#मोतीलाल वोरा
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सोनिया गांधी, राहुल गांधी ने कांग्रेस मुख्यालय में मनाई होली
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में होली मनाई, जो पिछले कुछ दशकों में ऐसा पहला अवसर था। दोनों करीब 15 मिनट तक पार्टी मुख्यालय 24 अकबर रोड पर रहे। पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं ने एक संक्षिप्त समारोह में दोनों नेताओं को फूल चढ़ाये. पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें गुलाल लगाया. इस मौके पर एआईसीसी कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा,…
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वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व. मोतीलाल वोरा की बहिन श्रीमती गौरी देवी व्यास का निधन
वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व. मोतीलाल वोरा की बहिन श्रीमती गौरी देवी व्यास का निधन
बीकानेर । मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्व. मोतीलाल वोरा की बहिन बीकानेर निवासी श्रीमती गौरी देवी व्यास धर्मपत्नी स्व. बुलाकीदास व्यास का सोमवार प्रातःकाल बीकानेर में निधन हो गया । उनकी अंत्येष्टि सोमवार को ही जस्सूसर गेट के बाहर स्थित व्यास श्मशान गृह में की गई।श्रीमती गौरी देवी व्यास रायपुर, छत्तीसगढ़ के दैनिक समाचार पत्र ‘अमृत संदेश’…
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Life Will Never be Same For Everyone Due to Changes Triggered by Pandemic: Naidu
Life Will Never be Same For Everyone Due to Changes Triggered by Pandemic: Naidu
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राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू। (चित्र: RSTV / PTI)
नायडू ने कहा कि लॉकडाउन ने दैनिक दिनचर्या को बाधित कर दिया है, इसने वापस बैठने और जीवन को प्रतिबिंबित करने और रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ जुड़ने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान किया है।
PTI नई दिल्ली
आखरी अपडेट: 12 मई, 2020, 8:34 PM IST
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने तालाबंदी के दौरान लालकृष्ण आडवाणी और मनमोहन सिंह सहित कई दिग्गज…
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#ak एंटनी#अहमद पटेल#केशुभाई पटेल#कोरोनावाइरस लॉकडाउन#कोविड -19#देवेगौड़ा#मनमोहन सिंह#मोतीलाल वोरा#राम नाइक#लालकृष्ण आडवाणी#वेंकैया नायडू#शांता कुमार
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मोतीलाल वोरा : मध्यप्रदेश का वो मुख्यमंत्री, जो नरसिम्हा, सोनिया और राहुल तीनों का खास रहा
मोतीलाल वोरा : मध्यप्रदेश का वो मुख्यमंत्री, जो नरसिम्हा, सोनिया और राहुल तीनों का खास रहा
बात मध्यप्रदेश के हिंदी अखबार के एक पत्रकार की, जो प्रदेश का मुख्यमंत्री बना. जिसने अपने राजनीतिक आका के खिलाफ ही बगावत कर दी और जो उन चुनिंदा नेताओं में से एक था जो नरसिम्हा राव और सोनिया, दोनों का विश्वस्त रहा. नाम था मोतीलाल वोरा.
अंक 1: सीएम के बेटे से फ्लाइट में सिफारिश
मोतीलाल वोरा ने अर्जुन सिं के बेटे अजय सिंह से खुद के लिए कैबिनेट मंत्री के पद की सिफारिश की थी. उन्हें नहीं पता…
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पूर्व राज्यपाल मोतीलाल वोरा के निधन पर कांग्रेसियों ने की शोक सभा
पूर्व राज्यपाल मोतीलाल वोरा के निधन पर कांग्रेसियों ने की शोक सभा
जमानियां। तहसील मुख्यालय के पास स्थित रामलीला मंच पर मंगलवार को प्रदेश के पूर्व राज्यपाल मोतीलाल वोरा के निधन पर कांग्रेस ब्लाक कमेटी के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारियों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की है। ब्लाक अध्यक्ष नसीम अख्तर ने मोती लाल वोरा के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि पार्टी की अपुर्णिण्य क्षति है। कांग्रेसियों ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना…
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आयुष्मान से फ्री इलाज पर डॉक्टरों में फूट; बड़े अस्पतालों में बंद, छोटे नर्सिंग होम में ट्रीटमेंट शुरू
आयुष्मान से फ्री इलाज पर डॉक्टरों में फूट; बड़े अस्पतालों में बंद, छोटे नर्सिंग होम में ट्रीटमेंट शुरू
