#धैर्य
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आपके पिता से आपकी क्यों नही बनती हैं? पिता से अच्छे संबंध कैसे बनाएं?
पिता और पुत्र के बीच अनबन परिवार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, और परिवार में पिता का स्थान सर्वोच्च होता है। वे न केवल घर के मुखिया होते हैं, बल्कि बच्चों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत भी होते हैं। पिता-पुत्र के बीच संबंध अनमोल होते हैं। यह एक गहरा बंधन होता है जो समर्थन, समझदारी, और प्रेम पर आधारित होता है। लेकिन कई बार, कुछ बच्चों के अपने पिता से अच्छे संबंध नहीं हो पाते हैं।…
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#सुगमदर्शन धैर्य का प्रकार (संदर्भ :स्वर्ग का बजट सत्र;पब्लिस होने से पहले सिर्फ सारांश लिया जा रहा है) 1) महामूर्ख:- धैर्य का नामोनिशान नहीं। 2) मूर्ख:-क्षणिक धैर्य । 3) विद्वान बैल :- धैर्य होने का अधिक दिखावा। (आधुनिक काल में सबसे अधिक लोकप्रिय) 4) विद्वान:- धैर्य देहली स्तर से थोड़ा ऊपर देखा जा सकता है। 5) बुद्धिजीवी (इंटलेक्चुअल) : नियंत्रित धैर्य । (मानवीय गुण सर्वाधिक विकसित इसी प्रकार में संभव है किन्तु इसमें लोग स्वार्थ तत्व से रहित संभव नहीं है अतः मनोविज्ञान का अधिक समावेश) 6) दार्शनिक:- धैर्य का सागर यही संभव है । आपलोग किस प्रकार में खुद को प्रकार में खुद को पाते हैं कमेंट करके बताएं तो मैं बताऊंगा कि आपको और क्या करना चाहिए।
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शनिवार का महत्त्व और मानव जीवन पर इसका प्रभाव
#सुखदुख कर्मफल जीवनकीसच्चाई आध्यात्मिकता जीवन_का_अर्थ सकारात्मकसोच हिन्दीब्लॉग सुख_और_दुख#शनिवार शनिदेव कर्मफल धैर्य साढ़ेसाती हनुमानचालीसा तेलदान शान्ति SpiritualSaturday#compassion#spiritual journey
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#कबीर साहेब जी कहते हैं परिश्रम से ही सब काम सफल व बिगड़े काम भी सुधर जाते हैं#लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि मन में धैर्य रखें।SatlokAshram
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धैर्य और साहस को बनाए अपनी तगत : दो दोस्त की प्रेरणा दायक कहानी !
एक बहुत पुराना गांव था, उस गांव का नाम था रामपुर, उस गांव के लोग बहुत ही सीधे और सच्चे थे। उसी गांव में दो बहुत ही सच्चे दोस्त रहते थे, वह दोनों बचपन से ही साथ थे और पूरा गांव उनको जानता था।उनमें से एक का नाम था राम और दूसरे का नाम श्याम था। राम थोड़ा दुबला पतला था और श्याम अच्छा हट्टा-कट्टा था और दोनों में बहुत गहरी मित्रता थी। बैसे तो गांव बहुत अच्छा था लेकिन उस गांव में पानी की बड़ी…
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!! हीरों का हार !! Story of The Week
पुराने समय में किसी शहर में एक जौहरी रहता था, उसकी असमय मृत्यु हो गई। उसके परिवार में पत्नी और उसका एक बेटा था। जौहरी की मृत्यु के ��ाद उनके परिवार में पैसों की कमी आ गई। एक दिन मां ने अपने बेट��� को हीरों का हार दिया और कहा कि “इसे अपने चाचा की दुकान पर बेच दो, इससे जो पैसा मिलेगा, वह हमारे काम आएगा।”
लड़का हार लेकर अपने चाचा की दुकान पर पहुंच गया। चाचा ने हार देखा और कहा, “बेटा अभी बाजार मंदा चल रहा है, इस हार को बाद में बेचना। तुम्हें पैसों की जरूरत है तो अभी मुझसे ले लो। तुम चाहो तो मेरी दुकान पर काम भी कर सकते हो।”
लड़के ने चाचा की बात मान ली और अगले दिन से लड़का अपने चाचा की दुकान पर काम करने लगा। समय के साथ वह लड़का भी हीरों की अच्छी परख करने लगा था। वह असली और नकली हीरे को तुरंत ही पहचान लेता था।
