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#एकादशी कब की है
mwsnewshindi · 2 years
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अक्टूबर त्योहार कैलेंडर 2022: दिवाली, दशहरा, करवा चौथ और अन्य त्योहार कब हैं
अक्टूबर त्योहार कैलेंडर 2022: दिवाली, दशहरा, करवा चौथ और अन्य त्योहार कब हैं
छवि स्रोत: फ़ाइल छवि अक्टूबर महोत्सव कैलेंडर 2022 अक्टूबर महोत्सव कैलेंडर 2022: हिन्दू पंचांग के अनुसार इस समय आश्विन मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है। कार्तिक मास की शुरुआत अश्विन की पूर्णिमा यानी 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के बाद होगी। दशहरा, दिवाली और करवा चौथ जैसे बड़े त्योहारों के अलावा; अक्टूबर में कई बड़े व्रत उत्सव मनाए जाएंगे और धार्मिक दृष्टि से यह महीना बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी शुरुआत…
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rahulastro · 4 days
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vedicastrologyy · 12 days
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कब है परिवर्तिनी एकादशी 13 या 14, जानें इस दिन विष्णु क्यों बदलते है करवट। Parivartini Ekadashi 2024
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन परिवर्तिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा।
https://www.vinaybajrangi.com/vrat/ekadashi.php
https://www.youtube.com/watch?v=kTfcFEDlaUo
#parivartiniekadashi2024 #ekadashi2024 #parivartiniekadashikabhai #parivartiniekadashi #ekadashi #ekadashikabhai
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jeevanjali · 24 days
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Aja Ekadashi 2024: 29 या 30 अगस्त कब है अजा एकादशी? जानें सही तिथि और मुहूर्तAja Ekadashi 2024: अजा एकादशी व्रत का पारण प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत का पारण करने से जातक को संतान को ऊपर कभी संकट नहीं आता है। तो आइए जानते हैं कि 2024 में इस व्रत का पारण कब किया जाएगा।
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parasparivaar · 3 months
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षटतिला एकादशी- इस व्रत से दूर होती है दुख-दरिद्रता
माघ महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। प्रत्येक एकादशी व्रत का अपना एक विशेष महत्व होता है और इस दिन व्रत करने के साथ दान-पुण्य करना बेहद लाभकारी माना गया है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही खास माना जाता है। हर महीने 2 एकादशी और एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का विधान है। आइये जानते हैं क्या है षटतिला एकादशी और क्या है इसका महत्व ?
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षटतिला एकादशी कब है ?
इस साल षटतिला एकादशी 6 फरवरी 2024, मंगलवार को मनाई जाएगी। षटतिला एकादशी के दिन पूजन में व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। पूजन के अंत में भगवान विष्णु की आरती कर पारण के समय तिल का दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ति होती है। इस व्रत को रखने से मनुष्यों को अपने बुरे पापों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में यह भी बताया है कि केवल षटतिला एकादशी का व्रत रखने से वर्षों की तपस्या का फल प्राप्त होता है।
षटतिला एकादशी का महत्व
षटतिला एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की श्रद्धा पूर्वक पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और वैभव बना रहता है। षटतिला एकादशी का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय और खुशहाल बनता है। इसके अलावा इस व्रत की कथा सुनने एवं पढ़ने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि षटतिला एकादशी के दिन अन्न दान करने का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन ब्राह्मण को एक भरा हुआ घड़ा, छतरी, जूतों का जोड़ा, काले तिल और उससे बने व्यंजन और वस्त्र आदि का दान करना चाहिए।
क्यों कहा जाता है इसे षटतिला एकादशी ?
षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व है। इस व्रत में तिल का छः तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे षटतिला एकादशी कहा जाता है। महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार षटतिला एकादशी का व्रत करने से स्वर्ण-दान से मिलने वाले पुण्य के समान ही पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल का अत्यंत महत्व है। इस दिन तिल के जल से स्नान करते हैं, तिल का उबटन लगाया जाता है, तिल से हवन किया जाता है। इसके अलावा तिल का भोजन में इस्तेमाल करते हैं, तिल से तर्पण करते हैं और तिल का दान करते हैं। महंत श्री पारस जी ने कहा है कि एकादशी तिथि के दिन पूजा-पाठ करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और उन्हें सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें। इसके उपरांत मंदिर की सफाई कर मंदिर में गंगाजल छिड़कें। चौकी पर पूजा स्थल में पीला वस्त्र बिछाएं और इस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान विष्णु को धूप, दीप अर्पित करें।
भगवान विष्णु के सामने तुलसी दल जरूर चढ़ाएं। साथ ही कुमकुम, पीला फूल, पीला चंदन और भोग में पीले रंग की मिठाई और फल के साथ तिल-गुड़ के लड्डू चढ़ाएं। व्रत के दौरान क्रोध, ईर्ष्या आदि जैसे विकारों का त्याग करके फलाहार का सेवन करना चाहिए। साथ ही रात्रि जागरण भी करना चाहिए।
अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी इस दिन शुभ माना जाता है। अंत में पूजा समाप्त करने के पश्चात प्रसाद का वितरण करें। 
तिल एवं गुड़ के दान का महत्व
महंत श्री पारस भाई जी ने कहा कि जो व्यक्ति षटतिला एकादशी के दिन तिल एवं गुड़ का दान करते हैं, उन्हें मोक्ष मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि षटतिला एकादशी के दिन पितरों का तिल-तर्पण करने से उन्हें सद्गति की प्राप्ति होती है। साथ ही ये भी माना जाता है कि षटतिला एकादशी के दिन व्यक्ति जितने तिल का दान करता है, उतने हजार वर्ष तक बैकुंठलोक में सुख पूर्वक रहता है। महंत श्री पारस भाई जी ने आगे बताया कि जो भी इस दिन तिल का छह तरह से उपयोग करता है उसे कभी धन की कमी नहीं होती और आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
षटतिला एकादशी की व्रत-कथा
प्राचीनकाल में एक ब्राह्मण की विधवा पत्नी थी। वह भगवान विष्णुजी की अनन्य भक्त थी। वह उनकी प्रतिदिन पूजा करती थी। उसने विष्णुजी का आशीर्वाद पाने के लिए एक महीने तक उपवास किया। ऐसा करने पर उसका तन-मन शुद्ध हो गया लेकिन उसने ब्राह्मण को भोजन नहीं खिलाया, न ही कभी देवताओं या ब्राह्मणों के निमित्त अन्न या धन का दान किया। इसलिए ब्राह्मण-भोज का महत्व बताने के लिए षटतिला एकादशी को ब्राह्मण रूप में विष्णुजी महिला के पास गए और उससे भिक्षा मांगी। उसने ब्राह्मण को भोजन नहीं कराया और दान में एक मिट्टी का ढेला दिया।
जब उसकी मृत्यु हुई तो वह बैकुंठधाम तो गई लेकिन वहां उसे एक खाली झोपड़ी मिली। यह सब देखकर उसने सोचा कि वह तो श्रद्धा भाव से विष्णुजी की पूजा करती थी लेकिन उसे खाली झोपड़ी क्यों मिली। इसके बाद विष्णुजी महिला के पास पहुंचे और उसको कारण बताया कि उसने ब्राह्मण को भोजन नहीं कराया था। तब उस दुखी महिला ने भगवान विष्णुजी से इसका हल पूछा। उसकी बात सुनकर विष्णुजी ने उसे षटतिला एकादशी व्रत करने के बारे में बताया। महिला ने विष्णुजी की बात सुनकर श्रद्धा भाव और नियम से व्रत किया। उसकी पूजा से विष्णुजी खुश हुए और उन्होंने कहा कि षटतिला एकादशी के दिन जो भी व्यक्ति इस  व्रत को करेगा और ब्राह्मणों को दान देगा तब उसे मोक्ष की प्राप्ति अवश्य होगी एवं जीवन में सुख-शांति का वास होगा। इस दिन तिल का दान करने से रोग, दोष और भय से छुटकारा मिलता है। साथ ही इस दिन तिल का दान करने से अनाज की कभी कमी नहीं होती है और इस व्रत के प्रभाव से दुख-दरिद्रता दूर होती है।
ॐ श्री विष्णवे नम: … “पारस परिवार” की ओर से षटतिला एकादशी की ढेर सारी शुभकामनाएं !!!!
