#धातु की आवाज
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hinduactivists · 2 years ago
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मध्यप्रदेश में रतलाम की पहाड़ी पर स्थित ऐसा पत्थर जिसे ठोंकने पर घंटी जैसी आवाज निकलती है। धातु की तरह आवाज निकाले वाला यह पत्थर आज भी रहस्य बना हुआ है।
#ratlam #madhyapradesh #ringingrocks #stone #rochakfacts #rochaktathya #amazingfacts #factsdaily
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webvartanewsagency · 2 years ago
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तुर्की-सीरिया में भूकंप के बाद सर्दी का सितम,अबतक 8000 की मौत,शवों के मिलने का सिलसिला जारी
अंकारा/दमिश्क, (वेब वार्ता)। तुर्की और सीरिया में भूकंप से हुई मौतों की संख्या बुधवार तक 7,900 से ऊपर पहुंच गई है। अलग अलग देशों से खोज दल और सहायता पहुंचाई गई है। वहीं बचाव दल ठंड के मौसम में जिंदगियां बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। कई जगह मलबे के भीतर से आ रही आवाजें अब शांत भी पड़ने लगी हैं। अली साइलो जिनके दो रिश्तेदारों को तुर्की के शहर नूरदागी में बचाया नहीं जा सका, वे कहते हैं, ���हम उनकी आवाज सुन सकते थे, वे मदद के लिए पुकार रहे थे।”इमारतों के नीचे दबे लोगों को बचाने की मुहिम तेज गति से चल रही है. मगर, इन इलाकों में पड़ रही कड़ाके की ठंड समस्या को और बढ़ा रही है. भूकंप से अब तक 7,800 से अधिक लोगों के मारे जाने की सूचना है. वहीं सर्दी भी इन दोनों देशों के लोगों पर सितम ढा रही है. भूकंप के झटकों से बेघर हो चुके इन दोनों देशों के लोग ठंड से बचने के लिए सड़कों पर आग जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, इस त्रासदी के बीच कुछ असाधारण घटनाएं भी हुईं हैं. सोमवार को आए 7.8 तीव्रता के भूकंप और बाद के झटकों के झटकों ने विनाश की उस धारा को काट दिया जो दक्षिण-पूर्वी तुर्की और पड़ोसी सीरिया में सैकड़ों किलोमीटर (मील) तक फैली हुई थी। झटकों ने हजारों इमारतों को गिरा दिया और सीरिया के 12 साल के गृहयुद्ध और शरणार्थी संकट से प्रभावित क्षेत्र पर और अधिक दुख का ढेर लगा दिया। पहले भूकंप के बाद आया भूकंप 7.5 तीव्रता का दर्ज किया गया, जो अपने आप में शक्तिशाली है। धातु और कंक्रीट के अस्थिर ढेर ने खोज के प्रयासों को खतरनाक बना दिया, जबकि ठंड ने भी मुश्किलें बढ़ा दी है। क्योंकि इस बात की चिंता बढ़ गई थी कि ठंड में फंसे हुए लोग कितने समय तक रह सकते हैं। राज्य द्वारा संचालित अनादोलु समाचार एजेंसी द्वारा प्रसारित फुटेज के अनुसार, तुर्की के मालट्या प्रांत में बचाव दल के चारों ओर हिमपात हुआ। पीड़ा का पैमाना – और साथ में बचाव का प्रयास – चौंका देने वाला था। तुर्की के उप राष्ट्रपति फुआत ओक्ते ने कहा कि अकेले तुर्कीये में 8,000 से अधिक लोगों को मलबे से निकाला गया है और लगभग 380,000 लोगों ने सरकारी आश्रयों या होटलों में शरण ली है। वे शॉपिंग मॉल, स्टेडियम, मस्जिदों और सामुदायिक केंद्रों में जमा हो गए, जबकि अन्य लोगों ने बाहर कंबलों में आग के आसपास इकट्ठा होकर रात बिताई। कई लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए अपने प्रियजनों के लिए मदद की गुहार लगाई है, जिनके बारे में माना जा रहा है कि वे मलबे में दबे हुए हैं। अनादोलू ने आंतरिक मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से कहा कि सभी कॉल “सावधानीपूर्वक एकत्र किए जा रहे थे” और खोज टीमों को सूचना दी गई। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि देश के 85 मिलियन लोगों में से 13 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं, और उन्होंने 10 प्रांतों में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है। मई में राष्ट्रपति और संसदीय चुनावों से पहले ही तुर्की आर्थिक मंदी से जूझ रहा था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक वरिष्ठ आपातकालीन अधिकारी एडेलहेड मार्सचैंग ने कहा कि पूरे भूकंप प्रभावित क्षेत्र में 23 मिलियन लोग प्रभावित हो सकते हैं, इसे “कई संकटों के ऊपर संकट” कहा जाता है। तुर्किए सीरियाई गृहयुद्ध के लाखों शरणार्थियों का घर है। सीरिया में प्रभावित क्षेत्र सरकार-नियंत्रित क्षेत्र और देश के अंतिम विपक्षी-आयोजित एन्क्लेव के बीच विभाजित है, जहाँ लाखों लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं और जीवित रहने के लिए मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। दुनिया भर के लगभग 30 देशों की टीमें तुर्की या सीरिया के लिए रवाना हुईं। संयुक्त अरब अमीरात से 100 मिलियन अमरीकी डालर की प्रतिज्ञा सहित मदद के वादे के रूप में, तुर्कीये ने कहारनमारस, आदियमन और हटे के सबसे बुरी तरह प्रभावित प्रांतों में प्रवेश करने के लिए केवल सहायता ले जाने वाले वाहनों को अनुमति देकर प्रयास में तेजी लाने की मांग की। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि वह विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिमी सीरिया को आपूर्ति प्राप्त करने के लिए “सभी रास्ते तलाश रहा है”, और उसने तुर्की और सीरिया में मानवीय प्रतिक्रिया को किक-स्टार्ट करने में मदद करने के लिए अपने आपातकालीन कोष से 25 मिलियन अमरीकी डालर जारी किए। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि तुर्किए से उत्तरी सीरिया की ओर जाने वाली बाब अल-हवा सीमा की ओर जाने वाली सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर पश्चिम में सहायता वितरण अस्थायी रूप से बाधित हो गया है। बाब अल-हवा एकमात्र क्रॉसिंग है जिसके माध्यम से क्षेत्र में यू.एन. सहायता की अनुमति है। दुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सीरिया के भीतर संघर्ष रेखा को पार करने के लिए एक काफिला तैयार कर रहा है। लेकिन इसके लिए राष्ट्रपति बशर असद की सरकार के साथ एक नए समझौते की ��वश्यकता होगी, जिसने पूरे गृहयुद्ध के दौरान विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों की घेराबंदी की है। व्हाइट हेल्मेट्स के रूप में जाने जाने वाले स्वयंसेवी पहले उत्तरदाताओं के पास विद्रोही-आयोजित एन्क्लेव में सीरियाई और रूसी हवाई हमलों द्वारा नष्ट की गई इमारतों से लोगों को बचाने का वर्षों का अनुभव है, लेकिन उनका कहना है कि भूकंप ने उनकी क्षमताओं को अभिभूत कर दिया है। व्हाइट हेल्मेट्स के उप प्रमुख मुनीर अल-मुस्तफ��ा ने कहा कि वे एक समय में 30 स्थानों तक कुशलतापूर्वक रिस्पॉन्स करने में सक्षम थे, लेकिन अब 700 से अधिक लोगों से मदद के लिए कॉल का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “टीमें उन स्थानों पर मौजूद हैं, लेकिन उपलब्ध मशीनरी और उपकरण पर्याप्त नहीं हैं,” उन्होंने कहा कि भूकंप के बाद के पहले 72 घंटे किसी भी बचाव प्रयास के लिए महत्वपूर्ण थे। नर्गुल अताय ने द एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि वह हटे प्रांत की राजधानी अंताक्य के तुर्की शहर में एक ढह गई इमारत के मलबे के नीचे अपनी मां की आवाज सुन सकती थी। लेकिन मदद के लिए किसी भारी उपकरण के बिना खंडहर में जाने के प्रयास व्यर्थ रहे थे। उन्होंने कहा, “अगर हम केवल कंक्रीट स्लैब उठा सकते हैं, तो हम उस तक पहुँचने में सक्षम होंगे।”, “मेरी मां 70 साल की हैं, वह इसे लंबे समय तक नहीं झेल पाएंगी।” लेकिन कुछ तक मदद जरूर पहुंची। छोटे बच्चों सहित जीवित बचे लोगों को भूकंप के 30 घंटे से अधिक समय बाद मलबे से निकाले जाने के कारण पूरे क्षेत्र में कई नाटकीय बचावों की सूचना मिली थी। रिश्तेदारों और एक डॉक्टर ने कहा कि सीरिया के एक शहर के निवासियों ने एक रोते हुए शिशु की खोज की, जिसकी माँ ने स्पष्ट रूप से पांच मंजिला अपार्टमेंट इमारत के मलबे में दबे होने पर उसे जन्म दिया था। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु मलबे के नीचे दबा हुआ था और उसकी गर्भनाल अभी भी उसकी मां अफरा अबू हादिया से जुड़ी हुई थी, जो मृत पाई गई थी। एक रिश्तेदार रमजान स्लीमन ने द एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि बच्ची अपने परिवार की एकमात्र सदस्य है जो तुर्की की सीमा से सटे छोटे से कस्बे जिंदरिस में इमारत गिरने से बच गई। तुर्किये के पास सीमा क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिक हैं और उन्होंने सेना को बचाव के प्रयासों में सहायता करने का काम सौंपा है, जिसमें बेघरों के लिए टेंट स्थापित करना और हटे प्रांत में एक फील्ड अस्पताल शामिल है। नौसेना का एक जहाज मंगलवार को प्रांत के इस्केंडरन बंदरगाह पर रुका, जहां एक अस्पताल ढह गया था, ताकि जीवित बचे लोगों को चिकित्सा देखभाल की जरूरत के लिए पास के शहर में ले जाया जा सके। भूकंप के दौरान कंटेनरों के पलट जाने के कारण बंदरगाह पर लगी एक बड़ी आग ने आसमान में काले धुएं के घने गुच्छे भेजे। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सैन्य विमानों की मदद से आग बुझाई गई, लेकिन सीएनएन तुर्क द्वारा प्रसारित लाइव फुटेज से पता चला कि आग अभी भी जल रही है। तुर्की की आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी ने कहा कि देश में मरने वालों की कुल संख्या 5,400 को पार कर गई है, ज��कि 31,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनु��ार, सीरिया के सरकारी कब्जे वाले क्षेत्रों में मरने वालों की संख्या 800 से अधिक हो गई, जबकि लगभग 1,400 घायल हो गए। व्हाइट हेल्मेट्स के अनुसार, विद्रोहियों के कब्जे वाले उत्तर-पश्चिम में कम से कम 1,000 लोग मारे गए हैं, जबकि 2,300 से अधिक घायल हुए हैं। यह क्षेत्र प्रमुख भ्रंश रेखाओं के शीर्ष पर स्थित है और अक्सर भूकंपों से हिलता रहता है। 1999 में उत्तर-पश्चिम तुर्की में आए इसी तरह के शक्तिशाली भूकंप में लगभग 18,000 लोग मारे गए थे। Read the full article
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prabudhajanata · 2 years ago
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बिलासपुर जिले के सिविल लाइन थाना क्षेत्र का मामला है. फिलहाल महिला की पहचान नहीं हो सकी है. 70% से अधिक झुलस गई थी. रिपोर्ट पर मर्ग इंटिमेशन चाक कर पंचनामा कार्यवाही में लिया गया. बुरी तरह से झुलसी महिला रेलवे ट्रैक के पास दर्द से कराह रही थी. तब लोगों ने उसकी आवाज सुनकर पुलिस को घटना की जानकारी दी. हुलिया- कद 05 फिट 2 इंच, उम्र करीबन 35-37 साल, चेहरा गोल, बाल लम्बे काले, दाएं हाथ के दो अंगुली में सोने जैसे धातु की अंगुठी एवं दोनों हाथ में लाल-पीला चूड़ी पहनी है. दाएं पैर की एक अंगुली में बिछिया पहनी है, दोनों कान में ढोलक पहनी है. पुलिस जब पहुंची, तब ठेठा डबरी रेलवे ट्रैक के पास महिला झुलसी हुई पड़ी थी. महिला आग से 70 प्रतिशत जल गई थी. घटना के बाद से पुलिस की टीम आसपास के लोगों से पूछताछ कर रही है. इसके अलावा सभी थानों में इसकी जानकारी देकर गुम इंसान के संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है. एक टीम को आसपास के कॉलोनियों में लगे सीसीटीवी कैमरों की जानकारी जुटाने कहा गया है. इसके आधार पर महिला की पहचान की कोशिश की जा रही है. जिस तरीके से महिला रेलवे ट्रैक के पास बुरी तरह से जली हुई हालत में मिली है. आशंका है कि उसे किसी ने जलाकर मारने की कोशिश की. आशंका है कि किसी दूसरे जगह से महिला को जलाकर रेलवे ट्रैक के पास छोड़ दिया गया.
