#नौकासन लाभ
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जानिए वजन कम करने के लिए करें कौन सा आसन
जानिए वजन कम करने के लिए करें कौन सा आसन
____________________ गलत खान-पान और बदलती लाइफस्टाइल की वजह से मोटापा सबसे बड़ी बीमारी बन चुका है। वजन बढ़ने से शरीर में कई तरह की बामीरियां पनपने लगती हैं और स्वास्थ्य पर विपरित असर पड़ता है। इस तरह के भार को पूरा करने के लिए फिट रहना होगा और योग के सहवर्ती योग बार खराब होने में सुधार होता है। इस समय में भी. ऐसे में आप योग के भी भार कम कर सकते हैं। इस तरह के आसनों के बारे में बैठने के बारे में ️…
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#️ मोटापा️️️️️#घर पर वजन घटाने के लिए योग#चक्रासन कैसे करें#चक्रासन लाभ#नाभिकासन करने का तरीका#नौकासन लाभ#पेट कम करने के लिए कसरत#पेट कम करने के लिए योगासन#फ्लैट पेट के लिए योग#बेली फैट घटाने के लिए योग yoga#भार कम करने का योगासन#भार कम करने के लिए#भुजंगासन#भुजंगासन करने का तरीका#योग कम करने के लिए योग#योग शुरुआती लोगों के लिए वजन कम करने के लिए yoga#योग से वजन कैसे कम करें#वजन कम करने के लिए योग#वजन घटना#वजन घटाने के लिए शक्ति योग#स्वास्थ्य
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नौकासन योग को करने के फायदे व इसे करने की सभी विधि ,जानिए
नौकासन योग को करने के फायदे व इसे करने की सभी विधि ,जानिए
अगर आप अपने लक्ष्यों को पूरा करना चाहते हैं तो फिट और स्वस्थ रहना आपके लिए बहुत जरूरी है। फिट रहने के लिए व्यायाम करना और सही डाइट लेना जरूरी है। अगर आप पूरे दिन के समय में से अपने लिए 15–20 मिनट निकाल पाते हैं तो यह आपको बहुत लाभ पहुंचा सकता है। अपने रूटीन में योग को शामिल करने से आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। योग का अभ्यास आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।योग के कई…
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Naukasana in Hindi: नौकासन का अभ्यास कैसे करें, 10 जादुई लाभ
Naukasana in Hindi: नौकासन का अभ्यास कैसे करें, 10 जादुई लाभ
Naukasana in Hindi शरीर को स्वस्थ रखने तथा चलाने के लिए मन, बुद्धि, इच्छाशक्ति के साथ साथ शरीर के कुछ अंग बेहद महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। जिस प्रकार किसी भी मशीन को काम करने के साथ साथ समय समय पर उसकी सर्विसिंग अथवा साफ़ सफाई आवश्यक है, उसी प्रकार शरीर के लिए व्यायाम अति आवश्यक है। बढ़ती उम्र तथा गलत खान पान होने के कारण शरीर के अंग कमज़ोर होने लगते हैं तथा बीमारियों का आगमन शुरू हो जाता है।…
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नौकासन किया है ? नौकासन पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण योगासन है। इस आसन को नौकासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसका आकार नाव की तरह का होता है। इसको नावासन के नाम से भी पुकारा जाता है। इसके फायदे अदभूत हैं। यह पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही प्रवभाशाली योगाभ्यास है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और साथ ही साथ सिर से लेकर पैर की अंगुली तक फायदा पहुँचाता है। इसके जितने भी लाभ गिनाये जाए कम है। इसलिए चाहिए कि हर योग साधक नियमित रूप से इस योगासन का प्रैक्टिस करे। सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाए। आपके हाथ जांघ के बगल हो और