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महाशिवरात्रि पर शुक्र प्रदोष व्रत का महासंयोग। ऐसे करें पूजा मिलेगा दुगना लाभ। Maha Shivratri 2024
शिव भक्तों के लिए यह शिवरात्रि/Shivratri 2024 अपने साथ बहुत ही अनोखे संयोग लेकर आ रही है।
https://www.vinaybajrangi.com/festivals/mahashivratri.php
https://www.youtube.com/watch?v=eZL3KhCIMIs
#pradoshvrat #shukrapradoshvrat #pradoshvratdate #mahashivratri2024 #mahashivratrikabhai
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महाशिवरात्रि पर राशिनुसार करें भोलेनाथ की पूजा-अर्चना, मिलेगा मनचाहा फल
चैतन्य भारत न्यूज देवाधिदेव महादेव भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। पौरााणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वतीजी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। इसी दिन महान शिव और सिद्ध योग भी है। जन्मकुंडली में मंगल और राहू के दोषों से मुक्ति पाने के नजरिेए से, इस वर्ष की महाशिवरात्रि श्रेष्ठ अवसर है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि के दिन अपनी राशि के अनुसार कैसे करें आराधना और पाएं शुभ फल। मेष - गुलाल से शिवजी की पूजा करें साथ में शिवरात्रि के दिन ॐ ममलेश्वाराय नमः मंत्र का जाप करें। वृषभ - दूध से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ नागेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। मिथुन- गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ भुतेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। कर्क- पंचामृत से शिवजी का अभिषेक करें और महादेव के द्वादश नाम का स्मरण करें। सिंह- शहद से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। कन्या- शुद्ध जल से शिवजी का अभिषेक करें और शिव चालीसा का पाठ करें। तुला- दही से शिवजी का अभिषेक करें और शांति से शिवाष्टक का पाठ करें। वृश्चिक- दूध और घी से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ अन्गारेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। धनु- दूध से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ समेश्वरायनमः मंत्र का जाप करें। मकर- अनार से शिवजी का अभिषेक करें और शिव सहस्त्रनाम का उच्चारण करें। कुम्भ- दूध, दही, शक्कर, घी, शहद सभी से अलग अलग शिवजी का अभिषेक करें और ॐ शिवाय नमः मंत्र का जाप करें। मीन- ऋतुफल(जो मौसम का ख़ास फल हों) से शिवजी का अभिषेक करें और ॐ भामेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें। Read the full article
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महाशिवरात्रि 2021: भगवान शिव ने माता पार्वती को बताए थे ये 4 रहस्य, खुशहाल जीवन जीने के लिए आप भी जानें
चैतन्य भारत न्यूज फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा गया है। इस बार यह शिवरात्रि 11 मार्च को है। मान्यता है इस दिन शिव आराधना करने से सालभर की शिव पूजा का फल मिलता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव के उन रहस्यों के बारे में जो उन्होंने माता पार्वती के साथ साझा थे। भगवान शिव ने पार्वती माता को जो पाठ पढ़ाए, वे मानव जीवन, परिवार, और शादीशुदा जिंदगी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
सबसे बड़ा गुण और पाप भगवान शिव से एक बार माता पार्वती ने पूछा कि मानव का सबसे बड़ा गुण क्या है? मानव सबसे बड़ा पाप कौन सा करता है? भगवान शिव ने इसका उत्तर दिया कि, इस दुनिया में सबसे बड़ा पाप बेईमानी और धोखा करना है। धोखा इस दुनिया का सबसे बड़ा पाप है जो मानव करता है। मानव को अपनी जिंदगी में हमेशा ईमानदार रहना चाहिए।
कभी भी ये इन तीन काम न करें भगवान शिव ने पार्वती को बताया कि किसी भी मनुष्य को वाणी, कर्मों और विचार के माध्यम से पाप नहीं करने चाहिए। यानी पापपूर्ण कर्म नहीं करने च���हिए और विचारों और वाणी में भी अशुद्धता नहीं होनी चाहिए। मनुष्य वही काटता है जो वह बोता है। इसलिए हमेशा व्यक्ति को अपने कर्मों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।
सफलता का एक मंत्र भगवान शिव ने बताया कि, म��ह ही सभी समस्याओं की जड़ है। मोह-माया सफलता के रास्ते में बाधा उत्पन्न करती है। जब आप दुनिया की सभी तरह की मोह-मायाओं से मुक्त हो जाते हैं तो आपको अपनी जिंदगी में सफलता प्राप्त करने से कोई रोक नहीं हो सकता है।
खुद का मूल्यांकन जरूरी है भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया कि, मानव को परिश्रम करने के साथ खुद का मूल्यांकन करते रहना चाहिए। मानव को हमेशा अपने कृत्यों और व्यवहार पर खुद ही नजर रखनी चाहिए। किसी भी मनुष्य को ऐसे कामों में लिप्त नहीं होना चाहिए जो नैतिक रूप से गलत हो। Read the full article
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महाशिवरात्रि 2021 : इस बार महाशिवरात्रि पर पंचक, इस दौरान ये कार्य बिलकुल भी ना करें
