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#जो गुरु नानक थे
mwsnewshindi · 2 years
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गुरु नानक जयंती 2022: गुरुपर्व कैसे मनाया जाता है? जानिए प्रकाश उत्सव के पवित्र दिन का इतिहास
गुरु नानक जयंती 2022: गुरुपर्व कैसे मनाया जाता है? जानिए प्रकाश उत्सव के पवित्र दिन का इतिहास
छवि स्रोत: TWITTER/VAALVEINDIA गुरु नानक जयंती गुरु नानक जयंती 2022: गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपुरब के नाम से भी जाना जाता है, पूरे भारत और विदेशों में बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। शुभ दिन सिख धर्म के पहले गुरु – गुरु नानक देव के जन्म का प्रतीक है। यह हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा को पड़ता है। 2022 में, यह 8 नवंबर, मंगलवार को मनाया जा रहा है। इस दिन को प्रकाश उत्सव के…
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💠गुरु ग्रंथ साहिब में राग 'सिरी' महला 1, पेज नं. 24, शब्द क्रमांक. 29 में यह प्रमाण है कि नानक जी को जुलाहे (धाणक) के रूप में दर्शन देने वाले सर्वशक्तिमान कोई ओर नहीं बल्कि भगवान कबीर जी ही थे, जो जिंदा रूप में नानक देव जी से मिले थे और उन्हें दीक्षा भी दी थी।
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indrabalakhanna · 1 month
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Sadhna TV Satsang || 13-08-2024 || Episode: 2997|| Sant Rampal Ji Mahara...
🙏🙇‍♂️🙏💖🌺🥀💖
*📯🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की
🙏📯*🌷🌷🌷🌷🌷
*13/08/24 Tuesday/मंगलवार*
🎈🌷🌼🌷🎈
#tuesdaymotivations
#TuesdayFeeling
💠🌐🎉🎉🌐💠
#भगवान_कौन_है
#godisgood #scripture #spiritual #meditation
#god #allah #bible #quran #bhagavadgita #gita #krishna #shiva #mahadev
#viralreels #trendingreels
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#PhotoChallenge
#India #World #Haryana #Faridabad
#SantRampalJiMaharaj
🌼🌼🌼🔮⏬
1🥁📚परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2🥁📚कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
3🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
4🥁📚श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।7
5🥁📚परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
7🥁📚ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
8🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
9🥁📚पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
10🥁📚जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
11🥁📚"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
12🥁📚परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
13🥁📚ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
14🥁📚परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
15🥁📚कबीर परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक हैं।
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
16🥁📚पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत ��ुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
17🥁📚पवित्र कुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं।
वह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58
18🥁📚पवित्र कुरान प्रमाणित करती है अल्लाह कबीर साहेब ही हैं।
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 52
कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए अडिग रहना।
19🥁📚आदरणीय गरीबदास जी को पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) स्वयं सत्यभक्ति प्रदान करके सत्यलोक लेकर गए थे, तब अपनी अमृतवाणी में आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने आँखों देखकर कहाः-
