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#एनपीआर
lok-shakti · 2 years
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एमएचए की वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अद्यतन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है
एमएचए की वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अद्यतन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है
केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन के लिए जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन के लिए सरकार द्वारा एक विधेयक लाने की संभावना के साथ, गृह मंत्रालय ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) डेटाबेस को अद्यतन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, सिवाय इसके कि असम। यह जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए है, जिसके लिए प्रत्येक…
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saashna · 2 years
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जीवन अराजक है। सफेद शोर की धाराएँ आपको ट्यून आउट (और सो जाने) में मदद कर सकती हैं: एनपीआर
जीवन अराजक है। सफेद शोर की धाराएँ आपको ट्यून आउट (और सो जाने) में मदद कर सकती हैं: एनपीआर
व्हाइट नॉइज़ स्ट्रीम एक तरह का सोनिक वॉलपेपर है। कई लोगों के लिए, वे मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को विचलित रखने में मदद करते हैं ताकि अन्य हिस्से चीजों पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकें, जैसे लिखना, पढ़ना या सोना। टेरी ग्रॉस, होस्ट: यह फ्रेश एयर है। ऐसे पॉडकास्ट हैं जो आपको सुला सकते हैं क्योंकि वे बहुत उबाऊ हैं। लेकिन अब पॉडकास्ट और ऑडियो स्ट्रीम की एक शैली है जो आपको सुलाने के लिए है। यहाँ पोडकास्ट…
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knowledgeocean · 4 years
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भारत की कुल आबादी 135.26 करोड़ है। भारत विभाजन के समय कई लोगों ने पाकिस्तान की जगह भारत में शरण लेने का सोचा, ऐसे में भारत ने उन सभी शरणार्थियों को सिर्फ पनाह ही नहीं दी बल्कि अपने दिल में भी जगह दी। आज भारत में हर तरह के धर्म,जाति,लिंग के लोग एक साथ एक परिवार की तरह रहते हैं, इसीलिए भारत को विविधताओं का देश भी कहा जाता है।, भारत वसुधैव कुटुंबकम जैसे विचारों पर अमल करता है,
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hindinewshub · 4 years
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Strictest Action Will be Taken Against Accused in Delhi Riots, Irrespective of Stature, Says Amit Shah
Strictest Action Will be Taken Against Accused in Delhi Riots, Irrespective of Stature, Says Amit Shah
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गृह मंत्री अमित शाह।
23 फरवरी को, बीजेपी के कपिल मिश्रा ने दिल्ली पुलिस से उन सड़कों को साफ करने का आह्वान किया, जहां महिलाएं सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं और धमकी दी थी कि अगर सड़कें साफ नहीं हुईं, तो वह अपने समर्थकों के साथ खुद ऐसा करेंगे।
News18.com
आखरी अपडेट: 2 जून, 2020, 11:23 AM IST
केंद्रीय गृह मंत्रालय अमित शाह ने कहा है कि फरवरी में दिल्ली के…
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vsplusonline · 5 years
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तमिलनाडु में NPR के डर से 100 से ज्यादा मुस्लिमों ने बैंक से निकाले अपने 'सारे पैसे'
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तमिलनाडु में NPR के डर से 100 से ज्यादा मुस्लिमों ने बैंक से निकाले अपने 'सारे पैसे'
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(पूर्णिमा मुरली)
चेन्नई. तमिलनाडु (Tamil Nadu) के नागपट्टिनम जिले (Nagapattinam District) के एक गांव के मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) के करीब 100 से ज्यादा लोगों ने पिछले कुछ दिनों में बैंक में रखी अपनी सेविंग्स (Savings) का ज्यादातर हिस्सा निकाल लिया है. ऐसा इन लोगों ने सरकार के प्रस्तावित नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) की प्रक्रिया के दौरान अपनी नागरिकता खो देने के डर से किया है.
थेरिझांदुर गांव (Therizhandur Village) में स्थानीयों को इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) के अधिकारियों के साथ एक वीडियो में बातचीत करते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियों में बैंक के अधिकारी लोगों से गुजारिश कर रहे हैं कि वे अपना पैसा बैंक से न निकालें.
लोगों को सता रहा अपनी मेहनत की कमाई खोने का डरइंडियन ओवरसीज बैंक के मैनेजर और कर्मचारियों ने शुक्रवार को एक स्कूल परिसर में स्थानीय जमात के प्रतिनिधियों से बातचीत की है और उन्हें आश्वासन दिया है कि NPR की प्रक्रिया के दौरान डॉक्यूमेंट्स देना अनिवार्य नहीं है और उनकी सेविंग्स बैंक में सुरक्षित हैं.
हालांकि, जमात के मुखिया ने कहा है कि गांव वाले संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन कानून (NRC) के पास होने के समय से ही डर में जी रहे हैं और उन्हें अपनी मेहनत की कमाई को खोने का डर सता रहा था.
गांव वालों को डर कि उनके पास नागरिकता साबित करने को नहीं होंगे जरूरी कागजातजमात के मुखिया ने कहा, “हमने सुना था कि बैंक KYC लिस्ट में NPR के कागजातों को भी शामिल करने वाले हैं. हम भविष्य में अपनी सेविंग्स को खोना नहीं चाहते हैं. हमें यह साफ नहीं है कि हमारी नागरिकता साबित करने के लिए कौन से कागजात लगेंगे. इसलिए हमने जो पैसे सालों में बचाकर जमा किए थे उन्हें निकालने का निर्णय लिया है.”
