#ज्येष्ठ माह में गर्मी
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*🚩🏵️ॐगं गणपतये नमः 🏵️🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (अमावस्या तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक :-06-जून-2024
वार:--------गुरुवार
तिथी :---30अमावस्या:-18:07
पक्ष :---------कृष्णपक्ष
माह:--------ज्येष्ठ
नक्षत्र :------रोहिणी:-20:16
योग:-------धृति-22:08
करण:-----चतुष्पाद:-06:58
चन्द्रमा:-------वृषभ
सूर्योदय:------05:49
सूर्यास्त:------19:24
दिशा शूल------दक्षिण
निवारण उपाय:-----राई का सेवन
ऋतु :---------ग्रीष्म ऋतु
गुलीक काल:-----09:11से10:52
राहू काल:--14:22से16:03
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2081
शक सम्वंत ............1946
युगाब्द ..................5126
सम्वंत सर नाम:----कालयुक्त
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-05:49से07:30तक
चंचल:-10:52से12:33तक
लाभ:-12:33से14:14तक
अमृत:-14:14से15:55तक
शुभ:-17:43से19:24तक
🌗चोघङिया रात🌓
अमृत:-19:24से20:43तक
चंचल:-20:43से22:02तक
लाभ:-00:33से01:52तक
शुभ:-03:11से04:30तक
अमृत:-04:30से05:49तक 🙏आज के विशेष योग🙏 वर्ष का 59वा दिन, शनैश्चर जयंती, देव -पित्र अमावस्या, वटपूजन (राजस्थान अमावस्या पक्ष), बडपूजन-भावुका अमावस्या, वटसावित्री व्रत (मरुस्थल) अन्वाधान, धनिष्ठा- नवक समाप्त20:16, मृत्युयोग 20:16से सूर्योदय, रोहिणी व्रत (जैन), संत ज्ञानेश्वर महाराज जयंती,
🙏🪷टिप्स🪷🙏
वटसावित्री व्रत पर बेसन से बनी चीजें, जैसे हलवा लड्डू या बर्फी का ही सेवन करें।
सुविचार
फायदा खुद को समझने में है औरो को तो वक्त खुद-ब-खुद समझा देगा।👍 सदैव खुश मस्त स्वास्थ्य रहे।
राधे राधे वोलने में व्यस्त रहे।
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
🌷 *शरीर में ठंडी या गर्मी हो तो* 🌷
🔥जिसके शरीर में बहुत गर्मी हो ...आँखे जलती हों उसको रात को सोते वक्त दायीं करवट लेकर थोड़ा सोना चाहिए तो शरीर की गर्मी कम हो जाएगी और जिनका शरीर ठंडा पड़ जाता हो और ढीला हो उसको बायीं करवट सोना चाहिए।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज आपकी कार्यशैली से लोग प्रभावित होंगे। किसी व्यक्ति विशेष से आकर्षित होंगे। संपत्ति संबंधी कार्यों के लिए दिन अनुकूल रहने की संभावना है। आजीविका के साधनों को बढ़ाने में लगे रहेंगे।
☀️ वृषभ राशि :- आज आप जिन लोगों पर अति विश्वास कर रहे हैं, वह आपको धोखा देने में लगे हैं। धैर्य व संयम आपको सफलता देगा। राजनीतिक नया परिचय लाभदायक रहेगा।
☀️ मिथुन राशि :- आज पारिवारिक विवादों के कारण आप तनाव में रहेंगे। मन अनुकूल समाचार मिलने से खुश होंगे। बहनों के विवाह की चिंता रहेगी। पिता के व्यवसाय में आप की रूचि बढ़ेगी।
☀️ कर्क राशि :- आज समय रहते विवादों को सुलझा लें। सामाजिक आयोजनों का हिस्सा बनेंगे। घर-परिवार में मांगलिक आयोजनों की रुपरेखा बनेगी। धन का प्रबंध करने में कष्ट होगा।
☀️ सिंह राशि :- आज आलसी प्रवृति को त्यागें। संतान की बुरी आदतों के कारण आप परेशान रहेंगे। परिवार में शुभ कार्य का निर्णय होगा। किसी से बात करते वक्त अपनी बात को कहने में संकोच करेंगे। सद्भाव निर्णायक रहेगी।
☀️ कन्या राशि :- आज काम को टालना बंद करें और समझदारी और जिम्मेदारी से कार्य पूर्ण करें। दांपत्य जीवन में अनुकूलता रहेगी। कार्यस्थल पर आपकी बु��्धिमानी से राज्यपक्ष की समस्या का समाधान हो सकेगा।
☀️ तुला राशि :- आज आप विशेष ध्यान दें अपनी भूलने की आदत के कारण जीवन-साथी से विवाद, मतभेद होंगे। कार्य में नुकसान से मनोबल कमजोर होगा। उधार दिया पैसा बड़ी मुश्किल से आयेगा।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज व्यस्तता के कारण जरूरी कार्य अधूरे ही रहेगें। मित्रों एवं सहयोगियों पर अधिक विश्वास नहीं करना चाहिए। व्यापार के निर्णय सोच-समझकर लें। सुदूर जाने के योग हैं।
