#पश्चिमी ईरान
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indlivebulletin · 6 days ago
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यहां नेल पॉलिश और हेयर कलर करना लड़कियों के लिए ‘क्राइम’, पाबंदी से तंग छात्रा ने किया सुसाइड!
पश्चिमी एशिया का एक इस्लामिक मुल्क जहां महिलाओं की जिंदगी दिन ब दिन दुश्वार होती जा रही है, हुक्मरानों की जिद है कि वो जो तय करेंगे उसके मुताबिक ही महिलाओं को अपनी जिंदगी गुज़ारनी होगी. इस मुल्क में नियमों के खिलाफ जाने पर महिलाओं को अपनी जिंदगी से भी हाथ धोना पड़ सकता है. हम बात कर रहे हैं ईरान की. अभी हाल ही में सख्त ड्रेस कोड को लेकर, तेहरान की एक यूनिवर्सिटी में छात्रा के निर्वस्त्र होकर…
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rightnewshindi · 1 month ago
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इजरायल ने हमीमिम एयरबेस पर रूसी सेना पर किया हमला, मचा हड़कंप; जानें क्या तबाह हो जाएगी दुनिया
Israel attacks Russia: इस समय पूरी दुनिया में तबाही का मंजर है. ऐसे में ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के बीच इजरायल ने रूसी सेना पर हमला कर दिया, जो सीरिया के हमीमिम एयरबेस पर तैनात थे। ये सभी रूसी सैनिक पश्चिमी सीरियाई तट पर जाबलेह के पास ठहरे हुए थे. इजरायल के इस हमले का क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीति दोनों पर खास असर पड़ सकता है. यह सीरिया में ईरान समर्थित बलों और बुनियादी ढांचे को निशाना…
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manvadhikarabhivyakti · 2 months ago
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कीव पहुंचे अमेरिका और यूके के विदेश मंत्री, यूक्रेन ने की रूस पर मिसाइल से हमला करने की तैयारी
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और यूके के विदेश मंत्री डेविड लैमी संयुक्त यात्रा पर कीव पहुंचे। उधर, यूक्रेन ने रूस पर मिसाइल हमला करने की तैयारी की है। इसके लिए यूक्रेन लगातार पश्चिमी देशों पर दबाव बना रहा है। अमेरिका में राष्ट्रपति पद उम्मीदवार कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बहस के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ट्रेन से कीन पहुंचे। उन्होंने ईरान पर मॉस्को को…
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imranjalna · 7 months ago
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Iran-Israel Row: ईरान की नौसेना द्वारा कब्जे में लिए गए जहाज पर 17 भारतीय; सुरक्षित वापसी की कोशिश कर रहा भारत
17 Indians on board ship seized by Iranian Navy; India trying for their safe return इस्राइल और ईरान के बीच बढ़े तनाव के बाद पश्चिमी एशिया में एक और युद्ध की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस बीच, ईरान की नौसेना ने इस्राइल के अरबपति इयाल ओफर का मालवाहक जहाज अपने कब्जे में कर लिया है। अब इस जहाज को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि इस जहाज पर सत्रह भारतीय सवार हैं। सूत्रों ने बताया कि जहाज…
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pradeepdasblog · 11 months ago
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( #Muktibodh_part166 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part167
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 321-322
‘‘काशी नगर में भोजन-भण्डारा (लंगर) देना’’
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 793-939 :-
सिमटि भेष इकठा हुवा, काजी पंडित मांहि।
गरीबदास चिठा फिर्या, जंबुदीप सब ठांहि।।793।।
मसलति करी मिलापसैं, जीवन जन्म कछु नांहि।
गरीबदास मेला सही, भेष समेटे तांहि।।794।।
सेतबंध रामेश्वरं, द्वारका गढ गिरनार। गरीबदास मुलतान मग, आये भेष अपार।।795।।
हरिद्वार बदरी बिनोद, गंगा और किदार।
गरीबदास पूरब सजे, ना कछु किया बिचार।।796।।
अठारा लाख दफतर चढे, अस्तल बंध मुकाम।
गरीबदास अनाथ जीव, और केते उस धाम।।797।।
बजैं नगारे नौबतां, तुरही और रनसींग। गरीबदास झूलन लगे, उरधमुखी बौह पींघ।।798।।
एक आक धतूरा चबत है, एक खावै खड़घास।
गरीबदास एक अरध मुखी, एक जीमैं पंच गिरास।।799।
एक बिरक्त कंगाल हैं, एक ताजे तन देह।
गरीबदास मुहमुंदियां, एक तन लावै खेह।।800।।
एक पंच अग्नि तपत हैं, एक झरनैं बैठंत।
गरीबदास एक उरधमुख, नाना बिधि के पंथ।।801।।
एक नगन कोपीनियां, इंद्री खैंचि बधाव।
गरीबदास ऐसै बहुत, गरदन पर धरि पांव।।802।।
एक कपाली करत हैं, ऊपर चरण अकाश।
गरीबदास एक जल सिज्या, नाना भांति उपास।।803।।
एक बैठे एक ठाडेसरी, एक मौनी महमंत।
गरीबदास बड़बड़ करैं, ऐसैं बहुत अनंत।।804।।
एक जिकरी जंजालिया, एक ज्ञानी धुनि वेद।
गरीबदास ऐसे बहुत, वृक्ष काटि घर खेद।।805।।
एक उंचै सुर गावहीं, राग बंध रस रीत। गरीबदास ऐसे बहुत, आदर बिना अतीत।।806।।
एक भरड़े सिरडे़ फिरै, एक ज्ञानी घनसार।
गरीबदास उस पुरी में, पड़ी है किलकार।।807।।
एक कमरि जंजीर कसि, लोहे की कोपीन।
गरीबदास दिन रैंन सुध, पडे़ रहैं बे दीन।।808।।
एक मूंजौं की मुदरा, केलौं के लंगोट। गरीबदास लंबी जटा, एक मुंडावैं घोट।।809।।
एक रंगीले नाचहीं, करैं अचार बिचार। गरीबदास एक नगन हैं, एकौं खरका भार।।810।।
एक धूंनी तापैं दहूँ, सिंझ्या देह बुझाय। गरीबदास ऐसे बहुत, अन्न जल कछु न खाय।।811।।
एक मूंधे सूंधे पडे़, आसन मोर अधार। गरीबदास ऐसे बहुत, करते हैं जलधार।।812।।