उन्होंने कहा कि कई सारे गांव वालों को लगता है कि वे जल्द ही मुसीबत में पड़ जाएंगे क्योंकि नागरिकता (Citizenship) साबित करने के लिए मांगे जाने वाले सारे कागजात (Documents) उनके पास नहीं होंगे.
इससे पहले भी तमिलनाडु में लोगों ने बड़ी संख्या में निकाला पैसा इसी साल जनवरी में, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) ने तमिल अखबारों में एक नोटिफिकेशन दिया था, जिससे तमिलनाडु के थुथुकुडी जिले के कयालपट्टिनम में स्थानीय लोगों में डर व्याप्त हो गया था.
इस विज्ञापन में खाताधारकों से अपने KYC डॉक्यूमेंट जल्द से जल्द जमा करने की अपील की गई थी और जिन कागजातों को NPR की प्रक्रिया में साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा रहा था, उसमें NPR का जिक्र भी किया गया था.
लोगों ने बैंक से निकाल ली थी अपनी पूरी रकम नोटिफिकेशन के कुछ ही समय बाद, गांव वालों ने, जिनमें से ज्यादातर मुस्लिम (Muslim) थे, बैंक से अपने पैसे निकालने शुरू कर दिए थे. गांव वालों ने कहा था कि उन्हें लगता है कि यह किसी न किसी तरह से विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक से जुड़ा हुआ है.
इस दौरान मात्र 3 दिनों के समय में बैंक से 4 करोड़ रुपये निकाल लिए गए थे. पैसे निकालने वालों में से कई ऐसे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने अपनी पूरी रकम बैंक (Bank) से निकाल ली थी.
यह भी पढ़ें: दिल्ली हिंसा पर गृह राज्यमंत्री का बयान- भारत की छवि खराब करने की रची साजिश
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sajagnagrikktimes · 5 years
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सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी सभेत तीस्ता सेटलवाड ,बिशप डाबरे,उर्मिला मातोंडकर , डॉ. कुमार सप्तर्षी असणार उपस्थित
Mahatma Gandhi Punyatithi : सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी अहिंसात्मक जनआंदोलन' या विषयावर सभा, सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी सभेत तीस्ता सेटलवाड ,बिशप डाबरे,उर्मिला मातोंडकर , डॉ. कुमार सप्तर्षी असणार उपस्थित
Mahatma Gandhi Punyatithi : सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी अहिंसात्मक जनआंदोलन’ या विषयावर सभा
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Mahatma Gandhi Punyatithi : सजग नागरिक टाइम्स :पुणे :’सीएए, एनआरसी, एनपीआर विरोधी अहिंसात्मक जनआंदोलन ‘ या विषयावर महाराष्ट्र गांधी स्मारक निधीतर्फे
३० जानेवारी २०२० रोजी महात्मा गांधी पुण्यतिथी आणि हुतात्मा दिनानिमित गांधी भवन, कोथरूड येथे  जाहीर सभा आयोजित करण्यात आली आहे.
सामाजिक…
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sonita0526 · 5 years
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धरना-प्रदर्शनों के जरिये सीएई निरस्त नहीं किया जा सकता है: सुमित्रा महाजन वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, "अगर आपको (सीएए प्रतियोगियों को) इस कानून में कुछ गलत लगता है, तो आप सर्वोच्च न्यायालय जा सकते हैं। । 144 (टी) सीएए (टी) एनआरसी (टी) एनपीआर Source link
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tekwroldcom · 4 years
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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR )
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR )
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR )और ( NRC ) क्या है ? और जानेगे | हाल फिलहाल में नेशनल रजिस्टर पापुलेशन ( एनपीआर ) काफी सुर्खियों में है इसे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर कहा जाता है | दरअसल यह देश के स्वाभाविक निवासियों की समग्र पहचान का एक डेटाबेस है| यानी एनपीआर देश के सभी स्थानीय निवासियों का बेवड़ा है | राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर सामान्य रूप से भारत में रहने वालों का एक रजिस्टर…
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raavan-world · 5 years
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अफूच्या गोळीवर कलम ५१ (अ) चा उतारा- Corona v/s Religious Bigatory
अफूच्या गोळीवर कलम ५१ (अ) चा उतारा- Corona v/s Religious Bigatory
लेखक-
पत्रकार ॲड. रावण धाबे,
हिंगोली.
आजच्या ( दिनांक २४ मार्च २०२०) आकडेवारीनुसार जगात 3 लाख 82 हजार 972 रुग्ण आहेत. तर 16 हजार 585 रुग्ण मृत्यू पावले आहेत. या भयानक स्थितीत आशादायक बाब म्हणजे 1 लाख 2 हजार 524 रुग्ण बरे होवून घरी गेले आहेत. दुरुस्त झालेल्या लोकांनी रुग्णालयात टाळ कुटले नाहीत की अल्लाह, गॉड किंवा ईश्वरचा धावा केला नाही. त्यांनी तर डॉक्टरांनाच ईश्वर अल्लाह, परमेश्वर मानून उपचार करून घेतला. ज्यांनी देवावर विश्वास ठेवून वैद्यकीय उपचार टाळले त्यांना त्यांचे फळ मिळलेही असेल. असो..... परंतु आज कोरोनाच्या निमित्ताने विश्वास ईश्वरी शक्तीवर ठेवायचा की विज्ञानावर हा प्रश्न पुन्हा निर्माण झाला आहे.
