अपनी मांगों को लेकर आंदोलन पर डटे किसान, 'दिल्ली मार्च' पर 3 को होगा रणनीति का ऐलान
नई दिल्ली : एमएसपी समेत अलग-अलग मांगों को लेकर किसान लगातार आंदोलन में जुटे हुए हैं। हालांकि, 'दिल्ली मार्च' पर उन्होंने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। बताया जा रहा कि वो अपने अगला कदम का खुलासा 3 मार्च को कर सकते हैं। इस बीच किसान नेता मनजीत सिंह राय और जसविंदर सिंह लोंगोवाल ने अपनी मांगें पूरी होने तक 'दिल्ली चलो' आंदोलन जारी रखने पर जोर दिया। उन्होंने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शनों को और तेज करने के साथ-साथ डबवाली में धरना प्रदर्शन का ऐलान किया है।
किसान आंदोलन में आगे क्या, 3 को खुलासा
जानकारी के मुताबिक, 3 मार्च को आंदोलन कर रहे किसान खनौरी में पुलिस के साथ संघर्ष में जान गंवाने वाले किसान के लिए प्रार्थना सभा करेंगे। इसी के बाद वो अपनी आगे की कार्य योजना की घोषणा करेंगे। किसानों की मांगों में फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का कानूनी आश्वासन और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ आंसू गैस, लाठी, जहरीली गैस और गोलियों के इस्तेमाल की विरोध शामिल है। किसान नेताओं की ओर से बताया गया कि मौजूदा किसान आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा और डबवाली में धरना प्रदर्शन की योजना बनाई गई है।
किसान संगठन बोले प्रदर्शन होगा तेज
21 फरवरी को एक किसान शुभकरण सिंह की जान चली गई थी, इसी के बाद 'दिल्ली चलो' आंदोलन को कुछ समय के लिए रोक दिया गया था। इसके बाद 29 फरवरी तक किसान फिर जुटे। खनौरी शंभू बॉर्डर पर आंदोलन में जुटे रहे। इस दौरान किसान नेता जसविंदर सिंह लोंगोवाल ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस, जहरीली गैस और गोलियों के इस्तेमाल सहित दमनकारी रणनीति अपनाने को लेकर केंद्र और हरियाणा सरकारों की आलोचना की। उन्होंने अपने बच्चों को इस तरह की हिंसा से बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। सरवन सिंह पंडेर ने भी किसानों की चिंताओं को दूर करने के बजाय चुनाव जीतने पर सरकार के ध्यान की निंदा की।
सरकार के रवैये पर उठाए सवाल
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) ने सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की अपील की। बताया जा रहा कि शुभकरण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए 3 मार्च को एक सभा बुलाई गई है। इसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान शामिल होंगे। इसी के बाद किसानों के आंदोलन को लेकर आगे रणनीति सामने आएगी। http://dlvr.it/T3TtMs
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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा : राजमार्गों पर ट्रैक्टर-ट्रेलरों का उपयोग नहीं किया जा सकता
किसान संगठनों के राष्ट्रीय राजधानी तक विरोध मार्च के आह्वान से पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सैकड़ों ट्रैक्टरों के साथ शंभू सीमा पर डेरा डालने के लिए उन्हें फटकार लगाई और कहा कि राजमार्गों पर ट्रैक्टर-ट्रेलर का उपयोग नहीं किया जा सकता। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया और न्यायमूर्ति लापीता बनर्जी की पीठ ने इतनी बड़ी संख्या में किसानों को एकत्र होने की अनुमति देने के लिए पंजाब सरकार से सवाल किया।
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किसान बिलों पर विरोध
किसान आंदोलन से जुड़ी आठ बातें जिन्हें जानना ज़रूरी है मयूरेश कोन्नूर बीबीसी मराठी पिछले कई दिनों से राजधानी दिल्ल��� की सीमा पर पंजाब, हरियाणा और कुछ दूसरे राज्य के किसानों का प्रदर्शन जारी है. ये किसान अध्यादेश के ज़रिए बनाए गए तीनों नए कृषि क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इन […]किसान बिलों पर विरोध
