#जिज्ञासा की भावना
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हिन्दी बालकथा संग्रह : ऐसे मिली सीख
पंचशील प्रकाशन, जयपुर द्वारा वर्ष 2024 में प्रकाशित गोविंद शर्मा के बाल कथा संग्रह 'ऐसे मिली सीख' में कुल 12 कहानियां संकलित हैं। संकलन की प्रथम कहानी 'ऐसे मिली सीख' में एक सज्जन व्यक्ति द्वारा यह बतलाया गया है कि यदि व्यक्ति सीखने को तैयार हो तो, अच्छी सीख वह प्रकृति के किसी भी जीव से ग्रहण कर सकता है। अपने सामर्थ्य के अनुरूप दूसरों की मदद करना और मदद कर भूल जाने का संदेश भी इस कथा में दिया गया है। दूसरी कथा 'बूंदों का सफर' में वर्षा-चक्र को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है, किस प्रकार एक नन्ही बूंद पर्वत से होती हुई सागर में जा मिलती है और फिर पुनः वर्षा की बूंद के रूप में अपने मूल उद्गम तक पहुंच जाती है। यह कथा जहां प्रत्यक्ष में वर्षा- चक्र को इंगित करती है, वहीं अप्रत्यक्ष में जीवन की निरंतरता व परिवर्तनशीलता का भी संदेश बालकों को देती है। 'सद्भावनाओं का चक्रव्यूह' और 'दोस्ती जिंदाबाद' शीर्षक कहानियों में बालकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ आपसी सहयोग व मित्रता की भावना का पोषण किया गया है। 'पेंसिल और इरेजर' कहानी में पेंसिल और इरेजर का मानवीकरण किया गया है। यह एक प्रतीकात्मक कथा है, जिसमें काम के पीछे की भावना को महत्वपूर्ण बताया गया है। 'बड़े भाई की देन' कहानी को पहेली विधा में लिखा गया है, जो कहानी पढ़ने के दौरान बच्चों में जिज्ञासा बनाए रखने के साथ ही, उनकी सक्रियता, एकाग्रता और भागीदारी को भी बढ़ाती है। 'बाबा की ममता' कहानी के द्वारा परोपकार व दया की भावना को प्राणी मात्रा में निहित बताया गया है। 'हमारा गौरव' कहानी में देश के प्रति प्रेम, सद्भावना और सम्मान प्रदर्शित किया गया है। 'जल की रानी' कहानी में यह संदेश दिया गया है कि यदि मानव की योग्यताएं और क्षमताएं दूसरों के लिए भी हितकारी है तभी वह सार्थक तथा ��्रशंसनीय है। 'रोबू मेरा दोस्त' एक विज्ञान फंतासी है। इस कहानी से यह संदेश दिया गया है कि मानवीय भावनाएं और संवेदनशीलता जड़ को भी चेतन करने की क्षमता रखती है। 'दोस्ती शेर चिड़िया की' कहानी में ताकत का घमंड न करते हुए दूसरों की भलाई करने का संदेश दिया गया है। 'सोने का अंडा' कहानी में विपरीत परिस्थितियों में भी शांत रहते हुए विवेक और बुद्धिमत्ता से समस्या के समाधान का संकेत किया गया है। इस प्रकार प्रत्येक कहानी बालोपयोगी सामग्री से परिपूर्ण होने के साथ ही, गोविंद जी की विशिष्ट लेखन शैली के चलते मनोरंजक और बालकों के लिए सुग्राह्य बन गई है।
- मेघा बंसल, (शोधार्थी, एमजीएसयू बीकानेर)
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संगीत के प्रति मेरी जिज्ञासा बहुत बिल्ली जैसी है।आप किस बारे में जिज्ञासु हैं?
मुझे दुनिया भर के सभी प्रकार के संगीत पसंद हैं। संगीत शैलियों के संदर्भ में, कोई एक ऐसा प्रकार नहीं है जो मेरे स्वाद को परिभाषित करता हो।शैली, मीटर, या ताल चाहे जो भी हो, मैं हमेशा तीव्रता, ग्रूव और उस कहानी की तलाश में रहता हूं, जो सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि गीत की भावना से बताई जा रही है। अगर कोई एल्बम है, तो वह भी श्रोता को दी जा रही उस भावना में योगदान देता है। यह वह है जिसे कलाकार व्यक्त…
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National Science Day
National Science Day is celebrated in India on February 28th every year to mark the discovery of the Raman Effect by the Indian physicist Sir C.V. Raman on February 28, 1928. The day is celebrated to spread awareness about the importance of science and its role in our daily lives, as well as to honor the contributions of Indian scientists to the field of science and technology. It serves as a reminder of the significance of scientific discovery and innovation in the progress and development of society. Various events, seminars, lectures, and exhibitions are organized across the country to celebrate National Science Day, encouraging scientific temper and fostering a spirit of inquiry and curiosity among people, especially students.
👉 𝐉𝐨𝐢𝐧 𝐁𝐚𝐜𝐡𝐩𝐚𝐧 𝐒𝐜𝐡𝐨𝐨𝐥, 𝐃𝐚𝐭𝐢𝐚
📚Admissions are Open for the Academic Year 2024-2025
🔋https://whatsapp.com/channel/0029VaK0ThOLdQeZioeTxF2e
💻https://ramnagarcolony.bachpanglobal.in/
🌐https://www.datia.academicheights.in/
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🌐https://bachpanschooldatia.blogspot.com
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भारतीय भौतिक विज्ञानी सर सी.वी. द्वारा रमन प्रभाव की खोज को चिह्नित करने के लिए हर साल 28 फरवरी को भारत में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। रमन 28 फरवरी, 1928 को। यह दिन विज्ञान के महत्व और हमारे दैनिक जीवन में इसकी भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। यह समाज की प्रगति और विकास में वैज्ञानिक खोज और नवाचार के महत्व की याद दिलाता है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने के लिए देश भर में विभिन्न कार्यक्रम, सेमिनार, व्याख्यान और प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाती हैं, वैज्ञानिक स्वभाव को प्रोत्साहित किया जाता है और लोगों, विशेषकर छात्रों के बीच जिज्ञासा और जिज्ञासा की भावना को बढ़ावा दिया जाता है।
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Welcome to my blog! May God bless you all!
The world we live in today is constantly changing and evolving. From the latest technological advancements to the shifting political landscapes, it can be easy to get caught up in the present and forget about the past. But what if we told you that the key to understanding our world lies in rediscovering its history!
Welcome to our blog, where we will take you on a journey through time to uncover the forgotten stories, hidden gems, and pivotal moments that have shaped our world. From ancient civilizations to modern-day revolutions, we will delve deep into the annals of history to unearth the fascinating events and individuals that have shaped our world.
History is not just a collection of dates and names, it is a tapestry of human experiences, triumphs, and struggles. It is a reflection of who we are, where we come from, and where we are going. By rediscovering the history of the world, we can gain a deeper understanding of our present and pave the way for a better future.
Join us as we embark on this journey of discovery, where we will not only explore well-known historical events, but also shine a light on lesser-known stories and perspectives. Through our blog, we hope to ignite a passion for history and inspire a sense of curiosity about the world around us.
So, grab a cup of coffee, sit back, and get ready to travel through time with us. We promise to take you on a captivating exploration of the past, and together, we will rediscover the history of the world. we will discover the lies & deception of the devil. big bang is the biggest lie & black hole is another one. replacement of truth with lies is still going on. you must be aware of what is going on in the spiritual realm, a realm parallel to the physical one, to get the missing links, to connect the dots. by regularly visiting my blog you will be able to know: • who are you & who is the true god? • how this universe was created? • what are the spiritual laws that governs & maintains the integrity of the universe? • what is hidden from the foundations of the earth? • what is the connection of Mahabharata & bible? • who are lord Krishna & lord Jesus christ? • what was the true religion worldwide which does not exist now? • what is witchcraft & occultism? how to get free from its adverse effects? • what is an evil foundation & how to break it? • what happened 2000 years ago that led India to fall into 200 years of slavery? • where are we now & where are we going? • what is the future of humanity? • & much more...
मेरे ब्लॉग पर स्वागत है! ईश्वर की कृपा आप सब पर बनी रहे! आज हम जिस दुनिया में रहते हैं वह लगातार बदल रही है और विकसित हो रही है। नवीनतम तकनीकी प्रगति से लेकर बदलते राजनीतिक परिदृश्य तक, वर्तमान में फँस जाना और अतीत को भूल जाना आसान हो सकता है। लेकिन क्या होगा अगर हम आपसे कहें कि हमारी दुनिया को समझने की कुंजी इसके इतिहास को फिर से खोजने में निहित है !
हमारे ब्लॉग में आपका स्वागत है, जहा�� हम आपको भूली हुई कहानियों, छिपे हुए रत्नों और हमारी दुनिया को आकार देने वाले महत्वपूर्ण क्षणों को उजागर करने के लिए समय की यात्रा पर ले जाएंगे। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक क्रांतियों तक, हम उन आकर्षक घटनाओं और व्यक्तियों का पता लगाने के लिए इतिहास के पन्नों में गहराई से उतरेंगे जिन्होंने हमारी दुनिया को आकार दिया है। इतिहास केवल तारीखों और नामों का संग्रह नहीं है, यह मानवीय अनुभवों, विजयों और संघर्षों का संग्रह है। यह इस बात का प्रतिबिंब है कि हम कौन हैं, हम कहां से आए हैं और कहां जा रहे हैं। दुनिया के इतिहास को फिर से खोजकर, हम अपने वर्तमान की गहरी समझ हासिल कर सकते हैं और बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते है।
हमारे साथ जुड़ें, क्योंकि हम खोज की इस यात्रा पर निकल रहे हैं, जहां हम न केवल प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटनाओं का पता लगाएंगे, बल्कि कम-ज्ञात कहानियों और दृष्टिकोणों पर भी प्रकाश डालेंगे। अपने ब्लॉग के माध्यम से, हम इतिहास के प्रति जुनून जगाने और अपने आस-पास की दुनिया के बारे में जिज्ञासा की भावना को प्रेरित करने की आशा करते हैं।
तो एक कप कॉफ़ी लें, आराम से बैठें, और हमारे साथ समय यात्रा के लिए तैयार हो जाएँ। हम आपको अतीत की मनोरम खोज पर ले जाने का वादा करते हैं, और साथ में, हम दुनिया के इतिहास को फिर से खोजेंगे। हम शैतान के झूठ और धोखे का पता लगाएंगे। बिग बैंग सबसे बड़ा झूठ है और ब्लैक होल दूसरा झूठ है। सच की जगह झूठ का आना अभी भी जारी है. आपको पता होना चाहिए कि आध्यात्मिक क्षेत्र में क्या चल रहा है, भौतिक क्षेत्र के समानांतर एक क्षेत्र, लुप्त कड़ियों को पाने के लिए, बिंदुओं को जोड़ने के लिए। नियमित रूप से मेरे ब्लॉग पर आकर आप जान सकेंगे: • आप कौन हैं और सच्चा भगवान कौन है? • इस ब्रह्माण्ड की रचना कैसे हुई? • वे कौन से आध्यात्मिक नियम हैं जो ब्रह्मांड की अखंडता को नियंत्रित और बनाए रखते हैं? • पृथ्वी की नींव से क्या छिपा है? • महाभारत और बाइबिल का क्या संबंध है? • भगवान कृष्ण और भगवान यीशु मसीह कौन हैं? • दुनिया भर में सच्चा धर्म कौन सा था जो अब मौजूद नहीं है? • जादू-टोना और तंत्र-मंत्र क्या है? इसके दुष्प्रभाव से कैसे मुक्त हों? • बुरी बुनियाद क्या है और इसे कैसे तोड़ें? • २००० साल पहले ऐसा क्या हुआ जिसके कारण भारत २०० साल की गुला��ी में चला गया? • अब हम कहां हैं और कहां जा रहे हैं? • मानवता का भविष्य क्या है? • और भी बहुत अधिक...
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श्रीनगर: सेना ने एनसीसी कैडेट्स के लिए उत्तराखंड की यात्रा का आयोजन किया ।
श्रीनगर: सेना ने एनसीसी कैडेट्स के लिए उत्तराखंड की यात्रा का आयोजन किया ।
एक अधिकारी ने बताया कि एनसीसी निदेशालय ने सात अलग-अलग एनसीसी निदेशालयों के एनसीसी कैडेटों के लिए उत्तराखंड ट्रेक का आयोजन किया । उत्तराखंड ट्रेक में कुल 510 कैडेट्स और 15 एनओएस ने भाग लिया । उन्होंने कहा कि एजीएस मारगुंड के नौ एनसीसी कैडेटों ने यूके ट्रेक में भाग लिया यह ट्रेक कुमाऊं क्षेत्र में आयोजित किया गया था, जो रानीबाग से शुरू हुआ और रानीबाग में ही समाप्त हुआ । रानीबाग तराई के हरे चरागाहों में लगभग 600 मीटर की ऊंचाई पर कुमाऊं क्षेत्र की तलहटी में स्थित है, और काठगोदाम में रेलहेड से लगभग 3 किमी दूर है । उन्होंने कहा कि ट्रेक की योजना इस तरह से बनाई गई थी कि यह कैडेटों को कुमाऊं की पहाड़ियों के कुछ सबसे सुंदर स्थानों को देखने और देखने में सक्षम बनाता है इसने कैडेटों को राजसी चोटियों को देखने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया और उन्हें कुमाऊं के लोगों की संस्कृति, परंपराओं, रीति-रिवाजों और जीवन शैली के बारे में भी जानकारी दी । ट्रेक का उद्देश्य एक साथ रहने और विभिन्न क्षेत्रों/राज्यों के रीति-रिवाजों और भोजन की आदतों के आदी होने और रोमांच, अन्वेषण और जिज्ञासा, और व्यावहारिक नेविगेशन की भावना को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देना था उन्होंने कैडेट्स को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया ।उन्होंने कहा कि एजीएस मारगुंड के एनसीसी कैडेटों ने ट्रेक में भाग लेने के लिए चुने जाने पर खुशी व्यक्त की, क्योंकि उन्हें विभिन्न संस्कृति और रीति-रिवाजों को देखने का अवसर मिला
श्रीनगर: सेना ने एनसीसी कैडेट्स के लिए उत्तराखंड की यात्रा का आयोजन किया । Read the full article
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C 3.3.7 NIOS D.El.Ed Notes राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986-कार्यानुभव
C 3.3.7 NIOS D.El.Ed Notes राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986-कार्यानुभव
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986-कार्यानुभव
कार्यानुभव को सभी स्तरों पर दी जाने वाली शिक्षा का एक आवश्यक अंग होना चाहिए। कार्यानुभव एक ऐसा उद्देश्यपूर्ण और सार्थक शारीरिक काम है जो सीखने की प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है जिससे समाज को वस्तुएँ या सेवाएँ मिलती हैं। यह अनुभव एक सुसंगठित और क्रमबद्ध कार्यक्रम के द्वारा दिया जाना चाहिए। कार्यानुभव की गतिविधियाँ विद्यार्थियों की रूचियों योग्यताओं और…
