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Char Dham Yatra Route 2025
The Char Dham Yatra 2025 Route is well-established and covers key stops in Uttarakhand. The route starts from Yamunotri then the route proceeds to Gangotri, Kedarnath, and finally reaches to Badrinath.
This is the most common route that people generally prefer:
Haridwar-Barkot-Janki Chatti-Yamunotri-Uttarkashi-Gangotri-Rudraprayag-Gaurikund-Kedarnath-Gaurikund-Rudraprayag-Badrinath-Rishikesh-Haridwar
Haridwar - Barkot (Yamunotri): 2-3 days
Barkot - Uttarkashi (Gangotri): 2 days
Uttarkashi - Gaurikund (Kedarnath): 3 days
Gaurikund - Badrinath: 2 days
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Chardham Yatra 2025 All Details of Opening Dates
Char Dham Yatra is a sacred tradition. According to Hindu belief Char Dham Yatra cleanses sins and gives eternal peace. These shrines are believed to be earthly abodes of gods and goddesses each with its own significance in Hindu mythology.
The tradition of Char Dham Yatra is centuries old and was popularised by Adi Shankaracharya in 8th century. The great philosopher wanted to unite Hindus and emphasized the importance of Char Dham Yatra. The journey starts from Yamunotri and goes to Gangotri, Kedarnath and ends at Badrinath.
The Char Dham Yatra 2025 is a journey to four holy places - Yamunotri, Gangotri, Kedarnath and Badrinath. This ancient pilgrimage is a part of Hindu tradition and attracts millions of devotees every year to the Himalayas where nature is as majestic as the divine significance of these places. Each Dham is more than a destination, it’s a powerhouse of divine energy where you can discover yourself and get spiritual rejuvenation.
Did you know? The Char Dham Yatra is 1607 km long and passes through breathtaking landscapes that will test your body and soul. As you move from one Dham to another, you are not just moving physically but introspectively too and that will lead to your personal transformation.
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Chardham Yatra 2025 - All Details of Opening Dates
We are living in a world that is always demanding our attention. But we need to take a step back and reconnect with our inner self. The search for inner peace and happiness is a journey many of us embark upon and often lead us to sacred places that give us solace and divine energy. Char Dham Yatra is one of the most revered pilgrimages in India, taking you through the breathtaking landscapes of Uttarakhand where the spiritual meets the beautiful.
If you’re looking for a transformative experience that will nourish your soul and lift your spirit, get ready for Char Dham Yatra 2025 - a journey that promises not just adventure but enlightenment.
Char Dham Yatra 2025 is opening on Akshaya Tritiya day which falls in late April or early May. On this day special pujas are performed and temples are opened for devotees. Thousands of pilgrims gather at each Dham for the opening ceremonies. Each Dham has its own opening tradition but all are filled with celebrations and devotion.
