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कोरोना महामारी के बीच बढ़ते हाई ब्लड प्रेशर के मामले बढ़ा सकते हैं बोझ, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
कोरोना महामारी के बीच बढ़ते हाई ब्लड प्रेशर के मामले बढ़ा सकते हैं बोझ, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
नयी दिल्ली. विशेषज्ञों ने उच्च रक्तचाप के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए इसे ‘साइलेंट किलर’ बताया है जो कोविड महामारी से तबाह देश में बीमारी के बोझ को और बढ़ा सकता है. उच्च रक्तचाप एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो दुनिया में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है. विशेषज्ञों ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के एक साल से अधिक समय के बाद, इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि उच्च रक्तचाप वाले लोगों के…
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#Coronavirus#Covid-19#health news#high blood pressure#कोरोना वायरस हाई ब्लड प्रेशर#कोविड केस अपडेट#कोविड-19 अपडेट
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रिसर्च से खुलासा- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर ने कोरोना मरीजों में बढ़ाया ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
रिसर्च से खुलासा- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर ने कोरोना मरीजों में बढ़ाया ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
<p style="text-align: justify;"><strong>लंदन:</strong> खतरनाक कोरोना वायरस शरीर के सिस्टम को संक्रमित करने के बाद रुकता नहीं है, बल्कि ये मरीजों में फैलता है और कई दिक्कतों का कारण बनता है. शोधकतार्ओं ने पाया है कि गंभीर कोविड-19 के साथ अस्पताल में भर्ती 10 में से आठ को न्यूरोलॉजिकल पेचीदगी का सामना करना पड़ा. कोरोना वायरस को डायबिटीज और हाइपरेंटशन जैसी बीमारियां ज्यादा खराब करती हैं. उनकी वजह से…
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गर्भवती महिलाओं के लिए कितनी सुरक्षित है कोरोना वैक्सीन? इन बातों की जानकारी है जरूरी Divya Sandesh
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गर्भवती महिलाओं के लिए कितनी सुरक्षित है कोरोना वैक्सीन? इन बातों की जानकारी है जरूरी
नई दिल्ली कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए यह कहा गया कि जब तक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक तैयारी अधूरी है। भारत में स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीका लगाने की छूट पहले ही दे दी गई थी और अब स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से गर्भवती महिलाओं को कोरोना का टीका लगवाने से जुड़ी गाइडलाइन जारी कर दी गई है। साथ ही कहा गया है कि वैक्सीन इनके लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा, वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी है और इसे दिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और यह दूसरे लोगों को तरह गर्भवती महिलाओं को भी कोविड 19 के संक्रमण से पूरी तरह बचाव प्रदान करता है। गर्भवती महिलाएं कोविन पोर्टल पर जाकर खुद रजिस्टर कर या वैक्सीनेशन सेंटर पर रजिस्ट्रेशन कराके वैक्सीन लगवा सकती हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीन क्यों है जरूरी दूसरे लोगों की ही तरह गर्भवती महिलाओं के लिए भी वैक्सीन जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि बहुत सी महिलाओं में कोरोना संक्रमण के शुरुआती लक्षण मामूली होते है लेकिन कई मामलों उनके सेहत पर असर भी पड़ा है। कई बार देखा गया है कि संक्रमण के दौरान उनकी सेहत में गिरावट आती है इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी हो सकता है ऐसे में जरूरी हो जाता है कि गर्भवती महिलाएं भी अपनी और बच्चे की सुरक्षा को लेकर सुनिश्चित रहें।
गर्भवती महिलाएं जब कोरोना संक्रमित हो जाएं स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यदि कोई गर्भवती महिला वायरस से संक्रमित हो जाती है, तो उनमें से 90 प्रतिशत बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हो जाती हैं। दूसरे लोगों की तरह गंभीर बीमारी के मामले में, अन्य रोगियों की तरह, गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी। वैसी गर्भवती महिलाएं जिनकी उम्र 35 से अधिक है और उनको हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, या दूसरी कोई गंभीर बीमारी है उनको खतरा अधिक रहता है।
गर्भ में पल रहे बच्चे पर कोरोना ��ा असर कितना 95 फीसदी मामलों में देखा गया है कि कोरोना संक्रमित मां के बच्चों की सेहत जन्म के समय बेहतर रहा है। वहीं कोरोना संक्रमित कुछ गर्भवती महिलाओं में प्री- मैच्योर डिलीवरी की स्थिति पैदा हुई है। ऐसे बच्चों का वजन जन्म के समय 2.5 किलोग्राम तक कम हो सकता है। यहां तक की दुर्लभ स्थिति में गर्भ में बच्चे की जान भी जा सकती है। कोई गर्भवती महिला जो कोरोना की चपेट में आकर ठीक हो चुकी वह वैक्सीन लेने के लिए थोड़ा इंतजार कर सकती हैं लेकिन डिलीवरी के तुरंत बाद उन्हें वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।
विदेशों में पहले से वैक्सीन भारत के राज्यों में अलग नियम अमेरिका, ब्रिटेन, चीन जैसे देशों में गर्भवती महिलाओं को पहले से ही कोविड-19 का टीका लगाने की शुरुआत की जा चुकी है। वहीं भारत में अलग- अलग राज्यों में इसको लेकर अलग नियम थे। महाराष्ट्र में गर्भवती महिलाओं को कोरोना का टीका लगाया जा रहा है लेकिन इसके लिए उन्हें डॉक्टर का अप्रूवल सर्टिफिकेट लाना होता है। मध्य प्रदेश में अभी गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन नहीं लगाया जा रहा था। अब केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन के बाद सभी गर्भवती महिलाओं को टीका लग सकेगा।
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कोरोना संक्रमण के बाद कमजोरी को दूर करें खजूर
कोरोना वायरस से बचाव रखने के लिए मास्क पहनना, बार-बार साबुन से हाथ धोना, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है! आपको संक्रमित व्यक्ति से 6 फीट की दूरी बनाए रखने की जरूरत है! इसके अलावा कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आपका शरीर भी मजबूत होना चाहिए! लोग इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं! शरीर को मजबूत बनाने के लिए आपको हर रोज नियमित रुप से ड्राइफ्रूट्स का सेवन करना चाहिए!
