#अजान इस्लाम
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मस्जिदों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर पर रहेगी पाबंदी
मस्जिदों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर पर रहेगी पाबंदी
प्रयागराज में मस्जिदों से लाउडस्पीकर से तेज आवाज में अजान पर कोहराम का मामला मचा है. आईजी प्रयागराज केपी सिंह ने रेंज के चारों जिलों के डीएम और एसएसपी को पत्र भेजा है. Written By : मानवेंद्र सिंह | Edited By : Deepak Pandey | Updated on: 18 Mar 2021, 04:13:58 PM मस्जिदों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर पर रहेगी पाबंदी (Photo Credit: फाइल फोटो) नई दिल्ली: प्रयागराज में मस्जिदों से…
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#Ajan#Ajan Islam#Ajan Loudspeaker#allahabad high court#azan#Ghazipur#Ghazipur Mosque#IG Prayagraj KP Singh#Kovid-19#loudspeakers#mosques#MP Afzal Ansari#अजान इस्लाम#अजान लाउडस्पीकर#इलाहाबाद उच्च न्यायालय#कोविड-19#गाजीपुर#गाजीपुर मस्जिद#सांसद अफजल अंसारी
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लाऊडस्पीकरवरून राजकारण : मशिदीच्या लाऊडस्पीकरवरून अजानवर उच्च न्यायालय काय म्हणतं? गायकांपासून कुलगुरूंपर्यंत प्रश्न उपस्थित केले आहेत
लाऊडस्पीकरवरून राजकारण : मशिदीच्या लाऊडस्पीकरवरून अजानवर उच्च न्यायालय काय म्हणतं? गायकांपासून कुलगुरूंपर्यंत प्रश्न उपस्थित केले आहेत
{“_id”:”6256afd10cd00230de334d17″,”slug”:”राजकारण-लाउड-स्पीकर-वर-अजान-वर-कोर्ट-काय म्हणते-लाउडस्पीकर-मशिदी-गायक-ते-कुलगुरू-प्रश्न” , “type”:”feature-story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”लाऊडस्पीकरवर राजकारण: मशिदीच्या लाऊडस्पीकरवरून होणाऱ्या अजानवर उच्च न्यायालय काय म्हणते? गायकापासून कुलगुरूंपर्यंत प्रश्न उपस्थित केले गेले आहेत”, “श्रेणी”:{“title”:”India…
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इस्लाम का भविष्य क्या होगा ?
मुसलमान अक्सर अपनी बढ��ती जनसंख्या की डींगें मारते रहते है .और घमंड से कहते हैं कि आज तो हमारे 53 देश हैं .आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़ेगी .इस्लाम दुनिया भर में फ़ैल जायेगा .विश्व ने जितने भी धर्म स्थापक हुए हैं ,सभी ने अपने मत के बढ़ने की कामना की है .लेकिन मुहम्मद एकमात्र व्यक्ति था जिसने इस्लाम के विभाजन ,तुकडे हो जाने और सिमट जाने की पहिले से ही भविष्यवाणी कर दी थी .यह बात सभी प्रमाणिक हदीसों में मौजूद है . यदि कोई इन हदीसों को झूठ कहता है ,तो उसे मुहम्मद को झूठ साबित करना पड़ेगा .क्योंकि यह इस्लाम के भविष्य के बारे में है .सभी जानते हैं कि किसी आदर्श ,या नैतिकता के आधार पर नहीं बल्कि तलवार के जोर पर और आतंक से फैला है .इस्लाम कि बुनियाद खून से भरी है .और कमजोर है .मुहम्मद यह जानता था .कुरान में साफ लिखा है - 1-इस्लाम की बुनियाद कमजोर है "कुछ ऐसे मुसलमान हैं ,जिन्होंने मस्जिदें इस लिए बनायीं है ,कि लोगों को नुकसान पहुंचाएं ,और मस्जिदों को कुफ्र करने वालों के लिए घात लगाने और छुपाने का स्थान बनाएं .यह ऐसे लोग हैं ,जिन्होंने अपनी ईमारत (इस्लाम )की बुनियाद किसी खाई के खोखले कगार पर बनायीं है ,जो जल्द ही गिरने के करीब है .फिर जल्द ही यह लोग जहन्नम की आग में गिर जायेंगे "सूरा -अत तौबा 9 :108 और 109 2 -इस्लाम से पहिले विश्व में शांति थी . यद्यपि इस्लाम से पूर्व भी अरब आपस में मारकाट किया करते थे ,लेकिन जब वह मुसलमान बन गए तो और भी हिंसक और उग्र बन गए .