#परवाज़
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पतंग!
पतंग बढ़िया था उसका शोख़ रंगो वाला
परवाज़ चाहिए थी उसे ऊँचा उड़ना जो था
आसमान की बुलंदियाँ छूने की उम्मीद में
ढील चाहता था मगर नामुमकिन था सब
वो क्या करता उसके पास डोर ही कम थी
कितना फ़र्क़ था पतंग की ख्वाहिशों का
उसकी हैसियत उन्हें परवान न चढ़ा सकी
पतंग हवा में सम्भालना मुश्किल हो गया
और बस ज़मीन की तरफ़ गोते खाने लगा
किसी और पतंग से पेंच वो क्या लगाता
किसी दूसरे के छज्जे में ही जा अटक गया
उसने कोशिशें तमाम कीं उसे छुड़ाने की
उनके बावजूद भी पतंग बस फँसा ही रहा
डोर टूट गयी और उसका पतंग से साथ भी
शायद पतंग इसी मौक़े की इंतज़ार में था
ख्वाहिशों की खुमारी में डूबा वो ख़ुदगर्ज़
दूसरों की चाहतों ख्वाहिशों से बेपरवाह
अब उस छज्जे वाले की डोर से है जा बँधा
आसमान में लम्बी उड़ान लिए है झूम रहा
मगर कौन जाने कब तक यह परवाज़ रहेगी
कब वो उस छज्जे से अपना मन बदल लेगा
और कह देगा यहाँ भी अब बस बहुत हुआ
जाकर किसी और के छज्जे में जा फँसेगा !
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Fuck yaar
मैं तो, परवाज़, ग़ज़ल कह के पुकारूंगा उसे, नाम कुछ भी हो, मुझे नाम से क्या है?
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हम सफर मेरे हम सफर पंख तु परवाज़ हम" गीत संगीत कार्यक्रम के बैनर का हुआ विमोचन
बीकानेर। हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर पार्श्व गायक मुकेश की आगामी 22 जुलाई को 101 जयंती के अवसर पर श्री विश्वकर्मा नाट्य कला संगीत संस्था के अध्यक्ष मेघराज नागल द्वा��ा “हम सफर मेरे हम सफर पंख तु परवाज़ हम” स्वरांजली कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय टाउन हॉल में रखा गया है। जिसके बैनर का विमोचन शनिवार की शाम बी सेठिया गली स्थित गणपति प्लाजा के पास कोलासर वाले महाराज रामकिशन उपाध्याय के सानिध्य में हुआ। इस…
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अद्भुत,अकल्पनीय, रोमांच और जुनून, आगरा में टूरिज्म को नई परवाज़ देगा हॉट एय�� बैलून
अद्भुत,अकल्पनीय, रोमांच और जुनून, आगरा में टूरिज्म को नई परवाज़ देगा हॉट एयर बैलून हॉट एयर बैलून की उड़ान, पर्यटन छूएगा आसमान, एडवेंचर एक्टिविटी के संग, संस्कृति और समृद्धि के रंग,ताज महोत्सव- 2024 में जुड़ा नया अध्याय आगरा.24.02.2024.आज भगवान भास्कर की पहली किरण के साथ, जैसे ही नवलपुर, कुबेरपुर के मैदान से हॉट एयर बैलून ने उड़ान भरी उपस्थित लोगों ने ताली बजाकर, उत्साह से लबरेज अपने दोनों हाथ…
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शायरी
