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#गंदा पाइप
rohittsaxena4321 · 1 year
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7 AC समस्याएं और उनके समाधान
Air conditioner हमारे जीवन की वो ज़रूरत बन गई है जिसके बिना घर और या ऑफिस, गर्मी का मौसम नहीं निकल सकता । ताज़ा आकड़ों के अनुसार आज अकेले भारत में गर्मी के एक सीज़न में कुल 1 करोड़ यूनिट Air conditioner की बिक्री हो रही है । ऐसे में AC repair service demand भी ज़ोरों पर है । हर सीज़न में AC servicing और Repair के लिए गर्मी से पहले ही AC repair technician booking हो जाती है । लेकिन कुछ आम समस्याएं हैं जो आपके AC में होती रहती हैं और जिसके लिए आप बार-बार परेशान होते हैं । लेकिन अब आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं क्योंकि आपके मोबाइल पर है numberdekho app जो देता है आपको Best AC service वो भी Expert AC professionals के द्वारा । 
नीचे हम ऐसी 7 समस्याएं बता रहे हैं जो AC में आना आम बात है, और साथ ही उसका समाधान भी बताएंगे -
पहला है, AC remote का काम न करना 
ऐसा कईं बार हो जाता है कि मैनुफैक्चर करते समय AC remote को ठीक से प्रोग्राम नहीं किया जाता, तो ऐसे में AC remote कमांड नहीं मानता । कईं बार ऐसा भी होता है कि रिमोट में जो सैल डाले होते हैं, वो चार्ज नहीं होते, जिस वजह से वह काम नहीं करता है, ये बात हमेशा ध्यान रखिए कि हर सीज़न में AC remote के लिए नए सैल का इस्तेमाल करें और अगर सैल वीक हो जाएं तो तुरंत नए सैल डालें । एक बात का और ध्यान रखिए, सीज़न जाने पर तुरंत रिमोट से सैल निकालकर फैंक दें, वरना रिमोट काम करना बंद कर देता है । अगर रिमोट फिर भी काम नहीं कर रहा तो एक बार रिमोट का IR sensor चेक करें कि कहीं वो ढ़क तो नहीं रहा । इसके अलावा रिमोट में किसी भी प्रकार की कोई समस्या आती है तो आप अपने फोन मे numberdekho ऐप प्लेस्टोर से डाउनलोड कर लें, ताकि आपको आपके nearby AC service expert आसानी से मिल जाएं ।
AC cooling न होना
AC cooling न हो पाना एक आम समस्या है जो लोगों के सामने आती है । इसकी कईं वजह हो सकती हैं, जैसे -
AC का गलत मोड में सेट होना
ये आप हमेशा देखें कि आपके AC में कौन-सा मोड सेट हुआ है । अगर AC कूलिंग मोड के अलावा दूसरे मोड पर सेट है, तो उसे सही तापमान पर सेट करें । कूलिंग ठीक हो जाएगी ।
एयर फिल्टर का ब्लॉक होना
कुछ समय इस्तेमाल करने के बाद AC air filters पर धूल और गंदगी जम जाती है, जिसे समय-समय पर साफ करते रहना बहुत ज़रूरी है । आप फिल्टर को पानी से धोकर साफ कर लें और सूखाकर वापस वहीं लगा दें, कूलिंग पहले से बेहतर होगी ।
आउटडोर यूनिट का गंदा होना
आउटडोर यूनिट AC के इनडोर यूनिट के ज़रिए कमरे के अंदर की गर्म हवा को बाहर फेंकता है और इनडोर यूनिट से ठंडी हवा अंदर करता है । अगर ये आउटडोर यूनिट गंदी हो जाती है तो ये अपना काम ठीक से नहीं कर पाती जिसका सीधा असर कूलिंग पर पड़ता है । इसके लिए आप बिजली बंद करके गीले कपड़े के इस्तेमाल से आउटडोर यूनिट को साफ कर सकते हैं ।
मोटर खराब होना
AC motor का ध्यान रखें, कहीं वो खराब तो नहीं हो रही या टूट तो नहीं गई । अगर ऐसा हो गया है तो AC कूलिंग नहीं कर पाएगा । ऐसे में तुरंत numberdekho ऐप पर जाएं और अपने nearest AC service technician को अपनी सुविधा अनुसार बुलाएं ।
AC से पानी का रिसना
AC में आने वाली सबसे आम समस्या में से ये एक है । कमरे के अंदर पानी रिसने के कुछ खास कारण हो सकते हैं । ये कंडेनसेट ड्रेनेज पाइप के बंद होने, ड्रेन पैन के टूटने या जंग लग जाने या फिर कंडेनसेट पंप के टूटने की वजह से होता है । ऐसे में आपको एक best ac repair service provider की ज़रूरत पड़ती है जिसके लिए आप अपने फोन में numberdekho ऐप डाउनलोड कर लें ।
बिजली बिल ज़्यादा आना
बिजली बिल का ज़्यादा आना किसी को पसंद नहीं और अगर AC के कारण बिजली बिल ज़्यादा आ जाए तो हर महिने जेब ढीली हो जाती है । ऐसे में आप कुछ काम कर सकते हैं जिससे आपकी AC खपत कम होगी -
जब भी AC चलाएं, अपने दरवाज़े और खिड़कियां अच्छी तरह बंद कर लें ।
AC को हमेशा 20 से 24 डिग्री तापमान पर चलाएं, 20 डिग्री से कम तापमान पर AC आपके स्वास्थ्य और जेब दोनों को नुकसान करेगा ।
हर 6 महिने में अपने AC सर्विसिंग कराएं और हर 2 महिने में फिल्टर, ड्रेन पाइप साफ करते रहें ।
AC में कंपन होने की समस्या होना
अगर आपका window or split AC ज़ोरदार तरीके से कंपन कर रहा है, इसका मतलब है AC installation में समस्या हुई है । ऐसे में आप numberdekho ऐप की मदद से AC repair technician को बुलाएं, वो देखेगा कि आपके AC outdoor unit को सही से इंस्टॉलेशन प्लेटफॉर्म पर मज़बूती से फिट किया गया है या नहीं । इसके अलावा अगर कोई दूसरी समस्या होगी, तो उसे भी ac service expert जांच लेगा ।
बार-बार AC ON/OFF होना
अगर आपका AC बार-बार ऑन-ऑफ हो रहा है, तो उसमें बिजली से जुड़ी समस्या हो सकती है,  जिसकी तुरंत जांच करवा लें । इसके अलावा उसमें temperature sensor या compressor के फेल  होने से जुड़ी समस्या भी हो सकती है। ये गंभीर समस्या है, इसलिए तुरंत numberdekho ऐप पर जाकर AC repair service provider को बुला लें ।
AC से बदबू आना
अगर AC से बदबू या किसी तरह की नम गंध आ रही है, तो ये AC के गंदे हो चुके Air filter या Coil की वजह से हो सकता है। जैसे कि आपको ऊपर बताया गया है कि फिल्टर को हर 2 महिनों में साफ करना अनिवार्य है । हालांकि, ये समझ लें कि कॉइल को साफ करने के लिए आपको कईं उपकरणों की ज़रूरत पड़ेगी और इसके लिए professional ac repair service की ज़रूरत है । इसके लिए numberdekho ऐप पर जाकर आप टेक्नीशियन चुन सकते हैं । ये भी हो सकता है कि ये बदबू रेफ्रिजरेंट की हो, इसलिए इसमें ईथर, क्लोरोफॉर्म या मिठास जैसी गंध आने लगती है । आप तुरंत numberdekho ऐप पर साइन-इन करें और अपने nearby ac service expert को बुलाएं ।
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loktantraudghosh · 2 years
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✒ सड़कों की खुदाई से नागरिक परेशान नल- जल योजना के लिए खोदे सुरक्षित सड़क मार्गों की मरम्मत अब तक सही नहीं, ग्रामीण और राहगीर परेशान.
✒ सड़कों की खुदाई से नागरिक परेशान नल- जल योजना के लिए खोदे सुरक्षित सड़क मार्गों की मरम्मत अब तक सही नहीं, ग्रामीण और राहगीर परेशान.
