#पित्त दोष कारण
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vedikrootsayurveda · 1 year ago
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क्या आपको पित्त दोष के बारे में जानकारी है? इस ब्लॉग में हम आपको उपाय और आयुर्वेदिक दवाओं के साथ पित्त दोष के विषय में समग्र जानकारी प्रदान करेंगे।
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fitnessclasses · 6 days ago
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आंवला और लिवर स्वास्थ्य: एक आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
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आंवला/Amla and Liver Health: An Ayurvedic Perspective
  आंवला, जिसे भारतीय करौदा/Indian Gooseberry (एम्ब्लिका ऑफिसिनेलिस/Emblica officinalis) के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेदिक चिकित्सा की आधारशिला है। "रसायन" (कायाकल्प करने वाला) के रूप में प्रसिद्ध, यह शरीर के विषहरण/detoxification और चयापचय संतुलन/metabolic balance के लिए प्राथमिक अंग, यकृत/liver पर इसके विषहरण, पोषण और मजबूती देने वाले प्रभावों के लिए अत्यधिक मूल्यवान है। 1. आंवला के गुण जो लीवर को स्वस्थ रखते हैं Properties of Amla That Support Liver Health              आंवला में कई बायोएक्टिव यौगिक होते हैं जो इसे लीवर को स्वस्थ रखने के लिए एक बेहतरीन जड़ी बूटी बनाते हैं:   आंवले के मुख्य आयुर्वेदिक गुण Key Ayurvedic Properties of Amla: - रस (स्वाद)/Rasa (Taste): मुख्य रूप से खट्टा, मीठा, कड़वा, तीखा और कसैला स्वाद। - वीर्य (शक्ति)/Virya (Potency): शीतलता, जो इसे पित्त दोष को शांत करने के लिए आदर्श बनाती है, जो यकृत को नियंत्रित करता है। - विपाक/Vipaka (पाचन के बाद का प्रभाव): मीठा, पाचन और आत्मसात को संतुलित करने में मदद करता है। READ MORE....  फैटी लिवर/FATTY LIVER के लिए 10 घरेलू सरल उपचार   आंवला खाने से यकृत पर होने वाले विशिष्ट असर Specific Actions on the Liver: - एंटीऑक्सीडेंट/Antioxidants से भरपूर: इसमें विटामिन सी और पॉलीफेनॉल्स होते हैं, जो मुक्त कणों को बेअसर करते हैं, तथा यकृत कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं। - हेपेटोप्रोटेक्टिव/Hepatoprotective: यकृत विषहरण में सहायता करता है और क्षतिग्रस्त यकृत ऊतकों को पुनर्जीवित करने में मदद करता है। - सूजनरोधी/Anti-inflammatory: शराब, फैटी लीवर या विष के अधिक सेवन के कारण होने वाली सूजन को कम करता है। - पित्त-शामक: आंवला यकृत को ठंडा और आराम देता है, तथा अत्यधिक गर्मी या पित्त असंतुलन के कारण होने वाले विकारों, जैसे पीलिया या हाइपरएसिडिटी, को ठीक करता है। - आपके पाचन को बढ़ावा दे: पित्त को संतुलित रखते हुए अपनी अग्नि या पाचन अग्नि को पोषित करके, आप अपने चयापचय को अनुकूलित कर सकते हैं और अपने लीवर पर भार को हल्का कर सकते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल पाचन में सुधार करता है बल्कि समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है! 2. लीवर के स्वास्थ्य के लिए आंवला के पारंपरिक आयुर्वेदिक उपयोग Traditional Ayurvedic Uses of Amla for Liver Health आयुर्वेद में, आंवला को इसके बहुआयामी लाभों के कारण "सुपरफ़ूड" माना जाता है। कुछ पारंपरिक उपयोगों में शामिल हैं: - आंवला रसायन: ताजे आंवले के रस में शहद मिलाकर बनाया गया एक कायाकल्पकारी मिश्रण, जिसका सेवन प्रतिदिन करने से यकृत साफ होता है और वह मजबूत होता है। - त्रिफला: इस क्लासिक आयुर्वेदिक मिश्रण में आंवला एक प्रमुख घटक है, जो लीवर को शुद्ध करता है और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। - आंवला चूर्ण (पाउडर): पानी या गर्म दूध के साथ मिलाकर इसका उपयोग पाचन को संतुलित करने और यकृत को शुद्ध करने के लिए किया जाता है। - आंवला मुरब्बा: आंवला का एक मीठा मुरब्बा जो अपने यकृत-सुरक्षात्मक गुणों को बरकरार रखता है। 3.आंवला का उपयोग करके इष्टतम यकृत/LIVER स्वास्थ्य के लिए, आवश्यक व्यंजन और उपचार। Specific Recipes and Remedies Using Amla for Liver Health A. लिवर डिटॉक्स के लिए आंवला जूस     Amla Juice for Liver Detox सामग्री: - 2 ताजे आंवले - 1 कप पानी - एक चुटकी हल्दी (वैकल्पिक) - स्वाद के लिए शहद या गुड़ (वैकल्पिक) विधि: - आंवले को पानी के साथ पीसकर उसका रस निकाल लें। - अगर ज़रूरत हो तो इसमें चुटकी भर हल्दी और मीठा भी मिला लें। - लिवर की सफ���ई के लिए रोज़ाना खाली पेट पिएँ। B. गर्म पानी के साथ आंवला पाउडर सामग्री: - 1 चम्मच आंवला पाउडर - 1 कप गर्म पानी विधि: पाचन को बढ़ाने और लीवर पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए भोजन के बाद इसे मिलाएं और पिएं। C.त्रिफला चाय/Triphala Tea सामग्री: - 1 चम्मच त्रिफला पाउडर (इसमें आंवला, हरीतकी और बिभीतकी शामिल हैं) - 1 कप गर्म पानी विधि: लीवर को डिटॉक्स करने और आंत के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सोने से पहले इसका सेवन करें। इसमें आप शहद भी मिला सकते हैं. D. आंवला शहद टॉनिक सामग्री: - 1 बड़ा चम्मच ताजा आंवला जूस - 1 चम्मच शहद विधि: यकृत कोशिकाओं को फिर से जीवंत करने के लिए इसे मिलाएं और रोजाना सेवन करें। 4. लिवर की देखभाल के लिए आंवला का उपयोग करते समय क्या करें और क्या न करें Dos and Don’ts When Using Amla for Liver Care Dos: - ��ाजा आंवला का उपयोग करें: जब भी संभव हो, अधिकतम प्रभाव के लिए ताजा आंवला या ताजा निकाला हुआ जूस चुनें। - खाली पेट आंवला लें: इससे इसके अवशोषण और विषहरण गुणों में वृद्धि होती है। - दैनिक आहार में शामिल करें: आंवले को नियमित रूप से हर्बल चाय, चटनी या पाउडर के रूप में उपयोग करें। - अच्छी तरह से हाइड्रेट करें: लीवर को विषाक्त पदार्थों को प्रभावी ढंग से बाहर निकालने में मदद करने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन सुनिश्चित करें। Don’ts: - अधिक सेवन से बचें: अत्यधिक सेवन से एसिडिटी हो सकती है या कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। अनुशंसित खुराक का ही सेवन करें (जैसे, प्रतिदिन 1-2 ताजे आंवले या 1 चम्मच पाउडर)। - मीठे आंवला उत्पादों का सेवन सीमित करें: हालांकि मुरब्बा या कैंडीज स्वादिष्ट होते हैं, लेकिन उनमें चीनी की उच्च मात्रा लीवर के लिए लाभकारी नहीं हो सकती है। - गर्मी बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों के साथ मिश्रण से बचें: आंवला को अत्यधिक मसालेदार या तैलीय खाद्य पदार्थों के साथ न मिलाएं, क्योंकि ये लीवर पर दबाव डालते हैं। - सर्दी के लिए उपयुक्त नहीं: यदि आपको सर्दी या कफ है, तो आंवले का सेवन मध्यम मात्रा में करें, क्योंकि इसकी प्रकृति ठंडी होती है। ADS.TXT SNIPPET google.com, pub-2620286522581317, DIRECT, f08c47fec0942fa0 META TAG निष्कर्ष आंवला अपने शक्तिशाली डिटॉक्सिफाइंग, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण लीवर के स्वास्थ्य के लिए एक आवश्यक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी के रूप में सामने आता है। इसके विभिन्न रूप - चाहे जूस, पाउडर या हर्बल फॉर्मूलेशन के रूप में - इसे दैनिक दिनचर्या में शामिल करना आसान बनाते हैं। आयुर्वेदिक प्रथाओं को अपनाना और आंवला का सेवन सक्रिय रूप से लीवर की रक्षा और कायाकल्प करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे समग्र स्वास्थ्य और जीवन शक्ति को बढ़ावा मिलता है। Read the full article
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drcare4u · 3 months ago
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हफ्तेभर में जड़ से खत्म हो जाएगा बवासीर, पाइल्स के मरीज खा लें ये 2 चीजें, सबसे असरदार है ये इलाज
Image Source : FREEPIK Home Remedies For Bawasir खराब दिनचर्या और खाने पीने के कारण पेट खराब रहने लगता है। लंबे समय तक जब पेट खराब रहता है तो इससे बवासीर की समस्या हो सकती है। पेट साफ नहीं होने कारण स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहते हैं। शरीर में जब वात, पित्त और कफ तीनों दोष दूषित हो जाते हैं तो इसे त्रिदोषज रोग कहते हैं। जब बवासीर में वात या कफ ज्यादा होता है तो…
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healthremedeistips · 3 months ago
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गर्मियां शुरु होते ही कई लोगों को नाक से खून बहने की शिकायत होने लगती है। नाक से खून आने को नकसीर फूटना भी कहते हैं। दरअसल अधिक गर्मी के कारण नाक के अंदर मौजूद खून की वाहिनियां फटने की वजह से नाक से खून आने लगता है। इसके अलावा नाक को बहुत ज्यादा रगड़ने ,एलर्जी ,सर्दी-जुकाम ,ज्यादा मिर्च-मसालों का सेवन या नाक पर चोट लगने के कारण भी इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। गर्मी के मौसम में नकसीर की समस्या काफी आम है। हालांकि बार -बार ऐसा होना सेहत  लिए ठीक नहीं है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पित्त दोष का असंतुलन नकसीर फूटने का कारण बन सकता है। नकसीर की समस्या को कुछ आयुर्वेदक उपायों की मदद से जड़ से खत्म किया जा सकता है। आइए जानते हैं नकसीर की समस्या का आयुर्वेदिक इलाज।और पढ़े: 
