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गुरु की महिमा भजन लिरिक्स | Guru Ki Mahima Bhajan Lyrics
गुरुदेव भजन “गुरु की महिमा भजन लिरिक्स | Guru Ki Mahima Bhajan Lyrics” – गुरु भक्त के द्वारा गाया गया है। इस भजन में गुरु की भक्ति की महिमा का बखान किया गया है।
गुरु की महिमा भजन लिरिक्स
गुरुदेवा ओ म्हारा स्वामी देवा । चरण कमल री करु सेवा ॥
अधर आसन म्हारा ग़ुरुसा बिराजे । मै तो पँख़ी वाव ढुलावु देवा ॥1॥
कुँकु केसर अबीर गुलाल । मै तो चंदन तिलक लगावु देवा ॥2॥
चम्पो मरवो कली केवडो । फुलो रो हार पेरावु देवा ॥3॥
पान सुपारी दूध पताशा । मै तो मिश्री रो भोग लगावु देवा ॥4॥
सीरा पुरी और लापसी । मै तो लाडुडा रो भोग लगावु देवा ॥5॥
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Shubh Guru Purnima
हम सभी के जीवन निर्माण में गुरुओं की अहम भूमिका होती है। गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर उनका सम्मान करते हैं तथा अपने जीवन में उनके योगदान को सराहते हैं l पंचमुखी एयर एम्बुलेंस की टीम की तरफ से आप सबको गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!!
Website: - https://www.panchmukhiairambulance.com/
#पंचमुखीएयरएम्बुलेंस#गुरुपूर्णिमा#गुरुदेवजी#गुरुकीमहिमा#आदर्शगुरु#गुरुशिष्य#गुरुभक्ति#गुरुमहिमा#शिक्षागुरु#गुरुवंदना#गुरुकृपा#गुरुवंदन
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232 चरण सेवा
232 चरण सेवाजनकपुर घूमते हुए बहुत समय हो गया, रामजी कहते हैं- भाई! बहुत समय हो गया, गुरू जी ने कहा था कि जल्दी आ जाना। चलें! भवन को लौट चलें। गुरूजी का संध्या करने का समय हो रहा है, उनके नियम में बाधा न आए।भगवान गुरुभक्ति का अनुपम उदाहरण रखते हैं। गुरू जी की आज्ञा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए, अनुशासन भंग नहीं होना चाहिए।साधकों के लिए रामजी के दो सूत्र हैं-“मोते अधिक गुरुहिं जिय जानि।सकल भाँति सेवई…
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*🌞~ आज दिनांक - 19 सितम्बर 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग और पितृ-पक्ष कैलेंडर 2024 (तिथि अनुसार श्राद्ध) ~🌞*
*⛅दिनांक - 19 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - गुरूवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया रात्रि 12:39 सितम्बर 20 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद प्रातः 08:04 तक तत्पश्चात रेवती प्रातः 05:15 सितम्बर 20 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*⛅योग - वृद्धि शाम 07:19 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:05 से दोपहर 03:36 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:31*
*⛅सूर्यास्त - 06:36*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:40 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:09 से दोपहर 12:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:10 सितम्बर 20 से रात्रि 12:57 सितम्बर 20 तक*
*व्रत पर्व विवरण - द्वितीया श्राद्ध, सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 08:04 से प्रातः 06:28 सितम्बर 20 तक)*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹स्नान कैसे करना चाहिये ??🔹*
*🔸जहाँ से प्रवाह आता हो वहाँ पहले सिर की डुबकी मारें । घर में भी स्नान करे तो पहले जल सिर पर डालें.... पैरों पर पहले नहीं डालना चाहिए । शीतल जल सिर को लगने से सिर की गर्मी पैरों के तरफ जाती है ।*
*🔸और जहाँ जलाशय है, स्थिर जल है वहाँ सूर्य पूर्वमुखी होकर स्नान करें ।*
*🔸घर में स्नान करें तो उस बाल्टी के पानी में जौ और तिल अथवा थोड़ा गोमूत्र अथवा तिर्थोद्क पहले (गंगाजल आदि) डाल कर फिर बाल्टी भरें तो घर में भी तीर्थ स्नान माना जायेगा ।*
