किसान आंदोलन पर आया पाकिस्तान का भी बयान, जानें क्या कहा
किसान आंदोलन पर आया पाकिस्तान का भी बयान, जानें क्या कहा
लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए।
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भारत की छवि खराब करने की बड़ी साजिश का खुलासा, खालिस्तानी संगठनों के साथ मिल Pakistan दे रहा अंजाम
भारत की छवि खराब करने की बड़ी साजिश का खुलासा, खालिस्तानी संगठनों के साथ मिल Pakistan दे रहा अंजाम
नई दिल्ली: कृषि कानूनों (Agriculture Laws) के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) के नाम पर ‘प्रोपेगेंडा’ फैलाकर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की साजिश चल रही है. अब इस मामले में खुलासा हुआ है कि इसके पीछे पाकिस्तान का बड़ा हाथ है और इसमें खालिस्तानी संगठन (Khalistani Organization) की बड़ी मुहिम शामिल है.
पाकिस्तानी दूतावास कर रहा है मदद
सूत्रों के अनुसार, कनाडा, यूके,…
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भारतीय शौर्य दिवस - कभी भी -कहीं भी !
दिल्ली/06-12-2020
देश के प्रति मेरा सम्मान है और इसे मुझे किसी भी व्यक्ति को साक्षात��कार के माध्यम से बताने की जरूरत नही । चूंकि प्रेम अत्यधिक प्रगाढ़ है इसलिए चुप भी नही रह सकता और तभी सही सही तथ्य को उधेड़कर अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य निभाने भर की कोशिश कर रहा हूँ । मेरे जैसे लाखों ऐसे लोग इस पथ पर कभी चले थे और आज भी किसी ना किसी रूप में चल रहे हैं । यह कतई जरूरी नही है कि सिर्फ माइक और टीवी के माध्यम से अलख जगानेवाले लोग ही देश के प्रति सम्मान रखते हैं और जो एक भूभाग में पांच दस व्यक्तियों के बीच भारत के कण कण को पिरोये जा रहे हैं वे नही । जो देश के प्रति संवेदनशील हैं वे बिना घाव को उधेड़े रह नही पाएंगे । आखिर एक घाव ही तो पीड़ा है । घाव नही तो पीड़ा क्या ?
9 अप्रैल,1965 को 2 बटालियन केरिपुबल की एक छोटी सी टुकड़ी ने गुजरात के रन ऑफ कच्छ में सरदार पोस्ट पर पाकिस्तानी ब्रिगेड द्वारा हमले को विफलकऱ दिया। इस हमले में 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतरा गया और 4 को जिंदा गिरफ्तार किया गया। सैन्य लड़ाई के इतिहास में कभी भी एक छोटी सी सैन्य टुकड़ी इस तरह से एक पूर्ण पैदल सेना ब्रिगेड से नहीं लड़ी। इस संघर्ष में 6 बहादुर केरिपुबल के रण बाँकुरोने अपनी शहादत दीं। बल के बहादुर जवानों की गाथा को श्रद्धांजलि के रूप में हर वर्ष 9 अप्रैल को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। और 6 दिसम्बर,1992 को बाबरी-मस्जिद को शहीद करने के उपलक्ष्य में - शौर्य दिवस !
चोंकिये नही , वादा करिये अंत तक बने रहेंगे । अभी अनगिनत शौर्य दिवस में से दो ही आपने स्मृतियों में लाया है । महान भारत मे तो अदभुत सदी और अलौकिक घटनाओं के बीच महागठबंधन है । एक ऐसा गठबंधन जो राजनीति दल की भांति कमजोर और असहाय नही है , और तभी हजारों हजारों साल से हरेक युग मे लोग इससे प्रभावित होते रहे हैं ।
अखंडभारत कब था उस दिवस को मैंने ढूंढना प्रारंभ किया तो हर तरफ खण्ड ही खण्ड मिले - वेद खण्ड में , रामायण खण्ड में , राज्य खण्ड में लेकिन देश को दो किनारों के खंड में ना देखते हुये नदी की धारा को देखते हुये स्मरण किया तो आज के भारत को भी उतना ही अखंडित पाया जितना प्राचीन भारत को ।
राज्य और साम्राज्य परिवर्तन सिर्फ एक क्रम है और मैं इसे एक क्रम के अलावा कुछ और करने की चेष्टा नही करता । कभी भारत मे चक्रवर्ती सम्राट हुआ करते थे , काश आज भी वही दिन होते - ऐसी परिकल्पना से मैं परे हूँ । मेरा मानना है कि जिसे जो बनाना है उसे उसी समय मे ही सिर्फ बनाया जा सकता है । सही या गलत एक श्रृंखला है - व्यक्ति, समूह, समाज या देश जिस पाले को चुने - संपूर्णता में दोनों पाले की एक ही चाल है ।
हम भारतीयों ने गुलामी चाही , हम ने ही अरबों को न्योता भेजी , वे आये और हमपर सवारी करते रहे । हमने उफ़ तक नही किया, आदत मजबूत हुई , हम भी मजबूत हुये - उस गुलामी की ढांचे में उतरते गये और निश्चिंत हो गये । हजारों बर्ष तक यदि कोई देश गुलाम सम्भव रहे तो उस गुलामी की जंजीर भले ही कट गए हों - नशा तो एक समय पर पहुँच कर उतरेगी ना ! और जो यदि नशा उतरने से पहले ही फिर से नवीनतम नशा को पी जाय तो क्या फर्क पड़ा ? पृष्ठभूमि बस बदलन लेने चित्र को नही बदला जा सकता है । चित्र और परिभाषा तो वही रहेंगे ।
