Tumgik
#किसान विरोध आज समाचार
lok-shakti · 2 years
Text
बीकेयू (एकता-सिद्धूपुर) प्रमुख डल्लेवाल का आमरण अनशन चौथे दिन में प्रवेश कर गया; सरकारी अधिकारियों ने उनसे विरोध समाप्त करने का अनुरोध किया
बीकेयू (एकता-सिद्धूपुर) प्रमुख डल्लेवाल का आमरण अनशन चौथे दिन में प्रवेश कर गया; सरकारी अधिकारियों ने उनसे विरोध समाप्त करने का अनुरोध किया
ट्रिब्यून समाचार सेवा बलवंत गर्ग फरीदकोट, 22 नवंबर भारती किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल ने मंगलवार को चौथे दिन भी आमरण अनशन जारी रखा, वहीं वरिष्ठ पुलिस और सिविल अधिकारियों ने किसान नेता को फरीदकोट में अनशन खत्म करने के लिए राजी करने की कोशिश की। जसकरन सिंह, आईजीपी, फरीदकोट के एसएसपी राज पाल संधू के साथ आज डल्लेवाल से मिले और उनसे अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया…
View On WordPress
0 notes
jaksnews · 4 years
Text
21 वीं सदी के भारत के लिए फार्म बिल की जरूरत है, 'विरोध के बीच पीएम मोदी कहते हैं
21 वीं सदी के भारत के लिए फार्म बिल की जरूरत है, ‘विरोध के बीच पीएम मोदी कहते हैं
[ad_1]
द्वारा: एक्सप्रेस वेब डेस्क | नई दिल्ली | Updated: 21 सितंबर, 2020 1:49:09 अपराह्न
Tumblr media Tumblr media
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीसोमवार ने कहा कि संसद द्वारा पारित कृषि सुधार बिल “21 वीं सदी के भारत के लिए आवश्यक है। किसानों के डर से, मोदी ने कहा, “मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि ये कानून कृषि it मंडी के खिलाफ नहीं हैं”, यह हमेशा…
View On WordPress
0 notes
mwsnewshindi · 2 years
Text
किसानों के विरोध के आगे दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाई गई
किसानों के विरोध के आगे दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाई गई
बेरोजगारी के खिलाफ आज जंतर-मंतर पर किसानों का धरना प्रस्तावित है। नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी। किसानों का विरोध जंतर मंतर पर बेरोजगारी के खिलाफ उत्तर-पश्चिम दिल्ली और गाजीपुर सीमा पर स्थित सिंघू सीमा पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं। इससे पहले, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) – किसानों की एक छतरी संस्था – ने अपनी लंबित मांगों…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
insolubleworld · 3 years
Text
किसान नेता राकेश टिकैत के लिए 'घर वापसी', 383 दिन बाद दिल्ली सीमा से आए समर्थक | दिल्ली समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
किसान नेता राकेश टिकैत के लिए ‘घर वापसी’, 383 दिन बाद दिल्ली सीमा से आए समर्थक | दिल्ली समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
गाजियाबाद : यह एक तरह की ‘घर वापसी’ है. किसान नेता राकेश टिकैत और उनके समर्थक बुधवार को दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर से अपने घरों के लिए रवाना हो गए, जो 383 दिनों के लिए उनका आवास बन गया था। यह केंद्र के साथ एक प्रतिष्ठित लड़ाई के बाद आया है जिसके परिणामस्वरूप विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया। गाजीपुर सीमा पर ‘घर वापसी’ को जश्न के माहौल के साथ चिह्नित किया गया था, जहां…
View On WordPress
0 notes
Text
'खीरी हिंसा की योजना': कोर्ट एसआईटी से सहमत | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
‘खीरी हिंसा की योजना’: कोर्ट एसआईटी से सहमत | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
