#कोका कोला
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indlivebulletin · 28 days ago
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मुकेश अंबानी के प्राइस वॉर से कोका कोला की निकली हवा, जियो वाला दांव खेलने पर हुआ मजबूर
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के मास्टरस्ट्रोक के सामने अच्छे अच्छों के दांव फेल हो जाते हैं. हाल ही में मुकेश अंबानी ने सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट में प्राइस वॉर शुरू करके तहलका मचा दिया है, जिससे अब दिग्गज मार्केट खिलाडियों के पसीने छूटने लगे हैं. दरअसल, मुकेश अंबानी के कैंपा ब्रांड के प्रोडक्ट्स की कीमत कोका-कोला और पेप्सी के मुकाबले काफी कम है, जिस कारण कोका कोला और पेप्सी को कड़ी…
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rightnewshindi · 29 days ago
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रईस मुकेश अंबानी ने कोला मार्केट में उतरते ही मचाया तहलका, कोका कोला को घटानी पड़ रही कीमतें
Delhi News: भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी ने कोला मार्केट में उतरते ही तहलका मचा दिया है। रिलायंस के कैंपा ब्रांड ने अपने प्रॉडक्ट्स की कीमत कोका-कोला और पेप्सी की तुलना में काफी कम रखी है। इससे इन कंपनियों को कड़ी चुनौती की सामना करना पड़ा है। कई मार्केट्स में उनका हिस्सेदारी प्रभावित होने लगी है। कोका-कोला अब अपनी 400 मिली की बोतल की कीमत 25 रुपये से घटाकर 20 रुपये करने की योजना…
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iskconchd · 2 months ago
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हम कोका कोला नहीं पीते। हम पैप्सी ���ोला नहीं पीते। हम धूम्रपान नहीं करते। बड़े-बड़े विज्ञापनों द्वारा बाजार में इतनी वस्तुएँ बिक रही हैं और बेचारे ग्राहकों को चंगुल में फँसा रही हैं, परन्तु वे सब अनावश्यक हैं। उन वस्तुओं की कोई आवश्यकता नहीं है। मॉरिशस, 2 अक्तूबर 1975
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news-trust-india · 4 months ago
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Champawat Samachar : चंपावत को प्रगतिशील युवा कास्तकार भी कर रहे हैं साकार-सीएम
देहरादून : Champawat Samachar  मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह ने कहा कि चंपावत में कोका-कोला इंडिया और इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (आईडीएचटी) प्रोजेक्ट उन्नति एप्पल को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साझेदारी निभा रहे हैं। गोरलचोड़ निकट ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड सदन नई दिल्ली से वर्चुवल रूप से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की…
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digitalvishaljain · 8 months ago
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शीर्ष 5 सबसे पसंदीदा फ़ुटबॉल क्लब
फुटबॉल दुनिया के सबसे प्रमुख खेलों में से एक है। ‘सॉकर’ के रूप में भी जाना जाने वाला यह खेल दुनिया भर में बेहद लोकप्रिय है, खासकर एशिया, अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में। बुंडेसलीगा, ला लीगा, यूईएफए, चैंपियंस लीग, इंग्लिश प्रीमियर लीग जैसे प्रमुख फुटबॉल टूर्नामेंट को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से फॉलो किया जाता है।
फुटबॉल खिलाड़ियों को अक्सर दुनिया में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले एथलीट के रूप में माना जाता है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि फुटबॉल क्लब भी लोगों द्वारा लोकप्रिय और प्रिय हैं। उनके पास नाइके, प्यूमा, कोका कोला, जीप, शेवरले, कतर एयरवेज, पेप्सी और एडिडास जैसे शीर्ष ब्रांडों का एक बड़ा अनुसरण है और शीर्ष फुटबॉल क्लबों के साथ कई मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं।
उनके फैन्स भी क्लबों को लेकर काफी दीवाने हैं और स्टेडियम में पूरे जोश के साथ उनका सपोर्ट करते नजर आते हैं. तो आइए नजर डालते हैं शीर्ष 5 सबसे पसंदीदा फ़ुटबॉल क्लब पर।
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jatinnsharma · 11 months ago
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आईपीएल 2024 नीलामी (IPL 2024 Auction): सभी 10 फ्रेंचाइजी की पूरी टीम
आईपीएल 2024 19 दिसंबर 2023 को हुआ और पहली बार भारत के बाहर आयोजित किया गया। स्थान दुबई में कोका-कोला एरिना था और सभी दस फ्रेंचाइजी के अधिकारी मिनी-नीलामी के लिए उपस्थित थे। आईपीएल 2024 की नीलामी में इतिहास रचा गया क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिंस नीलामी में 20 करोड़ रुपये की बाधा को तोड़ने वाले पहले खिलाड़ी बने और सनराइजर्स हैदराबाद से 20.50 करोड़ रुपये की विजयी बोली प्राप्त की। हालाँकि, उनका…
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studyara · 1 year ago
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विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव की चर्चा कीजिए |
उत्तर -
भूमिका :- वर्तमान समय में बहुराष्ट्रीय निगमों का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है | अधिकांश नवीन राजनीति व अर्थशास्त्र के लेखकों को यह बात आश्चर्यजनक प्रतीत होती है, पर इतिहास के विद्यार्थ��� इस तथ्य से परिचित हैं कि पिरामिड में पाई जाने वाली बहुत सी वस्तुएं भारत की थी तथा रोम से भारत का व्यापार होता था | मध्यकाल में अरब और ईरानी भारत से व्यापार करते थे तथा ईस्ट इंडिया कंपनी, फ्रेंच और डच व्यापारिक कंपनियों ने व्यापार विस्तार में उल्लेखनीय भूमिका उस समय निभाई थी, परंतु अब अधिकांश वस्तुएं भारत के बाहर की होती है भारत में और भारत जैसे अनेक विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों का बोलबाला बहुत तेजी से बढ़ रहा है | इसके हमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव देखने को मिलते हैं कुछ विद्वान  बहुराष्ट्रीय निगमों के फायदे को गिनाते हैं, तो वहीं कुछ इससे होने वाले नुकसानों  पर जोर देते हैं | बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों के संप्रभुता को हानि हुई है | विकासशील और अल्पविकसित देशों के संसाधनों को भी बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है | वही दूसरी ओर बहुराष्ट्रीय निगमों से फायदे के रूप में रोजगार के अवसर और बेहतर उपभोक्ता वस्तुओं कि उपलब्धता को बताया जाता है |
