#जमा
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thebharatexpress · 2 years ago
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बड़ी खुशखबरी: 10 जून से बैंक खातों में जमा होंगे 1000 रुपये, 31 मई को सूची हो जाएगी जारी
बड़ी खुशखबरी : भोपाल : मध्यप्रदेश के शिवराज सरकार की महत्वकांक्षी योजना लाड़ली बहना योजना को लेकर सरकार की तरफ से बड़ा अपडेट सामने आया हैं। बताया गया हैं की इस योजना के तहत अबत�� उन्हें 6400 आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। यह आपत्तियां महिला एवं बाल विकास विभाग को ऑनलाइन माध्यम से मिली हैं। प्राप्त आपत्तियों में इस अपात्रो के द्वारा भी आवेदन करने की शिकायतें हैं। विभाग की तरफ से जानकारी देते हुए बताया गया…
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subhashdagar123 · 11 months ago
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accountingsikhehindime · 2 years ago
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प्रमाणक (Voucher) क्या है। Voucher के विशेषताएँ, लाभ, उद्देश्य, मह्त्व, उपयोगिता क्या है।
नमस्कार दोस्तो इस पोस्ट मे आज हम बात करेगे की प्रमाणक (Voucher) क्या है। Voucher के विशेषताएँ, लाभ, उद्देश्य, मह्त्व, उपयोगिता क्या है। दोस्तो यदि आप किसी व्यवसाय मे लेखापाल (Accountant) का कार्य करते है। तो आप को प्रमाणक का अर्थ जरूर जानना चाहिए क्योकि किसी भी व्यवसाय मे प्रमाणक (Voucher) किसी भी सोदे का लिखित सबूत होता है। जिसके आधार पर ही Accounting का कार्य शुरू किया जाता है। इसलिए दोस्तो इस…
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kandeonlinecenter · 2 years ago
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vikash22 · 1 month ago
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#GodMorningWednesday
कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि बिना किसी मनोकामना के जो दान किया जाता है, वह दान दोनों फल देता है। वर्तमान जीव�� में कार्य की सिद्धि भी होगी तथा भविष्य के लिए पुण्य जमा होगा और जो मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। वह कार्य सिद्धि के पश्चात् समाप्त हो जाता है। बिना मनोकामना पूर्ति के लिए किया गया दान आत्मा को निर्मल करता है, पाप नाश करता है।
#noidagbnup16
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rajgour987 · 1 month ago
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सत भक्ति संदेश
दान करना
कितना अनिवार्य है ?
कबीर, मनोकामना बिहाय के हर्ष सहित करे दान । ताका तन मन निर्मल होय, होय पाप की हान ॥
भावार्थ:- कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि बिना किसी मनोकामना के जो दान किया जाता है, वह दान दोनों फल देता है। वर्तमान जीवन में कार्य की सिद्धि भी होगी तथा भविष्य के लिए पुण्य जमा होगा और जो मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है। वह कार्य सिद्धि के पश्चात् समाप्त हो जाता है। बिना मनोकामना पूर्ति के लिए किया गया दान आत्मा को निर्मल करता है, पाप नाश करता है।
• जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ०
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satlokashram · 1 year ago
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संचित कर्म:- संचित कर्म वे पाप तथा पुण्य कर्म हैं जो जीव ने जन्म-जन्मातरों में किए थे। उनका भोग प्राप्त नहीं हुआ है। वे जमा हैं।
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srbachchan · 1 year ago
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DAY 5769
Jalsa, Mumbai Dec 3/4, 2023 Sun/Mon 12:30 AM
the day has come to an end and the debates on the dining arouse immense curiosity .. they always do .. some of the benefits of awakened minds and souls .. of which I must add, there are an entire basket full .. basket because that is the one object that was the most relevant for me in my growing up years .. the basket at the front handle of the bicycle, which became the carrier of the all the goods that were asked of me to ge for the house and home .. the informal 'delivery boy' of the time ..
Now in the times of today there are units company's institutions that thrive and operate on the smallest of needs of the metro inhabitants .. well almost .. all ..
want to get something done , no problem .. there is a company that can be hired to do it for you .. simple ..
Not in my time .. then we had to do it ourselves .. and in deep earnest and efficiency .. else .. 'stand up on the bench ' 😳
On the matter of then and now .. there is a confession and a seeking of advice whether it has now become mandatory to speak about yourself .. your work, your ifs and buts and your ups and downs .. more downs really in the case of the writer .. but yes , the need ..