आपके लिए खजूर भी बहुत फायदेमंद है! खजूर में विटामिन, आयरन, कैल्शियम, एंटी-इंफ्लेम���टरी, एंटी- बैक्टीरियल और फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे तत्व पाए जाते हैं! इससे आपकी इम्यूनिटी मजबूत होती है और शरीर में आई कमजोरी भी दूर होती है! अगर आप कोरोना वायरस के संक्रमण से ठीक हो रहे हैं तो रिकवरी के वक्त डॉक्टर्स आपको खजूर खाने की सलाह दे रहे हैं! आइए जानते हैं खजूर के फायदे और खाने का तरीका!
इम्यूनिटी बढ़ाता है खजूर- नियमित रूप से खजूर खाने से हमारे शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है! खजूर में कैल्शियम, आयरन, विटामिन, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे कई गुण पाए जाते हैं! इन्हें खाने से शरीर को ताकत मिलती है और शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है!
दिमाग को स्वस्थ रखता है खजूर- खजूर खाने से नर्वस सिस्टम काफी मजबूत होता है! खजूर में पाया जाने वाला कैल्शियम, आयरन और दूसरे विटामिन काफ��� ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं! इन्हें खाने से दिमाग भी हैल्थी रहता है!
खून बढ़ाता है खजूर- खजूर आयरन का अच्छा सोर्स माना जाता है! इसमें भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है! नियमित खजूर खाने से शरीर में Red Blood Cells बढ़ते हैं और खून की कमी दूर होती है! खजूर से थकान भी कम होती है!
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है खजूर- हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों को खजूर खाना चाहिए! इससे शरीर में ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है! साथ ही दिल से जुड़ी बीमारियां भी दूर रहती हैं! इससे हार्ट अटैक का खतरा भी कम हो जाता है!
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आज हार्ट-डे है। यानी हमारे दिल का दिन है। इस साल हमारा दिल सबसे ज्यादा आहत और डैमेज हुआ है। वजह- कुछ और नहीं कोरोनावायरस ही है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल की रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से उबरने वाले 80 फीसदी लोगों में दिल से जुड़ी दिक्कतें देखी गई हैं। यह रिसर्च मई-जून में हुई थी।
कोरोना से हमारा दिल कितना कमजोर हुआ है? इस पर देश के जाने-माने ह्रदय रोग विशेषज्ञ और एम्स दिल्ली में डीएम कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय कुमार चुघ कहते हैं कि हालिया जो रिसर्च आई हैं, उसके मुताबिक 2.6% से 6% कोरोना मरीजों के दिल पर ही वायरस का असर हुआ है।
पहले कुछ रिसर्च और स्टडी हुई थीं, जिनमें यह आंकड़ा ज्यादा था। हालांकि, अब ये संख्या कम हो गई है। इसमें भी वे लोग ज्यादा हैं, जिन्हें हार्ट की समस्या पहले से है या वे लोग हैं जो हाई रिस्क ग्रुप में हैं या पहले कोई ऑपरेशन हो रखा है।
इसके अलावा जिन्हें कैंसर हो चुका है, जिनकी पहले एंजियोप्लास्टी हो रखी है, जिसे डायबिटीज है, हाई ब्लड प्रेशर है, मोटापा है, फेफड़े की क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस या एम्फसीमा है। ऐसे लोगों को ज्यादा रिस्क है।
देश में 6 करोड़ से ज्यादा दिल के मरीज हैं
हालांकि, कोरोना के अलावा भी कई चीजें हैं, जिनसे हमारे दिल को खतरा रहता है। इसमें हमारी लाइफ स्टाइल और रोजमर्रा की जिंदगी शामिल है। दिल की बीमारी के 15 प्रमुख कारणों में 10 हमारे खान-पान से जुड़ी हैं। देश में दिल के मरीजों की संख्या 6 करोड़ से ज्यादा हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि हम अपने दिल को चुस्त और दुरुस्त रखें। आइए जानते हैं कि कोरोना के दौर में हम दिल की देखभाल कैसे करें।
कोरोना से दिल मरीजों को कितना खतरा है?
डॉक्टर संजय कहते हैं कि कोविड-19 आने के बाद शुरुआती महीनों में कोरोना का दिल पर असर ज्यादा हो रहा था। ऐसा इसलिए भी था, क्योंकि डॉक्टर्स को कोरोना के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। इसलिए शुरू में ऐसी दवाएं भी दीं, जिनका दिल पर गहरा असर पड़ता है। इसमें हाइड्रोक्सीक्लोरीक्वीन भी ही है। लेकिन, अब ऐसा नहीं है।
समय के साथ जैसे-जैसे इस बीमारी के बारे में ज्यादा जानकारियां सामने आई हैं, डॉक्टरों ने कोरोना मरीजों को नई दवाएं देना शुरू की हैं, जो पहले से ज्यादा कारगर हैं। इनमें रेमडेसिविर और डेक्सामेथासोन भी है। अब नए ट्रीटमेंट में दिल को ज्यादा दिक्कत नहीं है। इसलिए बिना डॉक्टर के सलाह के आप ऐसी कोई भी दवा न लें, जिससे दिल को खतरा पैदा हो। कोरोना का असर दिल के मरीजों के दिल पर ज्यादा पड़ सकता है।
कोविड के दौर में दिल का ख्याल कैसे रखें?
