#कुंडली मकर
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Nowadays, choosing a career is a huge and important decision, and many people need guidance for it. This decision affects your entire life, so it is important that you choose the right direction for your career.But have you ever wondered which career can be best suited for you according to your zodiac sign or horoscope?
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राशिफल आज, 08 दिसंबर, 2022: गुरुवार के लिए धन ज्योतिषीय भविष्यवाणी
राशिफल आज, 08 दिसंबर, 2022: गुरुवार के लिए धन ज्योतिषीय भविष्यवाणी
ASTROBHOOMI द्वारा MONEY MANTRA RASHIFAL: मिथुन राशि के जातकों को व्यवसाय में रचनात्मकता में सुधार करने की आवश्यकता है, और आपकी कड़ी मेहनत के कारण आपको व्यवसाय में नए अवसर मिलेंगे Source link
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राशि अनुसार मकर राशि में किस ग्रह के खराब होने से वो भ्रमित हो सके है हर काम में मन की बाधा आना और असफलता मिलती है?
मकर राशि (Capricorn) के लिए विशेष ग्रह शनि (Saturn) होता है। शनि के अशुभ होने से व्यक्ति को निम्नलिखित क्षेत्रों में मन की बाधा और असफलता का सामना हो सकता है:
करियर और पेशेवर जीवन: शनि के अशुभ होने से करियर और पेशेवर जीवन में मामूली संघर्ष हो सकता है। व्यक्ति को प्रोफेशनल जीवन में स्थिरता प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है और वे अपने लक्ष्यों को हासिल करने में विलम्ब का सामना कर सकते हैं।
संबंध और विवाह: शनि के अशुभ होने से व्यक्ति को संबंधों और विवाह में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। वे अपने साथी के चयन में संज्ञानात्मक संकोच ���र विलम्ब का महसूस कर सकते हैं।
आर्थिक स्थिति: शनि के अशुभ होने से व्यक्ति को आर्थिक संबंधों में संकटों का सामना करना पड़ सकता है। वे आर्थिक संबंधों में संज्ञानात्मक संकोच और निराशा का अनुभव कर सकते हैं।
सामाजिक स्थिति: शनि के अशुभ होने से व्यक्ति को सामाजिक स्थिति में आराम और संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है। वे समाज में स्थिरता प्राप्त करने में मुश्किलियों का सामना कर सकते हैं और अपनी स्थिति को सुधारने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ सकता है।
इसकी अधिक सूक्ष्म समझ हासिल करने के लिए कुंडली चक्र प्रोफेशनल २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है। और सटीक जानकारी के लिए आप 8595675042 संपर्क कर सकते है.
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नवमांश कुंडली ,मकर लग्न में 12 वे भाव में शुक्र के क्या फल होंगे?
मकर लग्न में नवमांश कुंडली में 12वें भाव में शुक्र का स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस स्थिति में शुक्र के कुछ मुख्य फल निम्नलिखित हो सकते हैं:
साधारण लाभ: शुक्र का 12वें भाव में स्थान व्यक्ति को साधारण लाभों का उत्थान कर सकता है। यह विवाह, संयुक्त संपत्ति, शौर्य और भोग-विलास में वृद्धि के रूप में प्रकट हो सकता है।
संय��ग और विवाह: शुक्र 12वें भाव में शादी और संयोग की भावना को बढ़ा सकता है। यह विवाह और संयोग की संभावना को बढ़ाता है, लेकिन साथ ही विवाह और संयोग में कुछ अड़चनों का भी संकेत हो सकता है।
संतान सुख: इस स्थिति में शुक्र व्यक्ति को संतान सुख के लिए प्रेरित कर सकता है। व्यक्ति को अपनी संतानों के साथ आनंद का अनुभव करने का अवसर मिल सकता है।
भोग और आनंद: शुक्र का 12वें भाव में स्थान व्यक्ति को भोग और आनंद की भावना को बढ़ा सकता है। यह व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के सांसारिक आनंदों का अनुभव करने की प्रेरणा देता है।
प्रेम और संवाद: शुक्र 12वें भाव में स्थित होने से व्यक्ति का सामाजिक संवाद, सौन्दर्य और सामंजस्य का प्रवृद्धि कर सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति को लोगों के साथ मिलानसार और मिलनसार रूप में व्यवहार करने की प्रेरणा मिल सकती है।
यह सभी फल व्यक्ति की कुंडली के अनुसार भिन्न हो सकते हैं और अधिक जानकरी के लिए कुंडली चक्र प्रोफेशनल २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर सकते है।
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Free kundli game on Astrology Signs Horoscope
कुंडली गेम
