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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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इन 5 पौराणिक कथाओं में छिपा है दिवाली मनाने का रहस्य
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चैतन्य भारत न्यूज दीपावली का पर्व पांच दिनों का होता है। इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है और समापन भाई दूज से होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम ये खूबसूरत त्योहार क्यों मनाते हैं? कभी सोचा है कि इस पावन पर्व की शुरूआत कब हुई? आइए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); श्रीकृष्ण के हाथों नरकासुर का वध
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पुराणों के मुताबिक, नरकासुर नामक राक्षस ने देवता और साधु संतों को परेशान किया हुआ था। राक्षस नरकासुर ने एक दिन देवताओं और संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंधक बना लिया। तब भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को राक्षस नरकासुर का वध कर दिया और 16 हजार स्त्रियों को उसकी कैद से आजाद कराया। तब से उन सभी को 16 हजार पट रानियां के नाम से जाने जाना लगा और कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से पूजा जाने लगा। श्रीराम का अयोध्या आगमन
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रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी। तब से दिवाली का यह पर्व हर वर्ष मनाया जाने लगा। गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा
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पुराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार बारिश से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था तो गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। पांडवों की घर वापसी
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दीवाली को लेकर एक कथा पांडवों के घर लौटने को लेकर भी प्रचलित है। पुराणों के मुताबिक, पांडवों को भी वनवास भोगना पड़ा था, जिसके बाद पांडव घर लौटे और इसी खुशी में पूरी नगरी को जगमग किया गया और तभी से दिवाली की शुरूआत हुई। भाई दूज
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पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नरकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे, तब उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त इस बार अयोध्या में होगी सबसे भव्य दिवाली, 3.21 लाख दीप जलेंगे, नया वर्ल्�� रिकॉर्ड बनाने की तैयारी आखिर क्‍यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? जानिए इसकी पौराणिक कथा Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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इन 5 पौराणिक कथाओं में छिपा है दिवाली मनाने का रहस्य
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चैतन्य भारत न्यूज दीपावली का पर्व पांच दिनों का होता है। इसका प्रारंभ धनतेरस से होता है और समापन भाई दूज से होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम ये खूबसूरत त्योहार क्यों मनाते हैं? कभी सोचा है कि इस पावन पर्व की शुरूआत कब हुई? आइए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); श्रीकृष्ण के हाथों नरकासुर का वध
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पुराणों के मुताबिक, नरकासुर नामक राक्षस ने देवता और साधु संतों को परेशान किया हुआ था। राक्षस नरकासुर ने एक दिन देवताओं और संतों की 16 हजार स्त्रियों को बंधक बना लिया। तब भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को राक्षस नरकासुर का वध कर दिया और 16 हजार स्त्रियों को उसकी कैद से आजाद कराया। तब से उन सभी को 16 हजार पट रानियां के नाम से जाने जाना लगा और कार्तिक मास कृष्ण प��्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से पूजा जाने लगा। श्रीराम का अयोध्या आगमन
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रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम जब लंका के राजा रावण का वध कर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से जगमगा रही थी। भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या आगमन पर दिवाली मनाई गई थी। तब से दिवाली का यह पर्व हर वर्ष मनाया जाने लगा। गोवर्धन पूजा या अन्नकूट पूजा
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पुराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार बारिश से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था तो गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह पर्व अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा। पांडवों की घर वापसी
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दीवाली को लेकर एक कथा पांडवों के घर लौटने को लेकर भी प्रचलित है। पुराणों के मुताबिक, पांडवों को भी वनवास भोगना पड़ा था, जिसके बाद पांडव घर लौटे और इसी खुशी में पूरी नगरी को जगमग किया गया और तभी से दिवाली की शुरूआत हुई। भाई दूज
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पौराणिक मान्यता के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि नरकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे, तब उनकी बहन ने उनका फूलों और आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था। जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त इस बार अयोध्या में होगी सबसे भव्य दिवाली, 3.21 लाख दीप जलेंगे, नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी आखिर क्‍यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी? जानिए इसकी पौराणिक कथा Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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इस शुभ मुहूर्त में करें मां लक्ष्मी की पूजा, जानिए पूजा-विधि और जरुरी पूजन सामग्री
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चैतन्य भारत न्यूज हिंदुओं के सबसे प्रमुख और बड़े त्‍योहारों में से एक दिवाली का त्योहार खुशहाली, समृद्धि, शांति और सकारात्‍मक ऊर्जा का प्रतीक है। इस साल देशभर में 27 अक्टूबर के दिन दिवाली का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। दिवाली की शाम को शुभ मुहुर्त में माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि दिवाली की रात को धन की देवी लक्ष्मी जिसके भी घर में ठहरती हैं उनके घर पर धन-संपदा की कभी भी कोई कमी नहीं रहती। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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मां लक्ष्मी की पूजन-विधि सबसे पहले अपने घर के मंदिर में या फिर उत्तर दिशा वाली जगह पर साफ सफाई करके वहां लकड़ी की चौकी रखें। इसके बाद उस पर एक लाल रंग का आसन बिछाएं और इसके बीचों बीच मुट्ठी भर अनाज रख दें। अब अनाज के ऊपर स्‍वर्ण, चांदी, तांबे या मिट्टी का कलश रखे। इस कलश में तीन चौथाई पानी भरें और थोड़ा गंगाजल मिला दें। इसके बाद कलश में सुपारी, सिक्का, फूल, और अक्षत डाल दें। इसके बाद इसमें आम के पांच ��त्ते लगा दें। इसके बाद मां लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उसके ऊपर मां लक्ष्‍मी की मूर्ति रख दें। इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