*🔹 गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸 हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸 गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸 एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल ��ालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*🌹पितृ-पक्ष कैलेंडर 2024 (तिथि अनुसार श्राद्ध)*
*(श्राद्ध पक्ष - 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2024)*
🔸 *17 सितम्बर* 2024, मंगलवार- *पूर्णिमा* का श्राद्ध *महालय श्राद्धारम्भ*
🔸 *18 सितम्बर* 2024, बुधवार - *प्रतिपदा* का श्राद्ध
🔸 *19 सितम्बर* 2024, गुरुवार - *द्वितीया* का श्राद्ध
🔸 *20 सितम्बर* 2024, शुक्रवार - *तृतीया* का श्राद्ध
🔸 *21 सितम्बर* 2024, शनिवार - *चतुर्थी* का श्राद्ध
🔸 *22 सितम्बर* 2024, रविवार - *पंचमी* का श्राद्ध
🔸 *23 सितम्बर* 2024, सोमवार - *षष्ठी व सप्तमी* का श्राद्ध
🔸 *24 सितम्बर* 2024, मंगलवार - *अष्टमी* का श्राद्ध
🔸 *25 सितम्बर* 2024, बुधवार - *नवमी* का श्राद्ध
🔸 *26 सितम्बर* 2024, गुरुवार - *दशमी* का श्राद्ध
🔸 *27 सितम्बर* 2024, शुक्रवार - *एकादशी* का श्राद्ध
🔸 *29 सितम्बर* 2024, रविवार - *द्वादशी* का श्राद्ध
🔸 *30 सितम्बर* 2024, सोमवार - *त्रयोदशी* का श्राध्द
🔸 *1 अक्टूबर* 2024, मंगलवार- *चतुर्दर्शी* का श्राध्द *आग-दुर्घटना-अस्त्र-शस्त्र-* अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध
🔸 *2 अक्टूबर* 2024, बुधवार - *अमावश्या* का श्राध्द व *सर्वपित्री अमावस्या* (अज्ञात तिथीवालों का श्राध्द)
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मेष लग्न में नवम भाव में सूर्य शनि केतु बृहस्पति बुध की युति?
मेष लग्न में नवम भाव में सूर्य, शनि, केतु, बृहस्पति, और बुध की युति कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों को प्रकट कर सकती है। यह योग किसी व्यक्ति के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों का कारण बन सकते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ संभावित प्रभाव:
सूर्य (अत्यंत आध्यात्मिक और अधिकारियों का प्रतिपादक): नवम भाव में सूर्य धर्म, ज्ञान, और यात्रा के क्षेत्र में अधिक प्रभावी हो सकता है। इस योग का व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति, गुरुभक्ति, और नैतिकता के प्रति अधिक आकर्षण हो सकता है।
शनि (कठिनाइयों और धैर्य का प्रतिपादक): नवम भाव में शनि का प्रभाव धर्म, शिक्षा, और गुरु के प्रति समर्पण में कठिनाइयों का संदेश देता है। इस योग से व्यक्ति को अधिक प्रयास करने की आवश्यकता हो सकती है और उसे अपने ध्यान को धर्मिक और आध्यात्मिक विकास में लगाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
केतु (आत्मज्ञान और अनन्तता का प्रतिपादक): केतु की स्थिति नवम भाव में व्यक्ति को आत्मज्ञान और अनन्तता की दिशा में अधिक प्रेरित कर सकती है। इस योग से व्यक्ति को अपने आत्मा के साथ संपर्क में आने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
बृहस्पति (धर्मिक और ज्ञान का प्रतिपादक): नवम भाव में बृहस्पति का प्रभाव व्यक्ति को धार्मिक ज्ञान, शिक्षा, और गुरु के प्रति श्रद्धा में वृद्धि कर सकता है। इस योग से व्यक्ति को धार्मिक या फिलॉसोफिक ध्यान की दिशा में प्रेरित किया जा सकता है।
यह प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर निर्भर करते हैं, और व्यक्ति की कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति और दशाओं के साथ भी संबंधित हो सकते हैं। इस��िए, यह सुझाव दिया जा सकता है की आप कुंडली चक्र प्रोफेशन २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर के। आप एक सटीक जानकारी ले सकते है।
