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#पोषक तत्वों का अवशोषण
khutkhuta · 1 year
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पोषक तत्वों के साथ साथ एंटी पोषक तत्वों को जानना भी जरुरी है
जी हाँ, प्रोटीन कार्बोहाईड्रेट विटामिन आदि पोषक तत्वों के बारे में तो आजकल बच्चे भी अच्छी तरह जानते हैं। लेकिन पोषक तत्वों के साथ-साथ एंटी पोषक तत्वों की जानकारी होना भी जरुरी है। क्या होते हैं एंटी-पोषक तत्व ? एंटी पोषक तत्व ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर में जरुरी पोषक तत्वों के अवशोषण रोक देते हैं या कम कर देते हैं। ये एंटी पोषक तत्व प्राकर्तिक रूप से बहुत से फूड्स में पाए जाते हैं, और ये इन…
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samrathaltv · 5 months
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Amrud Khane Ke Fayde: अमरूद खाने के चमत्कारी फायदे,जानिए अमरूद खाने का सही तरीका dharataltimes
Amrud Khane Ke Fayde: अमरूद न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है बल्कि कई पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए आदर्श हो सकता है।आइए जानते हैं अमरूद खाने के फायदे। मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने मे मददगार मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक विटामिन अमरूद में होते हैं।इनमें विटामिन बी3 और विटामिन बी6 मोजूद होते हैं जो मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण में सुधार करते हैं और नसों को आराम देने का काम करते हैं। कब्ज की समस्या दूर करने मे मददगार कब्ज की समस्या में अमरूद काफी मददगार हो सकता है।क्योंकि इसमें फाइबर होता है जो मल त्याग को सरल बनाता है। मधुमेह रोगियों के लिए मददगार मधुमेह रोगियों के लिए अमरूद एक बेहतरीन फल हो सकता है।क्योंकि इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है।ये दोनों गुण रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हार्मोन के उत्पादन और अवशोषण मे मददगार अमरूद में तांबा होता है जो हार्मोन के उत्पादन और अवशोषण के लिए आवश्यक है।यह थायरॉयड ग्रंथि को बेहतर काम करने में मददगार होता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने मे मददगार अमरूद विटामिन ए से भरपूर होता है।ये आपकी आंखों के लिए मददगार हो सकते हैं।इनमें विटामिन सी भरपूर होता है,जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है। त्वचा को झुर्रियों से बचाते हैं अमरूद में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं,जो त्वचा को झुर्रियों से बचाते हैं।इससे आप जवान दिखते हैं।अमरूद खाने से उम्र बढ़ने में देरी होती है। कोशिकाओं को नुकसान पहुचाने से बचाते है अमरूद में लाइकोपीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट मोजूद हैं जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।एंटीऑक्सिडेंट मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।इससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
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khetikisaniwala · 1 year
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परिचय
आज हम जानेगे की Masoor Ki Kheti Kaise Karen?(मसूर की खेती कैसे करें) IN ENGLISH -LENTIL के बारे में , मसूर एक महत्वपूर्ण दालीय फसल है जिसे भारत भर में खेती किया जाता है।
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यह फसल अपार मात्रा में प्रोटीन, आयरन, विटामिन, और मिनरल्स प्रदान करती है। इसकी खेती वैज्ञानिक तरीकों से की जा सकती है जो उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करते हैं। इस लेख में हम मसूर की खेती के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और इसे कैसे करें इस पर जानकारी प्रदान करेंगे।
मसूर की खेती का महत्व
मसूर की खेती का महत्व आर्थिक और पोषणीय दृष्टि से बहुत अधिक है। यह एक सस्ती और आसानी से उपलब्ध फसल है और किसानों को अधिक लाभ प्रदान कर सकती है। मसूर एक प्रमुख खाद्यान्न है और उसमें प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम,और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका नियमित सेवन स्वस्थ आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मसूर की खेती करके किसान अधिक मात्रा में फसल उत्पादित करके अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
मसूर की खेती के लिए उचित मिट्टी चयन
मसूर की खेती के लिए उचित माटी का चयन महत्वपूर्ण है। मसूर एक पर्याप्त मात्रा में पानी और अच्छी ड्रेनेज के साथ उगाई जा सकती है। इसके लिए लोमड़ीदार मिट्टी जैसी माटी अच्छी मानी जाती है, जिसमें पानी अच्छी तरह से संचयित हो सकता है। यह माटी मसूर की जड़ों को मात्राएं और पोषक तत्वों को सही मात्रा में प्रदान करती है।
बीज चुनाव
अगला महत्वपूर्ण कदम है उचित बीज का चयन करना। मसूर के लिए उचित गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करना जरूरी है। यह सुनिश्चित करेगा कि आपके पास उच्च उत्पादकता और मजबूत पौधे होंगे। आपको प्रमाणित विक्रेता से अच्छी गुणवत्ता वाले बीज प्राप्त करने की सलाह दी जाती है। बीजों को उचित समय पर बीजबंदी करनी चाहिए और बागवानी या खेती के विशेषज्ञों की सलाह पर भी ध्यान देना चाहिए।
खेती की तैयारी
मसूर की खेती की शुरुआती तैयारी महत्वपूर्ण है। इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से सफाई करें और खरपतवार और बारिश के पानी को अच्छी तरह से निकालें। खेत को अच्छी तरह से खुरचाकर धोएं और खेत के चारों ओर विभाजन निर्माण करें। इसके बाद, खेत में उर्वरक की आवश्यकता हो सकती है, इसलिए आपको विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। इसके बाद, खेत को खेती के लिए तैयार करने के लिए पुरानी मिट्टी को मिश्रण में मिलाएं और उर्वरक का उपयोग करें।
मसूर की खेती की विधि | Masoor Ki Kheti Kaise Karen?