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यूटिलिटी डेस्क.आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलने वालेफ्री इलाज को लेकर डाक्टरों में फूट पड़ गई है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के फरमान पर बड़े अस्पतालों ने अभी तक फ्री इलाज शुरू नहीं किया है और जो पहले से स्मार्ट कार्ड में इलाज कर रहे थे, उन्होंने भी बंद कर दिया है। हालांकि,छोटे व मंझोले अस्पतालों में धीरे-धीरे फ्री उपचार शुरू हो गया है।
आयुष्मान स्कीम के तहत जितने मरीज भी इलाज करवा रहे हैं,…
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#5 lacks health insurance#Ahmed Patel#ayushaman bharat#Congress#free health insurance#Health insurance#medi claim#Motilal Vora#Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana#raipur hospital treatment#अहमद पटेल#कांग्रेस#मोतीलाल वोरा
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'कालेधन' वाले नेता की सीक्रेट डायरी में राहुल, सोनिया और वोरा के कोडनेम के सामने करोड़ों की रकम लिखी
'कालेधन' वाले नेता की सीक्रेट डायरी में राहुल, सोनिया और वोरा के कोडनेम के सामने करोड़ों की रकम लिखी #congress#BJP#AICC@officeof RG
नई दिल्ली: साल भर से कुछ वक्त पहले, इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने कर्नाटक में कई जगहों पर राजनेताओं के यहां छापे मारे थे. इन नेताओं में वे शामिल थे, जिन्होंने इनकम टैक्स रिटर्न्स नहीं भरा या जिनके पास ब्लैकमनी होने का शक था. कर्नाटक के कांग्रेस एमएलसी गोविंद राज के घर पर छापे के दौरान अधिकारी हैरान रह गए. उन्हें एक ऐसी डायरी मिली, जिसमें कुछ संदिग्ध एंट्रीज थीं. गोविंद राज बेहद प्रभावशाली…
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भाजपा सरकार प्रभु श्री राम से जुडी हर चीज संरक्षित करने प्रतिबद्ध :सांसद
सतना। जिले की चित्रकूट विधानसभा क्षेत्र के सिद्धा पहाड़ मे आज सांसद गणेश सिंह ने पहुंच सुंदरकांड श्रवण किया जिसके बाद उन्होंने कहा की सिद्धा पहाड़ को छलनी करने के लिए खदानों की स्वीकृति तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा जी की सरकार ने दी थी। आज कांग्रेस पार्टी के तमाम लोग सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए जनता को भ्रमित कर रहे हैं। हमारी सरकार प्रभु श्री राम से जुड़ी हर चीजों को संरक्षित करने…
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National Herald में ED का खुलासा मोतीलाल वोरा के नहीं मिले सबूत राहुल So...
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साँच कहै ता: चुनावी लोकतंत्रः न भाषा का स्तर बचा न मर्यादा का लिहाज!
सन् 1952 में हुए पहले आम चुनाव से लेकर अब तक में स्थितियों में तीनसौसाठ डिग्री का परिवर्तन आ गया। पहले प्रतिद्वंदी ��्रत्याशी से भी याराना होता था। हिट बिलो द बेल्ट की प्रचारू भाषा की कोई कल्पना तक नहीं कर सकता था। कई उदाहरण तो ऐसे भी हैं जब सबल प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंदी की मदद भी करते थे। आज के हाल यह हैं कि चुनाव के प्रत्याशी एक दूसरे से इतने डरे रहते हैं कि कहीं एक दूसरे की हत्या न करवा दें।
प्रत्याशियों की सभाएं निजी गनमैन और बांउसरों के सुरक्षा घेरे में होती हैं। चुनावी गैंगवार तो यूपी-बिहार में सत्तर के दशक में ही शुरू हो गया था। स्थिति की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि यूपी-बिहार-बंगाल के कई जनप्रतिनिधि ऐसे मिल जाएंगे जिनपर प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी की हत्या या हत्या की साजिश के मुकदमे चल रहे हैं। पिछले के पिछले चुनाव में अपने प्रदेश के एक प्रत्याशी की हत्या मतदान के दिन ही कर दी गई थी।
कुल मिलाकर चुनाव चाहे पंची-पार्षदी का हो या विधानसभा-लोकसभा का गैंगवार की तरह होने लगा है। एक कविमित्र ने दशक भर पहले लिखा था -जीत हार कैसे होती है,लूटमार जैसे होती है। चुनाव आयोग की सख्ती और ईवीएम वोटिंग के बाद भी चुनाव लूटने की होड़ मची रहती है। पहले यह सब व्यक्तिगत स्तरपर होता था अब इसने पार्टीगत व नियोजित रूप ले लिया है।