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naturopathy76 · 3 months ago
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नींद की बीमारी (अनिद्रा) के उपचार के लिए सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक उपचार
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आजकल की व्यस्त जीवनशैली और तनावपूर्ण दिनचर्या के कारण नींद की समस्याएं, विशेष रूप से अनिद्रा (Insomnia), बहुत आम हो गई हैं। पर्याप्त नींद न मिलना न केवल मानसिक थकावट का कारण बनता है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। आयुर्वेद, जो कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति है, प्राकृतिक और सुरक्षित तरीके से इन समस्याओं का समाधान प्रदान करती है।
अनिद्रा के कारण:
आयुर्वेद में नींद न आने की समस्या वात और पित्त दोष के असंतुलन के कारण मानी जाती है। वात दोष के असंतुलन से मस्तिष्क में चिंत���, घबराहट और विचारों की अधिकता होती है, जो नींद में बाधा उत्पन्न करते हैं। वहीं पित्त दोष का असंतुलन शरीर में अत्यधिक गर्मी और चिड़चिड़ापन पैदा करता है, जो मानसिक शांति को भंग करता है और नींद की समस्या को बढ़ाता है।
1. अश्वगंधा
अश्वगंधा आयुर्वेद में एक प्रमुख जड़ी-बूटी मानी जाती है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करती है और तनाव को कम करती है, जो कि अनिद्रा का मुख्य कारण होता है। अश्वगंधा का सेवन नियमित रूप से करने से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है और शरीर में संतुलन बना रहता है।
2. ब्राह्मी
ब्राह्मी एक और अद्भुत जड़ी-बूटी है जो मस्तिष्क को शांत करती है और नींद को बढ़ावा देती है। यह मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को भी बढ़ाती है। ब्राह्मी का सेवन चाय या काढ़े के रूप में किया जा सकता है।
3. जटामांसी 
जटामांसी एक प्राकृतिक शांतक के रूप में कार्य करती है और नींद की समस्याओं को दूर करने में बेहद प्रभावी होती है। यह मानसिक अशांति को कम करती है और मस्तिष्क को आराम देती है, जिससे गहरी नींद आने में मदद मिलती है। जटामांसी का तेल सिर पर मालिश के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
4. त्रिफला
त्रिफला शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखता है। स्वस्थ पाचन अच्छी नींद के लिए आवश्यक है। त्रिफला का नियमित सेवन शरीर को संतुलित रखता है और नींद की गुणवत्ता को सुधारता है।
5. चन्दन और गुलाब जल
चन्दन और गुलाब जल मानसिक शांति प्रदान करने में बेहद सहायक होते हैं। सोने से पहले इनका उपयोग करने से मन और शरीर को शांति मिलती है। चन्दन का तेल माथे पर लगाएं और गुलाब जल से चेहरा धोने के बाद नींद जल्दी आती है और मानसिक तनाव कम होता है।
6. स्फटिक
शतावरी भी एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शारीरिक और मानसिक थकावट को दूर करने में सहायक होती है। इसका उपयोग अनिद्रा के उपचार के लिए किया जाता है क्योंकि यह शरीर को ठंडक प्रदान करती है और मस्तिष्क को शांत करती है।
7. ध्यान और प्राणायाम
आयुर्वेद में नींद की समस्याओं का एक और प्रभावी उपचार ध्यान और प्राणायाम है। रोजाना 10-15 मिनट ध्यान करने से मस्तिष्क शांत होता है और मानसिक तनाव कम होता है, जिससे अच्छी नींद आती है। प्राणायाम, विशेष रूप से अनुलोम-विलोम, तंत्रिका तंत्र को शांत करता है और गहरी नींद लाने में मदद करता है।
8. गर्म दूध और हल्दी
रात को सोने से पहले हल्दी और गर्म दूध का सेवन आयुर्वेद में नींद बढ़ाने के लिए एक उत्कृष्ट उपाय माना जाता है। यह न केवल शरीर को आराम देता है, बल्कि यह नींद की गुणवत्ता में भी सुधार करता है।
9. योग और प्राणायाम
आयुर्वेद में योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। योगासनों से शरीर की थकान दूर होती है और प्राणायाम से मस्तिष्क शांत होता है, जिससे नींद बेहतर होती है। नियमित रूप से ध्यान और श्वास संबंधी अभ्यास करने से मन को शांति मिलती है और अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
10. जीवनशैली में बदलाव
आयुर्वेद में जीवनशैली को नींद के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। दिनचर्या में अनुशासन, जैसे सोने और जागने का एक नियमित समय निर्��ारित करना, नींद की गुणवत्ता को सुधारता है। साथ ही, सोने से पहले मोबाइल, टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कम से कम करना चाहिए क्योंकि इनसे नींद में बाधा उत्पन्न होती है।
निष्कर्ष
अनिद्रा का आयुर्वेदिक उपचार पूरी तरह से प्राकृतिक और बिना किसी दुष्प्रभाव के होता है। आयुर्वेद में यह माना जाता है कि नींद की समस्या सिर्फ शरीर की नहीं, बल्कि मन की भी होती है। इसलिए, आयुर्वेद शरीर और मन दोनों को संतुलित कर नींद की समस्या का समाधान करता है। जड़ी-बूटियों के सेवन, जीवनशैली में बदलाव, योग और प्राणायाम के नियमित अभ्यास से नींद की समस्या का स्थायी समाधान किया जा सकता है। आयुर्वेद के इन उपायों को अपनाकर आप भी बिना किसी साइड इफेक्ट के बेहतर नींद का आनंद ले सकते हैं। Visit Us:https://prakritivedawellness.com/customised-healing-centre-in-prayagraj/
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astrovastukosh · 5 months ago
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*🌞~ आज दिनांक - 16 जुलाई 2024 का हिन्दू पंचांग ~🌞*
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*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायण*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - आषाढ़*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 08:33 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा रात्रि 02:14 जुलाई 17 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - साध्य प्रातः 07:19 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅राहु काल - शाम 04:07 से शाम 05:47 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:04*
*⛅सूर्यास्त - 07:28*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:39 से 05:21 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:19 से दोपहर 01:13*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:25 जुलाई 17 से रात्रि 01:07 जुलाई 17 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - कर्क संक्रांति पुण्यकाल सूर्योदय से प्रातः 11:29 तक*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹वर्षा ऋतु में स्वास्थ्यप्रदायक अनमोल कुंजियाँ🔹*
*🔸1. वर्षा ऋतु में मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्त का संचय आदि दोषों की अधिकता होती है । इस ऋतु में भोजन आवश्यकता से थोड़ा कम करोगे तो आम (कच्चा रस) तथा वायु नहीं बनेंगे या कम बनेंगे, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । भूल से भी थोड़ा ज्यादा खाया तो ये दोष कुपित होकर बीमारी का रूप ले सकते हैं ।*
*🔸2. काजू, बादाम, मावा, मिठाइयाँ भूलकर भी न खायें, इनसे बुखार और दूसरी बीमारियाँ होती हैं ।*
*🔸3. अशुद्ध पानी पियेंगे तो पेचिश व और कई बीमारियाँ हो जाती हैं । अगर दस्त हो गये हों तो खिचड़ी में देशी गाय का घी डाल के खा लो तो दस्त बंद हो जाते हैं । पतले दस्त ज्यादा समय तक न रहें इसका ध्यान रखें ।*
*🔸4. बरसाती मौसम के उत्तरकाल में पित्त प्रकुपित होता है इसलिए खट्टी व तीखी चीजों का सेवन वर्जित है ।*
*🔸5. जिन्होंने बेपरवाही से बरसात में हवाएँ खायी हैं और शरीर भिगाया है, उनको बुढ़ापे में वायुजन्य तकलीफों के दुःखों से टकराना पड़ता है ।*
*🔸6. इस ऋतु में खुले बदन घूमना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।*
*🔸7. बारिश के पानी में सिर भिगाने से अभी नहीं तो 20 वर्षों के बाद भी सिरदर्द की पीड़ा अथवा घुटनों का दर्द या वायु संबंधी रोग हो सकते हैं ।*
*🔸8. जो जवानी में ही धूप में सिर ढकने की सावधानी रखते हैं उनको बुढ़ापे में आँखों की तकलीफें जल्दी नहीं होतीं तथा कान, नाक आदि निरोग रहते हैं ।*
*🔸9. बदहजमी के कारण अम्लपित्त (Hyper acidity) की समस्या होती है और बदहजमी से जो वायु ऊपर चढ़ती है उससे भी छाती में पीड़ा होती है । वायु और पित्त का प्रकोप होता है तो अनजान लोग उसे हृदयाघात (Heart Attack) मान लेते हैं, डर जाते हैं । इसमें डरें नहीं, 50 ग्राम जीरा सेंक लो व 50 ग्राम सौंफ सेंक लो तथा 20-25 ग्राम काला नमक लो और तीनों को कूटकर चूर्ण बना के घर में रख दो । ऐसा कुछ हो अथवा पेट भारी हो तो गुनगुने पानी से 5-7 ग्राम फाँक लो ।*
*🔸10. अनुलोम-विलोम प्राणायाम करो – दायें नथुने से श्वास लो, बायें से छोड़ो फिर बायें से लो और दायें से छोड़ो । ऐसा 10 बार करो । दोनों नथुनों से श्वास समान रूप से चलने लगेगा । फिर दायें नथुने से श्वास लिया और 1 से सवा मिनट या सुखपूर्वक जितना रोक सकें अंदर रोका, फिर बायें से छोड़ दिया । कितना भी अजीर्ण, अम्लपित्त, मंदाग्नि, वायु हो, उनकी कमर टूट जायेगी । 5 से ज्यादा प्राणायाम नहीं करना । अगर गर्मी हो जाय तो फिर नहीं करना या कम करना ।*
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vitiligocare · 1 year ago
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सफेद दाग होने का मुख्य कारण क्या है?