एक दिन उसके चाचा ने कहा, “अभी बाजार बहुत अच्छा चल रहा है, तुम अपना हीरों का हार बेच सकते हो।” लड़का अपनी मां से वह हार लेकर दुकान आ गया और चाचा को दे दिया। लड़के से उसके चाचा ने कहा, “अब तो तुम खुद भी हीरों की परख कर लेते हो, इस हार को देखकर इसकी कीमत का अंदाजा लगा सकते हो। इसीलिए तुम खुद इस हार की परख करो।” लड़के ने हार को ध्यान से fc देखा तो उसे मालूम हुआ कि हार में नकली हीरे लगे हैं और इसकी कोई कीमत नहीं है।
लड़के ने पूरी बात बताई तो चाचा ने कहा “मैं तो शुरू से जानता हूं कि ये हीरे नकली हैं, लेकिन अगर मैं उस दिन तुम्हें ये बात कहता तो तुम मुझे ही गलत समझते। तुम्हें यही लगता कि मैं ये हार हड़पना चाहता हूं, इसीलिए इसे नकली बता रहा हूं। तुम्हें उस समय हीरों का कोई ज्ञान नहीं था। बुरे समय में अज्ञान की वजह से हम अक्सर दूसरों को ही गलत समझते हैं।”
शिक्षा:- विपरीत समय में हमारे ऊपर निगेटिविटी हावी हो जाती है और सोचने-समझने की शक्ति कमजोर होने लगती है। ऐसी स्थिति में की गई जल्दबाजी से नुकसान हो सकता है, रिश्ते खराब भी हो सकते हैं। इसीलिए बुरे समय में धैर्य से काम लेना चाहिए।
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लखनऊ, 22.01.2025 | श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्रीराम लला जी की प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर्ण होने के पावन उपलक्ष्य में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “पुष्प अर्पण” कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ॰ हर्ष वर्धन अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने भगवान राम जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें सादर नमन किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ॰ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी को श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की प्रथम वर्षगांठ की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, “आज ही के दिन, पिछले वर्ष देश के यशस्वी और आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 500 वर्षों से अधूरे स्वप्न को साकार कर, कठिन तपस्या और अदम्य संकल्प के साथ श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित किया । इस ऐतिहासिक क्षण को मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपनी कुशल नेतृत्व से एक नई ऊंचाई प्रदान की । श्रीराम हमारे जीवन के आदर्श और प्रेरणा हैं । वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिन्होंने अपने जीवन के हर क्षण में धर्म, सत्य और कर्तव्य का पालन किया । अयोध्या की पवित्र धरती पर निर्मित उनका भव्य मंदिर न केवल हमारी धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक उत्थान और गौरव का भी प्रतीक है । पिछले एक वर्ष में, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ने लाखों श्रद्धालुओं को अध्यात्म, भक्ति और शांति का अद्भुत अनुभव प्रदान किया है । यह केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि एक प्रेरणा स्थल है, जो यह सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना ही सच्चा जीवन है । प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि वे सत्य, धैर्य और समर्पण का मार्ग दिखाएं । उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाकर, हम समाज को नई दिशा देने और इसे एक बेहतर स्थान बनाने का प्रयास करें । जय श्रीराम !”