बहुराष्ट्रीय निगमों की परिभाषा
जो कंपनियां या निगम मूल रूप से एक देश में स्थापित होकर अन्य देश में अपनी शाखाओं का विस्तार करता है तथा वस्तुओं का निर्माण और व्यापार करता है, वह बहुराष्ट्रीय निगम कहलाता है | जैसे- कोका कोला या पेप्सी, कोलगेट, लीवर ब्रदर आदि |
पूंजी की विशालता, प्रचुरता व अनुभव और दक्षता के कारण इनका निरंतर विस्तार हो रहा है | ये बहुराष्ट्रीय निगम संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, हाॅलैंड, जर्मनी, जापान, कनाडा व दक्षिण कोरिया आदि देशों के हैं |
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विकासशील देशों पर बहुराष्ट्रीय निगमों के प्रभाव
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर सकारात्मक प्रभाव -
बहुराष्ट्रीय निगम क्षमता में आश्चर्यजनक विश्वास प्रदर्शित करते हैं, कम दाम पर अधिक और अच्छा उत्पादन प्रस्तुत करते हैं, इसलिए इन उत्पादों के लिए तीव्रता से सार्वभौमिक मांग पैदा हुई है | बहुराष्ट्रीय निगम के सकारात्मक पहलुओं  में अटल विश्वास के लिए प्रमुख कारण बहुराष्ट्रीय निगमों की कार्य क्षमता है | बहुराष्ट्रीय निगम रोजगार के नए अवसर पैदा करता है, विकसित प्रौद्योगिकी प्रस्तुत करता है तथा विश्व के विकसित देशों में स्थानीय नागरिकों को आधुनिक प्रबंधन की कला और विज्ञान में निपुण बनाने का कार्य करता है | बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियां उत्पादन और वितरण प्रक्रिया का अंतरराष्ट्रीयकरण करती है | ��न्होंने राष्ट्रीय राज्य के अपने प्रबंधकों और कर्मचारियों की 'अंध देशभक्ति' या 'अन्ध राष्ट्रभक्ति' से दूर रखा है, इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विश्व के अच्छे नागरिक साबित हुए हैं | बहुराष्ट्रीय निगम विश्व कानून और सरकार के माध्यम से विश्व शांति और विकास का मार्ग तैयार करते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम का अत्याधिक शक्तिशाली तर्क यह है कि उन्होंने अपने उत्पादों को विश्व स्तर पर पहुंचा दिया और उन्हें सुविधाओं के साथ सम्मिलित कर दिया है इसलिए अंतरराष्ट्रीय युद्धों का व्यवहार अपने आप में प्रचलित हो गया है अंटार्कटिक समुदाय धोखा एंकर और विध्वनशक युद्ध होगा साक्षी है परंतु अब बहुराष्ट्रीय निगमों की गतिविधियों के लाभदायक विकास के परिणाम स्वरूप पूर्ण रूप से परिवर्तित हो गया है जो कि क्षेत्र में क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया भी सफल हो गई है बहुराष्ट्रीय निगम उत्साह का तर्क है कि अंतः निर्भरता में विकास होने तथा आपसी प्रतियोगिता का आज अंटार्कटिक देशों में विकास हुआ है इसलिए कहा जा सकता है कि अमेरिका और कनाडा या फ्रांस और जर्मनी के बीच युद्ध जैसी घटना होना असंभव है |
बहुराष्ट्रीय निगमों से विकासशील देशों पर नकरात्मक प्रभाव-
बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमंडलीय निगमित गतिविधियों के साथ समस्याओं की व्यापक क्षेत्रों में पहचान की गई है केवल तीसरी दुनिया या विकासशील देशों ने ही नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय निगमों के ऊपर विकसित देशों ने भी आशंका व्यक्त की है | विकसित भागों में बहुराष्ट्रीय निगमों के कार्यों के गंभीर निहितार्थ के संबंध में लगातार चिंता व्यक्त की जाती रही है | पश्चिमी देशों के अनेक संगठित मजदूर संघों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम अपने संयंत्रों को वहीं स्थापित करते हैं, जहां पर सस्ते श्रमिक मिलते हैं | इनके इस परिचालन के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और विश्व के अन्य विकसित देशों में बेरोजगार की गंभीर समस्या पैदा हो गई है | बार्नेट और मूलर विद्वानों का मानना है कि बहुराष्ट्रीय निगम बहुत ही शक्तिशाली मानव संगठन है और यह भविष्य में उपनिवेश निर्माण के साधन के रूप में कार्य करेगा | बहुराष्ट्रीय निगमों पर वह सीधे प्रहार करते हुए कहते हैं कि इनसे विश्वशांति और समृद्धि थी कल्पना करना व्यर्थ है | बार्नेट और मूलर तर्क देते हैं कि व्यापक भुखमरी, अत्यधिक बेरोजगारी और व्यापक असमानता जैसी गंभीर समस्याओं के संबंध में इस तरह की निगमों के पास कोई कार्यक्रम अथवा कोई एजेंडा नहीं है | यहां पर मुख्य विवाद यह है कि बहुराष्ट्रीय निगम छुपे हुए जमीदार की तरह है, जो सबसे पहले अपने लाभ की चिंता करते हैं, वे बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं के बारे में गंभीर या संवेदनशील नहीं है | इसके अति विशाल और सम्मोहन विज्ञापन अभियानों के कारण यह कंपनियां विकासशील देशों के लोगों की पसंद और ��नके जीवन शैली को ही नष्ट नहीं कर रही, बल्कि उनको ऐश्वर्य की वस्तुओं का आदि बनाकर उन्हें आवश्यकता के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं | सामाजिकता के व्यापक और गंभीर मुद्दों जैसे कि पोषण, स्वच्छ वायु और सार्वजनिक स्वास्थ्य को इन निगमों ने कभी नहीं उठाया और न ही इन पर कुछ काम किया है | इसलिए बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में संदेह की दृष्टि से देखे जाते हैं |
बहुराष्ट्रीय निगम भविष्य में घोर असमानता, व्यापक बेरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन जैसी समस्याओं को उत्पन्न करेगा और यह किसी भी विकासशील देश के लिए विनाशकारी साबित होगा | बहुराष्ट्रीय निगम विकासशील देशों में अपने उद्योगों को स्थापित करते हैं और विकासशील देशों को लाभ का कम अंश देकर अधिकांश लाभ स्वयं रख लेते हैं | बहुराष्ट्रीय निगम ��ल्प विकसित या विकासशील देशों के लिए पर्यावरणीय रूप से भी अत्यधिक हानिकारक है |
