#पराबैंगनी
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Hydrogen has an impact
Hydrogen has an impact not only on our dwarf sun or home planet or solar system but also on the entire Milky Way galaxy.
Now this hydrogen is produced alone and its transformation process is only helium.
Or like an egg shell, protective water in it and then food system attached to the female, I don't know if all this is there or not for the birth of a child.
But the outer part of hydrogen fusion is the corona cloud.
I think this could be something.
What is the analysis of corona cloud from hydrogen fusion?
Does Deuterium Fusion occur in the Sun's Corona from ...
Quora
https://www.quora.com › Does-Deuterium-Fusion-occu...
Due to the lack of EXTREME gravity and pressure such as in the core, fusion doesn't occur in the Corona.
Does nuclear fusion occur in the corona?
The sun's corona is just radiated heat from outgoing flares, CMEs, convection, photons, gamma rays, mostly near massless neutrinos, other random high Energy particles/cosmic rays. Due to the lack of EXTREME gravity and pressure such as in the core, fusion doesn't occur in the Corona.11 Jan 2022
DETECTION OF A HYDROGEN CORONA IN HST Lyα ...
IOPscience
https://iopscience.iop.org › article
by L Roth · 2017 · Cited by 38
We report far-ultraviolet observations of Europa in transit of Jupiter obtained with the Space Telescope Imaging Spectrograph of the Hubble Space Telescope on six occasions between 2014 December and 2015 March. Absorption of Jupiter's bright hydrogen Lyα dayglow is detected in a region several moon radii above the limb in all observations. The observed extended absorption provides the first detection of an atomic hydrogen corona around Europa. Molecular constituents in Europa's global sputtered atmosphere are shown to be optically thin to Lyα. The observations are consistent with a radially escaping H corona with maximum densities at the surface in the range of (1.5–2.2) × 103 cm−3, confirming the abundances predicted by Monte Carlo simulations. In addition, we search for anomalies around the limb of Europa from absorption by localized high H2O abundances from active plumes. No significant local absorption features are detected. We find that an H2O plume with line-of-sight column density in the order of 1016 cm−2, as inferred by Roth et al. would not be detectable based on the statistical fluctuations of the transit measurements, and hence is not excluded or further constrained. The presence of plumes with line-of-sight column densities of >2 × 1017 cm−2 can be excluded at a 3-σ level during five of our six observations.
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सिर्फ हमारी ड्वार्फ सूरज या होम प्लेनेट या सौरमंडल ही नहीं पूरे मिल्की वे गैलेक्सी तक हाइड्रोजन की प्रभाव है
अब यह हाइड्रोजन अकेला पैदा होता है जिसकी रुपांतरन प्रकृया सिर्फ हीलियम होता है
या जैसे बच्चा पैदा होने के लिए एक अंडे की छिलका उसमें सुरक्षात्मक पानी फिर मादा से जूड़ा हुआ खाद्य प्रणाली यह सब भी होता है या नहीं यह मुझे पता नहीं
मगर हाइड्रोजन फ्यूजन की जो बाहरी हिस्सा कोरोना वाली क्लाउड होता है
यह कुछ बात हो सकता है मुझे लगता है
हाइड्रोजन फ्यूजन से कोरोना क्लाउड की क्या विश्लेषण है
क्या सूर्य के कोरोना में ड्यूटेरियम संलयन होता है ...
Quora
https://www.quora.com › क्या-ड्यूटेरियम-संलयन-होता है...
कोर में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण और दबाव की कमी के कारण, कोरोना में संलयन नहीं होता है।
क्या कोरोना में परमाणु संलयन होता है?
सूर्य का कोरोना केवल बाहर जाने वाली लपटों, सीएमई, संवहन, फोटॉन, गामा किरणों, ज्यादातर द्रव्यमान रहित न्यूट्रिनो, अन्य यादृच्छिक उच्च ऊर्जा कणों/ब्रह्मांडीय किरणों से निकलने वाली गर्मी है। कोर में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण और दबाव की कमी के कारण, कोरोना में संलयन नहीं होता है। 11 जनवरी 2022
एचएसटी Lyα में हाइड्रोजन कोरोना का पता लगाना ...
IOPscience
https://iopscience.iop.org › लेख
एल रोथ द्वारा · 2017 · 38 द्वारा उद्धृत
हम 2014 दिसंबर और 2015 मार्च के बीच छह मौकों पर हबल स्पेस टेलीस्कोप के स्पेस टेलीस्कोप इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ के साथ प्राप्त बृहस्पति के पारगमन में यूरोपा के दूर-पराबैंगनी अवलोकनों की रिपोर्ट करते हैं। बृहस्पति के चमकीले हाइड्रोजन Lyα डेग्लो का अवशोषण सभी अवलोकनों में अंग के ऊपर कई चंद्रमा त्रिज्या के क्षेत्र में पाया जाता है। देखा गया विस्तारित अवशोषण यूरोपा के चारों ओर एक परमाणु हाइड्रोजन कोरोना का पहला पता लगाता है। यूरोपा के वैश्विक स्पटर किए गए वायुमंडल में आणविक घटकों को Lyα के ��िए ऑप्टिकल रूप से पतला दिखाया गया है। अवलोकन सतह पर अधिकतम घनत्व (1.5-2.2) × 103 सेमी−3 की सीमा में रेडियल रूप से भागने वाले एच कोरोना के अनुरूप हैं, जो मोंटे कार्लो सिमुलेशन द्वारा भविष्यवाणी की गई प्रचुरता की पुष्टि करता है। इसके अलावा, हम सक्रिय प्लम से स्थानीयकृत उच्च H2O प्रचुरता द्वारा अवशोषण से यूरोपा के अंग के आसपास विसंगतियों की खोज करते हैं। कोई महत्वपूर्ण स्थानीय अवशोषण विशेषताएँ नहीं पाई गईं। हम पाते हैं कि 1016 सेमी−2 के क्रम में लाइन-ऑफ-विज़न कॉलम घनत्व वाला एक H2O प्लम, जैसा कि रोथ एट अल द्वारा अनुमान लगाया गया है, पारगमन माप के सांख्यिकीय उतार-चढ़ाव के आधार पर पता लगाने योग्य नहीं होगा, और इसलिए इसे बाहर नहीं रखा गया है या आगे सीमित नहीं किया गया है।
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Sunscreen Application: सनस्क्रीन लगाने के बाद आपका चेहरा भी दिखता है काला? जानें क्या है कारण
Sunscreen Application: सनस्क्रीन लगाने के बाद आपका चेहरा भी दिखता है काला? जानें क्या है कारण
अपनी स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाने के लिए हम कई तरह के स्किनकेयर रूटीन को फॉलो करते हैं और रेमेडीज भी आजमाते हैं। इन्ही स्किन केयर रूटीन में से एक प्रोडक्ट सनस्क्रीन है।किसी भी मौसम में धूप में निकलने से पहले इसे लगाना जरूरी है क्योंकि सूरज की पराबैंगनी किरणें हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसे में सनस्क्रीन हमारी त्वचा को इन हानिकारक किरणों से बचाती है। बाज़ार में कई तरह की सनस्क्रीन उपलब्ध हैं, लेकिन आपको अपनी स्किन टाइप के हिसाब से सनस्क्रीन चुनना बेहद जरूरी है। इससे सनबर्न और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
सनस्क्रीन स्किन पर एक परत बना देती है जिस से आपकी त्वचा को हानिकारक किरणों से बचाने में मदद मिलती है। यह त्वचा को रूखा होने से बचाने में भी मदद करती है। हालांकि, कुछ लोगों का कहना है कि सनस्क्रीन लगाने के बाद उनका चेहरा डार्क और डल दिखने लगता है। क्या आपके साथ भी ऐसा होता है? दरअसल, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइए उनके बारे में और जानें।
सनस्क्रीन लगाने के बाद चेहरा डल क्यों दिखने लगता है?
