#मलमास
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🐚 परमा एकादशी व्रत कथा - Parama Ekadashi Vrat Katha
अर्जुन ने कहा, हे कमलनयन! आपने शुक्ल पक्ष की एकादशी का विस्तारपूर्वक वर्णन कर मुझे सुनाया, अतः अब आप कृपा करके मुझे अधिकमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? इसमें किस देवता का पूजन किया जाता है तथा इसके व्रत से किस फल की प्राप्ति होती है? तथा उसकी विधि क्या है? इन सब के बारे मे बताइए।
श्री भगवान बोले, हे अर्जुन! अधिकमास के कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है वह परमा एकादशी कहलाती है। वैसे तो प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं।
अधिकमास या मल��ास को जोड़कर वर्ष में 26 एकादशियां होती हैं। अधिकमास में 2 एकादशियां होती हैं, जो पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती हैं।
इसके व्रत से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मनुष्य को इसलोक में सुख तथा परलोक में सद्गति प्राप्त होती है। इसका व्रत विधानानुसार करना चाहिए और भगवान विष्णु का धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए।
इस एकादशी की पावन कथा जो कि महर्षियों के साथ काम्पिल्य नगरी में हुई थी, वह मैं तुमसे कहता हूं। ध्यानपूर्वक श्रवण करो..
.. परमा एकादशी व्रत की पूरी कथा जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें 👇
📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/parama-ekadashi-vrat-katha
🐚 एकादशी - Ekadashi
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🚩 ॐ जय जगदीश हरे आरती - Om Jai Jagdish Hare
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः 🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल (द्वितीया तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
#वास्तु_ऐस्ट्रो_टेक_सर्विसेज_टिप्स
#हम_सबका_स्वाभिमान_है_मोदी
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-13-जनवरी-2024
वार:-----शनिवार
तिथि :---02द्बितीया:-11:11
पक्ष:----शुक्लपक्ष
माह:-----पौषमास
नक्षत्र:----श्रवण:-12:50
योग:-----वज्र:-10:14/सिद्बि:-30:23
करण:-कोलव:---11:11
चन्द्रमा:----मकर:-23:35/कुंम्भ
सुर्योदय:-----07:31
सुर्यास्त:-----18:01
दिशा शूल-----पूर्व
निवारण उपाय:---उङद का सेवन
ऋतु :------शिशिर ऋतु
गुलिक काल:---07:31से 08:50
राहू काल:--10:07से11:25
अभीजित---11:55से12:45
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:-----पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
शुभ:-08:49से10:07��क
चंचल:-12:44से14:02तक
लाभ:-14:02से15:20तक
अमृत:-15:20से16:38तक
🌗चोघङिया रात🌓
लाभ:-18:01से19:43तक
शुभ:-21:22से23:06तक
अमृत:-23:06से00:48तक
चंचल:-00:48से02:30तक
लाभ:-05:49से07:31तक
🌸आज के विशेष योग🌸
वर्ष का 296वाँ दिन, लोहड़ी (पंजाब, हरियाणा काश्मीर), सर्वसिद्बि योग 12:50 तक, पंचक प्रारंभ 23:35 से, ऊंट महोत्सव प्रारंभ (2दिन, बीकानेर), श्री यतीन्द्रसूरीश्वर पुण्य त्रि-स्तुती (जैन),
🌺👉वास्तु टिपस 👈🌺
मलमास में मीठी चीजों का ज्यादा दान करे।
*सुविचार*
आप अगर ऐसा सोचते हो कि सब कुछ अच्छा होगा तो जरुर वही होगा।👍🏻 राधे राधे...