6.1 खेत में फसल की तैयारी
खेत में फसल की तैयारी के दौरान, आपको खेत की तैयारी करनी होगी और सुरंग या खाड़ी के लिए जगह छोड़नी होगी। यह ध्यान रखें कि ज्यादा भूमि का अधिक उपयोगउत्पादकता को बढ़ा सकता है। इसके बाद, खेत में फसल के लिए उचित स्थानों पर बीज चिढ़काव करें।
6.2 बीज की बोनी
बीज की बोनी करने के लिए, खेत में गहराई करके बीज बोने। बीज के बोने की गहराई और दूरी को विशेषज्ञ की सलाह के आधार पर निर्धारित करें। बीजों को उचित अंतराल पर बोने और उन्हें धीरे-धीरे धकेलें ताकि उनकी उगाई अच्छी तरह से हो सके।
6.3 सिंचाई व्यवस्था
मसूर की खेती में सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान होता है। खेत में सिंचाई के लिए उचित व्यवस्था करें ताकि पौधे अच्छी तरह से पानी प्राप्त कर सकें। सिंचाई के लिए प्रचालित व्यवस्था का उपयोग करें और समय-समय पर सिंचाई करें। ध्यान दें कि मसूर पौधों को अधिक जल से बचाएं, क्योंकि यह उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।
6.4 खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण मसूर की खेती में महत्वपूर्ण है। खेत में अनुभवी किसानों द्वारा सलाह ली जानी चाहिए और उचित खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोग किए जाने वाले उपायों को जानना चाहिए। खरपतवार नियंत्रण में कीटनाशकों और कीट-मरकरों का उपयोग करना शामिल हो सकता है, लेकिन इसके लिए आपको प���ले उपायों के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए और निर्माण के दौरान उचित सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।
6.5 कटाई और अवशोषण
मसूर की फसल की कटाई और अवशोषण का समय निर्धारित करें। इसे उचित वक्त पर करना महत्वपूर्ण है ताकि फसल की उच्चतम मान्यता हो सके और उत्पादकता को कम से कम नुकसान हो। कटाई के बाद, फसल को अवशोषित करें और ध्यान दें कि इसे स्टोर करने के लिए सुरक्षित स्थान चुनें।
मसूर की फसल की देखभाल
मसूर की फसल की देखभाल में आपको उचित पोषक तत्वों की व्यवस्था करनी चाहिए। पौधों को नियमित खाद दें और उचित उर्वरक का उपयोग करें। फसल की सुरक्षा के लिए, आपको उपयुक्त खरपतवार नियंत्रण के बारे में जागरूक रहना चाहइए। अगर किसी रोग या कीटनाशक का संक्रमण हो जाता है, तो तुरंत उपाय अपनाना चाहिए। साथ ही, फसल की सुरक्षा के लिए योग्य पैमाने पर स्ट्रो लागानी चाहिए।
समस्याएं और उनका समाधान
पौधों पर रोग: अगर मसूर की पौधों पर कोई रोग दिखाई दे, तो संक्रमण के फैलने से बचने के लिए उचित फंगीसाइड का उपयोग करें।
कीटनाशकों का संक्रमण: अगर कीटनाशकों का संक्रमण हो, तो प्रमुखतः कीटनाशकों के खिलाफ उपयोग होने वाले उपायों को अपनाएं।
सिंचाई की समस्या: यदि सिंचाई की व्यवस्था में समस्या हो, तो योग्य सिंचाई व्यवस्था की स्थापना करें और पानी की बचत के लिए टिंकल ��िकालें।
खरपतवार का प्रबंधन: अगर खेत में खरपतवार की समस्या हो, तो उचित खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयुक्त कीटनाशकों का उपयोग करें।
पोषण की कमी: यदि पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो, तो उचित खाद और उर्वरक का उपयोग करें और पौधों को पोषित रखें।
फसल की प्रबंधन
फसल की प्रबंधन में, आपको उचित समय पर खेती से जुड़ी कार्यों को करने की जरूरत होगी। नियमित खाद और उर्वरक का उपयोग करें, खरपतवार नियंत्रण करें, व्यापारिक उद्योग के साथ मिलकर काम करें, नवीनतम तकनीकों का उपयोग करें और उच्चतम उत्पादकता दर्शाने के लिए नई वैज्ञानिक तकनीकों की अधिकता करें।
उत्पादन की बढ़ोत्तरी
मसूर की खेती में उत्पादन की बढ़ोत्तरी करने के लिए, आपको नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। उच्च उत्पादकता वाले बीजों का चयन करें, खेती की तकनीकों को सुधारें, और उत्पादन प्रक्रिया में सुधार करें। साथ ही, खेती के लिए विशेषज्ञ सलाह का भी लाभ लें और उत्पादों के संगठन और विपणन में भी व्यापारिक उद्योगों की सहायता लें।
नए और वैज्ञानिक तकनीक
आधुनिक कृषि क्षेत्र में नए और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करना आवश्यक है। मसूर की खेती में भी नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है। कृषि यंत्रों का उपयोग करें, सिंचाई के लिए ऑटोमेशन तकनीक का उपयोग करें, और खेती के लिए साइंटिफिक तरीकों का अधिक उपयोग करें। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके आप अधिक मात्रा में उत्पादन कर सकते हैं और खेती क्षेत्र में आधारभूत सुधार कर सकते हैं।