आजकल बाजार में कई तरह के ब्रांड और सनस्क्रीन उपलब्ध हैं। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि ये सभी आपकी त्वचा पर सूट करें। कभी-कभी इनमें मौजूद तत्व या केमिकल आपके स्किन टाइप के आधार पर नहीं होते हैं या यह भी संभव है कि आप अपनी स्किन टेक्स्चर और टाइप के अनुसार सनस्क्रीन का उपयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे आपका चेहरा डल दिखाई दे सकता है। इसलिए सनस्क्रीन खरीदने से पहले अपनी त्वचा के प्रकार पर ध्यान दें। अगर आपको त्वचा संबंधी कोई समस्या है तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लें। वे आपके लिए सही सनस्क्रीन का सुझाव दे सकेंगे।
सनस्क्रीन लगाने का सही तरीका
चेहरा धोने के बाद पहले उसे मॉइस्चराइज़ करें और फिर सनस्क्रीन लगाएं। साथ ही इसे अपनी गर्दन और गले पर भी लगाएं। आप दिन में 2 से 3 बार सनस्क्रीन लगा सकते हैं। इसके बाद आप मेकअप भी लगा सकती हैं।
आजकल बाजार में कई तरह की एसपीएफ क्रीम उपलब्ध हैं। इसके अलावा, बाहर जाने से 15 से 20 मिनट पहले सनस्क्रीन लगाना याद रखें ताकि यह आपकी स्किन में अब्सॉर्व हो जाए।
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सफेद दाग (विटिलिगो) - लक्षण, कारण, प्रकार, बचाव
सफेद दाग (विटिलिगो) क्या होता है
विटिलिगो को हिंदी में सफेद दाग भी कहा जाता है। आपने भी शायद अपनी जिंदगी में एक न एक बार विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति को जरूर देखा होगा। ऐसा देखा जाता है, कि उनके शरीर के अंगों पर सफेद धब्बे होते हैं जो ज्यादातर पैरों, चेहरे, और हाथों पर दिखते हैं।
विटिलिगो यानी सफेद दाग स्किन से संबंधित कई तरीके की बीमारियों में से एक बीमारी होती है जो खून से संबंधित एलर्जी, गलत खाना-पीना और स्किन इन्फेक्शन के कारण होती है।
सफेद दाग के शुरुआती लक्षण
विटिलिगो की शुरुआत शरीर में खुजली शुरू होने से होती है। इसके बाद शरीर के दूसर�� हिस्सों पर सफेद रंग के छोटे या बड़े दाग दिखने लगते हैं। आमतौर पर यह दाग बाद में मरीज को किसी तरह की तकलीफ तो नहीं देते, लेकिन कई बार इनकी वजह से दूसरे लोग उनसे डरते और दूर भागते हैं। यही वजह है जिसके कारण उन्हें तनाव, हीनभावना, सुसाइडल अटेम्प्ट्स का शिकार होते भी देखा जाता है ।
वहीं, स्किन कलर का फीका पड़ना या सफेद हो जाना भी इसका एक लक्षण है। इसके अलावा, बहुत सारे मामलों में मुंह के अंदर के टिशूज का रंग बदलना या फीका पड़ना और आंखों के रेटिना की अंदर की परत का रंग फीका पड़ना भी देखा जाता है।
सफेद दाग (विटिलिगो) के प्रकार
यूनिवर्सल विटिलिगो
इस प्रकार का विटिलिगो शरीर के सभी हिस्सों में हो सकता है। यानी कि सफेद दाग चेहरे से लेकर पैरों तक सभी जगह पर होते हैं।
सेगमेंटल विटिलिगो
यह शरीर के किसी खास हिस्से में होता है। आमतौर पर यह 1 से 2 साल तक फैलता है और उसके बाद ही इसका फैलना रुकता है।
सामान्यकृत विटिलिगो
यह सबसे आम विटिलिगो है, जो शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है और कभी भी बढ़कर रुक भी सकता है।
फोकल विटिलिगो
फोकल विटिलिगो, आकार में छोटा होता है और केवल शरीर के किसी खास हिस्से में होता है।
एग्रोफेशियल विटिलिगो
यह विटिलिगो खासकर चेहरे पर होता है और कभी कभी हाथों पैरों पर दिखता है।
विटिलिगो में परहेज
विटिलिगो के मरीजों के लिए शराब, कॉफी, मांस-मच्छी, अचार, लाल मांस, टमाटर के बने उत्पाद, फलों का रस और सिगरेट यह सारी चीजें हानिकारक होती हैं ।
इसकी जगह फल जैसे सेब, केला, अंजीर, खरबूज, खजूर, मूली, गाजर और हरी पत्ती वाली सब्जियों का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है और बीमारी से बाहर आने में मददगार साबित होता है।
विटिलिगो का इलाज त्वचा के रंग को बहाल करके उसकी उपस्थिति को बदलने पर आधारित होता है। हालांकि, यह आमतौर पर स्थायी नहीं होते और साथ ही इसके प्रसार को पूरी तरह नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। ऐसे में यह तरीके अपनाने चाहिए -
धूप से बचाव
अगर आपको विटिलिगो है, तो आपके लिए सनबर्न एक गंभीर जोखिम है और आपको अपनी स्किन को धूप से बचाना चाहिए। ऐसा देखा जाता है, कि जब आपकी त्वचा यानी स्किन सूर्य की रौशनी के संपर्क में आती है, तो यह पराबैंगनी (यूवी) ��िरणों से बचाने में मदद करने के लिए मेलेनिन नाम के वर्णक यानी पिगमेंट का उत्पादन करती है।
ऐसे में, अगर आपको विटिलिगो है तो इसका मतलब है कि आपकी त्वचा में पर्याप्त मेलेनिन नहीं है। अपनी त्वचा को सनबर्न और लंबे समय के नुकसान से बचाने के लिए आदर्श रूप से 30 या उससे अधिक के सन ��्रोटेक्शन फैक्टर (एसपीएफ) वाली सनस्क्रीन लगाएं। वहीं, अगर आपकी त्वचा गोरी है, तो यह खासतौर पर ��रूरी है।
विटामिन डी
अगर आपकी त्वचा धूप के संपर्क में नहीं आती है, तो ऐसे में विटामिन डी की कमी का खतरा बढ़ जाता है। हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी बेहद जरूरी है और सूर्य का प्रकाश या रौशनी विटामिन डी का मुख्य स्रोत है। इसका एक रूप कुछ खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है, जैसे तैलीय मछली। मगर सिर्फ भोजन और सूर्य के प्रकाश से पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करना कठिन हो सकता है। ऐसे में, आपको विटामिन डी के 10 माइक्रोग्राम (एमसीजी) युक्त दैनिक पूरक या सप्प्लीमेंट लेने पर विचार करना चाहिए।