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
सर्दियों में खाएं ये गर्म आहार और रहें बीमारियों से दूर |
1. गाजर: गाजर खाने से त्वचा हेल्दी रहती है, आंखों की रौशनी बढ़ती है, रोग प्रतिरोधक छमता बढती है जिससे सर्दियों में शरीर को ठंड नहीं लगती। यह एक गर्म आहार है, जिसे आपको जरुर खाना चाहिये।
2. सिट्रस फल: संतरा हो चाहे नींबू, इनमें ढेर सारा विटामिन सी होता है जिससे शरीर को पोषण और फ्लेवीनॉइड प्राप्त होता है। यह शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद दिलवाता है। साथ ही यह अच्छे कोलेस्ट्रॉल को भी बढाता है। यह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है।
3. लहसुन और अदरक: हर घर में भोजन में लहसुन और अदरक का प्र��ोग जरुर किया जाता है। सर्दियों में इनके सेवन से सर्दी, जुखाम और कफ से राहत मिलती है। अगर आप मसाला चाय बना रही हैं तो उसमें अदरक डालना ना भूलें।
4. अमरूद: सिट्रस फल की तरह इसमें भी भारी मात्रा में विटामिन सी होता है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक छमता बढता है। साथ ही इसमें पोटैशियम और मैगनीशियम होता है।
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
🐏 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
विवाद से बचें। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी रखें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। घर-बाहर अशांति रह सकती है। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। भाइयों से मतभेद बढ़ सकते हैं। नौकरी में कार्य का बोझ बढ़ सकता है।
🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
घर-परिवार के किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना पड़ सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। रोमांस का अवसर नहीं मिलेगा। कार्य पर अधिक ध्यान देना पड़ेगा। राजकीय रुकावटें दूर होंगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।
👫 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रॉपर्टी के कार्यों के लिए समय अनुकूल है। रोजगार मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। कार्य का बोझ स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। थकान रहेगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण रहेगा।
🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। रचनात्मक कार्य पूर्ण होंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। पीठ पीछे चु्गलखोर सक्रिय रहेंगे। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। वस्तुएं संभालकर रखें।
🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
उच्चाधिकारी की प्रसन्नता का ख्याल रखें। अनावश्यक क्रोध न करें, बात बिगड़ सकती है। शोक समाचार मिल सकता है। भागदौड़ अधिक होगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अपनों में से किसी का व्यवहार दिल पर चोट पहुंचा सकता है। व्यवसाय ठीक चलेगा।
👩🏻🦰 *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
अज्ञात भय सताएगा। मेहनत का फल पूरा-पूरा मिलगा। रुके कार्य पूर्ण होंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में इजाफा होगा। आलस्य हावी रहेगा। लाभ में वृद्धि होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में प्रमोशन मिल सकता है। परिवार के सदस्य सहयोग प्रदान करेंगे।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
वाणी पर नियंत्रण रखें। राजकीय कोप भुगतना पड़ सकता है। जोखिम उठाने व जल्दबाजी करने से बचें। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। पुराने भूले-बिसरे मित्र व संबंधियों से मुलाकात होगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। धनार्जन होगा।
🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय हो सकता है। बेरोजगारी की समस्या से छुटकारा मिलेगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। अज्ञात भय सताएगा। शारीरिक कष्ट संभव है। दूसरों की बातों में न आएं, हानि हो सकती है।
🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, ��ा, फा, ढा, भे)*
आंखों को चोट व रोग से बचाएं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। फिजूलखर्ची से बजट बिगड़ेगा। दूसरों से अपेक्षा न करें। तनाव व चिंता रहेंगे। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से हानि होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में कमी रहेगी।
🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा मनोनुकूल रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। बाहरी मतभेद समाप्त होंगे। कोई बड़ी समस्या से सामना हो सकता है। समय अनुकूल है। ठीक होगा।
🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
