#एपीएमसी एक्ट
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Farmers Protest : किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत फेल
Farmers Protest : किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत फेल
सरकार और किसानों के बीच 11 वें राउंड की बातचीत भी फेल हो गई …. अब अगली बातचीत कब होगी इस पर अभी सस्पेंस है … कृषि मंत्री ने कहा कि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं … आशा पर ही आसमान छू गया है। । Source link
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#��मित शाह#अमृतसर#एपीएमस��� एक्ट#किसान#गुरुग्राम#दिल्ली#बिल#बुराड़ी#राकेश टिकैत#राष्ट्रीय राजमार्ग 8
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देश के इस बड़े किसान संगठन ने मोदी सरकार के इस कदम को बताया साहसी कदम, जानिए क्या है पूरा मामला
देश के इस बड़े किसान संगठन ने मोदी सरकार के इस कदम को बताया साहसी कदम, जानिए क्या है पूरा मामला
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नई दिल्ली.केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के तहत तीसरे चरण ब्योरा देते हुए कृषि क्षेत्र में बडे रिफार्म का एलान किया. एसेंशियल कमोडिटी एक्ट (Essential Commodities Act) में संशोधन करने का एलान किया है. इस एक्ट से अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दालें,…
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#APMC act#coronavirus economic package#economic package#farmers income double#kisan welfare#Nirmala Sitharaman#reforms of modi government#What is the Essential Commodities Act#आर्थिक पैकेज#आवश्यक वस्तु अधिनियम#एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी एकट#एपीएमसी एक्ट#किसान कल्याण#किसानों की आय दोगुनी#कोरोनावायरस आर्थिक पैकेज#क्या है एसेंशियल कमोडिटी एक्ट#निर्मला सीतारमण &039;#मोदी सरकार के सुधार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय कैबिनेट की बैठक की। इस बैठक में वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए। इस दौरान 2 अध्यादेशों को मंज़ूरी दी गई है। आवश्यक वस्तु अधिनियम, एपीएमसी एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी गई।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारत की सेनाएं पीछे हट गई हैं। रिपोर्ट की माने तो चीनी सेना दो किमी और भारतीय सेना अपनी जगह से एक किमी पीछे हटी है।
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बिहार के किसान अब देश के किसी कोने में बेच सकेंगे अपना उत्पाद: उपमुख्यमंत्री
बिहार के किसान अब देश के किसी कोने में बेच सकेंगे अपना उत्पाद: उपमुख्यमंत्री
बिहार एजेंसी। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदीने कहा है कि अब बिहार के किसान भी देश के किसी कोने में अपना उत्पाद सहजता से बेच सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ने तीन अध्यादेशों के जरिए कृषि क्षेत्र को सभी तरह की नियंत्रण व बाधाओं से मुक्त कर दिया गया है। जिस तरह से 1991 में पीवी नरसिन्हा राव सरकार ने उदारीकरण की नीति के तहत उद्योगों को लाइसेंस, परमिट से मुक्त कर दिया था उसी तरह मोदी…
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वाजपेयी की बैलगाड़ी ने इंदिरा गांधी को करा दिया था विपक्ष का एहसास, आज ट्रैक्टर भी फेल Divya Sandesh
#Divyasandesh
वाजपेयी की बैलगाड़ी ने इंदिरा गांधी को करा दिया था विपक्ष का एहसास, आज ट्रैक्टर भी फेल