कुंडली गेम एक इंटरएक्टिव और मजेदार तरीका है जिससे आप अपनी कुंडली को समझ सकते हैं। इसमें जन्म तिथि, समय और स्थान के आधार पर कुंडली तैयार की जाती है और इसके जरिए आप ग्रहों की स्थिति और उनकी ज़िंदगी पर पड़ने वाले प्रभाव को समझ सकते हैं। कुंडली गेम के जरिए आप अपनी राशि, ग्रहों की चाल, और भविष्यवाणियों का आनंद उठाते हुए खुद के बारे में ज्यादा जान सकते हैं। यह गेम आपको अपने जीवन की दिशा,kundli game चुनौतियों और संभावनाओं को सरल और रोमांचक तरीके से जानने का मौका देता है।
मेष राशिफल आज – प्रोकेरला
आज के दिन मेष राशि (21 मार्च – 19 अप्रैल) के जातकों के लिए ऊर्जा से भरपूर रहेगा। प्रोकेरला के अनुसार, आपको आज आत्मविश्वास और साहस के साथ किसी भी कार्य को करने की प्रेरणा मिलेगी। आपके करियर में तरक्की के संकेत हैं, लेकिन जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचें। रिश्तों में सामंजस्य और संतुलन बनाए रखें। आर्थिक स्थिति में सुधार के योग हैं, और यह दिन निवेश के लिए अनुकूल रहेगा।
अंकशास्त्र मिलान (Numerology Match Making)
अंकशास्त्र मिलान विवाह से पहले दो व्यक्तियों के बीच संगतता जांचने का एक पारंपरिक तरीका है। इसमें जन्मतिथि के आधार पर अंकशास्त्र के विभिन्न नंबर जैसे लाइफ पाथ नंबर, डेस्टिनी नंबर और सोल नंबर का मिलान किया जाता है। यह विधि यह बताने में मदद करती है कि दंपति के बीच कितनी सामंजस्यता है और किन क्षेत्रों में उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है। इस मिलान के जरिए जीवनसाथी के स्वभाव और marriage date calculator by date of birth भविष्य की दिशा का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
विवाह तिथि कैलकुलेटर जन्म तिथि के अनुसार
विवाह तिथि कैलकुलेटर एक उपयोगी टूल है जो आपकी और आपके साथी की जन्म तिथि के आधार पर सबसे शुभ विवाह तिथि का चयन करता है। यह ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों की चाल को ध्यान में रखते हुए विवाह के लिए सबसे अनुकूल दिन की सिफारिश करता है। शुभ मुहूर्त में विवाह करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली और सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
ज्योतिष और राशि चक्र (Astrology and Zodiac Sign)
ज्योतिष और राशि चक्र हमारे free numerology match making जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। राशि चक्र में 12 राशियाँ होती हैं, जिनके आधार पर व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व और भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
मेष (21 मार्च – 19 अप्रैल): साहसिक और ऊर्जावान।
वृषभ (20 अप्रैल – 20 मई): स्थिर और विश्वसनीय।
मिथुन (21 मई – 20 जून): चतुर और जिज्ञासु।
कर्क (21 जून – 22 जुलाई): संवेदनशील और पोषण करने वाला।
सिंह (23 जुलाई – 22 अगस्त): आत्मविश्वासी और ��रिश्माई।
कन्या (23 अगस्त – 22 सितंबर): विश्लेषणात्मक और तार्किक।
तुला (23 सितंबर – 22 अक्टूबर): संतुलित और शांतिप्रिय।
वृश्चिक (23 अक्टूबर – 21 नवंबर): तीव्र और रहस्यमय।
धनु (22 नवंबर – 21 दिसंबर): आशावादी और साहसी।
मकर (22 दिसंबर – 19 जनवरी): अनुशासित और महत्वाकांक्षी।
कुंभ (20 जनवरी – 18 फरवरी): नवीन और स्वतंत्र विचारक।
मीन (19 फरवरी – 20 मार्च): दयालु और कल्पनाशील।
इन राशियों के आधार पर व्यक्ति के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव और उनकी विशेषताएँ निर्धारित की जाती हैं। ज्योतिष और राशि astrology and zodiac sign चक्र का अध्ययन व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य की जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।
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Paras ji explained About Kumbh
कुंभ संक्रांति-: स्नान-ध्यान और दान-पुण्य का विशेष महत्व
हिंदू धर्म में कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति की तरह ही इस दिन भी स्नान-ध्यान और दान-पुण्य किया जाता है। इस दिन पुण्य काल में स्नान और दान करना कई तरह से लाभदायी होता है। इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन आप स्नान ध्यान और सूर्य देव की पूजा-उपासना कर सकते हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं कि कब है कुंभ संक्रांति और क्या है इस तिथि का महत्व ?
क्या होता है संक्रांति का अर्थ?
सनातन धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है। सबसे पहले संक्रांति का अर्थ जानते हैं, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं उसे संक्रांति कहा जाता है। यानि इस दिन सूर्य देव एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। फाल्गुन माह में कुंभ संक्रांति के दिन भी सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। इस दौरान सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं जिसे कुंभ संक्रांति कहा जाता है।
कब है कुंभ संक्रांति?
