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#ऑक्सीजन की कमी जांच
rightnewshindi · 2 days
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ऑक्सीजन की कमी के कारण बेहोश हुए थे मृतक पति-पत्नी, पानी में डूबने से गई जान; जानें पूरा मामला
#News ऑक्सीजन की कमी के कारण बेहोश हुए थे मृतक पति-पत्नी, पानी में डूबने से गई जान; जानें पूरा मामला
Husband and wife died in Mandi: मंडी जिला के सरकाघाट उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत रखोह के कलोह गांव में बीते बुधवार हुए दर्दनाक हादसे में पति-पत्नी की मौत (Husband and wife death)के बाद गांव में गमगीन माहौल है। इस घटना के पीछे के कारणों का पता चलने के बाद स्थिति और भी गंभीर हो गई है। अब तक की गई जांच में पता चला है कि कुएं की 11वीं सीढ़ी में ऑक्सीजन का स्तर शून्य था। उसके बाद पानी भरने गए…
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medrechospital · 5 months
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टॉन्सिल स्टोन्स: कारण, लक्षण, रोकथाम, और उपचार का पूर्ण गाइड!
परिचय
हमारे पूर्ण गाइड पर आपका स्वागत है, जो टॉन्सिल स्टोन्स के बारे में है! यदि आप गले में असहजता महसूस कर रहे हैं या अनोखे लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो शायद आप टॉन्सिल स्टोन्स का सामना कर रहे हों। इस विस्तृत लेख में, हम टॉन्सिल स्टोन्स की जटिल प्रकृति को समझेंगे, उनके कारणों को समझेंगे, उनके पहचानकर्ता लक्षणों को खोजेंगे, रोकथाम के उपाय बताएंगे, और विभिन्न उपचार विकल्पों की जांच करेंगे। अंत में, आपको टॉन्सिल स्टोन्स को पराजित करने के लिए आवश्यक ज्ञान के साथ आर्म्ड किया जाएगा, ताकि आप अपने मौखिक स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त कर सकें!
टॉन्सिल स्टोन्स के कारण
आइए देखें कि टॉन्सिल स्टोन्स के गठन कारणों के क्या हैं:
अच्छी मौखिक स्वच्छता: सही मौखिक देखभाल की अनदेखी बैक्टीरिया, भोजन के कण, और संद जमा सकते हैं, जो टॉन्सिल में स्टोन्स का निर्माण करने के लिए एक उत्कृष्ट भूमि प्रदान करते हैं।
इस एकत्रिति से टॉन्सिल के क्रिप्ट्स में कैल्सिफाइड मासों का निर्माण हो सकता है, जिसे टॉन्सिल स्टोन्स कहा जाता है।
नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग, और जीभ को स्क्रेप करना अद्भुत मौखिक स्वच्छता की खासियत है।
पुरानी टॉन्सिलाइटिस: पुनरावृत्ति टॉन्सिलाइटिस से पीड़ित व्यक्ति टॉन्सिल स्टोन्स विकसित करने के लिए विशेष रूप से प्रवृत्त होते हैं।
प्रायोजित इन्फ्लेमेशन और टॉन्सिल के वृद्धि टॉन्सिल के लिए गठन के लिए उपयुक्त शर्तों को बनाते हैं।
अंडरलाइन टॉन्सिलाइटिस के इलाज के माध्यम से या, गंभीर मामलों में, टॉन्सिल का ऑपरेशन (टॉन्सिलेक्टोमी) के माध्यम से टॉन्सिल स्टोन्स की पुनः प्रावृत्ति को रोकने के लिए जरूरी हो सकता है।
आहारी आदतें: कुछ आहारी आदतें, जैसे कि वसा, डेयरी, या चीनी युक्त आहार का सेवन, टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को बढ़ावा दे सकते हैं।
कैल्शियम और डेयरी में उच्च खाद्य पदार्थ टॉन्सिल क्रिप्ट्स में संद की कैल्सिफिकेशन को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे टॉन्सिल स्टोन्स का निर्माण होता है।
एक संतुलित आहार, जिसमें फल, सब्जियां, और प्रोटीन हो, टॉन्सिल स्टोन्स के गठन का जोखिम कम करने में मदद कर सकता है।
सूखा मुंह: लार की कमी मुंह से बैक्टीरिया और संद को बाहर निकालने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूखा मुंह वातावरण टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना बढ़ा सकता है।
कम लार प्रवाह बैक्टीरिया और संद को टॉन्सिल क्रिप्ट्स में एकत्रित होने की अनुमति देता है, जिससे टॉन्सिल स्टोन्स का निर्माण होता है।
दिन भर में पर्याप्त पानी पिए ताकि आपका मुंह नम रहे और लार का उत्पादन होता रहे।
अनारोबिक बैक्टीरिया: मुंह के अनारोबिक बैक्टीरिया, विशेष रूप से स्ट्रेप्टोकोकस और एक्टिनोमाइसीज जैसी प्रजातियाँ, टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को बढ़ावा दे सकते हैं।
ये बैक्टीरिया निम्न-ऑक्सीजन वातावरण में विकसित होते हैं, जैसे कि टॉन्सिल क्रिप्ट्स, जहां वे प्रोटीन को मेटाबोलाइज करते हैं और बदबू के द्रव्य को उत्पन्न करते हैं।
सही मौखिक स्वच्छता व्यवहारों को अनुपालन करने से, जैसे कि नियमित ब्रशिंग और फ्लॉसिंग, मुंह में बैक्टीरियल लोड को कम किया जा सकता है और टॉन्सिल स्टोन्स के गठन का जोखिम कम किया जा सकता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के लक्षण
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े अपरिचित चिन्हों और लक्षणों की पहचान महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर हस्तक्षेप और प्रबंधन किया जा सके:
स्थायी बदबू: टॉन्सिल स्टोन्स के एक प्रमुख लक्षण में से एक है स्थायी बदबू, जिसे हलितोसिस कहा जाता है।
टॉन्सिल स्टोन्स बैक्टीरिया को धारित करते हैं जो दुर्गंधीय वायलेटाइल सल्फर कंपाउंड्स (VSCs) उत्पन्न करते हैं, जो स्थायी बदबू का कारण बनते हैं।