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वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, कभी ये हुआ करता था भोलेनाथ का निवास, लेकिन भगवान विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा
चैतन्य भारत न्यूज केदारनाथ के बाद आज यानी 15 मई को ब्रह्ममुहूर्त बद्रीनाथ के भी कपाट खुल चुके हैं। शुक्रवार सुबह 4 बजकर 30 मिनट के शुभमहूर्त पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। कहा जाता है कि बद्रीनाथ धाम में छह महीने मानव और छह महीने देव पूजा करते हैं। अगले छह महीने तक यहां श्रद्धा��ु दर्शन कर सकते हैं और फिर मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं।
गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा शुरू हो गई थी। फिर 29 अप्रैल की सुबह पूजा-अर्चना के साथ केदारनाथ के कपाट खोले गए थे। इसके बाद आज बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। इस मौके पर बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी, धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी व अन्य पूजा स्थलों से जुड़े 11 लोग ही शामिल हुए। कोरोना लॉकडाउन की वजह से इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कपाट खुलते वक्त धाम में श्रद्धालु मौजूद नहीं थे। मंदिर को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था जो बिजली की रोशनी से जगमग होकर अनूठी आभा बिखेर रहा था। कपाट खुलने के बाद वेद मंत्रों की ध्वनियों से पूरी बद्रीशपुरी गुंजायमान हो गई। बद्रीनाथ में आज होने वाला विष्णु सहस्त्रनाम पाठ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की होगी। देश को कोरोना से मुक्ति की कामना की जाएगी।
बता दें बद्रीनाथ में पहले भगवान शिव निवास करते थे लेकिन फिर यहां भगवान विष्णु रहने लगे। शिव और विष्णु ��क-दूसरे के आराध्य थे। आइये आपको बताते हैं आखिर क्यों भगवान शिव को उनका निवास स्थान छोड़ना पड़ा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बद्रीनाथ में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ निवास करते थे। एक बार भगवान विष्णु ध्यान के लिए एकांत स्थान खोज रहे थे। ऐसे में उन्हें बद्रीनाथ काफी पसंद आया। लेकिन वहां पहले से ही शंकर जी रहते थे। फिर भगवान विष्णु ने एक तरकीब खोजी। उन्होंने एक छोटे बच्चे का भेष धारण कर लिया और जोर-जोर से रोने लगे। फिर माता पार्वती ने उन्हें घर से बाहर आकर चुप कराने की कोशिश की। जैसे ही माता पार्वती उस बच्चे को घर के अंदर लेकर जाने लगीं तो भोलेनाथ को भगवान विष्णु की लीला को समझने में देर न लगी। भोलेनाथ ने माता पार्वती को मना भी किया लेकिन उन्होंने किसी की एक न सुनी। घर के अंदर लाने के बाद माता पार्वती ने उस बच्चे को थपकी देकर सुला दिया। जब बच्चा सो गया तो माता पार्वती कमरे से बाहर आ गईं। फिर बच्चे का भेष धारण किए भगवान विष्णु ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। जब भगवान शिव वापस आए तो बोले कि- मुझे ध्यान के लिए ये जगह बहुत पसंद आ गई है। आप कृपा करने परिवार सहित केदारनाथ धाम प्रस्थान करिए। भगवान विष्णु ने कहा- मैं भविष्य में अपने भक्तों को यहीं दर्शन दूंगा। बस तब से ही बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का और केदारनाथ धाम भगवान शिव का निवास स्थल बन गया। ये भी पढ़े... चारधाम यात्रा 2020: लॉकडाउन के बीच शुभ मुहूर्त में विधि विधान के साथ खुले गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट, पीएम मोदी के नाम से हुई प्रथम पूजा मुहूर्त में ही खुलेंगे चार धाम के कपाट, लॉकडाउन के कारण आम जनता नहीं कर सकेगी दर्शन! 6 माह के लिए खुले बाबा केदारनाथ धाम के कपाट, नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर यहां प्रकट हुए थे भोलेनाथ Read the full article
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बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, कभी ये हुआ करता था भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा