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everynewsnow · 4 years ago
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ऑस्कर 2021: रिज अहमद ने लाल कालीन पर पत्नी फातिमा फरहीन मिर्जा को ठीक किया; प्रशंसकों का कहना है कि 'युगल लक्ष्य' - घड़ी - टाइम्स ऑफ इंडिया
ऑस्कर 2021: रिज अहमद ने लाल कालीन पर पत्नी फातिमा फरहीन मिर्जा को ठीक किया; प्रशंसकों का कहना है कि ‘युगल लक्ष्य’ – घड़ी – टाइम्स ऑफ इंडिया
अभिनेता रिज अहमद पर पहुंचते देखा गया था ऑस्कर लाल कालीन अपनी भव्य पत्नी के साथ फातिमा फ़रहीन मिर्ज़ा। इस जोड़ी ने अपने रेड कार्पेट की शुरुआत की। रिज़ में उनकी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए नामांकित किया गया हैधातु की ध्वनि‘। नवविवाहित जोड़ा अपने आ��टफिट में बिल्कुल स्टाइलिश लग रहा था। लेकिन जिस चीज ने रेड कार्पेट पर ध्यान खींचा, वह थी रिज का अपनी पत्नी के लिए मीठा इशारा, जो इंटरनेट जीत…
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srbachchan · 4 years ago
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DAY 4804(i)
Jalsa, Mumbai                Apr 24, 2021               Sat 1:49 am
What could not be accommodated in the previous is here now  .. and may the Hindi geniuses in the Ef help and assist in its translate or at least the pertinent relevant points .. 
प्रार्थना का अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप
BY
BANDEY
SEPTEMBER 06, 2018
अनुक्रम
प्रार्थना की परिभाषा
प्रार्थना के स्वरूप
प्रार्थना का तात्त्विक विश्लेषण
प्रार्थना का प्रथम तत्त्व - विश्वास एवं श्रद्धा - ...  the first relevance belief and respect
प्रार्थना का द्वितीय तत्त्व - एकाग्रता  .. oneness
प्रार्थना का तृतीय तत्त्व - सृजनात्मक ध्यान contemplation
प्रार्थना का चतुर्थ तत्त्व - आत्म निवेदन  ... the offering respectful of the soul 
प्रार्थना मनुष्य की जन्मजात सहज प्रवृत्ति है। संस्कृत शब्द प्रार्थना तथा आंग्ल (इंग्लिश) भाषा के Prayer शब्द, इन दोनों में अर्थ का दृष्टि से पूरी तरह से समानता है - 1. संस्कृत में ‘‘प्रकर्षेण अर्धयते यस्यां सा प्रार्थना’’ अर्थात प्रकर्ष रूप से की जाने वाली अर्थना (चाहना अभ्यर्थना)  2. आंग्ल भाषा का Prayer यह शब्द Preier, precari, prex, prior इत्यादि धातुओं से बना है, जिनका अर्थ होता है चाहना या अभ्यर्थना।  इस प्रकार हम देखते हैं कि धर्म, भाषा, देश इत्यादि सीमाएँ प्रार्थना या Prayer के समान अर्थों को बदल नहीं पाई हैं। ‘‘प्रार्थना शब्द की रचना ‘अर्थ उपाया×आयाम’ धातु में ‘प्र’ उपसर्ग एवं ‘क्त’ प्रत्यय लगाकर शब्दशास्त्रीयों ने की है। इस अर्थ में अपने से विशिष्ट व्यक्ति से दीनतापूर्वक कुछ मांगने का नाम प्रार्थना है। वेदों में कहा गया है- ’’पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि।’’त्रिपाद एवं एकपाद नाम से ब्रह्म के एश्वर्य का संकेत है। अत: जीव के लिये जितने भी आवश्यक पदार्थ हैं, सबकी याचना परमात्मा से ही करनी चाहिए, अन्य से नहीं।
प्रार्थना का तात्पर्य यदि सामान्य शब्दों में बताया जाए तो कह सकते है। कि प्रार्थना मनुष्य के मन की समस्त विश्रृंखलित एवं अनेक दिशाओं में बहकने वाली प्रवृत्तियों को एक केन्द्र पर एकाग्र करने वाले मानसिक व्यायाम का नाम है। चित्त की समग्र भावनाओं को मन के केन्द्र में एकत्र कर चित्त क�� दृढ़ करने की एक प्रणाली का नाम ‘प्रार्थना’ है। अपनी इच्छाओं के अनुरूप अभीश्ट लक्ष्य प्राप्त कर लेने की क्षमता मनुष्य को (प्रकृति की ओर से ) प्राप्त है। भगवतगीता 17/3 के अनुसार - यच्छ्रद्ध: स एव स:
अर्थात- जिसकी जैसी श्रद्धा होती है वह वैसा ही बन जाता है। ईसाई धर्मग्रंथ बाईबिल में कहा गया है -
जो माँगोगे वह आपको दे दिया जाऐगा।
जो खोजोगे वह तुम्हें प्राप्त हो जाएगा।
खटखटाओगे तो आपके लिए द्वार खुल जाएगा।।
स्पष्ट है कि प्रार्थना के द्वारा जन्मजात प्रसुप्त आध्यत्मिक शक्तियाँ मुखर की जा सकती है। इन शक्तियों को यदि सदाचार तथा सद्विचार का आधार प्राप्त हो तब व्यक्ति संतवृत्ति (साधुवृत्ति) का बन जाता है। इसके विरूद्ध इन्हीं शक्तियों का दुरूपयोग कर व्यक्ति दुश्ट वृत्ति का बन सकता हैं। शैतान और भगवान की संकल्पना इसीलिए तो रूढ़ है। मनुष्य में इतनी शक्ति है कि स्वयं का उद्धार स्वयं का सकता है। गीता 6/5 में भी यही कहा गया है -
‘‘उद्धरेत् आत्मना आत्मानम्’’
इस प्रकार यह स्वयमेव सिद्ध हो जाता है कि प्रार्थना भिक्षा नहीं, बल्कि शक्ति अर्जन का माध्यम है, प्रार्थना करने के लिए सबल सक्षम होना महत्व रखता है। प्रार्थना परमात्मा के प्रति की गई एक आर्तपुकार है। जब यह पुकार द्रौपदी, मीरा, एवं प्रहलाद के समान हृदय से उठती है तो भावमय भगवान दौड़े चले आते हैं। जब भी हम प्रार्थना करते हैं तब हर बार हमें अमृत की एक बूंद प्राप्त होती है जो हमारी आत्मा को तृप्त करती है। गाँधी जी ��े जीवन में प्रार्थना को अपरिहार्य मानते हुए इसे आत्मा का खुराक कहा है। प्रार्थना ऐसा कवच या दुर्ग है जो प्रत्येक भय से हमारी रक्षा करता है। यही वह दिव्य रथ है जो हमें सत्य, ज्योति और अमृत की प्राप्ति कराने में समर्थ है।
हमारा जीवन हमारे विश्वासों का बना हुआ है। यह समस्त संसार हमारे मन का ही खेल है- ‘‘जैसा मन वैसा जीवन’’। प्रार्थना एक महान ईच्छा, आशा और विश्वास है। यह शरीर, मन व वाणी तीनों का संगम है। तीनों अपने आराध्य देव की सेवा में एकरूप होते हैं, प्रार्थना करने वालों का रोम-रोम प्रेम से पुलकित हो उठता है।
प्रार्थना की परिभाषा
हितोपदेश :- ‘‘स्वयं के दुगुर्णों का चिंतन व परमात्मा के उपकारों का स्मरण ही प्रार्थना है। सत्य क्षमा, संतोष, ज्ञानधारण, शुद्ध मन और मधुर वचन एक श्रेष्ठ प्रार्थना है।’’
पैगम्बर हजरत मुहम्मद - ‘‘प्रार्थना (नमाज) धर्म का आधार व ज��्नत की चाबी है।’’
श्री माँ - ‘‘प्रार्थना से क्रमश: जीवन का क्षितिज सुस्पष्ट होने लगता है, जीवन पथ आलोकित होने लगता है और हम अपनी असीम संभावनाओं व उज्ज्वल नियति के प्रति अधिकाधिक आश्वस्त होते जाते हैं।’’
महात्मा गांधी - ‘‘प्रार्थना हमारी दैनिक दुर्बलताओं की स्वीकृति ही नहीं, हमारे हृदय में सतत् चलने वाला अनुसंधान भी है। यह नम्रता की पुकार है, आत्मशुद्धि एवं आत्मनिरीक्षण का आह्वाहन है।’’
श्री अरविंद घोष - ‘‘यह एक ऐसी महान क्रिया है जो मनुष्य का सम्बन्ध शक्ति के स्त्रोत पराचेतना से जोड़ती है और इस आधार पर चलित जीवन की समस्वरता, सफलता एवं उत्कृष्टता वर्णनातीत होती है जिसे अलौकिक एवं दिव्य कहा जा सकता है।’’
सोलहवीं शताब्दी के स्पेन के संत टेरेसा के अनुसार प्रार्थना -’’प्रार्थना सबसे प्रिय सत्य (ईश्वर) के साथ पुनर्पुन: प्रेम के संवाद तथा मैत्री के घनिश्ठ सम्बन्ध हैं।’’
सुप्रसिद्ध विश्वकोष Brittanica के अनुसार प्रार्थना की परिभाषा - सबसे पवित्र सत्य (ईष्वर) से सम्बन्ध बनाने की इच्छा से किया जाने वाला आध्यात्मिक प्रस्फूटन (या आध्यात्मिक पुकार) प्रार्थना कहलाता है।
अत: कहा जा सकता है कि हृदय की उदात्त भावनाएँ जो परमात्मा को समर्पित हैं, उन्हीं का नाम प्रार्थना है। अपने सुख-सुविधा-साधन आदि के लिये ईश्वर से मांग करना याचना है प्रार्थना नहीं। बिना विचारों की गहनता, बिना भावों की उदात्तता, बिना हृदय की विशालता व बिना पवित्रता एंव परमार्थ भाव वाली याचना प्रार्थना नहीं की जा सकती।
वर्तमान में प्रार्थना को गलत समझा जा रहा है। व्यक्ति अपनी भौतिक सुविधओं व स्वयं को विकृत मानसिकता के कारण उत्पन्न हुए उलझावों से बिना किसी आत्म सुधार व प्रयास के ईश्वर से अनुरोध करता है। इसी भाव को वह प्रार्थना समझता है जो कि एक छल है, भ्रम है अपने प्रति भी व परमात्म सत्ता के लिये भी। अत: स्वार्थ नहीं परमार्थ, समस्याओं से छुटकारा नहीं उनका सामना करने का सामथ्र्य, बुद्धि नहीं हृदय की पुकार, उथली नहीं गहन संवेदना के साथ जब उस परमपिता परमात्मा को उसका साथ पाने के लिए आवाज लगायी जाती है उस स्वर का नाम प्रार्थना है।
गांधी जी कहते थे -
‘‘हम प्रभु से प्रार्थना करें- करुणापूर्ण भावना के साथ और उसने एक ही याचना करें कि हमारी अन्तरात्मा में उस करुणा का एक छोटा सा झरना प्रस्फुटित करें जिसमें वे प्राणिमात्र को स्नान कराके उन्हें निरंतर सुखी, समृद्ध और सुविकसित बनाते ��हते हैं।’’
प्रार्थना के स्वरूप
प्रार्थना ईश्वर के बहाने अपने आप से ही की जाती है। ईश्वर सर्वव्यापी और परमदयालु है, उस हर किसी की आवश्यकता तथा इच्छा की जानकारी है। वह परमपिता और परमदयालु होने के नाते हमारे मनोरथ पूरे भी करना चाहता है। कोई सामान्य स्तर का सामान्य दयालु पिता भी अपने बच्चों की इच्छा आवश्यकता पूरी करने के लिए उत्सुक एवं तत्पर रहता है। फिर परमपिता और परमदयालु होने पर वह क्यों हमारी आवश्यकता को जानेगा नहीं। वह कहने पर भी हमारी बात जाने और प्रार्थना करने पर ही कठिनाई को समझें, यह तो ईश्वर के स्तर को गिराने वाली बात हुई। जब वह कीड़े-मकोड़ों और पशु-पक्षियों का अयाचित आवश्यकता भी पूरी करता है। तब अपने परमप्रिय युवराज मनुष्य का ध्यान क्यों न रखेगा ? वस्तुत: प्रार्थना का अर्थ याचना ही नहीं। याचना अपने आप में हेय है क्योंकि वही दीनता, असमर्थता और परावलम्बन की प्रवृत्ति उसमें जुड़ी हुई है जो आत्मा का गौरव बढ़ाती नहीं घटाती ही है।चाहे व्यक्ति के सामने हाथ पसारा जाय या भगवान के सामने झोली फैलाई जाय, बात एक ही है। चाहे चोरी किसी मनुष्य के घर में की जाय, चाहे भगवान के घर मन्दिर में, बुरी बात तो बुरी ही रहेगी। स्वावलम्बन और स्वाभिमान को आघात पहुँचाने वाली प्रक्रिया चाहे उसका नाम प्रार्थना ही क्यों न हो मनुष्य जैसे समर्थ तत्व के लिए शोभा नहीं देती।
