#आंगन
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todaypostlive · 2 years ago
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पूर्वी टुंडी में पति-पत्नी की हत्या, पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया
पूर्वी टुंडी में पति-पत्नी की हत्या, पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया
धनबाद। धनबाद के पूर्वी टुंडी थाना क्षेत्र के रुपन पंचायत स्थित फुलपहाड़ी में एक दंपती की हत्या कर दी गई है। दंपति का शव  घर के आंगन में  बरामद किए गए हैं। मृत दंपती की पहचान सुकोल मरांडी (58) एवं उनकी पत्नी दखन मरांडी (55) के रुप में की गई है। दोनों के सिर को किसी भारी चीज से कुचला गया है। घटना की सूचना पाकर मौके पर पुलिस निरीक्षक सुधीर प्रसाद, सब इंस्पेक्टर लिखन हेम्ब्रम, वीर अभिमन्यु घटनास्थल…
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maakavita · 2 months ago
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जगमगाता आंगन (jagmgata aangan) : माँ की मुस्कान से
बादलों का सीना चीरकर किरणें, हमारे आंगन में आ रही थी, प्यारा लग रहा था जगमगाता आंगन (jagmgata aangan), क्योंकी मेरी माँ मुस्करा रही थी, *          *          *           * फूल रंग-बिरंगे खिलने लगते हैं, कोयल के मुख से मीठे स्वर निकलने लगते हैं, जब माँ के चेहरे पर मुस्कान छाने लगती है, चिड़ियों का मिलकर चहकना, तितलियों के पंखों का मनभावन शोर, दिल में एक जोश भर देता है, माँ जब भी मुस्कराती है ऐसे…
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rajasthanilyrics · 1 year ago
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यह मस्त महीना फागुन का श्रृंगार बना घर आंगन क�� लिरिक्स | Ye Mast Mahina Fagun Ka Lyrics
यह मस्त महीना फागुन का श्रृंगार बना घर आंगन का लिरिक्स, Ye Mast Mahina Fagun Ka Lyrics, फागण स्पेशल होली गीत लिरिक्स ।। दोहा ।। होली अब के बार की, ऐसी कर दे राम। गलबहिंया डाले मिलें, ग़ालिब अरु घनश्याम। ~ ये मस्त महीना फागण का ~ ये मस्त महीना फागण का , श्रृंगार बना हर आँगन का। इस रंग का यारो क्या कहना , ये रंग है होली का गहना। आते कान्हा सही माने में , रंग बरसाने बरसाने में। बन जाते छैला होली…
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natkhat-sa-shyam · 10 months ago
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किसी सुबह मैं देर उठूं और
तुम घर के आंगन में बाल बनाती मिलो-
और
पूछो कि क्या ये वक़्त है उठने का।
तुम्हारी मीठी डाँट के बीच
मैं चेहरा धोता जाऊँ-
तुमसे पूछ कर-
गैस पर दो चाय चढ़ाऊँ।
ये कविता लिखता जाऊँ
या कविता खत्म न कर पाऊँ।
क्योंकि ये कुछ न हो पाया-
बस ये कविता में है
और नहीं चाहता मैं ये खत्म कर पाऊँ-
फिर भोर अंधेरे आँख मैं खोलूँ
और
कमरे में बस खुद को पाऊँ।।
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मेरे खयालों के आंगन में
कोई सपनों के दीप जलाए, दीप जलाए
कहीं दूर जब दिन ढल जाए
सांझ की दुल्हन बदन चुराए, चुपके से आए..
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raindropsofloev · 5 months ago
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दिल
तेरी ज़ुल्फों के छाओं में मोहब्बत से जलता हुआ बैठा है मेरा दिल, तेरी नज़रों‌ के समंदर में इश्क के तुफ़ान में भटकता है मेरा दिल, तेरे होठों के कारवां में मोहब्बत का अमृत ढूंढता है मेरा दिल, और,‌ मेरे दिल के आंगन में इश्क के नगमें गुनगुनाता है तेरा दिल...