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( #Muktibodh_part196 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part197
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर 375-376
◆बोधसागर◆
◆ धर्मदास वचन
होप्रभु तुम्ह सतपुरुष कृपाला। ��न्तर्यामी दीन दयाला।।
मोहि निश्चय तुवपद् विश्वासा। यह माया स्वप्नेकी आशा॥
जिन्ह जिन्ह माया नेह बढाया। तिन्ह २ निज २ जन्म गँवाया।।
सवालाख तुम मोहि बतायो। सवा करोड प्रभु आरति लायो।
औ जन सम्पति मोर घरआही।
अरपों सभे संतन जो चाही।।
तुम प्रभु निःइच्छा नहिं चाहो। धन्य समरथ मर्याद दिढाहो॥
सो जिव पाँवर नरके जायी। शक्ति अक्षत जो राखु छिपायी।।
हो प्रभु कछु विनती अनुसारूं। बक्सहु ढिठाई तो वचन उचारूं।।
सवाशेर भाषहु मिष्टाना। औरौ वस्तु सवासो पाना।।
हो प्रभु कोई जिव भिक्षुक होई। भीख माँगि तन पाले सोई॥
सो जिव शब्द तोहार न जाने। कहहु केहि विधि लोक पयानै॥
◆ सतगुरू वचन
हो धर्मनि जौ अस जिव होई। गुरू निज ओर करै पुनि सोई॥
इतने विनु जिव रोकि न राखा। छोरी बन्ध नाम तिहि भाखा॥
◆ धर्मदास वचन
धन्य धन्य तुम दीन दयाला। दया सिन्धु दुखहरण कृपाला।।
छन्द - तुम धन्य सद्गुरु जीव रक्षक कालमर्दन नाम हो॥
शुभ पन्थ भक्ति दिढायऊ प्रभु अमर सुखके धाम हो॥
मैं सुदिन आपन तबहिं जान्यो प्रथमपद् जब देखेऊं॥
अव भयेऊँ सुखी निशङ्क यमते सुफल जीवन लेखेऊं॥
दोहा - विनती एक करौं प्रभु , कृपा करहु जगदीश॥
दो सेवक जो तुम मिले, सो तो कहुँ नहिं दीश॥
◆सतगुरू वचन
सोरठा - धर्मदास लेहु जानि, हम वो एके थान है॥
कदौ शब्द परमान, वो हम में उन माँहि हम॥
◆ज्ञानप्रकाश◆
◆धर्मदास वचन- चौपाई
हो प्रभुउन मोहिं बड़ सुख दीन्हा। तुम भये गुप्त राखि उन्ह लीन्हा॥
विरह सिन्धु बूड़त उन्ह राखा। उन्ह दरशनकी हे अभिलाखा।।
◆ सतगुरू वचन
हो धर्मनि हम माँहि उन्ह देखो।उन्ह मोहिं द्वितियभावजनिलेखो।।
स्वामा सेवक एके प्र ना। परिचे सुरति नाहि�� विलगाना।।
हो धर्मनि तुमहूँ इम माहीं। मोहिं तोहि अब अन्तर नाहीं।।
जो सेवक गुरू सुरति खमीरा। जीवन मुक्ति सो आहि कबीरा॥
जेहि सेवक गुरुही परशंसा। कहै कबार सो निर्मल हंसा॥
सेवक कहँ अस चाहिये भाई। गुरुहि रिझावे आपु गंवाई॥
जिमि नटकला मगन होय खेला। तिमि गुरुभक्ति मगन होय चेला।।
जितनमन सुख स्वाद गंवावे। मन वच कर्म गुरु सेवा लावै॥
निशिवासर सेवा चित देई। गुरुहिं रिझाय परम पद लेई॥
जगपहँ सेवावश भगवाना। धर्मदास यह वचन प्रमाना।।
सेवक सुरति प्रीति वश भाई। शून्य महा वस्ती होय जाई॥
तैसी प्रीति सुरति शुचि सेवा। किमि प्रसन्न नहिं होहिं गुरुदेवा।।
धर्मनि सो सेवक मोहिं भावे। जो गुरु साधु सेवा चित लावै॥
सेवा करि नहिं धरै हकारा। रहे अधीन दास सोइ प्यारा॥
हाधर्मनि तुम्ह अससिख अहहू।
हम तुम्ह एकसाँच हियगहहू॥
◆धर्मदास वचन
धर्मदास पद गहे अनुरागा। होप्रभु तम्ह सोहि कीन्ह सुभागा॥
मैं पामर गुणहीन कुचाली। तुम्ह दीन्हेउ मोहि पन्थमराली॥
हे प्रभु नहि रसना प्रभुताई।अमित रसनगुणवरणि नहिजाई॥
महिमा अमित अहे हो स्वामी। केहि विधि वर्णों अन्तर्यामी॥
जेहि सेवक पर होय तव दाया। ताके हृदय बुद्धि अस आया।
पूरण भाग करे सेवकाई। धन्यसेवक जिन्ह गुरुहि रिझाई॥
मैं सब विधि अयोग्य अविचारी। मोहि अधमहिं तुम लीन्द उबारी॥
भावार्थ :- यह फोटोकॉपी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 53 और 54 की है। पृष्ठ 53-54 दोनों का भावार्थ इस प्रकार है :-
