#टक
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कुल मिलाकर, घूमर अभिषेक बच्चन और सैयामी खेर के अभिनय और कुछ अच्छी तरह से निष्पादित दृश्यों पर टिकी हुई है।
घूमर समीक्षा 2.5/5 और समीक्षा रेटिंग घूमर यह एक शारीरिक रूप से अक्षम क्रिकेट खिलाड़ी की कहानी है। अनीना (सैयामी खेर) बचपन से ही क्रिकेट में रुचि रही है। वह अपने पिता (शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर), दादी (शबाना आजमी) और भाइयों अनुज (पीयूष रैना) और तिशु (अक्षय जोशी) के साथ रहती है। वह पढ़ाई के दौरान भी खेल को जारी रखती है और भारतीय क्रिकेट टीम की ��यन प्रक्रिया के लिए चुनी जाती है। जब वह क्रीज पर थी, तो…
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The original post was funny but I liked this artwork too much so it gets its own post
Also: updated the original artwork. The Hindi reads "टक-टक" or "tak-tak"
#mythic mumbattan au#pavitr prabhakar#spider man india#atsv#venom#venom symbiote#edi bedekar#<- he is my special guy you will never find him anywhere else#myart#artoftheagni
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कानपुर के निलंबित दारोगा पर उनकी पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप, कहा, कई महिलाओं के साथ हैं अवैध संबंध
Uttar Pradesh News: कानपुर के निलंबित दारोगा गजेंद्र सिंह पर उनकी पत्नी प्रियांशी चौधरी ने गंभीर आरोप लगाए हैं. मुंबई से बरामद की जा रही एक महिला के साथ छेड़खानी के आरोप में दारोगा गजेंद्र सिंह पहले ही सस्पेंड हो चुके हैं, और अब उनकी पत्नी ने यूपी टक को दिए विशेष साक्षात्कार में उनके कई काले राज़ उजागर किए हैं. प्रियांशी चौधरी ने बताया कि उनके पति का चरित्र सही नहीं है और वह कई महिलाओं से अवैध…
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बायको : मॉलमध्ये तुम्ही सुंदर साडी नेसलेल्या त्या बाईकडे
टक लावून का बघत होतात?
Pradip – मी विचार करत होतो.
जर हीच साडी तू नेसली असतीस,
तर तू किती सुंदर दिसली असतीस.
😂😂😂😌😌😌😃😃😃🤨🤨🤨
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#एही_विधि_प्रीत_लगावे...
जो कोई एहि विधि प्रीति लगावे ।
गुरू का नाम ध्यान नहीं छुटे,परगट नहीं गोहरावे ।।
जैसे चकोर शशि तन निरखे,तन की सुधि बिसरावे ।
शशि तन रहत एक टक लागो,तब शीतल रस पावे ।।
ऐसी जूगत करे जो कोई,तब सोय भगत कहावे ।
कहे कबीर सतगुरू की मुरति,तेहि प्रभू दरश दिखावे ।।
उस सच्चे प्रेमी परमात्मा, सच्चिदानन्द परमेश्वर के विषय में और अधिक जानकारी के लिए सपरिवार देखिए
"Sant Rampal Ji Maharaj"
YouTube channel
पर "संपूर्ण सृष्टि रचना"
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Friends, you know that
Friends, you know that it is possible that the planet Theia near Mars
Our moon was probably born from the collision of the Earth
But friends, you might not know that the Earth itself was formed by the collision of two nearby bodies taking the shape of a planet
Was the Earth born from the collision of two bodies?
According to the widely accepted "giant impact hypothesis," the Earth as we know it today was formed by a massive collision between a proto-Earth and another planetary body, often called Theia, which resulted in the creation of the Moon from the debris of the impact; essentially, Earth was formed from the merging of two bodies through a collision.
Key points about this theory:
Theia:
This hypothetical planet, roughly Mars-sized, is believed to have collided with the early Earth, leading to the formation of the Moon.
Debris disk:
The impact would have ejected a large amount of material into orbit around the newly formed Earth, which eventually coalesced to create the Moon.
Evidence supporting the theory:
Analysis of lunar rocks from Apollo missions suggests a composition similar to Earth's mantle, supporting the idea of a shared origin from a collision.
The Earth formed over 4.6 billion years ago out of a mixture of dust and gas around the young sun. It grew larger thanks to countless collisions between dust particles, asteroids, and other growing planets, including one last giant impact that threw enough rock, gas, and dust into space to form the moon.