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vinayras-blog · 8 months
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20 या 21 जनवरी पौष पुत्रदा एकादशी कब? नोट कर लें सही डेट, मुहूर्त और पूजा-विधि
Pausha Putrada Ekadashi 2024: जनवरी के महीने में पड़ने वाली दूसरी एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं। पौष पुत्रदा एकादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार, यह पर्व 21 जनवरी को पड़ रहा है। रविवार को पूरे विधि-विधान से विष्णु भगवान की उपासना की जाएगी। श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, पौष पुत्रदा…
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karmaastro · 9 months
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Utpanna Ekadashi 2023 - कैसे और कब हुआ एकादशी व्रत का शुभारंभ
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हिंदू धर्म में सभी व्रतो में एकादशी का व्रत सबसे श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों में बताया भी गया है कि एकादशी व्रत से ज्यादा कुछ और भगवान विष्णु को प्रिय नहीं है। हिंदु मान्यता अनुसार सभी तिथियों में से भगवान विष्णु को एकादशी तिथि सबसे ज्यादा प्रिय है। हिंदु पंचांग/Hindu Panchang, के अनुसार हर माह दो एकादशी तिथि और साल में 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। आइए इस लेख में जानते हैं कि आखिर इस एकादशी तिथि और व्रत की शुरुआत कब और कैसे हुई थी।
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newsplus21 · 9 months
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Newsplus21 Wave: Riding the Currents of Evolving News Trends
Dive into the dynamic world of news with Newsplus21 Wave, where journalism takes on a new dimension. Like a surfer riding the waves, we navigate the ever-changing currents of evolving news trends. In this immersive experience, we don't just report news; we become part of the narrative, anticipating, adapting, and staying ahead of the curve.
Newsplus21 Wave isn't confined to traditional reporting; it's a journey through the fluidity of information, where breaking news is just the beginning. We explore emerging trends, technological innovations, and societal shifts, ensuring our audience is not just informed but equipped to understand the transformative forces shaping our world. Join us on Newsplus21 Wave, where the tides of news trends are not obstacles but opportunities for exploration and engagement. Ride the wave with us as we redefine the very nature of staying current in today's news landscape.
Here are some latest news please go through the links given below:
टाटा का नए साल में धमाका, मार्केट में धूम मचाने आ गई Punch EV कार, ₹25000 देकर खरीदें
टाटा मोटर्स ने एकदम नया इलेक्ट्रिक कार प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जिसका नाम Acti.EV है। ये प्लेटफॉर्म पहली बार Punch EV में इस्तेमाल किया गया है और कई नए इलेक्ट्रिक वाहनों, जैसे कर्व, सिएरा EV और हैरियर EV का आधार बनेगा।
मानवता हुई शर्मशार: शव को कांवड़ में लेकर पांच किमी तक किया पैदल सफर, आज भी सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग, देखें विडियो
दंतेवाड़ा । बस्तर इलाके में अक्सर ऐसी तस्वीरें सामने आती है जो विकास के दावों की पोल खोल कर रख देती है। स्वास्थय सुविधाओं को बेहतर करने के लिए सरकार काफी प्रयास करती है लेकिन कई ऐसे स्थान मौजूद हैं जो विकास और सुविधाओं से आज भी कोसो दूर है। एक बार फिर बस्तर इलाके के अंदरूनी क्षेत्र से तस्वीर सामने आई है जहां मानवता एक बार फिर शर्मशार हो गई।
भारत विरोधी आतंकवादी अल्लामा मसूद-उर-रहमान उस्मानी की गोली मारकर हत्या
Pakistan: पाक आतंकी अल्लामा मसूद-उर-रहमान उस्मानी की राजधानी इस्लामाबाद में गोली मार कर हत्या कर दी गई। उस्मानी अक्सर ही भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान देता था। उस्मानी न सिर्फ भारत के खिलाफ अनाप-शनाप बकवास करता था, बल्कि आतंकवादियों को भारत पर हमला करने के लिए उकसाता भी था।
ED must first prove money trail, says former Deputy CM, reacting to Mahadev app probe
Political war of words has begun in Chhattisgarh after it emerged that ED has named former Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel in the supplementary charge sheet in the Mahadev betting app case. Reacting to the development, the former Chhattisgarh Deputy CM and Congress leader TS Singh Deo said, “Bhupesh Baghel’s name was taken earlier also before state elections to influence the election results.