प्राचीन भारत मे पांडव और कौरव लड़े थे , रावण और राम लड़े थे , धनानंद और चंद्रगुप्त लड़े थे और मध्यकालीन भारत मे मुगल और लोधी , सूरी और मुग़ल - और आधुनिक भारत मे अंग्रेज बनाम नागरिक ! और आजादी के बाद अपने भूभाग को खंडित करके हिंदुस्तान और पाकिस्तान ! क्या है इस से अधिक पढ़ने और जानने को ? बस आजादी के पृष्ठभूमि पर वही राग बज रहे हैं जो सदियों से ही बजती आ रही है । यदि ठिक से दीखिये तो आज की लड़ाई तो किसी योग्य भी नही है । मुग़ल ने मस्जिद बनाई - तोड़ दो , हिंदुओं ने मंदिर बनाया - तोड़ दो । हिंदुस्तान हिंदुओ का है - शेर हिन्दू को प्रधानमंत्री बनाओ - हिन्दुराष्ट्र हम बनाएंगे तो दूसरी तरफ अल्लाह -हू -अकबर , इस्लाम खतरे में है - यह वतन हमारा है -हम बदला लेंगे ।
क्या यह लड़ाई बिल्कुल वैसा ही नही है जैसे किसी एक परिवार से दो भाई अलग हो जाने के बाद एक दूसरे से लड़ते रहते हैं । एक जीत गया तो खुद शौर्य दिवस मनाने लगा । किसी और से लड़ाई हुई तो मुँह के बल गिर कर रोने लगा - ना शौर्यदिवस ना ही वीर गाथा बस एक ही राग - हम किसी भी दूसरे देश पर आक्रमण नही करते , ये हमारा इतिहास है ।
कितनी बेशर्मी से हम ये कह देते हैं ! तनिक भी ख्याल नही आता कि अशोक साम्राज्य अफगानिस्तान तक फैली थी और वह बिना आक्रमण के संभव नही था ! हम स्वीकार ही नही करते कि कमजोर और लाचार हैं , अन्य देशों से नही लड़ सकते इसलिए खुद को बांटकर अपनों से ही लड़ते हैं । खुद जीतते हैं और शौर्य दिवस मानते हैं ।
हमारा देश सबसे कमजोर है । विश्व मे हम ही सिर्फ एक एकलौता देश हैं जो सभी से कहता है - पहले हमारे खाता में एक हजार करोड़ रुपया था और यदि कोई पूछ बैठता है - "आज है ?' तो हम घबरा जाते हैं ।।
कब तक हम ये शौर्य दिवस मानते रहेंगे , कब हमें ये होश आएगा कि हम कब के लूट चुके हैं , कब तक हम अतीत को पूजते रहेंगे और भविष्य को इस प्रक्रिया से मिटाते रहेंगे ! अतीत ओढ़कर चलने से तो भविष्य अंधकार ही होगा । भविष्य को उज्वल बनाने के लिए वर्तमान से हमें सामना करना पड़ेगा जो कि पीड़ादायक है , कष्टकर है लेकिन एकबार स्वीकार कर लेने पर भविष्य की राह मिल ही जाना है पर हम मिलेंगे नही । सड़ते रहेंगे , गलते रहेंगे लेकिन अतीत को नही छोड़ सकते ।
हमारे सामने जन्मे देश कहाँ के कहाँ पहूँच गये क्योंकि उनके पास कुछ भी अतीत नही था जो बाधक बने । एक फ्रेशर उठा और आकाश को चूम लिया और वहां से हमको रास्ता दिखा रहा है । होना तो ये चाहिए था कि हम दुनिया को रास्ता दिखाते लेकिन बदले में हम अशोका , महाभारत दिखा रहे हैं और वे हमारी लाचारी पर हंस रहे हैं । हमने कोढ़ को स्वर्णिम मान रखा है - यह शौर्य खोखला है जिसका कोई नैतिकमूल्य नही , कुछ भी हासिल नही । कारगिल दिवस, स्वतंत्रता दिवस, संविधान दिवस , शौर्य दिवस, गांधी दिवस, बाल दिवस से आगे एक और दिवस है - भविष्य दिवस । उसे ललकारना होगा ।
अंत मे अपने ट्वीटर हैंडल से आज के विचार को छोड़े जा रहा हूँ । बात समझीये तो बड़ी अन्यथा शूरवीर तो हम हैं ही हैं !!
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सरहद पार से भी किसानों को समर्थन: पाकिस्तान के पंजाबी कलाकार बोले- बॉर्डर न होता तो हम किसान आंदोलन में शामिल होते
सरहद पार से भी किसानों को समर्थन: पाकिस्तान के पंजाबी कलाकार बोले- बॉर्डर ��� होता तो हम किसान आंदोलन में शामिल होते
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Farmers Protest: Punjabi Farmers Of Pakistan Supported The Kisan Andolan. Artist Said If There Was No Border, We Would Have Walked
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पंजाब/श्री माछीवाड़ा साहिब32 मिनट पहले
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‘लेंहदा पंजाब’ के पंजाबी कलाकार। (बाएं से) विकार भिंडर, शहजाद सिद्ध, एआर वाटो और लिजाज घुग फैसलाबाद पाकिस्तान में…
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पाकिस्तान के पंजाबी कलाकार बोले- बॉर्डर न होता तो हम भी चले आते
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पंजाब/श्री माछीवाड़ा साहिब2 घंटे पहले
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हिसार के किसान सुखबीर 51 लाख में अपनी भैंस बेचकर टिकरी बॉर्डर पर किसानों के लिए खाने-पीने का लंगर लगा रहे हैं।
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