निष्कर्ष :- बहुराष्ट्रीय निगम बहुत तेजी से बढ़े हैं तथा यह बहुराष्ट्रीय गतिविधियों को धन व विस्तार के कारण प्रभावित करते हैं तथा अपने उद्गम वाले राज्यों व मुख्यालय के आदेशों का पालन करते हैं | उन राज्यों के आदेशों की अनदेखी करते हैं, जहां इनकी शाखाएँ हैं  तथा राज्य के नियम अंतरराष्ट्रीय कानूनों और नैतिकता के विरुद्ध है | उनका पालन राज्य संप्रभु होते हुए भी नहीं करवा सकता | जैसे- बहुराष्ट्रीय निगम की संपत्ति को भारत में संपत्ति का मूल अधिकार न होते हुए भी बिना मुआवजा दिए छीना नहीं जा सकता और न निगम के विदेशी स्वामी या अधिकारी का मुख्यालय आदि दूसरे देश में है, तो बंदी बनाया जा सकता है | अत: फासीवादी विचारकों का मत है कि इससे राज्य की संप्रभुता को हानि पहुंची है | परंतु उदारवादी विचारकों का मत है कि बहुराष्ट्रीय निगमों से अंतरराष्ट्रीयता और विश्वशांति को प्रोत्साहन मिला है तथा बहुराष्ट्रीय निगमों के भूमंडलीय निगमित गतिविधियों द्वारा शांति और समृद्धि के नव स्वर्ण युग का श्रीगणेश हुआ है |
दोनों से उनके मालिकों, अधिकारियों तथा शिक्षित कर्मचारियों को तो लाभ हुआ है, परंतु निर्धन देशों और निर्धन और अशिक्षित व्यक्तियों को तथा छोटे उद्योग -धंधों को हानि पहुंची है तथा बेकारी बढी है और अविकसित देश ऋणी हो जाने के कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रभाव में आ गए हैं तथा उनकी संप्रभुता में कमी आई है |
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airnews-arngbad · 1 year ago
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Regional Marathi Text Bulletin, Chhatrapati Sambhajinagar
Date – 30 November 2023
Time 18.10 to 18.20
Language Marathi
आकाशवाणी छत्रपती संभाजीनगर
प्रादेशिक बातम्या
दिनांक – ३० नोव्हेंबर २०२३ सायंकाळी ६.१०
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रोजगार मेळावा तरुणांना विकसित भारताचे निर्माते बनण्याचा मार्ग मोकळा करतो - पंतप्रधान नरेंद्र मोदी
भारतानं नेहमीच वसुधैव कुटुंबकम या विचारधारेला अनुसरत वाटचाल केली - राष्ट्रपतींचं प्रतिपादन
राज्यात अवकाळी पावसामुळे तीन लाख ९३ हजार ३२५ हेक्टर क्षेत्राचं नुकसान झाल्याचा प्राथमिक अंदाज
आणि
जालना, लातूर, धुळे जिल्ह्यात विकसित भारत संकल्प यात्रेला नागरीकांचा उस्फुर्त प्रतिसाद
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रोजगार मेळावा तरुणांना विकसित भारताचे निर्माते बनण्याचा मार्ग मोकळा करतो, असं पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांनी म्हटलं आहे. केंद्र आणि राज्य सरकारच्या विविध विभागांमध्ये नियु��्त झालेल्या ५१ हजारांहून अधिक उमेदवारांना आज पंतप्रधानांच्या हस्ते दूरस्थ पद्धतीने नियुक्तीपत्रांचं वितरण करण्यात आलं, त्यावेळी ते बोलत होते. या उमेदवारांनी नागरिकांसाठी जीवन सुलभतेला प्राधान्य दिलं पाहिजे आणि आपलं कर्तव्य पूर्ण बांधिलकीने पार पाडलं पाहिजे, ज्यांनी केंद्र सरकारच्या योजनांचा लाभ घेतला नाही अशा लोकांपर्यंत त्यांनी लाभ पोहोचवले पाहिजे, असं पंतप्रधानांनी यावेळी सांगितलं. देशभरात ३७ ठिकाणी याअंतर्गत रोजगार मेळावे आयोजित करण्यात आले होते.
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दरम्यान, विकसित भारत संकल्प यात्रेअंतर्गत पंतप्रधानांनी आज देशभरातल्या केंद्र सरकारच्या विविध योजनांच्या लाभार्थ्यांशी दूरस्थ पद्धतीनं संवाद साधला. विकसित भारत संकल्प यात्रेला देशवासियांनी जनआंदोलनाचं स्वरुप दिलं असून, यात्रेला मिळणारा प्रतिसाद गेल्या नऊ वर्षात मोदी सरकारने कमावलेल्या विश्वासाचं प्रतीक असल्याचं, ते यावेळी म्हणाले.
महिला किसान ड्रोन केंद्राचं उद्घाटनही पंतप्रधानांच्या हस्ते यावेळी झालं. या उपक्रमाअंतर्गत पुढच्या तीन वर्षांत १५ हजार ड्रोन्स तसंच ड्रोन वापराचं प्रशिक्षण महिला बचत गटांना पुरवण्यात येणार आहे. २५ हजार जनौषधी केंद्र स्थापन करण्याच्या कार्यक्रमाचा प्रारंभही पंतप्रधानांच्या हस्ते यावेळी झाला.
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भारतानं नेहमीच वसुधैव कुटुंबकम या विचारधारेला अनुसरत वाटचाल केली असून, देशाच्या एकता आणि अखंडतेला सर्वोच्च प्राधान्य दिलं आहे, असं राष्ट्रपती द्रौपदी मुर्मू यांनी म्हटलं आहे. पुण्याजवळच्या खडकवासला इथं, राष्ट्रीय संरक्षण प्रबोधिनी - एन डी ए च्या १४५ व्या तुकडीच्या दीक्षांत समारंभात आज त्या बोलत होत्या. यावर्षी संचलनात पहिल्यांदाच महिला छात्र सहभागी झाल्याबद्दल त्यांनी विशेष आनंद व्यक्त केला.
त्यानंतर राष्ट्रपतींनी आज अहमदनगर जिल्ह्यातल्या शनीशिंगणापूर इथल्या शनैश्वराचं दर्शन घेतलं. यावेळी राज्यपाल रमेश बैस यांची उपस्थिती होती. अहमदनगर जिल्हा प्रशासनाच्या वतीने पालकमंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील यांनी राष्ट्रपतींचा सत्कार केला.
उद्या, राष्ट्रपती मुर्मू, पुण्यातल्या सशस्त्र दल वैद्यकीय महाविद्यालयाला मानाचा ध्वज अर्थात प्रेसिडेंट्स कलर प्रदान करणार आहेत. त्यानंतर त्या नागपूरकडे रवाना होतील.
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रत्नागिरी जिल्ह्यातल्या लोटे - परशूराम औद्योगिक वसाहतीम��्ये नव्याने सुरू होत असलेल्या हिंदुस्तान कोका-कोला बेव्हरेज लिमिटेड कंपनीच्या प्लांटचं भूमीपूजन आज मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांच्या हस्ते झालं. दोन हजार ५०० कोटी रुपयांच्या गुंतवणुकीतून उभ्या रहात असलेल्या या प्लांटच्या माध्यमातून दोन हजार लोकांना रोजगार उपलब्ध होणार आहे. शासनाकडून या कंपनीमध्ये स्थानिक नागरिकांना रोजगार देण्यासाठी प्राधान्य देण्यात येईल असं मुख्यमंत्र्यांनी यावेळी सांगितलं.
दरम्यान, सिंधुदुर्ग किल्ल्यावर येत्या चार तारखेला पंतप्रधान नरेंद्र मोदी यांच्या उपस्थितीत होणार्या नौदल दिन कार्यक्रमाच्या पार्श्वभूमीवर मुख्यमंत्र्यांनी आज किल्ल्याची पाहणी करुन तयारीचा आढावा घेतला.
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राज्यात २६ ते २८ नोव्हेंबर दरम्यान झालेल्या अवकाळी पाऊस आणि गारपीटीमुळे तीन लाख ९३ हजार ३२५ हेक्टर क्षेत्राचं नुकसान झाल्याचा प्राथमिक अंदाज आहे. यामध्ये छत्रपती संभाजीनगर जिल्ह्यात ४५ हजार ७८३ हेक्टर, हिंगोली ७९ हजार ४०२, परभणी एक हजार, बीड २१५, तर नांदेड जिल्ह्यात ५० हेक्टर क्षेत्रावरच्या शेतजमिनींचं नुकसान झाल्याची माहिती राज्य सरकारकडून देण्यात आली आहे.