डॉ. हर्षवर्धन अग्रवाल ने इस पावन अवसर पर सभी से महाकुंभ 2025 में प्रयागराज जाकर गंगा स्नान कर आत्मशुद्धि का आह्वान किया ।
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मैं जीवन से पूछती हूँ,
पूछती हूँ धैर्य से, प्रेम से, प्रतीक्षा से,
चाहिए और कितनी पतझड़?
कि मेरे लिए... एक बसंत बने...?❤️🍂
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🌺आज का विचार 🌺
व्यक्ति के व्यक्तित्व को दो शब्द परिभाषित करते हैं धैर्य और व्यवहार जिसकी प्रेरणा से आपका चरित्र बदल जाय वही आपका श्रेष्ठ गुरु है
॥ जय श्री सीताराम ॥
🌺🌷सुप्रभात 🌷🌺
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कर्नल राजयवर्धन राठौड़: युवा महोत्सव से बनेगा उज्ज्वल राजस्थान
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“युवा महोत्सव से भविष्य के राजस्थान की नींव रखी जा रही है,” यह कहना है कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ का, जो युवाओं की ताकत और उनकी प्रतिभा को राज्य के विकास के लिए सबसे अहम मानते हैं।
उनके विचारों के मुख्य बिंदु:
युवाओं का सशक्तिकरण: कर्नल राठौड़ का मानना है कि युवा ऊर्जा और नई सोच राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
प्रतिभा और कौशल का प्रोत्साहन: युवा महोत्सव जैसे मंचों के माध्यम से युवाओं को अपनी कला, खेल और अन्य क्षेत्रों में अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिलता है।
विकसित राजस्थान का सपना: राष्ट्रीय उद्देश्यों जैसे “विकसित भारत 2047” के साथ तालमेल बिठाते हुए, उनका लक्ष्य है कि राजस्थान भी इस अभियान में अग्रणी भूमिका निभाए।
युवा महोत्सव को भविष्य के राजस्थान की दिशा में एक ठोस कदम बताते हुए, कर्नल राठौड़ ने यह स्पष्ट किया कि राज्य की प्रगति युवाओं की भागीदारी से ही संभव है। यह आयोजन केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि राजस्थान के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है।
युवाओं से सशक्त राजस्थान की उम्मीदें
भारत की जनसंख्या का 65% हिस्सा 35 वर्ष से कम आयु का है, और राजस्थान के युवा इस बदलाव के अग्रदूत हैं। उनकी सृजनात्मकता, धैर्य और जोश, राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
युवा महोत्सव, इस ऊर्जा को रचनात्मक प्रयासों में बदलने का माध्यम बन रहा है और एक सशक्त राजस्थान के निर्माण ��े लिए आधारशिला रख रहा है।
युवा महोत्सव के प्रमुख उद्देश्य
प्रतिभा का प्रदर्शन
यह महोत्सव राजस्थान के हर कोने से आए युवाओं को अपनी प्रतिभा जैसे कला, खेल, नवाचार और नेतृत्व के क्षेत्रों में दिखाने का अवसर देता है।
यह विविधता को बढ़��वा देता है और भाग लेने वाले युवाओं में एकता का भाव विकसित करता है।
कौशल विकास और सीखने का अवसर
वर्कशॉप, प्रशिक्षण सत्र और विशेषज्ञों के साथ बातचीत से युवाओं को आधुनिक युग के आवश्यक कौशल सिखाए जाते हैं।
डिजिटल कौशल, उद्यमशीलता, पब्लिक स्पीकिंग और समस्या-समाधान जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
नवाचार को प्रोत्साहन
हैकाथॉन और आइडिया प्रतियोगिताएं युवा नवोन्मेषकों को वास्तविक जीवन की चुनौतियों को हल करने के लिए प्रेरित करती हैं।
नए स्टार्टअप और युवा उद्यमियों को उद्योग के दिग्गजों और निवेशकों से जुड़ने का मौका मिलता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक एकीकरण
महोत्सव राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करता है, जिसमें पारंपरिक और आधुनिक कला रूपों का संगम होता है।
यह युवाओं को राज्य की विविधता को समझने और सराहने के लिए प्रेरित करता है।
भविष्य के राजस्थान की नींव
युवा महोत्सव, राजस्थान को भविष्य के लिए तैयार करने के दृष्टिकोण के साथ समन्वित है। यह:
उद्यमशीलता को बढ़ावा देता है: युवाओं को नौकरी खोजने वाले से नौकरी देने वाला बनने के लिए प्रेरित करता है।
नौकरी योग्यता बढ़ाता है: व्यावहारिक शिक्षा और वैश्विक प्रवृत्तियों के संपर्क से कौशल का अंतर कम करता है।
नेताओं को तैयार करता है: युवाओं में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का विकास करता है, जिससे वे सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के वाहक बन सकें।
जय हिंद! जय राजस्थान!