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Haryana News: गन्ने के रेट बढ़वाने को लेकर किया प्रदर्शन, किसानो ने दी सरकार को चेतावनी
Haryana News: गन्ने के रेट बढ़वाने को लेकर किया प्रदर्शन, किसानो ने दी सरकार को चेतावनी
हरियाणा: महगाई तेजी से बढती जा रही है। किसानो को गन्ने के सही दाम नहीं मिल रहे है। किसानो ने गन्ने के रेट बढवाने की मांग लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इनता ही किसानो ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वे अनिश्चित काल धरने पर बैठ जाएंगे, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
Aapki Beti Hamari Beti Yojana: सरकार दे रही है बेटियों को हर साल पांच हजार रुपये, बस ये करना होगा काम
किसानों का…
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*कृषि कानून वापस लेने का सच...*
*आज तक मैं चुप बैठा था क्योंकि किसान आंदोलन के पीछे की इस सच्चाई को बताता तो भी कौन मान सकता था...मेरे अपने ही कई मित्र साथी नहीं मानने को तैयार थे, लेकिन आज सुबह से फोन कर रह हैं भाई आप सही कह रहे थे, खैर समय आ गया है आप भी जानिए...*
1. कई साल से हम लोग इंपोर्टेड दाल Lentil Daal खा रहे थे। आज से करीब 2 साल पहले मोदी ने इस पर रोक लगानी शुरू कर दी, और अब इसे पूरी तरह से बंद करवा दिया।
*कृषि बिल तो बहाना था*, असली किस्सा कुछ यूं है। *2005 में मौनी बाबा मनमोहन सिंह ने दाल पर दी जा रही सब्सिडी को खत्म कर दिया और कुछ समय बाद ही खांग्रेस सरकार ने नीदरलैंड ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से समझौता कर दाल आयात करना शुरू कर दिया। कनाडा ने अपने यहां लेंटील दाल के बड़े-बड़े फार्म स्थापित किए जिसकी जिम्मेदारी वहां रह रहे पंजाबी सिखों के हवाले कर दी गई।* और देखते ही देखते कनाडा से भारत में बड़े पैमाने पर दाल आया��� होने लगा।
इन बड़े *आयातकों में अमरिंदर सिंह, और 1984 में सिक्खों के हत्यारे कमलनाथ जैसे कांग्रेसी भी थे। बादल भी, क्योंकि इनका राष्ट्र धर्म सिर्फ पैसा है, जैसे ही मोदी ने आयात पर रोक लगाई इनका खेल शुरू हुआ। इनके कनाडा के फार्म सूखने लगे*
*खालिस्तानियों की नौकरी जाने लगी* इसीलिए *जस्टिन ट्रुडो* ने किसानों के आंदोलन का *समर्थन किया* था अब समझे कनाडा, किसान आंदोलन और खालिस्तानियों के साथ खांग्रेस का गठजोड़।
अब जब कनाडा सरकार द्वारा धमकी दी जा रही है कनाडा के खालिस्तानी सिखों को पंजाब वापस भेजा जाएगा। वैसे भी खालिस्तानी कांग्रेसियों की ही देन है। इसलिए कृषि कानून का सबसे ज्यादा विरोध विदेशी ताकतें और खालिस्तानी सिख कर रहे हैं.
सनद रहे जिस देश में अन्न बाहर से खरीदना नहीं पड़ता वही देश सबसे जल्दी विकसित होते है!
2. अब अडानी और अंबानी ने ग्रुप इन्होंने जो भी व्यापार शुरू किया, वहां विदेशी मोनोपली का खात्मा करते हुए भारतीय ग्राहकों को जबरदस्त फायदा कराते हुए मुनाफा कमाया है। अड़ानी ने विदेशी कंपनियों जीएमआर और साउथ अफ्रीका की कंपनी जिनमें पिछवाड़े से भारत के गद्दार नेताओं का ही पैसा लगा हुआ है, सभी की 70% हिस्सेदारी को वापस ले लिया, इसी के अगले चरण में रिलायंस 5G का स्पेक्ट्रम है, जिससे चाइना की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी हुवेई जिसमें XI जिनपिग के अलावा वहां की कम्यूनिस्ट पार्टी के सभी सरकारी नेताओं के पैसे लगे हुए हैं उसके पैर भारत ही नहीं विश्व में उखड़ जाएंगे, इसलिए *खालिस्तानी किसान* रिलायंस जियो के टावर तोड़ रहे थे, अब कुछ समझे किसानों का टॉवर तोड़ कनेक्शन
जरा सोचिए कि आज से पहले कितनी लूट मची हुई थी? उदाहरण: जब जियो नहीं था तब आपका बिल कितना आता था? कितनी लूट चलती थी अब हर कंपनी दाम घटाने पर मजबूर है।
अडानी एग्रो प्रगति कर रही है तो विरोध हो रहा है, अडानी गोदाम स्टोरेज क्यों बना रहा है?
