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अधिक मास में हो सकते हैं ये सात तरह के संस्कार, आप भी जरूर जानिए
चैतन्य भारत न्यूज अधिक मास की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना 18 सितंबर से शुरू हुआ था जो 16 अक्टूबर को समाप्त होगा। अधिक मास को मलमास और पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। अधिक मास के कारण इस बार दो आश्विन मास पड़े हैं। साथ ही चतुर्मास भी पांच महीनो का हो गया है और नवरात्रि जो श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के साथ ही शुरू हो जाती थी वह भी एक महीने पीछे खिसक गई है। हिन्दू पंचांग की गणना के अनुसार, सौर वर्ष का मान लगभग 365 दिनों का और चंद्र मास 354 दिनों का होता है। दोनों में करीब 11 दिनों के अंतर को समाप्त करने के लिए 32 माह में अधिक मास की योजना बनाई गई है, जो पूर्णतः विज्ञान सम्मत भी है। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इसीलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस मास में जो भगवान विष्णु का पूजन करता है उसे कई गुना फल की प्राप्ति होती है। धार्��िक मान्यता के अनुसार अधिक के अनुसार अधिक मास में सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इस महीने शादी, सगाई, जडुला, गृह निर्माण आरम्भ, गृहप्रवेश, मुंडन, संन्यास अथवा शिष्य दीक्षा लेना, नववधू का प्रवेश, देवी-देवता की प्राण-प्रतिष्ठा, यज्ञ, बड़ी पूजा-पाठ का शुभारंभ, कूप, बोरवेल, जलाशय खोदने जैसे पवित्र कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकि इस महीने कुछ ऐसे संस्कार हैं जिन्हें करने से जातकों को उसका सर्वाधिक लाभ भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, पुरुषोत्तम माह में पुंसवन, सीमंत, जातकर्म, नामकरण, भूमि उपवेशन आदि संस्कार किए जा सकते हैं। दरअसल, गर्भाधान के दूसरे या तीसरे महीने में पुंसवन संस्कार और छठे आठवें महीने में सीमंत संस्कार किये जाते हैं। वहीं बालक को स्वर्ण खंड से मधु-घृत चटाने के लिए जातकर्म संस्कार किया जाता है। शास्त्रों में नामकरण जन्म के 11वें दिन किया जाता है। जबकि भूमि उपवेशन संस्कार में संतान की कमर में कटि सूत्र बांधा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अधिक या मलमास में जो कोई जातक सत्यनारायण की कथा सुनता है। उसे जातक को इसका अत्यधिक लाभ मिलता है। इस महीने भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। क्योंकि मलमास में ही पद्मिनी एकादशी आती है जो विष्णु जी को बेहद ही प्रिय है। मलमास में भगवान विष्णु जी की स्तुति के लिए सबसे बढ़िया उपाय विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ माना जाता है। वहीं ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ से कुंडली का बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। Read the full article
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Adhik mass or Purshottam Maas is a leap month which is added every 3 years when a lunar month ends before the sun has moved to a new zodiac sign. Purshottam is an epithet of lord Vishnu, to whom this month is dedicated. Finding a balance in your mind, body and soul during this one month of religious practices will give you benefit for the next 3 years. Since this month serves as a fasting period, for those who can’t fast, you can follow few simple daily routine tips to detoxify your body and mind. 1. Adhere to a better daily routine. Wake up early, following the circadian rhythm of your body. 2. Meditate to nurture your soul. 3. Eat Satvik food. A Satvik diet is meant to include foods and eating habits that are ‘pure, essential,vital, clean and conscious’. It therefore encourages eating healthy, whole foods and discourages the consumption of fried and processed foods which harm overall health. 4. Avoid consuming alcohol during this period as it interferes with sleep, causes dehydration, fatigue and an unhappy you. 5. Keep your mind and thoughts peaceful. Learn to forgive List of fasting foods: *Little millet(sama rice) * Buckwheat/ Kuttu atta * Sabudana (sago) * Rajgiri atta roti * Makhana * Low fat dairy * Singhara Atta * Nuts and Seeds * Fruits . . . . . . #adhikmaas #adhikmaas2020 #lordvishnu #detoxyourbody #detoxyourmind #detoxyoursoul #satvikfood #fastingperiod #forgiveness #healthylifestyle #eatright #nourishyourbody #nourishyoursoul #nourishyourmind #traditions (at Andheri West) https://www.instagram.com/p/CFRFXRGJRjp/?igshid=1abt0s46ughyh
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अधिकमास में इस बार सर्वार्थसिद्धि समेत बन रहे हैं ये 5 खास योग, खरीददारी के लिए समय सबसे उत्तम
चैतन्य भारत न्यूज कल से अधिकमास प्रारंभ हो गया है। अधिकमास में भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा अर्चना की जाती है। इस महीने कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। लेकिन अधिकमास में खरीददारी करने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ग्रह प्रवेश, मुंडन, सगाई, वि��ाह आदि कार्य करना वर्जित है। इसके अलावा इस महीने को पुरुषोत्तम के नाम से भी जानते हैं। अधिकमास में सर्वार्थसिद्धि योग समेत बन रहे हैं ये 5 ऐसे योग बन रहे हैं जो बहुत ही उत्तम योग हैं। ज्योतिषियों के अनुसार अक्टबूर में अधिकमास में ये सभी योग आपको सफलता दिला सकते हैं। आपको बता दें कि सितंबर की 26 तारीख को छोड़कर अक्टूबर की 1, 4, 6, 7, 9, 11, 17 को सवार्थ सिद्धि योग रहेगा। आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में सर्वार्थ सिद्धि योग बेहद शुभ योग माना जाता है। यह नक्षत्र, तिथि और वार के संयोग से बनता है। कहते हैं कि यह शुभ योग मनचाहा वरदान और तरक्की दिलाता है। इस संयोग में कहा जाता है कि जो भी शुभ कार्य शुरू होता है तो वो दोबारा भी होता है। इसलिए इस योग में आप जो खरीदेंगे और भी लाएंगे। 19 एवं 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग है। अक्टूबर में ही अमृतसिद्धि योग पड़ रहा है। इस योग में किए गए कार्य का फल अमृत होता है। अधिक मास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। Read the full article
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