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geetashloak · 4 years ago
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Happy Fathers Day! -------------- -------------- #sanskrit #india #culture #fathersday #fathersday2020 #father #internationalfathersday #ilovemyfather #truelove #selflessness #valmikiramayana #pitrudevobhava #fathersday #pita #sanskrittrends #sanskritedits (at Dugana) https://www.instagram.com/p/CBqmcVSADXb/?igshid=1xhhseg0zurm2
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geetashloak · 5 years ago
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World Museum Day May 18, 2020 #geetashloak #ishubhechhu #sanskritcalligraphy #sanskritquotes #sanskritthoughts #emergingsanskrit #sanskrittrends #trendsinsanskrit #sanskritedits #sanskritlanguage #sanskritlove #sanskritupanishad #sanskritdailyquotes #sanskritdailythoughts #sanskrit #samskrit #samskritham #samskrutham #covidfighters #covid19 #museum #museumday #worldmuseum #worldmuseumday #internationalmuseumday #archeology #monument #monuments #2020 #archeologicalsurveyofindia (at Shri Chandrabhal Saraswati Bal Vidya Mandir) https://www.instagram.com/p/CAUKrKEBfcw/?igshid=2s8y2i0dhtjv
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geetashloak · 5 years ago
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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 52 यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति। तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।। . . . जिस समय तेरी बुद्धि मोहरूपी दलदलको तर जायगी, उसी समय तू सुने हुए और सुननेमें आनेवाले भोगोंसे वैराग्यको प्राप्त हो जायगा। . . . . When your determining faculty goes beyond the impregnable thicket of delusion, at that time you will attain an attitude of futility regarding what has to be heard and what has been heard. #geetaupdesh #geetakripa #geeta #geetagovindam #geetagyaan #geeta2020 #sanskritedits #editstoday #sankritihitam #ishubhechhu #dugana #krishnaupadesam #krishna #rahda #radheradhe (at Dugana) https://www.instagram.com/p/CAFFiUCBX2C/?igshid=nqeza8sine0l
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geetashloak · 5 years ago
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यो नोद्धतं कुरुते जातु वेषं न पौरुषेणापि विकत्थतेऽन्त्यान्। न मूच्छितः कटुकान्याह किञ्चित् प्रियंसदा तं कुरुते जनो हि ॥ जो व्यक्ति शैतानों जैसा वेश नहीं बनाता ,वीर होने पर भी अपनी वीरता की पढ़ाई नही करता ,क्रोध से विचलित होने पर भी कड़वा नहीं बोलता ,उससे सभी प्रेम करते हैं । अद्भुत शौर्य,अदम्य साहस और महान योद्धा, दृढ़ संकल्प के अद्वितीय प्रतीक "वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन...#maharanapratap #maharanapratapjayanti #ranapratapjayanti #chittaurgarh #maharanapratapjayanti #sanskritedits #sanskritmantra #neeti #vidur #krishna #ishubhechhu #dugana #tribute (at Dugana) https://www.instagram.com/p/B_85GyjBAHT/?igshid=16zdbcypu5rbl
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geetashloak · 5 years ago
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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 51 कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः। जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्त्यनामयम्।। . . समतायुक्त मनीषी साधक कर्मजन्य फलका त्याग करके जन्मरूप बन्धनसे मुक्त होकर निर्विकार पदको प्राप्त हो जाते हैं।  . . . By renouncing the fruit, born of action, the intelligent ones endowed with determining faculty and freed from the bond of birth, go to the place that is devoid of illness. #geetakripa #geetaupdesh #geetagovindam #sanskritedits #sanskrit4u #sanskritslogan #sanskrit #2020 #text #ishubhechhu #sanskritsewa #krishnaupadesam #krishna (at Shri Chandrabhal Saraswati Bal Vidya Mandir) https://www.instagram.com/p/B_7MJ9BBNvL/?igshid=156rsm8eqkvcd
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geetashloak · 5 years ago
