#2022 के चुनाव
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Priyanka Gandhi: The Things That Make Her Unique
Introduction
Table Of Content
जन्म और परिवार
शुरुआती जीवन और शिक्षा
शादी से पहले झेलना पड़ा विरोध
कैसे हुई थी मुलाकात?
किसने किया पहले प्रपोज?
राजनीति में शुरू किया सफर
अभियान प्रबंधक के रूप में किया काम
राजनीति में कैसे रहे शुरुआती साल?
2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
लड़की हूं, लड़ सकती हूं का अभियान चलाया
संसद के सदस्य
बचपन की यादें ताजा करती हैं ये तस्वीरें
जन्म और परिवार
दावा किया जाता है कि प्रियंका गांधी की नाक उनकी दादी यानी इंदिरा गांधी से मिलती है. वरिष्ठ कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने भी कई बार इस बात का जिक्र किया है. साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान खुद प्रियंका गांधी भी कह चुकी हैं कि मेरी नाक दादी से मिलती है. साल 2019 के चुनाव में भी उन्होंने इसी बात का जिक्र किया था.
शुरुआती जीवन और शिक्षा
वायनाड सांसद प्रियंका गांधी ने साल 1984 तक देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की. इसके बाद सुरक्षा कारणों से राहुल और उन्हें दोनों को दिल्ल�� के डे स्कूल में भेज दिया गया. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद लगातार मिल रही आतंकी धमकियों की वजह से प्रियंका और राहुल की आगे की पढ़ाई घर पर ही हुई. बाद में वह दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी कॉलेज में एडमिशन ले लिया. इसके बाद उन्होंने जीसस एंड मैरी कॉलेज, नई दिल्ली से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री पूरी की और वर्ष 2010 में बौद्ध अध्ययन में मास्टर डिग्री हासिल की.
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शादी से पहले झेलना पड़ा विरोध
प्रियंका जब सिर्फ 13 साल की थी, तो उनकी मुलाकात रॉबर्ट वाड्रा से हुई थी. काफी लंबे समय तक दोनों दोस्त रहे और फिर शादी करने का फैसला कर लिया. हर लड़की की तरह प्रियंका को भी शादी के लिए अपने परिवार को मनाने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. शुरुआत में परिवार इस शादी को लेकर राजी नहीं था, जिसके लेकर काफी विरोध भी हुआ. लेकिन, जिद्दी प्रियंका ने हार नहीं मानी और परिवार को उनकी की सुननी पड़ी. सोनिया-राहुल सब इस शादी को राजी हो गए. उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा से 8 फरवरी, 1997 को शादी की.
कैसे हुई थी मुलाकात?
यहां बता दें कि दोनों की पहली मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के घर पर हुई थी. दोनों दिल्ली के ब्रिटिश स्कूल में साथ-साथ पढ़ते थे. एक इंटरव्यू में रॉबर्ट वाड्रा ने बताया था कि मैं नहीं चाहता था कि हमारे इस रिश्ते के बारे में कोई जाने, क्योंकि लोग इसे समझ नहीं पाते और कोई अलग ही रूप दे देते थे.
किसने किया पहले प्रपोज?
रॉबर्ट वाड्रा ने आगे बताया था कि स्कूल के एक कॉमन फ्रेंड थे, जो प्रियंका को जानते थे. वह सब वहां पर बैडमिंटन समेत अलग-अलग खेल खेलने जाते थे. वहीं, पर उनकी मुलाकात प्रियंका से हुई. उन्हें मेरी सादगी पसंद आई. मैं जींस-टीशर्ट और कोल्हापुरी में जाता था. मजाक ज्यादा करता था और स्पोर्ट्स अच्छा खेलता था. मुझे वह पसंद करती थीं, लेकिन बात ज्यादा नहीं करती थीं. उन्होंने आगे बताया कि प्रियंका ने ही उन्हें पहले प्रपोज किया था.
राजनीति में शुरू किया सफर
प्रियंका गांधी अकसर ही रायबरेली और अमेठी के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करती थी, जहां उन्होंने स्थानीय निवासियों के साथ सीधे बातचीत की. वह अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह जनता से जुड़ाव की कला को बखूबी जानती हैं. इसके अलावा उनको राजनीतिक और कूटनीतिक कौशल भी बखूबी आता है. जब कांग्रेस पार्टी पर संकट के काले बादल गहराता हैं, तो प्रियंका गांधी हर मोर्चे को बड़े बारीकी से संभालती हैं. फिर चाहे वह हिमाचल में विधायकों की नाराजगी की वजह से अस्थिर हुई सरकार को सेटल करना हो या गांधी परिवार के खिलाफ बने जी-20 ग्रुप को खत्म करना हो. वह हर एक राजनीतिक मुद्दे को सुलझाना में बेहद माहिर हैं.
अभियान प्रबंधक के रूप में किया काम
वर्ष 2004 के भारतीय आम चुनाव में उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी के अभियान प्रबंधक के रूप में काम किया और अपने भाई राहुल गांधी के अभियान की देखरेख में मदद भी की. साल 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान जहां, राहुल गांधी ने राज्यव्यापी अभियान का प्रबंधन का काम संभाला. वहीं, प्रियंका ने अमेठी और रायबरेली क्षेत्र की 10 सीटों पर ध्यान दिया और सीट आवंटन पर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अंदरूनी कलह को संबोधित करने में 2 सप्ताह बिताए.