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केंद्र सरकारच्या विकसित भारत संकल्प यात्रेचं आज जालना जिल्ह्यातल्या ढासला, बधापूर, रेवगाव, बेथलम, पिंपळगाव थोटे इथं उत्साहात स्वागत करण्यात आलं. यानिमित्त ढासला इथं आयोजित कार्यक्रमास पालकमंत्री अतुल सावे, आमदार नारायण कुचे, जिल्हाधिकारी डॉ. श्रीकृष्ण पांचाळ, उपस्थित होते. यावेळी ग्रामस्थांना शासनाच्या विविध योजनांची माहिती देण्यात आली. एलसीडी स्क्रीनवर शासकीय योजनांची चित्रफितही दाखवण्यात आली.
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लातूर तालुक्यातल्या नागझरी इथं देखील नागरीकांनी आज विकसित भारत संकल्प यात्रेचं स्वागत केलं. यावेळी आरोग्य विभागाकडून रक्तदाब, मधुमेह याची प्राथमिक तपासणी आणि आयुष्यमान कार्ड संदर्भातील माहिती देण्यात आली. 'आपला संकल्प, विकसित भारत' या एलईडी रथाच्या माध्यमातून शासनाच्या विविध योजनाही सांगण्यात आल्या. जिल्हा परिषदेचे मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनमोल सागर यावेळी उपस्थित होते.
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धुळे जिल्ह्यातल्या बोराडी आणि निजामपूर गावात आज विकसित भारत संकल्प यात्रा पोहचली. यावेळी ग्रामस्थांना शासनाच्या कृषी, आरोग्य, शेतकरी, महिला, युवा यांच्यासाठी राबवण्यात येत असलेल्या विविध योजनांची माहिती एलईडी व्हॅनमार्फत देण्यात आली. तसंच लाभार्थ्यांकडून विविध योजनांचे अर्ज भरुन घेण्यात आले.
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जालना जिल्ह्यात अवकाळी पावसामुळे नुकसान झालेल्या नुकसानीची आज पालकमंत्री अतुल सावे यांनी पाहणी केली. बदनापूर तालुक्यातल्या राजेवाडी इथल्या कचरुसिंग गुसिंगे आणि हरिदास अंभोरे यांच्या शेतातल्या नुकसानग्रस्त मोंसबी आणि डाळिंब फळबागेची सावे यांनी पाहणी करून शेतकऱ्यांशी संवाद साधला. संबंधित अधिकाऱ्यांना नुकसानग्रस्त पिकांचे तातडीनं पंचनामे करण्याचे आदेश दिले.
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मराठा आरक्षणासाठी लोकसभा अध्यक्षांकडे राजीनामा दिलेले यवतमाळचे खासदार हेमंत पाटील यांना राष्ट्रपतींकडून समन्स पाठवण्यात आलं आहे. त्यांना चार डिसेंबर रोजी हजर राहण्याचे आदेश देण्यात आले आहेत. खासदार हेमंत पाटील हे लोकसभेतल्या अनेक समित्यांवर सदस्य आहेत. मात्र २९ ऑक्टोबर रोजी त्यांनी राजीनामा दिल्यामुळे ते एकाही बैठकीला हजर नव्हते. त्यामुळे आता चार तारखेला हजर राहून मराठा आरक्षणाबाबत भूमिका मांडू, आपण राजीनाम्यावर ठाम आहोत, राजीनामा मंजूर झाला नाही तर संसदेच्या अधिवेशनात मराठा आरक्षणाबाबत प्रश्न उपस्थित करणार असल्याचं हेमंत पाटील यांनी सांगितलं.
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धनगर समाजाचा अनुसूचित जमातीप्रवर्गात समावेश करण्याच्या प्रमुख मागणीसाठी आज धाराशिव इथं धनगर समाज बांधवांनी भव्य मोर्चा काढला. शहरातल्या आर्य समाज लेडीज क्लब पासून निघालेला हा मोर्चा जिल्हाधिकारी कार्यालयावर धडकला. या मोर्चाच्या सुरुवातीला धनगर समाजाने आपल्या पारंपारिक व्यवसायाचं साधन असलेल्या मेंढ्या सोबत आणल्या होत्या. तसंच खांद्यावर घोंगडी आणि धनगर समाजाचा पारंपारिक पोशाख घालून ढोल वाजवत मोर्चेकरी या मोर्चात सहभागी झाले होते.
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हिरडा आणि दुधाला रास्त भाव द्या या मागणीसाठी अहमदनगर जिल्ह्यातल्या अकोले तहसील कार्यालयावर किसान सभेच्या नेतृत्वाखाली आज भव्य मोर्चा काढण्यात आला. तहसील कार्यालयासमोर दूध ओतून दूध दर वाढवण्याच्या निर्णयाचा विरोध करण्यात आला. हिरड्याची सरकारी खरेदी करण्याची मागणी मान्य करण्यात आली असून, यासाठी आवश्यक असलेल्या १०६ पेसा गावांचे ठराव आंदोलकांना गेल्या तीन दिवस सुरू असलेल्या ठिय्या आंदोलनाच्या पार्श्वभूमीवर प्राप्त करून देण्यात आले. राहत्या घरांच्या तळ जमिनी शेतकऱ्यांच्या नावे करण्यासाठी केलेली प्रकरणं २० डिसेंबर पर्यंत तपासण्यात येतील असे यावेळी प्रशासनाच्या वतीने सांगण्यात आलं.
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हिंगोली जिल्ह्यात सेनगाव ते हिंगोली मार्गावरील रिधोरा पाटीजवळ एस टी बसच्या चालकाला हृदयविकाराचा झटका आला. मात्र स्वत:ला सावरत बस रस्त्याच्या कडेला सुरक्षित उभी केल्यानंतर चालकाने प्राण सोडल्याची घटना घडली. मारोती नेमाणे असं या चालकाचं नाव असून, त्यांच्या समयसुचकतेमुळे १५ ते २० प्रवाशांचे प्राण वाचले.
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प्रवाशांची गर्दी लक्षात घेता दक्षिण मध्य रेल्वेनं काचीगुडा-लालगढ-काचीगुडा, हैदराबाद-जयपुर- हैदराबाद आणि नांदेड ते इरोड दरम्यान सुरू असलेल्या विशेष गाड्यांना मुदतवाढ दिली आहे. या गाड्या निजामाबाद, नांदेड, पूर्णा, हिंगोली, वाशिम, अकोला मार्गे धावतात. काचीगुडा - लालगड ही गाडी २७ जानेवारी पर्यंत, लालगढ-काचीगुडा ३० जानेवारी पर्यंत, हैदराबाद - जयपूर गाडी २६ जानेवारी पर्यंत, तर जयपूर - हैद्राबाद आणि नांदेड - इरोड गाडीला २८ जानेवारीपर्यंत मुदतवाढ देण्यात आली आहे.
दरम्यान, लाईन ब्लॉकमुळे दौंड ते निझामाबाद जलदगती गाडी ३ ते १६ जानेवारी दरम्यान तर निझामाबाद - पंढरपूर गाडी ४ ते १७ जानेवारी दरम्यान निझामाबाद ते मुदखेड दरम्यान अंशत: रद्द करण्यात आली आहे.