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#1986-कार्यानुभव#NIOS D.El.Ed Notes#खेल और शारीरिक शिक्षा#गणित-शिक्षण#जिज्ञासा की भावना#प्रश्न करने का साहस और सौंदर्य बोध#राष्ट्रीय शिक्षा नीति#वस्तुगतता#विज्ञान शिक्षा#शिक्षा और पर्यावरण#सृजनात्मकता
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‘द कश्म��र फ़ाइल्स’: कश्मीरी पण्डितों की त्रासदी दिखाने की आड़ में मुस्लिमों और वामपन्थियों के ख़िलाफ़ नफ़रत को चरम पर ले जाने का हिन्दुत्ववादी हथकण्डा
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उत्तर प्रदेश सहित 4 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के बाद संघ परिवार की समूची फ़ासिस्ट मशीनरी अब विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ को प्रचारित करने में जुट गयी है। फ़िल्म रिलीज़ होने के अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने फ़िल्म के निर्माता, निर्देशक और मुख्य कलाकारों से मुलाक़ात की। यही नहीं, फ़िल्म चर्चा में बनी रहे इसलिए मोदी ने भाजपा की एक बैठक में फ़िल्म को बदनाम करने की साज़िश का भी ज़िक्र किया। गृहमंत्री अमित शाह ने भी फ़िल्म की टीम से मुलाक़ात की। भाजपा शासित प्रदेशों ने फ़िल्म को टैक्स-फ़्री कर दिया है ताकि फ़िल्म को ज़्यादा से ज़्यादा लोग देखें। तमाम शहरों के सिनेमा हॉलों में संघ परिवार के कार्यकर्ता और उसके लग्गू-भग्गू फ़िल्म प्रदर्शन को हिन्दुत्ववादी ज़हरीली नफ़रती राजनतिक प्रोपागैण्डा में तब्दील कर रहे हैं। स्पष्ट है कि यह सब एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है जिसका समाज पर वैसा ही असर होने वाला है जैसा नाज़ी जर्मनी में ‘द इटर्नल ज्यू’ जैसी यहूदी-विरोधी प्रोपागैण्डा फ़िल्मों का हुआ था।
कश्मीर मसले के इतिहास के तमाम पहलुओं से वाक़िफ़ किसी भी व्यक्ति को यह आसानी से समझ में आ सकता है कि फ़िल्म में आधे सच और सफ़ेद झूठ का शातिराना ढंग से मिश्रण करते हुए कश्मीरी पण्डितों की हत्याओं और पलायन की त्रासदी को कश्मीर समस्या के पूरे सन्दर्भ से काटकर एक स्वतंत्र समस्या के रूप में पेश किया गया है। ��ेकिन इस फ़िल्म का सबसे ख़तरनाक पहलू यह है कि इसमें कश्मीरी पण्डितों की त्रासदी दिखाने की आड़ में संघ परिवार के मुस्लिम-विरोधी और कम्युनिज़्म-विरोधी एजेण्डा को बेहद नंगे और भोंडे रूप में सामने लाया गया है जो कम ऐतिहासिक व राजनीतिक चेतना के किसी भी व्यक्ति के भीतर कश्मीर समस्या के बारे में कोई विवेक पैदा करने की बजाय नफ़रत और ग़ुस्सा पैदा करने का काम करता है।
फ़िल्म को देखने के बाद सिनेमा हॉल से बाहर निकले लोगों की प्रतिक्रिया को भी सोशल मीडिया पर प्रचारित करके नफ़रत और ग़ुस्से को और ज़्यादा तूल दिया जा रहा है। ऐसी ज़्यादातर प्रतिक्रियाओं में लोगों को फ़िल्म देखने के बाद रोते हुए और भावनात्मक टिप्पणी करते हुए दिखाया जा रहा है। फ़िल्म का मक़सद ही यही है कि कश्मीरी पण्डितों की त्रासदी दिखाकर लोगों को नकारात्मक भावना और ग़ुस्से से भर दिया जाये। लेकिन अगर कोई व्यक्ति कश्मीरी पण्डितों की त्रासदी के कारणों को जानने की जिज्ञासा के साथ फ़िल्म देखने जायेगा तो उसे निराशा ही हाथ लगेगी। फ़िल्म में कश्मीरी पण्डितों की समस्या और त्रासदी को भारत की आज़ादी के बाद पैदा हुई कश्मीर समस्या और त्रासदी के एक अंग के रूप में दिखाने की बजाय उसे एक स्वतंत्र समस्या के रूप में पेश किया गया है। फ़िल्म में इसका कोई ज़िक्र नहीं मिलता कि किस प्रकार आज़ादी के बाद कश्मीरियों ने इस्लाम के आधार पर बने पाकिस्तान में न मिलने का फ़ैसला किया था। कश्मीर में रायशुमारी कराने के वायदे से भारतीय राज्य के मुकरने, उसके ज़ोर-ज़बर्दस्ती और ग़ैर-लोकतांत्रिक आचरण की वजह से कश्मीर समस्या लगातार उलझती चली गयी जिसका नतीजा कश्मीर घाटी की मुस्लिम आबादी में लगातार बढ़ते अलगाव के रूप में सामने आया। फ़िल्म में इसका भी कोई हवाला नहीं मिलता है कि कश्मीरी मुस्लिम आबादी के बीच भारत की राज्यसत्ता से बढ़ते अलगाव के बावजूद 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से पहले कश्मीरी पण्डित अल्पसंख्यक आबादी के ख़िलाफ़ पूर्वाग्रह भले ही हों लेकिन नफ़रत और हिंसा जैसे हालात नहीं थे। ऐसे हालात पैदा करने में 1980 के दशक में घटी कुछ अहम राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय घटनाओं की भूमिका थी।
11 फ़रवरी 1984 को भारतीय और पाकिस्तानी क़ब्ज़े वाले समूचे कश्मीर की आज़ादी की माँग को लेकर सशस्त्र संघर्ष के हिमायती लोकप्रिय नेता मक़बूल बट को तिहाड़ जेल में फाँसी दे दी गयी थी जिसने कश्मीरी युवाओं में असन्तोष बढ़ाने का काम किया। जुलाई 1984 में इंदिरा गाँधी ने फारूख़ अब्दुल्ला की सरकार को बरख़ास्त कर दिया जिससे घाटी में एक बार फिर असन्तोष बढ़ने लगा। श्रीनगर में 72 दिनों तक कर्फ़्यू लगा रहा। लेकिन 1986 में फारूख़ अब्दुल्ला ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के साथ समझौता किया और वे एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। मार्च 1987 में जम्मू एवं ��श्मीर विधानसभा का चुनाव सम्पन्न हुआ जिसमें नेशनल कान्फ़्रेंस और कांग्रेस ने गठबन्धन बनाया। इन चुनावों में बड़े पैमाने पर धाँधली हुई। विपक्षी मुस्लिम यूनाइटेड फ़्रण्ट (एमयूएफ़) की कश्मीर घाटी में ज़बर्दस्त लोकप्रियता होने के बावजूद चुनावी धाँधली की वजह से उसे विधानसभा में सीटें नहीं मिल पायीं। इन चुनावों में धाँधली के बाद कश्मीरी युवाओं की बड़ी आबादी का चुनावी प्रक्रिया से भरोसा उठ गया और बड़ी संख्या में युवाओं ने बन्दूक़ें थामी। इसके बाद से ही कश्मीर में सशस्त्र संघर्ष प्रभावी रूप में सामने आया। ग़ौरतलब है कि जिन नेताओं ने बाद में आतंकवाद की राह पर जाने का फ़ैसला किया उनमें से अधिकांश ने 1987 के चुनावों में हिस्सा लिया था और चुनावी धाँधली की वजह से उनका मोहभंग हुआ। 1986 में गठित इस्लामिक स्टूडेण्ट्स लीग के चार प्रमुख सदस्यों – अब्दुल हमीद शेख़, अश्फ़ाक़ माज़िद वानी, जावेद अहमद मीर और यासीन मलिक – जिन्हें हाजी ग्रुप कहा जाता था, ने एमयूएफ़ के समर्थन में चुनाव प्रचार किया था। यहाँ तक कि हिजबुल मुजाहिद्दीन का मुखिया सैयद सलाहुद्दीन जिसका असली नाम मोहम्मद यूसुफ़ शाह है, ने भी एमयूएफ़ के उम्मीदवार के रूप में 1987 के चुनाव में भागीदारी की थी। 1987 के चुनावों में भारी धाँधली के बाद कश्मीर में जो जनउभार देखने को आया उसके पीछे पिछले 40 सालों का कुशासन, आर्थिक बदहाली, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार भी प्रमुख कारण थे। 1988 में बिजली की दरों में वृद्धि के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दमन से कश्मीर घाटी की जनता में ज़बर्दस्त आक्रोश देखने को आया। उसी साल मकबूल बट की बरसी पर पुलिस ने कश्मीरी आज़ादी के समर्थकों पर अन्धाधुन्ध गोलियाँ चलायीं। यही वह दौर था जब पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका की मदद से सोवियत संघ के ख़िलाफ़ लड़ाई में प्रशिक्षित मुजाहिद्दीनों को कश्मीर में जेहाद के लिए भेजना शुरू किया और कश्मीर की आज़ादी के संघर्ष को इस्लामिक कट्टरपन्थी रंग देने की कुटिल चाल चली जिसने कश्मीर की आज़ादी के संघर्ष को नुक़सान पहुँचाने के अलावा अल्पसंख्यक कश्मीरी पण्डितों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने में प्रमुख भूमिका अदा की।
इस सन्दर्भ के बिना 1989-90 में हुई कश्मीरी पण्डितों की हत्याओं और उसके बाद हुए उनके पलायन को समझा ही नहीं जा सकता है। लेकिन ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ का मक़सद यह समझाना नहीं बल्कि लोगों की रगों में नफ़रत का ज़हर फैलाना है। इसीलिए इस फ़िल्म में कश्मीर के इस समकालीन इतिहास को पूरी तरह से ग़ायब कर दिया गया और इतिहास के नाम पर चयनित ढंग से कश्मीर के प्राचीन ��तिहास के गौरव और मध्यकालीन सामन्ती मुस्लिम शासकों की बर्बरता के क़िस्से सुनाये गये हैं जिनका वर्तमान कश्मीर समस्या और कश्मीरी पण्डितों के पलायन से कोई रिश्ता नहीं है और जो संघ की शाखाओं से उधार लिये गये हैं। यह पूरा ब्योरा संघ के ‘हिन्दू ख़तरे में है’ औ�� ‘इस्लाम है ही कट्टर’ के प्रोपागैण्डा के अनुरूप है।
फ़िल्म में समूची कश्मीरी मुस्लिम आबादी को एक एकाश्मी समूह के रूप में दिखाया गया है, सभी कश्मीरी मुस्लिम किरदार या तो कश्मीरी पण्डितों के ख़ून के प्यासे हैं या उनकी सम्पत्ति हड़पने के लिए लालायित हैं या उनकी महिलाओं पर बुरी नज़र रखते हैं। मुस्लिम बच्चे पाकिस्तान क्रिकेट टीम के समर्थक हैं, मुस्लिम महिलाएँ राशन डिपो पर पूरे अनाज पर क़ब्ज़ा कर लेती हैं ताकि पण्डितों को राशन न मिले। मुस्लिम पड़ोसी पण्डितों के भागने का इन्तज़ार करते हैं ताकि उनकी सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा कर सकें। मौलवी की बुरी नज़र पण्डित महिलाओं पर रहती है। हालाँकि 1990 में जब पण्डितों के ख़िलाफ़ नफ़रत अपने चरम पर थी तब कश्मीरी मुस्लिम आबादी में ऐसे लोगों की मौजूदगी और इस प्रकार की चन्द घटनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता है क्योंकि ऐसी घटनाओं के कुछ संस्मरण मौजूद हैं, लेकिन उस दौर के जितने भी संस्मरण, रिपोर्टें मौजूद हैं जिनमें कश्मीरी पण्डितों के भी संस्मरण शामिल हैं वे यह भी बताते हैं कि तमाम कश्मीरी मुस्लिमों ने पण्डितों को बचाया भी था और वे नहीं चाहते थे कि पण्डित घाटी छोड़कर जाएँ। लेकिन ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ में ऐसा एक भी मुस्लिम किरदार नहीं मौजूद है जो पण्डितों के पलायन से दुखी हो। कारण साफ़ है कि ऐसे किरदार के होने से नफ़रत का असर थोड़ा कम हो जाता।
फ़िल्म में निहायत ही शातिराना ढंग से यह सच्चाई भी पूरी तरह से छिपा दी गयी है कि जिस दौर में कश्मीरी पण्डितों पर हमले हो रहे थे उस समय तमाम कश्मीरी मुस्लिमों को भी निशाना बनाया गया था जिनमें नेशनल कान्फ़्रेंस और कांग्रेस के नेताओं के अलावा मीरवाइज़ मोहम्मद फ़ारूख़ जैसे कई नरमपन्थी अलगाववादी नेता और आम कश्मीरी मुस्लिम भी शामिल थे। पाकिस्तानपरस्त इस्लामिक कट्टरपन्थियों के निशाने पर वे सभी लोग थे जो कश्मीर के पाकिस्तान में मिलने का विरोध कर रहे थे, चाहे वो भारत के नज़रिए से विरोध कर रहे हों या कश्मीर की आज़ादी के नज़रिए से। आतंकवाद के दौर में कश्मीरी पण्डितों से कई गुना ज़्यादा कश्मीरी मुस्लिमों की मौतें हुईं। लेकिन अगर विवेक अग्निहोत्री इस सच्चाई को दिखाने लग जाते तो मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत कैसे फैला पाते और कश्मीर समस्या को हिन्दू बनाम मुस्लिम की लड़ाई के रूप में कैसे दिखा पाते!
फ़िल्म के एक दृश्य में जेएनयू में जब प्रो. राधिका मेनन कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा किये गये ज़ुल्म की चर्चा करते हुए कश्मीर में पायी गयी 7000 से भी ज़्यादा गुमनाम क़ब्रों का हवाला देती है तो फ़िल्म का मुख्य किरदार कृष्णा फ़ौरन बोल पड़ता है कि ‘व्हाट अबाउट बट मज़ार’? जब प्रो. पूछती है कि बट मज़ार क्या है तो वह बताता है कि जहाँ एक लाख कश्मीरी हिन्दुओं को डल लेक में डुबोकर मार डाला गया। इतने लोग मरे कि सिर्फ़ उनके जनेऊ से ही 7 बड़े टीले बन गये थे। यह दृश्य व्हाटअबाउटरी की टिपिकल संघी शैली का उदाहरण है। इसमें बड़ी ही चालाकी से आज के कश्मीर में हुए ज़ुल्म के बरक्स मध्यकाल की किसी घटना को रख दिया जाता है और उसका समय जानबूझकर नहीं बताया जाता ताकि दर्शकों को ऐसा लगे कि आधुनिक कश्मीर में पण्डितों के साथ ऐसी घटना घटी हैं और उनका दिल कश्मीरी मुस्लिमों के प्रति नफ़रत से भर उठे।
फ़िल्म में धूर्ततापूर्ण तरीक़े से यह सच्चाई भी छिपायी गयी है कि जिस दौर में कश्मीरी पण्डितों के साथ सबसे घृणित अपराध हुए उस समय दिल्ली में वी.पी.सिंह की सरकार थी जो भाजपा के समर्थन के बिना एक दिन भी नहीं चल सकती थी। लेकिन भाजपा ने कश्मीरी पण्डितों पर होने वाले ज़ुल्मों के मुद्दे पर सरकार से समर्थन वापस नहीं लिया। फ़िल्म में उस दौर को कुछ इस तरह से प्रस्तुत किया गया है मानो उस समय राजीव गाँधी की कांग्रेसी सरकार हो। यह भी दिखाता है कि फ़िल्मकार का मक़सद सच दिखाना नहीं बल्कि संघ परिवार का प्रोपागैण्डा फैलाना है।
वी.पी. सिंह की सरकार 2 दिसम्बर 1989 में सत्ता में आयी थी और 8 दिसम्बर को कश्मीरी मिलिटेण्ट्स ने उस सरकार में गृहमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण कर लिया था। भारत सरकार ने गृहमंत्री की बेटी को छोड़ने की एवज में 5 मिलिटेण्ट्स को रिहा किया था जिसके बाद से कश्मीर घाटी में मिलिटेण्ट्स का बोलबाला हो गया था और कश्मीरी पण्डितों की हत्याओं में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई थी। 18 जनवरी 1990 को फ़ारूख़ अब्दुल्ला की सरकार इस्तीफ़ा देती है और कश्मीर में दूसरी बार राज्यपाल के पद पर कुख्यात जगमोहन को नियुक्त किया जाता है। कई कश्मीरी पण्डित समेत तमाम पत्रकारों और विश्लेषकों का यह मानना है कि जगमोहन ने स्वयं कश्मीरी पण्डितों को घाटी छोड़ने के लिए कहा और उनके पलायन के लिए गाड़ियाँ तक मुहैया करायीं ताकि उन्हें घाटी में निर्ममता से सुरक्षा बलों का इस्तेमाल करने का बहाना मिल जाये। हालाँकि यह व्याक्या विवादास्पद है लेकिन इतना तो तय है कि जगमोहन के कार्यकाल में कश्मीरी पण्डितों को सुरक्षित माहौल नहीं मिल पाया जिसकी वजह से पण्डितों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा। उस समय जम्मू व कश्मीर में तैनात वरिष्ठ नौकरशाह वजाहत हबीबुल्लाह ने लिखा है कि घाटी के कई मुस्लिमों ने उनसे कश्मीरी पण्डितों के पलायन को रोकने की गुहार लगायी थी जिसके बाद उ���्होंने जगमोहन से आग्रह ��िया था कि वे दूरदर्शन के प्रसारण के माध्यम से कश्मीरी पण्डितों को घाटी न छोड़ने के लिए कहें। लेकिन जगमोहन ने ऐसा करने की बजाय यह घोषणा की कि अगर कश्मीरी पण्डित घाटी छोड़ते हैं तो उनका इन्तज़ाम शरणार्थी शिविर में किया जायेगा और सरकारी कर्मचारियों को उनकी तनख़्वाहें मिलती रहेंगी। फ़िल्म में पण्डितों को घाटी में सुरक्षा का आश्वासन देने की बजाय उनके पलायन को बढ़ावा देने में जगमोहन की भूमिका पर भी पूरी तरह से पर्दा डाला गया है। इसी तरह फ़िल्म में 19 जनवरी 1990 को श्रीनगर में कश्मीरी पण्डितों पर हुए हमलों और उनके ख़िलाफ़ नफ़रत से भरी नारेबाज़ी को विस्तार से दिखाया है लेकिन इस सच्चाई को छिपा दिया है कि उसके दो दिन बाद ही श्रीनगर के गौकदल पुल के पास सीआरपीएफ़ की अन्धाधुन्ध गोलीबारी में 50 से अधिक कश्मीरियों की जान चली गयी थी जिसके बाद से घाटी का माहौल और ख़राब हो गया था।