कुंभ संक्रांति 13 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि इस दिन गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐस�� करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और भक्त को उनकी कृपा मिलती है। इस वर्ष कुंभ संक्रांति का त्यौहार मंगलवार के दिन मनाया जाएगा, जिस वजह से आपको हनुमान जी की उपासना का भी असीम फल प्राप्त होगा।
कुंभ संक्रांति की पूजा विधि
कुंभ संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर, श्रीहरि विष्णु का स्मरण करें और गंगा स्नान करें या फिर इसके अलावा किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। यदि किसी पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो सके तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। स्नान करने के उपरांत तिल मिलाकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें। फिर मंदिर में फल, पुष्प अर्पित कर धूप, दीप जलायें और भगवान सूर्य का जाप करें। इस दिन सूर्य मंत्र का जाप करने के साथ सूर्य चालीसा औरआदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी कुंडली में स्थित सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद किसी गरीब और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को और पंडित को दान जरूर दें। इसके अलावा अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्त्रों का दान भी करें।
इन चीज़ों के दान से चमक जायेगी आपकी किस्मत
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ गरीब लोगों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देने का विशेष महत्व माना गया है। इन चीज़ों के दान से आपकी किस्मत चमक जायेगी और आपको सफलता अवश्य मिलेगी। आइये जानते हैं कुंभ संक्रांति के दिन किन चीज़ों का दान करना शुभ माना जाता है?
कुंभ संक्रांति पर करें तिल का दान
डेरा नसीब दा के महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार कुम्भ संक्रांति के दिन काले तिल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से भगवान सूर्य देव के साथ-साथ शनि देव की कृपा भी प्राप्त होती है। व्यक्ति को आरोग्य के साथ-साथ सूर्य दोष से भी छुटकारा मिल सकता है और जीवन में अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति पर अन्न का दान करें
कुंभ संक्रांति के दिन अन्न का दान करना भी शुभ होता है इसलिए इस दिन अन्न का दान अवश्य करें। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने बताया कि कुंभ संक्रांति के दिन अन्न का दान करने से आपके घर में अन्न का भंडार कभी ख़ाली नहीं होता और आपके घर में हमेशा बरकत होती है।
कुंभ संक्रांति पर गुड़ का दान करें
अगर आपके घर में कोई व्यक्ति बार-बार बीमार होता है तो कुंभ संक्रांति के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को गुड़ का दान जरूर करें। ऐसा करने से बीमार व्यक्ति की सेहत अवश्य ठीक हो जायेगी।
कुंभ संक्रांति पर तांबे का दान करें
ज्योतिष शास्त्र में तांबे को सूर्य की धातु कहा गया है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन तांबा या तांबे के बर्तन दान करना शुभ होता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।इसके अलावा आप इस दिन जरूरतमंदों को घी, लाल वस्त्र, गेहूँ और लाल फूल का दान भी कर सकते हैं। महान ज्योतिष महंत श्री पारस जी ने बताया कि सूर्यदेव को लाल रंग बेहद प्रिय ��ै इसलिए कुंभ संक्रांति के दिन लाल रंग के कपड़े का दान करना शुभ माना जाता है।
कुंभ संक्रांति का महत्व
कुंभ संक्रांति का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह हिन्दू धर्म और हिन्दू परंपरा में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो कि मकर संक्रांति के बाद होता है। साथ ही यह त्यौहार, सामाजिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता को प्रोत्साहित करता है। पारस परिवार के मुखिया महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि कुंभ संक्रांति पर्व के दिन स्नान-दान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह उन सभी लोगों को एक साथ लाता है, जो अलग-अलग धर्म, जाति, और परंपराओं से संबंधित होते हैं। इस दिन को कुंभ स्नान के रूप में जाना जाता है, जो धार्मिक और सामाजिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह त्योहार लोगों को सामूहिक एकता की भावना से भर देता है और उन्हें धर्म, संस्कृति, और सामाजिक मूल्यों के प्रति समर्पित बनाता है। महंत श्री पारस भाई जी का मानना है कि इस विशेष दिन पर सूर्य देव की उपासना करने से सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति के दिन इन मंत्रों का करें जाप
यदि आप किसी भी तरह से परेशान हैं तो इन मंत्रों के जाप से आपकी सारी परेशानियां दूर हो जायेंगी।
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ आदित्याय नमः
यह त्यौहार आत्मिक और धार्मिक उन्नति में मदद करता है
