आखिर क्यों पानी से भी सस्ता हुआ कच्चा तेल? 3 मई के बाद भारत को मिल सकता है फायदा!
चैतन्य भारत न्यूज
शायद की किसी ने कभी सोचा होगा कि ब्लैक गोल्ड के नाम से पहचाना जाने वाला कच्चा तेल कभी पानी से भी ज्यादा सस्ता हो जाएगा। पिछले हफ्ते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे गिर गए हैं। जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में तो कच्चे तेल के इतने सस्ते दामों का फायदा भारत को नहीं मिलेगा लेकिन 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था और जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे चले गए
इतना सस्ता कैसा हुआ कच्चा तेल
एक लीटर कच्चे तेल के दाम मौजूदा समय में 17 डॉलर प्रति बैरल है। बता दें एक बैरल में 159 लीटर होते हैं और एक डॉलर की कीमत 76 रुपए हैं। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चे तेल की कीमत 1292 रुपए है। एक लीटर तेल की कीमत देखी जाए तो यह 8.12 रुपए के करीब आती है। जबकि देश में बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपए के करीब है। दुनियाभर में कोरोना महामारी के चलते गाड़ियों का चलना बंद हो गया है, सभी कामकाज और कारोबार बंद है। ऐसे में तेल की खपत और उसकी मांग कम हो गई है। खरीदार कह रहे हैं कि तेल की अभी जरूरत नहीं, बाद में लेंगे, अभी अपने पास रखो। तेल का उत्पादन इतना ज्यादा हो गया है कि अब तेल रखने की जगह नहीं बची है।
भारत को 3 मई के बाद मिल सकता है फायदा
जानकर कहते हैं कि 3 मई के बाद अगर लॉकडाउन हटता है तो भारत की अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलेगा। क्रूड की गिरती कीमतों से भारत को अपना व्यापार घाटा कम करने में कुछ हद तक मदद जरूर मिलेगी। लेकिन गिरती अर्थव्यवस्था के बीच क्रूड की गिरती कीमतें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत ज्यादा मददगार नहीं होगी।
क्यों गिर रही है कच्चे तेल के दाम
जानकारी के मुताबिक, रूस कच्चे तेल का प्रोडक्शन घटाने के पक्ष में नहीं था, जबकि ओपेक देश प्रोडक्शन घटाने की बात कह रहे थे। इस असहमति के कारण सऊदी अरब ने रूस के साथ क्रूड को लेकर प्राइस वॉर छेड़ दिया है। सऊदी ने क्रूड की कीमतें भी घटा दी हैं। जिसके बाद दुनियाभर में कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट आई।
क्या पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे
कच्चे तेल की कीमतें घटने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या अब पेट्रोल-डीजल के दाम घट जाएंगे? इसे लेकर जानकारों का कहना है कि, पेट्रोल के दाम कई चीजों से तय होते है। इसमें एक कच्चे तेल भी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारत में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसकी दो बड़ी वजह है- पहली वजह है भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला भारी टैक्स। वहीं दूसरी वजह डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी है। बता दें फिलहाल पेट्रोल पर 19.98 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। वैट के तौर पर 15.25 रुपए वसूले जाते है।
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कोरोना का कहर: पिछले 17 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंची कच्चे तेल की कीमतें
चैतन्य भारत न्यूज
नई दिल्ली. कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल, जिसे रिफाइन कर पेट्रोल, डीजल और अन्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं, उसके दामों में भारी गिरावट आई है। दरअसल दुनिया के बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर प्राइस वॉर चल रहा है। इस वजह से कच्चे तेल की कीमतें पिछले 17 साल के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची। भारत के लिए मायने रखने वाला ब्रेंट क्रूड ऑयल प्रति बैरल 23 डॉलर तक पहुंच गया है। जानकारों का कहना है कि सऊदी अरब और रूस की इस लड़ाई में भारत को बड़ा फायदा होगा।
शेयर बाजार हुए धराशायी
