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पोस्ट कैरेक्टर लिमिट को बढ़ाकर 420 किया जाएगा? यहाँ क्या कहना है ट्विटर के सीईओ एलोन मस्क का
पोस्ट कैरेक्टर लिमिट को बढ़ाकर 420 किया जाएगा? यहाँ क्या कहना है ट्विटर के सीईओ एलोन मस्क का
नई दिल्ली: एलोन मस्क के ट्विटर पर एक नया दिन और एक नया अपडेट। इस बार ट्वीट्स के लिए वर्ण सीमा के बारे में। चरित्र सीमा को 420 तक बढ़ाने के सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए, तकनीकी अरबपति ने कहा कि यह एक “अच्छा विचार” है। यह तब शुरू हुआ जब ट्विटर इंक के सीईओ ने स्लाइड्स की एक श्रृंखला साझा की जो दावा करती है कि नए उपयोगकर्ता साइनअप “सर्वकालिक उच्च” पर हैं, उपयोगकर्ता सक्रिय मिनट बढ़ गए हैं और अभद्र…
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Free tree speak काव्यस्यात्मा 1347.
सर्द गुलाबी मौसम में
सर्द गुलाबी मौसम में
आते पक्षी बन कर मेहमान।
कलरव करते गीत गाते
क़दमों पर रखते जहान।
उड़ते जल तट तल पर
ये हैं साइबेरियन महान।
स्वच्छ सरोवर की माटी
उनको लगते पुण्य समान।
हजारों मील से उड़कर आते
सारी धरती घर समान।
निर्मल आभा खींच के लाते
धरती दिखती स्वर्ग समान।
जैसे सुन वंशी की तान
हवा ठहरकर करे हो ध्यान।
सरहदों की टूटे दीवार
नहीं कोई काटों का तार।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
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कलरव की गूंज by Pragya Pandey
किताब के बारे में... यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है। प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चा��ते है, साथ - ही साथ यह पुस्तक आध्यात्म पर आधारित और मानव जीवन में रंग भरने वाले भावों - विचारों पर आधारित कविताओं का भी संकलन करती है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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Kamayani, Lajja Sarg 18, UGC NET | अंबर-चुंबी हिमश्रृंगों से कलरव कोलाहल...
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मैं एक अमरीकी मनोवैज्ञानिक का जीवन पढ़ रहा था। वह पूरब आना चाहता था विपस्सना ध्यान सीखने। तो बर्मा में सबसे बड़ा विपस्सना का स्कूल है—बौद्धों के ध्यान का। तो उसने तीन सप्ताह की छुट्टी निकाली। बड़ी तैयारियां करके रंगून पहुंचा।
बड़ी कल्पनाएं ले कर पहुंचा था कि किसी पहाड़ की तलहटी में, कि घने वृक्षों की छाया में, कि झरने बहते होंगे, कि पक्षी कलरव करते होंगे, कि फूल खिले होंगे—स्वात में तीन सप्ताह आनंद से गुजारूंगा। यह न्यूयार्क का पागलपन.,! तीन सप्ताह
के लिए बड़ा प्रसन्न था। लेकिन जब उसकी टैक्सी जा कर आश्रम के सामने रुकी तो उसने सिर पीट लिया। वह रंगून के बीच बाजार में था, मछली बाजार में। बास ही बास और उपद्रव ही उपद्रव, सब तरफ शोरगुल और मक्खियां भिनभिना रही हैं और कुत्ते भौंक रहे और आदमी सौदा कर रहे हैं और स्त्रियां भागी जा रही हैं, और बच्चे चीख रहे हैं। यह आश्रम की जगह है?
उसके मन में तो हुआ कि इसी वक्त सीधा वापिस लौट जाऊं। लेकिन तीन दिन तक कोई लौटने के लिए हवाई जहांज भी न था। तो उसने सोचा अब आ ही गया हूं तो कम से कम इन सदगुरु के दर्शन तो कर ही लूं! यह किन सदगुरु ने यह आश्रम खोल रखा है यहां? यह क���ई जगह है आश्रम खोलने की?