“…my initials add up to ‘RAM’, was born in ‘Ram’pur, acted in ‘Ram Lakhan’…”, says prominent Muslim actor Raza Murad
Amid the excitement building up ahead of the Ram temple consecration ceremony on Jan 22, prominent people from all walks of life are finding ways to register their participation or get involved.
Lohri 2024: 13 या 14 जनवरी कब मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व, यहां देखें पूरी डिटेल्स
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। नए साल के जनवरी माह में सबसे पहला पर्व होता है लोहड़ी का। सिखों और पंजाबियों के लिए ये पर्व बहुत ही मायने रखता है। ये त्योहार मकर संक्रांति के ठीक एक दिन पहले हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस पर्व को सुख और समृद्धि का त्यौहार माना जाता है। लोहड़ी पर रात में आग जलाते हैं और कटी फसल का भोग लगाते हैं।
साल की पहली एकादशी इस दिन जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और कथा
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भगवान विष्णु जगत पालक हैं और इनकी सबस प्रिय तिथि एकादशी है। माना जाता है कि जो भी भक्त एकादशी तिथि का व्रत करते हैं उनके समस्त कष्ट श्री हरि हर लेते हैं। यदि आप भगवान नारायण की कृपा पाना चाहते हैं तो एकादशी का व्रत इसका एकमात्र सरल उपाय है। शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सबसे बड़े व्रतों में से एक बताया गया है।
Viral video, langur attempts getting close, policewoman dodges
A viral video is taking the internet by storm and for all right reasons. A langur barges into the parked police vehicle somewhere in the Hindi belt of India and then appears to make multiple attempts to kiss one of police woman.
उदयपुर वन परिक्षेत्र में हाथियों ने अज्ञात शख्स को कुचला, मौके पर मौत
सरगुजा जिला के उदयपुर वन परिक्षेत्र के पतरा पारा में हाथियों के हमले से अज्ञात शख्स की मौत हो गई। विक्षत हालत में व्यक्ति का शव बरामद हुआ है। शव को सीएचसी उदयपुर के मर्च्यूरी में रखवाया गया है। घटनास्थल के आस पास के घर वाले रात में घर खाली करके सुरक्षित स्थान पर चले गए थे। रात 11 से 12 बजे के बीच की घटना हुई है। आस पास के गांव वालों को सूचना देकर शिनाख्त की कोशिश की जा रही है।
Read more related news: https://newsplus21.com/
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astrovastukosh · 9 months
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*"सत्यमेव जयते"*
👏एक हिन्दू को इन👇 बातों की जानकारी , जबानी रखनी चाहिए :
"श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-
ॐ . किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई।
ॐ . कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 5110 साल पहले सुनाई।
ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।
ॐ. कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी
ॐ. कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।
ॐ. कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में
ॐ. क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।
ॐ. कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय
ॐ. कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक
ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है।
ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने
ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को
ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में
ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।
ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद
ॐ. गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना
ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574
अर्जुन ने- 84
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 41
अपनी युवा-पीढ़ी को गीता जी के बारे में जानकारी पहुचाने हेतु इसे ज्यादा से ज्यादा शेअर करे। धन्यवाद
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।
33 करोड नहीँ 33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू
धर्म मेँ।
कोटि = प्रकार।
देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है,
कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।
हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं...
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-
12 प्रकार हैँ
आदित्य , धाता, मित, आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हे :-
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।
11 प्रकार है :-
रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी
अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है
तो इस ज��नकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाएं। ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
#akshayjamdagni #hindu #Hinduism #bharat #hindi #panchang #vedicastrology #astrology #hindusm #rashifal #astrologypost
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निर्जला एकादशी को मनाने के पीछे अनेक महत्वपूर्ण कारण हैं। इस व्रत को रखने से मान्यता है कि व्रती के पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह व्रत विविध धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ देने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, निर्जला एकादशी व्रत रखने से शरीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और बहुत से लोग इसे विशेष भक्ति और श्रद्धा के साथ निभाते हैं।
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bhaktibharat · 1 year
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राम नवमी का महत्व क्या है? [गुरुवार, 30 मार्च 2023]What is the Significance of Ram Navami?