कोरोना व्हायरसच्या साथीमुळे सर्व जग हैराण झालेले असताना काही धार्मिक कर्मठ आणि अमाचाच धर्म मोठा या तोऱ्यात वावरणारे लोक हा आजार कसा दैवी शाप आहे, याचे दाखले देऊन देवाची प्रार्थना करण्याचे फुकाचे सल्ले देत आहेत. काही जण तर गायीचा मुत आणि शेण खाण्याचे सांगत आहेत. या सल्ल्याने आजार पूर्णतः बरा होत असल्याचा दावा करीत आहेत. या साथीच्या विषाणूचा सामना शास्त्रज्ञ मंडळी मोठ्या धैर्याने करीत आहेत. तसेच सर्वसामान्य जनताही दिलेल्या सूचना आचार संहितेचे पालन करून सरकारला तेवढेच महत्वपूर्ण सहकार्य करीत आहेत. या स्थितीत शास्त्रज्ञ आणि प्रत्यक्ष विज्ञानालाच हे बिनडोक धार्मिक ठेकेदार समाजात अंधश्रद्धा पसरवत सामान्य समाजाला उपचार न करता धार्मिक प्रार्थना, कर्मकांड करण्याचे सांगून आणखी आगीच्या खाईत लोटत आहेत. जगातील कोणतेही धार्मिक पुस्तक, ग्रंथ प्रत्यक्ष कोणत्याच देवाने लिहिलेले नाही. त्यामुळे त्या पुस्तकातील विचारांवर आणि आशयावर बदलत्या काळानुसार विसंबून न राहता केवळ ते पवित्र धार्मिक ग्रंथ आहेत म्हणून त्यावर अंधविश्वास न ठेवता काळानुसार त्यात बदल होणे सुद्धा गरजेचे आहे, असे महात्मा फुले यांनी मत मांडले होते. फुले यांनी चार्वाक, गौतम बुद्ध, संत कबीर, संत तुकाराम, संत रविदास आदी बुद्धिवादी महापुरुषांना अपेक्षित असलेला विज्ञानवादी विचार आपल्या सार्वजनिक सत्यधर्मातून मांडला आहे. परंतु महात्मा फुले यांनी आपल्या धर्माचा कुठेही बिन कामाचा डंका वाजविला नाही. तर त्यांनी वैज्ञानिक दृष्टिकोन समोर ठेवून आपले सामाजिक कार्य केले होते. मृत्युच्या दारात सापडलेल्या आणि या आजारामुळे पहिलेच भयभीत झालेल्या सामान्य लोकांच्या भीतीचा फायदा उचलण्यासाठी आपलाच धर्म श्रेष्ठ कसा, त्यांच्या सर्वोच्च देवाने, अल्लाहने, गॉडने हजारो वर्षांपूर्वी सर्व समस्यांचे निराकरण कसे केले आहे, हे पटवून दिले जात आहे. वास्तविकत: कोरोनाने जगातील कोणत्याच धर्माच्या व्यक्तीला आतापर्यंत सोडले नाही. सर्व धर्माच्या लोकांचा त्याने बळी घेतला आणि कोणत्याही धर्माचा देव, परमेश्वर, अल्लाह किंवा गॉड या नागरिकांच्या मदतीला धावून आला नाही ही वास्तविकता आहे. प्रसिद्ध विचारवंत काल मार्क्स यांनी धर्माला अफूची गोळी म्हटले होते. धर्माच्या अतिरेकी अनुनयामुळे या धर्मवेड्यांना आपली जन्मभूमी, देश सुद्धा दुय्यम वाटत असतो आणि ते धर्मासाठी आपल्याच देश बांधवांवर तुटून पडतात, त्यामुळेच साम्यवादी विचारवंतांनी धर्माला चार हात दूरच ठेवले आहे. स्वतःवर आणि मानवी बुद्धीवर विश्वास न ठेवणारे परंतु, स्वतःवर वेळ आल्यावर मात्र केवळ रासायनिक औषधी घेणारे आणि डॉक्टरांना देव मानणारी बांडगुळ मंडळी मात्र ही अफूची गोळी काही केल्या चघळणे सोडेणात. या गोळीचा उतारा भारतीय राज्यघटनेने दिला आहे. कलम 51A (h) मध्ये (to develop the scientific temper, humanism and the spirit of inquiry and reform) विज्ञाननिष्ठ दृष्टिकोन विकसित करणे, मानवता, चिकीत्सकता आणि सुधारणावादी दृष्टिकोन विकसित करण्याचे भारतीय नागरिकांचे कर्तव्य असेल असे नमूद करण्यात आले आहे. आपण अधिकार मागत आहोत, मग कर्तव्याचे काय असा प्रश्न साहजिकच पडला पाहिजे. सरकार पातळीवर कायद्यानेच धार्मिकता ही व्यक्तिगत बाब ठरून त्याचा सार्वजनिक जीवनात कुठेही गैरवाजवी उदोउदो करण्यास प्रतिबंध करणे गरजेचे आहे.
