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वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, कभी ये हुआ करता था भोलेनाथ का निवास, लेकिन भगवान विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा
चैतन्य भारत न्यूज केदारनाथ के बाद आज यानी 15 मई को ब्रह्ममुहूर्त बद्रीनाथ के भी कपाट खुल चुके हैं। शुक्रवार सुबह 4 बजकर 30 मिनट के शुभमहूर्त पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। कहा जाता है कि बद्रीनाथ धाम में छह महीने मानव और छह महीने देव पूजा करते हैं। अगले छह महीने तक यहां श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं और फिर मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं।
गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा शुरू हो गई थी। फिर 29 अप्रैल की सुबह पूजा-अर्चना के साथ केदारनाथ के कपाट खोले गए थे। इसके बाद आज बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। इस मौके पर बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी, धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी व अन्य पूजा स्थलों से जुड़े 11 लोग ही शामिल हुए। कोरोना लॉकडाउन की वजह से इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कपाट खुलते वक्त धाम में श्रद्धालु मौजूद नहीं थे। मंदिर को 10 क्विंटल गेंदे के फूलों से सजाया गया था जो बिजली की रोशनी से जगमग होकर अनूठी आभा बिखेर रहा था। कपाट खुलने के बाद वेद मंत्रों की ध्वनियों से पूरी बद्रीशपुरी गुंजायमान हो गई। बद्रीनाथ में आज होने वाला विष्णु सहस्त्रनाम पाठ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की होगी। देश को कोरोना से मुक्ति की कामना की जाएगी।
बता दें बद्रीनाथ में पहले भगवान शिव निवास करते थे लेकिन फिर यहां भगवान विष्णु रहने लगे। शिव और विष्णु एक-दूसरे के आराध्य थे। आइये आपको बताते हैं आखिर क्यों भगवान शिव को उनका निवास स्थान छोड़ना पड़ा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बद्रीनाथ में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ निवास करते थे। एक बार भगवान विष्णु ध्यान के लिए एकांत स्थान खोज रहे थे। ऐसे में उन्हें बद्रीनाथ काफी पसंद आया। लेकिन वहां ��हले से ही शंकर जी रहते थे। फिर भगवान विष्णु ने एक तरकीब खोजी। उन्होंने एक छोटे बच्चे का भेष धारण कर लिया और जोर-जोर से रोने लगे। फिर माता पार्वती ने उन्हें घर से बाहर आकर चुप कराने की कोशिश की। जैसे ही माता पार्वती उस बच्चे को घर के अंदर लेकर जाने लगीं तो भोलेनाथ को भगवान विष्णु की लीला को समझने में देर न लगी। भोलेनाथ ने माता पार्वती को मना भी किया लेकिन उन्होंने किसी की एक न सुनी। घर के अंदर लाने के बाद माता पार्वती ने उस बच्चे को थपकी देकर सुला दिया। जब बच्चा सो गया तो माता पार्वती कमरे से बाहर आ गईं। फिर बच्चे का भेष धारण किए भगवान विष्णु ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। जब भगवान शिव वापस आए तो बोले कि- मुझे ध्यान के लिए ये जगह बहुत पसंद आ गई है। आप कृपा करने परिवार सहित केदारनाथ धाम प्रस्थान करिए। भगवान विष्णु ने कहा- मैं भविष्य में अपने भक्तों को यहीं दर्शन दूंगा। बस तब से ही बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का और केदारनाथ धाम भगवान शिव का निवास स्थल बन गया। ये भी पढ़े... चारधाम यात्रा 2020: लॉकडाउन के बीच शुभ मुहूर्त में विधि विधान के साथ खुले गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट, पीएम मोदी के नाम से हुई प्रथम पूजा मुहूर्त में ही खुलेंगे चार धाम के कपाट, लॉकडाउन के कारण आम जनता नहीं कर सकेगी दर्शन! 6 माह के लिए खुले बाबा केदारनाथ धाम के कपाट, नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर यहां प्रकट हुए थे भोलेनाथ Read the full article
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महाशिवरात्रि पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि का हुआ ऐलान, इस दिन दर्शन देंगे बाबा
चैतन्य भारत न्यूज महाशिवरात्रि के पवन अवसर पर पंचांग गणना कर केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि का ऐलान हो गया है। बाबा केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल की सुबह 6:10 बजे आम लोगों के दर्शन के लिए खोले जाएंगे। अगले छह माह तक भक्त केदार बाबा के दर्शन कर सकेंगे। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); इसके लिए ओंकारेश्वर मंदिर में खास तौर से तैयारियां की गई हैं। सुबह से ही बाबा की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। सुबह 9 बजे के बाद रावल गद्दी परिसर में हक-हकूकधारियों, आचार्यगणों, बीकेटीसी के पदाधिकारियों की मौजूदगी में पंचांग गणना के आधार पर केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि तय हुई। इसके बाद बाबा केदारनाथ की पंचमुखी भोगमूर्ति के चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान होकर धाम प्रस्थान का दिन भी तय किया गया। जानकारी के मुताबिक, ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में 25 अप्रैल को भगवान भैरवनाथ की पूजा की जाएगी। फिर 26 अप्रैल को बाबा केदारनाथ की पंचमुखी डोली धाम प्रस्थान करेगी। 