परमेश्वर कबीर जी धर्मदास जी को पहले कई बार अन्य रूप में मिले थे। धर्मदास जी की अरूचि देखकर अंतर्ध्यान हो जाते थे। बीच में धर्मदास जी को अन्य रूप में मिले थे। तब धर्मदास जी ने कहा था कि मुझे एक संत मिले थे। वे भी आप वाला ज्ञान ही सुनाते थे। उन्होंने मेरे को बहुत सुख दिया। जब आप मुझे छोड़कर चले जाते थे, मैं रोता रहता था। उस संत ने मुझे सांत्वना दी तथा अमर पुरूष तथा अमर लोक की कथा सुनाई। तब परमेश्वर जी ने कहा कि हे धर्मदास! हम दोनों ही उस काशी वाले कबीर जुलाहे के सेवक हैं। हम एक ही गुरू के शिष्य हैं। इसलिए हम वही ज्ञान प्रचार करते हैं जो हमारे गुरू कबीर
जी ने हमें बताया है। धर्मदास ने कहा कि हे साहिब! आपने बताया कि आप तथा वह एक गुरू के शिष्य हैं। आपका ऐसा ज्ञान है तो आप जी के गुरू जी का ज्ञान कितना उत्तम होगा।
मैं आपके सतगुरू जी के दर्शन करना चाहता हूँ। परमेश्वर जी ने पृष्ठ 54 पर यह भी बताया है कि शिष्य की आस्था गुरू के प्रति कैसी होनी चाहिए?
◆बोधसागर◆
अब यह दया करो सुखदाई। दोउ सेवक कै दरशन पाई॥
बड़ इच्छा उन्द दरशन केरा। हो प्रभु हम आही तुव चेरा।।
◆ सतगुरू वचन
सुनु धर्म निदरशन तिन्द पैहौ। लीला देखि थकित होइ जैहौ।।
आप तीनरूप प्रकट दिखावा। एक तीन होय एक समावा��
धरमदास अचरज ह्वै रहेऊ। समिता होय युगल पद गहेऊ॥
लीला देखि चकित भये दासा। पुनि विनती एक कीन्द प्रगासा॥
◆ धर्मदास वचन
हे प्रभु अविगति कला तुम्हारी। हम हैं कीट जीव व्यभिचारी॥
सत्यलोक तुम्ह वरणि सुनावा। सोभा पुरुष हंसन सतभावा॥
कैसन देश राज वह आही। चित इच्छा प्रभु देखन ताही।।
◆ सतगुरू वचन
धर्मदास यह निरधिन काया। यदितन पुरुष दरश किमि पाया।।
तन ठीका जब पुरि है आई। सत्यलोक तब देखहु जाई।।
◆ धर्मदास वचन
धर्मदास गहि चरण निहोरा। हे प्रभु तृषा मिटावहु मोरा॥
चरण टेकि प्रभु विनवौं तोही। पुरुष दरश विनुकल नहिं मोही।।
कबीर साहिब का फिर अंतर्ध्यान हो जाना और धर्मदास साहब का विफल होना
गुप्त भये प्रभु अविगति ताता। धर्मदास मुख आवै न बाता॥
◆ धर्मदास विलाप
मैं मतिहीनकुमति मुडिलागा। मोहिसमको जग आहि अभागा॥
मैं मूरख प्रतीति न कीन्हा । अस साहेब कहें मैं नहिं चीन्हा॥
अब कोने विधि दरशन पाऊँ। दरशन विनु मैं प्राण गवाऊँ॥
चरणोदक विन करौं न ग्रासा। तजौ शरीर कहै धर्मदासा॥
दिवस सात लगि भन्न न खावा। भजन अखण्ड नाम लौलावा।।
भावार्थ :- यह फोटोकॉपी कबीर सागर के अध्याय ‘‘ज्ञान प्रकाश‘‘ के पृष्ठ 55 की है। प्रभु कबीर जी धर्मदास के समक्ष तीनों रूप में प्रकट हुए तथा कहा कि यह तीनों रूप मेरे ही हैं। काशी वाले कबीर के रूप में दोनों समा गए। एक कबीर रूप बन गए। धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से सत्यलोक तथा परमात्मा को देखने की विनय की तो परमेश्वर जी ने कहा कि यह मानव शरीर विकारों से भरा है। इसमें कैसे परमात्मा देखा जा सकता है? आप दीक्षा लो, भक्ति करो। जब शरीर समाप्त होने का ठीक का (निर्धारित) समय आएगा, तब सत्यलोक में परमात्मा को जाकर देखना। धर्मदास जी अधिक हठ करने लगा तो परमात्मा अन्तर्ध्यान हो गए। धर्मदास जी ने सात दिन तक अन्न नहीं खाया तथा प्रथम
मंत्र का निरंतर जाप किया।
क्रमशः_______________
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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*🌞~ आज दिनांक 11 जनवरी 2024 बृहस्पतिवार का हिन्दू पंचांग ~🌞*
https://youtube.com/shorts/NYq4Q0cHMCU?si=lpAxFR-TFLBYjPv8
*⛅दिनांक - 11 जनवरी 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या शाम 05:26 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढा शाम 05:39 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*⛅योग - व्याघात शाम 05:49 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:09 से 03:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:12*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:14 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पौष अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹पौष अमावस्या - 11 जनवरी 2024🔹*