भीतर गया तो बड़ा हैरान हुआ। सांझ का वक्त था और कोई दो सौ कौए आश्रम पर लौट रहे, क्योंकि सांझ को बौद्ध भिक्षु भोजन करके उनको कुछ फेंक देते होंगे चावल इत्यादि। तो वे सब वहां….. बड़ा शोरगुल। कौए, महाराजनीतिज्ञ, बड़े विवाद में लगे। शास्त्रार्थ चल रहा है। और कौए तो शिकायत ही करते रहते हैं। उनको कभी किसी चीज से शांति तो मिलती नहीं। भ्रष्ट योगी हैं। शिकायत उनका धंधा है। वे एक—दूसरे से शिकायत में लगे हुए, चीख—चीत्कार मच रहा है।
उसने कहा……। और वहीं भिक्षु ध्यान करते हैं। कोई टहल रहा, जैसा बौद्ध टहल कर ध्यान करते हैं। कोई वृक्ष के नीचे शांत बैठा ध्यान कर रहा है। खड़ा हो कर एक क्षण देखता रहा, बात कुछ समझ में नहीं आयी, बड़ी विरोधाभासी लगी।
लेकिन भिक्षुओं के चेहरों पर बड़ी शांति भी है। जैसे यह सब कुछ हो ही नहीं रहा है, य��� जैसे ये कहीं और हैं, किसी और लोक में हैं जहां ये सब खबरें नहीं पहुचतीं या पहुंचती हैं तो कोई विक्षेप नहीं है। इन भिक्षुओं के चेहरों को देख कर उसने सोचा तीन दिन तो रुक ही जाऊं।
वह गुरु के पास गया तो गुरु से उसने यही कहा कि यह क्या मामला है? यह कहां जगह चुनी आपने? तो गुरु ने कहा : रुको, तीन सप्ताह बाद अगर तुम फिर यही प्रश्न पूछोगे तो उत्तर दूंगा। तीन सप्ताह रुक गया। पहले तो तीन दिन के लिए रुका, लेकिन तीन दिन में लगा कि बात में कुछ है। एक सप्ताह रुका।
एक सप्ताह रुका तो पता चला कि धीरे— धीरे यह बात कुछ अर्थ नहीं रखती कि बाजार में शोरगुल हो रहा है, ट्रक जा रहे हैं, कारें दौड़ रहीं, कौए कांव—कांव कर रहे, कुत्ते भौंक रहे, मक्खियां भिनभिना रहीं, ये सब बातें कुछ अर्थ नहीं रखतीं। तुम कहीं दूर लोक में जाने लगे। तुम कहीं भीतर उतरने लगे, कोई चीज अटकांव नहीं बनती।
दूसरे सप्ताह होते —होते तो उसे याद ही नहीं रहा। तीसरे सप्ताह तो उसे ऐसे लगा कि अगर ये कौए यहां न होते, ये कुत्ते यहां न होते, यह बाजार न होता, तो शायद ध्यान हो ही नहीं सकता था। क्योंकि इसके कारण एक पृष्ठभूमि बन गयी। तब उसने गुरु को कहा कि मुझे क्षमा करें। मैंने जो शिकायत की थी वह ठीक न थी। वह मेरी जल्दबाजी थी।
गुरु ने कहा. बहुत सोच कर ही यह आश्रम यहां बनाया है। जान कर ही यहां बनाया है। क्योंकि विपस्सना का प्रयोग ही यही है कि जहां बाधा पड़ रही हो वहा बाधा के प्रति प्रतिक्रिया न करनी। प्रतिक्रिया—शून्य हो जाये चित्त, तो शांत हो जाता है।
‘उपशांत हुए योगी के लिये न विक्षेप है ��र न एकाग्रता है। न अति��ोध है और न मूढ़ता है।’ यह सुनो अदभुत वचन! कि जो सच में शांत हो गया है वह कोई महाज्ञानी नहीं हो जाता, क्योंकि
वह भी अतिशयोक्ति होगी। वह भी अतिशय हो जायेगा। जो शांत हो गया है वह तो संतुलित हो जाता है। वह तो मध्य में ठहर जाता है। न तो मूड रह जाता है और न ज्ञानी। तो न तो अतिबोध और न अति मूढ़ता; वह दोनों के मध्य में शांत चित्त खड़ा होता है।
तुम उसे मूढ़ भी नहीं कह सकते, उसे पंडित भी नहीं कह सकते। वह तो बड़ा सरल, संतुलित होता है, मध्य में होता है। उसके जीवन में कोई अति नहीं रह जाती। कोई अति नहीं रह जाती! न तुम उसे हिंसक कह सकते न अहिंसक। ये दोनों अतियां हैं।
