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दिवाली 2020: पहले ही कर लें सभी तैयारियां, ये हैं गणेश-लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन सामग्री की लिस्ट
चैतन्य भारत न्यूज दीपों का त्योहार दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस साल दिवाली 14 नवंबर को पड़ रही है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी और श्री गणेश पूजन से शांति, तरक्की और समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। ��िवाली पर हर व्यक्ति माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूरे विधि-विधान से पूजा करना चाहता है। इनकी पूजा में कोई कमी न रह जाए इसके लिए पहले से दीपावली पूजन सामग्री का इंतजाम कर लें। देखें यहां सामग्री लिस्ट- दिवाली पूजा की सामग्री मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर को 1 बजकर 16 मिनट तक चतुर्दशी रहेगी और फिर अमावस्या लागू हो जाएगी। यही कारण है कि 14 नवंबर को ही लक्ष्मी पूजन किया जाएगा। शाम के 5 बजकर 40 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट का मुहूर्त सबसे ऊत्तम माना गया है। इस शुभ मुहूर्त के समय लक्ष्मी और गणेश पूजा की जा सकती है। Read the full article
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दिवाली 2020 : सालों बाद शनिवार के दिन पड़ रही दिवाली, जानिए गृहस्थ और व्यापारियों के लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
चैतन्य भारत न्यूज कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर हर साल दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बुद्��ि के दाता भगवान गणेश और धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है ताकि उनका आशीर्वाद हमेशा परिवार पर बना रहे। जिससे घर में सुख-शांति के साथ समृद्धि भी बनी रहे। धार्मिक मान्यता है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी घर-घर जाकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं इसलिए दिवाली से पहले घर की साफ-सफाई और रंगाई-पुताई की जाती है। कई सालों बाद इस बार दिवाली शनिवार को मनाई जाएगी। यह बेहद दुर्लभ संयोग है। इस साल दिवाली 14 नवंबर 2020 को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यों के मुता��िक, शनिवार और शनि का स्वराशि मकर में होना सभी के लिए ला��कारी रहेगा। इसके अलावा 17 साल बाद दिवाली सर्वार्थ सिद्धि योग में सेलिब्रेट की जाएगी। इसके पहले ऐसा शुभ मुहूर्त साल 2003 में बना था। दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जानिए लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त- दिवाली 2020 पर लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:24 तक। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 14 नवंबर की शाम 5:49 से 6:02 बजे तक। प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात 8:12 तक। वृषभ काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से रात 7:24 तक। लक्ष्मी पूजा 2020: चौघड़िया मुहूर्त दोपहर: 14 नवंबर की दोपहर 02:17 से शाम को 04:07 तक। शाम: 14 नवंबर की शाम को 05:28 से शाम 07:07 तक। रात्रि: 14 नवंबर की रात 08:47 से देर रात 01:45 तक। प्रात:काल: 15 नवंबर को सुबह 05:04 से 06:44 तक। गृहस्थों के लिए लक्ष्मी पूजा 2020 मुहूर्त- सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:49 से 6:02 बजे तक। प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक। वृषभ काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से रात्रि 7:24 तक। सिंह लग्न मुहूर्त: 14 नवंबर की मध्य रात्रि 12:01 से देर रात 2:19 तक। व्यापारियों के लिए लक्ष्मी पूजा मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:09 से शाम 04:05 तक। अमावस्या तिथि इस साल अमावस्या तिथि 14 नवंबर से प्रारंभ होकर 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। ऐसे में दिवाली 14 नवंबर को मनाई जाएगी। चूंकि दीपावली अमावस्या तिथि की रात और लक्ष्मी पूजन अमावस्या की शाम को होता है, इसलिए 14 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। Read the full article
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दिवाली 2019 : पटाखे जलाते समय इन बातों का खासतौर से रखें ख्याल
चैतन्य भारत न्यूज इस साल दिवाली का पर्व 27 अक्टूबर है। इस दिन पटाखे जलाकर इस त्योहार का जश्न मनाया जाता है। लेकिन इस दौरान जरा-सी लापरवाही भी परेशानी का सबब बन जाती है, इसलिए पटाखे जलाने के दौरान इन खास बातों का ख्याल रखें। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
इन बातों का रखें ध्यान बेहद नजदीक से या हाथ मेें पकड़कर पटाखे न जलाएं। पटाखा न जलने पर तुरंत उसके पास न जाएं। हो सकता है वह अचानक फट जाए। बहुत तेज शोर करने वाले पटाखों और बमों से दूर रहें। जब बच्चें पटाखे जला रहे हो तो माता-पिता या फिर घर के किसी बड़े का साथ में होना जरुरी है। पटाखे फोड़ते वक्त कॉटन या सूती कपड़े पहनें और नायलॉन या सिंथेटिक कपड़े पहनने की गलती कभी न करें। शराब आदि पीकर पटाखे न जलाएं। ऐसे में कई बार सावधानी हटने से हादसे हो जाते हैं।