क्या आप कभी COCA COLA, NESTLE, ITC, AMAZON की फैक्ट्री स्टोरेज में गए हैं, मैं गया हूं, जब अपने देश में पेप्सिको, वॉलमार्ट, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, आईटीसी जैसी विदेशी कंपनियों ने पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में बड़े-बड़े गोडाउन खड़े कर लिए तब कोई विरोध नहीं हुआ... तो अब भारतीय कंपनी अडानी का ही विरोध क्यों???
रिलायंस रिटेल, रिलायंस डिजिटल अब सारे देश में पहुंच रहे हैं, तो अमेज़न और फ्लिपकार्ट को तकलीफ़ होना स्वाभाविक है.
*स्वदेशी पतंजलि के आने से हिन्दुस्तान यूनीलीवर (कोलगेट, लक्स, पाँड्स) का एकाधिकार समाप्त हो गया, तो उन्हें तकलीफ़ तो होनी ही थी*
*चीन दुनिया भर के साथ भारत में भी 5G तकनीक बेचने को उतावला हो रहा है, ऐसे में जियो की संपूर्ण स्वदेशी 5G तकनीक से उसे तकलीफ़ होगी ही*
अडानी पोर्ट्स और अडानी एंटरप्राइज़ के कारण अब सब विदेशी और विधर्मियों की मोनोपली बंद हो गई है।
अब *जब अपने देश के उद्योगपति आगे बढ़ रहे हैं, देश को फायदा पहुंचा रहे हैं, तो अपने ही देश के कुछ लोग उनका विरोध क्यों कर रहे हैं?*
*पूरा खेल समझिए:*
अब पंजाब के किसान नेता उनके विरोध में आ गए हैं, अदानी गोडाउन क्यों बना रहा है., हमारी ज़मीन हड़प लेगा, आदि-आदि...
*पंजाब के दूर दराज गांवों में मैंने खुद देखे हैं, वहां देशी-विदेशी कंपनियों NRIs from Canada के Godown बरसों से मौजूद हैं, वह चलता है, अब अडानी बनवा रहा है तो कहा जा रहा है कि जमाखोरी होगी, और कीमतें बढ़ेंगी?*
*हकीकत तो यह है कि अब तक जो लाखों टन अनाज, सब्ज़ियां और फल सड़ जाते थे, वे अब इनके गोडाउन में सही तरह से भंडारित हो सकेंगे।*
*तकलीफ़ यह है कि अब महंगाई काबू में रहेगी* और *बिचौलियों को मिलने वाली मोटी मलाई भी बंद हो जाएगी*
*राष्ट्र धर्म की महत्ता को पहचानिए* और वर्तमान नेतृत्व की क्षमता को भी, जिसने एक दिन में ही विपक्षियों, पाकिस्तानियों, चाइना, कनाडा, खालिस्तानियों, खांग्रेसियों, वामियों, आपियों, सपैय्यों, बस्पैय्यों, ओवैसियों को बिना किसी *प्रत्यक्ष कार्यवाही* के ही चारों खाने चित कर दिया, अब समझे *मोदी, अमित शाह, अजीत डोभाल, जैसे राष्ट्रवादियों का मास्टर स्ट्रोक*
*राष्ट्रहित में, सामूहिक चेतना निर्माण हेतु, इस संदेश आगे प्रेषित करें ताकि पूरा देश जान सके और स्वच्छ भारत के निर्माण में अपना छोटा सा योगदान दें* क्योंकिःः
अब ये निश्चित है, की भारत अब बनेगा...