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सफेद दाग (विटिलिगो) का मुख्य कारण आमतौर पर निम्नलिखित होता है:
1. आंतरिक कारण (आनुवांशिक और उपातात्मिक): विटिलिगो का प्रमुख कारण आंतरिक कारण हो सकता है, जैसे कि आनुवांशिक अश्रुता, जिसमें परिवार के अन्य सदस्यों में भी विटिलिगो हो सकता है। इसके अलावा, तंतु में खराबी, डॉक्टरों के सुस्पेक्ट होने वाले हारमोनल परिवर्तन, लिवर की समस्याएँ, और अन्य आंतरिक कारण भी विटिलिगो का कारण हो सकते हैं।
2. आयुर्वेदिक दृष्टिकोण (दोष): आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से विटिलिगो को त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) की असंतुलन स्थिति के परिणाम के रूप में देखा जा सकता है। इस दृष्टिकोण से, विटिलिगो के लक्षणों को वात दोष के साथ जोड़ा जाता है, जैसे कि त्वचा पर सफेद पिश्तकी दागों की रूपरेखा।
3. ऑटोइम्यून स्वास्थ्य विकार: अज्ञात कारणों से जिम्मेदार तंतु में ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया का नतीजा विटिलिगो हो सकता है, जिसमें शरीर के अपने ही रक्त और ऊर्जा संज्ञान को लक्ष्य बनाता है। इसके परिणामस्वरूप, त्वचा पर पिग्मेंट (रंग) गुम हो जाता है।
4. जलन और चोट: कई लोगों को जब त्वचा पर चोट या जलन होती है, तो विटिलिगो के लक्षण दिख सकते हैं।
5. मानसिक तनाव और दुख: मानसिक तनाव, दुख, और अधिक तनाव विटिलिगो के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं और स्थिति को प्रबल बना सकते हैं।
ल्यूगो किट ( Leugo Kit ) लंबे समय तक एक प्रमुख और प्रचलित उपचार चिकित्सा है। ल्यूगो किट सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा त्वचा विकार का सबसे प्रभावी उपचार है।
ये Oldforest Ayurved द्वारा बनाया एक मात्र प्रोडक्ट है, जो आपको भी इस बीमारी से छुटकारा दिलाने मैं सक्षम है, हम मानते है की हमारी 8 साल की प्रैक्टिस मैं ये प्रोडक्ट ने खूब सफलता प्राप्त की है। इस बीमारी से ग्रसित हजारो मरीजों ने कुछ ही महीनो मैं और कम से कम मुल्ये मैं ल्यूगो किट की मदद से सफ़ेद दागो को जड़ से ख़त्म किया है।
आप ल्यूगो किट खरीदने के लिए www.vitiligocare.co पर जा सकते हैं या आप +91 8657-870-870 पर संपर्क कर सकते हैं।
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ragbuveer · 2 years ago
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(सप्तमी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्त��_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-12-मई-2023
वार:-------शक्रवार
तिथी:-----07सप्तमी:-09:07
पक्ष: ---------कृष्णपक्ष
माह:-------- ज्येष्ठ
नक्षत्र:------श्रवण:-13:03
योग :--------शुक्ल:-12:17
करण:-------बव:-09:07
चन्द्रमा:-----मकर:-24:19/कुम्भ
सुर्योदय:-------05:57
सुर्यास्त:--------19:11
दिशा शुल-------पश्चिम
निवारण उपाय:---दही का सेवन
ऋतु :--------------ग्रीष्म-ऋतु
गुलीक काल:---07:40से 09:19
राहू काल:------10:58से12:36
अभीजित-------11:56से12:50
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
चंचल:-05:57से07:41तक
लाभ:-07:41से09:19तक
अमृत:-09:19से10:58तक
शुभ:-12:36से14:15तक
चंचल:-17:32से19:11तक
🌓चोघङिया रात🌗
लाभ:-21:49से23:11तक
शुभ:-00:32से01:53तक
अमृत:-01:53से03:15तक
चंचल:-03:15से04:36तक
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
आज के विशेष योग
वर्ष का52वा दिन, कालाष्टमी, धनिष्ठा नवकारंभ प्रारंभ 13:03,
पंचक प्रारंभ 24:19, दग्धयोग 19:07 से29:49तक, रवियोग 13:03से, वैधृति महापात 21:30 से26:11, ग्रीष्मोत्सव प्रा.3दिन राज.,
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👉वास्तु टिप्स 👈
घर में तुलसी को कभी अन्धेरें मे ना रखे।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*सुविचार*
चाहे कितना भी भलाई का काम कर लिजिए.. उस भलाई की उम्र सिर्फ अगली गलती होने तक ही है!!! 👍🏻राधे राधे...
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*💊💉आरोग्य उपाय🌿🍃*
🌷 *गर्मियों में बलप्रद व स्वास्थ्यवर्धक आम* 🌷
🍋 पका आम बहुत ही पौष्टिक होता है | इसमें प्रोटीन,विटामिन व खनिज पदार्थ, कार्बोहाइड्रेट तथा शर्करा विपुल मात्रा में होते हैं |
🍋 आम मीठा, च��कना, शौच साफ़ लानेवाला, तृप्तिदायक, ह्रदय को बलप्रद, वीर्य की शुद्धि तथा वृद्धि करनेवाला है | यह वायु व पित्त नाशक परंतु कफकारक है तथा कांतिवर्धक, रक्त की शुद्धि करनेवाला एवं भूख बढ़ानेवाला है | इसके नियमित सेवन से रोगप्रतिकारक शक्ति बढती है |
🍋 शुक्रप्रमेह आदि विकारों के कारण जिनको संतानोत्पत्ति न होती हो, उनके लिए पका आम लाभकारक है| कलमी आम की अपेक्षा देशी आम जल्दी पचनेवाला, त्रिदोषशामक व विशेष गुणयुक्त है | रेशासहित, मीठा, पतली या छोटी गुठलीवाला आम उत्तम माना जाता है | यह आमाशय, यकृत, फेफड़ों के रोग तथा अल्सर, रक्ताल्पता आदि में लाभ पहुँचाता है | इसके सेवन से रक्त,मांस आदि सप्तधातुओं तथा वासा की वृद्धि और हड्डियों का पोषण होता है | यूनानी डॉक्टरों के मतानुसार पका आम आलस्य दूर करता है, मूत्र साफ़ लाता है, क्षयरोग (टी.बी.)मिटाता है तथा गुर्दें व मूत्राशय के लिए शक्तिदायक
🍋 भूखवृद्धि : आम के रस में घी और सौंठ डालकर सेवन करने से जठराग्नि प्रदीप्त होता है | वायु रोग या पाचनतंत्र की दुर्बलता : आम के रस में अदरक मिलाकर लेना हितकारी है |
🍋 शहद के साथ पके आम के सेवन से प्लीहा, वायु और कफ के दोष तथा क्षयरोग दूर होता है |
🍋 आम का पना : केरी (कच्चा आम ) को पानी में उबालें अथवा गोबर के कंडे की आग में दबा दें | भुन जाने पर छिलका उतार दें और गूदा मथकर उसमें गुड, जीरा, धनिया, काली मिर्च तथा नमक मिलाकर दोबारा मथें | आवश्यकता अनुसार पानी मिलायें और पियें |
🍋 लू लगने पर : उपरोक्त आम का पना एक-एक कप दिन में २ - ३ बार पियें |
🍋 भुने हुए कच्चे आम के गूदे को पैरों के तलवों पर लगाने से भी लू से राहत मिलती है |
🍋 वजन बढ़ाने के लिए : पके और मीठे आम नियमित रूप से खाने से दुबले - पतले व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है |
🍋 दस्त में रक्त आने पर : छाछ में आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है |
🍋 पेट के कीड़े : सुबह चौथाई चम्मच आम की गुठलियों का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेने से पेट के कीड़े मर जाते है |
🍋 प्रदर रोग : आम की गुठली का २ से ३ ग्राम चूर्ण शहद के साथ चाटने से रक्त-प्रदर में लाभ होता है |
🍋 दाँतों के रोग : आम के पत्तों को खूब चबा-चबाकर थूकते रहने से कुछ ही दोनों में दाँतों का हिलना और मसूड़ों से ��ून आना बंद हो जाता है | आम की गुठली क��� गिरी के महीन चूर्ण का मंजन करने से पायरिया ठीक होता है |
🍋 घमौरियाँ : आम की गुठली के चूर्ण से स्नान करने से घमौरियाँ दूर होती है |
🍋 पुष्ट और सुडौल शरीर : यदि एक वक्त के आहार में सुबह या शाम केवल आम चूसकर जरा-सा अदरक लें तथा डेढ -दो घंटे के बाद दूध पियें तो ४० दिन में शरीर पुष्ट व सुडौल हो जाता | आम और दूध एक साथ खाना आयुर्वेद की दृष्टि से विरुद्ध आहार है | इससे आगे चलकर चमड़ी के रोग होते हैं |
🔥 सावधानी : खाने के पहले आम को पानी में रखना चाहिए | इससे उसकी गर्मी निकल जाती है | भूखे पेट आम नहीं खाना चाहिए | अधिक आम खाने से गैस बनती है और पेट के विकार पैदा होते हैं | कच्चा, खट्टा तथा अति पका हुआ आम खाने से लाभ के बजाय हानि हो सकती है | कच्चे आम के सीधे सेवन से कब्ज व मंदाग्नि हो सकती है |
💥 बाजार में बिकनेवाला डिब्बाबंद आम का रस स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं होता है | लम्बे समय तक रखा हुआ बासी रस वायुकारक, पचने में भारी एवं ह्रदय के लिए अहितकर है |
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज जल्दबाजी में किये फैसलों से भारी नुकसान हो सकता है। परिवार में आपकी बातों को सुना जायेगा। धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता होगी। जीवन-साथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। परीक्षा परिणाम अनुकूल रहेगा।
☀️ वृषभ राशि :- समय से पहले और भाग्य से ज्यादा किसी को नहीं मिलता। आज अपनी बारी का इंजतार क���ें। संतान के सहयोग से कार्य पूरे होंगे। नए लोगों से संपर्क बनेगा, जो भविष्य में लाभदायक रहेगा। वाहन सुख संभव है।
☀️ मिथुन राशि :- आज जो लोग दूसरे के लिए मांगते हैं, उन्हें कभी अपने लिए नहीं मांगना पड़ता है। माता के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। किसी के बहकाने से सपने संबंध तोड़ने से बचें। पैर में चोट लग सकती है। समाज में नाम आपका होगा।
