#भारत में एनपीआर क्या है?
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एमएचए की वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अद्यतन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है
एमएचए की वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अद्यतन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है
केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन के लिए जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम में संशोधन के लिए सरकार द्वारा एक विधेयक लाने की संभावना के साथ, गृह मंत्रालय ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में देश भर में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) डेटाबेस को अद्यतन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है, सिवाय इसके कि असम। यह जन्म, मृत्यु और प्रवास के कारण होने वाले परिवर्तनों को शामिल करने के लिए है, जिसके लिए प्रत्येक…
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#एनपीआर#एनपीआर . क्या है#एनपीआर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर#भारत में एनपीआर क्या है?#भारत में एनपीआर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर#भारत में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर#राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर
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नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो!
देश को हिन्दू राष्ट्र में बदलने कीसाजिश का पुरजोर विरोध करो नागरिकता कानून की आड़ में संघी एजेंडा लागू करना बंद करो! एक तरफ जब देश भर में विवादित नागरिकता कानून पर लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार की जन विरोधी कार्यवाही का भुगतभोगी बन रहे हैं, वैसे में सरकार ने अब एक और घोषणा की। 2020 की अप्रैल से सितंबर तक वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (एन पी आर) को अपडेट करेगी। यह कदम वह तब करने जा रही है, जबकि पहले एन आर सी और फिर कैब के अंतर्गत लाखों लोग भारत की नागरिकता सूची से बाहर हो आज बिना नागरिकता वाले हो चुके हैं। वह भी तब जब एन आर सी अभी केवल उत्तर पूर्व के ही राज्य में शुरू हुआ है। कैब भी एन आर सी हुआ अधिनियम है, एन आर सी जहां लोगों को भारत की नागरिक होने और ना होने की शिनाख्त करता है, वहीं सी.ए.ए विदेशी नागरिकों को के दक्षिण एशिया के देशों से आये शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए लाया कानून है। सी.ए.ए कानून के बन जाने के बाद भारत की नागरिकता का मख्य आधार व्यक्ति का धर्म हो गया है ना की उसकी कोई और बात। यह बिल भाजपा – आरएसएस की लाइन के मुताबिक बनाया गया है, जिन्हें भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर पेश करना है।आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से नाकम सरकार ने मेहनतकश, बेरोजगार युवाओं और अन्य देशवासियों को बहकाने के लिए अब अंध-राष्ट्रवाद और हिन्द-आधिपत्यवाद का न्य शगूफा नागरिकता बिल के माध्यम से छेडा है। हिन्द बहुसंख्यकों के हिस्से को धर्म के नाम पर वः भड़का कर पूंजीपतियों के पीछे रखना चाहती है। साथ ही मुस्लिम बहुल इलाकों में विस्थापित विदेश से आये हिन्दुओं को बसा वो अपने राज को मजबूती प्रदान करवाना चाहती है। मोदी सरकार की यह नीतियां इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत सरकार ने 70 साल बाद दो राष्ट्र सिद्धांत को आखिरकार मान लिया। दो राष्ट्र सिद्धांत या दो क़ौमी सिद्धांत, के मुताबिक हिन्दू और मुसलामन एक राष्ट्र नहीं है बल्कि दो अलग अलग राष्ट्र है, और वे एक साथ नहीं ��ह सकते। बीएस मुंजे, भाई परमानंद, विनायक दामोदर सावरकर, एमएस गोलवलकर और अन्य हिंदू राष्ट्रवादियों के अनुसार भी दो राष्ट्र सिद्धांत सही था और वे भी हिन्दू मुसलमानों को अपना अलग अलग देश की वकालत कर रहे थे, उन्होंने न केवल इस सिद्धांत की वकालत की बल्कि आक्रामक रूप से यह मांग भी उठाई कि भारत हिन्दू राष्ट्र है जहाँ मुसलमानों का कोई स्थान नहीं है। भारत विभाजन में जितना योगदान लीग का रहा उससे कम आरएसएस और हिन्दू दलों का नहीं था। आज राष्ट्रवाद और अखंड भारत का सर्टिफिकेट बांटने वाले भी देश के बंटवारे में लीग जितना ही शरीक थे, यह बात हमे नहीं भूलनी चाहिए। हिन्द महासभा के संस्थापक राजनारायण बसु ने तो 19वीं शताब्दी में ही हिन्दु राष्ट्र और दो राष्ट्र का सिद्धांत पर अपनी प्रस्थापना रखनी शुरू कर दी थी। हिन्दू राष्ट्र के बारे में उन्होंने कहा था, "सर्वश्रेष्ठ व पराक्रमी हिंदू राष्ट्र नींद से जाग गया है और आध्यात्मिक बल के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है। मैं देखता हूं कि फिर से जागृत यह राष्ट्र अपने ज्ञान, आध्यात्मिकता और संस्कृति के आलोक से संसार को दोबारा प्रकाशमान कर रहा है। हिंदू राष्ट्र की प्रभुता एक बार फिर सारे संसार में स्थापित हो रही है।" । बासु के ही साथी नभा गोपाल मित्रा ने राष्ट्रीय हिंदू सोसायटी बनाई और एक अख़बार भी प्रकशित करना शुरू किया था, इसमें उन्होंने लिखा था, “भारत में राष्ट्रीय एकता की बुनियाद ही हिंदू धर्म है। यह हिंदू राष्ट्रवाद स्थानीय स्तर पर व भाषा में अंतर होने के बावजूद भारत के प्रत्येक हिंदू को अपने में समाहित कर लेता है।” दो राष्ट्र का सिद्धांत फिर किस ने दिया इस पर हिंदुत्व कैंप के इतिहासकार कहे जाने वाले आरसी मजु���दार ने लिखा, "नभा गोपाल ने जिन्नाह के दो कौमी नजरिये को आधी सदी से भी पहले प्रस्तुत कर दिया था।" नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। सरकार का मानना है कि इन देशों में हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और उनको सरकार द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, ऐसे में भारत का यह दाइत्व बनता है की हिन्दुओं की रक्षा करे। सरकार इस बात से पूर�� तरह बेखबर है की भारत के कई पडोसी राज्यों में मुसलमान अल्पसंख्यक है और उनके साथ भी वहाँ के बहुसंख्यक जमात द्वारा जुल्म की खबर समय समय पर आती रहती है। श्री लंका में तो सिंघली और तमिल (हिन्द) के बीच दशकों से लगातार तनाव बना रहा है। तो क्या सभी तमिल जनता अब भारत आ सकती है? वही हाल बांग्लादेश और म्यांमार के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का है, तो क्या इन सभी को भारत अपना नागरिक बनाने के लिए तैयार है? और हाँ, तो फिर इन गैर मुस्लिम शरणार्थी और सताए जा रहे मुस्लिम शरणार्थी जैसे रोहिंग्या, पाकिस्तान में शिया, अहमदिया, अफगानिस्तान के हजारा, उज़बेक इत्यादि के साथ यह सौतेला व्यव्हार क्यों? सरकार को इस पर भी जवाब देना होगा। रोहिंग्या के साथ साथ भारत में म्यांमार से चिन शरणार्थी भी बहुसंख्या में भारत में निवास कर रहे हैं, अफगानिस्तान से आये शरणार्थी को भारत ने पनाह दी थी, उस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी? सीएए के लिए आंकडा एन पी आर से आएगा? नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की बात कारगिल युद्ध के बाद शुरू हुई। सन 2000 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा गठित, कारगिल समीक्षा समिति ने नागरिकों और गैर-नागरिकों के अनिवार्य पंजीकरण की सिफारिश की सिफारिशों को 2001 में स्वीकार किया गया था और 2003 के नागरिकता (पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम पारित किए गए थे। इससे पहले एनपीआर को 2010 और 2015 में आयोजित किया गया था, 1955 नागरिकता अधिनियम में संशोधन के बाद एनपीआर को पहली बार 2004 में यूपीए सरकार द्वारा अधिकृत किया गया था। संशोधन ने केंद्र को "भारत के प्रत्येक नागरिक को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र" जारी करने की अनुमति दी। 2003 और 2009 के बीच चुनिंदा सीमा क्षेत्रों में एक पायलट परियोजना लागू की गई थी। अगले दो वर्षों (2009-2011) में एनपीआर तटीय क्षेत्रों में भी चलाया गया - इसका उपयोग मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया था - और लगभग 66 लाख निवासियों को निवासी पहचान पत्र जारी किए गए थे। इस बार एन पी आर की आंकड़े लेने में सरकार ने कुछ नए कॉलम जोड़ दिए। सरकार द्वारा 24 दिसंबर को घोषित राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में लोगों को पहली बार "माता-पिता की जन्म तिथि और जन्म स्थान" भी बताना पड़ेगा। यह जानकारी, 2010 में एनपीआर के लिए एकत्र नहीं गयी थी। मतलब साफ है, सरकार इस बार ये आंकड़े इसलिए मांग रही है ताकि वो किसी भी व्यक्ति के बारे में तय कर सके कि उसकी नागरिकता प्रामाणिक है या नहीं। फिर उसके ऊपर एनआरसी और सीएए की विभिन्न प्रावधान के तहत कार्यवाही करने में कितना व���्त लगेगा? इस रजिस्टर में दर्ज जानकारी के लिए, सरकार कह रही है कि आपको कोई दस्तावेज़ या प्रमाण नहीं देने की ज़रूरत है। तो फिर सवाल उठता है कि इन जानकारी की ज़रूरत किस लिए है, सरकार इस जानकारी से क्या करने वाली है? अगर वह इसका इस्तेमाल गरीबों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए करेगी, तो इसके लिए पहले से ही आधार कार्ड बनवाया गया। सरकार अलग अलग सर्वे करवा योजनाओं की ज़रूरत पर आंकड़े इकट्ठा करती है। किसी की आर्थिक स्थिति जानने के लिए उसके माता पिता का नाम और जन्म स्थान की जानकारी किस लिए चाहिए? इन सवालों पर सरकार मौन है। अगर