#ज्येष्ठ महीना
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ravinderbhan · 2 years ago
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#मगहर_लीला God Kabir Nirvana diwas 💎 *कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस* 💎 आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी सशरीर सतलोक गये थे। परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं। चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो। च्यारि दाग से रहत जुलहद��, अविगत अलख अमाना हो।। हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला। बीरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो। दो चदरि बकसीस करी हैं, दीनां यौह प्रवाना हो।। कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया। कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।। कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है। आज तक जितने भी अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है श्रीराम जी, श्रीकृष्ण जी, परशुरामजी आदि और वे सब मृत्यु को भी प्राप्त हुए। जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा। वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये। ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता हुआ इधर-उधर जाता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता फिरता है। #कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023 #मगहर_लीला #SantRampalJiMaharaj अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry https://www.instagram.com/p/Cn3IAlBSvRs/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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akhaidas · 2 years ago
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🎈 *कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस* 🎈 आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहिब जी सशरीर सतलोक गये थे। परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं! चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो। च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।। हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा-आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला। बीरसिंह बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो। दो चदरि बकसीस करी हैं, दीनां यौह प्रवाना हो।। कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया। कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।। कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है। आज तक जितने भी अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है श्रीराम जी, श्रीकृष्ण जी, परशुरामजी आदि और वे सब मृत्यु को भी प्राप्त हुए। जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा। वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये। ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता हुआ इधर-उधर जाता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता फिरता है। #कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023 #मगहर_लीला #SantRampalJiMaharaj अधिक जानकारी के लिए Sant Rampal Ji Maharaj > App Play Store से डाउनलोड करें और Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें। संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें। ⬇️⬇️ https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry https://www.instagram.com/p/Cn2K9F4IwD_/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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indlivebulletin · 3 months ago
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राशियाँ: शुक्र शनि की शुभ दृष्टि से यह राशि समृद्ध होगी
अक्टूबर 2024 का महीना ग्रहों के गोचर का विशेष महीना रहा है। ग्रहों की चाल के अनुसार इस महीने के आखिरी दिन बेहद खास साबित होने वाले हैं। 27 अक्टूबर 2024 को शुक्र ज्येष्ठ में प्रवेश करेगा, इसलिए इस तिथि पर सूर्य और चंद्रमा वैधृति योग महापात दोष बना रहे हैं, जबकि 27 तारीख को ही बुध और बृहस्पति षडाष्टक योग बना रहे हैं। 28 अक्टूबर को ग्रहों का स्वामी मंगल अपना नक्षत्र बदलकर पुष्य राशि में गोचर करेगा,…
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jeevanjali · 8 months ago
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Jyeshtha Month 2024: 24 मई से शुरू हो रहा है ज्येष्ठ माह, जानिए इसका महत्वJyeshtha Month 2024: ज्येष्ठ माह में सबसे अधिक गर्मी होती है। यह महीना हिंदी कैलेंडर का तीसरा महीना है। ज्येष्ठ माह में जल संरक्षण को विशेष महत्व दिया जाता है। इस वर्ष 2024 में ज्येष्ठ माह 24 मई 2024 से शुरू हो रहा है, यह 23 जून 2024 को समाप्त होगा।
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nisthadhawani · 2 years ago
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Shravan Month 2023 : हिन्दू धर्म में क्यों है सावन का इतना महत्त्व ?