नागरिकांमध्ये वैज्ञानिक दृष्टिकोन विकसित करण्यात आपण यशस्वी झालो नसल्यानेच आजघडीला देशात काही संघटनांच्या अतिरेकी धार्मिक कृत्यांमुळे, जाहीर भाषणामुळे इतर धर्मीयांमध्ये भीतीचे वातावरण निर्माण होत आहे. धार्मिक अल्पसंख्यांक समाज विशेषतः मुस्लिम समाजाच्या मनामध्ये कोरोना सारख्या जागतिक आपत्तीच्या काळातही आपले आंदोलन दडपण्यासाठीच कोरोनाची अवास्तव भीती दहशत निर्माण केली जात असल्याचा आरोप होत आहे. विविध ठिकाणच्या शाहीनबाग आंदोलनकर्त्यांनी तर कोरोनापेक्षाही महाभयंकर सीएए, एनसीआर, एनपीआर हे विषाणू असल्याचा आरोप करून आंदोलन स्थगित करण्यास नकार दिला होता. नागरिकत्व देणाऱ्या कायद्याला नागरिकता काढून घेणारा कायदा अशी अपप्रसिद्धी केली जात आहे. नागरिकत्व कायद्यातील कलम २ मध्ये झालेली दुरुस्ती भारतीय राज्यघटनेच्या कलम १४ शी विसंगत असल्याने हा कायदा सर्वोच्च न्यायालयात न टिकण्यासाठी कायदेशीर लढाई लढण्यासऐवजी माता, भगिनींना रस्त्यावर ठाण मांडून बसविले जात आहे. हे कशामुळे होत आहे, तर आपण आपल्या धार्मिक मूलभूत हक्क तर बजावतो आहोत, प���ंतु चिकित्सक (spirit of enquiry) झाले नसल्याने होत आहे. सर्व नागरिकांचे नागरिकत्व कायम असू द्या या मागणीचा जोर कमी आणि बांगलादेश पाकिस्तान आणि अफगाणिस्तान या देशातील मुस्लिमांनाही इतर धर्मीय प्रमाणेच भारतामध्ये नागरिकत्व मिळण्याची समान संधी देण्यात यावी याच मागणीला जास्त रेटण्यात येत असल्याचा आरोप वजा भावना हिंदुत्ववादी संघटना आणि पक्षांमध्ये निर्माण झाली आहे. भारतीय राज्यघटनेने दिलेले कलम २५ मधील धार्मिक स्वातंत्र्य (25. Freedom of conscience and free profession, practice and propagation of religion) आपण बिनधास्त आणि हक्काने वापरीत असतो. Freedom of conscience म्हणजेच विवेकाचे स्वातंत्र्य हे सुद्धा इतर धर्मांची शिकवण आपल्या धर्मापेक्षा विरोधाभासी आहे हे माहिती असूनही आपल्याच धर्माची शिकवण विवेकी असल्याचे दाखवत आणि कसलाही विचार न करता वापरतो. परंतु १० मूलभूत कर्तव्यातील किमान ५ कर्तव्य तरी पूर्णतः पाळतो का, हे कुणी छातीठोकपणे सांगेल का? असे सांगणारे खूप कमी असतील. अशा स्थितीत श्रीराम लागू यांनी देवाला रिटायर करण्याचे हे आवाहन केले होते, ते आवाहन सर्वांनी पूर्णत्वाला नेण्याची गरज आहे.
ता. क.- १० दिवसांपूर्वी अनिल खंदारे या मित्राच्या १३ वर्षीय मुलाचे डेंग्यूच्या आजाराने निधन झाले. मुलगा सुंदर आणि हुशार असल्याने सर्वांच्या मनाला चटका लागला. श्रद्धांजली झाल्यावर मसनवटयातून परत येत असताना, आजेगाव येथील काही जण बोलले. तुम्ही चांगले बोलले साहेब. एवढा चांगला मुलगा, कोणाचे कधी वाईट केले नाही, नुकसान नाही. कोणतेच पाप केले नाही. देवाला काही समजत नाही का हो...... अहो कशाचा देव न काय, काहीच नाही. सर्व आपल्या हातात असत साहेब. चांगला डॉक्टर असता तर मुलगा गेला नसता! हे शब्द ऐकून वाटले, देश बदल रहा है...)
...... लेखक हे मुक्त पत्रकार आणि Democrat MAHARASHTRA या (इंग्रजी-मराठी) ब्लॉगचे लेखक संपादक आहेत.