बता दें दुनियाभर में इस समय कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। दुनिया के 199 देश कोरोना की चपेट में हैं। इसके कारण दुनियाभर के शेयर बाजार भी धराशायी हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 5.3 फीसदी टूटकर 20 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए बेंचमार्क माने जाने वाला लंदन का ब्रेंट क्रूड 6.5 फीसदी टूटकर 23 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।
चीजों की मांग घट गई
बता दें जैसे-जैसे दुनियाभर में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने लगा तो सभी चीजों की मांग काफी घट गई और उत्पादन तेजी से बढ़ने लगा। इस तरह कच्चे तेल का उत्पादन भी बढ़ने लगा क्योंकि दो प्रमुख उत्पादकों सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल में प्राइस वॉर शुरू हो गया।
भारत पर क्या होगा असर
जानकारों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि कच्चे तेल के दाम में 1 डॉलर की गिरावट होती है तो सालाना इससे भारत 10000 करोड़ रुपए बचा सकता है। ऐसे में भारत की धीमी होती अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। महंगाई कम होगी। इंपोर्ट बिल घटने से जो बचत होगी, उसे सीधे ग्राहकों तक पहुंचाया जा सकता है और ऐसे में कम सब्सिडी से सरकार के बजट को मदद मिलेगी। डॉलर के मुकाबले रुपए में भी मजबूती आएगी। पेट्रोल और डीजल के दाम में 15 रुपए प्रति लीटर या उससे भी ज्यादा की कमी हो सकती है।
ऐसे होगा लाभ
जब भी किसी चीज की डिमांड कम होती है और सप्लाई ज्यादा तो उसके दाम गिर जाते हैं। यही बात कच्चे तेल की कीमतों में भी लागू होती है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि इसके दाम कम हुए तो सरकारी खर्च या आयात पर होने वाले खर्च में राहत मिलेगी। कम खर्च होने पर भारत सरकार की बचत भी ज्यादा होगी। ऐसे में आम आदमी को भी महंगाई से राहत मिल सकती है।
रूस और सउदी में प्राइस वॉर
रूस और सऊदी में प्राइस वॉर शुरू होने की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। जानकारों की माने तो सऊदी अरब के नेतृत्व में ओपेक ने क्रूड ऑयल प्रोडक्शन कम करने का प्रस्ताव दिया था। इसे रूस की सहमति के लिए भेजा गया था, लेकिन रूस ने प्रोडक्शन कम करने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच प्राइस वॉर शुरू हो गया और इसका असर दुनियाभर के बाजारों में देखने को मिल रहा है।
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नई दिल्ली. कच्चा तेल यानी क्रूड ऑयल, जिसे रिफाइन कर पेट्रोल, डीजल और अन्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं, उसके दामों में भारी गिरावट आई है। दरअसल दुनिया के बड़े तेल उत्पादक सऊदी अरब और रूस के बीच कच्चे तेल को लेकर प्राइस वॉर चल रहा था। इसी बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले 30 साल के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंची। जानकारों का कहना है कि सऊदी अरब और रूस की इस लड़ाई में भारत को बड़ा फायदा होगा।
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जानकारों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि कच्चे तेल के दाम में 1 डॉलर की गिरावट होती है तो सालाना इससे भारत 10000 करोड़ रुपए बचा सकता है। ऐसे में भारत की धीमी होती अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। महंगाई कम होगी। इंपोर्ट बिल घटने से जो बचत होगी, उसे सीधे ग्राहकों तक पहुंचाया जा सकता है और ऐसे में कम सब्सिडी से सरकार के बजट को मदद मिलेगी। डॉलर के मुकाबले रुपए में भी मजबूती आएगी। पेट्रोल और डीजल के दाम में 15 रुपए प्रति लीटर या उससे भी ज्यादा की कमी हो सकती है।
जानकारी के मुताबिक, भारत की क्रूड ऑयल बास्केट की कीमत 47.92 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। फिलहाल भारत एक क्रूड बास्केट के लिए 3500 रुपए से 3600 रुपए तक खर्च कर रहा है। सऊदी अरब के फैसले के बाद यदि क्रूड ऑयल की कीमत में 50 फीसदी ��क कटौती होती है तो इसका बड़ा फायदा आम आदमी को होगा।
ऐसे होगा लाभ