जैसे जैसे उनकी संख्या बढ़ती गयी उनका आपसी मनमुटाव और विवाद भी बढ़ाते गए .वे सिर्फ जिहाद में मिलने वाले माल के लिए एकजुट हो जाते थे .फिर किसी न किसी बात पर फिर लड़ने लगते थे ,शिया सुनी विवाद इसका प्रमाण है . इसके बारे में मुहमद के दामाद हजरत अली ने अपने एक पत्र में मुआविया को जो लिखा है उसका अरबी के साथ हिंदी और अंगरेजी अनुवाद दिया जा रहा है - 3 -हजरत अली का मुआविया को पत्र हजरत अली का यह पत्र संख्या 64 है उनकी किताब" नहजुल बलाग - نهج البلاغة "में मौजूद है . http://www.imamalinet.net/EN/nahj/nahj.htm "यह बात बिलकुल सत्य है कि,इस्लाम से पहिले हम सब एक थे .और अरब में सबके साथ मिल कर शांति से रह रहे थे .तुमने (मुआविया )महसूस किया होगा कि ,जैसे ही इस्लाम का उदय हुआ ,लोगों में ��ूट और मनमुटाव बढ़ाते गए .इसका कारण यह है ,कि एक तरफ हम लोगों को शांति का सन्देश देते रहे ,और दूसरी तरफ तुम मुनाफिक(Hypocryt )ही बने रहे ,और इस्लाम के नाम पर पाखंड और मनमर्जी चलाते रहे.तुमने अपने पत्र में मुझे तल्हा और जुबैर की हत्या का आरोपी कहा है .मुझे उस पर कोई सफ़ाई देने की जरुरत नहीं है .लेकिन तुमने आयशा के साथ मिलकर मुझे मदीना से कूफा और बसरा जाने पर विवश कर दिया ,तुमने जो भी आरोप लगाये हैं ,निराधार है ,और मैं किसी से भी माफ़ी नहीं मांगूंगा " मुआविया के पत्र का हजरत अली का मुआविया को जवाब -नहजुल बलाग -पत्र संख्या 64 ومن كتاب له عليه السلام كتبه إلى معاوية، جواباً عن كتاب منه أَمَّا بَعْدُ، فَإِنَّا كُنَّا نَحْنُ وَأَنْتُمْ عَلَى مَا ذَكَرْتَ مِنَ الاَُْلْفَةِ وَالْجَمَاعَةِ، فَفَرَّقَ بيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَمْسِ أَنَّا آمَنَّا وَكَفَرْتُمْ، وَالْيَوْمَ أَنَّا اسْتَقَمْنَا وَفُتِنْتُمْ، وَمَا أَسْلَمَ مُسْلِمُكُمْ إِلاَّ كَرْهاً وَبَعْدَ أَنْ كَانَ أَنْفُ الاِِْسْلاَمِكُلُّهُ لِرَسُولِ اللهِ صلى الله عليه وآله حرباً وَذَكَرْتَ أَنِّي قَتَلْتُ طَلْحَةَ وَالزُّبَيْرَ، وَشَرَّدْتُ بِعَائِشَةَ وَنَزَلْتُ بَيْنَ الْمِصْرَيْنِ وَذلِكَ أَمْرٌ غِبْتَ عَنْهُ، فَلاَ عَلَيْكَ، وَلاَ الْعُذْرُ فِيهِ إِلَيْكَ [ A reply to Mu'awiya's letter. ] It is correct as you say that in pre-Islamic days we were united and at peace with each other. But have you realized that dissensions and disunity between us started with the dawn of Islam. The reason was that we accepted and preached Islam and you remained heathen. The condition now is that we are faithful and staunch followers of Islam and you have revolted against it. Even your original acceptance was not sincere, it was simple hypocrisy. When you saw that all the big people of Arabia had embraced Islam and had gathered under the banner of the Holy Prophet (s) you also walked in (after the Fall of Makkah.) In your letter you have falsely accused me of killing Talha and Zubayr, driving Ummul Mu'minin Aisha from her home at Madina and choosing Kufa and Basra as my residence. Even if all that you say against me is correct you have nothing to do with them, you are not harmed by these incidents and I have not to apologize to you for any of them. 4 -इस्लाम का