आपकी शरीर एक सीध में हो। अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस पर ध्यान दें। अब आप सांस लेते हुए अपने सिर, पैर, और पुरे शरीर को 30 डिग्री पर उठायें। ध्यान रहे आपके हाथ ठीक आपके जांघ के ऊपर हो। धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े, इस अवस्था को अपने हिसाब से बनाये रखें। जब अपने शरीर को नीचें लाना हो तो लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए सतह की ओर आयें। यह एक चक्र हुआ और शुरुवाती दौड़ में 3 से 5 बार करें। एक दूसरी तरीका नौकासन का है जिसमें आप अपने सिर और पैर को सांस लेते हुए 45 डिग्री पर उठाते हैं एवं शरीर को V आकर का बनाते हैं। इसको एडवांस्ड नौकासन में रखा जाता है। अपने हिसाब से इस स्थिति को धारण करें। फिर सांस छोड़ते हुए धीरे धीरे जमीन की ओर आयें। नौकासन की यह विधि वजन को कम करने के लिए बहुत ही प्रभावी है। नौकासन के लाभ नौकासन पेट के चर्बी के लिए: नौकासन पेट की चर्बी को कम करने के लिए बहुत ही उम्दा योगाभ्यास है। अगर इसका नियमित रूप से प्रैक्टिस किया जाये तो बहुत जल्द आप पेट की चर्बी से नजात पा सकते हैं। नौकासन वजन कम करने के लिए: एडवांस्ड नौकासन का प्रैक्टिस करने से पेट की चर्बी ही कम नहीं होती बल्कि पुरे शरीर का वजन घटता है और आप मोटापा को कंट्रोल कर सकते हैं। नौकासन किडनी के लिए: बहुत कम ऐसा योगा है जो किडनी को लाभ पहुंचाता है उसमें से एक नौकासन भी है। नियमित रूप से इस आसन को करने से किडनी स्वस्थ रहता है और साथ ही साथ शरीर का यह अंग बेहतर तरीके से काम करता है। नौकासन पाचन तंत्र के लिए: यह योगाभ्यास आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पाचन से संबंधित रोग जैसे कब्ज, एसिडिटी, गैस आदि से आपको छुटकारा दिलाता है। नौकासन कमर दर्द के लिए: पहले पहले इस आसन को करने से कमर में थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है लेकिन धीरे धीरे यह आपके कमर को मजबूत बनाता है। कब्ज को कम करता है: यह आसन कब्ज को कम करने में बहुत मददगार है क्योंकि एंजाइम के स्राव https://www.instagram.com/p/CCZJxZ4hQQa/?igshid=z1uv662rw4mi
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योग, रोग और आसन
-कामिनी मोहन पाण्डेय।
-Yoga For Health - Yoga From Home
इस बार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020 की थीम कोरोना वायरस से बचे रहने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बहुत महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि संयुक्तराष्ट्रसंघ के द्वारा International Yoga Day 2020 की थीम - "Yoga For Health - Yoga From Home"
भारत में हजारों वर्षों से चली आ रही योग की सनातन परंपरा को पहली बार 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाने की मान्यता दी। 21 जून 2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। इस अवसर पर 192 देशों और 47 मुस्लिम देशों में योग दिवस का आयोजन किया गया। पातंजलि -योगसूत्र के रचनाकार है जो हिन्दुओं के छः दर्शनों (न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा, वेदान्त) में से एक है। पुष्यमित्र कण्व वंश के संस्थापक ब्राह्मण राजा के अश्वमेध यज्ञों की घटना को लिया जा सकता है। यह घटना ई.पू. द्वितीय शताब्दी की है। इसके अनुसार महाभाष्य की रचना का काल ई.पू. द्वितीय शताब्दी का मध्यकाल अथवा 150 ई.पूर्व माना जा सकता है।
विश्व योग दिवस 21 जून ही क्यों?