हम भाजपा के मंत्रियों और प्रधानमंत्री की बातों पर ध्यान दें तो उनके द्वारा झूठा प्रचार किसी खतरनाक साजिश की तरफ इशारा करता है। भाजपा और सरकार ने लगातार गलत सचना और कत्साप्रचार का सहारा ले रही है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गह मंत्री अमित शाह के विरोधाभासी का विरोध किया है। भाजपा ने दोनों के साथ अलग किया है आधिकारिक सरकार के रिलीज के पास कोई वास्तविक मूल्य नहीं है। यह सही लग रहा है कि इन झठ और गलत बयानी के पीछे एक सोची समझी प्लान है, जिसका मकसद जनता के बीच भ्रम फैला कर असली योजना को कार्यान्वित करने का है। एक क्रम में सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। पहले मज़दूर कानूनों को ख़त्म कर पूँजीपतियों के पक्ष कर दिया गया, फिर आया एन आर सी और सी ए ए और अब एन पी आर, साथ ही सरकार कम्प्यूटर के डेटा सुरक्षा कानून भी लेन वाली है, मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार इस कानून में सरकार किसी से भी किसी व्यक्ति के बारे में सूचना मांग सकती है। मतलब अब किसी की निजता नहीं रहेगी। मान लीजिये कि आप हस्पताल में भर्ती होते हैं, अस्पताल आपकी बीमारी और शरीर की सभी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज करती है। ये जानकारी आपकी निजी जानकारी होती है, लेकिन अब सरकार इन जानकारी को मांग सकती है। वो भी बिना आपकी इजाज़त के। इन जानकारियों को वो किसी भी तरह से इस्तेमाल करेगी। चाहे किसी दवा कंपनियों को बेच सकती है, या किसी को सामाजिक रूप से बेइज्जत करने के लिए। आज भी हमारे देश मे कई बीमारियों को सामाजिक रूप से शंका की नज़र से देखा जाता है जैसे एड्स, और अन्य गुप्त रोग वाली बीमारियां। सवाल यह है कि सरकार इन सूचना को इकट्ठा क्यो कर रही है और किसलिये, इस पर वह झूठ क्यों कहा रही है? असल मे सरकार पूरे देश को एक बड़े बाड़े में तब्दील करने पर आमादा है। उसने इसके लिए काम शुरू भी कर दिया है। कई जगहों पर डिटेंशन कैम्प बनाए जा रहे है। जहां लोगों को भेजने की तैयारी शुरू हो चुकी है। याद कीजिये हिटलर का यहूदियों और नाज़ी विरोधियों के लिए बनाया कंसन्ट्रेशन कैम्प। इन कैम्पों के कै��ियों को केवल मौत के घाट नहीं उतारा गया बल्कि पहले उनसे गुलामों की तरह कमरतोड़ मेहनत करवा जाता था। उस समय तक पूँजीपतियों की कंपनियों में जानवरों की तरह काम करवाया जाता था जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती थी। पूँजीपतियों को मुफ्त के मज़दूर मिले रहते थे, जिनके किसी तरह की कानूनी अधिकार नहीं था, मालिक की मर्जी तक वे काम करते थे और जिस दिन वो काम करने लायक नहीं रह जाते उसी दिन उनकी जिंदगी खत्म कर दी जाती थी। क्या मोदी सरकार, भारत में यही कैम्प बनाने की कवायद शुरू तो नहीं कर रही? अगर ऐसा है तो यह भारत के लिए दुर्दिन की शुरुआत है, मोदी की इन नीतियों की वजह से देश का सामाजिक ताना बाना टूटने वाला है, और फिर क्या हमारे देश की हालत अफ़ग़ानिस्तान, और अन्य देशों की तरह नहीं हो जाएगी जहां लोग एक दूसरे को खत्म करने में लग गए थे। देश गृह युद्ध की तरफ बढ़ जाएगा। इसलिए हम इस हिन्द बहलतावादी सोच और मस्लिम को दसरे दर्जे का नागरिक बनाने का कड़ा विरोध करते हैं. देश को अंधराष्ट्रवाद की जहरीली खाई में धकेलने की इस कार्यवाही के खिलाफ एकजुट होने की अपील भी करते हैं। हम तमाम साथियों से आह्वान करते हैं की इस खरतनाक साजिश के विरुद्ध एक हो कर मोदी सरकार के इस मंसूबे का विरोध करें। दोस्तों, अब समय आ गया है कि हम आम जनता आने वाले काले दिन के खिलाफ एक होकर संघर��ष करें। साथियों फासीवादी सरकार जनता को धर्म के नाम पर बाँट इस देश पर पूरी तरह से फासीवादी शासन लागू करना चाहती है। आज इसने मुसलमानों को अलग करने का काम शुरू किया है, आगे यह दलितों, आदिवासीयों और सभी दबे कुचलों के साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी। ब्राह्मणवादी-फासीवादी शासन की तरफ इसने एक क़दम उठा लिया है, अगर इसका विरोध नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हमारी देश की जनता उस काले काननों और बर्बर शासन व्यवस्था में जीने को मजबूर हो जाएगी। आज समय है की हम एक साथ पूरे जोर से इस शासन को टक्कर दें और उसे बतला दें कि देश की जनता अब उसकी छद्म देशभक्ति के बहकावों में आने वाली नहीं है। देश का युवा, मेहनतकश जाग रहा है, इस आन्दोलन को अब नये ऊँचाई पर ले जाने का समय आ गया है, एनआरसी, सीएए, एनपीआर की लड़ाई को लम्बी राजनितिक संघर्ष में बदलने का समय आ गया है, आज एक बार फिर हमे सर्वहारा वर्ग की राजनीति को मध्य में लाना होगा और देश में आमूल परिवर्तन की लडाई को तेज़ करना होगा। नाम * तमाम नागरिकता कानून को वापिस लो * देश को धर्म के आधार पर बांटने का पुर जोर विरोध करो * नागरिकता कानून की आड़ में भाषाई, धार्मिक और जातिय आधार पर जनता को बाँटने के खिलाफ संघर्ष तेज़ करो * मोदी साकार द्वारा देश में फ़ासीवाद ला��े की कोशिश को जन-एकता से ध्वस्त करो लोकपक्ष Phone: 886030502, Email: [email protected]
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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR )
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR )
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( NPR )और ( NRC ) क्या है ? और जानेगे | हाल फिलहाल में नेशनल रजिस्टर पापुलेशन ( एनपीआर ) काफी सुर्खियों में है इसे ��ाष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर कहा जाता है | दरअसल यह देश के स्वाभाविक निवासियों की समग्र पहचान का एक डेटाबेस है| यानी एनपीआर देश के सभी स्थानीय निवासियों का बेवड़ा है | राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर सामान्य रूप से भारत में रहने वालों का एक रजिस्टर…
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#एनपीआर लाने का उद्देश्य#भारत की जनसंख्या गणना प्रक्रिया#राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर ( एन पी आर ) से लोगो को क्या फायदा होगा
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बेगुनाह छात्रों की गिरफ़्तारी आखिर कब तक
जब हमारे संविधान का निर्माण हुआ था तब इस बात को ध्यान में रखा गया था की किसी भी बेगुनाह या मासूम को सजा न हो जाए लेकिन आज जब हम आज़ाद और सेक्युलर भारत तस्वीर देखते हैं तो पाते हैं कि सरकार के किसी भी फैसले के खिलाफ प्रश्न उठाने वाले ,तर्क करने वाले या सरकार की किसी नीति के विरुद्ध धरना प्रदर्शन करने वाले को या तो गिरफ्तार कर लिया जाता है या तो उसे आतंकवादी घोषित कर प्रताड़ना जाती है. सरकर की बनाई गई हर नीति से देश का हर नागरिक सहमत हो यह किसी भी देश में किसी भी प्रकार से संभव नहीं है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहाँ हर नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने का और एक अहिंसक प्रकार से सरकार के विरुद्ध निराशा जताते हुए प्रदर्शन करना बिलकुल जायज़ है। इसका क़तई यह मतलब नहीं के सत्ता में बैठे लोगो से असहमति जताने के लिए किसी व्यक्ति विशेष को या किसी एक समुदाय को आतंकवादी घोषित कर दिया जाए और अपमानित करते हुए उसे उसके घर से बिना उसके परिजनों को सूचित किये गिरफ्तार कर लिया जा।
वही देखने में आता है के विकास दुबे जैसे खतरनाक अपराधी जिस पर पहले से 60 मुक़दमे दर्ज हो और 8 पुलिसकर्मियो की ऑन ड्यूटी हत्या का आरोप हो उसे बड़ी आसानी से बिना किसी चार्जशीट फाइल किये बिना किसी पूछताछ के,एक मनघडंत फ़िल्मी कहानी दर्शा कर एनकाउंटर की भेंट चढ़ा दिया जाता है .दंगे भड़काने वाले भाषण देने वाले कपिल मिश्रा जैसे अपराधी खुले आम घूमते हैं तो वही पिछड़े हुए दलितों और मुस्लमान वर्ग के लोगो की आवाज़ बनने वाले उस्मानी जैसे होनहार छात्र को गिरफ्तार करने के लिए एक आतंकवादी दस्ता जाता है.
शरजील उस्मानी की गिरफ़्तारी :
आपको बताते चले, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता शरजील उस्मानी को बीते बुधवार उनके निवास स्थान सिधारी, आजमगढ़ से गिरफ्तार किया गया जिनके ऊपर आई.पि .सी की धारा “एटेम्पट टू मर्डर “(307),147 (रायटिंग ), 148 (घातक हथियार से लैस होते हुए दंगा), 149 (गैरकानूनी विधानसभा के एक सामान्य वस्तु के अभियोग में अपराध करना), 153 (दंगे भड़काने वाले) and 153 A (जुलूस में हथियार लेकर चलाना) , 188 (लोक सेवकों के आदेश की अवज्ञा), 322 (भड़काऊ शिकायतें), 353 (लोक सेवकों पर हमला) and 506 (आपराधिक धमकी देना) और सेक्शन 67 इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, के तहत संगीन आरोप लगे है.
“द वायर” की रिपोर्ट के मुताबिक़ उनके भाई का कहना है की बुधवार की शाम को ५ बजे उनके घर ५ लोग सादे कपड़ो में आते हैं और ये दवा करते हैं के वो क्राइम ब्रांच से हैं , परिवारजनों द्वारा उनके वह आने की वजह पूछ��� जाने पर उनमे से एक ने कहा के “आपको जानने की ज़रूरत नहीं है शरजील को पता है के हम यहाँ क्यों आए हैं “. शरजील के हाथो को बंधा जाता है और उनका सर निचे झुका दिया जाता है. उनके भाई अरीब का कहना है की अपनी पहचान बताए बिना ही वो शरजील के कमरे को देखने की मांग करते हैं उनका कुछ सामान जैसे की ‘लैपटॉप,सारी किताबे और कुछ कपडे साथ ले जाते हैं.आगे बताते हुए उनके भाई ने जानकारी दी कि हम सबको खड़ा कर तस्वीरें ली और शरजील से हमारा क्या सम्बन्ध है यह भी पूछा गया.”
