#जस्टिस अरुण मिश्रा
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Land Acquisition Law : सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया फैसला, भूमि अधिग्रहण को चुनौती नहीं दे सकते ऐसे जमीन मालिक
Land Acquisition Law : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में ये साफ कर दिया है कि भूमि अधिग्रहण को ऐसे जमीन मालिक चुनौती नहीं दे सकते है... आइए नीचे खबर में जाने कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से।
भूमि अधिग्रहण कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा, जो जमीन मालिक मुआवजा लेने से इनकार करते हैं, वे भूमि अधिग्रहण रद्द करने का दबाव नहीं डाल सकते। जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 की धारा 24 की व्याख्या करते हुए दिया। पीठ ने कहा, उसकी मंशा यही है कि असली जमीन मालिक को लाभ मिल सके। अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीच में कई मध्यस्थ आ जाते हैं, जो जमीन की ज्यादा कीमत सरकार से वसूलने के लिए प्रक्रिया में अड़ंगा लगाते हैं।
पीठ ने कहा कि मुआवजे की रकम कोर्ट में जमा न करने से अधिग्रहण समाप्त नहीं मान सकते। सिर्फ उन्हीं मामलों में पुराने कानून के तहत शुरू अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द होग��, जिनमें वर्ष 2013 के अधिनियम के प्रभावी होने वाले दिन (एक जनवरी 2014) से पांच वर्ष या इससे अधिक तक सरकार ने न तो मुआवजा दिया हो और न ही जमीन पर कब्जा लिया हो। पीठ ने भूमि अधिग्रहण कानून की व्याख्या को लेकर 2014 में पुणे नगर निगम और 2018 में इंदौर विकास प्राधिकरण मामलों में आए फैसलों को निरस्त कर दिया।
पीठ में जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस विनीत शरण, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस रवींद्र भट्ट भी हैं। कोर्ट ने कहा, अगर जमीन मालिक जानबूझ कर मुआवजा नहीं ले रहा तो सरकार की गलती नहीं कह सकते। अगर सरकार मुआवजा दे चुकी है, लेकिन किसी मुकदमे के चलते कब्जा नहीं ले पाई, तो इसे भी सरकार की गलती नहीं मान सकते। सरकार की गलती तभी मानी जाएगी जब उसकी लापरवाही हो। जैसे अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू करने के बावजूद न मुआवजा दिया हो और न कब्जा लिया हो। www.approxproperty.com
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NHRC चीफ जस्टिस अरुण मिश्रा: फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं, सरकार जवाबदेह है
NHRC चीफ जस्टिस अरुण मिश्रा: फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं, सरकार जवाबदेह है
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। “फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। सरकार अपने लोगों के प्रति जवाबदेह है, ”उन्होंने कहा। विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, न्यायमूर्ति मिश्रा ने न्यायपालिका में देरी पर चिंता व्यक्त की। इस कार्यक्रम…
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NHRC चीफ जस्टिस अरुण मिश्रा: फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं, सरकार जवाबदेह है
NHRC चीफ जस्टिस अरुण मिश्रा: फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं, सरकार जवाबदेह है
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। “फर्जी मुठभेड़ों के लिए कोई जगह नहीं है। सरकार अपने लोगों के प्रति जवाबदेह है, ”उन्होंने कहा। विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, न्यायमूर्ति मिश्रा ने न्यायपालिका में देरी पर चिंता व्यक्त की। इस कार्यक्रम…
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सुप्रीम कोर्ट: न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा का विदाई समारोह में शामिल होने से इनकार, ये बताई वजह
सुप्रीम कोर्ट: न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा का विदाई समारोह में शामिल होने से इनकार, ये बताई वजह
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न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के प्रधानमंत्री की प्रशंसा करने पर वकीलों के संगठनों की अलग-अलग राय
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के प्रधानमंत्री की प्रशंसा करने पर वकीलों के संगठनों की अलग-अलग राय
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा द्वारा पिछले सप्ताह आंतरिक न्यायिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए दिए गए बयान को लेकर वकीलों के शीर्ष संगठनों के भीतर बुधवार को मतभेद पैदा हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान मीडिया में जारी किया गया। इसमें न्यायमूर्ति मिश्रा के बयान पर चिंता और…
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देश में क़ानून नहीं बचा,सुप्रीम कोर्ट बंद कर देते हैं तो देश छोड़ना ही बेहतर होगा -जस्टिस अरुण मिश्रा https://www.instagram.com/p/Cca1YSVPugZ/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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CJAR ने 2017 के जुर्माने को वकीलों के निकाय को दान के रूप में मानने की अपील की - The hindu news
CJAR ने 2017 के जुर्माने को वकीलों के निकाय को दान के रूप में मानने की अपील की – The hindu news
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) द्वारा दी गई एक याचिका को तीन-न्यायाधीशों की बेंच के पास भेजा, जिसमें 2017 के शीर्ष अदालत के आदेश के आधार पर उसके द्वारा भुगतान किए गए 25 लाख को दान के रूप में माना जाना था। दिसंबर 2017 में, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस अरुण मिश्रा (दोनों अब सेवानिवृत्त) और एएम खानविलकर की तीन-न्यायाधीशों की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट…