डॉक्टर संजय कहते हैं कि वैसे तो हमें इस समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। लेकिन, यदि किसी वजह से निकलना पड़ रहा है तो मास्क जरूर पहनें। मास्क को सही तरीके से पहनें। इसे कभी भी नाक के नीचे न करें। कान पर भी न लटकाएं। आपका बचाव आपके हाथ में ही है। घर के बाहर मास्क को वैक्सीन की तरह इस्तेमाल करें। इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखें।
कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा सांस से निकली ड्रॉपलेट्स से हैं। इसलिए किसी से बातचीत के दौरान मास्क पहनना बेहद जरूरी हैं। आप खुद के साथ दूसरे का ध्यान रखने के लिए भी मास्क पहनें, क्योंकि हो सकता है कि आप युवा हैं और कोरोना से बच जाएं। लेकिन, सामने वाला व्यक्ति यदि हाई रिस्क कैटेगरी में है या उम्रदराज है तो उसकी जान को ज्यादा खतरा हो सकता है। इसके अलावा किसी दरवाजे को खोलने बंद करने के बाद भी हाथ को जरूर सैनिटाइज करें, क्योंकि दरवाजा दूसरे लोग सबसे ज्यादा छूते हैं।
डॉक्टर संजय के मुताबिक, कपड़े और मेडिकल मास्क सामान्य लोगों के लिए कुछ हद तक तो ठीक हैं, लेकिन यदि आप हाई रिस्क ग्रुप में हैं तो बाहर निकलने के दौरान थ्री लेयर मास्क या एन-95 मास्क जरूर पहनें।
यदि किसी और बीमारी से पीड़ित हैं तो क्या करें? डॉक्टर संजय के मुताबिक, यदि आपको पहले से कोई बीमारी है तो आप कोरोना के डर को मन से निकालकर हॉस्पिटल जरूर जाएं। वहा�� डॉक्टर से उचित सलाह लें, क्योंकि लंबे समय तक डॉक्टर के संपर्क में नहीं रहने से जान को खतरा बढ़ सकता है।
दिल के मरीजों के लिए जरूरी सलाह? डॉक्टर संजय कहते हैं कि यदि आप हाई रिस्क ग्रुप में हैं और पहले एंजियोप्लास्टी या कोई ऑपरेशन हो चुका है तो डॉक्टर आपको सेकेंडरी प्रिवेंशन के तौर पर इन्फ्लुएंजा वैक्सीन दे सकते हैं। दिल के मरीज कोई भी जरूरी इलाज जैसे एंजियोप्लास्टी आदि को कोरोना की वजह से न टालें। आजकल रेडिएल एंजियोप्लास्टी, जो कि कलाई से की जाती हैं। इसमें अस्पताल में कम समय के लिए रुकना पड़ता है।
दिल को इमोशनली कैसे मजबूत बनाएं? साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉक्टर निशा खन्ना बता रही हैं वो 5 तरीके जिनके जरिए आप इस मुश्किल दौर में अपने दिल को इमोशनली मजबूत बना सकते हैं...
1. पॉजिटिव सोचें- बुरे से बुरे दौर में खुद को खुश रखें। हमेशा सकारात्मक चीजों के बारे में सोचें। वो काम करें, जिससे करने से आप में पॉजिटिविटी आती है।
2. मोटिवेट रहें- हर चीज में अच्छा देखें। अपने मोटिवेशनल लेवल को हमेशा हाई रखें। अपने फ्यूचर ड्रीम के बारे में सोचें। कुछ ऐसा करने की कोशिश करें, जिससे मोटिवेट हों।
3. खुशी ढूंढें- जब भी कोई काम करें या कहीं आएं-जाएं तो छोटी सी छोटी बातों में खुशी ढूंढ़ने की कोशिश करें।
4. पॉजिटिव लोगों से मेल-जोल बढ़ाएं- ऐसे लोगों से मेल-जोल बढ़ाने की कोशिश करें, जो पॉजिटिव सोच रखते हैं। जिससे मिलने से आप में पॉजिटिविटी आए, वो आपको मोटिवेट करे। आपकी भी कोशिश होनी चाहिए कि उससे पॉजिटिव बातें करें।
5. अच्छा सोचें- हमारा ध्यान निगेटिविटी की ओर ज्यादा जाता है, खासकर कोरोना के दौर में। इसलिए हमारे साथ पहले जो कुछ अच्छा हुआ है, उसके बारे में सोचें, इससे पॉजिटिविटी आएगी।
ब्रिटेन में हुई स्टडी में 15% मरीजों में डिसऑर्डर देखने को मिला अमेरिकन जनरल में जो रिसर्च छपी है, उसके शोधकर्ता क्लायड डब्ल्यू येंसी के मुताबिक, रिसर्च में सामने आया कि 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। वहीं, ब्रिटेन में हुई एक और ऐसी ही स्टडी में सामने आया कि कोरोना के 1216 मरीजों में संक्रमण के बाद दिल से जुड़े डिसऑर्डर दिखे। 15% मरीजों में ऐसे कॉम्प्लीकेशंस सामने आए जो बेहद गंभीर थे और जान का जोखिम बढ़ाने वाले थे।
कोरोना सीधे फेफड़े पर अटैक करता है, इससे दिल के टिश्यू कमजोर होने लगते हैं मरीजों पर लंबे समय तक कोरोना के साइडइफेक्ट क्यों दिखते हैं, वैज्ञानिक इसका पता लगाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि कोरोना सीधे तौर पर मरीजों के फेफड़े पर असर करता है। जिससे शरीर में ऑक्सीजन का लेवल प्रभावित होता है। इस स्थिति में हृदय को ब्लड दूसरे अंगों तक पहुंचाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। लगातार दबाव बने रहने पर हार्ट के टिश्यू कमजोर होने लगते हैं और हृदय रोगों से जुड़े मामले सामने आते हैं।
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6% of corona patients recover from heart problems, use masks as a vaccine to avoid heart problems; Strengthen the heart in 5 ways, World heart day.
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आंध्र प्रदेश में पहली मौत, तब्लीगी जमात से लौटे बेटे के संपर्क में आने से पिता को हुआ था संक्रमण
आंध्र प्रदेश में 55 साल के शख्स की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई. शख्स का बेटा तब्लीगी जमात से लौटा था जिसके संपर्क में आने से वह संक्रमित हुआ था.