*🔸10 जनवरी रात्रि 08:10 से 11 जनवरी शाम 05:26 तक अमावस्या ।*
*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹*
*🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
*🌹पूज्य बापूजी - रजोकरी, ३० नवम्बर २०१०*
*🔹अमावस्या विशेष🔹*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*
*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*
*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*
*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*
*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*
*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उप��ोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*
*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*
https://t.me/asharamjiashram/6490
*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*
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Join now ECPL Contact- 9667862970 *लो जी आ गये दमदार खबर के साथ* 🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳 *हमारी टीम के दमदार साथी दिल्ली की आन-बान-शान GOLD लीडर MR GOPAL GUPTA जी जिन्होंने हमेशा Upline के मार्गदर्शन को सर्वप्रथम समझकर काम किया *💪💪 *आज उसी गुरुभक्ति का रिज़��्ट आपके सामने है* 👇👇 *आज सर ने कम्पनी में समय से पहले अपना जैसलमेर टारगेट 🎯को अचीव करके बनाया दमदार RECORD* 🚀🚀🚀🏆🏆🚀🏆🚀🏆🚀🏆🚀 *सर आपको Elighted Care परिवार की तरफ़ से ढेर सारी सुभकामनाएँ* 💐🎉🎉🎉💐🎉💐🎉🎉💐 *कम्पनी लेवल पर सभी रिकॉर्ड आपके और आपकी टीम के रहें*🎯🎯🎯🚀🚀🚀🏆🎯🎯🚀🏆🎯🎯 *THANKS Ramesh Guru जी🙏& Vedprakash Guru जी 🙏आपके साथ 🤝और आशीर्वाद🙏से लगातार लोगों का जीवन बदल रहा है*☺️ *आप ऐसे ही अपना आशीर्वाद बनाकर रखे* 🙏🙏 *जय हो Elighted Care*🙏🙏 *जय हो Elite Education System*🙏🙏 #business #ecpl #joinnow https://www.instagram.com/p/CneSNXrJlPx/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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निरंकारी मिशन सिलीगुड़ी मंडल द्वारा मनाया गया मुक्ति पर्व दिवस
सिलीगुड़ी : निरंकारी मिशन सिलीगुड़ी मंडल के तत्वावधान में मंगलवार १५ अगस्त को खपरैल रोड़ निरंकारी भवन में मुक्ति पर्व दिवस मनाया गया। ज्ञात हो की स्वतंत्रता दिवस पर मुक्ति पर्व दिवस मनाने की शुरूआत मिशन के प्रधान संत लाभ सिंह द्वारा १५ अगस्त को शरीर का त्याग किए जाने के बाद से हुई है।
Nirankari Mission Siliguri celebrated liberation festival day मिशन के अनुसार जहाँ राजनैतिक स्वतंत्रता सामाजिक तथा आर्थिक उन्नति के लिए अनिवार्य है, वहीं आत्मिक स्वतंत्रता भी शान्ति और शाश्वत आनन्द के लिए आवश्यक है। इस अवसर पर मिशन युगपुरुष बाबा अवतार सिंह, माता बुद्धवंती और उन तमाम सन्तों-भक्तों को याद करता है, जिन्होंने मिशन का सत्य, प्रेम, भाईचारा, अमन, एकता का सन्देश मानव-मात्र तक पहुंचाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया। इस अवसर पर गद्दी पर विराजमान माहात्मा श्री प्रेम केशरी जी ने कहा कि स्वतंत्रता का अर्थ सिर्फ किसी को कुछ भी करने की आजादी से नहीं लिया जाना चाहिए है, बल्कि इसे नियमों के दायरे, दिशा-निर्देश एवं मर्यादा के अनुरूप काम करने से लिया जाना चाहिए। इसके साथ ही जगतमाता एवं शहंशाह जी के परोपकारों के साथ-साथ मिशन के अन्य समर्पित महापुरुषों को भी याद किया जाता है। उनके त��, त्याग, गुरुभक्ति, स��वाभाव एवं सहज जीवन से प्रेरणा ली जाती है। इस अवसर पर बाल संगत द्वारा अध्यात्यमिक नाटक भक्तिगीत आदि भजन प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर ज़ोनल इन्चार्ज महात्मा श्री क़ाज़ी मान छेत्री जी ने कहा की मनुष्य को अपने अहंकार को त्याग कर मुक्ति लेनी है। Click to Post