त्वचा छलावरण
ऐसे बहुत से मामलों में त्वचा के सफेद धब्बों पर त्वचा छलावरण क्रीम लगाई जा सकती है। यह क्रीम, आपकी प्राकृतिक त्वचा के रंग से मेल खाने के लिए बनाई जाती है ।
त्वचा छलावरण के बारे में सलाह या क्रीम का इस्तेमाल करने के लिए आपको इसके बारे में जानने की भी जरूरत है। छलावरण या कैमॉफ्लाज क्रीम वाटरप्रूफ होती हैं और इन्हें शरीर पर कहीं भी लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, यह शरीर पर 4 दिन और चेहरे पर 12 से 18 घंटे तक रहती है ।
गौरतलब है, कि आप उसी त्वचा छलावरण क्रीम का इस्तेमाल करें जिसमें सनस्क्रीन हो या जिसकी एसपीएफ रेटिंग अच्छी हो। इसके अलावा, वयस्कों के लिए एक टॉपिकल स्टेरॉयड भी निर्धारित किया जा सकता है, अगर वह नीचे बताई जा रही शर्तों को पूरा करते हैं -
आपके शरीर के 10 प्रतिशत से कम हिस्से पर नॉन-सेग्मेंटल विटिलिगो है।
आप और इलाज चाहते हैं। (कुछ लोगों के लिए धूप से सुरक्षा और छलावरण क्रीम ही पर्याप्त होती है)
गर्भवती न हो।
आप दुष्प्रभावों के जोखिम को समझते और स्वीकार करते हैं।
अगर आप अपने चेहरे पर टॉपिकल स्टेरॉयड का उपयोग करना चाहते हैं, तो स्पेशलिस्ट से बात करें और इसके बारे में अधिक जानकारी लें।
ल्यूगो किट ( Leugo Kit ) लंबे समय तक एक प्रमुख और प्रचलित उपचार चिकित्सा है। ल्यूगो किट सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा त्वचा विकार का सबसे प्रभावी उपचार है।
ये Oldforest Ayurved द्वारा बनाया एक मात्र प्रोडक्ट है, जो आपको भी इस बीमारी से छुटकारा दिलाने मैं सक्षम है, हम मानते है की हमारी 8 साल की प्रैक्टिस मैं ये प्रोडक्ट ने खूब सफलता प्राप्त की है। इस बीमारी से ग्रसित हजारो मरीजों ने कुछ ही महीनो मैं और कम से कम मुल्ये मैं ल्यूगो किट की मदद से सफ़ेद दागो को जड़ से ख़त्म किया है।
आप ल्यूगो किट खरीदने के लिए www.vitiligocare.co पर जा सकते हैं या आप +91 8657-870-870 पर संपर्क कर सकते हैं।
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Jamshedpur womens university : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग ने मनाया विश्व ओजोन दिवस, भूगोल विभाग के क्लब 'सृष्टि' का हुआ उद्घाटन
जमशेदपुर : जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग की ओर से ओजोन दिवस का आयोजन किया गया जिसके दौरान भूगोल क्लब “सृष्टि” का उद्घाटन भी हुआ. विश्व ओजोन दिवस हमारे वायुमंडल में स्थित समताप मंडल में पायी जानेवाली ओजोन गैस के कारण एक ओजोन परत का निर्माण होता है. यह परत पृथ्वी पर आने वाली पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी को बचाती है. यह पृथ्वी का सुरक्षा कवच है और इस ओजोन परत के क्षरण को रोकने लिए हर वर्ष…
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Aditya-l1 Mission:सूर्य मिशन की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा हैं Iit के डॉ अभिषेक, बताया; एल-1 कैसे करेगा काम? - Aditya-l1 Mission: Dr. Abhishek Of Iit Is Part Of The Launching Team Of Surya Mission, Told; How Will L-1 Work
सूर्य मिशन की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा हैं आईआईटी के डॉ अभिषेक – फोटो : अमर उजाला विस्तार आईआईटी बीएचयू के भौतिकी विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुमार श्रीवास्तव सूर्य मिशन आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग टीम में शामिल हैं। वह पराबैंगनी दूरबीन की विज्ञान टीम (एसयूआईटी विज्ञान प्रबंधन पैनल) के सदस्य हैं। यह भी पढ़ें- UP Viral Video: बुर्के में छात्राओं के सामूहिक डांस के वीडियो से बवाल,…
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Light
what's on the other side of the sun
while the presence of the solar system on this side
I don't know to what extent my thinking is correct just by looking at the flame of a candle.
Maybe it can happen as the earth is spinning we are getting day and night every 24 hours
Or it can also happen like the opposite side of the moon, which is an unknown crater, etc., never faces us, nor does it face the sun.
Means it is not expedient to say anything about the sun
While our telescope can understand other stars or even planets of stars
We understand only these rays
the sun's rays hitting the surface of our earth
and also being reflected off of our earth's surface
this is happening during gravity we know
but the question is eating me up
Whatever the rays may be, but its speed itself is shaking the earth.
And how is our body able to bear the rays of the sun?
How does sunlight affect the Earth?