वस्तुत: प्रार्थना का प्रयोजन आत्मा को ही परमात्मा का प्रतीक मानकर स्वयं को समझना है कि वह इसका पात्र बन कि आवश्यक विभूतियाँ उसे उसकी योग्यता के अनुरूप ही मिल सकें। यह अपने मन की खुषामद है। मन को मनाना है। आपे को बुहारना है। आत्म-जागरण है आत्मा से प्रार्थना द्वारा कहा जाता है, कि हे शक्ति-पुंज तू जागृत क्यों नहीं होता। अपने गुण कर्म स्वाभाव को प्रगति के पथ पर अग्रसर क्यों नहीं करता। तू संभल जाय तो सारी दुनिया संभल जाय। तू निर्मल बने तो सारे संसार की निर्बलता खिंचती हुई अपने पास चली जाए। अपनी सामथ्र्य का विकास करने में तत्पर और उपलब्धियों का सदुपयोग करने में संलग्न हो जाए, तो दीन-हीन, अभावग्रस्तों को पंक्ति में क्यों बैठना पड़े। फिर समर्थ और दानी देवताओं से अपना स्थान नीचा क्यों रहें।
प्रार्थना के माध्यम से हम विश्वव्यापी महानता के साथ अपना घनिश्ठ सम्पर्क स्थापित करने हैं। आदर्षों को भगवान की दिव्य अभिव्यक्ति के रूप में अनुभव करते हैं और उसके साथ जुड़ जाने की भाव-विव्हलता को सजग करते हैं। तमसाच्छन्न मनोभूमि में अज्ञान और आलस्य ने जड़ जमा ली है। आत्म विस्मृति ने अपने स्वरूप एवं स्तर ही बना लिया है। जीवन में संव्याप्त इस कुत्सा और कुण्ठा का निराकरण करने के लिए अपने प्रस��प्त अन्त:करण से प्रार्थना की जाय, कि यदि तन्द्रा और मूर्छा छोड़कर तू सजग हो जाय, और मनुष्य को जो सोचना चाहिए वह सोचने लगे, जो करना चाहिए सो करने लगे तो अपना बेड़ा ही पार हो जाए। अन्त:ज्योति की एक किरण उग पड़े तो पग-पग पर कठोर लगने के निमित्त बने हुए इस अन्धकार से छुटकारा ही मिल जाए जिसने शोक-संताप की बिडम्बनाओं को सब ओर से आवृत्त कर रखा है।
परमेष्वर यों साक्षी, दृश्टा, नियामक, उत्पादक,संचालक सब कुछ है। पर उसक जिस अंश की हम उपासना प्रार्थना करते हैं वह सर्वात्मा एवं पवित्रात्मा ही समझा जाना चाहिए। व्यक्तिगत परिधि को संकीर्ण रखने और पेट तथा प्रजनन के लिए ही सीमाबद्ध रखने वाली वासना, तृष्णा भरी मूढ़ता को ही माया कहते हैं। इस भव बन्धन से मोह, ममता से छुड़ाकर आत्म-विस्तार के क्षेत्र को व्यापक बना लेना यही आत्मोद्धार है। इसी को आत्म-साक्षात्कार कहते हैं। प्रार्थना में अपने उच्च आत्म स्तर से परमात्मा से यह प्रार्थना की जाती है ��ि वह अनुग्रह करे और प्रकाश की ऐसी किरण प्रदान करे जिससे सर्वत्र दीख पड़ने वाला अन्धकार -दिव्य प्रकाश के रूप में परिणत हो सके।
लघुता को विशालता में, तुच्छता को महानता में समर्पित कर देने की उत्कण्ठा का नाम प्रार्थना है। नर को नारायण-पुरुष को पुरुशोत्तम बनाने का संकल्प प्रार्थना कहलाता है। आत्मा को आबद्ध करने वाली संकीर्णता जब विषाल व्यापक बनकर परमात्मा के रूप में प्रकट होती है तब समझना चाहिए प्रार्थना का प्रभाव दीख पड़ा, नर-पशु के स्तर से नीचा उठकर, जब मनुष्य देवत्व की ओर अग्रसर होने लगे तो प्रार्थना की गहराई का प्रतीक और चमत्कार माना जा सकता है। आत्म समर्पण को प्रार्थना का आवश्यक अंग माना गया है। किसी के होकर ही हम किसी से कुछ प्राप्त कर सकते हैं। अपने को समर्पण करना ही हम ईश्वर के हमार प्रति समर्पित होने की विवशता का एक मात्र तरीका है। ‘शरणागति’ भक्ति का प्रधान लक्षण माना गया है। गीता में भगवान ने आश्वासन दिया है कि जो सच्चे मन से मेरी शरणा में आता है, उनके योग क्षेम की सुख-शान्ति और प्र्रगति की जिम्मेदारी मैं उठाता हूँ। सच्चे मन और झूठे मन की शरणागति का अन्तर स्पष्ट है। प्रार्थना के समय तन-मन-धन सब कुछ भगवान के चरणों में समर्पित करने की लच्छेदार भाषा का उपयोग करना और जब वैसा करने का अवसर आवे तो पल्ला झाड़कर अलग हो जाना झूठे मन की प्रार्थना है आज इसी का फैशन है।
महात्मा गाँधी ने अपने एक मित्र को लिखा था -’’राम नाम मेरे लिए जीवन अवलम्बन है जो हर विपत्ति से पार करता है।’’ जब तुम्हारी वासनाएँ तुम पर सवार हो रही हों तो नम्रतापूर्वक भगवान को सहायता के लिए पुकारो, तुम्हें सहायता मिलेगी।
भगवान को आत्मसमर्पण करने की स्थिति में जीव कहता है- तस्यैवाहम् (मैं उसी का हूँ) तवैवाहम् (मैं तो तेरा ही हूँ) यह कहने पर उसी में इतना तन्मय हो जाता है - इतना घूल-मिल जाता है कि अपने आपको विसर्जन, विस्मरण ही कर बैठता है औ अपने को परमात्मा का स्वरूप ही समझने लगता है। त बवह कहता है - त्वमेवाहम् (मैं ही तू हूँ) षिवोहम् (मैं ही शिव हूँ) ब्रह्माऽस्मि (मैं ही ब्रह्मा हूँ)।
भगवान को अपने में और अपने को भगवान में समाया होने की अनुभूति की, जब इतनी प्रबलता उत्पन्न हो जाए कि उसे कार्य रूप में परिणित किए बिना रहा ही न जा सके तो समझना चाहिए कि समर्पण का भाव सचमुच सजग हो उठा। ऐसे शरणागति व्यक्ति को प्रार्थना द्रुतगति से देवत्व की ओर अग्रसर करती हैै और यह गतिषीलता इतनी प्रभावकारी होती है कि भगवान को अपनी समस्त दिव्यता समेत भक्त के चरणों में शरणागत होना पड़ता है। यों बड़ा तो भगवान ही है पर जहाँ प्रार्थना, समर्पण और शरणागति की साधनात्मक प्रक्रिया का सम्बन्ध है, इस क्षेत्र में भक्त को बड़ा और भगवान को छोटा माना जायगा क्योंकि अक्सर भक्त के संकेतों पर भगवान को चलते हुए देखा गया है। हमें सदैव पुरुषार्थ और सफलता के विचार करने चाहिए, समृद्धि और दयालुता का आदर्श अपने सम्म्मुख रखना चाहिये। किसी भी रूप में प्रार्थना का अर्थ अकर्मण्यता नहीं है। जो कार्य शरीर और मस्तिष्क के करने के हैं उनको पूरे उत्साह और पूरी शक्ति के साथ करना चाहिये। ईश्वर आटा गूंथने, न आयेगा पर हम प्रार्थना करेंगे तो वह हमारी उस योग्यता को जागृत कर देगा। वस्तुत: प्रार्थना का प्रयोजन आत्मा को ही परमात्मा का प्रतीक मानकर स्वयं को समझना है। इसे ‘आत्म साक्षात्कार’ भी कह सकते है। लघुता को विशालता में, तुच्छता को महानता में समर्पित कर देने की उत्कण्ठा का नाम प्रार्थना है। मनोविज्ञानवेत्ता डॉ. एमेली केडी ने लिखा है- ‘अहंकार को खोकर समर्पण की नम्रता स्वीकार करना और उद्धत मनोविकारों को ठुकराकर परमेश्वर का नेतृत्व स्वीकार करने का नाम प्रार्थना है।’
अंग्रेज कवि टैनीसन ने कहा है कि ‘‘बिना प्रार्थना मनुष्य का जीवन पशु-पक्षियों जैसा निर्बोध है। प्रार्थना जैसी महाशक्ति जैसी महाशक्ति से कार्य न लेकर और अपनी थोथी शान में रहकर सचमुच हम बड़ी मूर्खता करते हैं। यही हमारी अंधता है।’’
प्रभु के द्वार में की गई आन्तरिक प्रार्थना तत्काल फलवती होती है। महात्मा तुकाराम, स्वामी रामदास, मीराबाई, सूरदास, तुलसीदास आदि भक्त संतों एवं महांत्माओं की प्रार्थनाएँ जगत्प्रसिद्ध हैं। इन महात्माओं की आत्माएँ उस परम तत्व में विलीन होकर उस देवी अवस्था में पहुँच जाती थीं जिसे ज्ञान की सर्वोच्च भूमिका कहते हैं। उनका मन उस पराशक्ति से तदाकार हो जाता था। जो समस्त सिद्धियों एवं चमत्कारों का भण्डार है। उस दैवी जगत में प्रवेश कर आत्म श्रद्धा द्वारा वे मनोनीत तत्व आकर्शित कर लेते थे। चेतन तत्व से तादात्म्य स्थापित कर लेने के ही कारण वे प्रार्थना द्वारा समस्त रोग, शोक, भय व्याधियाँ दूर कर लिया करते थे। भगवत् चिन्तन में एक मात्र सहायक हृदय से उद्वेलित सच्ची प्रार्थना ही है। हृदय में जब परम प्रभु का पवित्र प्रेम भर जाता है, तो मानव-जीवन के समस्त व्यापार, कार्य-चिन्तन इत्यादि प्रार्थनामय हो जाता है। सच्ची प्रार्थना में मानव हृदय का संभाशण दैवी आत्मा से होता है। प्रार्थना श्रद्धा, शरणागति तथा आत्म समर्पण का ही रूपान्तर है।
यह परमेश्वर से वार्तालाप करने की एक आध्यात्मिक प्रणाली है। जिसमें हृदय बोलता व विश्व हृदय सुनता है। यह वह अस्त्र है जिसके बल का कोई पारावार नहीं है। जिस महाशक्ति से यह अनन्त ब्रह्माण्ड उत्पन्न लालित-पालित हो रहा है, उससे संबंध स्थापित करने का एक रूप हमारी प्रार्थना ही है। प्रार्थना करन जिसे आता है उसे बिना जप, तप, मन्त्रजप आदि साधन किए ही पराशक्ति से तदाकार हो सकता है। अपने कर्तव्य को पूरा करना प्रार्थना की पहली सीढ़ी है। दूसरी सीढ़ी जो विपत्तियाँ सामने आएँ उनसे कायरों की भांति न तो डरें, न घबराएँ वरन् प्रभु से प्रार्थना करें कि वह हमें सबका सामना करने का साहस व धैर्य दें। तीसरा दर्जा प्रेम का है। जैसे-जैसे आत्मा प्रेमपूर्वक भावों द्वारा परमात्मा के निकट पहुँच जाती है वैसे ही वैसे आनंद का अविरल स्त्रोत प्राप्त होता है। प्रेम में समर्पण व विनम्रता निहित हैं। राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त कहते हैं-
‘‘हृदय नम्र होता है नहीं जिस नमाज के साथ।
ग्रहण नहीं करता कभी उसको त्रिभुवन नाथ।।’’