गरीब, अजब नगर में ले गए, हमकुँ सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सुते चादर तान।।
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janardan7310singh · 1 month
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सूक्ष्मवेद में बताया गया है कि
झांकी देख कबीर की नानक किती वाह।
वाह सिक्खां दे गल पड़ी कौन छुड़ावै ता।।
अर्थात कबीर साहेब को सतलोक में सर्व सृष्टि के रचनहार के रूप में देखने के बाद श्री नानक जी के मुख से "वाहेगुरु" शब्द निकला। क्योंकि नानक जी को जिंदा महात्मा के रूप में कबीर साहेब ही मिले थे जो उनके गुरु थे।
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rampal1985 · 1 month
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झांकी देख कबीर की नानक किती वाह।
वाह सिक्खां दे गल पड़ी कौन छुड़ावै ता।।
अर्थात कबीर साहेब को सतलोक में सर्व सृष्टि के रचनहार के रूप में देखने के बाद श्री नानक जी के मुख से "वाहेगुरु" शब्द निकला। क्योंकि नानक जी को जिंदा महात्मा के रूप में कबीर साहेब ही मिले थे जो उनके गुरु थे।
💠"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
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rakeshdasprajapat · 1 month
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गुरु ग्रंथ साहिब में राग 'सिरी' महला 1, पेज नं. 24, शब्द क्रमांक. 29 में यह प्रमाण है कि नानक जी को जुलाहे (धाणक) के रूप में दर्शन देने वाले सर्वशक्तिमान कोई ओर नहीं बल्कि भगवान कबीर जी ही थे, जो जिंदा रूप में नानक देव जी से मिले थे और उन्हें दीक्षा भी दी थी।#सजदेकरे_खुदाईनू_आलम_बड़ा_कबीर
#KabirIsGod #GuruGranthSahibji #guru #guruji #gurudev #gurunanak #gurunanakdevji #gurudwara #sikh #sikhhistory
#SatguruRampalJiMaharaj
#SantRampalJiMaharaj
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mohanjaglan · 1 month
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#सजदेकरे_खुदाईनू_आलम_बड़ा_कबीर
गुरु ग्रंथ साहिब में राग 'सिरी' महला 1, पेज नं. 24, शब्द क्रमांक. 29 में यह प्रमाण है कि नानक जी को जुलाहे (धाणक) के रूप में दर्शन देने वाले सर्वशक्तिमान कोई ओर नहीं बल्कि भगवान कबीर जी ही थे, जो जिंदा रूप में नानक देव जी से मिले
#GodMorningThursday
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jiteshwri · 1 month
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सूक्ष्मवेद में बताया गया है कि
झांकी देख कबीर की नानक किती वाह।
वाह सिक्खां दे गल पड़ी कौन छुड़ावै ता।।
अर्थात कबीर साहेब को सतलोक में सर्व सृष्टि के रचनहार के रूप में देखने के बाद श्री नानक जी के मुख से "वाहेगुरु" शब्द निकला। क्योंकि नानक जी को जिंदा महात्मा के रूप में कबीर साहेब ही मिले थे जो उनके गुरु थे।
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navnath6868 · 6 months
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#राम_रंग_होरी_हो
प्रमाण:- श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721, राग तिलंग महला 1:श्री गुरु नानक साहेब जी ने अपनी अमृत वाणी में स्पष्ट रूप से कबीर साहेब का जिक्र किया है। श्री गुरु नानक साहेब जी ने यह स्पष्ट रूप से लिखा है जो जिंदा महात्मा रूप में मिले थे वो कोई और नहीं, बल्कि काशी वाले कबीर साहेब थे।
पढ़ें पुस्तक "ज्ञान गंगा"
Sant Rampal Ji Maharaj
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veerpaldaasi · 10 months
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नानक देव जी के गुरु कौन थे, जो उनको बेई नदी पर मिले, उनको सचखंड/सतलोक दिखाकर लाये?
जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक “हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण”
पुस्तक पढ़ने के लिए Sant Rampal Ji Maharaj App Download करें।
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helputrust · 2 years
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लखनऊ, 28.11.2022 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में सिखों के नौवें गुरु, "गुरु तेग बहादुर" के शहीद दिवस के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर, सेक्टर 25 स्थित कार्यालय में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल तथा हेल्प यू ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने "गुरु तेग बहादुर" जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण कर उन्हें श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि दी |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि, "गुरू तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे जो प्रथम गुरु नानक द्वारा बताए गये मार्ग का अनुसरण करते रहे । उन्होने काश्मीरी पण्डितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया । विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है । गुरुजी का बलिदान न केवल धर्म पालन के लिए अपितु समस्त मानवीय सांस्कृतिक विरासत की खातिर बलिदान था । उनके लिए सांस्कृतिक मूल्यों और जीवन विधान का नाम था । इसलिए धर्म के सत्य शाश्वत मूल्यों के लिए उनका बलि चढ़ जाना वस्तुतः सांस्कृतिक विरासत और इच्छित जीवन विधान के पक्ष में एक परम साहसिक अभियान था I सहनशीलता, कोमलता और सौम्यता की मिसाल के साथ साथ गुरू तेग बहादुर जी ने हमेशा यही संदेश दिया कि किसी भी इंसान को न तो डराना चाहिए और न ही डरना चाहिए । उन्होंने दूसरों को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी दी । गुरू तेग बहादुर जी को अगर अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरूष कह लिया जाए तो कहना जऱा भी गलत न होगा I संसार को ऐसे बलिदानियों से प्रेरणा मिलती है, जिन्होंने जान तो दे दी, परंतु सत्य का त्याग नहीं किया। गुरु तेग बहादुर जी ऐसे ही बलिदानी थे । गुरु जी ने दूसरों के अधिकारों एवं विश्वासों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया । अपनी आस्था के लिए बलिदान देने वालों के उदाहरणों से तो इतिहास भरा हुआ है, परंतु किसी दूसरे की आस्था की रक्षा के लिए बलिदान देने की एक मात्र मिसाल है गुरु तेग बहादुर जी ।
#GuruTegBahadur
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#kiranagarwal #harshvardhanagarwal #drrupalagarwal
www.helputrust.org
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indrabalakhanna · 1 month
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Sadhna TV Satsang || 13-08-2024 || Episode: 2997|| Sant Rampal Ji Mahara...
🙏🙇‍♂️🙏💖🌺🥀💖
*📯🙏बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की
🙏📯*🌷🌷🌷🌷🌷
*13/08/24 Tuesday/मंगलवार*
🎈🌷🌼🌷🎈
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1🥁📚परमात्मा कबीर साहेब पाप विनाशक हैं
यजुर्वेद अध्याय 8 मन्त्र 13 में कहा गया है कि परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेने व मर्यादा में रहने वाले भक्त के पाप नष्ट हो जाते हैं।
2🥁📚कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं
"धाणक रूप रहा करतार"
राग ‘‘सिरी‘‘ महला 1 पृष्ठ 24
नानक देव जी कहते हैं :-
मुझे धाणक रूपी भगवान ने आकर सतमार्ग बताया तथा काल से छुटवाया।
3🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
4🥁📚श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।7
5🥁📚परमात्मा शिशु रूप में प्रकट होकर लीला करता है। तब उनकी परवरिश कंवारी गायों के दूध से होती है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9
