#सर्वोतममानीगई
Explore tagged Tumblr posts
allgyan · 4 years ago
Link
केसर के नाम अनेक-
केसर नाम से लगता है की ये कोई महंगी चीज होगी ।केसर का उपयोग लोग पुराने समय से करते आ रहे है बस नाम हर जगह अलग -अलग होता है।केसर को भारत में केशर, पाकिस्तान और कश्मीर में जाफ़रान और अंग्रेजी में सैफ्रॉन (Saffron) कहा जाता है। केसर का पौधा जमुनी रंग का होता है जिसके फूल के अंदर धागों के रूप में केसर होता है। केसर के कई आयुर्वेदिक फायदे भी हैं।दुनिया भर में केसर का उपयोग किया जाता है और इसके औषधीय गुणों के बारे में हम सभी जानते हैं। केसर का उपयोग मिठाई, खीर और दूध आदि में अधिक किया जाता है। इसके उपयोग से भोजन का स्वाद, सुगंध और रंग भी बदल जाता है। केसर हमारी सेहत के लिए जितना फायदेमंद होता है उतना ही महंगा भी होता है। हम सभी जानते हैं कि केसर बहुत महंगा होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केसर इतना महंगा क्यों होता है। तो आइये हम आपको बताते हैं कि केसर इतना महंगा क्यों होता है।
केसर कीमती होने की वजह-
केसर का प्रयोग ग्रीक और रोमन लोग सुगंधि के रूप में करते थे |लेकिन बाद में इसका प्रयोग खाने में भी होने लगा ।औऱ आज के ��ौर इसका प्रयोग अधिकाधिक होने लगी है ।केसर के महंगे होने की कई वजह है। पहली बात तो यह है कि केसर की खेती कुछ चुनिंदा जगहों पर ही की जा सकती है क्योंकि इसके अनुकूल जलवायु हर जगह नहीं मिलती है। इसकी खेती और कटाई की प्रक्रिया भी काफी जटिल होती है और इसकी कटाई मशीनों द्वारा नहीं की जा सकती है इसलिए इसकी कटाई-छटाई में बहुत अधिक श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा केसर के विशिष्ट स्वाद, सुगंध, रंग और गुण भी इसे महंगा बनाते हैं। केसर की कीमत लगभग 1 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलो होती है।केसर निकालने की प्रक्रिया में काफी मेहनत लगती है। इसके लिए केसर के पौधों के फूलों को हाथों से तोड़ा जाता है फिर इन्हें किसी छायादार स्थान पर 4-5 घंटों तक सुखाया जाता है। प्रत्येक फूल में लाल रंग के 3 केसर होते हैं जिन्हें हाथों से निकाल कर अलग किया जाता है। इस प्रकार लगभग डेढ़ लाख फूलों में से 1 किलो केसर निकलता है|
केसर की पहचान कैसे करे -
बाजार में नकली चीजों की भी भरमार है। ऐसे में जबकि केसर इतना महंगा है तो हमें इसके असली होने की भी पुष्टि कर लेनी चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि ‘असली केसर की पहचान कैसे करें?’ असली केसर की पहचान करने की एक आसान सी विधि है। सबसे पहले एक सफ़ेद कागज पर केसर के एक-दो टुकड़े रखें। अब इस पर ठन्डे पानी की 2-3 बूँद डालें। अब यदि केसर असली होगा तो वह हल्का सा पीला रंग छोड़ेगा जिससे पानी पीला हो जायेगा, और केसर अपने लाल रंग में ही रहेगा। यदि केसर का रंग बदल जाता है तो वह नकली हो सकता है।
केसर से होने वाले फायदे-
केसर सबसे ज्यादा ईरान में पाया जाता है ।इसके अलावा इटली, स्पेन, पाकिस्तान, तुर्किस्तान, ग्रीस, चीन तथा भारत में भी केसर की खेती की जाती है। भारत में केसर सिर्फ जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है।केसर एक छोटा पर्पल रंग का पौधा होता है ।केसर के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है साथ ही सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, त्वचा और आँखों के लिए भी केसर बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके सेवन से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती है, डिप्रेशन और अनिद्रा से राहत मिलती है, त्वचा में निखार आता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को केसर वाला दूध पीने की सलाह दी जाती है जिससे बच्चा स्वस्थ पैदा हो।
कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम-
केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है। केसर की खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ तथा जन्नत-ए-कश्मीर के पामपुर (पंपोर) के सीमित क्षेत्रों में अधिक की जाती है। केसर यहां के लोगों के लिए वरदान है। क्योंकि केसर के फूलों से निकाला जाता सोने ��ैसा कीमती केसर जिसकी कीमत बाज़ार में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किलो है। परंतु कुछ राजनीतिक कारणों से आज उसकी खेती बुरी तरह प्रभावित है। यहां की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती है। असली केसर बहुत महंगी होती है। कश्मीरी मोंगरा सर्वोतम मानी गई है। एक समय था जब कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम माना जाता था। उत्तर प्रदेश के चौबटिया ज़िले में भी केसर उगाने के प्रयास चल रहे हैं। विदेशों में भी इसकी पैदावार बहुत होती है और भारत में इसकी आयात होती है।
केसर को उगाने के लिए कौन सी जलवायु और मिटटी चाहिए   -
केसर को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊँचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधे के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहता है। यह पौधा कली निकलने से पहले वर्षा एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है। मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है।केसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है |इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है।ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं| इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है। प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं। लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है।इन फूलों की इतनी तेज़ खुशबू होती है कि आसपास का क्षेत्र महक उठता है।केसर को निकालने के लिए पहले फूलों को चुनकर किसी छायादार स्थान में बिछा देते हैं। सूख जाने पर फूलों से मादा अंग यानि केसर को अलग कर लेते हैं। रंग एवं आकार के अनुसार इन्हें - मागरा, लच्छी, गुच्छी आदि श्रेणियों में वर्गीकत करते हैं। 150000 फूलों से लगभग 1 किलो सूखा केसर प्राप्त होता है।
1 note · View note
allgyan · 4 years ago
Photo
Tumblr media
केसर के नाम अनेक-
केसर नाम से लगता है की ये कोई महंगी चीज होगी ।केसर का उपयोग लोग पुराने समय से करते आ रहे है बस नाम हर जगह अलग -अलग होता है।केसर को भारत में केशर, पाकिस्तान और कश्मीर में जाफ़रान और अंग्रेजी में सैफ्रॉन (Saffron) कहा जाता है। केसर का पौधा जमुनी रंग का होता है जिसके फूल के अंदर धागों के रूप में केसर होता है। केसर के कई आयुर्वेदिक फायदे भी हैं।दुनिया भर में केसर का उपयोग किया जाता है और इसके औषधीय गुणों के बारे में हम सभी जानते हैं। केसर का उपयोग मिठाई, खीर और दूध आदि में अधिक किया जाता है। इसके उपयोग से भोजन का स्वाद, सुगंध और रंग भी बदल जाता है। केसर हमारी सेहत के लिए जितना फायदेमंद होता है उतना ही महंगा भी होता है। हम सभी जानते हैं कि केसर बहुत महंगा होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि केसर इतना महंगा क्यों होता है। तो आइये हम आपको बताते हैं कि केसर इतना महंगा क्यों होता है।
केसर कीमती होने की वजह-
केसर का प्रयोग ग्रीक और रोमन लोग सुगंधि के रूप में करते थे |लेकिन बाद में इसका प्रयोग खाने में भी होने लगा ।औऱ आज के दौर इसका प्रयोग अधिकाधिक होने लगी है ।केसर के महंगे होने की कई वजह है। पहली बात तो यह है कि केसर की खेती कुछ चुनिंदा जगहों पर ही की जा सकती है क्योंकि इसके अनुकूल जलवायु हर जगह नहीं मिलती है। इसकी खेती और कटाई की प्रक्रिया भी काफी जटिल होती है और इसकी कटाई मशीनों द्वारा नहीं की जा सकती है इसलिए इसकी कटाई-छटाई में बहुत अधिक श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा केसर के विशिष्ट स्वाद, सुगंध, रंग और गुण भी इसे महंगा बनाते हैं। केसर की कीमत लगभग 1 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलो होती है।केसर निकालने की प्रक्रिया में काफी मेहनत लगती है। इसके लिए केसर के पौधों के फूलों को हाथों से तोड़ा जाता है फिर इन्हें किसी छायादार स्थान पर 4-5 घंटों तक सुखाया जाता है। प्रत्येक फूल में लाल रंग के 3 केसर होते हैं जिन्हें हाथों से निकाल कर अलग किया जाता है। इस प्रकार लगभग डेढ़ लाख फूलों में से 1 किलो केसर निकलता है|