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सुमेन्द्र सिंह बोहरा: एक समाज सेवक, एक नायक, एक क्रांति
परिचय
कौन हैं सुमेन्द्र सिंह बोहरा?
सुमेन्द्र सिंह बोहरा एक प्रख्यात समाज सेवक हैं, जो अपने निस्वार्थ कार्यों और क्रांतिकारी सोच के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने समाज के उत्थान और बदलाव में अद्वितीय योगदान दिया है।
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उनकी प्रेरणास्त्रोत यात्रा
उनकी यात्रा संघर्ष और समर्पण की कहानी है। एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने समाज में बड़े बदलाव लाने की शुरुआत की।
सुमेन्द्र सिंह बोहरा शुरुआती जीवन
परिवार और शिक्षा
सुमेन्द्र सिंह का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। शिक्षा के प्रति उनकी रुचि ने उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में प्रवेश दिलाया।
शुरुआती संघर्ष और उपलब्धियां
अपने करियर की शुरुआत में उन्हें अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने धैर्य और दृढ़ता से सफलता पाई।
समाज सेवा में योगदान
ग्रामीण विकास में प्रयास
उन्होंने ग्रामीण इलाकों में सड़क, पानी और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाई।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में कार्य
सुमेन्द्र सिंह ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और शिक्षा को हर वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास किया।
महिला सशक्तिकरण के लिए पहल
उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।
समाज सेवक सुमेन्द्र सिंह बोहरा का नेतृत्व
एक सच्चे नायक के गुण
उनका नेतृत्व ईमानदारी, पारदर्शिता और सेवा भावना पर आधारित है।
उनकी नेतृत्व शैली
सुनने और समझने की उनकी क्षमता उन्हें एक आदर्श नेता बनाती है।
क्रांति के अग्रदूत
सामाजिक बदलाव के अभियान
उन्होंने जातिवाद, अशिक्षा और भेदभाव के खिलाफ कई अभियान चलाए।
युवाओं के लिए प्रेरणा
उनके विचार और कार्य युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं।
पुरस्कार और सम्मान
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
सुमेन्द्र सिंह को उनके कार्यों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं।
समाज सेवक सु���ेन्द्र सिंह : उनके सिद्धांत और विचारधारा
मानवता और एकता का संदेश
उन्होंने हमेशा मानवता और समाज की एकता पर जोर दिया।
पर्यावरण संरक्षण में विश्वास
पर्यावरण की रक्षा के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
उनकी विरासत
आज की पीढ़ी के लिए सीख
उनका जीवन सिखाता है कि निस्वार्थ सेवा से समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
उनके कार्यों का प्रभाव
उनकी सोच और काम आज भी समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।
निष्कर्ष
सुमेन्द्र सिंह बोहरा का जीवन प्रेरणा का स्रोत है। उनके कार्य समाज को एक नई दिशा देते हैं। वह ��क सच्चे नायक और समाज सुधारक हैं।
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आपके पिता से आपकी क्यों नही बनती हैं? पिता से अच्छे संबंध कैसे बनाएं?
