#प्रेम जीवन पर शिव
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helputrust · 11 months ago
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लखनऊ, 08.03.2024 | महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “शिव पूजन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया I आयोजन के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने भगवान शिव शंकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी आरती की तथा भगवान शिव जी से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की | 
��ेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि,
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
"महाशिवरात्रि के इस अद्वितीय दिन पर हमें अपने जीवन को अध्यात्मिकता और संतोष की ओर ले जाना चाहिए । आज के दिन हम अपने अंतर्यामी परमात्मा के प्रति अपने समर्पण और श्रद्धा का उद्गार करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं । महाशिवरात्रि के इस महत्वपूर्ण पर्व पर, हमें अपने जीवन में नेक कामों का संकल्प करना चाहिए और अपनी आत्मा को अंतर्मुखी बनाकर अध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ना चाहिए । भगवान शिव की उपासना, ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से हम अपने जीवन को संतुलित, शांत और समृद्ध बना सकते हैं । आज के पवित्र दिन पर, हम सभी को भगवान शिव के प्रति हमारी श्रद्धा और समर्पण का प्रत्येक क्षण मनाने का संकल्प लेना चाहिए, यहां तक कि हमें अपने दिल में विशवास और प्रेम जाग्रत करना चाहिए, जिससे हम देशवासियों के बीच एक भाईचारा और सौहार्दता का वातावरण बना सके ।
देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के विवाह के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पवित्र पर्व महाशिवरात्रि की समस्त शिव भक्तों, देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं | भगवान शिव जी से प्रार्थना है कि सभी के जीवन में ज्ञान, समृद्धि एवं धन-वैभव की वर्षा करें |
ऊँ नमः शिवाय !
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kagazaurlafz · 1 year ago
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कथा है ये एक संन्यासी की, वचनों मैं बंधे महान व्यक्ति की,
जो राजपाठ त्याग चले, ये कथा है इसी एक मधुर वाणी की।।
सूर्य जैसा तेज जिसका, ये कथा है दशरथ पुत्र श्री राम की,
पुरुषोत्तम जो कहलाए है, ये कथा है राजा श्री राम की।।
"रघुकुल वंश बड़ो सुख पायो, श्री राम जन्म संग घनो सुख लायो
बालक श्री राम, दशरथ को बरे प्यारे, तीनों माताओं के वो बरे दुलारे।।
ज्ञान के स्वरूप शक्षत श्री राम, अहंकारी राजाओं के बीच
स्वयंवर में शिव धनुष का किया संथान, कुछ ऐसे सरल हमारे श्री राम।।"
वक्त अब श्री राम का अपनी जानकी से मिलन का।।
माँ सीता सबको बहुत लुभाती थी, बड़ी चंचल नटखट वो,
बहनों संग दोनो भाईयो को चुप चुप देखा करती थी,
पर श्री राम शमाख्स बड़ी वो शर्माती थी।।
श्री राम को भी आभास हुआ,
मां सीता की व्याकुलता से अब उन्हें भी प्यार हुआ।।
श्री राम माँ सीता को कुछ ऐसे देखते जैसे, चकोर चांद को,
जैसे तितली चाहती है आसाम को।।
विवाह प्रसंग।।
मंदिर बड़ा भव्य सजे, कली-कली हर रंग के पुष्प लगे,
दृश्य ऐसा, दिल मनोहारी भर जाए,
नयन में सबके सिर्फ एक ही इच्छा जाग आई,
सिया राम संग, एक झलक उन्हें दिख पाए।।
दोनो जब साथ नजर आए, मधुर गीत कोकिल भी गए,
दृश्य ऐसा जैसे स्व��म लक्ष्मी नारायण साथ नज़र आए।।
ध्यान्य वक्त ऐसा, पवित्र साथ ऐसा।।
जब वह वरमाला एक दूसरे को पहनाए, सब फूल उनपे बरसाए,
विवाह दोनो का कुछ ऐसा भव्य, सारे भगवान भी उनपे स्वर्ग समित फूल बरसाए।।
यूं फिर दोनो धाम यूं मिले,
बाकी तीनों भाईयो के दिल भी माँ सीता के बहन संग जा खिले।।
विवाह समाप्त हुआ, समय के चक्र यूं चले
जनक नंदिनी, सारे दशरथ के संतानों के अर्धनगणि बने।।
प्रसंग श्री राम माँ सीता को अपने प्रेम का अर्थ समझते हुए।।
अगर जीवन जीने की आधार हू मैं, तो जीवन को नेव हो तुम
अगर ग्रन्थों का सर हू मैं, तो ग्रंथो की नगरी जहा बसे, वो गीता हो तुम।
अगर शास्त्रों को धारण जो करे वो शक्ति ही मैं,
तो शस्त्रात की दिव्य ज्ञान हो तुम,
अगर जिंदगी के निबंध का एक शीश हु मै, वो उसमें बसे हर एक अक्षर की अर्थ हो तुम।
अगर श्लोक हू मैं तो उसमें छिपी भाव हो तुम,
अगर एक कवि हु मैं तो उस कही की आराधना हो तुम,
अगर गीत हु मैं तो मधुर सी राग हो तुम,
राम हु मैं, मेरी सीता हो तुम।।
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kaminimohan · 1 year ago
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1401.
साकार भी निराकार भी 
देवों के देव आदिदेव महादेव 
-© कामिनी मोहन पाण्डेय 
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शिव कल्याणकारी, आनंददायक, त्रिपुरारी, सभी के हृदय में वास करने वाले सत्य स्वरूप, सनातन  साकार और निराकार है। एक कथा के अनुसार देवता और दानव द्वारा समुद्र मंथन के समय निकले हलाहल को जब शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए ग्रहण किया तो हलचल सी मच गई। अपने कंठ में विष को धारण करने के कारण ही वह नीलकंठ कहलाए। विष के प्रभाव से उनके देह में अतिरिक्त ताप उत्पन्न हुआ। 
उच्च ताप के प्रभाव को कम करने के लिए इंद्रदेव ने लगातार जोरदार वर्षा की। यह वर्षा ऋतु सावन महीने में उसी नियत समय से आज भी होती है। आज भी परम पावन महादेव शिव के हलाहल विष के ताप क�� कम करने की धारणा को महसूस करते हुए भक्त सावन के पवित्र माह में शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके निराकार स्वरूप को जल अर्पित कर शीतलता प्रदान कर पुण्य के भागी बनते हैं। सावन महीने का महत्व इसीलिए अत्यधिक बढ़ जाता है। बांस के बने शिव की उपस्थिति को धारण किए कांवड़ की परंपरा में एक में घट में ब्रह्म-जल दूसरे में विष्णु-जल लेकर भक्त जब आगे बढ़ते हैं, तो त्रिदेव का सुखद संयोग सबके समक्ष उपस्थित हो जाता है। 
हलाहल विष के प्रभाव को कम करने के लिए ही शीतल चंद्रमा को उन्होंने अपने मस्तक पर धारण किया है। हमें यह समझना होगा कि शिव हमारे शरीरों की तरह शरीर धारण करने वाले हैं भी और नहीं भी। वे सभी जीवों के देह में सूक्ष्म रुप से, आत्म स्वरूप में वास करते हैं। वे ही पूरी सृष्टि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सब जगह सब तत्व उनमें ही समाहित दिखाई देते हैं। इसीलिए शिव देवों के देव महादेव हैं। 
जीवन यात्रा सत्य स्वरूप तक पहुँचने की यात्रा है। जो हमें प्रेम, अनुशासन, सृष्टि को चलायमान रखने के लिए लोभ, मोह, क्रोध को छोड़कर वैराग्य धारण करते हुए ईश्वरी शक्ति से जुड़ने की प्रेरणा देता है। यह आत्मविश्वास को उत्पन्न करने में करोड़ों लोगों की मदद करने वाला है। कांवड़ यात्रा आत्मा से परमात्मा के योग करने की यात्रा है। यह यात्रा तभी पूर्ण होती है, जब हम शिव तत्व को अपने भीतर महसूस करते हुए उसकी प्रतिध्वनि को शिव के साथ ही ताल से ताल मिला कर महसूस करते हैं। 
कांवड़ यात्री शिवालयों में जाकर जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की परम आनंद की प्राप्ति होती है। जीवन के कष्ट दूर होते हैं।मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। घर में धन धान्य की कभी कोई कमी नहीं रहती है। 
महर्षि व्यास ने शिव को सबसे महान कहाँ है। उन्हें देवों के देव महादेव कहाँ है। क्योंकि जब कोई निस्वार्थ भाव से महादेव को याद करता है तो देवों के देव महादेव बिना देर किए वरदान देने को तत्पर हो जाते हैं। वे भक्ति से प्रसन्न होते हैं, कौन देवता है, कौन है असुर, वे भेदभाव नहीं करते हैं। सरलता और भोला भालापन उनका स्वरूप है, जो भी भोले भक्त हैं, वह भोले को ख़ूब भाते हैं। शिव, महादेव ही परमपिता परमात्मा कहलाते हैं।
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tgop123 · 3 months ago
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Karwa Chauth 2024: Puja Timings, Moonrise, and Fasting Rituals
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करवा चौथ एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जिसे मुख्य रूप से विवाहित महिलाएँ अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना के लिए मनाती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है और सुहागिन स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएँ पूरे दिन उपवास रखती हैं और रात में चंद्रमा के free kundali matching दर्शन के बाद अपना व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का पर्व नारी शक्ति, त्याग और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएँ न केवल अपने पति की लंबी उम्र और सफलता के लिए व्रत रखती हैं, बल्कि यह पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को और भी गहरा और मजबूत बनाने Karwa Chauth 2024 का अवसर भी प्रदान करता है। करवा चौथ पर महिलाएँ सोलह श्रृंगार करती हैं और विधिपूर्वक पूजा करती हैं। यह त्योहार उत्तर भारत के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है, और इसके पीछे की मान्यता यह है कि यह पर्व दांपत्य जीवन में खुशहाली और सुख-समृद्धि लाता है।
करवा चौथ व्रत का समय और मुहूर्त (2024)
करवा चौथ व्रत का समय और चंद्रमा उदय का मुहूर्त व्रत को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं। व्रत का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और इसका समापन चंद्रमा के दर्शन के बाद किया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर को है और चंद्रमा के shubh muhurat today उदय का समय इस दिन की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।
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करवा चौथ 2024 का प्रमुख मुहूर्त इस प्रकार है:
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2024, रविवार को सुबह 09:30 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2024, सोमवार को सुबह 06:36 बजे
चंद्र दर्शन का समय: 20 अक्टूबर 2024 को रात 08:15 बजे (स्थान के अनुसार समय में थोड़ा बदलाव हो सकता है)
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पूजा विधि
करवा चौथ के दिन महिलाएँ Karwa Chauth पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। इस दिन महिलाएँ सूर्योदय से पहले उठकर सरगी खाती हैं, जो कि उनकी सास द्वारा दी जाती है। सरगी में मिठाई, फल, और अन्य पौष्टिक आहार होते हैं जो दिन भर के व्रत में ऊर्जा बनाए रखने में मदद करते हैं। सरगी खाने के बाद महिलाएँ पूरे दिन जल और अन्न का त्याग करती हैं और शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करती हैं। पूजा में करवा, दीपक, फल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
पूजा के बाद महिलाएँ चंद्रमा का इंतजार करती हैं। चंद्रमा के उदय होने के बाद वे उसे अर्घ्य देकर पूजा करती हैं। इसके बाद उनके numerology matching for marriage पति उनके व्रत को तुड़वाते हैं और जल ग्रहण कराते हैं।
करवा चौथ का धार्मिक और सामाजिक महत्व
करवा चौथ एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में ही नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करने का अवसर भी है। इस दिन महिलाएँ अपने सोलह श्रृंगार के साथ सजधज कर पूजा करती हैं, जिससे यह त्योहार सौंदर्य, शक्ति और नारीत्व का भी प्रतीक बन जाता है। यह व्रत पति-पत्नी के बीच के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है।
करवा चौथ का पर्व आज के आधुनिक युग में भी Karwa Chauth festival अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए है, जहाँ पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम का इज़हार इस व्रत के माध्यम से करते हैं।
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parasparivaarorg · 4 months ago
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शिवलिंग क्या है और सनातन परंपरा में क्या है?