Shravan Month :- सावन का महीना भारतीय हिंदू पंचांग में आने वाले मासों में से एक होता है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है। यह माह ज्येष्ठ मास के बाद और भाद्रपद मास के पहले आता है और मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार विशेष महत्व रखता है। भगवान भोलेनाथ की उपासना करने के लिए यह माह सर्वोत्तम बताया गया है।  कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस माह में सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ…
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webmorch-blog · 2 years ago
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June 2023: जून माह इन राशियों के लिए सुनहरा होगा साबित
June 2023: जून का माह वर्ष छठवा महीना होता है। जून का महीना ग्रहों के गोचर और नक्षत्रों की चाल के लिहाज से बहुत अहम रहने वाला है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार जून महीने में चार ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा। जून महीने का आरंभ चित्रा नक्षत्र में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि में होगा। (June 2023) हिंदू पंचांग के अनुसार 4 जून तक ज्येष्ठ का महीना रहेगा फिर इसके बाद आषाढ माह की शुरुआत हो जाएगी। आषाढ का महीना…
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jantatv01 · 2 years ago
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jaykumars-world · 2 years ago
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#मगहर_लीला
कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस
आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी सशरीर सतलोक गये थे।
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला।
बीरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी हैं, दीनां यौह प्रवाना हो।।
कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया।
कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है।
आज तक जितने भी अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है श्रीराम जी, श्रीकृष्ण जी, परशुरामजी आदि और वे सब मृत्यु को भी प्राप्त हुए।
जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा।
वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये।
ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता हुआ इधर-उधर जाता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता फिरता है।
#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
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parveendassi · 2 years ago
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💎 *कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस* 💎
आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी सशरीर सतलोक गये थे।
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला।
बीरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी हैं, दीनां यौह प्रवाना हो।।
कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया।
कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है।
आज तक जितने भी अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है श्रीराम जी, श्रीकृष्ण जी, परशुरामजी आदि और वे सब मृत्यु को भी प्राप्त हुए।
जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा।
वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये।
ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता हुआ इधर-उधर जाता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता फिरता है।
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ravinderbhan · 2 years ago
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आज से लगभग 505 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब जी सशरीर सतलोक गये थे।
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं।
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो।
च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो।।
हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला।
बीरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी हैं, दीनां यौह प्रवाना हो।।
कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू-नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया।
कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है।
आज तक जितने भी अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है श्रीराम जी, श्रीकृष्ण जी, परशुरामजी आदि और वे सब मृत्यु को भी प्राप्त हुए।
जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा।
वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये।
ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता हुआ इधर-उधर जाता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता फिरता है।
#कबीरपरमेश्वर_निर्वाणदिवस 1 फरवरी 2023
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jeevanjali · 8 months ago
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Jyeshta Month 2024 Date: ज्येष्ठ माह में ये उपाय करने से मां लक्ष्मी होती हैं मेहरबान Jyeshta Month 2024: 24 मई 2024 से ज्येष्ठ माह शुरू होने जा रहा है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह साल का तीसरा महीना होता है।
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bhaskarhindinews · 6 years ago
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Jyeshtha month: The grace of Sun God will be met from these works
ज्येष्ठ माह कल से होगा शुरू, इन कार्यों से मिलेगी वरुण और सूर्य देव की कृपा
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हिन्दू कैलेंडर में ज्येष्ठ का महीना तीसरा महीना होता है जो इस बार 19 मई यानी शनिवार से शुरू होगा और 17 जून तक रहेगा। इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवर होता है, इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है। सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। चूंकि ज्येष्ठ का महीना वैशाख के महीने के बाद आता है। अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो ये महीना हमेशा जून और मई के महीने में ही आता है। ऐसे में माना जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में होता है। इसलिए भी इस महीने को ज्येष्ठ नाम दिया गया है।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें – https://www.bhaskarhindi.com/news/jyeshtha-month-the-grace-of-sun-god-will-be-met-from-these-works-68208
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everynewsnow · 4 years ago
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वास्तु शास्त्र: ये 10 उपाय जो आपकी सोई हुई किस्मत जगाएं, घर में आती है सुख समृद्धि और वैभव
वास्तु शास्त्र: ये 10 उपाय जो आपकी सोई हुई किस्मत जगाएं, घर में आती है सुख समृद्धि और वैभव
वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में बहुत महत्व �� समान्य भाषा में किसी स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का विकास करना और नकारात्मक ऊर्जा को उस स्थान से दूर करना ही वास्तु शास्त्र है। इस संबंध में जानकारों का मानना ​​है कि जिस प्रकार हम जीवन में सही और सफल कार्य करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं, ठीक उसी तरह जिस जगह हम रहते हैं फिर से वह चाहे हमारा घर हो या हमारा कार्यालय। यदि वहाँ सकारात्मक ऊर्जा…
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anujsinghmar · 3 years ago
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🎐कबीर परमेश्वर की मगहर लीला🎐
आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व सन् 1518 वि. स. 1575 महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी को कबीर साहेब सशरीर सतलोक गये थे।
काशी के ब्राह्मणों ने गलत अफवाह फैला रखी थी कि जो काशी में मरता है स्वर्ग जाता है और जो मगहर में शरीर छोड़ता है वह गधे का जन्म पाता है। कबीर परमेश्वर जी मनमाने लोकवेद का खंडन करने के लिए मगहर में सबके सामने सशरीर गये। शरीर की जगह सुगंधित फूल मिले और भविष्यवाणी कर बताया कि मैं स्वर्ग और महास्वर्ग से ऊपर अविनाशी धाम सतलोक जा रहा हूँ।
"मगहर का मौहल्ला कबीर करम"
कबीर परमेश्वर जी ने मगहर रियासत में 14वीं शताब्दी में पड़े भीषण अकाल को अपनी समर्थ शक्ति से टालकर वर्षा करके सबको जीवनदान दिया। हजारों हिंदू-मुसलमानों ने उपदेश लिया। एक 70 वर्षीय निःसंतान मुसलमान दंपती को पुत्र होने का आशीर्वाद दिया। वर्तमान में उस व्यक्ति का एक पूरा मौहल्ला बना हुआ है, नाम है "मौहल्ला कबीर करम"
मगहर में पहुंचते ही परमात्मा कबीर जी ने जब बहते पानी में स्नान करने की इच्छा जताई तो बिजली खां ने कहा कि यहां एक आमी नदी है जो शिवजी के श्राप से सूखी हुई है। परमात्मा कबीर जी ने नदी के किनारे पर पहुंचकर इशारे से वर्षों से सूखी नदी में जल प्रवाहित कर दिया।
परमात्मा कबीर जी चार दाग से न्यारे हैं!