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़ी गंध को आमतौर पर बदबू, "सड़ गया," या कच्चाई की खुशबू के रूप में वर्णित किया जाता है।
गले में दर्द: टॉन्सिल स्टोन्स गले में चिढ़ और फूलाव का कारण बन सकते हैं, जिससे स्थायी गले में दर्द होता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के मौजूदगी में गले के आसपास के ऊतकों को चिढ़ सकते हैं, जिससे तकलीफ, खराश, या गले में कुछ फँसा होने का एहसास होता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ व्यक्तियों को भोजन या तरल पदार्थों को निगलने में तकलीफ या दर्द का अनुभव हो सकता है।
निगलने में कठिनाई: बड़े टॉन्सिल स्टोन्स या उनके समूह गले को रोक सकते हैं, जिससे निगलने में कठिनाई या दर्द हो सकता है।
टॉन्सिल स्टोन्स आकार में विभिन्न हो सकते हैं, छोटे, मात्र कुछ स्पष्ट उपजाऊ फॉर्मेशन्स से लेकर बड़े, अधिक अभिनव मासों तक।
व्यक्तियों को निगलने के दौरान गले में बाधा या असहजता का अहसास हो सकता है, विशेष रूप से जब खाना या तरल पदार्थों को निगला जाता है।
कान में दर्द: कुछ मामलों में, टॉन्सिल स्टोन्स कान में दर्द को संदर्भित कर सकते हैं, जिससे असहजता, दबाव, या कान के दर्द हो सकता है।
टॉन्सिलों को कान से जड़ा होने की क्लोस डूरी के कारण, कान में दर्द हो सकता है।
टॉन्सिल स्टोन्स के संबंधित कानों में दर्द कभी-कभी हो सकता है, जो स्टोन्स की आकार और स्थान के आधार पर अनियमित या स्थायी हो सकता है।
टॉन्सिलों पर सफेद या पीले दाग: निरीक्षण के दौरान, व्यक्तियों को टॉन्सिलों की सतह पर सफेद या पीले रंग के दाग दिख सकते हैं, जो संद या टॉन्सिल स्टोन्स के प्रकरण का पता लगाने में मदद कर सकते हैं।
टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े साथी लक्षणों में से एक यह भी है कि टॉन्सिलों की सतह पर बने हुए दाग जो इस परिस्थिति का संकेत देते हैं।
कई टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े लक्षणों में से कुछ ऐसे होते हैं जो अवसाद और चिंता को बढ़ा सकते हैं, खासकर जब रोगी अपने रोग का समय पर पता नहीं लगा पाता है।
टॉन्सिल स्टोन्स की रोकथाम
टॉन्सिल स्टोन्स को रोकने के लिए इन साधारण उपायों का पालन करें:
अच्छी मौखिक स्वच्छता: टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोकने के लिए अच्छी मौखिक स्वच्छता की अपेक्षा करें।
कैल्सिफाइड मासों को निरोधित करने और संद को हटाने के लिए नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग, और जीभ को स्क्रेप करना महत्वपूर्ण है।
स्वच्छ रहें, सही तरीके से ब्रश करें, और प्रतिदिन दो-तीन बार अच्छे से मुंह धोएं।
आहारी आदतें: आहार में संतुलितता बनाए रखें और जल्दी से टूटने वाले पदार्थों का उपयोग करें, जो टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना को कम कर सकते हैं।
उच्च कैल्शियम और विटामिन संबंधित भोजन टॉन्सिल क्रिप्ट्स की अच्छी स्वच्छता को बढ़ावा देते हैं, जिससे टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना कम होती है।
अधिकतम पौष्टिक लाभ के लिए, फल, सब्जियां, पूरी अनाज, और अनाज का उपयोग करें, और प्रोटीन और आल्फा-हाइड्रॉक्सी तत्वों का उपयोग कम करें।
प्रतिदिन अधिक पानी पिएं: प्रतिदिन पर्याप्त पानी पीना आपके मुंह की स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है और टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना को कम कर सकता है।
पानी उपायुक्त अनुपात में प्राकृतिक मूत्रसंचार को बढ़ावा देता है, जिससे मुंह में संद का निर्माण कम होता है।
अपने दिन के दौरान पानी की अधिकतम मात्रा को पीने का प्रयास करें, विशेष रूप से भोजन के समय के बाद, ताकि खाद्य संद और बैक्टीरिया को धो दिया जा सके।
टॉन्सिल स्टोन्स का इलाज
टॉन्सिल स्टोन्स का इलाज विभिन्न प्रकार के उपायों का उपयोग करता है, जो गंभीरता के आधार पर अलग हो सकते हैं।
घरेलू उपचार: छोटे और असंगत टॉन्सिल स्टोन्स के लिए, घरेलू उपचार काम कर सकते हैं, जैसे कि गरम पानी गर्गल, स्टीम, और उपयुक्त मुंह में स्वांग करना।
गरम पानी गर्गल अद्भुत ढंग से संद को निकालता है और टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोकता है।
स्टीमिंग और स्वांग मुंह में बैक्टीरियल लोड को कम करता है और संद को हटाता है, जो टॉन्सिल स्टोन्स के गठन की संभावना को कम कर सकता है।
दवाइयाँ: बड़े और परेशान करने वाले टॉन्सिल स्टोन्स के लिए, डॉक्टर आपको उचित दवाइयों का प्रेस्क्रिप्शन कर सकते हैं, जैसे कि एंटीबायोटिक्स या कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स।
एंटीबायोटिक्स संद को खत्म करने और इन्फेक्शन को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं, जो टॉन्सिल स्टोन्स के गठन के प्रकरण को बंद कर सकते हैं।
कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स संद के लिए शांति और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जुड़े दर्द और असहजता को कम कर सकते हैं।