पारस: सनातन परंपरा में शिवलिंग की पूजा का महत्व?
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही ल���गों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ र���प से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की ब���त करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
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शिवलिंग क्या है और इसको क्यों पूजा जाता है। भगवान शिव से जुड़ी सबसे खास बात यह है कि वो केवल शिव ही हैं जिन्हें मूर्ति और निराकार लिंग दोनों रूपों में पूजा जाता है। आइये आज हम इस आर्टिकल में आपको शिवलिंग से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे।
शिवलिंग क्या है?
शिवलिंग परम ब्रह्म है तथा संसार की समस्त ऊर्जा का प्रतीक भी है। शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे ‘शिवलिंग’ कहा गया है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि शिव पुराण में शिव को संसार की उत्पत्ति का कारण और परब्रह्म कहा गया है।
महंत श्री पारस भाई जी आगे कहते हैं कि शिवलिंग की पूजा समस्त ब्रह्मांड की पूजा के बराबर मानी जाती है, क्योंकि शिव ही समस्त जगत के मूल हैं। भगवान शिव प्रतीक हैं, आत्मा के जिसके विलय के बाद इंसान परमब्रह्म को प्राप्त कर लेता है। शिवलिंग क्या है इसकी बात की जाये तो ‘शिव’ का अर्थ है ‘परम कल्याणकारी’ और ‘लिंग’ का अर्थ होता है ‘सृजन’। लिंग का अर्थ संस्कृत में चिंह या प्रतीक होता है। यानि शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक। भगवान शिव अनंत काल और सृजन के प्रतीक हैं।
क्या है शिवलिंग का महत्व?
लिंग शिव का ही निराकार रूप है। शिवलिंग का अर्थ अनंत भी है जिसका मतलब है कि इसका कोई अंत नहीं है न ही प्रारंभ है। वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में प्रत्येक महायुग के पश्चात समस्त संसार इसी शिवलिंग में मिल जाता है और फिर संसार का इसी शिवलिंग से सृजन होता है। इसलिए महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि विश्व की संपूर्ण ऊर्जा का प्रतीक शिवलिंग को माना गया है।
मूर्तिरूप में शिव की भगवान शंकर के रूप में पूजा होती है। शिवलिंग का इतिहास कई हजार वर्षों पुराना है। आदिकाल से शिव के लिंग की पूजा प्रचलित है। सभी देव देवताओं में शिव ही एकमात्र भगवान हैं जिनके लिंगस्वरूप की आराधना की जाती है। श‍िवलिंग को भगवान श‍िव का प्रतीक मानकर पूजा जाता है और इसकी पूजा विधिविधान से की जाती है।
शिवलिंग की पूजा से संपूर्ण ब्रह्मांड की पूजा के बराबर मिलता है फल शंकर भगवान से जुड़ी सबसे खास बात यह है कि केवल शिव ही हैं जिन्हें मूर्ति और निराकार लिंग दोनों रूपों में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में शिवलिंग की पूजा का इतना महत्व है कि इसकी पूजा से संपूर्ण ब्रह्मांड की पूजा के बराबर फल मिलता है। ‘ૐ नमः शिवाय’ को महामंत्र माना जाता है। विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग का प्रतीक है। यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है। बिंदु शक्ति है और नाद शिव। बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि। यही दो मिलकर संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार बनाते हैं। इसी का प्रतीक शिवलिंग है जिसकी आस्था से पूजा-अर्चना की जाती है और इस तरह आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
विभिन्न प्रकार के ​शिवलिंग का महत्व
माना जाता है कि कई प्रकार के रत्नों से बना शिवलिंग धन और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है। पत्थर से बना शिवलिंग हर तरह के कष्टों को दूर करता है और सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। इसके अलावा धातु से बना शिवलिंग धन-धान्य देने वाला होता है। शुद्ध मिटटी से बना हुआ शिवलिंग सभी सिद्धियों की प्राप्ति करने वाला माना जाता है। पारा एक धातु है जिसमें चांदी को मिलाकर पारद शिवलिंग का निर्माण किया जाता है। भगवान शिव को पारा बहुत प्रिय है। इसलिए सावन में पारद शिवलिंग की पूजा से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं। पारद शिवलिंग की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं।
शिवलिंग के 12 नाम कौन से हैं?
भारत में भगवान शिव क�� लिंग के बारह ज्‍योर्तिंलिंग हैं। शिवजी के स्वरूप का बोध कराने वाला ��ब्द ‘लिंग’ है। शिवजी के दो स्वरूप हैं। एक भौतिक रूप जो भगवान शिव का प्रत्यक्ष रूप है और दूसरा निराकार रूप जो मंदिरों में स्थापित भगवान शिव का ‘लिंग’ रूप है।
देश भर में शिव के 12 ज्‍योर्तिंलिंग की पूजा बहुत ही श्रद्धा भाव से की जाती है। सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ॐकारेश्वर, वैद्यनाथ, भीमशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथजी, त्र्यम्बकेश्वर, केदारनाथ, घृष्णेश्वर। ज्योतिर्लिंग उत्पत्ति के संबंध में अनेकों मान्यताएं प्रचलित है।
ज्योतिर्लिंग यानी व्यापक ब्रह्मात्मलिंग जिसका अर्थ है व्यापक प्रकाश। जो शिवलिंग के बारह खंड हैं। महंत श्री पारस भाई जी ज्योतिर्लिंग के विषय में कहते हैं कि शिवपुराण के अनुसार ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।
शिवलिंग की पूजा के कुछ नियम
मान्यता है कि शिवलिंग की श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना से आपके जीवन से जुड़े सभी कष्ट दूर होते हैं। शिवलिंग की पूजा में हमेशा भगवान शंकर की प्रिय प्रिय चीजें जैसे सफेद पुष्प, धतूरा, बेलपत्र अवश्य ��र्पित करने चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र को हमेशा उलट कर चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर भूलकर भी कटा-फटा बेलपत्र न चढ़ाएं।
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार सभी प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए कच्चे दूध एवं गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। दरअसल शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला जल अत्यंत पवित्र होता है इसलिए ​शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल जहाँ से निकलता है, उसे लांघा नहीं जाता है। ऐसा माना जाता है इसे लांघने पर दोष होता है। इसलिए शिवलिंग की आधी परिक्रमा का विधान है।
शिवलिंग के समीप जाप या ध्यान करने से मिलता है मोक्ष का मार्ग
शिव की भक्ति हेतु शिव का ध्यान और पूजन किया जाता है। शिवलिंग के समीप मंत्र जाप या ध्यान करने से मोक्ष का मार्ग मिलता है। शिव के जीवन और दर्शन को जो लोग यथार्थ दृष्टि से देखते हैं वे सही बुद्धि वाले और यथार्थ को पकड़ने वाले शिवभक्त हैं। भगवान शिव का ध्यान आप उनकी मूर्ति, चित्र अथवा शिवलिंग के माध्यम से कर सकते हैं। मूर्ति, चित्र अथवा शिवलिंग के सामने बैठकर उस पर ध्यान केन्द्रित करें और ऊँ नमः शिवाय का जप करें, आपके जीवन में सकारात्मकता आयेगी।
शिवलिंग की पूजा के फायदे
शिवलिंग की पूजा करने के अनेक फ़ायदे हैं-
परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग हिंदू धर्म में अत्‍यंत शुभ माना जाता है इसलिए इनकी पूजा करने से व्‍यक्‍ति के विचारों में सकारात्‍मकता आती है और नकारात्मकता दूर होती है। जीवन में सफलता के लिए, दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए और दाम्पत्य सुख के लिए शिवलिंग की पूजा की जाती है।
यदि आपका मन काम में नहीं लग रहा है तो इसके लिए शिवलिंग की पूजा अवश्य करें। शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाने से रोगों का नाश होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। अगर शिव मंदिर में शिवलिंग पीपल के पेड़ के नीचे स्थापित हो तो सबसे उत्तम माना जाता है।
शिवलिंग से जुड़ी एक कथा
देखा जाये तो शिवलिंग का इतिहास कई हजार वर्षों पुराना है। शिव ही एकमात्र भगवान हैं जिनके लिंग स्वरूप की आराधना की जाती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, इसका इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब विष की उत्पत्ति हुई तो समस्त ब्रह्माण की रक्षा के लिए उसे महादेव द्वारा ग्रहण किया गया। इस वजह से उनका कंठ नीला हो गया और तब से उनका नामनीलकंठ पड़ गया।
लेकिन विष ग्रहण करने के कारण भगवान शिव के शरीर का दाह बढ़ गया। इसलिए उस दाह के शमन के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई, जो आज तक चली आ रही है।
क्या कहता है शिवपुराण?