So viewing many of the informative ingredients of performances on the commerce , many in the Ef and others too keep giving , supposedly valid, informations on the subject ..
... and I shy away from them ..
never done it before .. beating my own drum ..
so we shall not ..
but there are exceptions .. and they gather each Sunday at the GOJ ..
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... the screams have died down on the appear .. the mobiles have risen .. catch the visual .. screams ..? well doesn't really matter the video of the moment carries more .. the music and the sound can always be put in later .. everyone is making their own movies and reels and instas ..
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ताऊ, नाना को चली है पीढ़ी, देखने जलसा गेट पर;
ये फाटक पर क्या गुल खिला है, देखें हम भी चलकर ।
ये भीड़ जमा क्यों होती है, आँखें चकित यूँ घूरें
"अम्मा गोदी " , भागे भैया, 'नाना को दूर ही रक्खें '
😂🤣😂
with love and affection
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Amitabh Bachchan
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taapsee · 7 days ago
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#सत_भक्ति_संदेश
कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि किसी मनोकामना पूर्ति के लिए जो दान दिया जाता है। वह कार्य सिद्धि के पश्चात समाप्त हो जाता है। बिना मनोकामना के जो दान किया जाता है, उससे कार्य भी पूर्ण होता है और भविष्य के लिए भी पुण्य जमा हो जाता है।
-संत रामपाल जी महाराज
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helputrust · 25 days ago
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|| जय श्री राम ||
लखनऊ 06.02.2025 | राम राज्य के वर्तमान समय में हमें अपने समाज के सबसे निर्धन और असहाय वर्ग की मदद के लिए आगे आना होगा । यह वह समय है जब हम उनके साथ मिलकर, उनकी मदद कर सकते हैं और उन्हें जीवन की आधारभूत जरूरतें प्रदान करने का संकल्प ले सकते हैं । इसी कड़ी में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा 'सियाराम की रसोई' अभियान की शुरुआत की गयी जिसका उद्देश्य है प्रतिदिन गरीबों को आपके सहयोग से नि:शुल्क भरपेट भोजन प्रदान कर मानवता की सेवा करना ।
आप अपने “कभी खुशी कभी गम” के यादगार पलों (जन्मदिवस, सालगिरह, पुण्यतिथि आदि) के शुभ अवसर पर निम्नलिखित तरीकों से जनहित में अपना अमूल्य समर्थन प्रदान कर सकते हैं:
1. ऑनलाइन दान करके आर्थिक सहायता प्रदान करना |
2. खाद्य सामग्री, जैसे कि अनाज, दाल, चावल, फल, सब्जियां और ताजा दूध आदि, को स��ग्रहित करके हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के समृद्धि केंद्र में जमा करना |
उल्लेखनीय हैं कि भोजन वितरण से पहले, आपके यादगार पलों / विशेष दिन के अवसर की घोषणा उपस्थित सभी लोगों के समक्ष की जाएगी, ताकि  आपको आध्यात्मिक साधकों से आशीर्वाद और शुभकामनाएं मिल सकें |
सियाराम की रसोई अभियान के अंतर्गत, श्री गणेश प्रसाद शाह जी, निवासी, मकान संख्या-5, मानस एनक्लेव, इंदिरा नगर, लखनऊ ने अपनी पत्नी स्वर्गीय माधुरी शाह जी के स्वर्गवास को एक माह पूर्ण होने पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित की | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की 'सियाराम की रसोई' योजना के अंतर्गत ₹2100/- का दान देकर  अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान किया जिसके लिए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट श्री गणेश प्रसाद शाह जी तथा उनके परिवार का आभार प्रकट करता है और स्वर्गीय माधुरी शाह जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है ।
इस अवसर पर स्वर्गीय माधुरी शाह जी के पति श्री गणेश प्रसाद शाह, पुत्र श्री ऋषि शाह, डॉ सिद्धार्थ शाह, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी डॉ. हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
#पुण्यतिथि #माधुरीशाह
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sanjanakumari01 · 2 months ago
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युग परिवर्तन कट
फ्रांस के डॉ. जूल्स वर्ने की भविष्यवाणी जो संत रामपाल जी महाराज पर खरी उतरती है।
भारत से उठी ज्ञान की धार्मिक क्रांति नास्तिकता का नाश करके आँधी तूफान की तरह सम्पूर्ण विश्व को ढक लेगी। उस भारतीय महान आध्यात्मक व्यक्ति के अनुयाई देखते-देखते एक संस्था के रूप में आत्मशक्ति से सम्पूर्ण विश्व पर प्रभाव जमा लेंगे।
संत रामपाल जी महाराज जी से
निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क
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subhashdagar123 · 11 months ago
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accountingsikhehindime · 2 years ago
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डेबिट नोट और क्रेडिट नोट मे अन्तर। 2023
नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट मे आज हम डेबिट नोट और क्रेडिट नोट मे अन्तर क्या है। के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करेगे। दोस्तों पिछली पोस्ट में मेने आप को Tally Prime मे Debit Note और Credit Note कैसे बनाये। के बारे में बताया था। तभी से मुझे कुछ Friends के Comments आ रहे हैं। की Sir हमे Debit Note और Credit Note मे Deference क्या है। के बारे में भी समझाइए। इसलिए आज मेने आप के लिए य़ह…
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chetnanandji · 2 months ago
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ईश्वर क्या है और क्या ईश्वर प्राप्ति करना चाहिए?
