#सुबह की किरणें
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writerss-blog · 1 year ago
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सुबह की किरणें
सौजन्य: गुगल सुबह की किरणों की लाली ने नई उम्मीदों का रोशनी फैलाया, इन टूटते अरमानों के झंझावत में जीने का अलख जगाया । इन चहचहाते पक्षियों के कलरव से जीवन का मधुर संगीत गुनगुनाया संगीत की तरन्नुम घुल गई चारों ओर नवजीवन की नवबेला का संदेश आया । सूरज की सतरंगी किरणें जीवन को सबरंगों में सराबोर करती उठो आशा के विभिन्न रंगों में जीवन रस भर लो, उम्मीदों के हसीं झूलों पे सवार होकर जीवन को…
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saanjhghafa · 11 months ago
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एक सुबह
एक सुबह ऐसी आएगी,
जो जीने की उत्सुकता जगाएगी
तब ख़ुद बिस्तर छोड़ दुनिया की नज़रों में देख पायेंगे
ना कोई दुःख या डर सताएगी ।
एक सुबह ऐसी भी आएगी
जो हाथ थाम अपनी पहचान बताएगी
तब सूरज की किरणें आँखों को चुभेंगी नहीं
अपने बलबूते पर उभरना सिखाएगी ।
एक सुबह ऐसी भी आएगी
जो ख़ुद पर विश्वास दिलाएगी
तब आँखों में चमक और होठों पर मुस्कान लेके
भूले सपनों को उनका सफ़र दिखाएगी ।
हाँ एक सुबह ऐसी भी आएगी ।
~ साँझ 🌻
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narayansevango · 2 months ago
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भाद्रपद पूर्णिमा 2024: धार्मिक महत्व और पूजा विधि
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भाद्रपद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष महत्व रखती हैं।
2024 में भाद्रपद पूर्णिमा की तारीख:
तिथि: 17 सितंबर, 2024
शुभ मुहूर्त: (यहाँ आप विशिष्ट शुभ मुहूर्त का उल्लेख कर सकते हैं, जैसे कि पूजा का समय, स्नान का समय आदि)
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व:
धार्मिक महत्व: इस दिन पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। इसलिए, पितरों का श्राद्ध करना और दान करना विशेष महत्व रखता है।
ज्योतिषीय महत्व: चंद्रमा की किरणें इस दिन विशेष प्रभाव डालती हैं। मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आध्यात्मिक महत्व: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
भाद्रपद पूर्णिमा की पूजा विधि:
स्नान: सुबह जल्दी उठकर गंगा जल से स्नान करना शुभ माना जाता है।
पूजा: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को स्नान कराकर शुद्ध करें। उन्हें फूल, चंदन, अक्षत, रोली और धूप-दीप अर्पित करें।
व्रत: इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है।
दान: गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
कथा: भाद्रपद पूर्णिमा की कथा का पाठ करना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा पर क्या करें:
चंद्र दर्शन: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें।
मंत्र जाप: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
धार्मिक ग्रंथों का पाठ: भगवद गीता, श्रीमद् भागवत गीता आदि धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
भाद्रपद पूर्णिमा पर क्या न करें:
अशुभ कार्य: इस दिन कोई भी अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
झूठ बोलना: झूठ बोलने से बचना चाहिए।
क्रोध करना: क्रोध करने से बचना चाहिए।
भाद्रपद पूर्णिमा के लाभ:
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
रोगों से छुटकारा मिलता है।
नारायण सेवा संस्थान के स्वयंसेवक इस दिन जरूरतमंद लोगों की सेवा में जुट जाते हैं। वे भोजन, कपड़े, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक चीज़ें वितरित करते हैं। इसके अलावा, वे गरीब बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिए भी कार्य करते हैं।
निष्कर्ष:
भाद्रपद पूर्णिमा एक पवित्र त्योहार है जो धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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samparkpanditji · 5 months ago
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10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के
सुबह उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाना भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है। इसे करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर प्रभाव डालते हैं। आइए, 10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के समझें:
1. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार:
सुबह उठकर सूर्य देव को जल चढ़ाने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। ताजगी भरी सुबह की किरणें शरीर के लिए विटामिन डी का स्रोत होती हैं, जिससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। 10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के में यह प्रमुख है।
2. मानसिक शांति:
सूर्य को जल चढ़ाने से मानसिक शांति मिलती है। यह प्रक्रिया ध्यान और एकाग्रता में सुधार करती है, जिससे मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
3. आध्यात्मिक उन्नति:
यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जो आत्मा को शुद्ध और पवित्र बनाती है। इससे व्यक्ति में आत्मविश्वास और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।
4. आँखों के लिए लाभकारी:
सूर्य को जल चढ़ाने से सूर्य की किरणें आँखों पर पड़ती हैं, जिससे दृष्टि में सुधार होता है। यह प्रक्रिया आँखों की विभिन्न समस्याओं को कम करने में सहायक होती है।
5. त्वचा के लिए लाभकारी:
सूर्य की किरणें त्वचा के लिए लाभकारी होती हैं। इससे त्वचा की चमक बढ़ती है और त्वचा संबंधित रोगों में राहत मिलती है। 10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के में यह भी महत्वपूर्ण है।
6. सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
सूर्य को जल चढ़ाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे घर और आसपास का माहौल सकारात्मक और ऊर्जा से भरपूर रहता है।
7. मन की शुद्धि:
सुबह का समय मानसिक और भावनात्मक शुद्धि के लिए आदर्श होता है। यह प्रक्रिया नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करती है।
8. धन और समृद्धि:
मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह प्रक्रिया व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता और प्रगति लाती है।
9. स्वास्थ्य समस्याओं में राहत:
सूर्य की किरणें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं जैसे डिप्रेशन, तनाव, और रक्तचाप में राहत प्रदान करती हैं। 10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के में यह भी सम्मिलित है।