शिव पुराण के मुताबिक शिवलिंग पर जल चढ़ाना पुण्य का काम है। इस जल को आप प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं और ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है। शिव पुराण के 22 अध्याय के 18 श्लोक के अनुसार शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल पीना शुभ होता है। शिवलिंग का जल पीने से आपकी गंभीर बीमारियां दूर हो जाती हैं और आपको रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि शिवलिंग का जल ग्रहण करने से आप मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रहते हो और तनाव भी दूर होता है।
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astroclasses · 4 months ago
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drvinaybajrangiji · 6 months ago
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Shaadi mein aa rahi hai Talaak ki naubat? to Teej ke shubh prabhav se door hogi samasya
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तीज का पर्व सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद माना जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार पौराणिक काल से ही दांपत्य जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए तीज व्रत का पालन एवं इस दिन होने वाले अनुष्ठानों को किया जाता रहा है और आज भी इस पर्व की महत्ता विशेष है. जो विवाह जीवन में आने वाली हर प्रकार की समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाली होती है. तीज एक ऎसा मांगलिक उत्सव है जो वैवाहिक जीवन में जोड़ों के मध्य रिश्ते को मजबूत करता है. 
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विवाह एक ऎसा रिश्ता है जिसे सात जन्मों का साथ माना गया है. लेकिन कई बार जीवन में कुछ ऎसे पड़ाव आते चले जाते हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन में लगातार झगड़े और आपसी अनबन इतनी बढ़ जाती है कि एक छत के नीचे रह पाना दोनों के लिए ही बहुत मुश्किल होता है तब ऎसे में ��ीवन में आए इस संकट से बचने के लिए अगर कुछ कार्यों को कर लिया जाए तो इस परेशानी से बचाव भी संभव है. इन सभी परेशानियों को दूर करने में तीज का उत्सव सुखद कदमों की आहट को सुनाता है. 
कुंडली में तलाक के कारण 
समाज में होने वाले बदलावों के साथ हमारे जीवन में भी कई ऎसे बदलाव होते हैं जिसके कारण आज के समय वैवाहिक जीवन में आपसी संबंध भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाए हैं. शादी विवाह में अगर तलाक या अलगाव  जैसी परेशानियां जब रिश्ते में आने लगती हैं तो यह एक बेहद ही कठोर और चिंता देने वाला समय बन जाता है. तलाक या शादी में अलगाव की स्थिति किसी भी कारण से उभर सकती है. 
इसमें आपसी मतभेद, अपनी-अपनी जीवन शैली, विचार, रहन सहन, परिवार जनों का हस्तक्षेप, पार्ट्नर की गलत आदतें जैसी बातें कई छोटी या बड़ी बातें शामिल हो सकती हैं. यह बातें तलाक और अलगाव के लिए जिम्मेदार हो सकती है. तलाक की वजह चाहे कोई भी हो लेकिन इसका रहस्य जन्म कुंडली में ही छिपा होता है और जिसे सुलझा कर हम इस तरह की समस्या से दूर रहते हुए सुखी वैवाहिक जीवन जी सकते हैं. 
वैवाहिक जीवन की समस्याओं को ज्योतिष से पहचानें
विवाह में तलाक जैसी स्थिति आखिर किन कारणों से उभरी इसके लिए जन्म कुंडली की जांच करना जरूरी है. इस के अलावा दोनों लोगों के मध्य एक ऎसे व्यक्ति का होना भी जरुरी है जो निष्पक्ष रूप से दोनों का साथ देने वाला हो, एक योग्य ज्योतिषी इस भूमिका में सबसे अधिक उपयुक्त व्यक्ति होता है क्योंकि वह जानता है कि कुंडली में वो कौन से योग बने, और कौन सी दशा गोचर की स्थिति ऐसी बन रही है की अलगाव तलाक तक पहुंच सकता है. 
इन बातों को जान समझ कर तलाक और अलगाव होने को रोक पाना संभव होता है. लेकिन अगर दोनों लोगों की रजामंदी इस तरह से नहीं मिल पाती है तब उस स्थिति में अकेला साथी भी ज्योतिष द्वारा बताई गई सलाह और उपायों से अपने टूटते घर को बचा सकता है. इसी में विशेष भूमिका आती है हमारे द्वारा किए जाने वाले उन खास उपायों की जो हम स्वयं भी अगर कर लेते हैं तो रिश्ते को तलाक और अलगाव जैसी परिस्थिति से अपने जीवन को बचाया जा सकता है. 
सावन तीज के दिन पूजा एवं अनुष्ठान रोक सकते हैं वैवाहिक जीवन का तनाव 
तीज का पर्व इसी में एक विशेष उपाय है जो जीवन की इन उलझ��ों को दूर करने में बहुत सहायक होता है. यह न केवल रिश्ते को टूटने से बचाता है बल्कि ऎसे रिश्ते देता है जो जीवन भर साथ निभाते हैं. इसी कारण कुंवारी कन्याएं जब “योग्य वर” की कामना करती हैं तो उनके लिए तीज का दिन बेहद विशेष होता है. 
तीज का पर्व है देवी पार्वती और महादेव के प्रेम विवाह का गवाह 
शिव पुराण एवं अन्य कथाओं में इस बात का उल्लेख प्राप्त होता है की जब माता पार्वती ने अपने विवाह के लिए योग्य वर के रूप में भगवान शिव को पति बनाने की कामना रखी तब उनकी तपस्या और उनकी कठोर व्रत साथना में तीज व्रत  का दिन भी गवाह बना. सावन माह की तृतीया तिथि के दिन ही महादेव ने देवी पार्वती को अपनी जीवन संगिनी बनने का वचन दिया था. इसी कारण से जो भी कन्या अपने लिए मनपसंद वर की इच्छा रखती है वह तीज के दिन यदि देवी पार्वती और महादेव का विधि विधान के साथ पूजन करती हैं तो उनकी कामना जरूर पूरी होती है.  
तीज की पूजा का फल व्यक्ति को तभी प्राप्त होता है जब सभी नियमों का पालन करते हुए पूजन किया जाए. सावन तीज पर अगर सही तरह से उचित रूप में एक योग्य ज्योतिषी के सहयोग द्वारा पूजा अनुष्ठानों के कार्यों को किया जाता है तो वैवाहिक जीवन में आने वाली हर प्रकार की संभावित परेशानियों से बचा जा सकता है.
Source Url: https://medium.com/@latemarriage/shaadi-mein-aa-rahi-hai-talaak-ki-naubat-to-teej-ke-shubh-prabhav-se-door-hogi-samasya-a169b338b41a
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shayarikitab · 7 months ago
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Famous 40+ Mahadev Shayari | महाकाल शायरी हिंदी में
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दोस्तों, कहते हैं कि हमारे महादेव शिव की शरण में जाने से सारे दुख और दर्द दूर हो जाते हैं। आज हम आपके लिए 40 से ज़्यादा Mahadev Shayari लेकर आए हैं जो उनके असंख्य रूपों को दर्शाती हैं! ये शायरी आपके मन में उनके प्रति प्रेम, भावना, जोश और भक्ति को और भी गहरा कर देंगी। अनगिनत नामों के स्वामी महादेव को महाकाल, भोलेनाथ, शंभू, जटाधारी, नीलकंठ, योगेश्वर, महादेव, शिव, काल भैरव, भूतनाथ और भी कई नामों से जाना जाता है। हम यहाँ जो शायरी पेश कर रहे हैं, वो उनके सभी रूपों की खूबसूरती को दर्शाती है और उनके प्रति हमारे अगाध प्रेम को दर्शाती है।. यहाँ शेयर किए गए Mahadev Status को आप ज़रूर पसंद करेंगे, खासकर अगर आप भी महाकाल के भक्त हैं। जो लोग पहली बार उज्जैन आते हैं और महाकाल मंदिर, काल भैरव मंदिर और इंदौर के पास ओम कालेश्वर मंदिर की भव्यता को देखते हैं, उनका भगवान शिव से आ���ीवन जुड़ाव हो जाता है। वे महादेव की Shayari, Status और उनसे जुड़ी हर चीज़ से प्यार करने लगते हैं और जीवन भर इस दिव्य बंधन को संजोते हैं।.
Mahakal Mahadev Shayari Collection in Hindi
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चिंता नहीं है काल की, बस कृपा बनी रहे महाकाल की… ~जय श्री महाकाल
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जब सुकून नहीं मिलता दिखावे की बस्ती में, तब खो जाता हु में महाकाल की मस्ती में…! ~जय श्री महाकाल
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अंदाज हमारे कुछ निराले है, क्योंकि हम महाकाल वाले है…! ~जय श्री महाकाल
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जिंदगी जब महाकाल पर फिदा हो जाती है, सारी मुश्किलें जीवन से जुदा हो जाती है…!! ~जय श्री महाकाल
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कर्म अच्छे ही करना वरना भगत तो रावण भी था, मारा गया…!!
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मैं नही जानता सही और गलत क्या है, अगर मेरे महाकाल मेरे साथ है तो सब सही होगा…!!
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कैसे कह दू मेरी हर दुआ बे असर हो ग��, मैं जब भी रोया मेरे महाकाल को खबर हो गई…!!!
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सुख भी बहुत है परेशानियां भी बहुत है, जिंदगी में लाभ और हानियां भी बहुत है, क्या हुआ अगर प्रभु ने थोड़े गम दे दिए, उनकी हमपर महरबानियां बहुत है…!!!
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तेरी माया तू ही जाने, हम तो बस तेरे दीवाने…!!!
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कैसे भुला दूं उसको मैं ए मेरे महाकाल, तू उन्हें मरने नही देता जो तेरी शरण में आजाएं…!!!
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कोई बीमार हमसा नही, कोई इलाज तुमसा नहीं…!!!
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किसी दिन तो होगी रोशन मेरी भी जिंदगी, मुझे इंतजार सुबह का नहीं आपकी रहमत का है…!!!
Mahadev 2 line Status in Hindi
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थोड़ा हाथ पकड़ कर साथ दे दो ना बाबा, यहां आपके अलावा कोई नहीं है साथ देने वाला…!!!
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सुनते सब है, समझते सिर्फ मेरे महादेव है…!!!
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महाकाल ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति है, उनके भक्त कमजोर नहीं हो सकते…!!!
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माफ करना महाकल, कुछ लोगो को बक्शा नही जाएगा…!!!
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आप बस साथ रहना महादेव, रोती आंखो से भी मुस्कुरा लेंगे हम…!!!
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परीक्षा कितनी भी लेलो महादेव, पर आपका ये भगत आपके दर से जायेगा नही…!!!
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जिंदा रहे तो हर रोज तुम्हे याद करते रहेंगे, मर गए तो समझ लेना भोले बाबा ने याद कर लिया…!!!
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तुम मानो या ना मानो, तुम्हारे सिवा कोई नही है इस दिल में…!!!
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साथ रहकर भी सब पराए है बाबा, तुम दूर रहकर भी मुझमें समाए हो…!!!