बरेली : मामले की जांच कर रही एसआईटी के एक दिन बाद लखीमपुर खीरी हिंसा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को आवेदन स्वीकार कर लिया और कहा कि यह एक “सुनियोजित साजिश” थी और हत्या के प्रयास के तहत आरोप, अन्य के अलावा, 13 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र में जोड़ा गया था। इससे कनिष्ठ गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष और अन्य सह-आरोपियों के लिए भी रास्ता साफ हो गया है. हत्या के प्रयास का आरोप.…
View On WordPress
0 notes
currentnewsss · 3 years
Text
किसानों की छुट्टी आज : अलविदा, सिंघू
किसानों की छुट्टी आज : अलविदा, सिंघू
11 दिसंबर को किसानों के घर जाने से एक दिन पहले, एक साल से अधिक समय के बाद विशाल सिंघू सीमा विरोध स्थल को पीछे छोड़ने की तैयारी भावनाओं से भर गई थी। नवंबर 2020 में जीटी करनाल रोड पर हरियाणा के साथ दिल्ली की सीमा पर विरोध स्थल बनने के बाद से, प्रदर्शनकारियों ने उस राजमार्ग पर अस्थायी घरों की स्थापना की है, जो मौसम के मौसम के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं के साथ है। सिंघू का दृश्य किसान अपनी आखिरी रात…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
mrdevsu · 3 years
Text
Rakesh Tikait बोले- 'अल्लाह-हु-अकबर' बयान पर किया गया ट्रोल, फोन नंबर कर दिया सार्वजनिक
Rakesh Tikait बोले- ‘अल्लाह-हु-अकबर’ बयान पर किया गया ट्रोल, फोन नंबर कर दिया सार्वजनिक
करनाल किसान विरोध राकेश टिकैत: करनाल (करनाल) में प्रदर्शन का प्रदर्शन चल रहा है। पुलिसवाले काम करने वाले व्यक्ति किसान की मृत्यु (मृत्यु) खेती में आने वाली है। टीवी का कह रहे हैं कि दिल्ली के हर पर्लवं (विरोध) चल रहा है। करना शुरू कर दिया है। . ये इस तरह से तैयार किए गए हैं। पर्यावरण के प्रभाव में है। टांके लगाने के लिए इस घटना में शामिल होने के लिए. पुलिस को भी नियंत्रित किया गया था। टिकैत…
View On WordPress
0 notes
Text
हिंसा के एक दिन बाद, हरियाणा के किसानों ने सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए महापंचायत का आयोजन किया
हिंसा के एक दिन बाद, हरियाणा के किसानों ने सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए महापंचायत का आयोजन किया
किसानों का विरोध : किसान कर रहे हैं धरना mahapanchayat हरियाणा के नूंह में नई दिल्ली: एक दिन बाद हरियाणा पुलिस लाठी आरोपित किसान करनाल जिले के घरौंदा टोल प्लाजा पर प्रदर्शन कर रहे किसान mahapanchayat नूंह में किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता – छत्र निकाय जिसके तहत कई किसान समूह कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए एकजुट हुए हैं – और भारतीय किसान संघ, जिसमें डॉ दर्शन पाल, राकेश…
View On WordPress
0 notes
lok-shakti · 3 years
Text
सिंघू सीमा पर किसानों का प्रदर्शन: 'लड़ाई जारी रहेगी...पीछे ज��ने का मन नहीं'
सिंघू सीमा पर किसानों का प्रदर्शन: ‘लड़ाई जारी रहेगी…पीछे जाने का मन नहीं’
आंदोलन पर निर्णय लेने के लिए गुरुवार को सिंघू सीमा पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक से कुछ घंटे पहले, किसानों को पता था कि क्या आ रहा है। उन्होंने अपने ट्रैक्टर ट्रॉलियों को ढकने वाले तिरपाल की चादरों को नीचे खींचकर पैकअप करना शुरू कर दिया। सरकार के एसकेएम की प्रमुख मांगों पर सहमति के साथ, कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के आंदोलन के केंद्र में विरोध स्थल पर हर कोई जानता था कि यह घर लौटने का…
