#धैर्य
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आपके पिता से आपकी क्यों नही बनती हैं? पिता से अच्छे संबंध कैसे बनाएं?
पिता और पुत्र के बीच अनबन परिवार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, और परिवार में पिता का स्थान सर्वोच्च होता है। वे न केवल घर के मुखिया होते हैं, बल्कि बच्चों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत भी होते हैं। पिता-पुत्र के बीच संबंध अनमोल होते हैं। यह एक गहरा बंधन होता है जो समर्थन, समझदारी, और प्रेम पर आधारित होता है। लेकिन कई बार, कुछ बच्चों के अपने पिता से अच्छे संबंध नहीं हो पाते हैं।…
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#सुगमदर्शन धैर्य का प्रकार (संदर्भ :स्वर्ग का बजट सत्र;पब्लिस होने से पहले सिर्फ सारांश लिया जा रहा है) 1) महामूर्ख:- धैर्य का नामोनिशान नहीं। 2) मूर्ख:-क्षणिक धैर्य । 3) विद्वान बैल :- धैर्य होने का अधिक दिखावा। (आधुनिक काल में सबसे अधिक लोकप्रिय) 4) विद्वान:- धैर्य देहली स्तर से थोड़ा ऊपर देखा जा सकता है। 5) बुद्धिजीवी (इंटलेक्चुअल) : नियंत्रित धैर्य । (मानवीय गुण सर्वाधिक विकसित इसी प्रकार में संभव है किन्तु इसमें लोग स्वार्थ तत्व से रहित संभव नहीं है अतः मनोविज्ञान का अधिक समावेश) 6) दार्शनिक:- धैर्य का सागर यही संभव है । आपलोग किस प्रकार में खुद को प्रकार में खुद को पाते हैं कमेंट करके बताएं तो मैं बताऊंगा कि आपको और क्या करना चाहिए।
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युवाओं के धैर्य को आज सत्ता ललकार रही है: सुदेश कुमार महतो
युवाओं के धैर्य को आज सत्ता ललकार रही है: सुदेश कुमार महतो
• हजारों युवा उतरे सड़क पर, अरगोड़ा मैदान से बापू वाटिका मोरहाबादी तक किया मार्च रांची। आज आत्ममंथन का दिन है। अतीत के दहलीज से वर्तमान को समझने तथा भविष्य को संवारने का संकल्प लेने का दिन है। व्यवस्था के युवा विरोधी चरित्र के प्रतिकार का दिन है। महापुरुषों, शहीदों एवं आंदोलनकारियों के टुटते सपनों का विश्लेषण का दिन है।यह बातें आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने स्वामी विवेकानंद…
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शनिवार का महत्त्व और मानव जीवन पर इसका प्रभाव
#सुखदुख कर्मफल जीवनकीसच्चाई आध्यात्मिकता जीवन_का_अर्थ सकारात्मकसोच हिन्दीब्लॉग सुख_और_दुख#शनिवार शनिदेव कर्मफल धैर्य साढ़ेसाती हनुमानचालीसा तेलदान शान्ति SpiritualSaturday#compassion#spiritual journey
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#कबीर साहेब जी कहते हैं परिश्रम से ही सब काम सफल व बिगड़े काम भी सुधर जाते हैं#लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि मन में धैर्य रखें।SatlokAshram
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धैर्य और साहस को बनाए अपनी तगत : दो दोस्त की प्रेरणा दायक कहानी !