कुंभ संक्रांति पर लाखों लोग तीर्थयात्रा करते हैं और संगम स्थलों में स्नान करते हैं, जो उनके आत्मिक और धार्मिक उन्नति में मदद करता है। इस दिन को अपने आपको बदलने और अपनी आत्मा को शुद्ध करने का उत्कृष्ट मौका माना जाता है, जो लोगों को सच्चे और ईश्वर के निकट ले जाता है। कुंभ संक्रांति के दौरान गायों को दान देना भी काफी शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी का जितना महत्व है उतना ही महत्व संक्रांति तिथि का भी होता है। देवी पुराण में कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो स्नान नहीं करता उसे कई जन्मों तक दरिद्रता में जीवन गुजारना पड़ता है। संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान जरूर करें और गरीबों को भोजन कराएं। सूर्य देव हनुमान जी के गुरु माने जाते हैं, जिस वजह से इस दिन सूर्य देव के साथ हनुमान जी की उपासना करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होगा।
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ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का खेल महंत श्री पारस भाई जी से समझे
बुध
बुध ग्रह को ग्रहों का राजकुमार माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बुध का जन्म चन्द्रमा और देवगुरु बृहस्पति की पत्नी तारा से हुआ। बुध व्यक्ति के ज्ञान को बढ़ाने वाला ग्रह है। यह ग्रह व्यक्ति को सोचने समझने में या किसी चीज की पहचान करने में और अपने विचार व्यक्त करने में मदद करता है। यह छोटा सा ग्रह है लेकिन तेज तर्रार ग्रह है। यह कन्या राशि में उच्च व मीन राशि में नीच के होते है। यह उत्तर दिशा का स्वामी है। सूर्य व शुक्र इसके मित्र हैं वहीं मंगल और चंद्रमा से शत्रुता रखता है। बृहस्पति और शनि इसके सम ग्रह हैं। जिन लोगों का बुध अच्छा होता है, वे संचार के क्षेत्र में सफल होते हैं। वहीं यदि जातक की कुण्डली मे बुध की स्थिति कमज़ोर होती है तो जातक को तर्कशक्ति, बुद्धि और संवाद में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
जानेमाने ज्योतिषी और महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि बुध ग्रह मस्तिष्क से संबंधित है। यह ज्ञान तथा बुद्धि देने वाला है जिससे हम एक सार्थक जीवन यापन करते हैं। मतलब वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, गणित, तर्क, संचार और चतुरता का कारक माना गया है। कुंडली में बुध की सही स्थिति होने पर यह अपने से संबंधित घटकों के प्रभाव को बढ़ा देता है और सही स्थान पर न होने पर आपको संबंधित क्षेत्र में सचेत रहने की आवश्यकता है। बुध का स्थान ही दिखाता है कि व्यक्ति किस तरह से लोगों से संपर्क करता है और वह क्या बनना चाहता है। बुध ग्रह, जातक को किसी भी परिस्थिति में ढलने की कला देता है। बुध ग्रह मस्तिष्क से संबंधित है। यह ज्ञान तथा बुद्धि देने वाला है जिससे हम एक सार्थक जीवन यापन करते हैं। मतलब वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, गणित, तर्क, संचार और चतुरता का कारक माना गया है।
बुध एक तटस्थ ग्रह है इसलिए यह जिस भी ग्रह की संगति में आता है उसी के अनुसार ही व्यक्ति को इसके परिणाम मिलते हैं। बुध किस जातक पर क्या प्रभाव छोड़ेगा यह सब उस व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। जातक की कुंडली में जिस स्थान पर बुध होगा वो स्थान बतायेगा कि वह जातक या व्यक्ति अपने गुणों का किस तरह इस्तेमाल करेगा। बुध ग्रह अपने गुणों के साथ-साथ जिस ग्रह के साथ बैठता है उसके भी फल प्रदान करता है। बुध महादशा 17 वर्ष की होती है। बुध प्रभावित व्यक्ति हास्य प्रेमी होते हैं और मजाक करना पसंद करते हैं।
ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से बुध को आश्लेषा,ज्येष्ठा,रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। बुध सफल व्यापार करने की क्षमता प्रदान करते हैं। यदि बुध ग्रह अच्छा होगा तो जातक कई भाषाओं का ज्ञाता हो सकता है। यह आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं और वाणिज्य और कारोबार में सफल होते हैं।
बुध ग्रह मनुष्य के हृदय में बसता है। ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह का प्रिय रंग हरा है। रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार बुध वाणिज्य, चोरी तथा यात्रा का देवता है। ग्रीक भाषा में इसे परमेश्वर का दूत कहा गया है। बुध हमारे नाड़ी तंत्र को भी नियंत्रित करता है और व्यक्ति को अतिसंवेदनशील बना��ा है। बुध ग्रह के अच्छे फल के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और गणेश जी की आराधना करें। बुध कमजोर होने पर बुध यंत्र का उपयोग करें। दान करने से आपको फायदा मिल सकता है। सप्ताह में बुधवार का दिन बुध को समर्पित है।
बृहस्पति
ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु के नाम से भी जाना जाता है। बृहस्पति को महाऋषि अंगीरा का पुत्र माना जाता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है और इन प्रभावों का असर हमारे जीवन पर पड़ता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार बृहस्पति को बहुत लाभदायी ग्रह माना जाता है। यानि जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। सभी ग्रहों में गुरु बृहस्पति सबसे उच्च और बड़ा ग्रह माना गया है यही वजह है कि बृहस्पति ग्रह को देवगुरु भी कहते हैं।यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है और कर्क इसकी उच्च राशि है वहीं मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति को बहुत लाभदायी ग्रह माना जाता है। यानि जातकों को इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रहों में गुरु बृहस्पति सबसे उच्च और बड़ा ग्रह माना गया है यही वजह है कि बृहस्पति ग्रह को देवगुरु भी कहते हैं।