Collision May Have Formed the Moon in Mere Hours ...
NASA (.gov)
https://www.nasa.gov › solar-system › collision-may-ha...
4 Oct 2022
Collision May Have Formed the Moon in Mere Hours, Simulations Reveal
Billions of years ago, a version of our Earth that looks very different than the one we live on today was hit by an object about the size of Mars, called Theia – and out of that collision the Moon was formed. How exactly that formation occurred is a scientific puzzle researchers have studied for decades, without a conclusive answer.
Most theories claim the Moon formed out of the debris of this collision, coalescing in orbit over months or years. A new simulation puts forth a different theory – the Moon may have formed immediately, in a matter of hours, when material from the Earth and Theia was launched directly into orbit after the impact.
“This opens up a whole new range of possible starting places for the Moon’s evolution,” said Jacob Kegerreis, a postdoctoral researcher at NASA’s Ames Research Center in California’s Silicon Valley, and lead author of the paper on these results published in The Astrophysical Journal Letters. “We went into this project not knowing exactly what the outcomes of these high-resolution simulations would be. So, on top of the big eye-opener that standard resolutions can give you misleading answers, it was extra exciting that the new results could include a tantalisingly Moon-like satellite in orbit.”
The simulations used in this research are some of the most detailed of their kind, operating at the highest resolution of any simulation run to study the Moon’s origins or other giant impacts. This extra computational power showed that lower-resolution simulations can miss out on important aspects of these kinds of collisions, allowing researchers to see new behaviors emerge in a way previous studies just couldn’t see.
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दोस्तों आपको यह तो पता है की हो सकता है मंगल के निकट की थिया ग्रह
पृथ्वी की ही टकरार से हमारी चांद की जन्म हुआ शायद
लेकिन दोस्तों आप शायद ही यह जानते होंगे ��ी पृथ्वी खुद ही बना था दो निकट की पिंड की घुमते हुए टकरार के कारण एक ग्रह के आकृति लेकर
क्या पृथ्वी का जन्म दो पिंड की आपसी टकराए हुए मिलन से हुआ
व्यापक रूप से स्वीकृत "विशाल प्रभाव परिकल्पना" के अनुसार, पृथ्वी जैसा कि हम आज जानते हैं, एक प्रोटो-पृथ्वी और एक अन्य ग्रहीय पिंड, जिसे अक्सर थिया कहा जाता है, के बीच एक बड़े टकराव से बनी थी, जिसके परिणामस्वरूप प्रभाव के मलबे से चंद्रमा का निर्माण हुआ; अनिवार्य रूप से, पृथ्वी का निर्माण टकराव के माध्यम से दो पिंडों के विलय से हुआ था।
इस सिद्धांत के बारे में मुख्य बिंदु:
थिया:
माना जाता है कि यह काल्पनिक ग्रह, जो लगभग मंगल के आकार का है, प्रारंभिक पृथ्वी से टकराया था, जिससे चंद्रमा का निर्माण हुआ।
मलबे की डिस्क:
प्रभाव ने नवगठित पृथ्वी के चारों ओर की कक्षा में बड़ी मात्रा में पदार्थ को बाहर निकाल दिया होगा, जो अंततः चंद्रमा बनाने के लिए एकत्रित हुआ।
सिद्धांत का समर्थन करने वाले साक्ष्य:
अपोलो मिशन से चंद्र चट्टानों के विश्लेषण से पृथ्वी के मेंटल के समान संरचना का पता चलता है, जो टकराव से साझा उत्पत्ति के विचार का समर्थन करता है।
पृथ्वी का निर्माण 4.6 बिलियन वर्ष पहले युवा सूर्य के चारों ओर धूल और गैस के मिश्रण से हुआ था। धूल के कणों, क्षुद्रग्रहों और अन्य बढ़ते ग्रहों के बीच अनगिनत टकरावों के कारण यह बड़ा हो गया, जिसमें एक आखिरी विशाल प्रभाव भी शामिल है जिसने अंतरिक्ष में पर्याप्त चट्टान, गैस और धूल फेंकी जिससे चंद्रमा बना।
टक्कर ने शायद कुछ ही घंटों में चंद्रमा का निर्माण किया होगा...
NASA (.gov)
https://www.nasa.gov › solar-system › collision-may-ha...