10. आध्यात्मिक संबंध की प्रगाढ़ता:
यह प्रक्रिया व्यक्ति के आध्यात्मिक संबंध को मजबूत बनाती है। इससे व्यक्ति को ईश्वर के प्रति श्रद्धा और भक्ति की अनुभूति होती है।
10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के में यह सभी लाभ सम्मिलित हैं, जो व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य और ��ीवन में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। इस प्र��चीन प्रथा को अपनाकर हम अपने जीवन में शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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sharpbharat · 7 months ago
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Jharkhand weather report - झारखंड में झुलसाने वाली गर्मी, आसमान उगल रहा आग, रविवार को इन जिलों में हीट वेव का ऑरेंज अलर्ट
रांची / जमशेदपुर : कोल्हान समेत झारखंड में इन दिनों प्रचंड गर्मी पड़ रही है. आलम यह है कि सुबह में ही सूर्य की किरणें लोगों के शरीर को झुलसाने लगी है, जिससे जनजीवन पूरी तरह बेहाल हो गया है. लू के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. धूप से बचने के लिए लोग छांव की तलाश में जुट जाते हैं. शनिवार को जमशेदपुर का अधिकतम तापमान 42.3 डिग्री, जबकि न्यूनतम तापमान 25.4 डिग्री सेल्सियस रहा. इसी के…
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trendingnews-100 · 8 months ago
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"10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के "
"10 चत्मकारी फायदे सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने के"
सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाना वेदों और पुराणों में एक प्राचीन परंपरा है। इस प्राचीन प्रथा के पीछे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों ही अहम तत्व हैं। यहां 10 चत्मकारी फायदे हैं जो सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने में छिपे हुए हैं:
विटामिन डी का स्रोत: सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से विटामिन डी का स्रोत बढ़ता है, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी है।
मानसिक शांति: सूर्य की किरणें ब्रेन की सरोटोनिन नामक हार्मोन का उत्सर्जन बढ़ाती है, जिससे मानसिक चिंताओं का समाधान होता है।
स्वास्थ्यप्रद त्वचा: सूर्य की किरणों से मिलने वाली विटामिन डी त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है और त्वचा को नरम, चमकदार और स्वस्थ बनाती है।
दृष्टि में सुधार: सूर्य की किरणों का संपर्क आंखों की रोशनी में सुधार लाता है और नेत्रों की सेहत को बनाए रखता है।
ह्रदय स्वास्थ्य: सूर्य की किरणों का संपर्क ह्रदय की सेहत को मजबूती प्रदान करता है और दिल की बीमारियों से बचाव करता है।
जीर्ण संतुलन: सूर्य की किरणों से जीर्ण तंत्रिका संतुलन में सुधार आता है, जिससे शारीरिक शक्ति और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
स्वास्थ्यप्रद बाल: सूर्य की किरणों का प्रतिदिन संपर्क बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और बालों की ग्रोथ को प्रोत्साहित करता है।
विषाणुओं से बचाव: सूर्य की किरणों का संपर्क शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है और विषाणुओं से बचाव करता है।
हेल्दी बोन्स: सूर्य की किरणों से आने वाला विटामिन डी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बोन्स संबंधित बीमारियों से बचाव करता है।
संतुलित हार्मोन: सूर्य की किरणों का संपर्क अदरक्त और जुबान के हार्मोनों को संतुलित करता है, जिससे शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।
इस प्रकार, सूर्य देव को सुबह उठकर जल चढ़ाने से शरीर और मन दोनों को अनेक लाभ होते हैं। यह एक प्राचीन प्रथा है जो वैज्ञानिक रूप से भी स्वास्थ्य और शारीरिक तथा मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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santbharatram · 1 year ago
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साल का आखिरी चंद्र ग्रहण कितने बजे से शुरू होगा: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में रात 01 बजकर 06 मिनट से शुरू होगा और सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण 1 घंटे और 19 मिनट तक रहेगा |
चंद्र ग्रहण कहां-कहां दिखाई देगा: चंद्र ग्रहण को भारत के अलावा पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, यूरोप, अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अमेरिका, उत्तरपूर्वी उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर में भी देखा जा सकेगा।
चंद्र ग्रहण कब लगता है: चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन ही होता है जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है। पृथ्वी की छाया चंद्रमा की सतह पर पड़ती है, जिससे यह कुछ घंटों के लिए धुंधला हो जाता है। और कभी-कभी लाल रंग का भी दिखाई देने लगता है।
Chandra Grahan 2023: चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिलाएं भूल से भी न करें ये 10 काम :-
आश्विन मास की पूर्णिमा के दौरान 30 साल बाद एक विशेष संयोग बना रहा है. इस दिन चंद्रग्रहण लग रहा है, जो शरद पूर्णिमा के दिन लगेगा और ऐसा 30 साल बाद होगा. साल 2023 में लगने वाले चार ग्रहण में से पूर्णिमा की तिथि पर लगने वाला यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा, जिसका सूतक काल भी मान्य होगा. ग्रहण लगने की घटना का प्रभाव दुनिया समेत सभी लोगों पर पड़ता है. ऐसे में लोगों को चंद्र ग्रहण के दौरान कई बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. खासकर, गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दौरान 10 ऐसी बातों का ख्याल रखने की विशेष आवश्यकता है, जिसका दुष्परिणाम सीधे उनके स्वास्थ्य या उनके होने वाले बच्चों के सेहत पर पड़ सकता है.
गर्भवती महिलाएं रख���ं इन दस बातों का ध्यान :- – किसी भी गर्भवती महिला को चंद्र ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए और चांद को नहीं देखना चाहिए. – गर्भवती महिलाओं को चंद्रग्रहण के दौरान घर के अंदर उस जगह पर बैठना चाहिए, जहां चांद की किरणें भी नहीं पहुंचे और ना ही प्रकाश होना चाहिए. – गर्भवती महिलाओं को चंद्रग्रहण के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. – ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला के पास एक नारियल रखना चाहिए. नारियल रखने से सभी प्रकार के दोष कट जाते हैं. ग्रहण के बाद उसे किसी नदी में विसर्जित करना चाहिए.