संतान सुख, वैवाहिक जीवन सुखी, मान सम्मान और धन दौलत आदि के लिए देव गुरु बृहस्पति ग्रह का मजबूत होना सबसे जरूरी बताया जाता है। गुरु को शिक्षा, अध्यापक, धर्म, बड़े भाई, दान, परोपकार, संतान, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, वृद्धि, धन और पुण्य आदि का कारक माना जाता है। बृहस्पति ग्रह को स्वतंत्रता, सहनशक्ति और खुशहाली का ग्रह माना जाता है। जिस भी जातक की कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत हो तो वह जातक ज्ञान के क्षेत्र में हमेशा आगे होता है और इसके साथ ही उस व्यक्ति को जीवन में संतान सुख की प्राप्ति होती है।
जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह क�� कृपा होती है उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है और वह व्यक्ति सदैव सत्य के रास्ते पर चलता है। बृहस्पति ग्रह को पीला रंग प्रिय है। कुंडली में यदि कोई भाव कमज़ोर है और उस पर गुरु की कृपा दृष्टि पड़ जाए तो वह भाव मजबूत हो जाता है। बृहस्पति ग्रह को किस्मत वालों के ग्रह के रूप में देखा जाता है। बृहस्पति ग्रह ही जीवन के धार्मिक पहलुओं, सफलता, खुशियों, सपनों, ज्ञान और योग्यता का प्रतीक है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बृहस्पति की अच्छी स्थिति मनुष्य का भाग्य बदल देती है लेकिन यदि यह सही जगह न हो तो व्यक्ति को सतर्क रहने की जरूरत है।
शुक्र
वैदिक ज्योतिष में शुक्र एक बेहद महत्वपूर्ण ग्रह हैं जो कि सप्तम भाव यानी कि पत्नी के भाव के कारक होते हैं। शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी होते हैं। महंत श्री पारस भाई जी ने शुक्र ग्रह के बारे में बताया कि जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र अच्छे होते हैं वह व्यक्ति जीवन में भौतिक और शारीरिक सुख-सुविधाओं का लाभ उठाता है। शुक्र ग्रह को सबसे चमकीले ग्रह के रूप में जाना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र अच्छे होते हैं वह व्यक्ति जीवन में भौतिक और शारीरिक सुख-सुविधाओं का लाभ उठाता है। यदि व्यक्ति विवाहित है तो उसका वैवाहिक जीवन सुखी व्यतीत होता है। वहीं यदि शुक्र कुंडली में कमज़ोर हो तो जातक को विवाह में अशुभ परिणाम मिलते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह का प्रभाव सकारात्मक रहता है यानी शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं वे व्यक्ति बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं।
शुक्र विवाह, सौन्दर्य, प्रेम, रोमांस, संगीत, काम वासना, भौतिक सुख-सुविधा, पति-पत्नी,कला, प्रेमिका, मनोरंजन, करिश्मा, सुविधा, आरामदायक चीज़ों, फ़ैशन, वैभव और ऐशोआराम आदि का कारक होता है।
यानि यह ग्रह आनंद, सामाजिक संबंधों, शादी और अन्य प्रकार की भागीदारी से संबंधित है। शुक्र हमें प्यार की कीमत और क्षमता का अहसास करवाता है। किसी व्यक्ति के जीवनसाथी के चुनाव पर भी शुक्र के स्थान का गहरा प्रभाव पड़ता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शुक्राचार्य को ऋषि भृगु का पुत्र माना जाता है। वे राक्षसों के गुरु हैं। शुक्र ग्रह मीन राशि में उच्च हो होते हैं वहीं कन्या राशि में नीच के हो जाते हैं। मीन राशि द्वादश भाव की राशि होकर शैया सुख को दर्शाती है यही वजह है कि शुक्र वहां उच्च होकर जीवन में अच्छे परिणाम देते हैं। कन्या राशि छठे भाव मतलब प्रतिस्पर्धा के भाव की राशि है इसी कारण शुक्र वहां नीच होकर अच्छे परिणाम नहीं देते हैं।
यदि व्यक्ति को किसी कार्य में अचानक से लगातार सफलताएं मिलने लगे तो समझिए यह मजबूत शुक्र के संकेत हैं। शुक्र प्यार की ओर झुकाव का भी सूचक है। यह व्यक्तियों के प्रति हमारे आकर्षण और चुनाव को दर्शाता है। शुक्रवार का दिन इसे प्रिय है और इसका शुभ रंग सफेद है। कन्याओं की सेवा करने से शुक्र प्रसन्न हो��ा है। अगर शुक्र पीड़ित हो या आपको अच्छे फल नहीं दे रहा है तो शुक्रवार के दिन श्री सूक्त का पाठ कर कन्याओं को रबड़ी का भोग दें और कन्याओं या शादीशुदा स्त्रियों की मदद करें। कमजोर शुक्र को मजबूत करने के लिए वृषभ और तुला राशि के जातकों को हीरा धारण करना चाहिए |
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‼️ 7 मुखी रुद्राक्ष : सात मुखी रुद्राक्ष के हैं कई चमत्कारी फायदे, ऐसे करें धारण ‼️
📍सात मुखी रुद्राक्ष का महत्व :
सात मुखी रुद्राक्ष को देवी महालक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. सात मुखी रुद्राक्ष बेहद खास और प्रभावशाली रुद्राक्ष है. इसको धारण करने से आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है और देवी लक्ष्मी की कृपा होती है. महाशिव पुराण के अनुसार, सात मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति पर शनि ग्रह की शुभ दृष्टि और विशेष कृपा प्राप्त होती है. अगर आपकी कुंडली में शनि की दशा कमजोर हो या घर में आर्थिक तंगी चल रही हो तो सातमुखी रुद्राक्ष आपको लाभ दे सकता है. लेकिन इसको धारण करने से पहले सभी नियम अच्छी तरह जान लेने चाहिए.