विभाजन इस्लाम के पूर्व से ही अरब के लोग दूसरों को लूटने और आपसी शत्रुता के कारण लड़ते रहते थे .लेकिन मुसलमान बन जाने पर उनको लड़ने और हत्याएं करने के लिए धार्मिक आधार मिल गया .वह अक्सर अपने विरोधियों को मुशरिक ,मुनाफिक और काफ़िर तक कहने लगे और खुद को सच्चा मुसलमान बताने लगे .और अपने हरेक कुकर्मों को कुरान की किसी भी आयत या किसी भी हदीस का हवाला देकर जायज बताने लगे .धीमे धीमे सत्ता का विवाद धार्मिक रूप धारण करता गया .मुहम्मद की मौत के बाद ही यह विवाद इतना उग्र हो गया की मुसलमानों ने ही मुहम्मद के दामाद अली ,और उनके पुत्र हसन हुसैन को परिवार सहित क़त्ल कर दिया .उसके बाद ही इस्लाम के टुकडे होना शुरू हो गए .जिसके बारे में खुद मुहम्मद ने भविष्यवाणी की थी .- "अबू हुरैरा ने कहा कि,रसूल ने कहा था कि यहूदी और ईसाई तो 72 फिरकों में बँट जायेंगे ,लेकिन मेरी उम्मत 73 फिरकों में बँट जाएगी ,और सब आपस में युद्ध करेंगे " अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4579 "अबू अमीर हौजानी ने कहा कि ,रसूल ने मुआविया बिन अबू सुफ़यान के सामने कहा कि ,अहले किताब (यहूदी ,ईसाई ) के 72 फिरके हो जायेंगे ,और मेरी उम्मत के 73 फिरके हो जायेंगे ..और उन में से 72 फिरके बर्बाद हो जायेंगे और जहन्नम में चले जायेंगे .सिर्फ एक ही फिरका बाकी रहेगा ,जो जन्नत में जायेग��� " अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4580 . "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,ईमान के 72 से अधिक टुकडे हो जायेंगे ,और मुसलमानों में ऐसी फूट पड़ जाएगी कि वे एक दुसरे की हत्याएं करेंगे ." अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4744 . "अरफजः ने कहा कि मैं ने रसूल से सुना है ,कि इस्लाम में इतना बिगाड़ हो जायेगा कि ,मुसलमान एक दुसरे के दुश्मन बन जायेंगे ,और तलवार लेकर एक दुसरे को क़त्ल करेंगे " अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4153 . "सईदुल खुदरी और अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,पाहिले तो मुसलमान इकट्ठे हो जायेंगे ,लेकिन जल्द ही उनमें फूट पड़ जाएगी .जो इतनी उग्र हो जाएगी कि वे जानवरों से बदतर बन जायेगे .फिर केवल वही कौम सुख से जिन्दा रह सकेगी जो इनको इन को ( नक���ी मुसलमानों )को क़त्ल कर देगी .फिर अनस ने रसूल से उस कौम की निशानी पूछी जो कामयाब होगी .तो रसुलने बताया कि,उस कौम के लोगों के सर मुंडे हुए होंगे .और वे पूरब से आयेंगे " अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4747 . 5 -इस्लाम के प्रमुख फिरके आमतौर पर लोग मुसलमानों के दो ही फिरकों शिया और सुन्नी के बारे में ही सुनते रहते है ,लेकिन इनमे भी कई फिरके है .इसके आलावा कुछ ऐसे भी फिरके है ,जो इन दौनों से अलग है .इन सभी के विचारों और मान्यताओं में इतना विरोध है की यह एक दूसरे को काफ़िर तक कह देते हैं .और इनकी मस्जिदें जला देते है .और लोगों को क़त्ल कर देते है .शिया लोग तो मुहर्रम के समय सुन्नियों के खलीफाओं ,सहबियों ,और मुहम्मद की पत्नियों आयशा और हफ्शा को खुले आम गलियां देते है .इसे तबर्रा कहा जाता है .इसके बारे में अलग से बताया जायेगा . सुन्नियों के फिरके -हनफी ,शाफई,मलिकी ,हम्बली ,सूफी ,वहाबी ,देवबंदी ,बरेलवी ,सलफी,अहले हदीस .आदि - शियाओं के फिरके -इशना अशरी ,जाफरी ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज आदि अन्य फिरके -अहमदिया ,कादियानी ,खारजी ,कुर्द ,और बहाई अदि इन सब में इतना अंतर है की ,यह एक दुसरे की मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ते .और ना ही एक दुसरे की हदीसों को मानते है .सबके नमाज पढ़ने का तरीका ,अजान ,सब अलग है .