– चंद्र ग्रहण के दौरान सुई धागा से लेकर हथियार तक का प्रयोग गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए. ग्रहण के दौरान कपड़े सिलने की भी मनाही होती है. – चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को उठने बैठने में सावधानी बरतनी चाहिए. इतना ही नहीं ग्रहण लगने के दौरान उन्हें भोजन खाने से भी परहेज करना चाहिए. – चंद्र ग्रहण के दौरान जिस कमरे में गर्भवती महिला हो वहां एक लोटा जल रख देना चाहिए. जिससे ग्रहण क�� प्रभाव कम हो जाता है. बाद में, जल को किसी पौधे की जड़ या किसी शुद्ध स्थान पर फेंकना चाहिए. – चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला के शरीर के बराबर धागा माप कर रख देना चाहिए. बाद में उस धागे को किसी पेड़ में बांध देना चाहिए. – चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला को कमरे में टहलते रहना चाहिए, उन्हें सोने की मनाही है. इन सब बातों का ध्यान रखकर गर्भवती महिलाएं चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभाव से बच सकती हैं.
ग्रहण काल - ग्रहण के बाद स्नान के पश्चात रात्रि में ही खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें व सुबह प्रसाद रुप में खाऐं. सूतक लगने से पहले ही भोजन कर लेवें. सूतक प्रारंभ 28 अक्टूबर शाम 4:06 से और बालक, वृद्ध, रोगी एवं गर्भवती महिलाओं के लिए 28 अक्टूबर रात्रि 8:36 से शुरू होगा |
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eccotarian · 1 year ago
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सूर्य देव हर सुबह अपने रथ पर सवार होकर पूर्व दिशा से दिन का प्रकाश लेकर आते हैं। पुराणों में बताया गया है कि सूर्य देव के रथ के सारथी अरुण हैं। अरुण भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ के भाई हैं।
ऋग्वेद में कहा गया है कि 'सप्तयुज्जंति रथमेकचक्रमेको अश्वोवहति सप्तनामा' यानी सूर्य चक्र वाले रथ पर सवार होते हैं जिसे सात नामों वाले घोड़े खींचते हैं।
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि सूर्य के रथ में जुते हुए घोड़े के नाम हैं 'गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुप और पंक्ति।' यह सात नाम सात छंद हैं। यानी सात छंत हैं जो अश्व रुप में सूर्य के रथ को खींचते हैं।
सूर्य के रथ की खूबियों के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि इस रथ का विस्तार नौ हजार योजन है। इसका धुरा डेड़ करोड़ सात लाख योजन लम्बा है।
संवत्सर इसके पहिये हैं जिसमें छः ऋतुएं नेमी रुप से लगे हुए हैं। बारह महीने इसमें आरे के रुप में स्थित हैं।
शास्त्रों और पुराणों के मत से अलग वैज्ञानिक दृष्टि यह कहती है कि सूर्य हमारी पृथ्वी से बहुत दूर स्थित है। सूर्य में वहन करने वाली सात किरणें जो इंद्र धनुष में भी मौजूद होता है। इन्हीं किरणों को शास्त्रों में #सूर्य के सात अश्व मान लिए गए होंगे।
#sun #sungod #indian #vaidikculture #belief #heavenly #divine #sunlight
#aabhamandalashram
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pramodkumarrai · 1 year ago
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सुबह की ये किरणें आपकी ज़िंदगी को रौशनी और आनंद से भर देंMay these morning rays fill your life with light and joy
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thedhongibaba · 1 year ago
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*आदमी की कमजोरी क्या है? अहंकार आदमी की कमजोरी है। और जो जितना ज्यादा अहंकार से भरा है, वह उतना ही कमजोर है।*
एक फकीर था नसरुद्दीन। फकीर होने से पहले वह एक छोटे से गांव में एक छोटी सी होटल का मालिक था। एक दिन सुबह-सुबह देश का राजा जंगल में शिकार करने को निकला, भटक गया और उस होटल में आ गया। उसने नसरुद्दीन ने कहा कि अंडे मिल सकेंगे? नसरुद्दीन ने कुछ अंडे उसे और उसके साथियों को दिये। खाने के बाद उस राजा ने पूछा कि कितने दाम हुए? नसरुद्दीन ने कहाः सौ रुपये। वह राजा हैरान हो गया। उसने कहाः चार-छह अंडों के दाम सौ रुपये? दो-चार पैसे भी इनके दाम नहीं हैं! क्या तुम्हारे इस हिस्से में अंडे इतने कम होते हैं? आर एग्ज सो रेयर हियर? क्या इतने कम अंडे यहां होते हैं? नसरुद्दीन ने कहा कि नहीं महाराज, एग्ज आर नॉट रेयर हियर, बट किंग्ज आर। यहां अंडे तो नहीं होते कम, लेकिन राजा मुश्किल से कभी कोई आता है! उसने सौ रुपये निकाले और दे दिए। नसरुद्दीन की पत्नी बहुत हैरान हुई। उसने कहाः हद कर दी, चार-छह अंडों के सौ रुपये तुमने ले लिए। क्या तरकीब हैं? नसरुद्दीन ने कहाः मैं आदमी की कमजोरी जानता हूं। उसकी औरत ने कहाः मैं समझी नहीं। यह आदमी की कमजोरी क्या बला है? नसरुद्दीन ने कहाः मैं एक कहानी और कहता हूं, शायद तेरी समझ में आ जाए कि आदमी की कमजोरी क्या है।