View On WordPress
0 notes
jaksnews · 4 years
Text
किसानों का विरोध लाइव अपडेट: सरकार ने कहा कि बातचीत के लिए तैयार है, किसानों को विरोध स्थल पर स्थानांतरित करने के लिए कहता है
किसानों का विरोध लाइव अपडेट: सरकार ने कहा कि बातचीत के लिए तैयार है, किसानों को विरोध स्थल पर स्थानांतरित करने के लिए कहता है
[ad_1]
Tumblr media Tumblr media
शनिवार को सिंघू में दिल्ली सीमा पर किसान। (एक्सप्रेस फोटो: प्रवीण खन्ना)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को किसानों से अपील की कि वे अपना विरोध प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के बरारी मैदान में शिफ्ट हो जाएं और कहा कि केंद्र निर्धारित स्थान पर जाते ही उनके साथ चर्चा करने के लिए तैयार है।
शाह की पेशकश जेजेपी के बाद आई, जो हरियाणा में भाजपा की प्रमुख सहयोगी है, ने केंद्र…
View On WordPress
0 notes
vaidicphysics · 4 years
Text
जब भारत का आत्मा रो पड़ा
भारतीय गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व के पावन अवसर पर किसानों के नाम पर देश की राजधानी में जो तांडव हुआ, उसे देखकर भारत का आत्मा रो पड़ा। लाठी, तलवार व पत्थरों से जिस प्रकार आतंकवादियों वा अलगाववादियों ने पुलिस बल पर जो आक्रमण किया, उन्हें ट्रैक्टरों से रौंद रौंद कर मारने का प्रयास किया, वे जवान गंदे नाले में प्राण बचाने हेतु कूदने को विवश हुए, महिलाओं को भी नहीं छोड़ा, गाड़ियों को ही नहीं, अपितु रोगी वाहनों तक को नष्ट किया गया, क्या यह आंदोलन था? सबसे बढ़कर राष्ट्र के गौरव के प्रतीक लाल किले पर राष्ट्रध्वज का अपमान किया, उसे फेंका गया, उतारा भी गया और अपना एक पंथ विशेष का ध्वज लगा दिया, यह किसी भी प्रकार अपनी ही मां भारती के विरुद्ध युद्ध के बिगुल से कम नहीं था।
Tumblr media
भारतीय गणतंत्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ। पुलिस तथा भारत सरकार इतना सब सहन करती रही, तब यह प्रश्न उठता है कि क्या भारत इतना बेबश हो गया है, दुर्बल हो गया है कि कोई भी आतंकवादी वा अलगाववादी संगठन देश की राजधानी को बंधक बनाकर कुछ भी तांडव कर सकता है? क्या इसे किसानों का आंदोलन कहा जा सकता है? सरकार ने पुलिस के जवानों को प्रारंभ में आत्मरक्षार्थ लाठी तक नहीं दी, बेचारे मार खाते रहे। नेताओं ने अपनी कोठियों के पास पूरी सुरक्षा कर रखी थी परंतु जवानों को हिंसक भीड़ के आगे अकेला निहत्था बेवश छोड़ दिया। आंसू गैस आदि का प्रयोग भी तब हुआ, जब स्थिति अनियंत्रित हो गई।
वस्तुतः मुझे इस आंदोलन पर पूर्व से कुछ-कुछ ही संदेह था। अपने कार्य की व्यस्ततावश मैं इस विषय में अधिक कुछ जानने व समझने की इच्छा भी नहीं कर पाता, परंतु संक्षिप्त समाचार देखने से इतना तो अवगत था कि कहीं कुछ अनिष्ट अवश्य है। किसानों के समर्थन में जो नेता आ रहे थे, कभी ट्रैक्टर्स पर बैठकर किसान हितैषी होने का प्रदर्शन करते हैं, वहां जोशीले भाषण देते हैं, कभी राष्ट्रपति भवन की ओर दौड़ते हैं। क्या किसानों ने कभी उनसे यह पूछने का प्रयास भी किया कि स्वतंत्रता के पश्चातझ्झ् अधिकांश समय उन्हीं की सरकार रही है, तब उन्होंने क्यों नहीं किसानों का कायाकल्प कर दिया? क्यों नहीं आज भी उनकी राज्य सरकारें किसानों का भला कर पा रही हैं? क्यों उनके शासन में किसान आत्महत्या करते रहे हैं? किसानों ने क्यों पिछले लगभग 70 वर्षों में विभिन्न सरकारों द्वारा उनके लिए बनाई गई नीतियों का तुलनात्मक अध्ययन करने का प्रयास नहीं किया? यदि वे सभी राजनीतिक