एक बहुत पुराना गांव था, उस गांव का नाम था रामपुर, उस गांव के लोग बहुत ही सीधे और सच्चे थे। उसी गांव में दो बहुत ही सच्चे दोस्त रहते थे, वह दोनों बचपन से ही साथ थे और पूरा गांव उनको जानता था।उनमें से एक का नाम था राम और दूसरे का नाम श्याम था। राम थोड़ा दुबला पतला था और श्याम अच्छा हट्टा-कट्टा था और दोनों में बहुत गहरी मित्रता थी। बैसे तो गांव बहुत अच्छा था लेकिन उस गांव में पानी की बड़ी…
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लखनऊ, 07.09.2024 | गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा “पर्यावरण बचाओ जीवन बचाओ” के अंतर्गत सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज, ईश्वर पुरी, इंदिरा नगर, लखनऊ में जागरूकता कार्यक्रम “मिट्टी की प्रतिमा, प्रकृति की रक्षा” का आयोजन किया गया |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने विद्यालय के लगभग 150 छात्र-छात्राओं को मिट्टी की प्रतिमा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि, “मिट्टी की मूर्ति न केवल पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को दर्शाती है, बल्कि यह हमारे पारंपरिक मूल्यों और प्रकृति के प्रति सम्मान को भी प्रकट करती है । मिट्टी से बनी मूर्तियां आसानी से प्राकृतिक रूप से विघटित हो जाती है, जिससे जल और मिट्टी प्रदूषण नहीं होता । इसके साथ ही, गणेश जी की मिट्टी की मूर्ति बनाना हमें सादगी, धैर्य और रचनात्मकता का महत्व सिखाता है । स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन में, सभी विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक अपनी-अपनी मिट्टी की मूर्तियां तैयार की, जो न केवल उनके रचनात्मक विकास का प्रमाण था, बल्कि उनके मन में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति आदर था । इस गतिविधि ने बच्चों को न केवल कला और शिल्प में निपुणता हासिल करने का मौका दिया, बल्कि उन्हें प्रकृति और परंपराओं के साथ जुड़ने का भी अवसर प्रदान किया ।“
स्वयंसेवकों ने छात्राओं को यह समझाया कि, "मिट्टी की प्रतिमा बनाना हमारे पर्यावरण की रक्षा और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक तरीका है । यह न केवल हमारी परंपरा को बनाए रखता हैं, बल्कि प्रकृति के साथ हमारे रिश्ते को भी दिखाता है ।"
जागरूकता कार्यक्रम “मिट्टी की प्रतिमा, प्रकृति की रक्षा” में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों सुश्री रितिका त्रिपाठी, सुश्री सा��्ष��� राठौड़, सुश्री अंजलि सिंह (एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी) ने सहभागिता की तथा जागरूकता अभियान को सफल बनाया | कार्यक्रम में सरस्वती बालिका इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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I know I love a ship when I listen to a select group of songs and think of that ship and these lyrics from Hataarindai Bataasindai count oh my god
तिम्रो र मेरो, हाम्रो कथाको शीर्षक 'धैर्य' बनिसकेछ
And
शिशिरको अँगारले भाकेछ तिम्रो आगमन
यही मायामा निसासिने कस्तो हाम्रो यो पागलपन?
Like!!!!!! It’s them! It’s them!!!!
#the whole song applies to them tbh but these parts punched me in the gut#the whole…. Hail to the Tempest part still has me fucked up#vaxleth#vox machina
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शोको नाशयते धैर्यं शोको नाशयते श्रुतम्।
शोको नाशयते सर्वं नास्ति शोकसमो रिपुः॥
Translation — Grief destroys steadfastness. Grief destroys knowledge. Grief destroys all. There is no enemy like grief.
अन्वयः — शोको धैर्यं नाशयते। शोकश्श्रुतं नाशयते। शोकस्सर्वं नाशयते। शोकसमो रिपुर्नास्ति।
म स ग ग, म स ल ग। म स ग ग, र स ल ग॥
छन्दः — अनुष्टुप्
ऽऽऽ ।।ऽ ऽऽ ऽऽऽ ।।ऽ ।ऽ
ऽऽऽ ।।ऽ ऽऽ ऽ।ऽ ।।ऽ ।ऽ
Source: वाल्मीकिरामायणम् २.६२.१५
पदच्छेदः — शोकः (शुचँ शोके + घञ्, पुं.) grief; नाशयते (ण॒शँ अदर्शने + णिच् to destroy, लट्, प्र.१); धैर्य (धीर + ष्यञ्, नपुं.) steadfastness; श्रुत (श्रु॒ श्रवणे + क्त, नपुं.) that which is heard, i.e., knowledge; सर्व all; न negation; शोकसमः that which is equal to grief; रिपु enemy.