अगर दिल से मिले ये दिल तो दिल भी साज़ हो जाए,मिले साँसें और धड़कन तो प्यार में आवाज़ हो जाए…समझते ग़र हक़ीक़त दिल लगी की या ख़ुदा ग़र वो,तमन्नाएँ भी उनकी याद में परवाज़ हो जाए…
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परवाज़
Aqsh wa Ishq milakeKuch to ab taiyaar karunSurme ki tarah aankhon meIn ko laga deedar karunJism ki kuwat mehdood si haiRoohon sa parwaaz karoonBas udta rahoon main sadiyon takAur lamhon sa ehsas karun अक्श वा इश्क़ मिलाकेकुछ तो अब तैयार करूंसूरमे की तरह आँखों मेंइन को लगा दीदार करूंजिस्म की कुवत महदूद सी हैरूहों सा परवाज़ करूंबस उड़ता रहूँ मैं सदियों तकऔर लम्हों सा एहसास करूं… “Rashid Ali…
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Bagwat
आज भी मेरे ख़यालों की तपिश ज़िंदा है,
मेरे गुफ़्तार की देरीना रविश ज़िंदा है।
आज भी ज़ुल्म के नापाक रिवाजों के ख़िलाफ़,
मेरे सीने में बग़ावत की ख़लिश ज़िंदा है।
जब्र-ओ-सफ़्फ़ाकी-ओ-तुग़्यान का बाग़ी हूँ मैं,
नश्शा-ए-क़ुव्वत-ए-इंसान का बाग़ी हूँ मैं।
जहल परवरदा ये क़दरें, ये निराले क़ानून,
ज़ुल्म ओ अदवान की टकसाल में ढाले क़ानून।
तिश्नगी नफ़्स के जज़्बों की बुझाने के लिए,
नौ-ए-इंसां के बनाये हुए काले क़ानून।
ऐसे क़ानून से नफ़रत है, अदावत है मुझे,
इनसे हर साँस में तहरीक-ए-बग़ावत है मुझे।
तुम हँसोगे कि ये कमज़ोर सी आवाज़ है क्या!
झनझनाया हुआ, थर्राया हुआ साज़ है क्या!
जिन असीरों के लिए वक़्फ़ हैं सोने के क़फ़स,
उनमें मौजूद अभी ख़्वाहिश-ए-परवाज़ है क्या!
आह! तुम फ़ितरत-ए-इंसान के हमराज़ नहीं,
मेरी आवाज़, ये तन्हा मेरी आवाज़ नहीं।
अनगिनत रूहों की फ़रियाद है शामिल इसमें,
सिसकियाँ बन के धड़कते हैं कई दिल इसमें।
तह नशीं मौज ये तूफ़ान बनेगी इक दिन,
न मिलेगा किसी तहरीक को साहिल इसमें।
इसकी यलग़ार मेरी ज़ात पे मौक़ूफ़ नहीं,
इ��की गर्दिश मेरे दिन-रात पे मौक़ूफ़ नहीं।
हँस तो सकते हो, गिरफ़्तार तो कर सकते हो,
ख़्वार-ओ-रुस्वा सर-ए-बाज़ार तो कर सकते हो।
अपनी क़ह्हार ख़ुदाई की नुमाइश के लिए,
मुझको नज़्र-ए-रसन-ओ-दार तो कर सकते हो।
तुम ही तुम क़ादिर-ए-मुतलक़ हो, ख़ुदा कुछ भी नहीं?
जिस्म-ए-इंसां में दिमाग़ों के सिवा कुछ भी नहीं।
आह! ये सच है कि हथियार के बल-बूते पर,
आदमी नादिर-ओ-चंगेज़ तो बन सकता है।
ज़ाहिरी क़ुव्वत-ओ-सितवत की फ़रावानी से,
लेनिन-ओ-हिटलर-ओ-अंग्रेज़ तो बन सकता है।
सख़्त दुश्वार है इंसां का मुकम्मल होना,
हक़-ओ-इंसाफ़ की बुनियाद पे अफ़ज़ल होना।
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Check out this post… "आस (एक उम्मीद)".