भारतीय संस्कृति के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य जल्दी उदय होता है और देर से ढलता है इसीलिए ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
वर्तमान समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली के कारण लोग असंतोष का शिकार है। अवसाद से ग्रसित लोगों की संख्या करोड़ों में है। अवसाद से मुक्ति पाने में योग ��हायक है। योग से न केवल व्यक्ति का तनाव दूर होता है बल्कि मन और मस्तिष्क भी शांत रहता है। योग हमारे शरीर को पवित्र कर आत्मा से साक्षात्कार कराता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से परेशान लोगों के लिए योग बहुत ही उपयोगी है। योग का प्रभाव सभी को ज्ञात है, इसीलिए योग विदेशों में भी प्रसिद्ध है। योग स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ मोक्ष -परम आनंद-आत्मा का परमात्मा के साथ जुड़ाव करने में भी सक्षम है। जन्म मरण के चक्र से मुक्ति का नाम परम आनंद है। सुख दुख के अनुभव से परे चले जाने का नाम परम आनंद है। योग निष्ठा की दृष्टि से जो कर्म किए जाते हैं उनमें फल और आसक्ति का त्याग किया जाता है। योग निष्ठा उसका नाम है जिसमें जीव, ईश्वर और प��रकृति तीनों पदार्थों को अनादि और नित्य मानकर निष्काम भाव से कर्म किया जाता है।
पतंजलि योग सूत्र में महर्षि पतंजलि ने विभिन्न ध्यानपारायण अभ्यासों को सुव्यवस्थित कर उनकों सूत्रों में संहिताबद्ध किया है। यह सूत्र योग के आठ अंगों को दर्शाते है। इसमें कुल 195 सूत्र है जिन्हे चार पदों में विभाजित किया गया है।
समाधि पद - इसमें 52 सूत्र है। - इसके अनुसार मन की वृतियों का निरोध ही योग हैं।
साधना पद - इसमें 55 सूत्र है। - क्रिया योग क्या है और उसके अंगों का वर्णन इस पद में शामिल है। तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान।
विभूति पद - इसमें भी 55 सूत्र है। - इस अध्याय में संयम का वर्णन है। जिसमे ध्यान, धारणा और समाधि यह योग के आठ अंगों में से अंतिम तीन अंग शामिल है।
केवल्य पद - इसमें 34 सूत्र है। - परममुक्ति पर आधारित यह अध्याय सबसे छोटा है।
पातंजलि ने योगसूत्र में योग के लिए कहा है योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है। हम इस वाक्य के दो अर्थ लगा सकते हैं।चित्तवृत्तियों के निरोध की अवस्था का नाम
और इस अवस्था को लाने के उपाय का नाम योग हैं।
मनुष्य सदा ही संयोग चाहता है लेकिन उसे हमेशा वियोग ही मिलता है। इसीलिए संसार को दुख रूप कहा गया है भगवत गीता के आठवें अध्याय के 15वें श्लोक में दुःखालयमशाश्वतम् -दुख के स्थान रूप आया है।
पूरा श्लोक इस प्रकार है-
मामुपेत्य पुनर्जन्म दु:खालयमशाश्वतम् ।
नाप्नुवन्ति महात्मान: संसिद्धिं परमां गता: 8।।15।।
-परम सिद्धि को प्राप्त महात्माजन मुझको प्राप्त होकर दुखों के घर एवं क्षणभंगुर पुनर्जन्म को नहीं प्राप्त होते।
गीता में ‘योग’ का अर्थ मु��्य रूप से समता है। इसके अतिरिक्त गीता में योग की तीन परिभाषाएं भी मिलती हैं जो कि दूसरे अध्याय के क्रमश: 48वें एवं 50वें श्लोक में तथा छठे अध्याय के 23वें श्लोक में देखी जा सकती हैं। ये परिभाषाएं क्रमश: इस प्रकार हैं
“समत्वं योग उच्यते”(गीता 2/48)
“योग: कर्मसु कौशलम्” (गीता 2/50)
तं विद्याद्दु:खसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्। (गीता 6/23)
गीता के तीनों श्लोकांश के पूरे श्लोक के अर्थ को समझते हैं-
योगस्थः कुरु कर्माणि, योग में स्थित होकर कर्म करो।
योग में स्थित होकर केवल ईश्वर के लिए कर्म करने को कहा है।