☀️ कर्क राशि :- आज जिन लोगों का सहयोग आपने किया था, आज वे ही आपसे मुंह फेर रहे हैं। बीमारी में दवाई असर नहीं करेगी। बेहतर होगा अपना डॉक्टर बदलें या किसी योग्य व्यक्ति से सलाह लें। नए भवन में जाने के योग हैं।
☀️ सिंह राशि :- आज अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना बहुत जरूरी है। कार्यस्थल पर योजना लाभप्रद रहेगी। पड़ोसियों की मदद करनी पड़ सकती है। क्रोध की अधिकता से परिजन नाखुश होंगे। शेयर बाजार में निवेश से लाभ होगा।
☀️ कन्या राशि :- आज किसी के बहकावे में आप बहुत जल्द आ जाते हैं। समय रहते जरूरी कार्य पूरे करें। निजी जीवन में दूसरों को प्रवेश न दें। पिता के व्यवहार से मन मुटाव होगा। जीवनशैली में परिवर्तन के योग हैं। पुरानी दुश्मनी के चलते विवाद संभव है।
☀️ तुला राशि :- आज सोचे हुए कार्य समय पर होने से मन प्रसन्न रहेगा। अपने वाक् चातुर्य से सभी काम आसानी से करवा लेंगे। कार्यस्थल पर अपनी अलग पहचान स्थापित करेंगे। प्रेम-प्रसंग के चलते मन उदास रहेगा।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज आपकी कार्यक्षमता में वृद्धि होगी। जीवनशैली में आये परिवर्तन से खुश होंगे। आजीविका के नए स्त्रोत स्थापित होंगे। पारिवारिक सौहार्द बना रहेगा। मांगलिक समारोह में सक्रिय भूमिका रहेगी।
☀️ धनु राशि :- आज अपने हिसाब से आपको जिन्दगी जीना पसंद है। जो लोग आपके कार्यों की सराहना करते थे, वे आपका विरोध करेंगे। भवन-भूमि के विवादों का अंत होगा। पिता के व्यवसाय में रूचि कम रहेगी।
☀️ मकर राशि :- आज समय रहते अपने कार्य पूर्ण करें। पारिवारिक लोगों का सहयोग न मिलने से कार्य प्रभावित होंगे। घर में वास्तु अनुरूप परिवर्तन करें, तो पारिवारिक तनाव ख़त्म होगा। फैक्ट्री में प्रवेश द्वार पर पंचमुखी हनुमान की तस्वीर लगायें, चमत्कारिक लाभ होगा।
☀️ कुंभ राशि :- आज व्ययस्तता के कारण सेहत को न भूलें। अपने जीवन-साथी से नम्रता से बात करें और आप दोनों की वार्तालाप में स्नेह झलके, ना की बनावटी बातें करें। वाणी में मधुर रहें, यात्रा के योग बन रहे हैं।
☀️ मीन राशि :- आज अपने अकडू व्यवहार से सभी से दूरियाँ बढ़ा लेंगे। व्यवहार नम्र रहे और अपने क्रोध पर नियंत्रण रखें। पिता के साथ तालमेल न रहने से घर का वातावरण गरमा सकता है। संपत्ति से संबंधित जरुरी अनुबंध हो सकते हैं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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sabkuchgyan · 2 years ago
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गलती से भी दूध के साथ न खाएं ये 5 चीजें, बिगड़ सकती है आपकी सेहत
गलती से भी दूध के साथ न खाएं ये 5 चीजें, बिगड़ सकती है आपकी सेहत
दूध मानव शरीर के लिए कितना जरूरी है यह किसी से छुपा ये 5 चीजें नहीं है। इसमें कैल्शियम और स्वास्थ्य के लिए अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। इसी कारण इसे संपूर्ण भोजन भी कहा जाता है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका सेवन दूध के साथ नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर को नुकसान पहुंचता है, पाचन संबंधी समस्याएं और पित्त दोष बढ़ता है। आइए हम आपको बताते हैं उन 5 चीजों के बारे…
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pharmagyan · 2 years ago
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बवासीर की आयुर्वेदिक दवा और इलाज - Ayurvedic medicine and treatment for Piles in Hindi
बवासीर को हेमोर्रोइड्स के नाम से भी जाना जाता है। इसमें निचले मलद्वार और गुदा की रक्‍त वाहिकाओं में सूजन हो जाती है। बवासीर के कारण मल निष्‍कासन के समय अत्‍यधिक दबाव पड़ना है। रक्‍त वाहिकाओं में सूजन के कारण मलद्वार और गुदा की त्‍वचा पर दिक्‍कत होने लगती है और इस वजह से गुदा मार्ग अवरूद्ध हो जाता है। आयुर्वेद के अनुसार तीन दोषों (वात, पित्त और कफ) के एकसाथ असंतुलित होने पर बवासीर की बीमारी होती है।
आयुर्वेद में जट्यादि तेल से अभ्‍यंग (तेल मालिश), बस्‍ती (एनिमा) और विभिन्‍न आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से मात्रा बस्‍ती (तेल एनिमा) और सिट्ज बाथ (टब में बैठ कर स्नान करने की एक विधि) आदि का विवरण है। बवासीर को नियंत्रित करने के लिए जड़ी-बूटियों और औषधि की सलाह भी दी जाती है।
बवासीर को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्‍सक द्वारा मंजिष्‍ठा (भारतीय मजीठ), हरीद्रा (हल्‍दी), हरीतकी (हरड़), कुटज (कुर्ची) और सूरन (उष्णकटि��ंधीय कंद की फसल) आदि जड़ी-बूटियों के प्रयोग की सलाह दी जाती है। बवासीर की औषधियों में कांकायन वटी और त्रिफला गुग्‍गल टैबलेट शामिल है।
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से बवासीर - Ayurveda ke anusar Bavasir
आयुर्वेद में बवासीर को अर्श कहा जाता है। अर्श का अर्थ होता है सुईं की तरह चुभने वाला दर्द। ये एक पाचन विकार है जोकि मलद्वार में मल के जमने की वजह से होता है। कब्‍ज और गर्भावस्‍था के कारण भी व्‍यक्‍ति बवासीर का शिकार हो सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार अर्श पैदा करने वाले त्रिदोष में असंतुलन कई कारणों की वजह से हो सकता है। अनियमित या अनुचति आहार और विहार (जीवनशैली) के साथ-साथ अनुवांशिक कारकों की वजह से भी त्रिदोष में असंतुलन होकर बवासीर की समस्‍या हो सकती है। आयुर्वेद में अर्श को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है।
सहज (अनुवांशिक)
जतोटरा (जन्‍म के बाद होना)
इसके अलावा बवासीर को इस तरह भी वर्गीकृत किया जा सकता है:
शुष्‍कर्ष (खून ना आने वाला बवासीर):
शुष्‍कर्ष में मल निष्‍कासन के समय खून नहीं आता है और ये वात और कफ बढ़ने के कारण होता है।
रक्‍तर्ष (खून आने वाला बवासीर):
रत्‍कर्ष के हेमोर्रोइड में मल में खून आता है और ये पित्त और कफ (अशुद्ध रक्‍त) के बढ़ने के कारण होता है।
हर व्‍यक्‍ति की स्थिति अलग हो सकती है जैसे कि किसी को मल में खून आता है तो किसी के पाइल की आकृति बदल जाती है। हर व्‍यक्‍ति में बवासीर की अवस्‍था उसके दोष की प्रधानता पर निर्भर करती है।
बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज या उपचार - Bawaseer ka ramban ayurvedic ilaj
अभ्‍यंग
इस आयुर्वेदिक चिकित्‍सा में सादे तेल या औषधीय तेल से शरीर के किसी हिस्‍से या पूरे शरीर का इलाज किया जाता है।
आयुर्वेद में ���भ्‍यंग से बवासीर को नियंत्रित करने के लिए जात्यादि तेल का इस्‍तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
ये ऊर्जा प्रदान करता है और बवासीर के कारण होने वाले अपक्षयी (किसी अंग या ऊत्तकों के कार्य को नुकसान) बदलावों को रोकता है।
वात दोष के कारण हुए बवासीर के इलाज में इसका प्रयोग अधिक किया जाता है जिसमें तेल मालिश के साथ पसीने के जरिए वात को संतुलित किया जाता है।
बस्‍ती
बस्‍ती एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हर्बल सस्‍पेंशन को गुदा या मल द्वार के जरिए डाला जाता है। अपामार्ग क्षार बस्ती को बवासीर के इलाज में प्रभावी पाया गया है क्‍योंकि अपामार्ग का कषाय प्रभाव ब्‍लीडिंग को रोक कर घाव का इलाज करने में मदद करता है।
मात्रा बस्‍ती में जात्यादि तेल, कसिसादी तेल या अपामार्ग क्षार के इस्‍तेमाल की सलाह दी जाती है। मात्रा बस्‍ती में प्रतिदिन औषधीय तेल की छोटी या सुरक्षित खुराक दी जाती है।
ये हर उम्र के व्‍यक्‍ति के लिए सुरक्षित और प्रभा
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https://pharmagyan.42web.io/2022/09/30/बवासीर-की-आयुर्वेदिक-दवा/
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rajmishra4656 · 3 years ago
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आयुर्वेद (Ayurveda)
आयुर्वेद की मूल अवधारणा
आयुर्वेद भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है। ऐसा माना जाता है कि यह प्रणाली भारत में 5000 साल पहले उत्पन्न ह��ई थी। शब्द आयुर्वेद दो संस्कृत शब्दों ‘आयुष’ जिसका अर्थ जीवन है तथा ‘वेद’ जिसका अर्थ 'विज्ञान' है, से मिलकर बना है’ अतः इसका शाब्दिक अर्थ है 'जीवन का विज्ञान'। अन्य औषधीय प्रणालियों के विपरीत, आयुर्वेद रोगों के उपचार के बजाय स्वस्थ जीवनशैली पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। आयुर्वेद की मुख्य अवधारणा यह है कि वह उपचारित होने की प्रक्रिया को व्यक्तिगत बनाता है।
आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर चार मूल तत्वों से निर्मित है- दोष, धातु, मल और अग्नि। आयुर्वेद में शरीर की इन बुनियादी बातों का अत्यधिक महत्व है। इन्हें ‘मूल सिद्धांत’ या आयुर्वेदिक उपचार के बुनियादी सिद्धांत’ कहा जाता है।
दोष
