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webvartanewsagency · 4 years
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Alibaba ने भारत में बंद किया UC Browser और UC News का कारोबार
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New Delhi: जैसा कि सभी को पता है भारत द्वारा चीन की 59 ऐप्स बैन कर दी गई हैं। इन बैन हुई ऐप्स में अलीबाबा (Alibaba) की यूसी ब्राउजर (UC Browser और UC News) ऐप भी शामिल है। इसी के चलते चीन की सबसे बड़ी जैक मा के स्वामित्व मानी जाने वाली ई-कॉमर्स कंपनी Alibaba को अब भारत में कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। इसी के चलते अब अलीबाबा ने बड़ा फैसला लेते हुए भारत से कारोबार समेटने का और भारत के कार्यरत कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना लिया है। भारत से कारोबार समेट रही कंपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि UCWeb ने भारत में ब्राउजर और न्यूज ऐप के साथ ही शॉर्ट वीडियो ऐप Vmate का भी संचालन किया था। वहीं कंपनी के कुछ कर्मचारियों ने 15 जुलाई को एक पत्र के जरिए बताया कि भारत में चाइनीज ऐप्स पर बैन लगने के बाद वे अपनी नौकरी खो रहे हैं। https://webvarta.com/business/these-indian-apps-funded-by-china-face-users-ire/ रिपोर्ट Read the full article
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chaitanyabharatnews · 4 years
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आखिर क्यों पानी से भी सस्ता हुआ कच्चा तेल? 3 मई के बाद भारत को मिल सकता है फायदा!
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चैतन्य भारत न्यूज शायद की किसी ने कभी सोचा होगा कि ब्लैक गोल्ड के नाम से पहचाना जाने वाला कच्चा तेल कभी पानी से भी ज्यादा सस्ता हो जाएगा। पिछले हफ्ते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे गिर गए हैं। जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में तो कच्चे तेल के इतने सस्ते दामों का फायदा भारत को नहीं मिलेगा लेकिन 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था और जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे चले गए इतना सस्ता कैसा हुआ कच्चा तेल एक लीटर कच्चे तेल के दाम मौजूदा समय में 17 डॉलर प्रति बैरल है। बता दें एक बैरल में 159 लीटर होते हैं और एक डॉलर की कीमत 76 रुपए हैं। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चे तेल की कीमत 1292 रुपए है। एक लीटर तेल की कीमत देखी जाए तो यह 8.12 रुपए के करीब आती है। जबकि देश में बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपए के करीब है। दुनियाभर में कोरोना महामारी के चलते गाड़ियों का चलना बंद हो गया है, सभी कामकाज और कारोबार बंद है। ऐसे में तेल की खपत और उसकी मांग कम हो गई है। खरीदार कह रहे हैं कि तेल की अभी जरूरत नहीं, बाद में लेंगे, अभी अपने पास रखो। तेल का उत्पादन इतना ज्यादा हो गया है कि अब तेल रखने की जगह नहीं बची है। भारत को 3 मई के बाद मिल सकता है फायदा जानकर कहते हैं कि 3 मई के बाद अगर लॉकडाउन हटता है तो भारत की अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलेगा। क्रूड की गिरती कीमतों से भारत को अपना व्यापार घाटा कम करने में कुछ हद तक मदद जरूर मिलेगी। लेकिन गिरती अर्थव्यवस्था के बीच क्रूड की गिरती कीमतें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत ज्यादा मददगार नहीं होगी। क्यों गिर रही है कच्चे तेल के दाम जानकारी के मुताबिक, रूस कच्चे तेल का प्रोडक्शन घटाने के पक्ष में नहीं था, जबकि ओपेक देश प्रोडक्शन घटाने की बात कह रहे थे। इस असहमति के कारण सऊदी अरब ने रूस के साथ क्रूड को लेकर प्राइस वॉर छेड़ दिया है। सऊदी ने क्रूड की कीमतें भी घटा दी हैं। जिसके बाद दुनियाभर में कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट आई। क्या पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे कच्चे तेल की कीमतें घटने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या अब पेट्रोल-डीजल के दाम घट जाएंगे? इसे लेकर जानकारों का कहना है कि, पेट्रोल के दाम कई चीजों से तय होते है। इसमें एक कच्चे तेल भी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारत में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसकी दो बड़ी वजह है- पहली वजह है भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला भारी टैक्स। वहीं दूसरी वजह डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी है। बता दें फिलहाल पेट्रोल पर 19.98 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। वैट के तौर पर 15.25 रुपए वसूले जाते है। Read the full article
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worldfoxnews4-blog · 6 years
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usacnnnews-blog · 6 years
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usacnnupdatenews · 5 years
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Amazon at 25: The story of a giant
Today Business News:
“There’s no guarantee that Amazon.com can be a successful company. What we’re trying to do is very complicated,” said Jeff Bezos in 1999, just five years after launching the online firm.