एक पलक मूंदैं नहीं, एक मूंदे रहैं हमेश।
गरीबदास न्यौली कर्म, एक त्राटिक ध्यान हमेश।।813।।
एक बजर आसन करैं, एक पदम प्रबीन।
गरीबदास एक कनफट्टा, एक बजावैं बीन।।814।।
शंख तूर झालरि, बजैं रणसींगे घनघोर। गरीबदास काशीपुरी, दल आये बड जोर।।815।।
एक मकरी फिकरी बहुत, गलरी गाल बजंत।
गरीबदास तिन को गिनै, ऐसे बहुत से पंथ।।816।।
एक हर हर हका करैं, एक मदारी सेख।
गरीबदास गुदरी लगी, आये भेष अलेख।।817।।
एक चढे घोड्यौं फिरैं, एक लड़ावैं फील।
गरीबदास कामी बहुत, एक राखत हैं शील।।818।।
एक तनकौं धोवैं नहीं, एक त्रिका��ी न्हाहि।
गरीबदास एक सुचितं, एक ऊपर को बांहि।।819।।
एक नखी निरबांनीया, एक खाखी हैं खुश।
गरीबदास पद ना लख्या, सब कूटत हैं त��श।।820।।
तुश कूटैं और भुस भरैं, आये भेष अटंब।
गरीबदास नहीं बंदगी, तपी बहुत आरंभ।।821।।
ठोडी कंठ लगावहीं, आठ बखत नक ध्यान।
गरीबदास ऐसे बहुत, कथा छंद सुर ज्ञान।।822।।
एक सौदागर भेष में, कस्तूरी ब्यौपार। गरीबदास केसर कनी, सिमट्या भेष अपार।।823।।
एक तिलक धोती करैं, दर्पन ध्यान गियान।
गरीबदास एक अग्नि में, होमत है अन्नपान।।824।।
◆ पारख के अंग की वाणी नं. 793- 824 का सरलार्थ :- कबीर परमेश्वर जी को काशी शहर से भगाने के उद्देश्य से हिन्दू तथा मुसलमानों के धर्मगुरूओं तथा धर्म के प्रचारकों ने षड़यंत्र के तहत झूठी चिट्ठी में निमंत्रण भेजा कि कबीर जुलाहा तीन दिन का भोजन-भंडारा (लंगर) करेगा। प्रत्येक बार भोजन खाने के पश्चात् दस ग्राम स्वर्ण की मोहर (सोने का सिक्का) तथा एक दोहर (खद्दर की दोहरी सिली चद्दर जो कंबल के स्थान पर सर्दियों में ओढ़ी जाती थी) दक्षिणा में देगा। भोजन में सात प्रकार की मिठाई, हलवा, खीर, पूरी, मांडे, रायता, दही बड़े आदि मिलेंगे। सूखा-सीधा (एक व्यक्ति का आहार, जो भंडारे में नहीं आ सका, उसके लिए) दिया जाएगा। यह सूचना पाकर दूर-दूर के संत अपने शिष्यों समेत निश्चित तिथि को पहुँच गए। काजी तथा पंडित भी उनके बीच में पहुँच गए। चिट्ठी जंबूदीप (पुराने भारत) में सब जगह पहुँची। {ईराक, ईरान, गजनवी, तुर्की, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बिलोचिस्तान, पश्चिमी पाकिस्तान आदि-आदि सब पुराना भारत देश था।} संतजन कहाँ-कहाँ से आए? सेतुबंध, रामेश्वरम्, द्वारका, गढ़ गिरनार, मुलतान, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगा घाट। अठारह लाख तो साधु-संत व उनके शिष्य आए थे। अन्य अनाथ (बिना बुलाए) अनेकों व्यक्ति भोजन खाने व दक्षिणा लेने आए थे। जो साधु जिस पंथ से संबंध रखते थे, उसी परंपरागत वेशभूषा को पहने थे ताकि पहचान रहे। अपने पंथ की प्रचलित साधना कर रहे थे। कोई (बाजे) वाद्य यंत्र बजाकर नाच-नाचकर परमात्मा की स्तूति कर रहे थे।
◆ कोई आक तथा धतूरे को खा रहे थे जो बहुत कड़वा तथा न���ीला होता है। कोई खड़घास खा रहे थे। कोई उल्टा लटककर वृक्ष के नीचे साधना कर रहा था। कोई सिर नीचे पैर ऊपर को करके साधना यानि तप कर रहा था। कोई केवल पाँच ग्रास भोजन खाता था।
उसका यह नियम था। कोई (मुँहमुंदिया) मुख पर पट्टी बांधकर रखने वाले थे। कोई शरीर के ऊपर (खेह) राख लगाए हुए थे। कोई पाँच धूने लगाकर तपस्या कर रहा था। कोई
तिपाई के ऊपर मटके को रखकर उसमें सुराख करके पानी डालकर नीचे बैठकर जल धारा यानि झरना साधना कर रहे थे। कई नंगे थे। कई केवल कोपीन बांधे हुए थे। कोई अपनी गर्दन के ऊपर दोनों पैर रखकर आसन कर रहे थे। कोई (ठाडेसरी) खडे़ होकर तपस्या कर रहे थे। किसी ने मौन धारण कर रखा था। जो बड़बड़ कर थे, वे भी अनेकों आए थे।
कुछ ऊँचे स्वर से भगवान के शब्द गा रहे थे। अनेकों ऐसे थे जिनके साथ कोई चेला नहीं था। उनका कोई सम्मान नहीं कर रहा था। कोई सिरड़े-भिरडे़ (बिना स्नान किए मैले-कुचैले वस्त्र पहने) रेत-मिट्टी में पड़े थे। संत गरीबदास जी दिव्य दृष्टि से देखकर कह रहे हैं कि काशी पुरी में किलकारी पड़ रही थी। कोई सिर के ऊपर बड़े-बड़े बालों की जटा रखे हुए
थे। कोई-कोई मूंड-मुंडाए हुए थे। कोई अपने पैरों में लोहे की जंजीर बांधे हुए था। कोई लोहे की कोपीन (पर्दे पर लोहे की पतली पत्ती लगाए हुए था) बांधे हुए था। कोई केले के पत्तों का लंगोट बांधे हुए था। कोई त्राटक ध्यान लगा रहा था। कोई आँख खोल ही नहीं रहा था। कोई कान चिराए हुए था। इस प्रकार के अनेकों पंथों के शास्त्रा विरूद्ध साधना करने वाले परमात्मा को चाहने वाले (भेष) पंथ काशी में परमेश्वर कबीर जी द्वारा दिए गए भंडारे के निमंत्रण से इकट्ठे हुए थे। अठारह लाख तो साधु-शिष्य वेश वाले थे। अन्य सामान्य नागरिक भी अनेकों आए थे।
क्रमशः________________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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takataktop · 1 year ago
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Israel-Hamas Conflict: इज़राइली खुफिया एजेंसी द्वारा विफल ऑपरेशन
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Israel-Hamas Conflict: इज़रायली ख़ुफ़िया अधिकारियों ने इज़रायल पर विनाशकारी हमले की योजना बनाने में हमास की सहायता की थी। यह दावा द वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की एक रिपोर्ट में किया गया है. WSJ की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास और हिजबुल्लाह जैसे आतंकी समूहों के वरिष्ठ सदस्यों के जरिए यह खुलासा हुआ है कि ईरान ने पिछले सोमवार को बेरूत में हुई बैठक के दौरान इस हमले की मंजूरी दी थी.