#breaking down verses#feel free to correct me#language learning#learning languages#langblr#im learning sanskrit grammar#language nerd#ramayana
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[प्रेम पत्र खुद के लिए: दिन #3. १७th नवंबर २०२३. शुक्रवार.]
शुरुआत और अंत।
"जो आज है कल शायद न हो, ये वक्त गुजर जाएगा।"
ये बात दुःख में सुनो तो अच्छी लगती है जैसे जलते घाव पर ठंडा मरहम और खुशी में चुभती है जैसे किसी अपने के लिए मफलर बनाते वक्त सुई चुभ जाती है वैसे, मगर फिर भी हम खुशी खुशी उसे बनाते रहते हैं, बिल्कुल इन दो बातो जैसे ही है वक्त और हालात।
सुख हो या दुःख आज होगा कल शायद न हो, क्यों की जो शुरू होता है उसका अंत निश्चित है।
धैर्य से मुश्किल से मुश्किल काम भी पूर्ण हो जाते है।
धीरज के साथ बढ़ते जा रही, चाहे दुःख हो या ��ुख वो वक्त का साथी है; वे उसके साथ गुजर जाएगा।
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आपके पिता से आपकी क्यों नही बनती हैं? पिता से अच्छे संबंध कैसे बनाएं?
पिता और पुत्र के बीच अनबन परिवार जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, और परिवार में पिता का स्थान सर्वोच्च होता है। वे न केवल घर के मुखिया होते हैं, बल्कि बच्चों के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणा के स्रोत भी होते हैं। पिता-पुत्र के बीच संबंध अनमोल होते हैं। यह एक गहरा बंधन होता है जो समर्थन, समझदारी, और प्रेम पर आधारित होता है। लेकिन कई बार, कुछ बच्चों के अपने पिता से अच्छे संबंध नहीं हो पाते हैं।…
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लोग शेयर मार्केट में करियर बनाने से निम्नलिखित कारणों की वजह से डरते हैं:

जोखिम का डर: शेयर मार्केट में निवेश जोखिम भरा हो सकता है। कीमतें ऊपर-नीचे होती रहती हैं, जिससे लोग अपना पैसा खोने का डर महसूस करते हैं। अस्थिरता और अनिश्चितता निवेशकों को चिंता में डाल सकती है।
समझ की कमी: शेयर मार्केट के कामकाज और ट्रेडिंग की बारीकियों को समझना आसान नहीं होता। लोग अगर सही तरीके से जानकारी नहीं रखते या गलत फैसले लेते हैं, तो उन्हें नुकसान हो सकता है।
नियंत्रण का अभाव: शेयर मार्केट बाहरी कारकों, जैसे वैश्विक घटनाओं, राजनीति, या आर्थिक संकटों से प्रभावित होता है। इन पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं होता, जो अनिश्चितता को बढ़ाता है।
शुरुआती असफलता: शेयर मार्केट में शुरुआती असफलताओं का डर लोगों को हतोत्साहित कर सकता है। अगर किसी ने पहले निवेश किया और नुकसान उठाया, तो वे भविष्य में फिर से निवेश करने से डर सकते हैं।
लंबी अवधि का निवेश: कई लोग त्वरित लाभ की उम्मीद करते हैं, लेकिन शेयर मार्केट में सफल निवेश करने के लिए अक्सर धैर्य और लंबी अवधि का दृष्टिकोण आवश्यक होता है। त्वरित लाभ न मिलने से भी लोग हतोत्साहित हो सकते हैं।

विशेषज्ञता की आवश्यकता: शेयर मार्केट में सफल होने के लिए अध्ययन, विश्लेषण और समय की जरूरत होती है। कुछ लोग इसे जटिल मानते हैं और इसे समझने में असमर्थ महसूस करते हैं।
ये सभी कारण शेयर मार्केट में करियर बनाने से लोगों को डराते हैं। हालांकि, सही शिक्षा, ज्ञान और धैर्य से इसमें सफलता पाई जा सकती है.