नसरुद्दीन ने कहाः एक बार ऐसा हुआ कि मैं एक बहुत बड़े सम्राट के दरबार में गया। मैंने एक बहुत सस्ती सी पगड़ी पहन रखी थी, लेकिन बहुत रंगीन थी, बहुत चमकदार थी। असल में सस्ती चीजें बहुत रंगीन और बहुत चमकदार होती ही हैं। मैं उस पगड़ी को पहन कर दरबार में गया, तो राजा ने मुझसे पूछा कि यह पगड़ी कितने की है? मैंने कहाः एक हजार स्वर्ण-मुद्राओं की। वह राजा हंसने लगा और उसने कहाः क्या मजाक करते हो? क्या इतनी मंहगी पगड़ी है यह? और तभी वजीर राजा के पास झुका और उसके कान में कहाः इस आदमी से सावधान रहना। यह दो-चार रुपये की पगड़ी भी नहीं मालूम होती। एक हजार स्वर्ण-मुद्राएं कह रहा है! कोई लुटेरा मालूम होता है। नसरुद्दीन ने कहाः मैं समझ गया कि वजीर क्या कह रहा है। क्योंकि जो लोग राजा को खुद लूटते रहते हैं, दूसरा कोई लूटने आये, तो वे लोग बाधा जरूर देते हैं। वजीर बाधा दे रहा होगा। लेकिन मैं भी कुछ कम होशियार न था। मैंने राजा से कहाः तो मैं जाऊं? मैंने यह पगड़ी एक हजार स्वर्ण-मुद्राओं में खरीदी थी और जिस आदमी की खरीदी थी, उसने मुझसे कहा था, तू घबड़ा मत। इस जमीन पर एक ऐसा राजा भी है, जो इसे पांच हजार स्वर्ण-मुद्राओं में खरीद सकता है। मैं उसी राजा की खोज में निकला हूं, तो मैं लौट जाऊं? तुम वह राजा नहीं मालूम होते! यह दरबार वह दरबार नहीं है, जहां पांच हजार में खरीदी जा सके? मैं जाऊं? वह राजा बोलाः दस हजार स्वर्ण-मुद्राएं इसे दे दो और पगड़ी ले लो।
वह पगड़ी ले ली गयी। वजीर किनारे मेरे पास आया और उसने कहाः तुम बड़े जादूगर मालूम होते हो। क्या कर दिया तुमने? दस रूपये की पगड़ी नहीं है, दस हजार रूपये में खरीद जी गयी! तो मैंने उसके कान में कहाः तुम पगड़ियों के दाम जानते हो, तो मैं आदमी की कमजोरी जानता हूं।
आदमी की कमजोरी क्या है? अहंकार आदमी की कमजोरी है। और जो जितना ज्यादा अहंकार से भरा है, वह उतना ही कमजोर है। और हम सब अहंकार से भरे हैं। हम सब अहंकार से ठोस भरे हैं। हम इतने ज्यादा अहंकार से भरे हैं कि हम में परमात्मा के प्रवेश की कोई संभावना नहीं है। जो मनुष्य अहंकार से भरा है, वह सत्य को नहीं जान सकेगा। क्योंकि सत्य के लिये चाहिये खाली और शून्य मन। और जो अहंकार से भरा है, वह बिल्कुल भी खाली नहीं है जहां कि परमात्मा की किरणें प्रवेश पा सकें, जहां कि सत्य प्रवेश पा सके और स्थान पा सके। मनुष्य के अहंकार के अतिरिक्त और कोई बाधा नहीं है।
प्रेम को पंथ अटपटो
ओशो
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washwashgalaxy · 1 year ago
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POETRY BY P.C JHA
चल उठ जाग रे मन,काहे सोया चादर तान।सूरज किरणें देती दस्तक,मन्द हवाऐं चूमती मस्तक।प्रकृति बाँटती उपहार,रोगों की करती उपचार।सुबह सबेरे टहला करते,मन मेरे बस बहला रहते।चल जाग मुसाफिर भोर भयो,ले ले हरी का नाम,भज ले सीता राम 2सबों को बाआदर नमस्कार,सलाम ,सत श्री अकाल,वदेकुं,गुड मॉर्निंग, आप का दिन मंगलमय हो,सुक्रिया खुदाहाफिज़।
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vitiligocare · 2 years ago
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घरेलू नुस्खे से पाएं सफेद दाग से छुटकारा |
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सफेद दाग को घरेलू उपायों से कम किया जा सकता है। इन पांच घरेलू उपायों को अपनाकर आप इन दागों से छुटकारा पा सकते हैं।
आज के समय में जहां नई-नई बीमारियां अपने पैर पसार रह हैं. वहीं, आपने देखा होगा कि क�� लोगों के शरीर पर व्हाइट स्पॉट्स होते हैं, जिन्हें आम भाषा में सफेद दाग भी कहा जाता है। हालांकि, त्वचा संबंधी इस बीमारी में यूं तो कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन शरीर पर यह दाग दिखने में अच्छे नहीं लगते. जिसके कारण इस समस्या से जूझ रहे लोगों का कॉन्फिडेंस लेवल भी कम हो जाता है।
डॉक्टर्स के मुताबिक सफेद दाग होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं. जिनमें, शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता या मेलेनिन (त्वचा के रंग को बनाए रखने वाली कोशिकाएं) की कमी, पराबैंगनी किरणें (Ultraviolet Rays),अत्यधि‍क तनाव, विटामिन बी 12 की कमी या फिर त्वचा पर किसी प्रकार का संक्रमण के होने से यह हो सकते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर सफेद दागों का इलाज सही समय पर ना किया जाए, तो यह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं। ऐसे में समय रहते ही त्वचा संबंधी इस बीमारी पर ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके लिए आप घरेलू उपायों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं । इनके जरिए ना सिर्फ इन सफेद दागों में कमी आएगी, बल्कि धीरे-धीरे यह कम भी हो जाएंगे।