दोषों के तीन महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं वात, पित्त और कफ, जो एक साथ अपचयी और उपचय चयापचय को विनियमित और नियंत्रित करते हैं। इन तीन दोषों का मुख्य कार्य है पूरे शरीर में पचे हुए खाद्य पदार्थों के प्रतिफल को ले जाना, जो शरीर के ऊतकों के निर्माण में मदद करता है। इन दोषों में कोई भी खराबी बीमारी का कारण बनती है।
धातु
जो शरीर को सम्बल देता है, उसके रूप में धातु को परिभाषित कर सकते हैं। शरीर में सात ऊतक प्रणालियां होती हैं। वे हैं रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा तथा शुक्र जो क्रमशः प्लाज्मा, रक्त, वसा ऊतक, अस्थि, अस्थि मज्जा और वीर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। धातुएं शरीर को केवल बुनियादी पोषण प्रदान करते हैं। और यह मस्तिष्क के विकास और संरचना में मदद करती है।
मल
मल का अर्थ है- अपशिष्ट उत्पाद या गंदगी। यह शरीर की तिकड़ी यानी दोषों और धातु में तीसरा है। मल के तीन मुख्य प्रकार हैं, जैसे मल, मूत्र और पसीना। मल मुख्य रूप से शरीर के अपशिष्ट उत्पाद हैं इसलिए व्यक्ति का उचित स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए उनका शरीर से उचित उत्सर्जन आवश्यक है। मल के दो मुख्य पहलू हैं अर्थात मल एवं कित्त। मल शरीर के अपशिष्ट उत्पादों के बारे में है जबकि कित्त धातुओं के अपशिष्ट उत्पादों के बारे में सब कुछ है।
अग्नि
शरीर की चयापचय और पाचन गतिविधि के सभी प्रकार शरीर की जैविक आग की मदद से होती हैं जिसे अग्नि कहा जाता है। अग्नि को आहार नली, यकृत तथा ऊतक कोशिकाओं में मौजूद एंजाइम के रूप में कहा जा सकता है।
शारीरिक संरचना
आयुर्वेद में जीवन की कल्पना शरीर, इंद्रियों, मन और आत्मा के संघ के रूप में है। जीवित व्यक्ति तीन देहद्रव (वात, पित्त और कफ), सात बुनियादी ऊतकों (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्र) और शरीर के अपशिष्ट उत्पादों जैसे मल, मूत्र, और पसीने का एक समूह है। इस प्रकार कुल शारीरिक सांचे में देहद्रव, ऊतक और शरीर के अपशिष्ट उत्पाद शामिल हैं। इस शारीरिक सांचे और उसके घटकों की वृद्धि और क्षय ��ोजन के इर्द-गिर्द घूमती है जो देहद्रव, ऊतकों, और अपशिष्ट में संसाधित किया जाता है। भोजन अन्दर लेने, उसके पाचन, अवशोषण, आत्मसात करने तथा चयापचय का स्वास्थ्य और रोग में एक परस्पर क्रिया होती है जो मनोवैज्ञानिक तंत्र तथा जैव आग (अग्नि) से काफी हद तक प्रभावित होती हैं।
पंचमहाभूत
आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर सहित ब्रह्मांड में सभी वस्तुएं पांच मूल तत्वों (पंचमहाभूतों) अर्थात् पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और निर्वात (आकाश) से बने हैं। शारीरिक सांचे व उसके हिस्सों की आवश्यकताओं तथा विभिन्न संरचनाओं व कार्यों के लिए अलग-अलग अनुपात में इन तत्वों के एक संतुलित संघनन की जरूरत होती है। शारीरिक सांचे की वृद्धि और विकास उसके पोषण यानी भोजन पर निर्भर करते हैं। बदले में भोजन उपर्युक्त पांच तत्वों से बना होता है, जो जैव अग्नि की कार्रवाई के बाद शरीर में समान तत्वों को स्थानापन्न व पोषित करते हैं। शरीर के ऊतक संरचनात्मक होते हैं जबकि देहद्रव शारीरिक अस्तित्व हैं जो पंचमहाभूतों के विभिन्न क्रम परिवर्तन तथा संयोजन से व्युत्पन्न होते हैं।
स्वास्थ्य और रोग
स्वास्थ्य या रोग शरीर के सांचे के विभिन्न घटकों में परस्पर संतुलन के साथ स्वयं के संतुलित या असंतुलित अवस्था होने या न होने पर निर्भर करता है। आंतरिक और बाह्य कारक दोनों प्राकृतिक संतुलन को बिगाडकर रोग को जन्म दे सकते हैं। संतुलन की यह हानि अविवेकी आहार, अवांछनीय आदतों और स्वस्थ रहने के नियमों का पालन न करने से हो सकती है। मौसमी असामान्यताएं, अनुचित व्यायाम या इंद्रियों के गलत अनुप्रयोग तथा शरीर और मन की असंगत कार्यप्रणाली के परिणामस्वरूप भी मौजूदा सामान्य संतुलन में अशांति पैदा हों सकती है। उपचार में शामिल हैं आहार विनियमन, जीवन की दिनचर्या और व्यवहार में सुधार, दवाओं का प्रयोग तथा पंचकर्म और रसायन चिकित्सा अपनाकर शरीर-मन का संतुलन बहाल करना।
निदान
आयुर्वेद में निदान हमेशा रोगी में समग्र रूप से किया जाता है। चिकित्सक रोगी की आंतरिक शारीरिक विशेषताओं और मानसिक स्वभाव को सावधानी से नोट करता है। वह अन्य कारकों, जैसे प्रभावित शारीरिक ऊतक, देहद्रव, जिस स्थान पर रोग स्थित है, रोगी का प्रतिरोध और जीवन शक्ति, उसकी दैनिक दिनचर्या, आहार की आदतों, नैदानिक स्थितियों की गंभीरता, पाचन की स्थिति और उसकी व्यक्तिगत, सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिति के विवरण का भी अध्ययन करता है। निदान में निम्नलिखित परीक्षण भी शामिल हैं:
सामान्य शारीरिक परीक्षण
- नाड़ी परीक्षण
- मूत्र परीक्षण
- मल परीक्षण
- जीभ और आंखों का परीक्षण
- स्पर्श और श्रवण कार्यों सहित त्��चा और कान त्वचा का परीक्षण
उपचार
बुनियादी चिकित्सकीय दृष्टिकोण है, कि सही इलाज एकमात्र वही होता है जो स्वास्थ्य प्रदान करता है, और जो व्यक्ति हमें स्वस्थ बनाता है केवल वही सबसे अच्छा चिकित्सक है। यह आयुर्वेद के प्रमुख उद्देश्यों का सारांश दर्शाता है अर्थात स्वास्थ्य का रखरखाव और उसे बढ़ावा देना, रोग का बचाव और बीमारी का इलाज।
रोग के उपचार में शामिल हैं पंचकर्म प्रक्रियाओं द्वारा शारीरिक सांचे या उसके घटकों में से किसी के भी असंतुलन के कारकों से बचना और शारीरिक संतुलन बहाल करने तथा भविष्य में रोग की पुनरावृत्ति को कम करने के लिए शरीर तंत्र को मजबूत बनाने हेतु दवाओं, उपयुक्त आहार, गतिविधि का उपयोग करना।
आम तौर पर इलाज के उपायों में शामिल होते हैं दवाएं, विशिष्ट आहार और गतिविधियों की निर्धारित दिनचर्या। इन तीन उपायों का प्रयोग दो तरीकों से किया जाता है। उपचार के एक दृष्टिकोण में तीन उपाय रोग के मूल कारकों और रोग की विभिन्न अभिव्यक्तियों का प्रतिकार करते हैं। दूसरे दृष्टिकोण में दवा, आहार, और गतिविधि के यही तीन उपाय रोग के मूल कारकों तथा रोग प्रक्रिया के समान प्रभाव डालने पर लक्षित होते हैं। चिकित्सकीय दृष्टिकोण के इन दो प्रकारों को क्रमशः विपरीत व विपरीतार्थकारी उपचार के रूप में जाना जाता है।
उपचार के सफल संचालन के लिए चार चीजें आवश्यक हैं। ये हैं:
- चिकित्सक
- दवाई
- नर्सिंग कार्मिक
- रोगी
महत्व के क्रम में चिकित्सक पहले आता है। उसके पास तकनीकी कौशल, वैज्ञानिक ज्ञान, पवित्रता और मानव के बारे में समझ होनी चाहिए। चिकित्सक को अपने ज्ञान का उपयोग विनम्रता, बुद्धिमत्ता के साथ और मानवता की सेवा में करना चाहिए। महत्व के क्रम में आगे आते हैं भोजन और दवाएं। ये उच्च गुणवत्ता वाले होने चाहिए, जिनका विस्तृत अनुप्रयोग हो तथा अनुमोदित प्रक्रियाओं के अनुसार उगाई व प्रसंस्कृत किया जाना चाहिए और पर्याप्त रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। हर सफल उपचार के तीसरे घटक के रूप में नर्सिंग कर्मियों की भूमिका है जिन्हें नर्सिंग का अच्छा ज्ञान होना चाहिए, अपनी कला के कौशल को जानते हों और स्नेही, सहानुभूतिपूर्ण, बुद्धिमान, साफ और स्वच्छ तथा संसाधनयुक्त होना चाहिए। चौथा घटक रोगी स्वयं होता है जिसने चिकित्सक के निर्देश का पालन करने के लिए सहयोगपूर्ण और आज्ञाकारी होना चाहिए, बीमारियों का वर्णन करने में सक्षम होना चाहिए तथा उपचार के लिए जो भी आवश्यक हो, प्रदान करने में सक्षम होना चाहिए।
आयुर्वेद ने घटनाओं के चरणों और उनके घटित होने का बहुत विस्तृत विश्लेषणात्मक विवरण विकसित किया है क्योंकि रोग के कारक उसकी अंतिम अभिव्यक्ति से पहले शुरू हो जाते हैं। यह इस प्रणाली को अव्यक्त लक्षण स्पष्ट होने से बहुत पहले रोग की संभव शुरुआत जानने का एक अतिरिक्त लाभ देता है। यह चिकित्स�� की इस पद्धति को अग्रिम में उचित और प्रभावी कदम उठाकर रोगजनन में आगे की प्रगति को रोकने के लिए रोग पर शुरुआत के प्रारंभिक चरण में अंकुश लगाने हेतु उपयुक्त उपचारात्मक कदम उठाने के द्वारा इसकी निवारक भूमिका को बढ़ाता है।
उपचार के प्रकार
रोग के उपचार को मोटे तौर पर इस तरह वर्गीकृत किया जा सकता है
- शोधन चिकित्सा (शुद्धीकरण उपचार)
शोधन उपचार दैहिक और मानसिक रोगों के प्रेरक कारकों को हटाने पर केन्द्रित होता है। प्रक्रिया में आंतरिक और बाह्य शुद्धि शामिल हैं। सामान्य उपचारों में शामिल हैं पंचकर्म (दवाओं से उत्प्रेरित वमन, विरेचन, तेल एनीमा, काढ़ा एनीमा और नाक से दवाएं देना), पूर्व-पंचकर्म प्रक्रियाएं (बाहरी और आंतरिक तेलोपचार और प्रेरित पसीना)। पंचकर्म उपचार चयापचय प्रबंधन पर केंद्रित होता है। यह चिकित्सकीय लाभ प्रदान करने के अलावा ज़रूरी परिशोधक प्रभाव प्रदान करता है। यह उपचार स्नायविक विकारों, पेशीय-कंकाल की बीमारी की स्थिति, कुछ नाड़ी या तंत्रिका-संवहनी स्थितियों, सांस की बीमारियों, चयापचय और अपक्षयी विकारों में विशेष रूप से उपयोगी है।