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kksingh11 · 5 years
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नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
देश को हिन्दू राष्ट्र में बदलने कीसाजिश का पुरजोर विरोध करो नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो! एक तरफ जब देश भर में विवादित नागरिकता कानून पर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार की जन विरोधी कार्यवाही का भुगतभोगी बन रहे हैं, वैसे में सरकार ने अब एक और घोषणा की। 2020 की अप्रैल से सितंबर तक वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन पी आर) को अपडेट करेगी। यह कदम वह तब करने जा रही है, जबकि पहले एन आर सी और फिर कैब के अंतर्गत लाखों लोग भारत की नागरिकता सूची से बाहर हो आज बिना नागरिकता वाले हो चुके हैं। वह भी तब जब एन आर सी अभी केवल उत्तर पूर्व के ही राज्य में शुरू हुआ है। कैब भी एन आर सी हुआ अधिनियम है, एन आर सी जहां लोगों को भारत की नागरिक होने और ना होने की शिनाख्त करता है, वहीं सी.ए.ए विदेशी नागरिकों को के दक्षिण एशिया के देशों से आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया कानून है। सी.ए.ए कानून के बन जाने के बाद भारत की नागरिकता का मख्य आधार व्यक्ति का धर्म हो गया है ना की उसकी कोई और बात। यह बिल भाजपा – आरएसएस की लाइन के मुताबिक बनाया गया है, जिन्हें भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर पेश करना है।आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकम सरकार ने मेहनतकश, बेरोजगार युवाओं और अन्य देशवासियों को बहकाने के लिए अब अंध-राष्ट्रवाद और हिन्द-आधिपत्यवाद का न्य शगूफा नागरिकता बिल के माध्यम से छेडा है। हिन्द बहुसंख्यकों के हिस्से को धर्म के नाम पर वः भड़का कर पूंजीपतियों के पीछे रखना चाहती है। साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में विस्थापित विदेश से आये हिन्दुओं को बसा वो अपने राज को मजबूती प्रदान करवाना चाहती है। मोदी सरकार की यह नीतियां इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत सरकार ने 70 साल बाद दो राष्ट्र सिद्धांत को आखिरकार मान लिया। दो राष्ट्र सिद्धांत या दो क़ौमी सिद्धांत, के मुताबिक हिन्दू और मुसलामन एक राष्ट्र नहीं है बल्कि दो अलग अलग राष्ट्र है, और वे एक साथ नहीं रह सकते। बीएस मुंजे, भाई परमानंद, विनायक दामोदर सावरकर, एमएस गोलवलकर और अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों के अनुसार भी दो राष्ट्र सिद्धांत सही था और वे भी हिन्दू मुसलमानों को अपना अलग अलग देश की वकालत कर रहे थे, उन्होंने न केवल इस सिद्धांत की वकालत की बल्कि आक्रामक रूप से यह मांग भी उठाई कि भारत हिन्दू राष्ट्र है जहाँ मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है। भारत विभाजन में जितना योगदान लीग का रहा उससे कम आरएसएस और हिन्दू दलों का नहीं था। आज राष्ट्रवाद और अखंड भारत का सर्टिफिकेट बांटने वाले भी देश के बंटवारे में लीग जितना ही शरीक थे, यह बात हमे नहीं भूलनी चाहिए। हिन्द महासभा के संस्थापक राजनारायण बसु ने तो 19वीं शताब्दी में ही हिन्दु राष्ट्र और दो राष्ट्र का सिद्धांत पर अपनी प्रस्थापना रखनी शुरू कर दी थी। हिन्दू राष्ट्र के बारे में उन्होंने कहा था, "सर्वश्रेष्ठ व पराक्रमी हिंदू राष्ट्र नींद से जाग गया है और आध्यात्मिक बल के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है। मैं देखता हूं कि फिर से जागृत यह राष्ट्र अपने ज्ञान, आ���्यात्मिकता और संस्कृति के आलोक से संसार को दोबारा प्रकाशमान कर रहा है। हिंदू राष्ट्र की प्रभुता एक बार फिर सारे संसार में स्थापित हो रही है।" । बासु के ही साथी नभा गोपाल मित्रा ने राष्ट्रीय हिंदू सोसायटी बनाई और एक अख़बार भी प्रकशित करना शुरू किया था, इसमें उन्होंने लिखा था, “भारत में राष्ट्रीय एकता की बुनियाद ही हिंदू धर्म है। यह हिंदू राष्ट्रवाद स्थानीय स्तर पर व भाषा में अंतर होने के बावजूद भारत के प्रत्येक हिंदू को अपने में समाहित कर लेता है।” दो राष्ट्र का सिद्धांत फिर किस ने दिया इस पर हिंदुत्व कैंप के इतिहासकार कहे जाने वाले आरसी मजुमदार ने लिखा, "नभा गोपाल ने जिन्नाह के दो कौमी नजरिये को आधी सदी से भी पहले प्रस्तुत कर दिया था।" नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। सरकार का मानना है कि इन देशों में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और उनको सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, ऐसे में भारत का यह दाइत्व बनता है की हिन्दुओं की रक्षा करे। सरकार इस बात से पूरी तरह बेखबर है की भारत के कई पडोसी राज्यों में मुसलमान अल्पसंख्यक है और उनके साथ भी वहाँ के बहुसंख्यक जमात द्वारा जुल्म की खबर समय समय पर आती रहती है। श्री लंका में तो सिंघली और तमिल (हिन्द) के बीच दशकों से लगातार तनाव बना रहा है। तो क्या सभी तमिल जनता अब भारत आ सकती है? वही हाल बांग्लादेश और म्यांमार के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का है, तो क्या इन सभी को भारत अपना नागरिक बनाने के लिए तैयार है? और हाँ, तो फिर इन गैर मुस्लिम शरणार्थी और सताए जा रहे मुस्लिम शरणार्थी जैसे रोहिंग्या, पाकिस्तान में शिया, अहमदिया, अफगानिस्तान