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#CJAR#Prashant Bhushan#न्यायिक जवाबदेही और सुधार के लिए अभियान#भारत का सर्वोच्च न्यायालय#सीजेएआर याचिका#सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन
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जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में शांति के लिए अमित शाह के 'अथक प्रयासों' ने 'नए युग की शुरुआत की': NHRC प्रमुख
जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में शांति के लिए अमित शाह के ‘अथक प्रयासों’ ने ‘नए युग की शुरुआत की’: NHRC प्रमुख
NHRC के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांतिपूर्ण स्थिति को बढ़ावा देने का श्रेय दिया और कहा कि मंत्री के “अथक प्रयासों” ने क्षेत्रों के लिए “एक नए युग की शुरुआत” की है। . राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम के दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा ने…
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#अमित शाह#इंडियन एक्सप्रेस#जम्मू और कश्मीर#जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा#नरेंद्र मोदी#पूर्वोत्तर भारत#मानव अधिकारों के उल्लंघन#राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
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जीने के अधिकार के खिलाफ है दिल्ली में झुग्गियों को उजाड़ने का फैसला: सीपीआई-एमएल
जीने के अधिकार के खिलाफ है दिल्ली में झुग्गियों को उजाड़ने का फैसला: सीपीआई-एमएल
दिल्ली में रेलवे लाइन के पास बसी सभी झुग्गी बस्तियों को तीन महीने के भीतर उजाड़ने के आदेश से सीपीआई एमएल लिब्रेशन ने असहमति जताई है। CPI-ML का मानना है कि जस्टिस मिश्रा की बेंच द्वारा पारित ये आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंर्तगत मिले जीवन के अधिकार का खुलेआम उल्लंघन है। पार्टी ने जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच के इस फैसले को असंवेदनशील फैसला बताया है।
पार…
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रेलवे लाइन के किनारे से हटाई जाएंगी 48 हजार झुग्गी बस्तियां, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने एक फैसले में कहा है कि दिल्ली में 140 किलोमीटर रेलवे ट्रैक के किनारे बसी हुईं 48 हजार झुग्गी बस्तियों को हटाया जाए। खबर के मुताबिक कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस आर्डर पर देश की कोई भी अदालत स्टे ना लगाए। यह आदेश जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने दिए हैं।
#अवैध बस्तियों#एमसी मेहता#दिल्ली#सुप्रीम कोर्ट#स्टिस अरुण मिश्रा#LiveLaw#Newdelhi#RailwayStation#Slums#supremecourt
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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग अधिनियम को ठहराया वैध, अब आयोग कर सकेगा शिक्षकों की नियुक्ति
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग अधिनियम को ठहराया वैध, अब आयोग कर सकेगा शिक्षकों की नियुक्ति
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खास बातें
पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग अधिनियम वैध- SC
2008 में बनाया गया था पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग
अब आयोग कर सकेगा शिक्षकों की नियुक्ति
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग अधिनियम, 2008 को वैध बताया है. जस्टिस अरुण मिश्रा और यू यू ललित की पीठ ने पश्चिम बंगाल मदरसा सेवा आयोग अधिनियम, 2008 की संवैधानिक वैधताका फैसला करते हुए इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया…
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#2008#Kolkata highcourt#Supreme Court#WB Madrasa Service Commission Act#West Bengal#अधनयम#अब#आयग#क#कर#करट#कलकत्ता उच्च न्यायालय#जस्टिस अरुण मिश्रा#ठहरय#न#नयकत#पशचम#बगल#मदरस#मदरसा सेवा आयोग अधिनियम#यू यू ललित#वध#शकषक#सकग#सपरम#सव#सुप्रीम कोर्ट
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SC ने दिया रेलवे ट्रैक के किनारे से झुग्गियों को हटाने के आदेश
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि अब दिल्ली-एनसीआर में तीन महीने के अंदर लगभग 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को हटा दिया जाये | अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास बनी झुग्गियां हटाई जाएं | कोर्ट ने ये भी निर्देश दिया गया है कि कोई भी अदालत झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर स्टे नहीं देगी |
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 31 अगस्त को दिए एक आदेश में कहा, ‘अगर कोई अतिक्रमण के संबंध में कोई अंतरिम आदेश दिया जाता है, जो रेलवे पटरियों के पास किया गया है, तो यह प्रभावी नहीं होगा |’ सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि ये झुग्गी बस्ती हटाने के लिए चरणबद्ध तरीक़े से काम किया जाए | रेलवे सुरक्षा ज़ोन में सबसे पहले अतिक्रमण हटाया जाए, जो कि तीन महीने में पूरा कर दिया जाए |
कोर्ट ने इसके साथ ही जोर देकर ये भी कहा कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा | बता दें कि जस्टिस अरुण मिश्रा 2 सितंबर को रिटायर हो चुके हैं |
किसकी याचिका पर दिया गया फैसला?