जब भी किसी चीज की डिमांड कम होती है और सप्लाई ज्यादा तो उसके दाम गिर जाते हैं। यही बात कच्चे तेल की कीमतों में भी लागू होती है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80-85 हिस्सा आयात करता है। यदि इसके दाम कम हुए तो सरकारी खर्च या आयात पर होने वाले खर्च में राहत मिलेगी। कम खर्च होने पर भारत सरकार की बचत भी ज्यादा होगी। ऐसे में आम आदमी को भी महंगाई से राहत मिल सकती है।
रूस और सउदी में प्राइस वॉर
रूस और सउदी में प्राइस वॉर शुरू होने की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। जानकारों की माने तो सऊदी अरब के नेतृत्व में ओपेक ने क्रूड ऑयल प्रोडक्शन कम करने का प्रस्ताव दिया था। इसे रूस की सहमति के लिए भेजा गया था, लेकिन रूस ने प्रोडक्शन कम करने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच प्राइस वॉर शुरू हो गया और इसका असर दुनियाभर के बाजारों में देखने को मिल रहा है।
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आखिर क्यों पानी से भी सस्ता हुआ कच्चा तेल? 3 मई के बाद भारत को मिल सकता है फायदा!
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शायद की किसी ने कभी सोचा होगा कि ब्लैक गोल्ड के नाम से पहचाना जाने वाला कच्चा तेल कभी पानी से भी ज्यादा सस्ता हो जाएगा। पिछले हफ्ते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे गिर गए हैं। जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में तो कच्चे तेल के इतने सस्ते दामों का फायदा भारत को नहीं मिलेगा लेकिन 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था और जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे चले गए
इतना सस्ता कैसा हुआ कच्चा तेल
एक लीटर कच्चे तेल के दाम मौजूदा समय में 17 डॉलर प्रति बैरल है। बता दें एक बैरल में 159 लीटर होते हैं और एक डॉलर की कीमत 76 रुपए हैं। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चे तेल की कीमत 1292 रुपए है। एक लीटर तेल की कीमत देखी जाए तो यह 8.12 रुपए के करीब आती है। जबकि देश में बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपए के करीब है। दुनियाभर में कोरोना महामारी के चलते गाड़ियों का चलना बंद हो गया है, सभी कामकाज और कारोबार बंद है। ऐसे में तेल की खपत और उसकी मांग कम हो गई है। खरीदार कह रहे हैं कि तेल की अभी जरूरत नहीं, बाद में लेंगे, अभी अपने पास रखो। तेल का उत्पादन इतना ज्यादा हो गया है कि अब तेल रखने की जगह नहीं बची है।
भारत को 3 मई के बाद मिल सकता है फायदा
जानकर कहते हैं कि 3 मई के बाद अगर लॉकडाउन हटता है तो भारत की अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलेगा। क्रूड की गिरती कीमतों से भारत को अपना व्यापार घाटा कम करने में कुछ हद तक मदद जरूर मिलेगी। लेकिन गिरती अर्थव्यवस्था के बीच क्रूड की गिरती कीमतें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत ज्यादा मददगार नहीं होगी।
क्यों गिर रही है कच्चे तेल के दाम
जानकारी के मुताबिक, रूस कच्चे तेल का प्रोडक्शन घटाने के पक्ष में नहीं था, जबकि ओपेक देश प्रोडक्शन घटाने की बात कह रहे थे। इस असहमति के कारण सऊदी अरब ने रूस के साथ क्रूड को लेकर प्राइस वॉर छेड़ दिया है। सऊदी ने क्रूड की कीमतें भी घटा दी हैं। जिसके बाद दुनियाभर में कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट आई।
क्या पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंग��
कच्चे तेल की कीमतें घटने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या अब पेट्रोल-डीजल के दाम घट जाएंगे? इसे लेकर जानकारों का कहना है कि, पेट्रोल के दाम कई चीजों से तय होते है। इसमें एक कच्चे तेल भी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारत में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसकी दो बड़ी वजह है- पहली वजह है भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला भारी टैक्स। वहीं दूसरी वजह डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी है। बता दें फिलहाल पेट्रोल पर 19.98 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। वैट के तौर पर 15.25 रुपए वसूले जाते है।
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आखिर क्यों पानी से भी सस्ता हुआ कच्चा तेल? 3 मई के बाद भारत को मिल सकता है फायदा!
