#गुरुकीमहिमा
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Shubh Guru Purnima
हम सभी के जीवन निर्माण में गुरुओं की अहम भूमिका होती है। गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर उनका सम्मान करते हैं तथा अपने जीवन में उनके योगदान को सराहते हैं l पंचमुखी एयर एम्बुलेंस की टीम की तरफ से आप सबको गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!!
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गुरू बिना गति नहीं, क्या यह सत्य है?
गुरू बिना गति नहीं, क्या यह सत्य है?
मै इस कथन से पूर्णतया सहमत हूं, मनुष्य एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसे जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन और जगत के संबंध में सब कुछ जानना और सीखना होता है, इसके बिना हम बेहतर जीवन जीने लायक नहीं बन सकते और ना ही करने योग्य और ना करने योग्य का बोध पा सकते है। बिना योग्य गुरू और उचित जानकारी, समझ और स्पष्ट दृष्टि के हम अपने और दूसरों के लिए समस्याएं और अनचाही बातों और घटनाओं की सृष्टि करके अपना और उनका जीवन कष्टकारी बनाते रहेंगे। हमें सदैव बेहतर परिणाम उत्पन्न करने के लिए अभ्यास करना पड़ता है, कुशलता अर्जित करने पड़ती है, और इसके लिए एक सक्षम और योग्य गुरु की आवश्यकता होती है। जीवन के सैकड़ों आयाम है और हमें अपने जीवन का सर्वांगीण विकास करने के लिए जीवन के विभिन्न तलों और अवस्थाओं पर विभिन्न क्षमता और योग्यता धारण करने वाले गुणवान और योग्य व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है। ताकि हम अपने संसाधनों, शक्ति और समय का अपव्यय या दुरुपयोग किए बगैर समुचित ज्ञान और कुशलता अल्प समय में लाभकारी परिणाम उत्पन्न करने के लिए अर्जित कर सकें। उस विशिष्ट,कार्य और प्रतिभा का अर्जन किसी विशिष्ट गुण संपन्न अनुभवी व्यक्ति या प्रशिक्षक के सानिध्य में ही संपन्न हो सकता है।
एक योग्य और गुणी गुरु या शिक्षक हमें अल्प समय और सही प्रशिक्षण और अभ्यास द्वारा कुशल एवं प्रभावी अभ्यर्थी के रूप में रूपांतरित कर सकते है, और हमें जीवन भर ऐसे लोगो के साथ और सहयोग की आवश्यकता पड़ती रहती है। जो जीवन को समझते है वो जानते है कि जीवन सीखते रहने और जानने की अनंत प्रक्रिया है, और यह सक्षम गुरु या प्रशिक्षक के बिना संभव नहीं, यह गुरु कोई भी हो सकता है, जो उस विशिष्ट ज्ञान और योग्यता, कुशलता और अनुभव से संपन्न हो। आप स्वयं भी ही सकते है, कुछ बातों के संबंध में, लेकिन विशिष्ट ज्ञान और कुशलता के लिए आपको उस आयाम में श्रेष्ठ व्यक्ति की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि जीवन बहुत छोटा है खुद से हर बात सीखने के लिए ना समय है, ना पर्याप्त बुद्धि और शक्ति, और ना आवश्यक संसाधन अतः जीवन के प्रत्येक आयाम के लिए गुरु अपरिहार्य है, इसका कोई भी विकल्प नहीं। गुरु हमारे अंदर छिपी हुई शक्तियों को जागृत करने में सहायक होते हैं, वो एक उत्प्रेरक कि तरह कार्य करते है, उनकी उपस्थिति और संयोग से वो बातें भी घटित होने लगती है, जो महज एक संभावना थी। हम सब एक प्राकृतिक घटना के जीवन भर साक्षी रहते है वो है जल वर्षा का होना, हम सभी ने पढ़ा है कि पानी ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के