प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्… नात्मप्रियं प्रियं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं प्रियम। अर्थात प्रजा के सुख में राजा का सुख है, प्रजा के हित में उसका हित है। राजा का अपना प्रिय कुछ नहीं है, प्रजा का सुख ही उसका सुख है। संसद भवन की लिफ्ट संख्या छह के पास वाले गुंबद पर कौटिल्य के अर्थशास्त्र की ये पंक्तियां दर्ज हैं जो राजधर्म का सार है। लोकतंत्र के मंदिर में आज के पु��ारी ये काम कितनी निष्ठा से कर रहे हैं, इसे जनता समान्य परिस्थितियों में हर पांच साल बाद जज करती है। जनता को जनार्दन मान उनके मुद्दों को उठाना सदन का सर्वोच्च संस्कार है। उस पर तार्किक बहस लोकतांत्रिक परिपाटी है ताकि सर्वोत्कृष्ट जनहितकारी नीतियों का परिमार्जन हो सके। खेद है। बहस और विरोध अब साधन नहीं रहे। साध्य हो गए हैं।
ये सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पर लागू होता है। किसानी पर अभी भी देश की 59 प्रतिशत आबादी आश्रित है। तो हम संसद से पारित तीन किसान कानूनों पर फोकस करते हैं। अड़ियल होने की पराकाष्ठा का आभास हो जाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार का कहना है कि तीनों कानून किसानों के पक्ष में हैं। एक-एक पंक्ति में इनका जिक्र हो जाए। कृषक उत्पाद व्यापार और वाणिज्य कानून – इसके तहत एपीएमसी (पहले चली आ रही मंडियां) के बाहर भी किसान अपनी उपज बेच सकते हैं, उन्हें मंडी में लगने वाला टैक्स नहीं देना होगा। फार्मर्स एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड सर्विसेज एक्ट – इसके तहत किसानों को कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की आजादी मिलती है। तीसरा, आवश्यक वस्तु अधिनियम कानून – इसमें संशोधन कर दाल, तेज, प्याज जैसी उपज को दायरे से बाहर कर दिया गया है। यानी सरकार इसकी कीमत कंट्रोल नहीं करेगी।
सरकार और संबित पात्रा दोनों हर दिन ये कहते हैं कि तीनों कानूनों से किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी। उधर टीकड़ी के सरदार राकेश टिकैत और उनकी आड़ में मोदी को सत्ता से बेदखल करने का सपना देख रहे राहुल गांधी और अन्य विपक्षी पार्टियों को लगता है कि इन कानूनों से देश का किसान बर्बाद हो जाएगा। मिट जाएगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलेगा। इस पर सरकार कानूनी गारंटी दे। उधर सरकार कह रही है कि एपीएमसी एक्ट खत्म हुआ ही नहीं, मंडियां बंद हुई ही नहीं तो एमएसपी के खत्म होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
दोनों टस्स से मस्स नहीं हो रहे। बानगी तो राज्यसभा में पिछले साल ही दिख गई जब तृणमूल, कांग्रेस और वाम सांसदों ने डेप्युटी चेयरमैन हरिवंश से बदसलूकी की। तर्क था, किसानों के हितों ��े लिए ऐसा करना जरूरी हो गया। वे निलंबित हो गए। संदेश देने का स��घर्ष अजीब दिखा। विपक्ष ने चाहा जनता समझ ले कि उनकी खातिर वे कुछ भी कर सकते हैं। सत्ता का संदेश था, देखिए वर्षों तक कुछ नहीं करने वाले अब मोदी का हाथ रोक रहे हैं।
शबाब पर कौटिल्य का राजधर्म
मॉनसून सत्र में बाढ़ की तबाही के बीच सदन चल रहा है और कौटिल्य के राजधर्म का सार शबाब पर है। ऐसा लग रहा है जैसे 59 फीसदी किसानों का इकलौता दुख दर्द ये तीनों कानून पर चल रहा आंदोलन खत्म कर देगा। लैंडस्लाइड, बाढ़ से हुए नुकसान पर चर्चा ट्विटर के जरिए हो रही है। शतकवीर पेट्रोल-डीजल भी किसान कानूनों के आगे फीका है।
लेकिन विपक्ष का काम है कि मुद्दे उठाना। कौन सा जनता के फायदे के लिए है और कौन उनके फायदे के लिए, इस पर बहस की आवश्यकता रह नहीं गई है। बहरहाल सारी लहर टीएमसी वाले लूट रहे थे तो राहुल गांधी ने ट्रैक्टर की स्टियरिंग संभाल जता दिया कि मोदी के खिलाफ कोई भी कुनबा उनके बिना नहीं बन सकता। वो ट्रैक्टर पर सवार होकर संसद पहुंचे। तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की। आरोप लगाया कि किसानों को आतंकवादी कहा जा रहा है। सरकार किसानविरोधी है।