ऑपरेशन: बड़े और असंगत टॉन्सिल स्टोन्स जो उपर्युक्त उपचार से प्रतिसाद नहीं दे रहे हैं, उन्हें साधारण रूप से टॉन्सिलेक्टोमी के माध्यम से हटाया जाता है।
टॉन्सिलेक्टोमी एक आम ऑपरेशन है जिसमें टॉन्सिलों को हटा दिया जाता है, जो स्थायी रूप से टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोक सकता है।
यह ऑपरेशन आमतौर पर स्थानीय या जनरल एनेस्थेटिक के साथ किया जाता है और डॉक्टर के निर्देशानुसार किया जाता है।
समापन
टॉन्सिल स्टोन्स को संभावना से पहचान करना और इसे ठीक करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अच्छी मौखिक स्वच्छता और स्वस्थ जीवनशैली को पालन करें। नियमित ब्रशिंग, फ्लॉसिंग, पानी पीना, और स्वस्थ आहार अभ्यास करना टॉन्सिल स्टोन्स के गठन को रोकने में मदद कर सकता है और आपको मुंह की स्वास्थ्य को संरक्षित रख सकता है। अगर आपको लगता है कि आप टॉन्सिल स्टोन्स के साथ जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है, ताकि उचित निदान और उपचार प्राप्त किया जा सके।
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medtalksblog · 2 years
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ashokgehlotofficial · 2 years
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राज्य बजट 2023-24 की तैयारियों को लेकर शनिवार को सचिवालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में राज्य स्तरीय कर परामर्शदात्री समिति की बैठक को संबोधित किया। राज्य की आर्थिक प्रगति में उद्यमियों, व्यापारियों एवं करदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी परामर्शदात्री समिति के सुझावों का बजट में समावेश करने के प्रयास किए जाएंगे।
उद्यमियों, व्यापारियों एवं करदाताओं द्वारा दिए गए सुझावों में सकारात्मकता और अनुभव झलकता है। कोरोन�� काल के दौरान राज्य सरकार द्वारा उद्योगों और व्यापारियों को हर संभव राहत प्रदान की गई। राज्य सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने का ऐतिहासिक फैसला लिया, रिप्स जैसी महत्वपूर्ण नीति से राज्य के उद्योगों को प्रोत्साहन तथा संबल मिल रहा है।
आज राजस्थान जीडीपी ग्रोथ में देश में दूसरे नंबर पर है। आपके सहयोग के बिना यह संभव नहीं था। इन्वेस्ट राजस्थान समिट में रिकॉर्ड निवेश के एमओयू हुए, जो अपने आप में ऐतिहासिक हैं। आज रीको द्वारा राज्य के हर उपखण्ड स्तर पर औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किए जा रहे हैं। MSME एक्ट का देशभर में स्वागत हुआ है। साथ ही, राज्य सरकार ने नए उद्योग स्थापित करने के लिए एकल खिड़की की सुविधा भी उपलब्ध करवाई है।
राज्य सरकार द्वारा किए गए नवाचारों से आज निवेशक कंफरटेबल महसूस कर रहा है। एग्रो एवं फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा 2 करोड़ रूपए तक की सब्सिडी दी जा रही है।
कोरोना महामारी में राज्य में शानदार प्रबंधन किया गया। यहां के भीलवाड़ा मॉडल की देशभर में सराहना हुई। राज्य सरकार द्वारा ‘कोई भूखा ना सोए’ के संकल्प के साथ राज्य में सभी जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन का प्रबंध किया गया। कोविड महामारी में महंगे इंजेक्शन व दवाईयां आमजन को निःशुल्क उपलब्ध करवाई गई। ऑक्सीजन की कमी से राज्य में कोई जनहानि नहीं हुई। कोरोना काल के दौरान आए मंदी के दौर के बावजूद प्रदेश की आर्थिक स्थिति स्थिर है, यह शुभ संकेत है।
प्रदेशवासियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य सरकार द्वारा लगभग 1 करोड़ लोगों को पेंशन उपलब्ध कराई जा रही है। जिस तरह तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना एवं खाद्य का अधिकार लागू कर सभी को सामाजिक व आर्थिक संबल प्रदान किया गया है, उसी तरह देश में एक समान सामाजिक सुरक्षा देने के लिए केन्द्र सरकार को ‘राइट टू सोशल सिक्योरिटी‘ एक्ट लागू करना चाहिए। इसके लिए चिंतन शिविर में मंत्रिपरिषद् सदस्यों ने एकमत प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को पत्र लिखा जाएगा।
बैठक में बताया गया कि राजस्थान में संस्थागत प्रसव राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। साथ ही, टीकाकरण कवरेज की दृष्टि से भी राजस्थान भारत के औसत से 4 प्रतिशत आगे है। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में करीब 1.38 करोड़ परिवारों का पंजीकरण हो चुका है। इस योजना का ही परिणाम है कि प्रदेश की करीब 90 प्रतिशत आबादी अब स्वास्थ्य बीमाधारक है, जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 41 प्रतिशत ही है। चिरंजीवी योजना में अब तक 31.58 लाख मरीजों को लगभग 3625 करोड़ रूपए का निःशुल्क उपचार उपलब्ध हुआ है। मुख्यमंत्री निःशुल्क निरोगी राजस्थान योजना के तहत राजकीय चिकित्सा संस्थानों में जांच एवं दवाओं के साथ संपूर्ण उपचार निःशुल्क मिल रहा है। योजना पर अनुमानित व्यय करीब 1500 करोड़ रूपए किया जा रहा है।
राज्य सरकार की जनहितकारी योजनाओं से हर वर्ग लाभान्वित हो रहा है। इंदिरा रसोइयों में आमजन को 8 रूपए में पौष्टिक भोजन परोसा जा रहा है। राज्य सरकार प्रत्येक थाली पर 17 रूपए अनुदान दे रही है। राज्य में 211 नए कॉलेज खोले गए हैं, जिनमें 94 गर्ल्स कॉलेज भी शामिल हैं। विद्यालय में 500 बालिकाओं के नामांकन पर कॉलेज खोलने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है।