Today, about 71% of the sunlight that reaches Earth is absorbed by its surface and atmosphere. The absorption of sunlight causes the molecules of that object or surface to vibrate rapidly, due to which its temperature increases. This energy is then re-radiated by the Earth as long-wave, infrared radiation, also known as heat.
How does the sun affect the body?
The Sun and the Body The Sun has exercised a powerful influence on the physical and mental life of man. The Sun emits visible light, heat, ultraviolet rays, radio waves and X-rays. Ultraviolet light affects the human body in many ways.
what is the temperature of the sun's rays
about 5,800 K
If the rays have a temperature of about 5,800 K
Then is the surface temperature of the earth 11,600 K?
Because the velocity of the rays and the reflected rays are almost same which is
well guys try to think about it
Until then let me think about the beginning of our next story The Wind
good morning friends
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सूरज की उस ओर क्या है
जबकि इस ओर सौरमंडल की उपस्थिति है
मेरी इस तरह की सोच सिर्फ एक मोमबत्ति की लौ को देखकर बन जाना कितना तक सही है यह मुझे पता नही
शायद ऐसा भी तो हो सकता है जिस तरह धरती स्पिन हो रहा है दिन और रात हर 24 घंटों में हमें मिल जा रहा है
या ऐसा भी तो हो सकता है जैसे चांद की वीपरीत स्थल जो अनजानी गड्ढा वेगैरह कभी भी न तो हमारी संमुख होता है न ही सूरज की संमुख होता है
मतलब सूरज की विषय में कुछ भी कह देना समीचीन नहीं है
जबकि हमारी टेलेस्कोप दुसरे तारों या तारों की ग्रह तक को समझ सकता है
हमारी समझ है सिर्फ यह किरणें
सूरज की किरणें हमारी धरती की सतह में टकरा रहा है
और हमारी धरती की सतह में से परावर्तित भी हो रहा है
गुरुत्वाकर्षण के दौरान ऐसा हो रहा है हमें पता है
मगर मुझे जो प्रश्न खाए जा रहा है
वो है किरणें कैसी भी हो मगर उसकी गती ही तो धरती को हिला रहा है
वहीं सूरज की किरणें को हमारी शरीर कैसे सह पा रहा है
सूर्य का प्रकाश पृथ्वी को कैसे प्रभावित करता है?
आज, पृथ्वी पर पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश का लगभग 71% इसकी सतह और वातावरण द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। सूर्य के प्रकाश के अवशोषण से उस वस्तु या सतह के अणु तेजी से कंपन करने लगते हैं, जिससे उसका तापमान बढ़ जाता है। यह ऊर्जा तब पृथ्वी द्वारा दीर्घ तरंग, अवरक्त विकिरण, जिसे ऊष्मा के रूप में भी जाना जाता है, के रूप में पुन: विकिरित होती है।
सूर्य शरीर क�� कैसे प्रभावित करता है?
सूर्य और शरीर सूर्य ने मनुष्य के शारीरिक और मानसिक जीवन पर एक शक्तिशाली प्रभाव डाला है। सूर्य दृश्य प्रकाश, ऊष्मा, पराबैंगनी किरणें, रेडियो तरंगें और एक्स-किरणें उत्सर्जित करता है। पराबैंगनी प्रकाश मानव शरीर को कई तरह से प्रभावित करता है।
सूरज की किरणें कितनें तपमान का है
लगभग 5,800 K
अगर किरणें लगभग 5,800 K तपमान का है
तब क्या धरती की सतह की तापमान 11,600 K तपमान का है
क्योंके किरणें और परावर्तित किरणें की वेग लगभग समान जो है
खैर दोस्तों यह आप सोचने की कोशिश किजिए
तब तक मैं हमारी अगली कहानी द विंड की शुरूआत के बारे में सोचूं
सब्बाखैर दोस्तों
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रोग से बचाव के लिए सूर्य के प्रकाश का प्रयोग किस समय करना चाहिए ?
रोग से बचाव के लिए सूर्य के प्रकाश का प्रयोग किस समय करना चाहिए ?
ज़रूरी सूर्य कई प्रकार के विकिरण उत्सर्जित करता है: दृश्य प्रकाश, गामा किरणें, पराबैंगनी, अवरक्त, रेडियो तरंगें… विटामिन डी के लिए धन्यवाद, सूर्य के प्रकाश के अन्य लाभ हैं: यह मूड में सुधार करता है, आंतरिक घड़ी को नियंत्रित करता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है और, अध्ययनों के अनुसार, स्तन कैंसर और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियों को रोक सकता है। प्लेटों में। क्या डॉक्टरों को शारीरिक…
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Samsung UV Sterilizer Overview: UV-C एक घातक वायरस के खिलाफ युद्ध में आपका सहयोगी हो सकता है एयर प्यूरीफायर। वाटर प्यूरीफायर। हाथ संजीवनी। अधिकांश भारतीय शहरों में किसी भी आधुनिक घर में रहना चाहिए। हम अब उस सूची में UV-C स्टरलाइज़र भी जोड़ सकते हैं, बेहतर सफाई और कीटाणुशोधन दिनचर्या के बारे में बढ़ती ��्वीकृति के लिए धन्यवाद कोरोनावाइरस
#अजीवाणु बनानेवाला पदार्थ#एक स्टरलाइज़र खरीदें#ऐप्पल आईफोन 12 प्रो#ऐप्पल आईफोन 12 प्रो अधिकतम#कोरोनावाइरस#कोरोनावायरस घर पर रहते हैं#कोविड#खाद्यजनित रोगजनकों#नए नए साँचे#पराबैंगनी#प्राकृतिक माइक्रोबायोटा#यूवी-सी#सार्स#सैमसंग गैलेक्सी s20 अल्ट्रा कैमरा#सैमसंग गैलेक्सी नोट 20 अल्ट्रा#सैमसंग यूवी अजीवाणु आकार#सैमसंग यूवी अजीवाणु की समीक्षा#सैमसंग यूवी अजीवाणु कीमत#सैमसंग यूवी अजीवाणु बनानेवाला पदार्थ
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वैज्ञानिकों की वैश्विक टीम भारत की एस्ट्रोसैट का उपयोग करते हुए सबसे शुरुआती आकाशगंगाओं में से एक को खोजती है
वैज्ञानिकों की वैश्विक टीम भारत की एस्ट्रोसैट का उपयोग करते हुए सबसे शुरुआती आकाशगंगाओं में से एक को खोजती है
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द्वारा: एक्सप्रेस समा��ार सेवा | पुणे | Updated: 25 अगस्त, 2020 5:26:18 पूर्वाह्न
IUCAA के निदेशक डॉ। सोमक रायचौधरी ने कहा, यह इस बात का एक महत्वपूर्ण सुराग है कि ब्रह्मांड के अंधेरे युग कैसे समाप्त हुए और ब्रह्मांड में प्रकाश था। (Rerpresentational)
एक बड़ी सफलता में, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) के…
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डीआरडीओ ने बिना संपर्क वाले स्मार्टफोन, मुद्रा और बहुत से संपर्क रहित उपकरण विकसित किए
डीआरडीओ ने बिना संपर्क वाले स्मार्टफोन, मुद्रा और बहुत से संपर्क रहित उपकरण विकसित किए
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(छवि सौजन्य: DRDO वेबसाइट)
निकटता संवेदक एक दराज खोलने और समापन तंत्र के साथ बंद हो जाता है, इसके संचालन को स्वचालित और संपर्क रहित बनाता है।
आईएएनएस
आखरी अपडेट: 11 मई, 2020, 12:14 PM IST
आरसीआई, हैदराबाद स्थित डीआरडीओ की एक प्रमुख प्रयोगशाला है, जिसने मोबाइल फोन, आईपैड, लैपटॉप, करेंसी नोट, चेक लीफ, चालान, पासबुक और पेपर को सैनिटाइज करने के लिए एक स्वचालित संपर्क…
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#COVID-19 प्रभाव#COVID-19 संकट#DRUVS#NOTESCLEAN#कोरोनावाइरस#कोरोनावाइरस इलाज#कोरोनावाइरस प्रकोप#कोरोनावायरस का पता लगाना#कोविड -19#चीन#डीआरडीओ#भारत में कोरोनोवायरस#रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन#रक्षा अनुसंधान पराबैंगनी Sanitiser#वुहान#संपर्क रहित संकरण उपकरण#सर्वव्यापी महामारी
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गोमेद रत्न किसे धारण करना चाहिए?
राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं जिनका अपना कोई द्रव्यमान नहीं है ये केवल दो संवेदनशील अन्तरिक्ष के चौराहे है जहाँ पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर का मार्ग चन्द्रमा के पृथ्वी के चारों ओर घूमने के मार्ग को काटता है ये दोनों ग्रह किसी राशि या भाव के भी स्वामी नहीं होते । ये आमतौर पर पूरी तरह अशुभ ग्रह है है सिवाय जब इनका संयोग योगकारक ग्रह से हो । ये ग्रह प्राय : अपने । नियंत्रक ग्रह अथवा उन ग्रहों के अनुसार जिसे ये युक्त हो जैसा असर देते हैं . राहू एक ठंडा और केतु गर्म ग्रह है । कहते है शनिवत राहू , कुजवत केतु । अर्थात राहू शनि की तरह और केतु मंगल की तरह असर दिखाता हैं । पराशर और सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार राहू वृष राशि में और केतु वृश्चिक राशि में । उच्चस्थ होता है ।
गोमेद राह से और लहरिया केतु से जुड़े रन हैं । ये दोनों ग्रह , यदि इन नियंत्रक राह शुभ भावों के स्वामी और शुभ भाव में स्थित हो तो शीघ्र ७ लाभप्रद फल / उन्नति दे सकते हैं चाहे तरीका शुभ हो या न होय लेकिन यह अच्छा फल उतनी ही शीघ्रता से समाप्त भी हो जाता है । इन दाना रलों केवल उन की दशा / अन्तर्दशा में ही प्रयोग करना चाहिए । यदि राह / कन । ��िसी शुभ ग्रह को पीडित कर रहे हों तो गोमेद / लहसुनिया के प्रयोग के स्थान पर पीड़ित ग्रह को शक्ति देना अधिक श्रेश्यकर होगा ।
गोमेद ( हेस्सोनाईट गार्नेट ) को धारण करने के लिए इसका वजन कम से कम 3 कैरट होना चाहिए और चांदी / अष्टधातु में जड़वा कर मध्यमा में पहनना चाहिए । गोमेद को पहली बार अभिमंत्रित करने के वाद , शनिवार को सूर्यास्त से पहले अतिम होरा में या इसके नियंत्रक ग्रह के होरा में धारण करना चाहिए । यह रन केन्द्रित पराबैंगनी कॉस्मिक किरणें उत्पन्न करता है जो बहुत ठंडी होती हैं । ये किरणे अत्यधिक सक्रिय और ताप की परेशानी वाले जातकों को आराम पहुंचाती हैं
जब राहु केद्र / त्रिकोण में हो और शक्तिशाली अशुभ प्रभाव पा रहा हो तो । गोमेद प्रयोग में नहीं लेना चाहिए । गोमेद की गहरे रंग की अपार्दर्शी प्रकार नहीं धारण करना चाहिए क्योंकि यह राहू की नकारात्मक कोनों को बढ़ा देती है । गोगद को माणिक , मोती , लाल मंगा या पुखराज के साथ नहीं धारण करना चाहिए । जो जातक स्थानीय निकायों में अधिकारी या संसद / स्व - स्वायत विभाग , दवा / नशीले पदार्थो / तस्करी के सामान के कमीशन एजेंट / दलाल तस्कर , धोखेबाज , अपराधी , सर्कस / जानवरों के खेल में हो , उनको गामद लाभकारी हो सकता है । जो चिकित्सक शीघ्र उन्नति करना चाहे या सिनम फिल्म जगत या अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भी यह लाभकारी हो सकता है ।
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घरेलू नुस्खे से पाएं सफेद दाग से छुटकारा |
सफेद दाग को घरेलू उपायों से कम किया जा सकता है। इन पांच घरेलू उपायों को अपनाकर आप इन दागों से छुटकारा पा सकते हैं।
आज के समय में जहां नई-नई बीमारियां अपने पैर पसार रह हैं. वहीं, आपने देखा होगा कि कई लोगों के शरीर पर व्हाइट स्पॉट्स होते हैं, जिन्हें आम भाषा में सफेद दाग भी कहा जाता है। हालांकि, त्वचा संबंधी इस बीमारी में यूं तो कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन शरीर पर यह दाग दिखने में अच्छे नहीं लगते. जिसके कारण इस सम��्या से जूझ रहे लोगों का कॉन्फिडेंस लेवल भी कम हो जाता है।
डॉक्टर्स के मुताबिक सफेद दाग होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं. जिनमें, शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता या मेलेनिन (त्वचा के रंग को बनाए रखने वाली कोशिकाएं) की कमी, पराबैंगनी किरणें (Ultraviolet Rays),अत्यधिक तनाव, विटामिन बी 12 की कमी या फिर त्वचा पर किसी प्रकार का संक्रमण के होने से यह हो सकते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर सफेद दागों का इलाज सही समय पर ना किया जाए, तो यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। ऐसे में समय रहते ही त्वचा संबंधी इस बीमारी पर ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके लिए आप घरेलू उपायों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं । इनके जरिए ना सिर्फ इन सफेद दागों में कमी आएगी, बल्कि धीरे-धीरे यह कम भी हो जाएंगे।
सफेद दाग कम करने के ये घरेलू नुस्खे:
नारियल तेल होता है उपयोगी: नारियल तेल त्वचा संबंधी बीमारी के लिए काफी कारगर साबित होता है। क्योंकि यह त्वचा को पुन: वर्णकता प्रदान करने में सहायक है। साथ ही नारियल के तेल में जीवाणुरोधी और संक्रमण विरोध गुण होते हैं। ऐसे में शरीर के जिन हिस्सों पर सफेद दाग हैं, उन जगहों पर दिन में 2 से 3 बार नारियल तेल का उपयोग करना चाहिए। यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
तांबा से मिलता है मेलेनिन तत्व: शरीर में तांबा तत्व मेलेनिन के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए तांबें के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह उठकर खाली पेट उसे पिएं। इससे सफेद दागों में कमी आ सकती है।