Very Famous Mahadev Status Hindi Mein
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दुःख की घड़ी उसे डरा नहीं सकती, कोई ताकत उसे हरा नही सकती, और जिसपर हो जाए तेरी महर महाकाल, फिर ये दुनिया उसे मिटा नही सकती…!!!
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तेरी दया से घर मेरा धाम बन गया, मैने जब भी सर झुकाए मेरा काम बन गया…!!!
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जाने कितने लोग मिले इस दुनियां के मेले में, पर तू ही याद आया मुझ अकेले में…!!!
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मेरे साथ वो खड़ा है, जो इस जगत में सबसे बड़ा है…!!!
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लोगो से तो सारी परेशानियां छुपाता हु, एक महाकाल ही है जिनसे सब बताता हु..!!!
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वो खुद भी चले आते है भक्तों की एक पुकार से, सब कुछ मिलता है महाकाल के दरबार से…!!!
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एक आप ही तो हो मेरे महाकाल, जिनसे कुछ कहना से पहले सोचना नही पड़ता…!!!
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वो मेरे साथ नहीं है मगर महाकाल, तुम हमेशा उसका साथ देना…!!!
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बस इसी बात का सब्र है, महाकाल को मेरी सारी खबर है…!!!
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किस्मत लिखने वाले को भगवान कहते है, और बदलने वाले को महाकाल..!!!
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अगर महाकाल में आस्था है, तो बंद द्वार भी रास्ता है…!!!
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ज़र्रा ज़र्रा समेट कर खुद को बनाया है हमने, हमसे ना कहना की बहुत मिलेंगे हम जैसे….!!!
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नजर आता है तेरा मंदिर वहीं रुक जाता हु, कर लेता हु आंखे बंद वहीं झुक जाता हु…!!!
Mahadev Shayari For Lord Shiva Devotee
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इंसान की फितरत तो देखो, वो नेकियां उस उम्र में करता ���ै, जब वह गुनाह करने के भी काबिल नही रहता…!!!
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होसला बहुत है मुझमें, पर ये जरूरी तो नहीं, हर बार आखिरी हद तक आजमाया जाऊं मैं…!!!
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क्या है काल का जाल, जब साथ दे रहे हो महाकाल..!!!
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जो कुछ भी खोया, वो मेरी नादानी थी, और जो कुछ भी पाया वो तेरी महारबानी थी..!!!
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छोटा सा नाम है मेरे शिव का, अगर जपने लगो तो बड़े बड़े काम हो जाते है..!!!
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जीत का तो पता है, पर मेरे महादेव बैठे है, हारने वो देंगे नही..!!!
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महादेव कहते है, दुशरो के दुखो पर हसना, अपने दुखो को निमंत्रण देना है..!!! Read Also: Read the full article
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parasparivaar · 7 months ago
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ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का खेल समझे
चंद्रमा
नवग्रहों में चंद्रमा को भाव, मन, पोषण, रचनात्मकता, माता, धन, यात्रा, प्रतिक्रिया, संवेदनशीलता और जल का कारक माना गया है। यह आंतरिक जीवन की शक्ति को दर्शाता है और इसके साथ ही व्यक्ति के दूसरों के प्रति व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करता है। चन्द्रमा व्यक्ति को उसके अवचेतन मन से जुड़ने में मदद करता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा जन्म के समय जिस राशि में स्थित होता है वह जातक की चंद्र राशि कहलाती है। हरिवंश पुराण के अनुसार चन्द्रमा को ऋषि अत्रि का पुत्र माना गया है जिसका पालन दस दिशाओं द्वारा किया गया। चंद्रमा मन का कारक ग्रह है और यह बहुत ही शांतचित्त है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार चन्द्रमा एक शुभ ग्रह है और चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है। चन्द्रमा सौम्य और शीतल प्रकृति को धारण करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्रमा एक शुभ ग्रह है। चंद्रमा के कुंडली में बलशाली होने पर व्यक्ति स्वभाव से मृदु, संवेदनशील और अपने आस-पास के लोगों से प्रेम करने वाला होता है।
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चंद्रमा राशियों में कर्क और नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी है। हिन्दू ज्योतिष में राशिफल के लिए ��ंद्र राशि को आधार माना जाता है। चन्द्रमा हर व्यक्ति के ऊपर एक विशेष प्रभाव छोड़ता है जो उस व्यक्ति के दिमाग में एक विशेष संवेदनशीलता पैदा कर देता है। चन्द्रमा को ही व्यक्ति के विकास, माँ बनने, मानसिक शांति, स्मृति आदि के लिए जिम्मेदार माना गया है। कुंडली में बैठा चन्द्रमा ही आपको यह बताता है कि व्यक्ति की भावनात्मक जरूरतें क्या हैं और यदि जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में चंद्रमा शुभ स्थिति में बैठा हो तो उस व्यक्ति को अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
इसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहता है और साथ ही उस व्यक्ति का मन ज्यादातर अच्छे कार्यों में ही लगता है। वहीं चंद्रमा के कमज़ोर होने पर आपको परेशानी, मानसिक तनाव आदि की समस्या हो सकती है। यदि चन्द्रमा सही स्थान पर न बैठा हो तो उस व्यक्ति को संबंधित क्षेत्र में सचेत रहना चाहिए।
किसी व्यक्ति की कुंडली से उसके चरित्र को देखते समय चंद्रमा की स्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है दरअसल चंद्रमा व्यक्ति के मन तथा भावनाओं को नियंत्रित करते हैं। चंद्रमा सूर्य और बुध का मित्र है वहीं मंगल, शुक्र, वृहस्पति और शनि के लिए तटस्थ है। व्यक्ति की कल्पना शक्ति चंद्र ग्रह से ही संचालित होती है। कुंडली में जिस स्थान पर चन्द्रमा होता है वह बताता है कि व्यक्ति सुरक्षा पाने के लिए किस दिशा या क्षेत्र में काम करेगा। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर है तो उस व्यक्ति को उपाय हेतु भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए , इससे उस व्यक्ति को चंद्र देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।  
मंगल ग्रह
ज्योतिष में मंगल को अत्यंत तेज और शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। इसी कारण से कुंडली में इसके शुभ और अशुभ योग आपकी जिंदगी कैसी होगी यह तय करते हैं। इसे एक आक्रामक ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। ज्योतिष विज्ञान में मंगल को साहस, वीरता, शक्ति, पराक्रम, सेना, क्रोध, उत्तेजना आदि का कारक माना जाता है। साथ ही यह अलावा यह युद्ध, शत्रु, भूमि, अचल संपत्ति, पुलिस आदि का भी कारक होता है।  महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति की कुंडली में मंगल की अच्छी दशा कामयाब बनाती है और इस ग्रह की बुरी दशा व्यक्ति से सब कुछ छीन भी लेती है। यानि मंगल के बहुत से शुभ और अशुभ योग होते हैं। यह व्यक्ति को सफल होने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और हौसला भी प्रदान करता है। 
हिंदू मान्यताओं के अनुसार मंगल को भूमि पुत्र के रूप में माना जाता है। यानि उसे धरती माता का पुत्र माना जाता है। मिस्त्र के लोगों ने इसे हार्माकिस और यूनानियों ने इसे अरेस यानी युद्ध का देवता कहा है। हमारे पुराणों के अनुसार म��ुष्य के नेत्रों में मंगल ग्रह का वास होता है। मंगल व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है जिससे वह कई तरह की परेशानियों का सफलतापूर्वक सामना कर सके। मंगल की दो राशियां हैं, मेष और वृश्चिक। यह मकर में 28 डिग्री उच्च का है और कर्क में 28 डिग्री नीच का होता है। इसका मूलत्रिकोण राशि मेष है।
यह सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति के लिए अनुकूल है और बुध और शुक्र के लिए प्रतिकूल और शनि के लिए तटस्थ है। मंगल हमारे द्वारा चुने गए कार्य और उसे करने के तरीके को भी दर्शाता है। यह ग्रह किस व्यक्ति पर कैसे अपनी ऊर्जा का प्रभाव कैसे छोड़ेगा यह उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। मंगल की स्थिति आपको बताती है कि आप किस दिशा में सबसे ज्यादा गतिशील है और किस दिशा में आप उलझे हुए हैं। 
जिस व्यक्ति का मंगल अच्छा होता है वह स्वभाव से निडर और साहसी व्यक्ति होगा और उसे युद्ध में विजय प्राप्त होगी। वहीं यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में है तो उस व्यक्ति या जातक को जीवन में नकारात्मक परिणाम मिलेंगे। इस स्थिति में आपको इस ग्रह से संबंधित क्षेत्र में सचेत रहने की जरूरत है। मजबूत मंगल आपको अच्छा परिणाम देता है जबकि एक कमजोर मंगल इसी में दोष का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल के शुभ योग में भाग्य चमक उठता है और लक्ष्मी योग मंगल का शुभ योग है। यह योग इंसान को धनवान बनाता है।
किसी कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है और यह यह योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है। अंगारक योग से बचने के लिए मंगलवार का व्रत करना शुभ होता है और साथ ही भगवान भोलेनाथ के पुत्र कुमार कार्तिकेय की पूजा करें। मंगल का एक और अशुभ योग है मंगल दोष। यह दोष आपके रिश्तों को कमजोर बना देता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहा जाता है। इसी मंगल दोष के कारण जातकों को वैवाहिक जीवन में समस्या का सामना करना पड़ता है और कुंडली में यह स्थिति विवाह संबंधों के लिए बहुत संवेदनशील मानी जाती है।