मुस्लिमों के अलावा ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ द्वारा प्रसारित नफ़रत का दूसरा प्रमुख निशाना वामपन्थी हैं। फ़िल्म में पल्लवी जोशी ने जेएनयू की एक प्रो. राधिका मेनन का किरदार निभाया है। पल्लवी जोशी ने अपने एक इण्टरव्यू में कहा है कि इस किरदार को उन्होंने इस क़दर निभाया है कि लोग उससे बेइन्तहाँ नफ़रत करें। इस प्रोफ़ेसर को देश के ख़िलाफ़ काम करने वाले एक कुटिल व्यक्ति के रूप में पेश किया गया है जो अपने छात्रों का ‘ब्रेनवाश’ करके उन्हें भारत के ख़िलाफ़ काम करने के लिए प्रेरित करती है। वह अपनी खुली कक्षा में कश्मीर की आज़ादी की बात करती है और उसके छात्र भारत के टुकड़े करने के नारे लगाते हैं। यह 2016 में जेएनयू प्रकरण का संघी कैरिकेचर है जिसे विवेक अग्निहोत्री ने बेशर्मी के साथ दिखाया है।
इतना ही नहीं फ़िल्म में संघ परिवार द्वारा फैलाये जा रहे ‘वामपन्थी-जेहादी गँठजोड़’ के फ़र्ज़ी नरेटिव को भी हास्यास्पद ढंग से पेश किया है। प्रोफ़ेसर राधिका अपने छात्र कृष्णा को कश्मीरी आतंकी बिट्टा कराटे से मुलाक़ात करने के लिए भेजती है। बिट्टा के घर में एक तस्वीर दिखायी जाती है जिसमें बिट्टा राधिका का हाथ पकड़े हुए है। इस दृश्य की प्रेरणा कुछ साल पहले अरुन्धति रॉय और यासीन मलिक की एक तस्वीर से ली गयी है जिसे संघियों द्वारा बेशर्मी के साथ वायरल किया गया था। यह दृश्य विवेक अग्निहोत्री सहित समूचे संघ परिवार के घोर स्त्री-विरोधी चरित्र को भी सामने लाता है। इसके ज़रिए दोनों के बेहद क़रीबी रिश्ते को दिखाया गया है ताकि दर्शक आज़ादी की बात करने वाले वामपन्थियों से रोम-रोम तक नफ़रत करने लगें। बिट्टा कृष्णा को जेएनयू के प्रेसिडेण्ट का चुनाव लड़ने के लिए बधाई देता है और जाते समय उसे पिस्तौल थमाता है। जेएनयू के ज़रिए फ़िल्मकार ने समूचे वामपन्थ के प्रति लोगों में नफ़रत पैदा करने की कोशिश की है। दर्शकों के दिमाग़ में यह कनेक्शन बना रहे इसलिए जेएनयू के दृश्यों क�� पृष्ठभूमि में मार्क्स, लेनिन व माओ आदि की तस्वीरें प्रमुखता से उभारी गयी हैं।
फ़िल्म में शातिराना ढंग से मुख्या किरदार में बिट्टा कराटे और यासीन मलिक के किरदारों को गड्डमड्ड कर दिया गया है ताकि दर्शक कश्मीरी अलगाववादियों को हद दर्जे का बर्बर और दोगला इन्सान समझकर उनसे बेइन्तहाँ नफ़रत करें। एक ओर बिट्टा 20 से ज़्यादा पण्डितों की हत्या की बात कबूलता है वहीं दूसरी ओर वह गाँधीवादी ढंग से स्वतंत्रता आन्दोलन छेड़ने की बात करता है और वामपन्थियों के साथ गँठजोड़ करके भारत के ख़िलाफ़ साज़िश रचता है। फ़िल्म में इतिहास के साथ ज़्यादती करते हुए 2003 में कश्मीर के पुलवामा ज़िले के नदीमार्ग में हुए कश्मीरी पण्डितों के क़त्लेआम को 1990 के दशक में कश्मीरियों के पलायन की निरन्तरता में दिखाया गया है और उसे भी जेकेएलफ़ के बिट्टा कराटे द्वारा अंजाम देते हुए दिखाया गया है। सच तो यह है कि नदीमार्ग क़त्लेआम जेकेएलएफ़ की नहीं बल्कि लश्करे तोइबा की कारगुज़ारी थी। इतिहास के साथ किये गये इस घालमेल के पीछे भी फ़िल्मकार का मक़सद कश्मीर की आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले सभी संगठनों और सभी व्यक्तियों को हैवान बताकर दर्शकों के मन में नफ़रत पैदा करना है। फ़िल्म के अन्तिम दृश्य में नदीमार्ग गाँव के सभी कश्मीरी पण्डितों को लाइन में खड़ा करके उनमें से सभी को एक-एक करके गोली से मारने का वीभत्स दृश्य दिखाया गया है और सबसे अन्त में बर्बर ढंग से बच्चे को मारते हुए दिखाया गया है ताकि दर्शक फ़िल्म को देखकर समूची कश्मीरी मुस्लिम आबादी के ख़िलाफ़ बेइन्तहाँ नफ़रत की भावना लेकर बाहर निकलें।
फ़िल्म में अनुपम खेर के किरदार की काफ़ी प्रशंसा की जा रही है। लेकिन इस किरदार के ज़रिए भी फ़िल्मकार ने चालाकी से नरेन्द्र मोदी को कश्मीरी पण्डितों के मसीहा बताने के संघी झूठ का एक नमूना पेश किया है। पुष्कर नाथ नामक यह किरदार घाटी से पलायन के बाद कश्मीर से धारा 370 को हटाने को अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लेता है। ऐसा दिखाने का मक़सद दर्शकों के मन में यह भ्रान्ति पैदा करना है कि मोदी सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 के हटाने से कश्मीरी पण्डितों को न्याय मिल गया है। सच तो यह है कि अनुपम खेर जैसे खाये-अघाये कश्मीरी पण्डित भले ही धारा 370 के हटने पर अपना राष्ट्रवादी सीना चौड़ा कर लें, लेकिन हज़ारों की संख्या में जो ग़रीब कश्मीरी पण्डित अभी भी कैम्पों में रहने को मजबूर हैं उनकी ज़िन्दगी में धारा 370 के हटने से रत्तीभर फ़र्क़ नहीं पड़ा है। पलायन का वास्तविक दंश झेलने वाले इन पण्डितों को वास्तविक न्याय तो तभी मिल सकता है जब कश्मीर में ऐसे हालात बनें कि कश्मीरी पण्डित वापस घाटी में अपने घरों में जा सकें। लेकिन सच तो यह है कि मोदी सरकार की नीतियों ने घाटी के माहौल को और ख़राब करने का काम करके पण्डितों के हितों के ख़िलाफ़ भी काम किया है। लेकिन विवेक अग्निहोत्री जैसे संघी प्रोपागैण्डिस्ट से यह उम्मीद करना बेमानी है कि वह कश्मीरी पण्डितों के जीवन से जुड़ी इस कड़वी सच्चाई को दिखायेगा।
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🙏🙏🛕🛕🪔🪔🔔🔔🌎🌍🎙️🎙️📡📡🇮🇳🇮🇳🕓भक्ति सत्संगमयी शुभ सुंदर मंगलमय सोमवार 🌹🌹हरिबोल ❣️प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्त वत्सल भगवान की जय ❣️जय जय श्री राधे ❣️श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा (गंतव्य से आगे) :- श्री नारदजी ने कहा - व्यासजी! ब्राह्मणों की सेवा करने, श्री राधाकृष्ण जी की दिव्य कथाओं को सुनने से मैं सत-असत् के भेद को समझने लगा। परब्रह्म परमात्मा को मैं अपने भीतर आत्मा में माया से कल्पित देखने लगा। तभी रजोगुण और तमोगुण का नाश करने वाली भक्ति मेरे भीतर जाग्रत हो गई। उन महात्माओं ने मुझे ज्ञान दिया कि श्री राधाकृष्ण के प्रति अपने समस्त कर्मों को समर्पित कर देना ही संसार के तीनों तापों से छुटकारा पाना है। मनुष्य जीवन के सभी कर्म मनुष्य को जन्म और मृत्यु के चक्र में डालने वाले होते हैं। परंतु जब इन कर्मों को श्री राधाकृष्ण जी को अर्पित कर दिया जाता है तब इनका दूषित प्रभाव नष्ट हो जाता है और पुण्य शेष रह जाता है। प्रभु के प्रति किए गए कर्मों से ही मोक्षदायिनि भक्ति प्राप्त होती है। इसलिए अपने दैनिक परिवारिक सामाजिक कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करते हुए हर पल प्रभु श्री राधाकृष्ण का ह�� ध्यान और नाम-संकीर्तन करते रहना चाहिए। जब मैंने इस प्रकार उनकी आज्ञा का पालन किया तब श्री राधाकृष्ण जी ने मुझे आत्मज्ञान ऐश्वर्य और अपनी भावना रूपी प्रेमाभक्ति का दान दे दिया। अतः व्यासजी! आपका ज्ञान पूर्ण है और आप समर्थ भी हैं। इसलिए आप भगवान श्री राधाकृष्ण जी की प्रेममयी दिव्य लीलाओं का वर्णन कीजिए। बडे-बडे ज्ञानियों की जिज्ञासा भी इसी दिव्य प्रेमाभक्ति से पूर्ण होती है। दुःखी जन के कष्टों को हरने का इसके अतिरिक्त कोई दूसरा उपाय नहीं है। श्री व्यासजी ने नए पूछा! देवर्षि नारद जी!.... To be continued.. आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की ।आरती अति पावन पुराण की ।धर्म भक्ति विज्ञान खान की ।विषय विलास विमोह विनाशिनि ।विमल विराग विवेक विकाशिनि ।भगवत् तत्व् रहस्य प्रकाशिनि ।परम ज्योति परमात्म ज्ञान की। आरती... प्रणाम : जय श्री राधे 🔔🔔🪔🪔🛕🛕🌎🌍🎙️🎙️📡📡🇮🇳🇮🇳🙏🙏🕓🌹🌹 https://www.instagram.com/p/CXHhe8hBwcT/?utm_medium=tumblr
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1.गणितीय गूढ़ समस्याएँ (Mathematical Enigmas),गूढ़ समस्याएँ (Enigmas):
गणितीय गूढ़ समस्याएँ (Mathematical Enigmas) भी गणितीय पहेलियों के समान है।गूढ़ समस्याएँ भी मनोरंजक गणित और गतिविधियों में शामिल हैं।गूढ़ समस्याओं में मनोरंजक पहलू किसी न किसी रूप में शामिल होता है।इनमें भी जिज्ञासा (Curiosity) उत्पन्न करने की सहज क्षमता होती है।हर आयुवर्ग (Age Group) और कक्षा-स्तर (Class Level) के लिए ऐसी क्रियाओं को अध्यापक अपने शिक्षण में इनको शामिल कर सकता है।
गणितीय गूढ़ समस्याओं के द्वारा छात्र-छात्राओं में प्रेरणा उत्पन्न करने हेतु बेचेनी (Quandary),उत्सुकता जाग्रत की जा सकती है।गूढ़ समस्याओं को हल करने से छात्र-छात्राओं का दिमाग खुलता है,विकसित होता है।इनको हल करने से छात्र-छात्राओं में मानसिक अन्तर्द्वन्द्व (Mental Dilemma) उत्पन्न होने से विद्यार्थियों को गणितीय गणनाओं की क्षमता विकसित करने में मदद मिलती है।इनके हल अद्भुत (Phenomental) लगते हैं।विद्यार्थी इनके हल ढूँढ़ने में आनन्द की अनुभूति करते हैं।यह मानसिक घटना उनमें गणित के प्रति रुचि (Interest) के विकास को गति प्रदान करती है।
विद्यार्थी रहस्य (Mystic) समस्याओं को हल करने के लिए उत्सुक रहते हैं।छात्र-छात्राओं में इनको हल करने से स्वस्थ प्रतियोगिता (Empetition) की भावना को विकसित करने का बल मिलता है।उनमें चिंतन शक्ति को गूढ़ समस्याओं के द्वारा सही दिशा और वृद्धि (Growth) की प्रेरणा प्राप्त होती है।
गूढ़ समस्याओं में भी प्रश्नोत्तर देने वाले के आयु स्��र के अनुसार समस्या में कोई गूढ़ उलझन या रहस्य होता है।यदि शिक्षक उचित युक्ति व छात्र-छात्राओं की आयु और मानसिक स्तर के अनुसार गूढ़ समस्याओं को प्रस्तुत करें तो छात्र-छात्राएं इनको हल करने में रुचिपूर्वक भाग ले सकते हैं।
हालांकि शिक्षक पर गणित का पाठ्यक्रम पूरा कराने का दबाव रहता है।परंतु गूढ़ समस्याओं के कुछ प्रश्न शामिल करने से छात्र-छात्राएं पाठ्यक्रम को पढ़ने में रुचिपूर्वक भाग लेंगे और गणित का पाठ्यक्रम पढ़ने व हल करने में बोरियत महसूस नहीं होगी।
गणित में पहेलियों (Riddles),कूट प्रश्नों (Puzzles),गूढ़ समस्याओं (Enigmas),जादुई वर्ग (Magic Square),खेल (Game) इत्यादि की रचना इसलिए ही दी गई हैं कि गणित में सरसता व आनंद का अनुभव किया जा सके।
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BU Convocation 2021: किरण मजूमदार, सुरेश नारायणन को पीएचडी की मानद उपाधि... बेनेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में दिया गया सम्मान Divya Sandesh
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BU Convocation 2021: किरण मजूमदार, सुरेश नारायणन को पीएचडी की मानद उपाधि... बेनेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में दिया गया सम्मान
नई दिल्ली बायोकॉन की संस्थापक को बायोटेक्नोलॉजी में ‘डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। वहीं, नेस्ले इंडिया के चेयरमैन व एमडी को मैनेजमेंट में पीएचडी की मानद उपाधि मिली है। दोनों को बेनेट यूनिवर्सिटी के तीसरे दीक्षांत समारोह में सम्मानित किया गया। मजूमदार-शॉ और सुरेश नारायणन ने समारोह में बतौर ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ शिरकत की।
मानद उपाधि लेते हुए मजमूदार-शॉ ने कहा कि 2016 में अपनी स्थापना के साथ ही बेनेट यूनिवर्सिटी ने इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप के गहरे माहौल के साथ क्वॉलिटी एजुकेशन प्रदान करने में निश्चित तौर पर बड़ी अहम भूमिका निभाई है।
शॉ ने ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को बधाई दी। साथ ही फैकल्टी मेंबर्स की युवा छात्रों को गढ़ने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘उनका कारोबार नैतिकता की नींव पर खड़ा हुआ है। इसमें पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों ही जुड़े हैं।’
छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘भविष्य के लीडर्स के रूप में मैं आपसे बौद्धिक जिज्ञासा, चुनौती की भावना, उद्देश्य की गहरी भावना और अपने देश में बदलाव लाने के मकसद के साथ बाहर जाने और अपने करियर की राह पर आगे बढ़ने का आग्रह करती हूं।’
इस मौके पर नेस्ले इंडिया के चेयरमैन व एमडी सुरेश नारायणन बोले, ‘मेरे अपने करियर ने मुझे 4C की अहमियत के बारे बताया- करेक्टर, यह आपका करेक्टर ही है जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में आपकी ताकत बनता है। दूसरा कंपिटेंस यानी काबिलियत। तीसरा क्रेडिबिलिटी यानी विश्वसनीयता और चौथा है कंपैशन यानी करुणा। इस गुण वाला लीडर ही आज अपने परिवार को, खुद और अपने कर्मचारियों को सुरक्ष��त आधार प्रदान कर सकता है।’
बेनेट यूनिवर्सिटी का तीसरा दीक्षांत समारोह रविवार को ऑनलाइन आयोजित हुआ। इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए। वहीं, NASSCOM की प्रेसीडेंट देबजनी घोष ने ‘स्पेशल गेस्ट’ के रूप में मौजूदगी दर्ज कराई। यूनिवर्सिटी के चांसलर व टाइम्स ग्रुप के एमडी विनीत जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। वहीं, वाइस चांसलर डॉ प्रभु अग्रवाल ने यूनिवर्सिटी की एनुअल रिपोर्ट प्रजेंट की।
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🕉ॐ शं शनैश्चराय नमः🕉
🌄#सुप्रभातम🌄
🗓#आज_का_पञ्चाङ्ग🗓
🌻#शनिवार, १० #जुलाई २०२१🌻
सूर्योदय: 🌄 ०५:३५
सूर्यास्त: 🌅 ०७:१३
चन्द्रोदय: 🌝 ❌❌❌
चन्द्रास्त: 🌜१९:५४
अयन 🌕 दक्षिणायने (उत्तरगोलीय)
ऋतु: 🌦️ वर्षा
शक सम्वत: 👉 १९४३ (प्लव)
विक्रम सम्वत: 👉 २०७८ (राक्षस)
मास 👉 आषाढ़
पक्ष 👉 कृष्ण
तिथि 👉 अमावस्या (०६:४६ तक)
नक्षत्र 👉 पुनर्वसु (२५:०२ तक)
योग 👉 व्याघात (१६:५० तक)
प्रथम करण 👉 नाग (०६:४६ तक)
द्वितीय करण 👉 किंस्तुघ्न (१९:२० तक)
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॥ गोचर ग्रहा: ॥
🌖🌗🌖🌗
सूर्य 🌟 मिथुन
चंद्र 🌟 कर्क (१८:३७ से)
मंगल 🌟 कर्क (उदित, पूर्व, मार्गी)
बुध 🌟 मिथुन (उदय, पूर्व, मार्गी)
गुरु 🌟 कुम्भ (उदय, पूर्व, वक्री)
शुक्र 🌟 कर्क (उदय, पश्चिम, मार्गी)
शनि 🌟 मकर (उदय, पूर्व, वक्री)
राहु 🌟 वृष
केतु 🌟 वृश्चिक
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शुभाशुभ मुहूर्त विचार
⏳⏲⏳⏲⏳⏲⏳
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अभिजित मुहूर्त 👉 ११:५४ से १२:५०