सन् 52 के चुनाव में लड़ने वाले जुजबी लोग ही बचे हैं। जो हैं वे उन दिनों की याद करते हैं। मैंने सन् चौरासी से लेकर पिछले चुनाव तक लगभग सभी स्तरों के चुनावों की रिपोर्टिंग की है। कई किस्से अभी याद हैं। यह जरूरी है कि राजनीति और पत्रकारिता से जुड़ी नई पीढी भी राजनीतिक मूल्यों के गिरते ग्राफ से परिचित हो।
मध्यप्रदेश की राजनीति में श्रीनिवास तिवारी का बड़ा नाम है। इन्होंने पहला चुनाव सन् 52 में लड़ा था। ये सात बार विधायक रहे। इस दरम्यान मंत्री और दस साल तक मध्यप्रदेश की विधानसभा के अध्यक्ष रहे। इनके पहले चुनाव की कथा आज भी याद है जिसे मैंने अखबार में चुनाव कवरेज के दौरान छापी थी।
तिवारीजी जब पहला चुनाव लड़े तब इनकी उम्र कोई 24 साल की रही होगी। यहां डा.लोहिया का बोलबाला था, तिवारीजी सोशलिस्ट पार्टी के युवातुर्क थे। उन्हें मनगँवा विधानसभा क्षेत्र से लाल यादवेंद्र सिंह के खिलाफ उतारा गया थे। ये बड़े वकील तो थे ही विन्ध्यप्रदेश क���ँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। प्रदेश की अंतरिम सरकार के प्रभावशाली मंत्री भी थे। लाल साहब विन्ध्यप्रदेश सरकार के पहले निर्वीचित मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार थे। चुनाव में संसाधनों के मामले में लालसाहब जिन्हें यहां आदर से भैय्यासाहब कहा जाता था तिवारीजी से कई गुना सक्षम थे। इनके पास मोटर थी, सभिओं के लिए लाउडस्पीकर भी। इधर तिवारी के पास साईकिल थी जिसमें तीन लोग बैठकर चुनाव प्रचार के लिए निकलते थे।
तिवारीजी ने बताया एक बार चुनाव प्रचार के दरम्यान भैय्यासाहब की मोटर निकली। वे मुझे देखकर रुक गए। बोले- तुम साईकिल से कितना प्रचार कर पाओगे चलो मेरे साथ मोटर में बैठो, गाँव के पहले उतर जाना, मेरे बाद उसी मंच माईक से सभा कर लेना। फिर तो पूरे चुनाव में भी ऐसा ही चला। जब चुनाव परिणाम आया तो 24 साल के श्रीनिवास तिवारी ने विन्ध्यप्रदेश के भावी मुख्यमंत्री को पराजित कर दिया। जानते हैं जीत की पहली बधाई देने वाले कौन थे.? वही लाल यादवेंद्र सिंह जो इस पराजय से मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए।यह था आजादी के बाद हुए पहले चुनाव का आदर्श जिसे लेकर हम लोकतंत्र की पवित्र चुनावी यात्रा में चले थे।
पक्ष-प्रतिपक्ष की राजनीति का यह आदर्श यकायक नहीं खत्म हुआ। बदलाव आहिस्ते से आया। एक और किस्सा बताना जरूरी है। राजमणि पटेल भी मध्यप्रदेश की काँग्रेस राजनीति का बड़ा नाम है। ये चार बार विधायक रहे। मोतीलाल वोरा और दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। श्री पटेल अभी भी सक्रिय हैं व पार्टी के प्रमुख नेताओं की अग्रिम जमात में हैं। पटेल जी की चुनावी राजनीति की दिलचस्प शुरुआत हुई। ये भी पहले सोशलिस्टी थे, यमुनाशास्त्री और चंद्रप्रताप तिवारी जैसे दिग्गजों के शिष्य।
मध्यप्रदेश की संविद सरकार के गिरने के बाद चंद्रप्रताप जी प्रसोपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए। यहां वरिष्ठता के हिसाब से कैबिनेट मंत्री बने। तिवारीजी प्रकाशचंद्र सेठी के अत्यंत करीबी व उनके ट्रबलशूटर रहे। 72 का चुनाव आया। जातीय गणित के हिसाब से रीवा जिले में एक सीट पिछड़े वर्ग से देनी तय हुई। पटेल बताते हैं कि चंद्रप्रताप जी ने पिछड़ा प्रत्याशी खोजने का जिम्मा मुझे सौंपा। उस समय हाल यह था कि समूचे विन्ध्य के पिछड़े समाजवाद में पगे थे, जो नेता थे वे काँग्रेस में आने को तैय्यार ही नहीं। तिवारीजी ने जब बार-बार पूछा तो मैंने कह दिया- कोई ढ़ूढे नहीं मिल रहा मुझे ही लड़ा ��ीजिए।
पटेल बताते हैं कि मैं चकित रह गया जब सचमुच ही मुझे टिकट मिल गई वह भी समाजवादी दिग्गज यमुनाशास्त्री के खिलाफ सिरमौर से। शास्त्रीजी मेरे आदर्श थे और उन्हीं के खिलाफ लड़ने को कहा जा रहा था। मैंने यह समस्या शास्त्रीजी के ही समक्ष रख दी। शास्त्री ने मुस्कुराते हुए कहा चुनाव लड़ो राजमणि। चुनाव हुआ शायद देश का यह पहला अजूबा चुनाव होगा जब किसी प्रत्याशी ने पूरे चुनाव में प्रतिद्वंदी प्रत्याशी श्री शास्त्री की सिर्फ प्रशंसा की और वह चुनाव जीत गया। मैंने जीतने के बाद पहला आशीर्वाद शास्त्रीजी से ही लिया। पूरे देश में ऐसे न जाने कितने दृष्टांन्त भरे पड़े होंगे। इंदौर में सुमित्रा ताई और सेठी जी का भी कुछ ऐसा ही प्रसंग है।
उपर के दृष्टांतों के बरक्स आज की स्थिति का आकलन करें तो लगता है वक्त ने देश की संसदीय लोकतंत्र की नियति को कहाँ लाकर खड़ा कर दिया है। एक दिन वह भी स्थिति बनेगी जिसका बयान ब्रेख्त साहब अपनी कविता में कर गए...