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Read my thoughts on YourQuote app at https://www.yourquote.in/chandan-bisht-hgf9/quotes/khule-aasmaan-men-uddte-prindo-sii-hai-prvaaj-merii-uddaan-70h8y
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तू सूरज मैं सांझ पियाजी मारे सपनों की तू परवाज़ पियाजी थारो मारो मिलन ऐसो लागे रे साथी जैसो दीया और बाती हम हूँ… दीया और बाती हम
| Movie : Padmawati 🍿
| Song : Diya aur baati hum 🫂
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गायक मुकेश की जयंती पर देंगे मेघराज नागल 51 गीतों की प्रस्तुति
बीकानेर। हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर पार्श्व गायक मुकेश की 101 जयंती पर आगामी 22 जुलाई 2024 को श्री विश्वकर्मा नाट्य संगीत कला संस्था की ओर से ” हम सफर मेरे हम सफर पंख तू परवाज़ हम” स्वरांजली कार्यक्रम टाउन हॉल में आयोजित किया जाएगा। इसमें बीकानेर के जाने-माने कलाकार मेघराज नागल 51 गीतों की प्रस्तुति देंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कमलकांत सोनी होंगे और अध्यक्षता अयोध्या प्रसाद शर्मा और नारायण…
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तू बात करे या न मुझसे
Tu baat kare ya na mujhse
Whether you talk to me or not
चाहे आंखों का पैगाम ना ले
Chahe aankhon ka paighaam na le
Whether you take messages from my eyes or not
पर यह मत कहना अरे ओ पगले
Par yeh mat kehna arey o pagle
But don't say, hey crazy one
मुझे देख ना तू,मेरा नाम न ले
Mujhe dekh na tu, mera naam na le
Don't see me, don't say my name
तुझसे मेरा दीन धरम है, मुझसे तेरी खुदाई
Tujhse mera deen dharam hai,mujhse teri khudai
My prayers and religion is all from you, and from me your divinity
तू बोले तो बन जाऊं मैं बुल्ले शाह सौदाई
tu bole toh ban jaun main bulleh shah saudai
if you say I'll become crazy bulleh shah
माना अपना इश्क अधूरा
Maana apna ishq adhura
I admit that our love is incomplete
दिल ना इसपे है शर्मिंदा
Dil na ispe sharminda hai
But the heart isn't ashamed of it
पूरा होके खत्म हुआ सब
Poora hoke khatam hua sab
All that is complete, ends
जो है अधूरा वो ही जिंदा है
Joh hai aadha woh hi zinda hai
Only what is incomplete, is alive
हो बैठी रहती है उम्मीदें
Ho baithi rehti hai umeedein
My hopes are sitting around
तेरे घर की दहलीजो पे
Tere ghar ki dehleezon pe
At the entrance of your house
जिसकी ना परवाज़ खतम हो
Jiski na parwaaz khatam ho
Whose flight doesn't end
दिल यह मेरा व���ी परिंदा है
Dil yeh mera wahi parinda hai
My heart is that bird
बक्शे तू जो प्यार से मुझको तो हो मेरी रिहाई
Bakshe tu joh pyar se mujhko toh ho meri rihaai
If you grant me with your love, I'll be free
– bulleya,sultan(2016)
Irshad Kamil | Papon | Vishal-Shekhar
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These lyrics by A.M. Turaz >>>>>>
"इश्क़ भी तू मेरा प्यार भी तू
मेरी बात जात जज्बात भी तू
परवाज़ भी तू रूह-ए-साज़ भी तू
मेरी सांस नब्ज़ और हयात भी तू
मेरा राज भी तू पुखराज भी तू
मेरी आस प्यास और लिबाज़ भी तू
मेरी जीत भी तू... मेरी हार भी तू
मेरा काज राज और मिजाज भी तू"
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एक दुआ!
शख़्सियत कितनी बुलंद है
तस्दीक़ सफ़र ने करवाई है!
कई मक़ाम हासिल हुए हैं
कितनी ज़हमतें उठायी हैं!
कई मक़ाम अभी बाक़ी हैं
हौसलों ने बुलंदी पायी है!
ये तो महज़ एक मरहला है
परवाज़ दस्तक दे आयी है!
वो सहीह लफ़्ज़ बचे कहाँ
जो लिखे नहीं मैं कह सकूँ!