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astrovastukosh · 10 months ago
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Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: आज ये राशियां रहेंगी भाग्यशाली, होगा बड़ा लाभ, जानें अपना राशि फल
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Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: आज ये राशियां रहेंगी भाग्यशाली, होगा बड़ा लाभ, जानें अपना राशि फल Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: ये राशियां रहेंगी भाग्यशाली, भगवान शिव की बरसेगी कृपा, होगा बड़ा लाभ, जानें अपनी राशि का हाल 15 अप्रैल को नवरात्रि की सप्तमी तिथि भी पड़ रही है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा-उपासना का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। Aaj Ka Rashifal 15 April 2024: मेष राशि : आज का दिन नई शु��ुआत के लिए उत्तम रहेगा। राइटर्स और एडिटर्स को करियर ग्रोथ के कई सुनहरे अवसर मिलेंगे। लेकिन अपने खर्च पर नियंत्रण रखें। जल्दबाजी में किसी भी वस्तु की खरीदारी न करें। आज आप सुख-सुविधाओं में जीवन व्यतीत करेंगे। धन-संपदा में वृद्धि होगी। प्रोफेशनल लाइफ में चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी रहेगी, हालांकि धैर्य बनाएं रखें और शांत दिमाग से फैसले लें। इसके अलावा आपकी रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी और साथी संग रिश्ता मजबूत होगा। वृषभ राशि : आज आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। पारिवारिक जीवन में खुशनुमा माहौल रहेगा। परिजनों के साथ फैमिली फंक्शन में शामिल होंगे। लेकिन काम के सिलसिले में यात्रा के भी योग बनेंगे। मन में नकारात्मक विचारों को ज्यादा बढ़ने न दें। पॉजिटिव माइंडसेट के साथ चुनौतियों को हैंडल करें। आज आपको दोस्तों की मदद से धन कमाने के कई सुनहरे अवसर मिलेंगे। रोजाना योग और एक्सरसाइज करें। इससे आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। मिथुन राशि : आज आय के नए साधनों से धन लाभ होगी। घर की जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए आपके पास पर्याप्त धन होगा। लेकिन पारिवारिक जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आज फ्रेंड्स या पार्टनर के साथ वेकेशन का प्लान बना सकते हैं। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। बुरी आदतों से दूर रहें। ऑफिस में कार्यों का ज्यादा स्ट्रेस न लें। साथी से व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। इससे वैवाहिक जीवन में खुशियां ही खुशियां आएंगी। कर्क राशि : पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाए रखें। रोजाना योग और मेडिटेशन करें। फिट रहने के लिए हेल्दी डाइट लें। स्ट्रैस मैनेजमेंट एक्टिविटी में शामिल हों। आज ज्यादा ट्रैवल करने से बचें। वाहन चलाते समय ट्रैफिक के नियमों का कड़ाई से पालन करें। कुछ जातक आज सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। पारिवारिक जीवन में खुशियों और उत्साह का माहौल रहेगा। रोमांटिक लाइफ बढ़िया रहेगी। सिंह राशि : आज आपके सभी कार्य सफल होंगे। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। व्यापार में बढ़ोत्तरी के नए अवसर मिलेंगे। ऑफिस में मनचाहे प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी मिलेगी। दोस्तों के साथ ट्रिप का प्लान बना सकते हैं। जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। आज अचानक से आपके खर्चे बढ़ेंगे। बड़े अमाउंट में धन खर्च करने से बचें। इनवेस्टमेंट से जुड़े डिसीजन होशियारी से लें। कन्या राशि : आज का दिन मिलाजुला परिणाम देने वाला है। धन के मामले में आंख मूंदकर किसी पर भरोसा न करें। इनवेस्टमेंट से जुड़े डिसीजन ��ोच-समझकर लें। पारिवारिक जीवन में टेंशन बनी रहेगी। यात्रा से लाभ होगा। लेकिन छोटी-मोटी दिक्कतें भी महसूस होंगी। कुछ लोगों को प्रॉपर्टी के मामलों में किसी अनुभवी व्यक्ति की एडवाइस लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। रिश्तों में नजदीकियां बढ़ेंगी। तुला राशि : ऑफिस में कार्यों का दबाव बढ़ेगा। कार्यों की अतिरिक्त जिम्मेदारियां मिलेंगी। निवेशों से उतना प्रॉफिट नहीं होगा, जितना आपको उम्मीद था। पॉजिटिव माइंडसेट के साथ लाइफ में आगे बढ़ें। नेगेटिविटी से दूर रहें। फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। इससे स्ट्रेस कम होगा और मानसिक तनाव से राहत मिलेगा।
Akshay Jamdagni: Expert in Astrology, Vastu, Numerology, Horoscope Reading, Education, Business, Health, Festivals, and Puja, provide you with the best solutions and suggestions for your life’s betterment. 9837376839
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pradeep-chauhan · 11 months ago
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( #Muktibodh_part220 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part221
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 422-423
◆◆ गीता के अध्याय 4 श्लोक 6 में यह कहा है कि मैं (अजः) अजन्मा अर्थात् मैं तुम्हारी तरह जन्म नहीं लेता, मैं लीला से प्रकट होता हूँ। जैसे गीता अध्याय 10 में विराट रुप दिखाया था, फिर कहा है कि (अव्ययात्मा) मेरी आत्मा अमर है। फिर कहा है कि
(आत्ममायया) अपनी लीला से (सम्भवामि) उत्पन्न होता हूँ। यहाँ पर उत्पन्न होने की बात है क्योंकि यह काल ब्रह्म अक्षर पुरुष के एक युग के उपरान्त मरता है। फिर उस समय एक
ब्रह्माण्ड का विनाश हो जाता है (जैसा कि आपने ऊपर के प्रश्न के उत्तर में पढ़ा) फिर दूसरे ब्रह्माण्ड में सर्व जीवात्माएं चली जाती हैं। काल ब्रह्म की आत्मा भी चली जाती है। वहाँ
इसको पुनः युवा शरीर प्राप्त होता है। इसी प्रकार देवी दुर्गा की मृत्यु होती है। फिर काल ब्रह्म के साथ ही इसको भी युवा शरीर प्राप्त होता है। यह परम अक्षर ब्रह्म (सत्य पुरूष) का विधान है। तो फिर उस नए ब्रह्माण्ड में दोनों पति-पत्नी रुप में नए रजगुण युक्त ब्रह्मा, सतगुण युक्त विष्णु तथा तमगुण युक्त शिव को उत्पन्न करते हैं। फिर उस ब्रह्माण्ड में सृष्टि
क्रम प्रारम्भ होता है। इस प्रकार इस काल ब्रह्म की मृत्यु तथा लीला से जन्म होता है। गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में भी स्पष्ट है जिसमें गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि मेरे जन्म तर्था कर्म अलौकिक हैं। वास्तव में यह नाशवान है। आत्मा सर्व प्राणियों की भी अमर है। आपके महामण्डलेश्वरों आचार्यों तथा शंकराचार्यों को अध्यात्मिक ज्ञान बिल्कुल नहीं है। इसलिए अनमोल ग्रन्थों को ठीक से न समझकर लोकवेद (दन्तकथा) सुनाते हैं। आप देखें इस गीता अध्याय 4 श्लोक 5 में स्वयं कह रहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं।
उन सबको मैं जानता हूँ, तू नहीं जानता। इसका अभिप्राय ऊपर स्पष्ट कर दिया है।
सम्भवात् का अर्थ उत्पन्न होना है।
प्रमाण :- यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 10 में भी कहा है कि कोई तो परमात्मा को
(सम्भवात्) जन्म लेने वाला राम व कृष्ण की तरह मानता है, कोई (असम्भवात्) उत्पन्न न होने वाला निराकार मानता है अर्थात् तत्त्वदर्शी सन्त जो सत्यज्ञान बताते हैं, उनसे सुनो।
वे बताएंगे कि परमात्मा उत्पन्न होता है या नहीं। वास्तव में परमात्मा स्वयंभू है। वह कभी नहीं जन्मा है और न जन्मेगा। मृत्यु का तो प्रश्न ही नहीं। दूसरी ओर गीता ज्ञान दाता स्वयं
कह रहा है कि मैं जन्मता और मरता हूँ, अविनाशी नहीं हूँ। अविनाशी तो ‘‘परम अक्षर ब्रह्म’’ है।
प्रश्न :- (जिन्दा बाबा परमेश्वर जी का) : आप जी ने कहा है कि हम शुद्र को निकट भी नहीं बैठने देते, शुद्ध रहते हैं। इससे भक्ति में क्या हानि होती है?
‘‘कथनी और करनी में अंतर‘‘
उत्तर :- (धर्मदास जी का) :- शुद्र के छू लेने से भक्त अपवित्र हो जाता है, परमात्मा रुष्ट हो जाता है, आत्मग्लानि हो जाती है। हम ऊँची जाति के वैश्य हैं।
प्रश्न तथा स्पष्टीकरण (बाबा जिन्दा ने किया) :- यह शिक्षा किसने दी? धर्मदास जी ने कहा हमारे धर्मगुरु बताते हैं, आचार्य, शंकराचार्य तथा ब्राह्मण बताते हैं। परमेश्वर कबीर
जी ने धर्मदास को बताया (उस समय तक धर्मदास जी को ज्ञान नहीं था कि आपसे वार्ता करने वाला ही कबीर जुलाहा है) कि कबीर जुलाहा एक बार स्वामी रामानन्द पंडित जी के
साथ तोताद्रिक नामक स्थान पर सत्संग-भण्डारे में गया। वह स्वामी रामानन्द जी का शिष्य है। सत्संग में मुख्य पण्डित आचार्यों ने बताया कि भगवान राम ने शुद्र भिलनी के झूठे बेर
खाए। भगवान तो समदर्शी थे। वे तो प्रेम से प्रसन्न होते हैं। भक्त को ऊँचे-नीचे का अन्तर नहीं देखना चाहिए, श्रद्धा देखी जाती है। लक्ष्मण ने सबरी को शुद्र जानकर ग्लानि करके
बेर नहीं खाये, फैंक दिए, बाद में वे बेर संजीवन बूटी बने। रावण के साथ युद्ध में लक्ष्मण मुर्छित हो गया। तब हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत को उठाकर लाए जिस पर संजीवन बूटी उन झूठे बेरों से उगी थी। उस बूटी को खाने से लक्ष्मण सचेत हुआ, जीवन रक्षा हुई। ऐसी
श्रद्धा थी सबरी की भगवान के प्रति। किसी की श्रद्धा को ठेस नहीं पहुँचानी चाहिए। सत्संग के तुरन्त बाद लंगर (भोजन-भण्डारा) शुरु हुआ। पण्डितों ने पहले ही योजना बना रखी थी