यह गिरफ़्तारी अपने आप में ही एक अजीब संकेत देती है जहाँ विकास दुबे जैसे घातक अपराधी जिसके पास ए के -४७ जैसे खतरनाक हथियार पाने की शंका जताई जाती है उसे बिना हथकड़ी के गिरफ्तार किया जाता है और शरजील जैसे होनहार छात्र को इस तरह अपमानित कर अपने साथ ले जाया जाता ह।
शरजील के पिता तारिक़ उस्मानी का कहना है
“मुझे यकीन है कि यह गिरफ्तारी नहीं है। उन्होंने हमें यह नहीं बताया कि क्या आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्होंने हमें उसके साथ कोई बातचीत करने की अनुमति नहीं दी”
माँ सीमा उस्मानी ने कहा
“एक अभिभावक के रूप में, और अधिक महत्वपूर्ण बात, नागरिक के रूप में, हमें यह जानने का अधिकार है”.
ए.एम.यू में भूगोल पढ़ाने वाले उस्मानी के पिता तारिक उस्मानी ने द हिंदू को बताया कि लगभग 24 घंटे तक उन्हें पता नहीं था कि उनका बेटा कहां है। “मेरा छोटा बेटा अरीब, जो कि शरजील के साथ आज़मगढ़ में था, ने मुझे फोन पर बताया कि सादा कपड़ो में पांच पुलिसकर्मियों ने शरजील को तब उठाया जब वह चाय पीने गया। वे उसे निवास पर ले आए और उसका लैपटॉप और किताबें जब्त कर लीं। परिवार के सदस्यों की तस्वीरें खींची गईं, लेकिन जब उन्होंने उद्देश्य पूछा तो उन्हें बताया गया कि शारजील इसके बारे में जानता है। ”
गुरुवार को शाम में ही, डॉ उस्मानी ने कहा, एक स्थानीय पुलिस स्टेशन के एक निरीक्षक ने फोन करके कहा कि उनके बेटे को अदालत में पेश किया गया है।
जहा आजमगढ़ पुलिस ने कोई भी जानकारी न होने की इत्तेला दी तो वही अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ “जिले के एडिशनल एसपी (क्राइम) अरविं द कुमार ने बताया है कि गिरफ्तारी लखनऊ पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी और पिछले दिसंबर में अलीगढ़ में दर्ज मामले से संबंधित है।”
क्या है गिरफ़्तारी की वजह :
आपको बताते चले कि उस्मानी उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने कैंपस के अंदर एएमयू में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस का आरोप है कि छात्रों ने पत्थर फेंके ��र फैलने से इनकार कर दिया, यह दावा करते हुए कि 19 पुलिसकर्मी मैदान में घायल हुए थे, जिसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुमति से परिसर में प्रवेश किया।
अपनी ओर से, छात्र पुलिस के दावे का मुकाबला करते हैं और कहते हैं कि पुलिस द्वारा कैंपस के अंदर उन पर हमला किया गया था जिसमें जबरन प्रवेश किया गया था। हर्ष मंडेर और प्रोफेसर चमन लाल के नेतृत्व में एक टीम द्वारा निर्मित एक तथ्य-खोज रिपोर्ट ने इस दावे को पुष्ट किया है, और पुलिस पर गंभीर क्रूरता का आरोप लगाया, खासकर मॉरिसन बॉयज़ हॉस्टल के अंदर, और कहा कि लगभग 100 छात्र घायल हो गए, कम से कम 20 गंभीर रूप से ।
हाल ही में पुलिस ने इस मामले की चार्जशीट फाइल की है जिसका मतलब है कि यह केस अब ट्रायल में है. उस्मानी के वकील अले नबी का कहना है कि “सोमवार को कोर्ट खुलते ही उनकी बेल के लिए अर्ज़ी दी जाएगी उनके खिलाफ दर्ज मामले बेहद संगीन हैं लेकिन फिर भी मुझे यकीन है की उन्हें बेल मिल जाएगी.”
क्या हैं शरजील कि चार्जशीट में :
शरजील की चार्जशीट का संज्ञान लेते वक़्त हमने पाया कि मामले के आई.ओ. इंस्पेक्टर अमित कुमार ये दलील देते हैं की छात्रों ने कई सारे वाहन तोड़े हैं लेकिन जब कुछ दिनों बाद कुछ वीडियोज़ सामने आए तो उनमे साफ़ दिखा की पुलिस ही वाहनों को तोड़ रही है. तो इस प्रकार से चार्जशीट में शरजील के खिलाफ लगे कई आरोप असंगत साबित होते हैं.
छात्रनेता कि मामले पर राय
ए. एम्. यु. के छात्र नेता,अबुल फ़राज़ शाज़ली का कहना है :
” सी ए ए और एन आर सी कि लड़ाई इस बात पर आधारित थी कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है या हिन्दुओ की मातृभूमि? जब १९४७ में जो भारत बना जिसे हम आज का भारत कहते हैं वह इस क़ानून के आधार पर बना था के यहाँ सभी धर्मो के लोगो को रहने का अधिकार प्राप्त है,अपनी बात को रखने की स्वतंत्रता होगी मगर मौजूदा हालातो में अल्पसंख्यकों और दलितों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। जो भी इन समुदायों के पक्ष में बोलता है उसे सरकार हिन्दुओ का दुश्मन बना कर प्रस्तुत कर धर्म के आधार पर भय की राजनीती करती है।”
यह बेहद शर्मनाक वाकिया है और हम सरकर से अपील करते हैं के किसी भी प्रदर्शनकारी के विरुद्ध कार्यवाही करने से पहले यह सुनिश्चित करे कि उनके मौलिक अधिकार उन्हें प्राप्त हो और साथ ही जो जनता उनके फैसले कि विरुद्ध खड़ी ��ै उन्हें यह समझाने का प्रयास करे कि यह फैंसला उनके खिलाफ नहीं है । हमारा यह मांनना है कि सत्ता में बैठे लोग जनता को यह बात स्पष्ट नहीं कर सके कि सी. ऐ. ऐ. और एन. आर. सी. जैसे क़ानून उनके हित में किस प्रकार से है।
लेखक : लुब्ना हाश्मी
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NPR and Census may get delay to prepare due to Corona - जनसत्ता संवाद: एनपीआर व जनगणना - कोरोना से देरी पर आगे क्या तैयारी
NPR and Census may get delay to prepare due to Corona – जनसत्ता संवाद: एनपीआर व जनगणना – कोरोना से देरी पर आगे क्या तैयारी
कोरोना विषाणु का प्रकोप भारत में तेजी से फैलता जा रहा है और इसे देखते हुए गृह मंत्रालय ने आशंका जताई है कि जनगणना और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनपीआर) तैयार करने की कवायद में देरी हो सकती है। एक अप्रैल से यह कवायद शुरू होनी थी, लेकिन कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए इसमें देरी होना तय है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, कोरोना विषाणु की वजह से एक अप्रैल की तारीख को आगे बढ़ाया जा सकता है।…
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यहां पढ़ें देश और दुनिया की 10 बड़ी खबरें
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नई दिल्ली. इस समय पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है. यह वायरस अब तक 4600 से अधिक लोगों की जान ले चुका है. भारत में भी इससे पहली मौत हुई है. कर्नाटक के कलबुर्गी के 76 वर्षीय बुजुर्ग की मौत की पुष्टि हुई है. साथ ही दिल्ली में भी इस महामारी घोषित किया गया है. इसके चलते प्रदेश में 31 मार्च तक स्कूल-कॉलेज और सिनेमाघर बंद रहेंगे. वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में सीएए और एनपीआर पर स्थिति स्पष्ट की है.
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कोरोना वायरस ने ली भारत में पहली जान, कर्नाटक ��े 76 साल के बुजुर्ग ने तोड़ा दम कर्नाटक (Karnataka) में दो दिन पहले हुई 76 वर्षीय एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौत भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण से हुई पहली मृत्यु है. राज्य सरकार ने गुरुवार को बताया कि इस व्यक्ति के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का संदेह था, जिस कारण उसका इलाज चल रहा था. मृत्यु पूर्व लिए गए उसके नमूनों की जांच में कोविड-19 संक्रमण की पुष्टि हुई है.यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
राज्यसभा: अमित शाह बोले- विपक्ष भ्रम न फैलाए, NPR में डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं, इसमें D कैटेगरी नहीं राज्यसभा (Rajya Sabha) में दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, बीजेपी नेता विजय गोयल, आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर समेत कई नेताओं ने भाषण दिया. विपक्ष के नेताओं ने सरकार से कई सवाल भी पूछे. वहीं विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने सीएए, एनपीआर और दिल्ली हिंसा पर विस्तार पर भाषण दिया.यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
दिल्ली में कोरोना महामारी घोषित, स्कूल-कॉलेज और सिनेमाहॉल 31 मार्च तक के लिए बंद कोरोना वायरस (Corona Virus) के खतरे को देखते हुए दिल्ली में इसे महामारी (Epidemic) घोषित कर दिया गया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने इस बाबत घोषणा करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए एहतियातन दिल्ली के सभी सिनेमाहॉल 31 मार्च तक के लिए बंद किए जा रहे हैं. सीएम ने कहा कि जिन स्कूल और कॉलेजों में परीक्षाएं नहीं चल रही हैं, उन्हें भी 31 मार्च तक के लिए बंद किया जा रहा है.