गीता का महा-गीत, वह सर्वश्रेष्ठ गीत प्रार्थना भक्ति का ही संगीत है। भक्त परमानन्द स्वरूप परमात्मा से प्रार्थना के सुकोमल तारों से ही संबंध जोड़ता है। इन संतों की प्रार्थनाओं में भक्ति का ही संगीत है। जरा महाप्रभु चैतन्य के हृदय को टटोलो, मीराबाई अपने हृदयाधार श्रीकृष्ण के नामोच्चारण से ही अश्रु धारा बहा देते थे, प्रार्थना से मनुष्य ईश्वर के निकट से निकटतम पहुँच जाता है। संसार की अतुलित सम्पत्ति में भी वह आनन्द प्राप्त नहीं हो सकता। सच्चे भावुक प्रार्थी को, जब वह अपना अस्तित्व विस्मृत कर केवल आत्मस्वरूप में ही लीन हो जाता है, उस क्षण जो आनन्द आता है उसका अस्तित्व एक भुक्तभोगी को ही हो सकता है।
प्रार्थना विश्वास की प्रतिध्वनि है। रथ के पहियों में जितना अधिक भार होता है, उतना ही गहरा निशान वे धरती में बना देते हैं। प्रार्थना की रेखाएँ लक्ष्य तक दौड़ी जाती हैं, और मनो��ांछित सफलता खींच लाती हैं। विश्वास जितना उत्कृष्ट होगा परिणाम भी उतने ही प्रभावषाली होंगे। प्रार्थना आत्मा की आध्यात्मिक भूख है। शरीर की भूख अन्न से मिटती है, इससे शरीर को शक्ति मिलती है। उसी तरह आत्मा की आकुलता को मिटाने और उसमें बल भरने की सत् साधना परमात्मा की ध्यान-आराधना ही है। इससे अपनी आत्मा में परमात्मा का सूक्ष्म दिव्यत्व झलकने लगता है और अपूर्व शक्ति का सदुपयोग आत्मबल सम्पन्न व्यक्ति कर सकते हैं। निष्ठापूर्वक की गई प्रार्थना कभी असफल नहीं हो सकती।
प्रार्थना प्रयत्न और ईश्वरत्व का सुन्दर समन्वय है। मानवीय प्रयत्न अपने आप में अधूरे हैं क्योंकि पुरुशार्थ के साथ संयोग भी अपेक्षित है। यदि संयोग सिद्ध न हुए तो कामनाएँ अपूर्ण ही रहती है। इसी तरह संयोग मिले और प्रयत्न न करे तो भी काम नहीं चलता। प्रार्थना से इन दोनों में मेल पैदा होता है। सुखी और समुन्नत जीवन का यही आधार है कि हम क्रियाषील भी रहें और दैवी विधान से सुसम्बद्ध रहने का भी प्रयास करें। धन की आकांक्षा हो तो व्यवसाय और उद्यम करना होता है साथ ही इसके लिए अनुकूल परिस्थितियाँ भी चाहिए ही। जगह का मिलना, पूँजी लगाना, स्वामिभक्त और ईमानदार, नौकर, कारोबार की सफलता के लिए चाहिए ही। यह सारी बातें संयोग पर अवलम्बित हैं। प्रयत्न और संयोग का जहाँ मिलाप हुआ वहीं सुख होगा, वहीं सफलता भी होगी।
आत्मा-शुद्धि का आवाहन भी प्रार्थना ही है। इससे मनुष्य के अन्त:करण में देवत्व का विकास होता है। विनम्रता आती है और सद्गुणों के प्रकाश में व्याकुल आत्मा का भय दूर होकर साहस बढ़ने लगता है। ऐसा महसूस होने लगता है, जैसे कोई असाधारण शक्ति सदैव हमारे साथ रहती है। हम जब उससे अपनी रक्षा की याचना, दु:खों से परित्राण और अभावों की पूर्ति के लिए अपनी विनय प्रकट करते हैं तो सद्व प्रभाव दिखलाई देता है और आत्म-संतोष का भाव पैदा होता है।
असंतोष और दु:ख का भाव जीव को तब परेषान करता है, जब तक वह क्षुद्र और संकीर्णता में ग्रस्त है। मतभेदों की नीति ही सम्पूर्ण अनर्थों की जड़ है। प्रार्थना इन परेषानियों से बचने की रामबाण औषधि है। भगवान की प्रार्थना में सारे भेदों को भूल जाने का अभ्यास हो जाता है। सृष्टि के सारे जीवों के प्रति ममता आती है इससे पाप की भावना का लोप होता है। जब अपनी असमर्थता समझ लेते है और अपने जीवन के अधिकार परमात्मा को सौंप देते हैं तो यही समर्पण का भाव प्रार्थना बन जाता है। दुर्गुणों का चिन्तन और परमात्मा के उपकारों का स्मरण रखना ही मनुष्य की सच्ची प्रार्थना है। महात्मा गाँधी कहा करते थे - मैं कोई काम बिना प्रार्थना के नहीं करता। मेरी आत्मा के लिए प्रार्थना उतनी ही अनिवार्य है, जितना शरीर क�� लिए भोजन। प्रार्थना एक उच्चस्तरीय आध्यात्मिक क्रिया है जिसमें सही भाव के साथ क्रम होना चाहिए। इसे पाँच चरणों में समझा जा सकता है-
विनम्रता
आत्मसजगता
कल्पना का उपयोग
परमार्थ का भाव
उत्साह एवं आनंद।
स्वामी रामतीर्थ के अनुसार प्रतिदिन प्रार्थना करने से अंत:करण पवित्र बनता है। स्वभाव में परिवर्तन आता है। हताशा व निराशा समाप्त हो उत्साह भर जाता है और जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। प्रार्थना आत्मविश्वास को जगाने का अचूक उपाय है।
अंत: की अकुलाहट को विश्वव्यापी सत्ता के समक्ष प्रकट कर देना ही तो प्रार्थना है। शब्दों की इस बाह्य स्थूल जगत में आवश्यकता होती है, परमात्मा से जुड़ना हो तो भाव चाहिये। प्रार्थना में हृदय बोलता है, शब्दो की महत्ता गौंण है। इसी कारण लूथर ने कहा था- ‘‘जिस प्रार्थना में बहुत अल्प शब्दा हों, वही सर्वोत्तम प्रार्थना है।’’
प्रार्थना उस व्यक्ति की ही फलित होती है जिसका अंत:करण शुद्ध है और जो सदाचारी है। इसी कारण संत मैकेरियस ने ठीक ही कहा है- ‘‘जिसकी आत्मा शुद्ध व पवित्र है, वही प्रार्थना कर सकता है क्योंकि अशु़़़द्ध हृदय से वह पुकार ही नहीं उठेगी जो परमात्मा तक पहुँच सके। ऐसे में केवल जिह्वा बोलती है और हृदय कुछ कह ही नहीं पाता।’’ जब एक साधारण व्यक्ति नाम मात्र की भिक्षा देते हुए, भिक्षापात्र की सफाई देख लेता है तो वह ईश्वर तो दिव्य अनुदान देने वाला है। वह भी देखेगा कि याचक उसके आदर्शों पर चलने वाला है या नहीं। सुप्रसिद्ध कवि होमर के शब्दों में - ‘‘जो ईश्वर की बात मानता है, ईश्वर भी उनकी ही सुनता है।’’
अत: प्रार्थना में एकाग्रता, निर्मलता, शांत मन:स्थिति, श्रद्धा-विश्वास और समर्पण का भाव होना चाहिये। यह परमात्म सत्ता से जुड़ने का एक भावनात्मक माध्यम है। पैगम्बर हजरत मुहम्मद के अनुसार- ‘‘प्रार्थना (नमाज) धर्म का आधार व जन्नत की चाबी है।’’
प्रार्थना का तात्त्विक विश्लेषण
प्रार्थना का निर्माण करने वाले कौन-कौन पृथक्-पृथक् तत्व हैं ? किन-किन वस्तुओं से प्रार्थना विनिर्मित होती है ? यह प्रश्न अनायास ही मन में उत्पन्न होता है।
प्रार्थना का प्रथम तत्त्व - विश्वास एवं श्रद्धा -प्रार्थना की आत्मा उच्चतर सत्ता में अखण्ड विश्वास है। छान्दोग्योपनिशद् में निर्देश किया गया है श्यदैक श्रद्धयाजुहोति तदेव वीर्यवत्तरं भवेति, अर्थात् श्रद्धापूर्वक की गई प्रार्थना ही फलवती होती है। प्रार्थना में साधक का जीता-जागता विश्वास होना अनिवार्य है। ‘‘सारा संसार ब्रह्ममय है तथा उस ब्रह्म का केन्द्र मेरे मन अन्त:करण में वर्तमान् है। मैं विश्वव्याप्त परमात्मा में सम्बन्ध रखता हूँ और प्रार्थना द्वारा उस संबंध को अधिक चमका देता हूँ’’ - ऐसा विश्वास रखकर हमें प्रार्थना में प्रवृत्ति करनी चाहिए। प्रार्थना स्व��: कोई शक्ति नहीं होती किन्तु विश्वास में वह महान शक्तिशालिनी मनोनीति फल प्रदान करने वाली बनती है। पहले अदृश्य शक्ति, परमात्मा की अपार शक्ति में भरोसा करो, पूर्ण विश्वास करो तब प्रार्थना फलीभूत होती है। प्रार्थना की शक्ति विश्वास से उत्तेजित हो उठती है। मन, वचन तथा कर्म तीनों ही आत्मश्रद्धा से परिपूर्ण हो उठें, प्रत्येक अणु-अणु साधक के विश्वास से रंजित हो उठें, तब ही उसे अभीश्ठ फल की प्राप्ति होती है।
प्रार्थना का मर्म है - विश्वास, जीता-जागता विश्वास, प्रार्थना में श्रद्धा सबसे मूल्यवान तथ्य है। श्रद्धा की अखण्ड धारा रोम-रोम में, कण-कण में, अणु-अणु में भ लो, तब प्रार्थना आरम्भ करो। श्रद्धा प्रत्येक वस्तु को असीम, आंतरिक शक्ति प्रचुरता से अनुप्राणित करती हुई अग्रसर होती है। श्रद्धाभाव के बिना समस्त वस्तुएँ प्राणहीन, जीवनहीन, निरर्थक एवं व्यर्थ हैं। श्रद्धा से युक्त प्रार्थना बुद्धि को प्रधानता नहीं देती प्रत्युति इसे उच्चतर धारणा शक्ति की ओर बढ़ाती है जिससे हमारा मनोराज्य विचार और प्राण के अनन्त साम्राज्य के साथ एकाकार हो जाता है। इस गुण से प्रत्येक प्रार्थी की बुद्धि में अभिनव शक्ति एवं सौन्दर्य आ जाते हैं तथा उसकी चेतना उस अनन्त ऐश्वर्य की ओर उन्मुक्त हो जाती है, जो वान्छां कल्पतरु’ है तथा जिसके बल पर मनुष्य मनोवांछित फल पा सकता है। स्वास्थ्य, सुख, उन्नति, आयु जो कुछ भी हम प्राप्त करना चाहे वह श्रद्धा के द्वारा ही मिल सकते हैं। श्रद्धा उस अलौकिक साम्राज्य का राजमार्ग है। श्रद्धा से ही प्रार्थना में उत्पादक शक्ति, रचनात्मक बल का संचार होता है।
प्रार्थना का द्वितीय तत्त्व - एकाग्रताप्रार्थना एक प्रकार का मानसिक व्यायाम है। यह एकाग्रता तथा ध्यान के नियमों पर कार्य करता है। जितनी ही प्रार्थना में एकाग्रता होगी, निष्ठा होगी और जितन एक रसता से ध्यान लगाया जाएगा, उतनी ही लाभ की आशा करनी चाहिए। एकाग्रता पर ऐसी अद्भूत मौन-शक्ति है जो मन की समस्त शक्तियों को एक मध्यबिन्दु पर केन्द्रित कर देती है। सूर्य रश्मियाँ छिन्न-भिन्न रहकर कुछ गर्मी उत्पन्न नहीें करतीं किन्तु शीशे द्वारा उन रश्मियों को जब एक केन्द्र पर डाला जाता है, तो उनमें अद्भूत शक्ति का संचार होता है। इसी प्रकार एकाग्र प्रार्थना से मन की समस्त बिखरी हुर्इं शक्तियाँ एक केन्द्र बिन्दु पर एकाग्र होती है।
प्रार्थना का रहस्य मन की एकाग्रता पर है। प्रार्थना पर, प्रार्थना के लक्ष्य पर, मन की समस्त चित्तवृत्तियों को लगा देना, इधर-उधर विचलित न होने देना, निरन्तर उसी स्थान पर दृढतापूर्वक लगाये रखने की एकाग्रता है। जहाँ साधारण व्यक्ति किंकर्त्तव्यविमूढ़ से खड़े रह जाते हैं, वहाँ एकाग्रचित वाला साधक थोड़ी सी प्रार्थना के बल पर अद्भूत चमत्कारों का प्रदर्शन करता है।