कि स्वामी रामानन्द ब्राह्मण के साथ शुद्र जुलाहा कबीर आया है। वह स्वामी रामानन्द का शिष्य है। रामानन्द जी के साथ खाना खाएगा। हम ब्राह्मणों की बेईज्जती होगी। इसलिए दो स्थानों पर लंगर शुरु कर दिया। जो पण्डितों के लिए भण्डार था। उसमें खाना खाने
के लिए एक शर्त रखी कि जो पण्डितां वाले भण्डारे में खाना खाएगा, उसको वेदों के चार मन्त्र सुनाने होंगे। जो मन्त्र नहीं सुना पाएगा, वह सामान्य भण्डारे में भोजन खाएगा। उनको
पता था कि कबीर जुलाहा काशी वाला तो अशिक्षित है शुद्र है। उसको वेद मन्त्र कहाँ से याद हो सकते हैं? सब पण्डित जी चार-चार वेद मन्त्र सुना-सुनाकर पण्डितों वाले
भोजन-भण्डारे में प्रवेश कर रहे थे। पंक्ति लगी थी। उसी पंक्ति में कबीर जुलाहा (धाणक) भी खड़ा था। वेद मन्त्र सुनाने की कबीर जी की बारी आई। थोड़ी दूरी पर एक भैंसा (झोटा)
घास चर रहा था। कबीर जी ने भैंसे को पुकारा। कहा कि हे भैंसा पंडित! कृपया यहाँ आइएगा। भैंसा दौड़ा-दौड़ा आया। कबीर जी के पास आकर खड़ा हो गया। कबीर जी ने भैंसे की कमर पर हाथ रखा और कहा कि हे विद्वान भैंसे! वेद के चार मन्त्र सुना। भैंसे ने
(1) यजुर्वेद अध्याय 5 का मन्त्र 32 सुनाया जिसका भावार्थ भी बताया कि जो परम शान्तिदायक (उसिग असि), जो पाप नाश कर सकता है (अंघारि), जो बन्धनों का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ है = बम्भारी, वह ‘‘कविरसि’’ कबीर है। स्वर्ज्योति = स्वयं प्रकाशित अर्थात् तेजोमय शरीर वाला ‘‘ऋतधामा’’ = सत्यलोक वाला अर्थात् वह सत्यलोक में निवास करता है। ‘‘सम्राटसि’’ = सब भगवानों का भी भगवान अर्थात् सर्व शक्तिमान समा्रट यानि महाराजा है।
(2) ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मन्त्र 26 सुनाया। जिसका भावार्थ है कि परमा��्मा ऊपर के लोक से गति (प्रस्थान) करके आता है, नेक आत्माओं को मिलता है। भक्ति करने
वालों के संकट समाप्त करता है। वह कर्विदेव (कबीर परमेश्वर) है।
(3) ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मन्त्रा 17 सुनाया जिसका भावार्थ है कि (‘‘कविः‘‘ = कविर) परमात्मा स्वयं पृथ्वी पर प्रकट होकर तत्त्वज्ञान प्रचार करता है। कविर्वाणी (कबीर वाणी) कहलाती है। सत्य आध्यात्मिक ज्ञान (तत्त्वज्ञान) को कबीर परमात्मा लोकोक्तियों, दोहों, शब्दों, चौपाइयों व कविताओं के रुप में पदों में बोलता है।
(4) ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 94 मन्त्र 1 भी सुनाया। जिसका भावार्थ है कि परमात्मा कवियों की तरह आचरण करता हुआ पृथ्वी पर एक स्थान से दूसरे स्थान जाता है। भैंसा फिर बोलता है कि भोले पंडितो जो मेरे पास इस पंक्ति में जो मेरे ऊपर हाथ रखे खड़ा है, यह वही परमात्मा कबीर है जिसे लोग ‘‘कवि’’ कहकर पुकारते हैं। इन्हीं की कृपा से मैं आज मनुष्यों की तरह वेद मन्त्र सुना रहा हूँ।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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shivshankartirthyatra · 1 year ago
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🌿 तुलसी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! 🌿
श्री शिव शंकर तीर्थ यात्रा की ओर से, हम सभी तुलसी दिवस के पावन अवसर पर एक-दूसरे को हार्दिक शुभकामनाएं भेजते हैं। आज, हम तुलसी माता के चरणों में भक्ति और प्रेम के साथ मिलकर इस धार्मिक ऊर्जा को महसूस कर रहे हैं।
🌺 तुलसी का महत्व: तुलसी हमें शांति, सुख, और आत्मा के मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन करती है। इस दिन, हम उनकी कृपा में समर्पित रहकर अपने जीवन को धार्मिकता से भर देते हैं।
🙏 तुलसी वंदना: "या कुन्देन्दुतुषारहारधवला। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।"
इस महत्वपूर्ण दिन को मनाकर हम आपसी समर्पण और एकता की भावना से जीवन को सजीव बना रहें।
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indrabalakhanna · 1 year ago
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Shraddha TV Satsang 21-10-2023 || Episode: 2417 || Sant Rampal Ji Mahara...
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*आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा*
हिन्दू धर्मगुरू कहते हैं कि श्री विष्णु जी सतगुण, श्री शिव जी तमगुण व अन्य देवी-देवताओं की पूजा कर��� जबकि श्रीमद्भगवत गीता शास्त्र में अध्याय 7 श्लोक 12,15 तथा 20,23 में कहा है कि इन गुणों से युक्त इन तीन देवताओं की पूजा करने वाले राक्षस स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूर्ख हैं। तीन गुण की भक्ति करने से किसी भी प्रकार की सुख सुविधा सफलता और सिद्धि नहीं हो सकती ! गीता वेदों का सारांश है गीता ज्ञान दाता ने तीन गुण की भक्ति को अनुत्तम कहा है उत्तम पुरुष तो अन्य ही है जिसकी जानकारी उत्तम पुरुष के सत्य तत्व भेद को रहस्य से जाने वाला कोई पूर्ण भेदी तत्वदर्शी संत ही जानता है , अर्जुन उसे खोज ले उसका पता मैं भी नहीं जानता वह उत्तम पुरुष मेरा भी पूज्य इष्ट है ! गीता ज्ञान दाता के वचनों से यह स्पष्ट होता है की कोई तत्वदर्शी संत धरती पर है या आएगा जो उस परमेश्वर पूर्ण ब्रह्म तत्व का सत्य तत्व से भेद कहेगा!
*वेदों में प्रमाण हैं_कबीर देव भगवान हैं*
हमारे सभी धर्मों के धर्म ग्रंथो वेदों पुराणों और शास्त्रों से एकमात्र संत रामपाल जी महाराज जी ने पूर्णतः प्रमाणित रूप में सत्य तत्व ज्ञान कहा है
परम सत्य को पूर्णतः उजाले में लाने के लिए संत रामपाल जी महाराज और उनके अनुयायियों का संघर्ष जारी है! संत रामपाल जी महाराज पूर्ण ब्रह्म कबीर अवतार पुरुष, भक्ति मुक्ति के दाता, नाम दीक्षा देने के अधिकारी,सच्चे और पूर्ण समाज सुधारक सत्य पुरुष हैं! भारत की भूमि को अपने चरण कमल से पवित्र किया है पूर्ण संत रामपाल जी महाराज रूप में कबीर परमेश्वर ने विश्व की सभी आत्माएं आने वाले समय में संत रामपाल जी महाराज की ऋणी रहेगी ऐसा परम शुभचिंतक पूर्ण प्रेमी पुरुष तारणहार और दूजा नहीं इस धरती पर ! सभी आत्माओं से विशेष और विनम्र प्रार्थना है🙏_ दासी की !
संत रामपाल जी महाराज को हल्के में ना लें ! उनके पवित्र सत्संगों को आप अपने यु ट्यूब / फेसबुक आदि पर आसानी से देख सकते हैं! सत्संगों को आदि से अंत तक विशेष श्रद्धा और प्रेम के साथ देखने का प्रयास करें ! मानव जीवन हीरा जन्म है,नर नारायण देह पाकर भी यदि हमारा काल का फंद नहीं कटा / यह जन्म मरण का रोग नहीं कटा / 84 लाख योनियों का फंद नहीं कटा!,तो न जाने कितने युगों तक हमें यहां कष्ट पर कष्ट उठाने होंगे !
👉🏽जागो ए संसार वालों!
तीन गुण की माया से बाहर निकालो!
🙏विनती है दासी की !
खेल खिलौने में ना लग रहे !
कॉल ने हमारे सामने सुख और दुख के रूप में अनेकों खिलौने डाल रखे हैं,ताकि हम उसके जाल में फंसे रहें!
👉🏽यदि आप इस धरती पर प्रेम पूर्वक रहना चाहते हैं और अपने निज सुख सागर घर सतलोक चलना चाहते हैं जहां कोई कष्ट नहीं है तो जरूर जागे !
👉🏽विवेकी आत्मा के लिए परमात्मा के द्वारा दिया इतना संदेश बहुत मूल्यवान है! अध्यात्म धन की कीमत जानने वाले इस इशारे को खूब समझते हैं!
🙏सत साहेब जी🙏जय बंदी छोड़ जी की 🙏
🥀Sant Rampal Ji Maharaj🥀
@sanweschannel
@satlokashram
@SaintRampalJiM.
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ayurvedainitiative-blog · 1 year ago
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From Rishikesh
Weekly Knowledge #1⃣9⃣4⃣
Rishikesh
04 Mar 1999
India
LOVE AND LUST
Doubt cannot come where there is a sense of closeness. Doubt needs a distance to appear. You never doubt something that is dear to you, close to you.
In love even an object gains life. Stones speak to you, trees speak to you, the sun, the moon and the whole creation becomes alive, Divine. In lust even a living being becomes a mere object. You want to use even people like objects. Here are some salient attributes of love and lust. They are so different yet so close! If you find more you may add to the list.
Lust bring tension Love brings relaxation
Lust focuses on the part Love focuses on the whole
Lust brings violence Love brings sacrifice
In lust you want to grab and possess In love you want to give and surrender
Lust says all I want you to have is what I want Love says I want you to have what you want
In lust there is effort Love is effortless
Lust causes feverishness and frustration Love causes longing and pain
Lust imprisons and destroys Love liberates and sets you free
Lust demands Love commands
Lust gets you mixed up and confused In love you are focused and spaced out!!
Lust is only dark and monotonous Love has many modes and colours
If someone's lust is interrupted they get angry and start hating. Hatred in the world today is not out of love, it is out of lust.
Love is playfulness and in lust there is cunningness and manipulation. Shiva, the embodiment of innocence and love was meditating. His meditation was disturbed by an arrow of flowers from the lord of lust. As soon as Shiva woke up he opened his third eye and the lord of lust, Manmatha (one who churns the mind) was reduced to ashes. Everybody celebrated by throwing colors on each other realising that life is full of colours.
We play many roles in our life. If all the roles get mixed up it becomes dark, like when you mix all the colours. The wise play each role distinctively side by side, like colors displayed side by side form a rainbow.