दलों को किसान विरोधी मानते हैं, तब क्यों नहीं उन्होंने अपने मंच से राजनेताओं को धक्का मार कर बाहर निकाला? जो राजनेता सदैव पाकिस्तान व चीन की भाषा बोलते हैं, आतंकवादियों व अलगाववादियों का खुलकर समर्थन करते हैं, कश्मीर में धारा 370 लगाने के अपराधी रहे हैं और आज फिर गुपकार गिरोह, के साथ मिलकर पुनः 370 धारा को बहाल करने की मांग करते हैं  और गुपकार गिरोह चीन के सहयोग, तो कोई अमेरिका के सहयोग से धारा 370 को बहाल करने की बात करते हैं, वे राष्ट्रीय इतिहास व संस्कृति का पदे पदे अपमान करते हैं, उनका किसानों का मसीहा बनने का दिखावा क्यों किसानों को दिखाई नहीं दिया? यह किसानों से भूल हुई। इसके साथ ही किसानों की भीड़ में पाकिस्तान व खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगना, अलगाववादियों के चित्र को लहराना, यह सब यही दर्शाता है कि किसानों का आंदोलन अपने मूल लक्ष्य से भटक गया और इसमें खालिस्तानी आतंकवादी, चीन व पाक के चाटुकार वामपंथी शक्तियों ने घुसपैठ कर ली। विपक्षी दल भी इस पाप में पूर्णतः सम्मिलित थे। इस आंदोलन के समर्थन में कनाडा के प्रधानमंत्री का बोलना, यूएन का बोलना, ब्रिटेन में प्रदर्शन होना, यह सब दर्शाता है कि यह आंदोलन परोक्ष रूप से कहीं बाहर से भी प्रेरित था और गणतंत्र दिवस को ही लक्ष्य बनाने की हठ कोई सामान्य बात नहीं थी, बल्कि इसमें पूर्व नियोजित भयानक षडयंत्र की गंध आती है।
यह बात नितांत सत्य है कि किसी भी देश का किसान उस देश का आत्मा है, वह अन्नदाता है, इस कारण महर्षि दयानंद सरस्वती ने किसानों को राजाओं का राजा कहा था। वे किसानों के प्रति बहुत सहृदयता रखते थे, इस कारण उन्होंने गो-कृषि आदि रक्षिणी सभा की स्थापना की थी। दुर्भाग्य से देश ने ऋषि दयानंद को नहीं समझा और किसान दुःखी ही होता रहा। कई सरकारें आयीं व गयीं परन्तु ऋषि दयानन्द को किसी ने भी महत्व नहीं दिया?
यद्यपि मोदी सरकार ने किसानों के हित में पूर्व सरकारों की अपेक्षा कुछ कदम तो उठाए ही हैं परंतु ये बिल जिस प्रकार अकस्मात् लाकर बिना चर्चा के पारित कराए, वह प्रक्रिया ही गलत थी, अधिनायकवादी थी। वे बिल किसानों के हित में हैं वा नहीं, यह मेरा विषय नहीं परंतु इतना सुना है कि जो नेता इनका अब विरोध कर रहे हैं,  वे ही पहले इन बिलों को ला रहे थे, तब भाजपा ने विरोध किया और जब भाजपा लायी, तो ये विरोध कर रहे हैं, तब सत्यवादी तो कोई दल वा नेता नहीं है। सभी सत्ता के मद में जनता के अधिकारों व वास्तविक हितों को भूल जाते हैं। आज कोरोना के नाम पर भी अघोषित आपात्काल व अधिनायकवाद चल रहा है, सत्य कोई सुनने वाला नहीं। देश बर्बाद हो गया है। कारोना काल में कुछ बडे़ पूंजीपतियों की सम्पत्ति बहुत बढ़ गयी और करोड़ों लोग बेरोजगार हो गये, करोड़ों और अधिक निर्धन हो गये, व्यापारी व विद्यार्थी आदि बर्बाद हो गये। तब भी क्या इसे कोई षड्यन्त्र मानने को उद्यत है, कोई ��ुछ सुनना चाहता है? परन्तु ��ज कुछ मत बोलो, स्वास्थ्य आपात्काल है, इसमें सत्य को भी अफवाह बताया जाता है।