चैतन्य भारत न्यूज केदारनाथ के बाद आज यानी 10 मई को बद्रीनाथ के भी कपाट खुल चुके हैं। शुक्रवार सुबह 4 बजकर 15 मिनट के शुभमहूर्त पर भक्तों ने भगवान बद्रीनाथ के दर्शन किए। कहा जाता है कि बद्रीनाथ धाम में छह महीने मानव और छह महीने देव पूजा करते हैं। अगले छह महीने तक यहां श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं और फिर मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं। Uttarakhand: The portals of Badrinath shrine have been thrown open for pilgrims early morning today. pic.twitter.com/u12IX6uB89 — ANI (@ANI) May 10, 2019 गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा शुरू हो गई थी। फिर 9 मई की सुबह पूजा-अर्चना के साथ केदारनाथ के कपाट खोले गए थे। अब बद्रीनाथ में भी भक्तों के दर्शन करने का सिलसिला शुरू हो गया। बता दें बद्रीनाथ में पहले भगवान शिव निवास करते थे लेकिन फिर यहां भगवान विष्णु रहने लगे। शिव और विष्णु एक-दूसरे के आराध्य थे। आइये आपको बताते हैं आखिर क्यों भगवान शिव को उनका निवास स्थान छोड़ना पड़ा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बद्रीनाथ में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ निवास करते थे। एक बार भगवान विष्णु ध्यान के लिए एकांत स्थान खोज रहे थे। ऐसे में उन्हें बद्रीनाथ काफी पसंद आया। लेकिन वहां पहले से ही शंकर जी रहते थे। फिर भगवान विष्णु ने एक तरकीब खोजी। उन्होंने एक छोटे बच्चे का भेष धारण कर लिया और जोर-जोर से रोने लगे। फिर माता पार्वती ने उन्हें घर से बाहर आकर चुप कराने की कोशिश की। जैसे ही माता पार्वती उस बच्चे को घर के अंदर लेकर जाने लगीं तो भोलेनाथ को भगवान विष्णु की लीला को समझने में देर न लगी। भोलेनाथ ने माता पार्वती को मना भी किया लेकिन उन्होंने किसी की एक न सुनी। घर के अंदर लाने के बाद माता पार्वती ने उस बच्चे को थपकी देकर सुला दिया। जब बच्चा सो गया तो माता पार्वती कमरे से बाहर आ गईं। फिर बच्चे का भेष धारण किए भगवान विष्णु ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। जब भगवान शिव वापस आए तो बोले कि- मुझे ध्यान के लिए ये जगह बहुत पसंद आ गई है। आप कृपा करने परिवार सहित केदारनाथ धाम प्रस्थान करिए। भगवान विष्णु ने कहा- मैं भविष्य में अपने भक्तों को यहीं दर्शन दूंगा। बस तब से ही बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का और केदारनाथ धाम भगवान शिव का निवास स्थल बन गया। ये भी पढ़े... हर-हर महादेव के जयकारों के साथ खुले बाबा केदारनाथ के कपाट, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, 15 कुंतल फूलों से हुई सजावट Read the full article
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मुहूर्त में ही खुलेंगे चार धाम के कपाट, लॉकडाउन के कारण आम जनता नहीं कर सकेगी दर्शन!
चैतन्य भारत न्यूज इस समय पूरा देश कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ रहा है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया है। तेजी से फैल रही इस जानलेवा बीमारी के चलते चार धाम यात्रा पर भी संशय गहराने लगा है। भक्त नहीं कर सकेंगे दर्शन जानकारी के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान चार धाम मंदिरों के कपाट तय समय पर ही खोले जा सकते हैं। लेकिन भक्त यहां कब दर्शन कर सकेंगे, इस बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि, इस समय केंद्र और राज्य सरकार के सामने कोरोना से लड़ने की बड़ी चुनौती है। चार धाम की यात्रा को लेकर अब कोई भी फैसला केंद्र सरकार के निर्देशों को ध्यान में रखकर ही लिया जाएगा। इस दिन खुलेंगे मंदिरों के कपाट बता दें कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते राज्य और जिलों की सभी सीमाएं भी बंद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 26-27 अप्रैल से खुलने जा रहे हैं। जबकि केदारनाथ और धाम के कपाट 29-30 अप्रैल को खुलेंगे। बता दें हर साल चार धाम यात्रा के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगा दी गई है। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, कोरोना वायरस से बचने के लिए और इसके बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना एकमात्र तरीका है। ऐसी स्थिति में सरकार चार धाम यात्रा पर भक्तों के जाने की मंजूरी देकर कोई भी खतरा उठाना नहीं चाहेगी। ये भी पढ़े... बद्रीनाथ धाम : कभी ये हुआ करता था भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा महाशिवरात्रि पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि का हुआ ऐलान, इस दिन दर्शन देंगे बाबा Read the full article
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