इनमे एकता असंभव है .संख्या कम होने के से यह शांत रहते हैं ,लेकिन इन्हें जब भी मौका मिलाता है यह उत्पात जरुर करते हैं . 6 -इस्लाम अपने बिल में घुस जायेगा मुहम्मद ने खुद ही इस्लाम की तुलना एक विषैले नाग से की है .इसमे कोई दो राय नहीं है .सब जानते हैं कि यह इस्लामी जहरीला नाग कितने देशों को डस चुका है .और भारत कि तरफ भी अपना फन फैलाकर फुसकार रहा है .लेकिन हम हिन्दू इतने मुर्ख हैं कि सेकुलरिज्म ,के नामपर ,और झूठे भाईचारे के बहाने इस इस्लामी नाग को दूध पिला रहे हैं .और तुष्टिकरण की नीतियों को अपना कर आराम से सो रहे है .आज इस बात की जरुरत है की ,हम सब मिल कर मुहम्मद की इस भविष्यवाणी को सच्चा साबित करदें ,जो उसने इन हदीसों में की थीं . - "अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीना में में सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है ' बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 हदीस 100 . "अब्दुल्ला बिन अम्र बिन यासर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जल्द ही एक ऐसा समत आयेगा कि जब लोग कुरान तो पढेंगे ,लेकिन कुरान उनके गले से आगे कंधे से निचे नहीं उतर���गी.और इस्लाम का कहीं कोई निशान नहीं दिखाई देगा " बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 65 "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कि ,इस्लाम सिर्फ दो मस्जिदों
(मक्का और मदीना )के बीच इस तरह से रेंगता रहेगा जैसे कोई सांप इधर उधर दो बिलों के बीच में रेंगता है " सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 270 . "इब्ने उमर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ऐसा निकट भविष्य में होना निश्चय है ,कि इस्लाम और ईमान दुनिया से निकलकर वापस मदीने में इस तरह से घुस जायेगा ,जैसे कोई विषैला सांप मुड़कर अपने ही बिल में घुस जाता है " सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 271 और 272 . अब हम देखते हैं कि मुसलमान इन हदीसों को झूठ कैसे साबित करते है .? आज लीबिया ,यमन और दूसरे इस्लामी देशों में जो कुछ हो रहा है ,उसे देखते हुए यही प्रतीत होता है कि मुहम्मद साहिब की यह हदीसें एक दिन सच हो जायेगीं ,जिनमे इस्लाम के पतन और विखंडन की भविष्यवाणी की गयी है .! B.N.Sharma (200/1)
#अल्लाह#मांसाहारी#रक्तपिपासु#इस्लाम#कमाल#हराम#हलाल#अली का पत्र#बुनियाद#विषैला सांप#किताब अल फित्न#जैद हामिद#नुईम बिन हम्माद#कानून#जन्नत#अल्लाह कानून जन्नत#कुरान में सुधार संशोधन#अल्लाह सीने मोड़ लेते हैं .#किताब अल फित्न जैद हामिद नुईम बिन हम्माद
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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की VC के बाद IG का पत्र: मंडल के चारों जिलों में अब रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर रहेगी पाबंदी
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की VC के बाद IG का पत्र: मंडल के चारों जिलों में अब रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर रहेगी पाबंदी
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप प्रयागराजएक घंटा पहले कॉपी लिंक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का धार्मिक हिस्सा नहीं है। सिर्फ अजान इस्लाम का धार्मिक हिस्सा है। लोगों को बिना ध्वनि प्रदूषण के नींद का अधिकार है। प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी और प्रतापगढ़ के DM-SSP को लेटर जारी पॉल्यूशन एक्ट और हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों…