कार्यस्थल पर समयानुकूल परिवर्तन संभव है। तत्काल लाभ नहीं मिलेगा। योजना फलीभूत होगी। कारोबारी नए अनुबंध हो सकते हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ऐश्वर्य पर खर्च होगा। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी।
🐡 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
स्वयं व परिवार की स्वास्थ्य पर व्यय हो सकता है। देवदर्शन सुलभ होंगे। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। व्यवसाय ठीक चलेगा।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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रमा एकादशी 2023
महंत श्री पारस भाई जी के अनुसार, रमा एकादशी व्रत का पालन करने से धन, समृद्धि और सुखी जीवन मिलता है। साथ ही आपको वर्तमान और पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को बैकुंठ में जगह मिलती है। चलिए जानते हैं इस साल रमा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और क्या है एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व।
कब है रमा एकादशी व्रत ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह व्रत 9 नवंबर को रखा जाएगा। साधक को 10 नवंबर को सुबह पूजा पाठ करके व्रत का पारण कर लेना चाहिए। यह रमा एकादशी दिवाली से पहले आती है। “महंत श्री पारस भाई जी” के अनुसार, रमा एकादशी का व्रत बाकी एकादशी में शुभ और अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। जो इस व्रत को रखता है उसे ब्रह्महत्या के साथ कई पापों से मुक्ति मिल जाती है। रमा एकादशी का व्रत करने से सभी पाप मिट जाते हैं। सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए यह व्रत सुख और सौभाग्यप्रद माना गया है।
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि
रमा एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक माना जाता है। इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। रमा एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से अभिषेक कराएं।
फिर व्रत का संकल्प लेकर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करें। जिस प्रकार आप व्रत कर सकते हैं, उसी के अनुसार संकल्प लें, जैसे यदि पूरा दिन निराहार रहना चाहते हो या फिर एक समय फलाहार करना चाहते हैं। भगवान विष्णु को दीप, धूप, नैवेद्य, फल, पुष्प आदि अर्पित करें। फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और रमा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें। ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें।
रमा एकादशी को पुण्य कर्म करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसे भगवान विष्णु के सबसे प्रिय एकादशी में से एक जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। भोग में विष्णु भगवान को पीले रंग की मिठाई चढ़ानी चाहिए। इस दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी भी आपको ऐश्वर्य, कीर्ति, धन का आशीर्वाद देती हैं। पुराणों के अनुसार रमा एकादशी व्रत को करने से व्रती अपने सभी पापों का नाश करते हुए भगवान विष्णु का धाम प्राप्त करता है और मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करता है।
“महंत श्री पारस भाई जी’ के मुताबिक जो भक्त, प्रभु की भक्ति श्रद्धा और आस्था के साथ करते हैं उनके सभी कष्टों का निवारण प्रभु अवश्य करते हैं।
रमा एकादशी व्रत का महत्व
सभी एकादशियों में रमा एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे रम्भा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जो भी व्यक्ति रमा एकादशी का व्रत करता है, उससे भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा उस व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जातक के सभी प्रकार के दुःख दूर होते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी के व्रत रखने के साथ ही इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है। एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन द्वादशी तिथि को समाप्त होता है। इस व्रत को रखने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
साल में कुल 24 एकादशी मनाई जाती हैं और ऐसा माना जाता है कि जो इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं, वे अपने पिछले जन्म के बुरे कर्मों से मुक्त हो जाते हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस व्रत को करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं। यानि मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए भी यह दिन सबसे शुभ माना जाता है। धन-धान्य और सुख की प्राप्ति के अलावा विवाह में हो रही देरी की ��मस्याओं को दूर करने के लिए रमा एकादशी का व्रत जरूर रखें।
“महंत श्री पारस भाई जी” ने बताया कि इस दिन श्री नारायण की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को उत्तम लोक की प्राप्ति होती है। इसके अलावा एकादशी का व्रत को करने से मन और तन दोनों स्वस्थ रहते हैं।
रमा एकादशी के दिन दान करने का क्या है महत्व ?
जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसकी सभी मनोकामनायें पूरी होती हैं और समस्याओं से छुटकारा मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करने से 11 हजार गाय के दान करने के बराबर पुण्य फल मिलता है। तो आइये जानते हैं रमा एकादशी के दिन दान करने का क्या है महत्व और इस दिन किन चीजों का दान करना फलदायी माना जाता है।
अन्न का दान करें
रमा एकादशी के दिन गरीब या जरूरतमंदों लोगों को अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने पर माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
तेल का दान करें
रमा एकादशी के दिन सरसों के तेल का दान करना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से शनि महाराज खुश होते हैं और आपके कष्ट दूर होते हैं।
पढ़ाई से संबंधित चीजें दान करें
इस दिन पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाई से संबंधित चीजें जरूर दान करें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से माँ लक्ष्मी तो प्रसन्न होती ही है। साथ में माँ सरस्वती भी प्रसन्न होती हैं, क्योंकि माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं। ऐसा करने से आपको करियर और जीवन में सफलता मिलती है।
पीले फल का दान करें
ऐसी मान्यता है कि रमा एकादशी के दिन पीले फल का दान करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और आपके जीवन में खुशहाली आती है।
कंबल का करें दान
इस दिन गरीबों को कंबल का दान करना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन समर्पण के साथ उपवास रखते हैं उनके जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।
रमा एकादशी व्रत के दिन इन नियमों को ध्यान में रखें
किसी का अनादर न करें और झूठ न बोलें
रमा एकादशी के दिन तुलसी माता को जल नहीं चढ़ाएं
एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें
एकादशी व्रत के दिन तामसिक चीजों से दूर रहें
केवल सात्त्विक भोजन ही ग्रहण करें
महंत श्री पारस भाई जी कहते हैं कि कार्तिक मास में प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठने का और दान आदि करने का विधान है। इसलिए इस माह में प्रात: उठकर केवल स्नान करने मात्र से ही मनुष्य को जहां कई हजार यज्ञ करने का फल मिलता है, वहीं इस महीने में श्रद्धापूर्वक किए गए किसी भी व्रत का फल हजारों गुणा अधिक मिलता है। शास्त्रों में विष्णुप्रिया तुलसी की महिमा अधिक है इसलिए व्रत में तुलसी पूजन करना और तुलसी की परिक्रमा करना अति उत्तम माना गया है।
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Deoghar shravani mela - देवघर के राजकीय श्रावणी मेला में 39 लाख श्रद्घालु आये, 4 करोड़ रुपये से अधिक पर लूटाये पैसे, चांदी, सोना भी भक्तों ने बाबा पर बरसाये, राजकीय कोष में भी जमा हुए करोड़ों रुपये, जानें देवघर में मलमास के समापन के बाद शुरू हो रहे सावन के दू��रा पक्ष को लेकर क्या चल रही तैयारी
देवघर : झारखंड के देवघर जिले के आर मित्रा प्रांगण स्थित मीडिया सेंटर में देवघर उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी विशाल सागर की अध्यक्षता में राजकीय श्रावणी मेला, 2023 से संबंधित साप्ताहिक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इस दौरान मौके पर सभी को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने सभी मीडिया संस्थानों का सहयोग हेतु आभार प्रकट किया. आगे उपायुक्त द्वारा जानकारी दी गयी कि अधिकमास यानी मलमास का समापन हो रहा है.…
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पवित्र श्रावण मास के पूर्णमासी तिथि के दिन भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया
कोटर। सतना जिले के कोटर तहसील क्षेत्रांतर्गत नगर परिषद कोटर वार्ड क्रमांक 11मे स्थापित प्रसिद्ध भोलेनाथ कर्दमेश्वर नाथ मे आज पवित्र श्रावण मास . मलमास मे पूर्णिमा तिथि के दिन वार्ड क्रमांक 11 के कर्मकांडी आचार्य ज्योतिषाचार्य पंडित सनत कुमार शास्त्री के प्रप्रौत्र व समाजसेवी पत्रकार पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी के पुत्र रूद्र कुमार त्रिपाठी के जन्मोत्सव के शुभ पावन अवसर पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक…
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Adhik Maas 2023: पुरुषोत्तम मास में करें इन चीजों का दान, प्राप्त होगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद
नई दिल्ली। Malmas 2023: मलमास का महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस महीने में प्रत्येक दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। मलमास को पुरुषोत्तम मास और अधिक मास भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस महीने में दान करने का विशेष महत्व है। धर्म…
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सोमबारे औंसीबाट मलमास प्रारम्भ : अधिकमासमा के गर्नु हुन्छ, के गर्न हुँदैन ?