इस अवसर पर उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्रीमती शकुन्तला रावत, ऊर्जा राज्यमंत्री श्री भंवर सिंह भाटी, मुख्यमंत्री सलाहकार श्री निरंजन आर्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त श्री अखिल अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग एवं वाणिज्य श्रीमती वीनू गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव गृह श्री आनंद कुमार, प्रमुख शासन सचिव ऊर्जा श्री भास्कर ए सावंत, प्रमुख शासन सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग श्री वैभव गालरिया, रीको के स्वतंत्र निदेशक श्री सीताराम अग्रवाल सहित सीआईआई, फिक्की, एसोचैम, पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स, राजस्थान चैम्बर ऑफ कॉमर्स, फोर्टी सहित पर्यटन, खाद्य पदार्थ व्यापार, एग्रीकल्चर इण्डस्ट्री, ऑयल इण्डस्ट्री, हैण्डीक्राफ्ट, कपड़ा उद्योग, सीमेंट मैन्यूफैक्चरर्स, मार्बल एवं स्टील उद्योग सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुडे़ औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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medtalks01 · 2 years
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मधुमेह और स्ट्रोक के बीच क्या संबंध है? What is the connection between diabetes and stroke?
मधुमेह स्ट्रोक सहित कई स्वास्थ्य स्थितियों के लिए आपके जोखिम को बढ़ा सकता है। 
अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन (American Stroke Association) के अनुसार, मधुमेह वाले लोगों में मधुमेह के बिना लोगों की तुलना में स्ट्रोक होने की संभावना दोगुनी होती है। उन्हें पहले की उम्र में स्ट्रोक होने की अधिक संभावना होती है, और इसका परिणाम और भी खराब हो सकता है। यदि आपको प्रीडायबिटीज है, तो आपको पहले से ही बिना डायबिटीज (diabetes) वाले लोगों की तुलना में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा अधिक है। 
स्ट्रोक क्या है? What is stroke?
स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति है जो तब होती है जब आपके मस्तिष्क के हिस्से में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं होता। यह आमतौर पर मस्तिष्क में अवरुद्ध धमनी के कारण बाधित हुए रक्त प्रवाह (blood flow) और ऑक्सीजन के कारण या मस्तिष्क में रक्त धमनी फटने (नस फटने) की वजह से हुए रक्तस्राव के कारण होता है। रक्त की निरंतर आपूर्ति के बिना, उस क्षेत्र में मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन की कमी से मरने लगती हैं जो कि स्ट्रोक (stroke) का रूप लेता है, जिसे ब्रेन डैमेज भी कहा जाता है। दोनों ही सूरतों में मस्तिष्क तक उचित मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाता जिसकी वजह से स्ट्रोक होता है। स्ट्रोक आने पर निम्न समस्याएँ हो सकती है :-
बोलने या समझने में कठिनाई।
स्मृति लोप।
स्तब्ध हो जाना या पक्षाघात (चलने में असमर्थता)।
दर्द।
भावनाओं को नियंत्रित करने या व्यक्त करने में समस्या, या अवसाद।
सोचने, ध्यान देने, सीखने या निर्णय लेने में परेशानी।
स्ट्रोक आने पर जान जाने का भी खतरा बना रहता है। 
मधुमेह कैसे स्ट्रोक का कारण बनता है? How does diabetes cause stroke?
मधुमेह आपके शरीर को भोजन को ठीक से संसाधित करने से रोकता है। आपका शरीर इंसुलिन नहीं बना सकता है या इंसुलिन का सही तरीके से उपयोग नहीं कर सकता है, जिससे आपके रक्त में ग्लूकोज (शर्करा) का निर्माण होता है।
समय के साथ, उच्च ग्लूकोज का स्तर (high glucose levels) शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। मधुमेह वाले कई वयस्कों में अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं जो स्ट्रोक का कारण बन सकती हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-
शरीर का अतिरिक्त वजन।
दिल की बीमारी।
उच्च रक्तचाप (hypertension)।
उच्च कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol)। 
मधुमेह से संबंधित स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं? What are the symptoms of diabetes-related stroke?
मधुमेह से संबंधित स्ट्रोक के लक्षण किसी भी स्ट्रोक के लक्षणों के समान ही होते हैं जो कि निम्नलिखित है :-
बात करने में कोई परेशानी।
चक्कर आना, संतुलन की समस्या या चलने में परेशानी।
गंभीर, अचानक सिरदर्द।
अचानक भ्रम।
देखने में परेशानी या दोहरी दृष्टि।
शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता (उदाहरण के लिए, चेहरे का एक हिस्सा, एक हाथ या एक पैर)।
स्ट्रोक आना एक आपातकाल स्थिति है। स्ट्रोक का कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें और रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल में दाखिल करवाया जाना चाहिए।
स्ट्रोक का निदान कैसे किया जाता है? How is stroke diagnosed?