- शमन चिकित्सा (प्रशामक ट्रीटमेंट)
शमन चिकित्सा में बिगड़े देहद्रव (दोषों) का दमन शामिल है। वह प्रक्रिया जिसके द्वारा बिगड़े देहद्रव अन्य देहद्रव में असंतुलन पैदा किए बिना सामान्य स्थिति में लौट आता है, शमन के रूप में जानी जाती है। यह उपचार भूखवर्धकों, पाचकों, व्यायाम, और धूप तथा ताज़ी हवा लेने आदि द्वारा हासिल होता है। उपचार के इस रूप में, पैलिएटिव तथा नींद की औषधि का उपयोग किया जाता है।
- पथ्य व्यवस्था (आहार तथा क्रियाकलापों का सुझाव)
पथ्य व्यवस्था में आहार, गतिविधि, संकेत व भावनात्मक स्थिति के सूचक व प्रतिसूचक शामिल हैं। इसे उपचारात्मक उपायों के प्रभाव को बढ़ाने और विकारी प्रक्रियाओं में बाधा डालने की दृष्टि से किया जाता है। आहार सम्बन्धी किए जाने व न किए जाने वाली बातों पर ऊतकों की शक्ति को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अग्नि को प्रोत्साहित करने और पाचन के अनुकूलन तथा भोजन के आत्मसात करने पर बल दिया जाता है।
- निदान परिवर्जन (रोग उत्पन्न करने वाले और उसे बढ़ावा देने वाले कारकों से बचना)
निदान परिवर्जन रोगी के आहार और जीवन शैली में ज्ञात रोग कारकों से बचना है। इसमें रोग के बाहर उभारने या बढ़ाने वाले कारकों से बचना भी शामिल है।
- सत्ववजय (मनोचिकित्सा)
सत्ववजय मुख्य रूप से मानसिक गड़बड़ी के क्षेत्र के साथ संबंधित है। इसमें दिमाग को अपूर्ण वस्तुओं के निरोध तथा साहस, स्मृति और एकाग्रता विकसित करना शामिल है। आयुर्वेद में मनोविज्ञान और मनोरोग विज्ञान का अध्ययन बड़े पै��ाने पर विकसित किया गया है और मानसिक विकारों के उपचार में दृष्टिकोणों की एक विस्तृत शृंखला है।
- रसायन चिकित्सा (रोग प्रतिरोधक शक्ति के उत्प्रेरकों और कायाकल्प दवाओं का उपयोग)
रसायन चिकित्सा शक्ति और जीवन शक्ति को बढ़ावा देने से संबंधित है। इस उपचार के लाभों को शरीर के सांचे की अखंडता, स्मृति को बढ़ावा, बुद्धि, रोग के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता, युवावस्था का संरक्षण, चमक, रंग और शरीर व इंद्रियों की इष्टतम शक्ति के रखरखाव को बढ़ावा देने का श्रेय दिया जाता है। शरीर के ऊतकों के समय पूर्व ह्रास से बचाव और एक व्यक्ति की कुल स्वास्थ्य सामग्री को बढ़ावा देने में रसायन चिकित्सा भूमिका निभाती है।
- आहार और आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद में चिकित्सा के रूप में आहार के विनियमन का बड़ा महत्व है। ऐसा इसलिए है कि इसमें मानव शरीर को भोजन के उत्पाद के रूप में समझा जाता है। एक व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ उसका स्वभाव उसके द्वारा लिए गए भोजन की गुणवत्ता से प्रभावित होता है। मानव शरीर में भोजन पहले कैल या रस में तब्दील हो जाता है और फिर आगे की प्रक्रियाओं से उसका रक्त, मांसपेशी, वसा, अस्थि, अस्थि-मज्जा, प्रजनन तत्वों और ओजस में रूपांतरण शामिल है। इस प्रकार, भोजन सभी चयापचय परिवर्तनों और जीवन की गतिविधियों के लिए बुनियादी है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी या भोजन का अनुचित परिवर्तन विभिन्न किस्म की बीमारी की स्थितियों में परिणत होता है
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jyotishforyou · 3 years ago
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कफ दोष से होने वाली समस्याएं व उनके समाधान !
हम सब यह जानते हैं कि हमारे शरीर में तीन प्रकार के दोष होते हैं - वात दोष, पित्त दोष और कफ दोष । इसके पहले दो लेखों के माध्यम से हम वात दोष और पित्त दोष से हमारे शरीर में होने वाली समस्याओं पर बात चुके हैं, साथ ही वात व पित्त दोष से होने वाली समस्याओं के समाधान भी जान चुके हैं। 
उसी क्रम को जारी रखते हुए आज हम शरीर के तीसरे दोष यानि कफ दोष पर बात करने जा रहे हैं । आज के लेख में हम जानेंगे कि कफ दोष क्या होता है ? कफ दोष को कैसे पहचाना जाता है ? कफ दोष से हमारे शरीर में क्या क्या समस्याएं उत्पन्न होती हैं ? और उन समस्याओं का समाधान क्या है ?
जानना चाहते हैं कि कफ दोष को कैसे संतुलित किया जाए? जानिए आयुर्वेद और सभी दोषों के बारे में। हमारे आयुर्वेद विशेषज्ञ से ऑनलाइन आयुर्वेदिक ज्योतिष डॉ.मिलन सोलंकी परामर्श प्राप्त करें।
वैदिक ज्योतिष संस्थान के साथ ज्योतिष की मूल बातें जानें। आप अपनी चंद्र राशि, सूर्य राशि और उदीयमान राशि के बारे में जान सकते हैं। एस्ट्रोलोक ज्योतिष का एक शिक्षण संस्थान है, जहां आप ज्योतिष, वास्तु पाठ्यक्रम ऑनलाइन, आयुर्वेद और ज्योतिष, शुरुआती लोगों के लिए हस्तरेखा विज्ञान, अंकशास्त्र पाठ्यक्रम ऑनलाइन सीख सकते हैं। अभी संपर्क करें।
कफ दोष क्या होता है ?
 कफ दोष पाँच तत्वों में से दो तत्वों भूमि तत्व व जल तत्व से मिलकर बनता है। कफ हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करता है । शरीर में कफ के असंतुलित हो जाने से हमारी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हम बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं । 
कफ दोष से होने वाली समस्याएं - 
कफ दोष से होने वाली कुछ प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं - 
1. शरीर में कफ बढ़ जाने पर भारीपन महसूस होने लगता है । इसका कारण कफ दोष में भूमि तत्व का होना है । भारीपन कफ दोष का सबसे प्रमुख लक्षण है । 
2. कफ दोष के बढ़ने पर हमारे शरीर में बहुत आलस्य बढ़ जाता है । कोई भी काम करने में हमारा मन नहीं लगता है । इसके अलावा कफ दोष के कारण नींद भी बहुत आती है । बहुत अधिक नींद या बहुत सुस्ती महसूस हो तो इसे कफ दोष का लक्षण समझना चाहिए । 
3. कफ दोष में जल तत्व होने के कारण पसीना बहुत अधिक मात्रा में देखने को मिलता है और शरीर में चिपचिपापन बना रहता है । 
4. यदि आँखों से बहुत ज्यादा मात्रा में कीचड़ निकल रहा है तो इसे भी कफ दोष का लक्षण समझना चाहिए । कीचड़ के अलावा आँखों में भारीपन व थकान का अनुभव होना भी शरीर में कफ दोष का संकेत है । 
5. कफ दोष से कई बार साँस संबंधी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं । खांसी होना या सांस लेने में तकलीफ होना , ये कफ दोष के ही संकेत हैं । 
कफ दोष से होने वाली समस्याओं के समाधान - 
अपने खान पान व जीवन शैली में थोड़े बहुत बदलाव करके आप कफ दोष की समस्या से मुक्ति पा सकते हैं । कफ को संतुलित करने के लिए प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं - 
1. कफ दोष से बचने के लिए दूध से बने जैसे पनीर , छाछ आदि का भरपूर सेवन करें । 
2. नहाते समय हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करने से कफ दोष में लाभ प्राप्त होता है । 
3. कफ दोष से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह व्यायाम अवश्य करें । व्यायाम करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कफ दोष के फलस्वरूप शरीर में आने वाला आलस्य दूर भागता है । 
4. सरसों के तेल का अधिकाधिक प्रयोग करें । इसको खाने में और नहाने के पहले शरीर की मालिश करने में उपयोग करने से कफ दोष से उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है । 
5. अधिक से अधिक हरी सब्जियों और सभी प्रकार की दालों का सेवन करें । इससे शरीर में पोषक तत्वों की कमी नहीं होगी । 
निष्कर्ष - 
इस प्रकार से हमने कफ दोष के कारण शरीर में उत्पन्न होने वाली समस्याएं व उनके समाधानों का विस्तार से विश्लेषण किया । अगर आपको अपने शरीर में कफ दोष के लक्षण दिख रहे हैं तो इन उपायों का पालन करके आप अपने कफ दोष को संतुलित कर सकते हैं ।  
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ayurvedainitiative-blog · 3 years ago
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14 नोव्हेंबर-जागतिक मधुमेह दिन
14 नोव्हेंबर-जागतिक मधुमेह दिन
मधुमेहाचे आयुर्वेदिक औषध शोधताय तर अगोदर मधुमेह काय ते समजून घ्या...
गेल्या अनेक वर्षांपासून मधुमेहाचे प्र��ाण वाढताना दिसत आहे. अशा परिस्थितीमध्ये मधुमेहाचा रोगी प्रत्येक वैद्यक शाखेतील उपचार करून घेण्याच्या मागे लागतो. आयुर्वेदात काही औषध आहे का, असे विचारत अनेक मधुमेहाचे रुग्ण वैद्यांकडे येतात. ते भलीमोठी तपासण्यांच्या फाईल घेऊनच. अमुक महिन्यांपासून रक्तातील साखर एवढी आहे. त्याचप्रमाणे लघवीवाटे या प्रमाणात साखर जाते आहे... मग आयुर्वेदाची भूमिका नेमकी काय? मधुमेहासंदर्भात अर्थातच आयुर्वेदाच्या ग्रंथांमध्ये इतर रोगांप्रमाणे मधुमेहाचेही सविस्तर वर्णन सापडते. त्याची कारणे, लक्षणे तसेच चिकित्सेबद्दलचे केलेले मार्गदर्शन अगोदर बघणे उचित ठरेल आणि नंतर उपचार करायला सोपे होईल.