यह लीला कबीर परमेश्वर ही आकर करते हैं।
7🥁📚ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में कहा गया है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, सन्त व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
8🥁📚पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18
9🥁📚पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।
10🥁📚जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
11🥁📚"सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
12🥁📚परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
13🥁📚ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार
परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।
14🥁📚परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
15🥁📚कबीर परमात्मा पाप का शत्रु है, पाप विनाशक हैं।
कबीर परमात्मा सम्पूर्ण शांति दायक है - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32
16🥁📚पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है सुरत फुर्कानि 25 आयत 52 से 59 में लिखा है कि कबीर परमात्मा ने छः दिन में सृष्टी की रचना की तथा सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।
17🥁📚पवित्र कुरान में लिखा है कबीर अल्लाह ही पूजा के योग्य हैं।
वह सर्व पापों को विनाश करने वाले हैं। उनकी पवित्र महिमा का गुणगान करो - सुरत-फुर्कानि 25:58
18🥁📚पवित्र कुरान प्रमाणित करती है अल्लाह कबीर साहेब ही हैं।
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 52
कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए अडिग रहना।
19🥁📚आदरणीय गरीबदास जी को पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) स्वयं सत्यभक्ति प्रदान करके सत्यलोक लेकर गए थे, तब अपनी अमृतवाणी में आदरणीय गरीबदास जी महाराज ने आँखों देखकर कहाः-
गरीब, अजब नगर में ले गए, हमकुँ सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सुते चादर तान।।
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babitasainisblog · 1 year
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✨️कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं।✨️
परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में आते हैं और अच्छी आत्मा को मिलते हैं अपना ज्ञान समझा कर वापिस सतलोक ले जाते हैं।
यही प्रमाण वेदों में मिलता है
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25 -
समिद्धोऽअद्य मनुषो दुरोणे देवो देवान्यजसि जातवेदः।
आ च वह मित्रामहश्चिकित्वान्त्वं दूतः कविरसि प्रचेताः।।25।।
जिस समय भक्त समाज ���ो शास्त्रविधी त्यागकर मनमाना आचरण (पूजा) कराया जा रहा होता है। उस समय कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्व ज्ञान को प्रकट करता है।
कबीर परमेश्वर जी नानकदेवजी के गुरु थे जो नानक जी को बेई नदी पर मिले तथा मुक्ति का मार्ग बताया। दादू जी, धर्मदास जी, अब्राहम सुल्तान अधम सुल्तान आदि को कबीर साहेब ने ही दीक्षा दी। प्रमाण नानक जी व गरीबदास जी महाराज की वाणी में भी है
गरीब, हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया। जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माही कबीर हुआ।।
एक बार दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी को एक असाध्य (जलन) रोग था। वह जलन का रोग किसी भी मुल्ला, काजी नीम-हकीम की दवा और जंत्र-मंत्र से ठीक नहीं हुआ था। उस रोग को कबीर परमेश्वर ने आशीर्वाद मात्र से ठीक कर दिया था। जिसके बाद सिकंदर लोधी ने कबीर परमेश्वर को अपना गुरु बनाया।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणियों के माध्यम से बताया है
अवधु अविगत से चल आए, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।
न मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक हो दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया।। मात-पिता मेरे कुछ नाहीं, ना मेरे घर दासी (पत्नी)। जुलहा का सुत आन कहाया, जगत करें मेरी हाँसी।। पाँच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानुं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी (वास्तविक) नाम साहेब (पूर्ण प्रभु) का सोई नाम हमारा।।
अधर द्वीप (ऊपर सत्यलोक में) गगन गुफा में तहां निज वस्तु सारा।
ज्योत स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी धरता ध्यान हमारा।।
हाड़ चाम लहु ना मेरे कोई जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।
सभी ग्रंथों में प्रमाणित है फिर भी उसे कवि या संत, भक्त या जुलाहा कहते हैं। परन्तु वह पूर्ण परमात्मा ही होता है। उसका वास्तविक नाम कविर्देव है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही ऋषि या संत रूप में होता है। परन्तु तत्व ज्ञानहीन ऋषियों व संतों गुरूओं के अज्ञान सिद्धांत के आधार पर आधारित प्रजा उस समय अतिथि रूप में प्रकट परमात्मा को नहीं पहचानते क्योंकि उन अज्ञानी ऋषियों, संतों व गुरूओं ने परमात्मा को निराकार बताया होता है।
#SantRampalJiMaharaj
#GodKabir_Appears_In_4_Yugas
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पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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ruchimathur · 1 year
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Website : https://divinebite.co.in/
Website : https://divinebite.co.in/ MERI KAHANI, MERI ZUBANI : EP 1 मेरा जन्म इलाहबाद में हुआ । मेरे पिताजी नैनी T.S.L में कार्य करते थे ।  नैनी Glass Factory में मेरे बाबा स्वर्गीय श्री कृष्ण बिहारी माथुर काम करते थे । वहीं पर स्टाफ़ क्वॉर्टर में हमारा घर था, वहाँ एक  एक बगिया  हुआ करती  थी बड़ी धुंधली यादे हैं वहाँ के आम के बाग की । ज़मीन तक लटकते हुए आम ऐसे की लेट कर मुँह में आ जाएँ । मेरी उम्र शायद २.५ या ३ साल की रही होगी, सबसे पहली यादें हैं यह मेरी पेड़ में लगे हुई आम की । बाबा जी मुझे cycle पर बैठा कर स्कूल ले जाते थे इस वक़्त एक ही convent school था नैनि में Bethany convent school. सुबह सुबह रोज़ वहाँ के church में जाना और Father Francis की मज़ेदार बातें  सुन ना हमारा रोज़ का नियम था ।
समय बीतता गया कुछ सालों में नैनी के गुरु नानक नगर कॉलोनी में हमारा अपना घर बन गया । एक छोटी सी बगिया भी लगाई गई…और बहुत सारे फलों के पेड़ भी लगाए गए … मुझे याद नही सेब के अलावा हमने कभी कोई फल ख़रीद कर खाया हो ।
मेरी माँ बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनातीं हैं । मेंने हमेशा उन्हें हम लोगों के लिए तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते देखा । मेरे पापा ख़ानदान में सबसे बड़े थे तो रिश्तेदारों का आना जाना हमेशा से बहुत अधिक था । माँ के हाथ के बने अचार विशेष रूप से सभी को बहुत पसंद आते थे । खाते तो थे ही बांध कर भी ले जाते थे । धीरे धीरे उन्ही के हाथों का स्वाद मेरे बनाए खाने में भी आने लगा । घर के कामों में मदद करने  के साथ साथ अनाज, मसालों को सहेजना, अचार बनाना कब सीख लिया पता ही नही चला … पता नहीं माँ के हाथों में क्या जादू था कि कुछ भी दे दो स्वाद  hiबने गा ।
गर्मी की छुट्टियों में नानी जी  के घर जाते तो सभी मामा मौसी के बच्चे होते थे और हम सब भाई बहनों  का प्रिय नाश्ता आम का अचार और पराठा था । दुपहर में जब मेरी नानी सो जाती तब बरनी में से चुरा कर आम की फाँक खाने में जो स्वाद आता था आहाऽऽऽ !!! जैसे सब कुछ मिल गया हो । आज कल के पिज़्ज़ा बर्गर में भी वह स्वाद कहाँ…
अब  तो वो खेल मस्ती और ननिहाल का आँगन, आँगन  में ढेर सारी गौरयों का स्थायी घर , रोज़ उनका चहकना बस यादों में ही रह गया है ।