नालियाँ जाम होने से सड़कों पर भी फैल रहा नालियों का गंदा पानी घट्टिया (दिपांशु जैन) अंचल क्षेत्र में इन दिनों राज्य सरकार की अंचल के गांवों- गांवों में बिछाई जा रही नर्मदा नल- जल योजना के अंतर्गत पाइप लाइन के लिए खोदी जा रही सुरक्षित सड़कों से ग्रामीणों की व्यवस्था पूरी तरह से चरमा गई है। ग्रामीणों को बाजारों में तो अपने घरों के दरवाजे तक पहुंचने के लिए अब भी काफी मशक्कतों का सामना करना पड़ रहा…
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radarhindi · 2 years
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Water Pollution In Hindi Wikipedia
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Water Pollution In Hindi Wikipedia जल पृथ्वी पर सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है और लंबे समय से आसपास है। दरअसल, हम जो पानी पीते हैं, वह डायनासोर के समय से ही किसी न किसी रूप में मौजूद है�� जल प्रदूषण उन पदार्थों द्वारा जल स्रोतों का संदूषण है जो पानी को पीने, खाना पकाने, सफाई, तैराकी और अन्य गतिविधियों के लिए अनुपयोगी बनाते हैं। प्रदूषकों में रसायन, कचरा, बैक्टीरिया और परजीवी शामिल हैं प्रदूषण के सभी रूप अंतत पानी में अपना रास्ता बना लेते हैं। वायु प्रदूषण झीलों और महासागरों पर जम जाता है। भूमि प्रदूषण एक भूमिगत धारा में, फिर एक नदी में और अंत में समुद्र में जा सकता है। इस प्रकार, एक खाली लॉट में डंप किया गया कचरा अंतत पानी की आपूर्ति को प्रदूषित कर सकता है।
Water Pollution In Hindi Wikipedia
पृथ्वी की सतह का दो-तिहाई से अधिक भाग पानी से ढका हुआ है। यह महासागरों, नदियों, झीलों और नदियों में वितरित 1 ऑक्टिलियन लीटर (1,260,000,000,000,000,000,000 लीटर) से अधिक पानी का अनुवाद करता है। यह बहुत सारा पानी है, हालांकि, 0.3% से भी कम मानव उपभोग के लिए सुलभ है। जैसे-जैसे व्यावसायीकरण और औद्योगीकरण आगे बढ़ा है, यह संख्या घटती जा रही है। इसके अलावा, अक्षम और पुरानी प्रथाओं, जागरूकता की कमी और अन्य परिस्थितियों की अधिकता ने जल प्रदूषण को जन्म दिया है।
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Definition Of  Water Pollution In Hindi
जल प्रदूषण उन पदार्थों द्वारा जल स्रोतों का संदूषण है जो पानी को पीने, खाना पकाने, सफाई, तैराकी और अन्य गतिविधियों के लिए अनुपयोगी बनाते हैं। प्रदूषकों में रसायन, कचरा, बैक्टीरिया और परजीवी शामिल हैं। प्रदूषण के सभी रूप अंततः पानी में अपना रास्ता बना लेते हैं।
What Is Water Pollution In Hindi
जल प्रदूषण को जल निकायों के संदूषण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। जल प्रदूषण तब होता है जब नदियों, झीलों, महासागरों, भूजल और जलभृत जैसे जल निकाय औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों से दूषित हो जाते हैं। जब जल प्रदूषित हो जाता है, तो यह उन सभी जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस स्रोत पर निर्भर करते हैं। जल प्रदूषण का प्रभाव आने वाले वर्षों में महसूस किया जा सकता है।
Water Pollution In India In Hindi
भारत में जल प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत अनुपचारित सीवेज है। प्रदूषण के अन्य स्रोतों में कृषि अपवाह और अनियमित लघु उद्योग शामिल हैं। भारत में अधिकांश नदियाँ, झीलें और सतही जल उद्योगों, अनुपचारित सीवेज और ठोस कचरे के कारण प्रदूषित हैं। भारत बढ़ते शहरीकरण, अनधिकृत मलिन बस्तियों और पाइप योजना के अभाव से ग्रस्त है। अनुमान बताते हैं कि 2030 तक, लगातार बढ़ती आबादी के कारण 600 मिलियन भारतीय झुग्गियों में रह सकते हैं। इस वजह से टैंकर माफिया प्रमुख हैं। टैंकर माफिया व्यवसाय के मालिक हैं जो सेप्टिक टैंक रखते हैं जो अवैध रूप से झीलों, कुओं और भूजल से पानी बेचते हैं। वे प्रति 1,000 लीटर पर लगभग $50 का शुल्क लेते हैं, और अधिकांश भारतीयों के लिए, यह वहन करने योग्य नहीं है 2001 और 2012 के बीच, हैदराबाद शहर में 3,245 हेक्टेयर झीलें नष्ट हो गईं। दक्षिणी नई दिल्ली में हर साल औसतन नौ फीट पानी घटता है - यह सब टैंकर माफियाओं के कारण होता है। तेल रिसाव, कचरे का अपर्याप्त उपचार, खराब स्वच्छता और खुले में शौच भारत में जल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। गंदा पानी पीने से मानव पाचन तंत्र हानिकारक बैक्टीरिया से ग्रस्त हो जाता है जो आंत के संतुलन को बिगाड़ देता है, जिससे दस्त और अन्य बीमारियां हो जाती हैं।
Water Pollution In India In Hindi Poor Water Quality
भारत की खराब जल गुणवत्ता के परिणाम लगभग 70% अपशिष्ट जल अनुपचारित हो जाता है और प्रत्येक दिन, 40 मिलियन लीटर से अधिक अपशिष्ट जल सीधे भारत की झीलों, नदियों और समुद्र में बह जाता है। अंतत: दूषित जल भी भूजल में प्रवेश कर जाता है। इस वजह से, उचित अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज प्रदूषण नहीं हो सकता है, जिससे सिंचाई प्रणाली खराब हो जाती है। पानी में संक्रामक बैक्टीरिया और बीमारियों के कारण फसलें नहीं बढ़ पा रही हैं। खराब बुनियादी ढांचे और सीवेज नियंत्रण के अभाव के कारण, 38 मिलियन भारतीय हर साल टाइफाइड, हैजा और हेपेटाइटिस जैसी जलजनित बीमारियों से पीड़ित होते हैं। पिछले दशक में, इन बीमारियों की आवृत्ति समान स्तर पर रही।
Water Pollution In India In Hindi For Effect Kids
दुनिया भर में, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में एड्स, तपेदिक और खसरा की तुलना में जलजनित बीमारियों से अधिक मौतें होती हैं। भारत में जल प्रदूषण न केवल लोगों के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कमी और आर्थिक गतिरोध में भी योगदान देता है। जब देश के जलाशयों में प्रदूषण एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है तो जीडीपी वृद्धि न केवल एक तिहाई कम हो जाती है, बल्कि उन जिलों में कृषि राजस्व 9% कम हो जाता है जो औद्योगिक क्षेत्रों के करीब हैं। भारत में जल प्रदूषण सहित पर्यावरण के क्षरण से सालाना 80 अरब डॉलर का नुकसान होता है। इस बीच, अनुमान निर्धारित करते हैं कि जलजनित रोगों के इलाज के लिए स्वास्थ्य लागत लगभग $9 बिलियन प्रति वर्ष है।
Water Pollution Project In Hindi
प्रदूषण पर्यावरण में हानिकारक पदार्थों की शुरूआत है। इन हानिकारक पदार्थों को प्रदूषक कहा जाता है। प्रदूषक प्राकृतिक हो सकते हैं, जैसे ज्वालामुखी की राख। वे मानव गतिविधि द्वारा भी बनाए जा सकते हैं, जैसे कारखानों द्वारा उत्पादित कचरा या अपवाह। प्रदूषक हवा, पानी और जमीन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं। जल प्रदूषण जल निकायों में पदार्थों की रिहाई है जो पानी को मानव उपयोग के लिए असुरक्षित बनाता है और जलीय पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करता है। जल प्रदूषण विषाक्त अपशिष्ट, पेट्रोलियम और रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों सहित विभिन्न संदूषकों की अधिकता के कारण हो सकता है।
Sources Of  Water Pollution Wikipedia In Hindi
भारत में जल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं: - शहरीकरण। - वनों की कटाई। - औद्योगिक बहिःस्राव। - सामाजिक और धार्मिक आचरण। - डिटर्जेंट और उर्वरकों का उपयोग। - कृषि अपवाह - कीटनाशकों और कीटनाशकों का उपयोग।
Water Pollution In Hindi Wikipedia आप क्या कर सकते हैं?