फायदे और अनुशासन
मसूर की खेती करने के फायदों में उच्चतम उत्पादकता, स्वास्थ्यपूर्ण खाद्य विकल्प, आर्थिक स्थिरता, और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करना शामिल है। इसके साथ ही, खेती में अनुशासन बनाए रखना और उच्चतम मानकों का पालन करना चाहिए। कृषि के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेना, समय पर काम करना, और नवीनतम तकनीकों का उपयोग करना यह सुनिश्चित करेंगे कि आप अधिक मात्रा में उत्पादन कर सकते हैं और आर्थिक रूप से स्थिर रह सकते हैं।
सुरक्षा का ध्यान रखें
मसूर की खेती करते समय सुरक्षा का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। खेती कार्यों के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन करें और उचित सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें। केमिकल और कीटनाशकों के उपयोग के दौरान उचित सुरक्षा के बारे में सोचें और उपायों को सुरक्षित ढंग से रखें। सुरक्षा के लिए उपयोग होने वाले सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें और खेती कार्यों में सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
मसूर में कितने दिन में पानी देना चाहिए
मसूर की खेती में पानी देने का आवश्यकता किसी मात्रा में उगाई गई फसल, मौसम और मृदा की नमी पर निर्भर करेगी। आमतौर पर, नयी उगाई गई मसूर की पौधों को प्रारंभिक 7-10 दिनों में नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके बाद, प्रतिसप्ताह या 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जा सकती है।
हालांकि, खेत की मृदा की नमी को नियंत्रित रखने के लिए सदैव खेती विशेषज्ञों की सलाह लेना सर्वोत्तम होगा। वे आपके क्षेत्र की भौगोलिक, जलवायु और मृदा की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए सही सिंचाई व्यवस्था सुझा सकते हैं।
इसलिए, मसूर की खेती में पानी देने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप आपके क्षेत्र में उचित खेती विशेषज्ञों से सलाह लें और उनके द्वारा सुझाए गए सिंचाई अंतराल का पालन करें।
मसूर के रोग
मसूर की खेती में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं, जो पौधों के स्वस्थ विकास को प्रभावित कर सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख मसूर के रोगों के बारे में जानकारी है:
पातली पट्टी रोग: इस रोग में पौधों की पत्तियों पर पीले या सफेद दाग दिखाई देते हैं। इसके कारण पौधे की विकास रुक जाता है। इस रोग का प्रबंधन करने के लिए अनुकरणीय रोगनाशक का उपयोग करें और संक्रमित पौधे को तुरंत नष्ट करें।
फूला दर रोग: इस रोग में पौधे के फूल में सफेद रंग की दाग दिखाई देते हैं। यह रोग फूल के खराब हो जाने के कारण होता है। इसका प्रबंधन करने के लिए अच्छी क्षमता वाले बीजों का चयन करें और फूल के खराब होने वाले पौधों को हटा दें।
दाग रोग: इस रोग में पौधों की पत्तियों पर सफेद दाग दिखाई देते हैं और इसके कारण पत्तियाँ सूखने लगती हैं। रोग के प्रसार को रोकने के लिए रोगनाशक का उपयोग करें और संक्रमित पौधे को नष्ट करें।
पानीय पत्तियों का रोग: इस रोग में पौधों की पत्तियों पर नीले या सफेद दाग दिखाई देते हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के लिए रोगनाशक का उपयोग करें और संक्रमित पौधे को हटा दें।
मसूर की खेती का सही समय
गर्मी के मौसम में: मसूर की खेती के लिए सबसे अच्छा समय ठंडी गर्मी के मौसम के बीच होता है। यह अन्य फसलों के साथ तुलना में ठंडी की अधिकता टिकाऊ होती है और उच्चतम उत्पादकता दर्शाती है। आपको वैज्ञानिक तरीके से समय निर्धारित करने के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहिए।
मसूर की बीज दर
मसूर की बीज दर विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि क्षेत्र, बीज का प्रकार, गुणवत्ता और विपणन की वर्तमान स्थिति। हालांकि, आमतौर पर मसूर की बीज दर प्रति किलोग्राम रूपये में उपलब्ध होती है।
बीज दर निर्धारित करने के लिए, आपको अपने क्षेत्र में बीज वितरकों या कृषि उपज बाजार से नवीनतम मूल्य जानना चाहिए। इसके अलावा, बीज की गुणवत्ता और प्रमाण पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।
मसूर की पैदावार कितनी होती है