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श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 48 योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय । सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ।। अनुवाद हे धनञ्जय ! तू आसक्तिका त्याग करके सिद्धि-असिद्धिमें सम होकर योगमें स्थित हुआ कर्मोंको कर; क्योंकि समत्व ही योग कहा जाता है। English :-  O Dhananjaya ! Established in the Yoga, perform actions, abandoning attachment, remaining even-minded in success and failure; for, the even-mindedness is said to be the Yoga. तात्पर्य कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि वह योग में स्थित होकर कर्म करे और योग है क्या? योग का अर्थ है सदैव चंचल रहने वाली इन्द्रियों को वश में रखते हुए परमतत्त्व में मन को एकाग्र करना | और परमतत्त्व कौन है? भगवान् ही परमतत्त्व हैं और चूँकि वे स्वयं अर्जुन को युद्ध करने के लिए कह रहे हैं, अतः अर्जुन को युद्ध के फल से कोई सरोकार नहीं है | जय या पराजय कृष्ण के लिए विचारणीय हैं, अर्जुन को तो बस श्रीकृष्ण के निर्देशानुसार कर्म करना है | कृष्ण के निर्देश का पालन ही वास्तविक योग है और इसका अभ्यास कृष्णभावनामृत नामक विधि द्वारा किया जाता है | एकमात्र कृष्णभावनामृत के माध्यम से ही स्वामित्व भाव का परित्याग किया जा सकता है | इसके लिए उसे कृष्ण का दास या उनके दासों का दास बनना होता है | कृष्णभावनामृत में कर्म करने की यही एक विधि है जिससे योग में स्थित होकर कर्म किया जा सकता है | अर्जुन क्षत्रिय है, अतः वह वर्णाश्रम-धर्म का अनुयायी है | विष्णु-पुराण में कहा गया है कि वर्णाश्रम-धर्म का एकमात्र उद्देश्य विष्णु को प्रसन्न करना है | सांसारिक नियम है कि लोग पहले अपनी तुष्टि करते हैं, किन्तु यहाँ तो अपने को तुष्ट न करके कृष्ण को तुष्ट करना है | अतः कृष्ण को तुष्ट किये बिना कोई वर्णाश्रम-धर्म का पालन कर भी नहीं सकता | यहाँ पर परोक्ष रूप से अर्जुन को कृष्ण द्वारा बताई गई विधि के अनुसार कर्म करने का आदेश है | #geetakripa #geetaupdesh #geetagovindam #sanskritedits #sanskrit4u #sanskritslogan #sanskrit #2020 #text #ishubhechhu #sanskritsewa #krishnaupadesam #krishna (at Dugana) https://www.instagram.com/p/B_mfw-dBLiD/?igshid=wdmgo5xutsji
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geetashloak · 5 years ago
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श्रीमद्भागवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 47 कर्मण्यवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन | मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि || ४७ ||” अनुवाद तुम्हें अपने कर्म (कर्तव्य) करने का अधिकार है, किन्तु कर्म के फलों के तुम अधिकारी नहीं हो | तुम न तो कभी अपने आपको अपने कर्मों के फलों का कारण मानो, न ही कर्म न करने में कभी आसक्त होओ | तात्पर्य यहाँ पर तीन विचारणीय बातें हैं – कर्म (स्वधर्म), विकर्म तथा अकर्म | कर्म (स्वधर्म) वे कार्य हैं जिनका आदेश प्रकृति के गुणों के रूप में प्राप्त किया जाता है | अधिकारी की सम्मति के बिना किये गये कर्म विकर्म कहलाते हैं और अकर्म का अर्थ है – अपने कर्मों को न करना | भगवान् ने अर्जुन को उपदेश दिया कि वह निष्क्रिय न हो, अपितु फल के प्रति आसक्त हुए बिना अपना कर्म करे | कर्म फल के प्रति आसक्त रहने वाला भी कर्म का कारण है | इस तरह वह ऐसे कर्मफलों का भोक्ता होता है | जहाँ तक निर्धारित कर्मों का सम्बन्ध है वे तीन उपश्रेणियों के हो सकते हैं – यथा नित्यकर्म, आपात्कालीन कर्म तथा इच्छित कर्म | नित्यकर्म फल की इच्छा के बिना शास्त्रों के निर्देशानुसार सतोगण में रहकर किये जाते हैं | फल युक्त कर्म बन्धन के कारण बनते हैं, अतः ऐसे कर्म अशुभ हैं | हर व्यक्ति को अपने कर्म पर अधिकार है, किन्तु उसे फल से अनासक्त होकर कर्म करना चाहिए | ऐसे निष्काम कर्म निस्सन्देह मुक्ति पथ की ओर ले जाने वाले हैं | अतएव भगवान् ने अर्जुन को फलासक्ति रहित होकर कर्म (स्वधर्म) के रूप में युद्ध करने की आज्ञा दी | उसका युद्ध-विमुख होना आसक्ति का दूसरा पहलू है | ऐसी आसक्ति से कभी मुक्ति पथ की प्राप्ति नहीं हो पाती | आसक्ति चाहे स्वीकारत्मक हो या निषेधात्मक, वह बन्धन का कारण है | अकर्म पापमय है | अतः कर्तव्य के रूप में युद्ध करना ही अर्जुन के लिए मुक्ति का एकमात्र कल्याणकारी मार्ग था | #geetaupdesh #geetakripa #krishnaupadesam #karma #karmaquotes #shrimadbhagwatgeeta #bhagwatgita #sanskritedits #sanskritshloak #geetashlok #officialgita #sanskrit #2020 #stayhomestaysafe #ishubhechhu (at Shri Chandrabhal Saraswati Bal Vidya Mandir) https://www.instagram.com/p/B_j1ku9hfoW/?igshid=1t0pczmjspbsm
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geetashloak · 5 years ago
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Let's celebrate Akshay Triteeya together with the blessings of maa Lakshmi महादेव्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॥ . . ... . हम महादेवी लक्ष्मी का स्मरण करते हैं। विष्णुपत्नी लक्ष्मी हम पर कृपा करें, वे देवी हमें सत्कार्यों की ओर प्रवृत्त करें। . . . . #akshaytritiya #akshaytrutiya #aakhateej #ikshutriteeya #india #indiaculture #hindu #maalakshmi #goddesslakshmi #gold #buygold #sanskrit #2020 #sanskritedits #sanskaar #mysanskriti #ishubhechhu #dugana #stayhomestaysafe #instabeauty (at Dugana) https://www.instagram.com/p/B_aFWicBub7/?igshid=h80knu73zz8x
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