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abhinews1 · 1 year ago
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मार्केट में फिर रीलायंस ने कैम्पा क्रिकेट का धमाल, रिलायंस ने लॉन्च किए, पेप्सी-कोका कोला से मुकाबला
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मार्केट में फिर रीलायंस ने कैम्पा क्रिकेट का धमाल, रिलायंस ने लॉन्च किए, पेप्सी-कोका कोला से मुकाबला
रिलायंस रिटेल द्वारा शीतल पेय कैम्पा क्रिकेट को सोमवार को लांच किया गया।जिसमे रोड सो के जरिये इसको पूरे बाजार मे ब्रांडिग किया गया।कंपनी के एरिया मैनेजर श्री शिवेंदर प्रताप सिंह ने बताया की इस कैम्पा के पेय के आने से पैप्सी,कको कोला आदि कम्पनिया हलचल मे आ गयी है। रिलाएंस कंजूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने क्रिकेट-थीम वाला पेय, कैंपा क्रिकेट लॉन्च किया है, कंपनी ने शुक्रवार को यह घोषणा की है। जो भारत भर के उत्साह क्रिकेट प्रशंसकों को समर्पित है। ताज़ा पेय विशेष रूप से शतरंज को ऑन-फील्ड और ऑफ-फील्ड रेहाइड्रेशन और रिवाइव करने के लिए विकसित किया गया है। “कैम्पा क्रिकेट का लक्ष्य ब्रांड रापा और भारत के सबसे बड़े जुनूनों में से एक, क्रिकेट के खेल के बीच मजबूत एक रिश्ता बनाना है. पेय में महत्वपूर्ण क्रिकेट लवणों की बिक्री के लिए इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, यह क्रिकेट फैंसी को फिजी लेमन जैसा ताजगी भी प्रदान करता है, क्रिकेट के अपने शौकीनों के लिए उत्साह बढ़ा रहे हैं या अपने दिन- प्रतिदिन के काम कर रहे हैं, ”जेपी ट्रेडर्स के ओनर शान्तनु चौधरी ने कहा कि कैम्पा क्रिकेट स्टार्स के लिए कई फॉर्मूले उपलब्ध होंगे, जिनमें 20 रुपये की कीमत वाला एक 250ml पैक और 30 रुपये की कीमत वाला 500ml पैक शामिल है। रिलायंस कंज्यूमर गुड्स शाखा, रिलायंस कंजूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने पूर्व क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन द्वारा प्रवर्तित बेवरेज कैन और फिल कंपनी सिलोन बेवरेज के साथ मिलकर कैम्पा शीतल पेय को पैक और निर्मित किया। एक प्रतिष्ठित भी की थी. लांचिंग शो मे जेपी ट्रेडर्स के ओनर श्री शान्तनू सिंह, डा० अशीष जयसवाल, अनिल सिंह, रंजीत गुप्ता, शेषमड़ी चौधरी,ऋतिक चौधरी ,आशुतोष,चन्दन यादव आदि लोग उपस्थित रहे
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lawspark · 1 year ago
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आदेश 39 सीपीसी : अस्थायी निषेधाज्ञा और अंतःक्रियात्मक आदेश
परिचय
सद्भावना, इक्विटी, अच्छे विवेक (गुड कॉन्सिएंस) के सिद्धांतों और कानूनी कहावत” यूबी जस, ईबी रेमेडियम ” – जहां एक अधिकार है, वहा एक उपाय है – में निहित एक निषेधाज्ञा एक न्यायसंगत (ईक्विटेबल) उपाय है जहां एक व्यक्ति को अदालत द्वारा आदेश दिया जाता है – उस व्यक्ति पर अधिकार होता है- जहा किसी विशिष्ट कार्रवाई को करना बंद करना, बशर्ते, अगर अदालत हस्तक्षेप नहीं करती है तो मामले में शामिल व्यक्तियों की सद्य स्थिति (स्टेटस को) को अपूरणीय क्षति होगी। एक निषेधाज्ञा की व्यावहारिकता को स्पष्ट करने के लिए, इसका उपयोग हड़ताल करने वाले श्रमिकों को हड़ताल करने वाली ट्रेड यूनियन और उनके सदस्यों को नियुक्त करने वाली फर्म के बीच सिविल मुकदमे के दौरान अपने रोजगार को फिर से शुरू करने के लिए मजबूर करने के लिए किया जा सकता है।यह लेख सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 39 पर विशेष जोर देने के साथ निषेधाज्ञा के बारे में चर्चा करता है जो अस्थायी निषेधाज्ञा और अंतःक्रियात्मक आदेश देने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालता है।
निषेधाज्ञा की प्रकृति
जैसा कि किसी भी कानूनी अवधारणा के मामले में होता है, न्यायशास्त्र के इतिहास में निषेधाज्ञा को कई परिभाषाओं के अधीन किया गया है।जॉयस ने इसे “एक उपचारात्मक आदेश के रूप में परिभाषित किया, जिसका सामान्य उद्देश्य सूचित पक्ष के कुछ गलत कार्य को होने से रोकना है।”बर्नी ने निषेधाज्ञा की अवधारणा को परिभाषित करने का प्रयास किया, “एक न्यायिक प्रक्रिया, जिसके द्वारा दूसरे के अधिकारों पर आक्रमण करने या आक्रमण करने की धमकी देने वाले को इस तरह के गलत कार्य को जारी रखने या शुरू करने से रोका जाता है”।लेकिन शायद, परिभाषा जो समग्र रूप से निषेधाज्ञा के सार को पकड़ती है, वह हैल्सबरी द्वारा प्रदान की गई है, जिसने दावा किया था कि “एक निषेधाज्ञा एक न्यायिक प्रक्रिया है जिसके तहत एक पक्ष किसी विशेष कार्य या चीज को  करने से परहेज करता है”।एक निषेधाज्ञा तीन महत्वपूर्ण धारणाओं की विशेषता है जिसमें न्यायिक कार्यवाही की उपस्थिति शामिल है, जो राहत दी जाती है वह एक संयम (रिस्ट्रेंट) के रूप में होती है, और अंत में, संयमित कार्य को इक्विटी के आधार पर गलत होना चाहिए।
स्थायी निषेधाज्ञा
अन्य व्यापक श्रेणी के निषेधाज्ञा और अस्थायी निषेधाज्ञा के समकक्ष (काउंटरपार्ट) – स्थायी निषेधाज्ञा है- जैसा कि विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963 की धारा 37 द्वारा परिभाषित किया गया है, “सुनवाई में और मुकदमे की योग्यता के आधार पर, जहां एक अधिकार के दावे से, या एक कार्य के होने या घटने से यदि ऐसा कुछ होता है जो वादी के अधिकारों से विपरित हो ऐसे समय प्रतिवादी को स्थायी रूप से आदेश दिया जाता है  “।
अस्थायी निषेधाज्ञा और उसके मूल सिद्धांत
इसके सार में, एक अस्थायी निषेधाज्ञा मामले के लंबित रहने के दौरान विवादित संपत्ति के संबंध में पक्षों की यथास्थिति बनाए रखने के लिए एक अंतरिम (इंटरिम) उपाय है। भारतीय कानून में अस्थायी निषेधाज्ञा का उद्देश्य एक दावे के पक्षकार को उसके अधिकार का उल्लंघन होने के कारण नुकसान के खिलाफ रक्षा करना है, जिसके लिए उसे कार्रवाई में वसूली योग्य नुकसान में पर्याप्त रूप से मुआवजा नहीं दिया जा सकता है यदि परीक्षण में उसके पक्ष में अनिश्चितता का समाधान किया गया था। उपरोक्त उद्देश्य को मैसर्स गुजरात पॉटलिंग कंपनी लिमिटेड और अन्य बनाम कोका कोला कंपनी और अन्य (1995) के मामले में उजागर किया गया था।