मसूर की पैदावार कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि भूमि की गुणवत्ता, बीज का चयन, खेती तकनीक, संक्रमण नियंत्रण, और जलवायु स्थिति। हालांकि, आमतौर पर मसूर की खेती से प्रति एकड़ दरबार में 8-12 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है।
पैदावार को बढ़ाने के लिए, उच्च उत्पादकता वाले बीज का चयन करें, अच्छे खेती तकनीक का उपयोग करें, और पौष्टिक खाद और उर्वरक का उपयोग करें। नियमित सिंचाई का ध्यान रखें, संक्रमण और कीटनाशकों को नियंत्रित करें, और समय पर खेती कार्य करें।
मसूर की पैदावार विभिन्न क्षेत्रों और खेती प्रथाओं पर भी निर्भर करेगी, इसलिए आपको स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए जो आपके क्षेत्र में उच्चतम पैदावार के लिए उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं।
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dhanukaagritech · 1 year
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धानुका का माईकोर, एक ऐसा उत्पाद जो पोषक तत्वों की अवशोषण क्षमता को बढ़ाए एवं जड़ों को और मजबूत बनाए। माईकोर - जब जड़ों में हो जान, बढ़ेगी उपज बढ़ेगा मान।
Dhanuka माईकोर - जब जड़ों में हो जान, बढ़ेगी उपज बढ़ेगा मान
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tiwariproduction · 1 year
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Neem: नीम की पत्तियों से मिलते हैं यह 15 हेल्थ बेनिफिट
नीम: नीम के पत्तियों फल और छाल का उपयोग अक्सर आयुर्वेद में दवाइयों के रूप में किया जाता है इस लेख में हम नीम के 15 फायदों के बारे में चर्चा करेंगे।
नीम के फायदे (benefits of neem leaves)
neem भारत का एक मूल पेड़ है और इसे अक्सर "आश्चर्यजनक पेड़" कहा जाता है। इसके कई स्वास्थ्य लाभों के कारण इसका उपयोग हजारों वर्षों से पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में किया जाता रहा है। नीम के पत्ते, छाल, फूल, बीज और फल सभी औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किए गए हैं। 1 त्वचा की स्थिति का इलाज करता है नीम में एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो इसे एक्जिमा, मुहांसे, सोरायसिस और चकत्ते जैसी त्वचा की स्थिति के लिए एक उत्कृष्ट उपाय बनाते हैं। यह त्वचा को शांत करने, सूजन को कम करने और संक्रमण को रोकने में मदद करता है। 2 घाव भरने में मदद करता है नीम में जीवाणुरोधी और एंटिफंगल गुण होते हैं जो इसे कटौती, घाव और अन्य त्वचा संक्रमणों के इलाज में प्रभावी बनाते हैं। यह उपचार प्रक्रिया को तेज करने और हानिकारक बैक्टीरिया और कवक के विकास को रोकने में मदद करता है। 3 दंत स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है दंत स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की क्षमता के लिए नीम का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में किया गया है। यह गुहाओं, मसूड़ों की बीमारी और सांसों की बदबू को रोकने में मदद करता है। नीम के तेल का उपयोग मौखिक स्वच्छता में सुधार के लिए टूथपेस्ट और माउथवॉश में भी किया जाता है। 4 प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है नीम में ऐसे यौगिक होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते हैं, जो बीमारी और बीमारी को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसमें जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण भी होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हैं। 5 सूजन कम करता है neem में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो पूरे शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह गठिया, अस्थमा और अन्य सूजन संबंधी विकारों जैसी स्थितियों के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। 6 ब्लड शुगर को कम करता है अध्ययनों से पता चला है कि neem रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है, जिससे यह मधुमेह वाले लोगों के लिए फायदेमंद होता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध को कम करके और कोशिकाओं में ग्लूकोज की मात्रा में सुधार करके ऐसा करता है। 