अमृत काल 👉 २२:२७ से २४:११
विजय मुहूर्त 👉 १४:४२ से १५:३८
गोधूलि मुहूर्त 👉 १९:०७ से १९:३१
निशिता मुहूर्त 👉 २४:०२ से २४:४२
राहुकाल 👉 ०८:५३ से १०:३७
राहुवास 👉 पूर्व
यमगण्ड 👉 १४:०७ से १५:५२
होमाहुति 👉 सूर्य
दिशाशूल 👉 पूर्व
अग्निवास 👉 पाताल
चन्द्रवास 👉 पश्चिम (उत्तर १८:३८ से)
शिववास 👉 गौरी के साथ (०६:४६ से श्मशान में)
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☄चौघड़िया विचार☄
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॥ दिन का चौघड़िया ॥
१ - काल २ - शुभ
३ - रोग ४ - उद्वेग
५ - चर ६ - लाभ
७ - अमृत ८ - काल
॥रात्रि का चौघड़िया॥
१ - लाभ २ - उद्वेग
३ - शुभ ४ - अमृत
५ - चर ६ - रोग
७ - काल ८ - लाभ
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा ह��ती है।
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शुभ यात्रा दिशा
🚌🚈🚗⛵🛫
उत्तर-पश्चिम (वाय विन्डिंग अथवा तिल मिश्रित चावल का सेवन कर यात्रा करें)
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तिथि विशेष
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देवकार्ये शनैश्चरी अमावस्या आदि।
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आज जन्मे शिशु��ं का नामकरण
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आज २५:०२ तक जन्मे शिशुओ का नाम
पुनर्वसु नक्षत्र के द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ चरण अनुसार क्रमशः (को, ह, ही) नामाक्षर से तथा इसके बाद जन्मे शिशुओ का नाम पुष्य नक्षत्र के प्रथम चरण अनुसार क्रमश (हू) नामाक्षर से रखना शास्त्रसम्मत है।
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उदय-लग्न मुहूर्त
मिथुन - २७:४० से ०५:५५
कर्क - ०५:५५ से ०८:१७
सिंह - ०८:१७ से १०:३६
कन्या - १०:३६ से १२:५४
तुला - १२:५४ से १५:१५
वृश्चिक - १५:१५ से १७:३४
धनु - १७:३४ से १९:३८
मकर - १९:३८ से २१:१९
कुम्भ - २१:१९ से २२:४५
मीन - २२:४५ से २४:०८
मेष - २४:०८ से २५:४२
वृषभ - २५:४२ से २७:३६
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पञ्चक रहित मुहूर्त
अग्नि पञ्चक - ०५:२३ से ०५:५५
शुभ मुहूर्त - ०५:५५ से ०६:४६
मृत्यु पञ्चक - ०६:४६ से ०८:१७
अग्नि पञ्चक - ०८:१७ से १०:३६
शुभ मुहूर्त - १०:३६ से १२:५४
रज पञ्चक - १२:५४ से १५:१५
शुभ मुहूर्त - १५:१५ से १७:३४
चोर पञ्चक - १७:३४ से १९:३८
शुभ मुहूर्त - १९:३८ से २१:१९
रोग पञ्चक - २१:१९ से २२:४५
शुभ मुहूर्त - २२:४५ से २४:०८
शुभ मुहूर्त - २४:०८ से २५:०२
रोग पञ्चक - २५:०२ से २५:४२
शुभ मुहूर्त - २५:४२ से २७:३६
मृत्यु पञ्चक - २७:३६ से २९:२४
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आज का राशिफल
🐐🐂💏💮🐅👩
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मेष🐐 (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
आज का दिन आपके लिए लाभप्रद रहेगा। आप जिस कार्य को वृथा भाग-दौड़ वाला समझेंगे वही धन लाभ कराएगा। लापरवाही स्वभाव में दिनभर बनी रहेगी जिसके चलते कुछ ना कुछ हानि अवश्य उठानी पड़ेगी। कार्यक्षेत्र पर सहकर्मी अथवा नौकरों के ऊपर अति विश्वास नुकसान करा सकता है इसका ध्यान रखें। मध्यान्ह के आसपास विचित्र स्थिति बनेगी परिजन अथवा अन्य कोई वरिष्ठ व्यक्ति जिस कार्य को करने के लिए मना करेगा आप जबरदस्ती उस कार्य को करेंगे आरंभ में विरोध भी देखना पड़ेगा लेकिन सफलता मिलने पर सभी बगलें झांकने नजर आएंगे। जीवनसाथी को आप के कारण कुछ कष्ट हो सकता है। व्यवहार कुशल रहें अन्यथा घरेलू सुख को भूल ही जाएं। आज दिन के आरंभ में ही शनि संबंधित वस्तुओं का दान करने से प्रत्येक कार्य में सफलता की संभावना बढ़ेगी। सेहत व्यसन अथवा चोट के कारण गड़बड़ हो सकती है।
वृष🐂 (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
आज के दिन आप परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढालने में सफल रहेंगे। आप की मानसिकता जितना मिल जाए उतने में संतोष करने की रहेगी। लेकिन परिजन विशेषकर परिवार के छोटे सदस्य अन्य लोगों की देखा-देख��� किसी बहुमूल्य कार्य अथवा वस्तु के लिए जिद कर आपको दुविधा में डालेंगे। आज व्यवसा��ी हो या नौकरीपेशा दैनिक सुख सुविधा की पूर्ति के लिए किसी को भी ज्यादा भाग दौड़ करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी नहीं आप इसके पक्ष में रहेंगे। कार्य क्षेत्र से धन की आमद मध्यान्ह के बाद अक्समात बढ़ेगी। आज पुराने आर्थिक व्यवहार के कारण किसी से कहासुनी होने की संभावना है। घर का वातावरण भी कुछ समय के लिए उग्र होगा लेकिन आपके नरम व्यवहार के कारण गंभीर रूप धारण नहीं कर पाएगा। संध्या का समय दिन भर की उलझन को भुलाकर शांति से बिताएंगे। लेकिन भविष्य की चिंता मन में लगी ही रहेगी। किसी न किसी रूप में चोट घाव का भय है।
मिथुन👫 (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)
आज के दिन आप का मन वर्जित कार्यों के प्रति सहज आकर्षित होगा। स्वभाव में भावुकता भी अधिक रहेगी किसी की कही सुनी बातों पर तुरंत विश्वास कर लेंगे। जिसके परिणाम स्वरुप बाहरी संपर्कों की हानि एवं बदनामी हो सकती है। कार्यक्षेत्र पर उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा नौकरी पेशा जातक फिर भी परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढाल लेंगे लेकिन व्यवसायी वर्ग को ऐसा करने में परेशानी होगी। फिर भी धन लाभ आज एक से अधिक मार्ग से होगा भले ही थोड़ी थोड़ी मात्रा में ही हो। पारिवारिक वातावरण में असंतोष की भावना रहेगी। स्वयं अथवा परिजन के अनैतिक आचरण के कारण पड़ोसी अथवा किसी अन्य से झगड़ा होने की संभावना है। व्यर्थ के खर्चों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है अन्यथा ऋण वृद्धि होगी। पैतृक सुख सुविधा की वृद्धि के चक्कर में शत्रु वृद्धि के साथ शारीरिक कष्ट भी उठाना पड़ेगा। किसी भी आकस्मिक घटना दुर्घटना के लिए पहले से ही तैयार रहें।
कर्क🦀 (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
आज का दिन आपके लिए हानिकारक रहेगा। आप किसी भी कार्य को पूरी तरह से देखे भाले बिना ही अपना निर्णय देंगे अथवा बिना जांच पड़ताल किए उस पर कार्य आरंभ कर देंगे। इस कारण बाद में आर्थिक हानि के साथ समय भी बर्बाद होगा। कारोबारियों को आज कम समय में अथवा कम निवेश में ज्यादा लाभ कमाने के प्रलोभन मिलेंगे इनको बिना सोचे समझे ही मना कर दें यही आपके लिए हितकर रहेगा। धन की आमद ले-देकर कामचलाऊ हो ही जाएगी लेकिन मन को संतोष नहीं होगा। परिवार में आज अपने बुद्धि विवेक से तालमेल बैठाए रखेंगे। लेकिन घर के छोटे सदस्य एवं महिलाओं को परिस्थिति अनुसार ढालने में असमर्थ होंगे। संध्या के बाद परिस्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने लगेगा फिर भी आर्थिक व्यवहार आज किसी से ना करें। रक्तचाप की शिकायत हो सकती है। वाहन आदि से भी सतर्कता बरतें।
सिंह🦁 (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, ��े)
आज के दिन आप व्यर्थ की उलझन में फंस सकते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र पर वाणी एवं व्यवहार का प्रयोग बहुत सोच-समझकर करें कोई व्यक्ति केवल अपने मनोरंजन के लिए आपको विविध प्रकार से परख सकता है। कार्यक्षेत्र पर बुद्धि विवेक एवं धैर्य का परिचय देंगे लेकिन आज ना चाहकर भी उधार के व्यवहार बढ़ने से आर्थिक विषमताओं का सामना करना पड़ेगा। दोपहर के बाद धन लाभ के अवसर उपलब्ध होंगे फिर भी आर्थिक आमद संतोष प्रदान नहीं कर पाएगी। आज आप लंबी यात्रा की योजना भी बनाएंगे। संध्या बाद का समय सभी प्रकार से संतोषजनक रहेगा मित्र परिजनों के साथ वाहन उत्तम भोजन का सुख मिलेगा। सेहत भी आज के बीते दिन की तुलना में ठीक ही रहेगी फिर भी ठंडी वस्तुओं के प्रयोग से परहेज करें। बाहर ठीक रहेंगे पर घर में आते ही मन विचलित होगा।
कन्या👩 (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
आज के दिन आप थोड़ी-बहुत मानसिक बेचैनी को छोड़ चैन से ही बताएं। कार्यक्षेत्र पर कम परिश्रम से अधिक लाभ मिल सकता है। पर थोड़ी गुप्त युक्तियों का सहारा भी लेना पड़ेगा। किसी महत्वपूर्ण सौदे अथवा कार्य को लेकर मन में भय की स्थिति बनेगी यहां स्वयं निर्णय लेने से बचें अनुभवी व्यक्ति की सलाह अवश्य लें लाभ नहीं तो नुकसान से भी बचेंगे। धन की आमद आश्चर्यजनक होने पर कई दिनों से लगा आर्थिक सूखा मिटेगा। लेकिन विविध खर्चे पहले ही सर पर रहने के कारण बचेगा नहीं। पारिवारिक वातावरण किसी न किसी बात पर आपकी इच्छा के विरुद्ध ही रहेगा। इस कारण घर से ज्यादा बाहर समय बिताना पसंद करेंगे। भाई बंधुओं से अति आवश्यक होने पर ही बात करें अन्यथा आपको व्यर्थ की बातों में उलझाकर कलह कर सकते हैं। आज यात्रा से बचे वाहन अथवा उपकरणों से भी सावधानी रखें।
तुला⚖️ (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
आज के दिन आपमें अध्यात्म के प्रति विशेष लगाव रहेगा। मन में धर्म के गूढ विषयों को जानने की जिज्ञासा रहेगी। व्यस्तता एवं व्यवधानों के बाद भी दिन का कुछ समय धार्मिक कार्यों के साथ टोने टोटको के प्रयोग में भी देंगे। कार्यक्षेत्र पर मध्यान तक विविध उलझनों का सामना करना पड़ेगा। जिस किसी से भी सहयोग की आशा रखेंगे वही अपने निजी परेशानी बता कर पीछा छुड़ाएगा। फिर भी आज युक्ति मुक्ति लगाकर आवश्यकता अनुसार धन प्राप्त कर ही लेंगे। परिवार में अचल संपत्ति को लेकर कुछ ना कुछ परेशानी खड़ी होगी निवास स्थान में परिवर्तन के बारे में भी विचार कर सकते हैं। विदेश अथवा अन्य लंबी दूरी की यात्रा में अक्समात बाधा आने से मन निराश होगा। संध्या का समय मानसिक बेचैनी फिर भी दिन की अपेक्षा ठीक ही रहेगा।
वृश्चिक�� (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
आज दिन के आरंभ से ही सेहत में उतार-चढ़ाव आना शुरू हो जाएगा। इस वजह से दिनचर्या अस्त-व्यस्त ही रहेगी कार्यक्षेत्र पर जिस आशा से कार्य करेंगे उस में कुछ ना कुछ कमी रहेगी। उलझे हुए कार्यों को अपनी अथवा किसी निकटस्थ स्वजन की पद-प्रतिष्ठा का हवाला देकर पूर्ण करने का प्रयास करेंगे लेकिन इसमें भी कुछ अड़चन ही आएगी। आज केवल पैतृक कार्यों से बिना किसी झंझट के सहज लाभ कमा लेंगे। अन्य कार्यों से भी जोड़-तोड़ करने का प्रयास करेंगे लेकिन सफलता संदिग्ध ही रहेगी। कोई व्यावसायिक अथवा घरेलू कार्य से यात्रा की योजना अंत समय में निरस्त करनी पड़ सकती है। आरंभ में यह निराशा बढ़ाएगी लेकिन आज यात्रा में कुछ ना कुछ अनिष्ट होने का डर है यथासंभव टालना ही बेहतर है। घर में जीवनसाथी अथवा किसी अन्य प्रियजन को शारीरिक कष्ट पहुंच सकता है स्वयं भी जोखिम वाले कार्यों से बचें।
धनु🏹 (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)
आज का दिन बीते कई दिनों की तुलना में बेहतर रहने वाला है। पूर्व में मिली असफलताओं के चलते आज कार्य व्यवसाय के प्रति ज्यादा उत्साह नहीं रहेगा लेकिन आज कार्य क्षेत्र से अवकाश लेना महंगा पड़ सकता है। दोपहर तक परिश्रम के बाद धन की आमद आरंभ हो जाएगी आज पूर्व में जो सौदे मजबूरी में निरस्त करने पड़े थे। वह पुनः मिलने से कुछ ना कुछ लाभ दे कर जाएंगे। धन की आमद आशाजनक तो नहीं दैनिक आवश्यकता से अधिक ही होगी। नौकरी पेशा लोग कार्य पूर्ण करने के दबाव में जल्दबाजी करेंगे। घर परिवार में संतान अथवा किसी अन्य महत्वपूर्ण कारण से दोराय रहेगी। आप जिस कार्य को करने के पक्ष में रहेंगे परिजन उसके विपरीत ही अपना निर्णय लेंगे। अनैतिक मार्ग से धन कमाने का अवसर मिलेगा इसमें कुछ ना कुछ फायदा ही होगा। आकस्मिक अथवा पर्यटक यात्रा करनी पड़ेगी। सेहत सामान्य रहेगी लेकिन शुगर के रोगियों को चोट अथवा घाव होने से गंभीर परेशानी हो सकती है।
मकर🐊 (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)
आज का दिन आपके लिए विपरीत फलदायक रहेगा। आप अपनी ही गलती से शत्रु वृद्धि करेंगे। दिन के आरंभ में किसी पारिवारिक सदस्य से व्यर्थ की जिद बहस होगी इसका निर्णय कुछ नहीं निकलेगा लेकिन परिवार में अशांति फैलेगी। आज अध्यात्म के प्रति कुछ ज्यादा आस्था नहीं रहेगी फिर भी कार्यक्षेत्र पर पूर्व में किए किसी परोपकार का फल धन लाभ के रुप में मिल सकता है। कार्यक्षेत्र पर सहकर्मी अथवा अधीनस्थ निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए आपके गलत निर्णय पर भी हां में हां मिलाएंगे। कई दिनों से अटके सरकारी कार्य प्रयास करने पर या तो तुरंत बन जाएंगे अथवा परिणाम आप के विरुद्ध जा सकता है। संध्या का समय मित्र परिचितों के साथ आनंद में बिताएंगे लेकिन मित्र मंडली में बैठते समय आज भावुक होने से बचे अन्यथा सार्वजनिक क्षेत्र पर अपमान ज��सी स्थिति बन सकती है। खानपान देखभाल कर करें पेट संबंधित परेशानी अन्य रोगों का कारण बन सकती है।
कुंभ🍯 (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
आज का दिन आपकी उम्मीद पर खरा उतरेगा। आज दिन के आरम्भ में घरेलू मामलों को लेकर लापरवाही करेंगे। लेकिन आज व्यवसायिक कार्यों में अधिक गंभीरता दिखाएंगे। कार्यक्षेत्र पर धन की आमद रुक-रुककर होती रहेगी। आज जहां से सहज काम नहीं बनेगा वहां से दंड की नीति भी अपना सकते हैं। सहकर्मी अधीनस्थों को डरा धमका कर अपना काम चलाएंगे। पारिवारिक वातावरण कुछ समय के लिए उथल पुथल होगा। किसी परिजन की अनैतिक मांग को लेकर जिद बहस हो सकती है। परिवार के बड़े बुजुर्ग कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौप कर दुविधा में डालेंगे। संध्या का समय थकान से भरा रहेगा फिर भी मनोरंजन के अवसर तलाश ले लेंगे। सर दर्द अथवा बुखार की शिकायत हो सकती है।
मीन🐳 (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)
आज का दिन आपके लिए सामान्य फलदायक रहेगा। दिन के आरंभ में माता अथवा किसी अन्य परिजन से मतभेद हो सकते हैं। इसका प्रमुख कारण आपके अंदर अतिआत्मविश्वास एवं परिजनों के विरुद्ध कार्य करना होगा। कार्य क्षेत्र पर आज थोड़ी तेजी रहेगी धन की आमद थोड़े से प्रयास के बाद हो जाएगी लेकिन कार्य करते हुए भी मन में अनजाना भय रहने से खुलकर निर्णय नहीं ले पाएंगे। आज परिजन अथवा किसी अन्य विशेष व्यक्ति के कारण मानसिक बंधन भी अनुभव करेंगे। संध्या का समय दिन की अपेक्षा राहत भरा रहेगा। किसी प्रियजन से मुलाकात होगी सम्मान उपहार का आदान प्रदान मन को प्रसन्न रखेगा। आज दिनभर जिस व्यक्ति को दोष देंगे संध्या के आसपास वही किसी महत्वपूर्ण कार्य को बनाने में सहयोगी बनेगा। सरकारी कार्य बनाने के लिए धन खर्च करना पड़ेगा। आज किसी गुम चोट अथवा गुप्त रोग के कारण परेशानी हो सकती है।