-adi
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anarkali-disco-chali · 2 years ago
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ए री सखी मोरे पिया घर आए, भाग लगे इस आंगन को।
अपने पिया के मैं बल-बल जाऊं, चरन लगायो निर्धन को।
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मैं तो खड़ी थी आस लगाए, मेंहदी कजरा मांग सजाए।
देख सूरतिया अपने पिया की, हार गई मैं तन मन को।
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जिसका पिया संग बीते सावन, उस दुल्हन की रैन सुहागन।
जिस सावन में पिया घर नाहीं, आग लगे उस सावन को।
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अपने पिया को मैं किस विध पाऊं, लाज की मारी मैं तो डूबी डूबी जाऊं।
तुम ही जतन करो ऐ री सखी री, मैं मन भाऊं साजन को।
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helputrust · 8 months ago
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लखनऊ, 25.03.2024 l चैतन्य महाप्रभु की 538 वी जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालयमें "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया l कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू  एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने चैतन्य महाप्रभु की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर सादर नमन किया l
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि "श्री ��ैतन्य महाप्रभु की जयंती, कृष्ण भक्तों द्वारा फागुन पूर्णिमा पर मनाई जाती है। श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती को श्री गौर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है । जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है, परम भगवान श्री कृष्ण इस कलियुग में संकीर्तन - युग धर्म की स्थापना के लिए श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में प्रकट हुए। उनके माता-पिता ने उनका नाम निमाई रखा क्योंकि वह अपने पैतृक घर के आंगन में एक नीम के पेड़ के नीचे पैदा हुए थे।
चैतन्य महाप्रभु के आध्यात्मिक, धार्मिक, मोहक और प्रेरक विचारों ने लोगों की आत्मा को छू लिया । उनके द्वारा सिखाई गई कुछ बातें नीचे दी गई हैं :
◉ कृष्ण ज्ञान के सागर हैं।
◉ उनके तटस्थ स्वभाव के ��ारण ही जीव सभी बंधनों से मुक्त होता है।
◉ जीव इस संसार से पूरी तरह अलग है और एक समान ईश्वर है।
◉ पूर्ण और शुद्ध विश्वास जीवों का सबसे बड़ा अभ्यास है।
◉ कृष्ण का शुद्ध प्रेम ही परम लक्ष्य है।
◉ सभी जीव ईश्वर के छोटे अंश हैं।
◉ कृष्ण सर्वोच्च सत्य हैं।
◉ यह कृष्ण हैं जो सभी ऊर्जा प्रदान करते हैं।
◉ जीव अपने तटस्थ स्वभाव के कारण ही संकट में पड़ते हैं।
चैतन्य महाप्रभु भगवान कृष्ण के एक बहुत लोकप्रिय अनुयाई के रूप में जाने जाते हैं| उन्होंने सामाजिक एकता पर बल दिया l जात- पात, छुआछूत, अंधविश्वास, पाखंड आदि का विरोध किया l सभी धर्मों में एकता की बात की l हमें भी चैतन्य महाप्रभु के दिखलाए हुए धर्म और एकता के मार्ग पर चलना चाहिए l"
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कश्ती
जिंदगी इक मझधार सी
कोई कश्ती बनकर तुम आना
ध्रुव तारे की तरह रास्ता
तुम मुझको भी दिखलाना
आते आते साथ में थोड़ी
नींद जरा तुम लेते आना
थोड़ी सी सुकून की बारिश
मेरे आंगन भी बरसाना
उस बारिश में भीगने को
संग तुम भी चले आना
तपती हुई दोपहरों में
हवा का झोंका तुम ले आना
गहरे अंधियारों में
जुगनू बन तुम जगमगाना
हो कोई इम्तिहान अगर
साथी बन तुम नकल कराना
जिंदगी इक मझधार सी
कोई कश्ती बनकर तुम आना...
~anonymous
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celestial-sapphicss · 2 years ago
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hey vi hope you’re feeling better! how about ☾ & ✌️for the language asks?
hi antania! thank you dear, i am doing better!!! i don't have to tell you about how much i am continuously amazed by and in love with your edits 😭❤️
for the speak your language day ask:
☾ : favourite word(s) from your language
this is more difficult than i thought help because i don't remember any words with a profound meaning but there are some words which have the most beautiful hindi/urdu/punjabi songs written around them like दिल (dil - heart), इश्क़ (ishq - love), नैना (naina - eyes), ज़िन्दगी (zindagi - life), मेहरबान (meherbaan - benevolent), दीवाना (deewanapan - crazy in love with someone or something), मोहोब्बत (mohobbat - love), मेहबूब (mehboob - the one who is loved), बातें (baatein - conversation), दिलदार (dildaar - beloved), पल (pal - moment), जान (jaan - life/can be used to address someone affectionately), ख़याल (khayal - thought)
✌ : favourite proverb/saying from your language
okay i have a few of these, most of these are to tease or make fun of someone lol
नाच न जाने आंगन टेढ़ा (naach na jaane, aangan tedha); literally translates to 'complaints that the floor is tilted when they don't know how to dance': it's used when someone makes excuses or blames something else when one doesn't know the work
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद (bandar kya jaane adrak ka swaad); literally translates to 'what does monkey know about the taste of ginger': it basically means that an ignorant/foolish person cannot appreciate fine/good/better things of life, basically an indirect way to call someone a fool sksks
थाली का बैंगन (thaali ka baingan); literally translates to 'plate's brinjal/eggplant/aubergine': it's used to adress someone who's fickle minded and changes their sides/opinion as it suits them.
