तविक स्वरूप को समझ लेता है और इस प्रकार भगवान् की स्थिति को समझ लेता है , वही भगवान् की प्रेमा-भक्ति में लगता है । फलस्वरूप वह वैकुण्ठलोक जाने का अधिकारी बन जाता है जहाँ न तो भौतिक कष्टमय जीवन है न ही काल का प्रभाव तथा मृत्यु है । अपने स्वरूप को जानने का अर्थ है भगवान् की अलौकिक स्थिति को भी जान लेना । जो भ्रमवश यह सोचता है कि जीव की स्थिति तथा भगवान् की स्थिति एकसमान हैं उसे समझो कि वह अंधकार में है और स्वयं भगवद्भक्ति करने में असमर्थ है । वह अपनेआपको प्रभु मान लेता है और इस तरह जन्म-मृत्यु की पुनरावृत्ति का पथ चुन लेता है । किन्तु जो यह समझते हुए कि उसकी स्थिति सेवक की है अपने को भगवान् की सेवा में लगा देता है वह तुरन्त ही वैकुण्ठलोक जाने का अधिकारी बन जाता है । भगवान् की सेवा कर्मयोग या बुद्धियोग कहलाती है, जिसे स्पष्ट शब्दों में भगवद्भक्ति कहते हैं । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 2.51 karma-jaṁ buddhi-yuktā hi phalaṁ tyaktvā manīṣiṇaḥ janma-bandha-vinirmuktāḥ padaṁ gacchanty anāmayam TRANSLATION By thus engaging in devotional service to the Lord, great sages or devotees free themselves from the results of work in the material world. In this way they become free from the cycle of birth and death and attain the state beyond all miseries [by going back to Godhead]. PURPORT The liberated living entities belong to that place where there are no material miseries. The Bhāgavatam (10.14.58) says: samāṣritā ye pada-pallava-plavaṁ mahat-padaṁ puṇya-yaśo murāreḥ bhavāmbudhir vatsa-padaṁ paraṁ padaṁ padaṁ padaṁ yad vipadāṁ na teṣām “For one who has accepted the boat of the lotus feet of the Lord, who is the shelter of the cosmic manifestation and is famous as Mukunda, or the giver of mukti, the ocean of the material world is like the water contained in a calf’s footprint. Paraṁ padam, or the place where there are no material miseries, or Vaikuṇṭha, is his goal, not the place where there is danger in every step of life.” Owing to ignorance, one does not know that this material world is a miserable place where there are dangers at every step. Out of ignorance only, less intelligent persons try to adjust to the situation by fruitive activities, thinking that the resultant actions will make them happy. They do not know that no kind of material body anywhere within the universe can give life without miseries. The miseries of life, namely birth, death, old age and diseases, are present everywhere within the material world. But one who understands his real constitutional position as the eternal servitor of the Lord, and thus knows the position of the Personality of Godhead, engages himself in the transcendental loving service of the Lord. Consequently he becomes qualified to enter into the Vaikuṇṭha planets, where there is neither material, miserable life nor the influence of time and death. To know one’s constitutional position means to know also the sublime position of the Lord. One who wrongly thinks that the living entity’s position and the Lord’s position are on the same level is to be understood to be in darkness and therefore unable to engage himself in the devotional service of the Lord. He becomes a lord himself and thus paves the way for the repetition of birth and death. But one who, understanding that his position is to serve, transfers himself to the service of the Lord, at once becomes eligible for Vaikuṇṭha-loka. Service for the cause of the Lord is called karma-yoga or buddhi-yoga, or in plain words, devotional service to the Lord. ----- #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #bhagavatamin #india #creativity #inspiration #life #spdailyquotes #devotion
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राजकीय नेत्रहीन छात्रावासीत उच्च माध्यमिक विद्यालय, बीकानेर में राज्य सरकार के निर्देशानुसार हरियालो राजस्थान कार्यक्रम के अंतर्गत पेड़ पौधे
बीकानेर 7 अगस्त 2024,राजकीय नेत्रहीन छात्रावासीत उच्च माध्यमिक विद्यालय, बीकानेर में राज्य सरकार के निर्देशानुसार हरियालो राजस्थान कार्यक्रम के अंतर्गत पेड़ पौधे लगाए गए। जिसमें विभिन्न प्रकार के फलों,फूलों के पौधे लगाए गए जिसमें आम ,शहतूत, जामुन पपीता , अनार और अन्य पौधे लगाए गए। वृक्षारोपण के प्रभारी आनंद पारीक ने बताया कि कल से ही विद्यालय में पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदने का काम शुरू कर दिया…
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मधुमेह (डायबिटीज) के लिए सिफारिश की गई भोजन!