चैतन्य भारत न्यूज भगवान आशुतोष यानी महादेव को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन पंचक लग रहे हैं। पंचक में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है। कब से कब तक लगेगा पंचक? हिन्दू पंचांग के अनुसार, पंचक 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 16 मार्च की सुबह 4 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे। पंचक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। पंचक के दौरान लकड़ी इकठ्ठी करना, चारपाई खरीदना या बनवाना, घर की छत बनवाना एवं दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है। इन कामों को छोड़कर आप कोई भी काम कर सकते हैं। वह शुभ माना जाता है। पंचक के प्रकार रोग पंचक - रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। राज पंचक - सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है ये पंचक शुभ माना जाता है। अग्नि पंचक - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। चोर पंचक - शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के लेन-देन से बचना चाहिए। बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक सभी तरह के कार्य कर सकते हैं यहाँ तक कि सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। Read the full article
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इस महाशिवरात्रि पर बन रहे हैं दो महान योग, शिव साधना से पूरी होगी समस्त मनोकामनाएं
चैतन्य भारत न्यूज देवाधिदेव महादेव भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। पौरााणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वतीजी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। हिंद��� पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि दो महान योगों में मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि का महत्व शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है। सिद्धयोग और शिवयोग सिद्धयोग और शिवयोग को बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावी योग माना जाता है। इस शुभ योग के दौरान जो व्यक्ति साधना और शुभ संकल्प लेता है उसके कार्य अवश्य सफल और पूर्ण होते हैं। शिव साधना में इन योगों से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 (बृहस्पतिवार) चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक शिवरात्रि पारण समय: 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक Read the full article
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शिव-पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि आज, भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज आज महाशिवरात्रि का पर्व है। भगवान शिव और माता पार्वती की इस दिन विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि का महत्व और पूजन विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
महाशिवरात्रि का महत्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन को शिव भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन व्रत रखने से कई व्रतों के बराबर पुण्य प्राप्त होने की मान्यता है। इसलिए इस व्रत को व्रतों का राजा कहा गया है। कहा जाता है महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ माता पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। शास्त्रों के मुताबिक, महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
महाशिवरात्रि पूजा-विधि इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव को चदंन लगाएं और उन्हें फूल, बेलपत्र, भांग, बेर आदि सभी चीजें शिवलिंग पर अर्पित करें। जलाभिषेक करते समय लगातार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। इसके बाद वहीं शिवलिंग के आगे धूप व दीप जलाएं और उनकी आरती करें। भगवान शिव की आरती करने के बाद वहीं बैठकर शिव स्तुति आवश्य करें। आप चाहें तो शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। पूजा के बाद महाशिवरात्रि के दिन गरीबों में दान का काफी महत्व है। अपनी इच्छानुसार दान करें। Read the full article
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महाशिवरात्रि 2021 : इस बार महाशिवरात्रि पर पंचक, इस दौरान ये कार्य बिलकुल भी ना करें
चैतन्य भारत न्यूज भगवान आशुतोष यानी महादेव को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन पंचक लग रहे हैं। पंचक में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है। कब से कब तक लगेगा पंचक? हिन्दू पंचांग के अनुसार, पंचक 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 16 मार्च की सुबह 4 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे। पंचक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। पंचक के दौरान लकड़ी इकठ्ठी करना, चारपाई खरीदना या बनवाना, घर की छत बनवाना एवं दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है। इन कामों को छोड़कर आप कोई भी काम कर सकते हैं। वह शुभ माना जाता है। पंचक के प्रकार रोग पंचक - रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। राज पंचक - सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है ये पंचक शुभ माना जाता है। अग्नि पंचक - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। चोर पंचक - शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के लेन-देन से बचना चाहिए। बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक सभी तरह के कार्य कर सकते हैं यहाँ तक कि सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। Read the full article
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इस महाशिवरात्रि पर बन रहे हैं दो महान योग, शिव साधना से पूरी होगी समस्त मनोकामनाएं