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मेरे अनुभव के अनुसार इस ब्रह्मांड में एक अद्वितीय तत्व है, यह तत्व हर वस्तु के भीतर व बाहर सभी जगह है! सभी निर्जीव वस्तुओं में अचेतन रूप में व सभी सजीव वस्तुओं में चेतन रूप में विराजमान है! यह तत्व नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है! यह नाश रहित अर्थात अविनाशी तत्व है! जैसे मकड़ी एक-एक तार से सुंदर जाल बुनती है उसी प्रकार प्रकृति ने इसी चेतन तत्व के धागों से इस सुंदर सृष्टि का सृजन किया है! इस तत्व को ही ईश्वर, भगवान, आत्मा, परमात्मा, मन, राम, कृष्ण, शिव, वाहेगुरु, अल्लाह आदि विभिन्न नामों से पुकारा या जाना जाता है क्योंकि यह तत्व हर प्राणी के भीतर है इसलिए जीव को ही शिव व शिव को ही जीव कहा जाता है अर्थात ईश्वर ही जीव है व जीव ही ईश्वर है। जब व्यक्ति "मैं कौन हूं?" विचार पर साधना पूर्ण करता है तो पाता है कि मैं ईश्वर हूं व जब ईश्वर कौन है? विचार लेकर साधना करता है तब वह जान पाता है कि मैं ही ईश्वर हूं! ईश्वर जीव से अलग कोई व्यक्तित्व नहीं है! हर जीव ही ईश्वर है व ईश्वर ही जीव है! बस सभी में जागरूकता का फर्क है! व्यक्ति ज्यों ज्यों साधना की गहराई में पहुंचता है त्यों त्यों जागरूकता अर्थात ज्ञान का उदय होता है व एक दिन अंधकार अर्थात अज्ञान पूर्ण रूप से खत्म होकर सत्य को प्रकट कर देता है व सत्य ही ईश्वर है।
ईश्वर प्राप्ति क्या है?
विभिन्न संतों द्वारा ईश्वर प्राप्ति के विभिन्न नाम रखे गए हैं जैसे आत्म साक्षात्कार, आत्मज्ञान, परमात्मा मिलन, निर्वाण या मोक्ष की स्थिति आदि! यह सभी एक ही स्थिति के नाम है! जब व्यक्ति विभिन्न साधनों द्वारा अपने मन को निर्मल कर लेता है तो यह पूर्ण निर्मल मन की स्थिति ही ईश्वर प्राप्ति है! जब तक मन में कामनाओं व वासानाओं रूपी मेल है तब तक बुद्धि सभी चीजों को विभिन्न रूपों में बांटती रहती है यह अज्ञान है व अज्ञान ही दुख, भ्रम व चिंता को जन्म देता है! लोभ, क्रोध, अभिमान, दुविधा, इर्ष्या, भय ये सब इसी अज्ञान की संतान है! साधनाओं द्वारा इस अज्ञान का समूल नाश करना ही साधक का लक्ष्य होता है। जब ज्ञान का उदय होता है तब मन पूर्ण पवित्र हो जाता है क्योंकि ज्ञान ही पवित्र करने वालों में श्रेष्ठ है व जब मन पूर्ण निर्मल हो जाता है वह स्थिति परम शांति दायक, परम आनंद दायक व परम ज्ञानी की स्थिति होती है। इसी को ही ईश्वर प्राप्ति, आत्म साक्षात्कार या निर्वाण कहा जाता है!