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#allahaba university vice chancellor#Allahabad University VC Sangeeta Srivastava#azaan on loudspeakers#Loudspeakers in mosques
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RT @BjpSarojini: इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला -अजान के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना गलत, ये इस्लाम का हिस्सा नहीं; बिना अनुमति नहीं करें उपयोग।.. #जय_श्री_राम
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इलाहाबाद हाई कोर्ट नें निर्णय दिया है कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है। कोर्ट नें कहा-किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है। कोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का अहम हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है। #HindutvaTeam #JaiHindutvaSaurya (at Uttar Pradesh) https://www.instagram.com/p/CAPM3ZfgAqK/?igshid=1bx39cq9dw609
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लाउडस्पीकर से अजान को धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
लाउडस्पीकर से अजान को धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Image Source : SOCIAL MEDIA Allahabad High Court
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अजान इस्लाम का एक आवश्यक एवं अभिन्न हिस्सा हो सकता है, लेकिन लाउडस्पीकर या ध्वनि बढ़ाने वाले किसी अन्य उपकरण के जरिए अजान बोलने को इस धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता है।
अदालत ने कहा कि इसलिए किसी भी परिस्थिति में रात 10 बजे से…
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लाउडस्पीकर से अजान पर पाबंदी सही, यह इस्लाम का हिस्सा नहीं : इलाहाबाद हाई कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग पर बड़ा फैसला दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माना कि लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध वैध है। किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है। इलाहाबाद हाई कोर्ट अजान के समय लाउडस्पीकर के प्रयोग से सहमत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का अहम हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है।
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उतरौला एवं ग्रामीण क्षेत्रों रमजान के मुकद्दस महीने के आगमन पर क्षेत्र के उतरौला, महुआ बाजार, धुसवा बाजार, हुसैनाबाद, इटईरामपुर,गैण्डास बुजुर्ग, हासिमपारा में मस्जिदों की साफ-सफाई , रंगाई पुताई ,प्रकाश, वजू के लिए पानी, तरावीह नमाज के लिए हाफिजे कुरान की व्यवस्था मुकम्मल कर ली गई है। रिपोर्ट रोहित कुमार गुप्त उतरौला बलरामपुर। उतरौला एवं ग्रामीण क्षेत्रों रमजान के मुकद्दस महीने के आगमन पर क्षेत्र के उतरौला, महुआ बाजार, धुसवा बाजार, हुसैनाबाद, इटईरामपुर,गैण्डास बुजुर्ग, हासिमपारा में मस्जिदों की साफ-सफाई , रंगाई पुताई ,प्रकाश, वजू के लिए पानी, तरावीह नमाज के लिए हाफिजे कुरान की व्यवस्था मुकम्मल कर ली गई है। हालाकि इस्लामिक महीना चांद पर निर्भर करता है आज चांद न दिखाई देने की दशा में मंगलवार को पहला रोजा रखा जाएगा। मौलाना सूफी अब्दुल वाजिद व मौलाना हामिद रजा नूरी बताते हैं कि।बंदे को हर ��ुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाले पाक महीने रमजान की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन होने जा रही है।