चैतन्य भारत न्यूज देवाधिदेव महादेव भगवान आशुतोष को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। पौरााणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और पार्वतीजी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है और उन्हें भांग, धतूरा, बेल पत्र और बेर चढ़ाए जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि दो महान योगों में मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि का महत्व शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है। दरअसल महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन की रात का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान ही महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए तभी इसका फल मिलता है। इस दिन का प्रत्येक घड़ी-पहर परम शुभ रहता है। कुवांरी कन्याओं को इस दिन व्रत करने से मनोनुकूल पति की प्राप्ति होती है और विवाहित स्त्रियों का वैधव्य दोष भी नष्ट हो जाता है। सिद्धयोग और शिवयोग सिद्धयोग और शिवयोग को बेहद महत्वपूर्ण और प्रभावी योग माना जाता है। इस शुभ योग के दौरान जो व्यक्ति साधना और शुभ संकल्प लेता है उसके कार्य अवश्य सफल और पूर्ण होते हैं। शिव साधना में इन योगों से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त महाशिवरात्रि तिथि- 11 मार्च 2021 (बृहस्पतिवार) चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 11 मार्च 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से चतुर्दशी तिथि समाप्त: 12 मार्च 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक शिवरात्रि पारण समय: 12 मार्च की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक Read the full article
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शिव-पार्वती के मिलन का पर्व महाशिवरात्रि आज, भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से करें पूजा
चैतन्य भारत न्यूज आज महाशिवरात्रि का पर्व है। भगवान शिव और माता पार्वती की इस दिन विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि का महत्व और पूजन विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
महाशिवरात्रि का महत्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस दिन को शिव भक्त बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन व्रत रखने से कई व्रतों के बराबर पुण्य प्राप्त होने की मान्यता है। इसलिए इस व्रत को व्रतों का राजा कहा गया है। कहा जाता है महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ माता पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। शास्त्रों के मुताबिक, महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।
महाशिवरात्रि पूजा-विधि इस दिन सुबह जल्दी स्नान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव को चदंन लगाएं और उन्हें फूल, बेलपत्र, भांग, बेर आदि सभी चीजें शिवलिंग पर अर्पित करें। जलाभिषेक करते समय लगातार ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। इसके बाद वहीं शिवलिंग के आगे धूप व दीप जलाएं और उनकी आरती करें। भगवान शिव की आरती करने के बाद वहीं बैठकर शिव स्तुति आवश्य करें। आप चाहें तो शिव तांडव स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। पूजा के बाद महाशिवरात्रि के दिन गरीबों में दान का काफी महत्व है। अपनी इच्छानुसार दान करें। Read the full article
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महाशिवरात्रि 2021 : इस बार महाशिवरात्रि पर पंचक, इस दौरान ये कार्य बिलकुल भी ना करें
चैतन्य भारत न्यूज भगवान आशुतोष यानी महादेव को प्रसन्न करने के लिए फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाने की परंपरा हैै। इस साल यह तिथि 11 मार्च गुरूवार को मनाई जाएगी। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बार महाशिवरात्रि के दिन पंचक लग रहे हैं। पंचक में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है। कब से कब तक लगेगा पंचक? हिन्दू पंचांग के अनुसार, पंचक 11 मार्च को सुबह 9 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 16 मार्च की सुबह 4 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे। पंचक के दौरान इन बातों का रखें ध्यान पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करना वर्जित माना जाता है। पंचक के दौरान लकड़ी इकठ्ठी करना, चारपाई खरीदना या बनवाना, घर की छत बनवाना एवं दक्षिण दिशा की ओर यात्रा करना अशुभ माना जाता है। इन कामों को छोड़कर आप कोई भी काम कर सकते हैं। वह शुभ माना जाता है। पंचक के प्रकार रोग पंचक - रविवार को शुरू होने वाला पंचक रोग पंचक कहलाता है। हर तरह के मांगलिक कार्यों में ये पंचक अशुभ माना गया है। राज पंचक - सोमवार को शुरू होने वाला पंचक राज पंचक कहलाता है ये पंचक शुभ माना जाता है। अग्नि पंचक - मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। चोर पंचक - शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक चोर पंचक कहलाता है। इस पंचक में लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के लेन-देन से बचना चाहिए। बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक सभी तरह के कार्य कर सकते हैं यहाँ तक कि सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। Read the full article
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