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राजनीति में कैसे रहे शुरुआती साल?
साल 2019 में इच्छा न होने के बावजूद आधिकारिक तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने राजनीति में प्रवेश किया. उन्होंने आम और विधानसभा दोनों चुनावों में अपनी मां और भाई के लिए चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लिया. वह अकसर रायबरेली और अमेठी के निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करती थीं, जहां उन्होंने निवासियों से सीधे बातचीत की. इस भागीदारी ने उन्हें इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समर्थन के साथ एक जानी-मानी हस्ती बना दिया. इसकी वजह से अमेठी में चुनाव के दौरान ‘अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका’ के खूब नारे लगते थे. वहीं, अक्टूबर 2021 में उन्हें यूपी पुलिस ने 2 बार गिरफ्तार किया था. पहली बार हिर��सत पश्चिमी यूपी के लखीमपुर खीरी की उनकी यात्रा के बाद हुई, जहां प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के काफिले के बीच झड़प के बाद 8 लोग मारे गए थे. उन्हें और कई अन्य पार्टी के नेताओं को सीतापुर में एक गेस्ट हाउस में हिरासत में लिया गया था , जिसका इस्तेमाल उन्हें 50 घंटे से अधिक समय तक रखने के लिए अस्थायी जेल के रूप में किया जा रहा था. दूसरी बार उनकी गिरफ्तारी आगरा में की गई थी. यूपी पुलिस ने उन्हें सभाओं पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए हिरासत में लिया था, जब वह एक व्यक्ति के परिवार के सदस्यों से मिलने आगरा जा रही थी.
2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
प्रियंका गांधी वाड्रा ने 23 अक्टूबर, 2021 को बाराबंकी से कांग्रेस पार्टी के उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान की शुरुआत की थी. इसके बाद से वह अकसर ही चुनाव प्रचार में दिखाई देने लगी और लोगों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई. जनवरी 2022 में उन्होंने अपने भाई राहुल के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया. घोषणापत्र राज्य के विकास के साथ-साथ युवा और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित था और आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में महिलाओं को 40% टिकट देने का भी वादा किया गया था.
लड़की हूं, लड़ सकती हूं का अभियान चलाया
महिला सशक्तिकरण और राजनीति में भागीदारी को लेकर उन्होंने अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राज्य में ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान की शुरुआत की. इस अभियान ने उन्हें सक्रीय मीडिया के जरिए लोगों के बीच पहचान दिलाई. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन उन्होंने राज्य की राजधानी लखनऊ में एक रैली की शुरुआत की. इस रैली से कई वादे और उम्मीदें थीं, जिसमें पूरे राज्य से महिलाओं की भागीदारी देखी गई. इन अभियानों और रैली के बावजूद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को कड़ी मशक्कत के बाद भी एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा था. 403 विधानसभा सीटों में से केवल 2 सीटें जीत हासिल की गई थी. इसके बाद से प्रियंका गांधी वाड्रा ने दिसंबर 2023 में उत्तर प्रदेश के प्रभारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया. राज्य चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद 5 अगस्त, 2022 को उन्होंने मूल्य-वृद्धि और मुद्रास्फीति के खिलाफ कांग्रेस के ‘महंगाई पर हल्ला बोल’ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और उन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया.
संसद के सदस्य
वर्ष 2024 के भारतीय आम चुनाव के दौरान कांग्रेस के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार करने और पार्टी के भीतर अधिक संगठनात्मक भूमिका निभाने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एलान किया कि वह चुनावी राजनीति में शामिल होंगी और अपने भाई राहुल की जगह लेने के लिए वायनाड उपचुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने इस चुनाव में कुल 4,10,931 म���ों के अंतर से चुनाव जीता. वह अपनी मां सोनिया और भाई राहुल के साथ संसद में काम करेंगी. वह और उनके भाई 18वीं लोकसभा में एक साथ काम करने वाले पहले और एकमात्र भाई-बहन हैं.
बचपन की यादें ताजा करती हैं ये तस्वीरें
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी आज अपना 53वां जन्मदिन मना रही हैं. इस मौके पर हम आपको उनके बचपन की कुछ तस्वीरें दिखाएंगे और उससे जुड़ी कुछ बातें बताएंगे जो शायद ही आप जानते हों.
प्रियंका ने एक वीडियो साल 2023 में अपने सोशल मीडिया अकांउट पर शेयर किया था. इसमें उन्होंने अपने बचपन के बारे में कुछ बातें शेयर की थीं. इस दौरान उन्होंने बताया कि बचपन में सभी भाई बहनों की तरह उनकी भी अपने भाई राहुल गांधी के साथ जबरदस्त लड़ाई होती थी. उन्होंने आगे बताया कि राहुल गांधी हमेशा जीत जाते थे.