ट्रैक्टर वैसे भी हलचल पैदा करता है। हम-आप जिन्हें भी इस पर बैठने का तजुर्बा है, वो समझ सकते हैं। तो ये हलचल सत्ता पक्ष में भी महसूस की गई। संबित पात्रा ने मोर्चा संभाला। एक न्यूज चैनल पर उनका टिकैत से सामना करा दिया गया। उन्होंने कहा, ट्रैक्टर से डर नहीं लगता. डर एक्टरों से लगता है। उन एक्टरों से लगता है जो ट्रैक्टर पर बैठ कर उसे बदनाम करता है। ट्रैक्टर गरीबों का सबसे बड़ा प्रयोजन है। ट्रैक्टर वो आयुध है जो धरती माता से उपज लेता है। मगर जो एक्टर उस पर बैठकर ड्रामा करते हैं। राहुल गांधी कौन से गांव में जाकर खेती करते हैं। ट्रैक्टर चलाना बाद में, पहले कांग्रेस चला लो।
ट्रैक्टर से घबराना क्यों? हमारा सवाल है कि ट्रैक्टर से घबराना क्यों? जनप्रतिनिधि चाहता ही है कि वो जनता के मुद्दों को उठाने के लिए वो तरीका अपनाए जो सबका ध्यान खींचे। टीडीपी तो इसमें माहिर है। अलग तेलंगाना के खिलाफ उनके सांसदों ने संसद में कीर्तन शुरू कर दिया था। नोटबंदी के खिलाफ एक सांसद ने ऐसी पतलून सिलवाई जिसका एक हिस्सा ब्लैक, दूसरा व्हाइट था। उस पर गरीब जनता की कराहती हुई तस्वीर थी।
पैदल, बस या साइकल से संसद पहुंचने का काम तो कई सांसदों ने किया है। खास तौर पर वामपंथी सांसदों ने। राहुल एक दिन ट्रैक्टर से पहुंच कर कितना ��ार्टी के लिए कितना माइलेज पा सके ये तो वक्त बताएगा। पर इस तरह का विरोध खुद अटल बिहारी वाजपेयी कर चुके हैं। मेरा मकसद राहुल गांधी से उनकी तुलना कतई नहीं है। जनता के मुद्दों को उठाने के लिए वाजपेयी हमेशा याद किए जाएंगे, इसमें कोई शक नहीं। 1973 में अटलजी बैलगाड़ी पर सवार होकर संसद पहुंचे थे। तब इंदिरा गांधी सरकार ने पेट्रोल के दाम सात पैसा प्रति लीटर बढ़ाए थे और इसके विरोध की अगुआई जनसंघ के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने की। मोदी की तरह इंदिरा भी सिंडिकेट और विरोध को परास्त कर प्रचंड बहुमत से 1971 में सत्तासीन हुई थीं। तब तेल के दाम बाजार की ताकतें नहीं बल्कि सरकार ही तय करती थी।
जब पेट्रोल के दाम 100 के पार चले गए तो हाल ही में शशि थरूर, डेरेक ओ ब्रायन और अन्य नेताओं ने मोदी सरकार को आईना दिखाने के लिए बैलागड़ी वाले वीडियो का जुगाड़ किया। इसमें कुछ गलत भी नहीं है। हां, राहुल की टाइमिंग जरूर कमजोर है। नब्ज पकड़ने में कांग्रेस फिसड्डी साबित हो रही है। अभी तेल के दाम समेत महंगाई बड़ा मुद्दा है। लेकिन राहुल के पास इतना आत्मबल नहीं है कि इस मुद्दे पर कोई आंदोलन खड़ा कर सकें। कांग्रेस ही नहीं समूचा विपक्ष संयुक्त किसान मोर्चा का पिछलग्गू दिखाई दे रहा है। यहीं बीजेपी और विपक्ष में सबसे बड़े अंतर का पता चलता है।
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किसानों तक पहुंचेंगे मंडियों के जरिए एक लाख करोड़ -तोमर
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किसानों तक पहुंचेंगे मंडियों के जरिए एक लाख करोड़ -तोमर
नई दिल्ली/ पीएम मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार का कंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई जिसमें कृषि के क्षेत्र में कई बड़े फैसले लिए गए। इन फेसलों की जानकारी देते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते सात वर्षो में लगातार किसानों के हित में कई फैसले लिए हैं कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार नारियल की खेती को बढ़ाने क लिए नारियल बोर्ड अधिनियम में संशोधन करने जा रही है। नारियल बोर्ड का अध्यक्ष एक गैर सरकारी व्यक्ति होगा। यह व्यक्ति किसान वर्ग से होगा जो खेत के काम को जानते और समझते है। तोमर ने कहा हमारे देश में एक बड़े क्षेत्र में नारियल को खेती होती है। इसका उत्पादन बढ़े और किसानों को सहूलियत दिया जा सके इसक लिए 1981 में नारियल बोर्ड एक्ट लाया गया था इसमें हम संशोधन करने जा रहे हैं। बोर्ड का अध्यक्ष गेर शासकीय व्यक्ति होगा। कंद्रीय कृषि मंत्री कहा कि यह किसानों क बीच से ही होगा जो खेती किसानी क कामों को जानते हैं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा बजट में कहा गया था कि मंडियां समाप्त नहीं होगी बल्कि मंडियों को और मजबूत किया जाएगा। मंडियों को और संसाधन मिले इस दृष्टि से प्रयास किया जाएगा। कृषि अवसंरचना फंड को आत्मनिर्भर भारत के तहत एक लाख करोड़ रुपये प्रवर्धित किया गया है उस फंड का उपयोग । कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एपीएमसी को खत्म नहीं किया जाएगा।