आप जल प्रदूषण को रोकने के लिए क्या कर सकते है हम आप��ो बता रहे है की आप जल को कैसे बचा सकते दूषित होने से। 
Water Pollution In Hindi Wikipedia Use Less Water
कम पानी का प्रयोग करें स्वच्छ, ताजा पानी प्रचुर मात्रा में लग सकता है, लेकिन पृथ्वी पर सीमित मात्रा में उपलब्ध है। सिंक पर, शौचालयों में और शावर में पानी बचाने वाले उपकरणों का प्रयोग करें। नहाने की जगह शॉर्ट शॉवर लें। अपने दांतों को ब्रश करते समय लगातार पानी न चलाएं। कपड़े धो लें जब आपके पास कपड़े धोने का पूरा भार हो। अपने लॉन और पौधों को केवल तभी पानी दें जब अत्यंत आवश्यक हो।
Water Pollution In Hindi Wikipedia Avoid Pouring Chemicals Down The Drain
नाले में रसायन डालने से बचें, घर के आसपास कम केमिकल और क्लीनर का इस्तेमाल करें। आप न केवल इनडोर वायु प्रदूषण में कटौती करेंगे, बल्कि जल प्रणाली में प्रवेश करने वाले रसायनों की संख्या में भी कटौती करेंगे। यदि आवश्यक हो, तो बायोडिग्रेडेबल क्लीनर का उपयोग करें। सड़क पर जल निकासी व्यवस्था में तेल या अन्य रसायन न डालें।
Water Pollution In Hindi Wikipedia Checked For Lead Contamination
सीसा संदूषण के लिए अपने पानी की जाँच करें, कई घरों में पाइप पर लीड पाइप या लीड-अराउंड कनेक्शन होते हैं जो उनके घरों में पानी ले जाते हैं। चूंकि यह सीसा आपके पीने के पानी में प्रवेश कर सकता है और छोटे बच्चों में चिकित्सा समस्याएं पैदा कर सकता है, आप पानी की जांच करवाना चाहते हैं। यदि सीसा मौजूद है, तो फ़िल्टर स्थापित करने से समस्या का समाधान हो सकता है।
Water Pollution In Hindi Wikipedia Do Not Pollute Outdoor Water Sources
बाहरी जल स्रोतों को प्रदूषित न करें, सड़क पर जल निकासी व्यवस्था में तेल या अन्य रसायन न डालें। थोड़ा सा तेल कई पौधों और जानवरों को मार सकता है। कूड़ा न डालें, खासकर पानी के पास। कूड़े को जानवर भोजन के रूप में खा सकते हैं और उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। लॉन में कीटनाशकों का प्रयोग न करें, या केवल जैविक का उपयोग करें। खाद का भी कम प्रयोग करें। ये सभी हमारे जल स्रोतों में प्रवेश कर सकते हैं। ये भी पढ़े 12 Jyotirling Name 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और फोटो 12 Jyotirlingas in India Raksha Bandhan 2022 Date In Hindi – Raksha Bandhan Kab Hai Republic Day Shayari In Hindi for 2022 – 26 जनवरी पर शायरी | 26 January Shayari 10 Sentences About Christmas in Hindi – क्रिसमस पर १० लाइन Christmas Wishes in Hindi क्रिसमस डे Merry Christmas Meaning in Hindi नए साल से पहले की आखिरी शाम को लोग क्या करते है आपको क्या करना है Karwa Chauth Status in Punjabi – ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ Karwa Chauth 2021 करवा चौथ व्रत Karwa Chauth Katha करवा चौथ की कथा Happy Karwa Chauth Sms Hindi Karwa Chauth Shayari, Wishes, Quotes, Facebook Post & Whatsapp status Boy Name in Hindi अ से लड़कों के नाम – बच्चों के नये नाम की लिस्ट 2020 Republic day Speech in Hindi | Speech on republic day Jokes in hindi – 1000 Jokes in hindi Funny Jokes in Hindi Essay on diwali in hindi for kids दिवाली पर निबंध 2020 Diwali wishes in hindi दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएँ with पूरी जानकरी दोस्तों आपको Water Pollution In Hindi Wikipedia ये पोस्ट कैसी लगी। हमें comment करके अपने विचार दे। हमें बहुत ख़ुशी होगी और आपका 1 कमेंट हमें लिखने को  प्रोत्साहित करता और हमारा जोश बढ़ाता है। इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ Share ज़रूर करें। जानकारी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना न भूलें। आपके पास कोई लेख है तो आप हमें Send कर सकते है। हमारी id:[email protected] पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे। और अन्य जानकारी जैसे की स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया हमारे फेसबुक पेज पर जाएँ।  facebook page पर फॉलो कर ले और Right Side में जो Bell Show हो रही है उसे Subscribe कर ले ताकि आप को समय समय पर Update मिलता रहे। Thanks For Reading Read the full article
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technofyworld · 3 years
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सैमसंग ने Android 12 पर आधारित गैलेक्सी उपकरणों पर 'डर्टी पाइप' की भेद्यता को पैच करने का वादा किया है
सैमसंग ने Android 12 पर आधारित गैलेक्सी उपकरणों पर ‘डर्टी पाइप’ की भेद्यता को पैच करने का वादा किया है
सैमसंग ने ‘डर्टी पाइप’ भेद्यता को संबोधित करने के लिए एंड्रॉइड 12 पर आधारित अपने गैलेक्सी उपकरणों के लिए सुरक्षा अपडेट जारी करने का वादा किया है। अत्यधिक गंभीर सुरक्षा खामी को शुरू में लिनक्स कर्नेल में खोजा गया था। हालाँकि, चूंकि एंड्रॉइड कोर के रूप में लिनक्स कर्नेल का उपयोग करता है, भेद्यता कुछ एंड्रॉइड 12 उपकरणों को प्रभावित कर रही है, जिसमें सैमसंग गैलेक्सी एस 22 श्रृंखला के साथ-साथ Google…
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S3 Ep73: एक अंतर के साथ रैंसमवेयर, गंदे लिनक्स पाइप, और भी बहुत कुछ [Podcast]
S3 Ep73: एक अंतर के साथ रैंसमवेयर, गंदे लिनक्स पाइप, और भी बहुत कुछ [Podcast]
द्वारा पॉल डकलिन सुनो अब रैंसमवेयर ब्लैकमेलर्स क्या मांगते हैं जब वे? पैसा नहीं चाहिए? फायरफॉक्स को क्यों मिला? तीन दिनों में दो अपडेट? एडफ्रूट कैसे मिला पेटार्ड द्वारा फहराना “छाया आईटी” का? और उनके साथ क्या है गंदे लिनक्स पाइप? पॉडकास्ट में उल्लिखित साइबरबीमा घटना के लिए पंजीकरण करें:https://events.sophos.com/cyberinsurance किसी भी बिंदु पर जाने के लिए नीचे ध्वनि तरंगों पर क्लिक करें और…
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allgyan · 3 years
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बसे गन्दा आदमी :दुनिया का सबसे गन्दा आदमी (the world dirtiest man )
सबसे गन्दा आदमी जो 67 साल तक नहाया नहीं -
सबसे गन्दा आदमी से तात्पर्य आप समझ गये होंगे लेकिन आप सोच रहे होंगे की क्या पैमाना होगा जो ये नापे की ये सबसे गंदे आदमी वो भी दुनिया के सर्दियों में तो नहाना एक बड़ा खतरनाक टास्क लगता है। लोग १ दिन या कहे दो दिन या कहे एक वीक नहीं नहाते होंगे। लेकिन एक शख्स ऐसे भी है जो 67 साल तक नहीं नहाये। यहाँ उन्ही के बारे में बात हो रही है। उन्हें ही माना जाता है की वो दुनिया के सबसे गंदे आदमी हैं। नहाना तो दूर की बात इन्होने अपने बदन पर पानी की एक बूंद तक नहीं डाली है।ईरान के रहने वाले 87 वर्षीय हाजी को दुनिया का सबसे गंदा इंसान (World's Dirtiest Man) भी कहा जाता है। कहा यहा�� तक जाता है की इनके सामने एक मिनट रुकना भी मौत को दावत देनेजैसा है।
अमो हाजी को नहाने से इतना परहेज क्यों ?