रविवार को रमजान का चांद देखा जाएगा चांद देखते ही तरावीह की नमाज शुरू हो जाएगी। और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते लाखों हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे को शिद्दत दे रहे हैं। दौड़-भाग और खुदगर्जी भरी जिंदगी के बीच इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाले रमजान माह में भूख प्यास समेत तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने, खुदगर्जी, बुरी नजर डालने जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की मुश्किल कवायद रोजेदार को अल्लाह के बेहद करीब पहुंचा देती है। रमजान की फजीलत : इस माह में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है।इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान की विशेषताएं : इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है। रमजान में की गई हर नेकी का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में ज़न्नत के दरवाजे खोल, दोजख (नरक) के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं।रमज़न के तीन अशरे : अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को तीन अशरों (खंडों) में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘बरकत’ का है जिसमें खुदा बरकत नाजिल करता है जबकि तीसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है।
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क्यों न बंद हो धार्मिक स्थानों से शोरगुल
क्यों न बंद हो धार्मिक स्थानों से शोरगुल
क्या अगर मस्जिदों से लाउडस्पीकरों पर अजान न दी जाए तो इस्लाम खतरे में आ जाएगा? क्या अजान इस्लाम का अभिन्न अंग है। इन सवालों के अलग-अलग उत्तर हैं। पहले सवाल का जवाब तो यह है कि 1400 साल पुराने इस्लाम धर्म को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि लाउडस्पीकर से अजान न भी दी जाए । इस्लाम में मस्जिदें भी बाद में ही बनी और उन दिनों लाउडस्पीकर जैसा उपकरण था भी नहीं तो अजान तो एक मोइज्जिन ही तो देता था । आज भी…
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अजान में बिना अनुमति लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
अजान में बिना अनुमति लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि ये इस्लाम का हिस्सा नहीं; बिना अनुमति नहीं करें उपयोग
हाईकोर्ट ने यह भी कहा
किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश का अनुपालन सभी जिलाधिकारियों से कराने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने गाजीपुर के सांसद अफजाल…
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सांसद अफजल अंसारी को झटका, हाईकोर्ट का लाउडस्पीकर से अजान देने की अनुमति देने से इनकार
सांसद अफजल अंसारी को झटका, हाईकोर्ट का लाउडस्पीकर से अजान देने की अनुमति देने से इनकार
लाउड स्पीकर से अज़ान देना इस्लाम का धार्मिक हिस्सा नहीं, अच्छी नींद आम आदमी का मौलिक अधिकार, दूसरो के अधिकारों के उलंघन की अनुमति नहीं
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अजान से लॉकडाउन का नहीं होता उल्लंघन लेकिन लॉउडस्पकर पर पाबंदी सही, ये इस्लाम का हिस्सा नहीं
अजान से लॉकडाउन का नहीं होता उल्लंघन लेकिन लॉउडस्पकर पर पाबंदी सही, ये इस्लाम का हिस्सा नहीं