इंसुलिन की कमी से या कोशिकाओं (सेल) के इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के बढ़ने एवं रक्तप्रवाह में ब्लड शुगर (ग्लूकोज) के स्तर में वृद्धि के कारण मधुमेह (डायबिटीज) होता है। दुनिया भर मे लाखों लोग मधुमेह (डायबिटीज) से प्रभावित हैं। इनमें से अधिकांश निम्न-मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले लोग हैं। समय-समय पर मधुमेह की जांच न कराने से हर साल मृत्यु दर मे बढ़ोतरी हो रही है। पिछले कुछ दशकों में प्रभावित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
मधुमेह मे वृद्धि के कारक:
खनपान मे बढ़ते हुए बदलाव, मोटापा, वजन बढ़ना एवं शारीरिक निष्क्रियता मधुमेह (डायबिटीज) का एक प्रमुख कारण है और यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
किस प्रकार खनपान मे परिवर्तन मधुमेह (डायबिटीज) का प्रमुख कारण बना है ?
कार्ब��हाइड्रेट से भरपूर भोजन करने के बाद ब्लड शुगर (रक्तप्रवाह में ग्लूकोज) के स्तर में वृद्धि होता है। स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ जैसे ब्रेड, आलू, चावल और दूध खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। कार्बोहाइड्रेट हर किसी के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मधुमेह से क्या-क्या खतरे हैं?
समय के साथ, मधुमेह हृदय, रक्त वाहिकाओं (ब्लड वैसेल्स), आंखों, गुर्दे (किडनी) और तंत्रिकाओं (नर्वस) को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे दीर्घकालिक समस्याएं और अल्प अवधि में शीघ्र मृत्यु के कारण उत्पन्न होता है।
अध्ययनों से पता चलता है कि दुनिया भर मे मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ रही है, और बच्चों मे किशोर
मधुमेह (जुवेनाइल डायबिटीज) के रूप मे यह बीमारी के विकसित होने का खतरा अधिक है।
प्रारंभिक कार्रवाई और रोगियों को शिक्षित करना आवश्यक है, लेकिन कई देशों को पर्याप्त स्वास्थ्य प्रणालियों की कमी के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
मधुमेह रोगियों को अपने ब्लड शुगर (रक्त में ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए अपने भोजन के विकल्पों पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
निम्नलिखित के कारणों से ब्लड शुगर (रक्त मे ग्लूकोज) का स्तर बढ़ सकता है:
● कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन।
● शारीरिक गतिविधि या व्यायाम का अभाव।
● निर्जलीकरण/पर्याप्त पानी का सेवन न करना
● तनाव एक महत्वपूर्ण कारक है
● पर्याप्त नींद न आना।
● विशि��्ट (स्पेसिफिक) दवाएं, जैसे स्टेरॉयड।
यहां कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ दिए गए हैं जिनका सेवन करने से आपको बेहतर एवं फर्क महसूस होता है।
1. बिना स्टार्च वाली सब्जियाँ:
बिना स्टार्च वाली सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी कम होती है एवं फाइबर अधिक होता है, जो उन्हें मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए अत्युत्तम विकल्प बनाता है।
आहार में पालक या कोई भी पत्तेदार साग, ब्रोकोली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, बेल मिर्च और खीरे या कोई भी पानी आधारित सब्जियां शामिल होनी चाहिए जिनमें स्टार्च की मात्रा कम हो और जो आपके देश में उगाई गई हो।
2. प्रोटीन:
प्रोटीन खाने से ग्लूकोज का प्रवाह धीमा होता है और ब्लड शुगर (रक्त में ग्लूकोज) को स्थिर करने में मदद मिलता है। प्रोटीन ग्लूकोज को रोक उन्हें धीमा करता हैं और फिर उन्हें धीरे-धीरे रक्तप्रवाह में छोड़ता हैं ताकि आपके ब्लड शुगर (रक्त मे ग्लूकोज) सामान्य सीमा में रहे। मुख्य रूप से प्रोटीन के साथ इंसुलिन शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में मदद करता है। ये ब्लड शुगर (रक्त ग्लूकोज) के स्तर को प्रभावित नहीं करता और समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने एवं वजन घटाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