केसर की पहचान कैसे करे -
बाजार में नकली चीजों की भी भरमार है। ऐसे में जबकि केसर इतना महंगा है तो हमें इसके असली होने की भी पुष्टि कर लेनी चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि ‘असली केसर की पहचान कैसे करें?’ असली केसर की पहचान करने की एक आसान सी विधि है। सबसे पहले एक सफ़ेद कागज पर केसर के एक-दो टुकड़े रखें। अब इस पर ठन्डे पानी की 2-3 बूँद डालें। अब यदि केसर असली होगा तो वह हल्का सा पीला रंग छोड़ेगा जिससे पानी पीला हो जायेगा, और केसर अपने लाल रंग में ही रहेगा। यदि केसर का रंग बदल जाता है तो वह नकली हो सकता है।
केसर से होने वाले फायदे-
केसर सबसे ज्यादा ईरान में पाया जाता है ।इसके अलावा इटली, स्पेन, पाकिस्तान, तुर्किस्तान, ग्रीस, चीन तथा भारत में भी केसर की खेती की जाती है। भारत में केसर सिर्फ जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों में उगाया जाता है।केसर एक छोटा पर्पल रंग का पौधा होता है ।केसर के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है साथ ही सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, त्वचा और आँखों के लिए भी केसर बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके सेवन से पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती है, डिप्रेशन और अनिद्रा से राहत मिलती है, त्वचा में निखार आता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को क���सर वाला दूध पीने की सलाह दी जाती है जिससे बच्चा स्वस्थ पैदा हो।
कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम-
केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है। केसर की खेती भारत में जम्मू के किश्तवाड़ तथा जन्नत-ए-कश्मीर के पामपुर (पंपोर) के सीमित क्षेत्रों में अधिक की जाती है। केसर यहां के लोगों के लिए वरदान है। क्योंकि केसर के फूलों से निकाला जाता सोने जैसा कीमती केसर जिसकी कीमत बाज़ार में तीन से साढ़े तीन लाख रुपये किलो है। परंतु कुछ राजनीतिक कारणों से आज उसकी खेती बुरी तरह प्रभावित है। यहां की केसर हल्की, पतली, लाल रंग वाली, कमल की तरह सुन्दर गंधयुक्त होती है। असली केसर बहुत महंगी होती है। कश्मीरी मोंगरा सर्वोतम मानी गई है। एक समय था जब कश्मीर का केसर विश्व बाज़ार में श्रेष्ठतम माना जाता था। उत्तर प्रदेश के चौबटिया ज़िले में भी केसर उगाने के प्रयास चल रहे हैं। विदेशों में भी इसकी पैदावार बहुत होती है और भारत में इसकी आयात होती है।
केसर को उगाने के लिए कौन सी जलवायु और मिटटी चाहिए   -
केसर को उगाने के लिए समुद्रतल से लगभग 2000 मीटर ऊँचा पहाड़ी क्षेत्र एवं शीतोष्ण सूखी जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधे के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त रहता है। यह पौधा कली निकलने से पहले वर्षा एवं हिमपात दोनों बर्दाश्त कर लेता है, लेकिन कलियों के निकलने के बाद ऐसा होने पर पूरी फसल चौपट हो जाती है। मध्य एवं पश्चिमी एशिया के स्थानीय पौधे केसर को कंद (बल्ब) द्वारा उगाया जाता है।केसर का पौधा सुगंध देनेवाला बहुवर्षीय होता है |इसके फूलों का रंग बैंगनी, नीला एवं सफेद होता है।ये फूल कीपनुमा आकार के होते हैं। इनके भीतर लाल या नारंगी रंग के तीन मादा भाग पाए जाते हैं| इस मादा भाग को वर्तिका (तन्तु) एवं वर्तिकाग्र कहते हैं। यही केसर कहलाता है। प्रत्येक फूल में केवल तीन केसर ही पाए जाते हैं। लाल-नारंगी रंग के आग की तरह दमकते हुए केसर को संस्कृत में 'अग्निशाखा' नाम से भी जाना जाता है।इन फूलों की इतनी तेज़ खुशबू होती है कि आसपास का क्षेत्र महक उठता है।केसर को निकालने के लिए पहले फूलों को चुनकर किसी छायादार स्थान में बिछा देते हैं। सूख जाने पर फूलों से मादा अंग यानि केसर को अलग कर लेते हैं। रंग एवं आकार के अनुसार इन्हें - मागरा, लच्छी, गुच्छी आदि श्रेणियों में वर्गीकत करते हैं। 150000 फूलों से लगभग 1 किलो सूखा केसर प्राप्त होता है।
1 note · View note