प्रार्थना का तृतीय तत्त्व - सृजनात्मक ध्यानप्रार्थना का तृतीय तत्व सृजनात्मक ध्यान है। एकाग्रता में ��्यान शक्ति की अभिवृद्धि होती है। महान पुरुष का निश्चित लक्षण उत्तम साधन ही है। ध्यान वह तत्व है जिससे स्मृति का ताना-बाना विनिर्मित होता है। सर आइजक न्यूटन ने तो यहाँ तक निर्देश किया है यदि विज्ञान की उन्नति का कोई रहस्य है, तो वह गंभीर ध्यान ही है। डॉ. लेटसन लिखते हैं कि ‘‘ध्यान ही एकाग्रता शक्ति की प्रधान कुंजी है। ध्यान के अभाव में प्रार्थना द्वारा कोई भी महान् कार्य सम्पादन नहीं किया जा सकता। अत्यन्त पूर्ण इन्द्रिय बोध, उत्तम धारणा शक्ति, सृजनात्मक कल्पना बिना गंभीर ध्यान के कुछ भी सम्पादन नहीें कर सकते।
ध्यान अन्त:करण की मानसिक क्रिया है। इसमें केवल मन:शान्ति की आवश्यकता है। यहाँ बाह्य मिथ्याडम्बरों की आवश्यकता नहीं। ध्यान तो अन्तर की वस्तु है-करने की चीज है, इसमें दिखावा कैसा ? चुपचाप ध्यान में संलग्न हो जाइए, दिन-रात परमप्रभु का आलिंगन करते रहो। भगवान के दिव्य मूर्ति को अन्त:करण के कमरे में बन्द कर लो, तथा बाह्य जगत को विस्मृत कर दो। वस्तुत: ऐसे दिव्य साक्षात्कार के समक्ष बाह्य जगत् की स्मृति आती ही किसे है ? ऐसा ध्यान अमर शान्ति प्रसार करने वाला है।
ध्यान करते समय नेत्र बन्द करना आवश्यक है। नेत्र मूँदने से यह प्रपंचमय विश्व अदृश्य हो जाता है। विश्व को दूर हटा देना और ध्येय पर सब मन:शक्तियों को केन्द्रित कर देना ही ध्याान का प्रधान उद्देश्य है, परन्तु केवल बाहर का दृश्य अदृश्य होने से पूर्ण नहीं होता जब तक हमारा मन भीतर नवीन दृश्य निर्माण करता रहे। अत: भीतर के नेत्र भी बन्द कीजिए। इस प्रकार जब स्थूल और सूक्ष्म दोनों जगत् अदृश्य हो जाते हैं, तभी तत्काल और तत्क्षण एकाग्रता हो जाती हैै। ध्यान करने की विधि का उल्लेख सांख्य तथा येाग दोनों ने ही बताया है पर सांख्य का ‘ध्यानं निर्विशयं मन:’ अर्थात मन को निर्विशय बनाना, ब्लैंक बनाना महा कठिन है, परन्तु योग का ध्यान सबकी पहुँच के भीतर है। किसी वस्तु या मनुष्य का मानस-चित्र निर्माण कर उसके प्रति एकता, एकाग्रता करना व उसके साथ पूर्ण तदाकार हो जाना इसी का नाम योग शास्त्र का ध्यान है। ऐसे ही ध्यान के अभ्यास से प्रार्थना में शक्ति का संचार होता है।
प्रार्थना का चतुर्थ तत्त्व - आत्म निवेदनयह प्रार्थना का अंतिम तत्त्व है। अत्यन्त श्रद्धा पूर्वक प्रेम से आप अपना निवेदन प्रभु के दरबार में कीजिए। आपकी समस्त कामनाएँ पूर्ण होंगी। जहाँ कहीं भक्तों ने दीनता से प्रार्थना की है उस समय उनका अन्त:करण उनका चित्त प्रभु प्रेम में सराबोर हो गया है, उस प्रशान्त स्थिति में गद्गद् होकर उन्हें आत्मसुख की उपलब्धि हुई है। एक भक्त का आत्म निवेदन देखिए। वह कहता है, हे दयामय प्रभु ! मैं संसार में अत्यन्त त्रसित हूँ, अत्यन्त भयाकुल हो रहा हूँ। आपकी अपार ��या से ही मेरे विचार आपके चरणों में खिंचे हैं। मैं अत्यन्त निर्बल हूँ- आप मुझे सब प्रकार का बल दीजिए और भक्ति में लगा दीजिए। गिड़गिड़ा कर प्रभु के प्रेम के लिए, भक्ति के लिए आत्म-निवेदन करना सर्वोत्तम है।
आपका आत्म-निवेदन आशा से भरा हो, उसमें उत्साह की उत्तेजना हो, आप यह समझे कि जो कुछ हम निवेदन कर रहे हैं वह हमें अवश्य प्राप्त होगा। आप जो कुछ निवेदन करें वह अत्यन्त प्रेमभाव से होना चाहिए। उत्तम तो यह है कि जो निवेदन किया गया हो वह सब प्राणियों के लिए हो, केवल अपने लिए नहीं।
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अमिताभ बच्चन 
133 notes · View notes
abhay121996-blog · 4 years ago
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नासा के ���ोवर ने मंगल ग्रह पर की चहलकदमी, पहली बार सुनें लाल ग्रह से ड्राइविंग की आवाज Divya Sandesh
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नासा के रोवर ने मंगल ग्रह पर की चहलकदमी, पहली बार सुनें लाल ग्रह से ड्राइविंग की आवाज
वॉशिंगटन मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में लगे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के Perseverance रोवर ने लाल ग्रह की चट्टानी सतह पर चहलकदमी शुरू कर दी है। नासा के इस अत्‍याधुनिक प्रोब ने अब पहली बार मंगल ग्रह पर ड्राइविंग करने का आडियो भेजा है। अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से बुधवार को जारी किए गए करीब 16 मिनट के इस ऑडियो में रोवर के पहियों के मंगल की सतह पर चलने की स्‍पष्‍ट आवाज सुनाई दे रही है।
रोवर की यह आवाज बहुत सुखद नहीं है और रेकॉर्डिंग के बीच-बीच में चरचराहट की आवाज सुनाई देती है। दरअसल, जेजेरो क्रेटर के अंदर रोवर के चलने के दौरान वह हिला और घूमा था। इसी वजह से रेकॉर्डिंग के दौरान चरचराहट की आवाज सुनाई दी। भारतीय मूल की नासा इंज‍िन‍ियर और रोवर की ड्राइवर विंदी वर्मा ने बताया कि रोवर के धातु के बने पहियों से कुछ जोर की आवाज निकल सकती है।
विंदी वर्मा ने कहा, ‘जब आप चट्टान पर इन पहियों के साथ ड्राइविंग करते हैं तो यह वास्‍तव में बहुत शोर वाला होता है। नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि ये कर्कश आवाज या तो इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक हस्‍तक्षेप की वजह से या केवल सड़क पर होने वाले शोरगुल की वजह से है क्‍योंकि रोवर के पहिए और सस्‍पेंशन अपना काम कर रहे हैं। इससे पहले रोवर ने अपने माइक्रोफोन में रिकॉर्ड कीं आवाजें भेजी थीं।
कैमरे में मंगल ग्रह पर चलने वाली हवाओं की आवाज सुनाई दे रही थीं जबकि माइक्रोफोन ने लेजर स्ट्राइक्स की आवाज को रिकॉर्ड किया था। इस रोवर में 23 कैमरे और 2 माइक्रोफोन लगे हैं जो धरती पर मिशन कंट्रोल को डेटा भेजेंगे। इसके आधार पर वहां जीवन की खोज की जाएगी। पहले ऑडियो में रोवर ने लाल ग्रह पर चलने वाली हवाओं की आवाज सुनाई दे रही है। इसे रोवर के SuperCam माइक्रोफोन ने रिकॉर्ड किया है। यह माइक इसके मास्ट के ऊपर लगा है। जब यह आवाज रिकॉर्ड हुई तो मास्ट नीचे था, इसलिए आवाज धीमी सुनाई दे रही थी।
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bhaskarhindinews · 4 years ago
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अजब-गजब: मध्य प्रदेश के इस मंदिर में है एक अनोखा पत्थर, जिसे पीटने पर आती है घंटी की आवाज
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वैसे तो आपने कई अनोखे पत्थरों के बारे में सुना होगा। लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में मां दुर्गा के मंदिर में एक ऐसा अनोखा पत्थर है, जिसको बजाने पर घंटी की तरह आवाज निकलती है। इस पत्थर से निकलने वाली आवाजों के सुनकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं। कई लोग इसे दैवीय चमत्कार भी मानते हैं। बता दें कि इस पत्थर पर किसी भी अन्य पत्थर के टकराने से धातु की तरह आवाज आती है।
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hindistoryblogsfan · 4 years ago
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वास्तुशास्त्र कहता है किसी घर में सुख-समृद्धि और दुख की एक वजह मेन गेट भी होता है। ज्योतिष ग्रंथ बृहत्संहिता, मत्स्य पुराण और महाभारत में घर के मुख्य दरवाजे से जुड़ी जरूरी बातें बताई गई हैं। आचार्य वराहमिहिर ने अपने ग्रंथ में कहा है कि घर का मुख्य द्वार यानी मेनगेट लकड़ी से बना होना चाहिए। जो न तो ��्यादा बड़ा हो न ही छोटा होना चाहिए। एक आदर्श साइज में घर का म��न गेट होना चाहिए। जो कि दो पल्ले से बना होना चाहिए। वराहमिहिर ने घर के दरवाजों के बारे में ये भी कहा है कि अपने आप खुलने और बंद होने वाले दरवाजे उस घर में दोष पैदा करते हैं। इसलिए दोष से बचने के लिए वास्तु के अनुसार मेन गेट से जुड़ी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक मेन गेट से जुड़ी जरूरी बातें
वास्तु के अनुसार, घर के मेन गेट के लिए लकड़ी का दरवाजा सबसे शुभ माना गया है। मेन गेट बनवाते समय ध्यान रखें कि धातु का जितना कम इस्तेमाल हो, उतना अच्छा होगा।
मेन गेट का आकार आयताकार रखना शुभ माना जाता है। इससे उस घर में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
कुछ घरों में कम जगह की वजह से दरवाजा बाहर की ओर खोल दिया जाता है लेकिन वास्तु के अनुसार यह अशुभ है। इससे घर में रोग और खर्च बढ़ते हैं।
घर का मेन गेट हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए, इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
घर का मेन गेट हमेशा साफ रखना चाहिए। मुख्य द्वार पर रात में भी पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए। ऐसा करने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
अगर संभव हो तो प्रवेश द्वार पर लकड़ी की थोड़ी ऊंची देहली जरूर बनवाएं। बिना देहली वाले मकान में वास्तुदोष बढ़ता है।
मेन गेट को खोलते समय किसी भी तरह की आवाज नहीं आनी चाहिए और ना ही गेट कहीं से रगड़ाना चाहिए। ऐसा दरवाजा घर का दोष बढ़ाता है।
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main gate entrance according to Vastu, astrology Told that the main gate entrance Should be made by wood and opens inwards.