पटाखे जलाने के लिए मोमबत्ती या लंबी लकड़ी का इस्तेमाल करें। माचिस से आग लगाना खतरनाक हो सकता है। पटाखे जलाते समय पास में एक बाल्टी पानी और बरनॉल क्रीम जरूर रखें। एक बार में एक ही पटाखा चलाएं। एक साथ कई पटाखे फोड़ने की हालत में आपका ध्यान बंट सकता है और यही लापरवाही हादसे की वजह बन जाती है। पटाखों की आवाज से यदि कान सुन्न होने, कम सुनने, सीटी बजने जैसी आवाज महसूस हो तो देर किए बिना चिकित्सक से संपर्क करें। पटाखे को टिन या शीशे की बोतल में रखकर कभी न चलाएं।
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इन 5 पौराणिक कथाओं में छिपा है दिवाली मनाने का रहस्य
चैतन्य भारत न्यूज दीपावली का पर्व पांच दिनों का होता है। इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है और समापन भाई दूज से होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम ये खूबसूरत त्योहार क्यों मनाते हैं? कभी सोचा है कि इस पावन पर्व की शुरूआत कब हुई? आइए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); श्रीकृष्ण के हाथों नरकासुर का वध
पुराणों के मुताबिक, नरकासुर नामक राक्षस ने देवता और साधु संतों को परेशान किया हुआ था। राक्षस नरकासुर ने एक दिन देवताओं और संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंधक बना लिया। तब भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को राक्षस नरकासुर का वध कर दिया और 16 हजार स्त्रियों को उसकी कैद से आजाद कराया। तब से उन सभी को 16 हजार पट रानियां के नाम से जाने जाना लगा और कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से पूजा जाने लगा। श्रीराम का अयोध्या आगमन
रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम ��ब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी। तब से दिवाली का यह पर्व हर वर्ष मनाया जाने लगा। गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा
पुराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार बारिश से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था तो गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। पांडवों की घर वापसी
दीवाली को लेकर एक कथा पांडवों के घर लौटने को लेकर भी प्रचलित है। पुराणों के मुताबिक, पांडवों को भी वनवास भोगना पड़ा था, जिसके बाद पांडव घर लौटे और इसी खुशी में पूरी नगरी को जगमग किया गया और तभी से दिवाली की शुरूआत हुई। भाई दूज
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नरकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे, तब उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त इस बार अयोध्या में होगी सबसे भव्य दिवाली, 3.21 लाख दीप जलेंगे, नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी आखिर क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? जानिए इसकी पौराणिक कथा Read the full article
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इन 5 पौराणिक कथाओं में छिपा है दिवाली मनाने का रहस्य
चैतन्य भारत न्यूज दीपावली का पर्व पांच दिनों का होता है। इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है और समापन भाई दूज से होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम ये खूबसूरत त्योहार क्यों मनाते हैं? कभी सोचा है कि इस पावन पर्व की शुरूआत कब हुई? आइए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); श्रीकृष्ण के हाथों नरकासुर का वध
पुराणों के मुताबिक, नरकासुर नामक राक्षस ने देवता और साधु संतों को परेशान किया हुआ था। राक्षस नरकासुर ने एक दिन देवताओं और संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंधक बना लिया। तब भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को राक्षस नरकासुर का वध कर दिया और 16 हजार स्त्रियों को उसकी कैद से आजाद कराया। तब से उन सभी को 16 हजार पट रानियां के नाम से जाने जाना लगा और कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से पूजा जाने लगा। श्रीराम का अयोध्या आगमन
रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी। तब से दिवाली का यह पर्व हर वर्ष मनाया जाने लगा। गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा
पुराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार बारिश से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था तो गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। पांडवों की घर वापसी
दीवाली को लेकर एक कथा पांडवों के घर लौटने को लेकर भी प्रचलित है। पुराणों के मुताबिक, पांडवों को भी वनवास भोगना पड़ा था, जिसके बाद पांडव घर लौटे और इसी खुशी में पूरी नगरी को जगमग किया गया और तभी से दिवाली की शुरूआत हुई। भाई दूज