That the firm’s founder was so uncertain of its future seems surprising.
Today, 25 years on from when it started, Amazon is one of the most valuable public companies in the world, with Mr Bezos now the world’s richest man, thanks to his invention.
What started as an online book retailer has become a global giant, with membership subscriptions, physical stores, groceries for sale, its own smart devices and a delivery system which can get things to customers in just an hour.
So how has the Amazon empire been built?
Amazon’s innovation can be clearly seen in its financial results.
Last year, it became the world’s second-ever public company to be valued at $1 trillion, after Apple, and it has the second-highest market valuation in the world, after Microsoft.
The huge success of the online giant is also evident in its revenue.
Sale are expected to hit a record-breaking $275.06bn by the end of this year, with forecasts suggesting revenues could pass $320bn by the end of 2020.
Mr Bezos’s success has been driven by the firm’s global expansion, but mainly by expanding into a wide variety of other sectors.
Video streaming services and devices, cloud services and most recently groceries (with the acquisition of Whole Foods Market) have allowed the company to compete directly with technology giants such as Facebook, Apple, Google and Netflix.
And it all began with selling books.
1995: Amazon launches with online book sales “When we first started selling books four years ago, everybody said, ‘Look, you’re just computer guys and you don’t know anything about selling books.’ And that was true,” said a young Jeff Bezos in 1999.
However, the huge stockpiling space that the company had at the time in the US helped Amazon become a leader in the sector and enabled them to offer a wider selection of books than its bricks-and-mortar rivals.
Then ebooks arrived and Amazon was smart enough to become a key player in that market too.
1999 – Amazon becomes the biggest online sales platform in the world In the late 1990s, Amazon decided to start selling other goods, starting with music and DVDs.
Soon Mr Bezos’s empire grew to include electronics, toys and kitchen utensils.
The growing network of US warehouses helped extend what the company could offer, dramatically increasing its popularity with customers.
Read Full News : https://usacnnnews.com/2019/07/06/amazon-25-story-giant/
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worldfoxupdatenews · 5 years
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Tesla Stock Hits Lowest Since 2017 On US-China Tariff Scare
One of the most heavily exposed U.S. firms operating in China, Tesla Inc. saw its share price fall sharply by as much as 6.3% to $224.50 Monday. It was the stock’s lowest intraday level since January 2017.
Tesla’s stock closed the day at $227.01, down 5.2 percent. It suffered further losses in after-hours trading and sank to $226.25, down a further 0.33 percent. It led the 27-company Bloomberg World Auto Manufacturers Index down as much as 1.6% to the lowest intraday since Jan. 7.
Analysts noted that 2019 already has the makings of becoming the worst year yet in Tesla’s brief history. The only year in which the stock recorded an annual drop was 2016, when shares fell 11 percent.
Tesla took a beating after China on Monday levied 25 percent tariffs on $60 billion worth of American imports starting June 1. President Donald Trump is expected to again retaliate for this escalation by announcing plans to impose another 25 percent tariff on all remaining imports from China amounting to some $300 billion.
While the tariffs have yet to include motor vehicle imports, the ratcheting-up of the trade war means Tesla’s EVs could become more expensive over the coming months.