स्ट्रोक आने पर उसकी पहचान लक्षणों से की जाती है जिसके आधार पर डॉक्टर निदान के लिए निम्न कुछ जांच के लिए निर्देशित कर सकते हैं ;-
सीटी स्कैन।
संभावित संक्रमण की जांच। 
हृदय क्षति के संकेतों की तलाश।
रक्त वाहिकाओं में रक्त थक्के की जांच, जिसमें रक्त थक्के की क्षमता का भी आकलन किया जायगा।
रक्त शर्करा के स्तर की जांच।
किडनी और लीवर के कार्य की जांच करना।
संक्षिप्त ईसीजी या ईकेजी (abbreviated ECG or EKG) जांच।
एमआरआई स्कैन।
ईईजी (EEG), हालांकि कम आम है।
इस दौरान डॉक्टर आपको कुछ कार्य करने या प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहेगा। जैसे ही आप इन कार्यों को करते हैं या इन सवालों के जवाब देते हैं, तो डॉक्टर उन संकेतों की तलाश करेगा जो आपके मस्तिष्क के काम के तरीके के साथ एक समस्या दिखाते हैं।
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newsreporters24 · 3 years
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Centre Wants States To Say No Deaths Due To Oxygen Crisis: Manish Sisodia
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अप्रैल और मई में ऑक्सीजन के कुप्रबंधन के लिए केंद्र जिम्मेदार था, मनीष सिसोदिया ने कहा (फाइल) नई दिल्ली: उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय राजधानी में “ऑक्सीजन की कमी के कारण मौतों की जांच” के लिए एक पैनल बनाने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को फिर से खारिज कर दिया है। श्री सिसोदिया ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि कोई भी इनकार नहीं कर सकता है…
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allgyan · 4 years
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सबसे अच्छा ऑक्सीमीटर कौन सा है ?
ये ऑक्सीमटर किस तरह का है और कैसे काम करता है -
ये एक क्लिप की तरह डिवाइस है इसमें आपको अपनी ऊँगली रखनी होती है |और इसमें कई तरह की रीडिंग ले सकते है |इसमें बटन लगे होते है इसके ऊपर एक डिस्प्ले होती है | और जब आप इसके अंदर अपनी ऊँगली फसाते है |तो ये डिवाइस आपके हार्ट रेट और आपके खून में ऑक्सीजन के स्तर को नापा जाता है|इसमें न कोई दर्द होता है |इसका प्रयोग ज्यादातर अस्पतालों में होता  है |हॉस्पिटल में प्रयोग होने वाली इस डिवाइस से सही रीडिंग प्राप्त होती है |
ऑक्सीमीटर वास्तव में ये चेक करता है की आपका दिल सही से काम कर रहा है की नहीं |क्योकि ब्लड की पम्पिंग का काम दिल ही करता है |इससे ये भी पता चलता है की किसी भी व्यक्ति को सॉस लेने में दिक्कत तो नहीं |क्योकि आम तौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति का के खून में ऑक्सीजन का स्तर 89 प्रतिशत से ज्यादा होना चाहिए | कभी -कभार ये इससे कम भी हो जाता है लेकिन इससे घबराने की जरुरत नहीं |लेकिन लम्बे समय तक अगर ये स्थति है तो ये जानलेवा भी हो सकता है |इससे ये भी पता चलता है की फेफड़ों को दी जाने वाली दवा सही से काम कर रही है की नहीं |
ऑक्सीमटर की एक्यूरेसी पर क्या चीजें फर्क डालती है -
वैसे तो ऑक्सीमटर एक्यूरेट है लेकिन कुछ चीजें है जो इसके एक्यूरेसी पर फर्क भी डालते है | पहला मूवमेंट -मतलब मूवमेंट ज्यादा नहीं होना चाहिए नहीं तो रीडिंग पर फर्क पड़ता है दूसरा है नेल पोलिश -आम तौर पर महिलाये अपने नाखुनो में नेल पोलिश लगायी रहती है वो भी इसके रीडिंग में फर्क डालती है |और अंतिम में आता है तापमान इसका भी बहुत असर पड़ता है रीडिंग पर |
कोरोना के लिए क्यों है कारगर -में ऑक्सीमीटर
देखिये कोरोना मरीज़ के साथ ये समस्या होती है की उनका ऑक्सीजन स्तर गिरने लगता है और सही समय पर अगर वो हॉस्पिटल नहीं पहुंचते तो दम भी तोड़ सकते है |इस समय मरीज़ को घर में ही रख रहे है तो ये डिवाइस और भी प्रमाणिक है क्योकि आपको दवा देते है और इस डिवाइस से आप हर दिन अपने ऑक्सीजन के स्तर को नाप सकते है |जिससे आपकी सुरक्षा है |और सरकार भी जिसको कोरोना हो जा रहा है और घर में रख रही है उसको एक ऑक्सीमीटर दे रही है और दवा दे रही है और हर दिन इसकी रिपोर्ट लेती है और इसके बिनाह पे ही वो देखते है की मरीज़ को हॉस्पिटल में भर्ती करना है या नहीं | और मरीज़ की स्थति क्या है |ये एक कारगर डिवाइस है |
कोरोना में काढ़ा के साथ ऑक्सीमीटर भी जरूर रखे अपने घर में -
काढ़ा भी इस दौर में बहुत ही चर्चित हुआ | कोरोना में लोग काढ़ा रोज पि रहे है जहाँ घरों में चाय के चर्चे थे वहाँ अब काढ़ा ने जगह ले रखी है |जब से लोगों को पता चला की कोरोना से बचना है तो इम्युनिटी मजबूत होनी चाहिए |और काढ़ा इम्युनिटी को मजबूत करता है |ये आपको कोरोना से बचाता है |लेकिन ऑक्सीमीटर कोरोना होने पर भी आपकी देखभाल करता है क्योकि ये समय -समय पर आपके खून में ऑक्सीजन के स्तर को नापती रहती है जिससे आपको कोई कमी नज़र आये तो आप डॉक्टर से कंसल्ट कर सकते है | इसलिए पल्स ऑक्सीमीटर इस दौर की जरुरत और मांग भी है |
ऑक्सीमीटर का फायदा अन्य रोगो में -
देखिये ऑक्सीमीटर जो है अस्थमा के रोगी के लिए ,लंग कैंसर वाले मरीज़ के लिए और एनीमिया और हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के जांच के लिए भी उतना उपयोगी है जितना कोरोना के केस में है |क्योकि अस्थमा के केस में सॉस लेने में दिक्क्त भी ऑक्सीजन के लेवल का पता होने पर आप मरीज़ के लिए कोई भी निर्णय ले सकते है | इसलिए ये डिवाइस एक उपयोगी डिवाइस है इसे हर घर में रखना चाहिए |बाजार में ऑक्सीमीटर की पूरी खेप है क्योकि जरुरत बढ़ती है तो मांग भी बहुत तेज़ी से बढ़ती है |कई e -कॉमर्स कम्पनिया अच्छी और कम दाम पर ऑक्सीमीटर को सेल कर रही है | लोगों के घरों तक अपनी पहुंच बना रही है | आप चाहे ये तो इन वेबसाइटों से खरीद सकते है |
पूरा जानने के लिए -https://bit.ly/3nsxPtw
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narmada11 · 2 years
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साइलेंट स्ट्रोक निदान के बारे में तथ्य
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क्या साइलेंट स्ट्रोक होना संभव है?