सफेद दाग कम करने के ये घरेलू नुस्खे:
नारियल तेल होता है उपयोगी: नारियल तेल त्वचा संबंधी बीमारी के लिए काफी कारगर साबित होता है। क्योंकि यह त्वचा को पुन: वर्णकता प्रदान करने में सहायक है। साथ ही नारियल के तेल में जीवाणुरोधी और संक्रमण विरोध गुण होते हैं। ऐसे में शरीर के जिन हिस्सों पर सफेद दाग हैं, उन जगहों पर दिन में 2 से 3 बार नारियल तेल का उपयोग करना चाहिए। यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
तांबा से मिलता है मेलेनिन तत्व: शरीर में तांबा तत्व मेलेनिन के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए तांबें के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह उठकर खाली पेट उसे पिएं। इससे सफेद दागों में कमी आ सकती है।
हल्दी का लेप है फायदेमंद: हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। हल्दी और सरसों के तेल का लेप बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं, इससे सफेद द���ग में कमी आती है। इसके अलावा आप हल्दी पाउडर और नीम की पत्ति‍यों का लेप भी कर सकते हैं।
सेब का सिरका: सफेद दागों में सेब का सिरका भी फायदेमंद साबित होता है। सेब के सिरके को पानी के साथ मिक्स करके लगाना चाहिए, इससे यह दाग धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
लाल मिट्टी: जहां तांबे से मेलेनिन तत्व मिलता है, वहीं, लाल मिट्टी में भरपूर मात्रा में तांबा पाया जाता है। ऐसे में लाल मिट्टी का ��ेप बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाना चाहिए। लाल मिट्टी मेलेनिन के निर्माण और त्वचा के रंग का दोबारा निर्माण करती है। इसे अदरक के रस के साथ मिलाकर भी प्रभावित स्थान पर लगाना फायदेमंद साबित हो सकता है।
ल्यूगो किट ( Leugo Kit )लंबे समय तक एक प्रमुख और प्रचलित उपचार चिकित्सा है। ल्यूगो किट सफेद दाग या ल्यूकोडर्मा त्वचा विकार का सबसे प्रभावी उपचार है।
ये Oldforest Ayurved द्वारा बनाया एक मात्र प्रोडक्ट है, जो आपको भी इस बीमारी से छुटकारा दिलाने मैं सक्षम है, हम मानते है की हमारी 8 साल की प्रैक्टिस मैं ये प्रोडक्ट ने खूब सफलता प्राप्त की है। इस बीमारी से ग्रसित हजारो मरीजों ने कुछ ही महीनो मैं और कम से कम मुल्ये मैं ल्यूगो किट की मदद से सफ़ेद दागो को जड़ से ख़त्म किया है ।
आप ल्यूगो किट खरीदने के लिए www.vitiligocare.co पर जा सकते हैं या आप +91 8657-870-870 पर संपर्क कर सकते हैं।
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dumdaradumdaradum · 2 years ago
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12/11/22
देवा,
मुझे याद नहीं आखरी बार मैंने तुमसे कब बात की थी। क्या वह पूर्णिमा की रात थी, जब चाँद की शीतल माया तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं थी? या फिर सर्दियों की दोपहर, जब सूरज की किरणें तुम्हारे चेहरे पर पिघले हुए शहद की तरह दिख रही थीं? मधुमक्खियों की भनभनाहट, फूलों की महक- प्रकृति की कोई भी खूबी फीकी पड़ जाती है जब तुम पर नज़र जाती हो, मानो कोई अप्सरा हो।
यह बिन बोली बात है कि मुझे तुम्हारी याद आती है। बनारस में पान की दुकानों पर, चूड़ियों के स्टालों में, रंग-बिरंगी चुनरी और चांदी की पायल में तुम्हारी याद आती है। मुझे अपनी सुनहरी डायरी और सूखे गुलाबों में तुम्हारी याद आती है। रात की रानी और गजरे की महक में तुम्हारी याद आती है। गंगा के घाटों पर मुझे तुम्हारी याद आती हैं।
मैं हर रोज तुम्हारे लेखन की झलक, तुम्हारे उपन्यास में दिन के विवरण का इंतजार करती हूं। हर दिन मैं तुम से मिलने की उम्मीद करती हूं। मुझे बताओ मेरा इंतजार खाली नहीं जाएगा।
तुम्हारी,
सीता
🥺 this.. कितना सुंदर है, आज मौसम भी कुछ ऐसा ही है शायद.. सुबह की शीतल हवा सा ये पत्र, इसके शब्दों ने जैसे मेरे मन को एक घेरे में समेट लिया हो। सचमे, साहित्य पढ़े काफी समय हो गया पर तुम्हारे विवरण ने पल भर में एक समा सा बांध दिया.. शब्द भी कम पड़ रहे हैं.. कैसे व्यक्त करुं समझ नहीं आ रहा पर शायाद आवश्यकता नहीं, मुझे लग रहा तुम समझ ही जाओगी।
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kaminimohan · 3 years ago
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काव्यस्यात्मा 1035
" खिलती दृष्टि "
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