“योगस्थ: कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय।
सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते”।।
(गीता 2/48)
आसक्ति का त्याग करके सिद्धि -असिद्धि में सम रहकर योग में स्थित होकर कर्मों को कर यह समत्व ही योग है।
'योगः कर्मसु कौशलम्' कर्मों में कुशलता ही योग है।
योग: कर्मसु कौशलम्’ यह श्लोकांश योगेश्वर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय के 50वें श्लोक से उद्धृत है।
“बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योग: कर्मसु कौशलम्” (गीता 2।।50।।)
सम बुद्धि से युक्त मनुष्य जीवित अवस्था में ही पाप और पुण्य दोनों का त्याग कर देता है अतः योग में लग जा, क्योंकि कर्मों में योग ही कुशलता है।
‘योग: कर्मसु कौशलम्’ के दो अर्थ लिये जा सकते हैं –
1. कर्मसु कौशलं योग: अर्थात्
कर्मों में कुशलता ही योग है।
२. कर्मसु योग: कौशलम् अर्थात्
कर्मों में योग ही कुशलता है।
भगवान श्रीकृष्ण योग में स्थित होकर कर्म करने की आज्ञा देते हैं- ऐसे में योगः कर्मसु कौशलम् का सही अर्थ कर्मों में योग ही कुशलता है। कर्मों का महत्व नहीं है बल्कि योग समता का ही महत्व है।
तं विद्याद् दुःखसंयोगवियोगं योगसंज्ञितम्।
स निश्चयेन योक्तव्यो योगोऽनिर्विण्णचेतसा
(गीता।।6.23।।)
- जिसमें दुखों के संयोग का ही वियोग है, उसी को योग नाम से जानना चाहिए। वह योग न उकताये हुए अर्थात् धैर्य और उत्साह युक्त चित्त से निश्चयपूर्वक करना ही कर्तव्य है।
(1) पातंजलि योग दर्शन के अनुसार - योगश्चित्तवृतिनिरोधः (1/2) चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।
(2) सांख्य दर्शन के अनुसार - प���रुषप्रकृत्योर्वियोगेपि योगइत्यमिधीयते। पुरुष एवं प्रकृति के पार्थक्य को स्थापित कर पुरुष का स्व स्वरूप में अवस्थित होना ही योग है।
(3) विष्णु पुराण के अनुसार - योगः संयोग इत्युक्तः जीवात्म परमात्मने अर्थात् जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही योग है।
(4) भगवद्गीता के अनुसार - सिद्धासिद्धयो समोभूत्वा समत्वं योग उच्चते (2/48) दुख-सुख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रहना योग है।
(5) भगवद्गीता के अनुसार - तस्माद्दयोगाययुज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम् (गीता 2/50) कर्त्तव्य कर्म बन्धक न हो, इसलिए निष्काम भावना से अनुप्रेरित होकर कर्त्तव्य करने का कौशल योग है।
(6) बौद्ध धर्म के अनुसार - कुशल चितैकग्गता योगः कुशल चित्त की एकाग्रता योग है।
पतंजलि के 'अष्टांग योग' के आठ अंग हैं:
योगाङ्गानुष्ठानादशुद्धिक्षये ज्ञानदीप्तिराविवेकख्यातेः (योग सूत्र 2॥२८॥)
योगाङ्गानुष्ठाना - योग के आठ अंगों का अनुष्ठान और उनके आचरण से अशुद्धियों का नाश होता है। ज्ञानदीप्तिराविवेक, ज्ञान और विवेक का प्रकाश ख्यातिपर्यंत हो जाता है।
योग के ये आठ अंग क्या क्या हैं?
यमनियमासनप्राणायामप्रत्याहारधारणाध्यानसमाधयोऽष्टावङ्गानि (योग सूत्र 2॥२९॥)
यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि - ये योग के अष्टांग आठ अंग हैं।
यम (पांच परिहार): अहिंसा, झूठ नहीं बोलना, गैर लोभ, गैर विषयासक्ति और गैर स्वामिगत।
नियम (पांच धार्मिक क्रिया): पवित्रता, संतुष्टि, तपस्या, अध्ययन और भगवान को आत्मसमर्पण।
आसन :मूलार्थक अर्थ बैठने का आसन और पतंजलि सूत्र में ध्यान।
प्राणायाम (सांस को स्थगित रखना): प्राण, सांस, अयाम, को नियंत्रित करना या बंद करना। साथ ही जीवन शक्ति को नियंत्रण करने की व्याख्या की गयी है।
प्रत्याहार (अमूर्त): बाहरी वस्तुओं से भावना अंगों के प्रत्याहार।