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लखीमपुर खीरी 08 अप्रैल 2021
डीएस कॉलेज में हुआ मतदान कार्मिकों का प्रशिक्षण
डीएम ने लिया मतदान कार्मिकों के प्रशिक्षण का जायजा, दिए निर्देश
कोविड से बचाव उपायों के साथ सतर्कता व सावधानी से करें मतदान कार्मिक के दायित्वो का सजगता से निर्वहन : डीएम
गुरुवार को त्रिस्तरीय पंचायत सामान्य निर्वाचन 2021 हेतु डीएस इंटर कॉलेज में मतदान कार्मिकों का प्रशिक्षण हुआ।
डीएस कॉलेज में आयोजित मतदान कार्मिकों के प्रशिक्षण का जिला निर्वाचन अधिकारी (पंचायत)/डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने जायजा लेकर प्रभारी अधिकारी (प्रशिक्षण)/पीडी आरके चौधरी से प्रशिक्षण के संबंध में जानकारी हासिल की। उन्होंने मॉडल पोलिंग बूथ को देखा।
डीएम ने कहा कि कोविड से बचाव उपायों को करते हुए सतर्कता व सावधानी से मतदान कार्मिक के दायित्वो का सजगता से निर्वहन करें। मतदान को सकुशल कराए जाने की जिम्मेदारी मतदान कार्मिकों के कंधों पर है। उन्होंने पीठासीन ��धिकारी, मतदान अधिकारी प्रथम, द्वितीय व तृतीय के कार्य दायित्वों के बारे में जानकारी दी। प्रशिक्षण में दी जा रही जानकारियां को बारीकी से समझ ले। जिससे निर्वाचन प्रक्रिया में असुविधा न हो। पोलिंग पार्टी पीठासीन अधिकारी के नेतृत्व में पूरी टीम भावना से चुनाव को कराएं। प्रशिक्षण लेने के बाद सभी मतदान कार्मिक बैलेट बॉक्स की सीलिंग स्वयं करके देख ले। पीठासीन पुस्तिका में सभी प्रश्नों का उत्तर निहित है। उसे भली-भांति पढ़ ले आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगे।
इस दौरान प्रशिक्षण स्थल के विभिन्न कक्षों में जाकर डीएम ने कार्मिकों को मतदान की बारीकियां समझाई। उन्होंने कहा कि मतदान कार्मिकों की चुनाव ड्यूटी के दौरान मूलभूत सुविधाओं को ध्यान में रखने हेतु संबंधित को निर्देशित किया जा चुका है।
प्रभारी अधिकारी (प्रशिक्षण) रामकृपाल चौधरी ने कहा कि चुनाव की सभी बारीकियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जा रही। फिर भी यदि कोई आशंका हो तो निसंकोच अपनी जिज्ञासा का समाधान कर कर ले।
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मन की बात: पीएम मोदी ने कहा- सीखने की चाह कभी नहीं मरती, हम जिज्ञासा से कुछ नया सीखते हैं
चैतन्य भारत न्यूज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इस साल के आखिरी मन की बात कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि, 'चार दिन बाद नया साल शुरू होने वाला है। अगले साल अगली मन की बात होगी।' उन्होने कहा कि, 'देश में नया सामर्थ्य पैदा हुआ है। इस नई सामर्थ्य का नाम आत्मनिर्भरता है। देश में बने खिलौनों की मांग बढ़ रही है।' पीएम मोदी बोले, 'इस साल कई चुनौतियां और संकट आए, लेकिन हमने नया सामर्थ्य पैदा किया है। आत्मनिर्भर भारत के लिए वर्ल्ड लेवल के प्रोडक्ट बनाना जरूरी है।' मोदी ने मन की बात में नए साल, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी उत्पाद, वन्यजीव, युवाओं की सोच और कश्मीर के केसर जैसे कई मुद्दों पर बात की। हम जिज्ञासा से कुछ नया सीखते हैं हां, एक और बात मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं। कोरोना की वजह से इस साल इसकी चर्चा उतनी हो नहीं पाई है। हमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करने ��ा संकल्प लेना चाहिए। साथियो, इन प्रयासों के बीच, हमें ये भी सोचना है कि ये कचरा इन बीच पर, इन पहाड़ों पर, पहुंचता कैसे है? आखिर, हम में से ही कोई लोग ये कचरा वहां छोड़कर आते हैं। सामान्य सी लगने वाली प्रेरणाओं से बहुत बड़े काम भी हो जाते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं श्रीमान प्रदीप सांगवान! गुरुग्राम के प्रदीप सांगवान 2016 से हीलिंग हिमालयाज नाम से अभियान चला रहे हैं। मेरे प्यारे देशवाशियो, अभी हम, जिज्ञासा से, कुछ नया सीखने और करने की बात कर रहे थे। नए साल पर नए संकल्पों की भी बात कर रहे थे। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो लगातार कुछ-न-कुछ नया करते रहते हैं, नए-नए संकल्पों को सिद्ध करते रहते हैं। सीखने की चाह कभी नहीं मरती साथियो, श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी का जीवन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है, कि, जीवन, तब तक उर्जा से भरा रहता है, जब तक जीवन में जिज्ञासा नहीं मरती है, सीखने की चाह नहीं मरती है। इसलिए, हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि हम पिछड़ गए, हम चूक गए। जिज्ञासा की ऐसी ही उर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी 92 साल के हैं। वो इस उम्र में भी कंप्यूटर पर अपनी किताब लिख रहे हैं, वो भी, खुद ही टाइप करके। मेरे प्यारे देशवासियों, अभी दो दिन पहले ही गीता जयंती थी। गीता हमें, हमारे जीवन के हर संदर्भ में प्रेरणा देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवन श्रीकृष्ण की ही वाणी है। सीखने की चाह कभी नहीं मरती साथियो, श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी का जीवन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है, कि, जीवन, तब तक उर्जा से भरा रहता है, जब तक जीवन में जिज्ञासा नहीं मरती है, सीखने की चाह नहीं मरती है। इसलिए, हमें कभी ये नहीं सोचना चाहिए कि हम पिछड़ गए, हम चूक गए। जिज्ञासा की ऐसी ही उर्जा का एक उदाहरण मुझे पता चला, तमिलनाडु के बुजुर्ग श्री टी श्रीनिवासाचार्य स्वामी जी 92 साल के हैं। वो इस उम्र में भी कंप्यूटर पर अपनी किताब लिख रहे हैं, वो भी, खुद ही टाइप करके। मेरे प्यारे देशवासियों, अभी दो दिन पहले ही गीता जयंती थी। गीता हमें, हमारे जीवन के हर संदर्भ में प्रेरणा देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है? वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवन श्रीकृष्ण की ही वाणी है। कश्मीरी केसर को मिला जीआई टैग कश्मीरी केसर को जीआई टैग का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्किट में इसे लॉन्च किया गया। अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा। केसर के किसानों को इससे विशेष रूप से लाभ होगा। कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रसिद्ध है, जिसके कई प्रकार के औषधीय गुण हैं। कश्मीरी केसर मुख्य रूप से पुलवामा, बडगाम और किश्तवाड़ जैसी जगहों पर उगाया जाता है। इसी साल मई में, कश्मीरी केसर को जियोग्रफाकिकल इंडीकेशन टैग यानि जीआई टैग दिया गया। इसके जरिए, हम, कश्मीरी केसर को एक ग्लोबली पॉप्युलक ब्रांड बनाना चाहते हैं। जुनून और दृढ़निश्चय ऐसी दो चीजें हैं जिनसे लोग हर लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं भारत में तेंदुओं की संख्या 60 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी भारत ने 2014-2018 के बीच तेंदुए की आबादी में 60 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। 2014 में, भारत में तेंदुए की आबादी लगभग 7,900 थी। यह 2019 में बढ़कर 12,852 हो गया। देश के अधिकांश हिस्सों में, विशेषकर मध्य भारत में, इनकी आबादी बढ़ गई है। मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं एक ऐसी बात बताने जा रहा हूं, जिससे आपको आनंद भी आएगा और गर्व भी होगा। भारत में तेंदुओं की संख्या में, 2014 से 2018 के बीच, 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। आज ही के दिन गुरु गोविंद सिंह जी की माता जी– माता गुजरी ने भी शहादत दी थी। लोग, श्री गुरु गोविंद सिंह जी के परिवार के लोगों के द्वारा दी गई शहादत को बड़ी भावपूर्ण अवस्था में याद करते हैं। इस शहादत ने संपूर्ण मानवता को, देश को, नई सीख दी। पीएम मोदी ने साहिबजादे को किया याद लेकिन, हमारे साहिबजादों ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया, इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊंची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए। आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्��ा छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे देश में आतताइयों से, अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए, कितने बड़े बलिदान दिए गए हैं, आज उन्हें याद करने का भी दिन है। हमें वोकल फॉर लोकल की भावना को बनाए रखना है दिल्ली एनसीआर और देश के दूसरे शहरों में ठिठुरती ठंड के बीच बेघर पशुओं की देखभाल के लिए कई लोग, बहुत कुछ कर रहे हैं। वे उन पशुओं के खाने-पीने और उनके लिए स्वेटर और बिस्तर तक का इंतजाम करते हैं। साथियो, हमें वोकल फॉर लोकल की भावना को बनाए रखना है, बचाए रखना है, और बढ़ाते ही रहना है। मैं देश के मैन्यूफैक्चरर्स और इंडस्ट्री लीडर्स से आग्रह करता हूं: देश के लोगों ने मजबूत कदम उठाया है, मजबूत कदम आगे बढ़ाया है। वोकल फॉर लोकल ये आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में अब, यह सुनिश्चित करने का समय है, कि, हमारे प्रोडक्ट्स विश्वस्तरीय हों। भारतीय वनक्षेत्र में हुआ इजाफा साथियों, मैंने, तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक ह्रदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा। आपने भी सोशल मीडिया पर इसके विजुअल्स देखे होंगे। हम सबने इंसानों वाली व्हीलचेयर देखी है, लेकिन, ��ोयंबटूर की एक बेटी गायत्री ने, अपने पिताजी के साथ, एक पीड़ित कुत्ते के लिए व्हीलचेयर बना दी। आपको इन बातों की भी जानकारी होगी कि पिछले कुछ सालों में, भारत में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, साथ ही, भारतीय वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। इसकी वजह ये है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, सिविल सोसाइटी, कई संस्थाएं भी, हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं।देश के अधिकतर राज्यों में, विशेषकर मध्य भारत में, तेंदुओं की संख्या बढ़ी है। Read the full article
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अंखियों के झरोखों से - जाने क्या कहती हैं ये आंखें ? कैसे हो इनकी देखभाल?
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अंखियों के झरोखों से - जाने क्या कहती हैं ये आंखें ? कैसे हो इनकी देखभाल?
भारतीय फिल्मों में आंखों के ऊपर कई गाने फिल्माए गए हैं, वही बहुत सी गजलें कविताएं एवं नाटक आंखों को केंद्र में रखकर बने हैं।
ज्योतिष शास्त्र एवं सामुद्रिक शास्त्र में आंखों के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। ज्योतिष विज्ञान में दूसरा और बारवा भाव नेत्रों को दर्शाता है। आंखों के आकार को देखकर बहुत कुछ व्यक्ति के बारे में जाना जा सकता है।
बड़ी आंखों वाले आकार
बड़ी-बड़ी आखों वाले आत्मविश्वासी तथा फुर्ती से भरे होते हैं। जिद्दी तथा गर्म मिजाज का होना इनका स्वभाव होता है। वे बिना झिझके किसी से भी आसानी से बात कर लेते हैं तथा जल्द ही गहरा मेलजोल बढ़ा लेते हैं। खोज-बीन तथा जिज्ञासा की आदत इन्हें कई विषयों का जानकार बनाती है। वे अपने आगे किसी को टिकने नहीं देना चाहते-| न सुनना इनको शीघ्र क्रोेधित कर देता है। वे दोहरी जिंदगी जीते हैं। वे अपने जीवन में अध्ययन या शुभ कार्यों में लगे रहते हैंभाग्य इनका किसी भी तरह साथ देता रहता है। देरसबेर इनकी मेहनत जरूर रंग लाती है। जरूरत से ज्यादा समझदार तथा चालाक प्रवृत्ति के कारण यह अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण वस्तुएं, या मित्र आदि खो देते हैं। ये सबकी सुनते हैं, परंतु करते अपने मन की हैं। लोगों को आकर्षित करना, अपनी बात को मनवाना तथा काम निकलवाने का हुनर इनमें बखूबी होता है। या तो ये जीवन को बहुत ही संजीदगी से लेते हैं, या फिर बिलकुल लापरवाह होते हैं, जिसकी वजह से ये कई अवसर अपने हाथ से गंवा देते हैं|इनकी आंखों में भाव की अधिकता इतनी होती है कि सामने वाला हर झूठ को भी सच समझ लेता है। ये अपने जीवन में कई बार इतने उलझ जाते हैं कि स्वयं नहीं तय कर पाते कि क्या करें, या न करें। इनका सामाजिक दायरा बहुत विस्तृत होता है। फिर भी ये एकाकीपन में विचरण करते हैं, जिसकी वजह से या तो ये अध्यात्म की ओर मुड़ कर अपना जीवन सफल बनाते हैं, या फिर, चिंता तथा हीन भावना के कारण, मनोरोग पेदा कर लेते हैं।
मध्यम आकार की आंखें वाले
यदि आंखे मध्यम (न ज्यादा बड़ी, न ज्यादा छोटी) हैं, तो जीवन का सार तथा प्रभाव विचित्र एवं निराला होगा। जीवन परिवर्तनों तथा आकस्मिक घटनाओं से ओतप्रोत रहेगा। संघर्ष के बाद ही फल की प्राप्ति होगी। अपनी मूलभूत आवश्यकताओं तथा ऐशोआराम के शौक पूरे करने के लिए समय-समय पर वक्त से समझौते करने पड़ेंगे। साहस, दृढ़ता और आत्मविश्वास इनकी खूबी होगी तथा आलस, जल्दबाजी और मजबूरियां इनकी कमजोरी होगी। ये अपना काम स्वयं करने में विश्वास रखते हैं तथा किसी की बात को तब तक नहीं मानते, जब तक स्वयं अनुभव नहीं कर लेते। ये लोग अपनी जिंदगी में कई बार, या तो मानसिकता के कारण, या भावुकता के कारण अपने पैरों पर खुद क॒ल्हाड़ी मारते हैं तथा समय व्यर्थ गंवा कर पछताते हैं। इनके भीतर सकारात्मकता तथा ऊर्जा का भंडार होता है। पर यदि में इसका उपयोग करें, तो आकाश को भी छू आते हैं। कई बार ये अपनी उलझने. , खुद पैदा करते हैं और फंसते हैं।यदि ये कुछ करने पर आ जाएं, तो अपने बलबूते पर बड़े-से बड़े असामान्य तथा असंभव कार्य भी कर सकते हैं। ये खुल कर, इच्छा अनुसार, मन की पूरी करने से चूक जाते हैं तथा अपनी जरूरतों एवं जिम्मेदारियों में उलझ कर रह जाते हैं| इनके जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं घटती हैं, जिनकी वजह से इनका पूरा जीवन परिवर्तित हो जाता है और आगे का जीवन सुख-शांति से गुजरता है। बातों ही बातों में ये सामने वाले से राज उगलवा लेते हैं तथा उन्हें अपना बनाने की सामर्थ्य रखते हैं।
छोटी आंखें – बताया जाता है कि जिन लोगों की आंखें छोटी होती हैं वह बहुत गुस्सैल होते हैं। वह लोग दिल के साफ होते हैं। इन लोगों को सही-गलत का फैसला लेने के बाद ही जीवन में कोई निर्णय लेना पसंद होता है। ऐसे लोग किसी का बुरा नहीं करना चाहते हैं। लेकिन कई बार समाज को देखते हुए यह उनमें ढलने की कोशिश करते हैं।