परमाणुओं के संयोग से बनता है, लेकिन इसके लिए बिजली का होना आवश्यक है वरना उनके मध्य संयोग नहीं होगा और पानी निर्मित नहीं होगा, आकाश में चमकने वाली बिजली की वजह से ही वातावरण में मौजूद दोनों के अणु संयोजित होकर जल का निर्माण करते है, बिना विद्युत यह घटना घटित नहीं हो सकती। विद्युत एक उत्प्रेरक के रूप में क्या करती है, उसकी उपस्थिति के बगैर, जल का निर्माण नहीं हो सकता, यही कार्य एक श्रेष्ठ और सक्षम गुरु का हम सभी के जीवन में है, उनकी उपस्थिति और प्रेरणा के बगैर हमारे जीवन में कुछ भी विराट और जीवंत घटित नहीं हो सकता, वो सदा एक संभावना ही रहेगा एक सत्य और यथार्थ नहीं बन सकेगा।
गुरु एक अल्केमी, एक परम रसायन है जो आपको कोयले से हीरा और पत्थर से सोने में बदलने की क्षमता और हुनर रखते है, ऐसे कृपालु और सक्षम गुरु की प्राप्ति जीवन का सबसे बड़ा उपहार और आशीर्वाद होता है, इसके लिए हमें अपनी पात्रता विकसित करनी होती है, गुरु स्वयं प्रकट हो जाते है। गुरु बिना ज्ञान नहीं होता, हमारी खोज और प्यास हमें सदगुरु तक ले जाती है, गुरु का आश्रय और कृपा परम आवश्यक है, भटकन और व्यर्थता से बचने के लिए और जीवन से जो कुछ भी बहुमूल्य मिला है उसके सही उपयोग और सार्थकता उपलब्ध करने के लिए। एक प्रश्न यह भी उठता है जब गुरु उपलब्ध ना हो तब क्या करें? यह सत्य है जब आप संकट या असमंजस में हो और कोई आपको उस दुविधा से बाहर निकालने के लिए दिशा निर्देश और मार्गदर्शन देने वाला ना हो उस दशा में निरीक्षण, अवलोकन और स्वविवेक से निर्णय लेना होता है। जीवन सबसे बड़ा गुरु है यदि आप सजग है, और अपने आप और अपने वातावरण के प्रति सजग है तो आपको इंगित मिलते है जैसे आपको ट्रैफिक के नियम पता ना हो आप सड़क के दाईं और चलने लगिए आपको अपने सामने आने वाला हर व्यक्ति अजीब निगाहों से देखेगा शायद आप कुछ लोगों से टकरा भी जाएं। आप इससे बच सकते है यदि आप सड़क पर चलनेवालों के तरीके का अवलोकन करें, आप पाएंगे कि वहां एक व्यवस्था निर्मित है कि बाईं और से चलिए, पैदल चलने वालों, और छोटे, बड़े वाहनों के लिए अलग गति और लेन निर्धारित है। यह व्यवस्था और नियम, प्रकृति, समाज और जीवन सब जगह घोषित और अघोषित रूप से मौजूद है, यदि आप खोज, निरीक्षण और अवलोकन करने के इच्छुक है तो आपके सामने सब कुछ प्रकट हो जाएगा चाहे वो किसी भी आयाम के संबंध में हो। लेकिन यह गुण और क्षमता बहुत कम लोगों में पाई जाती है, अर्जित और विकसित सभी कर सकते हैं, और संबंधित आयाम से जुड़े गुरु आप के लिए सब कुछ बेहद आसान, सहज रूप से उपलब्ध करा सकते है, इसलिए गुरु अपरिहार्य है। हमारे माता पिता, शिक्षक, बुजुर्ग, अनुभवी और गुणी मित्र औेर समस्त उपलब्ध, ज्ञान, विज्ञान, जानने और सीखने के स्रोत और संसाधन और वातावरण यह सब हमारे गुरु है, इनके बिना हम जीवन में कुछ भी बेहतर और सार्थक अपने और सभी के लिए निर्मित नहीं कर सकते, अतः गुरु बिना जीवन में कोई गति संभव नहीं। धन्यवाद। Read the full article
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गुरू को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान क्यों दिया जाता है?
गुरू को ईश्वर से भी ऊँचा दर्जा क्यों दिया जाता है?