पिता और पुत्र के बीच अनबन परिवार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, और परिवार में पिता का स्थान सर्वोच्च होता है। वे न केवल घर के मुखिया होते हैं, बल्कि बच्चों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत भी होते हैं। पिता-पुत्र के बीच संबंध अनमोल होते हैं। यह एक गहरा बंधन होता है जो समर्थन, समझदारी, और प्रेम पर आधारित होता है। लेकिन कई बार, कुछ बच्चों के अपने पिता से अच्छे संबंध नहीं हो पाते हैं।…
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#गीता_वाला_काल_कौन_है
गीता जी का ज्ञान किसने बोला ?
अध्याय 18 का श्लोक 43
शौर्यम्, तेजः, धृतिः, दाक्ष्यम्, युद्धे, च, अपि, अपलायनम्, दानम्, ईश्वरभाव�� च, क्षात्राम, कर्म, स्वभावजम्।।43।।
अनुवादः (शौर्यम्) शूर-वीरता (तेजः) तेज (धृतिः) चैर्य (दाक्ष्यम्) चतुरता (च) और (युद्धे) युद्धमें (अपि) भी (अपलायनम्) न भागना (दानम्) दान देना (च) और (ईश्वरभावः) पूर्ण परमात्मामं रूचि स्वामिभाव ये सब के सब ही (क्षात्राम्) क्षत्रियके (स्वभावजम्) स्वाभाविक (कर्म) कर्म हैं। (43)
हिन्दीः शूर-वीरता तेज धैर्य चतुरता और युद्धमें भी न भागना दान देना और पूर्ण परमात्मामं रूचि स्वामिभाव ये सब के सब ही क्षत्रियके स्वाभाविक कर्म हैं।
गीता अध्याय 18 श्लोक 43 में गीता ज्ञान दाता ने क्षत्री के स्वभाविक कर्मों का उल्लेख करते हुए कहा है कि "युद्ध से न भागना” आदि-2 क्षत्री के स्वभाविक कर्म हैं। इससे सिद्ध हुआ कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला। क्योंकि श्री कृष्ण जी स्वयं क्षत्री होते हुए कालयवन के सामने से युद्ध से भाग गए थे। व्यक्ति स्वयं किए कर्म के विपरीत अन्य को राय नहीं देता। न उसकी राय श्रोता को ठीक जचेगी। वह उपहास का पात्र बनेगा। यह गीता ज्ञान ब्रह्म (काल) ने प्रेतवत् श्री कृष्ण जी में प्रवेश करके बोला था। भगवान श्री कृष्ण रूप में स्वयं श्री विष्णु जी ही अवतार धार कर आए थे।
-जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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I know I love a ship when I listen to a select group of songs and think of that ship and these lyrics from Hataarindai Bataasindai count oh my god
तिम्रो र मेरो, हाम्रो कथाको शीर्षक 'धैर्य' बनिसकेछ
And
शिशिरको अँगारले भाकेछ तिम्रो आगमन
यही मायामा निसासिने कस्तो हाम्रो यो पागलपन?
Like!!!!!! It’s them! It’s them!!!!
#the whole song applies to them tbh but these parts punched me in the gut#the whole…. Hail to the Tempest part still has me fucked up#vaxleth#vox machina
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शनि की साढ़े साती के क्या प्रभाव हैं?