 Read Full News : https://worldfoxnews.com/2019/05/14/tesla-stock-hits-lowest-since-2017-us-china-tariff-scare/
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chaitanyabharatnews · 4 years
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कोरोना का कहर: पिछले 17 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंची कच्चे तेल की कीमतें
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल, जिसे रिफाइन कर पेट्रोल, डीजल और अन्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं, उसके दामों में भारी गिरावट आई है। दरअसल दुनिया के बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर प्राइस वॉर चल रहा है। इस वजह से कच्चे तेल की कीमतें पिछले 17 साल के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची। भारत के लिए मायने रखने वाला ब्रेंट क्रूड ऑयल प्रति बैरल 23 डॉलर तक पहुंच गया है। जानकारों का कहना है कि सऊदी अरब और रूस की इस लड़ाई में भारत को बड़ा फायदा होगा। शेयर बाजार हुए धराशायी बता दें दुनियाभर में इस समय कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। दुनिया के 199 देश कोरोना की चपेट में हैं। इसके कारण दुनियाभर के शेयर बाजार भी धराशायी हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 5.3 फीसदी टूटकर 20 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए बेंचमार्क माने जाने वाला लंदन का ब्रेंट क्रूड 6.5 फीसदी टूटकर 23 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। चीजों की मांग घट गई बता दें जैसे-जैसे दुनियाभर में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने लगा तो सभी चीजों की मांग काफी घट गई और उत्पादन तेजी से बढ़ने लगा। इस तरह कच्चे तेल का उत्पादन भी बढ़ने लगा क्योंकि दो प्रमुख उत्पादकों सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल में प्राइस वॉर शुरू हो गया। भारत पर क्या होगा असर जानकारों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि कच्चे तेल के दाम में 1 डॉलर की गिरावट होती है तो सालाना इससे भारत 10000 करोड़ रुपए बचा सकता है। ऐसे में भारत की धीमी होती अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। महंगाई कम होगी। इंपोर्ट बिल घटने से जो बचत होगी, उसे सीधे ग्राहकों तक पहुंचाया जा सकता है ���र ऐसे में कम सब्सिडी से सरकार के बजट को मदद मिलेगी। डॉलर के मुकाबले रुपए में भी मजबूती आएगी। पेट्रोल और डीजल के दाम में 15 रुपए प्रति लीटर या उससे भी ज्यादा की कमी हो सकती है। ऐसे होगा लाभ जब भी किसी चीज की डिमांड कम होती है और सप्लाई ज्यादा तो उसके दाम गिर जाते हैं। यही बात कच्चे तेल की कीमतों में भी लागू होती है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि इसके दाम कम हुए तो सरकारी खर्च या आयात पर होने वाले खर्च में राहत मिलेगी। कम खर्च होने पर भारत सरकार की बचत भी ज्यादा होगी। ऐसे में आम आदमी को भी महंगाई से राहत मिल सकती है। रूस और सउदी में प्राइस वॉर रूस और सऊदी में प्राइस वॉर शुरू होने की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। जानकारों की माने तो सऊदी अरब के नेतृत्व में ओपेक ने क्रूड ऑयल प्रोडक्शन कम करने का प्रस्ताव दिया था। इसे रूस की सहमति के लिए भेजा गया था, लेकिन रूस ने प्रोडक्शन कम करने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच प्राइस वॉर शुरू हो गया और इसका असर दुनियाभर के बाजारों में देखने को मिल रहा है। यह भी पढ़े... अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरे कच्चे तेल के दाम, भारत को होंगे कई फायदे, महंगाई घटेगी, विकास दर बढ़ेगी Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरे कच्चे तेल के दाम, भारत को होंगे कई फायदे, महंगाई घटेगी, विकास दर बढ़ेगी
