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हमे परिवर्तन नहीं चाहिये. “जैसे थे” वाली ही परिस्थिति रक्खो” मूर्धन्याः उचुः - २
हमे परिवर्तन नहीं चाहिये. “जैसे थे” वाली ही परिस्थिति रक्खो” मूर्धन्याः उचुः – २
हमे परिवर्तन नहीं चाहिये. “जैसे थे” वाली ही परिस्थिति रक्खो” मूर्धन्याः उचुः – २ कोई भी मनुष्य आम कोटिका हो सकता है, युग पुरुषसे ले कर वर्तमान शिर्ष नेता की संतान या तो खुद नेता भी आम कोटिका हो सकता है. “आम कोटिका मनुष्य” की पहेचान क्या है?
(कार्टुनीस्टका धन्यवाद) जो व्यक्ति आम विचार प्रवाहमें बह जाता है, या, जो व्यक्ति पूर्वग्रह का त्याग नहीं कर सकता, जो व्यक्ति विवेकशीलतासे सोच नहीं सकता, जिस…
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