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महाराष्ट्र में पहले से हैं कृषि कानूनों जैसे प्रावधान, डेढ़ दशक से हो रहा अमल
महाराष्ट्र में पहले से हैं कृषि कानूनों जैसे प्रावधान, डेढ़ दशक से हो रहा अमल
महाराष्ट्र में नए कृषि कानूनों का प्रभाव कम दिखाई देता है, क्योंकि साल 2003 से एपीएमसी मॉडल एक्ट और ठेके पर खेती (कांट्रेक्ट फार्मिंग) जैसे सुधार यहां चल रहे हैं।
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30 जनवरी की मानव श्रृंखला में महिलाओं की भी होगी उल्लेखनीय भागीदारी
30 जनवरी की मानव श्रृंखला में महिलाओं की भी होगी उल्लेखनीय भागीदारी
पटना। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, बिहार में एपीएमसी एक्ट पुनः बहाल करने और प्रस्तावित बिजली बिल-2020 वापस लेने की मांग पर महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर मानव श्रृंखला आयोजित हो रही है। इसमें महिलाओं की भी बड़ी भागीदारी होगी। पटना में भाकपा-माले और ऐपवा द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐपवा की महासचिव ��ीना तिवारी ने बताया कि पूरे बिहार में…
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#Agricultural Law#Appva#CPI-ML#human chain#msp#Supreme Court#women#women farmers#एमएसपी#ऐपवा#कृषि कानून#महिला#महिला किसान#मानव श्रृंखला#सीपीआई-एमएल#सुप्रीम कोर्ट
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कर्नाटक में रिलायंस ने दी किसानों को बड़ी राहत, MSP से अधिक मूल्य पर की धान की खरीद
कर्नाटक में रिलायंस ने दी किसानों को बड़ी राहत, MSP से अधिक मूल्य पर की धान की खरीद
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, रायचूर Updated Sun, 10 Jan 2021 04:26 PM IST पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर कहीं भी, कभी भी। *Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP! रिलायंस रिटेल लिमिटेड ने कर्नाटक के रायचूर जिले में सिंधनूर तालुक के किसानों से 1000 क्विंटल सोना मंसूरी धान की खरीद कर बड़ी राहत दी है। कर्नाटक में एपीएमसी एक्ट में संशोधन के बाद किसी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी और किसानों के…
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BJP's stunt accusing BJP won't work: Congress | भाजपा का आरोप लगाने वाला स्टंट काम नहीं आने वाला : कांग्रेस
BJP’s stunt accusing BJP won’t work: Congress | भाजपा का आरोप लगाने वाला स्टंट काम नहीं आने वाला : कांग्रेस
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नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से एपीएमसी एक्ट को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलने के बाद अब कांग्रेस ने पलटवार किया है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा की ओर से महज आरोप लगाए जाने से काम नहीं चलेगा।
पार्टी ने कहा कि कांग्रेस पर गलत तरीके से आरोप लगाने के बजाय उन्हें काले कानूनों को वापस लेना चाहिए, जो कि समय की जरूरत भी हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा,…
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विपक्ष माहौल बिगाड़ने की फिराक में : योगी आदित्यनाथ
विपक्ष माहौल बिगाड़ने की फिराक में : योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि किसान आंदोलन की आड़ में कुछ राजनीतिक दल अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं और माहौल को खराब करने की कोशिश में हैं। सोमवार को यूपी सीएम आदित्यनाथ ने कहा, देश के कुछ राजनीतिक दलों की ओर से वातावरण खराब करने का प्रयास किया जा रहा है। खासतौर पर एपीएमसी एक्ट पर राजनीतिक दलों का वर्तमान रवैया उनके दोहरे चरित्र को दर्शा रहा है। यूपी सीएम ने कहा,…