27 अप्रैल को गौरीकुंड में रात्रि विश्राम किया जाएगा और 28 अप्रैल शाम को पंचमुखी डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। फिर 29 अप्रैल को मेष लग्न में सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे। केदारनाथ यात्रा के लिए ओंकारेश्वर में महायज्ञ पंडित रावल भीमाशंकर लिंग ने बताया कि, महाशिवरात्रि पर धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के तहत भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना के साथ कपाट खुलने की तिथि तय की जाती है। केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि तय होते ही यात्रा से संबंधित सभी तैयारियां भी शुरू हो जाती है। केदारनाथ यात्रा के कुशल संचालन के लिए ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में महायज्ञ भी होता है। महाशिवरात्रि पर दोपहर को कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
इस दिन खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट बता दें 30 अप्रैल को बाबा बद्रीनाथ धाम के भी कपाट खोल दिए जाएंगे। उनके कपाट सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर ब्रह्म मुहूर्त में आम श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। बता दें पिछले साल 17 नवंबर को शाम 5:13 बजे बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। ये भी पढ़े... अमरनाथ यात्रा 2020 का ऐलान, 23 जून से होगी शुरुआत, इन बैंकों से करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है केदारनाथ धाम, जानिए इस ज्योतिर्लिंग का इतिहास और महत्व बद्रीनाथ धाम: कभी ये हुआ करता था भग���ान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा हर-हर महादेव के जयकारों के साथ खुले बाबा केदारनाथ के कपाट, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, 15 कुंतल फूलों से हुई सजावट Read the full article
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बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, कभी ये हुआ करता था भगवान शिव का निवास स्थल लेकिन विष्णु ने धोखे से कर लिया था कब्जा
चैतन्य भारत न्यूज केदारनाथ के बाद आज यानी 10 मई को बद्रीनाथ के भी कपाट खुल चुके हैं। शुक्रवार सुबह 4 बजकर 15 मिनट के शुभमहूर्त पर भक्तों ने भगवान बद्रीनाथ के दर्शन किए। कहा जाता है कि बद्रीनाथ धाम में छह महीने मानव और छह महीने देव पूजा करते हैं। अगले छह महीने तक यहां श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं और फिर मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं। Uttarakhand: The portals of Badrinath shrine have been thrown open for pilgrims early morning today. pic.twitter.com/u12IX6uB89 — ANI (@ANI) May 10, 2019 गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा शुरू हो गई थी। फिर 9 मई की सुबह पूजा-अर्चना के साथ केदारनाथ के कपाट खोले गए थे। अब बद्रीनाथ में भी भक्तों के दर्शन करने का सिलसिला शुरू हो गया। बता दें बद्रीनाथ में पहले भगवान शिव निवास करते थे लेकिन फिर यहां भगवान विष्णु रहने लगे। शिव और विष्णु एक-दूसरे के आराध्य थे। आइये आपको बताते हैं आखिर क्यों भगवान शिव को उनका निवास स्थान छोड़ना पड़ा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बद्रीनाथ में भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ निवास करते थे। एक बार भगवान विष्णु ध्यान के लिए एकांत स्थान खोज रहे थे। ऐसे में उन्हें बद्रीनाथ काफी पसंद आया। लेकिन वहां पहले से ही शंकर जी रहते थे। फिर भगवान विष्णु ने एक तरकीब खोजी। उन्होंने एक छोटे बच्चे का भेष धारण कर लिया और जोर-जोर से रोने लगे। फिर माता पार्वती ने उन्हें घर से बाहर आकर चुप कराने की कोशिश की। जैसे ही माता पार्वती उस बच्चे को घर के अंदर लेकर जाने लगीं तो भोलेनाथ को भगवान विष्णु की लीला को समझने में देर न लगी। भोलेनाथ ने माता पार्वती को मना भी किया लेकिन उन्होंने किसी की एक न सुनी। घर के अंदर लाने के बाद माता पार्वती ने उस बच्चे को थपकी देकर सुला दिया। जब बच्चा सो गया तो माता पार्वती कमरे से बाहर आ गईं। फिर बच्चे का भेष धारण किए भगवान विष्णु ने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। जब भगवान शिव वापस आए तो बोले कि- मुझे ध्यान के लिए ये जगह बहुत पसंद आ गई है। आप कृपा करने परिवार सहित केदारनाथ धाम प्रस्थान करिए। भगवान विष्णु ने कहा- मैं भविष्य में अपने भक्तों को यहीं दर्शन दूंगा। बस तब से ही बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का और केदारनाथ धाम भगवान शिव का निवास स्थल बन गया। ये भी पढ़े... हर-हर महादेव के जयकारों के साथ खुले बाबा केदारनाथ के कपाट, हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, 15 कुंतल फूलों से हुई सजावट Read the full article
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