गोल आंखें – कुछ लोगों की आंखें गोल आकार की होती हैं। सामान्य तौर पर जिस तरह नवजात शिशुओं की आंखें दिखती हैं इन लोगों की आंखें भी इसी प्रकार गोल होती हैं। कहते हैं कि यह लोग मन के बहुत भोले होते हैं। इन्हें किसी भी व्यक्ति से ईर्ष्या, घृणा या नफरत का भाव नहीं रहता है। माना जाता है कि ऐसे लोग हमेशा अपने मन में किसी का भला करने का ही सोचते रहते हैं। यह लोग ज्यादातर लोगों के पसंदीदा होते हैं।
एक चोटी और दूसरी बड़ी आंख
एक आंख थोड़ी छोटी होती है ऐसी आंखों वाले लोगों का जीवन बड़ा ही संघर्षशील होता है। इनकी जिंदगी में उतार-चढ़ाव बना रहता है। आर्थिक स्थिति भी डामाडौल बनी रहती है। कभी- कभी तो बहुत पैसा आता है, चारों तरफ से तरक्की के साधन खुले रहते हैं तो कई बार ऐसा होता है कि पैसों की बहुत कमी बनी रहती है।हजार कोशिशों के बाद भी पैसों की तंगी से छुटकारा नहीं मिल पाता। इस तरह जीवन में कभी असफलता तो कभी सफलता का चक्र बना रहता है, लेकिन एक बात यहां ठीक है कि बहुत समय तक इनकी एक जैसी स्थिति नहीं रहती बल्कि उसमें बदलाव होते रहते हैं।
सर्दी के मौसम में ठंड तासीर वाली चीजें आंखों के लिए नुकसानदेह है। बदलते मौसम में अधिक प्रकोप एलर्जी का होता है। जिसमें आंखों का लाल होना, दोनों आंखों से आंसू आना, आंखों में किरकिराहट महसूस होना प्रमुख लक्षण है। सर्दी के मौसम में ठंड तासीर वाली चीजों व एलर्जी से बचाव कर लिया जाए तो आंखों की अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. मिताली आत्रेय वशिष्ठ, MBBS,MS, FICO, FMR, MAIOS ने जानकारी देते हुए बताया की सर्दी के मौसम में एवं अत्यधिक ठंडे स्थानों पर रहने से आंखों में ड्रायनेस जैसी स्वास्थ्य समस्या आम होती हैं।हवा के सीधे संपर्क में आने या हीटर के एकदम पास बैठने से आंखों की नमी कम हो जाती है। जिससे आंखों में ड्रायनेस होती है। इसके अलावा ड्राइविंग के दौरान या कहीं धुआं या धूल में घर से बाहर निकलते समय आंखों पर चश्मा लगाएं। या कम्प्यूटर पर काम करने के दौरान बीच-बीच में आर्टिफिशियल टियर ड्रॉप आंख में डालें ।
ध्यान रखें – घर से बाहर निकलते समय आंखों पर चश्मा लगाएं। आंखों की सेहत के लिए विटामिन-ए और ओमेगा-थ्री एसिड तत्त्व से भरपूर चीजें खाएं। जैसे अलसी, अखरोट, रंगबिरंगी सब्जियां व फल आदि।
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मन की बात
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। आज विजयदशमी का त्यौहार है, वह दशहरा है। इस शुभ अवसर पर, आप सभी को हार्दिक बधाई। दशहरे का त्योहार असत्य पर सत्य की विजय में से एक है। लेकिन, साथ ही, यह संकटों पर धैर्य की जीत का त्योहार भी है। आज, आप सभी संयम के साथ चल रहे हैं, संयम के साथ त्योहार मना रहे हैं… और इसलिए, चल रही लड़ाई में, हमारी जीत भी सुनिश्चित है। पहले लोग दुर्गा पंडालों में मां के दर्शन के लिए उमड़ते थे। माहौल लगभग एक कार्निवल का होगा ... लेकिन इस बार यह संभव नहीं था। पहले दशहरा के अवसर पर भव्य मेले हुआ करते थे ... लेकिन वर्तमान समय में, उन्होंने एक अलग रूप धारण कर लिया। रामलीला का त्योहार भी इसके प्रमुख आकर्षणों में से एक था ... लेकिन अब, यह भी कुछ हद तक प्रतिबंधित हो गया है। इससे पहले नवरात्र के दौरान, गुजरात के गरबा के नोट सभी जगह गूंजेंगे… .इस बार सभी भव्य आयोजनों को रद्द कर दिया गया है। आने वाले दिनों में कई और त्यौहार आने वाले हैं। वहाँ ईद, शरद पूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती, उसके बाद धनतेरस, दिवाली, भाई दूज, चतुर्थी मैय्या की पूजा और गुरु नानक देव जी की जयंती… .. कोरोना के इस संकट से भरे दौर में, हमें धैर्य रखना होगा। , संयम का पालन करें।मित्रों, हमें अपने वीर जवानों के बारे में भी सोचना चाहिए, जो इन त्यौहारों के समय भी, भारत की सेवा और सुरक्षा में, अपनी ड्यूटी के दौरान अपनी सीमाओं पर मजबूती से तैनात रहते हैं। हमें अपने त्योहारों को मन में मनाते हुए मनाना होगा। हमें भारत माता के इन वीर सपूतों और बेटियों के सम्मान में घर में एक दीपक जलाना होगा। मैं अपने बहादुर सैनिकों को यह भी विश्वास दिलाना चाहूंगा कि सीमाओं पर दूर होने के बावजूद, पूरा देश उनके साथ है, उनके लिए शुभकामनाएं। मैं उन परिवारों के बलिदान को भी सलाम करता हूं, जिनके बेटे और बेटियां आज सीमा पर हैं। मैं हर उस व्यक्ति का आभार व्यक्त करता हूं जो घर या परिवार से दूर देश में एक या दूसरे तरीके से कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए होता है।मेरे प्यारे देशवासियो, आज जब हम स्थानीय के लिए मुखर हो रहे हैं, तो पूरी दुनिया भी हमारे स्थानीय उत्पादों का प्रशंसक बन रही है। हमारे कई स्थानीय उत्पादों में वैश्विक बनने की क्षमता है। ऐसा ही एक उदाहरण खादी है। खादी लंबे समय से सादगी का प्रतीक बना हुआ है, लेकिन अब हमारी खादी को इको फ्रेंडली कपड़े के रूप में जाना जा रहा है। स्वास्थ्य के लिहाज से यह एक बॉडी फ्रे��डली फैब्रिक है, यह एक ऑल वेदर फैब्रिक है और अब यह एक फैशन स्टेटमेंट भी बन गया है।न केवल खादी की लोकप्रियता बढ़ रही है बल्कि दुनिया के कई स्थानों में इसका उत्पादन किया जा रहा है। मेक्सिको में एक जगह है जिसे ओक्साका कहा जाता है, इस क्षेत्र में कई गाँव हैं जहाँ स्थानीय ग्रामीण खादी बुनते हैं। आज इस जगह की खादी को ओक्साका खाडी नाम से लोकप्रियता मिली है। ओक्साका में खादी कैसे पहुंची, यह भी कम दिलचस्प नहीं है। वास्तव में ओक्साका के एक युवा व्यक्ति, मार्क ब्राउन ने एक बार महात्मा गांधी पर एक फिल्म देखी। ब्राउन बापू पर इस फिल्म को देखकर इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने भारत में बापू के आश्रम की वंदना की, उन्हें समझा और उनके बारे में गहराई से सीखा। यह तब था, जब ब्राउन ने महसूस किया कि खादी केवल एक कपड़ा नहीं था; यह पूरी तरह से जीवन था। जिस तरह से खादी को ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता के साथ परस्पर जोड़ा गया था, उससे ब्राउन का बहुत गहरा संबंध था। यहीं पर ब्राउन ने मैक्सिको लौटने पर खादी पर काम करने का संकल्प लिया। उन्होंने मेक्सिको में ओक्साका के ग्रामीणों को खादी से परिचित कराया और उन्हें प्रशिक्षित किया। और अब ओक्साका खादी एक ब्रांड बन गया है। इस परियोजना की वेबसाइट शिलालेख of ग��ि में धर्म का प्रतीक ’है। आप इस वेबसाइट पर मार्क ब्राउन का एक बहुत ही दिलचस्प साक्षात्कार भी पा सकते हैं। वह बताते हैं कि शुरू में लोग खादी से सावधान थे लेकिन आखिरकार उन्हें दिलचस्पी हुई और एक बाजार इसके लिए तैयार हो गया। वह कहते हैं कि ये राम राज्य से जुड़े मामले हैं, जब आप लोगों की जरूरतों को पूरा करते हैं, तो लोग आपसे जुड़ने लगते हैं।दोस्तों, इस बार गांधी जयंती पर दिल्ली के कनॉट प्लेस में खादी की दुकान पर एक दिन में एक करोड़ रुपये से अधिक की खरीदारी हुई। इसी तरह कोरोना के दौरान खादी मास्क भी बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। स्वयं सहायता समूह और इस तरह के अन्य संस्थान देश के कई स्थानों पर खादी मास्क बना रहे हैं। उ.प्र। के बाराबंकी में एक महिला सुमन देवी जी हैं। सुमन जी, एक स्वयं सहायता समूह के अपने दोस्तों के साथ मिलकर खादी मुखौटे बनाने लगीं।धीरे-धीरे अधिक से अधिक महिलाएं उससे जुड़ने लगीं और अब वे हजारों खादी मुखौटे तैयार कर रही हैं। हमारे स्थानीय उत्पादों में यह सुंदरता है कि अक्सर उनमें एक पूर्ण दर्शन निहित होता है।मेरे प्यारे देशवासियों, जब हम अपनी चीजों पर गर्व करते हैं, तो उनके आसपास की दुनिया की जिज्ञासा भी बढ़ती है - जैसे हमारी आध्यात्मिकता, योग, आयुर्वेद ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। हमारे कई स्वदेशी खेल भी दुनिया का ध्यान आकर्षित करते हैं। आजकल हमारे मल्लखंभ भी कई देशों में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। जब चिन्मय पाटनकर और प्रज्ञा पाटनकर ने मल्लखंभ को अमेरिका में अपने घर से बाहर पढ़ाने का फैसला किया, तो उन्हें कम ही पता था कि यह कितना सफल होगा। मल्लखंभ प्रशिक्षण केंद्र पूरे अमेरिका में कई स्थानों पर चल रहे हैं। मलखंभ में बड़ी संख्या में अमेरिकी युवा शामिल हो रहे हैं और सीख रहे हैं। यह जर्मनी, पोलैंड या मलेशिया हो - मल्लखंभ लगभग 20 अन्य देशों में लोकप्रिय हो रहा है। और अब, इसकी विश्व चैम्पियनशिप भी शुरू की गई है जो कई देशों के प्रतिभागियों को देखती है। प्राचीन भारत में कई ऐसे खेल थे जो अपने भीतर असाधारण वृद्धि लाते थे - वे हमारे दिमाग और शरीर के संतुलन को नए आयाम देते हैं। हालाँकि, शायद नई पीढ़ी के हमारे युवा मित्र मल्लखंभ से परिचित नहीं हैं। इंटरनेट पर इसके बारे में अधिक खोज करें और अपने लिए देखें।दोस्तों, हमारे देश में मार्शल आर्ट के कई रूप हैं। मैं चाहूंगा कि हमारे युवा मित्र उनके बारे में और जानें और समय के साथ उनमें नवाचारों को लाएं। जब किसी के जीवन में बड़ी चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता है, तो सबसे अच्छा व्यक्तित्व भी सतह पर नहीं आता है - इसलिए हमेशा अपने आप को चुनौती देते रहें।मेरे प्यारे देशवासियो, यह कहा जाता है कि शिक्षा बढ़ रही है। आज मैं मन की बात में आपको एक ऐसे व्यक्ति से मिलवाऊँगा, जिसके पास एक उपन्यास का जुनून है। यह दूसरों के साथ पढ़ने और लिखने की खुशियाँ साझा करने का जुनून है। वह तमिलनाडु के थूथुकुडी से पोन मरियप्पन हैं। थूथुकुडी को पर्ल सिटी के नाम से भी जाना जाता है। एक बार यह पांडियन साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। इस शहर पोन मैरियप्पन के मेरे मित्र बाल काटने के पेशे से जुड़े हैं और एक सैलून चलाते हैं। एक बहुत छोटा सैलून। उन्होंने एक अनुकरणीय और प्रेरक कृति की है। उन्होंने अपने सैलून के एक छोटे से हिस्से को लाइब्रेरी में बदल दिया है। यदि कोई ग्राहक, अपनी बारी का इंतजार करते हुए, लाइब्रेरी से कुछ पढ़ता है और उस पर लिखता है, तो पोन मैरियप्पन, उसे छूट प्रदान करता है… ..तो क्या यह घुसपैठ नहीं है?आओ चलें थुकुकुड़ी जाते हैं ... पोन मरियप्पन जी से बात करते हैंमध्याह्न के बाद पोन मरिय्यपन जी वन्नामक, आप कैसे हैं?पोन: सम्मानित प्रधानमंत्री, वनक्कमपी। एम: वनक्कम वानाकम, आपको इस पुस्तकालय का विचार कैसे आया?पोन मरियप्पन: मैंने 8 वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। पारिवारिक परिस्थितियों के कारण मैं अपनी पढ़ाई को आगे नहीं बढ़ा सका। जब मैं पढ़े-लिखे लोगों को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मेरे अंदर कुछ है। इसलिए, मैंने सोचा कि क्यों न एक पुस्तकालय स्थापित किया जाए, जिससे बहुत से लोगों को लाभ हो, यह मेरे लिए प्रेरणा बन गया।प्रधान मंत्री: आपको कौन सी पुस्तक बहुत पसंद है?पोन मरियप्पन: 'थिरुक्कुरल' मुझे बहुत प्रिय है।प्रधान मंत्री: मुझे आपसे बात करके बहुत खुशी हुई। आपको शुभकामनायें।पोन मरियप्पन: मैं भी सम्मानित प्रधानमंत्री से बात करते हुए बेहद खुश महसूस कर रहा हूं।प्रधान मंत्री: शुभकामनाएंपोन मरियप्पन: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी।प्रधान मंत्री: धन्यवाद।हमने सिर्फ पोन मरियप्पन जी से बात की। देखें कि वह लोगों के बाल कैसे पहनते हैं, वह उन्हें अपने जीवन को भी संवारने का अवसर देता है। तिरुक्कुरल की लोकप्रियता के बारे में जानकर अच्छा लगा। आप सभी ने भी तिरुक्कुरल की लोकलुभावनता के बारे में सुना होगा। आज, तिरुक्कुरल भारत की सभी भाषाओं में उपलब्ध है। एक अवसर को देखते हुए, इसे अवश्य पढ़ना चाहिए। एक तरह से यह जीवन के लिए मार्गदर्शक है।दोस्तों, लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी कि पूरे भारत में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें ज्ञान प्राप्त करने की अपार खुशी मिलती है। ये ऐसे लोग हैं जो हमेशा सभी को अध्ययन के लिए प्रेरित करने के लिए उत्सुक रहते हैं। मध्य प्रदेश के सिंगरौली की एक शिक्षिका उषा दुबे जी ने वास्तव में एक स्कूटी को मोबाइल लाइब्रेरी में बदल दिया है। हर दिन वह किसी न किसी गाँव में जाती है और अपनी मोबाइल लाइब्रेरी में जाती है और वहाँ बच्चों को पढ़ाती है। बच्चे प्यार से उसे lov किटबोन वली दीदी ’कहते हैं, जो किताबों की बड़ी बहन है। इस साल अगस्त में, अरुणाचल प्रदेश के निरजुली में रेओ गाँव में, एक सेल्फ हेल्प लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। वास्तव में, जब इस गाँव से मीना गुरुंग और देवांग होस्वाई को पता चला कि उस क्षेत्र में कोई पुस्तकालय नहीं था, तो उन्होंने इसके वित्त पोषण के लिए हाथ बढ़ाया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस पुस्तकालय के लिए कोई सदस्यता नहीं है। कोई भी दो सप्ताह के लिए किताबें उधार ले सकता है। एक को पढ़ने के बाद उन्हें वापस करना होगा। यह पुस्तकालय पूरे सात दिन, 24 घंटे खुला रहता है। आसपास के माता-पिता काफी खुश हैं कि उनके बच्चे किताबें पढ़ने में व्यस्त हैं ... ख���सकर जब स्कूल भी ऑनलाइन कक्षाएं शुरू कर चुके हैं। चंडीगढ़ में, एक एनजीओ चलाने वाले संदीप कुमार ने एक मिनी वैन में एक मोबाइल लाइब्रेरी स्थापित की है, जिसके माध्यम से गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ने के लिए किताबें दी जाती हैं। इसके साथ ही मैं गुजरात के भाव नगर में दो संगठनों को जानता हूं जो अद्भुत कार्य कर रहे हैं। इनमें से एक है विकास वर्तुल ट्रस्ट। यह संगठन उन छात्रों के लिए बहुत मददगार है जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। यह ट्रस्ट 1975 से काम कर रहा है और 5000 पुस्तकों के साथ 140 पत्रिकाएं प्रदान करता है। । पुस्ताक परब ’एक ऐसा ही संगठन है। यह एक अभिनव परियोजना में, जो अन्य पुस्तकों के साथ-साथ साहित्यिक पुस्तकें भी मुफ्त में प्रदान करती है। इस पुस्तकालय में, आध्यात्मिकता, आयुर्वेदिक उपचार और कई अन्य विषयों से संबंधित पुस्तकें भी शामिल हैं। यदि आप इस तरह की अन्य पहलों से अवगत हैं, तो मैं आपसे निश्चित रूप से सोशल मीडिया पर साझा करने का आग्रह करता हूं। ये उदाहरण केवल किताबें पढ़ने या पुस्तकालय खोलने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि न्यू इंडिया की उस भावना के भी प्रतीक हैं, जहां हर क्षेत्र में, हर क्षेत्र के लोग समाज के विकास के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। गीता में इसका उल्लेख किया गया है-न हि ज्ञानेन सदाश्यामं पविरामिह विदेहते।