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार कोमस्जिदों में लाउडस्पीकर से अजान देने के एपिसोड में बड़ा फैसला सुनाया है। वास्तव में, गाजीपुर के डीएम नेअज़न देने के लिएलॉउडस्पकर का प्रयोग करने पर मौखिक तौर पर पेटेंट कराने की अनुमति दी थी। इसे लॉकडाउन का उल्लंघन करार दिया गया था। इसी तरह का मामला फर्रुखाबाद में भी सामने आया था। इस समीकरणीकरण मेंनयमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने…
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रहमतों की बारिश लेकर आये रमजान के दूसरे जुमे की नमाज लोग अपने-अपने घरांे में बड़े अकीदत और एहतराम के साथ अदा की। इस बार कोरोना वायरस को लेकर लगाए गए लॉकडाउन में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रमजान माह में जुम्मे की नमाज अपने-अपने घरों में ही अदा कर रहे हैं। वहीं शहर के जामा मस्जिद, मल्लिकटोला जामा मस्जिद, खड़िहारा गांव के मस्जिद, मशुरिया मस्जिद शहर की भीतरी क्षेत्रों में स्थित सभी मस्जिदों में सिर्फ इमाम साहब व मौलाना साहब के द्वा��ा ही नमाज अदा की गई। जुमे की अजान से पहले पेश इमाम व मौलाना ने रमजान की अहमियत, शबाब और दीनी बातों पर तकरीर की। इस दौरान रोजों की फजीलत पर रोशनी डाली गयी। नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने घरों से काेरोना बीमारी को नष्ट कर देश के अमन-चैन, खुशहाली के लिये अल्लाह से दुआएं मांगी। इस्लाम में जुमा की फजीलत बड़ी इस्लाम में जुमा की बड़ी फजीलत है। आम जुमा में भी नमाजियों की तायदाद काफी रहती है, लेकिन रमजान महीने की जुमा में बहुत बड़ी तायदाद में लोग नमाज पढ़ाने के लिए आते हैं। इस बार कोरोना वायरस को लेकर लगाए गए लॉकडाउन को लेकर लोग घरों में ही अदा करते हैं। किन्हीं कारणों से पहले जुम्मे पर रोजा न रखने वालों ने भी दूसरे जुम्मे पर रोजा रखा। रोजा रखने वाले हर मुसलमान को इससे सीख मिलती है कि पूरी जिंदगी हराम और बुरे कामों से दूर रहो।
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अपने घरों में जुम्मे की नमाज अदा करते रोजेदार।
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इंडोनेशिया में महिला को अजान की तेज आवाज की शिकायत करने पर जेल की सजा
मेदान: मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में मस्जिद से होने वाली आज़ान की तेज आवाज की शिकायत करने पर एक महिला को 18 महीने की जेल की सजा दी गई है. विवादित ईशानिंदा कानून के तहत दोषसिद्धि का यह नया मामला है. मेलिआना (44) जातीय चीनी बौद्ध हैं. उन्हें इलाके की मस्जिद में साउंड सिस्टम को हल्का करने को कहा था जिस वजह उन्होंने इस्लाम को ‘अपमानित’ करने का दोषी ठहराया गया है.
द्वीप समूह में तकरीबन 800,000 मस्जिदें…
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इस्लाम मे नमाज़ से पहले क्यों होती है आज़ान, वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप, इससे पहले कभी नही पढ़ा होगा
इस्लाम मे नमाज़ से पहले क्यों होती है आज़ान, वजह जानकर हैरान हो जाएंगे आप, इससे पहले कभी नही पढ़ा होगा
सिंगर सोनू निगम ने लाउडस्पीकर से अजान देने पर सवाल उठाए थे, इसके बाद धार्मिक कामों के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने इसको सही ठहराया तो वहीं कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया। सोशल मीडिया पर भी एक बहस छिड़ गई थी, जिसमें कुछ लोगों ने सोनू निगम का समर्थन किया तो वहीं कुछ ने उनकी आलोचना की। सोनू निगम ने एक ट्वीट करके कहा था, ‘मैं मुस्लिम नहीं हूं, फिर अजान की आवाज के साथ…
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