मूळात ‘मधुमेह’ हा रोग मत्राशी संबंधित असा आयुर्वेदाने वर्णिलेला आहे. मूत्राला या रोगामध्ये माधुर्य येते आणि मूत्रप्रवृत्ती अनेकवेळा आणि मोठय़ा प्रमाणात होते. प्रमेह या रोगात मूत्राच्या स्वरूपात आणि प्रमाणात वाढ होते. तसेच मूत्राच्या स्वरूपात बदल होतो. मूत्रप्रवृत्ती जी स्वच्छ हवी, ती होत नाही. निरनिराळ्या स्वरूपात ती होते आणि त्या स्वरूपानुसार प्रमेहाचे एकूण २० प्रकार आयुर्वेदाने वर्णन केले आहेत.
आयुर्वेदात वात, पित्त आणि कफ या तीन दोषांनुसार प्रकार आहेत.
कफदोषामुळे होणारे दहा प्रकार
पित्तदोषामुळे होणारे सहा प्रकार
वातदोषामुळे होणारे चार प्रकार
मधुमेह हा प्रकार वातदोषामुळे होणाऱ्या प्रमेहाच्या चार प्रकारांपैकी एक आहे.
म्हणजे मधुमेहाच्या रोग्यास वात दोष संतुलित करावा लागेल, आता हे सांगा आपल्याला कधी कोणी याबद्दल बोलले का? की फक्त आयुष्य भर गोळ्या खा, एवढंच सल्ला दिला. माझं म्हणणं गोळ्या बंद करा अस नाही, कारण जो पर्यत आजार संपत नाही तो पर्यत तरी आपण डॉ. सांगितलेली औषध मन मर्जीने बंद करू नये. परंतु आयुष्य भर गोळ्या खा अस सांगणाऱ्या डॉक्टर कडे जाणे मात्र बंद करावे व योग्य वैद्य किंवा डॉक्टर पहावा...
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astrovastukosh · 9 months ago
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*🌞~ आज दिनांक - 20 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - एकादशी मध्य रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - पुष्य रात्रि 10:38 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*⛅योग - अतिगण्ड शाम 05:01 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल - दोपहर 12:47 से 02:18 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:43*
*⛅सूर्यास्त - 06:51*
*⛅दिशा शूल - उत्तर*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:08 से 05:56 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:10 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - आमलकी एकादशी, पयोव्रत समाप्त*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹आमलकी एकादशी - 20 मार्च 2024🌹*
*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*
*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*
*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*
*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने ��े घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*
*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*
*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*
*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*
*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*
*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*
*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*
*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*
*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*
*🌹10. एकादशी के दिन घर में ��ाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*
*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*
*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*
*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*
*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🔹पेठे का रस🔹*
*🔸सफेद पेठा (प्रचलित नाम – कुम्हड़ा, गुजराती – भूरूं कोहलु, मराठी – कोहळा, अंग्रेजी – Ash Gourd) आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत लाभदायी फल, सब्जी तथा अनेकों रोगों में उपयोगी औषधि भी है ।*
*🔸यह रस में शीतल, पित्त एवं वायु का शमन करनेवाला, शरीर पुष्टिकर, वजन बढ़ाने में सहायक एवं वीर्यवर्धक है ।*
*🔸यह अम्लपित्त (hyperacidity), शरीर की जलन, सिरदर्द,  नकसीर (नाक से खून आना), टी.बी. के कारण कफ के साथ खून आना, खूनी बवासीर, मूत्र की रुकावट एवं जलन, नींद की कमी, प्यास की अधिकता, श्वेतप्रदर एवं अत्यधिक मासिक स्राव आदि पित्तजनित समस्याओं में अक्सीर औषधि है ।*
*🔸स्मरणशक्ति की कमी, पागलपन, मिर्गी आदि मानसिक समस्याओं, चर्मरोग, पुराना बुखार, शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी आदि में भी अत्यंत लाभदायी है ।*
*🔸आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार यह कैल्शियम, आयरन, जिंक एवं मैग्नेशियम का अच्छा स्रोत है । इसमें निहित एंटी ऑक्सीडेंट मधुमेह (diabetes), उच्च रक्तचाप (High B.P.), कैंसर आदि रोगों से सुरक्षा करने में सहायक है ।*
*🔸सेवन-विधि : 15 से 25 मि.ली. रस सुबह खाली पेट लें ।*
*🔹सावधानी - सर्दी, जुकाम, दमा (asthma) आदि कफ-संबंधी समस्याओं में तथा भूख कम लगती हो तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।*
https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID 9837376839
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bhaktigroupofficial · 3 years ago
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🕉ॐ नमः शिवाय🕉
🌄#सुप्रभातम🌄
🗓#आज_का_पञ्चाङ्ग🗓
🌻#सोमवार, २६ #जुलाई २०२१🌻
सूर्योदय: 🌄 ०५:४३
सूर्यास्त: 🌅 ०७:०७
चन्द्रोदय: 🌝 २१:१३
चन्द्रास्त: 🌜०७:३४
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌦️ वर्षा
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (आनन्द)
मास 👉 श्रावण
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 तृतीया (२६:५४ तक)
नक्षत्र 👉 धनिष्ठा (१०:२६ तक)
योग 👉 सौभाग्य (२२:४० तक)
प्रथम करण 👉 वणिज (१५:२४ तक)
द्वितीय करण 👉 विष्टि (२६:५४ तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 कर्क
चंद्र 🌟 कुंम्भ
मंगल 🌟 सिंह (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 कर्क (अस्त, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 सिंह (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५६ से १२:५१
अमृत काल 👉 २७:०६ से २८:४१
विजय मुहूर्त 👉 १४:४० से १५:३५
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०१ से १९:२५
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०३ से २४:४४
राहुकाल 👉 ०७:१५ से ०८:५८
राहुवास 👉 उत्तर-पश्चिम
यमगण्ड 👉 १०:४० से १२:२३
होमाहुति 👉 मंगल
दिशाशूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 आकाश
भद्रावास 👉 मृत्युलोक (१५:२४ से २६:५४ तक)
चन्द्रवास 👉 पश्चिम
शिववास 👉 क्रीड़ा में (२६:५४ से कैलाश पर)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - अमृत २ - काल
३ - शुभ ४ - रोग
५ - उद्वेग ६ - चर
७ - लाभ ८ - अमृत
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - चर २ - रोग
३ - काल ४ - लाभ
५ - उद्वेग ६ - शुभ
७ - अमृत ८ - चर
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
पश्चिम-दक्षिण (दर्पण देखकर अथवा खीर का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि वि��ेष
🗓📆🗓📆
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श्रावण प्रथम सोमवार व्रत, विवाहादि मुहूर्त (पंजाब- कश्मीर- हिमाचल- हरियाणा) आदि प्रदेश के लिये) कर्क-कन्या लग्न प्रातः ०५:५१ से १०:२५ तक, नीवखुदाई एवं गृहारम्भ मुहूर्त प्रातः ०९:११ से १०:२६ तक, गृहप्रवेश+ देवप्रतिष्ठा मुहूर्त दोपहर १२:०६ से ०१:०० तक, भूमि-भवन+वाहनादि क्रय-विक्रय मुहूर्त दोपहर ०२:१४ से सायं ०७:१४ तक, व्यवसाय आरम्भ मुहूर्त प्रातः ०९:११ से १०:५२ तक आदि।
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आज जन्मे शिशुओं का नामकरण
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आज १०:२६ तक जन्मे शिशुओ का नाम
धनिष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (गे) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम शतभिषा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमश (गो, सा, सी, सू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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पञ्चक रहित मुहूर्त
अग्नि पञ्चक - ०५:३२ से ०७:१४
शुभ मुहूर्त - ०७:१४ से ०९:३३
रज पञ्चक - ०९:३३ से १०:२६
शुभ मुहूर्त - १०:२६ से ११:५१
चोर पञ्चक - ११:५१ से १४:१२
शुभ मुहूर्त - १४:१२ से १६:३१
रोग पञ्चक - १६:३१ से १८:३५
शुभ मुहूर्त - १८:३५ से २०:१६
मृत्यु पञ्चक - २०:१६ से २१:४२
अग्नि पञ्चक - २१:४२ से २३:०५
शुभ मुहूर्त - २३:०५ से २४:३९
मृत्यु पञ्चक - २४:३९ से २६:३४
अग्नि पञ्चक - २६:३४ से २६:५४
शुभ मुहूर्त - २६:५४ से २८:४९
रज पञ्चक - २८:४९ से २९:३३
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उदय-लग्न मुहूर्त
कर्क - २८:५२ से ०७:१४
सिंह - ०७:१४ से ०९:३३
कन्या - ०९:३३ से ११:५१
तुला - ११:५१ से १४:१२
वृश्चिक - १४:१२ से १६:३१
धनु - १६:३१ से १८:३५
मकर - १८:३५ से २०:१६
कुम्भ - २०:१६ से २१:४२
मीन - २१:४२ से २३:०५
मेष - २३:०५ से २४:३९
वृषभ - २४:३९ से २६:३४
मिथुन - २६:३४ से २८:४९