हल्दी का लेप है फायदेमंद: हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। हल्दी और सरसों के तेल का लेप बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं, इससे सफेद दाग में कमी आती है। इसके अलावा आप हल्दी पाउडर और नीम की पत्तियों का लेप भी कर सकते हैं।
सेब का सिरका: सफेद दागों में सेब का सिरका भी फायदेमंद साबित होता है। सेब के सिरके को पानी के साथ मिक्स करके लगाना चाहिए, इससे यह दाग धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
लाल मिट्टी: जहां तांबे से मेलेनिन तत्व मिलता है, वहीं, लाल मिट्टी में भरपूर मात्रा में तांबा पाया जाता है। ऐसे में लाल मिट्टी का लेप बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाना चाहिए। लाल मिट्टी मेलेनिन के निर्माण और त्वचा के रंग का दोबारा निर्माण करती है। इसे अदरक के रस के साथ मिलाकर भी प्रभावित स्थान पर लगाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
ल्यूगो किट ( Leugo Kit )लंबे समय तक एक प्रमुख और प्रचलित उपचार चिकित्सा है। ल्यूगो किट सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा त्वचा विकार का सबसे प्रभावी उपचार है।
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दार्जिलिंग चाय पीने से स्वास्थ्य लाभ की जानकारी!
दार्जिलिंग चाय भारत में उत्पादित सबसे ज्यादा पसंदीदा और पी जाने वाली चाय है। दार्जिलिंग चाय के पत्तियों को सुखाने का एक नाजुक प्रक्रिया है जिसके परिणामस्वरुप इसमें हल्का सुनहरा रंग और फल की सुगंध आने लगती है । जिससे इसे लोग ज्यादा पसंद करते है, और बारे शौख से पीते है। विशेषज्ञों का कहना है कि दार्जिलिंग की चाय के पतियों में वनस्पति गुणवत्ता पाई जाती है जिससे अन्य चाय की त��ल��ा में दार्जिलिंग के चाय का स्वाद मीठा और कम कड़वा होता है।
स्वास्थ्य लाभ :
दार्जिलिंग के चाय की पत्तियों में पॉलीफेनोल्स के यौगिक तत्व होते है जो शरीर के सूजन और पुरानी रोग से लड़ने में मदद करते हैं। स्वास्थ्य लाभ के लिए पिया जाने वाला दार्जीलिंग चाय सबसे अच्छा विकल्प है जिसमे लोगो को सेहत लाभ और स्वाद दोनों मिलता है। चाय के गुणवत्ता को जानने वाले दार्जीलिंग चाय को पीना सबसे ज्यादा पसंद करते है क्योकि दूसरे चाय को उपयोग में लाने में वो लाभ नहीं मिलता है जो दार्जीलिंग के चाय पिने से लाभ मिलता है। भले ही दार्जीलिंग चाय(Darjeeling Tea) पिने से लाभ छोटे पैमाने पे होते हो पर होते है, पर किसी दूसरे चाय में ऐसे तत्व नहीं होते है जिन्हे पिने से स्वास्थ्य को लाभ मिले।
दिल के स्वास्थ्य लाभ :
हाल में किये गए एक अध्ययन से यह जानकारी मिली है कि चाय में पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड्स या फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर प्लांट पिगमेंट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते है। उच्च कोलेस्ट्रॉल व उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे या स्ट्रोक की सम्भावना को बढ़ता है । इसलिए ताजी पत्तियों वाली चाय पीने से आपको कई होने वाली बीमारियों से दूर रखता है या कह सकते है की उनके रोक-थाम में मदद करता है ।
कैंसर से स्वास्थ्य लाभ :
दार्जिलिंग चाय के पत्तियों में पाए जाने वाले दो महत्वपूर्ण तत्व (Immunity Booster) पॉलीफेनोलिक यौगिक और थेरुबिगिन्स को शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और महत्वपूर्ण माना जाता है। ये तत्व हानिकारक अणुओं से रक्षा करते हैं जो कोशिका डीएनए को नुकसान पहुंचाते और रूपांतरित करते हैं। दार्जिलिंग चाय पॉलीफेनोल्स ने कैंसर के ट्यूमर को कम करने और पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान से बचाने में भी मदद करते है।
तनाव दूर करने में लाभ :
तनाव उच्च रक्तचाप, त्वचा की स्थिति, हृदय की समस्याओं, अस्थमा, अवसाद, गठिया ऐसे कई रोगों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। आज-कल के लाइफ स्टाइल में तनाव, शरीर को सेहतमंद रखने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर रहा है और छोटे-बड़े ऐसे कई बीमारी को जन्म देता है जो जीवन के लिए बहुत हानिकारक है। दार्जिलिंग चाय शरीर में कोर्टिसोल नामक एक तनाव हार्मोन को नियंत्रित करके तनाव को समाप्त करती है। इसलिए रोज-मर्रा के जीवन में दार्जीलिंग चाय अपनाने की जरुरत है ताकि जीवन में सेहत भी बनी रहे और स्वाद का आनंद ले कर खुशहाल जीवन जिये।
विशेषज्ञों का ये कहना है क��� दार्जीलिंग चाय में ऐसे कई यौगिक तत्व होते है जो हमारे सेहत के लिए लाभदायक होते है जैसे कैंसर में, दिल की बीमारी में, उच्च रक्तचाप में इत्यादि पर उनसे सम्बंधित और भी जानकारी अभी हमारे पास नहीं है पर उन पर शोध चल रहा है, जिससे आने वाले कुछ समय में दार्जीलिंग चाय पिने से और क्या-क्या लाभ हो सकते है हमें जानकारी हो जाएगी।
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पानी हमारी नैपासर्गिक जरुरत -