4 अक्टूबर 2022
टकराव ने शायद कुछ ही घंटों में चंद्रमा का निर्माण किया होगा, सिमुलेशन से पता चलता है
अरबों साल पहले, हमारी पृथ्वी का एक सं��्करण जो आज की पृथ्वी से बहुत अलग दिखता है, मंगल के आकार के एक पिंड से टकराया था, जिसे थिया कहा जाता है - और उस टक्कर से चंद्रमा का निर्माण हुआ। यह गठन वास्तव में कैसे हुआ, यह एक वैज्ञानिक पहेली है जिसका शोधकर्ता दशकों से अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई निर्णायक उत्तर नहीं है।
अधिकांश सिद्धांतों का दावा है कि चंद्रमा इस टक्कर के मलबे से बना है, जो महीनों या वर्षों में कक्षा में एकत्रित होता रहा। एक नए सिमुलेशन ने एक अलग सिद्धांत को सामने रखा है - चंद्रमा का निर्माण कुछ ही घंटों में हुआ होगा, जब प्रभाव के बाद पृथ्वी और थिया से सामग्री सीधे कक्षा में प्रक्षेपित की गई थी। कैलिफोर्निया के सिलिकॉन वैली में नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित इन परिणामों पर पेपर के प्रमुख लेखक जैकब केगेरिस ने कहा, "इससे चंद्रमा के विकास के लिए संभावित शुरुआती स्थानों की एक पूरी नई श्रृंखला खुलती है।" "हम इस परियोजना में बिना यह जाने गए थे कि इन उच्च-रिज़ॉल्यूशन सिमुलेशन के परिणाम क्या होंगे। इसलिए, यह बड़ी आंख खोलने वाली बात है कि मानक रिज़ॉल्यूशन आपको भ्रामक उत्तर दे सकते हैं, यह अतिरिक्त रोमांचक था कि नए परिणामों में कक्षा में एक आकर्षक चंद्रमा जैसा उपग्रह शामिल हो सकता है।" इस शोध में उपयोग किए गए सिमुलेशन अपनी तरह के सबसे विस्तृत हैं, जो चंद्रमा की उत्पत्ति या अन्य विशाल प्रभावों का अध्ययन करने के लिए किसी भी सिमुलेशन रन के उच्चतम रिज़ॉल्यूशन पर काम करते हैं। इस अतिरिक्त कम्प्यूटेशनल शक्ति ने दिखाया कि निम्न-रिज़ॉल्यूशन सिमुलेशन इन प्रकार के टकरावों के महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज कर सकते हैं, जिससे शोधकर्ताओं को नए व्यवहारों को देखने का मौका मिलता है, जो पिछले अध्ययनों में नहीं देखा जा सका था।
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संदेश मिलनाचा नको विसरू
जेव्हा दिवे लागतील तेव्हा येजेव्हा सांज ढळेल तेव्हा येसंदेश मिलनाचा नको विसरूमाझी ही प्रीती नको विस्मरु नित्य सकाळ संध्या भेटतोपाहून चंद्र पण उगवतोघेतो एकमेकापासून दूरीफिरून परत या म्हणती जेव्हा दिवे लागतील तेव्हा येजेव्हा सांज ढळेल तेव्हा येसंदेश मिलनाचा नको विसरुमाझी प्रीती ही नको विस्मरू पापण्यांची वाट दूर करीनयेण्याकडे टक लावून पाहिनमाझ्या प्रीतीचे काजळ तूतुझ्या नेत्रांना लावून ये जेव्हा…
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( #Muktibodh_part191 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part192
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 366-367
‘‘कबीर परमेश्वर जी का अन्य वेश में छठे दिन मिलना’’
◆ चौपाई
दिवस पाँच जब ऐसहि बीता।
निपट विकल हिय व्यापेउ चिन्ता।।
छठयें दिन अस्नान कहँ गयऊ।
करि अस्नान चिंतवन कियऊ।।
पुहुप वाटिका प्रेम सोहावन।
बहु शोभा सुन्दर शुठि पावन।।
तहां जाय पूजा अनुसारा।
प्रतिमा देव सेव विस्तारा।।
खोलि पेटारी मूर्ति निकारी।
ठाँव ठाँव धरि प्रगट पसारी।।
आनेउ तोरि पुहुप बहु भाँती।
चौका विस्तार कीन्ही यहि भाँती।।
भेष छिपाय तहाँ प्रभु आये।
चौका निकटहिं आसन लाये।।
धर्मदास पूजा मन लाये।
निपट प्रीति अधिक चित चाये।।