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 70वीं बार 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करेंगे। इस दौरान वे सर्दियों, खासकर त्योहारी सीजन में कोरोना के प्रति विशेष सावधानी बरतने की हिदायत दे सकते हैं। पिछली बार भी उन्होंने लोगों से दो गज की दूरी और मास्क का इस्तेमाल करने की अपील की थी।
मोदी ने पिछली बार कहा था- कोरोना के बीच अपना और बच्चों का ध्यान रखें
कोरोना के कालखंड में दो गज की दूरी जरूरी बन गई है। इस दौरान कई परिवारों को दिक्कतें भी आईं। परिवार के बुजुर्गों ने बच्चों को कहानियां सुनाकर समय बिताया। कहानियां संवेदनशील पक्षों को सामने लाती हैं। जब मां बच्चे को खाना खिलाने के लिए कहानी सुनाती है, उसे देखना दिलचस्प होता है।
लंबे समय तक में घुमंतू रूप में रहा। कई घरों में जाता था। मैं बच्चों को कहानियां सुनाता था। वे कहते थे, अंकल चुटकुले सुनाइए। मैं हैरान रह गया कि घरों में कहानियों की परंपरा खत्म हो गई।
हमारे यहां तो हितोपदेश, पंचतंत्र जैसी कहानियों की परंपरा रही है। दक्षिण भारत में ही ऐसी परंपरा है, जिसे विल्लूपाट कहते हैं। कई लोग इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
परिवार में हर हफ्ते कहानियों के लिए समय निकालिए। इसके लिए करुणा, वीरता, प्रेम जैसे विषय भी निर्धारित कीजिए।
मैं हर स्टोरी टेलर से कहना चाहता हूं कि हम आजादी का 75वां साल मनाने जा रहे हैं। आजादी से लेकर अब तक की घटनाओं को कहानियों में गढ़ सकते हैं क्या?’
कोरोना काल में मास्क जरूर पहनें, दो गज की दूरी रखें। यह आपको और परिवार को बचाएगा। हम यह न भूलें- जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं।
किसानों से कहा था- किसान बिल उनका फायदा ही करेंगे
हमारे यहां कहा जाता है कि जमीन से जुड़ा व्यक्ति बड़े से बड़े तूफानों में अडिग रहता है। क���रोना के संकट काल में किसानों ने दमखम दिखाया है। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी।
मुझे कई किसानों, संगठनों की चिट्ठियां मिलती हैं कि खेती में कैसे बदलाव आ रहे हैं? हरियाणा के किसान कंवर चौहान ने बताया कि उन्हें मंडियों से बाहर फल-सब्जी बेचने में दिक्कत आती थी। गाड़ियां जब्त हो जाती थीं। 2014 में एपीएमसी एक्ट में बदलाव हुए। उन्होंने एक समूह बनाया। अब उनकी चीजें फाइव स्टार होटलों में सप्लाई हो रही हैं। ढाई से तीन करोड़ सालाना कमा रहे हैं। यही ताकत देश के दूसरे किसानों की ताकत है।
गेहूं, धान, गन्ना या किसी भी फसल को जहां मर्जी हो, वहां बेचने की ताकत मिल गई है। पुणे, मुंबई में किसान साप्ताहिक बाजार खुद चला रहे हैं। इसका सीधा लाभ होता है। नए किसान बिल से किसानों को फायदा होगा। जहां अच्छे दाम मिलेंगे, किसान वहीं फल-सब्जियां बेचेगा।
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PM Narendra Modi Mann Ki Baat Live | PM Narendra Modi 69th Mann Ki Baat Today Speech Live News
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केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि कांग्रेस ने खुद अपने घोषणा पत्र में एपीएमसी एक्ट समाप्त करने की बात कही थी लेकिन आज सिर्फ राजनीति करने के लिए कृषि बिल का विरोध कर रही है। दरअसल उसे कल्पना भी नहीं थी कि किसानों के हित में ऐसा कदम केन्द्र की मोदी सरकार उठा सकती है। वह हताशा में विरोध का राग आलाप रही है।