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#DivineSatsang
Sant Rampal Ji Maharaj. *तीन दिवसीय दिव्य धर्म यज्ञ दिवस का हुआ समापन*
सतलोक आश्रम किठोदा इंदौर में जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में चल रहे विशाल भंडारा समागम 9 तारीख को संपन्न हुआ । इस तीन दिवसीय विशाल समागम में कईयों लाखो लोगों ने आकर भंडारा प्राप्त किया,ऐसा अद्भुत नजारा हमने आज तक कही नहीं देखा,किठोदा ग्राम में 11 एकड़ में फैले सतलोक आश्रम में तीनों दिन तक कही भी पैर रखने की जगह नहीं बची थी,चारो तरफ गुरुभक्ति में मस्त संगत ही नजर आ रही थी,भंडारे के लिए ऐसी व्यवस्था थी कि एक बार में 20-25 हजार लोग एक साथ भंडारा प्राप्त कर रहे है और ये सिलसिला बिना रुके लगातार तीनों दिन चौबीसों घंटे चलता रहा। हाइवे से लेकर पूरे आश्रम तक की सड़क व पूरे आश्रम को लाइट डेकोरेशन व फूलों से दुल्हन की तरह सजाया गया था,आने वाले श्रद्धालुओं के उठने,बैठने व नहाने धोने से लेकर खाने की व्यवस्था काबिले तारीफ रही,इस समागम में करीबन 30 लाख लोगो ने शिरकत की लेकिन कही भी किसी प्रकार की अव्यवस्था देखने को नहीं मिली।श्रद्धालुओं के लिए बैठने का पांडाल भी खचाखच भरा हुआ था। जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के मुखारविंद से किए गए सत्संग व संत गरीबदास जी महाराज की अमरवाणी के अखंड पाठ की वाणिया आत्मा को शांति प्रदान कर रही थी,आश्रम में संत रामपाल जी महाराज जी का सिंहासन पर स्थित स्वरूप ऐसा लग रहा है मानो संत जी स्वयं वहा विराजमान हो। वास्तव में जैसा प्रचार गांव गांव में भक्तो किया गया था वैसा ही अद्भुत भव्य नजारा यहां देखने को मिला।
आश्रम के केयरटेकर ने बताया कि कार्यक्रम के पहले दिन सतगुरूदेव जी को भोग लगने के बाद भंडारा शुरू हुआ साथ ही अमर ग्रंथ का अखंड पाठ भी प्रारंभ हुआ,दूसरे दिन के कार्यक्रम में 101 जोड़ो बिना दान दहेज के मात्र 17 मिनट में सादगीपूर्ण तरीके से विवाह संपन्न हुआ साथ ही संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायियों द्वारा 491 यूनिट रक्त का रक्तदान किया गया व 4220 अनुयायियों ने देहदान का फार्म भरकर देहदान का संकल्प लिया गया।
पार्किंग स्थल फूल हो जाने से सतलोक आश्रम के दोनो और हाईवे पर लगभग 5-5 किलोमीटर तक गाड़ियों की लम्बी पार्किंग थी, आश्रम से लगातार अनाउंसमेंट किया जा रहा था कि संगत प्रसाद पाकर तुरंत वापस हो जाए ,समागम में लाखो की संख्या में ल
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जिसने गुरुज्ञान को समझा, जिसके अंतःकरण में गुरुभक्ति का प्राकट्य हुआ वह चाहे वेद, पुराण न पढ़े, तीर्थ न करे, यज्ञ न करे, तो भी उसके हृदय में वह वैदिक ज्ञान प्रगट हो जाएगा गुरु की कृपा से ।
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खुशियां नाल मनाइए जन्मदिन सद्गुरु दा...आस्था के महाकुंभ में उमड़े श्रद्धालु
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232 चरण सेवा
जनकपुर घूमते हुए बहुत समय हो गया, रामजी कहते हैं- भाई! बहुत समय हो गया, गुरू जी ने कहा था कि जल्दी आ जाना। चलें! भवन को लौट चलें। गुरूजी का संध्या करने का समय हो रहा है, उनके नियम में बाधा न आए।भगवान गुरुभक्ति का अनुपम उदाहरण रखते हैं। गुरू जी की आज्ञा का उल्लंघन नहीं होना चाहिए, अनुशासन भंग नहीं होना चाहिए।साधकों के लिए रामजी के दो सूत्र हैं-“मोते अधिक गुरुहिं जिय जानि।सकल भाँति सेवई…
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*🌞~ आज दिनांक - 14 मार्च 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅दिन - गुरूवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - वसंत*
