गुरु नानक जयंती 2022: गुरुपर्व कैसे मनाया जाता है? जानिए प्रकाश उत्सव के पवित्र दिन का इतिहास
गुरु नानक जयंती 2022: गुरुपर्व कैसे मनाया जाता है? जानिए प्रकाश उत्सव के पवित्र दिन का इतिहास
छवि स्रोत: TWITTER/VAALVEINDIA गुरु नानक जयंती
गुरु नानक जयंती 2022: गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपुरब के नाम से भी जाना जाता है, पूरे भारत और विदेशों में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। शुभ दिन सिख धर्म के पहले गुरु – गुरु नानक देव के जन्म का प्रतीक है। यह हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा को पड़ता है। 2022 में, यह 8 नवंबर, मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस दिन को प्रकाश उत्सव के…
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Guru Nanak Jayanti : जानिए सिख गुरू का इतिहास, जिससे हर कोई है अंजान
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Guru Nanak Jayanti 2022: श्री नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी (अब ननकाना साहिब) गाँव में हुआ था जो वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है। गुरु नानक जयंती को पूरे देश में नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। पूरे देश में आज
सिख धर्म की नींव रखने वाले श्री गुरु नानक देव जी की जयंती मनाई जा रही है
500 साल पहल रखी थी नींव: करीब साढ़े पांच सौ साल पहले पंजाब के गुरु नानक देव जी ने एक नए पंथ की…
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Guru Nanak Jayanti 2022: कब है गुरु नानक जयंती, जानें तिथि, महत्व और गुरुपर्व का इतिहास
Guru Nanak Jayanti 2022: कब है गुरु नानक जयंती, जानें तिथि, महत्व और गुरुपर्व का इतिहास
गुरु नानक जयंती 2022 कब है | When is Guru Nanak Jayanti 2022
गुरु नानक जयंती या गुरुपर्व 8 नवंबर, 2022 को है. इसे गुरु नानक देव जी की 553 वीं जयंती के रूप में मनाया जाएगा. जहां दिवाली चंद्र कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के 15 वें दिन पड़ती है, वहीं गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर रोशनी के त्योहार के पंद्रह दिन बाद पड़ती है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर, पूर्ण चंद्र ग्रहण…
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करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोला गया-जानिए इतिहास और महत्व
करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोला गया-जानिए इतिहास और महत्व
करतारपुर साहिब कॉरिडोर को 17 नवंबर, 2021 से पुनः खोला गया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) में तीर्थयात्रियों का पहला जत्था (ग्रुप) गुरुद्वारा दरबार साहिब में दर्शन करने के लिए पाकिस्तान जाने के लिए तैयार है। यह निर्णय गुरुपुरब से कुछ दिन पहले आया है, जो 19 नवंबर को गुरु नानक देव की जयंती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस फैसले को गुरु नानक देव और सिख समुदाय के लिए मोदी सरकार की अपार…
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करतारपुर कॉरिडोर फिर से खुला: प्रमुख तीर्थयात्रा का इतिहास
करतारपुर कॉरिडोर फिर से खुला: प्रमुख तीर्थयात्रा का इतिहास
नई दिल्ली:
COVID-19 महामारी के कारण करतारपुर कॉरिडोर बंद होने के 20 महीने से अधिक समय बाद, भारत से सिख तीर्थयात्रियों का एक जत्था बुधवार को गुरु नानक की जयंती से पहले पाकिस्तान पहुंचा।
पाकिस्तान ने 17-26 नवंबर तक गुरु नानक देव की 552वीं जयंती की पूर्व संध्या पर भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को लगभग 3000 वीजा जारी किए थे।
“वे [the jatha] विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, गुरुद्वारा दरबार…
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शहीदी दिवस: धर्म की रक्षा करते हुए ऐसे शहीद हुए थे गुरु तेग बहादुर, जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
चैतन्य भारत न्यूज