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राज्यसभा चुनाव: कांग्रेस ने जारी की 9 उम्मीदवारों की लिस्ट, केसी वेणुगोपाल और दिग्विजय सिंह को टिकट कांग्रेस (Congress) ने राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha Polls) के लिए गुरुवार को 9 उम्मीदवारों की घोषणा की जिनमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं केसी वेणुगोपाल (KC Venugopal), दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और राजीव सातव (Rajiv Satav) के नाम शामिल हैं. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
ट्रंप से मिलने वाले अधिकारी को हुआ कोरोना, जस्टिन ट्रूडो ने खुद को घर में कैद किया ब्राजील (Brazil) की सरकार के जिस अधिकारी ने अमेरिकी राष्ट्रपति (American President) डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के फ्लोरिडा वाले रिसॉर्ट में शनिवार को एक आधिकारिक बैठक में हिस्सा लिया था, उन्हें कोरोना वायरस (Corornavirus) के परीक्षण में पॉजिटिव पाया गया है. इस बात की जानकारी ब्राजील के अखबार एस्ताडो दे साओ पाउलो ने गुरुवार को दी है. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
इस देश के राष्ट्रपति पर कोरोना वायरस का खतरा, मंत्री और सेना के अधिकारी भी कराएंगे टेस्ट फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते (Philippine President Rodrigo Duterte) को भी कोरोना वायरस (Coronavirus) के खतरे ने घेर लिया है. फिलीपींस सरकार ने जानकारी दी है कि रोड्रिगो की एहतियातन जांच कराने का फैसला लिया गया है. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
सचिन-सहवाग के फैंस के लिए बुरी खबर, Corona Virus के कारण रद्द हुई टी20 सीरीज! कोरोना वायरस (Corona Virus) का असर खेल जगत पर भी दिखने लगा है. अब इसके कारण दिग्गजों के बीच चल रही रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज (Road Safety World Series) को भी रद्द कर दिया गया है. सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, ब्रायन लारा जैसे खिलाड़ियों से सजे इस टूर्नामेंट को लोग काफी पसंद कर रहे थे. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
कोरोना की वजह से क्यों गिर रहा है भारतीय शेयर बाजार, 1 हफ्ते में डूब गए 23 लाख करोड़ रुपए चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस (Corona virus) अब 100 से अधिक देशों में अपने पैर पसार चुका है. कोरोना वायरस का प्रकोप अब भारत में भी धीरे-धीरे फैल रहा है. भारत में कोरोना वायरस के 74 मामले सामने आए हैं. इसी वजह से शेयर बाजारों में भी बेचैनी बढ़ गई और हफ्ते भर में ��ेंसेक्स 5000 अंक से ज्यादा टूट गया. ऐसा ही असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा है. ऐसे में अब सवाल उठता है कि इस गिरावट के बीच निवेशकों को क्या करना चाहिए. जिन्होंने शेयर बाजार की तेजी से खुश होकर म्यूचुअल फंड्स स्कीम में पैसा लगाया उनका क्या होगा? क्योंकि एक हफ्ते में निवेशकों के 23 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए है. डिजिटल प्राइम टाइम में आज हम आपको इससे जुड़े सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे…. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
यस बैंक में 7250 करोड़ रुपये लगाएगा SBI, जानिए क्या है नया प्लान भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एग्जीक्यूटिव कमेटी ऑफ सेंट्रल बोर्ड (ECCB) ने यस बैंक में 725 करोड़ शेयर खरीदने की मंजूरी दे दी है. SBI अब 10 रुपये प्रति शेयर के भाव से यस बैंक (Yes Bank) में 725 करोड़ शेयर खरीदेगा. इसका मतलब है कि यस बैंक को संकट की स्थिति से बचाने के लिए SBI 7,250 करोड़ रुपये खर्च करेगा. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
लखनऊ होर्डिंग मामलाः ऐसा कोई कानून नहीं, जिसमें उपद्रव के कथित आरोपियों की तस्वीरें लगाई जाएं-सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान व्यापक पैमाने पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था. इसके बाद प्रदेश सरकार ने हिंसा में शामिल सभी आरोपियों का पोस्टर सार्वजनिक तौर पर लखनऊ के चौराहे पर लगा दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को तत्काल ये पोस्टर-बैनर हटाने को कहा था. इस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी. इस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा कि उन्हें आरोपियों का पोस्टर लगाने का अधिकार किस कानून के तहत मिला है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी तक शायद ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके तहत उपद्रव के कथित आरोपियों की त��्वीरें होर्डिंग में लगाई जाएं. यहां क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
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CAA-NPR पर शिवसेना ने दिया BJP का साथ, उद्धव बोले- करेंगे लागू
चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद अपने सहयोगी दलों कांग्रेस-एनसीपी को झटका देते हुए ठाकरे ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी को डरने की जरूरत नहीं है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); उन्होंने कहा कि, 'मेरी महाराष्ट्र से संबंधित कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत हुई। मैंने उनके साथ सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर भी बात की। किसी को भी सीएए से डरने की जरुरत नहीं है। यह सही है कि पड़ोसी देशों में उत्पीड़न के शिकार जो नागरिक हैं वे हिन्दू हैं और सीएए उन्हीं को नागरिकता देने का कानून है। एनपीआर किसी को भी देश से बाहर नहीं निकालेगा। ठाकरे ने साफ कर दिया है कि वह राज्य में सीएए और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू करेंगे। लेकिन उनका यह फैसला राज्य में उनकी सहयोगी पार्टियों कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच तल्खी बढ़ाने का काम कर सकता है। Delhi: Chief Minister of Maharashtra, Uddhav Thackeray as well as Minister in Maharashtra Government, Aaditya Thackeray called on PM Narendra Modi, today. pic.twitter.com/tkbBewcEpO — ANI (@ANI) February 21, 2020 बता दें, ठाकरे ने शुक्रवार को दिल्ली में पीएम मोदी से उनके आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की। इस दौरान उनके बेटे आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे। आदित्य महाराष्ट्र सरकार में मंत्री भी हैं। भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद उद्धव ठाकरे की पीएम मोदी से यह दूसरी मुलाकात हुई। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सीएम ठाकरे ने जिस तरह से सीएए का समर्थन किया है, उसके बाद कांग्रेस इस पर क्या रुख अपनाती है। ये भी पढ़े... उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान, कहा- महाराष्ट्र में लागू नहीं होगा एनआरसी उद्धव ठाकरे के बयान के बाद साईं बाबा के जन्मस्थान पर गहराया विवाद, अनिश्चित काल के लिए शिरडी बंद का ऐलान उद्धव ठाकरे ने 26/11 आतंकी हमले से की JNU हिंसा की तुलना, कही यह बात Read the full article
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भाजपा सरकार के आरक्षण विरोधी रुख के खिलाफ दिए गए प्रदेश स्तरीय धरना एवं प्रदर्शन के दौरान संबोधन- मुझे खुशी है कि एससी, एसटी और ओबीसी प्रकोष्ठ ने और एमबीसी ने मिलकर के ये आयोजन किया। जैसा अभी पायलट जी बता रहे थे आपको कि जैसे ही फैसला आया सुप्रीम कोर्ट के अंदर कांग्रेस प्रेसीडेंट सोनिया गांधीजी ने, राहुल गांधी जी ने तमाम राज्यों को संदेश दिया कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। केन्द्र सरकार जिस प्रकार से एजेंडा थोप रही है, ये एजेंडा आरएसएस का है, बीजेपी का है। उसके अनुरूप जो काम होते जा रहे है एक के बाद एक वो कहां ले जाकर छोड़ेंगे देश को देश की दशा क्या होगी। ये जो है एजेंडा उनकी नीयत ठीक नहीं है। लोकतंत्र में चुनाव जीत गए वो लोग। वोट आए 100 में से 39 वोट 61 वोट खिलाफ पड़े हैं। चुनाव जीतना अलग बात है 100 में से 61 वोट खिलाफ है, 39 वोट पक��ष के अंदर है। क्या उनक�� अधिकार है बिना आवाम की आवाज को देखते हुए फैसला करें, किए जा रहे है चाहे धारा 370 हो, ट्रिपल तलाक हो, जो चाहे फैसला कर रहे है। जो असहमति व्यक्त करते है वो देशद्रोही है। वो पाकिस्तान से मिला हुआ है। दिल्ली में क्या हुआ मालूम है आपको जो सत्ता पक्ष के लोग है वो मुख्यमंत्री को कहते है ये आतंकवादी है। करंट जाएगा शाहीन बाग तक करंट जाएगा। इन गद्दारों को गोली मारो। यूपी के मुख्यमंत्री क्या कहते है ये ऐसे नहीं मानेंगे ये गोली से मानेंगे। कोई कह सकता है मुख्यमंत्री किसी राज्य का मुख्यमंत्री कह सकता है, प्रजा के लिए। ऐसे नहीं मानेंगे ये तो गोली से मानेंगे और यूपी में 15 लोग मार दिए और जब में बदला लूंगा आप लोग शांत हो जाइए, कंपनी जब्त हो जाएगी। इस माहौल में देश चल रहा है। नागरिक संशोधन विधेयक पास हुआ, एनपीआर की बात हुई, एनआरसी जो आसाम में जो फेल हो गया 19 लाख लोग सलैक्ट हुए बाहर हो गए एनआरसी से। 