धारणा (एकाग्रता): एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना।
ध्यान :ध्यान की वस्तु की प्रकृति गहन चिंतन।
समाधि (विमुक्ति):ध्यान के वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना। इसके दो प्रकार है - सविकल्प और अविकल्प। अविकल्प समाधि में संसार में वापस आने का कोई मार्ग या व्यवस्था नहीं होती। समाधि को योग पद्धति की चरम अवस्था माना जाता है।
प्राण अर्थात् साँस, आयाम यानी दो साँसों मे दूरी बढ़ाना, श्वास और नि:श्वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को प्राणायाम कहते हैं।
श्वास को धीमी गति से गहरे खींचकर रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के क्रम में आता है। श्वास खींचने के साथ भावना करते हैं कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करते हैं कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं। हम साँस लेते है तो सिर्फ़ हवा नहीं खींचते, हम उसके साथ ब्रह्मान्ड की सारी उर्जा को अपने भीतर आत्मसात करते है। प्राणों को आयाम देने की भी कई विधियां है इनमें भस्त्रिका, कपालभाति , वाह्य, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उद्गीत, प्रणव, अग्निसार , उज्जायी, सीत्कारी, शीतली, चंंदभेेदी प्राणायाम प्रमुखता से किए जाते हैं।
रोग और आसन
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रोग मुक्त होने के लिए हमें योग की शरण में जाना चाहिए। योग का अर्थ है दो का एक में जुड़ना, जीवात्मा का परम आत्मा से जुड़ना।
आसन के लिए चित्तवृत्ति का निरोध पहली शर्त है।
इसके लिए खुली हवा और मनोरम प्राकृतिक स्थान का चयन करना चाहिए।
पेट की बीमारियों में- उत्तानपादासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन, योगमुद्रासन, भुजंगासन, मत्स्यासन।
सिर की बीमारियों में- सर्वांगासन, शीर्षासन, चन्द्रासन।
मधुमेह- पश्चिमोत्तानासन, नौकासन, वज्रासन, भुजंगासन, हलासन, शीर्षासन।
गला- सुप्तवज्रासन, भुजंगासन, चन्द्रासन।
गठिया– पवनमुक्तासन, पद्मासन, सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, उष्ट्रासन।
गर्भाशय– उत्तानपादासन, भुजंगासन, सर्वांगासन, ताड़ासन, चन्द्रानमस्कारासन।
कमर दर्द – हलासन, चक्रासन, धनुरासन, भुजंगासन।
फेफड़े- वज्रासन, मत्स्यासन, सर्वांगासन।
यकृत- लतासन, पवनमुक्तासन, यानासन।
गुदा,बवासीर,भंगदर - उत्तानपादासन, सर्वांगासन, जानुशिरासन, यानासन।
गैस– पवनमुक्तासन, जानुशिरासन, योगमुद्रा, वज्रासन।
जुकाम– सर्वांगासन, हलासन, शीर्षासन।
मानसिक शांति – सिद्धासन, योगासन, शतुरमुर्गासन, खगासन योगमुद्रासन।
रीढ़ की हड्डी - सर्पासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, शतुरमुर्गासन करें।
गठिया - पवनमुक्तासन, साइकिल संचालन, ताड़ासन करें।
गुर्दे के रोग– सर्वांगासन, हलासन, वज्रासन, पवनमुक्तासन करें।
गला- सर्पासन, सर्वांगासन, हलासन, योगमुद्रा करें।
हृदय रोग- शवासन, साइकिल संचालन, सिद्धासन किया करें।
दमा के लिए- सुप्तवज्रासन, सर्पासन, सर्वांगासन, पवनतुक्तासन, उष्ट्रासन करें।
रक्तचाप के लिए– योगमुद्रासन, सिद्धासन, शवासन, शक्तिसंचालन क्रिया करें।
सिर दर्द के लिए- सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, शतुरमुर्गासन करें।
पाचन शक्ति के लिए- यानासन, नाभि आसन, सर्वांगासन, वज्रासन करें।
मोटापा घटाने के लिए– पवनमुक्तासन, सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, नाभि आसन करें।
आंखों के लिए- सर्वांगासन, सर्पासन, वज्रासन, धनुरासन, चक्रासन करें।