पानी एक शब्द ही नहीं हमारी नैसर्गिक जरुरत है और इसलिए जब विज्ञानं के माध्यम से हम किसी ग्रह को खोजने निकलते है तो सबसे पहले उस ग्रह पे पानी खोजते है |हमने इस समय कई प्रगति की हम मंगल गए हम चन्द्रमा को भी छुआ लेकिन वहाँ भी हम पानी ही खोजते रहे है | आखिर हो भी क्यों ना पानी एक रासायनिक संगठन से मिलकर बना है जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और ऑक्सीजन परमाणु से बना है और ऑक्सीजन तो मनुष्य की जीने के लिए ही सहायक है | इसीलिए लोगों का कहना है 'जल है तो जीवन है '|वैसे तो हर जीव जीवन का आधार है | आम तौर में लोग जल शब्द का प्रयोग द्रव्य अवस्था के लिए करते है लेकिन ये ठोस और गैसीय अवस्था में भी पाया जाता है |
जल का रासायनिक और भौतिक गुण-
जल को अच्छे से समझने के लिए उसके भीतर के विज्ञानं को समझना बहुत ही आवश्यक है | यहाँ आपको हम उसके हर गुण से अवगत कराएँगे | आये समझते है की रसायन विज्ञानं के माध्यम से जल कैसे बना है | जल एक रासायनिक पदार्थ है और उसका रासायनिक सूत्र -H2O है जल के एक अणु में दो हाइड्रोजन के परमाणु सहसंयोजक बंध के द्वारा एक ऑक्सीजन के परमाणु से जुडे़ रहते हैं।जल समान्य ताप में और दबाव में एक फीका और बिना गंध वाला तरल है|जल पारदर्शीय होता है और इसलिए जलीय पौधे इसमें जीवित रहते है क्योंकि उन्हे सूर्य की रोशनी मिलती रहती है। केवल शक्तिशाली पराबैंगनी किरणों का ही कुछ हद तक यह अवशोषण कर पाता है।
बर्फ जल के ऊपर तैरता क्यों है -
जल एक बहुत प्रबल विलायक(घुलने वाला ) है, जिसे सर्व-विलायक भी कहा जाता है। वो पदार्थ जो जल में भलि भाँति घुल जाते है जैसे लवण, शर्करा, अम्ल, क्षार और कुछ गैसें विशेष रूप से ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड उन्हे हाइड्रोफिलिक (जल को प्यार करने वाले) कहा जाता है, जबकि दूसरी ओर जो पदार्थ अच्छी तरह से जल के साथ मिश्रण नहीं बना पाते है जैसे वसा और तेल, हाइड्रोफोबिक (जल से डरने वाले) कहलाते हैं|जल का घनत्व अधिकतम 3.98 °C पर होता है। जमने पर जल का घनत्व कम हो जाता है और यह इसका आयतन 9% बढ़ जाता है। यह गुण एक असामान्य घटना को जन्म देता जिसके कारण बर्फ जल के ऊपर तैरती है और जल में रहने वाले जीव आंशिक रूप से जमे हुए एक तालाब के अंदर रह सकते हैं |
क्योंकि तालाब के तल पर जल का तापमान 4 °C के आसपास होता है।शुद्ध जल की विद्युत चालकता कम होती है, लेकिन जब इसमे आयनिक पदार्थ सोडियम क्लोराइड मिला देते है तब यह आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है|जल का जो वाष्प बनने की प्रक्रिया में वायुमंडलीय दबाव बहुत करक है जहा वायुमंडलीय दबाव कम होता है वहाँ जल कमसेंटीग्रेट पे ही उबाल जाता है जबकि जहा वायुमंडलीय दबाव ज्यादा होता है वहाँ सैकड़ों सेंटीग्रेट पे भी द्रव्य ही बना रहता है |जल का ये गुण भी बहुत ही अजीब है |लेकिन जल को समझना जरुरी होता है |
जल की उत्पति -
अमेरिकी वैज्ञानिकों के अनुसार पानी, पृथ्वी के जन्म के समय से ही मौजूद है। उनका कहना है कि जब सौर मण्डलीय धूल कणों से पृथ्वी का निर्माण हो रहा था, उस समय, धूल कणों पर पहले से ही पानी मौजूद था। यह परिकल्पना, उसी स्थिति में ग्राह्य है जब यह प्रमाणित किया जा सके कि ग्रहों के निर्माण के समय की कठिन परिस्थितियों में सौर मण्डल के धूल कण, पानी की बूँदों को सहजने में समर्थ थे। लेकिन कुछ वैज्ञानिक ये नहीं मानते उनका कहना है की पृथ्वी के जन्म के समय के कुछ दिन बाद पानी से सन्तृप्त करोड़ों धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों की वर्षा हुई। धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों का पानी धरती पर जमा हुआ और उसी से महासागरों का जन्म हुआ| खगोलीय वैज्ञानिक का मानना है की पृथ्वी ��र पानी का आगमन ४०० करोड़ साल पहले ही हुआ होगा | वो ऊपर दी हुई दोनों सोच को लेकर चलते है और आधुनिक खोज के साथ ये बताता है की पृथ्वी के जन्म के समय पानी मौजूद होगा लेकिन कम मात्रा में और फिर कुछ समय बाद पानी से सन्तृप्त करोड़ों धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों की वर्षा हुई जिससे महासागरों का जन्म हुआ |हाड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोग से पानी का जन्म हुआ इसका साफ़ मतलब है की ये प्रक्रिया धरती के ठन्डे होने के बाद ही हुई होगी | ढेर सारी जानकारियों के बावजूद अभी भी आधुनिक विज्ञानं पानी की उत्पति के सही जगह सही समय के लिए उधेड़बून में ही है |
पानी की समस्या और उसका प्रभाव
दुनिया के भू वैज्ञानिक पहले से सबको सचेत करते आ रहे है जल का अत्यधिक दोहन से बचे |नहीं तो जिस रफ़्तार से आबादी बढ़ रही है और अद्योगीकरण के कारण पानी की समस्या विकराल रूप ले लेगी |कहा तो ये भी जाता है की अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा लेकिन कभी -कभी ये भी कहा जाता है की अगला विश्व युद्ध तेल को लेकर होगा | पानी की समस्या तो पुरे विश्व में है लेकिन भारत में ये समस्या तीव्र गति से बढ़ रही है | वैसे तो कहा जाता है की पृथ्वी 71 % पानी से घिरी है |उसमे महासागरों का जल भी शामिल है |