मेरे प्यारे देशवासियो, कुछ दिनों में हम सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती, 31 अक्टूबर को 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में मनाएंगे। इससे पहले भी हम मन की बात में सरदार पटेल पर विस्तार से बात कर चुके हैं। हमने उनके महान व्यक्तित्व के कई आयामों के बारे में बात की है। आप कुछ ऐसे लोगों के बीच आएंगे जिनके व्यक्तित्व में बहुत सारे तत्व हैं- विचारों की गहराई, नैतिक साहस, राजनीतिक प्रतिभा, कृषि के क्षेत्र के गहन ज्ञान और राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता की भावना। क्या आप एक बात जानते हैं जो सरदार पाटे की हास्य की भावना को दर्शाता है? लौह-पुरुष की छवि की कल्पना करें, जो राजाओं और राजघरानों के साथ एक साथ बातचीत कर रहा था, श्रद्धेय बापू के जन आंदोलनों का प्रबंधन कर रहा था, और अंग्रेजों के खिलाफ भी लड़ रहा था ... और इन सभी में उनका हास्य भी पूर्ण रूप में था। बापू ने कहा था कि सरदार पटेल के मजाकिया भोज ने उन्हें इतना हंसाया कि उन्हें पेट में ऐंठन होने लगी। ऐसा सिर्फ एक बार नहीं बल्कि दिन में कई बार हुआ। इसमें हमारे लिए भी एक सबक है ... चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ क्यों न हों, अपनी समझदारी को जीवित रखें, इससे न केवल हमें आसानी होगी; हम अपनी समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम होंगे। यह वही है जो सरदार साहब ने किया था।मेरे प्रिय देशवासियों, सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की एकता के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के साथ भारतीय जनता को एकीकृत किया। उन्होंने किसानों के मुद्दों को स्वतंत्रता के साथ जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने हमारे राष्ट्र के साथ रियासतों के एकीकरण के लिए काम किया। वह प्रत्येक भारतीय के मन में ’अनेकता में एकता’ के मंत्र का आह्वान कर रहा था।दोस्तों, आज हमारे भाषण, हमारे असर और हमारे कार्यों के माध्यम से, हर पल हमें मूल्यों के पूरे स्पेक्ट्रम को आगे ले जाना है जो हमें एकजुट करते हैं ... ताकि एक हिस्से में रहने वाले नागरिक के मन में सहजता और अपनेपन का भाव उत्पन्न हो। दूसरे में रहने वाले नागरिक के लिए देश। हमारे पूर्वजों ने सदियों से लगातार ये प्रयास किए हैं। अब, उदाहरण के लिए परम पावन आदि शंकराचार्य का जन्म केरल में हुआ था और उन्होंने भारत के चारों दिशाओं में चार महत्वपूर्ण मठ स्थापित किए ... उत्तर में बद्रीकाश्रम, पूर्व में पुरी, दक्षिण में श्रृंगेरी और पश्चिम में द्वारका। उन्होंने श्रीनगर की यात्रा भी की और यही कारण है, एक 'शंकराचार्य हिल' वहां मौजूद है।मतलब, इस दुनिया में ज्ञान जैसा पवित्र कुछ भी नहीं है। जो लोग ज्ञान का प्रसार करते हैं, जो इस तरह की महान पहल करते हैं, मैं ऐसे सभी महान लोगों की सराहना करता हूं, जो मेरे दिल में हैं।तीर्थयात्रा अपने आप में भारत को एक आम सूत्र में पिरोती है; ज्योतिर्लिंगों और शक्तिपीठों की श्रृंखला भारत को आम सूत्र से बांधती है। त्रिपुरा से लेकर गुजरात और जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक स्थापित हमारे आस्था के केंद्र हमें एक करते हैं। भक्ति आंदोलन, भक्ति, भक्ति के माध्यम से हमें एकजुट करते हुए पूरे भारत में एक जन आंदोलन बन गया। एकता की ताकत वाले तत्वों को हमारे जीवन में दिन प्रतिदिन आत्मसात किया गया। हमारे देश की विभिन्न नदियाँ दक्षिण भारत की जीवन रेखा, कावेरी के उत्तर में सुदूर उत्तर में स्थित सिंधु से लेकर प्रत्येक अनुष्ठान से पहले मंगाई जाती हैं। अक्सर हमारे देश में लोग पवित्र मान्यता के साथ स्नान करते हुए या जप करते हैं, एकता का मंत्र:गंगेचित्यमुनेच्यते गोदावरी सरस्वती।नर्मदे सिंधु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरुइसी तरह, सिखों के पवित्र स्थलों में 'नांदेड़ साहिब' और 'पटना साहिब' गुरुद्वारे शामिल हैं। हमारे सिख गुरुओं ने भी अपने जीवन और महान कार्यों के माध्यम से एकता की भावना को समृद्ध किया है।पिछली सदी में, हमारे देश में, हमारे पास डॉ। बाबासाहेब अम्बेडकर जैसे दिग्गज थे जिन्होंने संविधान के माध्यम से हम सभी के बीच एकता स्थापित की।दोस्त,एकता शक्ति है, एकता शक्ति है,एकता प्रगति है, एकता सशक्तिकरण है,संयुक्त हम नई ऊंचाइयों को मापेंगेहालाँकि, ऐसी शक्तियाँ भी रही हैं जो लगातार हमारे मन में संदेह के बीज बोने की कोशिश करती हैं, और देश को विभाजित करने की कोशिश करती हैं। देश ने भी हर बार इन कुत्सित इरादों का करारा जवाब दिया है। हमें अपनी रचनात्मकता और प्रेम के माध्यम से निरंतर प्रयास करना है और अपने छोटे-छोटे कार्यों में भी 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के सुंदर रंगों को सामने लाना है! एकता के नए रंग भरने होंगे और प्रत्येक नागरिक को उन्हें भरना होगा। इस संदर्भ में, मैं आप सभी से एक वेबसाइट - ekbharat.gov.in पर जाने का आग्रह करता हूं। यह वेबसाइट हमारे राष्ट्रीय एकीकरण के अभियान को आगे बढ़ाने के लिए किए गए हमारे कई प्रयासों को प्रदर्शित करती है। इसमें एक दिलचस्प कोना भी है- दिन के लिए वाक्य। इस खंड में, हम हर दिन विभिन्न भाषाओं में एक वाक्य बोलना सीख सकते हैं। आप इस वेबसाइट में भी योगदान कर सकते हैं, उदाहरण के लिए हर राज्य और इसकी संस्कृति में विभिन्न प्रकार के व्यंजन हैं। ये व्यंजन विशेष स्थानीय सामग्रियों से बने होते हैं जिनमें अनाज और मसाले होते हैं। क्या हम the एक भारत श्रेष्ठ भारत ’वेबसाइट पर इन स्थानीय खाद्य पदार्थों की रेसिपी को स्थानीय सामग्रियों के नाम के साथ साझा कर सकते हैं?एकता और प्रतिरक्षा का प्रचार करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता है! दोस्तों, इस महीने की ३१ तारीख को, मेरे पास केवडिया में ऐतिहासिक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास और आसपास आयोजित होने वाले कई कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर होगा ... इनसे जुड़ें।मेरे प्यारे देशवासियो, 31 अक्टूबर को हम 'वाल्मीकि जयंती' भी मनाएंगे। मैं महर्षि वाल्मीकि के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करता हूं और इस विशेष अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। महर्षि वाल्मीकि के उदात्त आदर्श लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं और उन्हें शक्ति प्रदान करते हैं। वह करोड़ों वंचितों और दलितों के लिए बहुत आशा की किरण हैं ... उनके भीतर आशा और विश्वास पैदा करता है। वह कहते हैं कि अगर किसी में इच्छा शक्ति है, तो कोई भी आसानी से कुछ भी हासिल कर सकता है। यह वह इच्छा शक्ति है, जो कई युवाओं को असाधारण चीजें करने की ताकत प्रदान करती है।महर्षि वाल्मीकि ने सकारात्मक सोच पर जोर दिया - उनके लिए, सेवा की भावना और मानवीय गरिमा का अत्यधिक महत्व था। महर्षि वाल्मीकि का आचरण, विचार और आदर्श एक नए भारत के लिए हमारे संकल्प की प्रेरणा और मार्गदर्शक शक्ति हैं। हम भविष्य की पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने के लिए रामायण जैसे महाकाव्य की रचना करने के लिए महर्षि वाल्मीकि के हमेशा आभारी रहेंगे।31 अक्टूबर को हमने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती को खो दिया। इंदिरा गांधी। मैं सबसे अधिक सम्मानपूर्वक उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।मेरे प्यारे देशवासियों, आज कश्मीर में पुलवामा पूरे देश को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज, जब पूरे देश में बच्चे अपना होमवर्क करते हैं, या नोट्स तैयार करते हैं, इसके पीछे कहीं न कहीं पुलवामा के लोगों की मेहनत निहित है! कश्मीर घाटी पूरे देश के पेंसिल स्लैट्स, लकड़ी के आवरणों की लगभग 90% मांग को पूरा करती है, और इसमें से एक बहुत बड़ा हिस्सा पुलवामा से आता है। एक बार हम विदेशों से पेंसिल के लिए लकड़ी का आयात करते थे, लेकिन, अब हमारा पुलवामा देश को पेंसिल बनाने के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रहा है। वास्तव में, पुलवामा के ये पेंसिल स्लैट्स राज्यों के बीच अंतराल को कम कर रहे हैं! घाटी की चिनार की लकड़ी में उच्च नमी की मात्रा और कोमलता है, जो इसे पेंसिल के निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त बनाती है। पुलवामा में, ओखू को पेंसिल गांव के रूप में जाना जाता है। यहां, पेंसिल स्लैट्स की कई विनिर्माण इकाइयां स्थित हैं, जो रोजगार प्रदान करती हैं, और इन इकाइयों में बड़ी संख्या में महिलाएं कार्यरत हैं।दोस्तों, पुलवामा को यह पहचान तब मिली जब इस जगह के लोगों ने कुछ नया करने का फैसला किया, जोखिम लिया और खुद को इसके प्रति समर्पित कर दिया। ऐसे ही एक मनोरंजक व्यक्ति हैं मंज़ूर अहमद अलाई। इससे पहले, मंज़ूर भाई एक साधारण कर्मकार थे, जो लकड़ी काटने के काम में शामिल थे। मंज़ूर भाई कुछ नया करना चाहते थे ताकि उनकी आने वाली पीढ़ियों को गरीबी में न रहना पड़े। उन्होंने अपनी पैतृक भूमि बेच दी और Apple लकड़ी के बक्से के निर्माण के लिए एक इकाई की स्थापना की। वह अपने छोटे से व्यवसाय में लगे हुए थे जब उन्हें पता चला कि चिनार की लकड़ी का इस्तेमाल चिनार की लकड़ी के निर्माण में किया जा रहा है। यह जानकारी मिलने के बाद, मंज़ूर भाई ने अपनी उद्यमशीलता की भावना को दिखाया और कुछ प्रसिद्ध पेंसिल निर्माण इकाइयों को पॉपलर लकड़ी के बक्से की आपूर्ति शुरू की। मंज़ूर जी ने इसे बेहद लाभदायक पाया और उनकी आय में उसी समय वृद्धि हुई। समय बीतने के साथ, उन्होंने पेंसिल स्लेट निर्माण मशीनरी खरीदी और देश की कुछ बड़ी कंपनियों को पेंसिल स्लैट्स की आपूर्ति शुरू कर दी। आज, इस व���यवसाय से मंज़ूर भाई का कारोबार करोड़ों में है और लगभग दो सौ लोगों की आजीविका का साधन है। आज, मैं मन की बात के माध्यम से, सभी देशवासियों की ओर से, मंज़ूर भाई और अपने परिवार के साथ पुलवामा के उद्यमी भाइयों और बहनों की सराहना करते हैं - आप सभी हमारे देश के युवा दिमाग को शिक्षित करने में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं।मेरे प्यारे देशवासियों, लॉकडाउन के दौरान, देश में प्रौद्योगिकी आधारित सेवा वितरण के कई उदाहरणों की खोज की गई थी और ऐसा नहीं है कि केवल बड़ी तकनीक और लॉजिस्टिक कंपनियां ही इसके लिए सक्षम हैं। झारखंड में महिलाओं के एक स्वयं सहायता समूह ने यह उपलब्धि हासिल की है। इन महिलाओं ने किसानों के खेतों से सीधे सब्जियों और फलों को घरों तक पहुंचाने का काम किया। इन महिलाओं को एक ऐप Fresh अजिविका फार्म फ्रेश ’डिजाइन किया गया जिसके जरिए लोग सीधे सब्जियों को अपने घरों में पहुंचाने का आदेश दे सकते हैं। इस पहल के माध्यम से, किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित किया गया और खरीदारों के लिए ताजी सब्जियां भी उपलब्ध थीं। Idea अजिविका फार्म फ्रेश ’ऐप का यह विचार वहां बहुत लोकप्रियता हासिल कर रहा है - तालाबंदी के दौरान उनके द्वारा 50 लाख से अधिक मूल्य के फल और सब्जियां वितरित की गईं। दोस्तों, कृषि क्षेत्र में उभरती संभावनाओं के साथ, अधिक से अधिक युवा अब इस क्षेत्र में खुद को उलझा रहे हैं। मध्य प्रदेश के बड़वानी के अतुल पाटीदार ने डिजिटल माध्यम से अपने क्षेत्र में चार हजार किसानों को जोड़ा है। अतुल पाटीदार के ई-प्लेटफॉर्म फार्म कार्ड के माध्यम से, किसानों को अब कृषि - जैसे खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदनाशक आदि होम डिलेवरी की सुविधा मिल पा रही है - किसानों को उनके घर के दरवाजे पर ही जरूरत है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किराए पर आधुनिक कृषि उपकरण भी उपलब्ध हैं। लॉकडाउन के दौरान भी, कपास और सब्जियों के बीज वाले हजारों पैकेटों को इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया गया। अतुल जी और उनकी टीम किसानों को तकनीकी जानकारी देने का काम कर रही है और उन्हें ऑनलाइन भुगतान और खरीद के बारे में भी सिखा रही है.दोस्तों, हाल ही में, महाराष्ट्र की एक घटना ने मेरा ध्यान खींचा। वहां, एक किसान उत्पादक कंपनी ने मकई उत्पादक हार्वेस्टर से मकई की खरीद की। इस बार, कंपनी ने न केवल मकई की लागत का भुगतान किया, बल्कि इसके साथ एक अतिरिक्त बोनस भी दिया। यह किसानों के लिए सुखद आश्चर्य था। जब कंपनी से ऐसा ही पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा तैयार किए गए नए फार्म विशिष्ट कानूनों के तहत, किसान देश के किसी भी हिस्से में अपनी उपज बेचने में सक्षम हैं और उसी के लिए अच्छे दाम मिल रहे हैं। इस प्रकार, कंपनी ने किसानों के साथ अपने अतिरिक्त मुनाफे को साझा करने के बारे में सोचा। किसानों को इसका अधिकार था और इसलिए उनके साथ बोनस साझा किया गया था। दोस्तों, बोनस राशि छोटी हो सकती है लेकिन यह पहल बड़ी है। इसके माध्यम से, हमें पता चलता है कि जमीन पर, नए कृषि कानून किसानों के पक्ष में संभावनाओं से भरे हैं।एकता शक्ति है, एकता ताकत है: मन की बात के दौरान पीएम मोदी.मेरे प्यारे देशवासियों, आज की मन की बात में, मुझे अपने देशवासियों, देश और हमारी परंपराओं के पहलुओं को असाधारण रूप से सामने लाने का अवसर मिला है। हमारा देश प्रतिभाशाली लोगों से भरा है। यदि आप भी किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जानते हैं, तो उनके बारे में बोलें और लिखें और उनकी उपलब्धियों को साझा करें। आने वाले त्योहारों के लिए आपको और आपके परिवार को मेरी शुभकामनाएं। हालांकि, त्योहारों के दौरान याद रखें और भी बहुत कुछ करें - अपने मुखौटे पहनें, अपने हाथों को साबुन से धोते रहें और दो गज की दूरी बनाए रखें। दोस्तों, हम अगले महीने के मन की बात में फिर से बोलेंगे।बहुत बहुत शुक्रिया।
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24 मई रविवार, को मृगशिरा नक्षत्र में चंद्रमा होने से सौम्य नाम का शुभ योग दिनभर रहेगा। चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहेगा। ग्रह-नक्षत्र की इस शुभ स्थिति के प्रभाव से 7 राशि वालों को सितारों का साथ मिल सकता है। शुभ योग के प्रभाव से आज कुछ लोग नौकरी और बिजनेस में नए कामों की योजनाएं बना सकते हैं। किसी खास काम को लेकर बड़े लोगों से बातचीत हो सकती है। एस्ट्रोलॉजर बेजान दारूवाला के अनुसार आज 12 में से 7 राशि वालों के लिए दिन अच्छा रहेगा। वहीं अन्य 5 राशि वालों के लिए दिन ठीक-ठाक ही रहेगाा।