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ओम् श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमले प्रसीद प्रसीद। ओम् श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।। दिवाली पूजा की साम्रगी दिवाली पूजा के लिए रोली यानी टीका, चावल (अक्षत), पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी, तेल, दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए और इससे ज्यादा दिये अपनी श्रृद्धानुसार एकत्रित कर लें।
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ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त इसलिए मनाई जाती है छोटी दिवाली, जानिए इस दिन दीपक जलाने का महत्व इस दिवाली पटाखे जलाने पर खानी पड़ सकती है जेल की हवा, लग सकता है 10 करोड़ तक का जुर्माना Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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दिवाली से पहले इन 9 चीजों को घर लाने से होगा लाभ
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चैतन्य भारत न्यूज हिंदू धर्म का सबसे ��ड़ा त्योहार दिवाली इस बार 27 अक्टूबर को है। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में लक्ष्मी माता और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। पूजा के अलावा दिवाली से पहले घर में कुछ चीजें लाने से भी धन और समृद्धि आती है। कहा जाता है कि इन चीजों को घर में लाकर रखने से धन संबंधी दोष खत्म हो जाते हैं। आइए जानते हैं कौन-कौनसी हैं वो चीजें। श्रीयंत्र
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देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए आप अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना और पूजा जरूर करें। बता दें श्रीयंत्र में मां लक्ष्मी के अलावा 33 अन्य देवी-देवाताओं के चित्र भी बने हुए होते हैं। इसे घर में लाने सुख-समृद्धि आती है और भाग्य बढ़ता है। हत्था जोड़ी
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शनिवार या फिर मंगलवार को घर में हत्था जोड़ी जरूर लेकर आएं। फिर इसे आप एक लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख दें। मोती शंख
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  मोती-शंख को घर लाकर इसकी विधि-विधान से पूजा करने के बाद आप अपनी तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इसे तिजोरी में रखने से पैसा टिकने लगता है और आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है। लक्ष्मी कौड़ी
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, मां लक्ष्मी समुद्र से उत्पन्न हुईं थीं और कौड़ी भी समुद्र से ही निकलती है। इसलिए कौड़ी मां लक्ष्मी को अपनी ओर आकर्षित करती है। शास्त्रों में कौड़ियों को मां लक्ष्मी से जुड़ा माना गया है। तिजोरी में कौड़ियों को धन के साथ ही रखें। गोमती चक्र
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बता दें यह चक्र गुजरात की गोमती नदी में ही पाया जाता है। इसे सुदर्शन चक्र भी कहते हैं। मान्यता है कि, यदि आप गोमती चक्र को पीले कपड़े में 11 चक्र बांध कर इसे किसी सुरक्षित स्थान पर रखते हैं, तो आपको कभी भी पैसों से संबंधित परेशानी नहीं आएगी। आक या मदार की जड़
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शुक्रवार को पूरे विधि-विधान से सफेद आकड़े की जड़ों की पूजा करें। इसके बाद इन्हें अपनी तिजोरी में रखें। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। दक्षिणावर्ती शंख
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दक्षिणावर्ती शंख का शास्त्रों में विशेष महत्व है। एक बड़े लाल कपड़े में दक्षिणावर्ती शंख को अच्छे से लपेटकर ‘ॐ श्री लक्ष्मी सहोदराय नम:’ का जाप करने के बाद धन रखने के स्थान पर रख दें। लघु नारियल 
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ऐसी मान्यता है कि लघु नारियल मां लक्ष्मी की कृपा बरसाता है। यह सामान्य नारियल से आकार में थोड़ा छोटा होता है। 11 लघु नारियलों को एक लाल रंग के कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखने से बरकत होती है। कमल गट्टा
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कमल गट्टा कमल के बीज से बनता है। बता दें मां लक्ष्मी को 'कमला' भी कहा जाता है। कमल के पांचों ही अंगों में देवी कमला का वास होता है। ऐसे में कमल गट्टे की माला को मां लक्ष्मी को पहनाकर पूजा करने से घर में समृद्धि आती है। ये भी पढ़े... इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त साप्ताहिक राशिफल : इन पांच राशियों लिए बेहद खास है यह सप्‍ताह, जानिए अपना भाग्य Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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इस बार दिवाली पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मां लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त
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चैतन्य भारत न्यूज इस साल देशभर में 27 अक्टूबर के दिन दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। दिवाली की शाम को शुभ मुहुर्त में माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना होती है। देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं। मान्यता है कि दिवाली की रात को धन की देवी लक्ष्मी जिसके भी घर में ठहरती हैं उनके घर पर धन-संपदा की कभी भी कोई कमी नहीं रहती। खास बात यह है कि इस साल दिवाली पर एक खास संयोग भी बनने जा रहा हैं जो बहुत शुभ फल देने वाला है। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({});
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दिवाली का शुभ संयोग हर साल दिवाली अमावस्या के दिन पड़ती है परंतु इस वर्ष दिवाली पर दर्श अमावस्या का संयोग बन रहा है। आध्यात्मिक दृष्टि से दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा की पूजा लाभकारी मानी जाती है। इस दिन चांद पूरा दिखाई नही देता है साथ ही इस दिन व्रत का अपना महत्त्व होता है। मान्यता है कि, इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से दुख दूर होते है और लोगों को बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है। इस दिन चंद्र दर्शन से भाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है।
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दिवाली शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजन महूर्त- शाम 6.43 से रात 8.14 तक प्रदोष काल महूर्त- शाम 5.40 से रात 8.14 तक यह भी पढ़े... त्योहारों से भरा है अक्टूबर का महीना, जानें किस दिन है दशहरा-दिवाली समेत कई महत्वपूर्ण तीज-त्योहार Read the full article
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