,,अखबार का हाकर सड़क पर चिल्ला रहा था/
कि सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है/
अब कड़े परिश्रम, अनुशासन और दूरदर्शिता के अलावा
और कोई रास्ता नहीं बचा है/
एक रास्ता और है कि
सरकार इस जनता को भंग कर दे
और अपने लिए नई जनता चुन ले ”
https://mediawala.in/jay-ram-sukla-column-chunavi-loktantra/
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कुशल नेतृत्वकर्ता, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल मोतीलाल वोरा जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि https://www.instagram.com/p/CXvGs2fLaqR/?utm_medium=tumblr
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कांग्रेसजनों ने सादगी से मनाया मोतीलाल वोरा का जन्मदिन
कांग्रेसजनों ने सादगी से मनाया मोतीलाल वोरा का जन्मदिन
55 वर्ष के राजनैतिक जीवन में बेदाग, राजनैतिक संत की रही छवि रायपुर(realtimes) देश की राजनीति में अविभाजित मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं दुर्ग जिले का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कराते हुए 55 वर्षों के राजनैतिक सफर के बाद भी बेदाग, कर्मयोगी, अजातशत्रु एवं राजनैतिक संत की छवि के साथ पार्षद पद से मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री एवं राज्यपाल जैसे शीर्ष पदों को सुशोभित करने वाले दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा का…
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विपक्ष ने लोकसभा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाए
विपक्ष ने लोकसभा में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नारे लगाए
वे यह भी मांग कर रहे थे कि विधायकों के खिलाफ किसानों द्वारा आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मृत्युदंड का भुगतान किया जाए। विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्��ों ने शुक्रवार को लोकसभा में ��ारे लगाए और बजट सत्र के पहले दिन तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की। जैसे ही सदन ने दिवंगत केंद्रीय मंत्री सुरेश अंगदी और 26 पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, जिसमें जसवंत सिंह, तरुण गोगोई, मोतीलाल वोरा,…
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मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा का निधन
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा का निधन
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा का निधन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का निधन हो गया है । उन्होंने 93 साल की उम्र में अंतिम सांस ली । वरिष्ठ नेता लंबे समय से 93 बीमार चल रहे थे । उनका दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल में इलाज बीम चल रहा था । रविवार को ही उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया था । आज उनके निधन से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई है । बता दें कि म��तीलाल वोरा मध्यप्रदेश के…
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
दुर्ग (छत्तीसगढ़): अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. राज्य के दुर्ग शहर में शिवनाथ नदी के किनारे मुक्तिधाम में आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वोरा का शाम लगभग पांच बजे अंतिम संस्कार किया गया. उनके बड़े पुत्र अरविंद वोरा ने मुखाग्नि दी. इस दौरान कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद…
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स्मृति शेष: वोरा की जेब नहीं थी, पार्टी में किसी भी नेता को इस उम्र में इतना सक्रिय नहीं देखा, वे पार्टी की हर बैठक में पहुंच जाते थे: आजाद
स्मृति शेष: वोरा की जेब नहीं थी, पार्टी में किसी भी नेता को इस उम्र में इतना सक्रिय नहीं देखा, वे पार्टी की हर बैठक में पहुंच जाते थे: आजाद
Hindi News National Vora Did Not Have Pockets, Did Not See Any Leader In The Party So Active At This Age, He Used To Reach Every Party Meeting: Azad Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप नई दिल्ली17 घंटे पहले कॉपी लिंक राजनीति ने एक और मोती खो दिया कांग्रेस के वटवृक्ष कहे जाने वाले वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा का 93 साल की उम्र में निधन (गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ…
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