के हजारा, उज़बेक इत्यादि के साथ यह सौतेला व्यव्हार क्यों? सरकार को इस पर भी जवाब देना होगा। रोहिंग्या के साथ साथ भारत में म्यांमार से चिन शरणार्थी भी बहुसंख्या में भारत में निवास कर रहे हैं, अफगानिस्तान से आये शरणार्थी को भारत ने पनाह दी थी, उस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी? सीएए के लिए आंकडा एन पी आर से आएगा? नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की बात कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुई। सन 2000 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा गठित, कारगिल समीक्षा समिति ने नागरिकों और गैर-नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण की सिफारिश की सिफारिशों को 2001 में स्वीकार किया गया था और 2003 के नागरिकता (पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम पारित किए गए थे। इससे पहले एनपीआर को 2010 और 2015 में आयोजित किया गया था, 1955 नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद एनपीआर को पहली बार 2004 में यूपीए सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था। संशोधन ने केंद्र को "भारत के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र" जारी करने की अनुमति दी। 2003 और 2009 के बीच चुनिंदा सीमा क्षेत्रों में एक पायलट परियोजना लागू की गई थी। अगले दो वर्षों (2009-2011) में एनपीआर तटीय क्षेत्रों में भी चलाया गया - इसका उपयोग मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया था - और लगभग 66 लाख निवासियों को निवासी पहचान पत्र जारी किए गए थे। इस बार एन पी आर की आंकड़े लेने में सरकार ने कुछ नए कॉलम जोड़ दिए। सरकार द्वारा 24 दिसंबर को घोषित राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में लोगों को पहली बार "माता-पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान" भी बताना पड़ेगा। यह जानकारी, 2010 में एनपीआर के लिए एकत्र नहीं गयी थी। मतलब साफ है, सरकार इस बार ये आंकड़े इसलिए मांग रही है ताकि वो किसी भी व्यक्ति के बारे में तय कर सके कि उसकी नागरिकता प्रामाणिक है या नहीं। फिर उसके ऊपर एनआरसी और सीएए की विभिन्न प्रावधान के तहत कार्यवाही करने में कितना वक्त लगेगा? इस रजिस्टर में दर्ज जानकारी के लिए, सरकार कह रही है कि आपको कोई दस्तावेज़ या प्रमाण नहीं देने की ज़रूरत है। तो फिर सवाल उठता है कि इन जानकारी की ज़रूरत किस लिए है, सरकार इस जानकारी से क्या करने वाली है? अगर वह इसका इस्तेमाल गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए करेगी, तो इसके लिए पहले से ही आधार कार्ड बनवाया गया। सरकार अलग अलग सर्वे करवा योजनाओं की ज़रूरत पर आंकड़े इकट्ठा करती है। किसी की आर्थिक स्थिति जानने के लिए उसके माता पिता का नाम और जन्म स्थान की जानकारी किस लिए चाहिए? इन सवालों पर सरकार मौन है। अगर हम भाजपा के मंत्रियों और प्रधानमंत्री की बातों पर ध्यान दें तो उनके द्वारा झूठा प्रचार किसी खतरनाक साजिश की तरफ इशारा करता है। भाजपा और सरकार ने लगातार गलत सचना और कत्साप्रचार का सहारा ले रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गह मंत्री अमित शाह के विरोधाभासी का विरोध किया है। भाजपा ने दोनों के साथ अलग किया है आधिकारिक सरकार के रिलीज के पास कोई वास्तविक मूल्य नहीं है। यह सही लग रहा है कि इन झठ और गलत बयानी के पीछे एक सोची समझी प्लान है, जिसका मकसद जनता के बीच भ्रम फैला कर असली योजना को कार्यान्वित करने का है। एक क्रम में सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। पहले मज़दूर कानूनों को ख़त्म कर पूँजीपतियों के पक्ष कर दिया गया, फिर आया एन आर सी और सी ए ए और अब एन पी आर, साथ ही सरकार कम्प्यूटर के डेटा सुरक्षा कानून भी लेन वाली है, मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में सरकार किसी से भी किसी व्यक्ति के बारे में सूचना मांग सकती है। मतलब अब किसी की निजता नहीं रहेगी। मान लीजिये कि आप हस्पताल में भर्ती होते हैं, अस्पताल आपकी बीमारी और शरीर की सभी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज करती है। ये जानकारी आपकी निजी जानकारी होती है, लेकिन अब सरकार इन जानकारी को मांग सकती है। वो भी बिना आपकी इजाज़त के। इन जानकारियों को वो किसी भी तरह से इस्तेमाल करेगी। चाहे किसी दवा कंपनियों को बेच सकती है, या किसी को सामाजिक रूप से बेइज्जत करने के लिए। आज भी हमारे देश मे कई बीमारियों को सामाजिक रूप से शंका की नज़र से देखा जाता है जैसे एड्स, और अन्य गुप्त रोग वाली बीमारियां। सवाल यह है कि सरकार इन सूचना को इकट्ठा क्यो कर रही है और किसलिये, इस पर वह झूठ क्यों कहा रही है? असल मे सरकार पूरे देश को एक बड़े बाड़े में तब्दील करने पर आमादा है। उसने इसके लिए काम शुरू भी कर दिया है। कई जगहों पर डिटेंशन कैम्प बनाए जा रहे है। जहां लोगों को भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है। याद कीजिये हिटलर का यहूदियों और नाज़ी विरोधियों के लिए बनाया कंसन्ट्रेशन कैम्प। इन कैम्पों के कैदियों को केवल मौत के घाट नहीं उतारा गया बल्कि पहले उनसे गुलामों की तरह कमरतोड़ मेहनत करवा जाता था। उस समय तक पूँजीपतियों की कंपनियों में जानवरों की तरह काम करवाया जाता था जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती थी। पूँजीपतियों को मुफ्त के मज़दूर मिले रहते थे, जिनके किसी तरह की कानूनी अधिकार नहीं था, मालिक की मर्जी तक वे काम करते थे और जिस दिन वो काम करने लायक नहीं रह जाते उसी दिन उनकी जिंदगी खत्म कर दी जाती थी। क्या मोदी सरकार, भारत में यही कैम्प बनाने की कवायद शुरू तो नहीं कर रही? अगर ऐसा है तो यह भारत के लिए दुर्दिन की शुरुआत है, मोदी की इन नीतियों की वजह से देश का सामाजिक ताना बाना टूटने ��ाला है, और फिर क्या हमारे देश की हालत अफ़ग़ानिस्तान, और अन्य देशों की तरह नहीं हो जाएगी जहां लोग एक दूसरे को खत्म करने में लग गए थे। देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ जाएगा। इसलिए हम इस हिन्द बहलतावादी सोच और मस्लिम को दसरे दर्जे का नागरिक बनाने का कड़ा विरोध करते हैं. देश को अंधराष्ट्रवाद की जहरीली खाई में धकेलने की इस कार्यवाही के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी करते हैं। हम तमाम साथियों से आह्वान करते हैं की इस खरतनाक साजिश के विरुद्ध एक हो कर मोदी सरकार के इस मंसूबे का विरोध करें। दोस्तों, अब समय आ गया है कि हम आम जनता आने वाले काले दिन के खिलाफ एक होकर संघर्ष करें। साथियों फासीवादी सरकार जनता को धर्म के नाम पर बाँट इस देश पर पूरी तरह से फासीवादी शासन लागू करना चाहती है। आज इसने मुसलमानों को अलग करने का काम शुरू किया है, आगे यह दलितों, आदिवासीयों और सभी दबे कुचलों के साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी। ब्राह्मणवादी-फासीवादी शासन की तरफ इसने एक क़दम उठा लिया है, अगर इसका विरोध नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हमारी देश की जनता उस काले काननों और बर्बर शासन व्यवस्था में जीने को मजबूर हो जाएगी। आज समय है की हम एक साथ पूरे जोर से इस शासन को टक्कर दें और उसे बतला दें कि देश की जनता अब उसकी छद्म देशभक्ति के बहकावों में आने वाली नहीं है। देश का युवा, मेहनतकश जाग रहा है, इस आन्दोलन को अब नये ऊँचाई पर ले जाने का समय आ गया है, एनआरसी, सीएए, एनपीआर की लड़ाई को लम्बी राजनितिक संघर्ष में बदलने का समय आ गया है, आज एक बार फिर हमे सर्वहारा वर्ग की राजनीति को मध्य में लाना होगा और देश में आमूल परिवर्तन की लडाई को तेज़ करना होगा। नाम * तमाम नागरिकता कानून को वापिस लो * देश को धर्म के आधार पर बांटने का पुर जोर विरोध करो * नागरिकता कानून की आड़ में भाषाई, धार्मिक और जातिय आधार पर जनता को बाँटने के खिलाफ संघर्ष तेज़ करो * मोदी साकार द्वारा देश में फ़ासीवाद लाने की कोशिश को जन-एकता से ध्वस्त करो लोकपक्ष Phone: 886030502, Email: [email protected]
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एनआरसी और एनपीआर के बीच कोई लिंक नहीं, अमित शाह
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गृह मंत्री अमित शाह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात से सहमत होने के एक दिन बाद कि एक अखिल भारतीय नागरिक रजिस्टर के बारे में संसद या मंत्रिमंडल में कोई चर्चा नहीं हुई है, विपक्ष ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और एन.आर.सी. के संबंध में सरकार को घेरना जारी रखा !
मंगलवार को, केंद्र ने एनपीआर के अपडेशन को मंजूरी दे दी, जो देश के प्रत्येक "सामान्य निवासी" का एक व्यापक पहचान डेटाबेस बनाने का प्रयास करता है, इस बात पर जोर देते हुए कि यह NRC की ओर पहला कदम है।
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vsplusonline · 5 years
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ओवैसी के मंच से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाली लड़की को 14 दिन की जेल, पिता बोले-ये हरकत बर्दाश्त नहीं
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ओवैसी के मंच से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाली लड़की को 14 दिन की जेल, पिता बोले-ये हरकत बर्दाश्त नहीं
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बेंगलुरु की एक स्टूडेंट एक्टिविस्ट पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ है
अमूलया लियोना के पिता ने कहा कि बेटी की यह हरकत बर्दाश्त करने के लायक नहीं है. उन्होंने कहा मैंने कई बार बेटी को इस आंदोलन से दूर रहने की सलाह दी थी लेकिन उसने उनकी बात नहीं मानी.
News18Hindi
Last Updated: February 21, 2020, 10:10 AM IST
बेंगलुरु. CAA, NRC और NPR के खिलाफ बेंगलुरु में हो रहे कार्यक्रम में गुरुवार को एक महिला ने मंच से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाकर हर किसी के सकते में डाल दिया. पाकिस्तान (Pakistan) समर्थित नारा लगाने वाली लड़की अमूलया लियोना के खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का केस दर्ज कर लिया गया है. कोर्ट ने अमूल्या लियोना को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. अभी अमूल्या को परप्पाना अग्रहारा की सेंट्रल जेल में रखा गया है. बता दें कि जिस समय महिला ने मंच से पाकिस्तान समर्थित नारे लगाए उस वक्त ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)  चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) वहां मौजूद थे और उन्होंने खुद महिला को रोकने की कोशिश की.