19 में से 16 लाख हिंदू निकले। वहां कि सरकार बीजेपी की है वो लागू नहीं कर पा रही है। कैसे पूरे मुल्क में लागू करोगे। ऐसे क्यों हो रहा है, आज एससी,एसटी लोगों को आशंकाएं क्यों हो रही हैं। संदेह क्यों हो रहा है। इसलिए हो रहा है, क्योंकि सरकार की नीति में खोट है, नियत में खोट है। वो एजेंडा थोपने के लिए कुछ भी कर सकती है। फायरिंग करवा सकती है। जो करवाया यूपी के अंदर। मुख्यमंत्री भड़का रहा है पुलिस को। दिल्ली में क्या हुआ जेएनयू के अंदर नकाबपोश लोग गए अंदर नौजवान, मारपीट की लड़कियों के साथ में लड़कों के साथ में, पुलिस की एस्कोर्ट में बाहर निकले कोई मुकदमा दायर नहीं हुआ। जामिया मिलिया में ऐसे ही हुआ। चार पांच दिन पहले लड़कियों के साथ छेड़छाड़ की, दीवार फांदकर गए लड़के पुलिस की देखरेख में, कुछ नहीं हुआ। क्या जा रहा है, देश किस दिशा में जा रहा है। कहां लोकतंत्र है देश के अंदर। इस माहौल में जब देश चल रहा है तो संदेह होना लाजमी है। इसलिए आपको याद होगा अभी अविनाश जी कह रहे थे। पहले हम लोगों ने शांति मार्च निकाला और शानदार 4-5 लाख लोग सड़कों पर आ जाए और एक झंडा नीचे नहीं गिरे एक नारा नहीं लगे। तख्तियां लेकर चलें और जो डिवाइडर होता है सड़कों के बीच में एक फूल तक नहीं टूटा हो। क्या कहेंगे इसको। उसी वक्त वहां यूपी में क्या हो रहा था तांड़व हो रहा था हिंसा का। इसलिए एससी,एसटी का सोचना लाज़मी है। 28 तारीख को दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने निकाला। पूरे देश की प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को काम दिया गया। कांग्रेस स्थापना दिवस था उसको हमने संविधान बचाओ के रूप में मनाया और शानदार रूप से आप लोगों ने उसको कामयाब किया। भारत बचाओ क�� नारा दिया एआईसीसी ने जिलों में आपने अच्छा काम किया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अच्छा जुलूस निकला। शानदार तरीके से लोग आए और दिल्ली के रामलीला मैदान में आप लोगों ने रिकॉर्ड तोड़ दिया इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। राजस्थान के कार्यकर्ता बहुत जागरूक हैं, समझता है देश में क्या हो रहा है। इसलिए जो आव्हान किया है एआईसीसी ने, प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हम लोगों ने आप कोई चूक नहीं करते हो। परसों की बात है हम लोगों ने तय किया धरना देंगे, ज्ञापन देंगे राज्यपाल महोदय को। और दो दिन के अंदर आप सब लोग इकठ्ठे हो गए। और यहां जो बैठे है वो सिर्फ एससी के लोग नहीं है, एसटी के नहीं है 36 कौमों के लोग है। यही होना चाहिए। ये मुद्दा खाली एससी, एसटी का नहीं है ये मुद्दा संविधान की मूल भावना का है। जिसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं। एनडीए गवर्नर्मेंट, मोदी जी, अमित शाह जी। नागरिक संशोधन विधेयक क्या है। एक धर्म को अलग करके आपने कानून पास कर दिया। बाबा साहब अंबेडकर ने क्या कहा सभी धर्म, सभी जाति के लोगों को समान अधिकार मिले। क्या आप कर सकते हो चेंज उसमें, कर सकते हो चेंज। अगर आपने एक शुरूआत की पता नहीं आप कहां ले जाओगे। कभी कह दोगे आरएसएस तो बोलने लग गई थी। आरक्षण की जरूरत क्या है एससी, एसटी को 70 साल हो गए। बिहार चुनाव में सुना होगा आप लोगों ने मोहन भागवत जी बोले पहली बार सफाया हो गया उनका, बिहार से सफाया हो गया उनका। आपको याद होगा ये जान पूछकर भ्रम पैदा करने के लिए कभी आरक्षण को हटाने की बात करेंगे, फिर कहेंगे हमारा मकसद ये नहीं था, हमारा संकल्प ये नहीं था। ये जो तमाम बातें हो रही है देश के अंदर आशंका पैदा करते है किस रूप में फासिस्ट रूप में किस तरीके से एक तरफा फैसले किए जा रहे है एक के बाद एक। आप बताइए क्या जरूरत पड़ी कि आज 400-500 जगह धरने चल रहे है। राजस्थान में ही 20-25 जगह धरने चल रहे है। सर्दी के वक्त में क्या तकलीफ हुई होगी महिलाओं को, बच्चों को, मुस्लिम भी थे, हिंदू भी थे, एक्टिविस्ट भी थे, सोशल वर्कर भी थे। क्या जरूरत पड़ी क्योंकि इस सरकार पर विश्वास नहीं रहा लोगों का। सरकार बनना अलग बात है विश्वास कायम करना दूसरी बात है। वो विश्वास कायम रखा जाता है जब सारे फैसले आवाम क्या चाहती है वो देखकर होते हैं। क्या फैसले ऐसे कर रहे है ये लोग। उस रूप में जो ये देश चल रहा है आरक्षण को खतरा होना भी स्वाभाविक है। जिस दिन इनका सारा एजेंडा समाप्त हो जाएगा, कॉमन सिविल कोड लाने की बात चल रही है। जो इनके मैनिफैस्टो के अंदर है वो भी लाएंगे उसके बाद में जब मौका लगेगा सुबह घोषणा मिलेगी जैसे नोटबंदी की मिली थी या नहीं, नोटबंदी का क्या मिली थी। हमारे मोदीजी कैबिनेट से उठकर गए। बोले आप रूको मैं अभी आता हूं, उनको भी नहीं कहा। सीधा टीवी के अंदर प्रसारण आया कि भाईयों और बहनों अभी 8 बजे है रात को 12 बजे के बाद में आपका 500,1000 का नोट बंद हो गया है। 500,1000 का नोट बंद खत्म, खारिज कर दिया है। ये कौन कर सकता है उसकी क्या दुर्गति हुई है अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है। जीएसटीसी ने और बर्बाद कर दिया है। पूरा देश आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। इनके खुद के एडवाइजर कहते है कि अर्थव्यवस्था आईसीयू में चली गई है। क्या क्या कामेंट नहीं आ रहे है अरे निर्मला सीतारमण जो इनकी वित्त मंत्री है उनके पति कहते है कि इस सरकार को समझ ही नहीं है अर्थव्यवस्था की। बताईए आप, पंडित नेहरू को छोड़ दिया इन्होंने उनकी नीतियों को। अब इनको चाहिए नरसिम्हा राव के वक्��� में डॉ मनमोहन सिंह जी की जो नीतियां थी उनको अपनाएं तो अर्थव्यवस्था बच जाएगी। एक केन्द्रीय मंत्री के पति को ये बात कहनी पड़ती है क्या करें। इनकी कोई क्रेडिबिलिटी नहीं रही है। क्रेडिबिलिटी खत्म होती जा रही है। क्योंकि देश में खाली मोदी और अमित शाह सिर्फ दो लोग राज कर रहें है। बीजेपी के नेता भी अंदर ही अंदर धमेड़े देते जा रहे है। वो भी मन ही मन कहता है कि इनको सबक मिलना चाहिए। अभी दिल्ली के अंदर चुनाव हुए परिणाम आने लगे बीजेपी के अंदर मेरे पास खबर आई आर्टिकल आया, कि यार ये 20 जगह कैसे आगे आ गई बीजेपी हमारी ये तो सिंगल डिजिट पर आनी चाहिए थी। सुबह-सुबह 20 जगह आगे आ रही थी ना तो बीजेपी वालों ने ही कहा कि ये 20 कैसे आ गई इसकी दुर्गति तो 10 के अंदर- अंदर होनी चाहिए थी। अब बताइए आप। पूरा देश दुखी है धीरे-धीरे बीजेपी वाले खुद दुखी होते जा रहे है। इसलिए मैं कहूंगा कि ये खतरनाक खेल है आरक्षण को लेकर के आपको याद होगा पिछली बार लड़ाई लडी थी पूरी प्रमोशन में आरक्षण को लेकर और हमारे जो थे हाईकोर्ट ने फैसला दे दिया हमारे खिलाफ में चीफ सैक्रेटरी को जेल भेज दिया, डीजीपी को जेल भेजने का फैसला दे दिया। हम लोग सुप्रीम कोर्ट से जीतकर आए। तो राजस्थान में शांति है। राजस्थान में शांति है आज कोई वर्ग हो सब संतुष्ट है सरकार के फैसले से, खाली एक मात्र राजस्थान है देश के अंदर जिसने राज्य में आराम से अपने फैसला करवा दिया। और सबने स्वागत किया। पर जो सुप्रीम कोर्ट की नियत है और जो फैसला आया है उसे लोग स्वीकार नहीं कर पाए है। उसे लोग अनफॉरचुनेट बता रहे है। अब केन्द्र को चहिए ये धरना क्यों दिया जा रहा है। केन्द्र को चाहिए जो एआईसीसी ने सोनिया गांधीजी ने, राहुल गांधीजी ने जो फैसला किया है पूरे देश में आव्हान करो। सभी लोग एससी,एसटी, ओबीसी, एमबीसी, और आर्थिक रूप से पिछ़डे लोगों को आरक्षण मिल ���या है 10 प्रतिशत उस आरक्षण की रक्षा के लिए सब आगे आएं और हिम्मत दिखाएं जिससे भविष्य में हिम्मत नहीं हो आरक्षण को खत्म करने की। एक ध्वनि निकल रही है इनकी बातों से वो जो खतरा है, आधा करने के लिए आपको तकलीफ दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कह दिया राज्यों को आप दवाब नहीं दे सकते हो आरक्षण के लिए प्रमोशन के अंदर। ये बहुत खतरनाक संदेश जाएगा इससे लोग घबरा गए हैं। मैं चाहूंगा कि पार्लियामेंट के अंदर क्यों नहीं वापस संशोधन हो कि प्रमोशन में आरक्षण मिलना चाहिए। जितना उनका हक है वो उन्हें मिलना चाहिए जैसे राजस्थान में मिला है। राजस्थान को क्यों नहीं मॉडल बनाकर ये सरकार पूरे देश के अंदर प्रमोशन में आरक्षण लागू करवाए। मेन मुद्दा ये है इसकी तरफ सबका ध्यान जाना चाहिए। जनरल कास्ट को मिलेगा उसमें उसके अनुपात के अंदर, एससी, एसटी का हक है उसको मिलेगा। ये राजस्थान में हुआ है। इसलिए में आपको अनुरोध करूंगा आज आपका आना बहुत मायनें रखता है। पूरा समाज एकजुट है एससी एसटी के लोगों के लिए कई बार हार्ट बर्निंग होती है मैं कहना चाहूंगा आपको की आज भी अपनी ईमानदारी से बात करें जो अपना एससी वर्ग है। गांवों में क्या स्थिति है उसकी हरिजनों की स्थिति क्या है। गटर में उतारते हैं उसको सफाई करने के लिए मर जाते हैं कई गैस के अंदर। छुआछुत आज भी है देश के अंदर। मीटिंग होती है जैसे यह मीटिंग हो रही है सब बैठे हैं यहां पर और अलग दरियां लगी हुई हैं दरियां भी नहीं लगी हुई है। दरी पर खुद बैठेंगे। एक कोने के अंदर बिना दरियों के शेड्यूल कास्ट लोग बैठते हैं। अलग से बैठते हैं यह स्थिति है जिस मुल्क में छुआछुत हो, भेदभाव हो। 