भारत में जल के दो माध्यम है -
१-नदिया २- भूमिगत जल इन दोनों में इनदिनों भरी गिरावट आयी है |कई अनुमान पे आकड़े दिए गए है जिस प्रकार लोग पानी का दोहन कर रहे है और आबादी बढ़ रही है भारत में तो पानी की जो मांग है 2025 पहुंचते -पहुंचते 735 बी. सी. ऍम .(बिलियन क्यूबिक मीटर) तक पहुंच जाएगी और ये स्थिर नहीं क्योकि कभी डिमांड ज्यादा भी हो जाती है तो ये 795 बी. सी. ऍम .(बिलियन क्यूबिक मीटर)तक भी पहुंच सकती है जो 90 से पहले कम थी और हमारे देश की आबादी भी कम थी | इधर हम चीन को होड देने में लगे है की हम कब जनसंख्या में उसके ऊपर हो जाये | अब देखते है हमारे जल ससंसाधनो में कितना बिलियन क्यूबिक मीटर पानी है जो हमे हमारी नदियों से मिलता है | गंगा ,सिंधु ,ब्रह्मपुत्र ,गोदावरी ,कृष्णा ,कावेरी , महानदी ,स्वर्णरेखा ,नर्मदा ,ताप्ती ,साबरमती ,इन सबके पिने योग्य पानी अगर मिला दिया जाये तो हमारे पास 1100 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मौजूद है | ये इससे बढ़ेगा नहीं घटेगा ही | इसलिय विचार हमे करना है न की कोई और करेगा |
भारत एक कृषि प्रधान देश है यहाँ की आधी आबादी कृषि पे निर्भर है और कृषि का कम् सिचाई दवरा होता है और भारतीय किसान भूमिगत जल का प्रयोग इसमें लाते है | भूमिगत जल का आकलन करना थोड़ा कठिन है क्योकि ये पानी जो सतह का है ��ससे रिस -रिस के ही नीचे प��ुँचता है |ये पानी भी नदियों के सामान नीचे बहता है | अगर नीचे इसका मार्ग रुकता है तो ये खारा हो जाता है और पीने योग्य नहीं होता है |भूमिगत पानी का उपयोग समान्यता जनता करती है और इधर बीच इसका जलस्तर घटता ही जा रहा है और तो और पानी की गुणवत्ता में कमी आ रही है |
इधर भारत में वाटर प्योरिफायर और Ro बढ़ता प्रयोग -
लोगों अपने घरों में ऑरो लगा रहे है |पानी को शुद्ध करके पीने के लिए |वाटर प्योरिफायर बनाने वाली कंपनी कई तरह के वाटर प्योरिफायर बना रही है कोई अल्ट्रा वाटर प्योरिफायर बना रहा है | ये भी पानी को शुद्ध करने का तरीका है |रिवर्स ओसमोसिस प्रक्रिया ( REVERSE OSMOSIS ) इसको शार्ट में RO कहा जाता है ये ही क्रिया सबसे ज्यादा प्रचलित है |इसमें जल को एक प्रेशर के तहत एक झिल्ली से आर -पार भेजा जाता है और जल में उपस्थित अधिक सांद्रता वाले पदार्थ झिल्ली में ही रह जाते है |और शुद्ध जल झिल्ली के पार चला जाता है |एक RO का प्रयोग में 5 वर्षों तक कर सकते है |इस पूरी प्रक्रिया में RO जल से हर तरह के गंदलापन , अकार्बनिक आयनों को जल से अलग कर देता है |इस तकनीक में बहुत पैसा लगता है और पानी की बर्बादी भी होती है |लेकिन पानी अगर शुद्ध नहीं है तो लोग उसे पीने योग्य बनाने के लिए विवश है |
भारत के बड़े शहरों पानी की बिकरालता की दस्तक -
इसलिए भारत के लोगों और यहाँ की सरकारों को इस बारे में सोचना ही होगा नहीं तो ये बिकराल समस्या कब आके आपके बगल में खड़ी हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा |भारत के कई बड़े शहरों में ये समस्या आम हो चुकी है उनका यहाँ का जलस्तर बहुत ही नीचे जा चूका है कई लोग अपने घरों समरसेबल लगा के काम चला रहे है तो जिसके पास ये व्यवस्था नहीं है वो पूरी तरह से सरकार के पानी के टैंक पे निर्भर है |ऐसा ही महारष्ट्र के शहरों का हाल है लॉक डाउन में भी कई जगह से ट्रेनों में पानी भरकर उन जिलों और राज्यों में पहुंचाया गया |
स्लोगन -'जल है तो कल है '- पे गौर फरमाए -
और इसलिए अगर समस्या दर पे खड़ी है तो उसको नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए |सबसे पहले हमे अरब देशों से सीखना चाहिए की पानी को कैसे बचाये |और कम से पानी की बर्बादी करे | नहीं तो आबादी बढ़ने से वातारण भी अनियंत्रित हो रहा है और उसका हमारे एको-सिस्टम पे बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है |हम पेड़ों को काट कर रहने के लिए जगह बना रहे है लेकिन अगर पानी ही न हुआ तो उस जगह का आप क्या करेंगे |इसलिए मेरा कहना है -'जल है तो कल है ' इस स्लोगन का आप ध्यान रखे और दूसरों को भी ध्यान दिलाये|
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आपकी त्वचा के लिए कौन सा सनस्क्रीन बेहतर है, यहां जानिए कैसे चुनें
आपकी त्वचा के लिए कौन सा सनस्क्रीन बेहतर है, यहां जानिए कैसे चुनें
ग्रीष्म ऋतु मौसम में हमें हमेशा सनस्क्रीन लोशन लगाने की सलाह दी जाती है। लेकिन ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता है कि सनस्क्रीन लोशन क्या है, कितना इस्तेमाल करना है या एसपीएफ क्या है? सनस्क्रीन वास्तव में कुछ भी है जो आपकी त्वचा को पराबैंगनी किरणों से बचाता है। सनस्क्रीन कई तरह के होते हैं। जैसे लोशन, क्रीम, जेल या मलहम। त्वचा पर सनस्क्रीन का छिड़काव भी किया जा सकता है। होंठ, नाक ��र पलकों पर एक…
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विश्व ओजोन दिवस 2022: उद्धरण, नारे, महत्व, विषय और रोचक तथ्य
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