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pushpaksays · 4 years ago
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जब स्वामीजी ने राजा को बताया क्यों करते हैं हम मूर्ति पूजा।
स्वामी विवेकानंद को एक राजा ने अपने भवन में बुलाया और कहा कि तुम हिन्दू लोग मूर्ती की पूजा करते हो। मिट्टी, पीतल, पत्थर की मूर्ती का। मैं ये सब नही मानता। ये तो केवल एक पदार्थ है।
उस राजा के सिंहासन के पीछे किसी आदमी की तस्वीर लगी थी। विवेकानंद जी कि नजर उस तस्वीर पर पड़ी। विवेकानंद जी ने राजा से पूछा राजा जी, ये त���्वीर किसकी है?
राजा बोला, मेरे पिताजी की। स्वामी जी बोले कि उस तस्वीर को अपने हाथ में लीजिए।
जब राजा ने तस्वीर हाथ में ली तो स्वामी ने राजा से कहा, अब आप उस पर थूको।
राजा बोला, आप यह क्या बोल रहे हैं?
स्वामी जी ने कहा, उस तस्वीर पर थूकिए।
राजा गुस्से से लाल पीला हो गया बोला, स्वामी जी, आप होश मे तो हैं ना? मैं ये काम नहीं कर सकता।
स्वामी जी बोले क्यों? ये तस्वीर तो केवल एक कागज का टुकड़ा है, और जिस पर कूछ रंग लगा है। इसमे ना तो जान है, ना आवाज, ना तो ये सुन सकता है, और ना ही कूछ बोल सकता है। इसमें ना ही हड्डी है और ना प्राण। फिर भी आप इस पर कभी थूक नहीं सकते। क्योंकि आप इसमे अपने पिता का स्वरूप देखते हो। आप इस तस्वीर का अनादर करना अपने पिता का अनादर करना ही समझते हो।
वैसे ही, हम हिंदू भी उन पत्थर, मिट्टी, या धातु की पूजा भगवान का स्वरूप मान कर करते हैं। भगवान तो कण-कण में है, पर एकआधार मानने के लिए और मन को एकाग्र करने के लिए हम मूर्ती पूजा करते हैं। तब राजा ने स्वामी जी के चरणों में गिर कर क्षमा मांगी।
क्या आप निःस्वार्थ हैं? यही सवाल है। यदि आप हैं, तो आप एक भी धार्मिक पुस्तक को पढ़े बिना, एक भी मंदिर में गए बिना परिपूर्ण होंगे। - Pushpak Says
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chaitanyabharatnews · 4 years ago
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VIDEO : स्मार्टफोन का दीवाना है यह तोता, यू-ट्यूब पर अपने मनपसंद वीडियो देख करता है मनोरंजन
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चैतन्य भारत न्यूज कटिहार. अब तक तो आपने बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों को एंड्राइड मोबाइल चलाते हुए देखा होगा लेकिन हम आपको आज एक ऐसे तोते के बारे में बता रहे हैं जो मोबाइल पर यू-ट्यूब चलाकर अपने मनपसंद वीडियो देखता रहता है। बिहार के कटिहार से यह तोता सामने आया है जो न सिर्फ एंड्राइड मोबाइल चलाता है, बल्कि मोबाइल से यू-ट्यूब से अपना पसंदीदा कार्यक्रम भी चोंच मार कर निकाल लेता है। स्मार्टफोन के दीवाने इस तोते के कई वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। तोते को स्मार्टफोन चलाते देख लोग आश्चर्यचकित हैं। कटिहार के नगर थाना क्षेत्र के नया टोला निवासी राजेश वर्मा के घर एक तोता जो स्मार्टफोन पर यू-ट्यूब में गाने सुनता है। घर के लोग प्यार से इसे डुग्गू बुलाते हैं। वह अपने साथ-साथ घर के लोगों का ��ी मनोरंजन करता है।
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राजेश वर्मा ने बताया कि, बच्चों की जिद पर तीन साल पहले तोते का बच्चा बाजार से खरीदकर लाए थे। तोता को प्यार से मिट्ठु बुलाने लगे। धीरे-धीरे वह दूसरे तोते की तरह आवाज की नकल करने लगा। बच्चों को स्मार्टफोन पर गाने सुनता देख वह उनके पास चला जाता। बच्चों के साथ देखते ही देखते उसने मोबाइल को चलाना सीख लिया। मोबाइल का लॉक खोलकर दे दिया जाए तो वह यू-ट्यूब पर चला जाता है और गाने बजाता है। राजेश ने बताया कि, उनकी बेटी सृष्टि को तोते से बहुत लगाव है। उसने ही धीरे-धीरे तोते को ट्रेंड किया है। जब भी कोई गाना बजता है वह तोता झूमने लगता। घर में रूठे लोगों को अपनी मीठी बातों से मनाता है। अपने तौर तरीके से चलता है। अशुभ संकेत या घटना होने वाला रहता है तो यह संकेत भी देता है और गृहस्वामी को सचेत करता है।अपनी हरकतों के कारण यह तोता लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कहते हैं कि तोते के रंग-बिरंगे पंख का संबंध पृथ्वी, अग्नि, जल, लकड़ी और धातु से होता है। दरअसल हिंदू धर्म में तोते को समृद्धि का प्रतीक माना गया है। साथ ही ये शुभ-अशुभ के संकेत भी देता है। विद्वानों के अनुसार पशु-पक्षियों में छठी इंद्रीय काफी सक्रिय होती है। इसी कारण उन्हें किसी भी घटना का आभास पहले ही हो जाता है। तोता भी ऐसा ही जीव है जो अप्रिय घटना को पहले से भांप लेता है और लोगों को इसके प्रति सचेत करता है। यह वीडियो News18 Virals नाम के यूट्यूब चैनल से लिया गया है। Read the full article
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आज वास्तु विज्ञान में चर्चा यह कि आपके घर का मुख्य दरवाजा कैसा होना चाहिए? • वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर के दरवाजे के एकदम सामने कोई पेड़ या खंबा नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो घर के मुख्य दरवाजे पर स्वास्तिक बनाएँ। • मुख्य दरवाजे के पास तुलसी का पौधा होना शुभ माना जाता है। • घर के मुख्य दरवाजे पर हमेशा एक डोरमैट होना चाहिए। यह डोरमैट आयातकार होना चाहिए। • आपके घर का मुख्य दरवाजा घर के अन्य दरवाजों से बड़ा होना चाहिए। • मुख्य दरवाजे के लिए लकड़ी का उपयोग सबसे शुभ माना गया है। दरवाजा बनवाते समय ध्यान देना चाहिए कि उसमें धातु का कम प्रयोग हो। • दो पल्ले वाले दरवाजे शुभ होते हैं। कम से कम मुख्य दरवाजे पर तो दो पल्ले होने ही चाहिए। इससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। • घर का मुख्य दरवाजा खुलते समय किसी भी प्रकार की आवाज न करे और न ही यह रगड़ खाना चाहिए। • मुख्य दरवाजा आयताकार होना चाहिए। • घर का मुख्य दरवाजा हमेशा अंदर की ओर खुलना चाहिए। http://shashwatatripti.wordpress.com #vastulokesh #door https://www.instagram.com/p/CEDmYs9Hwwg/?igshid=12ifsdc4rqu4c
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differentlandmaker · 5 years ago
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vashikaran mantra for women नारी वशीकरण के कुछ आसान मगर अद्भुत प्रयोग
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पिछली पोस्ट मे हमने पुरुष वशीकरण मंत्र के बारे पढ़ा था। इस पोस्ट मे Vashikaran mantra to attract women के बारे मे बात करे वाले है क्यो की वशीकरण मंत्र और उपाय स्त्री और पुरुष के लिए अलग अलग होते है। इस article मे हमने Best vashikaran mantra for married woman in Hindi or Vashikaran for married woman को शामिल किया है। जीतने भी उपाय Ladies vashikaran के लिए किए जा सकते है हमने यहा शामिल करने की कोशिश की है। इस्लाम मे भी इसके लिए अलग से उपाय है जिन्हे नियम से रहने वाले लोग कर सकते है। इंटरनेट पर इस वक़्त Vashikaran mantra to control lady in Hindi काफी ज्यादा डिमांड मे है क्यो की कुछ लोग महिला वशीकरण मंत्र के जरिये अपने साथ काम करने वाली महिला, स्त्री या ladies को अपने वश मे करना चाहते है। प्राचीन काल से ही जब पुरुष और स्त्री के लिए अलग अलग विधान का वर्णन है तो कही न कही इसका इस्तेमाल किया जाता होगा। उस समय इसका दरुपयोग किया जाता होगा मालूम नहीं लेकिन आज इसका सबसे ज्यादा negative impact डालने के लिए प्रयोग होता है।
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Sachhiprerna पर समय समय पर काफी लोग कांटैक्ट करते है जिन्हे अपने साथ काम करने वाली महिला या महिला मित्र पर वशीकरण करवाना होता है। 95% case akarshan mantra के उपाय से जुड़े होते है। हम अपने ब्लॉग पर officially किसी तरह की vashikaran service online का दावा नहीं करते है। अगर वशीकरण और काला जादू किया हुआ है तो उसकी काट की जा सकती है। इस आर्टिक्ल मे जीतने भी उपाय share किए गए है वे स्त्री वशीकरण के उपाय है।
Simple vashikaran mantra to attract girl
अगर आप सबसे easy attraction spell देख रहे है तो आपको ये मंत्र देखना चाहिए। कामाक्षी देवी को आकर्षण की देवी के नाम से जाना जाता है। इस उपाय को करते समय अगर आपको इसका प्रभाव गले मे महसूस हो समझ ले आपका मंत्र सिद्ध हो गया है। ॐ नम: कामाक्षी देवी अमुकी नारी मे वश कुरु कुरु स्वाहा:  किसी भी शुभ लग्न मे सही समय देख कर ( देखे इंद्रजाल ) इस मंत्र को मूँगे की माला पर रोज 1 माला का जप लगातार 21 दिन कर इस मंत्र को सिद्ध कर ले। ये Vashikaran for married woman सिर्फ पुरुषो के लिए है और सही मकसद से इसका प्रयोग किया जाना चाहिए। जब मंत्र सिद्ध हो जाए तब किसी भी women vashikaran tantra की वस्तु को 7 बार अभिमंत्रित कर काम मे ले। महिला vashikaran mantra tilak  के उपाय कुछ ऐसे Ladies vashikaran tilak के उपाय है जिन्हे हम आकर्षण के मकसद से प्रयोग कर सकते है। सफ़ेद आक की मूल ( जड़ ) कुटकी, मोथा और जीरा इन सबको समान मात्रा मे लेकर अपने खून मे पीस ले। इसका तिलक करने पर स्त्री वश मे रहती है। रविवार के दिन काले धतूरे का पंचांग ( पाँच अंग यानि पाँच तरह के हिस्से ) को कपूर, गोरोचन और केसर के साथ घोट ले। इसका तिलक कर जिस स्त्री के सामने जाएंगे वो आपके वश मे होगी। लाजवंती, मुलेठी और कमलगट्टे को पीसकर अपने शुक्र के साथ तिलक लगाने से Ladies vashikaran होता है। रवि पुष्य नक्षत्र मे इंद्रायण की मूल लेकर आए, इसे त्रिकुटा मे मिलकर कूट ले और गाय के दूध मे पीसकर तिलक बनाए। उल्लू के पीठ की हड्डी, केसर, कुमकुम और कस्तूरी को चन्दन मे घिसकर तिलक बनाए। सूर्यग्रहण के समय सहदेवी की मूल लाकर इसका चन्दन के साथ घिसकर लेप बनाए। मैनसील और हरताल के पान का रस मिलाकर मंगलवार के दिन तिलक करे। सिंदूर को केले की मूल मे पिसे और गुरुवार को इसका तिलक करे। गोरोचन और कमल पत्र को पीसकर जिस शनिवार को कृतयोग हो उस दिन तिलक बनाए। ये vashikaran mantra के उपाय स्त्री वशीकरण तिलक के लिए किए जा सकते है। आपको बस ध्यान ��खना है शुभ महूर्त