🌸Jai Guru Dev🌸
साप्ताहिक ज्ञानपत्र १९४
४ मार्च, १९९९
भारत
प्रेम और वासना
प्रेम में एक वस्तु भी जीवन्त हो उठती है। पत्थर तुम्हे कुछ कहते है, वृक्ष तुमसे बाते करते है, चाँद, सूरज और समस्त सृष्टि सजीव और दिव्य हो जाती है।
वासना में एक सजीव प्राणी भी केवल वस्तु बन जाता है। तुम लोगों को भी वस्तुओ की तरह इस्तेमाल करना चाहते हो।
प्रेम और वासना के कुछ विशिष्ट लक्षण-ये इतने विपरीत है फिर भी इतने समीप। तुम्हे कुछ और मिले, तो इस सूचि में जोड़ देना :
वासना तनाव लाती है, प्रेम विश्राम लाता है।
वासना अंग पर केंद्रित होती है, प्रेम पुरे पर।
वासना हिंसा ���ाती है, प्रेम बलिदान लाता है।
वासना में तुम झपटना चाहते हो, कब्ज़ा करना;
प्रेम में तुम देना चाहते हो, समर्पण करना।
वासना कहती है, "जो मैं चाहूँ, वही तुम्हे मिले",
प्रेम कहता है, "जो तुम चाहो, वह तुम्हे मिले"।
वासना ज्वर और कुंठा लाती है,
प्रेम उत्कण्ठा और मीठा दर्द पैदा करती है।
वासना जकड़ती है, विनाश करती है;
प्रेम मुक्त करता है, तुम्हे स्वतंत्र करता है।
वासना में प्रयत्न है, प्रेम प्रयत्नहीन है ।
वासना में मांग है, प्रेम में अधिकार है ।
वासना तुम्हे दुविधा देती है, उलझाती है;
प्रेम में तुम केंद्रित और विस्तृत होते हो।
वासना केवल नीरस और अंधकारमय है,
प्रेम के अनेक रूप और रंग है।
काम-वासना में बाधा होने पर व्यक्ति क्रोधित होते है और घृणा करने लगते है। आज संसार में फैली घृणा प्रेम के कारण नहीं, बल्कि वासना के कारण है।
प्रेम में विनोदिता है, सरलता है और वासना में कपट है, छल -व्यक्ति है।
शिव, भोलेपन और प्रेम के प्रतिक, एक बार ध्यान में बैठे थे जब कामदेव ने फूलो के बाण से उनके ध्यान में खलल डाला। ध्यान से उठने पर शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोला और कामदेव, मनमथ को भस्म कर दिया।
इस बात को समझकर कि जीवन कितना संगीन है, लोग एक दूसरे पर रंग डालकर उत्सव मनाते है ।
जीवन में हम कई भूमिकाएँ निभाते है। यदि सभी भूमिकाएँ आपस में मिल जाए, तो जीवन अंधकारमय हो जाता है। जैसे सभी रंगो के मिल जाने पर होता है। ज्ञानी प्रत्येक भूमिका को स्पष्टता से अलग-अलग निभाते है , जैसे की इंद्रधनुष में सभी रंग पास-पास में प्रदर्शित होकर इंद्रधनुष बनाते है।
🌸जय गुरुदेव🌸
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vipinjha · 1 year ago
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प्रेम विवाह में तलाक की दर ज्याद क्यों ?
प्रेम अनंत काल से पवित्र माना जाता है, और प्रेम विवाह सुखी जीवन का मूलमंत्र, ऐसा नहीं है सुसंगत विवाह में प्रेम नहीं होता है, सुसंगत विवाह में मनुष्य के मन में एक इक्षा सदैव रहता है जो कि उसके मन में अनंत काल तक खटकती है, किंतु प्रेम विवाह में मनुष्य को अपने अनुसार पति/पत्नी  चुनने का मौका रहता है, जिसके साथ वो खुशी के संग अपने पूरे जीवन को व्यतीत कर सके!!
किंतु आज के दौर में जैसे-जैसे प्रेम विवाह का दर बढ़ रहा है उसी तेजी से तलाक का दर भी बढ़ रहा है, वैसे भारत में केरल शिक्षा दर में प्रथम स्थान पर है किंतु तलाक लेने के मामले में भी केरल ने ही  सर्वप्रथम स्थान पर कब्जा कर रखा है, जिसका मूल कारण भी शिक्षा है, जब बच्चे उच्चस्तरीय शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं तो गार्जियन को लगता है अब बच्चे समझदार हो चुके हैं, क्योंकि उनके पास जीवनयापन के लिए एक परमानेंट नौकरी है, और उनके चुने हुये साथी के साथ विवाह करवा देते हैं, यूपी-बिहार में अभी भी प्रेम विवाह में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है प्रेमियों को, किंतु अब बच्चें कही भाग ना जाये या आत्महत्या ना कर ले उस विवशता में बच्चों के फैसले को स्वीकार कर लेते हैं गार्जियन, उनको लगता हैं बच्चे खुश रहेंगे तो हम खुश रहेंगे, पर गार्जियन को इस बात का तनिक भनक नहीं होता इस विवाह से पहले उनके बच्चों ने काफी शर्त पहले ही मनवा लिया है एक-दूसरे से!!
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विवाह दो आत्माओं का मेल है ऐसा कहा जाता है किंतु ना तो ये त्रेता युग है ना ही कोई यहाँ पर शिव, फिर भी प्रेम अभी भी अपने मर्यादा और संस्कार के वजह से जीवित है, नहीं तो  87% प्रेम तो वासनाओं से घिरा है और जिसका आंखों देखा हाल आपको आपके आस-पास ही देखने को मिलेगा, और ना जाने इस चक्कर में लाखों लड़कियों और हजारों लड़कों ने अपने जीवन को मृत्यु में तब्दील कर लिया है इसका एक अहम विषय स्वत्रंत रहना भी है!!
अब आते हैं मुद्दे पर प्रेम में पड़े लड़के और लड़कियाँ इतना केयर एक दूसरे को करते हैं मानो प्रेम का मतलब सिर्फ ख़ुशियाँ ही हो,  लड़के हर बात पर हाँ भरने लगते हैं मतलब लड़की को पाने के लिए और अगर उसके संग भविष्य देख रहे हैं तो, नहीं बुझे मने विवाह करने लिए लड़की को इतना भाव देते हैं जिससे लड़की को भी लगता है सच में जीवन इसके संग बिताने के अलावा और कोई दूसरा लड़का हो ही नहीं सकता, उधर लड़की सब लड़को को इतना केयर, बातों में सहमति, घर-परिवार के संग रिश्ता, मतलब लगता है जैसे फ़िल्म सीरियल में होता है कुछ भी हो जाये पर परिवार के संग रहूंगी और कुछ इमोशनल लड़के उनके इन सब केयर को देख जुट जाते हैं परिवार को मनाने में, आ�� दोनों तरफ लग जाती है शादी की, फिर सैकडों योजन का कष्ट दोनों उठा कर मना ही लेते हैं अपने परिवार को, जहां नहीं मानते हैं परिवार वाले वहाँ हम जैसे लफंडर दोस्त है ना पेपर पर सिग्नेचर करने के लिए!!
विवाह तो जैसे-तैसे हो जाता है किंतु प्रेम का जूस तब निकलता है जब घर के छोटे-छोटे झगड़े, आपसी मन-मुटाव और सोशल मीडिया पर समय व्यतीत, मतलब जो काम पहले बढ़िया लग रहा था अब उसी काम के कारण दोनों के रिश्तों में दरार भी शुरू होने लगता है, किंतु इसका खामियाजा यहाँ भी परिवार ही भरता है, अगर लड़की/लड़का समझदार है तो वो समाज के बीच एक उदाहरण हो जाते हैं किंतु जहाँ लड़का अपना सब कुछ लड़की के प्रति समर्पित कर दे पर लड़की को सिर्फ अपने बच्चें और पति संग रहने का फैसला हो, या अपने मायके वालों को ज्यादा तबज्जो देना, ससुराल वालों के प्रति सिर्फ दिखावा, उसी का उल्टा लड़का करने लगे तब वहाँ से शुरू होती है दरारें और फिर लड़की के बार-बार कहने पर अगर लड़का उसके हिसाब से ना चले तो तानों से शुरू लड़ाई, गली-गलौज फिर थाना-पुलिस होते कोर्ट वाली आर्केस्ट्रा तक पहुँच जाती है, क्योंकि गलती लड़के का है, उसने पहले इतने सपने दिखा दिये जो लड़की को लगा अब उसके साथ गलत हो रहा है, और अपने दोस्त या परिवार के सहारे वो उसी व्यक्ति से दूर होना चाहती है जिसके संग उसने बुन रखे थे मृत्युकाल तक के सपने!!
गलतियाँ कभी एक तरफा नहीं होता है, यहाँ लड़कियाँ भी गलत होती है, शुरू में अपने व्यवहार और प्रेम से लड़को का दिल जीतती है, हर काम के लिए संग खड़ी रहती है, चाहे वो एकता हो या जोड़ना, मतलब ऐसा रूप दिखाती है मानों कोई देवी हो, अगर वो बाहर वालों के लिए इतना कर रही है तो घरवालों के संग कितना प्रेम करेंगी, और लड़कियाँ भी वो हर काम करती है जिससे लगता है समाज में हम एक उदाहरण बनेंगे किंतु कुछ समय उपरांत उसका उल्टा होता है जो एक-दूसरे के मनमुटाव का अहम कारण बनता है, वैसे प्रेम में पैसों का भी एक अहम किरदार है पर जो समझदार जोड़े होते हैं वो उसमें भी निर्वहन करते हैं वो कभी भी पैसों के वजह से तलाक को अहम कारण नहीं बनने देते हैं, इन्ही छोटी-छोटी बातों को दोनों विवाह उपरांत संभाल नहीं पाते हैं जो दो परिवारों को दुश्मन भी बनाती है और प्रेम के प्रति लोंगो को घृणित करती है, अगर हम थोड़ा समझदार हो जाये और परिस्थितियों को खुद समझे देखे कहाँ-कहाँ हम गलत जा रहे हैं, पहले हमने ऐसा क्या किया जो अब चूक हो रही है तो प्रेम विवाह में तलाक दर की संख्या को हम घटाने में काफी कामयाब रहेंगे और प्रेम का जो ओहदा है समाज में उसमें चार चांद भी लगायेंगे!!
ज्यादा लिखना मतलब बकलोली करने जैसा लगेगा, हमें हर रिश्ते में कुछ ना कुछ कमी मिलेगा इसलिए रिश्तों से भागने की वजह हमें उसी रिश्ते को अगर ठीक करने से खुशी मिले तो जरूर कोशिश करे,अरे सिंपल सी बात है भाई अगर बाहर लड़ाई-झगड़ा, मारा-पीट हो जाता है तो उनसे फिर से हम जुड़ जाते हैं, फिर अपने परिवार के लोंगो के संग चंद शब्द से आखिर दूरी क्यों? मिलबैठकर और बातें समझकर ही हम किसी भी रिश्ते को एक मजबूती से स्थापित कर सकते हैं , नहीं तो रिश्तों का शतरंज युगों से चला आ रहा है चाहे वो पांडव-कौरवों का हो या राम-कैकेय माते का, क्योंकि हर रिश्ते में कुछ ना कुछ खोना पड़ता है, पर अगर हम उसको जोड़कर रखने में सक्षम है तो फिर उसके बाद कि खुशी आपको शायद एक ऐसा एहसास जरूर करवा देगी जो  जोड़ना ही प्रेम का पहला और आखिरी पड़ाव है!!