अमरावती: आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में 55 साल एक व्यक्ति की मौत के कई दिन बाद शुक्रवार को राज्य सरकार ने पुष्टि की है कि मौत का कारण कोरोना वायरस संक्रमण था. राज्य में कोरोना वायरस से यह पहली मौत है. आंध्र प्रदेश में अब तक 161 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है जिसमें से तीन मरीज उपचार के बाद ठीक हो चुके हैं. व्यक्ति अपने बेटे के संपर्क में आने से संक्रमित हुआ था जो 17 मार्च को नई दिल्ली में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद लौटा था. राज्य के नोडल अधिकारी अरजा श्रीकांत ने एक बयान जारी कर कहा, “व्यक्ति 30 मार्च को सुबह साढ़े ग्यारह बजे स्वास्थ्य जांच कराने के लिए सरकारी अस्पताल आया था. उसके खून के नमूने जांच के लिए भेजे गये थे, इसी बीच साढ़े बारह बजे के आसपास उसकी मौत हो गई थी.” उन्होंने बताया कि व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर, सुगर और दिल की बीमारी से ग्रसित था. श्रीकांत ने कहा, “व्यक्ति अन्य बीमारियों से भी ग्रसित था जिसके चलते यह पता लगाने में देर हुई कि उसकी मौत कोरोना वायरस से हुई थी या नहीं.” व्यक्ति के बेटे में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि 31 मार्च को हुई थी और उसे पृथक रखा गया था. उन्होंने कहा, “हमने 29 अन्य ऐसे लोगों की पहचान की है जो मृतक के बेटे के संपर्क में आए थे और उन्हें भी पृथक रखा गया है.” इसी बीच उप मुख्यमंत्री (स्वास्थ्य) ए ए के श्रीनिवास ने कहा कि आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित 161 में से 140 व्यक्ति तबलीगी जमात के जलसे में शामिल हुए थे. मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद श्रीनिवास ने संवाददाताओं से कहा, “जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले 881 व्यक्तियों के खून की जांच में 108 व्यक्तियों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई. अन्य 65 लोगों के नमूनों की जांच के नतीजे अभी आने बाकी हैं.”
इसके अलावा उनके संपर्क में आए 32 लोगों में भी कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है. उप मुख्यमंत्री ने कहा कि तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले आंध्र प्रदेश के 1,085 व्यक्तियों में से 946 वापस लौट आए हैं जबकि 139 अभी भी बाहर हैं. उन्होंने बताया कि 946 लोगों में से 881 व्यक्तियों का ही पता लगाया जा सका है.
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पॉजिटिव केस 2400 के पार, दिल्ली में 141, मुंबई में 181 नए मामले आए, पढ़ें राज्यवार आंकड़े
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तेज हंसने से भी फैल सकता है कोरोना वायरस, यहां पढ़ें कोविड-19 से संबंधित ICMR द्वारा दिए गए कई सवालों के जवाब
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. चीन में फैल रहा जानलेवा कोरोना वायरस की दहशत पूरी दुनिया में जारी हैं। कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश को 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया गया है। देश में अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 740 के पार हो चुकी है। जबकि ये वायरस 18 लोगों की जान ले चुका है। ऐसे में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोरोना वायरस से संबंधित कुछ सवालों के जवाब दिए हैं- प्रश्न - क्या हृदय रोग, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को कोरोना वायरस के संक्रमण का ज्यादा खतरा है? जवाब- नहीं, हृदय रोग, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को अन्य लोगों की तुलना में संक्रमण का ज्यादा खतरा नहीं है। प्रश्न - हृदय रोग, डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोगों से पीड़ित लोगों में संक्रमण होने पर गंभीर बीमारी या समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है? जवाब - कोरोना वायरस से पीड़ित ज्यादातर (80 फीसदी) लोगों में सांस संबंधी संक्रमण (बुखार, गले में खराश, खांसी) के थोड़े बहुत लक्��ण होते हैं और वे पूरी तरह ठीक भी हो जाते हैं। लेकिन ऐसे लोग जिन्हें हृदय रोग, डायबिटीज या हाई ब्लड को अधिक गंभीर बीमारी होने का खतरा है। इन बीमारी में हृदयघात (कमजोर हृदय) वाले लोग भी शामिल हैं। प्रश्न- क्या डायबिटीज से पीड़ित लोगों को कोरोना वायरस होने का अधिक खतरा है? जवाब - सामान्य तौर पर अनियंत्रित डायबिटीज से पीड़ित लोगों में सभी संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। डायबिटीज से पीड़ित लोग संक्रमण के अधिक जोखिम में नहीं हैं, लेकिन एक बार संक्रमित होने पर अधिक गंभीर बीमारी और खराब परिणामों का खतरा है। इसलिए डायबिटीज को कण्ट्रोल में रखना बेहद है। प्रश्न - क्या बीपी की कुछ दवाइयों का सेवन करना कोविड-19 की तीव्रता को बढ़ा रहा है? जवाब - विभिन्न वैज्ञानिकों और हृदयरोग विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कोई प्रमाण नहीं है। प्रश्न - क्या दर्द/ बुखार निवारक दवाएं ली जा सकती हैं? जवाब - कुछ प्रकार की दर्द निवारक दवाएं जैसे कि इबुप्रोफेन कोविड-19 बीमारी की तीव्रता को बढ़ा सकते हैं। इसलिए अगर आवश्यक हो तो पैरासिटामोल सबसे सुरक्षित दर्द निवारक दवाइयों में से एक है। प्रश्न - यदि कोरोना वायरस के लक्षण हों तो क्या करना चाहिए? जवाब - यदि आपको सांस की तकलीफ के बिना बुखार, खांसी, मांसपेशियों में दर्द हो रहा है तो अपने डॉक्टर को फोन करें और फोन पर सलाह लें। आपको घर पर रहने की जरूरत है (कम से कम 14 दिनों के लिए) और परिवार के अन्य सदस्यों से दूर रहे। हाथ की स्वच्छता बनाए रखें और सही ढंग से एक चिकित्सा मास्क पहनें। यदि आपको सांस की तकलीफ हो या बिगड़ते लक्षण जैसे बहुत ज्यादा थकान हो तो चिकित्सक की सलाह लें। प्रश्न - कोविड-19 की रोकथाम करने के लिए क्या करना चाहिए? जवाब - कोविड-19 खांसी और छींक द्वारा, ड्रॉपलेट और छूने से फैलता है। अगर आप किसी वस्तु को छू रहे हैं तो उसपर मौजूद वायरस के कण आपके हाथों में पहुंच जाते हैं। जब आप उन्ही हाथों से अपना चेहरा छूते हैं तो आप संक्रमित हो जाते हैं। वायरस के कण किसी भी वस्तु पर कम से कम तीन दिन तक बने रह सकते हैं इसलिए आप अपने आस-पास सफाई का खासतौर से ध्यान रखें। प्रश्न - क्या तेज हंसने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है? जवाब - हां... यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के जोर से हंसने पर भी निकलता है। इसलिए हमेशा किसी भी व्यक्ति से एक मीटर की दूरी बनाए रखें और जितना हो सके भीड़ से दूर रहें। ये भी पढ़े... कोरोना वायरस: रितिक से लेकर प्रभास तक किसी ने दान किए 1 करोड़ तो किसी ने मास्क विटामिन-C के डोज से ठीक हो रहे कोरोना के मरीज! चीन के बाद अमेरिका के डॉक्टरों ने अपनाया इलाज का यह तरीका कोरोना का खौफ: महिला ने छींका, तो दुकानदार ने डर के मारे फेंक दिया 26 लाख का खाने का सामान Read the full article
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कोरोना वायरस के संक्रमण और स्मोकिंग करने वालों के बीच कैसा है कनेक्शन
कोविड-19 का प्रभाव पूरी दुनिया पर देखने को मिल रहा है. फिलहाल बचाव ही इससे सुरक्षित रहने का एकमात्र उपाय है। कई पुरानी बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए यह और भी खतरनाक संकट है. कोविड-19, धूम्रपानकरने वाले लोगों के लिए भी काफी भयावह है। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), जोधपुर के वैज्ञानिकों के एक अध्ययन के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोग कोरोना वायरस संक्रमण की कगार पर हो सकते हैं। तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने की कोरोना वायरस की प्रकृति के आधार पर यह दावा किया गया है। इस अध्ययन ने उन लोगों को भी आगाह किया है, जिनमें कोविड-19 के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन उनके सूंघने की क्षमता कम हो गई और खाते वक्त स्वाद आना कम हो गया है। जिनमें कोविड-19 के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन उनके सूंघने की क्षमता कम हो गई और खाते वक्त स्वाद आना कम हो गया है। लोगों को ये लक्षण महसूस होते ही स्व पृथक-वास में रहना चाहिए और विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए।
एहतियात के तौर पर डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों के साथ डॉक्टरों ने धूम्रपान करने वालों को भी घर के अंदर ही रहने की सलाह दी है। यह तो सभी जानते हैं कि तम्बाकू का सेवन करने वालों को फेफड़ों के कैंसर सहित श्वसन संबंधी कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों के साथ धूम्रपान करने वालों के लिए भी कोविड-19 का संक्रमण काफी खतरनाक है. ऐसे लोगों को संक्रमण से बचने के लिए विश��ष सावधानी बरतनी चाहिए।
हर ��ाल 31 मई को ‘वर्ल्ड टोबाको डे’ मनाया जाता है. हर बार की तरह इस साल भी डॉक्टरों ने धूम्रपान करने वालों से इस हानिकारक आदत को छोड़ने का आग्रह किया है। कोविड-19 के दौर में यह अपील और भी जरूरी हो जाती है, क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि धूम्रपान करने वालों में कोविड-19 के गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं। इसके विपरीत हाल ही में कुछ ऐसे अध्ययन भी सामने आए हैं जो दावा करते हैं कि धूम्रपान संभवतः कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इन दोनों विरोधाभासी बातों से लोगों के मन में काफी संदेह है। इसी को दूर करने के लिए यहां धूम्रपान और कोविड-19 के बीच संबंधों को स्पष्टता से प्रस्तुत किया गया है।
फरवरी 2020 में प्रकाशित चीन के एक अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 संक्रमितों और आईसीयू में भर्ती करीब 1,099 रोगियों में से 25.5 फीसदी धूम्रपान करने वाले थे। डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का मानना है कि धूम्रपान करने वालों के वायुमार्ग में सिलिया की अनुपस्थिति के कारण उनमें श्वसन के गंभीर लक्षण देखने को मिले। सिलिया वायुमार्ग में मौजूद बॉल के आकार की छोटी-छोटी संरचनाएं होती हैं। यह संरचनाएं मुख्यरूप से संक्रामक तत्वों को हटाकर वायुमार्ग को साफ रखने में मदद करती हैं। इससे इंफेक्शन लंग्स में नहीं पहुंच पाता है। धूम्रपान से निकलने वाले रसायन धीरे-धीरे सिलिया को मार देते हैं। ऐसे में धूम्रपान करने वालों में कोविड-19 के इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। सिलिया की अनुपस्थिति के चलते वायुमार्ग में सूजन भी पैदा हो सकती है।
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कोरोना से गुजरात, कश्मीर और महाराष्ट्र में एक-एक शख्स की मौत, देश में अबतक 15 मरे
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कोरोना से गुजरात, कश्मीर और महाराष्ट्र में एक-एक शख्स की मौत, देश में अबतक 15 मरे
देशभर में अबतक कोरोना के 629 केस, 15 लोगों की मौत
कश्मीर में बुजुर्ग की मौत,संपर्क में आए 4 लोग भी संक्रमित
कोरोना वायरस से देश में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ गया है. गुरुवार को गुजरात, महाराष्ट्र और कश्मीर में एक-एक शख्स की मौत हुई. कश्मीर में कोरोना से मौत का यह पहला मामला है, जबकि गुजरात में यह दूसरी मौत है. महाराष्ट्र में चौथी मौत हुई है. अब तक देश में कोरोना से 633 लोग संक्रमित है, जिसमें से 15 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार की तड़के श्रीनगर के चेस्ट डिजीज (सीडी) अस्पताल में कोरोना वायरस से संक्रमित एक 65 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई. शख्स को शुगर, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या था. कार्डियक अरेस्ट के कारण बुजुर्ग की मौत हो गई है.