अपने बचपन के बारे में बताते हुए प्रियंका कहती हैं कि भले ही राहुल और वह झगड़ते थे, लेकिन हमारी दोस्ती भी बहुत गहरी थी. हम दोनों में एक खूबी थी, जब भी कोई बाहरी आकर लड़ता था, तो दोनों एकजुट होकर एक टीम बनाकर उस पर टूट पड़ते थे.
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#GodMorningMonday
क्या करवा चौथ व्रत रखने से वाकई पति की उम्र बढ़ जाती है?
जागरण
होम ताज़ा चुनाव 2024
Karnal: करवा चौथ से पहले छिना सुहाग,
र देखने गंभीर, मेहंदी लगवा लौट रहा था गया पति मौत के आगोश में यूं समाया, अमर उजाला ब्यूरो, करनाल (हरियाणा) Published by: সুর্যের কির Updated Thu, 13 Oct 2022 09:19 PM IST
ब्रेकिंग राष्ट्रीय दुनि हादसे में पति की मौत, पत्नी की हालत 'चांद निकला या नहीं', छत पर करवाचौथ पर विधवा दपंती विधवा हो गई पत्की मौत का ऐसा भय, 250 साल से करवा चौथ नहीं मनातीं सुहागिनें
लिए सुबह से ही विनोद कुमार दुबे फूल-माला व अन्य साम देखिए चांद निकला है या नहीं। विनोद छत पर जाकर वापस पैर फिसल जाने से लुढ़कते हुए नीचे आंगन में गिर गए।
BY RAMESH SONI
EDITED BY: VINAY SAXENA
UPDATED: THU, 02 NOV 2023 11:18 PM (IST)
करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत सुहागन के लिए बहुत ही खास माना जाता है. लेकिन मथुरा के वघा गांव की सुहागन करवा चौथ का व्रत पति की मौत के डर वजह से नहीं रहती हैं. यह परंपरा 250 सालों से लगातार चली आ रही है.
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सपा की समीक्षा बैठक में जमकर हुआ हंगामा
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए शुक्रवार को सपा की समीक्षा बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। यहां सपा विधायकों, प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों के बीच जमकर बहस हुई। पहले पार्टी के आर्यनगर क्षेत्र के विधायक अमिताभ बाजपेई अपने प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल की बात पर उखड़ गए। इसके बाद महानगर अध्यक्ष फजल महमूद ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रचार के आखिरी…
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Uttar Pradesh ki Nau Seaton Par hi Honge Upachunaav, Sabase Hot Seat Milkeepur ke Lie Karana Hoga Intajaar
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटें फिलहाल खाली हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने नौ सीटों पर ही उपचुनाव की तारीखों की घोषणा की है। अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर चुनाव नहीं होंगे जिस पर पूरे प्रदेश की निगाहें थीं।
जानकारी के अनुसा��, हाईकोर्ट में दायर याचिका की वजह से मिल्कीपुर में उपचुनाव की तिथि की घोषणा नहीं हो सकी है। मिल्कीपुर के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने 2022 आम चुनाव को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। साल 2022 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद गोरखनाथ बाबा ने अवधेश प्रसाद के चुनाव जीतने को लेकर याचिका दायर की थी। जो अभी अदालत में लंबित है।
Read More: https://www.deshbandhu.co.in/states/by-elections-will-be-held-in-nine-seats-in-uttar-pradesh-the-hottest-seat-will-have-to-be-waiting-for-milkipur-502324-1
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फूलपुर उपचुनाव में सपा ने मुज्तबा सिद्दीकी पर फिर लगाया दांव, भाजपा खेल सकती है कुर्मी कार्ड
प्रयागराज, 9 अक्टूबर 2024। समाजवादी पार्टी ने फूलपुर विधानसभा के उपचुनाव में बड़ा दांव खेलते हुए एक बार फिर मुज्तबा सिद्दीकी को अपना प्रत्याशी बनाया है। बुधवार 9 अक्टूबर की दोपहर में जारी उम्मीदवारों की सूची में मुज्तबा का नाम दूसरी बार शामिल किया गया है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी सपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था, जहां उन्होंने भाजपा के प्रवीण पटेल को कड़ी टक्कर दी थी, हालांकि…
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West singhbhum ajsu president : चाईबासा जिप सदस्य लक्ष्मी हांसदा की सदस्यता रद्द नहीं किया जाना प्रश्नों के घेरे में, पूर्व सदस्य भूमिका मुंडा के पति ने अधिसूचना जारी न होने पर उठाये सवाल, एक सप्ताह में अधिसूचना जारी नहीं होने पर हाईकोर्ट जाने की दी चेतावनी
रामगोपाल जेना/चक्रधरपुर : आजसू जिलाध्यक्ष सह पूर्व जिला परिषद सदस्य भूमिका मुंडा के पति रामलाल मुंडा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपायुक्त द्वारा जिला परिषद सदस्य लक्ष्मी हांसदा पर अब सदस्यता रद्द करने की अधिसूचना जारी नहीं किये जाने पर सवाल खड़ा किए हैं. उन्होंने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 2022 में हुए पंचायत चुनाव में जिला परिषद भाग संख्या एक से लक्ष्मी हांसदा निर्वाचित घोषित…
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20 सितंबर को हिमाचल सचिवालय के बाहर होगा बवाल, बेरोजगारों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा
20 सितंबर को हिमाचल सचिवालय के बाहर होगा बवाल, बेरोजगारों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा #news #viral #trending #update #newspaper #breakingnews #currentaffairs #dailynews #newsletter #newspapers #newsupdate #People #Media #info #Journalism #Press