☀️ धनु राशि :- आज अपने कार्य से लोगों को अचम्भित करेंगे। आर्थिक लाभ होगा और ख्याति भी मिलेगी। खान-पान में अनियमितता से कष्ट हो सकता है। व्यापार में कल्पना के अनुसार परिणाम आएंगे।
☀️ मकर राशि :- आज स्वास्थ्य संबंधित समस्या का समाधान होगा। धन संपत्ति के कामों में प्रबल सफलता मिलने के योग हैं। कार्यस्थल पर विवादों से दूर रहें। कर्मचारियों से परेशान रहेंगे।
☀️ कुंभ राशि :- आज कारोबार में अधिकारियों से संबंध सुधरेंगे। भूमि व संपत्ति संबंधी कार्यों में लाभ की संभावना है। पारिवारिक सुख में वृद्धि के योग हैं। व्यापार अच्छा चलेगा। कर्म करें, फल की इच्छा न करें।
☀️ मीन राशि :- आज काम की व्यस्तता में निजी जीवन को नजर अंदाज न करें। आय से अधिक व्यय होने से बजट बिगड़ सकता है। कष्ट से मुक्ति मिलेगी।
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Jyeshtha Month 2024: 24 मई से शुरू हो रहा है ज्येष्ठ माह, जानिए इसका महत्वJyeshtha Month 2024: ज्येष्ठ माह में सबसे अधिक गर्मी होती है। यह महीना हिंदी कैलेंडर का तीसरा महीना है। ज्येष्ठ माह में जल संरक्षण को विशेष महत्व दिया जाता है। इस वर्ष 2024 में ज्येष्ठ माह 24 मई 2024 से शुरू हो रहा है, यह 23 जून 2024 को समाप्त होगा।
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ज्येष्ठ मास में आने वाले 10 बड़े त्योहार कौन से हैं?
Jyeshtha maas 2023 vrat and tyohar 2023: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का तीसरा माह ज्येष्ठ माह होता है। इस बार ज्येष्ठ का प्रारंभ अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 6 मई 2023 से होकर 4 जून तक रहेगा। इस माह में गर्मी अपने चरम पर होती है। इसी माह में नौतपा प्रारंभ होता है। ज्येष्ठ माह में इसीलिए जल का महत्व बढ़ जाता है। आओ जानते हैं इस मास के व्रत एवं त्योहारों की एक लिस्ट। 10 बड़े व्रत और त्योहार :- अचला…
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Nautapa 2022: ग्रहीय दशा से और झुलसाएगी गर्मी, इस महीने शुरू होंगे नौतपा
Nautapa 2022: ग्रहीय दशा से और झुलसाएगी गर्मी, इस महीने शुरू होंगे नौतपा
Nautapa 2022: ज्येष्ठ माह में गर्मी और अधिक झुलसाएगी। ग्रहीय दशा के प्रभाव से मौसम का मिजाज बदलेगा तो तापमान में अधिक वृद्धि होगी। 25 मई से सूर्य रोहिणी नक्षत्र में गोचर करेगा तब नौतपा शुरू हो जाएगा। यानी नौतपा में नौ दिन तक अधिक गर्मी पड़ेगी। इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ेंगी। नौतपा का असर 25 मई से 2 जून 2022 तक देखने को मिलेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के…
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नौतपा कब से लगेगा, क्यों जरूरी है तपना, क्या इस बार झमाझम होगी बारिश? #news4
Nautapa 2022: प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ माह में नौतपा प्रारंभ होता है। इस बार नौतपा 25 मई 2022 बुधवार से प्रारंभ होगा। क्या कहती है भविष्वाणी की इस बार नौतपा तपेगा या गलेगा। क्या होगी झमाझम बारिश या कि सामान्य रहेगी वर्षा। आओ जानते हैं। 1. कब से कब तक रहेगा नौतपा : सूर्य 15 दिन के लिए रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने लगता है। इन पंद्रह दिनों के पहले के 9 दिन ��र्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं…
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Jyeshtha Maas: शुरू हो चुका है ज्येष्ठ माह, जानें इस माह का वैज्ञानिक महत्व