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल, जिसे रिफाइन कर पेट्रोल, डीजल और अन्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं, उसके दामों में भारी गिरावट आई है। दरअसल दुनिया के बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर प्राइस वॉर चल रहा था। इसी बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले 30 साल के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची। जानकारों का कहना है कि सऊदी अरब और रूस की इस लड़ाई में भारत को बड़ा फायदा होगा। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जानकारों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि कच्चे तेल के दाम में 1 डॉलर की गिरावट होती है तो सालाना इससे भारत 10000 करोड़ रुपए बचा सकता है। ऐसे में भारत की धीमी होती अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। महंगाई कम होगी। इंपोर्ट बिल घटने से जो बचत होगी, उसे सीधे ग्राहकों तक पहुंचाया जा सकता है और ऐसे में कम सब्सिडी से सरकार के बजट को मदद मिलेगी। डॉलर के मुकाबले रुपए में भी मजबूती आएगी। पेट्रोल और डीजल के दाम में 15 रुपए प्रति लीटर या उससे भी ज्यादा की कमी हो सकती है। जानकारी के मुताबिक, भारत की क्रूड ऑयल बास्केट की कीमत 47.92 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। फिलहाल भारत एक क्रूड बास्केट के लिए 3500 रुपए से 3600 रुपए तक खर्च कर रहा है। सऊदी अरब के फैसले के बाद यदि क्रूड ऑयल की कीमत में 50 फीसदी तक कटौती होती है तो इसका बड़ा फायदा आम आदमी को होगा। ऐसे होगा लाभ जब भी किसी चीज की डिमांड कम होती है और सप्लाई ज्यादा तो उसके दाम गिर जाते हैं। यही बात कच्चे तेल की कीमतों में भी लागू होती है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि इसके दाम कम हुए तो सरकारी खर्च या आयात पर होने वाले खर्च में राहत मिलेगी। कम खर्च होने पर भारत सरकार की बचत भी ज्यादा होगी। ऐसे में आम आदमी को भी महंगाई से राहत मिल सकती है। रूस और सउदी में प्राइस वॉर रूस और सउदी में प्राइस वॉर शुरू होने की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। जानकारों की माने तो सऊदी अरब के नेतृत्व में ओपेक ने क्रूड ऑयल प्रोडक्शन कम करने का प्रस्ताव दिया था। इसे रूस की सहमति के लिए भेजा गया था, लेकिन रूस ने प्रोडक्शन कम करने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच प्राइस वॉर शुरू हो गया और इसका असर दुनियाभर के बाजारों में देखने को मिल रहा है।   Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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RBI ने लॉन्च की मोबाइल ऐप 'मनी', इससे दृष्टिबाधित आसानी से कर सकेंगे नोटों की पहचान
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. दृष्टिबाधितों को करेंसी को पहचानने में दिक्कत न हो, इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को एक मोबाइल ऐप लॉन्च की है। इस ऐप का नाम है मोबाइल एडेड नोट आईडेंटिफायर 'MANI' (Mobile Aided Note Identifier)। बिना इंटरनेट इस्तेमाल कर पाएंगे ऐप जानकारी के मुताबिक, यह ऐप एंड्राइड प्ले स्टोर और आईओएस ऐप स्टोर दोनों से ही मुफ्त में डाउनलोड की जा सकती है। हालांकि इस ऐप के जरिए असली और नकली नोट में फर्क नहीं पता चल पाएगा। इस एप की खासियत है कि एकबार इसे डाउनलोड कर लेने के बाद इसके इस्तेमाल के लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं होगी। यह ऐप मोबाइल के कैमरे के जरिए नोटों को स्कैन करती है। यह हिंदी और अंग्रेजी में ऑडियो इनपुट भी देती है, यानी यह बोलकर बताती है कि नोट कितने का है। RBI Governor @DasShaktikanta today launched a mobile application MANI (Mobile Aided Note Identifier) to aid visually impaired persons in identifying denomination of currency notes. The app can be freely downloaded from Android Play Store and iOS App Store #rbitoday #rbigovernor pic.twitter.com/YXUzP3MBxt — ReserveBankOfIndia (@RBI) January 1, 2020 ऐप की खासियत आरबीआई द्वारा बुधवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया गया जिसमें कहा गया कि, 'इस मोबाइल ऐप के जरिए दृष्टिबाधित लोग करेंसी