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर, गुरु साक्षात् परमं ब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: गुरू को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान क्यों दिया जाता है? यह हमारी संस्कृति का मूलमंत्र है, सद्गुरु की कृपा से ही हमे अपने और समस्त के रहस्यों का पता चलता है, वो ही कार्य कारण को समझने की बुद्धि और करने योग्य का विवेक प्रदान करते हैं। वो ही हमारे जीवन को गौरव और सार्थकता के बोध से भरते हैं, वो ही हमसे हमारा परिचय कराते हैं और हममे स्थित समस्त का भी। सद्गुरु की संगति और कृपा से बड़ा कोई भी आनंद और धन नहीं इस जगत मे, हमारे सारे प्रश्नों के उत्तर और सारी भटकन और प्यास का वो एक मात्र उपाय है। हमे नहीं पता जीवन क्या है? इस संपूर्ण जगत का, इस पूरे अस्तित्व का रहस्य और प्रयोजन क्या है? हम यहाँ क्यों है? ऐसे हजारों सवालों का जवाब हमे उनकी कृपा और सानिध्य से ही मिलते हैं। हम सभी ने सुना है -
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।। गुरु की महिमा अपरम्पार है, यह बात एक आत्मज्ञानी गुरु के लिए कही गयी है, क्यूंकि वो ही इतने समर्थ होते है की जो हजारों जन्मों मे उपलब्ध न हो सके वो पल भर मे आपको प्रदान कर सकते हैं। मेरे अपने जीवन मे सत्य और प्रेम की सुगंध सदगुरुओं की शिक्षाओं और उनकी अभिव्यक्तियों को जीने और आत्मसात करने से फलित हुई है, मेरे जीवन की समस्त धन्यता उनके आलोक मे विकसित हुई है। मैंने खुद मे और अपने आसपास के सभी लोगों के मध्य एक गहरा फर्क देखा है सब देखते, सुनते और पढ़ते है लेकिन न कोई उस सम्बन्ध मे कोई खोज करता है, न उसके सम्बन्ध मे कोई प्रयोग करता है न कुछ उन्हें उपलब्ध होता है, इसलिए दुनिया भर का ज्ञान उनके जीवन मे कुछ भी बदलता नहीं है। सिर्फ सुनिएऔर पढ़िए नहीं, आत्मसात कीजिये जीवन मे उतारिये यहाँ कुछ भी व्यर्थ नहीं है और जीवन सबसे बड़ा गुरु है, और यहाँ सब कुछ मौजूद है जिसकी आपको तलाश है, बस आपको खुद को उन तरंगों से जुड़ने योग्य बनाने की जरुरत है उसका प्रवाह आप मे बहने लगेगा, यह मेरे व्यक्तिगत अनुभव है, बात सिर्फ आपकी तैयारी और पात्रता की है, जो तैयार है और पात्रता विकसित करने मे रूचि रखता है उसे सब यही मिल जाता है।
गुरु कृपा इसे सहज और सरल तरीके से होने मे अत्यंत मददगार होती है, क्या आप अपना कचरा कूड़ा देखने और उसे जलाने के लिए तैयार हैं, क्या आप अपने जीवन के हर तल पर व्यर्थ को त्याग कर सार्थक को अंगीकार करने को तैयार हैं? मुझे मेरी सारी मूढ़ताओं और मूर्खताओं की श्रंखला का ज्ञान और उससे मुक्ति ही उनकी कृपा और आशीर्वाद से संभव हुआ है, मुझे दूसरों का कुछ भी नहीं पता, लेकिन मुझमे जो भी अच्छा है वो मेरी माँ और मेरे सदगुरुओं का प्रताप है, आशीष है जिन्होंने इस मिटटी के ढेर को अनजानी सुगंध और ऐश्वर्य से भर दिया है। गुरु अनंत, गुरु कथा अनंत, वो इस धरती पर इश्वर का साकार रूप हैं। इस जीवन मे सार्थक और निरर्थक का बोध, अपनी शक्तियों और क्षमता का ज्ञान, और जीवन को अपने और सभी के लिए उपयोगी, गुणकारी और सार्थक बनाए रखने की युक्ति और बोध भी उन्ही की कृपा से मिला है, वो एक प्रकाश स्तम्भ हैं जिनकी रौशनी मे जीवन की नैया हर तूफ़ान को पार करते हुए निरंतर गतिमान है, एक अनजान लक्ष्य की ओर, आनंद और प्रेम से करुणा और भक्ति से चूर। कोई भी शब्द सदगुरुओं के सम्बन्ध मे सक्षम नहीं है, इसे गहरी भक्ति और पूर्ण समर्पण से ही पाया जा सकता है, “गुरु ही जीवन है, गौरव है, प्राण है, उनके बिना यह जीवन और जगत एक जलता हुआ श्मशान है?” हम सभी को हमारे सदगुरुओं को पीने और उसे जीवन मे जीने की ऊर्जा, बुद्धि और शक्ति मिले बस यह प्रार्थना है, ॐ सद्गुरुवे नमः। यह प्रश्न मेरे ब्लॉग एवं Quora के प्रबुध्द पाठक द्वारा पूछा गया है Read the full article
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