Himachal Pradesh News Today: हिमाचल प्रदेश में साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बेरोजगारी और भर्ती पेपर लीक एक बड़ा मुद्दा था. कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले बेरोजगार युवाओं को पांच लाख रोजगार देने का वादा किया था. कांग्रेस के इस वादे के बाद उनके सत्ता में आने से राज्य के बेरोजगार युवाओं के मन में आस जगी थी. अब बेरोजगार युवा ही राज्य सरकार स�� नाराज हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश में युवा बेरोजगार…
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10 हजार से अधिक लोगों की जिंदगी लील गई लू, देखें किस राज्य में सबसे अधिक असर
नई दिल्ली : पिछले कुछ समय में जलवायु परिवर्तन का असर साफ रूप से दिखने लगा है। इसका असर अधिक गर्मी के साथ ही अधिक सर्दी के रूप में दिख रहा है। 2013 से 2022 के बीच देश में लू यानी हीटवेव के कारण 10 हजार से अधिक मौतें दर्ज की गई हैं। यह जानकारी बुधवार को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई। पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा को साझा किया, जो गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इसमें मौतों की संख्या की पुष्टि की गई। किस राज्य में कितनी मौत आंकड़ों के अनुसार 9 साल के दौरान कुल 10,617 मौतें हुईं। इनमें आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब और बिहार सबसे अधिक प्रभावित राज्य रहे। इन राज्यों में क्रमशः 2,203, 1,485, 1,172, 1,030 और 938 मौतें हीटवेव से हुईं। केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़ों से पता चला कि उपर दी गई अवधि में दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में हीटवेव से संबंधित 18 मौतें हुईं। 2014 से 2024 के बीच, 219 दिनों की भीषण गर्मी के साथ, उत्तर प्रदेश में आंध्र प्रदेश की तुलना में दोगुने दिन हीटवेव देखे गए। हालांकि,न दक्षिणी राज्य में हीटवेव से सबसे अधिक मौत दर्ज की गईं। गर्मी ने तोड़ा 80 साल का रिकॉर्ड रिपोर्ट के अनुसार 50 डिग्री सेल्सियस के पार टेंपरेचर जाने के साथ, इस साल अभूतपूर्व गर्मी ने 80 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया। उत्तर और मध्य भारत के कई क्षेत्रों में इस साल लंबे समय तक तीव्र लू देखी गई। इस वर्ष लोकसभा चुनाव भी भीषण गर्मी के बीच हुए। जिसमें बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में कई लोगों की जान चली गई, जिनमें कुछ चुनाव अधिकारी भी शामिल थे। डीएमके नेता कनिमोझी करुणानिधि ने भी चुनाव के दौरान भीषण गर्मी के कारण ड्यूटी पर मारे गए सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को दिए जाने वाले मुआवजे के बारे में मंत्रालय से सवाल किया। इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) और राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) में राज्य के आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दों के लिए संसाधन उपलब्ध हैं। आगे की वित्तीय सहायता के लिए, राज्य संबंधित दिशा-निर्देशों के अनुसार आपदा प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार के फंड का लाभ उठा सकते हैं। http://dlvr.it/TBMPV1
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Why Milkipur Seat Elections Delayed: Gorakhnath Baba's Role Explained
Introduction
Milkipur Seat Bypolls Election 2024: भारत के निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों का एलान कर दिया है. इसके साथ ही 48 विधानसभा सीटों, 2 लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों का भी एलान कर दिया है. उत्तर प्रदेश की 9 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है. हालांकि, अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर सभी की नजरें बनी हुई थी. लेकिन इस सीट पर तारीखों का एलान नहीं हुआ. चुनाव आयोग ने इसका जवाब भी दिया है कि इस सीट पर उपचुनाव की तारीखों का एलान क्यों नहीं किया गया है .
Table of Content
क्यों नहीं हुआ चुनाव की तारीखों का एलान
क्या पूरा मामला
SP ने साधा निशाना
क्या है वोटरों की संख्या
अजित प्रसाद को दिया जा सकता है टिकट
किन-किन सीटों पर हो रहा उपचुनाव
क्या है जातीय समीकरण
मिल्कीपुर सीट का इतिहास
लोकसभा में पहुंचने वाले दूसरे नेता बने अवधेश प्रसाद
SP को लग सकता है बड़ा झटका
सीएम योगी ने संभाली कमान
BJP की बढ़ी टेंशन
क्यों नहीं हुआ चुनाव की तारीखों का एलान
चुनाव आयोग का कहना है कि इस सीट पर चुनाव की तारीखों का एलान इसलिए नहीं किया गया क्योंकि BJP के पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी विधायक अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और कोर्ट में पिटीशन अभी पेंडिंग है. ऐसे में मिल्कीपुर सीट पर चुनाव की तारीखों का एलान नहीं किया जा सकता है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने इसको लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग BJP के पक्ष में काम कर रही है. अगर ऐसा है तो फिर कानपुर की सीसामऊ सीट का मामला भी कोर्ट में चल रहा है, लेकिन वहां चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है.