जब हम स्ट्रोक पर विचार करते हैं, तो हम अक्सर साइड इफेक्ट के बारे में सोचते हैं, जैसे स्लरड डिस्क्लोजर, मृत्यु, या चेहरे या शरीर में विकास न होना। हालांकि, साइलेंट स्ट्रोक इस तरह के दुष्प्रभाव नहीं दिखाते हैं। नियम के अनुरूप साइलेंट स्ट्रोक वास्तव में, किसी भी तरह से कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखाते हैं।
इस्केमिक स्ट्रोक की तरह, साइलेंट स्ट्रोक तब होते हैं जब आपके दिमाग के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति अचानक बंद हो जाती है, जिससे आपके मस्तिष्क को ऑक्सीजन से वंचित कर दिया जाता है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है।
हां, आपको एक साइलेंट स्ट्रोक हो सकता है या जिससे आप पूरी तरह से अनजान हों या उसे याद नहीं कर सकते।
फिर भी, एक  साइलेंट स्ट्रोक को आमतौर पर समझना मुश्किल होता है। यह इस आधार पर है कि साइलेंट स्ट्रोक आपके मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति को बाधित करता है जो बोलने या हिलने जैसी कोई स्पष्ट क्षमता को नियंत्रित नहीं करता, इसलिए इसे आप कभी भी महसूस नहीं कर सकते कि स्ट्रोक हुआ है।
जिस तरह से बहुत से लोगों को पता चलता है कि उन्हें साइलेंट स्ट्रोक हुआ, यह उस स्थति में पता चलता है जब वह किसी और कारण से ऍम.आर.आई  एवं  सी.टी स्कैन करते हैं और विशेषज्ञ ध्यान देते हैं कि दिमाग के किसी छोटे से हिस्से को नुकसान पहुंचाया गया है।
क्या इसका मतलब यह है कि  साइलेंट स्ट्रोक उतने खतरनाक नहीं हैं?
आपको साइलेंट स्ट्रोक नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह खतरनाक नहीं है या आपके साथ नहीं हो सकता है। साइलेंट स्ट्रोक आमतौर पर दिमाग के छोटे हिस्से को प्रभावित करते हैं, और आप न्यूरोलॉजिकल लक्षणों को नोटिस करना शुरू कर सकते हैं। इससे भविष्य में रोगसूचक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
यहाँ कुछ लक्षण हैं:
• स्मृति समस्या
• भावनात्मक समस्या
• चलने के तरीके में बदलाव
• निर्णय लेने में परेशानी
• आंत्र हानि या मूत्राशय पर नियंत्रण
साइलेंट स्ट्रोक कैसे भिन्न होते हैं?
साइलेंट स्ट्रोक के विभिन्न कारणों में शामिल हैं - रक्त का थक्का, उच्च रक्तचाप, संकुचित धमनियाँ, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह। प्रमुख रूप से कोई ध्यान देने योग्य लक्षण नहीं हैं, लेकिन कभी-कभी क्षति स्थायी हो सकती है और प्रभाव संचयी हो सकता है। बाहों, गर्दन में कमजोरी, बोलने में कठिनाई, चलने में परेशानी, एक आंख में अंधापन, त��ज सिरदर्द या चक्कर आना, ये इस्केमिक स्ट्रोक के कुछ लक्षण हैं।
रक्तस्रावी स्ट्रोक के मामले में मस्तिष्क में रक्तस्राव, आदि की संभावना होती है।
कैसे पता चलेगा कि आपको दौरा पड़ा है?
यदि आपके पास मस्तिष्क में चोट है तो सीटी स्कैन में छवि सफेद धब्बे दिखाएगी जो इंगित करती है कि मस्तिष्क की कोशिकाओं ने काम करना बंद कर दिया है। इस तरह डॉक्टर को पता चलेगा कि आपको ब्रेन स्ट्रोक हुआ है। कभी-कभी सूक्ष्म संकेत होते हैं जैसे - संतुलन की समस्या, बार-बार गिरना, पेशाब का रिसाव, आपके मूड में बदलाव और सोचने की क्षमता में कमी।
क्या आप नुकसान को रोक सकते हैं?