अमो हाजी जो वो ईरान के रहने वाले है और वहाँ के पत्रकारों ने जब उनसे बात की इस बारे में तो उन्होंने कहा की अगर वो नहाएंगे तो वो बीमार पड़ जायेंगे। यहाँ तक की वो ताज़ा खाना भी नहीं खाते। और तो और वो तनाव दूर करने के लिए जानवरो के मल को एक पाइप में भरके धुँआ फूकते है। हो सकता है की भावनात्मक रूप से उन्हें कोई परेशानी हुई होगी और उन्होंने इस तरह ही जीने का मन बना लिया होगा।हाजी दिन में 5 लीटर पानी पीते है और बाल जब ज्यादा बढ़ जाते है तो वो उन्हें आग लगा के कम कर लेते है।
बदन पर गंदे कपड़े, चेहरा काला और शरीर बेहद बदबूदार. इस शख़्स को देख लोग भी उसके पास जाने से कतराते हैं। यही वजह है कि वो लोगों से दूर ईरान के रेगिस्तान में अकेले रहता है।अमो के पास अपना घर भी नहीं है लिहाजा वो गांव के बाहर रेगिस्तान में बने गड्ढों में रहता है।वो रात को किसी भी गढ्ढे में सो जाते हैं। हाजी को खाने-पीने की फ़्रेश चीज़ों से भी नफ़रत है। इसलिए उसे केवल मरे हुए जानवरों का सड़ा मांस खाने की आदत है।
अमो से पहले ये ख़िताब किसके नाम था -
अमो हाजी ठंड से बचने के लिए एक पुराने हेलमेट का इस्तेमाल करता है।इसका इस्‍तेमाल कभी युद्ध के दौरान किया गया था।हाजी के बदन पर कई सालों से एक ही कपड़ा है।जो कोई भी उसे कपड़े देता है वो उसे अपने पुराने कपड़ों के ऊपर ही पहन लेता है।इस वजह से उसके शरीर पर कपड़ों की मोटी-मोटी परतें बन चुकी हैं, जो उसे ठंड से बचने का काम भी करती हैं। आपके जानकार ये हैरानी होगी की हाजी से पहले ये रेकार्ड भारतीय के नाम दर्ज था -जिनका नाम था -कैलाश सिंह। कैलाश सिंह भी 38 सालों तक नहीं नहाये थे।अगर आपको हमारे आर्टिकल पसंद आते है तो हमे अपना भरपूर प्यार दे।
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rebel-bulletin · 2 years
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छोटा गोंदिया में दूषित पानी पीने से डायरिया का प्रकोप बढ़ा | मनसे जिला उपाध्यक्ष की मांग पर शिविर का आयोजन
छोटा गोंदिया में दूषित पानी पीने से डायरिया का प्रकोप बढ़ा | मनसे जिला उपाध्यक्ष की मांग पर शिविर का आयोजन
गोंदिया : पाइप लाइन फूटने से नाली का गंदा पानी भी पाइप लाइन के द्वारा लोगों के घरों में नल के माध्यम से दूषित पानी पहुंचा। इस दूषित पानी से छोटा गोंदिया मे डायरिया का प्रकोप बढ़ा। स्थिति को मद्देनजर रखते हुये मनसे जिला उपाध्यक्ष की मांग पर शिविर का आयोजन किया गया। (outbreak of diarrhea) छोटा गोंदिया प्रभाग क्रमांक दो में महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण गोंदिया के द्वारा पीने के पानी का नलों के द्वारा…
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sablogpatrika · 3 years
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स्वच्छ जल से वंचित आदिवासी
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  आधुनिकता के इस दौर में जब शहर के तकरीबन हर दूसरे-तीसरे घर के लोग आरओ का फिल्टर पानी पीते हैं तो वहीं देश के ग्रामीण इलाकों में कुछ ऐसे भी गाँव हैं जहाँ वर्षों से सरकारी तन्त्र की अनदेखी के कारण लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं हो रहा है। सरकार द्वारा पेयजल को लेकर प्रति वर्ष लाखों रुपया खर्च जरूर किया जाता है, लेकिन इसका लाभ देश में ग्रामीण अंचल को मिल रहा है या नहीं, इसकी निगरानी व्यवस्था अब भी कमजोर है। मसलन छत्तीसगढ़ के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासी परिवार आज भी पीने के साफ़ पानी जैसी अपनी मूलभूत आवश्यकता के अभाव में पीढ़ियों से अपना जीवन जीते आ रहे हैं।
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रोजाना सूरज के उजियारे के साथ घर की महिलाएँ हाथ में पानी का बर्तन लिए एक किलोमीटर पैदल चलकर नदी किनारे पहुँचती हैं, फिर झरिया (नदी किनारे की ज़मीन) खोदकर प्यास बुझाने के लिए पानी निकालती हैं। वह पानी भी साफ नहीं रहता है, इसीलिए उसे घर ले जाकर पहले गन्दे पानी को छानती हैं और फिर पीने लायक बनाती हैं। यह स्थिति है छत्तीसगढ़ में दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा जिला स्थित पोंदुम ग्राम पंचायत के बुरकापारा क्षेत्र की। जो आज आजादी के सात दशक बाद भी पीने के साफ पानी के लिए तरस रहा है। यहाँ आज तक कोई भी सरकार ग्रामीण आदिवासियों के लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था नहीं करा पाई है। दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से महज 11 किलोमीटर की दूरी पर लगभग 3 हजार की जनसंख्या वाला गाँव है पोंदुम। यह गाँव दो भागों में बंटा है, जिसमें पोंदुम 1 तथा पोंदुम 2 है। गाँव के आधे हिस्से में तो पेयजल की व्यवस्था थोड़ी ठीक-ठाक है, लेकिन पोंदुम 2 के बुरकापारा क्षेत्र में पेयजल की कोई भी व्यवस्था नहीं है। तीन तरफ से घिरे हुए गाँव के एक भाग में डंकनी नदी, दूसरी तरफ एक नाला और तीसरी तरफ रेल पटरी है। ग्रामीण यहाँ से पानी लाने या तो डंकनी नदी जा सकते हैं या फिर रेलवे पटरी को पार करके मौजूद एक हैंडपम्प तक पहुँच सकते हैं। लेकिन उसके लिए भी एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। अन्य मौसम में तो ग्रामीण नदी के पानी से जैसे-तैसे अपनी जरूरतें पूरी कर लेते हैं लेकिन बारिश के मौसम में जब नदी का पानी बहुत गंदा होता है तो उनके सामने समस्या और विकराल हो जाती है। इसलिए यहाँ के लोग बरसात के दौरान घर की छप्पर से गिरने वाले पानी को बर्तनों में इकट्ठा करके पीने के लिए उपयोग में लाते हैं। इस तरह से बुरकापारा में 30 आदिवासी परिवारों के लगभग 90-100 लोग रोजाना पानी की जद्दोजहद में लगे रहते हैं, बावजूद उन्हें पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल पाता है। तो दूसरी तरफ गंदा पानी पीने से उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
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स्थिति यह है कि पानी की तलाश में गाँव की 60-70 वर्षीय वृद्ध महिलाओं को भी अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी लाने नदी जाना पड़ता है। बुरकापारा की वार्ड पंच मंगों मण्डावी के साथ साथ अन्य महिलाएँ आयते मण्डावी, बुधरी, लक्में और पायकों ने बताया कि हमारे क्षेत्र में एक भी हैंडपम्प नहीं है। जो भी पानी के स्रोत हैं वह यहाँ से बहुत दूर हैं। महिलाओं ने बताया कि रोजाना लगभग एक किलोमीटर से ज्यादा दूर जाकर हम सभी पानी लाते हैं। नदी का पानी कभी थोड़ा साफ रहता है तो कभी बहुत गंदा, फिर भी हम मजबूरी में उसी पानी का उपयोग करते हैं। बुरकापारा निवासी एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लक्ष्मी मण्डावी कहती हैं कि हमें पानी की बहुत ही ज्यादा समस्या है। घर की हर जरूरतों के लिए नदी से ही पानी लाना पड़ता है और पानी लाने में ही हमारे दिन का आधा समय चला जाता है। उसके बाद ही आंगनबाड़ी का कार्य कर पाती हूँ। इससे हमें शारीरिक के साथ साथ मानसिक थकान भी बहुत होती है और पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं मिलने से विभिन्न बिमारियों का खतरा भी बना रहता है। वहीं इस समस्या के सम्बन्ध में पोंदुम पंचायत के सरपंच भानुप्रताप कर्मा ने बताया कि बुरकापारा क्षेत्र में 5 बार बोर खनन (बोरिंग) का कार्य किया जा चुका है लेकिन इस इलाके में जमीन के अंदर चट्टान होने के कारण बोर खनन में पानी नहीं निकलता है। इसलिए यहाँ पानी की समस्या है जबकि गाँव के अन्य जगहों में पानी के लिए हैंडपम्प है। उन्होंने बताया कि पंचायत को नलजल योजना के लिए राशि मिल गयी है, कोरोना का प्रकोप कम होने पर हम पाइप लाइन के द्वारा एक स्थान पर टंकी बनाकर पानी पहुंचाने का कार्य शुरु करेंगे। पेयजल के अभाव पर बात करते हुए स्थानीय कुम्मा मण्डावी ने बताया कि बुरकापारा के साथ-साथ गाँव के अन्य जगहों अलीकोंटा, घोरकुट्टा और दरशाबलुम गाँव के लोग भी नदी के पानी का उपयोग करते हैं। पेयजल के लिए सबसे ज्यादा महिलाओं को परेशानी उठानी पड़ती है, क्योंकि घर का सारा काम वही करती हैं। उन्होंने बताया कि हमारी समस्या से जिला कलेक्टर को भी अवगत कराया जा चुका है। उनके ��देश के बाद एक हैंडपम्प खनन गाड़ी आती है। एक जगह खोदकर देखती है और पानी नहीं निकलने पर चली जाती है। इस तरह सालों से हमारी यह समस्या जस की तस बनी हुई है। उन्होंने बताया नदी से भी पाइप लगाकर पानी यहाँ तक पहुंचाया जा सकता है लेकिन स्थानीय प्रशासन ने वह भी नहीं किया है। इस सम्बन्ध में दंतेवाड़ा जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता देवेन्द्र आर्मो ने बताया कि पोदुंम के बुरकापारा क्षेत्र ड्राई जोन में आता है, इसलिए वहाँ बोर खनन सफल नहीं हो रहा है। हालंकि एक पुराने हैण्डपम्प को फिर से शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी तकनीकी टीम ने वहाँ दौरा कर काम भी शुरू कर दिया है। इसके अलावा पाइपलाइन से पानी पहुंचाने की भी वहाँ कार्य योजना तैयार की गयी है, जिस पर जल्द ही टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी।