3. साबु�� अनाज:
हालाँकि साबुत अनाज, जौ, बाजरा आदि ( में कार्बोहाइड्रेट होता हैं) फाइबर का भी समृद्ध स्रोत हैं जो ब्लड शुगर (रक्त में ग्लूकोज) के स्तर को बनाए रखने में मदद करता हैं।
4. हेल्दी फैट:
हमें ऐसे भोजन को शामिल करना चाहिए जो रक्तप्रवाह में ग्लूकोज के अवशोषण(अब्ज़ॉर्प्शन) को धीमा करने में मदद कर सके और आपको पेट भरा हुआ महसूस कराए। जैसे: एवोकाडो, ड्राई फ्रूट्स, बीज, जैतून का तेल और अन्य वनस्पति तेल । सुबह सबसे पहले एक चम्मच घी, वर्जिन जैतून या वर्जिन नारियल जैसे वसा (फैट/तेल) का सेवन इंसुलिन स्पाइक को कम करता है और शरीर को इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध को कम करने में मदद करता है।
5. डेयरी उत्पाद:
कम वसा(फैट) वाले और बिना चीनी वाले खाद्य पदार्थ जैसे: ग्रीक दही, कॉटेज पनीर, बिना चीनी वाले बादाम या सोया दूध इत्यादि उपयुक्त है। डेयरी में मौजूद ठोस तैयब दूध में भी चीनी में परिवर्तित होने की प्रवृत्ति होती है इसलिए गैर डेयरी या दही और छाछ के रूप उपयुक्त है।
6. फल:
फलों में जामुन, स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, रसभरी, सेब, नाशपाती इत्यादि शामिल हैं ।
संतुलित आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
7. जड़ी-बूटियाँ और मसाले:
दालचीनी, हल्दी, अदरक भोजन मे बिना कार्बोहाइड्रेट के स्वाद बढ़ाता हैं।
निम्नलिखित कदम हमारे शरीर के रक्त मे ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है:
1. अपने शरीर को सक्रिय रखने और इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
2. संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधि के माध्यम से स्वस्थ शरीर का वजन बनाए रखें।
3. मीठे पेय और मिठाइयों का सेवन कम करके चीनी का सेवन कम करें।
4. रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट सीमित करें
5. ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए फल, सब्जियां और साबुत अनाज जैसे हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ चुनें।
6. पूरे दिन खूब सारा पानी पीकर हाइड्रेटेड रहें।
7. समग्र स्वास्थ्य और हार्मोन विनियमन के लिए नींद को प्राथमिकता दें।
8. स्थिर ब्लड शुगर को बनाए रखने के लिए तनाव प्रबंधन तकनीकों जैसे योग, ध्यान, अनुलोम-विलोम योग का अभ्यास करें।
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*🌞~ आज दिनांक - 31 जुलाई 2024 का वैदिक और सटीक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी दोपहर 03:55 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - रोहिणी प्रातः 10:12 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*⛅योग - ध्रुव दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:46 से दोपहर 02:25 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:10*
*⛅सूर्यास्त - 07:22*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:27 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:24 अगस���त 01 से रात्रि 01:08 अगस्त 01 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - रोहिणी व्रत, कामिका एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग (अहोरात्रि)*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹एकदाशी में क्या करें, क्या ना करें ?*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l*
*🌹राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।।* *सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकदशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के ( दशमी, एकादशी और द्वादशी ) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - का सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
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