सुरेशचन्द्र रिजाल काठमाडाैं, २ साउन । सामान्यतया प्रत्येक वर्षमा १२ महिना हुन्छन्, तर पूर्वीय गणना पद्धति अर्थात् ज्योतिषीय चन्द्रपञ्चाङ्गअनुसार तीन वर्षमा एकपटक थप महिना आउँछ । जसलाई अधिकमास, मलमास वा पुरुषोत्तममास भनिन्छ । २०८० सालको साउन २ गतेबाट अधिकमास छ । यसकारण २०८० सालको साउन महिना ५९ दिनको अर्थात् दुई महिनाको छ । प्रत्येक तीन वर्षमा एकपटक एउटा अतिरिक्त महिना आउँछ । अधिकमासमा गरिने पूजा,…
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 17 दिसंबर 2022 सूर्योदय :- 07:02 सूर्यास्त :- 17:45 सूर्य राशि :- धनु चंद्र राशि :- कन्या मास :- पौष तिथि :- नवमी वार :- शनिवार नक्षत्र :- उत्तराफाल्गुनी योग :- आयुष्मान करण :- तैतिल अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कॄष्ण ऋतू :- हेमंत लाभ :- 13:43 - 15:03 अमृत:- 15:04 - 16:23 शुभ :- 08:21 - 09:42 राहु काल :- 09:43 - 11:03 जय महाकाल महाराज :- *खरमास व धनु मलमास प्रारम्भ:-* एक माह के लिए निम्न कार्यों पर होगी रोक। धनु संक्रांति आते ही अगले ३० दिवस के लिए मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है। इस अवधि को खरमास या मलमास भी कहा जाता है। इस साल सूर्य 16 दिसंबर 2022 को धनु राशि में प्रवेश कर चुकें है और इसी दिन से खरमास प्रारंभ हो गया है। *प्रारम्भ हो गया है खरमास:-* खरमास के समय में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय में सूर्य देव का प्रभाव कम होता है, इसलिए शुभ कार्य नहीं करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे एक वर्ष में दो बार ऐसा अवसर आता है, जब खरमास लगता है। एक खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच और ��ूसरा खरमास मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक होता है। आज का मंत्र :- ""|| ॐ शं शनैश्चराय नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 17 दिसंबर 2022 ( शनिवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CmQSLEkIoxX/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Kharmas 2022 aaj se shuru ho raha hai kharbas mahina jane isme kya kare aur kya nahi | आज से बंद हो जाएंगे सभी शुभ कार्य, जानें आज से शुरू हो रहे खरमास में क्या करें और क्या नहीं
Kharmas 2022 aaj se shuru ho raha hai kharbas mahina jane isme kya kare aur kya nahi | आज से बंद हो जाएंगे सभी शुभ कार्य, जानें आज से शुरू हो रहे खरमास में क्या करें और क्या नहीं
Kharmas 2022: जब सूर्य मीन राशि में गोचर करता है तब खरमास लगता है. खरमास को मलमास के नाम से भी जाना जाता है। आज यानी 16 दिसंबर से खरमास लग रहा है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से बचें। आइए जानते हैं कि इस दौरान क्या करें और क्या न करें। आज से खरमास मास की शुरुआत हो रही है छवि क्रेडिट स्रोत: TV9 भारतवर्ष खरमास आज 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है। ऐसा तब होता है जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते…
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Adhik Maas 2023: 19 साल बाद नए साल में बनेंगे अद्भुत योग, 2 माह तक लगातार बरसेगी शिवजी की कृपा