ईश्वर प्राप्ति का महत्व
बुद्धि ने सत्य को विषय और वस्तु (द्वेत) में विभाजित कर दिया है जिससे हर पल विचार उत्पन्न हो रहे हैं एवं मनुष्य विचलित रहता है व भावनाओं में बंधा हुआ खंडित होता ही रहता है और लालच, मोह और तृष्णा की पकड़ उस पर बढ़ती रहती है! जन्म से वृद्धा अवस्था के चक्कर में बीमारी और मृत्यु का भय उसके मन के चारों ओर बनी दीवारों को और प्रबल करता जाता है। इसलिए इस भ्रम को ही दूर करना जरूरी है। जब एक बार ये द्वेतका भ्रम टूट गया तो व्यक्ति स्वतंत्र होकर जीने लगता है! वह पूर्ण एकाग्र व पूर्ण जागरूक होकर पूर्ण ज्ञान व परम आनंद को प्राप्त करता है। ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार का रास्ता सब कुछ पाने का विज्ञान है! इस रास्ते पर चलने से व्यक्ति ना की अलौकिक जीवन में बल्कि भौतिक जीवन में भी कामयाबी की सर्वोत्तम ऊंचाइयों को छूता है! ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार के प्रयास के लिए मनुष्य को ना तो घर छोड़ने की जरूरत है व ना ही व्यवसाय बदलने की जरूरत है क्योंकि यह यात्रा बाहरी नहीं भीतरी है! आप अपने गृहस्थी व व्यवसाय को करते हुए भी स्व अनुशासन की साधना द्वारा ईश्वर प्राप्ति या आत्म साक्षात्कार कर सकते हैं।
निष्कर्ष
व्यक्ति अज्ञान अवस्था में खुद को नहीं जान पा रहे हैं। इस दुर्लभ मनुष्य जीवन को पाकर जो इसी जीवन में मन को निर्मल करने की चेष्टा व प्रयास नहीं करता उसका जन्म लेना ही बेकार है। तुम खुद ही कल्पवृक्ष हो, आप जो चाहो वैसा पा सकते हो। आप अपने अभी तक के जीवन को ध्यान से देखो तो ऐसा लगेगा कि आपने आपका पूरा जीवन व्यर्थ ही गवा दिया है। चैक करो कि अब तक आपने क्या उल्लेखनीय कार्य किया है जिस पर आप खुद, आपका परिवार, आपका देश आप पर गर्व कर सके। इसलिए मेरे दोस्तों, हर बड़े काम की शुरुआत कभी ना कभी छोटे से ही करनी पड़ती है। इसलिए आप जो भी कार्य कर रहे हैं उसके साथ-साथ मन को निर्मल करने वाली इस शुभ यात्रा को शुरू करें व लोगों को भी इस यात्रा पर चलने के लिए उत्साहित करें।
उदाहरण
जब किसान अपने खेत की सिंचाई करना चाहता है, तो उसे किसी अन्य स्थान से पानी लाने की आवश्यकता नहीं होती। खेत के समीप जलाशय में पानी जमा हो जाता है, बीच में बांध होने के कारण खेत में पानी नहीं आ रहा है। किसान बांध को हटा देता है और गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार पानी अपने आप खेत में चला जाता है। इसी प्रकार सभी प्रकार की उन्नति और शक्ति सभी मनुष्य में पहले से ही निहित है। पूर्णता मनुष्य का स्वभाव है; केवल उसके द्वार बंद हैं, उसे अपना सच्चा मार्ग नहीं मिल रहा है। यदि कोई इस बाधा को पार कर सके, तो उसकी स्वाभाविक पूर्णता उसकी शक्ति के बल पर अभिव्यक्त होगी। और तब मनुष्य अपने भीतर पहले से ही विद्यमान शक्तियों को प्राप्त कर लेता है। जब यह बाधा दूर हो जाती है और प्रकृति अपनी अप्रतिबंधित गति को पुनः प्राप्त कर लेती है, तब जिन्हें हम पापी कहते हैं, वे भी संत बन जाते हैं। प्रकृति स्वयं हमें पूर्णता की ओर ले जा रही है, समय आने पर वह सभी को वहां ले जाएगी। धार्मिक होने के लिए जो भी अभ्यास और प्रयास हैं, वे केवल प्रतिबंधात्मक कार्य हैं - वे केवल बाधा को दूर करते हैं और इस प्रकार पूर्णता का द्वार खोलते हैं जो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है; जो हमारा स्वभाव है!