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छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा स्थित पोदुंम गाँव का बुरकापारा ही ऐसा एकलौता स्थान नहीं है जहाँ पेयजल का अभाव हो, बल्कि राज्य में कई ऐसे गाँव हैं जहाँ लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं और ग्रामीण नदी-नाले का दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। बस्तर जिले के नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कुंगारपाल, भालूगुड़ा पारा में निवासरत लगभग 400 परिवार भी झरिया का पानी पीने को विवश हैं क्योंकि गाँव में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। इसी तरह कांकेर जिले के ग्राम पंचायत लोहतर के आश्रित ग्राम पिड़चोड़ के स्कूलपारा के ग्रामीण मुहल्ले में भी हैंडपम्प नहीं होने के कारण महिलाएँ रोज़ाना एक किलोमीटर दूर स्थित कुएं से पानी लाती हैं। उन्होंने प्रशासन को पेयजल समस्या के समाधान के सम्बन्ध में आवेदन किया है लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। देश का कोई भी राज्य या गाँव हो, 21वीं सदी में भी लोगों को पीने के लिए साफ पानी नहीं मिलना दुर्भाग्य है। ऐसे हालात को देखकर सरकार के सर्वांगीण विकास के दावे पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाता है। भारत सरकार की जल जीवन मिशन वेबसाइट के अनुसार प्रदेश में 19 हजार से ज्यादा गाँव हैं, जिनमें से 6 हजार से ज्यादा गाँवों में पाइप लाइन वाटर कनेक्शन नहीं है। वहीं 61 फीसदी गाँवों में ही कनेक्शन काम कर रहे हैं। रिपोर्ट की माने तो प्रदेश के तकरीबन 13 हजार 900 से ज्यादा गाँवों में कनेक्शन 100 फीसदी नहीं है यानि वहाँ आधे लोगों तक ही पानी पहुच पाया है। पेयजल स्त्रोतों की गुणवत्ता को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ का स्थान 14 वां है यानि 91.1 फीसदी घरों के पेयजल स्रोतों में सुधार हुआ है। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था ज्यादा बेहतर नजर आता है जो कि 97 फीसदी तक है। वहीं इस मामले में राष्ट्रीय औसत 89.9 फीसदी है। इस आधार पर छत्तीसगढ़ का औसत राष्ट्रीय औसत से 2 फीसदी तक ज्यादा है। हाँलकि जमीनी हकीकत देखें तो वह सरकार के आंकड़ों से मेल नहीं खाती है। जबकि केन्द्र सरकार की जल जीवन मिशन एवं राज्य सरकार की अमृत मिशन जैसी योजनाएं केवल पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही चलाई जा रही हैं। बावजूद इसके छत्तीसगढ़ के दुर्गंम स्थानों पर रहने वाले ग्रामीणों को पीने के लिए साफ पानी का नहीं मिलना दावे और व्यवस्था दोनों को कटघरे में खड़ा करता है। (यह आलेख संजॉय घोष मीडिया अवार्ड 2020 के अंतर्गत लिखा गया है)
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सूर्यकांत देवांगन रायपुर, छत्तीसगढ़ . Read the full article
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khsnews · 3 years
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खारून के मुहाने से नालों को जाम कर एसटीपी तक ले जाने के लिए 11 किमी पाइपलाइन तैयार | खारून के मुहाने से नालियां बंद कर एसटीपी तक गंदा पानी पहुंचाने के लिए 11 किमी पाइपलाइन तैयार
खारून के मुहाने से नालों को जाम कर एसटीपी तक ले जाने के लिए 11 किमी पाइपलाइन तैयार | खारून के मुहाने से नालियां बंद कर एसटीपी तक गंदा पानी पहुंचाने के लिए 11 किमी पाइपलाइन तैयार
विज्ञापनों से परेशान हैं? बिना विज्ञापनों के समाचारों के लिए डायनामिक भास्कर ऐप इंस्टॉल करें रायपुर2 घंटे पहले प्रतिरूप जोड़ना राजधानी को पानी सप्लाई करने वाली खारोन नदी में करीब आधा दर्जन नहरों में गंदा पानी बहने से रोकने के लिए 11 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है. नदी के मुहाने पर सभी नालों के बहाव को रोकने के लिए ढांचों की स्थापना की जा रही है। पाइप ला���न से चंदनडीहा में बनने वाले सैंडेज…
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prakhar-pravakta · 4 years
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तराई में पानी के लिए मचा है हाहाकार
सतना। जिले की ग्राम पंचायत हिरौंदी में पानी की समस्या है ग्रामीणों ने बताया की ग्राम पंचायत जल वितरण द्वारा पानी सप्लाई न के बराबर किया जा रहा है गांव में कई जगहों पर पाइप लाइन फटी है जिससे नालियों का गंदा पानी पाइप में समा जाता है जिससे ग्रामीण गंदा पानी पीने को मजबूर है व भयंकर बीमारी से ग्रसित होने की आशंका है जिसकी शिकायत के लिए ग्रामीण सरपंच सचिव कार्यालय गए पर वहा कोई पदाधिकारी नहीं मिल रहे…
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vsplusonline · 5 years
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रामविलास पासवान के आवास का भी पानी मिला खराब, BIS टेस्ट में सारे नमूने रहे फेल
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रामविलास पासवान के आवास का भी पानी मिला खराब, BIS टेस्ट में सारे नमूने रहे फेल
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केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य, एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान (फोटो-प्रतीकात्मक)
भारतीय मानक ब्यूरो (BSI) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के आवास से लिये गये पीने के पानी का नमूना गंध व अल्यूमीनियम, कॉलीफॉर्म के मानक के अनुरूप नहीं था.
News18Hindi
Last Updated: February 29, 2020, 7:58 AM IST
नई दिल्ली. केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान (Union Minister Ram Vilas Paswan) का घर 12 जनपथ में स्थित है. उनके आवास से लिये गये पीने के पानी का नमूना आईएसओ मानकों पर खरा नहीं उतरा. यह बात भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताई. बीआईएस ने बताया कि केंद्रीय मंत्री के आवास से लिया गया पीने के पानी का नमूना गंध व अल्यूमीनियम, कॉलीफॉर्म के मानक के अनुरूप नहीं था.
सभी 11 नमूने हुए फेल बीआईएस की रिपोर्ट में दिल्ली में विभिन्न जगहों से लिए गए पीने के पानी (नल से आपूर्ति किया जाने वाला पानी) के सभी 11 नमूने आईएसओ के मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, देश की राजधानी में नगरपालिका/निगम/जलबोर्ड द्वारा लोगों के घरों में आने वाले पानी के नमूने लिए गए थे जिनकी जांच के लिए नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड लेबोरेटरी भेजा गया था.
नल में गंदे पानी का जिम्मेदार कौनपर्यावरण संबंधी मामलों की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने बीआईएस के वकील विपिन नायर से पूछा कि पीने के पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए कौन सा तरीका अपनाना चाहिए. नल क्षतिग्रस्त है, इसके लिए कौन से कदम उठाने की आवश्यकता है. गंदा पानी जलापूर्ति की पाइपलाइन में रिसकर जाता है. पाइप अगर पूरानी हो गई हो तो उसे बदलने का काम आपूर्ति केंद्र के अधिकारी का है जो अब भ्रष्ट हो सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे भी उदाहरण हो सकते हैं जहां पानी साफ करने की देखरेख करने वाले अधिकारी सही पेयजल में सही से रासायन नहीं मिलाता हो. पानी के दूषित होने के कई स्रोत हो सकते हैं. इसके अलावा पानी के क्षेत्र में माफिया भी एक मुद्दा है. न्यायमूर्ति गुप्ता ने एक उदाहरण दिया जहां करीब 10 साल से पानी की पाइप लीक कर रही थी और माफिया इससे कमाई कर रहे थे.
कोर्ट ने मांगा दिल्ली सरकार से जवाबकोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड से 15 दिनों के भीतर पानी के नमूनों पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. अदालत ने संबद्ध प्राधिकरणों से यह भी बताने को कहा कि क्या वे पानी के मौजूदा पाइप को बदलना चाहते हैं.