ऑक्सीजन की अनुपस्थिति से सिनेप्स को लम्बे समय में होने वाले नुकसान को ठीक करना मूल रूप से असंभव है। फिर भी, कभी-कभी, आपके दिमाग के अच्छे हिस्से उन क्षमताओं पर नियंत्रण ग्रहण कर सकते हैं। लंबे समय में, यह मानते हुए कि साइलेंट स्ट्रोक ज्यादा बढ़ते हैं, आपके मन की पारिश्रमिक की क्षमता कम हो जाएगी।
हमें यह जानने की जरूरत है कि साइलेंट स्ट्रोक को कैसे रोका जाए, यहां नर्मदा हेल्थ ग्रुप में विशेषज्ञ है, जो आपको अपने प्रियजनों की देखभाल करने में मदद करेंगे। साइलेंट स्ट्रोक का पता लगाना मुश्किल है और इससे प्रभावित मस्तिष्क के हिस्सों को बहाल करना और भी मुश्किल है।
यहाँ कुछ निवारक उपाय दिए गए हैं: -
• रक्तचाप नियंत्रण करें
• सप्ताह में कम से कम 5 दिन व्यायाम करें।
• नमक का सीमित सेवन करें
• अपने वजन पर नियंत्रण रखें और देखें कि आपका बॉडी मास इंडेक्स 18.5- 24.9 के बीच होना चाहिए, जो सामान्य माना जाता है।
• अपने कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करें
• धूम्रपान न करें, पेय पदार्थ ना लें
• सब्जियां खाएं और मधुमेह की समय समय पर जांच कराते रहें।
क्या मुझे डॉक्टर को दिखाना चाहिये?
यह बार-बार होने वाला सवाल है जो आपके दिमाग में हर समय आ सकता है, लेकिन दैनिक कामों के बीच, आप इसे नज़र अंदाज़ सकते हैं। एक स्ट्रोक खतरनाक हो सकता है, और यदि आप किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहे हैं तो आस-पास के सर्वोत्तम स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें - नर्मदा इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सेंटर ऐसी महत्वपूर्ण देखभाल और आपातकालीन सेवा की दिशा में काम करता है। सर्वोत्तम योग्य डॉक्टरों और उन्नत चिकित्सा प्रौद्योगिकी के साथ, नर्मदा स्वास्थ्य समूह तत्काल चिकित्सा सेवा देता है। यदि आपको स्ट्रोक के लक्षण नहीं दिख रहे हैं, लेकिन आप जोखिम में हैं, तो तुरंत डॉक्टर से भी मिलें।
सारांश
एक साइलेंट स्ट्रोक आमतौर पर ध्यान देने योग्य नहीं होता है, लेकिन यह आपके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। यह तब होता है जब मस्तिष्क के एक छोटे से हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है। आप व्यायाम करके, स्वस्थ भोजन खाकर, अपने वजन को नियंत्रित करके और नमक की मात्रा को सीमित करके स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं।
यदि आप साइलेंट स्ट्रोक के बारे में चिंतित हैं, तो अपने आस-पास के सबसे अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें जो इससे प्रभावी तरीके से निपटने में आपकी मदद कर सकता है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे - https://www.narmadahealthgroup.com
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countryinsidenews · 3 years
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CIN ब्यूरो /दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से मौत मामले की होगी जांच-LG
CIN ब्यूरो /दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से मौत मामले की होगी जांच-LG
CIN :धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट /दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी से मौत मामले की होगी जांच.दिल्ली सरकार ने कोर्ट में ये भी स्पष्ट किया था कि समिति किसी भी अस्पताल को दोषी नहीं ठहराएगी. साथ ही मुआवजे का भुगतान सरकार अकेले वहन करेगी. इस पर हाई कोर्ट ने समिति के संबंध में कहा था कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेश की मंशा कोविड-19 के पीड़ितों को अनुग्रह देने की नहीं है. हाई कोर्ट की पीठ ने कहा कि आदेश को…
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tezlivenews · 3 years
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Oxygen की कमी से दिल्ली में हुई मौतों के मामले की जांच को LG से मिली मंजूरी, खुलेंगे बड़े राज
Oxygen की कमी से दिल्ली में हुई मौतों के मामले की जांच को LG से मिली मंजूरी, खुलेंगे बड़े राज
नई दिल्ली. दिल्ली की केजरीवाल सरकार (Kejriwal Govt) ने ऑक्सीजन की कमी (Lack of Oxygen) से हुई मौत के मामले में जिस कमेटी का गठन किया था, उसे एलजी (LG) ने आज मंजूरी दे दी है. बता दें कि दिल्ली में कोरोना (Covid-19) की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों की जांच के लिए दिल्ली सरकार (Delhi Govt) द्वारा एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था. पिछले कई महीनों से इस कमिटी को लेकर एलजी…
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indoreknnnews · 3 years
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सरकार ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच नहीं करना चाहती- मनीष सिसोदिया का केंद्र पर बड़ा आरोप
सरकार ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जांच नहीं करना चाहती- मनीष सिसोदिया का केंद्र पर बड़ा आरोप
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दावा किया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की कमी से संबंधित मौतों की जांच के लिए एक पैनल बनाने की आवश्यकता को खारिज कर दिया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त टास्क फोर्स इस मामले को देख रहा है. (more…)
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imsaki07 · 3 years
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मंडी: जोगिंद्रनगर में अचानक मर गईं 2500 ट्राउट मछलियां #news4
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के जोगिंद्रनगर के स्यूरी (आरठी) में करीब 25 सौ ट्राउट मछलियां अचानक मर गई हैं। पशु चिकित्सकों की टीम ने मृत मछलियों का पोस्टमार्टम कर सैंपल वेटरनेरी अस्पताल पालमपुर भेजे हैं। प्रारंभिक जांच में मछलियों के मरने का कारण दूषित पानी और ऑक्सीजन की कमी माना जा रहा है। अन्य पहलुओं पर भी संबंधित विभाग ने जांच शुरू कर दी है।  आरठी निवासी बचित्र सिंह ने वर्ष 2017 में पशुपालन…
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chaitanyabharatnews · 3 years