हर लफ़्ज़ है छोटा पड़ रहा
तारीफ़ें बौनी बन आयीं हैं!
क्या लिखूँ असमंजस में हूँ
मैं तारीफ़ में क्या और कहूँ!
परवरदिगार से है दुआ मेरी
रक्खे रहमतों में हरदम तुम्हें!
हासिल करो नई बुलंदियाँ
जोकि बाईस-ए-शोहरत बनें!
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हक़ में परवाज़ होकर भी, हम डुबोते रहे सफ़ीने को।
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“आज की लड़की डिवोर्स और सेप्रेशन से नहीं घबराती”
“उनकी स्वायत्तशासी का स्वीकार करो पितृसत्ता के पक्षधरों, अपनी लकीरों में खुद खुशियाँ भरना सीख गई है, आज की नारी प्रताड़ित होते देहरी के भीतर आँसू बहाना भूल गई है। था एक ज़माना जब महिलाएं कमज़ोर, बेबस, लाचार कहलाती थी। किसी और के तय किए हुए दायरे में सिमटी आज़ादी को तरसती, कोई भी निर्णय लेने से डरती हर हाल में जी लेती थी। तलाक और सेप्रेशन जैसे शब्दों से परहेज़ करती जैसे पति और ससुराल वालें रखें रह लेती थी। पर आज की लड़की मुखर हो गई है ज़िंदगी जीने का द्रष्टिकोण ही बदल लिया है। दहलीज़ के बाहर कदम धरने की फिराक में सदियों की जद्दोजहद से जूझते ख़्वाहिशों को परवाज़ देने कि हिम्मत बटोर ली है। नहीं घबराती अब ज़िंदगी की चुनौतियों से मर्द की प्रतिस्पर्धी बनकर उभर रही है।
पुरुष के पदचिन्हों पर नहीं चलती अब, खुद की अलग पगदंड़ी का निर्माण कर लिया है। हौसलों को अपना शृंगार बना लिया है और पढ़ लिखकर अपने आपको सक्षम बना लिया है। आज की नारी ने हीन भावना को त्याग कर परावलंबी होना छोड़ दिया है। ज़िंदगी को गौरवान्वित करते अपने पैरों पर खड़े होना सीख गई है। घर परिवार की सिमित क्षितिज से बाहर निकलकर चार पैसे कमाना तो सीख ही गई है, साथ में अपने बलबुते पर माँ-बाप और बच्चों का भरण-पोषण करने की काबिलियत भी पा ली है। हर अन्याय का विद्रोह करते अब प्रताड़ना का प्रतिकार करते मुँह तोड़ जवाब देकर खुद को रक्षती आगे बढ़ रही है। त्याग की मूर्ति बनकर रीढ़ को नहीं छिलवाती आज की नारी प्रेक्टिकली हर चीज़ को समझना सीख गई है। हर बड़ी कंपनी में सीईओ पद तक पहुँच कर हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रही है। अब पतियों द्वारा दी जाने वाली तलाक की धमकी से घबराती नहीं, बल्कि परेशान करने वालों को खुद लात मारते आगे बढ़ जाती है। पितृसत्तात्मक की पाबंद नहीं रही, अब लडकियां लीक से हटकर खुद हर निर्णय लेते अपने जीवन का निर्माण करती है।
ना पति से तलाक होने पर दु:खी होते आँसू बहाती है, ना विधवा होने पर कुंठा होते रिवाजों से लिपटे रहती है। ज़िंदगी को आसान बनाते अपने सुख को ढूँढ लेती है। विषम परिस्थितियों में सही राह चुनना सीख गई है तो क्यूँ अब चुटकी सिंदूर के बदले किसी बादशाह की बनाई कैद में खुद को बंदी कर लें। खुद की रचाई सियासत की रानी बन गई है, तभी तो आज की महिलाएं मजबूती की मिसाल बनकर उपर उठ रही है।
(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु
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