बता दें कि 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी रेलवे ट्रैक के सेफ्टी जोन से झुग्गियों को हटाने का आदेश जारी किया था | उस दौरान काफी पॉलीटिकल ड्रामा हुआ था और सभी राजनीतिक पार्टियां झुग्गी में रहने वाले लोगों के समर्थन में उतर आई थी | इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी | सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश एम. सी. मेहता मामले में दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट साल 1985 के बाद से दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर आदेश जारी करता रहता है |
सुप्रीम कोर्ट ने बताया कैसे हटाई जाएंगी झुग्गियां?
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि दिल्ली सरकार, रेलवे और संबंधित नगर निगमों के सभी हितधारकों की बैठक की ��ाए | दिल्ली शहरी आश्रय सुधार ट्रस्ट (DUISB) की बैठक अगले सप्ताह बुलाई जाए और काम शुरू किया जाए | अपेक्षित राशि का 70% रेलवे वहन करेगी और 30% राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा |
https://kisansatta.com/sc-orders-to-remove-slums-from-the-side-of-railway-track/ #SCOrdersToRemoveSlumsFromTheSideOfRailwayTrack SC orders to remove slums from the side of railway track National, Top, Trending #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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By directing Mahakal’s Shivalinga from harm, Justice Arun Mishra said – By the grace of Mahadev, the final decision was also made. | महाकाल के शिवलिंग को नुकसान से बचाने का निर्देश देकर जस्टिस अरुण मिश्रा बोले- महादेव की कृपा से आखिरी फैसला भी हो गया Hindi News National By Directing Mahakal's Shivalinga From Harm, Justice Arun Mishra Said By The Grace Of Mahadev, The Final Decision Was Also Made.
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By directing Mahakal’s Shivalinga from harm, Justice Arun Mishra said – By the grace of Mahadev, the final decision was also made. | महाकाल के शिवलिंग को नुकसान से बचाने का निर्देश देकर जस्टिस अरुण मिश्रा बोले- महादेव की कृपा से आखिरी फैसला भी हो गया Hindi News National By Directing Mahakal's Shivalinga From Harm, Justice Arun Mishra Said By The Grace Of Mahadev, The Final Decision Was Also Made.
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जस्टिस अरुण मिश्रा की भावुक विदाई, कहा, 'मैंने हमेशा अंतरात्मा की आवाज सुनी'
जस्टिस अरुण मिश्रा की भावुक विदाई, कहा, ‘मैंने हमेशा अंतरात्मा की आवाज सुनी’
सुप्रीम कोर्ट में आज जस्टिस अरुण मिश्रा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट परंपरा के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की बेंच में बैठे. जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा दिए जाने वाले विदाई समारोह में कोरोना काल की वजह से शामिल नहीं हुए थे और उन्होंने इस पर असमर्थता जताई थी.
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पूर्व-एससी जज अरुण मिश्रा का पुराना नंबर, पेगासस स्नूप टारगेट लिस्ट पर कोर्ट के अधिकारी: रिपोर्ट
पूर्व-एससी जज अरुण मिश्रा का पुराना नंबर, पेगासस स्नूप टारगेट लिस्ट पर कोर्ट के अधिकारी: रिपोर्ट
राजस्थान स्थित एक सेलफोन नंबर जो पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नाम पर पंजीकृत था, 2019 में पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके एक कथित निगरानी अभियान के संभावित लक्ष्यों की सूची में जोड़ा गया था, द वायर ने बुधवार को रिपोर्ट किया। जबकि जस्टिस मिश्रा उस समय एससी जज थे – वे 3 सितंबर, 2020 को सेवानिवृत्त हुए – रिपोर्ट ने उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया कि उन्होंने “21…
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#इंडियन एक्सप्रेस न्यूज़#कवि की उमंग#जज अरुण मिश्रा पेगासस लिस्ट#पेगासस इंडिया के पत्रकार#पेगासस सूची#पेगासस स्पाइवेयर#प्रोजेक्ट पेगासस
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