राम नवमी कब, कैसे और क्यों? ❀ राम नवमी ❀ चैत्र नवरात्रि
राम नवमी मंत्र: ❀ श्री राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ❀ श्री राम रक्षा स्तोत्रम् ❀ श्री राम नाम तारक ❀ नाम रामायणम ❀ दैनिक हवन-यज्ञ विधि
❀ राम नवमी शुभकामना संदेश
नामावली: ❀ मंत्र: श्री विष्णुसहस्रनाम पाठ ❀ श्री राम चालीसा
श्री राम की आरतियाँ: ❀ रघुवर श्री रामचन्द्र जी आरती ❀ श्री रामचन्द्र जी ❀ श्री जानकीनाथ जी की आरती
राम नवमी भजन: ❀ राम सिया राम, सिया राम जय जय राम ❀ जन्म बधाई भजन: घर घर बधाई बाजे रे देखो ❀ कभी राम बनके, कभी श्याम बनके भजन ❀ जय जय सुरनायक जन सुखदायक ❀ सीता राम, सीता राम, सीताराम कहिये ❀ अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं ❀ भए प्रगट कृपाला दीनदयाला ❀ श्री राम भजन
श्री राम मंदिर: ❀ श्री राम जन्मभूमि❀ श्री कालाराम मंदिर, नासिक❀ श्री राम मंदिर, सोमनाथ❀ श्री राम मंदिर, विवेक विहार❀ श्री राम मंदिर, भीमाशंकर❀ श्री राम मंदिर, शिकोहाबाद❀ श्री राम कृष्ण मंदिर, अशोक विहार श्री राम प्रेरक कहानियाँ:❀ भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त❀ नारद मुनि भगवान श्रीराम के द्वार पर पहुँचे❀ राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भाइयों का प्यार❀ भरे हुए में राम को स्थान कहाँ?❀ श्री राम नाम जाप महिमा❀ सिय राम मय सब जग जानी❀ महिमा राम नाम की
अगले उत्सव, पर्व, व्रत एवं पूजा: ❀ कामदा एकादशी ❀ हनुमान जयंती / श्री हनुमान जन्मोत्सव
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#RamNavami #Ram #ShriRam #JaiShriRam #RamChandra #navratri #navratri2023
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ragbuveer · 2 years
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'फाल्गुन आयो रे...', जानिए कब है होली? फाल्गुन महीने में महाशिवरात्रि भी पड़ती है तो वहीं इस माह में एकादशी और संकष्टी भी आती है और इस माह का समापन होली से होता है।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
🌻🛕 *ऊँ गं गणपतये नमः*🛕🌻
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
#योगी_जी_हैं_तो_मुमकिन_है
#देवी_अहिल्याबाई_होलकर_जी
#योगी_जी
#JaiShriRam
#yogi
#jodhpur
#udaipur
#RSS
#rajasthan
#hinduism
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
फाल्गुन का महीना मस्ती का महीना कहलाता है, कड़कड़ाती सर्दी के बाद धूप की गर्मी ना केवल इंसान को ऊर्जा से भर देती है बल्कि वो मन में चंचलता भी पैदा करती है, जिसकी वजह से ही इंसान का मन इस मौसम में काफी मस्ती भरा होता है। इस महीने का प्रारंभ आज से हो गया है और इसका समापन होली के त्योहार के साथ 7-8 मार्च को होगा, इसी महीने में महाशिवरात्रि भी पड़ती है तो वहीं इस माह में एकादशी और संकष्टी भी आती है। इस महीने की शुरुआत होते ही ब्रजवासियों के चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती है क्योंकि फाल्गुन शुरू होते ही फगुआ जो शुरू हो जाता है, इस महीने कभी वो फूलों से , कभी रंग से तो कभी दूध-दही और बांस से होली खेला करते हैं। चलिए आपको विस्तार से बताते हैं इस महीने के त्योहारों और व्रत की लिस्ट जिसे देखकर आप अपने पूरे महीने की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।
फाल्गुन माह के व्रत-त्योहार
9 फरवरी- संकष्टी चतुर्थी व्रत
12 फरवरी- यशोदा जयंती
13 फरवरी- शबरी जयंती
14 फरवरी- जानकी जयंती
16 फरवरी- विजया एकादशी
18 फरवरी- महाशिवरात्रि,
18 फरवरी- प्रदोष व्रत
19 फरवरी- पंचक प्रारंभ
20 फरवरी- सोमवती अमावस्या
22 फरवरी- फुलैरा दूज
23 फरवरी- विनायक चतुर्थी
24 फरवरी- पंचक समाप्त, 24 फरवरी- माता शबरी जयंती
27 फरवरी- होलाष्टक प्रारंभ
3 मार्च- आमलकी एकादशी
3 मार्च- रंगभरी एकादशी
4 मार्च- प्रदोष व्रत 4 मार्च- गोविंद द्वादशी
7 मार्च- होलिका दहन
8 मार्च- होलाष्टक समाप्त, होली, फाल्गुन मास समाप्त
क्यों मनाते हैं होली?