हिन्दू कैलेंडर के तीसरे माह को ज्येष्ठ नाम से जाना जाता है इसे आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महिना भी कहा जाता है। शास्त्रों में ज्येष्ठ के महिने का खास धार्मिक महत्व बताया गया है। इस बार यह माह अंग्रेजी महीने मई की 27 तारीख से शुरू हो गया है और 25 जून को समाप्त होगा। इसके नाम को लेकर कहा जाता है कि, चूंकि इस महीने में सूर्य अत्यंत शक्तिशाली होता है जिससे भयंकर गर्मी होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है।
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ज्येष्ठ माह को आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महिना भी कहा जाता है। इस महिने में भारत के उत्तरी भाग में भीषण गर्मी पड़ती
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'वृषभ संक्रांति' पर अन्न और जल के दान, पूरी होगी मनोकामना
हिन्दू धर्म अनुसार, जब सूर्य मेष राशि से निकलकर वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तो यह परिवर्तन वृषभ संक्रांति कहलाता है। इस साल वृषभ संक्रांति 14 मई को मनाई जाएगी। यह पर्व हिंदी कैलेंडर अनुसार, साल के तीसरे महीने में मनाई जाती है। इस दिन नदियों और सरोवरों में स्नान-ध्यान हेतु श्रधालुओं की भीड़ उमड़ती है।लेकिन कोरोना के चलते नदियों में स्नान करने से बचना चाहिए और घर पर ही पानी में गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों का जल मिलकार नहा लेना चाहिए। वृष संक्रांति पर पानी में तिल डालकर नहाने से बीमारियां दूर होती हैं और लंबी उम्र मिलती है।
इस संक्रांति पर अन्न और जल दान का विशेष महत्व है। वृषभ संक्रांति से ज्येष्ठ माह की शुरुआत होना माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और सूर्यदेव की आराधना करें। वृषभ संक्रांति पर प्याऊ लगवाने और जल से भरे घड़े का दान करने से पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन उपवास कर भगवान को खीर का भोग लगाएं। इस दिन गोदान का विशेष महत्व है। इस दिन ब्राह्मण को पानी से भरा घड़ा दान करें। व्रत रखने वाले व्यक्ति को रात्रि में जमीन पर सोना चाहिए।
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहा जाता है। 12 राशियां होने से सालभर में 12 संक्रांति पर्व मनाए जाते हैं। यानी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हर महीने के बीच में सूर्य राशि बदलता है। सूर्य के राशि बदलने से मौसम में भी बदलाव होने लगते हैं। इसके साथ ही हर संक्रांति पर पूजा-पाठ, व्रत-उपवास और दान किया जाता है। वहीं धनु और मीन संक्रांति के कारण मलमास और खरमास शुरू हो जाते हैं। इसलिए एक महीने तक मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार 14 या 15 मई को वृष संक्रांति पर्व मनाया जाता है। सूर्य की चाल के अनुसार इसकी तारीख बदलती रहती है। इस दिन सूर्य अपनी उच्च राशि छोड़कर वृष में प्रवेश करता है। जो कि 12 में से दूसरे नंबर की राशि है। वृष संक्रांति ज्येष्ठ महीने में आती है। इस महीने में ही सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है और नौ दिन तक गर्मी बढ़ाता है। जिसे नवतपा भी कहा जाता है। वृष संक्रांति में ही ग्रीष्म ऋतु अपने चरम पर रहती है। इसलिए इस दौरान अन्न और जल दान का विशेष महत्व है।
इस दिन शुभ मुहूर्त सुबह में 10 बजकर 19 मिनट से लेकर शाम के 5 बजकर 33 मिनट तक है। जबकि महा फलदायी शुभ मुहूर्त दोपहर में 3 बजकर 17 मिनट से लेकर शाम के 5 बजकर 33 मिनट तक है। इस अवधि में स्नान-ध्यान जप तप और दान कर सकते हैं। इसके अलावा, आप चौघड़िया तिथि अमृत, शुभ, लाभ और चर के समय में भी पूजा-आराधना कर सकते हैं।