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नरकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे, तब उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त इस बार अयोध्या में होगी सबसे भव्य दिवाली, 3.21 लाख दीप जलेंगे, नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी आखिर क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? जानिए इसकी पौराणिक कथा Read the full article
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भारत के इन शहरों में बड़े ही अनोखे अंदाज में मनाई जाती है दिवाली, जानिए यहां की परंपरा और विशेषता
चैतन्य भारत न्यूज दीपों का त्योहार दिवाली वैसे तो पूरे भारत में बड़ी ही धूम-धाम से मनाई जाती है, लेकिन सभी जगहों पर यह त्योहार मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के कुछ शहरों के बारे में जहां दिवाली बहुत ही अलग तरीकों से मनाई जाती है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); वाराणसी
देवताओं की भूमि कहें जाने वाले वाराणसी शहर में बहुत ही खास तरीके से दिवाली मनाई जाती है। यहां पर दिवाली मुख्य रूप से गंगा नदी के किनारे मनाई जाती है। गंगा नदी के घाट को लाखों दीयों से सजाया जाता है। दरअसल यहां मान्यता प्रचलित है कि इस दिन सभी देवी-देवता गंगा नदी में स्नान करने आते है। उन्हीं के ��म्मान में पूरे गंगा घाट को लाखों दीयों से प्रज्वलित किया जाता है। गोवा
यहां की दिवाली बेहद अनोखी मानी जाती है। गोवा में दिवाली के दिन नरकासुर का पुतला बनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसी कारण से यहां नरकासुर का पुतला बनाने की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इसके अलावा दिवाली पर गोवा के प्रसिद्ध कसिनों में खास जुएं का आयोजन भी किया जाता है। अमृतसर
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, उसी तरह यहां की दिवाली भी विश्व प्रसिद्ध है। यहां दिवाली पर स्वर्ण मंदिर को लाखों दीयों और रंग-बिरंगी लाइट से सजाया जाता है। दरअसल सिखों के लिए दिवाली एक खास महत्व रखती है क्योंकि सिख धर्म में मान्यता है कि इसी दिन इनके छठें गुरु श्री हरगोबिंदजी जेल से रिहा होकर आए थे। इसलिए अमृतसर में दिवाली बहुत ही अनोखे अंदाज में मनाई जाती है। जयपुर और उदयपुर
दिवाली मनाने के लिए जयपुर और उदयपुर को भी बहुत खास मान�� जाता है। दिवाली के दिन जयपुर के प्रसिद्ध किलों को और उदयपुर की प्रसिद्ध झीलों को रोशनी से सजाया जाता है। दिवाली की सजावट के बाद यहां के नजारों में चार चांद लग जाते हैं। कोलकाता
कोलकाता में दिवाली का त्योहार बहुत उत्साह व उमंग से मनाया जाता है। खास बात यह है कि दिवाली के दिन यहां पर देवी लक्ष्मी की नहीं बल्कि देवी दुर्गा की पूजा की जाती हैं और यही बात कोलकाता की दिवाली को खास बनाती है। यहां पर दिवाली तीन दिनों का त्योहार होता हैं। इस दौरान सभी घरों में खास तरीके से रंगोली बनाई जाती है। यह भी पढ़े... त्योहारों से भरा है अक्टूबर का महीना, जानें किस दिन है दशहरा-दिवाली समेत कई महत्वपूर्ण तीज-त्योहार Read the full article
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इस शुभ मुहूर्त में करें मां लक्ष्मी की पूजा, जानिए पूजा-विधि और जरुरी पूजन सामग्री
चैतन्य भारत न्यूज हिंदुओं के सबसे प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक दिवाली का त्योहार खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इस साल देशभर में 27 अक्टूबर के दिन दिवाली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। दिवाली की शाम को शुभ मुहुर्त में माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि दिवाली की रात को धन की देवी लक्ष्मी जिसके भी घर में ठहरती हैं उनके घर पर धन-संपदा की कभी भी कोई कमी नहीं रहती। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
मां लक्ष्मी की पूजन-विधि सबसे पहले अपने घर के मंदिर में या फिर उत्तर दिशा वाली जगह पर साफ सफाई करके वहां लकड़ी की चौकी रखें। इसके बाद उस पर एक लाल रंग का आसन बिछाएं और इसके बीचों बीच मुट्ठी भर अनाज रख दें। अब अनाज के ऊपर स्वर्ण, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश रखे। इस कलश में तीन चौथाई पानी भरें और थोड़ा गंगाजल मिला दें। इसके बाद कलश में सुपारी, सिक्का, फूल, और अक्षत डाल दें। इसके बाद इसमें आम के पांच पत्ते लगा दें। इसके बाद मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उसके ऊपर मां लक्ष्मी की मूर्ति रख दें। इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
ओम् श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमले प्रसीद प्रसीद। ओम् श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।। दिवाली पूजा की साम्रगी दिवाली पूजा के लिए रोली यानी टीका, चावल (अक्षत), पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी, तेल, दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए और इससे ज्यादा दिये अपनी श्रृद्धानुसार एकत्रित कर लें।
ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त इसलिए मनाई जाती है छोटी दिवाली, जानिए इस दिन दीपक जलाने का महत्व इस दिवाली प��ाखे जलाने पर खानी पड़ सकती है जेल की हवा, लग सकता है 10 करोड़ तक का जुर्माना Read the full article