7 पाचन में सुधार करता है नीम पारंपरिक रूप से पाचन में सुधार और कब्ज, सूजन और दस्त जैसे पाचन संबंधी मुद्दों को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह पाचन एंजाइमों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार करने में मदद करता है। इसे भी पढ़ें: तुलसी खाने के फायदे को जानकर हैरान रह जाएंगे आप 8 लिवर स्वास्थ्य का समर्थन करता है नीम में ऐसे यौगिक होते हैं जो लीवर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं, जिससे यह लीवर के स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन उपाय है। यह हानिकारक वि��ाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और सूजन को कम करने में मदद करता है, जिससे लीवर की क्षति और बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है। 9 संक्रमण से लड़ता है नीम में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो इसे संक्रमण से लड़ने में प्रभावी बनाते हैं। यह हानिकारक बैक्टीरिया, कवक और वायरस के विकास को रोकने में मदद कर सकता है, जो बीमारी और बीमारी को रोकने में मदद कर सकता है। 10 कीड़ों को भगाता है नीम एक प्राकृतिक कीट विकर्षक है और इसका उपयोग अक्सर कीटनाशकों और मच्छर भगाने में किया जाता है। इसमें ऐसे यौगिक होते ��ैं जो कीड़ों को पीछे हटाते हैं और उन्हें अंडे देने से रोकते हैं, जिससे यह कीट नियंत्रण के लिए एक प्रभावी उपाय बन जाता है। 11 बालों के स्वास्थ्य में सुधार करता है नीम का इस्तेमाल सदियों से बालों की सेहत सुधारने के लिए किया जाता रहा है। यह बालों के विकास को प्रोत्साहित करने, रूसी को रोकने और खोपड़ी के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। यह बालों के रोम को मजबूत करने में भी मदद करता है, जिससे बालों का झड़ना रोका जा सकता है। 12 त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाता है नीम में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं। यह महीन रेखाओं और झुर्रियों की उपस्थिति को कम करने में भी मदद करता है, जिससे यह एंटी-एजिंग के लिए एक उत्कृष्ट उपाय बन जाता है। 13 मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करता है मासिक धर्म चक्र को नियमित करने और मासिक धर्म की ऐंठन को कम करने के लिए पारंपरिक चिकित्सा में नीम का उपयोग किया जाता है। यह हार्मोन को संतुलित करने और सूजन को कम करने में मदद करता है, जिससे पीएमएस के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। 14 तनाव कम करता है नीम का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में तनाव और चिंता को कम करने की क्षमता के लिए किया गया है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करने और विश्राम को बढ़ावा देने में मदद करता है, जो पुराने तनाव या चिंता विकारों से निपटने वाले लोगों के लिए मददगार हो सकता है। 15 हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है नीम को हृदय स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव दिखाया गया है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने, रक्तचाप को कम करने और परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। ये प्रभाव हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
निष्कर्ष
नीम एक बहुमुखी जड़ी बूटी है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं। त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार से लेकर प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए नीम में बहुत कुछ है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नीम आम तौर पर सुरक्षित है, यह कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है या कुछ लोगों में इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, औषधीय प्रयोजनों के लिए नीम का उपयोग करने से पहले स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना हमेशा सबसे अच्छा होता है। follow us : google news Read the full article
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foodman13 · 1 year
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एंटीन्यूट्रिएंट की एक लम्बी लिस्ट है जिसमे कई तरह के तत्वों का उपयोग चिकित्सीय व प्रोसेस फ़ूड इंडस्ट्री व जिम प्रोडक्ट में धड़ल्ले से हो रहा है।और जानकारी के अभाव हमें गंभीर रोगो तरफ धकेल दिया जा रहा है।
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bquotez · 2 years
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पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण कैसे छोटे बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाता है?
पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण कैसे छोटे बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाता है?
शिशुओं व छोटे बच्चों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है। यही कारण है कि बच्चे जल्दी सर्दी-जुकाम, बुखार व वायरल संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। कई बार बच्चे के खराब खान-पान के कारण उसके शरीर में पोषक तत्व अवशोषित नहीं हो पाते। इससे उनका विकास अधूरा रह जाता है और इम्यूनिटी पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हम बच्चों की मजबूत इम्यूनिटी के लिए पोषक तत्वों और उनके अवशोषण के बीच का संबंध बता रहे…
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sabkuchgyan · 2 years
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Problems of Stomach: पाचन ठीक रहेगा तो शरीर भी रहेगा स्वस्थ, इन चीजों का सेवन है पेट की समस्याओं के लिए रामबाण
Problems of Stomach: पाचन ठीक रहेगा तो शरीर भी रहेगा स्वस्थ, इन चीजों का सेवन है पेट की समस्याओं के लिए रामबाण
Problems of Stomach: पेट को स्वस्थ रखना शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी चीज मानी जाती है। पेट के सभी अंग भोजन के पाचन से लेकर उससे पोषक तत्वों के अवशोषण तक में मदद करते हैं, जिससे शरीर को वह ऊर्जा मिलती है जिसकी उसे कार्य करने की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि डॉक्टर भी बीमारियों की जांच के दौरान आपसे आपके पेट के बारे में पूछते हैं। पाचन स्वास्थ्य को बनाए रखने से शरीर के बाकी…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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कच्चे दूध के सेवन से मिल सकते हैं ये जबरदस्त फायदे - Punjab News Latest Punjabi News Update आज
कच्चे दूध के सेवन से मिल सकते हैं ये जबरदस्त फायदे – Punjab News Latest Punjabi News Update आज
कच्चा दूध प्रोटीन से भरपूर होता है जो खनिजों के अवशोषण को बढ़ाता है और रक्तचाप को भी सामान्य करता है। कच्चा दूध, जो विटामिन डी और कैल्शियम प्रदान करता है, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने और कम करने के लिए एक अच्छा एजेंट माना जाता है। दूध को कैल्शियम समेत कई पोषक तत्वों का पावरहाउस माना जाता है। आमतौर पर लोग दूध को घर लाकर उबालते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर आप कच्चे दूध का सेवन करते हैं तो…
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trendswire · 2 years
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vaidikmart · 3 years
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भारतीय देशी गाय का Bilona घी जिसे हम देसी घी ( A2 Bilona Ghee )के नाम से जानते है, प्रकृति का एक बहुमूल्य उपहार है! देसी घी के बहुत फायदे है:
• देशी #गाय घी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है|
• देशी गाय घी में ओमेगा 3 गुणों के साथ विटामिन A2, E और D होता है
• देशी गाय के घी में A2 विटामिन की उपस्थिति, यह टूटी हड्डियों के इलाज में सक्षम बनाती है।
• देशी गाय का घी अनिद्रा को ठीक करता है, संयुक्त मालिश के लिए सबसे अच्छा है और सबसे महत्वपूर्ण यह उन लोगों के लिए अच्छा है जो मोटापे से ग्रस्त हैं।
• देशी गाय घी खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और उत्कृष्ट परिसंचरण की सुविधा देता है।
• इसमें स्वस्थ वसा में घुलनशील विटामिन होते हैं जो खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों के अवशोषण की सुविधा प्रदान करते हैं जो स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं
• यह अल्सर, कब्ज और स्वस्थ आंखों और त्वचा को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए औषधीय अभ्यास में उपयोग किया जाता है और जलने और फफोले के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह याददाश्त बढ़ाता है और दिमाग को संतुलित करता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
• देशी घी में संयुग्मित लिनोलेनिक एसिड (सीएलए) होता है जो वजन कम करने में सहायक होता है, विशेष रूप से पेट की चर्बी, और कैंसर और हृदय रोग की प्रगति को धीमा करने के लिए जाना जाता है।
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dynamickangenteam · 5 years
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पानी को लेकर क्या बड़ी बात है?