अस्थायी निषेधाज्ञा के लिए आवश्यकताएँ
दलपत कुमार और अन्य बनाम प्रल्हाद सिंह और अन्य (1991) के मामले में अस्थायी निषेधाज्ञा देने के लिए तीन मुख्य आवश्यकताओं को सुलझाया गया है, वे हैं:प्रथम दृष्टया मामला (प्राइमा फेसी केस)एक मुकदमे में एक गंभीर रूप से विवादित प्रश्न होता है। उन सवालों के तथ्य वादी या प्रतिवादी के लिए राहत के हकदार होने की संभावना को प्रोत्साहित करते हैं। प्रथम दृष्टया मामले का मतलब यह नहीं है कि वादी या प्रतिवादी एक अकाट्य तर्क (इर्रीफ्यूटेबल आर्गुमेंट) के साथ आते हैं जिसकी एक मुकदमे में सफल होने की पूरी संभावना है। इसका केवल इतना अर्थ है कि वे अपने निषेधाज्ञा के लिए जो मामला बनाते हैं वह पर्याप्त मेधावी (मेरिटोरियस) होना चाहिए, और ��ुरंत खारिज नहीं किया जाना चाहिए।अपूरणीय क्षतियदि मुकदमे में कानूनी अधिकार स्थापित होने से पहले किसी व्यक्ति को मुकदमे के संबंध में एक अपूरणीय क्षति होती है, तो यह गंभीर अन्याय का कारण हो जाता है। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि भावुक मूल्य के साथ किसी चीज के नुकसान पर निराशा जैसे उदाहरणों को अपूरणीय क्षति नहीं माना जाएगा। दूसरी ओर, जिन चीजों का आसानी से उपचार कि��ा जा सकता है, यदि अदालत के पास कोई उचित जानकारी न हो तो उन्हें अपूरणीय क्षति माना जाएगा। बहुत बार एक चोट अपूरणीय होती है जहां यह निरंतर और दोहराई जाती है या जहां यह केवल कई मुकदमों द्वारा कानून में उपचार योग्य है। कभी-कभी, अपूरणीय क्षति शब्द का तात्पर्य क्षति की मात्रा को मापने में कठिनाई से है। हालांकि, चोट को साबित करने में केवल एक कठिनाई अपूरणीय क्षति को स्थापित नहीं करती है।सुविधा का संतुलनअदालत को पक्षों के मामले की तुलना करने की जरूरत है, तुलनात्मक शरारत या हानि या असुविधा जो कि निषेधाज्ञा को वापस लेने की संभावना, निषेधाज्ञा जारी करने से होने वाली चीजों की संभावना से अधिक होगी। 
एक अस्थायी निषेधाज्ञा कब खारिज की जा सकती है?
जिन परिस्थितियों में अस्थायी निषेधाज्ञा दी जाती है, वे सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 39, नियम 1 द्वारा शासित होती हैं, जिस पर बाद में चर्चा की जाएगी। इस प्रकार, उन उदाहरणों पर चर्चा करना अनिवार्य हो जाता है जब एक अस्थायी निषेधाज्ञा को अस्वीकार किया जा सकता है। यहां विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963 की धारा 41 में प्रकाश डाला गया है।- किसी भी व्यक्ति को मुकदमा दायर करके न्यायिक कार्यवाही पर मुकदमा चलाने से रोकना, जिसमें निषेधाज्ञा मांगी गई है, जब तक कि वहा कार्यवाही की बहुलात (मल्टीप्लिसिटी) को रोकने के लिए संयम आवश्यक न हो। - किसी भी व्यक्ति को किसी ऐसे न्यायालय में किसी कार्यवाही को शु��ू करने या मुकदमा चलाने से रोकना जो उसके अधीनस्थ नहीं है, और जिससे निषेधाज्ञा मांगी गई है। - किसी भी व्यक्ति को किसी विधायी निकाय में आवेदन करने से रोकना। - किसी भी व्यक्ति को आपराधिक मामले में किसी भी कार्यवाही को शुरू करने या मुकदमा चलाने से रोकना। - एक अनुबंध के उल्लंघन को रोकने के लिए, जिसके प्रदर्शन को विशेष रूप से लागू नहीं किया जा सकता है। - उपद्रव (न्यूसेंस) के आधार पर रोकने के लिए, जिसका कार्य स्पष्ट नहीं है कि यह एक उपद्रव होगा। - एक निरंतर उल्लंघन को रोकने के लिए जिसे वादी ने चुपचाप सहन किया है। - जब विश्वास भंग के मामले को छोड़कर कार्यवाही के किसी अन्य सामान्य तरीके प्रभावकारी राहत निश्चित रूप से प्राप्त की जा सकती है। - जब वादी या उसके मध्यस्थो का आचरण ऐसा रहा हो कि वह अदालत की सहायता के लिए उसे अयोग्य ठहरा सके। - जब वादी का इस मामले में कोई व्यक्तिगत हित नहीं है। - आदेश 39, नियम 1 उन मामलों के बारे में बात करता है जिनमें अदालत वैधानिक राहत के रूप में अस्थायी निषेधाज्ञा दे सकती है, वे हैं: - संपत्ति विवाद के मामले में, यदि विचाराधीन संपत्ति के बर्बाद होने, क्षतिग्रस्त होने या अलग होने या मुकदमे में शामिल किसी व्यक्ति द्वारा गलत तरीके से बेचे जाने का जोखिम है। - यदि किसी व्यक्ति ने अपने लेनदारों को धोखा देने के उद्देश्य से अपनी संपत्ति को हटाने या निपटाने की धमकी दी या प्रदर्शित करने का इरादा दिखाया। यह केवल प्रतिवादी के लिए विशिष्ट है। - यदि वादी को – प्रतिवादी ��्वारा – विचाराधीन संपत्ति विवाद के संदर्भ में बेदखल या चोट पहुंचाने की धमकी दी जाती है। - यदि प्रतिवादी शांति या अनुबंध का उल्लंघन करनेवाले थे। उपरोक्त आधार को सीपीसी, 1908 के आदेश 39, नियम 2 में भी उजागर किया गया है। - अंत में, अदालत एक निषेधाज्ञा जारी कर सकती है यदि उसकी राय है कि यह कार्य न्याय के हित में होगा। - आदेश 39, नियम 2-A एक निषेधाज्ञा के संबंध में किसी व्यक्ति के गैर-अनुपालन के बारे में बात करता है, वे हैं: - यह उस व्यक्ति को तीन महीने से अधिक के लिए सिविल जेल में बंद रखने का आदेश देता है। - इसके अलावा, यह उस दोषी व्यक्ति की संपत्ति को एक वर्ष से अधिक के लिए कुर्क (अटैचमेंट) करने का वारंट देता है। हालांकि, अगर अपराध जारी रहना था, तो संपत्ति बेची जा सकती है। - राम प्रसाद सिंह बनाम सुबोध प्रसाद सिंह (1983)के मामले में, यह रेखांकित किया गया था कि सीपीसी 1908 के आदेश 39, नियम 2-A के तहत किसी भी व्यक्ति को संबंधित मुकदमे का पक्ष होना आवश्यक नहीं है, बशर्ते यह पता हो कि वह प्रतिवादी का मध्यस्थ व्यक्ती था जिसने इसके बारे में जागरूक होने के बावजूद निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया। - आमतौर पर, अदालत को निषेधाज्ञा के आवेदन के संबंध में विरोधी पक्ष