चैतन्य भारत न्यूज
शायद की किसी ने कभी सोचा होगा कि ब्लैक गोल्ड के नाम से पहचाना जाने वाला कच्चा तेल कभी पानी से भी ज्यादा सस्ता हो जाएगा। पिछले हफ्ते अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे गिर गए हैं। जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में तो कच्चे तेल के इतने सस्ते दामों का फायदा भारत को नहीं मिलेगा लेकिन 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था और जीरो डॉलर प्रति बैरल के नीचे चले गए
इतना सस्ता कैसा हुआ कच्चा तेल
एक लीटर कच्चे तेल के दाम मौजूदा समय में 17 डॉलर प्रति बैरल है। बता दें एक बैरल में 159 लीटर होते हैं और एक डॉलर की कीमत 76 रुपए हैं। एक बैरल यानी 159 लीटर कच्चे तेल की कीमत 1292 रुपए है। एक लीटर तेल की कीमत देखी जाए तो यह 8.12 रुपए के करीब आती है। जबकि देश में बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपए के करीब है। दुनियाभर में कोरोना महामारी के चलते गाड़ियों का चलना बंद हो गया है, सभी कामकाज और कारोबार बंद है। ऐसे में तेल की खपत और उसकी मांग कम हो गई है। खरीदार कह रहे हैं कि तेल की अभी जरूरत नहीं, बाद में लेंगे, अभी अपने पास रखो। तेल का उत्पादन इतना ज्यादा हो गया है कि अब तेल रखने की जगह नहीं बची है।
भारत को 3 मई के बाद मिल सकता है फायदा
जानकर कहते हैं कि 3 मई के बाद अगर लॉकडाउन हटता है तो भारत की अर्थव्यवस्था को इसका फायदा मिलेगा। क्रूड की गिरती कीमतों से भारत को अपना व्यापार घाटा कम करने में कुछ हद तक मदद जरूर मिलेगी। लेकिन गिरती अर्थव्यवस्था के बीच क्रूड की गिरती कीमतें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत ज्यादा मददगार नहीं होगी।
क्यों गिर रही है कच्चे तेल के दाम
जानकारी के मुताबिक, रूस कच्चे तेल का प्रोडक्शन घटाने के पक्ष में नहीं था, जबकि ओपेक देश प्रोडक्शन घटाने की बात कह रहे थे। इस असहमति के कारण सऊदी अरब ने रूस के साथ क्रूड को लेकर प्राइस वॉर छेड़ दिया है। सऊदी ने क्रूड की कीमतें भी घटा दी हैं। जिसके बाद दुनियाभर में कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट आई।
क्या पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे
कच्चे तेल की कीमतें घटने के बाद सवाल यह उठता है कि क्या अब पेट्रोल-डीजल के दाम घट जाएंगे? इसे लेकर जानकारों का कहना है कि, पेट्रोल के दाम कई चीजों से तय होते है। इसमें एक कच्चे तेल भी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारत में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसकी दो बड़ी वजह है- पहली वजह है भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला भारी टैक्स। वहीं दूसरी वजह डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी है। बता दें फिलहाल पेट्रोल पर 19.98 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। वैट के तौर पर 15.25 रुपए वसूले जाते है।
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