एस्ट्रोलॉजर बेजान दारूवाला के अनुसार 12 राशियों का फल
मेष - पॉजिटिव - मल्टीटास्किंग हमेशा आसान नहीं होती है, लेकिन आपके लिए यह बहते हुए पानी की तरह है। आपमें आया बदलाव और विश्वास आपको भी हैरान कर देगा। आप अभी आकर्षण से भरे हुए हैं। सेल्स प्रस्तुति या छोटी बैठकें इस समय आपके लिए प्रभावी साबित हो सकती हैं। नेगेटिव - अपने परिवार को पर्याप्त समय दें। उन्हें महसूस होने दें कि आप उनका ख़याल रखते हैं। उनके साथ अच्छा वक़्त बिताएँ और शिकायत करने का मौक़ा न दें। व्यवसाय में नए विचारों का स्वागत खुले दिमाग़ और तेज़ी के साथ करें। ऐसा करना आपके पक्ष में रहेगा। लव - कामुकता और फ़ंतासी इस समय आपके लिए सपनों की नयी दुनिया की तरह है। दिल में जागी इस असाधारण भावना को प्यार कहते है, इससे आप खुशी, उत्साह व नयी उमंग महसूस करेंगे। आप पाएंगे कि आपकी दुनिया ही बदल गयी है। व्यवसाय - व्यावसायिक साझीदार सहयोग करेंगे और आप साथ मिलकर टलते आ रहे कामों को पूरा कर सकते हैं। अपनी मेहनत से आपको एक अलग पहचान मिलेगी और अधूरे कार्य पूरे होंगे| स्वास्थ्य - लम्बे समय से पीड़ित रोगी भी समस्या का समाधान पाने में असमर्थ रहेंगे| भाग्यशाली रंग: गोल्डन, भाग्यशाली अंक: 2
वृष - पॉजिटिव - इस चरण में आपकी सभी आर्थिक चिंताएं दूर होंगी, क्योंकि आपको अभी वो मुआवजा प्राप्त होगा जिसका आप काफी समय से इंतज़ार कर रहे थे या कड़ी मेहनत के फलस्वरूप आपके वेतन में वृद्धि होगी। एक छोटी यात्रा की भी संभावना है। इसे नेटवर्किंग और आपने व्यवसायिक अवसरों को बढ़ाने के रूप में प्रयोग करें। नेगेटिव - ग्रहों की स्थिति की वजह से आपकी एकाग्रता में कुछ कमी आ सकती है। आपको सलाह दी जाती है कि अपनी भावनाओं पर काबू रखें और हर फैसला सोच समझ कर लें। बिना किसी की सलाह लिये बिना आज आपको पैसा कहीं भी इनवेस्ट नहीं करना चाहिए। लव - अगर आप इस समय अधिक उत्साहित महसूस कर रहे हों तो परेशान न हों क्योंकि यह स्वाभाविक है। उस व्यक्ति पर ध्यान दें जो आपके दिल के सबसे करीबी हो। व्यवसाय - आपकी आय में वृद्धि होगी| आपको सहयोगियों का साथ मिलेगा और आपके विरोधी भी आपकी प्रशंसा करेंगे| इस समय धन में बढ़ोत्तरी होगी और व्यापार भी बढेगा| स्वास्थ्य - मानसिक तनाव से बचना चाहते हैं तो क्रोध न करें और अच्छी नींद लें| भाग्यशाली रंग: आशमानी, भाग्यशाली अंक: 2
मिथुन - पॉजिटिव - इस समय आप बड़े पैमाने पर आर्थिक मुद्दों को भी संभालेंगे। इस समय आपकी आवश्यकता आपके घर में पड़ सकती है। आपके उद्देश्य की भावना को पुरस्कृत किया जाएगा इसलिए किसी बुजुर्ग या देखभाल करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहें। नेगेटिव - इस दौरान किसी भी तरह की यात्रा करने की योजना बनाना आपके लिए कष्टकारी हो सकता है। इसीलिए आपको सलाह दी जाती है, कि इस समय की जाने वाली यात्राओं को बाद के लिए टाल दें। यह समय खुद को अध्यात्म से जोड़ने के लिए बेहतर रहेगा। लव - और अपने प्यार के रिश्ते को और भी मजबूत बनाएं। अपने विचारों और दिल की बातों को किसी ऐसे के साथ साँझा करे जो वापसी में आपको यही दे। व्यवसाय - विदेश में नौकरी करने की इच्छा रखने वाले लोग सफलता प्राप्त करेंगे| नौकरी करने वाले लोगों को पदोन्नति एवं वेतन वृद्धि मिलने के संभावना प्रबल है| स्वास्थ्य - वाहन अथवा किसी मशीन से अचानक चोट लग सकती है इसलिए सावधान रहें| भाग्यशाली रंग: गोल्डन, भाग्यशाली अंक: 6
कर्क - पॉजिटिव - आपके पास अच्छा मौका है अपने काम के परिणाम को दोगुना या तीन गुना करने का। शब्दों के साथ जिज्ञासा और सुविधा आपको कई काम पहले ही करने की अनुमति दे देगी। फ़ोन वार्तालाप, लिखित पत्राचार और चैट की इस समय संभावना है। नेगेटिव - आज घर के लोगों के साथ बातचीत करते दौरान आपके मुंह से कोई ऐसी बात निकल सकती है जिससे घर के लोग नाराज हो सकते हैं। इसके बाद घर के लोगों को मनाने में आपका काफी समय जा सकता है। काम में दिलचस्पी बनाए रखने के लिए ख़ुद को शांत रखें। लव - इस समय आपको एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना है, जो शायद रोमांटिक रिश्ते के भविष्य से जुड़ा हुआ हो सकता है। अपने पार्टनर से मिलने और बातचीत करने के लिए समय और सही जगह खोजें। व्यवसाय - शेयर बाज़ार एवं प्रॉपर्टी द्वारा धन लाभ हो सकता है| सट्टा और लाटरी से हानि हो सकती है| अपना ध्यान अपने व्यवसाय को बढ़ाने में लगायें क्योंकि इसके लिए यह समय बहुत उचित है| स्वास्थ्य - योग, ध्यान और किसी अच्छी जगह का भ्रमण बहुत लाभदायक रहेगा| भाग्यशाली रंग: कथ्थई, भाग्यशाली अंक: 4
सिंह - पॉजिटिव - यह आपके लिए निस्संदेह व्यस्त अवधि होगी और आपकी रुचियां भी अलग अलग चीज़ों में हो सकती हैं, इसलिए आप बोर महसूस नहीं करेंगे। लोगों को बेहतर तरीके से जानने के लिए यह एक शानदार समय है और आपको पता होना चाहिए जो भी और जिसे भी आप जानते हैं वही महत्वपूर्ण है। नेगेटिव - अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है जिसके द्वारा सफलता प्राप्त होगी| सगे सम्बन्धियों से मिलने के अवसर मिलेंगे परन्तु किसी भी प्रकार की अनबन को अपने बीच न बढ़ने दें| आपकी व्यस्त दिनचर्या के चलते आपका जीवनसाथी आपके ऊपर शक़ कर सकता है। लव - दोस्त, प्यार या मनोरंजन सब प्यार से ही संभव है लेकिन इन सब से आप खुशियां प्राप्त कर सकते हैं। सुनना दिल का दृष्टिकोण और एक दूसरे के साथ रहने की वास्तविक इच्छा है जो दोनों को आकर्षित करती है और सभी घाव भर देती है। व्यवसाय - आपका धन व्यय बढ़ेगा| यह धन आपके घरेलु ख़र्चों और शौक़ पूरा करने में जायेगा| धन की आवाजाही ठीक ठाक रहेगी इसलिए अपने ख़र्चों को नियंत्रित करें| स्वास्थ्य - स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की संभावना है। भाग्यशाली रंग: हरा, भाग्यशाली अंक: 3
कन्या - पॉजिटिव - किसी अप्रत्याशित आय या विरासत से आप हाल में मिले आर्थिक झटके से उबर सकते हैं। इस धन का सोच-समझ कर निवेश करें। अपने मौजूदा कौशल को निखारने और नए कौशल को प्राप्त करने के लिए किसी कोर्स में नामांकन करना बुद्धिमानी होगी। नेगेटिव - ज़रूरी मरम्मत याख़रीद और देखभाल करने वालों की तंदुरुस्ती और स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करके घर में शांति स्थापित करें। शिक्षक या सलाहकार को सहायता की आवश्यकता होगी। मार्गदर्शन के लिए अपने निजी इतिहास को देखें लेकिन इसे भविष्य को निर्धारित न करने दें। लव - कोई खास व्यक्ति आपके प्यार, उपहार या आपके स्नेह के प्रतीक का पूरे दिल से प्रशंसा करेगा। रोमांस जीवन को रोमांचक बनाने के लिए बेहद ज़रूरी है। व्यवसाय - आपके मित्र आपके व्यापार में बहुत सहायक सिद्ध होंगे| अपने भाई बंधुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाने के प्रयास करें| स्वास्थ्य - कुछ कठिनाइयां जिनमे कोई चोट या दुर्घटना भी शामिल है। भाग्यशाली रंग: काला, भाग्यशाली अंक: 7
तुला - पॉजिटिव - वित्तीय योजना और रणनीति के लिए यह बिलकुल उपयुक्त समय है। इस समय आप अपने ज्ञान का पूरा प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे विषयों के बारे में बातचीत खोलने का भी यह एक अच्छा समय है जिनके बारे में आप लम्बे समय से बात करना चाहते थे। नेगेटिव - आज आप उम्मीदों की जादुई दुनिया में हैं। जिन लोगों ने कहीं निवेश किया था आज के दिन आपको आर्थिक हानि होने की संभावना है। आम परिचितों से व्यक्तिगत बातों को बांटने से बचें। इस दौरान आपको अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने की ओर कार्य करने की ज़रूरत है। लव - चाहत के साथ साथ इस समय आपका जीवन जुनून और उत्साह से भपुर है। इससे जिंदगी रंगीन हो जाएगी। अपने प्रियतम से बात करें और अपने दिल की हर बात को उससे शेयर करें। व्यवसाय - अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता है| आपके सभी कार्य पूर्ण होने के संकेत मिल रहे हैं परन्तु आपको धीरज से काम लेना होगा| अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए उसमे कुछ नयापन लाने का प्रयास करें| स्वास्थ्य - इस समय आपको अपने स्वास्थ्य का खास ख़याल रखने की सलाह दी जाती है। भाग्यशाली रंग: बादामी, भाग्यशाली अंक: 2
वृश्चिक - पॉजिटिव - सामाजिक रूप से, अपने समूह के बाहर निकलें और आप दिलचस्प नए मौकों के साथ नए लोगों से मिल सकते हैं। अपनी माता से आपके संबंधों में सुधार आएगा और आपके जीवन में उनका महत्व बढ़ेगा| अपने घर के लिए कुछ नया सामान ख़रीदने का अवसर मिलेगा| संतान को सफलता मिलने की संभावनाएं प्रबल हैं| नेगेटिव - आपको और सतर्क होकर अपने अध्ययन के बारे ध्यान देना होगा। यदि आप किसी प्रतियोगी एवं क्रीड़ा या कला, संगीत, फिल्मादि के क्षेत्रों में अपने प्रयासों को बढ़ा रहे है, तो उन्हें तेज कर दें। जिससे आपको अच्छे लाभ की स��थिति रहेगी। लव - इस समय कोई नयी शुरुआत या अचानक कोई अंत हो सकता है। कुछ संबंध खत्म होने के कगार पर हैं। यह संबंध रोमांटिक हो सकते हैं या किसी पार्टनरशिप में भी ब्रेकअप की संभावना है जो अभी काम नहीं कर रही है। व्यवसाय - अपने प्रयासों और दृढ निश्चय के कारण आप जल्दी ही सफलता प्राप्त कर सकेंगे| नौकरी अथवा व्यापार के कारण आपको अपने निवास स्थान से अलग रहना पड़ सकता है| स्वास्थ्य - इस समय अपनी सेहत का ध्यान रखें। भाग्यशाली रंग: पीला, भाग्यशाली अंक: 8
धनु - पॉजिटिव - यदि आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो समय का उपयोग अच्छे से करें| एकाग्रता शक्ति बढ़ेगी और शिक्षा सम्बंधित कार्यों में उन्नति मिलेगी| आपका पूरा ध्यान दैनिक सुख सुविधाओं को अर्जित करने पर रहेगा| आपका वैवाहिक जीवन बहुत सुखपूर्ण होगा| नेगेटिव - वैवाहिक जीवन में अपने जीवन साथी को समय दें और वाद विवाद से बचें| किसी भी व्यक्ति से अपने कोई भेद न खोलें। कठोर परिश्रम के माध्यम से आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। धन कमाने के लिए अपनी बुद्धि का प्रयोग करें एवं किसी अनुचित मार्ग को न अपनाएं। लव - बदलाव के लिए खुद को तैयार करें जैसे नए कपड़े या नया हेअरकट। आपकी रचनात्मकता और रोमांस व साहस की भावना सही व्यक्ति का ध्यान आकर्षित करेगी। व्यवसाय - यदि आप अपने व्यापार को बढ़ाने की सोच रहे हैं तो सावधानी बरतने की आवश्यकता है| आपके विरोधी आपके सामने नहीं टिक पाएंगे| नौकरी अथवा व्यवसाय के कारण आपको विदेश जाने का मौक़ा मिल सकता है| स्वास्थ्य - अपनी शारीरिक तंदुरुस्ती और रूप के लिए कुछ समय निकालें। भाग्यशाली रंग: केसरी, भाग्यशाली अंक: 3
मकर - पॉजिटिव - आपका आकर्षण और फलिर्टी स्वभाव आपको नए समूहों और समाजिक परिस्थितियों या शायद एक यात्रा तक ले जा सकता है। इस उत्साह या रोमांस के बीच अपने परिवार को न भूले। अपने भाई-बहन, कजिन, सहयोगियों या जो भी आपके दिमाग में है उनसे फ़ोन पर बात करें या उनके लिए एक पत्र लिखें। नेगेटिव - आर्थिक तंगी से बचने के लिए अनावश्यक ढंग से धन व्यय न करें। कोई बड़ा निवेश करने के लिए समय उपयुक्त नही है। लॉटरी एवं सट्टेबाज़ी के कारण धन की हानि हो सकती इसीलिए इनसे दूर रहें। शेयर बाज़ार में निवेश करते समय सावधानी बरतें। लव - जो आप चाहते हैं उसे पाने के लिए अपनी शक्तियों और कमजोरियों के बारे में जानें। आपकी भावनाएं और रोमांटिक कल्पनाएं आपके लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। व्यवसाय - आपको आमदनी के नए रास्ते दिखेंगे| शेयर बाज़ार में निवेश करने से लाभ होगा| प्रॉपर्टी का कार्य भी सफलता दिलाएगा| आपका समय अच्छा हो जायेगा और बिगड़े हुए कार्य बनेंगे| स्वास्थ्य - अपनी शारीरिक तंदुरुस्ती पर ध्यान दें। डॉक्टर या सलाहकारो से मिलें। भाग्यशाली रंग: आसमानी, भाग्यशाली अंक: 6
कुंभ - पॉजिटिव - दान पुण्य में शामिल होने के बारे में सोचें, जिससे आपके क्षितिज का विस्तार हो और जो आपको नए दृष्टिको�� को पाने में मदद करे। अभी आप पार्टी करने के मूड में हैं और जीवन के इस चरण में आप आसानी से नेटवर्क और नए दोस्त बनाने में सक्षम हैं। नेगेटिव - कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए सावधानी के साथ आगे बढें| अपने व्यवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए जीवनसाथी की भावनाओं का आदर करें| आप अपने कैरियर को बनाने के लिये कहीं देश एवं विदेश जिस स्तर पर आपने आवेदन दे रखा है वहाँ जाना पडे़गा। लव - सबके ध्यान का केंद्र बनें और आपको वो भी ज़रूर नोटिस करेगा जिसे आप दिलोजान से चाहते हैं। अपने और अपने साथी के बीच की केमिस्ट्री को महसूस करें। व्यवसाय - सुख सुविधाओं पर आप अधिक ख़र्च करेंगे| आपको धनार्जित करने पर ध्यान देना होगा अन्यथा समस्या उत्पन्न हो सकती है| अपने व्यवसाय से आपको एक संतुलित आर्थिक सहायता मिलती रहेगी| स्वास्थ्य - शारीरिक और भावनात्मक दोनों रूप से अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें। भाग्यशाली रंग: हरा, भाग्यशाली अंक: 1
मीन - पॉजिटिव - आप सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहेंगे। और अपने शब्दों से किसी को भी प्रभावित कर लेंगे। अच्छी बात यह है कि अभी आपको अपने नकारात्मक दृष्टिकोण से छुटकारा मिलेगा। धन कमाने के अच्छे अवसर मिलेंगे| आपके परिश्रम और अभ्यास से अच्छे परिणाम मिलेंगे| नेगेटिव - देनदारी को लेकर कुछ परेशान रहेंगे। जिससे संबंधित पक्ष के मध्य कलह एवं तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आपको ऐसा लगेगा कि यह जितनी रकम मिलनी चाहिये उससे कहीं कमतर है। हालांकि आय एवं व्यय के स्तर को और पुष्ट करने के लिये आपको पहले से अधिक प्रयास करने की जरूरत बनी हुई रहेगी। लव - अगर आप किसी के प्रति आकर्षित हैं तो उन्हें अपने पास आने दें। अगर आप प्रतिबद्धता को लेकर परेशान हैं तो, अपना सब कुछ अपने साथी को दे कर देखें, दुनिया आपको जन्नत लगेगी। व्यवसाय - धन मिलने के स्त्रोत बढ़ेंगे और आर्थिक स्थिति सुधरेगी| शेयर बाज़ार आदि से लाभ मिलने की संभावना है| आप जितना अधिक परिश्रम करेंगे उतना अधिक धन अर्जित कर पाएंगे| स्वास्थ्य - इस समय अस्पताल जाना अनिवार्य हो सकता है। भाग्यशाली रंग: लाल, भाग्यशाली अंक: 5
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Aaj Ka Rashifal Dainik Bejan Daruwalla in Hindi 24 May 2020 Rashifal Daily Horoscope
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