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जब जन्म लेता है कोई बच्चा
तो नए स्वर
नई आवाज़
नई भाषा की
गूँजती हैं किलकारी।
होते हैं उसके नए रस, छंद और अलंकार
होती है अनगिनत बातें
जिसे सिर्फ़ जन्मदात्री है समझतीं
इस समझ में है मातृत्व की अनुभूतियाँ
जो किसी शास्त्रीय पुस्तक की नहीं है गतिविधियाँ।
अनकही बातें
अक्षुण्ण एहसास
चाँद की किरणें
तारों की बारात
अनगिनत बिम्ब में
आँखें देखती नवप्रकाश।
वो किलकारी से
सिर्फ़ किलकारी से
नई दुनिया से बात है करता
चेहरे पर अवर्णनीय मुस्कान
रोने का क्षण भर सामान
जैसे नई सुबह है देता
नव पल्लव को नया विधान।
जैसे ब्रह्म मुहूर्त का भैरवी राग
जैसे बसंत का हो नया अनुराग
सावन की पहली फुहार से
जैसे बुझी हो धरती की आग।
खिली-खिली मातृत्व में
किलकारी है
वात्सल्य-वृष्टि
नौ माह के वृहत सृजन में
परमात्म अंश की
खिलती दृष्टि।
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
#kaminimohan
#काव्यस्यात्मा
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getmyteaindia · 3 years ago
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भारत की दार्जिलिंग चाय की विस्तृत जानकारी
ऊंचाई: चाय समुद्र तल से 600 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर उगाई जाती है।वार्षिक वर्षा: दार्जिलिंग में औसत वार्षिक वर्षा 309 सेमी के आसपास होती है।दार्जिलिंग चाय। पहाड़ियों की तरह ही विदेशी और रहस्यमय। इतिहास में डूबी एक परंपरा और एक रहस्य जो हर घूंट में महसूस होता है। बादलों के पहाड़ों में चलो और हल्का दिल महसूस करो।
पहली बार 1800 के दशक की शुरुआत में लगाया गया, दार्जिलिंग चाय की अतुलनीय गुणवत्ता इसकी स्थानीय जलवायु, मिट्टी की स्थिति, ऊंचाई और सावधानीपूर्वक प्रसंस्करण का परिणाम है। लगभग 10 मिलियन किलोग्राम हर साल उगाया जाता है, जो 17,500 हेक्टेयर भूमि में फैला है। चाय की अपनी एक खास स���गंध होती है, वो दुर्लभ सुगंध जो होश उड़ा देती है। दार्जिलिंग की चाय दुनिया भर के पारखी लोगों द्वारा पसंद की जाती है। सभी लक्ज़री ब्रांडों की तरह दार्जिलिंग टी दुनिया भर में इच्छुक है।
अस्तित्व का जश्न मनाएं, और इसके साथ किंवदंतियां दार्जिलिंग चाय को दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित चाय बनाती हैं। इसे अपनी इंद्रियों पर हावी होने दें। दार्जिलिंग, जहां हिमालय की सांसें यात्री को घेर लेती हैं और चारों ओर गहरी हरी-भरी घाटियां गाती हैं। दार्जिलिंग वह जगह है जहां दुनिया की सबसे प्रसिद्ध चाय का जन्म होता है। एक चाय जो हर घूंट में रहस्य और जादू गूँजती है।
दार्जिलिंग भारत के उत्तर पूर्व में, महान हिमालय के बीच, पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है। हर सुबह, जैसे ही पहाड़ों से धुंध निकलती है, महिला चाय लेने वाली महिलाएं 87 प्रसिद्ध उद्यानों की ओर खड़ी पहाड़ी रास्तों पर अपना रास्ता बनाती हैं, जो दार्जिलिंग की अत्यधिक बेशकीमती काली चाय का उत्पादन कर रहे हैं। बादलों में छिपी भव्य सम्पदा पर स्थित, उद्यान वास्तव में वृक्षारोपण हैं, जो कभी-कभी सैकड़ों एकड़ में फैले होते हैं। लेकिन, वे अभी भी 'बगीचे' हैं, क्योंकि यहां उगाई जाने वाली सभी चाय में उस एस्टेट, या बगीचे का नाम होता है, जिसमें यह उगाया जाता है।
दार्जिलिंग चाय को दुनिया में कहीं और उगाया या निर्मित नहीं किया जा सकता हैदार्जिलिंग चाय की क्राफ्टिंग खेत में शुरू होती है। जहां महिला कार्यकर्ता सुबह जल्दी तोड़ना शुरू कर देती हैं, जब पत्ते अभी भी ओस से ढके होते हैं। चलने वाली महिलाओं के सर्पिल धीरे-धीरे मुड़ते हैं, फिर एक रेखा बनाने के लिए सामने आते हैं। चाय हर दिन ताजा चुनी जाती है, जितनी ताजी हरी पत्तियां उन्हें बना सकती हैं। चाय की झाड़ियाँ पृथ्वी के कैनवास पर रहस्यवादी संदेश हैं। उत्कृष्टता की एक कहानी, कप दर प्याला, श्रमिकों द्वारा प्यार भरी देखभाल के साथ निर्मित। अपरिवर्तनीय परंपरा द्वारा अत्याधुनिक पूर्णता की ओर अग्रसर। गुणवत्ता जो दुनिया भर में पोषित है।
दार्जिलिंग में धरती आपके लिए गाती है। लूटने वाली औरतें मुस्कुराती हैं और अपनी खुशी के तेज से बगीचों पर सूरज उग आता है। उनके पीछे, गुलाबी भोर के आसमान के सामने, कंचनजंगा की बर्फ़ लहराती है।
बगीचों को घने बादलों और ठ���डी पहाड़ी हवा से साफ किया जाता है और शुद्ध पहाड़ी बारिश से धोया जाता है। पत्तियों पर वर्षा हरे रंग का गीत गाती है और पृथ्वी अपनी गर्म सांस छोड़ देती है। दार्जिलिंग चाय अपनी अत्यधिक मांग वाली सूक्ष्म सुगंध केवल इसी जलवायु में प्राप्त करती है। और भोर में, जब पक्षी अपने सुबह के गीतों की शुरुआत करते हैं, तो सूरज की किरणें धुंध को पत्तियों पर ओस के मोतियों में बदल देती हैं।