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दिवाली से पहले इन 9 चीजों को घर लाने से होगा लाभ
चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली इस बार 27 अक्टूबर को है। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में लक्ष्मी माता और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। पूजा के अलावा दिवाली से पहले घर में कुछ चीजें लाने से भी धन और समृद्धि आती है। कहा जाता है कि इन चीजों को घर में लाकर रखने से धन संबंधी दोष खत्म हो जाते हैं। आइए जानते हैं कौन-कौनसी हैं वो चीजें। श्रीयंत्र
देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए आप अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना और पूजा जरूर करें। बता दें श्रीयंत्र में मां लक्ष्मी के अलावा 33 अन्य देवी-देवाताओं के चित्र भी बने हुए होते हैं। इसे घर में लाने सुख-समृद्धि आती है और भाग्य बढ़ता है। हत्था जोड़ी
शनिवार या फिर मंगलवार को घर में हत्था जोड़ी जरूर लेकर आएं। फिर इसे आप एक लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख दें। मोती शंख
मोती-शंख को घर लाकर इसकी विधि-विधान से पूजा करने के बाद आप अपनी तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इसे तिजोरी में रखने से पैसा टिकने लगता है और आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है। लक्ष्मी कौड़ी
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां लक्ष्मी समुद्र से उत्पन्न हुईं थीं और कौड़ी भी समुद्र से ही निकलती है। इसलिए कौड़ी मां लक्ष्मी को अपनी ओर आकर्षित करती है। शास्त्रों में कौड़ियों को मां लक्ष्मी से जुड़ा माना गया है। तिजोरी में कौड़ियों को धन के साथ ही रखें। गोमती चक्र
बता दें यह चक्र गुजरात की गोमती नदी में ही पाया जाता है। इसे सुदर्शन चक्र भी कहते हैं। मान्यता है कि, यदि आप गोमती चक्र को पीले कपड़े में 11 चक्र बांध कर इसे किसी सुरक्षित स्थान पर रखते हैं, तो आपको कभी भी पैसों से संबंधित परेशानी नहीं आएगी। आक या मदार की जड़
शुक्रवार को पूरे विधि-विधान से सफेद आकड़े की जड़ों की पूजा करें। इसके बाद इन्हें अपनी तिजोरी में रखें। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। दक्षि��ावर्ती शंख
दक्षिणावर्ती शंख का शास्त्रों में विशेष महत्व है। एक बड़े लाल कपड़े में दक्षिणावर्ती शंख को अच्छे से लपेटकर ‘ॐ श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:’ का जाप करने के बाद धन रखने के स्थान पर रख दें। लघु नारियल
ऐसी मान्यता है कि लघु नारियल मां लक्ष्मी की कृपा बरसाता है। यह सामान्य नारियल से आकार में थोड़ा छोटा होता है। 11 लघु नारियलों को एक लाल रंग के कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखने से बरकत होती है। कमल गट्टा
कमल गट्टा कमल के बीज से बनता है। बता दें मां लक्ष्मी को 'कमला' भी कहा जाता है। कमल के पांचों ही अंगों में देवी कमला का वास होता है। ऐसे में कमल गट्टे की माला को मां लक्ष्मी को पहनाकर पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त साप्ताहिक राशिफल : इन पांच राशियों लिए बेहद खास है यह सप्ताह, जानिए अपना भाग्य Read the full article
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इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त
चैतन्य भारत न्यूज इस साल देशभर में 27 अक्टूबर के दिन दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। दिवाली की शाम को शुभ मुहुर्त में माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना होती है। देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं। मान्यता है कि दिवाली की रात को धन की देवी लक्ष्मी जिसके भी घर में ठहरती हैं उनके घर पर धन-संपदा की कभी भी कोई कमी नहीं रहती। खास बात यह है कि इस साल दिवाली पर एक खास संयोग भी बनने जा रहा हैं जो बहुत शुभ फल देने वाला है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
दिवाली का शुभ संयोग हर साल दिवाली अमावस्या के दिन पड़ती है परंतु इस वर्ष दिवाली पर दर्श अमावस्या का संयोग बन रहा है। आध्यात्मिक दृष्टि से दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा की पूजा लाभकारी मानी जाती है। इस दिन चांद पूरा दिखाई नही देता है साथ ही इस दिन व्रत का अपना महत्त्व होता है। मान्यता है कि, इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से दुख दूर होते है और लोगों को बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। इस दिन चंद्र दर्शन से भाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है।
दिवाली शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजन महूर्त- शाम 6.43 से रात 8.14 तक प्रदोष काल महूर्त- शाम 5.40 से रात 8.14 तक यह भी पढ़े... त्योहारों से भरा है अक्टूबर का महीना, जानें किस दिन है दशहरा-दिवाली समेत कई महत्वपूर्ण तीज-त्योहार Read the full article
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