बता दें कि इस सीट से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद विधायक थे. लेकिन 2024 में लोकसभा चुनाव उन्होंने लड़ा और जीत हासिल कर ली. 7 हजार वोटों से जीत हासिल कर वो संसद पहुंच गए. ऐसे में मिल्कीपुर सीट खाली हो गई.
क्या पूरा मामला ?
साल 2022 में BJP प्रत्याशी बाबा गोरखनाथ ने समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने अवधेश प्रसाद के चुनावी हलफनामे पर सवाल उठाए था और उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी. बाबा गोरखनाथ का कहना था कि अवधेश प्रसाद ने जो हलफनामा दाखिल किया. उसमें नोटरी ऐसे शख्स से कराई गई, जिसका लाइसेंस पहले ही खत्म हो चुका था. ऐसे में उनका हलफनामा वैध नहीं माना जाएगा. उनका हलफनामा अवैध था. BJP प्रत्याशी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अवधेश प्रसाद के नामांकन को रद्द किए जाने की गुहार लगाई थी.
SP ने साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फकरूल हसन चांद ने दूसरी तरफ चुनाव आयोग पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है. मिल्कीपुर का मामला कोर्ट में चल रहा है, तो वहां चुनाव नहीं हो रहा. लेकिन वैसा ही एक मामला सीसामऊ विधानसभा सीट का है, तो फिर वहां चुनाव कैसे हो रहा है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के विधायक रहे इरफान सोलंकी ने भी कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने निचली अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दी है.
क्या है वोटरों की संख्या ?
अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर 34% OBC और 36% जनरल वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या 9.48% है. SC के 20% वोटर हैं. सामान्य वर्ग को वोटरों की बात करें तो उनकी हिस्सेदारी 36.04% है. इस सीट पर कुल 3.69 लाख वोटर हैं. इस सीट पर BJP के लिए ब्राह्मण और ठाकुर मजबूत वोट बैंक माने जाते हैं तो समाजवादी पार्टी के लिए यादव-SC और मुस्लिम वोट बैंक है. पिछले 5 चुनावों की अगर बात करें तो इस सीट पर 3 बार समाजवादी पार्टी, एक बार BJP और एक बार BSP को जीत मिली है.
अजित प्रसाद को दिया जा सकता है टिकट
इस सीट पर जब भी चुनाव होगा समाजवादी पार्टी और BJP में सीधा मुकाबला होना तय है. अगर समाजवादी पार्टी की बात करें तो कहा जा रहा है कि अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट दिया जाएगा. जबकि BJP ने अभी अपना प्रत्याशी फाइनल नहीं किया है.
किन-किन सीटों पर हो रहा उपचुनाव
यूपी की मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर विधानसभा उपचुनाव होना है. 13 नवंबर को 9 सीटों पर उपचुनाव होंगे.
क्या है जातीय समीकरण ?
मिल्कीपुर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की अगर बात करें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं. यादव मतदाताओं की संख्या करीब 65 हजार है. वहीं, 60 हजार पासी, 50 हजार ब्राह्मण, 35 हजार मुस्लिम, 25 हजार ठाकुर, गैर-पासी दलित 50 हजार, मौर्य 8 हजार, चौरासिया 15 हजार, पाल 8 हजार, वैश्य 12 हजार हैं. इस सीट पर यादव, पासी और ब्राह्मण वोटर अहम भूमिका निभाते हैं. समाजवादी पार्टी इस सीट पर यादव-मुस्लिम-पासी समीकरण के सहारे चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है तो BJP को सवर्ण और दलित वोटरों का सहारा है. बता दें कि मिल्कीपुर एक सुरक्षित सीट है.
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मिल्कीपुर सीट का इतिहास
मिल्कीपुर विधानसभा सीट 1967 में वजूद में आई थी. इस सीट पर कांग्रेस, जनसंघ और CPI, BJP, BSP और समाजवादी पार्टी जीत हासिल कर चुकी है. हालांकि इस सीट पर सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी और लेफ्ट को जीत मिली है. साल 2008 में परिसीमन के बाद मिल्कीपुर सीट SC के लिए रिजर्व हो गई थी.
लोकसभा में पहुंचने वाले दूसरे नेता बने अवधेश प्रसाद
मिल्कीपुर से विधायक रहते हुए लोकसभा में पहुंचने वाले मित्रसेन यादव पहले नेता हैं तो वहीं अवधेश प्रसाद लोकसभा पहुंचने वाले दूसरे नेता हैं. बता दें कि मिल्कीपुर में साल 1998 में पहली बार विधानसभा उपचुनाव हुआ था तो मित्रसेन यादव उस समय समाजवादी पार्टी से विधायक थे. उन्होंने विधायक रहते हुए लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. इस सीट पर दूसरी बार साल 2004 में उपचुनाव हुआ था. उस समय समाजवादी पार्टी के के तत्कालीन विधायक आनंदसेन यादव विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर BSP का दामन थाम लिया था. हालांकि वो यह चुनाव हार गए थे.