न तुम उसे मित्र कह सकते न शत्रु। ये दोनों अतियां हैं। वह अति से मुक्त हो जाता है। और अति से मुक्त हो जाना ही मुक्त हो जाना है। उसे न सुख है न दुख है। वह द्वंद्व के पार हो जाता है।
साधारणत: लोग सोचते हैं. जब ज्ञान उत्पन्न होगा तो हम महाशानी हो जायेंगे। नहीं, जब ज्ञान उत्पन्न होगा, तब न तो तुम ज्ञानी रह जाओगे और न मूढ़। जब ज्ञान उत्पन्न होगा तो तुम इतने शांत हो जाओगे कि ज्ञान का तनाव भी न रह जायेगा। तुम ऐसा भी न जानोगे कि मैं जानता हूं। यह बात भी चली जायेगी।
तुम जानोगे भी और जानने का कोई अहंकार भी न रह जायेगा। तुम जानते हुए ऐसे हो जाओगे जैसे न जानते हुए हो। मूढ़ और ज्ञानी के मध्य हो जाओगे। कुछ—कुछ मूढ़ जैसे—जानते हुए न जानते हुए से। कुछ—कुछ ज्ञानी जैसे—न जानते हुए में जानते हुए से। ठीक बीच में खड़े हो जाओगे। इस मध्य में खड़े हो जाने का नाम संयम। इस मध्य में खड़े हो जाने का नाम सम्यकत्व। इस मध्य में खड़े हो जाने का नाम संगीत।
~PPG~
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सुबह की किरणें
सौजन्य: गुगल सुबह की किरणों की लाली ने नई उम्मीदों का रोशनी फैलाया, इन टूटते अरमानों के झंझावत में जीने का अलख जगाया । इन चहचहाते पक्षियों के कलरव से जीवन का मधुर संगीत गुनगुनाया संगीत की तरन्नुम घुल गई चारों ओर नवजीवन की नवबेला का संदेश आया । सूरज की सतरंगी किरणें जीवन को सबरंगों में सराबोर करती उठो आशा के विभिन्न रंगों में जीवन रस भर लो, उम्मीदों के हसीं झूलों पे सवार होकर जीवन को…
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पक्षियों को बचाने श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट ने अपने संस्थानों में शुरू किया "कलरव अभियान"
पक्षियों को बचाने श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट ने अपने संस्थानों में शुरू किया "कलरव अभियान" #chhattisgarh
छत्तीसगढ़ ,रायपुर में बढ़ते तापमान को देखते हुए बेजुबान पक्षियों को बचाने के लिए श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट ने कलरव अभियान का शुरूवात किया है। श्री रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट ने सम्पूर्ण भारत में स्थित संस्थानों में 17 अप्रैल को कलरव अभियान के तहत भीषण गर्मी में पक्षियों का जीवन बचाने के लिए पेड़ों पर सकोरा टांग कर उसमे पानी भरने का संकल्प लिया । यह अभियान पर्यावरण प्रेमी, पक्षियों…
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मैं एक अमरीकी मनोवैज्ञानिक का जीवन पढ़ रहा था। वह पूरब आना चाहता था विपस्सना ध्यान सीखने। तो बर्मा में सबसे बड़ा विपस्सना का स्कूल है--बौद्धों के ध्यान का। तो उसने तीन सप्ताह की छुट्टी निकाली। बड़ी तैयारियां करके रंगून पहुंचा। बड़ी कल्पनाएं ले कर पहुंचा था कि किसी पहाड़ की तलहटी में, कि घने वृक्षों की छाया में, कि झरने बहते होंगे, कि पक्षी कलरव करते होंगे, कि फूल खिले होंगे--स्वात में तीन सप्ताह आनंद से गुजारूंगा। यह न्यूयार्क का पागलपन.,! तीन सप्ताह के लिए बड़ा प्रसन्न था।