Adhik Maas 2023: 19 साल बाद नए साल में बनेंगे अद्भुत योग, 2 माह तक लगातार बरसेगी शिवजी की कृपा
साल 2023 में मलमास के कारण सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो माह तक रहेगा. Adhik Maas 2023: नए साल की शुरुआत होते ही, हर कोई उस साल में आने वाले तीज-त्योहार के बारे में जानना चाहता है. साल 2023 में कई सारे परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. ज्योतिषीयों का कहना है कि आने वाले साल 2023 में मलमास के कारण सावन का महीना एक नहीं बल्कि दो माह तक रहेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 में 12 नहीं बल्कि 13…
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Day 4: पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा - Purushottam Mas Mahatmya Katha
🚩 Day 4: पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा - Purushottam Mas Mahatmya Katha 📲 https://www.bhaktibharat.com/katha/purushottam-mas-mahatmya-katha-adhyaya-4
🌝 अधिक मास / पुरुषोत्तम मास / मलमास 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/adhik-mas
✨ विनायक चतुर्थी - Vinayak Chaturthi 📲 https://www.bhaktibharat.com/festival/vinayak-chaturthi #AdhikMas #Malmas #PurushottamMas #Launad #LaunadMas #bhaktibharat #VinayakChaturthi #Chaturthi
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CIN ब्यूरो /16 दिसंबर से लग जायेगी मांगलिक कार्य पर रोक - जितेन्द्र कुमार सिन्हा
CIN ब्यूरो /16 दिसंबर से लग जायेगी मांगलिक कार्य पर रोक – जितेन्द्र कुमार सिन्हा
CIN ब्यूरो /हिन्दू धर्म में मांगलिक कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त का ध्यान रखा जाता है। शुभ और अशुभ ग्रहों के लिए सूर्य की चाल पर भी ध्यान दिया जाता है। मांगलिक कार्य के लिए वर्ष में कुछ तिथि और दिन ऐसे होते है जिनमें शुभ काम करना वर्जित रहता है। इसमें से एक है खरमास।हिन्दू धर्म में खरमास के महीने को शुभ महीना नहीं माना जाता है। इसे मलमास भी कहा जाता है। वर्ष 2022 का दूसरा खरमास 16 दिसंबर से…
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Jamshedpur rural siddheshwar baba dham : अधिमास श्रावण की अंतिम सोमवारी पर जादूगोड़ा सिद्धेश्वर पहाड़ बाबा धाम में उमड़े श्रद्धालु, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक दस हजार श्रद्धालुओं ने किया भगवान शिव का जलाभिषेक
जादूगोड़ा : जादूगोड़ा के सिद्धेश्वर पहाड़ बाबा मंदिर में आज मलमास की अंतिम सोमवारी पर बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने जलाभिषेक किया. रात्रि दो बजे से ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी, जो संध्या 5 बजे तक भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए पहुंचते रहे.(नीचे भी पढ़ें) करीबन 10 हजार भक्तों ने एक किलोमीटर की लंबी टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी रास्ते का सफर तय कर पूरी की व जादूगोड़ा के प्राचीन सिद्धेश्वर…
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धर्म 2021: अब 14 अप्रैल तक विवाह और मुंडन जैसे गृह प्रवेश जैसे कार्य, जानें क्यों?
धर्म 2021: अब 14 अप्रैल तक विवाह और मुंडन जैसे गृह प्रवेश जैसे कार्य, जानें क्यों?