होली प्रेम, हंसी, दुलार और बुराई पर अच्छाई का पर्व है, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाले इस पर्व से जुड़ी तो कई कहानियां है लेकिन सबसे प्रचलित कहानी भक्त प्रहलाद और हिरण्याकश्यप असुर की है। प्रहलाद बहुत बड़ा विष्णु भक्त था लेकिन हिरण्याकश्यप को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था, वो खुद को ही ईश्वर मानता था इसलिए सोचता था कि उसका बेटा प्रहलाद उसकी पूजा करे लेकिन ऐसा हुआ नहीं, वो अपने ही बेटे को काफी प्रताड़ित करता था। उसकी एक बहन थी होलिका, जिसे कि वरदान मिला था कि वो अग्नि से नहीं जलेगी इसलिए हिरण्याकश्यप ने कहा कि वो प्रहलाद को लेकर आग में बैठ जाए लेकिन हुआ ठीक उल्टा, होलिका आग में जल गई और प्रहलाद सकुशल आग से वापस आ गया। इसी वजह से होलिका दहन किया जाता है और इसके दूसरे दिन रंग वाली होली खेली जाती है। माना जाता है होलिका दहन के साथ बुराईयों का नाश होता है और प्रहलाद यानी खुशी का संचार होता है।
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vedicastrologyy · 1 month
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कब है पुत्रदा एकादशी व्रत, संतान प्राप्ति के लिए जरूर करें यह व्रत। Putrada Ekadashi 2024
सावन के महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी कहते हैं।
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https://www.youtube.com/watch?v=hOaSXEfw-PM
#putradaekadashi2024 #ekadashi2024
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jeevanjali · 24 days
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Papankusha Ekadashi 2024: कब है पापांकुशा एकादशी,जानिए तिथि और शुभ मुहूर्तPapankusha Ekadashi 2024: पापांकुशा एकादशी हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाई जाती है। इस पावन दिन पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
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parasparivaar · 11 months
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रमा एकादशी 2023
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार, रमा एकादशी व्रत का पालन करने से धन, समृद्धि और सुखी जीवन मिलता है। साथ ही आपको वर्तमान और पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को बैकुंठ में जगह मिलती है। चलिए जानते हैं इस साल रमा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और क्या है एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व।
कब है रमा एकादशी व्रत ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह व्रत 9 नवंबर को रखा जाएगा। साधक को 10 नवंबर को सुबह पूजा पाठ करके व्रत का पारण कर लेना चाहिए। यह रमा एकादशी दिवाली से पहले आती है। “महंत श्री पारस भाई जी” के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत बाकी एकादशी में शुभ और अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 
ऐसा माना जाता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। जो इस व्रत को रखता है उसे ब्रह्महत्या के साथ कई पापों से मुक्ति मिल जाती है। रमा एकादशी का व्रत करने से सभी पाप मिट जाते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए यह व्रत सुख और सौभाग्यप्रद माना गया है। 
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि
रमा एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक माना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। रमा एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से अभिषेक कराएं। 
फिर व्रत का संकल्प लेकर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करें। जिस प्रकार आप व्रत कर सकते हैं, उसी के अनुसार संकल्प लें, जैसे यदि पूरा दिन निराहार रहना चाहते हो या फिर एक समय फलाहार करना चाहते हैं। भगवान विष्णु को दीप, धूप, नैवेद्य, फल, पुष्प आदि अर्पित करें। फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और रमा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें। 
रमा एकादशी को पुण्य कर्म करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसे भगवान विष्णु के सबसे प्रिय एकादशी में से एक जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। भोग में विष्णु भगवान को पीले रंग की मिठाई चढ़ानी चाहिए। इस दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी भी आपको ऐश्वर्य, कीर्ति, धन का आशीर्वाद देती हैं। पुराणों के अनुसार रमा एकादशी व्रत को करने से व्रती अपने सभी पापों का नाश करते हुए भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है और मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करता है।