चदरि फूल बिछाये सतगुरु, देखें सकल जिहाना हो । च्यारि दाग से रहत जुलहदी, अविगत अलख अमाना हो ।।
जिंदा जोगी जगत् गुरु, मालिक मुरशद पीर।
दहूँ दीन झगड़ा मंड्या, पाया नहीं शरीर।।
हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मुस्लिम राजा बिजली ख़ाँ पठान को कबीर परमात्मा ने सतलोक जाने से पहले कहा जो मेरे जाने के बाद मिले आधा आधा बांट लेना। दो चद्दर और सुगंधित फूल मिले, परमात्मा का शरीर नहीं मिला था। शरीर की जगह सुगन्धित पुष्प मिले जिस वजह से हिन्दू मुस्लमान का भयंकर युद्ध टला था। वे सभी एक दूसरे के सीने से लग कर रोये थे जैसे किसी बच्चे की माँ मर जाती है। यह समर्थता कबीर परमेश्वर जी ने दिखाई जिससे गृहयुद्ध टला।
बीरसिंघ बघेला करै बीनती, बिजली खाँ पठाना हो।
दो चदरि बकसीस करी हैं, दीना यौह प्रवाना हो।।
मगहर में आज भी जीवंत रूप में देखा जा सकता है।
मगहर में जहाँ कबीर परमेश्वर जी सशरीर सतलोक गए थे, वहां 100-100 फुट की दूरी पर एक-एक यादगार बनाई जो आज भी विद्यमान है।
यह दोनों धर्मों हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे व सद्भावना की एक मिसाल का प्रमाण है।
"कबीर, विहंसी कहयो तब तीनसै, मजार करो संभार।
हिन्दू तुरक नहीं हो, ऐसा वचन हमार।"
कबीर परमेश्वर सन् 1398, ज्येष्ठ मास की पूर्णमासी को ब्रह्म मुहूर्त में अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और काशी के लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर शिशु रूप धारण करके विराजमान हुए। जहाँ से नीरू - नीमा उठा कर ले गये और पुत्रवत पालन किया।
कबीर, ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।।
कबीर साहेब ही एक ऐसे सच्चे भगवान हैं जिन्होंने ऐसी लीला की जिसका प्रमाण हमारे वेदों में भी मिलता है
आज तक जितने भी भगवान अवतार हुए हैं सभी ने मां के गर्भ में जन्म लिया है।
जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी चारों युगों में आते हैं और सशरीर ही आते हैं और सशरीर ही जाते हैं जैसा एक कलियुग का वर्णन आपने ऊपर पढ़ा वो परमात्मा सन् 1398 से सन् 1518 तक 120 वर्ष तक इस धरातल पर अपनी लीला करके गये
ऋग्वेद मण्डल नं 9 सुक्त 94 मंत्र 1 इस मंत्र में कहा है कि वह कबीर परमेश्वर कवियों की तरह आचरण करता है यानि घूम-फिरकर कविताओं, लोकोक्तियों द्वारा तत्वज्ञान बताता है।
#कबीरसाहेब_की_मगहर_लीला
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
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anitadasisblog · 3 years ago
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🌿कबीर परमात्मा द्वारा सशरीर सत्यलोक गमन🌿
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में यह स्पष्ट प्रमाण है की परमेश्वर अजन्मा, अविनाशी व् स्वयंभू है। वह कभी माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेता (प्रमाण- ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3) और ना ही वह शरीर त्याग कर संसार से जाता है। इतिहास गवाह है कि हिन्दू धर्म में माने जाने वाले सभी 33 करोड़ देवी देवता व् सभी अवतार माता के गर्भ से उत्पन्न होते हैं व अंत समय शरीर छोड़ कर ही संसार से जाते हैं।