बैगनी शादी मैं अब्दुल्लाह दीवाना (beygani shaadi main Abdullah deewana); literally translates to 'Abdullah going crazy at a stranger's wedding': it's used when someone's way too involved about a situation that has literally nothing to do with them
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए, टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए। (rahiman dhaaga prem ka, mat todoh chatkaaye. toote se fir na jude, jude gaanth pad jaaye); literally translates to 'don't snap break the thread of love. it won't mend if it breaks, and if it does, there will always be a knot': it's pretty self-explanatory and Rahim Das' version of uwu girl saying saying sorry to the glass you broke doesn't fix it lol
this got very long sorry!!! hope you're having a great day 😘🌹
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rush2crush · 2 years ago
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पिंजरे का परिंदा
मेरे घर बचपन में एक पंछी आया था जिसे घर के सभी लोग प्यार से मिठ्ठू तोता कहकर बुलाते थे। मेरी दीदी को तोता देते हुए पिता जी उससे बोले "देखो बेटा! काफ़ी मोल भाव करने के बाद बाज़ार से यह तोता खरीद कर लाया हूं। इस बार अगर यह तोता पिंजरे से उड़ा तो मैं फिर कभी भी नहीं लाऊंगा। भला गुड़िया दीदी को इन सब बातों से क्या लेना देना था । वह तो सिर्फ मिठ्ठू के साथ खेलने में व्यस्त थी,लेकिन मां और घर के सभी सदस्य पिता जी की बातों को समझ रहे थे इसलिए इस बार एक नया पिंजरा भी मंगवा कर रख लिया गया था। तोता का पिंजरा इतना प्यारा और अनोखा लग रहा था जिसे देखकर मेरी आंखें भी खुशी से चमक रही थी। घर के सभी लोग उसे स्नेह से पालने लगे और उसका ख्याल भी रखा जाने लगा । मिठ्ठू को समय पर पानी,फल,मि��्च और खाना देना घर के सभी लोगों की जिम्मेवारी बन गई थी। गुड़िया दीदी हर रोज मिठ्ठू को देखकर सोती थी और उसे जागने के बाद दिन भर निहारा करती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि मिठ्ठू तोता अब गुड़िया कटोरे कटोरे बोलने लगा था। हर रोज मिठ्ठू तोता को पिंजरा में खाना मिलता और उसे खाकर दिन भर वो गुड़िया कटोरे कटोरे बोलता रहता था। कुछ सालों तक यह सिलसिला चलता रहा,लेकिन एक दिन अचानक सुबह सुबह गुड़िया दीदी जोर जोर से रोने लगी उसकी आवाज़ को सुनकर घर के सभी लोग बाहर आंगन में आकर देखा तो वे सब लोग हतप्रभ रह गए। गुड़िया उस पिंजरे को अपने सीने से लगाकर जोर जोर से रो रही थी। उसकी आवाज़ में इतनी करुणा और ममता भरी हुई थी कि आस पास के लोग भी कारण जानने के लिए मेरे आंगन में पहुंच गए। अब घर व बाहर के लोग यह जान गए थे कि बात उस पिंजरे वाले तोते की है जो कल रात पिंजरे को तोड़कर कहीं उड़ गया। सब लोग मेरी दीदी को समझा रहे थे तभी पिता जी को आंगन में आता हुआ देखकर उनके पास जाकर मै लिपट कर रोते हुए कहा "पापा यह तोता हर बार क्यूं भाग जाता है, तब उन्होंने हम दोनों भाई बहन को गोद में बैठकर एक कविता सुनाया: हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएंगे।
नीड़ न दो चाहे टहनी का, आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं तो, आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।”
शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा रचित उस कविता का अर्थ उस वक्त नहीं बल्कि ज्ञान होने पर समझ में आया लेकिन साथ ही साथ मेरे हृदय में एक भाव भी जागा कि आख़िर क्यूं? कोई पंछी गुलामी के पिंजरों में बंधकर नहीं रहना चाहता है। इस भाव को सार्थकता प्रदान करने के लिए मैंने भी एक तोता पाला। जिसकी तस्वीर आज देखकर मुझे मेरे बचपन के तोते की कहानी याद आ गई।संभवतः इस तोते से एक ऐसा लगाओ बन गया था जो मेरी कदमों की आहट सुनकर जोर जोर से मेरा नाम पुकारने लगता था। लोगों को आश्चर्य तब होता था जब वह पूरे आसमान को छूने के बाद भी मेरे छत पर आकर बैठ जाता और मैं खुशी से फूलते हुए पिता जी से कहता था "देखिए मेरा तोता कहीं नहीं भागता है", लेकिन एक दिन ऐसा आया जब वह पिंजरा से बाहर तो निकल जाता था लेकिन उसके उड़ने की जिज्ञासा शांत हो गई थी,कारण जानने के बाद ��ालूम चला एक दिन मिठ्ठू घायल होकर आसमान से मेरे ही छत पर आ गिरा था। यह सुनकर उस वक्त अपनी पीड़ा से मैं खुद मुक्त नहीं हो पा रहा था ऐसा लग रहा था मानो मेरी जिद्द ने एक आजाद परिंदे को गुलाम बना लिए हों। मेरे लाख कोशिशों के बाद भी वह तोता आसमान की ओर फिर कभी नहीं देखा और अंततः उसने उसी पिंजरे में अपना दम तोड दिया जिसमें उसे कैद करके कई बरसों तक मैंने रखा था। ये सोचकर कि अगर प्यार और स्नेह मिले तो गुलामी की जंजीरें से बंधकर भी पंछी और आदमी जी सकता है,लेकिन शायद मैं गलत था बिल्कुल गलत था।
@अनजान मुसाफ़िर
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maakavita · 3 months ago
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पराई बेटी ( praai beti ) भी अपनी बेटी : सबकी जिम्मेदारी
हर बेटी में नजर आए यदि अपनी बेटी, फिर बेटियों को कैसा डर है, पराई बेटी ( praai beti ) की इज्जत भी होती है अपनी इज्जत , याद रहे बेटियां हमारे भी घर हैं, *       *         *        * सौ-बार सोचना किसी पराई बेटी पर, गंदी नजर डालने से पहले, अपनी ही बेटी की उसमें सूरत देखिए, किसी बेटी की इज्जत उछालने से पहले,, बेटी की इज्जत है कच्चे घड़े के समान, पराई बेटी का भी कीजिए दिल से सम्मान, ये कलियां हैं किसी…
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सदा जो दिल से निकल रही है वो शेरों नगमों में ढल रही है
के दिल के आंगन में जैसे कोई ग़ज़ल की झांझर झनक रही है
तड़प मेरे बेकरार दिल की कभी तो उनपे असर करेगी
कभी तो वो भी जलेंगे उसमें जो आज दिल में दहक रही है
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dangerousfoxpanda · 2 years ago
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कागज की नाव नहीं है ।। मिट्टी वाला गांव नहीं है ।। भावनाओं के समंदर में,भावों का भराव नहीं है ।। जीवन से लगाव बहुत है ,बचपन से लगाव नहीं है ।। बड़े- बड़े , ऊँचे ऊँचे घरों में , आंगन की वो छांव नहीं है ।। #किस्मत #destiny #lifequotes #lifestyle #life #dreams #newpost #newcollection (at Madan Mohan Malaviya Technical University - MMMTU , Gorakhpur) https://www.instagram.com/p/CpqTt4pB8zl/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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aedilkisikiyaadmein · 2 years ago
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कल,
एक मां अपनी मां के घर, अपने घर जा रही है
मगर मेरी मां तो कुछ दिन के लिए मुझसे दूर जा रही है
चाहती हूं वो मुझसे दूर न जाए
और ये भी नहीं चाहती की वो मेरे खातिर रुक
अपने घर से दूर हो जाए,
मगर मेरा घर मुझसे कुछ दिन के लिए दूर हो रहा है न
किस मुंह से रोकते है उस बेटी को जो अपने बचपन के घर जाने को बेताब है,
सभ्यता से बंधी
चीख उछल नही सकती
इस लिए तो उसके पैरो की पायल और झुमको की खनक उतावली हो रही है
अपने आंगन में चमकने को
अपने आप को जिम्मेदारियों की कड़ी से
कुछ क्षण आज़ाद करने को,
कैसे रोकूं अपनी मां को अपनी मां के घर जाने से,
जो महीने भर अपने घर से दूर हमारे घर को घर बनाती है,
जो बिन कुछ कहे अपने चौखट दिन प्रतिदिन याद करती है,
अपने आंगन में जो ओढ़नी सुखाने को दी थी
अब तक उसके सूखने की राह तकती है,
की कब तूफान थमे,
कब बरसात रुके
और नंगे पांव आंगन में दौड़े,
बचपन की ओढ़नी ओढ़ने को,
इस आस में खोई
मेरी मां को
अपने घर जाने से
कैसे रोकते है।
jaaan-ae-baahara
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