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Israel-Hamas Conflict: तीन अरब डॉलर के सालाना बजट और सात हजार की कार्यबल के लिए मशहूर इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद दुनिया भर में एक अजेय हत्या मशीन के रूप में मशहूर है। CIA के बाद इसे पश्चिमी दुनिया की सबसे ताकतवर ख़ुफ़िया एजेंसी माना जाता था. हालाँकि, मोसाद इज़राइल पर हमास के हमले को रोकने में विफल रहा। विशेषज्ञ इस बात से हैरान हैं कि हमेशा अपनी खुफिया एजेंसी पर गर्व करने वाला इजराइल आखिरकार विफल हो गया। गुप्त सूचनाएं इकट्ठा करने, गुप्त ऑपरेशनों को अंजाम देने और आतंकवाद से लड़ने के लिए मशहूर मोसाद इस मामले में कैसे पीछे रह गई? इसके अलावा, इजराइल गाजा में ड्रोन, अभेद्य सीमाओं पर निगरानी कैमरों और तैनात सैनिकों के माध्यम से फिलिस्तीनियों पर लगातार नजर रखता है। आइए जानें कि मोसाद कैसे काम करता है और वह इस हमले को विफल करने में क्यों विफल रही। आतंकवादी संगठनों के भीतर एक मजबूत नेटवर्क मोसाद में कई विभाग शामिल हैं, लेकिन इसकी आंतरिक संरचना का विवरण ज्यादातर गुप्त रहता है। यह न केवल आतंकवादी समूहों की गतिविधियों के बारे में व्यापक जानकारी इकट्ठा करता है बल्कि लेबनान, सीरिया और ईरान जैसे दुश्मन देशों के भीतर मुखबिरों और एजेंटों का एक मजबूत नेटवर्क भी बनाए रखता है। मोसाद का विशाल खुफिया नेटवर्क न केवल आतंकवादियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी देता है बल्कि जरूरत पड़ने पर उनका सफाया भी सुनिश्चित करता है। इस गुप्त एजेंसी की मदद से, इज़राइल ने वेस्ट बैंक में कई साजिशों को विफल कर दिया है, दुबई में कथित हमास चरमपंथियों को खत्म कर दिया है और यहां तक कि गुप्त अभियानों के माध्यम से ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को भी अक्षम कर दिया है। सबसे बड़ा प्रभाग - संग्रहण विभाग मोसाद का कलेक्शन डिपार्टमेंट दुनिया भर में जासूसी अभियानों के लिए जिम्मेदार उसका सबसे बड़ा प्रभाग है। एजेंट खुफिया रिपोर्ट इकट्ठा करते हैं, राजनीतिक गतिविधियों का संचालन करते हैं और विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ सहयोग करते हैं, यहां तक कि उन देशों में भी जहां इज़राइल के आधिकारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं। हत्याओं और मनोवैज्ञानिक युद्ध जैसे ऑपरेशन चलाना स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन, जिसे मेट्सडा के नाम से भी जाना जाता है, हत्या, तोड़फोड़, अपरंपरागत युद्ध और मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन सहित अत्यधिक संवेदनशील मिशनों में माहिर है। इसका एलपी (लोचामा साइकोलॉजिस्ट) विभाग मनोवैज्ञानिक युद्ध, प्रचार और संबंधित गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है। अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी प्रभाग अनुसंधान विभाग दैनिक स्थितियों, साप्ताहिक सारांश और व्यापक मासिक रिपोर्ट के आधार पर वर्गीकृत रिपोर्ट तैयार करता है। इस बीच, प्रौद्योगिकी विभाग मोसाद के संचालन का समर्थन करने के लिए उन्नत तकनीक विकसित करता है। हमास ने गुरिल्ला रणनीति का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गाजा-इजरायल सीमा पर इजरायल के निगरानी कैमरों, ग्राउंड-मोशन सेंसर और उच्च तकनीक सुरक्षा उपकरणों के बावजूद, हमास के आतंकवादी न केवल जमीन पर बल्कि समुद्र और पैराग्लाइडर के माध्यम से भी आतंकवादी हमलों को अंजाम देने में इजरायल में घुसपैठ करने में कामयाब रहे। इससे पहले कि इज़राइल प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दे पाता, हमास अपनी योजनाओं में सफल हो गया। रिपोर्टों से पता चलता है कि हमास के आतंकवादी इजरायली नागरिकों पर हमले कर रहे थे, उन्हें गोली मार रहे थे, या ��न्हें उनके घरों से अपहरण कर रहे थे। एक असफल ऑपरेशन यह एक महत्वपूर्ण विफलता है. इससे पता चलता है कि गाजा में हमारा खुफिया तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाया।' जब सब कुछ शांत हो जाएगा तो हमें इसकी जांच करनी चाहिए कि ऐसा कैसे हुआ. - (याकोव अमिड्रोर, इज़राइल के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) गाजा में गुप्त खुफिया जानकारी पर निर्भरता जमीन पर मौजूदगी के बिना गाजा के भीतर गुप्त खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए, इजरायली एजेंसियां तकनीकी साधनों पर बहुत अधिक निर्भर हो गई हैं। गाजा में आतंकवादियों ने इजराइल की तकनीकी शक्ति का मुकाबला करना सीख लिया है और उन तकनीकों का उपयोग करना बंद कर दिया है जो उन्हें बेनकाब कर सकती थीं। Read the full article
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khetikisaniwala · 1 year ago
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Best अंगूर की खेती(Grapes Farming)कैसे होती है | सम्पूर्ण जानकारी | किसानो ने मचाया धमाल
आज हम अपने ब्लॉग पोस्ट में अंगू��� की खेती से सम्बंधित बात करेंगे जैसे -अंगूर की खेती, अंगूर की उपज, अंगूर की खेती कैसे करें, अंगूर की खेती की जानकारी, अंगूर की खेती के नियम, अंगूर की फसल, अंगूर की खेती के लाभ, अंगूर की खेती के टिप्स, अंगूर की खेती के बीज, अंगूर की उन्नत खेती, grapes farming आदि |
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अंगूर की खेती कैसे होती है ?