ये भी पढ़ें: केजरीवाल सरकार ने दी देशद्रोह का केस चलाने की मंजूरी, कन्हैया ने कहा- धन्यवाद
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First published: February 29, 2020, 7:43 AM IST
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"डर्टी पाइप" लिनक्स कर्नेल बग किसी को भी किसी भी फाइल को लिखने देता है
“डर्टी पाइप” लिनक्स कर्नेल बग किसी को भी किसी भी फाइल को लिखने देता है
जर्मन सामग्री प्रबंधन सॉफ्टवेयर निर्माता CM4all के लिए ए�� कोडर और सुरक्षा शोधकर्ता मैक्स केलरमैन ने अभी-अभी प्रकाशित किया है आकर्षक रिपोर्ट एक Linux कर्नेल बग के बारे में जिसे हाल ही में पैच किया गया था। उन्होंने भेद्यता को बुलाया गंदा पाइपक्योंकि इसमें एक सच्चे Linux के बीच असुरक्षित अंतःक्रिया शामिल है फ़ाइल (जिसे डिस्क पर स्थायी रूप से सहेजा जाता है) और एक Linux पाइपजो एक मेमोरी-ओनली डेटा बफर…
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allgyan · 3 years
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बसे गन्दा आदमी :दुनिया का सबसे गन्दा आदमी (the world dirtiest man )
सबसे गन्दा आदमी जो 67 साल तक नहाया नहीं -
सबसे गन्दा आदमी से तात्पर्य आप समझ गये होंगे लेकिन आप सोच रहे होंगे की क्या पैमाना होगा जो ये नापे की ये सबसे गंदे आदमी वो भी दुनिया के सर्दियों में तो नहाना एक बड़ा खतरनाक टास्क लगता है। लोग १ दिन या कहे दो दिन या कहे एक वीक नहीं नहाते होंगे। लेकिन एक शख्स ऐसे भी है जो 67 साल तक नहीं नहाये। यहाँ उन्ही के बारे में बात हो रही है। उन्हें ही माना जाता है की वो दुनिया के सबसे गंदे आदमी हैं। नहाना तो दूर की बात इन्होने अपने बदन पर पानी की एक बूंद तक नहीं डाली है।ईरान के रहने वाले 87 वर्षीय हाजी को दुनिया का सबसे गंदा इंसान (World's Dirtiest Man) भी कहा जाता है। कहा यहाँ तक जाता है की इनके सामने एक मिनट रुकना भी मौत को दावत देनेजैसा है।
अमो हाजी को नहाने से इतना परहेज क्यों ?
अमो हाजी जो वो ईरान के रहने वाले है और वहाँ के पत्रकारों ने जब उनसे बात की इस बारे में तो उन्होंने कहा की अगर वो नहाएंगे तो वो बीमार पड़ जायेंगे। यहाँ तक की वो ताज़ा खाना भी नहीं खाते। और तो और वो तनाव दूर करने के लिए जानवरो के मल को एक पाइप में भरके धुँआ फूकते है। हो सकता है की भावनात्मक रूप से उन्हें कोई परेशानी हुई होगी और उन्होंने इस तरह ही जीने का मन बना लिया होगा।हाजी दिन में 5 लीटर पानी पीते है और बाल जब ज्यादा बढ़ जाते है तो वो उन्हें आग लगा के कम कर लेते है।
बदन पर गंदे कपड़े, चेहरा काला और शरीर बेहद बदबूदार. इस शख़्स को देख लोग भी उसके पास जाने से कतराते हैं। यही वजह है कि वो लोगों से दूर ईरान के रेगिस्तान में अकेले रहता है।अमो के पास अपना घर भी नहीं है लिहाजा वो गांव के बाहर रेगिस्तान में बने गड्ढों में रहता है।वो रात को किसी भी गढ्ढे में सो जाते हैं। हाजी को खाने-पीने की फ़्रेश चीज़ों से भी नफ़रत है। इसलिए उसे केवल मरे हुए जानवरों का सड़ा मांस खाने की आदत है।
अमो से पहले ये ख़िताब किसके नाम था -
अमो हाजी ठंड से बचने के लिए एक पुराने हेलमेट का इस्तेमाल करता है।इसका इस्‍तेमाल कभी युद्ध के दौरान किया गया था।हाजी के बदन पर कई सालों से एक ही कपड़ा है।जो कोई भी उसे कपड़े देता है वो उसे अपने पुराने कपड़ों के ऊपर ही पहन लेता है।इस वजह से उसके शरीर पर कपड़ों की मोटी-मोटी परतें बन चुकी हैं, जो उसे ठंड से बचने का काम भी करती हैं। आपके जानकार ये हैरानी होगी की हाजी से पहले ये रेकार्ड भारतीय के नाम दर्ज था -जिनका नाम था -कैलाश सिंह। कैलाश सिंह भी 38 सालों तक नहीं नहाये थे।अगर आपको हमारे आर्टिकल पसंद आते है तो हमे अपना भरपूर प्यार दे।
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abhay121996-blog · 3 years
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1438 करोड़ कहां गए? यूपी चुनाव से पहले निकला गोमती रिवर फ्रंट का जिन्न, समझें पूरा मामला Divya Sandesh
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1438 करोड़ कहां गए? यूपी चुनाव से पहले निकला गोमती रिवर फ्रंट का जिन्न, समझें पूरा मामला
लखनऊ यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गोमती रिवरफ्रंट का ‘जिन्न’ एक बार फिर निकल आया है। सपा सरकार ने इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया था जिसमें करीब 1438 करोड़ खर्च हुए थे, हालांकि इस पर काम शुरू होने के बाद से ही कई बार घोटाले के आरोप लगते रहे हैं। सीबीआई ने गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में सोमवार को 40 जगहों पर छापेमारी की। इनमें बीजेपी विधायक के भाई अखिलेश सिंह के गोरखपुर और लखनऊ स्थित ठिकाने भी शामिल हैं।
सीबीआई की ताजा कार्रवाई परियोजना के 407 करोड़ रुपये कथित घोटाले में हुई। सिंचाई विभाग के करीब 407 करोड़ रुपये लागत के गोमती रिवर चैनलाइजेशन प्रोजेक्ट और गोमती रिवर फ्रंट डिवलेपमेंट प्रोजेक्ट में अनियमितताएं और अवैध गतिविधियां सामने आई थीं। लखनऊ के गोमती नगर पुलिस थाने में भी इस मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
सीबीआई ने यूपी के 13 जिलों में की कार्रवाई सीबीआई लखनऊ की ऐंटी करप्शन ब्रांच ने सोमवार को नोएडा और गाजियाबाद समेत यूपी के 13 जिलों के अलावा राजस्थान के अलवर और पश्चिम बंगाल के कोलकाता में भी छापेमारी की। इससे पहले सीबीआई ने सिंचाई विभाग के 16 इंजीनियर्स समेत 189 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की। ये मामले अधिकारियों, प्राइवेट लोगों, फर्मों, कंपनियों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं। छापेमारी के दौरान दो लोगों के यहां से पांच-पांच लाख से अधिक कैश मिले। इसके अलावा सभी जगहों से बड़ी संख्या में दस्तावेज, कीमती सामान, प्रॉपर्टी और निवेश से जुड़े कागजात भी बरामद हुए हैं।
दो चरणों में सीबीआई की पड़ताल अभी तक इस मामले में 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। सीबीआई पूरे मामले की दो चरणों में पड़ताल कर रही है। एक जांच 1031 करोड़ के 12 कामों से जुड़ी हुई है। दूसरी जांच 407 करोड़ के 661 कामों से जुड़ी है। दूसरे मामले की पड़ताल में सामने आया है कि टेंडर देने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया। आरोप है कि इंजीनियरों ने निजी व्यक्तियों, फर्मों और उनकी कंपनियों से मिलीभगत कर फर्मों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। ठेकों के लिए विज्ञापन या सूचनाएं नहीं दीं, ताकि अपनों को ठेके दिए जा सकें।
लखनऊ में 25 जगह छापेमारी यूपी के गोरखपुर के बीजेपी विधायक राकेश सिंह बघेल के छोटे भाई अखिलेश सिंह बघेल के लखनऊ के स्थित घर और दफ्तर पर भी छापेमारी की गई है। इसके अलावा, लखनऊ में कुल 25 जगहों पर सीबीआई ने छापे मारे। वहीं, मामले में एक आरोपी की कोरोना से मौत हो चुकी है। सिंचाई विभाग के तत्कालीन प्रिंसिपल असिस्टेंट लखनऊ डिविजन, शारदा नहर नारायण दास यादव की आरोपी बनाया गया था। उनकी कोरोना से मौत हो गई। इसलिए उन्हें एफआईआर में नामजद नहीं किया गया है। हालांकि अनियमितताओं की जांच में उनकी भूमिका सामने आई थी।