मन अनुहारि ध्यान लौलावई।
कहि कहि मंत्रा पुहुप चढ़ावई।।
चन्दन पुष्प अच्छत कर लेही।
निमित होय प्रतिमा पर देही।।
चवर डोलावहिं घण्ट बजायी।
स्तुति देव की पढ़ैं चित लायी।।
करि पूजा प्रथमहि शिर नावा।
डारि पेटारी मूर्ति छिपावा।।
◆ सतगुरू बचन
अहो सन्त यह का तुम करहूँ।
प��वा सेर छटंकी धरहूँ।।
केहि कारण तुम प्रगट खिडायहु।
डारि पेटारी काहे छिपायेहु।।
◆ धर्मदास बचन
बुद्धि तुम्हार जान नहि जाई।
कस अज्ञानता बोलहु भाई।।
हम ठाकुर कर सेवा कीन्हा।
हम कहँ गुरू सिखावन दीन्हा।।
ता कहँ सेर छटंकी कहहूँ।
पाहन रूप ना देव अनुसरहूँ।।
◆ सतगुरू बचन
अहो संत तुम नीक सिखावा।
हमरे चित यक संशय आवा।।
एक दिन हम सुनेउ पुराना।
विप्रन कहे ज्ञान सुनिधाना।।
वेद वाणि तिन्ह मोहि सुनावा।
प्रभु कै लीला सुनि मन भावा।।
कहे प्रभु वह अगम अपारा।
अगम गहे नहि आव अकारा।।
सुनेउँ शीश प्रभुकेर अकाशा।
पग पताल तेहि अपर निवाशा।।
एकै पुरूष जगत कै ईसा।
अमित रूप वह लोचन अमीसा।।
सोकित पोटली माहि समाहीं।
अहो सन्त यह अचरज आहीं।।
औ गुरू गम्य मैं सुना रे भाई।
अहैं संग प्रभु लखौ न जाई।।
अहो सन्त मैं पूछहुँ तोहीं।
बात एक जो भाषो मोहीं।।
यहि घटमहँ को बोलत आही।
ज्ञानदृष्टि नहि सन्त चिन्हाही।।
जौ लगि ताहि न चीन्हहुँ भाई।
पाहन पूजि मुक्ति नहिं पाई।।
कोटि कोटि जो तीर्थ नहाओ।
सत्यनाम विन मुक्ति न पाओ।।
जिन सुन्दर यह साज बनाया।
नाना रंग रूप उपजाया।।
ताहि न खोजहु साहु के पूता।
का पाहन पूजहु अजगूता।।
धर्मदास सुनि चक्रित भयऊ।
पूजा पाती बिसरि सब गयऊ।।
एक टक मुख जो चितवत रहाई। पलकौ सुरति ना आनौ जाई।।
प्रिय लागै सुनि ब्रह्मका ज्ञाना।
विनय कीन्ह बहु प्रीति प्रमाना।।
◆ धर्मदास वचन (ज्ञान प्रकाश पृष्ठ 16)
अहो साहब तब बात पियारी।
चरण टेकि बहु विनय उचारी।।
अहो साहब जस तुम्ह उपदेशा। ब्रह्मज्ञान गुरू अगम संदेशा।।
छठयें दिवस साधु एक आये।
प्रीय बात पुनि उनहु सुनाये।।
अगम अगाधि बात उन भाखा।
कृत्रिम कला एक नहिं राखा।।
तीरथ व्रत त्रिगुण कर सेवा।
पाप पुण्य वह करम करेवा।।
सो सब उन्हहि एक नहिं भावै।
सबते श्रेष्ठ जो तेहि गुण गावै।।
जस तुम कहेहु बिलोई बिलोई।
अस उनहूँ मोहि कहा सँजोई।।
गुप्त भये पुनि हम कहँ त्यागी।
तिन्ह दरशन के हम बैरागी।।
मोरे चित अस परचै आवा।
तुम्ह वै एक कीन्ह दुइ भावा।।
तुम कहाँ रहो कहो सो बाता।
का उन्ह साहब कहँ जानहु ताता।।
केहि प्रभु कै तुम सुमिरण करहू।
कहहु बिलोइ गोइ जनि धरहू।।
◆ सतगुरू वचन
अहो धर्मदास तुम सन्त सयाना।
��ेखौ तोहि में निरमल ज्ञाना।।
धर्मदास मैं उनकर सेवक।
जहँहि सो भव सार पद भेवक।।
जिन कहा तुमहिं अस ज्ञाना।
तिन साहेब कै मोहि सहिदाना।।
वे प्रभु सत्यलोकके वासी।
आये यहि जग रहहि उदासी।।
नहिं वौ भग दुवार होइ आये।
नहिं वो भग माहिं समाये।।
उनके पाँच तत्त्व तन नाहीं।
इच्छा रूप सो देह नहिं आहिं।।
निःइच्छा सदा रहँहीं सोई।
गुप्त रहहिं जग लखै न कोई।।
नाम कबीर सन्त कहलाये।
रामानन्द को ज्ञान सुनाये।।
हिन्दू तुर्क दोउ उपदेशैं।
मेटैं जीवन केर काल कलेशैं।।
माया ठगन आइ बहु बारी।
रहैं अतीत माया गइ हारी।।
तिनहि पठावा मोहे तोहि पाही।
निश्चय उन्ह सेवक हम आही।।
अहो सन्त जो तुम कारज चहहू।
तो हमार सिखावन चित दे गहहू।।
उनकर सुमिरण जो तुम करिहौ। एकोतर सौ वंशा लै तरिहौ।।
वो प्रभु अविगत अविनाशी।
दास कहाय प्रगट भे काशी।।
भाषत निरगुण ज्ञान निनारा।
वेद कितेब कोइ पाव न पारा।।
तीन लोक महँ महतो काला।