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मेघालय के राज्यपाल ने किसानों के विरोध को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की खिंचाई की
मेघालय के राज्यपाल ने किसानों के विरोध को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की खिंचाई की
हरियाणा में किसानों के विरोध पर मेघालय के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने NDTV से बात की
नई दिल्ली:
मेघालय के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने एक बार फिर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन किया है और सत्तारूढ़ भाजपा की आलोचना करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर से “क्रूर” के लिए माफी मांगने की मांग की है। लाठी कल करनाल में चार्ज, जिसमें 10 लोगों के घायल होने की सूचना है।
श्री मलिक ने…
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विपक्ष, किसानों और अन्य समूहों ने हरियाणा में कृषि विरोध प्रदर्शन की घोषणा की; बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू की
विपक्ष, किसानों और अन्य समूहों ने हरियाणा में कृषि विरोध प्रदर्शन की घोषणा की; बीजेपी ने डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू की
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द्वारा: एक्सप्रेस समाचार सेवा | चंडीगढ़ |
अपडेट किया गया: 3 अक्टूबर, 2020 8:46:37 बजे
विभिन्न किसान संगठनों और विपक्ष ने पूरे हरियाणा में 5 और 6 अक्टूबर को भाजपा-जेजेपी के वरिष्ठ नेताओं के घेराव का फैसला किया है। (हरमीत सोढ़ी द्वारा एक्सप्रेस फोटो)
न केवल कांग्रेस, बल्कि विभिन्न राजनीतिक दलों और किसान संगठनों ने भी आने वाले तीन दिनों…
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बहादुरगढ़ दुर्घटना: टिकरी सीमा के पास टिपर की चपेट में आने से 3 महिला किसानों की मौत, 2 घायल | चंडीगढ़ समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया
बहादुरगढ़ दुर्घटना: टिकरी सीमा के पास टिपर की चपेट में आने से 3 महिला किसानों की मौत, 2 घायल | चंडीगढ़ समाचार – टाइम्स ऑफ इंडिया
बठिंडा : टिकरी सीमा के पास गुरुवार तड़के एक टिपर की चपेट में आने से तीन महिला किसानों की मौत हो गई, जबकि दो अन्य घायल हो गईं. घटना बहादुरगढ़ के पकोड़ा चौक के पास हुई।
महिलाएं बहादुरगढ़ रेलवे स्टेशन पहुंचने के लिए सुबह करीब छह बजे ऑटोरिक्शा का इंतजार कर रही थीं। किसान नेता और पंजाब किसान यूनियन के अध्यक्ष रुलदू सिंह मनसा ने कहा, “महिलाएं पंजाब लौट रही थीं, तभी वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी और चालक…
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छुट्टी पर भेजे गए पूर्व एसडीएम, जांच के आदेश किसानों ने किया करनाल धरना समाप्त
छुट्टी पर भेजे गए पूर्व एसडीएम, जांच के आदेश किसानों ने किया करनाल धरना समाप्त
हरियाणा सरकार ने किसानों और करनाल जिला प्रशासन के बीच पांच दिवसीय गतिरोध को समाप्त करते हुए शनिवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा बस्तर टोल प्लाजा पर किसानों पर 28 अगस्त के पुलिस लाठीचार्ज की जांच करने पर सहमति व्यक्त की। , और करनाल के पूर्व एसडीएम आयुष सिन्हा को जांच पूरी होने तक छुट्टी पर भेजें।
राज्य सरकार ने कहा कि किसान संघों के साथ हुए समझौते के तहत…
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भाखड़ा नहर में मिल रहा है गोरखपुर न्यूक्लियर प्लांट का जहरीला पानी... किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी
फतेहाबाद: हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गांव के लोग और किसान गोरखपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट साइट से भूमिगत जल को भाखड़ा मेन लाइन (बीएमएल) नहर में छोड़े जाने का विरोध कर रहे हैं। इस परियोजना की स्थापना के लिए अपनी जमीन छोड़ने वाले ग्रामीणों का दावा है कि परमाणु संयंत्र द्वारा छोड़ा जा रहा पानी हानिकारक है। इसका उपयोग पीने के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। उत्तर भारत का पहला परमाणु संयंत्र हरियाणा के गोरखपुर गांव में 560 हेक्टेयर में बना है, जो राष्ट्रीय राजधा��ी