हाँ ! साथ बचा है तो उन हाथों का स्वाद जो कब धीरे से सरक के मेरे पास आ गया पता ही नही चला । सच है खाना बनाना सीखना कोई  kuch दिन ka crash course  नहीं। खाना बनाना आपसे बहुत सारा dedication माँगता है । अपनों के लिए प्यार और समर्पण का भाव माँगता है । किसी recipe से नही बनता । प्यार से फिर भी बन जाए । आज के लिए बस इतना ही । शेष फिर । To read more such stories visit : https://divinebite.co.in/
Ruchi Mathur  Founder: Divine Bite pickles and food Website : https://divinebite.co.in/ #organic#freefrompreservatives#food#pickle#mangopickle#mustardoil
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jyotis-things · 22 days
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart82 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart83
"पवित्र कबीर सागर में प्रमाण"
* विशेष विचार :- पूरे गुरु ग्रन्थ साहेब में कहीं प्रमाण नहीं है कि श्री नानक जी, परमेश्वर कबीर जी के गुरु जी थे। जैसे गुरु ग्रन्थ साहेब आदरणीय तथा प्रमाणित है, ऐसे ही पवित्र कबीर सागर भी आदरणीय तथा प्रमाणित सद्ग्रन्थ है तथा श्री गुरुग्रन्थ साहेब से पहले का है। इसीलिए तो सैंकड़ों वाणी 'कबीर सागर' सद्ग्रन्थ से गुरु ग्रन्थ साहिब में ली गई हैं।
पवित्र कबीर सागर में विस्तृत विवरण है नानक जी तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वार्ता का तथा श्री नानक जी के पूज्य गुरुदेव कबीर परमेश्वर जी
थे। कृपया निम्न पढ़ें। विशेष प्रमाण के लिए कबीर सागर (स्वसमबेदबोध) पृष्ठ न. 158 से 159
से सहाभार :-
नानकशाह कीन्हा तप भारी। सब विधि भये ज्ञान अधिकारी ।। भक्ति भाव ताको समिझाया। ता पर सतगुरु कीनो दाया।। जिंदा रूप धरयो तब भाई। हम पंजाब देश चलि आई ।। अनहद बानी कियौ पुकारा। सुनि कै नानक दरश निहारा।। सुनि के अमर लोक की बानी। जानि परा निज समरथ ज्ञानी ।।
नानक वचन आवा पुरूष महागुरु ज्ञानी। अमरलोकी सुनी न बानी।। अर्ज सुनो प्रभु जिंदा स्वामी। कहँ अमरलोक रहा निजधामी ।। काहु न कही अमर निजबानी। धन्य कबीर परमगुरु ज्ञानी ।। कोई न पावै तुमरो भेदा। खोज थके ब्रह्मा चहुँ वेदा ।।
जिन्दा वचन
नानक तुम बहुतै तप कीना। निरंकार बहुते दिन चीन्हा ।। निरंकारते पुरूष निनारा। अजर द्वीप ताकी टकसारा ।। पुरूष बिछोह भयौ तव (त्व) जबते। काल कठिन मग रोंक्यौ तबते ।।
इत तव (त्व) सरिस भक्त नहिं होई। क्यों कि परमपुरूष न भेटेंउ कोई ।। जबते हमते बिछुरे भाई। साठि हजार जन्म भक्त तुम पाई ।। धरि धरि जन्म भक्ति भलकीना। फिर काल चक्र निरंजन दीना ।। गहु मम शब्द तो उतरो पारा। बिन सत शब्द लहै यम द्वारा ।। तुम बड़ भक्त भवसागर आवा। और जीवकी कौन चलावा ।। निरंकार सब सृष्टि भुलावा। तुम करि भक्तिलौटि क्यों आवा ।।
नानक वचन
धन्य पुरूष तुम यह पद भाखी। यह पद हमसे गुप्त कह राखी ।। जबलों हम तुमको नहिं पावा। अगम अपार भर्म फैलावा ।। कहो गोसाँई हमते ज्ञाना। परमपुरूष हम तुमको जाना ।। धनि जिंदा प्रभु पुरूष पुराना। बिरले जन तुमको पहिचाना ।।
जिन्दा वचन
भये दयाल पुरूष गुरु ज्ञानी। दियो पान परवाना बानी ।। भली भई तुम हमको पावा। सकलो पंथ काल को ध्यावा ।। तुम इतने अब भये निनारा। फेरि जन्म ना होय तुम्हारा।। भली सुरति तुम हमको चीन्हा। अमर मंत्र हम तुमको दीन्हा ।। स्वसमवेद हम कहि निज बानी। परमपुरूष गति तुम्हें बखानी ।।
नानक वचन
धन्य पुरूष ज्ञानी करतारा। जीवकाज प्रकटे संसारा ।। धनि (धन्य) करता तुम बंदी छोरा। ज्ञान तुम्हार महाबल जोरा ।।
दिया नाम दान किया उबारा। नानक अमरलोक पग धारा ।। भावार्थ :- परम पूज्य कबीर प्रभु एक जिन्दा महात्मा का रूप बना कर
श्री नानक जी से मिलने पंजाब में गए तब श्री नानक साहेब जी से वार्ता हुई। तब परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि आप जैसी पुण्यात्मा जन्म-मृत्यु का कष्ट भोग रहे हो फिर आम जीव का कहाँ ठिकाना है?