जीवन कहँ यम करै जंजाला।।
वे यमके सिर मर्दन हारे।
उनहि गहै सो उतरै पारे।।
जहाँ वो रहहि काल तहँ नाहीं।
हंसन सुखद एक यह आही।।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के जेवर में बाईक से फेरीकर अपने घर जेवर लौट रहे बाईक सवार युवक को तेजगति से आ रही बेकाबू कार ने जोरदार टक्कर मार दी, जिससे युवक गंभीर रूप से घायल हो गया। परिजनों व राहगीरों की मदद से घायल को जेवर के निजी अस्पताल लाया गया, जहां चिकितसकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जेवर के मौहल्ला टंकीवाला निवासी 35 वर्षीय बादशाह मंगलवार की रात गांव कानीगढी से फेरी लगाकर मुंगफली बेचकर अपने घर बाईक से लौट रहा था। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के समीप बेकाबू कार चालक ने बाईक में जोरदार टक्कर मारते हुए बादशाह को घसीटकर काफी दुर तक ले गया यूचना पर पहुंचे परिजन व ग्रामीण बहोशी लहुलुहान अवस्था जेवर के निजी अस्पताल में पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया मौत की खबर सुनते ही परिजनों में चीखपुकार मच गयी।
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किसी के सिर में आए 100 टांके..तो किसी ने आग से कूदकर बचाई जान, दर्दनाक हादसे का शिकार हुए थे ये सितारे
किसी के सिर में आए 100 टांके..तो किसी ने आग से कूदकर बचाई जान, दर्दनाक हादसे का शिकार हुए थे ये सितारे #कस #क #सर #म #आए #टक..त #कस #न #आग #स #कदकर #बचई #जन #दरदनक #हदस #क #शकर #हए #थ #य #सतर
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रिलेशनशिप में 33 साल की एक्ट्रेस ने दिया दो टूक जवाब!
साउथ की पॉपुलर एक्ट्रेस तमन्ना भाटिया भले ही आजकल अपनी लाइफ का बेस्ट फेज जी रही हों, पर जब शादी की बात आती है तो वह थोड़ा झिझक जाती हैं. #रलशनशप #म #सल #क #एकटरस #न #दय #द #टक #जवब
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Round Table 2079 | Actors with YANGESH
अलि धेरै नै कुरायौं, अन्ततः राउण्ड टेबलको पहिलो सिजनको पहिलो टेबल टक अन एयर भयो है । नेपाली चलचित्र र यसका विविध पाटाहरु अभिनेताको आँखाहरुबाट Actors Round Table with YANGESHअब कुर्ने पालो हाम्रो, हामी तपाईंहरुको प्रतिक्रियाको पर्खाइमा छौं । #actorsroundtable #roundtable #NepaliCinema
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#ज्ञानगंगा_Part47
आओ विचार करें: उपरोक्त विराट रूप दिखाने का प्रमाण संक्षिप्त महाभारत गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित में प्रत्यक्ष है। जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि 'अर्जुन में बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।' जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवर्त हुआ हूँ। श्री कृष्ण जी काल नहीं थे, उनके दर्शन मात्र से मनुष्य, पशु (गाय आदि) प्रसन्न होकर श्री कृष्ण जी के पास आकर प्यार पाते थे। जिनके दर्शन बिना गोपियों का खाना, पीना छूट जाता था। इसलिए काल कोई और शक्ति है। वह श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत प्रवेश करके पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी
के ज्ञान रूप में चारों पवित्र वेदों का सार बोल गया। उसकी एक हजार भुजाएँ हैं। श्री कष्ण जी श्री विष्णु जी के अवतार थे, जिनकी चार भुजाएँ हैं। फिर अध्याय 11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान पवित्र वेदों के मंत्रों द्वारा उच्चारण कर रहे हैं तथा अपने जीवन की रक्षा के लिए मंगल कामना कर रहे हैं। कुछ आपके दाढ़ों में लटक रहे हैं, कुछ आप के मुख में समा रहे हैं। हे सहस्त्रबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले भगवान! आप अपने उसी चतुर्भुज रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को देखकर धीरज नहीं कर पा रहा हूँ।
अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाला प्रभु काल कह रहा है कि '��े अर्जुन यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।'
उपरोक्त विवरण से एक तथ्य तो यह सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा यहाँ युद्ध के मैदान में विराट रूप काल (श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेतवत् प्रवेश करके अपना विराट रूप काल) ने दिखाया था । नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे।
दूसरी यह बात सिद्ध हुई कि पवित्र गीता जी को बोलने वाला काल (ब्रह्म-ज्योति निरंजन) है, न कि श्री कृष्ण जी क्योंकि श्री कृष्ण जी ने पहले कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ तथा बाद में कभी नहीं कहा कि मैं काल हूँ। श्री कृष्ण जी काल नहीं हो सकते। उनके दर्शन मात्र को तो दूर-दूर क्षेत्र के स्त्री तथा पुरुष तड़फा करते थे।
नोट :- विराट रूप क्या होता है ?
विराट रूप आप दिन के समय या चाँदनी रात्री में जब आप के शरीर की छाया छोटी लगभग शरीर जितनी लम्बी हो या कुछ बड़ी हो, उस छाया के सीने वाले स्थान पर दो मिनट तक एक टक देखें, चाहे आँखों से पानी भी क्यों न गिरें। फिर सामने आकाश की तरफ देखें आपको अपना ही विराट रूप दिखाई देगा, जो सफेद रंग का आसमान को छू रहा होगा। इसी प्रकार प्रत्येक मानव अपना विराट रूप रखता है। परन्तु जिनकी भक्ति शक्ति ज्यादा होती है, उनका उतना ही तेज अधिक होता जाता है।
इसी प्रकार श्री कष्ण जी भी पूर्व भक्ति शक्ति से सिद्धि युक्त थे, उन्होंने भी अपनी सिद्धि शक्ति से अपना विराट रूप प्रकट कर दिया, जो काल के तेजोमय शरीर (विराट) से कम तेजोमय था। तीसरी बात यह सिद्ध हुई कि पवित्र गीता जी
बोलने वाला प्रभु काल सहस्त्रबाहु अर्थात् हजार भुजा युक्त है तथा श्री कष्ण जी तो श्री विष्णु जी के अवतार हैं जो चार भुजा युक्त है। श्री विष्णु जी सोलह कला युक्त है तथा श्री ज्योति निरंजन काल भगवान एक हजार कला युक्त है। जैसे एक बल्ब 60 वाट का होता है, एक बल्ब 100 वाट का होता है, एक बल्ब 1000 वाट का होता है, रोशनी सर्व बल्बों की होती है, परन्तु बहुत अन्तर होता है। ठीक इसी प्रकार दोनों प्रभुओं की शक्ति तथा विराट रूप का तेज भिन्न-भिन्न था।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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ढग हे माझे अनोळखे खरे मित्र.
मी अनेकदा पावसावर,वादळांवर लिहिलं आहे.पण ह्या गोष्टींचा उगगम करणाऱ्या ढगांवर लिहिलं नाही.आज मला माझ्या लहानपणीशेतात काम करतानाच्या आठवणी येऊन,भर पावसाळ्यात शेतात काम करत असताना पावसाची सर आल्यावर धावत घरात जाण्या अगोदर,आकाश कसं ढगाळायचं याची आठवण आली आणि ढग आठवले. मी ढगांकडे माझे अनोळखी मित्र समजून पहायचो आणि पहातो.आभाळात विहरणाऱ्या ढगांकडे विशिष्ट नजरेने त्यांच्याकडे टक लावून मला पाहावसं का…
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