नई दिल्ली से लगभग 150 किमी दूर स्थित है। एक अंग्रेजी वेबासाइट की रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर प्लांट से छोड़ा जा रहा पानी बिल्कुल खारा है, जो नहर के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है जिसमें यह मिल रहा है। हालांकि अधिकारियों ने ग्रामीणों की आशंकाओं को निराधार बताते हुए दावा किया है कि संबंधित अधिकारियों की पूर्व स्वीकृति से साधारण भूमिगत जल नहर में छोड़ा जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम भाखड़ा नहर की जल गुणवत्ता को बिगाड़ने के लिए पर्याप्त पानी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं।प्लांट के एक अधिकारी ने कहा कि गांव गोरखपुर में निर्माणाधीन न्यक्लियर प्लांट साइट पर भूजल स्तर को नीचे लाने के लिए पहले भूमिगत जल को बाहर निकाला जा रहा है, जिससे इमारतों की उचित नींव सुनिश्चित हो सके। अधिकारी ने कहा कि पंप से निकाला गया भूमिगत पानी पहले हमारे तालाबों में जमा होता है, जिसका केवल एक हिस्सा बाद में नहर में छोड़ दिया जाता है।फतेहाबाद जिले के किसान नेता मनदीप नथवान ने कहा कि उन्होंने खारे भूमिगत पानी के निर्वहन के बारे में जिला प्रशासन के पास एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिससे लोगों में खुजली और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। नहर के पानी का उपयोग पीने के उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है। जब नहर में ताजा आपूर्ति नहीं होगी, तभी यह भूमिगत पानी बचेगा और लोग गोरखपुर के वाटर वर्क्स सिस्टम में जाने के बाद वहीं पीने को मजबूर होंगे।फतेहाबाद के स्थानीय किसानों के एक दल ने भी आंदोलन शुरू करने की धमकी दी। उनका कहना है कि जल्द से जल्द खारे पानी के बहाव को रोका नहीं गया तो वो आंदोलन करेंगे। स्थानीय किसान नेता और गांव गोरखपुर के निवासी राममेहर सिवाच ने कहा कि अधिकारियों को भूमिगत जल को केवल नहर में डालने के बजाय उसके उपचार और निर्वहन के वैज्ञानिक तरीके खोजने चाहिए। गांव गोरखपुर (फतेहाबाद) के निवासियों का यह भी आरोप है कि कुछ साल पहले परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के समय किए गए वादे के अनुसार गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। सिवाच ने कहा कि काफी आशंकाओं और कुछ आंदोलनों के बाद हमने परमाणु ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए अपनी जमीन इस उम्मीद के साथ छोड़ी थी कि यहां विकास कार्य होंगे। अस्पताल और हर्बल पार्क बनाने जैसे बड़े-बड़े वादे किए गए। लेकिन धरातल पर अब तक कुछ नहीं हुआ है। अब, हमारे पास विरोध वाले हिस्से को हिट करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।गोरखपुर न्यक्लियर प्लांट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने यहां अस्पताल स्थापित करने के लिए अधिकारियों को लिखा था। लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया है कि पड़ोसी शहर भूना में एक स्वास्थ्य सुविधा पहले से ही चालू है। इस साल फरवरी में, केंद्रीय मंत्री (परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा था कि गोरखपुर हरियाणा अनु विद्युत परियोजना (जीएचएवीपी) में 700 मेगावाट क्षमता की दो इकाइयां हैं जिनमें से प्रत्येक में प्रेशराइज्ड हैवी वाटर रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) स्वदेशी डिजाइन का कार्यान्वयन किया जा रहा है। फतेहाबाद के गोरखपुर गांव के पास अब तक, कुल आवंटित धनराशि 20,594 करोड़ रुपये में से 4,906 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। http://dlvr.it/SlsTfc
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शंभू बॉर्डर पर दिल्ली कूच को लेकर किसानों के बीच बढ़ी हलचल