*⛅मास - फाल्गुन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी रात्रि 11:25 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - भरणी शाम 04:56 तक तत्पश्चात कृतिका*
*⛅योग - वैधृति रात्रि 10:00 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:19 से 03:49 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:49*
*⛅सूर्यास्त - 06:48*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13से 06:01 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:12 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - षडशीति-मीन संक्रांति*
*⛅विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌹षडशीति-मीन संक्रांति - 14 मार्च🌹*
*🔸(पुण्यकाल - दोपहर 12:46 से सूर्यास्त तक)*
*🔸संक्रान्ति का अर्थ है, 'सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण (जाना)'। फाल्गुन महीने में सूर्य देव 14 मार्च को मीन राशि में प्रवेश करेंगे, इसे मीन संक्रांति कहा जाता है ।*
*षडशीतिमुखी संक्रांति : सूर्य का मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि में गोचर ।*
*🔸षडशीति संक्रांति में किये गए जप-ध्यान व पुण्यकर्म का फल 86000 हजार गुना होता है । -पद्म पुराण*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*
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एकलव्य की गुरुभक्ति – महाभारत | Story Of Eklavya From Mahabharat In Hindi
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*🌞~ आज दिनांक 11 जनवरी 2024 बृहस्पतिवार का हिन्दू पंचांग ~🌞*
https://youtube.com/shorts/NYq4Q0cHMCU?si=lpAxFR-TFLBYjPv8
*⛅दिनांक - 11 जनवरी 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या शाम 05:26 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढा शाम 05:39 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*
*⛅योग - व्याघात शाम 05:49 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल - दोपहर 02:09 से 03:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:23*
*⛅सूर्यास्त - 06:12*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:30 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:14 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - पौष अमावस्या*
*⛅विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹पौष अमावस्या - 11 जनवरी 2024🔹*
*🔸10 जनवरी रात्रि 08:10 से 11 जनवरी शाम 05:26 तक अमावस्या ।*
*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹*
*🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*
*🌹पूज्य बापूजी - रजोकरी, ३० नवम्बर २०१०*
*🔹अमावस्या विशेष🔹*
*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*
*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*
*🌹4. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*
*🌹5. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*
*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*
*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*
*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*
*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*
*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🔹गुरुवार विशेष 🔹*
*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*
*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*
*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*
https://t.me/asharamjiashram/6490
*🌞संत श्री आशारामजी बापू आश्रम🌞*
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