जिस निरंकार को आप प्रभु मान कर पूज रहे हो पूर्ण परमात्मा तो इससे भी भिन्न है। वह मैं ही हूँ। जब से आप मेरे से बिछुड़े हो साठ हजार जन्म तो अच्छे-2 उच्च पद भी प्राप्त कर चुके हो (जैसे सतयुग में यही पवित्र आत्मा राजा अम्ब्रीष तथा त्रेतायुग में राजा जनक (जो सीता जी के पिता जी थे) हुए तथा कलियुग में श्री नानक साहेब जी हुए।) फिर भी जन्म मृत्यु के चक्र में ही हो।
मैं आपको सतशब्द अर्थात् सच्चा नाम जाप मन्त्र बताऊँगा उससे आप अमर हो जाओगे। श्री नानक साहेब जी ने प्रभु कबीर से कहा कि आप बन्दी छोड भगवान हो, आपको कोई बिरला सौभाग्यशाली व्यक्ति ही पहचान सकता है।
कबीर सागर के अध्याय "अगम निगम बोध" में पृष्ठ नं. 44 पर शब्द है :-
।। नानक वचन ।।
।। शब्द ।।
वाह वाह कबीर गुरु पूरा है।
पूरे गुरु की मैं बलि जावाँ जाका सकल जहूरा है।।
अधर दुलिच परे है गुरुनके शिव ब्रह्मा जह शूरा है।।
श्वेत ध्वजा फहरात गुरुनकी बाजत अनहद तूरा है।।
पूर्ण कबीर सकल घट दरशै हरदम हाल हजूरा है।। नाम कबीर जपै बड़भागी नानक चरण को धूरा है।।
* विशेष विवेचन : बाबा नानक जी ने उस कबीर जुलाहे (धाणक) काशी वाले को सत्यलोक (सच्चखण्ड) में आँखों देखा तथा फिर काशी में धाणक (जुलाहे) का कार्य करते हुए देखा तथा बताया कि वही धाणक रूप (जुलाहा) सत्यलोक में सत्यपुरुष रूप में भी रहता है तथा यहाँ भी वही है।
आदरणीय श्री नानक साहेब जी का आविर्भाव (जन्म) सन् 1469 तथा सतलोक वास सन् 1539 "पवित्र पुस्तक जीवनी दस गुरु साहिबान"। आदरणीय कबीर साहेब जी धाणक रूप में मृतमण्डल में सन् 1398 में सशरीर प्रकट हुए तथा सशरीर सतलोक गमन सन् 1518 में "पवित्र कबीर सागर"। दोनों महापुरुष 49 वर्ष तक समकालीन रहे।
श्री गुरु नानक साहेब जी का जन्म पवित्र हिन्दू धर्म में हुआ। प्रभु प्राप्ति के बाद कहा कि "न कोई हिन्दू न मुसलमाना" अर्थात् अज्ञानतावश दो धर्म बना बैठे। सर्व एक परमात्मा सतपुरुष के बच्चे हैं। श्री नानक देव जी ने कोई धर्म नहीं बनाया, बल्कि धर्म की बनावटी जंजीरों से मानव को मुक्त किया तथा शिष्य परम्परा चलाई। जैसे गुरुदेव से नाम दीक्षा लेने वाले भक्तों को शिष्य बोला जाता है, उन्हें पंजाबी भाषा में सिक्ख कहने लगे। जैसे आज इस दास के लाखों शिष्य हैं, परन्तु यह धर्म नहीं है। सर्व पवित्र धर्मों की पुण्यात्माएँ आत्म कल्याण करवा रही हैं। यदि आने वाले समय में कोई धर्म बना बैठे तो वह दुर्भाग्य ही होगा। भेदभाव तथा संघर्ष की नई दीवार ही बनेगी, परन्तु लाभ कुछ नहीं होगा।
गवाह नं 6 संत घीसा दास जी गाँव-खेखड़ा जिला-बागपत, उत्तर प्रदेश (भारत) : इनको छः वर्ष की आयु में कबीर परमेश्वर जी मिले थे। प��रा गाँव खेखड़ा गवाह है। संत घीसा जी ने बताया कि मैंने परमेश्वर कबीर जी के साथ ऊपर सतलोक में जाकर देखा था। जो काशी में जुलाहे का कार्य करता था, वह पूर्ण परमात्मा है। सारी सृष्टि का सृजनकर्ता है। असंख्य ब्रह्मण्डों का मालिक है।
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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सर्वशक्तिमान परमेश्वर कबीर
श्री नानक देव जी के गुरु
सूक्ष्मवेद में बताया गया है कि
सूक्ष्म वेद
झांकी वेख कबीर की, नानक कीती वाह। वाह सिक्खां दे गल पड़ी, कौन छुड़ावै ता ॥
कबीर साहेब को सतलोक में सर्व सृष्टि के रचनहार के रूप में देखने के बाद श्री नानक जी के मुख से वाहेगुरू शब्द निकला। क्योंकि नानक जी को जिंदा महात्मा के रूप में कबीर साहेब ही मिले थे जो उनके गुरू थे।
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