वहीं कबीर साहेब की जीवनी पर नज़र डालें तो सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त (सूर्योदय से लगभग डेढ़ घण्टा पहले) में अपने सत्यलोक (ऋतधाम) से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर (कविर्देव) बालक रूप बनाकर काशी के लहर तारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए थे। जहाँ वे नीरू-नीमा नाम के दंपत्ति को कमल के फूल पर दिखाई दिए, जो कि उन्हें अपने साथ घर ले गए थे।
"गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार।
मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।।"
उस समय कलयुग में कबीर जी 120 वर्ष तक रहे, अपनी पुण्यात्माओं को कबीर वाणी, लोकोक्ती, कविताओं द्वारा तत्वज्ञान से परिचित किया। अनेकों लीलाएं की, दुनिया को भाइचारे का पाठ पढ़ाया व् वास्तविक तत्वज्ञान का सन्देश देकर मगहर शहर से सशरीर सतलोक (अमर लोक) प्रस्थान किया।
मगहर में मरने वाला गधा बनता है इस भ्रम का खंडन करते हुए कबीर परमेश्वर ने महीना माघ शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी वि. स. 1575 सन् 1518 में मगहर से सशरीर सतलोक (अमर लोक) जाकर यह सन्देश दिया था कि जिसके हृदय में परमात्मा का वास है वह चाहे कहीं भी मरे उसकी मुक्ति निश्चित है।
सत्यलोक गमन के समय परमेश्वर कबीर साहेब ने हिन्दू तथा मुस्लमान के दोनों राजाओं को सेना लाने के लिए फटकार लगाई क्योंकि वे अंतर्यामी थे, सब जानते थे। तथा यह सन्देश दिया कि तुम एक पिता की संतान हो। हिन्दू मुस्लिम अलग नहीं हो व झगड़ा करने से मना किया। ���ास्तव में एक बहुत बड़ा गृहयुद्ध परमात्मा ने टाल दिया।
फिर परमात्मा ने एक चादर बिछवाई एवं उसके ऊपर स्वयं लेटकर अन्य चादर ओढ़ ली। कुछ फूल नीचे वाली चादर पर बिछा दिए। ततपश्चात आकाशवाणी हुई कि कोई झगड़ा न करे, इस चादर के नीचे जो भी मिले उसे आप हिन्दू व मुसलमान आधा-आधा बांट लें और परमेश्वर बोले कि वे स्वर्ग से भी ऊँचे स्थान सत्यलोक में जा रहे हैं। जब चादर हटाई गई तो केवल सुंगधित फूलों के अलावा कुछ नहीं मिला क्योंकि कबीर परमेश्वर सशरीर सत्यलोक चले गए थे।
"तहां वहां चादरि फूल बिछाये, सिज्या छांडी पदहि समाये|
दो चादर दहूं दीन उठावैं, ताके मध्य कबीर न पावैं ।।"
"गरीब, भूमि भरोसे बूड़त हैं, कल्पत हैं दोहूँ दीन।
सब का सतगुरु कुल धनी, मगहर भये ल्यौलीन।।"
उनकी मृत्यु पश्चात चादर हटाने पर जो फूल मिले उन्हें हिन्दू व् मुसलमानों ने आपस में बाँट लिया। आज भी यह प्रमाण मगहर बस्ती जिला संत कबीर नगर उत्तरप्रदेश में देखा जा सकता है जहाँ मंदिर व मजार मौजूद है, जो हिन्दू-मुस्लिम भाइचारे का प्रतिक है।
कबीर साहेब की वाणी है-
"पांच तत्व की देह न मेरी, ना कोई माता जाया।
जीव उदारन तुम को तारन, सीधा जग में आया।।"
ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 93, मंत्र 2, ऋग्वेद मंडल 9, सूक्त 94, मंत्र 2 में भी यह प्रमाण है की परमात्मा पृथ्वी पर सशरीर (प्रकट होकर) आता है और सशरीर ही वापिस अपने सतधाम चला जाता है, जैसा की कबीर परमेश्वर की जीवनी में साफ देखा जा सकता है। इससे स्वसिद्ध है की कबीर साहेब ही पूर्ण अविनाशी परमेश्वर हैं, जो अजरो अमर हैं।
पूर्ण परमेश्वर कबीर जी की सम्पूर्ण भक्ति विधि जानने के लिए देखें साधना टीवी प्रतिदिन शाम 7:30-8:30 बजे।
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