सामान्य परिचय
यह दुनिया में बहुत लोकप्रिय फसल है और अधिकांश देशों में व्यावसायिक रूप से उगाई जाती है। यह एक बारहमासी और पर्णपाती वुडी चढ़ाई वाली बेल है। यह विटामिन बी और कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत है। अंगूर का उपयोग कच्चे खाने के लिए किया जाता है और जेली, जाम, किशमिश, सिरका, रस, बीज का तेल और अंगूर के बीज के अर्क जैसे विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। अंगूर की खेती मुख्य रूप से फ्रांस, अमेरिका, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, चीन, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, ईरान, इटली और चिली में की जाती है। इनमें अंगूर की खेती करने वाला चीन सबसे बड़ा देश है। इसके स्वास्थ्य लाभ भी हैं जैसे कि इसका उपयोग मधुमेह को नियंत्रित करने, अस्थमा, हृदय के मुद्दों, कब्ज, हड्डियों के स्वास्थ्य आदि से राहत देने के लिए किया जाता है। यह त्वचा और बालों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के लिए भी उपयोगी है।
अंगूर की खेती मिट्टी(Field)
यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है लेकिन अच्छी उपजाऊ मिट्टी जिसका PH-मान 6.5-8.5 हो और अच्छी जल धारण क्षमता हो, अंगूर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है।
अंगूर की उन्नत खेती और उपज के साथ लोकप्रिय किस्में
पंजाब एमएसीएस पर्पल: 2008 में जारी किया गया। यह किस्म एंथोसायनिन से भरपूर है। फल बेर है जो बीज वाला होता है। फल मध्यम आकार के होते हैं और पकने पर बैंगनी रंग के हो जाते हैं। इसमें मध्यम और ढीले गुच्छे होते हैं। किस्म जून के प्रथम सप्ताह में पक जाती है। यह रस और अमृत प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त है।
Perlette: 1967 में जारी। अधिक उपज देने वाली किस्म, गुच्छे बड़े से मध्यम आकार के होते हैं, अंगूर मध्यम आकार के, हल्के सुगंधित, गोल, मोटे छिलके वाले, मीठे मांस और सख्त होते हैं। इसमें 16-18% टीएसएस सामग्री होती है। यह प्रति बेल औसतन 25 किग्रा उपज देती है।
ब्यूटी सीडलेस: 1968 में रिलीज़ हुई। यह दक्षिण-पश्चिमी जिलों में उगाए जाने पर अच्छा प्रदर्शन करती है। इसमें मध्यम आकार के गुच्छे लगते हैं जो अच्छी तरह भरे होते हैं। इसमें बीज रहित बेरी होती है जो आकार में मध्यम होती है और नीले-काले रंग की होती है। बेरीज में 16-18% टीएसएस सामग्री होती है। जून के प्रथम सप्ताह में फल पक जाते हैं। यह प्रति बेल औसतन 25 किग्रा उपज देती है।
फ्लेम सीडलेस: 2000 में जारी किया गया। इसमें मध्यम गुच्छा, बीज रहित बेरी होती है जो दृढ़ और कुरकुरी होती है और परिपक्वता पर हल्के बैंगनी रंग की हो जाती है। इसमें 16-18% टीएसएस सामग्री होती है। किस्म जून के दूसरे सप्ताह में पक जाती है।
सुपीरियर सीडलेस: मध्यम फैलने वाली बेलें। गुच्छे मध्यम से बड़े आकार के होते हैं। बीज आकार में बड़े और सुनहरे रंग के होते हैं। फल में 10.0% चीनी सामग्री और 0.51% खट्टा सामग्री होती है। किस्म जून के प्रथम सप्ताह में पक जाती है। यह प्रति पेड़ 21.8 किलोग्राम की औसत उपज देता है।
अन्य राज्य किस्में:
शुष्क क्षेत्रों के लिए:
किशमिश बनाने के लिए: थॉम्पसन सीडलेस, ब्ल��क साहेबी
कच्चे खाने के लिए: थॉम्पसन सीडलेस, ब्यूटी सीडलेस, ब्लैक साहेबी, अनाब-ए-शाही,
जूस बनाने के लिए: ब्यूटी सीडलेस, ब्लैक प्रिंस
बेल बनाने के लिए: रंगस्प्रे, छोल्हू सफेद, छोल्हू लाल
निम्न पहाड़ी क्षेत्रों के लिए:
Thompson Seedless: गुच्छे बड़े, समान आकार के अंगूर होते हैं, अंगूर मध्यम लंबे होते हैं, पकने पर हरे रंग के फल सुनहरे रंग के हो जाते हैं, फल बीज रहित, सख्त और अच्छे स्वाद वाले, देर से पकने वाली किस्म है।
काली साहेबी: फल जामुनी रंग के, अच्छी गुणवत्ता वाले, अच्छे गुच्छे, पतले छिलके और मीठे गुदे वाले, मुलायम बीज, लंबे समय तक रखे जा सकने वाले, कम फल देने वाले, बड़े आकार के फल होते हैं।
अनाब-ए-शाही: गुच्छे मध्यम से बड़े आकार के भरे हुए, दूधिया रंग के फल, पतले छिलके वाले, अच्छी गुणवत्ता वाले फल स्वाद में मीठे होते हैं।
ब्लैक प्रिंस: जामुनी रंग के गोल आकार के फल, मोटे छिलके, मीठे और मुलायम गुदे, मध्यम आकार के गुच्छे, कम घने, अच्छी उपज देने वाली अगेती किस्म, कच्चे खाने और रस बनाने के लिए उपयुक्त।