SP को लग सकता है बड़ा झटका
अयोध्या में नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले ने खूब तुल पकड़ा था. सीएम योगी ने विधानसभा में जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाया था. इस मामले में SP नेता मोईद खान का नाम सामने आया था. इसके बाद BJP ने समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा रही है. दूसरी तरफ पीड़िता और उसके परिवार की मदद कर योगी सरकार जनता को खास संदेश देने की कोशिश में लगे हुए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो अयोध्या दुष्कर्म कांड उपचुनाव में SP को बड़ा झटका दे सकता है.
सीएम योगी ने संभाली कमान
मिल्कीपुर उपचुनाव की कमान सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाल रखी है. पिछले कुछ दिनों की बात करें तो सीएम योगी तीन बार अयोध्या का दौरा कर चुके हैं. सीएम मिल्कीपुर में दो सभाएं भी कर चुके हैं. अयोध्या में दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद सीएम योगी ने बीकापुर विधायक अमित सिंह चौहान के साथ पीड़ित परिवार को मिलने के लिए बुलाया था और कठोर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया था. इस घटना का जिक्र अपनी सभी सभाओं में भी सीएम योगी कर चुके हैं और समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है.
BJP की बढ़ी टेंशन
2012 के विधानसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद यादव को इस सीट से जीत मिली थी. हालांकि साल 2017 में वो चुनाव हार गए थे, लेकिन 2022 में उन्हें दोबारा जीत मिली और 2024 लोकसभा चुनाव में उन्हें फैजाबाद सीट से जीत मिली. उनके सांसद चुने जाने के बाद मिल्कीपुर सीट खाली हो गई. ऐसे में इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है. इस सीट पर एक बार फिर समाजवादी पार्टी और BJP के बीच सियासी टक्कर देखने को मिलेगी. ��ोकसभा चुनाव में जिस तरह से समाजवादी पार्टी को जीत मिली है, उसने BJP की टेंशन जरूर बढ़ा दी है. बता दें कि मिल्कीपुर में समाजवादी पार्टी ने BJP को 8 हजार वोटों से हरा दिया था. ऐसे में BJP के लिए इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए रास्ता आसान नहीं होगा. BJP इस सीट पर हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है. ऐसे में BJP ऐसा उम्मीदवार उतारना चाहती है, जो सियासी समीकरण में फिट बैठे और हार का हिसाब बराबर कर सकें.
Conclusion
लोकसभा चुनाव में यूपी में BJP का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा था, लेकिन इससे भी बड़ी टीस फैजाबाद सीट पर हार थी. अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद BJP की रणनीति थी कि इसी के सहारे न केवल पूरे यूपी बल्की हिंदी भाषी क्षेत्रों में दबदबा बनाना का था, लेकिन BJP के हाथ केवल हार आई. ऐसे में BJP की जख्मों पर मिल्कीपुर विधानसभा सीट मरहम लगाने का काम कर सकती है. अवधेश प्रसाद के फैजाबाद से सांसद बन जाने के बाद इस सीट पर होने जा रहा उपचुनाव काफी रोचक हो गया है. सभी के मन में यह सवाल है कि क्या समाजवादी पार्टी का इस सीट पर दबदबा बना रहेगा या फिर BJP को राहत मिलने वाली है. इतिहास की नजरों से देखें तो मिल्कीपुर में अब तक के दो उपचुनावों में समाजवादी पार्टी को ही जीत मिली है. लेकिन इस बार BJP अपनी पूरी रणनीति के साथ तैयार है और समाजवादी पार्टी का दबदबा खत्म कर हर हाल में कमल खिलाना चाहती है.