100 साल पहले रवीन्द्र नाथ टेगौर ने कहा था राष्ट्रवाद से भी बड़ी मानवता है। जब मानवता नहीं रहेगी तो राष्ट्रवाद क्या रहेगा और यह राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को भड़का रहे हैं बीजेपी वाले, आरएसएस वाले, राष्ट्रवाद का जहर घोल रहे हैं। इनका राष्ट्रवाद छद्म राष्ट्रवाद है। हम लोग बैठें हैं राष्ट्रवादी हैं असली राष्ट्रवादी हम यहां बैठे हुए हैं। उनका छद्म राष्ट्रवाद है चुनाव जीतने के लिए हैं। हिन्दुओं को भड़काने के लिए है। यह नहीं सोचते 20 प्रतिशत आबादी मुस्लिम समुदाय की है वो कहां जाएगी। आज ये मुस्लिम मायनॉरिटी पर हमला कर रहे हैं। कल यह सिखों पर आएंगे। बुद्ध पर आएंगे क्या चाहते हैं ये लोग। मैं चाहता हूं कि हिन्दू राष्ट्र का यह जो सपना है इन लोगों का कभी साकार नहीं होगा और हिन्दू राष्ट्र की बात करने वालों को आखिरी में अपनी बात कह कर मैं बात समाप्त करता हूं। आरएसएस वालों, बीजेपी वालों, सुन लो, क्या एससी का आदमी हिन्दू नहीं है, एसटी का हिंदू नहीं है। आपने कभी कोशिश की छुआछुत मिटाने की इन लोगों के साथ में। कितने परिवार के लोग आपके उनके साथ बैठकर खाना खाते हैं। ��ितने परिवार के लोगों में छुआछुत मिटाने के लिए अभियान चलाया है आपने। कभी आरएसएस ने चलाया है। हमारे नेताओं ने तो आजादी के वक्त में ही हमारे जो बड़े-बड़े नेता थे। जयनारायण व्यास हो चाहे माणिक्य लाल वर्मा हो, हीरालाल शास्त्री हो। उस जमाने में बड़े-बड़े नेता हरिजनों को मंदिरों में प्रवेश कराना चाहते थे। लाठी-डंडा खाते थे। तुमने क्या किया 70 साल के अंदर आप बात करते हो हिन्दू संस्कारों की, संस्कृति की। परम्पराओं की। क्या यह परम्परा नहीं है कि मानव-मानव के साथ भेद हो रहा हैं। करते हो क्या आप लोग कुछ कोशिश। ये आरएसएस वाले क्या चाहते हैं। हिन्दू की बात करते हैं और हिन्दू के अंदर भी भेदभाव करते हैं। पहले आरएसएस को सब काम छोड़कर के छुआछुत मिटाने का काम करें तब मैं समझूंगा कि आरएसएस का मकसद हिन्दू राष्ट्र बनाने की असली मंशा इनकी है जो यह नहीं कर पाएंगे ये लोग। इसलिए मैं यही बात कहता हुआ आपको आह्वान करूंगा ध्वनि निकल रही है केन्द्र सरकार के मंत्रियों से, इनके मैम्बर पार्लियामेंट से, आरएसएस के नेताओं से, वो ध्वनियां बहुत खतरनाक हैं। कब जाकर के ये घोषणा कर दे कि हम आरक्षण खत्म करते हैं। आगे नहीं बढ़ाएगे कोई भरोसा नहीं है इनका ये भरोसे लायक है ही नहीं है। इसलिए जरूरत पड़ी आज धरने की। यही बात कहता हुआ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। धन्यवाद, जय हिन्द, धन्यवाद
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विशेषज्ञ: आप चीन से पैकेजों से कोरोनावायरस को नहीं पकड़ेंगे
कोरोनावायरस के चीन से फैलने का सिलसिला जारी है - और 11 ने अमेरिकी मामलों की पुष्टि की - कई अमेरिकी बीमार होने से डरते हैं। और एक ऐसे युग में जब आप दुनिया में कहीं से भी कुछ भी मंगवा सकते हैं, कुछ इस बात से चिंतित हैं कि यह बीमारी चीन से भेजे गए पैकेज जैसे सतहों पर दुबकी हो सकती है। तो क्या आप पार्सल से कोरोनावायरस को अनुबंधित कर सकते हैं? सरल जवाब: सबसे अधिक संभावना नहीं है। दोनों संघीय स्वास्थ्य एजेंसियों और संक्रामक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस मेल किए गए पैकेजों पर लंबे समय तक नहीं रहेगा और आप इसे सतह के बजाय किसी व्यक्ति से पकड़ने की अधिक संभावना रखते हैं। सीडीसी का कहना है कि चिन से भेजे गए पैकेजों से फैलने वाले नए कोरोनावायरस का 'बहुत कम जोखिम' है (फ़ाइल छवि) रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) अपनी वेबसाइट पर बताता है कि यह एक सतह से कोरोनावायरस को अनुबंधित करने की ��हुत संभावना नहीं है। जबकि एक व्यक्ति वायरस को दिनों - या यहां तक कि हफ्तों तक ले जा सकता है - वायरस शरीर के बाहर लंबे समय तक नहीं रहते हैं। इसका मतलब है कि अगर वायरस एक सतह पर पाया जाता है, तो सीडीसी के अनुसार जीवन काल 'घंटों की सीमा में' है। और क्योंकि पैकेज एक दरवाजे पर समाप्त होने से पहले कई अलग-अलग वातावरणों से गुजरते हैं, जिससे उनके जीवित रहने की संभावना कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त, पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिजीज डायनामिक्स के निदेशक डॉ। एलिजाबेथ मैकग्रा कहते हैं कि एक कार्डबोर्ड बॉक्स कीटाणुओं के लिए एक अच्छा प्रजनन मैदान नहीं है। 'हम इन विषाणुओं के बारे में जो जानते हैं, वह यह है कि ये सतहों पर बहुत लंबे समय तक नहीं टिकते हैं, और यह विशेष रूप से बहुत छिद्रपूर्ण सतह के लिए होता है' जैसे कार्डबोर्ड, उसने एनपीआर को बताया। क्या अधिक है, वर्तमान में कोई मामला नहीं है - या अमेरिका के बाहर - जो कि संकुल को संभालने से आए हैं। Likely चीन से भेजे जाने वाले उत्पादों या पैकेजिंग से फैलने की संभावना बहुत कम होती है ’, सीडीसी अपनी वेबसाइट पर लिखता है। एजेंसी का कहना है कि यह 'श्वसन की बूंदों' के बारे में सबसे अधिक चिंतित है, जो एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर फैलता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्म पानी और साबुन से हाथ धोने और कोहनी में खाँसने या छींकने जैसी सावधानी बरतने की सलाह देते हैं - कीटाणुओं को फैलने से रोकने के लिए। दिसंबर 2019 में प्रकोप शुरू होने के बाद से, 99 प्रतिशत मामले चीन में और ज्यादातर वुहान में हुए हैं, जहां वायरस की उत्पत्ति हुई है। अब तक, दुनिया भर में 17,200 से अधिक लोग कोरोनोवायरस से संक्रमित हैं और 360 लोग मारे गए हैं। अमेरिका में कैलिफोर्निया में छह, इलिनोइस में दो और एरिजोना, मैसाचुसेट्स और वाशिंगटन में एक-एक सहित 11 पुष्टि मामले हैं। गुरुवार शाम को अमेरिकी विदेश विभाग ने एक लेवल 4 यात्रा चेतावनी जारी की, इसकी उच्चतम चेतावनी, अमेरिकियों को 'चीन की यात्रा न करने' की सलाह देते हुए। चीन और अमेरिका के अलावा, ऑस्ट्रेलिया, कंबोडिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, भारत, इटली, जापान, मकाऊ, मलेशिया, नेपाल, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, स्पेन में मामलों की पुष्टि की गई है। , श्रीलंका, स्वी��न, ताइवान, थाईलैंड, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात और वियतनाम।
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भीम आर्मी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर ने एक इंटरव्यू के दौरान सीएए, एनआरसी और एनपीआर को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “हम सरकार से पूछकर विरोध नहीं करेंगे, जो गल��� होगा उसका विरोध होगा। यह देश सेकुलर (धर्म निरपेक्ष) है। यह (सरकार) कानून, देश तोड़ने वाले हैं। भारतीय संविधान के खिलाफ कुछ होगा तो हम आवाज उठाएंगे। अब धर्म के अधार पर यहां कानून नहीं बनने देंगे।”
एक सवाल के दौरान बहुजन समाज पार्टी के अध्यक्ष मायावती पर इशारे-इशारे में तंज कसा और कहा कि जो गलतियां हुई, उन्हें दोहराया नहीं जाएगा। बहुजन समाज के लिए काम करना पड़ेगा। केवल भाषणबाजी से दलितों का भविष्य नहीं सुधर सकता है। उन्हें बराबरी का अधिकार और हिस्सेदारी देनी पड़ेगी। जब हिस्सेदारी मिलेगी तो परिवार बढ़ेगा। सत्ता में उनकी भागीदारी बढ़ेगी। तब बहुजन समाज का निर्माण होगा।
उन्होंने कहा, “देश और प्रदेश के करोड़ों अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों को सताया जा रहा है। उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। हमारे कार्यकर्ता चाहते हैं कि उन्हें भी राजनीतिक हिस्सेदारी मिले। इसको ध्यान में रखते हुए हम 15 मार्च को नया राजनीतिक दल बनाने जा रहे हैं। उनके (दलितों) मुद्दों पर खड़ा होना पड़ेगा। सिर्फ कोरे भाषणों से बहुजन समाज नहीं बनेगा उनके हितों के लिए आवाज उठानी पड़ेगी। उन्हें सत्ता में भागीदारी देनी पड़ेगी।”
बीएसपी एक मजबूत पार्टी है उसका जनाधार भी खूब है इसकी काट कैसे ढूंढेंगे, इसके जवाब में चन्द्रशेखर ने कहा, “हम कोई काट नहीं ढूंढ रहे हैं। इस देश के करोड़ों मुस्लिमों, दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों को देख रहे हैं। उनके ह���तों की हमें रक्षा करनी है। प्रदेश में हमारा बड़ा संगठन है। हमने पिछले दिनों भारत बंद भी किया था, जो सफल रहा।”
नई पार्टी बनाने के बाद 2022 के चुनाव में किस पार्टी से गठबंधन करेंगे। इस सवाल पर चन्द्रशेखर ने कहा, “जब अपनी पार्टी बन रही तो किसी राजनीतिक दल में जाने के लिए नहीं बना रहे हैं। जो दल बनेगा, वह सिद्धांतों के आधार पर बनेगा। हमारा सबसे समाजिक रिश्ता अच्छा है। हमारे सिद्धांत में जो फिट बैठेगा वह हमारे करीब आएगा।”
योगी सरकार में पूर्व मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात पर उन्होंने कहा वह कोई विवादित व्यक्ति नहीं हैं। वह पिछड़ों के बड़े नेता हैं। विधानसभा में पिछड़ों के हक की बात उठाते हैं। उन्होंने बंदी में हमारा समर्थन भी किया था। बीजेपी को रोकने के लिए हमारी बात हुई है। हम बीजेपी को रोकने के लिए सभी कदम उठाएंगे।
जहां आप जाते हैं पुलिस से आपका विवाद हो जाता है, इस पर चन्द्रशेखर ने कहा, “यह बात पुलिस से पूछिए। मैं कौन सा कानून तोड़ता हूं? क्या मेरी नागरिकता चली गई है? 'फ्रीडम आफ स्पीच' को योगी सरकार ने खत्म कर दिया है। सरकार के इशारे पर यह हो रहा है। इसी बात का विरोध है।”
गौरतलब है कि भीम आर्मी की नजर दलित-मुस्लिम गठ��ोड़ के साथ पिछड़ा वोट पर टिकी है। भीम आर्मी काशीराम की जयंती पर 15 मार्च को अपने नए राजनीतिक दल का गठन करने जा रही है। हालांकि, 2022 के चुनाव में उनका ये कदम कितना सफल होगा ये समय बताएगा लेकिन बीएसपी के लिए वे बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।
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1 अप्रैल से शुरू होगी NPR की प्रक्रिया, सबसे पहले रजिस्टर होगा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का नाम*