लेकिन जब उसकी टैक्सी जा कर आश्रम के सामने रुकी तो उसने सिर पीट लिया। वह रंगून के बीच बाजार में था, मछली बाजार में। बास ही बास और उपद्रव ही उपद्रव, सब तरफ शोरगुल और मक्खियां भिनभिना रही हैं और कुत्ते भौंक रहे और आदमी सौदा कर रहे हैं और स्त्रियां भागी जा रही हैं, और बच्चे चीख रहे हैं। यह आश्रम की जगह है? उसके मन में तो हुआ कि इसी वक्त सीधा वापिस लौट जाऊं। लेकिन तीन दिन तक कोई लौटने के लिए हवाई जहांज भी न था। तो उसने सोचा अब आ ही गया हूं तो कम से कम इन सदगुरु के दर्शन तो कर ही लूं! यह किन सदगुरु ने यह आश्रम खोल रखा है यहां? यह कोई जगह है आश्रम खोलने की?
भीतर गया तो बड़ा हैरान ह��आ। सांझ का वक्त था और कोई दो सौ कौए आश्रम पर लौट रहे, क्योंकि सांझ को बौद्ध भिक्षु भोजन करके उनको कुछ फेंक देते होंगे चावल इत्यादि। तो वे सब वहां...बड़ा शोरगुल। कौए, महाराजनीतिज्ञ, बड़े विवाद में लगे। शास्त्रार्थ चल रहा है। और कौए तो शिकायत ही करते रहते हैं। उनको कभी किसी चीज से शांति तो मिलती नहीं। भ्रष्ट योगी हैं। शिकायत उनका धंधा है। वे एक-दूसरे से शिकायत में लगे हुए, चीख-चीत्कार मच रहा है। उसने कहा...। और वहीं भिक्षु ध्यान करते हैं। कोई टहल रहा, जैसा बौद्ध टहल कर ध्यान करते हैं। कोई वृक्ष के नीचे शांत बैठा ध्यान कर रहा है। खड़ा हो कर एक क्षण देखता रहा, बात कुछ समझ में नहीं आयी, बड़ी विरोधाभासी लगी। लेकिन भिक्षुओं के चेहरों पर बड़ी शांति भी है। जैसे यह सब कुछ हो ही नहीं रहा है, या जैसे ये कहीं और हैं, किसी और लोक में हैं जहां ये सब खबरें नहीं पहुचतीं या पहुंचती हैं तो कोई विक्षेप नहीं है। इन भिक्षुओं के चेहरों को देख कर उसने सोचा तीन दिन तो रुक ही जाऊं।
वह गुरु के पास गया तो गुरु से उसने यही कहा कि यह क्या मामला है? यह कहां जगह चुनी आपने? तो गुरु ने कहा : रुको, तीन सप्ताह बाद अगर तुम फिर यही प्रश्न पूछोगे तो उत्तर दूंगा। तीन सप्ताह रुक गया। पहले तो तीन दिन के लिए रुका, लेकिन तीन दिन में लगा कि बात में कुछ है। एक सप्ताह रुका। एक सप्ताह रुका तो पता चला कि धीरे-धीरे यह बात कुछ अर्थ नहीं रखती कि बाजार में शोरगुल हो रहा है, ट्रक जा रहे हैं, कारें दौड़ रहीं, कौए कांव-कांव कर रहे, कुत्ते भौंक रहे, मक्खियां भिनभिना रहीं, ये सब बातें कुछ अर्थ नहीं रखतीं। तुम कहीं दूर लोक में जाने लगे। तुम कहीं भीतर उतरने लगे, कोई चीज अटकांव नहीं बनती।
दूसरे सप्ताह होते-होते तो उसे याद ही नहीं रहा। तीसरे सप्ताह तो उसे ऐसे लगा कि अगर ये कौए यहां न होते, ये कुत्ते यहां न होते, यह बाजार न होता, तो शायद ध्यान हो ही नहीं सकता था। क्योंकि इसके कारण एक पृष्ठभूमि बन गयी। तब उसने गुरु को कहा कि मुझे क्षमा करें। मैंने जो शिकायत की थी वह ठीक न थी। वह मेरी जल्दबाजी थी।
गुरु ने कहा--बहुत सोच कर ही यह आश्रम यहां बनाया है। जान कर ही यहां बनाया है। क्योंकि विपस्सना का प्रयोग ही यही है कि जहां बाधा पड़ रही हो वहा बाधा के प्रति प्रतिक्रिया न करनी। प्रतिक्रिया--शून्य हो जाये चित्त, तो शांत हो जाता है।