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पेपर लीक
पेपर लीक के दानव को भजन लाल सरकार ने किया बेअसर
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने पेपर लीक रोकथाम हेतु SIT की गठित, मिस्टर सीएम भजनलाल सर के साथ पुलिस अधिकारियों का फोटो
राजस्थान में पेपर लीक पिछली सरकार के समय एक गंभीर समस्या बन गया था। पिछले पिछले 10 सालों की बात करें तो आरएएस, एलडीसी, कांस्टेबल सहित कई भर्तियों में या तो पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द की गई या फिर सवालों में गफलत के चलते परीक्षाएं निरस्त हो गईं। कुछ वर्षों में राजस्थान में रीट परीक्षा 2022, पटवारी परीक्षा 2023, राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2023 जैसी 17 सरकारी परीक्षाओं के पेपर एक के बाद एक लीक हुए, जिनसे न सिर्फ श��क्षा प्रणाली कमजोर हुई बल्कि सरकारी सिस्टम से छात्रों का विश्वास भी डगमगाया। पेपर लीक होने से परीक्षा की विश्वसनीयता कम हुई, युवाओं ने परीक्षा के परिणामों पर भरोसा करना बंद कर दिया, उन्हें लगने लगा कि यह निष्पक्ष नहीं हैं। इन त्रास्द हालातों ने कड़ी मेहनत कर प्रतियोगिता की तैयारी करने वाले छात्रों में मानसिक तनाव भर दिया। उनका मनोबल गिरा, उनका खुद से आत्मविश्वास उठ गया। कई महीनों तक पेपर लीक की घटना को लेकर छात्रों ने शहीद स्मारक पर धरना दिया लेकिन पूर्ववर्ती सरकार टाल मटोल वाला रुख अपनाए रही। परन्तु मिस्टर सीएम भजनलाल सर ने सत्ता में आते ही इसे सीरियस मैटर मानते हुए इस पर 5D फोकस के साथ निर्णय लिए और SIT गठित की।
सरकार बनते ही पेपर लीक पर लिए अहम निर्णय
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शपथ ग्रहण की और अगले ही दिन SIT लागू की
इस बीच, राज्य में पेपर लीक के मामलों ने सियासत को गरमा दिया। बीजेपी लगातार कांग्रेस सरकार को घेरती रही पेपर लीक की जांच एसआईटी को सौंपने की मांग करती रही। उसने छात्रों की मांग उठाने के लिए कई आंदोलन किए, विधानसभा का घेराव किया, यहां तक की बीजेपी के कई कद्दावर नेताओं ने गिरफ्तारियां दी और लाठियां खाईं। मगर कांग्रेस सरकार के सिर जूं तक ना रेंगी। आनन फानन में पेपर लीक पर कानून तो बना दिया गया लेकिन इस अपराध को अंजाम देने वालों जांच कराने में कांग्रेस की गहलोत सरकार का रवैया बेहद ल���र रहा। पेपर लीक में अपने मंत्री और सरकारी कर्मचारियों की संलिप्तता की आशंका के चलते कांग्रेस ने मामले पर कड़ा एक्शन लेना ज़रूरी ही नहीं समझा। परन्तु सीएम भजनलाल सर ने पेपर लीक को महत्वपूर्ण मुद्दा मानते हुए इसके सम्बन्ध में कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। शपथ ग्रहण के अगले ही दिन से SIT पर कार्य शुरू हो चुका था।
अपना वादा निभाने की दिशा में बढ़ाए कदम
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा ने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की
विधानसभा 2023 के चुनाव बाद जब बीजेपी सत्ता में आई तो उसने छात्रों से किया पेपर लीक रोकने का अपना वादा निभाने की दिशा में कदम बढ़ाए। पेपर लीक प्रकरणों के विरुद्ध प्रभावी कदम उनके 5D फोकस मॉडल के प्रमुख कार्यों में से एक है। बीजेपी से मुख्यमंत्री चुने गए भजनलाल शर्मा ने सरकार फार्म होते ही सबसे पहले जो निर्णय राजस्थान की जनता के लिए किये उनमें पेपर लीक रोकने के लिए एसआईटी के गठन का फैसला सबसे ऊपर था। मिस्टर सीएम भजनलाल ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर पेपर लीक की जांच सीबीआई से भी कराई जाएगी। इतना ही नहीं भजन सरकार ने पेपर लीक माफिया पर शिकंजा कसने के साथ ही उनके घरों पर बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया। इस बेहद गंभीर मामले पर सख्ती दिखाते हुए आजादी के 75 वर्ष बाद पहली बार मोदी सरकार ने सदन में पब्लिक एग्जामिनेशन बिल पास कराया। इससे पहले पेपर लीक जैसे अपराध पर कभी देश के भविष्य को नुकसान पहुंचाने वालों को सजा देने के लिए कानून बनाने की किसी ने नहीं सोची थी।
पहली ही शुरुआत में दो सफल परीक्षाओं का संचालन
पेपर लीक रोकथाम हेतु मिस्टर सीएम सर के प्रयासों की हुई सराहना और जनता ने व्यक्त किया आभार
भजन सरकार पेपर लीक को खत्म करने के लिए कितनी गंभीर है इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सरकार बनने के पहले ही महीने में आयोजित सहायक आचार्य शारीरिक शिक्षक और लाइब्रेरियन की भर्ती परीक्षा बिना पेपर लीक के संपन्न हुईं। इससे पहले भर्ती परीक्षा के सफल आयोजन को लेकर सीएम सर पर खासा दबाव था लेकिन जिस तरह से उन्होंने इतने कम समय में 5D फोकस के साथ सरकारी सिस्टम के पेंच कसे और परीक्षा में लापरवाही के खिलाफ सख्ती दिखाई वह उनका बेहद सराहनीय प्रयास था। परीक्षा के पहले केंद्रों की सुरक्षा से लेकर परीक्षा प्रणाली में सुधार और पेपर लीक करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर उन्होंने न सिर्फ युवाओं के सामने बल्कि राजनीतिक दलों के सामने भी अपनी प्रतिबद्धता और निष्पक्ष अप्रोच का लोहा मनवाया।
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Lok Sabha Election 2024: तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम के सामने अपनी पहचान बचाने की चुनौती