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट करने की कवायद 1 अप्रैल 2019 को शुरू कर दी जाएगी। नई दिल्ली नगर न���गम क्षेत्र में पहले देशवासी के रूप में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का नामांकन होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का नाम भी उस दिन सूची में शामिल होने की संभावना है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार NPR नामांकन के लिए सुविधाजनक समय की मांग करने वाले पत्र 1 अप्रैल को भारत के रजिस्ट्रार जनरल (ORGI) के कार्यालय द्वारा भेजे जा रहे हैं। *क्या है नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर एनपीआर- राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर* राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर या राष्ट्रीय आबादी रजिस्टर एक ऐसा सरकारी दस्तावेज है जिसमें दर्ज निवासियों की लिस्ट से ये पता चलता है कि ये आदमी एक खास एरिया में कम से कम पिछले छह महीने से रह रहा है या कम से कम अगले छह महीने और रहने की मंशा रखता है. इसमें भारत के निवासियों की गांव से तहसील, तहसील से जिला और जिला से राज्य और राज्य से देश स्तर तक की लिस्ट होती है. *नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर एनपीआर में नाम लिखाने के लिए क्या करना होगा, क्या दस्तावेज देना होगा* राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नाम दर्ज करवाने के लिए जनगणना अधिकारियों के सवालों के जवाब देने होंगे. इसमें किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं है. लोग जो जवाब देंगे उसे ही अधिकारी दर्ज करेंगे और उसी के अधार पर रजिस्टर में सूचना दर्ज करेंगे. जनगणना अधिकारी आपका नाम, आपके माता-पिता का नाम, पत्नी, बच्चा समेत आपके परिवार के सदस्यों के नाम, जन्मदिन, राष्ट्रीयता, वर्तमान पता, स्थायी पता, रोजगार और शैक्षणिक योग्यता वगैरह पूछकर एक फॉर्म में दर्ज करेंगे लेकिन किसी भी जवाब के लिए प्रूफ में कोई दस्तावेज नहीं मांगेंगे. जनगणना में बायोमेट्रिक डेटा आधार के जरिए दिया जा सकता है और अगर आधार नंबर ना हो तो उसे आधार कार्ड लेने की प्रक्रिया के तहत हासिल किया जा सकता है. ये सारे काम 1 अप्रैल, 2020 से शुरू होगा. ✍️ EN Daily
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब दिया। एक घंटे 40 मिनट के भाषण में मोदी विपक्ष पर काफी हमलावर नजर आए। विभाजन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किसी (जवाहर लाल नेहरू) को प्रधानमंत्री बनना था, इसलिए हिंदुस्तान की जमीन पर लकीर खींच दी गई।
उन्होंने यह भी कहा कि एक सवाल बार-बार आ रहा है कि सरकार को कामों की इतनी जल्दी क्यों है? अगर पुरानी लीक पर चले होते तो अनुच्छेद 370 खत्म नहीं होता। शाम पांच बजे प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में भाषण दिया। उन्होंने कहा- सीएए के विरोध में जारी प्रदर्शनों के पीछे अलोकतांत्रिक गतविधियों को छिपाया जा रहा है।
राज्यसभा में प्रधानमंत्री भाषण मोदी ने कहा- जब तेलंगाना का फैसला हुआ तो सदन के दरवाजे बंद कर दिए गए। टीवी का टेलिकास्ट बंद कर दिया गया। ���ह प्रस्ताव कैसे पारित हुआ था, वह सबको याद है। सांसद वाइको जी ने कहा- 5 अगस्त 2019 कश्मीर के लिए काला दिन है। यह ब्लैक डे नहीं आतंक और अलगाव क�� बढ़ावा देने के लिए ब्लैक डे साबित हो चुका है।
आजाद साहब कह रहे हैं कि नॉर्थईस्ट जल रहा है। अगर जलता होता तो आपने अपने सांसदों का दल वहां भेजा होता और वहां की फोटो भी निकलवा दी होती। नए नागरिकता कानून पर लोगों को डराने के बजाए सही सूचना देने की जरूरत है। सीएए के विरोध में जारी प्रदर्शनों के पीछे अलोकतांत्रिक गतिविधियों को छिपाया जा रहा है।
जनगणना और एनपीआर सामान्य प्रक्रिया है। अब एनपीआर लाने वाले ही वोट बैंक पॉलिटिक्स के चलते भ्रम फैला रहे हैं। विपक्ष के विरोध पर मोदी ने कहा- जाकि रहि भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखहीं तैसी।
गुलाम नबी आजाद ने कहा- पूरे विपक्ष की तरफ मैं कहना चाहता हूं कि हममें से कोई भी पाकिस्तान या बांग्लादेश या अफगानिस्तान से हिंदुओं के आने के खिलाफ नहीं हैं।
लोकसभा में प्रधानमंत्री भाषण
नेहरू पर आरोप प्रधानमंत्री बनने की इच्छा किसी की भी हो सकती है, इसमें कोई बुराई नहीं। लेकिन किसी को प्रधानमंत्री बनना था, इसलिए हिंदुस्तान के नक्शे पर एक लकीर खींच दी गई। लाखों हिंदुओं और सिखों पर अत्याचार हुए।
पुराने ढर्रे पर चलते तो अनुच्छेद 370 नहीं हटता सरकार बदली है, सरोकार भी बदलने की जरूरत है। हम पहले के तरीके से चलते तो शायद 70 साल बाद भी अनुच्छेद 370 नहीं हटता। मुस्लिम बहनों को तीन तलाक की तलवार डराती। राम जन्मभूमि विवादों में रहती।
कांग्रेस की कार्यशैली अगर कांग्रेस के रास्ते पर चलते तो 50 साल बाद भी शत्रु संपत्ति के लिए इंतजार करना पड़ता। 28 साल बाद भी बेनामी संपत्ति कानून का इंतजार खत्म नहीं होता। फाइटरजेट का इंतजार भी खत्म नहीं होता।
पूर्वोत्तर का विकास पहले पूर्वोत्तर में सूर्य तो निकलता था, लेकिन सुबह नहीं होती थी। हमारे मंत्री वहां गए, लोगों से संवाद किया। वहां लोगों को सड़क, बिजली, ट्रेन और हवाई सेवाएं दी गईं। समझौते में लिखा है बोडो की कोई मांग बाकी नहीं है।
भ्रष्टाचार पहले की सरकारों में भ्रष्टाचार, कमजोर बैंकिंग और संसाधनों की बंदरबांट के मुद्दे सदन में गूंजते थे। हमने इन सब को खत्म करने का लक्ष्य रखा था। उसे पूरा भी किया। आज मुद्दा वित्तीय घाटा और महंगाई बनी हुई है।
राहुल के बयान पर जवाब कल एक कांग्रेस नेता (राहुल गांधी) ने कहा कि युवा मोदी को डंडे मारेंगे। अगले 6 महीने में ऐसे सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा और पीठ का साइज (मजबूती) इतना बढ़ा दूंगा कि कोई भी डंडा मार सके।
बंगाल-कश्मीर के हालात अधीरजी (कांग्रेस नेता) बंगाल में क्या चल रहा है, उसका कच्चा चिट्ठा खोल दें तो आपको तकलीफ होगी। कांग्रेस के वक्त संविधान की क्या स्थिति थी। 19 जनवरी 1990 को कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था।
संविधान कांग्रेस का मंत्र होना चाहिए- संविधान बचाओ। आपको इसे दिन में 100 बार बोलना चाहिए। आपातकाल के दौरान आपको संविधान याद नहीं आया था। कांग्रेस अगर संविधान का महत्व समझती तो ऐसी हालत ऐसी न होती।
सीएए कुछ लोग बोल रहे हैं कि सीएए लाने की जल्दी क्या थी। सरकार भेदभाव कर रही है। ये वे लोग हैं, जो देश के टुकड़े-टुकड़े करने वालों के साथ फोटो खिंचवाते हैं। दुखद है कि कुछ लोग पाकिस्तान के रवैये पर भरोसा कर रहे।
सिख दंगे सीएए से भारत में किसी भी अल्पसंख्यक को कोई परेशानी नहीं होगी। क्या कांग्रेस को 1984 के दंगे याद हैं। क्या वहां रहने वाले हमारे सिख भाई अल्पसंख्यक नहीं थे। आपने दंगा भड़काने के आरोपी को मुख्यमंत्री बना दिया।
कविता और शेर सुनाया मोदी ने मशहूर कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक कविता का जिक्र करते हुए कहा- लीक पर वे चलें, जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं, हमें तो जो हमारी यात्रा से बने, ऐसे अनिर्मित पथ ही प्यारे हैं। एक शायर ने कहा है- खूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, आप छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं।
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CAA ने नागरिकता देने के गांधी के वादे को पूरा किया है – आरिफ मो. खान
नई दिल्ली। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नागरिकता संशोधन कानून की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि यह कानून पाकिस्तान में उत्पीड़न का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए महात्मा गांधी द्वारा किए गए ‘वादों’ को पूरा करता है। दिल्ली में एक टीवी शो के कार्यक्रम में सवालों का जवाब देते हुए खान ने कहा, ‘महात्मा गांधी ने 7 जुलाई, 1947 को लिखा था कि यदि हिंदू और सिख पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते तो उन्हें पूरा हक है कि वे आकर भारत में रहें। यह भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह उन्हें रोजगार, नागरिकता और अन्य सभी सुविधाएं मुहैया कराए जिससे वे भारत में एक अच्छे नागरिक बन सकें। केरल के राज्यपाल ने कहा कि ‘सीएए केवल कानूनी शक्ल है उस वादे की, जो वादा महात्मा गांधी और दूसरे लीडरों ने पाकिस्तान के उन लोगों के साथ किया था जिन्होंने हमारे साथ मिलके आजादी की लडाई लड़ी थी , लेकिन वो हमारे उस फैसले के शिकार बन गए जिसमें हमने पाकिस्तान और देश के बंटवारे को स्वीकार कर लिया। उनसे किया हुआ वादा है जिसे हमने कानूनी शक्ल दिया है। सीएए को एनआरसी या एनपीआर के साथ मिलाकर नहीं देखा जाना चाहिए।’ आरिफ मोहम्मद खान कहा कि 1950 में जब नेहरू-लियाकत पैक्ट हुआ तब दोनों देशों ने अपने-अपने यहां अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा देने का फैसला किया था। उस वक्त वेस्ट (पश्चिमी) पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम आबादी 17 प्रतिशत थ��, बांग्लादेश में गैर-मुस्लिम आबादी 30 प्रतिशत थी। वहीं हिन्दुस्तान में 4 करोड़ मुसलमान थे जबकि आज 20 करोड़ से ज्यादा मुसलमान भारत में हैं। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा: ‘तो हमने अपनी जिम्मेदारी अदा की है या नहीं की ? और ��ाकिस्तान में क्या हो रहा है? 2019 की रिपोर्ट कह रही है कि हजार से ज्यादा लड़कियों का हर साल अपहरण हो रहा है। पाकिस्तान के इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जज पूछ रहे हैं कि आखिरकार सिर्फ यंग लड़कियों का ही जबरन इस्लाम में कन्वर्जन क्यों होता है ?’ Read the full article
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खुशखबरी !अनिश्चित काल के लिए स्थगित हुआ NPR का पहला चरण
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कोरोना को हराने के लिए पूरे भारत में लॉकडाउन की घोषणा के बाद नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) की कवायद और जनगणना का पहला चरण अनिश्चिकाल के लिए स्थगित कर दिया है |बता दें कि इसकी जानकारी अधिकारियों ने दी | बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के मद्देनजर आज रात 12 बजे से पूरे देश में 21 दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाने का एलान किया | इस एलान के बाद एनपीआर की कवायद और जनगणना के पहले चरण को लेकर ये फैसला लिया गया |
एनपीआर क्या है?