सूरज इत्मीनान से आकाश में अपना रास्ता खोजता है। अगम्य तारे अचानक स्पर्श करने के लिए तैयार प्रतीत होते हैं। निशाचर जीवन की गुनगुनाहट, जो पहाड़ों की विशेषता है, एक ऐसा राग गाती है जिसे सुनने के बजाय महसूस किया जाना चाहिए। एक ठंडी सरसराहट वाली हवा पूरे देश में नाचती है। पृथ्वी उतनी ही राजसी है, जितनी वहां पैदा होने वाली चाय।
यह प्रकृति के दिल की धड़कन के करीब एक सुखद जीवन का अस्तित्व है। यही इस चाय को इतना अनोखा बनाता है। चाय तोड़ने वाले छोटे-छोटे पौधों के बारे में गाते हैं जो काम करते समय हवा में झुक जाते हैं। नीले आसमान से घिरी हरियाली की धुन और पहाड़ की ओस की चमक। और जीवन के चक्र से बंधी, चाय की झाड़ियाँ दिन-ब-दिन, मौसम के बाद, वर्षों तक अपने आप को बनाए रखती हैं। वृक्षारोपण पर जीवन पूरी तरह से प्राकृतिक, ताजगी देने वाली अवस्था है। सच्ची दार्जिलिंग चाय में एक स्वाद और गुणवत्ता होती है, जो इसे अन्य चायों से अलग करती है। परिणामस्वरूप इसने एक सदी से भी अधिक समय से दुनिया भर में समझदार उपभोक्ताओं का संरक्षण और मान्यता प्राप्त की है। दार्जिलिंग चाय जो अपने नाम के योग्य है, उसे दुनिया में कहीं और नहीं उगाया या बनाया जा सकता है।
दार्जिलिंग सहित भारत के चाय उगाने वाले क्षेत्रों में उत्पादित सभी चाय, चाय अधिनियम, 1953 के तहत चाय बोर्ड, भारत द्वारा प्रशासित हैं। अपनी स्थापना के बाद से, चाय बोर्ड का दार्जिलिंग चाय के बढ़ने और निर्यात पर एकमात्र नियंत्रण रहा है। यह वह है जिसने दार्जिलिंग चाय द्वारा प्राप्त प्रतिष्ठा को जन्म दिया है। चाय बोर्ड दुनिया भर में भौगोलिक संकेतक के रूप में भारत की सांस्कृतिक विरासत के इस क़ीमती प्रतीक के संरक्षण और संरक्षण में लगा हुआ है।
दार्जिलिंग चाय के क्षेत्रीय मूल को प्रमाणित करने की अपनी भूमिका में चाय बोर्ड की सहायता करने के लिए, इसने एक अद्वितीय लोगो विकसित किया है, जिसे दार्जिलिंग लोगो के रूप में जाना जाता है।कानूनी स्तर पर, चाय बोर्ड दार्जिलिंग शब्द और लोगो दोनों में सामान्य कानून और भारत में निम्नलिखित विधियों के प्रावधानों के तहत सभी बौद्धिक ��ंपदा अधिकारों का मालिक है:• व्यापार चिह्न अधिनियम 1999 दार्जिलिंग शब्द और लोगो टी बोर्ड के पंजीकृत प्रमाणन चिह्न हैं;
•वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999: दार्जिलिंग शब्द और लोगो चाय बोर्ड के नाम पर भारत में पंजीकृत होने वाले पहले भौगोलिक संकेत थे; •कॉपीराइट अधिनियम, 1957: दार्जिलिंग लोगो कॉपीराइट संरक्षित है और कॉपीराइट कार्यालय के साथ एक कलात्मक कार्य के रूप में पंजीकृत है। दार्जिलिंग शब्द और लोगो का उपयोग भारत में भौगोलिक संकेत के रूप में और यूके, यूएसए और भारत में प्रमाणन व्यापार चिह्न के रूप में संरक्षित है।
दार्जिलिंग शब्द और लोगो का उपयोग भारत में भौगोलिक संकेत (जीआई) के रूप में और यूके, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया और ताइवान में प्रमाणन व्यापार चिह्न (सीटीएम) के रूप में संरक्षित है। इस क्षेत्र में एक प्रमुख विकास दार्जिलिंग शब्द का यूरोपीय संघ में सामुदायिक सामूहिक चिह्न (सीसीएम) के रूप में पंजीकरण है। 12 नवंबर, 2007 को यूरोपीय परिषद विनियमन 510/2006 के तहत एक संरक्षित भौगोलिक संकेत (पीजीआई) के रूप में दार्जिलिंग के पंजीकरण के लिए एक आवेदन दायर किया गया था, जिसे अंततः 20 अक्टूबर 2011 को "दार्जिलिंग पीजीआई" के रूप में अपनाया गया था। यह पंजीकरण एक महत्वपूर्ण कदम है। दार्जिलिंग की सुरक्षा में, क्योंकि दार्जिलिंग को अब अन्य बातों के साथ-साथ, "शैली", "प्रकार", "विधि", "जैसा कि उत्पादित", "नकल" जैसे अभिव्यक्तियों के साथ किसी भी दुरुपयोग, नकल या निष्कासन या उपयोग के खिलाफ संरक्षित किया जाएगा। "या यूरोपीय संघ के देशों में इसी तरह के प्रकार। एक प्रमाणन ट्रेडमार्क और एक भौगोलिक संकेत के रूप में दार्जिलिंग के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण के लिए एक पूर्व-आवश्यकता के रूप में, चाय बोर्ड ने एक व्यापक प्रमाणन योजना तैयार की है जिसमें दार्जिलिंग चाय की परिभाषा को चाय के रूप में तैयार किया गया है:
• परिभाषित भौगोलिक क्षेत्रों में 87 चाय बागानों में खेती, उगाई या उत्पादित की जाती है और जिन्हें चाय बोर्ड के साथ पंजीकृत किया गया है;
• उक्त 87 चाय बागानों में से किसी एक में उगाया, उगाया या उत्पादित किया गया है;• परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र में स्थित एक कारखाने में संसाधित और निर्मित किया गया है; तथा