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संपर्क में आए चार लोग भी संक्रमित
यह मरीज श्रीनगर के हैदरपोरा (मूल रूप से सोपोर) का रहने वाला था. पिछले दिनों वह तब्लीगी जमात के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने इंडोनेशिया और मलेशिया गया था. इसके बाद वह दिल्ली, उत्तर प्रदेश और जम्मू भी गया था. इस शख्स के संपर्क में आए चार लोग भी कल कोरोना पॉजिटिव मिले थे, जिनका इलाज चल रहा है.
महाराष्ट्र में अब तक चार की मौत
कोरोना वायरस से सबसे अधिक महाराष्ट्र प्रभावित है. गुरुवार तड़के वाशी में एक और शख्स की मौत हो गई. अब तक महाराष्ट्र में चार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं, प्रदेश में कोरोना के अब तक 128 मामले सामने आए हैं.
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जम्मू-कश्मीर में कोरोना के 11 मामले
कश्मीर घाटी में कोरोना वायरस के 8 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि जम्मू इलाके में तीन लोगों कोरोना संक्रमण का शिकार हुए है. पूरे प्रदेश में अब तक 11 पॉजिटिव केस है, जिसमें से एक की आज मौत हो गई.
गुजरात में 38 पॉजिटिव केस
वहीं, गुजरात में भी कोरोना मरीजों का आंकड़ा तेजी से बढ़ता जा रहा है. गुरुवार सुबह तक 38 कंफर्म केस आए थे, जिसमें से 2 लोगों की मौत हो चुकी है. प्रदेश में कोरोना से मौत का पहला कल यानी बुधवार को आया था. 85 साल की बुजुर्ग की बुधवार को मौत हो गई थी. इसके बाद आज सुबह भी एक मौत हुई है.
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COVID-19 : खाने में ज्यादा नमक इम्यून सिस्टम को कर सकता है कमजोरः शोध
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ज्यादा नमक खाने से रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है. Coronavirus: शोध में पाया गया कि नमक की उच्च मात्रा के कारण ये कोशिकाएं बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में कम प्रभावकारी साबित हो रही थीं.
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#Coronavirus#Covid 19#high blood pressure#immune system#salt#इम्यून सिस्टम#कोरोना वायरस#कोरोना वायरस संक्रमण#नमक#हाई ब्लड प्रेशर
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kam nind lene se kya hota hai - कम नींद लेने से क्या होता है।
कम नींद लेने से क्या होता है।
माना क��� मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए पर्यापत मात्रा में नींद में सोना बहुत जरूरी है। नींद पूरी न होने की वजह से गंभीर से गंभीर बीमारियों का खतरा पर रहता है। आज के समय में बहुत से लोग को अनिद्रा की समस्या से परेशान रहते हैं। अनिद्रा की समस्या की वजह से शरीर स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ने लगता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी होता है। आज हम आपको बताएंगे नींद पूरी न होने की वजह से आपको किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है....kam nind lene se kya hota hai
https://www.technewscdd.in/2020/08/kam-nind-lene-se-kya-hota-hai.html
8 Samasyaon Ka Samana :-
जैसे में :-
1. इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगती हैं
नींद पूरी न होने की वजह से इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगती है। कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना बहुत जरूरी होता है। इस समय लोग इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहे हैं। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए पर्यापत मात्रा में नींद लेना भी बहुत जरूरी होता है। कम नींद लेने से क्या होता है।
2. वजन बढने लगते हैं
नींद पूरी न होने की वजह से वजन भी बढ़ने लगता है। अगर आप पर्यापत मात्रा में नींद नहीं लेंगे तो आपको भूख भी अधिक लगने लगता है, जिस वजह से वजन बढ़ सकता है। स्वस्थ रहने के लिए पर्यापत मात्रा में नींद लेना बहुत-बहुत जरूरी होता है।
3. डायबिटिज की समस्या होने लगती है
आज के समय में डायबिटीज की समस्या काफी बहुत बढ़ने लगी है, इसका एक कारण पूरी नींद न लेने पर भी हो सकता है। पर्यापत मात्रा में नींद न लेने की वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। डायबिटीज की समस्या ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने के कारण होती है।
4. मानसिक तनाव हो जाता है
नींद पूरी न होने की वजह से मानसिक तनाव हो सकता है। जो लोग अच्छी और गहरी नींद नहीं लेते हैं उनका मूड बहुत जल्दी-जल्दी बदलने लगता है। मानसिक तनाव से दूर रहने के लिए अच्छी और गहरी नींद लेना बहुत जरूरी होता है।
5. एकाग्रता में कमी आती है
नींद पूरी न होने की वजह से किसी भी काम में मन नहीं लगता है। नींद पूरी न होने से एकाग्रता में भी कमी आने लगती है, जिस वजह से आपकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है।
6. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है
स्वस्थ रहने के लिए रोजाना 8 से 9 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है। नींद पूरी न होने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को पूरी नींद लेनी चाहिए। रोजाना पर्यापत मात्रा में नींद न लेने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। कम नींद लेने से क्या होता है।
7. हृदय संबधित समस्याऐ