सरकार के साथ चार बार की बातचीत बेनतीजा निकलने के बाद आज फिर किसान दिल्ली की तरफ कूच करने की तैयारी में हैं; किसान आंदोलन में शामिल हजारों किसान अपने 1200 ट्रैक्टरों के साथ आज फिर आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे. शंभू और खनौरी बॉर्डर पर अलर्ट जारी है. पंजाब के DGP ने पत्र लिखकर कहा है कि वे किसी भी हालत में भारी वाहन जैसे, पोकलेन, जेसीबी, टिपर और हाइड्रा को पंजाब-हरियाणा की खनौरी और शंभू बॉर्डर की तरफ आगे न बढ़ने दें. उधर हरियाणा पुलिस ने किसानों को भारी मशीन उपलब्ध कराने वालों के लिए अलर्ट जारी किया है. पुलिस ने कहा है कि कृपया प्रदर्शनकारियों को अपने उपकरणों की सेवाएं प्रदान न करें. कृपया इन मशीनों को विरोध स्थल से हटा लें. इन मशीनों का इस्तेमाल सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है. यह एक गैर जमानती अपराध है और आपको आपराधिक रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सकता है
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हिंसा के एक दिन बाद, हरियाणा के किसानों ने सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए महापंचायत का आयोजन किया
हिंसा के एक दिन बाद, हरियाणा के किसानों ने सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए महापंचायत का आयोजन किया
किसानों का विरोध : किसान कर रहे हैं धरना mahapanchayat हरियाणा के नूंह में
नई दिल्ली:
एक दिन बाद हरियाणा पुलिस लाठी आरोपित किसान करनाल जिले के घरौंदा टोल प्लाजा पर प्रदर्शन कर रहे किसान mahapanchayat नूंह में किया जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता – छत्र निकाय जिसके तहत कई किसान समूह कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए एकजुट हुए हैं – और भारतीय किसान संघ, जिसमें डॉ दर्शन पाल, राकेश…
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करनाल किसान महापंचायत : वार्ता विफल होने पर मिनी सचिवालय की ओर किसानों का कूड़ा
करनाल किसान महापंचायत : वार्ता विफल होने पर मिनी सचिवालय की ओर किसानों का कूड़ा
हाल ही में हुए पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा जिले में मिनी सचिवालय का घेराव करने के आह्वान पर हरियाणा और कई पड़ोसी राज्यों के किसान बड़ी संख्या में करनाल की अनाज मंडी में एकत्र हुए। बस्तर टोल प्लाजा के किसान।
जिला प्रशासन से बातचीत के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला, किसानों ने शाम को लघु सचिवालय की ओर कूच करना शुरू कर दिया.
28 अगस्त को बस्तर में हुए लाठीचार्ज में…
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किसानों की पिटाई के बाद बैकफुट पर हरियाणा सरकार, आज गिनाएगी कृषि अध्यादेशों के लाभ चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि अध्यादेशों (कृषि अध्यादेश) के खिलाफ 'किसान बचाओ मंडी बचाओ' की रैली में कुरुक्षेत्र जा रहा अन्नदाताओं की जमकर पिटाई करने के बाद हरियाणा सरकार बैकफुट पर आ गई है। देश भर में इसकी आलोचना से परेशान सरकार ने आज दोपहर बाद 3 बजे वेबिनार द्वारा अध्यादेशों के फायदे गिनाएगी। दरअसल, इन अध्यादेशों के खिलाफ सबसे ज्यादा हंगामा हरियाणा में ही हो रहा है। क्योंकि यहां 80 प्रतिशत से अधिक लोगों की जीविका कृषि पर ही निर्भर है।
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किसानों का विरोध: अंतरराज्यीय सीमाओं पर भारी सुरक्षा बंदोबस्त जारी
पंजाब और हरियाणा के बीच अंतरराज्यीय सीमाओं पर बुधवार को दूसरे दिन भी भारी सुरक्षा व्यवस्था रही। दूसरी तरफ, प्रदर्शनकारी किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी के साथ विभिन्न मांगों को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने पर अड़े हुए हैं।
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Haryana News: 21 घंटे के बाद हाईवे से हटने को राजी हुए किसान, जानिए क्या थी मांग
Haryana News: 21 घंटे के बाद हाईवे से हटने को राजी हुए किसान, जानिए क्या थी मांग
हरियाणा: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की खिंचाई के बाद सरकार ने किसानों से बातचीत की। मांगो को लेकर किसाानो ने हाईवे को जाम किया हुआ था तथा करीब 21 घंटे तक यातायात बाधित रहा। हाईवे बंद होने के चलते लोगो को परेशनियों का सामना करना पडा।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पास किसानों ने धान की जल्दी खरीद की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए हाईवे नंबर 44 को जाम कर दिया था। हालांकि, हरियाणा सरकार ने उनकी…
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