को नोटिस जारी करने की आवश्यकता होती है, लेकिन आदेश 39, नियम 3 के माध्यम से, अदालत एक पक्षीय (एक्स पार्टे) आदेश पास कर सकती है, जब अदालत को यह विश्वास होता है की निषेधाज्ञा का उद्देश्य देरी के कारण पराजित हो सकता है। सर्वोच्च न्यायालय नेभारत संघ बनाम एरा एजुकेशनल ट्रस्ट (2000)के मामले के माध्यम से अदालतों के लिए एक पक्षीय निषेधाज्ञा पर निर्णय लेते समय पालन करने के लिए कुछ मार्गदर्शक सिद्धांत निर्धारित किए, वे हैं: - क्या वादी प्रतिवादी द्वारा अपूरणीय शरारत का शिकार होगा? - यदि एक पक्षीय निषेधाज्ञा नहीं दी जाती है तो क्या अन्याय का भार भारी होगा? - क्या एक पक्षीय क्षेत्राधिकार (ज्यूरिसडिक्शन) के लिए आवेदन करने का समय दुर्भावना से प्रेरित था? - अदालतें संतुलन और अपूरणीय हानि के सामान्य सिद्धांत पर भी विचार करेंगी। - आदेश 39, नियम 4 में कहा गया है कि यदि कोई असंतुष्ट पक्ष इसके खिलाफ अपील करता है, तो निषेधाज्ञा को हटाया जा सकता है, बदला जा सकता है या रद्द किया जा सकता है, बशर्ते कि: - निषेधाज्ञा या उसकी वकालत करने वाले दस्तावेजों में जानबूझकर झूठे या भ्रामक बयान शामिल थे और निषेधाज्ञा दूसरे पक्ष को सुने बिना दी गई थी। इस प्रकार, अदालत निषेधाज्ञा को हटा देगी। हालांकि, यह निषेधाज्ञा के साथ भी हो सकता है यदि वह मानता है – की कारण दर्ज किया जाना चाहिए – वही अन्याय के संदर्भ में आवश्यक नहीं है। - इसके अलावा, अदालत निषेधाज्ञा को भी रद्द कर सकती है, अगर परिस्थितियों में बदलाव के कारण, जिस पक्ष के खिलाफ निषेधाज्ञा दी गई है, उसे इस वजह से अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। - आदेश 39, नियम 5 एक महत्वपूर्ण बिंदु बताता है कि, यदि किसी निगम या फर्म के खिलाफ निषेधाज्ञा दी जाती है, तो निगम का अधिकार केवल एक इकाई के रूप में निगम तक सीमित नहीं है, निगम के सदस्य और अधिकारी जिनकी व्यक्तिगत कार्र��ाई करना चाहता है वह भी इसके दायरे में आता है। - आदेश 39, नियम 6 एक अंतरिम बिक्री करने की शक्ति के बारे में बात करता है। अदालत किसी भी चल संपत्ति की बिक्री का आदेश दे सकती है जो कि मुकदमे की विषय वस्तु है। इसके अलावा, इन चल संपत्तियों में ऐसी चीजें भी शामिल हैं जो प्राकृतिक देरी के अधीन हैं और अगर तेजी से नहीं बेची गईं तो बेकार हो जाएंगी। उदाहरण के लिए, अदालत फलों और सब्जियों की बिक्री का आदेश दे सकती है यदि वह मुकदमे से जुड़ा मामला हैं क्योंकि उन्हें अनिश्चित काल तक संग्रहीत नहीं किया जा सकता है और वे खराब होने वाले सामान हैं। - आदेश 39, नियम 7 वाद की विषय वस्तु के निरोध या निरीक्षण (डिटेंशन ऑर इंस्पेक्शन) के बारे में बात करता है। अनिवार्य रूप से, अदालत किसी भी व्यक्ति को विवाद की संपत्ति को बनाए रखने, संरक्षित करने या निरीक्षण करने का आदेश दे सकती है। अदालत विवादित भूमि पर इस तरह के आदेश विशिष्ट टिप्पणियों या प्रयोगों को पारित कर सकती है यदि वह पूरी जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से आवश्यक समझे। - आदेश 39, नियम 8 इक्विटी के आधार पर नियम 6 और 7 को बंद करता है। यह दावा करता है कि नियम 6 और 7 के तहत एक आदेश केवल तभी पारित किया जाएगा जब: - आवेदक वाद के संस्थापन के बाद आदेश के लिए आवेदन करता है। - आवेदक वाद में शामिल पक्षों को आवेदन की सूचना प्रदान करता है। - मुकदमे के अन्य पक्षों को अंतरिम आदेश के खिलाफ बहस करने का उचित मौका दिया गया है। - हालांकि, नियम इस अपवाद के अधीन है कि यदि सुनवाई में देरी होती है तो वाद के उद्देश्य की हानि होती है। - आदेश 39, नियम 9 एक उदाहरण के संबंध में बात करता है यदि भूमि का भुगतान राजस्व (रेवेन्यू) मुकदमे का विषय है। यह इस बारे में बात करता है कि यदि कोई व्यक्ति अपने मालिक को अपने सरकारी राजस्व या किराए का भुगतान करने की उपेक्षा (नेगलेक्ट) करता है, तो अदालत उस भूमि या कार्यकाल को खरीदने के इच्छुक किसी भी पक्ष को जमीन या उस कार्यकाल की बिक्री का आदेश दे सकती है। बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग किराए के भुगतान में चूक की भरपाई के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, जिस पक्ष को संपत्ति खरीदने में दिलचस्पी थी, अदालत के आदेश से, उसे चूककर्ता द्वारा मुआवजा दिया जा सकता है। - आदेश 39, नियम 10 पैसे या किसी भी वस्तु पर विवाद के बारे में बात करता है जो वितरण में सक्षम है। यदि विवाद में, कोई पक्ष विवादित वस्तु की न्यासधारिता (ट्रस्टीशिप) होने का दावा करता है, तो न्यायालय उस वस्तु को न्यायालय के सक्षम हाथों में तब तक जमा करने का आदेश दे सकता है जब तक कि विवाद का समाधान नहीं हो जाता।
निष्कर्ष
भारतीय न्यायशास्त्र में निषेधाज्ञा की सामान्य समझ में और जैसा कि यहां प्रस्तुत किया गया है, पाठक ने सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के आदेश 39 पर चर्चा कर��े हुए विशिष्ट राहत अधिनियम, 1963 की अमूर्त उपस्थिति पर ध्यान दिया होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि निषेधाज्ञा का सार तब प्राप्त ��ो जाता है जब दो दस्तावेजों की एक साथ व्याख्या की जाती है। इस प्रकार, एम. गुरुदास और अन्य बनाम रसरंजन और अन्य (2006) के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 39 के प्रावधान के पीछे तर्क को संक्षेप में बताया है कि “निषेध के लिए एक आवेदन पर विचार करते समय, न्यायालय प्रथम दृष्टया, सुविधा के संतुलन और अपूरणीय क्षति के संबंध में एक आदेश पारित करेगा “।  Read the full article
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ivisonguitars · 1 year ago
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gojackenmitracoolas · 1 year ago
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iskconchd · 1 year ago