“महंत श्री पारस भाई जी’ के मुताबिक जो भक्त, प्रभु की भक्ति श्रद्धा और आस्था के साथ करते हैं उनके सभी कष्टों का निवारण प्रभु अवश्य करते हैं।
रमा एकादशी व्रत का महत्व
सभी एकादशियों में रमा एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो भी व्यक्ति रमा एकादशी का व्रत करता है, उससे भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। 
इसके अलावा उस व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक के सभी प्रकार के दुःख दूर होते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी के व्रत रखने के साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है। एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। इस व्रत को रखने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। 
साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं और ऐसा माना जाता है कि जो इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं, वे अपने पिछले जन्म के बुरे कर्मों से मुक्त हो जाते हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस व्रत को करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। यानि मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए भी यह दिन सबसे शुभ माना जाता है। धन-धान्य और सुख की प्राप्ति के अलावा विवाह में हो रही देरी की समस्याओं को दूर करने के लिए रमा एकादशी का व्रत जरूर रखें।
“महंत श्री पारस भाई जी” ने बताया कि इस दिन श्री नारायण की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इसके अलावा एकादशी का व्रत को करने से मन और तन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
रमा एकादशी के दिन दान करने का क्या है महत्व ?
जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनायें पूरी होती हैं और समस्��ाओं से छुटकारा मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से 11 हजार गाय के दान करने के बराबर पुण्य फल मिलता है। तो आइये जानते हैं रमा एकादशी के दिन दान करने का क्या है महत्व और इस दिन किन चीजों का दान करना फलदायी माना जाता है।
अन्न का दान करें 
रमा एकादशी के दिन गरीब या जरूरतमंदों लोगों को अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने पर माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
तेल का दान करें
रमा एकादशी के दिन सरसों के तेल का दान करना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से शनि महाराज खुश होते हैं और आपके कष्ट दूर होते हैं।
पढ़ाई से संबंधित चीजें दान करें
इस दिन पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई से संबंधित चीजें जरूर दान करें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से माँ लक्ष्मी तो प्रसन्न होती ही है। साथ में माँ सरस्वती भी प्रसन्न होती हैं, क्योंकि माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं। ऐसा करने से आपको करियर और जीवन में सफलता मिलती है।
पीले फल का दान करें
ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी के दिन पीले फल का दान करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और आपके जीवन में खुशहाली आती है।
 कंबल का करें दान
इस दिन गरीबों को कंबल का दान करना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन समर्पण के साथ उपवास रखते हैं उनके जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।
रमा एकादशी व्रत के दिन इन नियमों को ध्यान में रखें
किसी का अनादर न करें और झूठ न बोलें
रमा एकादशी के दिन तुलसी माता को जल नहीं चढ़ाएं
एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें
एकादशी व्रत के दिन तामसिक चीजों से दूर रहें
केवल सात्त्विक भोजन ही ग्रहण करें
महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि कार्तिक मास में प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठने का और दान आदि करने का विधान है। इसलिए इस माह में प्रात: उठकर केवल स्नान करने मात्र से ही मनुष्य को जहां कई हजार यज्ञ करने का फल मिलता है, वहीं इस महीने में श्रद्धापूर्वक किए गए किसी भी व्रत का फल हजारों गुणा अधिक मिलता है। शास्त्रों में विष्णुप्रिया तुलसी की महिमा अधिक है इसलिए व्रत में तुलसी पूजन करना और तुलसी की परिक्रमा करना अति उत्तम माना गया है।
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vinayras-blog · 10 months
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