नोटों को पहचान पाएंगे।' उन्होंने कहा कि, भारतीय बैंक नोट में कई तरह की विशेषता होती है। जिसे दृष्टिबाधित लोग आसानी से पहचान सकेंगे। इसमें मुहर की छपाई, स्पर्श चिह्न, परिवर्तनीय बैंक नोट का आकार, बड़े नंबर, परिवर्तनीय रंग और एकरंगा पैटर्न आदि ��ामिल होते हैं। इसके अलावा यह ऐप मुड़े हुए नोट की भी पहचान कर सकती है। एप की यह भी खासियत है कि इसे आवाज से भी नियंत्रित किया जा सकता है। यह ऐप महात्मा गांधी सीरीज और महात्मा गांधी नई सीरीज के नोट को भी पहचानने में सक्षम होगी। नए नोट पहचानने में दृष्टिबाधितों हो रही परेशानी बता दें नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी सीरीज के जारी करेंसी नोट जारी किए थे। इन नोटों के साइज और डिजाइन अलग-अलग थे। नई सीरिज के नोटों में 10, 20, 50, 100, 200, 500 तथा 2,000 रुपए के नोट शामिल हैं। ऐसे में इन नोटों की पहचान करने में दृष्टिबाधितों को परेशानी हो रही थी। इसलिए आरबीआई ने दृष्टिबाधितों की इस परेशानी का समाधान निकाला। ये भी पढ़े... 7 महीने में आरबीआई को लगा दूसरा बड़ा झटका, डिप्‍टी गवर्नर विरल आचार्य ने दिया इस्‍तीफा आरबीआई ने दी आम आदमी को बड़ी सौगात, अब से NEFT और RTGS से पैसे ट्रांसफर करना हुआ मुफ्त नोटबंदी के 3 साल पूरे : अब भी नकद लेनदेन करना पसंद कर रहे लोग, जानें भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ा Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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मारुति के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर पर 110 करोड़ के लोन घोटाले का आरोप, CBI ने दर्ज किया केस
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मारुति उद्योग के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर (77) के खिलाफ बैंक ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सीबीआई अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, 'खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया पर 110 करोड़ रुपए के लोन घोटाले का आरोप है।' (adsbygoogle = window.adsbygoogle || ).push({}); जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने खट्टर के ठिकानों और कारनेशन ऑटो के दफ्तरों पर सोमवार को छापे की कार्रवाई भी की थी। सीबीआई ने एफआईआर में खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया लि. के खिलाफ पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को 110 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए मामला दर्ज किया है। वहीं दूसरी ओर खट्टर ने खुद पर लगे सभी आरोपों को नकारते हुए दावा किया है कि बैंकों द्वारा किए गए ऑडिट में उनकी कंपनी के कामकाज में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है। बता दें खट्टर साल 1993 से 2007 तक मारुति उद्योग में बतौर प्रबंध निदेशक रहे थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने कारनेशन ऑटो इंडिया लिमिटेड के नाम से अपनी कंपनी बनाई। इस कंपनी के जरिए खट्टर ने 2009 में पीएनबी से 170 करोड़ रुपए का लोन लिया। फिर 2015 में लोन एनपीए घोषित हो गया। जांच एजेंसी ने पीएनबी की शिकायत पर खट्टर और उनकी कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। सीबीआई का आरोप है कि खट्टर और उनकी कंपनी ने धोखाधड़ी से बैंक के पास बंधक रखे सामान को बेच दिया। इसके लिए उन्होंने बैंक की अनुमति भी नहीं ली। बैंक की ओर से किए गए फॉरेंसिक आडिट से पता चलता है कि 66.92 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां बिना उसकी मंजूरी के 4.55 करोड़ रुपए में बेची गईं। इतना ही नहीं बल्कि खट्टर पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बिक्री से मिली पूंजी को बैंक के पास जमा नहीं कराया और बेईमानी और धोखाधड़ी से इसे सिस्टर/कंसर्न्ड सब्सिडियरी कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया। एफआईआर में कहा गया है कि, इस मामले में बैंक अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बैंक