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जेठ की चिलचिलाती धूप अभी बाहर बड़े अच्छे से आषाढ़ की बारिश हो रही है – आषाढ़ – जो अभी और सप्ताह के बाद समाप्त हो जाएगा और श्रावण माह का आरम्भ हो जाएगा झमाझम बारिश के साथ | पेड़ पौधों से झरती बरखा की बूँदें सुरीला राग छेड़ती तन मन को गुदगुदा रही हैं | अभी पिछले दिनों ज्येष्ठ माह में जब चिलचिलाती धूप ने सबको बेहाल किया हुआ था तब हर कोई आषाढ़ की एक बूँद की प्रतीक्षा कर रहा था | कितने मजेदार बात है न कि जब गर्मी पड़ती है तो बारिश की बाट जोहते हैं, बारिश कई दिनों तक हो जाए तो उसे भी परेशान हो जाते हैं और सर्दी की राह देखने लगते हैं | कहने का मतलब ये कि किसी एक मौसम से मन सन्तुष्ट नहीं होता | लेकिन जो व्यक्ति हर मौसम का आनन्द उठाना जानता है उसके लिए सारे मौसम एक सामान आनन्ददायक होते हैं | यही स्थिति जीवन की भी है | जीवन में भी सुख दुःख धूप छाँव की तरह साथ साथ चलते रहते हैं | जो व्यक्ति इस सबमें समभाव रहता हुआ जीवन व्यतीत करता है वास्तव में उसका जीवन ही जीवन है | कुछ ऐसा ही इन रचनाओं में कहने का प्रयास किया है | प्रस्तुत है हमारी आज की रचना – जेठ की चिलचिलाती धूप...
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Ganga Dussehra 2020: गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी व्रत से समझिए पानी का महत्व
Ganga Dussehra 2020: गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी व्रत से समझिए पानी का महत्व
सार
1 जून को गंगा दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा पर मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वीलोक में आईं थीं।
विस्तार
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा और एकादशी तिथि पर निर्जला एकादशी की त्योहार मनाया जाता है। यह दोनों व्रत ज्येष्ठ माह में पानी के महत्व पर बल देते हैं। ज्येष्ठ के माह में गर्मी अपने चरम पर होती है। इसी महीने नौतपा भी आरंभ हो जाता…
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नौतपा क्या होता है और क्यों इसमें गर्मी बढ़ जाती है, जानिए #news4
Nautapa 2022: 25 मई 2022 ग्रीष्म ऋतु ज्येष्ठ माह में नौतपा प्रारंभ होगा, जो 3 जून तक चलेगा। नौतपा में प्रचंड गर्मी पड़ती है। क्या होता है नौतपा- What happens nautapa : सूर्य 15 दिन के लिए रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने लगता है। इन पंद्रह दिनों के पहले के 9 दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती 9 दिनों को नौतपा कहते हैं। नौतपा में क्यों इतनी गर्मी बढ़ जाती है- Why does the heat increase…
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सृष्टि में विद्रोही देवता के रूप में जाने जाते हैं शनिदेव
चैतन्य भारत न्यूज शनि जयंती आमतौर पर पूरे भारत में पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाई जाती है। वहीं दक्षिण भारत के अमावस्यांत पंचांग के अनुसार शनि जयंती वैशाख अमावस्या को मनाई जाती है। उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को शनि जयंती के साथ- साथ वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। मध्य भारत में वट- सावित्री व्रत पूर्णिमा को मनाया जाता है। सूर्यदेव के पुत्र हैं शनिदेव शनिदेव भगवान सूर्य तथा संवर्णा (छाया) के पुत्र हैं। शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। वाहन गिद��ध हैं और वर्ण कृष्ण है। कृष्ण वर्ण होने की भी एक कथा है। शनिदेव के जन्म के बारे में स्कंदपुराण के काशीखंड की कथा के अनुसार राजा दक्ष की कन्या संज्ञा का विवाह सूर्यदेवता के साथ हुआ। सूर्यदेवता का तेज बहुत अधिक था। इसे लेकर संज्ञा परेशान रहती थी। वह सोचा करती थीं कि किसी तरह तप आदि से सूर्यदेव की अग्नि को कम करना होगा। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, संज्ञा के गर्भ से वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना तीन संतानों ने जन्म लिया। संज्ञा अब भी सूर्यदेव के तेज से घबराती थीं। फिर एक दिन उन्होंने निर्णय लिया कि वे तपस्या कर सूर्यदेव के तेज को कम करेंगी लेकिन बच्चों के पालन- पोषण और सूर्यदेव को इसकी भनक न लगे, इसके लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली। संज्ञा ने अपने तप से अपनी हमशक्ल को पैदा किया। जिसका नाम उन्होंने संवर्णा (छाया) रखा। संज्ञा ने बच्चों और सूर्यदेव की जिम्मेदारी अपनी छाया संवर्णा को दी और कहा कि अब से मेरी जगह तुम सूर्यदेव की सेवा और बच्चों का पालन करते हुए स्त्री धर्म का पाल�� करोगी लेकिन यह राज केवल मेरे और सिर्फ तुम्हारे बीच ही रहना चाहिए। संज्ञा वहां से चलकर पिता के घर पहुंची और अपनी परेशानी बताई। पिता ने उसे डांट-फटकार लगाते हुए वापस भेज दिया लेकिन संज्ञा वापस न जाकर वन में चली गईं और तपस्या में लीन हो गईं। उधर सूर्यदेव को तनिक भी आभास नहीं हुआ कि उनके साथ रहने वाली संज्ञा नहीं संवर्णा है। संवर्णा अपने धर्म का पालन करती रही। छाया रूप होने के कारण उसे सूर्यदेव के तेज से भी कोई परेशानी नहीं हुई। सूर्यदेव और संवर्णा के मिलन से भी तीन संतानों मनु, शनिदेव और भद्रा (तपती) ने जन्म लिया। शनिदेव के जन्म की दूसरी कथाः इस कथा में शनिदेव के कृष्ण वर्ण के होने के कारण का भी उल्लेख है। इस कथा के अनुसार शनिदेव का जन्म महर्षि कश्यप के अभिभावकत्व में कश्यप यज्ञ से हुआ था। छाया शिव की भक्त थीं। जब शनिदेव छाया के गर्भ में थे तो छाया ने भगवान शिव की इतनी कठोर तपस्या की कि उन्हें खाने-पीने की सुध तक न रही। भूख- प्यास, धूप-गर्मी सहने के कारण उसका प्रभाव छाया के गर्भ में पल रही संतान अर्थात शनि पर भी पड़ा और उनका रंग कृष्ण (काला) हो गया। जब शनिदेव का जन्म हुआ तो उनका रंग देखकर सूर्यदेव ने छाया पर भी संदेह किया और उन्हें अपमानित करते हुए कह दिया कि यह मेरा पुत्र नहीं हो सकता। मां के तप की शक्ति शनिदेव में भी आ गई थी। उन्होंने क्रोधित होकर अपने पिता ��ूर्यदेव को देखा तो सूर्यदेव बिलकुल काले हो गए, उनके घोड़ों की चाल रूक गई। परेशान होकर सूर्यदेव को भगवान शिव की शरण लेना पड़ी। इसके बाद भगवान शिव ने सूर्यदेव को उनकी गलती का अहसास करवाया। सूर्यदेव अपने किए पर पछतावा करने लगे और उन्होंने अपनी गलती के लिए क्षमायाचना की। इस पर उन्हें फिर से अपना असली रूप वापस मिला। लेकिन पिता-पुत्र का संबंध एक बार खराब हुआ तो फिर सुधर नहीं पाया। आज भी शनिदेव को अपने पिता सूर्य का विद्रोही माना जाता है। क्रूर ग्रह है शनिः फलित ज्योतिष में शनि को एक क्रूर ग्रह माना जाता है। इससे संबंधित एक कथा भी है। ब्रह्म पुराण की एक कथा के मुताबिक बचपन से ही शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त थे। वे श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहा करते थे। वयस्क शनिदेव के पिता ने चित्ररथ की कन्या से उनका विवाह करा दिया था। शनिदेव की पत्नी सती- साध्वी और परम तेजस्विनी थी। एक रात वह ऋतु स्नान करके पुत्र पाने की इच्छा से शनिदेव के पास पहुंची लेकिन शनिदेव श्रीकृष्ण के ध्यान में इस कदर खोए हुए थे कि उनकी दृष्टि पत्नी पर भी नहीं पड़ी। पत्नी का ऋतुकाल भी निष्फल हो गया। इससे वे क्रोधित हो गईं। क्रोध में शनिदेव की पत्नी ने उन्हें श्राप दे दिया कि पत्नी होने पर भी आपने मुझे कभी प्यार से नहीं देखा। अब आप जिसे भी देखेंगे उसका कुछ-न- कुछ अनिष्ट होगा। यही वजह है कि शनि की दृष्टि को अनिष्टकारी माना जाता है। न्याय के देवता शनिदेव नीतिगत न्याय करते हैं। कहा जाता है कि शनि के वक्री होने से लोगों को पीड़ा होती है। इसलिए शनि की दशा से पीड़ित लोगों को शनि जयंती के दिन उनकी पूजा- आराधना करनी चाहिए। वे न्याय के देवता हैं, योगी, तपस्या में लीन और हमेशा दूसरों की सहायता करने वाले होते हैं। शनि ग्रह को न्याय का देवता कहा जाता है। शनि देव जीवों को सभी कर्मों का फल प्रदान करते हैं। शनिदेव का नाम या स्वरूप ध्यान में आते ही मनुष्य भयभीत अवश्य होता है लेकिन कष्टतम समय में जब शनिदेव से प्रार्थना कर उनका स्मरण करते हैं तो शनिदेव ही कष्टों से मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं। Read the full article