What's the big deal about water
पानी जीवन के लिए बहुत आधार है। यह आपके शरीर का लगभग 75% हिस्सा बनाता है। यदि आप जीवंत स्वास्थ्य को विकसित करने का इरादा रखते हैं तो पानी की अनदेखी नहीं की जा सकती। पानी आपके शरीर के सभी तरल पदार्थों का आधार है - जिसमें रक्त, लसीका और पाचन तरल शामिल हैं। यह पोषक तत्वों के परिवहन और अवशोषण के साथ-साथ अपशिष्ट के उन्मूलन के लिए महत्वपूर्ण है। पानी शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करता है, यह जोड़ों को चिकनाई देता है, यह तकिये को गीला करता है जिससे ऊतकों को नमी मिलती है। ये सबसे स्पष्ट दुर्गंध वाले अंग हैं, और पानी के आयन हैं। लेकिन पानी कई अन्य स्तरों पर म��त्वपूर्ण है। यह आपके पूरे शरीर में संकेतों के प्रसारण में शामिल है। जब आप पीने वाले पानी की मात्रा या गुणवत्ता से छेड़छाड़ करते हैं, तो संकेत विकृत या कम-प्रसारित हो सकते हैं। पानी डीएनए के पेचदार सर्पिल का भी समर्थन करता है।
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sareideas · 2 years
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ऑल्ट मिल्क का बड़ा प्रशंसक? यह विशेषज्ञ चाहता है कि आप पायसीकारी के बारे में कुछ जानें
ऑल्ट मिल्क का बड़ा प्रशंसक? यह विशेषज्ञ चाहता है कि आप पायसीकारी के बारे में कुछ जानें
हमारा आंत माइक्रोबायोम पाचन, पोषक तत्वों के अवशोषण, विटामिन संश्लेषण, हृदय स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। और जबकि जीवनशैली कारक जैसे नींद, व्यायाम, उपवास और तनाव सभी हमारे माइक्रोबायोटा में परिवर्तन का कारण बनते हैं, हम जो खाते हैं वह अब तक का सबसे प्रभावशाली और नियंत्रणीय लीवर है जिसे हम अपने माइक्रोबियल स्वास्थ्य और इस प्रकार, हमारे समग्र स्वास्थ्य को…
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agriculturestudyy · 3 years
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एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्ध क्या है इनके उद्देश्य एवं महत्व लिखिए | Agriculture Studyy कृषि उत्पादकता, मृदा उत्पादकता तथा पर्यावरण संरक्षण को एक साथ समायोजित करने को एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन (intergrated nutrient management in hindi) कहते हैं ।
समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन की परिभाषा पोषक तत्व प्रबंधन क्या है संकर बीज क्या है पोषक तत्व प्रबंधन की देशी तकनीक का वर्णन कीजिए Integrated nutrient management in hindi कौन सा तत्व पौधों में पानी और कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाता है सूक्ष्म पोषक तत्व के नाम एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन क्या है पोषण प्रबंधन क्या है हवा अपनी जैविक और गैर जैविक प्रदूषण का वर्णन जैव तत्व क्या है खेतों से आने वाले पोषक तत्वों द्वारा समृद्ध हो जाना क्या कहलाता है संकर बीज उत्पादन उर्वरक सिफारिश दृष्टिकोण
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thanksayurveda · 3 years
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#संतरे_खाने_के_क्या_क्या_फायदे_है
खट्टे-मीठे स्वाद और रस से भरपूर संतरा भला किसे पसंद नहीं। यह एक लोकप्रिय फल है, जिसका सेवन दुनिया भर में किया जाता है।
👉 रोग प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर को बीमार और कमजोर करने वाले बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है। संतरा विटामिन सी जैसे जरूरी पोषक तत्वों से समृद्ध होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का काम करता है।
👉  संतरा आंखों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, संतरा विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है, जो आंखों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ आंख संबंधी समस्याएं जैसे मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने का काम करता है।
👉 संतरे का रस, गुर्दे की पथरी से बचाता है, क्योंकि इसमें साइट्रिक होता है, जो क्रिस्टल को पथरी बनने से रोकने का काम करता है। प्रतिदिन एक गिलास संतरे का रस सेवन करने से पथरी के जोखिम से बचा जा सकता है। ऐसा इसमें मौजूद सिट्रिक एसिड के कारण हो सकता है।
👉 संतरे के तेल में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो गठिया रोग को दूर करने में मदद कर सकते हैं। संतरे के तेल से की गई मालिश गठिया को बहुत जल्दी ठीक कर सकती है।