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आपका आज का दिन मिश्रित फलदायी रहेगा। दिन के पूर्वार्ध में समाज के श्रेष्ठ लोगो से पहचान होगी परन्तु घर के ही किसी सदस्य को इससे परेशानी होसकती है फिर भी निकट भविष्य को देखते हुए लाभदायक रहेगी। आज कार्यक्षेत्र में अधिकारियों की कृपा दृष्टि रहेगी आज इनका कोई भेद पता लगने से नरम व्यवहार करेंगे। शेयर मार्केट एवं सट्टे में निवेश से आकस्मिक लाभ हो सकता है। वैसे भी आज मध्यान बाद आकस्मिक धनलाभ की संभावना अधिक है। क्रोधी स्वभाव के कारण परिवारजनों के साथ व्यर्थ विवाद होने से रंग में भंग की स्थिति बनेगी। लंबी दूरी की यात्रा के प्रसंग बनेंगे। अग्नि से सावधानी रखें।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज दिन आपके लिए आपके लिए लाभदायी रहेगा। आज प्रातःकाल के समय दिनचर्या थोड़ी सुस्त रहेगी लेकिन मध्यान आते आते गति पकड़ लेगी। कम समय मे बेहतर कार्य कर अधिकारी एवं सहकर्मी से प्रशंशा मिलेगी। आज कोई भी कार्य हो आप युक्तियों के बल पर उसे पूर्ण कर ही लेंगे। आज शेयर एवं सर्राफा व्यवसायियो को सरकारी कार्य से लाभ होगा। अन्य व्यवसाय से जुड़े जातको को भी संतोषजनक लाभ होगा। आज किसी सामाजिक कार्य अथवा धर्म क्षेत्र में अर्थ एवं श्रमदान से भी सम्मान में वृद्धि होगी। घर में मित्र रिश्तेदारो के आगमन से चहल-पहल रहेगी।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज का दिन आपके लिए उतार चढ़ाव से भरा रहेगा। दिन के आरम्भ से ही किसी अन्य के काम से भाग दौड़ करनी पड़ेगी फिर भी तुरंत कोई निष्कर्ष ना निकलने पर मायूस होंगे। आज अन्य लोगो की जगह अपने काम पर ध्यान दें अन्यथा बाद में पछताना पड़ेगा। नौजरी पेशाओ को कार्य क्षेत्र में प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करना पड़ेगा आज अपने काम से काम रखें। अर्थ लाभ के लिए आज विशेष परिश्रम करने पर ही आशा से कुछ कम सफलता मिलेगी। व्यर्थ की यात्रा से थकान होगी। सर्जरी अथवा बीमारी पर खर्च होने की सम्भवना है। पारिवारिक वातावरण भी अस्त-व्यस्त रहेगा।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आपका आज का दिन अशुभ फलदायी रहेगा। पूर्व में बरती लापरवाही एवं असंयमित खान-पान एवं कार्य की अधिकता के कारण सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सर पेट, कमर, घुटनो की समस्या रहने से बेचैनी रहेगी कार्य क्षेत्र पर भी इनका असर देखने को मिलेगा दिनचर्या आज धीमी ही रहेगी। धन अथवा किसी प्रियजन संबंधित अशुभ समचार मिलने से मन चिंताग्रस्त रहेगा। आज अपनी गलतियों का दोष किसी अन्य पर थोपने पर निजी सम्बंधियों से अनबन भी हो सकती है। आर्थिक दृष्टिकोण से दिन लाभ की तुलना में अधिक खर्च वाला रहेगा। लोहे के औजार एवं अग्नि के कार्यो में विशेष सावधानी बरतें।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
आज आप का दिन लाभदायक सिद्ध होगा। आज भौतिक सुख के साधनो में वृद्धि होगी इसके ऊपर खर्च भी बजट से ज्यादा होगा फिर भी आज व्यापार में उन्नति के साथ-साथ पुराने रुके धन की उगाही होने पर खर्च अखरेगा नही। आज आप अपनी कल्पना को साकार रूप देने में सफल रहेंगे। लेकिन प्रेम प्रसंगों से बचकर रहे धन के साथ मान हानि भी हो सकती है। मध्यान पश्चात का समय कार्य क्षेत्र पर अलग अलग राय बनने से भ्रम में डालेगा लेकिन तुरंत निर्णय लेने की क्षमता भ्रम की स्थिति से बाहर निकाल लेगी। संध्या बाद कोई मनइच्छित कार्य होने से प्रसन्न रहेंगे। पेट मे जलन गैस एवं आँख संबंधित समस्या बन सकती है।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज का दिन आपको अनुकूल फल देगा। आज आपका स्वभाव एवं व्यवहार बनावटी रहेगा दिखावा अधिक पसंद करेंगे। छोटी छोटी उपलब्धियों को भी बड़ा चढ़ा कर पेश करेंगे समाज में दिखावे की प्रतिष्ठा बढ़ने से दिनभर मानसिक रूप से प्रसन्न रहेंगे। आरोग्य अच्छा रहेगा घर के लोग डरे सहमे से रहेंगे जिसके कारण शांति का वातावरण छाया रहेगा। आज बैठे बिठाए ही कार्य क्षेत्र पर नई योजनाएं हाथ में आएगी फिर भी आज आर्थिक लाभ के लिये लंबा इंतजार करना पड़ेगा। परिवार जनों के साथ आपसी संबंधों को महत्व देने से कई समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाएगा। संतान का सुख संतोष प्रदान करेगा। रक्त अथवा पित्त संबंधित शिकायत हो सकती है। मादक एवं तले पदार्थो का परहेज रखें।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आपका आज का दिन आनंददायक रहेगा। आज के दिन आपका बुद्धि विवेक जाग्रत रहेगा प्रत्येक कार्य सोच समझ कर ही करेंगे जिसके परिणाम स्वरूप आज हानि अथवा धोखा होने की संभावना ना के बराबर रहेगी। आज शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी चुस्त रहेंगे। व्यापार अच्छा चलने से आर्थिक स्थिति सुधरेगी फिर भी आज आर्थिक ��िषयो में बड़ो की सलाह लेकर कार्य करें। किसी इच्छित कार्य के पूर्ण होने से ख़ुशी होगी। बेरोजगारों को थोड़ा प्रयास करने पर रोजगार मिल सकता है। मित्रों अथवा परिजनों के साथ बाहर घूमने के प्रसंग बन सकते है। रक्तचाप अथवा अजीर्ण की शिकायत हो सकती है।
वृश्चिक🦂 (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन के कुछ भाग को छोड़ शेष समय अशुभ फलदायी रहेगा। दिन के आरम्भ से ही विवाद का भय रहेगा आज किसी की बातों में ना आए अन्यथा दांपत्यजीवन में कलह-क्लेश हो स���ता है। कार्य क्षेत्र पर भी स्वयं के निर्णय से ही कार्य करने में लाभ मिल सकेगा सहकर्मियों की लत लतीफी कार्यो में विलंब के साथ गरमा गरमी कराएगी। भागीदारी के कार्यो से आज हानि की संभावना है। आर्थिक रूप से दिन सामान्य से कम फलदायक रहेगा। संतान की मनमानी से मन विचलित होगा। आज का दिन धैर्य से बिताने में ही भलाई है। शरीर के अंगों में दर्द एवं अकड़न की शिकायत रह सकती है।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन शुभफलदायी है। आज आपको प्रातः काल से ही धन लाभ की संभावनाएं बनने लगेंगी लेकिन टलते टलते मध्यान के आस पाँच ही हो पाएगी। व्यापारियों को दैनिक लाभ के अतिरिक्त भी आय के अवसर मिलेंगे। नए अनुबंध मिलने से भविष्य की आर्थिक योजनाएं बनाएंगे लेकिन अधूरे कार्य पूर्ण होंने पर ही नयी योजनाएं बनाना शुभ रहेगा। आज आप आध्यत्म एवं गूढ़ रहस्यों में भी रुचि लेंगे। परिवार के बुजुर्गो का सहयोग मिलेगा। दाम्पत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा। संतान से किसी मामूली बात पर मतभेद हो सकता है। गले अथवा मल मूत्र संबंधित विकार होने की संभावना है।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपको मिला-जुला फल देगा। आज दिन के आरम्भ से ही बे फिजूल की मानसिक दुविधाओं और उलझनों के कारण कार्य में उत्साह नहीं रहेगा। कार्य क्षेत्र पर काम करते समय भी मन कही और ही रहेगा शारीरिक रूप से भी शिथिलता और आलस्य अनुभव होगा। मध्यान पश्चात स्थिति सुधरेगी धन की आमद होने पर आर्थिक समस्याओं में कमी आएगी। आज बीते कुछ दिनों से दाम्पत्य में बनी कड़वाहट भ्रम दूर होने पर जीवनसाथी से सम्बन्ध मधुर होंगे लेकिन झगड़ा होबे के बाद ही। किसी पुराने मित्र से भेंट होने से हर्ष और खर्च होगा। सुख सुविधाएं जुटाने पर भी आज परिवार में सुख-शांति की कमी रहेगी।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज आपका दिन का अधिकांश भाग कार्य करते हुए भी आनंद, मनोरंजन में बीतेगा। कार्य क्षेत्र पर कई दिनों से बन रही बाधाएं दूर होने से नए प्रयोग अपनाएंगे फिर भी आज नये कार्यो का आरम्भ करने के लिए दिन शुभ नही है। व्यक्तिगत रूप से नौकरी करने वालों एवं व्यावसायिकों के लिए दिन अच्छा है धन लाभ की तुलना में सम्मान अधिक मिलेगा। दाम्पत्य जीवन का सुख भी आज छोटी मोटी बातों को छोड़ उत्तम रहेगा। खर्च अधिक रह सकते है इन पर नियंत्रण करे अन्यथा कर्ज लेना पड़ सकता है। उत्तम भोजन वाहन पर्यटन सुख मिलेगा। खान पान संतुलित रखें अन्यथा पेट खराब होने पर अन्य रोगों को निमंत्रण देगा।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन प्रतिकूल रहने से लगभग सभी कामो में अड़चने आएंगी। पूर्व में किये निवेश का धन फंसने अथवा हानि होने से मानसिक व्याकुलता रहेगी। नए अनुबंध सोच-समझ कर हाथ मे लें। आज आत्मविश्वाश और सहयोग की कमी रहने से कार्य हानि की संभावना अधिक है। आर्थिक लेन-देन आज ना करें विशेषकर आज किसी से उधार लेने दें से बचे वापसी में परेशानी आएगी। धार्मिक कार्यों एवं सामाजिक समारोह में धन एवं समय लगेगा। परिवार का वातावरण उदासीन रहेगा छोटी छोटी बातों पर परिजनों के साथ मतभेद उजागर होंगे। सेहत में पल पल में नरम गरम रहेगी।
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karanaram · 4 years ago
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🚩 ऐसे खेले होली मिल जाएगा कालसर्पदोष से मुक्ति, होंगे ढेरों फायदे- 14 मार्च 2021
🚩होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।
🚩पलाश को हिंदी में ढाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।
🚩इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन के तुल्य लाभ मिलते हैं ।
🚩कालसर्प दोष से मुक्ति
🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, वो करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प दोष से उनका पीछा नहीं छूटता, लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जो पलाश के रंग अपने पर डालते हैं । कालसर्प दोष के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प दोष चला जायेगा ।
🚩पलाश से पाएं अनेक रोगों से मुक्ति
🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।
🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।
🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।
🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।
🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।
🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।
🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।
🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।
🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।
🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।
🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है ।
🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।
🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है । (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)
🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आशाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था ।
🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबों का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।
🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का। 5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबों लीटर पानी की बर्बादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???
🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।
🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता ।आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?
🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नहीं हो लेकिन खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत्ति नही है।
🚩ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?
🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बचत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओ । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो....त्यौहार नहीं ।
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