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Jyeshtha month: The grace of Sun God will be met from these works
ज्येष्ठ माह कल से होगा शुरू, इन कार्यों से मिलेगी वरुण और सूर्य देव की कृपा
हिन्दू कैलेंडर में ज्येष्ठ का महीना तीसरा महीना होता है जो इस बार 19 मई यानी शनिवार से शुरू होगा और 17 जून तक रहेगा। इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवर होता है, इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। चूंकि ज्येष्ठ का महीना वैशाख के महीने के बाद आता है। अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो ये महीना हमेशा जून और मई के महीने में ही आता है। ऐसे में माना जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है। इसलिए भी इस महीने को ज्येष्ठ नाम दिया गया है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क��लिक करें – https://www.bhaskarhindi.com/news/jyeshtha-month-the-grace-of-sun-god-will-be-met-from-these-works-68208
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शुक्रवार, 22 मई को शनि जयंती है। प्राचीन समय ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर शनिदेव का जन्म हुआ था। इस तिथि पर शनि पूजा के साथ ही पितरों के लिए भी विशेष धूप-ध्यान करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ��र माह अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण कर्म करना चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने की परंपरा है। अभी नेशनल लॉकडाउन की वजह से नदी स्नान करने से बचें। घर पर ही पवित्र नदियों के नामों का जाप करते हुए स्नान करें।
पितरों के लिए करें धूप-ध्यान
अमावस्या तिथि पर एक लोटे में जल भरें, जल में फूल और तिल मिलाएं। इसके बाद ये जल पितरों को अर्पित करें। जल अर्पित करने के लिए जल हथेली में लेकर अंगूठे की ओर से चढ़ाएं। कंडा जलाकर उस पर गुड़-घी डालकर धूप अर्पित करें। पितरों का ध्यान करें।
घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को दान करें
अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। अभी लॉकडाउन की वजह से काफी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को अपने सार्मथ्य के अनुसार अनाज और वस्त्र का दान भी करें। गर्मी से बचाने वाली चीजें जैसे छाते का दान करें। जिन लोगों के पास जूते-चप्पल नहीं है, उन्हें ये चीजें दान करें।
शुक्रवार और अमावस्या का योग
शुक्रवार और अमावस्या के योग में सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं। देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें।
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Jyeshtha Amavasya on 22 may, Shani Puja, pitra puja on amawasya, shani dev puja, goddess laxmi puja on amawasya
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लॉकडाउन में कैसे होंगे बड़े मंगल के भंडारे? लखनऊ में 'ई-भंडारे' का प्लान
लॉकडाउन में कैसे होंगे बड़े मंगल के भंडारे? लखनऊ में ‘ई-भंडारे’ का प्लान
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फाइल फोटो
लखनऊ देश में बड़े मंगल को काफी उत्साह से मनाया जाता है। लोग जगह-जगह पर भंडारे लगाकर गरीबों का पेट भरते हैं। माना जाता है कि ज्येष्ठ माह में भरी गर्मी के बीच लोगों का पेट भरना काफी पुण्य का काम होता है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन की वजह से लोगों को भंडारे करने की इजाजत नहीं दी जा रही है। हालांकि लखनऊ में इस साल खास तरह से ‘ई-भंडारे’ की योजना बनाई गई है। 12…
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