बालों के लिए– सर्वांगासन, सर्पासन, शतुरमुर्गासन, वज्रासन करें।
प्लीहा के लिए- सर्वांगासन, हलासन, नाभि आसन, यानासन करें।
कद बढ़ाने के लिए- ताड़ासन, शक्ति संचालन, धनुरासन, चक्रासन, नाभि आसन करें।
कानों के लिए– सर्वांगासन, सर्पासन, धनुरासन, चक्रासन करें।
नींद के लिए– सर्वांगासन, सर्पासन, सुप्तवज्रासन, योगमुद्रासन करें।
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पेट में है कीड़े तो करे ये योगासन, हमेशा के लिए जायेगे दूर पाचन तंत्र भी होगा दुरुस्त
अनियमित जीवनशैली और खराब खानपान के कारण हर तीसरा व्यक्ति पेट से जुड़ी किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है। खराब खानपान और क्रिया-कलाप के अभाव से बच्चों में पेट के कीड़े और खराब पाचन शक्ति की समस्या देखने को मिलती है।आज के समय में हमारा खान पान इतना बिगड़ चुका है की हमारे शरीर में अलग अलग रोग होने लगे है और इसकी सबसे बड़ी वजह है हमारा पाचन सही ना रहना और पेट में कोई समस्या होना। गलत खान पान की वजह से पेट में पीदे होने लगते है जो की बहुत बड़ी समस्या पैदा कर सकते है। कई बार दवियों के सेवन करने से पेट के कीड़े कम नहीं होते बल्कि बढने लगते है। इसके लिए आपको योगासन करना चहिये जो की आपके लिए फायदेमंद है।आज हम आपको कुछ योगासन के बारे में बताएंगे जिनके नियमित अभ्यास से आपको पेट से जुड़ी समस्याओं में बहुत लाभ मिलेगा।
कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाएं और अपनी हथेलियों को घुटनों पर ��खें। अपनी हथेलियों की सहायता से घुटनों को पकड़कर शरीर को एकदम सीधा रखें। अब अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करते हुए सामान्य से कुछ अधिक गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को फुलाएं। इसके बाद झटके से सांस को छोड़ते हुए पेट को अंदर की ओर खिंचे। जैसे ही आप अपने पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हैं, सांस अपने आप ही फेफड़ों में पहुंच जाती है। इस प्राणायाम के अभ्यास से पेट को बहुत फायदा होता है और फालतू चर्बी भी कम हो जाती है।
धनुरासन यह एक ऐसा आसन है जो आपके पेट में मौजूद सारी समस्याएं दूर कर देता है और आपके पेट को साफ़ करने के साथ साथ कीड़े भी मार देता है। इसे करने के लिए सबसे पहले आप जमीन में पीठ के बल लेट जाए और और उसके बाद आप अपने दोनों ��ैरो को पीहे की तरफ से उठाये और अपने हाथो को पीछे ले जाए और पैरो को पकड़ ले। इसके बाद आप अपने शरीर को कड़ा करले और ऊपर की तरफ देखने का प्रयास करे। इस आसन में कुछ समय रहने के पश्चात आप फिर से सामान्य स्थिति में होकर इसे दोहराएँ। इस आसन को करने से आपके पेट में मौजूद कीड़े धीरे धीरे मरने लग जाते है और आपकी यह समस्या हमेशा हमेशा के लिए खत्म होने लग जाती है।
हलासन इस आसन के अभ्यास के लिए सबसे पहले जमीन पर दरी बिछा लें। इसके बाद जमीन पर बिछी दरी पर सीधा लेट जाएं। अब अपने दोनों हाथो को जमीन पर रखें और पैरों को आपस में जोड़ लें। अब अपने दोनों पैरो को धीरे से उठाकर अपने नितम्ब को भी हल्का सा ऊपर उठा लें। अब अपने हाथो की मदद से अपने दोनों पैरो को सिर के पीछे जमीन की तरफ ले जाएं। अब अपने पैर और घुटनों को सीधे रखें और अपने हाथों को नितंम्ब के बगल पर ही रखें। इस स्थिति में थोड़ी देर रहने के बाद वापस आ जाएं। हलासन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली बनती हैं और शरीर में फूर्ती आ जाती है। साथ ही इस आसन के अभ्यास से पाचन तंत्र और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है और पेट की सूजन में कमी आती है।