📍रुद्राक्ष धारण करने के नियम रुद्राक्ष कोई भी उसको धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक और पवित्र होना चाहिए. सात मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को भी अच्छे आचरण का पालन करना चाहिए. भगवान शंकर का ही स्वरुप रुद्राक्ष है इसलिए सात मुखी रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को भगवान शिव में गहरी आस्था रखनी चाहिए. शिव भक्तों के लिए रुद्राक्ष का महत्त्व बहुत अधिक है.रुद्राक्ष धारी व्यक्ति को मांस, शराब या अन्य नशीले पदार्थों से भी दूर रहना चाहिए.
📍किसे धारण करना चाहिए सात मुखी रुद्राक्ष वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सातमुखी रुद्राक्ष का स्वामी शनि ग्रह है. जब कुंडली में शनि कि स्थिति कमजोर और अस्त व्यस्त हो तो यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करें. इससे धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. सात मुखी रुद्राक्ष मकर और कुम्भ राशि के जातकों के लिए अत्यंत लाभकारी है. सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने के बाद व्यक्ति के जीवन कि सभी आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं. सातमुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से कर्ज की स्थिति से मुक्ति मिलती है और गरीबी दूर हो जाती है.
▪︎ Contact: +91 98714 16581
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कुंभ लगन मकर राशि में सूरय राहू 9 घर तुला राशि में प्रभाव क्या होगा।?
कुंभ लग्न में जन्मे व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और राहू नौवें भाव में हैं, और तुला राशि में स्थित हैं। इस स्थिति में सूर्य और राहू का प्रभाव निम्नलिखित हो सकता है:
सूर्य (नौवें भाव में): नौवें भाव धर्म, यात्रा, धन, भाग्य, गुरुजनों, धार्मिक आस्था और अध्ययन का भाव होता है। सूर्य का यहां स्थित होना जीवन में धार्मिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की प्रेरणा और धर्मिक गतिविधियों में सक्रियता की प्रेरणा देता है। व्यक्ति को धर्म के प्रति उत्साही बनाता है और उसे अच्छे कर्मों के माध्यम से अच्छे भाग्य की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।
राहू (नौवें भाव में): राहू का नौवें भाव में स्थान धर्म, भाग्य, यात्रा, विदेश जाने की प्रवृत्ति, और धार्मिक विचारों को संदर्भित करता है। यह स्थिति व्यक्ति को अनुभव से सीखने और आध्यात्मिक या धार्मिक संस्कृति में अध्ययन करने की प्रेरणा देती है। हालांकि, राहू की नकारात्मक प्रभावों को भी ध्यान में रखना चाहिए, जैसे कि अस्थिरता, असंतुलन, और अनियमितता।
तुला राशि में: तुला राशि विचारशीलता, सामंजस्य, और संतुलन की राशि है। इसका प्रभाव विचारशीलता, कल्पना, कलात्मकता, और सामंजस्यपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देता है। इस स्थिति में सूर्य और राहू को तुला राशि की संवेदनशील और कल्पनाशील शक्ति का प्रभाव मिलता है।
इस प्रकार, यह स्थिति व्यक्ति को धार्मिकता, धार्मिक अनुभव, और धर्मिक यात्राओं की ओर आकर्षित कर सकती है, साथ ही उसे विचारशीलता, कल्पनाशीलता, और सामंजस्यपूर्ण संबंधों में सामर्थ्य भी दे सकती है। यहाँ भी, यहां दी गई जानकारी केवल सामान्य लक्षण हैं और व्यक्ति की पूर्ण कुंडली का विश्लेषण करने के लिए http://Thekundli.com परामर्श लेना हमेशा उत्तम होता है।
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मंगल दोष किन स्थितियों में स्वतः शांत हो जाता है?