सबका अन्नदाता आज भी दुःखी ही है और पूंजीवाद बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि जनता आंदोलनों के लिए भी बाध्य हो जाती है। यह आंदोलन भी इसी का परिणाम था। सरकार ने आंदोलनकारी किसानों के दबाव को देखते हुए कई चक्र की वार्ता की। किसानों को बिलों के किसी भी बिंदु पर बात करने का प्रस्ताव रखा, अनेक बातों को स्वीकार भी किया, कानूनों को स्थगित करके एक समिति भी बनाई, ��ब किसानों का कर्तव्य था कि वे आंदोलन को स्थगित कर देते, समिति के निर्णय की प्रतीक्षा करते परंतु ऐसा लगता है कि किसान नेता अराजक व अलगाववादी तत्त्वों के नियंत्रण में आ चुके थे और भोले भाले किसानों को लेकर ठंड में सड़कों पर डटे रहे। अंत में अराजक तत्त्वों ने देश के मस्तक पर यह कलंक लगा ही दिया। सरकार को इस कलंक के अपराधियों को कठोरतम दण्ड देना चाहिए। जहाँ तक बात बिलों को वापिस लेने की हठ की है, उस विषय में यह भी सत्य है कि बिल वापिस लेने से देश पर कोई संकट का पहाड़ नहीं टूटेगा, परन्तु एक आशंका यह अवश्य है कि इससे प्रेरित होकर राष्ट्रविरोधी नेता धारा 370 हटाने आदि जैसे अनेक राष्ट्रहित के कानूनों को भी रद्द करने के लिए आन्दोलन करने लग जाएंगे। इस कारण बिलों में किसान हित में आवश्यक संशोधन ही करना चाहिए। बिल वापिसी की हठ ठीक नहीं।
मैं तो सभी देशवासियों से विनती करता हूं कि देश सर्वोपरि है, इस कारण इसकी अस्मिता की रक्षा करना सबका सामूहिक उत्तरदायित्व है। सरकार व जनता दोनों को ही अपने अपने अधिकार नहीं, बल्कि कर्तव्य तथा दूसरों के अधिकारों को समझना होगा। जनता द्वारा चुनी गई सरकारों को मनमाने ढंग से कानून बनाकर देश पर थोपने से पूर्व जन भावनाओं को समझना होगा। किसानों, श्रमिकों व उद्योगपतियों के बीच मैत्रीपूर्ण समन्वय किसी भी राष्ट्र के लिए अनिवार्य है, अन्यथा राष्ट्र का अस्तित्व ही नष्ट हो सकता है। निर्धन व धनी के बीच बढ़ती दूरी अत्यंत घातक है। आज यह घातक पाप प्रवाह जोरों से चल रहा है। हाँ, एक तथ्य यह भी है कि, जो लोग अम्बानी व अडानी जैसे उद्योगपतियों को लेकर छाती पीटते हैं, वे विदेशी कम्पनीज् की चर्चा भी नहीं करते, यह क्या रहस्य है?
स्मरण रहे यह अमानवीय पाप आज प्रारंभ नहीं हुआ है, बल्कि इसके नायक श्री जवाहरलाल नेहरू ही थे। विदेशी कंपनीज् को आमंत्रित करने वाले वे ही थे। उदारीकरण, जो वास्तव में उधारीकरण की प्रक्रिया श्री नरसिंहा राव के शासनकाल में ही प्रारंभ हो गई थी, तब भाजपा व संघ दोनों ही इसके विरुद्ध थे और स्वदेशी की दुहाई दे रहे थे, परंतु दुर्भाग्य से अब वे ही विदेशी कंपनीज् के स्वागत में पलक पावडे़ बिछा रहे हैं। कभी एक ईस्ट इंडिया कंपनीज् ने देश पर क्रूर शासन किया था, आज विदेशी दवा कंपनीज् संपूर्ण विश्व पर शासन कर रही हैं। खाद, बीज, इंटरनेट आदि से जुड़ी कंपनीज् भी इसमें सहभागी हैं। कोरोना नामक कथित महामारी भी इन्हीं की देन है। सर्वत्र अंधकार है, पूंजीपति लूट मचा रहे हैं, अधिकांश कानून उन्हीं के संरक्षण के लिए होते हैं। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि देश पराधीनता की ऐसी बेड़ियों में जकड़ गया है, जो भविष्य में देश को पूर्व की पराधीनता से भी अधिक भयानक गर्त में गिर सकता है। आज मेरी यह बात सबके गले नहीं उतरेगी परंतु वह दिन दूर नहीं जब ऐसा दुर्भाग्य हमारे समक्ष आ खड़ा होगा। इधर हमारी आंतरिक समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं, उधर चीन, तुर्की व पाकिस्तान का गठजोड़ हमारे लिए संकट बढ़ाता जा रहा है। हां, इतना अवश्य है चीन के संकट के समक्ष सीना तान कर खड़ा होने का भारी साहस तो मोदी जी ने किया ही है, जो हमारे लिए गर्व की बात है, परंतु जो देश आंतरिक संकटों से निरंतर घिरता जाए और देश के अधिकांश नागरिक स्वार्थी व संकीर्ण सोच तक ही सीमित हो गये हों और सरकार अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं व बहुराष्ट्रीय कम्पनीज् के मकड़जाल में फंसने और उनसे प्रशंसा पाने को ही राष्ट्र का गौरव मानने की भूल कर रही हो, तब कोई चमत्कार ही देश को बचा सकता है।
आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक प्रमुख, श्री वैदिक स्वस्ति पन्था न्यास
5 notes · View notes
insolubleworld · 3 years
Text
राहुल गांधी: 'मार्क माय वर्ड्स': राहुल गांधी ने कृषि कानूनों पर अपना पुराना वीडियो ट्वीट किया | इंडिया न्यूज - टाइम्स ऑफ इंडिया
राहुल गांधी: ‘मार्क माय वर्ड्स’: राहुल गांधी ने कृषि कानूनों पर अपना पुराना वीडियो ट्वीट किया | इंडिया न्यूज – टाइम्स ऑफ इंडिया
NEW DELHI: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने शब्दों की एक पुरानी क्लिप को ट्वीट किया, ‘मेरे शब्दों को चिह्नित करें, सरकार को कृषि विरोधी कानूनों को वापस लेना होगा’ वायरल हो गया है। 14 जनवरी 2021 को राहुल गांधी ने ट्विटर पर आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करते हुए एक वीडियो शेयर किया था। “हमारे किसान जो कर रहे हैं उस पर…
View On WordPress
0 notes
ashutentaran · 4 years
Link
कृषि कानूनों के विरोध में आज किसान दमन विरोधी दिवस मनाएंगे। किसान सात दिन तक रोज़ाना एक खास दिवस मना रहे हैं। दमन विरोधी दिवस के दौरान किसान सभी तहसील और जिला मुख्यालयों पर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देंगे।
1 note · View note
mrdevsu · 3 years
Text
करनाल में मिनी सचिवालय के गेट पर किसानों का कब्ज़ा, राकेश टिकैत ने क्या कुछ कहा?
करनाल में मिनी सचिवालय के गेट पर किसानों का कब्ज़ा, राकेश टिकैत ने क्या कुछ कहा?
करनाल किसान विरोध प्रदर्शन 28 अगस्त को हरियाणा के लिए कारखाने में उत्पादन की अनुमति दी गई थी। अक्टूबर के सफल होने के बाद वे सफल हुए थे। प्रेक्षक. कर सौदे (कार से)। ग़लती से संक्रमित होने के मामले में. इसके ️ इसके️ इसके️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ बीते रोज़ ही करनाल समेत चार ज़िलों में 24 घंटों के लिए इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर पाबंदी लगा दी थी। इसके ️ अलावा️…
View On WordPress
0 notes
parichaytimes · 3 years
Text
पंजाब: किसान संघ का विरोध, आपराधिक मामले वापस लेने की मांग | समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
पंजाब: किसान संघ का विरोध, आपराधिक मामले वापस लेने की मांग | समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया वीडियो
31 जनवरी, 2022, 07:35 अपराह्न ISTस्रोत: TOI.in पंजाब के मोहाली में एक संयुक्त किसान संघ ने 31 जनवरी को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। संघ के सदस्यों ने मांग की कि कई किसानों के खिलाफ मामले वापस लिए जाएं। 2021 में किसान आंदोलन के दौरान मामले दर्ज किए गए थे। नवंबर 2021 में वादा किया गया था कि मामले वापस ले लिए जाएंगे लेकिन वह आज तक नहीं किया गया। . Source link
View On WordPress
0 notes
lok-shakti · 3 years
Text
भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलना 'मानवता' का कार्य: योगेंद्र यादव
भाजपा कार्यकर्ता के परिवार से मिलना ‘मानवता’ का कार्य: योगेंद्र यादव
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से निलंबित किए जाने के एक दिन बाद, सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने मृत भाजपा कार्यकर्ता के परिवार का दुख साझा करने के लिए उनसे मुलाकात की क्योंकि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। यादव को 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के परिवार से मिलने के लिए एक महीने के लिए निलंबित कर दिया गया था। यादव ने…
View On WordPress
0 notes