रूप सिंह यादव समेत दो हो चुके हैं गिरफ्तार गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने केस दर्ज करने के बाद सामने आए तथ्यों के आधार पर 20 नवंबर 2020 को सिंचाई विभाग के पूर्व अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव और क्लर्क राजकुमार यादव को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 17 फरवरी 2021 को सीबीआई ने रूप सिंह यादव समेत छह लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें जूनियर क्लर्क राजकुमार यादव, केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशक हिमांशु गुप्ता, निदेशक कविश गुप्ता और मेसर्स ब्रांड ईगल्स लांगजियान जेवी कंपनी के सीनियर एडवाइजर बद्री श्रेष्ठ भी आरोपी बनाए गए थे।
अधिकारियों पर क्या हैं आरोप? इन पर आरोप है कि इन सभी ने मिलीभगत कर अयोग्य निजी फर्म को ट्रंक ड्रेन को इंटरसेप्ट करने का काम दिया था। सभी छह आरोपियों ने ही ट्रंक ड्रेन इंटरसेप्ट का कार्य हासिल करने के लिए साजिश रची थी। रूप सिंह यादव ने अयोग्य फर्म केके स्पन प्राइवेट लिमिटेड को यह काम देने के लिए निविदा की तारीख को दो बार बढ़ाया। निविदा में तीन प्रतिभागियों का कोरम पूरा करने के लिए आरोपियों की ओर से एक अन्य निजी फर्म के जाली दस्तावेज तैयार किए गए। काम के लिए हुए एग्रीमेंट को आरोपितों द्वारा अनुमोदन किया गया और उनको बजट के बिना यह काम सौंप दिया गया इसके अलावा एल-2 फर्म की बैंक गारंटी को भी एल-1 कंपनी के बैंक खाते से तैयार करके जमा कराया गया।
ईडी भी कर चुकी है कार्रवाई ईडी भी इस मामले की जांच कर रही है। ईडी रूप सिंह यादव समेत कई आरोपियों की संपत्तियों को अटैच भी कर चुकी है। जुलाई 2019 में ईडी ने तीन अभियुक्त इंजीनियर रूप सिंह यादव, अनिल यादव और एसएन शर्मा की लगभग एक करोड़ की मूल्य की अचल संपत्तियों को मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत अटैच किया था। इन संपत्तियों में नोएडा में एक भूखंड, लखनऊ में तीन भूखंड और गाजियाबाद में एक फ्लैट शामिल है।
फ्रांस से बिना अनुमति के मंगवा लिया महंगा फव्वारासिंचाई विभाग के इंजिनियरों ने ठेकों में खूब मनमानी की। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव और एसएन शर्मा ने मिलीभगत कर खुद ही फ्रांस की कंपनी को म्यूजिकल फव्वारा लगाने का काम दे दिया। चीफ इंजिनियर अखिल रमन, अधीक्षण अभियंता एसएन शर्मा और रूप सिंह यादव ने बिना किसी अधिकार के अपने पद का दुरुपयोग किया। रूप सिंह ने सीधे फ्रांस की कंपनी मेसर्स एक्वॉटिक शो को पत्र लिख दिया और उन्हें टेंडर में हिस्सा लेने के लिए लखनऊ बुलाया।
इस टेंडर में भी लोएस्ट-वन वगैरह को लेकर कोई निविदा प्रकाशित नहीं की गई। उन्हें महज कोटेशन के आधार पर काम दे दिया गया। नियमत: इसे शासन स्तर पर टेंडर निकाल कर खरीद की जानी चाहिए थी, ताकि अन्य अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भी टेंडर में हिस्सा ले पातीं। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में फ्रांस की कंपनी एक्वॉटिक शो को भी नामजद किया है।
कहां खर्च हुए 1438 करोड़ रुपये? गोमती रिवर फ्रंट के लिए करीब 1438 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं हालांकि बावजूद इसके गोमती के किनारों और नदी की सफाई का काम अधूरा ही रह गया। सिंचाई विभाग ने यह परियोजना गोमती नदी को केंद्रित कर तैयार की थी। सबसे बड़ा काम गोमती में गिरने वाले गंदे पानी को रोकना था। इसके लिए नदी के दोनों किनारों पर ट्रंक सीवर लाइन डालने का काम शुरू हुआ था। शुरुआती बजट 270 करोड़ रुपये स्वीकृत हुआ लेकिन बाद में इंजीनियरों और अधिकारियों ने इस परियोजना ने अपना ध्यान हटा लिया। आज भी 37 नालों का गंदा पानी गोमती नदी में गिर रहा है।
गोमती रिवर फ्रंट घोटाला एक नजर में… सीएम योगी आदित्यनाथ ने कुर्सी संभालने के बाद 27 मार्च को गोमती रिवर फ्रंट का दौरा किया। एक अप्रैल को रिवर फ्रंट घोटाले की जांच के लिए रिटायर जस्टिस आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। समिति ने 45 दिन के बाद 16 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसके बाद समिति की रिपोर्ट में दोषी पाए गए लोगों पर क्या कार्रवाई की जाए इसके लिए नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना को जिम्मेदारी सौंपी गई। सुरेश खन्ना की रिपोर्ट आने के बाद सिंचाई विभाग की तरफ से 19 जून को गोमती नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई। इसमें रिटायर मुख्य अभियंता गुलेश चंद्र, तत्कालीन मुख्य अभियंता एसएन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता शिव मंगल यादव, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव और अधिशाषी अभियंता सुरेन्द्र यादव को नामजद किया गया। 20 जुलाई 2017 को मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश केंद्र को भेजी गई। 30 नवंबर 2017 को सीबीआई लखनऊ ने इस मामले में पीई दर्ज कर जांच शुरू की। इस मामले में ईडी भी आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच कर रही है। 24 जनवरी 2019 को ईडी ने इस मामले में लखनऊ, नोएडा व गाजियाबाद के नौ ठिकानों पर छापेमारी की थी ये मिली थी गड़बड़ियां। बजट बढ़ाया। पर्यावरण की एनओसी नहीं ली। नियम व मानक के विरुद्ध टेंडर। गोमती की सफाई से ज्यादा सौंदर्यीकरण पर जोर। डायाफ्राम वॉल से पर्यावरण क�� नुकसान। प्रोजेक्ट के नाम पर विदेश यात्राएं।
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bihardastak · 6 years
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पीएम की सौगात: सक्षम व स्वस्थ बिहार की ओर एक और कदम
बिहार के विकास की गति को मिली तेजी का गवाह राज्य का बेगूसराय जिला बना, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 33 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का शुभारंभ और लोकार्पण किया। देश की पहचान बरौनी रिफाइनरी के विस्तारीकरण से लेकर बरौनी खाद कारखाने के पुनरुद्धार की आधारशिला रखी गई। इसके अलावा पटना मेट्रो के साथ गंगा को साफ रखने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट की सौगात देकर बिहारवासियों के बहुप्रतीक्षित सपनों को पूरा कर दिया। 
पीएम ने शिलान्यास कर मेट्रो के सपने को लगाए पंख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को बरौनी में पटना मेट्रो का शिलान्यास कर पटनावासियों के करीब एक दशक से भी पुराने सपने को पंख लगा दिए। तय अवधि के अनुसार अगले पांच वर्ष में राजधानी में मेट्रो का काम पूरा कर लिया जाएगा। 31.39 किलोमीटर के दो कॉरीडोर बनाए जाएंगे, जिसमें पहले 16.94 किमी के दानापुर से मीठापुर कॉरीडोर पर काम शुरू होगा। केंद्र और राज्य की साझेदारी से बनने वाले इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 13365.77 करोड़ है। इस परियोजना से पटना की सूरत बदलने के साथ ही प्रदूषण भी घटेगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बिहार के विकास पर खास तौर से जोर दिया। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योजनाओं के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। कहा कि पटना मेट्रो राज्य के 12 करोड़ लोगों की इच्छा है। पटना में मेट्रो जहां अपना आधा सफर एलीवेटेड तो करीब इतना ही अंडरग्राउंड यानी जमीन के नीचे तय करेगी। 