ओशो, अष्टावक्र महागीता--भाग-4--(प्रवचन-12)
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एसबीएफ विकेंद्रीकृत बिटकॉइन को 'पसंद नहीं' करता है - एआरके इन्वेस्ट सीईओ कैथी वुड
एसबीएफ विकेंद्रीकृत बिटकॉइन को ‘पसंद नहीं’ करता है – एआरके इन्वेस्ट सीईओ कैथी वुड
बिटकॉइन (बीटीसी) पूर्व एफटीएक्स सीईओ सैम बैंकमैन-फ्राइड के लिए भी “विकेन्द्रीकृत और पारदर्शी” है, कैथी वुड कहते हैं। में एक कलरव 10 दिसंबर को, वुड, जो निवेश की दिग्गज कंपनी ARK इन्वेस्ट के सीईओ हैं, ने FTX गाथा का एक नया हानिकारक मूल्यांकन किया। लकड़ी: SBF “बिटकॉइन को नियंत्रित नहीं कर सका” एफटीएक्स और बैंकमैन-फ्राइड, जिसे एसबीएफ के रूप में भी जाना जाता है, के कानूनी प्रभाव जारी हैं, बिटकॉइन के…
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Jamshedpur-Workers-College : वर्कर्स कॉलेज में संगीत कार्यक्रम आयोजित, गायिका सोनाली चटर्जी ने ‘सत्यम शिवम् सुंदरम्…’, ‘मिलती है जिंदगी में …’ समेत कई गीतों पर खूब झुमाया, प्राचार्य ने कहा-प्रकृति के कण-कण में संगीत समाहित है
Jamshedpur-Workers-College : वर्कर्स कॉलेज में संगीत कार्यक्रम आयोजित, गायिका सोनाली चटर्जी ने ‘सत्यम शिवम् सुंदरम्…’, ‘मिलती है जिंदगी में …’ समेत कई गीतों पर खूब झुमाया, प्राचार्य ने कहा-प्रकृति के कण-कण में संगीत समाहित है
जमशेदपुर : जमशेदपुर के मानगो स्थित जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की ओर से शनिवार को एक संगीत कार्यक्रम ���ा आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कॉलेज के प्राचार्य प्रो डॉ सत्यप्रिय महालिक ने कहा कि प्रकृति के कण-कण में संगीत समाहित है। मानव के हृदय की धड़कन, पक्षियों का कलरव, बहते हुए निर्झर सभी में संगीत विद्यमान है। संगीत न केवल मानव तो शांति प्रदान करता है बल्कि मानसिक…
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'हर पुरुष चरित्र कायर है': एलोन मस्क अमेज़न की शक्ति के छल्ले से प्रभावित नहीं हैं
‘हर पुरुष चरित्र कायर है’: एलोन मस्क अमेज़न की शक्ति के छल्ले से प्रभावित नहीं हैं
बहुचर्चित फंतासी कारनामों के प्रीक्वल वर्तमान में चलन में हैं। दर्शकों ने लॉर्ड ऑफ द रिंग्स के प्रीक्वल, द रिंग्स ऑफ पावर का काफी इंतजार किया है। हालांकि, टेस्ला प्रमुख एलोन मस्क 50 घंटे की टेलीविजन श्रृंखला से इतना प्रभावित नहीं लगता। “टॉल्किन अपनी कब्र में बदल रहा है,” अरबपति ने ट्वीट किया। उन्होंने आगे लिखा, “लगभग हर पुरुष चरित्र अब तक एक कायर, एक झटका या दोनों है,” उन्होंने एक अनुवर्ती ट्वीट…
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#LOTR#अंगूठियों का मालिक#एलोन मस्क#कलरव#ट्विटर#नेटिज़ेंस#वायरल#वीरांगना#शक्ति के छल्ले#शक्ति प्रतिक्रियाओं के छल्ले#शक्ति समीक्षा के छल्ले
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सरफराज अहमद ने पत्रकार को पाकिस्तान टीम को ट्रोल करने पर फटकार लगाई