भूमि की तैयारी
अंगूर की खेती के लिए अच्छी तरह से तैयार जमीन जरूरी है। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए ट्रैक्टर से 3-4 गहरी जुताई और 3 बार हैरो से जुताई करनी चाहिए।
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webmorch-blog · 2 years ago
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Weather Update: जानें कब तक रहेगा ऐसा मौसम, रूक-रूक होगी बारिश
Weather Update: पश्चिमी विक्षोभ की वजह से दिल्ली-NCR सहित उत्तर भारत में शाम को धूल भरी आंधी चली, जिससे मौसम सुहावना हो गया. आसमान में बादल छाने की वजह से कई क्षेत्रों में गरज के साथ फुहारें पड़ीं. तापमान में कमी आने से लोगों ने राहत की सांस ली है. मौसम विभाग का कहना है कि मौसम का यह बदला मिजाज अब मई के पहले सप्ताह तक ऐसा ही बना रहेगा. आज से और गिर जाएगा पारा मौसम विभाग के अनुसार, ईरान के रास्ते…
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thedhongibaba · 2 years ago
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✴️भारत में मुसलमानो के 800 वर्ष के शासन का झूठ✴️
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*क्या भारत में मुसलमानों ने 800 वर्षों तक शासन किया है-*
सुनने में यही आता है पर न कभी कोई आत्ममंथन करता है और न इतिहास का सही अवलोकन। आईये देखते हैं, इतिहास के वास्तविक नायक कौन थे? और उन्होंने किस प्रकार मुगलिया ताकतों को रोके रखा और भारतीय संस्कृति की रक्षा में सफल रहे।
*राजा दाहिर : प्रारम्भ करते है मुहम्मद बिन कासिम के समय से-*
भारत पर पहला आक्रमण मुहम्मद बिन ने 711 ई में सिंध पर किया। राजा दाहिर पूरी शक्ति से लड़े और मुसलमानों के धोखे के शिकार होकर वीरगति को प्राप्त हुए।
*बप्पा रावल:*_ _दूसरा हमला 735 में राजपुताना पर हुआ जब हज्जात ने सेना भेजकर बप्पा रावल के राज्य पर आक्रमण किया। वीर बप्पा रावल ने ��ुसलमानों को न केवल खदेड़ा बल्कि अफगानिस्तान तक मुस्लिम राज्यों को रौंदते हुए अरब की सीमा तक पहुँच गए। ईरान अफगानिस्तान के मुस्लिम सुल्तानों ने उन्हें अपनी पुत्रियां भेंट की और उन्होंने 35 मुस्लिम लड़कियों से विवाह करके सनातन धर्म का डंका पुन: बजाया। बप्पा रावल का इतिहास कही नहीं पढ़ाया जाता। यहाँ तक की अधिकतर इतिहासकर उनका नाम भी छुपाते है। गिनती भर हिन्दू होंगे जो उनका नाम जानते हैं!
*दूसरे ही युद्ध में भारत से इस्लाम समाप्त हो चुका था। ये था भारत में पहली बार इस्लाम का नाश।*
*सोमनाथ के रक्षक राजा जयपाल और आनंदपाल:*
अब आगे बढ़ते है गजनवी पर। बप्पा रावल के आक्रमणों से मुसलमान इतने भयक्रांत हुए की अगले 300 सालों तक वे भारत से दूर रहे।_
इसके बाद महमूद गजनवी ने 1002 से 1017 तक भारत पर कई आक्रमण किये पर हर बार उसे भारत के हिन्दू राजाओ से कड़ा उत्तर मिला। पहले राजा जयपाल और फिर उनका पुत्र आनंदपाल, दोनों ने उसे मार भगाया था।
महमूद गजनवी ने सोमनाथ पर भी कई आक्रमण किये पर 17 वे युद्ध में उसे सफलता मिली थी। सोमनाथ के शिवलिंग को उसने तोडा नहीं था बल्कि उसे लूट कर वह काबा ले गया था। जिसका रहस्य आपके समक्ष जल्द ही रखता हु। यहाँ से उसे शिवलिंग तो मिल गया जो चुम्बक का बना हुआ था। पर खजाना नहीं मिला। भारतीय राजाओ के निरंतर आक्रमण से वह वापिस गजनी लौट गया और अगले 100 सालो तक कोई भी मुस्लिम आक्रमणकारी भारत पर आक्रमण न कर सका।
*सम्राट पृथ्वीराज चौहान:*
1098 में मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज राज चौहान को 16 युद्द के बाद परास्त किया और अजमेर व दिल्ली पर उसके गुलाम वंश के शासक जैसे कुतुबुद्दीन, इल्तुमिश व बलवन दिल्ली से आगे न बढ़ सके। उन्हें हिन्दू राजाओ के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। पश्चिमी द्वार खुला रहा जहाँ से बाद में ख़िलजी लोधी तुगलक आदि आये। ख़िलजी भारत के उत्तरी भाग से होते हुए बिहार बंगाल पहुँच गए। कूच बिहार व बंगाल में मुसलमानो का राज्य हो गया पर बिहार व अवध प्रदेश मुसलमानो से अब भी दूर थे। शेष भारत में केवल गुजरात ही मुसलमानो के अधिकार में था। अन्य भाग स्वतन्त्र थे।
*राणा सांगा:-*