मंगल दोष का मुख्य उत्पन्न स्थान सप्तम भाव (विवाह भाव) में होता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका प्रभाव कम हो सकता है या शांत हो सकता है। मंगल दोष को लगातार बना रहने पर व्यक्ति के विवाह और दांपत्य जीवन में कुछ चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
यहां कुछ स्थितियां हैं जिनमें मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है:
मंगल का स्वभाविक बल:अगर किसी के जन्मकुंडली में मंगल को अपनी राशि (मेष, वृष्टि, मकर) या केन्द्र भावों में उच्च स्थिति मिलती है, तो इसे स्वभाविक बल मिलता है और मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
कुंडली में शुक्र दोष:अगर किसी की कुंडली में शुक्र दोष हो, तो मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है। शुक्र की शुभ स्थिति में होना और उसकी शुभ दशाएं भी मंगल दोष को प्रभावित कर सकती हैं।
मंगल की नीच स्थिति:कुछ ज्योतिषीय परंपराएं मानती हैं कि अगर मंगल की कुंडली में नीच स्थिति मिलती है, तो भी मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
अनुकूल ग्रहों की दशा:कुछ विशेष ग्रहों की दशा में मंगल दोष का प्रभाव कम हो सकता है, और अनुकूल ग्रहों की महादशा में व्यक्ति को सुख और समृद्धि मिल सकती है।
कुंडली में योग और दोषों का संतुलन:व्यक्ति की कुंडली में योग और दोषों का संतुलन भी महत्वपूर्ण है। यदि कुंडली में शुभ योग हो जैसे कि गजकेसरी योग, राजयोग, तो इसका प्रभाव मंगल दोष को संतुलित कर सकता है।
यह जरूरी है कि व्यक्ति को अपनी कुंडली को कुंडली चक्र प्रोफेशन २०२२ सॉफ्टवेयर का प्रयोग का कर सकता है। ताकि उन्हें सही और व्यक्तिगत सलाह मिल सके।
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कल कुंभ संक्रांति पर जरूर करें ये दान, मिलेगा कुंडली के हर दोष से छुटकारा। Kumbh Sankranti 2024
13 फरवरी, मंगलवार को ग्रहों के राजा सूर्य देव/Sun मकर राशि से निकल कर अपने पुत्र के घर यानी कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं।
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राशिफल आज: 6 दिसंबर, 2022 के लिए ज्योतिषीय भविष्यवाणी
राशिफल आज: 6 दिसंबर, 2022 के लिए ज्योतिषीय भविष्यवाणी
सभी राशियों की अपनी विशेषताएं और लक्षण होते हैं जो किसी के व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं। क्या यह मददगार नहीं होगा यदि आप अपने दिन की शुरुआत इस बारे में पहले से ही जानते हुए करें कि आपके रास्ते में क्या आने वाला है? यह जानने के लिए पढ़ें कि क्या आज का दिन आपके पक्ष में रहेगा। मेष (21 मार्च -20 अप्रैल) निवेश, विशेषकर रियल एस्टे�� के मामले में यह एक लाभदायक दिन है। आज पारिवारिक मिलन का योग है।…
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Mangal Ka Gochar: मंगल का 05 फरवरी 2024 को मकर राशि में गोचर विश्व समेत इन राशियों को कैसे करेंगे मालामाल?
मंगल का 05 फरवरी 2024 को मकर राशि में गोचर(Mangal Ka Gochar): विश्व समेत इन राशियों को कैसे करेंगे प्रभावित? मंगल का मकर राशि में गोचर(Mangal Ka Gochar): विश्व समेत सभी राशियों को कैसे करेंगे प्रभावित?