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीसेल्वम के लिए यह लोकसभा चुनाव राज्य में अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए अहम है और इस नाजुक राजनीतिक स्थिति से निकलने के लिए वह काफी हद तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निर्भर हैं. अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) से 2022 में निष्कासित कर दिए गए पनीरसेल्वम राज्य की रामनाथपुरम लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं…
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‘सिद्धू मूसेवाला लौट आए हैं’, सिंगर की मां चरण कौर ने दिया बेटे को जन्म तो सोशल मीडिया पर गूंज उठीं दुआएं
Singer In Punjab Sidhu Moosewala: पंजाब में गायक संगीतकार मूसेवाला की हत्या के करीब दो साल बाद रविवार को उनके माता-पिता ने एक बच्चे का स्वागत किया। मूसेवाले के पिता बलकौर सिंह ने अपने फेसबुक एकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्हें मूसेवाले के छोटे भाई का आशीर्वाद मिला है. उन्होंने मूसेवाला की तस्वीर के साथ वेलकम केक के साथ बच्चे की एक तस्वीर भी पोस्ट की। मूसेवाला अपने माता-पिता – 58 वर्ष मां चरण कौर और 60 वर्ष बलकौर सिंह की इकलौती संतान थे।
आईवीएफ तकनीक से दिया बेटे को जन्म
सूत्रों ने कहा कि उनके माता-पिता ने आईवीएफ तकनीक का चयन किया था और पिछले साल इस प्रोसेस के लिए विदेश चले गए थे। परिवार ने उस समय वादा किया था कि जब तक प्रोसेस सफल नहीं होंगे, तब तक यह खबर पब्लिक नहीं होनी चाहिए।
Singer In Punjab Sidhu Moosewala चुनाव भी लड़कियाँ लड चुके हैं सिद्धू मूसेवाला
मूसेवाला, 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव में मनसा से कांग्रेस के टिकट ��र दोबारा चुनाव लड़ा गया था, उसी साल 29 मई को हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड के सिलसिले लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बाराड सहित इक्कीस लोगों को नामित किया गया है और अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सबसे अमीर पंजाबी गायकों में से एक माने जाने वाले, मूसेवाला, जो जनता, युवाओं के बीच लोकप्रिय थे, ने अपने गीत लिखे और बनाए। उनकी हत्या के बाद भी उनके कई गाने रिलीज़ हुए और लाखों हिट्स दर्ज हुए।
सिद्धू की अथाह सम्पत्ति को मिला नया वारिस
सूत्र के अनुसार, परिवार ने पिछले साल इस बच्चे का प्लान आईएफएफ के नाम पर रखा था। हाल ही में चरण कौर सिंह की प्रेग्नेंसी की खबर आई और फिर चर्चा होने लगी कि वो जुड़वां बच्चों को जन्म दे रहे हैं। हालांकि, इसके बाद 60 साल के बलकौर सिंह ने परिवार से जुड़ी इस तरह की अफवाहों को गलत बताया था। बताते चलें कि 29 मई 2022 को सिद्धू मूसेवाली की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद माता-पिता बिल्कुल अकेले पड़ गए थे। सिद्धू मूसेवाली ने अपने पीछे अथाह सम्पत्ति छोड़ रखी है, अपने परिवार को बढ़ाने के लिए पैरेंट्स ने इस उम्र में इतना बड़ा फैसला लिया और फाइनली ये सच हो चुका है।
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jharkhand politics-जयराम महतो की बढ़ सकती है मुश्किलें, बोकारो जिला प्रशासन ने 7 मई को बुलाया, जारी की नोटिस, हो सकते है गिरफ्तार
बोकारो/रांची: गिरिडीह लोकसभा से चुनाव लड़ रहे जेबीकेएसएस प्रत्याशी जयराम महतो की मुश्किलें और बढ़ती ही जा रही है. 2 मई को उन्होंने अपना परचा भरा थी. नामांकन भरने के साथ ही वहां रांची से डीएसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम पहुंची. टीम ने जयराम महतो को गिरफ्तार करने की बात कही. उन्हें बताया गया कि 2022 में विधानसभा घेराव के दौरान उन पर एफआईआऱ दर्ज हुआ था. उसी मामले में उनकी गिरफ्तारी…
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Article 370 हटाने के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव, जानें 2014 के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या क्या बदला
Jammu and Kashmir: साल 2019 में जम्मू-कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश बनने और अनुच्छेद 370 के हटने के बाद, अपने पहले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहा है। 90 सीटों के लिए तीन चरणों में होने वाले इस चुनाव के नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे। यह पहला मौका होगा जब 2014 के बाद जम्मू-कश्मीर के लोग विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 2022 में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के बाद जम्मू-कश्मीर…
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पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राकेश बघेल समाजवादी पार्टी में हुए शामिल
लखनऊ / आगरा:– पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष प्रबल प्रताप सिंह उर्फ राकेश बघेल ने सोमवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की साइकिल को थाम लिया। वह 2018 में भाजपा के समर्थन पर निर्विरोध जिला पंचायत का चुनाव जीते थे। इस कार्यकाल के बाद वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए। बसपा ने उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में एत्मादपुर से लड़ाया था। यह चुनाव वह हार गए थे। चुनावी नतीजों के तीन महीने बाद ही बसपा ने…
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