के अधिकारियों ने कथित रूप से स्टॉक का मंथली वेर���फिकेशन नहीं किया। अब सीबीआइ बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी। बैंक ने 17 अक्टूबर, 2019 की शिकायत में पांच आरोपितों का जिक्र किया है, जिनमें तीन कंपनियों के नाम गारंटर हैं। इसमें Khattar Auto India Pvt Ltd, Carnation Realty Pvt Ltd और Carnation Insurance Broking Company Pvt Ltd का नाम भी शामिल है। हालांकि, जांच की प्रक्रिया में इनकी इस मामले में कोई प्रत्यक्ष भूमिका दिखाई नहीं दी। ये भी पढ़े... उन्नाव रेप केस : सीबीआई चार्जशीट में बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर हत्या का आरोप नहीं 2 सितंबर तक सीबीआई की हिरासत में ही रहेंगे चिदंबरम 26 अगस्त तक सीबीआई की हिरासत में चिदंबरम, देर रात 12 बजे तक हुई पूछताछ Read the full article
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chaitanyabharatnews · 5 years
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मारुति के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर पर 110 करोड़ के लोन घोटाले का आरोप, CBI ने दर्ज किया केस
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मारुति उद्योग के पूर्व प्रबंध निदेशक जगदीश खट्टर (77) के खिलाफ बैंक ऋण धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। सीबीआई अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, 'खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया पर 110 करोड़ रुपए के लोन ��ोटाले का आरोप है।' जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने खट्टर के ठिकानों और कारनेशन ऑटो के दफ्तरों पर सोमवार को छापे की कार्रवाई भी की थी। सीबीआई ने एफआईआर में खट्टर और उनकी कंपनी कारनेशन ऑटो इंडिया लि. के खिलाफ पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) को 110 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए मामला दर्ज किया है। वहीं दूसरी ओर खट्टर ने खुद पर लगे सभी आरोपों को नकारते हुए दावा किया है कि बैंकों द्वारा किए गए ऑडिट में उनकी कंपनी के कामकाज में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं मिली है। बता दें खट्टर साल 1993 से 2007 तक मारुति उद्योग में बतौर प्रबंध निदेशक रहे थे। रिटायर होने के बाद उन्होंने कारनेशन ऑटो इंडिया लिमिटेड के नाम से अपनी कंपनी बनाई। इस कंपनी के जरिए खट्टर ने 2009 में पीएनबी से 170 करोड़ रुपए का लोन लिया। फिर 2015 में लोन एनपीए घोषित हो गया। जांच एजेंसी ने पीएनबी की शिकायत पर खट्टर और उनकी कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। सीबीआई का आरोप है कि खट्टर और उनकी कंपनी ने धोखाधड़ी से बैंक के पास बंधक रखे सामान को बेच दिया। इसके लिए उन्होंने बैंक की अनुमति भी नहीं ली। बैंक की ओर से किए गए फॉरेंसिक आडिट से पता चलता है कि 66.92 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां बिना उसकी मंजूरी के 4.55 करोड़ रुपए में बेची गईं। इतना ही नहीं बल्कि खट्टर पर यह भी आरोप है कि उन्होंने बिक्री से मिली पूंजी को बैंक के पास जमा नहीं कराया और बेईमानी और धोखाधड़ी से इसे सिस्टर/कंसर्न्ड सब्सिडियरी कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया। एफआईआर में कहा गया है कि, इस मामले में बैंक अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। बैंक के अधिकारियों ने कथित रूप से स्टॉक का मंथली वेरिफिकेशन नहीं किया। अब सीबीआइ बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करेगी। बैंक ने 17 अक्टूबर, 2019 की शिकायत में पांच आरोपितों का जिक्र किया है, जिनमें तीन कंपनियों के नाम गारंटर हैं। इसमें Khattar Auto India Pvt Ltd, Carnation Realty Pvt Ltd और Carnation Insurance Broking Company Pvt Ltd का नाम भी शामिल है। हालांकि, जांच की प्रक्रिया में इनकी इस मामले में कोई प्रत्यक्ष भूमिका दिखाई नहीं दी। Read the full article
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