• जब विशेषज्ञ चाय टेस्टर्स द्वारा परीक्षण किया जाता है, तो स्वाद, सुगंध और मुंह के स्वाद की विशिष्ट और स्वाभाविक रूप से होने वाली ऑर्गेनोलेप्टिक विशेषताओं के लिए निर्धारित किया जाता है, जो कि दार्जिलिंग, भारत के क्षेत्र में उगाई और उत्पादित चाय की विशिष्ट है।
चाय बोर्ड द्वारा स्थापित प्रमाणन योजना में उत्पादन स्तर से लेकर निर्यात चरण तक सभी चरणों को शामिल किया गया है और यह सुनिश्चित करने के दोहरे उद्देश्य को पूरा करता है कि (1) भारत और दुनिया भर में दार्जिलिंग चाय के रूप में बेची जाने वाली चाय वास्तविक दार्जिलिंग चाय है जो परिभाषित क्षेत्रों में उत्पादित होती है। दार्जिलिंग जिले के और चाय बोर्ड द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं और (2) असली दार्जिलिंग चाय के सभी ��िक्रेताओं को विधिवत लाइसेंस प्राप्त है। यह लाइसेंसिंग कार्यक्रम चाय बोर्ड को दार्जिलिंग चाय उद्योग पर आवश्यक जानकारी और नियंत्रण प्रदान करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रमाणन चिह्नों के तहत बेची जाने वाली चाय चाय बोर्ड द्वारा निर्धारित दार्जिलिंग चाय के मानकों का पालन करती है।
इस प्रकार, केवल 100% दार्जिलिंग चाय दार्जिलिंग लोगो को ले जाने की हकदार है। दार्जिलिंग चाय खरीदते समय, आपको टी बोर्ड के प्रमाणन और लाइसेंस संख्या की तलाश करनी होगी, अन्यथा आपको वह स्वाद और चरित्र नहीं मिलेगा जिसकी आपको दार्जिलिंग चाय से उम्मीद करनी चाहिए।
दार्जिलिंग चाय के स्वाद में एक दुर्लभ आकर्षण है जो इसे अनूठा बनाता है। आखिरकार, ये सबसे दुर्लभ और सबसे प्रतिष्ठित चाय हैं और दुनिया भर में इसका स्वाद लिया जाता है। चाय के नाजुक स्वाद को दूध और चीनी के बिना सबसे अच्छा स्वाद लिया जा सकता है।चाय की विशेषताएं: दार्जिलिंग की चाय जब पी जाती है तो अमीर एम्बर को हल्के नींबू का रंग देती है। कहा जाता है कि काढ़ा में दृश्य चमक, गहराई और शरीर की उल्लेखनीय भिन्न डिग्री होती है। काढ़ा से निकलने वाला स्वाद एक जटिल और मनभावन स्वाद के साथ एक सुगंध है और सुगंध, गुलदस्ता और बिंदु की विशेषताओं के साथ है। दार्जिलिंग चाय के काढ़े की ऑर्गेनोलेप्टिक विशेषताओं को आमतौर पर मधुर, चिकना, गोल, नाजुक, परिपक्व, मीठा, जीवंत, सूखा और तेज कहा जाता है।
दार्जिलिंग चाय का आनंद न केवल स्वाद के लिए लिया जा सकता है, बल्कि इसलिए भी कि यह वास्तव में आपके लिए अच्छा है। यह आपकी नसों के माध्यम से पाठ्यक्रम करता है और आपको आराम करने में मदद करता है। आराम, रहस्यमय, जादुई।
दार्जिलिंग चाय का नृत्य ऋतुएँ हैं। नृत्य वसंत में शुरू होता है, गर्मियों में चलता है और शरद ऋतु में समाप्त होता है। बगीचों पर यही साल की लय है।
प्याले की सुगंध से अधिक शुद्ध या अद्वितीय कुछ भी नहीं है। चाय कोहरे, हरी पत्तियों और नीले आसमान का सार है। एक गहरी सांस लें और महसूस करें कि यह आपकी आत्मा को हिला देती है। दार्जिलिंग पीने के लिए मन को मुक्त करना और सूर्य को अवशोषित करना है।
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hystericallylost · 3 years ago
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मेरी कैफ़ियत मुझसे छूटती नहीं ये कैसी प्रेम कहानी है ना जाने कोई . प्रकाशक - @rajkamalbooks इस बेहद प्यारी सी किताब में है वो चुनिंदा गीत जिन्हें पढ़कर आपको नक्काशी किये किसे गुम्बद में बैठे सुकून की परिकल्पना होगी। उन्होंने एक एक गीत को महीनों तराशा है इसलिए मूवी के पोस्टर निकल जाने के बाद भी गीत हमेशा हमारे दिलों में रहे है। मैं खुशनसीब समझती हूँ खुदको, की मेरा ऐसे कलाकारों से रूबरू होना, मुझे हर पल बदलता रहा है। मैंने उनकी आवाज़ समझी है, और अपनी चीख उनके लेखन को पढ़कर शांत की है। किन्ही रातो को जब बेबस हो उठे या सुबह की किरणें मुझे खुश ना कर पाई हो, तब इनकी आवाज़ ने मुझे जैसे ज़िंदा किया हो। और मेरे जैसे न जाने कितने ही होंगे जिन्होंने इनकी लेखनी से जीवन का परिचय लिया होगा। ये किताब वो फूल है मेरे बगिया का, जो मरते दम तक मुझे अपनी ख़ुशबू से जिंदा रखेगा। . @kaifi_azmi_shayrii @kaifi_azmi_poetry @kaifiazmi @kaifi_ki_kahaniya . #hystericallylost #shaayraa #books2021 #bookstagram #urduliterature #urdukiduniya #literature #bookblogger #bookworld #songs #songslyrics #hindilyrics #hindibookstagram #hindiliterature #talesoflove #raipur #chhattisgarh #bookpile #kaifiazmi #kaifiyat #kaifiazmipoetry #kaifiazmisongs https://www.instagram.com/p/CS-7MqejD6f/?utm_medium=tumblr
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