नींद पूरी न होने की वजह से हृदय संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। स्वस्थ रहने के लिए पर्यापत मात्रा में नींद लेना बहुत जरूरी होता है। हृदय संबंधित समस्याओं से बचे रहने के लिए कम से कम 8 से 9 घंटे की नींद अवश्य लें।
8. याददाश्त हो सकता है कमजोर
नींद पूरी न होने की वजह से याददाश्त भी कमजोर हो सकती है। पर्यापत मात्रा में नींद न लेने की वजह से मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
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विटामिन डी की कमी से बढ़ सकता है कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा- स्टडी
विटामिन डी की कमी से बढ़ सकता है कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा- स्टडी
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कोरोनो वायरस दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है. वहीं, वैज्ञानिक और मेडिकल रिसर्चर्स इसके इंफेक्शन को समझने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. अब तक यह बात सामने आ चुकी है कि वीक इम्यून सिस्टम और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों के संक्रमित हो जाने पर यह घातक साबित हो सकता है. बुर्जुगों, कैंसर, किडनी रोग, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, हृदय के रोगी, डायबीटिज से पीड़ित लोगों के संक्रमित होने पर रिस्क…
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World Hypertension Day 2020: खाने में नमक से भी हो सकती है हाई ब्लड प्रेशर की समस्या? जानें क्यों और कैसे
World Hypertension Day 2020: खाने में नमक से भी हो सकती है हाई ब्लड प्रेशर की समस्या? जानें क्यों और कैसे
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वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे (World Hypertension Day ) हर साल 17 मई को मनाया जाता है ताकि लोगों को लाइफस्टाइल से जुड़ी इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जा सके. साथ ही इसे मैनेज करने और रोकने के तरीकों क�� बारे में भी बताया जा सके. इस साल भले ही पूरी दुनिया नए कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 को लेकर चिंतित हो और सभी लोग सिर्फ इसी बीमारी के बारे में बात कर रहे हों लेकिन हम सेहत से जुड़ी…
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Health Tips : कोरोना के बाद लोग अब सेहतमंद लाइफस्टाइल चाहते हैं, इन 6 बदलावों को अपने अंदर लाएंगे तो किडनी के साथ डायबिटीज़ में भी मिलेगी राहत? Divya Sandesh
#Divyasandesh
Health Tips : कोरोना के बाद लोग अब सेहतमंद लाइफस्टाइल चाहते हैं, इन 6 बदलावों को अपने अंदर लाएंगे तो किडनी के साथ डायबिटीज़ में भी मिलेगी राहत?
इंटरनेट डेस्क। कोरोना ने वर्ष 2020 को बेहद डरावना और खर्चीला बना दिया। लेकिन फिर भी तमाम दर्द के बाद ये साल गुजर गया। अब हम 20201 में प्रवेश कर गए हैं। दो महीने भी इस साल के बीतने वाले हैं। कोरोना वायरस महामारी ने हमें स्वच्छता के साथ लाइफस्टाइल में सेहतमंद बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। अब हमें अच्छे स्वास्थ्य की कीमत भी पता चल गई है। बेहतर इम्युनिटी से क्या होगा इसका भी हमें ज्ञान हुआ है।
क्यों न इस साल ठान लें कि हम अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर अपने शरीर को मज़बूत बनाएंगे, ताकि बीमारियां दूर रहें और हम स्वस्थ रहें। चलिए शुरुआत करते हैं किडनी है। किडनी इसलिए क्योंकि आमतौर पर लोग उम्र के साथ किडनी की बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। चाहे फिर वो डायबिटीज़ की वजह से हो या फिर कोई और बीमारी। किडनी स्वस्थ रहेगी तो शरीर में जमा कचरा अच्छी तरह छन जाएगा
अपनी लाइफस्टाइल में इन 6 बदलावों को लाएं, आपका शरीर रोग मुक्त हो जाएगा
1. हम सब ये जानते हैं कि भरपूर पानी पीने में सेहत का राज़ छिपा है। हालांकि, ज़रूरत से ज़्यादा पानी पीनी से भी समस्या खड़ी हो सकती है, खासतौर पर किडनी फेलियर। दिन में 8 ग्लास पानी पर फोकस करने की जगह इतना पानी पिएं ताकि आपका मूत्र हल्के पीले या फिर साफ रंग का हो।
2. डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर किडनी की बीमारी का सबसे बड़ा कारण है। इसलिए खाने में कम नमक, कम कोलेस्ट्रोल वाला खाना ही लें ताकि इन बीमारियों से दूर रहा जा सके।
3. रोज़ाना वर्कआउट करने से शरीर का स्वस्थ वज़न बना रहता है, डायबिटीज़ और दिल की बीमारी से बचते हैं और ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रोल भी संतुलन में रहता है। आप जितना पसीना बहाएंगे, आपकी किडनी उतनी ही स्वस्थ रहेंगी और साथ ही पूरा शरीर भी।
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कोरोना पीड़ित को अस्पतालों ने नहीं किया भर्ती, हाई कोर्ट में गुहार लगाई लेकिन सुनवाई से कुछ घंटे पहले चल बसा मरीज
Edited By Chandra Pandey | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 06 Jun 2020, 02:27:00 PM IST
हाइलाइट्स
दिल्ली में इलाज के लिए कोरोना मरीज को हाई कोर्ट की लगानी पड़ी गुहार, लेकिन सुनवाई से पहले तोड़ा दम
बीपी का मरीज 75 साल का बुजुर्ग कथित तौर पर एक अस्पताल की लापरवाही से हुआ था कोरोना संक्रमित
अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे परिजन लेकिन किसी ने भी नहीं किया भर्ती, बेड खाली न होने की कही बात