1526 में राणा सांगा ने इब्राहिम लोधी के विरुद्ध बाबर को बुलाया। बाबर ने लोधियों की सत्ता तो उखाड़ दी पर वो भारत की सम्पन्नता देख यही रुक गया और राणा सांगा क��� उसने युद्ध में ��रा दिया। चित्तोड़ ��ब भी स्वतंत्र रहा पर अब दिल्ली मुगलो के अधिकार में थी। हुमायूँ दिल्ली पर अधिकार नहीं कर पाया पर उसका बेटा अवश्य दिल्ली से आगरा के भाग पर शासन करने में सफल रहा। तब तक कश्मीर भी मुसलमानो के अधिकार में आ चूका था।_
*महाराणा प्रताप*
अकबर पुरे जीवन महाराणा प्रताप से युद्ध में व्यस्त रहा। जो बाप्पा रावल के ही वंशज थे और उदय सिंह के पुत्र थे जिनके पूर्वजो ने 700 सालो तक मुस्लिम आक्रमणकारियों का सफलतापूर्वक सामना किया। जहाँगीर व शाहजहाँ भी राजपूतों से युद्धों में व्यस्त रहे व भारत के बाकी भाग पर राज्य न कर पाये।
दक्षिण में बीजापुर में तब तक इस्लाम शासन स्थापित हो चुका था।
*छत्रपति शिवाजी महाराज:*
औरंगजेब के समय में मराठा शक्ति का उदय हुआ और शिवाजी महाराज से लेकर पेशवाओ ने मुगलो की जड़े खोद डाली। शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य का विस्तार उनके बाद आने वाले मराठा वीरों ने किया। बाजीराव पेशवा इन्होने मराठा सम्राज्य को भारत में हिमाचल बंगाल और पुरे दक्षिण में फैलाया। दिल्ली में उन्होंने आक्रमण से पहले गौरी शंकर भगवान से मन्नत मांगी थी कि यदि वे सफल रहे तो चांदनी चौक में वे भव्य मंदिर बनाएंगे। जहाँ कभी पीपल के पेड़ के नीचे 5 शिवलिंग रखे थे। बाजीराव ने दिल्ली पर अधिकार किया और गौरी शंकर मंदिर का निर्माण किया। जिसका प्रमाण मंदिर के बाहर उनके नाम का लगा हुआ शिलालेख है। बाजीराव पेशवा ने एक शक्तिशाली हिन्दुराष्ट्र की स्थापना की जो 1830 तक अंग्रेजो के आने तक स्थापित रहा।_
*अंग्रेजों और मुगलों की मिलीभगत:*
मुगल सुल्तान मराठाओ को चौथ व कर देते रहे थे और केवल लालकिले तक सिमित रह गए थे। और वे तब तक शक्तिहीन रहे। जब तक अंग्रेज भारत में नहीं आ गए। 1760 के बाद भारत में मुस्लिम जनसँख्या में जबरदस्त गिरावट हुई जो 1800 तक मात्र 7 प्रतिशत तक पहुँच गयी थी। अंग्रेजो के आने के बाद मुसल्मानो को संजीवनी मिली और पुन इस्लाम को खड़ा किया गया, ताकि भारत में सनातन धर्म को नष्ट किया जा सके। इसलिए अंग्रेजो ने 50 साल से अधिक समय से पहले ही मुसलमानो के सहारे भारत विभाजन का षड्यंत्र रच लिया था। मुसलमानो के हिन्दु विरोधी रवैये व उनके धार्मिक जूनून को अंग्रेजो ने सही से प्रयोग किया तो यह झूठा इतिहास क्यों पढ़ाया गया?:-_
असल में हिन्दुओ पर 1200 सालो के निरंतर आक्रमण के बाद भी जब भारत पर इस्लामिक शासन स्थापित नहीं हुआ और न ही अंग्रेज इस देश को पूरा समाप्त कर सके। तो उन्होंने शिक्षा को अपना अस्त्र बनाया और इतिहास में फेरबदल किये। अब हिन्दुओ की मानसि��ता को बदलना है तो उन्हें ये बताना होगा की तुम गुलाम हो। लगातार जब यही भाव हिन्दुओ में होगा तो वे स्वयं को कमजोर और अत्याचारी को शक्तिशाली समझेंगे। इसी चाल के अंतर्गत ही हमारा जातीय नाम आर्य के स्थान पर हिन्दू रख दिया गया, जिसका अर्थ होता है काफ़िर, काला, चोर, नीच आदि ताकि हम आत्महीनता के शिकार हो अपने गौरव, धर्म, इतिहास और राष्ट्रीयता से विमुख हो दासत्व मनोवृति से पीड़ित हो सकें। *वास्तव में हमारे सनातन धर्म के किसी भी शास्त्र और ग्रन्थ में हिन्दू शब्द कहीं भी नहीं मिलता बल्कि शास्त्रो में हमे आर्य, आर्यपुत्र और आर्यवर्त राष्ट्र के वासी बताया गया है। आज भी पंडित लोग संकल्प पाठ कराते हुए "आर्यवर्त अन्तर्गते..."* का उच्चारण कराते हैं । अत: भारत के हिन्दुओ को मानसिक गुलाम बनाया गया जिसके लिए झूठे इतिहास का सहारा लिया गया और परिणाम सामने है।_
*लुटेरे और चोरो को आज हम बादशाह सुलतान नामो से पुकारते है उनके नाम पर सड़के बनाते है।* शहरो के नाम रखते है और उसका कोई हिन्दू विरोध भी नहीं करता जो बिना गुलाम मानसिकता के संभव नहीं सकता था। इसलिए उन्होंने नई रण नीति अपनाई। इतिहास बदलो, मन बदलो और गुलाम बनाओ। यही आज तक होता आया है। जिसे हमने मित्र माना वही अंत में हमारी पीठ पर वार करता है। इसलिए झूठे इतिहास और झूठे मित्र दोनों से सावधान रहने की आवश्यकता है।
*हम उस दास मानसिकता से मुक्त हो जो हम सब के अंदर घर कर गयी है, ताकि हम जान सकें की हम कायर और विभाजित पूर्वजों की सन्तान नहीं, हम कर्मठ और संगठित वीरों की सन्तान हैं।* .