" अकेले रहने में कोई गुनाह नहीं है
किंतु हम कभी अकेले रह नहीं पाते हैं
रोटी भी अकेले नहीं फूलती है
उसको भी आग-चूल्हे और हथेली की जरूरत है"
   Vipin Jha
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parasparivaarorg · 4 months ago
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आस्था का प्रतीक- अंजनी महादेव हिमाचल प्रदेश
पारस परिवार के संस्थापक, आदरणीय “महंत श्री पारस भाई जी” एक सच्चे मार्गदर्शक, एक महान ज्योतिषी, एक आध्यात्मिक लीडर, एक असाधारण प्रेरक वक्ता और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो देश और समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित करते हैं। उनका एक ही लक्ष्य है लोगों के सुखी और समृद्ध जीवन की कामना करना। लोगों को अँधेरे से निकालकर उनके जीवन में रोशनी फैलाना।
“पारस परिवार” हर किसी के जीवन को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। पारस परिवार से जो भी जुड़ जाता है वो इस परिवार का एक अहम हिस्सा बन जाता है और यह संगठन और भी मजबूत बन जाता है। जिस तरह एक परिवार में एक दूसरे की जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। ठीक उसी तरह पारस परिवार भी एक परिवार की तरह एक दूसरे का सम्मान करता है और जरूरतमंद लोगों के जीवन में बदलाव लाने के साथ यह परिवार एकजुट की भावना रखता है ।
‘महंत श्री पारस भाई जी’ एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहाँ कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे, जहाँ जाति-धर्म के नाम पर झगड़े न हों और जहाँ आपस में लोग मिलजुलकर रहें। साथ ही लोगों में द्वेष न रहे और प्रेम की भावना का विकास हो। पारस परिवार निस्वार्थ रूप से जन कल्याण की विचारधारा से प्रभावित है।
इसी विचारधारा को लेकर वह भक्तों के आंतरिक और बाहरी विकास के लिए कई आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करते हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र (Spiritual Sector) की बात करें तो महंत श्री पारस भाई जी “दुख निवारण महाचण्डी पाठ”, “प्रार्थना सभा” और “पवित्र जल वितरण” जैसे दिव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
जिससे वे भक्तों के दुखों का निवारण, उनकी आंतरिक शांति और उनकी सुख-समृद्धि के लिए समर्पित हैं। इसी तरह सामाजिक क्षेत्र की बात करें तो पारस परिवार सामाजिक जागरूकता और समाज कल्याण के लिए भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए लंगर, धर्मरथ और गौ सेवा जैसे महान कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा हरियाणा और मध्य प्रदेश में “डेरा नसीब दा” जैसे महान कार्य का निर्माण भी है, जहाँ जाकर सोया हुआ नसीब भी जाग जाता है।
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यदि खूबसूरत जगहों की बात की जाये और हिमाचल प्रदेश,मनाली का जिक्र ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। अंजनी महादेव भी एक बहुत ही सुंदर जगह है, यह आस्था का केंद्र तो है ही साथ ही अपने खूबसूरत नजारों के लिए भी प्रसिद्ध है। वैसे भी मनाली पर्यटकों का एक पसंदीदा पर्यटन स्थल है। लेकिन इसके बावजूद भी आज वहां कई ऐसी जगहें हैं जो बेहद सुंदर हैं और अलौकिक शक्तियों से भरी हुई हैं किंतु अभी तक कई पर्यटकों को इन जगहों के बारे में जानकारी नहीं है। आज इस ब्लॉग में हम आपको एक ऐसी ही अद्भुत और हैरान कर देने वाली जगह के बारे में बताएंगे, तो वो पवित्र जगह है अंजनी महादेव। इस जगह पर एक पवित्र झरना शिवलिंग का जलाभिषेक करता है। यह देखना अपने आपमें एक बहुत ही अनोखा अनुभव है। इस पवित्र नज़ारे को देखने के बाद आपको एहसास होगा कि वास्तव में ईश्वर की शक्ति क्या है ?
क्यों है यह लोगों की आस्था का प्रतीक ?
अंजनी महादेव मंदिर एक प्राकृतिक शिवलिंग है। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि यदि आप घूमने के शौकीन हैं और ��गवान में आस्था रखते हैं तो अंजनी महादेव मंदिर में जाकर आपको एक अलग ही सुकून मिलेगा। इस जगह में प्रवेश करते ही आपको ऐसी शांति का अनुभव होगा, जो इससे पहले आपने शायद ही कभी अनुभव किया हो। कुछ समय के लिए तो आप सब कुछ भूल बैठोगे और इस जगह की अलौकिक छटा में खो जाओगे। आपको महसूस होगा जैसे वो दिव्य साक्षात् शक्ति आपके सामने खड़ी है। यहाँ पूरा बर्फ से ढका अद्भुत दृश्य आपका मन मोह लेगा।
क्या है अंजनी महादेव के पीछे की आस्था की कहानी ?
महंत श्री पारस भाई जी ने अंजनी महादेव के बारे में जानकारी देते हुए बताया, ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में माता अंजनी ने पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या की थी और तब भगवान शिव ने अंजनी माता को दर्शन दिए थे। साथ ही माता अंजनी को इच्छापूर्ति का आशीष भी दिया था। इसके बाद से ही यहां पर प्राकृतिक रूप से बर्फ का विशाल शिवलिंग बनता है, जो कि लोगों की आस्था का प्रतीक बन जाता है। इसे अंजनी माता की तपोस्थली भी कहा जाता है। श्री पारस भाई जी ने आगे बताया कि यदि आप यहाँ जाकर इस प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करते हैं तो आपकी हर इच्छा पूरी होती है और जीवन में ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
कहाँ स्थित है अंजनी महादेव मंदिर ?
यदि आप मनाली घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो उससे 25 किलोमीटर की दूरी पर अंजनी महादेव का मंदिर स्थित है। अंजनी महादेव में साढ़े 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बना प्राकृतिक शिवलिंग है। यदि आप भोले के भक्त हैं तो एक बार जरूर घूमने जाइये इस खूबसूरत जगह पर और अंजनी महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करें। यहां जाकर आपको शांति का एहसास तो होगा साथ ही यह आपके जीवन का एक शानदार अनुभव होगा। इतनी उंचाई पर बने इस प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन भला कौन नहीं करना चाहेगा।
अंजनी महादेव, दर्शनीय स्थल के साथ-साथ पूजनीय स्थल भी
इस पवित्र स्थान पर बर्फ का विशाल शिवलिंग बन जाता है। यह स्थान पर्यटकों के लिए अत्यंत खूबसूरत दर्शनीय स्थल तो है ही साथ ही भक्तों के लिए एक पूजनीय स्थान भी। यहाँ की जो अनुपम छटा है वह देखने लायक होती है। अंजनी महादेव के दर्शन करने के लिए आप कुछ सीढ़ियां चढ़कर जब ऊपर पहुँचते हैं तो यह हैरान करने वाला दृश्य देखकर अचंभित हुए बिना नहीं रह पाते हैं। यहाँ एक बहुत ही सुंदर और ऊँचे झरने के नीचे पवित्र शिवलिंग है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि इस झरने का पानी शिवलिंग पर जब गिरता है तो यह अद्भुत दृश्य आँखों में बस जाता है। यह देखकर ऐसा लगता है जैसे प्रकृति खुद ही महादेव पर जल अर्पण कर रही हो। सच में इस अनुभव को आप कभी भुला नहीं पाओगे।
लगभग 35 फ़ीट फीट से भी ऊंचा होता है शिवलिंग
अंजनी महादेव मंदिर में शिवलिंग का आकार 30 फीट से ज्यादा ऊंचा होता है। यहाँ पर अंजनी महादेव से गिरता झरना बर्फ बनकर शिवलिंग का रूप धारण करता है। जैसे जैसे तापमान कम होता है वैसे-वैसे इसके आकार में लगातार बढ़ोतरी होती रहती है। भक्त भी इस झरने के जल से महादेव पर जलाभिषेक करते हैं। महादेव पर जलाभिषेक करने से महादेव भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
यहाँ पर श्रद्धालु बर्फ पर नंगे पैर चलते हैं
शायद आप सोच भी नहीं सकते हैं कि आप बर्फ पर नंगे पैर चल सकते हैं। लेकिन आपको जरूर आश्चर्य होगा कि अंजनी महादेव के दर्शन के लिए भक्त बर्फ में नंगे पैर चलकर जाते हैं और इस तरह बर्फ में नंगे पैर जाने से आपको किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है। ये अंजनी महादेव की ही शक्तियों का असर होता है। किसी प्राकृतिक झरने द्वारा शिवलिंग के जलाभिषेक के इस खूबसूरत नज़ारे से आप अपनी नजरों को हटा नहीं पाओगे।
अंजनी महादेव को हिमाचल का अमरनाथ कहा जाता है
अंजनी महादेव पर सर्दियों में नवंबर से बर्फ़बारी की शुरुआत होती है और यहाँ का दृश्य बहुत ही सुंदर हो जाता है। चारों ओर बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है और यह नजारा आँखों में बस जाता है। यहाँ की ज्यादा ठंड से इस पवित्र झरने का जल शिवलिंग के ऊपर गिरकर जमने लग जाता है और फिर यह बर्फ विशाल शिवलिंग का रूप ले लेता है। फिर धीरे-धीरे फरवरी के अंत तक पवित्र शिवलिंग का आकार बढ़ता जाता है और इस शिवलिंग की ऊंचाई 35 फ़ीट से भी बढ़ जाती है। अंजनी महादेव के इसी प्राकृतिक शिवलिंग के कारण इसे हिमाचल का अमरनाथ कहा जाता है और यही वजह है कि सर्दियों में लोग इस पवित्र शिवलिंग के दर्शन के लिए जाते हैं।
यहाँ जाने के लिये सबसे अच्छा समय कौन सा है ?
यहाँ की प्राकृतिक ख़ूबसूरती इतनी अधिक है कि आप यहाँ कभी भी जा सकते हैं। यहाँ के प्राकृतिक नज़रों की खूबसूरती अलग ही दिखती है। यदि आप गर्मियों में यहाँ जाते हैं तो रास्ते में आपको चारों ओर हरियाली नजर आयेगी और साथ में सुन्दर कल कल बहती अंजनी नदी आपको दिखाई देगी। वहीं यदि आप सर्दियों में यहाँ जाते हैं तो उस समय आपको यह पूरी जगह बर्फ से ढकी नजर आयेगी। क्योंकि इस समय आपको यहाँ पर अलौकिक और अद्भुत प्राकृतिक बर्फ से बना शिवलिंग देखने को मिलेगा। सर्दियों में जाते वक्त बस यह ध्यान रखें कि उस वक्त यहाँ का तापमान बहुत कम होता है इसलिए सावधानी से जायें।
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