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हम कोका कोला नहीं पीते। हम पैप्सी कोला नहीं पीते। हम धूम्रपान नहीं करते। बड़े-बड़े विज्ञापनों द्वारा बाजार में इतनी वस्तुएँ बिक रही हैं और बेचारे ग्राहकों को चंगुल में फँसा रही हैं, परन्तु वे सब अनावश्यक हैं। उन वस्तुओं की कोई आवश्यकता नहीं है। मॉरिशस, 2 अक्तूबर 1975
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khetikisaniwala · 1 year ago
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No. 1 तरिके से करे मक्का की खेती(Maize Farming) : होगी बम्फर पैदावॉर
मक्का की खेती के बारे में कुछ विशेष तरीके से बात करंगे जैसे -Makka ki kheti pdf, ग्रीष्मकालीन मक्का की खेती,
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मक्का की खेती का परिचय
भारत में मक्का बहु उपयोगी खाद्य फसल में से एक हैं, जिसको मोटे अनाजो के नाम से भी जाना जाता है | और इसे भुट्टे के रूप में भी खाया जाता है।कई मैदानी क्षेत्रो में भी मक्का की खेती(Maize Farming) बड़ी सफलतापूर्वक उगाई जाती है , और इसको पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रो में भी मक्का की खेती सफलतापूर्वक की जाती है।इसे भारत में पायी जाने वाली सभी प्रकार की मिट्टियों में लगाया जा सकता है| मिटटी जैसे - बलुई, दोमट मिट्टी जो मक्का की खेती के लिये उत्तम मानी जाती है। यह खरीफ की फसल भी कही जाती है |पर फिर भी जहा पानी की सुविधा नहीं होती वहाँ रबी और खरीफ की खेती पहले की जाती है | मक्का में कार्बोहाइड्रेट की उपयुक्त मात्रा पायी जाती है |यह कार्बोहाइड्रेट का बहुत सही स्रोत है।मक्का की खेती किसान भाइयो एक साथ कई प्रकार से उपयोग करने का मौका देता है | ब्यपार के दृश्टिकोण से यह एक सर्वाधिक मुनाफे वाली खेती है |
मक्के का उपयोग
हम ऐसे कई रूप में प्रयोग कर सकते है जैसे -रोटी के रूप में , मधु मक्का को उबालकर कार्नफ्लेक्स के रूप में ,भुट्टे सेककर चबाने के रूप में , आजकल तो पॉपकॉर्न बहुत प्रचलित है और लइया के रूप में इत्यादि रूप में उपयोग में होता है | और अब इसका प्रयोग बायोफ्यूल , card oil के रूप में भी किया जाने लगा | मक्के का 60 से 65 % पशुआहार जैसे मुर्गी एवं पशु आहार के रूप उपयोग हो जाता है | मक्के से हमे पोष्टिक आहार प्राप्त होता है | मक्के के भुट्टे निकलने के पश्च्यात का मटेरियल को पशु का चारा के रूप में उपयोग कर लेते है |
औद्योगिक कंपनियों में मक्के का उपयोग
औद्योगिक दृष्टि से मक्के मे प्रोटिनेक्स की मात्रा के होने चलते इसको हम , पेन्ट्स, चॉक्लेट ,स्याही ,लोशन ,कोका-कोला , स्टार्च के लिए कॉर्न सिरप इत्यादि बनाने में उपयोग करते है |हमे इससे मक्के के एक नया रूप जिसे हम बेबीकार्न मक्का बोलते है । बेबीकार्न पौस्टिक होने के कारण सब्जियों से अधिक मूल्य पर बिकता है।
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agmnusrat · 2 years ago
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स्मार्टफोन लॉन्च कर (Realme Coca-Cola)सामने आया सच रोमांचक फीचर्स वाला स्मार्टफोन https://bit.ly/3XULnzS Realme Coca-Cola वैश्विक स्मार्टफोन ब्रांड रियलमी और कोका-कोला के भारतीय बाजार के लिए एक अनोखी पेशकश लाने के लिए हाथ मिलाने की संभावना की है,
smartphone #lancha #realmecocacola #brand
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chandramurty · 2 years ago
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॥राग बिलावल, द्रुत ताल में निबद्ध॥
130 करोड़ रुपये की आबादी वाला देश महंगाई से जूझ रहा।हालाँकि महंगाई तो सिर्फ़ एक मानसिक अवस्था है पर आटे का भाव 40 रुपये प्रति लीटर देख कर लोगों कि काँपें टांग रही हैं ।
लोगों का क्या, ठंड से भी डर रहे, जब कि हज़ारों बार कहा गया कि भईया, डरो मत, अभय मुद्रा की ओर देखो।पर वे पराली जला कर आग ताप ही रहे।
वैसे मैं तो अब मैं रहा नहीं।मैं तो हूँ ही नहीं।मैंने ख़ुद को मार लिया है।अब तपस्वियों के देश में पुजारियों का क्या काम?
पांडवों ने तो ना नोट बंदी करायी, ना GST ल��ाया, तभी विभिन्न धर्मावलंबी उनके साथ थे।और कौरव तो ख़ाकी हाफ़ पैंट पहन सिर्फ़ शाखा-शाखा खेल रहे थे।
एक और इमोशनल बात बोल रहा..एक अल-सुबह मैं अर्द्ध-रात्रि को जाग गया था।और देश के बारे में सोचने लगा। मैं देश को जानना चाहता था, जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को जानना चाहता है। फिर मज़ा आया और ये मज़ा मैं सारे देश को देना चाहता हूँ।
मैंने देखा कि देश में कोई किसी का दुश्मन नहीं। बाघ-बकरी एक ही घाट पर चाय पी रहे।कुत्ते-बिल्ली, हाथी-घोड़े,गाय-भैंस,यहाँ तक की सुअर भी आये थे पर उनको कोई नहीं मार रहा था। सब सुख-शांति थी।
पर राजस्थान के हर बच्चे कोअंग्रेज़ी की opportunity मिलनी चाहिए। इसलिये उन्हें हिन्दी सिखाना है, जिससे कि वे सारे world से communicate कर पायें और अमेरिका में भारत का झंडा उखाड़ा जा सके ।
जैसे अमेरिका के एक शिकंजी बनाने वाले ने कोका-कोला बना डाला था, होंडा और टोयोटा नाम वाले मैकेनिकों ने होंडा और टोयोटा कार बना दी थी, वैसे ही मैं भी चाहता हूँ कि जब चीन में कोई आदमी जूता ख़रीदे तो उस पर “मेड इन भोपाल” लिखा हो।पर क्या हमारे किसी ढाबे वाले ने अभी तक कोका-कोला बनायी है??
सूट-बूट की सरकार तो बस देश को बेचने में लगी है और हमारे दो-तीन पूँजीपति देश को ख़रीदने में लगे हैं।35000 करोड़ एकड़ ज़मीन तो एक ही पूँजीपति को दे दिए गए हैं ।
हमें गुजरात की महिलाओं से ताक़त लेनी चाहिए। क्यो कि उन्होंने अपना दूध दिया है अमूल को। अब चाँद पर भी किसानों को जमीन दी जाएगी। बहुत सारे एअरपोर्ट बनेंगे और किसान सीधे वहां जायेंगें वहीं पर अपना माल बेचेंगे।
अगर जनता अब भी नहीं जागी तो सारे देश में फिर से अहिंसा फैल जायेगी।
पर क्या अब इस जवाब का कोई सवाल है??
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