*🚩🕉सत्य सनातन धर्म कि जय🙏🚩*
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trendingwatch · 2 years ago
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अमेरिका ने ईरान-रूस सैन्य साझेदारी को 'हानिकारक' बताया
अमेरिका ने ईरान-रूस सैन्य साझेदारी को ‘हानिकारक’ बताया
द्वारा एएफपी वाशिंगटन: संयुक्त राज्य अमेरिका ने शुक्रवार को रूस और ईरान के बीच “पूर्ण पैमाने पर रक्षा साझेदारी” पर चिंता व्यक्त की, इसे यूक्रेन, ईरान के पड़ोसियों और दुनिया के लिए “हानिकारक” बताया। ईरान पश्चिमी शक्तियों द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए रूस को ड्रोन की आपूर्ति करने का आरोप लगाता है, क्योंकि मास्को खूनी संघर्ष में लाभ की तलाश में देश के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर हमला करता…
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mwsnewshindi · 2 years ago
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यूएस ने "हानिकारक" ईरान-रूस सैन्य साझेदारी पर अलार्म बजाया
यूएस ने “हानिकारक” ईरान-रूस सैन्य साझेदारी पर अलार्म बजाया
अमेरिका ने कहा कि रूस हथियार विकास जैसे क्षेत्रों में ईरान के साथ सहयोग करना चाहता है। वाशिंगटन: संयुक्त राज्य अमेरिका ने शुक्रवार को रूस और ईरान के बीच “पूर्ण पैमाने पर रक्षा साझेदारी” पर चिंता व्यक्त की, इसे यूक्रेन, ईरान के पड़ोसियों और दुनिया के लिए “हानिकारक” बताया। ईरान पश्चिमी शक्तियों द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए रूस को ड्रोन की आपूर्ति करने का आरोप लगाता है, क्योंकि मास्को खूनी…
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indlivebulletin · 9 days ago
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ईरान की जिस लड़की ने सरेआम उतार दिए थे अपने कपड़े, उसे लेकर बड़ा खुलासा
ईरान की राजधानी तेहरान की आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड रिसर्च में एक छात्रा के निर्वस्त्र होकर घूमने के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. सोशल मीडिया और पश्चिमी मीडिया में छात्रा के इस कदम को ईरान में लागू इस्लामी ड्रेस कोड के खिलाफ एक प्रतिरोध के रूप में देखाया गया था. हालांकि, ईरान सरकार ने अब कहा है कि छात्रा मानसिक परेशानी से ग्रस्त और उसे इलाज के लिए हॉस्पिटल भेज दिया है. इस घटना के बाद…
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teznews · 2 years ago
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ईरान में बीच बाजार बंदूकधारियों ने की गोलीबारी, 5 लोगों की मौत
ईरान में बीच बाजार बंदूकधारियों ने की गोलीबारी, 5 लोगों की मौत
कई घायलIran Open Fire कई नागरिक के साथ सुरक्षा में तैनात जवान भी इस गोलीबारी में गंभीर घायल हु�� हैं। समाचार एजेंसी द एसोसिएटेड प्रेस ��े ईरान के सरकारी टेलीविजन के हवाले से यह जानकारी दी है। गोलीबारी में एक महिला और लड़की की मौत हो गई है। Iran Open Fire तेहरान, एजेंसी। ईरान के दक्षिण-पश्चिमी शहर इजीह में बीच बाजार में कुछ बंदूकधारियों ने गोलीबारी कर दी, जिसमें करीब 5 लोगों की मौत हो गई और कई लोग…
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allgyan · 4 years ago
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केसर के नाम अनेक-
केसर नाम से लगता है की ये कोई महंगी चीज होगी ।केसर का उपयोग लोग पुराने समय से करते आ रहे है बस नाम हर जगह अलग -अलग होता है।केसर को भारत में केशर, पाकिस्तान और कश्मीर में जाफ़रान और अंग्रेजी में सैफ्रॉन (Saffron) कहा जाता है। केसर का पौधा जमुनी रंग का होता है जिसके फूल के अंदर धागों के रूप में केसर होता है। केसर के कई आयुर्वेदिक फायदे भी हैं।दुनिया भर में केसर का उपयोग किया जाता है और इसके औषधीय गुणों के बारे में हम सभी जानते हैं। केसर का उपयोग मिठाई, खीर और दूध आदि में अधिक किया जाता है। इसके उपयोग से भोजन का ��्वाद, सुगंध और रंग भी बदल जाता है। केसर हमारी सेहत के लिए जितना फायदेमंद होता है उतना ही महंगा भी होता है। हम सभी जानते हैं कि केसर बहुत महंगा होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केसर इतना महंगा क्यों होता है। तो आइये हम आपको बताते हैं कि केसर इतना महंगा क्यों होता है।
केसर कीमती होने की वजह-
केसर का प्रयोग ग्रीक और रोमन लोग सुगंधि के रूप में करते थे |लेकिन बाद में इसका प्रयोग खाने में भी होने लगा ।औऱ आज के दौर इसका प्रयोग अधिकाधिक होने लगी है ।केसर के महंगे होने की कई वजह है। पहली बात तो यह है कि केसर की खेती कुछ चुनिंदा जगहों पर ही की जा सकती है क्योंकि इसके अनुकूल जलवायु हर जगह नहीं मिलती है। इसकी खेती और कटाई की प्रक्रिया भी काफी जटिल होती है और इसकी कटाई मशीनों द्वारा नहीं की जा सकती है इसलिए इसकी कटाई-छटाई में बहुत अधिक श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा केसर के विशिष्ट स्वाद, सुगंध, रंग और गुण भी इसे महंगा बनाते हैं। केसर की कीमत लगभग 1 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलो होती है।केसर निकालने की प्रक्रिया में काफी मेहनत लगती है। इसके लिए केसर के पौधों के फूलों को हाथों से तोड़ा जाता है फिर इन्हें किसी छायादार स्थान पर 4-5 घंटों तक सुखाया जाता है। प्रत्येक फूल में लाल रंग के 3 केसर होते हैं जिन्हें हाथों से निकाल कर अलग किया जाता है। इस प्रकार लगभग डेढ़ लाख फूलों में से 1 किलो केसर निकलता है|
केसर की पहचान कैसे करे -
बाजार में नकली चीजों की भी भरमार है। ऐसे में जबकि केसर इतना महंगा है तो हमें इसके असली होने की भी पुष्टि कर लेनी चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि ‘असली केसर की पहचान कैसे करें?’ असली केसर की पहचान करने की एक आसान सी विधि है। सबसे पहले एक सफ़ेद कागज पर केसर के एक-दो टुकड़े रखें। अब इस पर ठन्डे पानी की 2-3 बूँद डालें। अब यदि केसर असली होगा तो वह हल्का सा पीला रंग छोड़ेगा जिससे पानी पीला हो जायेगा, और केसर अपने लाल रंग में ही रहेगा। यदि केसर का रंग बदल जाता है तो वह नकली हो सकता है।
केसर से होने वाले फायदे-
केसर सबसे ज्यादा ईरान में पाया जाता है ।इसके अलावा इटली, स्पेन, पाकिस्तान, तुर्किस्तान, ग्रीस, चीन तथा भारत में भी केसर की खेती की जाती है। भारत में केसर सिर्फ जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है।केसर एक छोटा पर्पल रंग का पौधा होता है ।केसर के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है साथ ही सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, त्वचा और आँखों के लिए भी केसर बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके सेवन से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती है, डिप्रेशन और अनिद्रा से रा��त मिलती है, त्वचा में निखार आता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को केसर वाला दूध पीने की सलाह दी जाती है जिससे बच्चा स्वस्थ पैदा हो।
कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम-
केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है। केसर की खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ तथा जन्नत-ए-कश्मीर के पामपुर (पंपोर) के सीमित क्षेत्रों में अधिक की जाती है। केसर यहां के लोगों के लिए वरदान है। क्योंकि केसर के फूलों से निकाला जाता सोने जैसा कीमती केसर जिसकी कीमत बाज़ार में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किलो है। परंतु कुछ राजनीतिक कारणों से आज उसकी खेती बुरी तरह प्रभावित है। यहां की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती है। असली केसर बहुत महंगी होती है। कश्मीरी मोंगरा सर्वोतम मानी गई है। एक समय था जब कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम माना जाता था। उत्तर प्रदेश के चौबटिया ज़िले में भी केसर उगाने के प्रयास चल रहे हैं। विदेशों में भी इसकी पैदावार बहुत होती है और भारत में इसकी आयात होती है।
केसर को उगाने के लिए कौन सी जलवायु और मिटटी चाहिए   -
केसर को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊँचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधे के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहता है। यह पौधा कली निकलने से पहले वर्षा एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है। मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है।केसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है |इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है।ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं| इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है। प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं। लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है।इन फूलों की इतनी तेज़ खुशबू होती है कि आसपास का क्षेत्र महक उठता है।केसर को निकालने के लिए पहले फूलों को चुनकर किसी छायादार स्थान में बिछा देते हैं। सूख जाने पर फूलों से मादा अंग यानि केसर को अलग कर लेते हैं। रंग एवं आकार के अनुसार इन्हें - मागरा, लच्छी, गुच्छी आदि श्रेणियों में वर्गीकत करते हैं। 150000 फूलों से लगभग 1 किलो सूखा केसर प्राप्त होता है।
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the-radha-love · 5 years ago
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कोरोना वायरस आखिर किस की गलती है? हम किस को इस महामारी का दोष दे? क्या इस के जिम्मेदार हम सब नही है? हम ने जो प्राकृतिक संसाधनों का अपने झूठे विकास के लिए दोहन किया है क्या वो हमें करना चाहिए? अभी कुछ महीनों पहले ऑस्ट्रेलिया में जो भीषण आग लग थी उस मे लाखो पशु पक्षी अकाल मृत्यु में समा गए थे। लाखो हेक्टेयर पर पेड़ पौधे जल कर खाख हो गए थे। लेकिन हम ने कोई सबक नहीं लिया। जब माता प्रकृति ने हमे इतने प्रकार के अनाज, फल-सब्जियां, दाल, औषिधिया ओर ना जाने क्या क्या दिया है खाने के लिए, लेकिन हम ने खाने में सिर्फ निर्दोष बेजुबान जानवरों को ही चुन लिया जो प्राकृतिक चक्र को संतुलित करने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। आज कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। जिस के जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ हम है क्यो की हम ने प्राकृतिक नियमो की धज्जियां उड़ा कर रख दी है। हम मानव भले ही ईश्वर की सुंदर रचना है लेकिन मैं यह कह सकता हूँ कि हम इंसान ही ईश्वर की सब से भयंकर रचना है, क्योंकि हम ने प्रकृति से उस का मूल स्वरूप छीन लिया है। हम ने प्रकृति की ऋतुओ का चक्र ही बदल दिया है। जल के स्रोतों को दूषित कर दिया है। नदियों को सुखा दिया है। ग्लेशियर की बर्फ को पिघला दिया है। पहाड़ो को तोड़ दिया है। जंगलों को खत्म करते जा रहे हैं। इतना सब कर रहे हैं तो हमे इस प्रकृति के गुस्से का सामना करना ही पड़ेगा। अगर अब भी हम जानवरों को खाना नही छोड़ते हैं तो आने वाले समय मे यह स्थिति भयानक रूप के साथ फिर आएगी। कुछ लोग बोलते हैं कि अगर हम जानवरो को नही खाएगे तो धरती पर जानवरों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी... ऐसी मूर्खतापूर्ण बाते करने वाले लोग कहाँ से आते हैं मुझे पता नहीं लेकिन एक बात बता देता हूँ कि प्रकृति अपने चक्र को किसी भी हाल में खराब नहीं होने देती है। इंसान भी बहुत ज्यादा है पृथ्वी पर क्या धरती नीचे खिसक गई?? हम पाताल लोक में पहुंच गए? पशु पक्षी, पेड़ पौधे, जल वायु सब प्रक्रति के अनमोल उपहार है जो अपना कार्य हम मानवों के लिए निश्वार्थ भाव से कर रहे हैं। कभी सोचा है कि जब पानी नही होगा , शुद्ध हवा नही होगी तो क्या होगा? अब हम सब की ज��म्मेदारी है कि हमे इस कोरोना ��हामारी से सबक लेकर प्रकृति की सेवा करनी चाहिए। जब भारतीय लोग पेड़ पौधों की, पशु पक्षियों की, जल थल की, अर्थात प्रकृति की पूजा करती थी तो लोग उपहास उड़ाते थे और सनातन धर्म को पाखंड बताते थे। और आज लोग उसी सनातन संस्कृति को अपना रहे हैं। लेकिन हम भारतीय अपनी संस्कृति को पश्चिमी देशों की तुलना में आज में कमजोर महसूस कर रहे हैं। जब कि आज पश्चिम के लोग नमस्ते को अपना रहे हैं, सनातन परंपरा के अनुसार दाह संस्कार भी कर रहे हैं।। सभी सुरक्षित रहे, अपने इंसान होने का फर्ज निभाए। सरकारी निर्देशो का पालन करे। हमारी सजगता ही इस महामारी को खत्म कर सकता है। वरना इटली ईरान हम सब के सामने जीवित उदहारण है। ।। भगवान शिव सब की रक्षा करे।।
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sgtechs-in · 6 years ago
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इसलिए औरतों पर शक करना थी इस बॉलीवुड एक्टर की आदत, एक खास वजह से नहीं की थी शादी, एक एक्ट्रेस ने तो इनकी याद में आजतक नहीं की शादी
इसलिए औरतों पर शक करना थी इस बॉलीवुड एक्टर की आदत, एक खास वजह से नहीं की थी शादी, एक एक्ट्रेस ने तो इनकी याद में आजतक नहीं की शादी
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एंटरटेनमेंट डेस्क. गुजरे जमाने के एक्टर संजीव कुमारकी आज (मंगलवार) 33वीं डेथ एनिवर्सरी है। हार्ट अटैक से मात्र 47 की उम्र में 6 नवंबर, 1985 को इनका निधन हो गया था। अपने 25 साल के फिल्मी करियर में संजीव कुमार ने कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। उनके लिेए कहा जाता था कि महिलाओं पर बहुत ज्यादा शक करते थे। शक करने की एक खास वजह ये थी जब कभी कोई महिला उनकी ओर अट्रैक्ट होती थी या उनका अफेयर शुरू…
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