👉 संतरा में आयरन की कम मात्रा होती है लेकिन विटामिन सी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है और विटामिन सी शरीर में आयरन के अवशोषण को बढ़ाने में सहायक हो सकता है। ऐसे में इस स्थिति में संतरे के सेवन से एनीमिया की समस्या से बचाव हो सकता है।
👉 संतरा खाकर छिलकों को बाहर न फेंकें। इनमें विटामिन सी की उच्च मात्रा होती है (19)। विटामिन सी काले धब्बों को दूर करके त्वचा को कोमल बनाने का काम करता है और नई त्वचा कोशिकाओं के विकास में मदद करता है। इसके अलावा, संतरे के छिलके त्वचा से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने और डार्क स्पॉट्स वाली जगहों को हल्का करने का काम भी कर सकते हैं।
👉 खून साफ करने के साथ ही यह स्टेमिना बढ़ाने में भी मददगार होता है।
👉 तरे को सबसे ज़्यादा ज्यूस के रुप में लिए जाता है। एक ग्लास संतरे का रस यदि नियमित रुप से लिया जाए तो यह हेल्थ के ऑल राउंड ऑटोमेटिक प्रोटेक्टर की तरह काम करता है।
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kisansatta · 4 years
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जानिए क्या-क्या जीरा और धनिया के औषधीय गुण
जीरे और धनिये का उपयोग खाना बनाने में जितना असरदार है उससे कही ज़्यादा फायदेमंद है इनका पानी जिसे आयुर्वेद में पचान तंत्र को ठीक रखने में कारगर मना जाता है. आइये आज आपको इन दोनों की विशेषताओं के साथ वज़न घटाने में ज़्यादा बेहतर कौन हैं
शोध के अनुसार, जहां एक तरफ जीरे में डाइजेस्टिव एंजाइम की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पाचन क्रिया को तेज़ करने का काम करता है. जीरे के सेवन से आहार को पचाने में मदद मिलती है. वहीं दूसरी ओर धनिया न सिर्फ पेट की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, बल्कि यह आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी लाभकारी माना जाता है.
1– फैट बर्न करने के लिए जीरा और धनिया दोनों ही मसाले अपने पाचन गुणों के लिए जाने ज��ते हैं. यहाँ तक कि जीरे का पानी पाचन के लिए ज़्यादा बेहतर माना जाता है क्योंकि ये आपके आंत के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हुए फैट लॉस में मदद करता है और पाचन में सुधार करता है. हालांकि धनिया भी पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है पर ये जीरे की तरह फैट बर्न नहीं कर पाता.
2–शरीर को डिटॉक्सीफाई करता हैं सुबह-सुबह धनिये और जीरे का पानी पीना आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को छोड़ने में मदद करता है. इसके अलावा, इन दोनों में एंटीऑक्सीडेंट तत्व उच्च मात्रा में पाया जाता है. आप चाहें, तो इन दोनों को एक साथ मिलाकर पाउडर बना कर इस्तेमाल कर सकते हैं.
 3– कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए धनिया न सिर्फ खाने को महक देता है बल्कि यह आपके कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में फायदेमंद होता है. जिन लोगों का वज़न तेजी से बढ़ रहा है, उनके लिए ज़रूरी है कि वो अपने कोलेस्ट्रॉल को ठीक रखें. दरअसल, मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करना उन्हें कई सारी बीमारियों से बचा सकता है. इसलिए ऐसी स्थिति में धनिये के बीजों को उबालकर उसका पानी पीना कारगार उपाय साबित हो सकता है.
4– भूख को कम करने के लिए जीरे का इस्तेमाल आपकी भूख कम करने में मदद करता है क्योंकि यह आपके पेट को लंबे समय तक भरा रखता है जिसकी वजह से ये आपके लिए मोटापा कम करने में भी सहायक है. साथ ही, जीरा शरीर में उन हेल्दी इंजाइम्स को बढ़ावा देता है, जो कि खाना पचाने में मदद करते हैं. इस तरह अगर आप खाने में जीरा पीस कर इस्तेमाल करें, तो खाना आराम से पचेगा और ये शरीरे में फैट के संचय को भी रोकेगा.
जीरा और धनिया वज़न घटाने के लिए फायदेमंद हैं. पर इन दोनों में से सबसे ज़्यादा फायदेमंद चीज़ की बात करें, तो वो जीरा है. जीरा आपके शरीर में ग्लूकोज और खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है. साथ ही, यह वसा और अन्य पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण में भी असरदार है, जो कि मेटाबॉलिज्म को ठीक रखता है. तो अगर आपको तेज़ी से अपना वज़न घटाना है, तो रोज़ सुबह जीरे का पानी ज़रूर पियें.
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