कांग्रेस सत्ता में रहने पर कुछ और विपक्ष में रहने पर वह कुछ और कहती है। पर, मोदी सरकार के विरोध में वह किसान हित के विरोध में उतर आई है। वह किसानों का शोषण करने वाले बिचौलियों के पक्ष में राजनीति कर रही है। झूठ को आधार बनाकर आंदोलन हो रहा है। सच तो यह है कि नए कृषि बिल से किसानों को शोषण से आजादी मिली है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य न खत्म हुआ है और न होगा। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि रंगनाथन कमेटी की अनुशंसा को मोदी सरकार ने लागू किया है। इसके अनुसार किसान या व्यापारी स्वतंत्र होगा कि वह उपज को कहीं भी इसे बेच सकता है। किसान संगठन, कृषि सहकारी समिति या किसानों की कोई भी संस्था व्यापार कर सकती है। व्यापारियों को तीन दिनों के अंदर उसका भुगतान करना होगा।
फसलों के बेचने पर कोई मार्केट फीस, सेस या शुल्क नहीं लगेगा। विवादों के निपटारे के लिए समझौता बोर्ड गठित होगी। समय से भुगतान नहीं करने पर व्यापारियों पर पेनाल्टी लगेगा। किसानों की जमीन की बिक्री, लीज या मॉरगेज पर पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। किसी वसूली के संबंध में उसके खेत पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। इससे किसानों को बीमा और पर्याप्त ऋण के अवसर मिलेंगे और व्यापक पूंजी निवेश होगा।
रविशंकर बाेले - एनडीए एकजुट, मिलकर लड़ेंगे चुनाव सीट बंटवारे को लेकर जारी गतिरोध और लोजपा-जदयू की बढ़ती तल्खी के बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि एनडीए एकजुट है और हम मिलकर ही चुनाव लड़ेंगे। कहीं कोई विवाद नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लोजपा से बातचीत के लिए कुछ नेताओं को जिम्मेवारी सौंपी है।
यही नहीं अन्य सहयोगी दलों से भी सकारात्मक बात हो रही है। शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में केन्द्रीय मंत्री ने हाथरस घटना पर कहा कि पुलिस-प्रशासन अपना काम कर रहा है। योगी सरकार ने एसआईटी गठित कर दी गई है। पर, हाथरस की घटना पर हायतौबा मचा रही कांग्रेस राजस्थान प्रकरण पर चुप क्यों हैं।
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केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि रंगनाथन कमेटी की अनुशंसा को मोदी सरकार ने लागू किया है। इसके अनुसार किसान या व्यापारी स्वतंत्र होगा कि वह उपज को कहीं भी इसे बेच सकता है।
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अध्यादेश से एपीएमसी एक्ट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा : तोमर नई दिल्ली, 14 सितम्बर (आईएएनएस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को एक बार फिर स्पष्ट किया कि कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 से एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) कानून पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार से संबंधित दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। …
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किसानों-बागवानों के लिए बड़ी राहत, बिना कर्फ्यू पास मंडियों तक पहुंचा सकेंगे फसल राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि सरकार मंडी मध्यस्थता योजना के दायरे में आने वाली सभी फसलों के मूल्य बढ़ाने पर विचार करे। जल्द ही प्रदेश में सेब सीजन शुरू होने वाला है। बागवानों को मंडियों में उनके उत्पाद का उ���ित दाम मिलें, इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए। प्रदेश में कोरोना के खौफ के बीच बागवानों की दिक्कतों को लेकर राज्यपाल ने राजभवन में उच्च स्तरीय बैठक ली। इसमें किसानों-बागवानों से जुड़े मसलों पर चर्चा की गई। राज्यपाल ने कहा कि किसानों-बागवानों को मंडियों तक अपने उत्पाद पहुंचाने के लिए दिक्कतों ���ा सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान किसानों-बागवानों को पास लेने की जरूरत नहीं होगी। कृषि उत्पादन मंडी समिति अधिनियम (एपीएमसी एक्ट) सेलेक्ट कमेटी की ऑब्जर्वेशन आने के बाद नए रूप में कैबिनेट की मंजूरी को भेजा जाएगा। सरकार इस एक्ट में संशोधन को लेकर अध्यादेश ला सकती है।
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