सरफराज अहमद ने पत्रकार को पाकिस्तान टीम को ट्रोल करने पर फटकार लगाई
भारत-पाकिस्तान की भिड़ंत एक बेजोड़ देशभक्ति का खेल है जो मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह होता है। खेल से पहले और बाद में भावुक प्रशंसकों और पंडितों को बहस करते हुए सुनना असामान्य नहीं है। विजेता की अक्सर महिमा में प्रशंसा की जाती है, जबकि हारने वाले को कठोर आलोचना के साथ सूली पर चढ़ाया जाता है। रविवार को टीम भारत एशिया कप के अपने पहले मैच में पाकिस्तान को पांच विकेट से रौंदा और यह स्पष्ट था कि…
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#आईसीसी#कप्तान#कलरव#धीमी ओवर रेट#पाकिस्तान#प्रशंसक#बहस#भारत#महिला पत्रकार#सरफराज अहमद#सामाजिक मीडिया
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'बात करें, चर्चा करें और हल करें': किरण मजूमदार-शॉ के सांप्रदायिक विभाजन के ट्वीट पर कर्नाटक के सीएम बोम्मई
‘बात करें, चर्चा करें और हल करें’: किरण मजूमदार-शॉ के सांप्रदायिक विभाजन के ट्वीट पर कर्नाटक के सीएम बोम्मई
कर्नाटक में कथित रूप से बढ़ते धार्मिक विभाजन के बारे में बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार-शॉ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गुरुवार को समाज के सभी वर्गों से सामाजिक मुद्दों पर सार्वजनिक होने से पहले संयम बरतने की अपील की और कहा कि मामलों को चर्चा के माध्यम से हल किया जा सकता है। . यह कहते हुए कि कर्नाटक “शांति और शांति के लिए जाना जाता है”, बोम्मई ने कहा,…
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कलरव की गूंज by Pragya Pandey
किताब के बारे में... यह पुस्तक प्रकृति और जीवन से सम्बन्धित कविताओं को प्रस्तुत करती है। प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को और जिंदगी के अनुभवों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है। अगर आप प्रकृति - प्रेमी हैं और जीवन के संघर्षों को काव्य के रूप में पढ़ना चाहते है तो यह पुस्तक आपका हार्दिक स्वागत करती है। साथ - ही साथ यह पुस्तक आध्यात्म पर आधारित और मानव जीवन में रंग भरने वाले भावों - विचारों पर आधारित कविताओं का भी संकलन करती है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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Kamayani, Lajja Sarg 10,UGC NET | मेरे सपनों में कलरव का संसार आँख जब खो...
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अडानी की कहानी
सौजन्य: एबीपी न्यूज जमीं से जब उड़ा उड़ता चला गया इस विशाल क्षितिज को नापते चला गया जब अंतिम छोर तक पहुंचना जुनून था आया एक तूफान नीचे उतरता चला गया, ये भूल थी हमारी या अति उत्साह था बहेलिया पर कुतरने को तैयार था, मारा ऐसा तीर तूफान आ गया गिरता हुआ मैं एक डाल पर अटक गया, एक डाल कब तक मेरी ढाल रहेगी उस डाल के सारे पंछी के कलरव हम पर रहेगी । अपने उड़ान पर मैं हूं परेशान दुश्मनों के…
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