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mrinalini810 · 1 year ago
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Kaate nahi kat-te hain lamhe intezaar ke, Nazarein jama ke baithe hain raste pe yaar ke, Dil ne kaha dekhein jo jalwe husn-e-yaar ke, Laaya hai koun inko, phalak se utaar ke.
काटे नहीं कटते हैं लम्हे इंतज़ार के,  नज़रें जमा के बैठे हैं रस्ते पे यार के, दिल ने कहा देखें जो जलवे हुस्न-ऐ-यार के,  लाया है कौन इनको, फलक से उतार के।
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kamini-vidrawan-ras-tablet · 4 months ago
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कामिनी विद्रावण रस टैबलेट
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कामिनी विद्रावण रस टैबलेट: एक आयुर्वेदिक स्वास्थ्य रत्न
आयुर्वेद में शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए कई तरह के औषधीय उत्पादों का उपयोग किया जाता है। उनमें से एक प्रसिद्ध औषधि है कामिनी विद्रावण रस। यह आयुर्वेदिक औषधि विशेष रूप से पाचन तंत्र को सुदृढ़ करने, शरीर में जमा दोषों को बाहर निकालने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। इस लेख में हम कामिनी विद्रावण रस टैबलेट के लाभ, उपयोग और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे।
कामिनी विद्रावण रस क्या है?
कामिनी विद्रावण रस एक आयुर्वेदिक योग है जो विशेष रूप से शरीर में विषाक्त पदार्थों को समाप्त करने (विसर्पण) के लिए तैयार किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर के अंदर जमा कफ और वात दोषों को शांति प्रदान करना और पाचन क्रिया को सुधारना है। यह औषधि विभिन्न जड़ी-बूटियों और खनिजों के मिश्रण से तैयार होती है, जो शरीर के अंदर संचित अवांछनीय तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है।
कामिनी विद्रावण रस के लाभ
पाचन तंत्र को सुधारता है कामिनी विद्रावण रस पेट की समस्याओं जैसे अपच, गैस, कब्ज, और अन्नास रोग को दूर करने में सहायक होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और भोजन के पोषक तत्वों को शरीर द्वारा बेहतर अवशोषित करने में मदद करता है।
विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है यह औषधि शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों और खतरनाक तत्वों को बाहर निकालने के लिए एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफाइंग एजेंट के रूप में काम करती है। यह रक्त को शुद्ध करने और शरीर से अवांछनीय तत्वों को बाहर निकालने में मदद करती है।
शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है कामिनी विद्रावण रस शरीर की सामान्य कार्यक्षमता को बढ़ाता है, जिससे थकान और कमजोरी दूर होती है। यह शरीर में ��र्जा का स्तर बनाए रखता है और शरीर को सक्रिय रखता है।
प्राकृतिक उपचार कामिनी विद्रावण रस का उपयोग प्राकृतिक तरीके से शर���र को स्वस्थ रखने में मदद करता है, बिना किसी गंभीर दुष्प्रभाव के। यह प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों से बना होने के कारण शरीर के लिए सुरक्षित है।
कामिनी विद्रावण रस का उपयोग कैसे करें?
कामिनी विद्रावण रस टैबलेट का सेवन सामान्यतः एक निर्धारित मात्रा में किया जाता है, जो आयुर्वेदाचार्य या डॉक्टर के निर्देशानुसार होता है। आमतौर पर इसे दिन में दो बार, खाने से पहले या बाद में पानी के साथ लिया जाता है। हालांकि, इसे लेने से पहले एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना हमेशा बेहतर होता है, ताकि आपके शरीर की विशेष जरूरतों के अनुसार सही खुराक निर्धारित की जा सके।
निष्कर्ष
कामिनी विद्रावण रस एक बहुपरकारी आयुर्वेदिक औषधि है, जो न केवल पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है, बल्कि शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने, ऊर्जा बढ़ाने और समग्र स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से शरीर के विभिन्न दोषों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति का जीवन अधिक स्वस्थ और ऊर्जा से भरा रहता है।
अगर आप भी अपने स्वास्थ्य को प्राकृतिक तरीके से सुधारना चाहते हैं, तो कामिनी विद्रावण रस को एक बार अपनी दिनचर्या में शामिल करके देख सकते हैं।
सुझाव: इस औषधि का सेवन शुरू करने से पहले एक अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
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