यहां शनि की साढ़े साती के 5 प्रमुख प्रभाव हैं:
संघर्ष और मेहनत: साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को जीवन में कड़ी मेहनत और संघर्ष का सामना करना पड़ता है। यह समय धैर्य और सहनशीलता का परीक्षण करता है।
आत्म-अवलोकन और आत्म-सुधार: यह चरण आत्म-विश्लेषण का होता है, जिसमें व्यक्ति अपने जीवन के कमज़ोर पहलुओं को समझता है और उन्हें सुधारने का प्रयास करता है।
व्यवस्थ���त जीवन: शनि जीवन में अनुशासन और जिम्मेदारियों का बोध कराता है। साढ़े साती के समय लोग अपने काम और जीवन में अधिक व्यवस्थित हो जाते हैं।
संबंधों में चुनौती: इस दौरान रिश्तों में टकराव या दूरियाँ आ सकती हैं, लेकिन यह भावनात्मक रूप से मजबूत बनने का मौका भी देता है।
आर्थिक दबाव: साढ़े साती में आर्थिक दबाव महसूस हो सकता है, लेकिन यह समय धन के प्रति सावधान और प्रबंधन सीखने का भी है, जो भविष्य में लाभकारी होता है।
और अगर आप अपनी कुंडली के अनुसार जानना चाहते हैं तो आप कुंडली चक्र प्रोफेशनल 2022 सॉफ्टवेयर का उपयोग कर सकते हैं। जो आपको आपकी कुंडली के अनुसार बेहतर जानकारी दे सकता है।
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!! हीरों का हार !! Story of The Week
पुराने समय में किसी शहर में एक जौहरी रहता था, उसकी असमय मृत्यु हो गई। उसके परिवार में पत्नी और उसका एक बेटा था। जौहरी की मृत्यु के बाद उनके परिवार में पैसों की कमी आ गई। एक दिन मां ने अपने बेटे को हीरों का हार दिया और कहा कि “इसे अपने चाचा की दुकान पर बेच दो, इससे जो पैसा मिलेगा, वह हमारे काम आएगा।”
लड़का हार लेकर अपने चाचा की दुकान पर पहुंच गया। चाचा ने हार देखा और कहा, “बेटा अभी बाजार मंदा चल रहा है, इस हार को बाद में बेचना। तुम्हें पैसों की जरूरत है तो अभी मुझसे ले लो। तुम चाहो तो मेरी दुकान पर काम भी कर सकते हो।”
लड़के ने चाचा की बात मान ली और अगले दिन से लड़का अपने चाचा की दुकान पर काम करने लगा। समय के साथ वह लड़का भी हीरों की अच्छी परख करने लगा था। वह असली और नकली हीरे को तुरंत ही पहचान लेता था।
एक दिन उसके चाचा ने कहा, “अभी बाजार बहुत अच्छा चल रहा है, तुम अपना हीरों का हार बेच सकते हो।” लड़का अपनी मां से वह हार लेकर दुकान आ गया और चाचा को दे दिया। लड़के से उसके चाचा ने कहा, “अब तो तुम खुद भी हीरों की परख कर लेते हो, इस हार को देखकर इसकी कीमत का अंदाजा लगा सकते हो। इसीलिए तुम खुद इस हार की परख करो।” लड़के ने हार को ध्यान से देखा तो उसे मा��ूम हुआ कि हार में नकली हीरे लगे हैं और इसकी कोई कीमत नहीं है।
लड़के ने पूरी बात बताई तो चाचा ने कहा “मैं तो शुरू से जानता हूं कि ये हीरे नकली हैं, लेकिन अगर मैं उस दिन तुम्हें ये बात कहता तो तुम मुझे ही गलत समझते। तुम्हें यही लगता कि मैं ये हार हड़पना चाहता हूं, इसीलिए इसे नकली बता रहा हूं। तुम्हें उस समय हीरों का कोई ज्ञान नहीं था। बुरे समय में अज्ञान की वजह से हम अक्सर दूसरों को ही गलत समझते हैं।”
शिक्षा:- विपरीत समय में हमारे ऊपर निगेटिविटी हावी हो जाती है और सोचने-समझने की शक्ति कमजोर होने लगती है। ऐसी स्थिति में की गई जल्दबाजी से नुकसान हो सकता है, रिश्ते खराब भी हो सकते हैं। इसीलिए बुरे समय में धैर्य से काम लेना चाहिए।
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