नौकासन इसमें आपको अपनी आकृति पानी में चलने वाले नाव की तरह बनानी होती है। अगर आप इसे करते है तो आपके पेट के कीड़े दूर हो जाते है और पेट की बाकी समस्यायों में भी आराम मिलता है। इसके लिए आप सबसे पहले पीठ के बल जमीन में लेट जाए। इसके बाद आप धीरे धीरे अपने पैरो को जोड़ते हुए ऊपर की ओर उठाये और अपने शरीर को भी ऊपर की ओर उठायें और अपना पूरा वजन अपने नितम्बो में डाल दे यानी की आपके शरीर का वजन आपके नितम्बो में होना चहिये। इसके बाद अपने हाथो को अपने घुटनों में टच करे और कुछ देर तक इसी आसन में रहे और फिर सामान्य हो जाए।
https://kisansatta.com/if-you-have-insects-in-your-stomach-then-this-yoga-yoga-will-go-away-forever-the-digestive-system-will-also-be-better/ #IfYouHaveInsectsInYourStomach, #TheDigestiveSystemWillAlsoBeBetter, #ThenThisYogaYogaWillGoAwayForever, #WithThePracticeOfHalasana If you have insects in your stomach, the digestive system will also be better, then this yoga yoga will go away forever, With the practice of Halasana Life, Trending #Life, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
#If you have insects in your stomach#the digestive system will also be better#then this yoga yoga will go away forever#With the practice of Halasana#Life#Trending
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मोटापा कम करने के लिए प्रतिदिन करें सिर्फ 1 योगासन | नौकासन की विधि, लाभ एवं सावधानियां - साधक अंशित
मोटापा कम करने के लिए प्रतिदिन करें सिर्फ 1 योगासन | नौकासन की विधि, लाभ एवं सावधानियां – साधक अंशित
नौकासन की विधि का पूरा वीडियो देखे यहाँ👆👆👆👆
अगर आप भी मोटापा कम करना चाहते हैं तो आपको प्रतिदिन सिर्फ 1 योगासन का अभ्यास करना चाहिए और वह योगासन है नौकासन (Boat Pose)
योग प्राकृतिक तरीके से वजन घटाने (Natural Weight Loss) के लिए सबसे बेहतर विकल्पों में से एक है. अगर आप तेजी से वजन कम करना (Weight Loss) चाहते हैं तो वजन कम…
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पाली: सामूहिक योगा कर दिया स्वस्थ रहने का संदेश
योग ही है स्वस्थ रहने का मूल मंत्रसामूहिक योगा कर दिया स्वस्थ रहने का संदेश योग ही है स्वस्थ रहने का मूल मंत्र सेन्ट्रल एकेडमी ��ंस्था की 40 वीं वर्षगांठ पर संस्था द्वारा ‘माॅस योगा‘ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें संस्था की पाली एवं जोधपुर स्थित शाखाओं के लगभग 6300 विद्यार्थियों ने एक साथ योगा किया। सेन्ट्रल एकेडमी स्कूल, पाली के लगभग 700 विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया। योगा कार्यक्रम का प्रारम्भ ‘‘गुर्रू ब्रह्म गुर्रू विष्णु‘‘ प्रार्थना से हुआ.... तत्पश्चात भिन्न-भिन्न प्रकार की वार्म अप एक्सरसाईज करवाई गई। कार्यक्रम की अगली कड़ी में सूर्य नमस्कार व तत्पश्चात विभिन्न आसन करवाये गये। सर्वप्रथम खड़े होकर करने वाले आसनों में ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, वीर भद्रासन आदि करवाए गए। बैठकर करने वाले आसनों में वज्रासन, ऊष्ट्रासन, शशांकासन, पर्वतासन, पश्चिमोतानासन, बटरफ्लाई, योग मुद्रा आदि करवाये गए। लेटकर करने वाले आसनों में मत्स्य आसन, सेतुबन्ध आसन, सर्वांगआसन, हलासन, भुजंगासन, नौकासन, पवनमुक्तासन, अर्द्धधनुरासन, शलभासन, शवासन आदि योगासन करवाये गये। प्राणायाम में भ्रामरी व अनुलोम-विलोम तथा ओमकांर आदि को किया गया। कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय प्रधानाचार्या डाॅ. श्रीमती चन्दा गहलोत ने विद्यार्थियों को प्राणायाम एवं योग-आसनों को दैनिक दिनचर्या में निरन्तर अपनाने की सलाह दी साथ ही विद्यार्थियों को बताया कि वें अपने परिवार के सभी सदस्यों को योग के लाभ बताकर उन्हें भी योग से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करे ताकि स्वस्थ परिवार की कड़ियाँ आपस में जुड़कर स्वस्थ समाज एवं स्वस्थ देश का निर्माण कर सके। संस्था द्वारा योग कार्यक्रम के अलावा 18 एवं 25 नवम्बर को समाज में जागरूकता लाने हेतु ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ तथा स्वच्छता अभियान विषयों पर नुक्कड़ नाटक का पाली एवं जोधपुर में विभिन्न स्थानों पर मंचन भी किया जाएगा।
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ठंड के मौसम में अपनाएं, योग-व्यायाम के ये 8 उपाय सर्दी के मौसम में स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याएं होना आम बात है। मौसम ठंडा होने के कारण सिरदर्द, कमर दर्द, जुकाम, बदन दर्द, जोड़ों में समस्या, सांस लेने में परेशानी और हार्ट संबंधी व मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं। लेकिन इन योग व्यायाम का साथ, आपके स्वास्थ्य पर बेहतर बनाए रखने में सहायक होगा - 1. शरीर संचालन हेतु पैर की उंगलियां, एड़ी, घुटना, जांघ, पेट, हाथों की उंगलियां, कलाई, कोहनी, कंधा, गर्दन व आंख प्रत्येक अंग का 5 से 10 बार संचालन सुबह-शाम दोनों समय करना फायदेमंद होगा। 2. सायको सोमेटिक, न्य��रोसोमेटिक, दमा में भी ये यौगिक क्रियाएं लाभदायक हैं। इसके साथ-साथ शशांक आसन, योगमुद्रा, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, स्ट्रेच मकरासन (क्रोकोडायल)-2 लाभदायक हैं। 3. कुछ शारीरिक व मानसिक रोग तनाव व चिंता से भी होते हैं। इन्हें दूर करने के लिए यौगिक क्रियाएं उत्तम हैं। प्राणायाम और मेडिटेशन करना मानसिक समस्याओं में बेहद फायदेमंद है। 4. स्वस्थ लोगों के लिए भी यौगिक क्रियाएं लाभदायक हैं। स्वस्थ लोग स्वस्थ रहें, इसलिए योग विशेषज्ञ की सलाह से ये आसन करें - ताड़ासन, त्रिकोणासन, कमर को खड़े होकर आगे-पीछे व दाएं-बाएं झुकाने की क्रियाएं 5 बार करें। 5. सीधा लेटकर अर्द्धहलासन, साइकलिंग, पवनमुक्तासन, सीधा नौकासन। बैठकर पश्चिमोत्तासन, शशांक आसन व योगमुद्रा करना चाहिए। उल्टा लेटकर भुजंगासन, सर्पासन, शलभासन, धनुरासन, नौकासन, रोलिंग नौकासन करना चाहिए। 6. प्राणायाम सभी के लिए लाभदायक है। इसमें योगेन्द्र प्राणायाम, नाड़ीशोधन प्राणायाम, भ्रमिका प्राणायाम, उज्जयी प्राणायाम अधिक लाभदायक रहते हैं। ध्यान अपनी शक्ति के अनुसार कर सकते हैं। लंबी गहरी सांस लें व छोड़ें। ओम का उच्चारण भी महत्वपूर्ण माना जाता है। 7. ध्यान, प्राणायाम, शवासन, योगनिद्रा के द्वारा सुषुप्त शक्तियों को जाग्रत कर सकते हैं। इससे काम करने की शक्ति बढ़ सकती है, मन एकाग्र होता है, बुद्धि तीक्ष्ण होती है। इन क्रियाओं से शारीरिक व मानसिक रोगों से लड़ने की प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ जाती है। 8. ठंड के दिनों में, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग के रोगियों को रात में अधिक कष्ट होता है। उनके लिए भी डॉक्टर की सलाह व योग विशेषज्ञ की सलाह से लाभ होता है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रातः- शाम घूमना चाहिए। दिन में एक बार दिल खोलकर हंसना चाहिए। सोने के 2 घंटे पूर्व सुपाच्य भोजन करना चाहिए।
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