और लग्न का। कुछ आसान स्त्री वशीकरण के उपाय वशीकरण के लिए लौंग, इलायची और ऐसी ही कई आसान छीजे होती है जिन्हे खाने पीने की वस्तु मे मिलाकर देने से प्रभावी आकर्षण पैदा किया जा सकता है। ये बिना vashikaran mantra के उपाय होते है। वशीकरण लौंग के उपाय : तिलक के साथ साथ वशीकरण मे लौंग भी शक्तिशाली और आसान उपाय होता है। अगर काली कुत्ती के दूध मे लौंग को 3 दिन तक डूबा कर रखा जाए और फिर अपने शुक्र मे भिगोकर सूखने के लिए रख दे। इस लौंग को जिस स्त्री को देंगे वो आपके वश मे रहेगी। मंगलवार के दिन अपने private part मे एक लौंग रखे और अगले दिन निकाल ले। इस लौंग को पान मे रखकर जिस स्त्री को दिया जाएगा वो वश मे होगी। वशीकरण पुतली प्रयोग : शनिवार के दिन जिस स्त्री या औरत पर आकर्षण का प्रभाव डालना है उसके बाए पैर के नीचे की धूल ले आए। इस धूल से एक पुतली बनाए। मिट्टी के अलावा आपको उस स्त्री के कुछ बाल भी चाहिए। इन बालो को उस पुतली मे लपेट दे। पुतली के private part मे अपना शुक्र ( धातु ) डाले और नीले रंग के कपड़े से उसे ढक दे। इस पुतली को सिंदूर से पोते और विधिवत पूजा कर मन मे वशीकरण की कामना कर उसे स्त्री के घर के दरवाजे के आगे गाड़ दे। जिस वक़्त वो स्त्री इस पुतली को लांघ देगी इसका प्रभाव दिखने लगेगा। वशीकरण फूल का उपाय : मोगरे का फूल ले और उसे ॐ ह्रीं स्वाहा के मंत्र से 7 बार अभिमंत्रित कर जिसे भी देंगे वो वशीभूत होगी। स्त्री वशीकरण अंजन : सफ़ेद आक की मूल, गौ घृत, अजा इन्हे बराबर मात्रा मे लेकर अंजन बना ले। जब भी इसका अंजन कर बाहर निकलेगे तो आकर्षण का प्रभाव देखने को मिलेगा। Vashikaran for married woman in Hindi अगर आप आसान women vashikaran mantra spell से जुड़े उपाय देख रहे है तो नीचे दिये गए कुछ उपाय कर सकते है जैसे की दूध के जरिये वशीकरण : 8 साल से केएम उम्र के बालक के दोनों हाथो के 4 नाखून ( 2-2 ) और पैर मे 2 बाए और 1 दाए पैर का नाखून ले। इसकी भस्म बना ले और इसमे अपना शुक्र मिला ले। इस मिश्रण को अगर दूध मे औटा ( गरम कर ) किसी महिला को दूध देंगे तो वो वश मे होगी। सुपारी के जरिये वशीकरण : जब भी चन्द्र या सूर्य ग्रहण हो एक साबुत सुपारी ले आए। इस सुपारी को पहले 108 बार निम्न मंत्र का जप करते हुए अभिमंत्रित कर ले। ॐ ह्री क्लीं पर स्त्री वेशमान अंग चतुर्मुखे फट स्वाहा इस मंत्र का 108 जप कर सुपारी को साबुत ही निगल जाए। अगले दिन शौच मे जब वो सुपारी निकले तब उसे अलग कर ले। साफ कर इसका भाग करे ले और जिस स्त्री को दिया जाए वो वश मे हो। वशीकरण के लिए सुँघनी का उपाय : बिजोरे की मूल, धतूरे के बीज और प्याज को मिलाकर पीस ले। ये मिश्रण जिस औरत को सुंघाया जाए वो वश मे होगी। ( ये शक्तिशाली आकर्षण का प्रभाव डालता है ) मसानी चावल वशीकरण का उपाय मनुष्य की मौत के 3 दिन बाद शमशान मे खिचड़ी ले ��ाते है। इस समय जब खिचड़ी रख कर व्यक्ति वापस लौट जाए तब ध्यान दे, कौवे उस खिचड़ी को खाने के लिए आते है। सबसे अंत मे चावल के दाने दो भाग मे हो जाते है एक वो जो हांडी के अंदर होते है और दूसरे जो कौवे खाते समय नीचे जमीन पर डाल देते है। आपको इन दोनों भाग को अलग अलग ले लेना है। इन दानो को घर नहीं लाना है बल्कि वही गुगल की धूप देकर ( बेहतर होगा अगर आप इन दानो को अलग अलग लाल कपड़े की गांठ गांठ मे बांध ले ) चौराहे मे गाड़ दे। अब हर शनिवार को गूगल की धूप और शराब की धार दे और एक बताशा रखे दे। ऐसा आपको 7 शनिवार करना है और इसके बाद हांडी वाला चावल जिसे देंगे तो वो वशीकरण का काम करेगा और जमीन पर पड़ा चावल वशीकरण के प्रभाव को काटने का काम करेगा। ध्यान दे : ये एक मसानी प्रयोग है और इस तरह के प्रयोग के लिए जो भी सामान आप लेते है उसे घर मे ना रखे ना ही लाए। प्रक्रिया के दौरान जब लौटना हो तब मुड़कर नहीं देखना है और किसी आवाज का जवाब नहीं देना है। स्त्री वशीकरण भस्म का अचूक उपाय : सवा हाथ सफ़ेद नया कपड़ा ले और जब बवंडर आए तब इस कपड़े को उड़ा दे। ये कपड़ा जहां पर गिरेगा आपको वहाँ की जो मिट्टी कपड़े मे लग जाती है उसके सहित उठाना है। धोबी जहां कपड़े धोते है उस सिला पर बैठकर मिट्टी को अलग कर ले और कपड़े को जलाकर उसकी भस्म बना ले। इन दोनों भाग को गूगल की धूनी देकर अलग अलग रख ले। ये एक आसान सा Vashikaran mantra to control lady in Hindi है जिसे अप कर सकते है। इस भस्म को जिस स्त्री पर डालेंगे वो आपके आकर्षण मे आएगी और जब आकर्षण तोड़ना हो तब उस धूल को उस पर डाल दे वशीकरण टूट जाएगा। घर पर वशीकरण काजल कैसे बनाए ऐसी लड़की का चुनाव करे जो पहली बार रजस्वला हुई है। उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए वस्त्र को ले आए। अरंड के तेल मे डुबोकर इसकी बत्ती बना ले और इसका काजल बना ले। इस काजल को एक डिब्बी मे भर ले और जब भी जरूरत हो स्वाती नक्षत्र मे मनचाही स्त्री को लगा दे। ये एक मायाजाल की तरह काम करता है और स्त्री को भ्रमित कर देता है। मालती के फूल को रेशमी कपड़े मे लपेट कर बत्ती बना ले। इस बत्ती को मंगलावर या शनिवार के दिन ताजा मरे हुए व्यक्ति की खोपड़ी मे अरंड का तेल भर कर काजल बना ले। इस अंजन को जब भी आंखो मे लगाया जाएगा ये वशीकरण का प्रभाव डालेगा। पढे : दूर बैठे व्यक्ति पर वशीकरण करने के लिए सबसे आसान दिगपाल साधना स्त्री वशीकरण पान जिस स्त्री को आप वश मे करना चाहते है उसके पान मे अपने पाँच मेल डाल दे और खाने को दे। माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को श्वेत गुंजा की जड़ लाए और पीसकर पान मे मिला दे। सहस्त्र की मूल, मिश्री को समान भाग मे ले और अपने शुक्र ( धातु ) मे मिलाकर पीस ले। इस मिश्रण को पान मे मिलाकर जिसे दिया जाएगा वो सदा आपके वश मे रहेगी। जब स��मवार के दिन मृगशिरा नक्षत्र हो तब एक सुपारी ले और उसे खूब बारीक पीस ले। इस पाउडर मे अपने शुक्र को मिलाकर गोली बना ले। इस गोली को जब पान मे मिलाकर दिया जाता है तब वशीकरण होता है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के समय सफ़ेद चोटले की जड़ ले आए और सूखाकर उसका चूर्ण बना ले। इस पाउडर को पान मे मिलाकर दे ladies vashikaran का अचूक उपाय है। पढे : आखिर ध्यान के साथ म्यूजिक को जोड़ने से हमे इतना benefit कैसे मिलता है ? How to perform vashikaran mantra at home ज़्यादातर लोग ऑनलाइन शेयर किए गए मंत्र पर विश्वास नहीं रखते है। वे किसी भी मंत्र को अधूरी जानकारी के साथ करते है और उम्मीद करते है की उनको जल्दी सफलता मिल जाए लेकिन ऐसा होता है और 95% लोग पहले प्रयास मे ही फ़ेल हो जाते है। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे की कोई भी vashikaran mantra for love बिना सही विधि के काम नहीं करता है। आप मंत्र जप के लिए सुबह का या रात का चुनाव करते है लेकिन शुभ महूर्त, लग्न और नक्षत्र को भूल जाते है। इनके बगैर ये उपाय काम नहीं करते है। अगर आप एकांत मे वशीकरण का उपाय कर रहे है जो की मसानी या चौराहे से जुड़ा है तो इसका उपाय करते समय पीछे मुड़कर देखना और आवाज का जवाब देना निषेध है। वशीकरण की जो क्रिया शमशान मे की जाती है उस वस्तु को घर मे नहीं ला सकते है। घर लौटने से पहले नहा ले तो ही घर मे प्रवेश करे। कोई भी वशीकरण का उपाय चाहे वो स्त्री वशीकरण हो या फिर पुरुष वशीकरण इनमे पहली बार मे ही कोई सफल नहीं होता है। ज़्यादातर लोग बिना किसी ध्यान अभ्यास के इसका प्रयोग करते है जिसकी वजह से वे सफल नहीं होते है और उन्हे लगता है की मंत्र काम नहीं करता है। अगर आप कोई मंत्र जप कर रहे है और उसका स्पंदन आपके अंदर महसूस न हो तो समझ ले की मंत्र का जागरण नहीं हो रहा है। जब भी कोई मंत्र जाग्रत होता है आपके उच्चारण का तरीका बदल जाता है। मंत्र मुह से नहीं गले से निकलना शुरू हो जाता है। अगर पहली बार मे सफलता नहीं मिलती है तो आपको निराश नहीं होना चाहिए। मंत्र का जप पूरी एकाग्रता से करे ताकि उसका प्रभाव आपके शरीर पर देखने को मिलने लगे। वशीकरण मंत्र से जुड़ी जानकारी पर ध्यान दे मंत्र जप के दौरान की जाने वाली सबसे बड़ी गलती होती है सिर्फ counting पर ध्यान देना। हम सिर्फ मंत्र का जप कितने बार करना है इस पर ध्यान देते है जबकि हमे ध्यान देना है मंत्र के जप पर। जितना गहरा हमारा मंत्र का जप होगा उतना ही ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा। सफलता के लिए 2 बाते हमेशा ध्यान ���े पहला मंत्र पर पूरी एकाग्रता और दूसरा मंत्र का जप अंदर से हो। इस article मे share किए गए सभी मंत्र इंद्रजाल की पुस्तक से लिए गए है। ये मंत्र कितने प्रभावी है इसका दावा नहीं करते है क्यो की पूरी जानकारी एक जगह मिलना संभव नहीं है। अगर मंत्र जप के दौरान आप सही जानकारी नहीं रखते है तो ��्रयोग सफल होने का कोई चान्स नहीं बनता है। Vashikaran mantra को काम मे कैसे ले जो भी vashikaran mantra for women या फिर akarshan mantra share किए जाते है वो अलग अलग तरीको पर काम करते है। इस article मे share किए गए सभी best akarshan mantra love in Hindi को हमने indrajaal book से लिया है। हालांकि मंत्र की पूरी विधि को जानने के लिए आपको पहले इंद्रजाल को समझना होगा। अगर ऊपर बताए गए किसी मंत्र को आप आजमाते है और असफल होते है तो समझ ले की आपके प्रयास मे काही न काही कोई कमी रही है। ऐसा नहीं है की मंत्र काम नहीं करते है कई बार हमारे प्रयास मे कमी रह जाती है। अगर आप भी aghori vashikaran mantra या मसानी वशीकरण के उपाय कर रहे है तो आपको सावधान रहना चाहिए। बिना किसी तरह की सलाह के इंका प्रयोग करना सही नहीं रहता है। Read the full article
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confectioneryvixen · 5 years ago
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सतीश गुजराल ‘दिल्ली में एक संस्था’ थे
द्वारा लिखित वंदना कालरा | नई दिल्ली | प्रकाशित: 27 मार्च, 2020 4:41:09 अपराह्न
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उनके विषयों ने पौराणिक कथाओं की उनकी व्याख्या के लिए आदमी और प्रौद्योगिकी के बीच संबंधों की खोज से फैलाया। (फोटो: एक्सप्रेस अभिलेखागार)