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ll काशी विश्वनाथाष्टकम् ll
गंगा तरंग रमणीय जटा कलापं
गौरी निरंतर विभूषित वाम भागं
नारायण प्रियमनंग मदापहारं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 1 ॥
वाचामगोचरमनेक गुण स्वरूपं
वागीश विष्णु सुर सेवित पाद पद्मं
वामेण विग्रह वरेन कलत्रवंतं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 2 ॥
भूतादिपं भुजग भूषण भूषितांगं
व्याघ्रांजिनां बरधरं, जटिलं, त्रिनेत्र��
पाशांकुशाभय वरप्रद शूलपाणिं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 3 ॥
सीतांशु शोभित किरीट विराजमानं
बालेक्षणातल विशोषित पंचबाणं
नागाधिपा रचित बासुर कर्ण पूरं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 4 ॥
पंचाननं दुरित मत्त मतंगजानां
नागांतकं धनुज पुंगव पन्नागानां
दावानलं मरण शोक जराटवीनां
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 5 ॥
तेजोमयं सगुण निर्गुणमद्वितीयं
आनंद कंदमपराजित मप्रमेयं
नागात्मकं सकल निष्कलमात्म रूपं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 6 ॥
आशां विहाय परिहृत्य परश्य निंदां
पापे रथिं च सुनिवार्य मनस्समाधौ
आधाय हृत्-कमल मध्य गतं परेशं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 7 ॥
रागाधि दोष रहितं स्वजनानुरागं
वैराग्य शांति निलयं गिरिजा सहायं
माधुर्य धैर्य सुभगं गरलाभिरामं
वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाधम् ॥ 8 ॥
वाराणसी पुर पते स्थवनं शिवस्य
व्याख्यातं अष्टकमिदं पठते मनुष्य
विद्यां श्रियं विपुल सौख्यमनंत कीर्तिं
संप्राप्य देव निलये लभते च मोक्षम् ॥
विश्वनाधाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेः शिव सन्निधौ
शिवलोकमवाप्नोति शिवेनसह मोदते ॥
ॐ नमः पार्वतिपतये हर हर महादेव🔱☘️🙏
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कबीर साहेब जी कहते हैं परिश्रम से ही सब काम सफल व बिगड़े काम भी सुधर जाते हैं, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि मन में धैर्य रखें।
#SatlokAshramMundka
#KabirisGod
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Kabir is the Supreme God
प्रेम बिना धीरज नहीं, बिरह बिना वैराग । सतगुरु बिन जावै नहीं, मन मनसा का दाग ।।
जब तक हृदय में प्रेम न हो, तब तक धैर्य नहीं होता और जब तक जीवन में विरह की व्याकुलता न हो, तब तक वैराग्य नहीं होता। कोई चाहे कितने भी यत्न कर ले, बिना सद्गुरु के मन और हृदय के मैले दाग दूर नहीं हो सकते।
#india#sant rampal ji#kabir is god#god kabir#hinduism#kabir is real god#my post#black friday#greek mythology#art
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संघर्ष ।
#MondayMotivation
कोर्ट में जब सन्त रामपाल जी की पुस्तक ज्ञान गंगा प��� केस हुआ तो जज साहब बोले इसमे कुछ गलत नही लिखा इस पुस्तक को पढ़ने के लिए धैर्य की जरूरत है
बुद्धिजीवी जज साहब समझ गए है बस बोलते नही क्योंकि वो भी जानते है ज्यादातर समाज भेड़चाल वाला है।
बुद्धिजीवी लोग ही समझ सकते हैं संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान को
#satkabir
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#सत_भक्ति_संदेश़
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#u19worldcup2024
#sachintendulkar
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