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केंद्र सरकार ने पहली बार माना- 'ऑक्सीजन की कमी से हुई थीं मौतें'
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चैतन्य भारत न्यूज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में जानकारी दी है कि, आंध्र प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कुछ लोगों की मौत हुई थी। सरकार के मुताबिक, कुछ मरीज़ जो वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी मौत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इसी कारण हुई थी। केंद्र सरकार द्वारा ये पहली बार माना गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज़ों की जान गई है। इस अस्पताल में गई थी मरीज़ों की जान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि 9 अगस्त, 2021 को आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा ये जानकारी सौंपी गई है जिसे अब संसद ��े जरिए बताया जा रहा है। सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि आंध्र प्रदेश सरकार के मुताबिक, 10 मई 2021 को SVRR अस्पताल में कुछ मरीज़ जो कि वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी मौत हुई थी। शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि ऑक्सीजन टैंक और बैकअप सिस्टम में बदलाव के बीच ऑक्सीजन लाइन में प्रेशर कमज़ोर हुआ था, जिसकी वजह से मरीज़ों को तकलीफ हुई। आपको बता दें कि कुछ वक्त पहले केंद्र सरकार ने संसद में बयान दिया था कि राज्य सरकारों द्वारा जो आंकड़े दिए गए हैं, उनमें किसी में भी ये नहीं कहा गया कि किसी मरीज़ की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई है। हालांकि, राज्य सरकारों ने स्वीकारा है कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन का भारी संकट था। लेकिन किसी मरीज की मौत के पीछे इसे कारण नहीं माना गया। सरकार द्वारा दिए गए इसी जवाब पर तब काफी बवाल हुआ था। विपक्षी पार्टियों द्वारा केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया था, जबकि भाजपा का कहना था कि केंद्र ने सिर्फ वही रिपोर्ट किया है जो राज्य सरकारों द्वारा आंकड़ा दिया गया है। Read the full article
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khsnews · 3 years
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केंद्र ने पूछा- प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें, मंत्री सिंह देव बोले- एक नहीं | केंद्र ने पूछा- प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें हुईं, मंत्री सिंह देव ने कहा- एक भी नहीं.
केंद्र ने पूछा- प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें, मंत्री सिंह देव बोले- एक नहीं | केंद्र ने पूछा- प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें हुईं, मंत्री सिंह देव ने कहा- एक भी नहीं.
रायपुरएक घंटे पहले लिंक की प्रतिलिपि करें ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की कुछ शिकायतें थीं, लेकिन वे साबित नहीं हो सकीं: स्वास्थ्य मंत्री पिछले हफ्ते संसद में केंद्र सरकार के इस दावे पर हंगामा हुआ था कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी कोरोनरी हृदय रोग की मौत नहीं हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने अपने जवाब में कहा था कि राज्यों की ओर से उसे ऐसी कोई अधिसूचना नहीं भेजी गई है. भास्कर की जांच में…
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lokkesari · 3 years
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आक्सीजन की कमी के चलते हुई मोतों की जांच कराएगी दिल्ली सरकार - सिसोदिया
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आक्सीजन की कमी के चलते हुई मोतों की जांच कराएगी दिल्ली सरकार - सिसोदिया
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को कहा कि अगर केंद्र दिल्ली सरकार को एक समिति गठित करने की अनुमति देता है तो शहर में कोविड 19 की दूसरी लहर क दोरान आक्सीजन की कमी के चलते हुई सभी मोतों की जांच की जाएगी । उन्होंने केंद्र पर अपनी गलती छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया ओर कहा कि उसके कुप्रबंधन तथा 13 अप्रेल के बाद आक्सीजन वितरण नीति में किए गए बदलाव से देशभर के अस्पतालों में जीवनरक्षक गैस की कमी हुई जिससे आपदा आई।
आनलाइन संवाददाता सम्मेलन में, सिसोदिया ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पर दिल्ली में कोविड 19 की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों की जांच के लिए समिति गठित करने की अनुमति नहीं देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा,सरकार ने बेशरमी से संसद में सफेद झूठ बोला  है। 15 अप्रेल के बाद से पांच मई तक आक्सीजन की कमी के कारण अफरा तफरी मची हुई थी ओर इसमें कोई बड़ी बात नहीं कि आक्सीजन की कमी से लोगों की मौत हुई। आम आदमी पार्टी ‘ (आप) नेता ने कहा कि दिल्ली ‘ सरकार ने जिम्मेदारी लेते हुए ‘ आक्सीजन की कमी के चलते हुई सभी मौतों की जांच के लिए कमैटी गठित करने की कोशिश की लेकिन केंद्र ने उपराज्यपाल के माध्यम से इसे रोक दिया। उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने अपने कुप्रंबधन के खुल जाने के डर से समिति के गठन को अनुमति नहीं दी।
सिसोदिया ने कहा कि अगर केंद्र उसे समिति गठित करने का अनुमति दे तो केजरीवाल सरकार आक्सीजन की कमी से हुई प्रत्येक मौत की स्वतंत्र जांच के लिए अब भी तेयार है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया था कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान राज्यों ओर केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किसी की भी मौत ऑक्सीजन की कमी से होने की जानकारी नहीं दी गई । उसने कहा कि लेकिन दूसरा लहर के दोरान चिकित्सीय आक्सीजन की मांग में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई और यह पहली लहर में 3,095 मीटिक टन की तुलना में करीब 9,000 मीटिक टन पर पहुंच गई थी जिसके बाद राज्यों के बीच बराबर वितरण के लिए केंद्र को बीच में आना पड़ा था।
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