वहीं इस पूरे मामले में अमूल्या लियोना के पिता ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि उनकी बेटे ने एंटी CAA रैली में जो कुछ भी किया वह बिल्कुल गलत था. उन्होंने कहा कि बेटी की यह हरकत बर्दाश्त करने के लायक नहीं है. उन्होंने कहा मैंने कई बार बेटी को इस आंदोलन से दूर रहने की सलाह दी थी लेकिन उसने उनकी बात नहीं मानी.
#WATCH The full clip of the incident where a woman named Amulya at an anti-CAA-NRC rally in Bengaluru raised slogan of ‘Pakistan zindabad’ today. AIMIM Chief Asaddudin Owaisi present at rally stopped the woman from raising the slogan; He has condemned the incident. pic.twitter.com/wvzFIfbnAJ
— ANI (@ANI) February 20, 2020
अमूल्या लियोन के पिता ने कहा कि मैं हार्ट का मरीज हूं. उसने मुझसे कल बात की थी और मेरी तबीयत का हालचाल पूछा था. उसके बाद से मेरी उसकी कोई बात नहीं हुई. इस मामले पर बोलते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं नमाज पढ़ने पीछे जा रहा था. तभी मैंने जैसे ही यह वाहियात नारे सुने मैंने खुद आकर उसे रोकने की कोशिश की और उसके बाद महिला को वहां से हटा दिया गया. मैं इसकी निंदा करता हूं. अवैसी ने कहा कि यह लोग पागल हैं और इन लोगों को देश से कोई मोहब्बत नहीं है. उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकत कभी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है.इसे भी पढ़ें :- ओवैसी के मंच से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने वाली लड़की पर राजद्रोह का केस दर्ज
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First published: February 21, 2020, 10:06 AM IST
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sajagnagrikktimes · 5 years
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सीएए, एनआरसी ,एनपीआर विरोधात सत्याग्रह आंदोलन
Satyagraha against CAA NRC NPR : सीएए, एनआरसी , एनप��आर विरोधात सत्याग्रह आंदोलन
Satyagraha against CAA NRC NPR : सीएए, एनआरसी , एनपीआर विरोधात सत्याग्रह आंदोलन
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Satyagraha against CAA NRC NPR : सजग नागरिक टाइम्स : पुणे : राज्यसभेत आणि लोकसभा येथे पास झालेल्या CAA , NRC, NPR विरुद्ध बेमुदत सत्याग्रह
ज्या पद्धतीने केरळ राज्य व पश्चिम बंगाल राज्य यांनी तातडीने अधिवेशन घेवून सदरच्या कायद्याची अंमलबजावणी या राज्यामध्ये करण्यात येणार नाही असा प्रस्ताव पास केला.
त्याच…
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sonita0526 · 5 years
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RJD chief Lalu Yadav targeted Modi government asked why do the backward Hindus have such bad intentions - NPR को लेकर लालू यादव का मोदी सरकार पर निशाना, पूछा- पिछड़े हिंदुओं के बारे में इतने नापाक इरादे क्यों?
RJD chief Lalu Yadav targeted Modi government asked why do the backward Hindus have such bad intentions – NPR को लेकर लालू यादव का मोदी सरकार पर निशाना, पूछा- पिछड़े हिंदुओं के बारे में इतने नापाक इरादे क्यों?
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नई दिल्ली:
नागरिकता कानून के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने NPR पर भी सवाल उठाए हैं. अपने ट्विटर अकांउट के जरिए लालू यादव ने केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठाए हैं. लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) ने लिखा कि आप मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी गिनते है लेकिन असल पिछड़े-अति पिछड़े हिंदुओं को गिनने में किस बात का डर है? आप पिछड़े हिंदुओं की जनगणना क्यों नहीं कराना चाहते? आपके…
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NPR Exercise And First Phase Of Census Deferred Indefinitely After 21 Day Lockdown Announcement
https://theindianewstoday.com/npr-exercise-and-first-phase-of-census-deferred-indefinitely-after-21-day-lockdown-announcement/ NPR Exercise And First Phase Of Census Deferred Indefinitely After 21 Day Lockdown Announcement
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Anti CAA protest in Chennais Shaheen Bagh postponed due to fear of Corona - कोरोना के डर के चलते चेन्नई के शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन स्थगित
Anti CAA protest in Chennais Shaheen Bagh postponed due to fear of Corona – कोरोना के डर के चलते चेन्नई के शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शन स्थगित
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चेन्नई :
कोरोना के डर के चलते चेन्नई के शाहीन बाग में चल रहा सीएए विरोधी प्रदर्शन स्थगित कर दिया गया है. इस विरोध प्रदर्शन में 3,500 के आस-पास महिलाएं शामिल हैं और 33 दिनों से अपनी मांगों पर डटी हुई हैं. प्रदर्शनकारी तमिलनाडु विधानसभा में सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग कर रहे हैं. इससे पहले डीएमके नेता एमके स्टालिन और अभिनेता कमल हसन और अन्य लोगों ने कोरोना के चलते…
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