सिखों के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरु तेग बहादुर आज के दिन यानी 24 नवंबर 1675 को शहीद हुए थे। प्रेम, त्याग और बलिदान के प्रतीक गुरु तेग बहादुर ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। विश्व इतिहास में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय रहा है। आइए जानते हैं गुरु तेगबहादुर के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें।
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गुरु तेगबहादुर सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था। वे सिक्खों के नौवें गुरु थे। उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिंद सिंह था। गुरु तेगबहादुर सिंह का बचपन का नाम त्यागमल था। वे बाल्यावस्था से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे।
उन्हें 'करतारपुर की जंग' में मुगल सेना के खिलाफ अतुलनीय पराक्रम दिखाने के बाद तेग बहादुर नाम मिला। 16 अप्रैल 1664 को वो सिखों को नौवें गुरु बने थे।
मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया था। औरंगजेब चाहता था कि सिख गुरु इस्लाम स्वीकार कर लें लेकिन गुरु तेग बहादुर ने इससे इनकार कर दिया था। गुरु तेग बहादुर के त्याग और बलिदान के लिए उन्हें 'हिंद दी चादर' कहा जाता है।
मुगल बादशाह ने जिस जगह पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया था दिल्ली में उसी जगह पर आज शीशगंज गुरुद्वारा स्थित है।
धर्मविरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों के विरुद्ध गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान एक अभूतपूर्व ऐतिहासिक घटना थी। यह उनके निर्भय आचरण, धार्मिक अडिगता और नैतिक उदारता का उच्चतम उदाहरण था। वे शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग-पुरुष थे।
तेग बहादुर को ‘भारत की ढाल’ भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने दूसरों को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी दे दी।
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गुरु नानक जयंती पर आसमान में दिखा अद्भुत नजारा, बनाया गया 'इक ओंकार'
चैतन्य भारत न्यूज
लुधियाना. सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले धर्मगुरु गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती के मौके पर सुल्तानपुर लोधी में मंगलवार रात अद्भुत नजारा देखने को मिला। यहां आसमान में दर्जनों ड्रोन के जरिए इक ओंकार की आकृति बनाई गई। बता दें इक ओंकार सिख धर्म का बेहद पवि��्र शब्द है। यह शब्द सिख धर्म के मूल दर्शन का प्रतीक है, जो कहता है कि 'परम शक्ति एक ही है'।
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इस शानदार नजारे को दिखाने के लिए दर्जनों ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। ड्रोन को आसमान में कुछ इस तरह से उड़ाया गया कि वह इक ओंकार जैसा दिखाई दे रहा था। इस मौके पर यहां राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी पहुंचे।
#WATCH Drones used to form 'Ik Onkar' in the night sky at Sultanpur Lodhi on the occasion of 550th birth anniversary of Guru Nanak Dev Ji pic.twitter.com/E5s7R2AK7Y
— ANI (@ANI) November 12, 2019
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'आज के दिन सुल्तानपुर लोधी में होना बड़े सौभाग्य की बात है। यही वह भूमि है जहां श्री गुरु नानक देव जी को ज्ञान प्राप्त हुआ। इस क्षेत्र में गुरु नानक देव जी की आध्यात्मिक यात्रा से जुड़े पवित्र स्थान मौजूद हैं।' बता दे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी यहां के ऐतिहासिक सिख तीर्थस्थल पहुंचकर दर्शन किए।
आज के दिन सुल्तानपुर लोदी में होना बड़े सौभाग्य की बात है। यही वह भूमि है जहां श्री गुरु नानक देव जी को ज्ञान प्राप्त हुआ। इस क्षेत्र में गुरु नानक देव जी की आध्यात्मिक यात्रा से जुड़े पवित्र स्थान मौजूद हैं — राष्ट्रपति कोविन्द pic.twitter.com/RjEpnRZK2J
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 12, 2019
कहा जाता है कि, गुरु नानक देव ने सुल्तानपुर लोधी में 14 साल बिताए थे और आत्मज्ञान प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक देव ‘काली बेईं’ में स्नान करते थे और फिर एक ‘बेर’ वृक्ष के नीचे ध्यान लगाते थे।
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