हाई कोर्ट में जिस दिन सुनवाई होती उससे एक दिन पहले ही बुजुर्ग ने तोड़ा दम
नई दिल्ली कोरोना वा��रस के खिलाफ जंग में एक से बढ़कर एक दावों के बीच जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। इसे ��ोतीराम गोयल की कहानी से समझा जा सकता है। एक 75 साल के बुजुर्ग को हाई ब्लड प्रेशर से चक्कर आ जाता है। बुजुर्ग बेहोश हो जाता है। परिजन आनन-फानन में उसे एक निजी अस्पताल में ले जाते हैं। वहां कथित तौर पर उसे 2 कोरोना मरीजों के साथ रखा जाता है। बुजुर्ग में भी कोरोना के लक्षण आ जाते हैं। गरीब परिवार अब मरीज के साथ सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों का चक्कर लगाना शुरू करता है लेकिन एक भी बेड खाली नहीं होने की बात कहकर कोई भी अस्पताल मरीज को भर्ती करने को तैयार नहीं होता है। बुजुर्ग की हालत बद से बदतर होती जाती है। सिस्टम और अस्पतालों की असंवेदनशीलता से थक-हारकर परिवार आखिरकार हाई कोर्ट से गुहार लगाता है कि बुजुर्ग को अस्पताल में बेड उपलब्ध कराया जाए। हाई कोर्ट याचिका को स्वीकार भी कर लेता है और अगले दिन सुनवाई की तारीख तय कर दी जाती है। लेकिन उसी दिन मरीज दम तोड़ देता है। यह कहानी कहीं और की नहीं, उस दिल्ली की है जहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अस्पतालों को लेकर अक्सर इतराते रहते हैं।
देश में कोरोना के कहां, कितने मरीज, पूरी लिस्ट
कब और कैसे क्या हुआ साइकल मरम्मत की दुकान चलाने वाले 75 साल के मोतीराम गोयल हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। वह दिल्ली के नंदनगरी के रहने वाले थे। 25 मई को वह हाई बीपी की वजह से बेहोश गए। परिजन उन्हें शाहदरा के एक अस्पताल लेकर पहुंचे। अगले दिन यानी 26 मई को परिजन उन्हें आनंद विहार के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट करते हैं। वहां मोतीराम को कथित तौर पर 2 कोरोना मरीजों के साथ रखा जाता है।
अस्पतालों को लेना होगा कोरोना पेशंटः केजरीवाल
27 मई को मोतीराम में कोरोना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। गरीब परिवार निजी अस्पताल में कोरोना के इलाज का खर्च नहीं उठा पाता, इसलिए परिजन पहले दिल्ली के सरकारी अस्पतालों का चक्कर लगाते हैं लेकिन मोतीराम को भर्ती नहीं किया गया। फिर प्राइवेट अस्पतालों का भी चक्कर लगाते हैं।
कोरोना पर आज सबसे बुरा दिन, डरा रही टेबल
27 मई से 3 जून तक परिजन जीटीबी अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, संजीवनी अस्पताल और मैक्स पटपड़गंज हॉस्पिटल की खाक छानते हैं। लेकिन सबका जवाब एक ही होता कि ब��ड ही खाली नहीं है। मोतीराम की हालत बिगड़ती चली जाती है।
डरा रहे हैं अहमदाबाद में मौत के आंकड़े
अहमदाबाद 953 मौतों के साथ महानगरों में मुंबई के बाद दूसरे नंबर है। हालांकि, उसकी आबादी मुंबई या दिल्ली के आधी से भी कम है। 50 लाख से ज्यादा आबादी वाले देश के महानगरों में अहमदाबाद में केस फैटलिटी रेट (CFR) सबसे ज्यादा है यानी हर 100 कोरोना मरीजों में सबसे ज्यादा मौतें यहीं हो रही हैं। यहां CFR 6.9 है यानी हर 100 कोरोना मरीजों में से करीब 7 की मौत हो रही है। इसके अलावा प्रति 10 लाख आबादी पर मौत के मामले में भी अहमदाबाद सभी महानगरों में सबसे ऊपर है। यहां प्रति 10 लाख आबादी पर कोरोना से मौत का आंकड़ा 115 है। अहमदाबाद में अब तक कोरोना के 13,678 मामलों की पुष्टि की जा चुकी है।
50 लाख से ज्यादा की आबादी वाले देश के 9 महानगरों में मुंबई में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। यहां कोरोना वायरस अब तक 1,698 लोगों की जान ले चुका है। हालांकि, प्रति 10 लाख आबादी पर मौत के मामले में यह अहमदाबाद के बाद दूसरे पायदान पर है। मुंबई में कोविड-19 से प्रति 10 लाख आबादी पर 80 लोगों की मौत हो रही है। यहां कोरोना संक्रमण की स्थिति डरावनी है। अब तक मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के 46,080 केस सामने आ चुके हैं।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में मुंबई के बाद दूसरे नंबर है। यहां अब तक कोरोना संक्रमण के 26,334 मामले सामने आ चुके हैं। दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या 708 पहुंच चुकी है।
चेन्नै में प्रति 10 लाख आबादी पर कोरोना से सबसे कम मौतें हो रही हैं। यहां प्रति 10 लाख आबादी पर मौत का आंकड़ा 0.9 है। अगर चेन्नै में कोरोना संक्रमण की स्थिति पर नजर डालें तो यहां अब तक 19,809 मामलों की पुष्टि की जा चुकी हैं। इनमें से 10,210 मरीज इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। चेन्नै में कोरोना से अब तक 179 मरीजों की मौत हो चुकी है।
दिल्ली, मुंबई और चेन्नै जैसे महानगरों की तुलना में कोलकाता में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं। यहां अब तक 2,589 मामलों की पुष्टि की जा चुकी है। इनमें से 1,038 मरीज इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं। कोलकाता में कोरोना वायरस अब तक 238 मरीजों की जिंदगियां लील चुका है।
आखिरकार 3 जून को परिजनों ने दिल्ली हाई कोर्ट में गुहार लगाई कि मोतीराम को बेड उपलब्ध कराने के लिए सरकार को निर्देश दिया जाए। हाई कोर्ट में यह याचिका 4 जून को सुनवाई के लिए सूचीवद्ध होती है। लेकिन इससे पहले कि हाई कोर्ट मोतीराम की तरफ से लगाई गई गुहार पर सुनवाई करता, उससे एक दिन पहले ही वह दुनिया छोड़ गए।
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