आठ साल की उम्र में, उन्होंने पहली बार पेंसिल को उठाया था ताकि एक दुर्घटना के बाद उनके विचारों को डूडल बना सके। इसके बाद, कला को उनकी आवाज़ और वह भाषा बनना था जिसके माध्यम से सतीश गुजराल ने दुनिया से बात की। 26 मार्च को उस आवाज को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया, जिसमें कलाकार का निधन हो गया। पद्म विभूषण अवार्ड 94 था। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को परिवार के करीबी सदस्यों की उपस्थिति में दिल्ली में किया गया था।
“मेरे लिए, वह एक बहुत ही अनोखी जगह है। बड़ी ताकत के साथ, वह एक तरफ अपनी शारीरिक अक्षमताओं और दूसरी तरफ अपनी वैचारिक क्षमताओं से निपटता है, जो बहुत दुर्लभ है। मैं उसे एक वैचारिक योजनाकार के रूप में वर्णित करूंगा – उसके लिए माध्यम प्रधान नहीं था, यह अवधारणा थी। कलाकार राजीव लोचन कहते हैं, “उन्होंने अपने काम में कई रचनात्मक भाषाओं को आत्मसात करने और उन्हें आत्मसात करने में कामयाबी हासिल की।” नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट के निदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 2006 में गुजराल के पूर्वव्यापी आयोजन किया था। कलाकार विवान सुंदरम कहते हैं, “वह बेहद स्नेही थे। वह दिल्ली में काफी एक संस्थान थे, और एक भव्य व्यक्ति जो दुखी होगा। ”
जबकि उनकी अभिव्यक्ति का माध्यम पेंट से लकड़ी, धातु, कागज कोलाज, चीनी मिट्टी की चीज़ें और वास्तुकला से भिन्न था, विषयों ने भी पौराणि��� कथाओं की उनकी व्याख्या के लिए आदमी और प्रौद्योगिकी के बीच संबंधों की खोज से फैलाया। गुजराल को सबसे अधिक जाना जाता है, हालांकि, कलाकार के रूप में जिन्होंने विभाजन के अंधेरे को चित्रित किया है और अन्य लोगों के साथ-साथ मौरिंग एन मैसेज और डेज़ ऑफ़ ग्लोरी जैसे कामों में इसकी भयानक पीड़ा है।
1925 में झेलम में जन्मे, एक छोटे बच्चे के रूप में वह अपने पिता के साथ शरणार्थियों को भारत स्थानांतरित करने में मदद करने के लिए गए थे, और यह उन रक्तपात की यादें थीं, जिन्हें उन्होंने वर्षों बाद याद किए जाने के रूप में चित्रित किया था। “विभाजन मेरे दिल के करीब है और मैंने जो देखा वह मेरे साथ रहा और मेरे काम में परिलक्षित हुआ। कला उस उथल-पुथल को व्यक्त करने का एक माध्यम था, ”गुजराल ने एक साक्षात्कार में कहा द इंडियन एक्सप्रेस 2010 में।
यद्यपि उन्हें लाहौर में मेयो कॉलेज ऑफ आर्ट में कला की तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया था, लेकिन यह गुजराल के अनुभव और परिवेश थे जो वास्तव में उनके कार्यों को परिभाषित और प्रभावित करते थे। पूर्व प्रधान मंत्री इंद्र कुमार गुजराल के छोटे भाई, वह अक्सर याद करते हैं कि कैसे वह अली सरदार जाफरी और फैज अहमद फैज जैसे दिग्गजों के सत्रों और कविताओं को पढ़ने के लिए उनके साथ आएंगे। 1952 में, उन्हें मेक्सिको में प्रतिष्ठित पलासियो डी बेलस आर्टेस में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली, जहां उन्होंने प्रसिद्ध कलाकारों डेविड अल्फारो सिकीरोस और डिएगो रिवेरा के तहत प्रशिक्षुता प्राप्त की, और फ्रिदा काहलो के साथ दोस्त बन गए।
हालांकि भारत में आलोचकों ने उनकी प्रतिभा को स्वीकार किया, कला बिरादरी में वे अपेक्षाकृत अकेले बने रहे, जो तत्कालीन प्रमुख प्रगतिशील कलाकार समूह की विचारधाराओं से संबंधित नहीं थे। उसने कथित तौर पर आश्वस्त किया जवाहर लाल नेहरू एक नियम बनाने के लिए कि एक सार्वजनिक भवन बनाने के लिए किए गए लागत का एक आरक्षित प्रतिशत कला के लिए आवंटित किया जाना चाहिए। लोक कला के समर्थक, उनकी भित्ति चित्र दिल्ली हाईकोर्ट से लेकर शास्त्री भवन और गांधी भवन तक, दुनिया भर में कई इमारतों पर हैं चंडीगढ़। उन्होंने दिल्ली और गोवा विश्वविद्यालय में बेल्जियम दूतावास को डिजाइन करते हुए वास्तुकला में भी काम किया। “एक नेहरूवादी, वह भी मैक्सिकन भित्ति आंदोलन से प्रेरित था और भारतीय कला परिदृश्य में एक बहुत अलग प्रक्षेपवक्र का पालन किया। क्रॉसओवर शब्द अब काफी फैशनेबल है लेकिन सतीश ने उन्हें इस तरह से संस्थागत रूप दिया, “सुंदरम कहते हैं।
कलाकार परमजीत सिंह, जिन्होंने 1988 में लाहौर में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के लिए गुजराल को एक प्रदर्शनी का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया था, याद करते हैं कि दिवंगत कलाकार हमेशा युवा को कैसे प्रोत्साहित करेंगे। “वह बहुत अंत तक एक सक्रिय चित्रकार था। एक छात्र के रूप में, हम अक्सर विभाजन के आधार पर उनके कार्यों को देखते थे, जो बहुत महत्वपूर्ण थे। सिंह कहते हैं, “बेहद जीवंत, उनके पास हास्य की एक बड़ी भावना थी और अक्सर चुटकुले साझा करते थे।”
हालांकि उनकी जीवन यात्रा समाप्त हो गई है, जैसा कि गुजराल ने कहा था, उनके कामों को जीना जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “कार्यों का अपना जीवन है, वे यात्रा करते हैं, हाथ हिलाते हैं,” उन्होंने कहा, व्हीलचेयर पर बैठे, अपने काम के छह दशकों में देख रहे हैं इंदिरा गांधी 2016 में एक प्रदर्शनी में राष्ट्रीय कला केंद्र। “अच्छी कला,” उन्होंने कहा, “एक विचार से शुरू नहीं होता है, यह एक रचनात्मक शक्ति द्वारा संचालित है”।
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everynewsnow · 4 years ago
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'साउंड ऑफ मेटल' के बारे में बात करते हैं डेरियस मार्डर
‘साउंड ऑफ मेटल’ के बारे में बात करते हैं डेरियस मार्डर
फिल्म निर्माता डेरियस मर्डर ने अपने नए साउंड ऑफ़ मेटल पर नए सिरे से ध्यान आकर्षित करने की बात कही है, जो महामारी के कारण, और मानव स्थिति पर फिल्म के अंतर्निहित संदेश के लिए धन्यवाद है। डेरियस मर्डर धातु की ध्वनि रूबेन (रिज अहमद) की खूबसूरती से बयां की गई कहानी, एक भारी धातु बैंड में ढोलकदार है जिसकी सुनवाई का नुकसान उसे आत्म-साक्षात्कार की यात्रा पर ले जाता है। रिज़ द्वारा एक ब्रावुरा प्रदर्शन…
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newsaryavart · 5 years ago
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राजस्थान में 2 किलो 788 ग्राम का रहस्यमयी धातु गिरा, देखें- तस्वीरें
राजस्थान में 2 किलो 788 ग्राम का रहस्यमयी धातु गिरा, देखें- तस्वीरें
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नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 19 Jun 2020, 01:54:42 PM IST
धरती पर यूं तो हर साल 17 हजार से ज्यादा उल्कापिंड टकराते हैं लेकिन शुक्रवार सुबह राजस्थान के जालोर जिले के सांचौर में तेज आवाज और धमाके के साथ एक रहस्यमयी धातु गिरने से लोगों में हड़कंप मच गया। करीब पौने तीन किलो के इस धातु को प्रथमदृष्या उलकापिंड बताया जा रहा है लेकिन अधिकारिकतौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। वैज्ञानिकों की एक टीम…
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moneycontrolnews · 5 years ago
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साल 2020 में सभी लोग चाहते हैं के उनके जीवन में खूब उन्नती और बदलाव हों, इसलिये नये साल यानी 2020 में आपकी भी उन्नती हो इसके लिये आपको घर में कुछ चीजें लाना बहुत फायदेमंद होता है। घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और सुख शांति बनी रहती है। वहीं आपको हम कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जो कि वास्तु के अनुसार घर में लाने से खुशहाली आती है। तो आइए जानते हैं घर में क्या लेकर आयें...   आर्थिक संपन्नता व बढ़ातरी के लिये सभी चाहते हैं कि आने वाले साल में उनकी दोगुनी उन्नति हो, इसलिये घर में आर्थिक प्रगति व संपन्नता के लिये धन कुबेर की मूर्ति लेकर आयें। धन कुबेर की मूर्ति घर के पूजा स्थान पर रखें और पूजा करें। ऐसा करने से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।   धातु से बना कछुआ, ड्रैगन लायें घर अपने आने वाले साल को सुख-शांति और समृद्ध बनाने के लिये घर में धातु से बना कछुआ, घोड़ा या ड्रैगन लेकर आयें। इसे घर में लाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है।   नौकरी-व्यापार में संपन्नता लाने के लिये नौकरी-व्यापार में संपन्नता लाने के लिये नये साल यानी 2020 में देवी लक्ष्मी के चरण चिह्न आपने घर लेकर आयें और हर दिन उसकी पूजा करें। इससे घर में आर्थिक संमृद्धता आयेगी और नौकरी-व्यवसाय में सफलता भी मिलेगी। हर कार्य में सफलता पाने के लिये नये साल में अपने घर पर लाफिंग बुद्धा लेकर आयें। लाफिंग बुद्धा घर लाने से व उसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से घर में संपन्नता के साथ-साथ पॉजिटिविटी आती है। साथ ही आपको सभी कार्यों में सफलता मिलती है और प्रगति के नये मार्ग खुलते हैं।   सभी बाधाएं दूर करने के लिये अगर आपके घर पर बुरी नजर और आत्माओं का साया महसूस हो रहा है या नेगेटिव चीजें आपके साथ ज्यादा होने लगी हो तो, नया साल आने से पहले घर की सभी बाधाओं को दूर कर दें। इसके लिये अपने घर पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति घर लेकर आयें और नये साल में शुक्ल पक्ष में मंगलवार के दिन पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिष्ठा करें। इससे घर की सभी बाधायें दूर हो जायेगी।   इस तरह सौभाग्य में होगी वृद्धि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाने के लिए नए साल 2020 पर विंड चाइम भी आप घर में ला सकते हैं। फेंगशुई के अनुसार, विंड चाइम को हमेशा घर के उत्तर-पूर्व कोण में ऐसी जगह लगाएं जहां से इसकी थोड़ी-थोड़ी देर में आवाज आती रहे। इस तरह आपके सौभाग्य में वृद्धि होगी। source https://www.patrika.com/religion-news/new-year-2020-bring-these-things-at-home-for-health-wealth-and-money-5565343/
http://poojakamahatva.blogspot.com/2019/12/blog-post_47.html
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