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का उद्देश्य देश में रहने वाले प्रत्येक शख्स की पहचान का डेटाबेस तैयार करना है | साल 2010 में पहली बार एनपीआर बनाने की शुरुआत हुई थी | एनपीआर में मांग जाने वाले दस्तावेजों को लेकर बीते दिनों में देशभर में खूब चर्चा हुई | हालांकि, गृहमंत्री अमित शाह ये साफ कर चुके है कि एनपीआर में कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे | संसद में वे इस बात को कह चुके हैं कि जिन लोगों के पास जो जानकारी नहीं है उसे देने की जरूरत नहीं है |
https://kisansatta.com/good-news-first-phase-of-npr-adjourned-sine-die/ #GoodNewsFirstPhaseOfNPRAdjournedSineDie Good news! First phase of NPR adjourned sine die National, Top, Trending #National, #Top, #Trending KISAN SATTA - सच का संकल्प
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बीजेपी का दावा- CAA और NRC प�� डोनाल्ड ट्रंप ने किया भारत का समर्थन - Us president donald trump india visit speech caa protest npr bjp
New Post has been published on https://apzweb.com/%e0%a4%ac%e0%a5%80%e0%a4%9c%e0%a5%87%e0%a4%aa%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%be-caa-%e0%a4%94%e0%a4%b0-nrc-%e0%a4%aa%e0%a4%b0-%e0%a4%a1%e0%a5%8b%e0%a4%a8%e0%a4%be/
बीजेपी का दावा- CAA और NRC पर डोनाल्ड ट्रंप ने किया भारत का समर्थन - Us president donald trump india visit speech caa protest npr bjp
ट्रंप बोले- घुसपैठियों को रोकना हर देश का हक
BJP का दावा- माहौल बनाने वालों को है जवाब
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो दिवसीय दौरे पर भारत में हैं. अहमदाबाद पहुंचे ट्रंप का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया. भव्य स्वागत के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अहमदाबाद के सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम में आयोजित नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम को संबोधित किया.
देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच ट्रंप अपने संबोधन में भारत का समर्थन कर गए. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से ऐसा दावा किया जा रहा है. अपने संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हर देश का दायित्व है कि कोई घुसपैठिया उसके देश में न आ जाए. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरहदों की सुरक्षा करना और नियम बनाना किसी भी देश का अधिकार है.
यह भी पढ़ें- ताजमहल का दीदार करके बोले ट्रंप- ताज ने हमें प्रेरित और चकित किया
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने इसे सीएए और एनपीआर को लेकर भारत के रुख का समर्थन बताया. उन्होंने कहा कि देश के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ लोगों की ओर से माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है. पात्रा ने ट्रंप के बयान को ऐसी कोशिश में लगे लोगों को जवाब बताया और कहा कि दावा किया कि मैक्सिको को लेकर जिस तरह का रवैया अमेरिका ने अपनाया है, निश्चिंत रहें, अमेरिकी राष्ट्रपति सीएए और एनपीआर को लेकर कुछ नहीं बोलने वाले.
यह भी पढ़ें- राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण का वो हिस्सा, जब हाथ मिलाने खुद उठ खड़े हुए मोदी
गौरतलब है कि ट्रंप के दौरे के दौरान सीएए और एनपीआर का मुद्दा उठने की उम्मीद जताई जा रही थी. सरकार ने भी साफ किया था कि यदि ट्रंप इस मुद्दे को उठाते हैं तो उन्हें इस कानून की जानकारी दी जाएगी. ऐसा माना जा रहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति सीएए का मुद्दा उठाने के लिए ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के मंच का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन कार्यक्रम में ट्रंप ने जो कहा उसे भाजपा समर्थन बता रही है.
क्या बोले ट्रंप
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से अपनी मित्रता का उल्लेख किया, तो पाक प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र भी. ट्रंप ने अपने संबोधन में भारत को आर्थिक महाशक्ति और इसकी क्षमता को अविश्वसनीय बताया. उन्होंने भारत को सबसे खतरनाक मिसाइल और हथियार देने के साथ ही आतंक के खिलाफ मिलकर लड़ने का भी ऐलान किया.
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CAA को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाला पहला राज्य बना केरल, कहा- यह कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ
चैतन्य भारत न्यूज तिरुवनंतपुरम. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इसी बीच केरल सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। केरल पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती दी है। बता दें सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस कानून के खिलाफ करीब 60 याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); संविधान की मूल भावना के खिलाफ यह कानून केरल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस कानून को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया है। केरल सरकार ने नागरिकता कानून के खिलाफ संविधान के आर्टिकल 131 के तहत सूट दाखिल किया है। बता दें संविधान का आर्टिकल 131 भारत सरकार और किसी भी राज्य के बीच किसी भी विवाद में सर्वोच्च न्यायालय को मूल अधिकार क्षेत्र देता है। इससे पहले केरल में नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं करने का प्रस्ताव विधानसभा में पास कर रिकॉर्ड बनाया जा चुका है। बता दें केरल में वामपंथी गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की सरकार है जिसकी अगुवाई पिनरायी विजयन कर रहे हैं। केरल के राज्यपाल ने की आलोचना केरल सरकार ने नागरिकता कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास करवाने के बाद अखबारों में विज्ञापन देकर अपनी पीठ थपथपाई। जिसके बाद केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि, 'भारत की संसद द्वारा निर्मित कानून के खिलाफ इस तरह विज्ञापन प्रकाशित करने पर राज्य का संसाधन खर्च करना सही नहीं है। इस प्रस्ताव की कोई कानूनी या संवैधानिक वैधता नहीं है।' उन्होंने आगे कहा कि, 'नागरिकता विशेष रूप से केंद्र का विषय है, इसका वास्तव में कोई महत्व नहीं है।' CAA और NPR लागू नहीं करने की घोषणा केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि, उनकी सरकार संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपने राज्य में लागू नहीं करेगी। इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए सीएम पिनराई ने कहा था कि, 'केरल में धर्मनिरपेक्षता, यूनानियों, रोमन, अरबों का एक लंबा इतिहास है, हर कोई हमारी भूमि पर पहुंच गया। ईसाई और मुस्लिम शुरुआत में केरल पहुंचे। हमारी परंपरा समावेशी है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनेगा।' बता दें केरल विधानसभा में कांग्रेस, सीपीआई (एम) ने पिनराई द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का समर्थन किया। 10 जनवरी को भारत में लागू हुआ CAA नागरिकता कानून को लेकर पूरे देश में जबरदस्त प्रदर्शन हो रहा है बावजूद इसके शुक्रवार यानी 10 जनवरी से इसे देशभर में लागू कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना जारी कर कहा कि, 'कानून 10 जनवरी से प्रभावी होगा, जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी।' साथ ही अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि, 'नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (2019 का 47) की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 10 जनवरी 2020 को उक्त अधिनियम के प्रावधान प्रभावी होने की तारीख के रूप में तय करती है।' ये भी पढ़े... CAA और NRC पर घमासान के बीच NPR लाने की तैयारी में मोदी सरकार! जानें क्या है NPR और इसका उद्देश्य नागरिकता कानून के समर्थन में पीएम मोदी ने शुरू किया #IndiaSupportsCAA अभियान, ट्वीट कर छेड़ी मुहिम नागरिकता कानून पर बवाल, विरोध में सत्याग्रह पर बैठी कांग्रेस, सोनिया-राहुल-मनमोहन ने पढ़ा संविधान का प्रस्तावना उप्र में नागरिकता कानून पर बवाल, 9 लोगों की मौत, 21 जिलों में इंटरनेट बैन, 31 जनवरी तक धारा 144 लागू Read the full article
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