खरमास 2021: इस 1 महीने बिल्कुल भी ना करें ये काम … हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जब सूर्य देव ने अपने रथ में लगे घोड़ों को विश्राम करने के लिए छोड़ कर अपने रथ में खर यानी गधों को जोड़ लिया था तब उनके रथ की गति धीमी हो गई थी। यह चक्र पूरे एक महीने तक चला गया था और इसे केवल खरमास कहा जाता है। इस बार पंचांग के अनुसार 14 मार्च को फाल्गुन मास का शुक्ल पक्ष आरंभ होने के साथ ही खरमास भी शुरू हो गया…
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अधिक मास में हो सकते हैं ये सात तरह के संस्कार, आप भी जरूर जानिए
चैतन्य भारत न्यूज अधिक मास की शुरुआत हो चुकी है। यह महीना 18 सितंबर से शुरू हुआ था जो 16 अक्टूबर को समाप्त होगा। अधिक मास को मलमास और पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। अधिक मास के कारण इस बार दो आश्विन मास पड़े हैं। साथ ही चतुर्मास भी पांच महीनो का हो गया है और नवरात्रि जो श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के साथ ही शुरू हो जाती थी वह भी एक महीने पीछे खिसक गई है। हिन्दू पंचांग की गणना के अनुसार, सौर वर्ष का मान लगभग 365 दिनों का और चंद्र मास 354 दिनों का होता है। दोनों में करीब 11 दिनों के अंतर को समाप्त करने के लिए 32 माह में अधिक मास की योजना बनाई गई है, जो पूर्णतः विज्ञान सम्मत भी है। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इसीलिए अधिकमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस मास में जो भगवान विष्णु का पूजन करता है उसे कई गुना फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अधिक के अनुसार अधिक मास में सभी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इस महीने शादी, सगाई, जडुला, गृह निर्माण आरम्भ, गृहप्रवेश, मुंडन, संन्यास अथवा शिष्य दीक्षा लेना, नववधू का प्रवेश, देवी-देवता की प्राण-प्रतिष्ठा, यज्ञ, बड़ी पूजा-पाठ का शुभारंभ, कूप, बोरवेल, जलाशय खोदने जैसे पवित्र कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकि इस महीने कुछ ऐसे संस्कार हैं जिन्हें करने से जातकों को उसका सर्वाधिक लाभ भी मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, पुरुषोत्तम माह में पुंसवन, सीमंत, जातकर्म, नामकरण, भूमि उपवेशन आदि संस्कार किए जा सकते हैं। दरअसल, गर्भाधान के दूसरे या तीसरे महीने में पुंसवन संस्कार और छठे आठवें महीने में सीमंत संस्कार किये जाते हैं। वहीं बालक को स्वर्ण खंड से मधु-घृत चटाने के लिए जातकर्म संस्कार किया जाता है। शास्त्रों में नामकरण जन्म के 11वें दिन किया जाता है। जबकि भूमि उपवेशन संस्कार में संतान की कमर में कटि सूत्र बांधा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अधिक या मलमास में जो कोई जातक सत्यनारायण की कथा सुनता है। उसे जातक को इसका अत्यधिक लाभ मिलता है। इस महीने भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए। क्योंकि मलमास में ही पद्मिनी एकादशी आती है जो विष्णु जी को बेहद ही प्रिय है। मलमास में भगवान विष्णु जी की स्तुति के लिए सबसे बढ़िया उपाय विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ माना जाता है। वहीं ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ से कुंडली का बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है। Read the full article
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आज से आरंभ हो रहा है #अधिक_मास अधिक मास में पूजा पाठ, व्रत, उपासना, दान और साधना को सर्वोत्तम माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अधिक मास में भगवान का स्मरण करना चाहिए, अधिक मास में किए गए दान आदि का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है। इस मास को आत्म की शुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है, अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास क���ने चाहिए। आत्म चिंतन करते मानव कल्याण की दिशा में विचार करने चाहिए। सृष्टि का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्वजों का भी धन्यवाद करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है। अधिक मास को #मलमास अथवा #पुरुषोत्तम_मास भी कहा गया है। अधिक मास 18 सितंबर से आरंभ और 16 अक्टूबर को समाप्त होगा। सभी पर #श्रीहरि #विष्णु जी की कृपा एवं आशीर्वाद बना रहे। https://www.instagram.com/p/CFRKc0zATfB/?igshid=1iozvebjtu0ut
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