05 फरवरी 2024 को मकर राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं और इनके इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ेगा।
Mangal Ka Gochar, मंगल का मकर राशि में गोचर का समय: ज्योतिष में मंगल ग्रह शनिदेव की राशि मकर, उत्तराषाढा नक्षत्र के 2 रे चरण में 5 फरवरी 2024 (सोमवार) रात को प्रवेश 9:56 बजे (IST) पर पवेश करेंगे जिसमे यह 15 मार्च 2024 तक मकर राशि में ही रहेंगे और फलित के लिए नक्षत्र और उनके के चरण का प्रभाव समय - समय पर अलग होगा । जैसे कि मंगल और शनि को एक-दूसरे के मित्र नहीं माना गया है, लेकिन मंगल ग्रह इस राशि में उच्च के हो जाते हैं। मंगल का यह गोचर आपकी राशि, देश और दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा। मंगल का ये गोचर काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्योंकि मंगल को महत्वाकांक्षा का ग्रह माना जाता है। ऐसे में मकर राशि में जाने से जातकों को हर क्षेत्र में सफलता के साथ अपनी एक पहचान बनाने में कामयाब हो सकते हैं।
Mangal Ka Gochar, मंगल का मकर राशि में गोचर का प्रभाव: वैदिक ज्योतिष में देखा गया है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की स्थिति मकर राशि में दिखाई देती है तो यह अनुकूल होती है। मंगल एक मजबूत और शक्तिशाली ग्रह है जो अपने निवासियों को तप और दयालुता प्रदान करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मकर राशि में मंगल होने से व्यक्ति को धैर्य और दीर्घकालिक लाभ मिलता है। मकर राशि में बैठा मंगल दूसरों में रचनात्मकता (new ideas) और और आत्मनिर्भर बनाने का काम करते हैं। साथ ही, इन लोगों को मंगल देव की कृपा से नाम, प्रसिद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
वैदिक ज्योतिष में, जन्म कुंडली के दसवें घर पर मकर राशि का शासन होता है। कुंडली में दसवां घर पद, सम्मान और करियर जैसी चीजों का प्रतिनिधित्व करता है। यह उन उपलब्धियों और उद्देश्यों को भी प्रदर्शित करता है जिन्हें जीवन में पूरा करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, दसवें घर को ज्योतिष में कर्म भाव के रूप में भी जाना जाता है, जो किसी व्यक्ति ��्वारा किए जा रहे कार्य, कर्म और दायित्वों को दर्शाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दशम भाव को कर्म का भाव माना जाता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल और मकर राशि मजबूत स्थिति में होते हैं तो इन दोनों का योग उन्हें लाभ पहुंचाता है। इस मामले में, उनसे अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए कुंडली में मंगल और मकर की स्थिति की जांच करना आवश्यक है।
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आज का राशिफल
#Prediction
मेष नए लोगो से जुड़े
वृषभ बहस से बचे
मिथुन बाहर न खाए
कर्क खर्च अधिक
सिंह आलास त्यागे
कन्या बहस से बचे
तुला बदलाव को स्वीकारे
वृश्चिक शांति रखे लक्ष्य पर ध्यान दे
धनु समय बर्बाद न करे
मकर जल्द निर्णय न ले
कुंभ परिवार संग समय बिताए
मीन जमीन के मामले सुलझाए
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Free Kundali Game with Numerology Matchmaking in India
कुंडली गेम (Kundali Game)
कुंडली गेम का मतलब जन्म कुंडली या राशिफल मिलान से है, खासकर विवाह के संदर्भ में। यह भारतीय ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां वर और वधू की कुंडलियों का मिलान किया जाता है। इसमें ग्रहों की स्थिति, गुण मिलान, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर अनुकूलता की जांच की जाती है free kundali game ताकि विवाह सुखी और सफल हो सके।
आज का मेष राशिफल (Aries Horoscope Today) – Prokerala
न्यूमेरोलॉजी मैचमेकिंग (Numerology Matchmaking)
न्यूमेरोलॉजी मैचमेकिंग जन्म तारीख और नाम के आधार पर दो व्यक्तियों के बीच अनुकूलता की जांच करने की प्रक्रिया है। न्यूमेरोलॉजी के अनुसार, हर नंबर का एक अलग महत्व और प्रभाव होता है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व और जीवन पथ को प्रभावित करता है। यह तरीका खासकर रिश्तों, जैसे कि विवाह के लिए, बहुत उपयोगी है क्योंकि यह दोनों व्यक्तियों के बीच की ताकत और कमजोरियों को numerology match making सामने लाता है।
विवाह तिथि कैलकुलेटर (Marriage Date Calculator by Date of Birth)
ज्योतिष और राशि चक्र (Astrology and Zodiac Signs)
ज्योतिष ग्रहों और तारों की स्थिति का अध्ययन है, जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। राशि चक्र 12 राशियों में बंटा होता है, और हर राशि का अपना अलग समय और विशेषताएं होती हैं। राशि चक्र के 12 संकेत astrology and zodiac sign और उनके तिथियाँ हैं:
मेष (21 मार्च – 19 अप्रैल)
वृषभ (20 अप्रैल – 20 मई)
मिथुन (21 मई – 20 जून)
कर्क (21 जून – 22 जुलाई)
सिंह (23 जुलाई – 22 अगस्त)
कन्या (23 अगस्त – 22 सितंबर)
तुला (23 सितंबर – 22 अक्टूबर)
वृश्चिक (23 अक्टूबर – 21 नवंबर)
धनु (22 नवंबर – 21 दिसंबर)
मकर (22 दिसंबर – 19 जनवरी)
कुंभ (20 जनवरी – 18 फरवरी)
मीन (19 फरवरी – 20 मार्च)
प्रत्येक राशि का अपना विशेष प्रभाव और व्यक्तित्व गुण होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। ज्योतिष और राशि चक्र का ज्ञान आपको स्वयं को बेहतर समझने और जीवन में सही निर्णय लेने में मदद करता है।
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