गंगा साफ रखने को बनेंगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने एक दिवसीय दौरे में राजधानी को साफ रखने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की कई योजनाओं की सौगात दी है। इन योजनाओं से न केवल गंगा नदी को साफ रखने में सुविधा होगी, बल्कि शहर नालियों का नेटवर्क बेहतर होगा। पटना के अलावा 14 अन्य शहरों के लिए भी सीवरेजट ट्रीटमेंट प्लांट व सीवेज नेटवर्क तैयार करने की योजना पर काम शुरू होगा। दीघा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट व सीवरेज नेटवर्क योजना पर 824 करोड़ खर्च होंगे। योजना में 228 सीवर नेटवर्क तैयार होंगे। रोजाना 100 मिलियन लीटर गंदा पानी साफ करने का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी बनेगा। इसके अलावा, बेगूसराय में सीवरेज प्लांट एंड सीवेज नेटवर्क, हाजीपुर में सीवरेज प्लांट एंड सीवेज नेटवर्क, मुंगेर में सीवरेज प्लांट एंड सीवरेज नेटवर्क, बक्सर में सीवरेज प्लांट एंड सीवेज नेटवर्क को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा मोकामा में एसटीपी, भागलपुर में एसटीपी, मनेर में एसटीपी,  बख्तियारपुर मेंं एसटीपी, खगड़िया में एसटीपी, फतुहा में एसटीपी, सोनपुर में एसटीपी, छपरा में एसटीपी, दानापुर में एसटीपी व फुलवारीशरीफ में एसटीपी बनाए जाएंगे।
बरौनी रिफाइनरी की क्षमता बढ़ेगी
बरौनी रिफाइनरी की शोधन क्षमता 6 मिलियन टन से बढ़ाकर 9 मिलियन टन प्रतिवर्ष की जा रही है। यह बिहार व उसके आसपास के राज्यों समेत नेपाल में पेट्रोलियम उत्पादों की तेजी से बढ़ती मांगों को पूरा करने में मदद करेगी। यह परियोजना रिफाइनरी परिसर में नई यूनिटों की स्थापना, मौजूदा यूनिटों के पुनरुद्धार, मौजूदा ऑफसाइट सुविधाओं में सुधार आदि के द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। एक विश्वस्तरीय पॉलीपा्रोपिलीन यूनिट भी कमिशन की जाएगी। इससे डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक उद्योगों का मार्ग प्रशस्त होगा। परियोजना के अंतर्गत आनेवाली 16 यूनिटों में से तीन यूनिटों की प्रोद्यौगिकी अर्थात कोकर-बी, आरएफसीयू व डीएचडीटी को इंडियन ऑयल के आरएंडडी केंद्र ने मेक इन इंडिया पहल के तहत विकसित किया है। 
फर्टिलाइजर का पुनरुद्धार
बरौनी उर्वरक संयंत्र के पुनरुद्धार पर 7043 करोड़ खर्च होंगे। बिहार व पड़ोसी राज्यों में उर्वरकों की मांग को पूरा करने के लिए अमोनिया व नीम लेपित यूरिया का उत्पादन होगा। गैस आधारित उर्वरक संयंत्रों को गेल द्वारा दहेज टर्मिनल से जगदीशपुर-फूलपुर हल्दिया पाइपलाइन के माध्यम से गैस की आपूर्ति होगी। हिन्दुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड का मुख्य उद्देश्य अत्याधुनिक पर्यावरण अनुकूल व ऊर्जा कुशल प्राकृतिक गैस आधारित नए उर्वरक संयंत्रों की स्थापना व उनका संचालन करना है। 
जलापूर्ति की योजनाओं का लाभ 18 लाख आबादी को मिलेगा  
प्रधानमंत्री अमरुत योजना के तहत 1427.14 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया ग या। इससे राज्य के 18 लाख लोगों को लाभ मिलेगा। योजनाओं में 1394.48 करोड़ की 21 जलापूर्ति योजनाएं हैं। वहीं, 32.66 करोड़ की एक स्ट्रॉम ड्रेनेज की भी परियोजना संचालित की जाएगी। जलापूर्ति योजनाएं हाजीपुर, मोतिहारी, बगहा, सासाराम, डेहरी, सीवान, छपरा, आरा, बेगूसराय, किशनगंज, जहानाबाद, बिहारशरीफ, कटिहार, बक्सर एवं पूर्णिया में क्रियान्वित की जाएंगी। वहीं, भागलपुर में स्ट्रॉम ड्रेनेज परियोजना का संचालन किया जाएगा। वहीं, हाजीपुर,  मोतिहारी, बगहा, सासाराम व आरा में पाइप लाइन बिछाई जाएगी।
एलपीजी पाइपलाइन का मुजफ्फरपुर तक विस्तार
पारादीप-हल्दिया-दुर्गापुर पाइपलाइन को बढ़ाने व पटना तथा मुजफ्फरपुर तक विस्तार का शिलान्यास किया गया। इसपर 2513 करोड़ रुप�� खर्च होंगे। पारादीप दुर्गापुर खंड की क्षमता को बढ़ाकर 0.5 से 1.5एमएमटीपीए तक व हल्दिया दुर्गापुर खंड की क्षमता को 1.27 से बढ़ाकर 2 एमएमटीपीए किया जाएगा। इस पाइपलाइन का विस्तार दुर्गापुर से पटना तक व मुजफ्फरपुर वाया बांका व बरौनी रिफाइनरी के माध्यम से 639 किलोमीटर तक (पश्चिम बंगाल से 61 किलोमीटर, झारखंड में 98 किलोमीटर व बिहार में 480 किलोमीटर) किया जाएगा। यह पाइपलाइन भागलपुर, पटना व मुजफ्फरपुर में एलपीजी बॉटलिंग संयंत्रों को सीधा लिंग प्रदान करेगी। रानीनगर,  गुवाहटी व किमिन बॉटलिंग संयंत्रों को भी अप्रत्यक्ष लिंक प्रदान करेगी। 
नमामि गंगे के तहत रिवर फ्रंट का हुआ लोकार्पण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे की योजना के तहत योजनाओं को लोकार्पण किया। पटना में रिवर फ्रंट योजना पर 243.27 करोड़ खर्च हुए। इसके तहत 20 घाट, एक ��वदाह गृह, 6.6 किलोमीटर पक्कीकरण व सौंदर्यीकरण, पांच भवनों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इनमें अदालतगंज, टीएन बनर्जी घाट, कृष्णा घाट, रोशन घाट समेत कुल 16 घाटों का निर्माण अब तक हो चुका है। इसके अलावा गुलबी घाट में एक शवदाह गृह भी पटनावासियों को सौगात दी गई है। पटना नदी तट विकास परियोजना के तहत तीन भवनों में इको सेंटर, ऑडियो विजुअल थियेटर और तीसरे भवन में कम्युनिटी कम कल्चरल केंद्र का निर्माण किया गया है। बताते चलें कि कलेक्ट्रेट घाट से राजा घाट के बीच  4.9 किलोमीटर पक्कीकरण भी कर लिया गया है।
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hindicatch · 4 years
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मानसून का सीजन है तो कार का बाहर और अंदर से गंदा होना लाजमी है। बाहर की सफाई तो कार की धुलाई से हो जाती है, लेकिन जब बात अंदर की सफाई की आती है तब काम थोड़ा मुश्किल हो जाता है। हालांकि, इस काम का वैक्यूम क्लीनर की मदद से आसानी से किया जा सकता है।
बाजार में कार वैक्यूम की बड़ी रेंज मौजूद है। इनकी कीमत करीब 300 रुपए से शुरू हो जाती है। वहीं, अच्छी क्वालिटी वाले वैक्यूम 5000 रुपए तक की रेंज में मौजूद हैं। हम यहां आपको ऐसे 5 बजट कार वैक्यूम क्लीनर के बारे में बता रहे हैं, जिनकी कीमत 500 रुपए से भी कम है।
कार वैक्यूम क्लीनर क्या है?
कार वैक्यूम क्लीनर भी आम वैक्यूम क्लीनर की तरह ही होता है। यानी ये फैन स्पीड की मदद से कचड़े को खींचता है। कई वैक्यूम तो इतने पावरफुल होते हैं कि लोहे की कील, कॉइन तक को खींच लेते हैं। वैक्यूम की मदद से कार के हर कोने से कचड़े की सफाई आसानी से हो जाती है। ये कचड़े के साथ गंदगी, धूल, मिट्टी यहां तक की उन पार्टिकल को भी खींच लेते हैं जो दिखाई नहीं देते, लेकिन आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं। कार वैक्यूम क्लीनर को कार की बैटरी के साथ यूज किया जाता है। वहीं, कई के अंदर रिचार्जेबल बैटरी भी होती है।
ऐसे यूज करें कार वैक्यूम क्लीनर कार वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले इसे कार के चार्जिंग शॉकेट में लगाया जाता है। यदि इसमें रिचार्जेबल बैटरी नहीं है तब इसे प्लग में लगाकर ही इस्तेमाल कर पाएंगे। वहीं, जिस वैक्यूम में रिचार्जेबल बैटरी दी है उसे केबल के साथ या फिर चार्ज करके इस्तेमाल किया जा सकता है। सफाई के लिए इनमें नॉजेल भी दिए होते हैं, जो कार की हर मुश्किल जगह से सफाई करते हैं। खास बात है कि रिचार्जेबल वैक्यूम को आप कार के अलावा घर, ऑफिस में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
वैक्यूम क्लीनर की कीमत
मॉडल कीमत SND वैक्यूम क्लीनर 299 रुपए अर्बनक्यूब्स वैक्यूम क्लीनर 320 रुपए स्पिरिचुअल हाउस वैक्यूम क्लीनर 449 रुपए ड्रेगन वैक्यूम क्लीनर 488 रुपए GNV वैक्यूम क्लीनर 499 रुपए
कार वैक्यूम के अन्य फीचर्स
इनमें 2 से 4 मीटर तक लंबी केबल होती है, जिससे वैक्यूम कार के सभी हिस्से तक आसानी से पहुंच जाए
क्लीनिंग के लिए कई तरह के नॉजेल, ब्रश और पाइप भी मिलते हैं, जो कचड़े को आसानी से खींच लेते हैं
कई वैक्यूम में LED लगी होती है, जिससे कार के हर हिस्से में आप कचड़े को आसानी से देख पाते हैं
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